hotaks444
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आइस क्रीम ऑर कुलफी खाने के बाद मनीषा ने कहा
मनीषा- अशोक मेरे मोबाइल मे मेने एक गेम डाउनलोड की है उसकी पज़्ज़ील बोहोत ही डिफिकल्ट है पार ही नही हो रही उसको कंप्लीट कर के दो ना.....
अशोक- दो मोबाइल अपना..
मनीषा- मेरे रूम मे है चलो वही चलते है...
ऑर फिर दोनो रूम की तरफ चल देते है... मनीषा बेड पर बैठ जाती है ऑर उसको भी बिठा देती है अशोक उसका मोबाइल लेता है इतने मे मनीषा कहती है...
मनीषा- तू खेलेगा तो फिर मुझे केसे समझ आएगी कि केसे खेलना है ये गेम.. तू बस मुझे डाइरेक्षन दे मे वैसे वैसे करती जाउन्गी.....
अशोक को भी वो पज़्ज़ील समझ मे नही आती केसे कंप्लीट करे... बोहोत देर बैठे बैठे दोनो थक जाते है फिर वो लोग लेट के खेलने लगते है पर अशोक उसकी दीदी के सर के बोहोत पास अपना सर रखा था तो मनीषा को एक बहाना मिल गया अपने भाई को उकसाने का.... उसने कहा
मनीषा- अरे भैया तुम अपना पूरा सर घुसा दिए हो मोबाइल मे मुझे कुछ दिख ही नही रहा... रूको मे पेट के बल सो जाती हूँ तुम पीछे से देखना ऑर बताना कि केसे खेलु ये गेम....
अशोक तो खुश हो गया कि चलो कुछ दिन बाद अब जा कर मोका मिला है दीदी के बदन को छूने का....
उसके पलट के सो जाने के बाद अशोक भी हिलते डुलते अपने लंड को मनीषा की गान्ड मे टच कर रहा था थोड़ी देर ऐसा चलता रहा फिर कुछ देर बाद वो अपनी बेहन की कमीज़ को गान्ड से हटा कर अपने लंड को उसकी गान्ड मे चिपका कर रखने लगा.... फिर धीरे धीरे अपने लंड का दबाव देने लगा.... पर उसका लंड उसकी बेहन की गान्ड की दरार मे नही घुस पा रहा था उसकी पेंटी की वजह से.... तो फिर उसने अपना लंड शॉर्ट से बाहर निकाला ऑर उसकी गान्ड पे सुला दिया ऑर वो एकदम चिपक के लेट गया अपनी बेहन के साथ मे ऑर उसको बातो मे उलझा के रख रहा था ताकि उसकी बेहन उसको ऐसे चिपके हुए होने पर कोई सवाल ना करे....
मनीषा भी तो लंड लेने के लिए मर रही थी वो भी जानबूज के ऐसा दिखा रही थी जैसे वो उसकी बातो मे उलझी हुई है ऑर उसको होश ही नही है कि उसका भाई उसके साथ क्या कर रहा है....
ऑर फिर धीरे धीरे अपने लंड को वो रगड़ने लगा उसकी गान्ड पे.........
मनीषा- अपने मन मे ( पता होता कि तू मेरी गान्ड की दरारो की बीच अपना लंड ऐसे रगड़ेगा तो मे आज पैंटी ही नही पहनती थी... )धीरे धीरे अपना लंड उसकी गान्ड पर रगड़ते रगड़ते उसके मन मे एक बात आई कि साला ये इतनी बेवकूफ़ तो नही है इसको भी मेरा लंड अपनी गान्ड पे महसूस हो रहा होगा इसका मतलब ये भी मेरा लंड लेना चाहती है....
ऑर फिर अशोक ने अपना एक पैर धीरे धीरे उसके उपेर चढ़ा दिया ऑर अपने शॉर्ट से बाहर निकले हुए लंड को रगड़ने लगा अगर कोई उन दोनो को देख लेता तो यही समझता जैसे कि अशोक अपनी बेहन की गान्ड मार रहा है....
मनीषा की पैंटी की वजह से उसका लंड मनीषा की गान्ड की दरारों मे ठीक से नही घुस पा रहा था वो अपने लंड को सुलाए हुए कोशिश कर रहा था कि पूरा लंड उसकी दरार मे फसा कर रगडे ताकि उसकी बेहन भी उसके लंड का भर पूर मज़ा ले सके.....
फिर पज़्ज़ील समझते समझते उसको कपड़ों के उपेर से चोद रहा था ओर जब पानी निकालने वाला था तो वो थोड़ा पीछे हो कर अपने लंड को मुट्ठी मे लेकर हिलाने लगा ऑर अपना पानी दीदी की गान्ड के छेद के यहाँ पूरा पानी छोड़ दिया...
उसने जानबूझ के ऐसा किया क्यू कि स्टेप बाइ स्टेप वो खुद ऑर उसकी बेहन को बेशरम बना कर उसको एक गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड की तरह चोदना चाहता था... वो नही चाहता था कि जब वो उसकी बेहन को लंड मुँह मे दे तो वो नखरे करे या फिर वो उसके पैरो को अपने दोनो हाथो से खोल कर रखे तो तब उसकी दीदी अपनी चूत को अपनी उंगलियो से फैलाए ऑर अपने दूसरे हाथ मे थूक ले कर उसके सुपाडे पे लगा कर उसका लंड पकड़ के अपनी चूत मे डाले ऑर उससे बेशरम हो कर सेक्स करते वक्त अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करे कि उसको अपने भाई का लंड चूत मे लेने पर क्या महसूस होता है... वो उसे चुदते वक्त कहे कि भैया तुम्हारा लंड मेरी चूत की दीवारो पे जब रगड़ते हुए अंदर जाता है तो मुझे ऐसा लगता है मुझे वैसे लगता है.........
इतनी देर मे मनीषा की सलवार ऑर पैंटी भीग के उसकी गान्ड पे गीला गीला महसूस कर लिया था... इसका तो काम हो गया था पर मनीषा का अभी बाकी था... तो उसने सोचा कि अब तो इसको यहाँ रोकने का कोई फ़ायदा नही है वो कहती है चलो भाई मे थोड़ी देर सो जाती हूँ आप भी जाओ ऑर अपने रूम मे जा कर आराम कर लो.....
अशोक उठ कर चला जाता है क्यू कि वो भी चाहता था कि उसके जाने के बाद उसकी बेहन हालात का जाएजा ज़रूर लेगी ऑर उसको पता चल जाएगा कि मेने अपने लंड का पानी उसकी गान्ड पे निकल लिया है......
मनीषा उसके जाने के बाद अपनी गान्ड पे हाथ घुमाती है ऑर अशोक के लंड का चिप छिपा पानी उसके हाथ मे लग जाता है ऑर फिर वो अपनी कमीज़ को नीचे करती है जो अशोक ने उसकी गान्ड से हटा दी थी उससे अपनी गान्ड पे लगा पानी पोछ के पीठ के बल लेट कर अपनी चूत मे उंगली करने लगती है .... कुछ देर बाद उसका पानी निकल जाता है ऑर वो सो जाती है....
शाम को 7 बजे वो चाइ का कप ले कर अपने भाई के रूम मे जाती है ऑर उसे दे कर वो जाने लगती है तो अशोक उसे टोक देता है...
अशोक- कहाँ जा रही हो...?
मनीषा- मे बाल्कनी मे जा कर चाइ पीते पीते बाहर का नज़ारा देखने के लिए जा रही हूँ... तुम भी चलो.....
अशोक भी उठ कर उसके साथ चल देता है दोनो भाई बेहन अगल बगल मे खड़े हो कर चाइ पीते है..... चाइ पी लेने के बाद अशोक उसकी तरफ गुम जाता है ऑर वो अपनी बेहन की तरफ फेस कर के बाते करने लगता है ऑर फिर थोड़ा ऑर करीब आने की कोशिश करता है.... मनीषा को एहसास होता है कि ये अब मेरी गान्ड की साइड मे अपना लंड टच करने की कोशिश करेगा... पर वो सफल नही हो पाएगा क्यू कि उसको मेरे बोहोत करीब आना पड़ेगा.... अब उसको भी मज़ा लेना था तो उसको भी अपनी तरफ से कुछ जुगाड़ लगाना पड़ेगा वरना ये हसी मोका निकल जाएगा... तो उसने अपना हाथ नीचे कर दिया ऑर फिर अपने हाथ को उसके लंड से टच करती हुई वही खड़ी रही....... ऑर फिर चाइ का ग्लास साइड मे रखने लगी ऑर फिसलने का बहाना कर के अशोक के लंड को कस के अपने हाथ मे जकड लिया... मनीषा की एक उंगली ने उसके आंडो को भी दबा दिया था जिसकी वजह से अशोक के चेहरे का हाव भाव चेंज हो गया.... मनीषा ने उसके चेहरे को देख के कहा..
मनीषा- नाख़ून लग गया क्या...?
अशोक के चेहरे की तरफ देखती हुई सॉरी सॉरी कहती हुई उसके लंड को मसल रही थी जैसे वो गिल्टी फील कर रही हो ऑर जहा चोट लगी है वहाँ सहला कर माफी माँग रही हो.....
मनीषा ने उसका लंड मसल के उसकी मोटाई नाप ली थी... ऑर मन ही मन खुश हो रही थी... उसे जितना मोटा लंड चाहिए था ये उतना ही था.....
फिर वो वहाँ से चली जाती है ऑर कुछ देर बाद अपना मोबाइल लेके आती है ऑर उसको कहती है
मनीषा- अशोक ये देखो दिव्या ने ये कोन्सि पिक्स भेजी है......?
अशोक मोबाइल को उल्टा सीधा घुमा के देख के कहता है
अशोक- कुछ समझ नही आ रहा....???? लगता है ये उसके मुँह के अंदर की पिक्स है..... देखो यहाँ आस पास सफेद सफेद थूक नज़र आ रही है.... शायद उसके गले मे इन्फेक्षन हो गया है वो यही दिखाने के लिए तुम्हे अपनी पिक्स व्हाट्स अप पे भेजी होगी..... देखो उसके अंदर की स्किन गुलाबी होनी चाहिए पर वो रेड रेड दिख रही है कुछ जगह से.....
मनीषा-( अपने मन मे अबे साले मेरी चूत की पिक्स है मेने अपनी चूत को फेला कर उसके छेद की क्लोज़-अप मे पिक्स निकाली है चूतिए साले ) हाँ लेकिन गले के अंदर एक छोटा सा दाना होता है ना वो नही है ना इसमे..
तब उसकी बत्ती जलती है कि ये तो चूत पिक्स है... फिर उसको मज़ाक सूझता है ऑर वो कहता है..
अशोक- उसका गला ही है... दिव्या को किसने कहा था पूरा केला हलक तक लेने के लिए... देखो केसे उसकी स्किन लाल लाल हो गयी है.... उसके पति को भी समझना चाहिए था ऐसे पूरा केला दिव्या के अंदर घुसा नही देना चाहिए था... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img]
मनीषा- ( अपने मन मे साले दुपेहर को तूने मेरी चूत गीली कर दी थी तब मे उंगलियो डाल कर तेरे लंड को इमॅजिन कर के ज़ोर ज़ोर से घुसा रही थी इसलिए मेरी चूत लाल हो गयी थी)
रात के 10:45 हो रहे थे मनीषा ऑर अशोक ऑर मंजू खाना खा चुके थे मंजू सो रही थी.. मनीषा ने हॉल मे जा कर अशोक को बुलाया ऑर उसको फिरसे वोही गेम की नेक्स्ट पज़्ज़ील समझने के बहाने अपने रूम मे ले गयी.... दुपेहर की ग़लती दुबारा नही करना चाहती थी इसलिए उसने पाजामे के अंदर पैंटी नही पहनी थी.......
मनीषा- अशोक मेरे मोबाइल मे मेने एक गेम डाउनलोड की है उसकी पज़्ज़ील बोहोत ही डिफिकल्ट है पार ही नही हो रही उसको कंप्लीट कर के दो ना.....
अशोक- दो मोबाइल अपना..
मनीषा- मेरे रूम मे है चलो वही चलते है...
ऑर फिर दोनो रूम की तरफ चल देते है... मनीषा बेड पर बैठ जाती है ऑर उसको भी बिठा देती है अशोक उसका मोबाइल लेता है इतने मे मनीषा कहती है...
मनीषा- तू खेलेगा तो फिर मुझे केसे समझ आएगी कि केसे खेलना है ये गेम.. तू बस मुझे डाइरेक्षन दे मे वैसे वैसे करती जाउन्गी.....
अशोक को भी वो पज़्ज़ील समझ मे नही आती केसे कंप्लीट करे... बोहोत देर बैठे बैठे दोनो थक जाते है फिर वो लोग लेट के खेलने लगते है पर अशोक उसकी दीदी के सर के बोहोत पास अपना सर रखा था तो मनीषा को एक बहाना मिल गया अपने भाई को उकसाने का.... उसने कहा
मनीषा- अरे भैया तुम अपना पूरा सर घुसा दिए हो मोबाइल मे मुझे कुछ दिख ही नही रहा... रूको मे पेट के बल सो जाती हूँ तुम पीछे से देखना ऑर बताना कि केसे खेलु ये गेम....
अशोक तो खुश हो गया कि चलो कुछ दिन बाद अब जा कर मोका मिला है दीदी के बदन को छूने का....
उसके पलट के सो जाने के बाद अशोक भी हिलते डुलते अपने लंड को मनीषा की गान्ड मे टच कर रहा था थोड़ी देर ऐसा चलता रहा फिर कुछ देर बाद वो अपनी बेहन की कमीज़ को गान्ड से हटा कर अपने लंड को उसकी गान्ड मे चिपका कर रखने लगा.... फिर धीरे धीरे अपने लंड का दबाव देने लगा.... पर उसका लंड उसकी बेहन की गान्ड की दरार मे नही घुस पा रहा था उसकी पेंटी की वजह से.... तो फिर उसने अपना लंड शॉर्ट से बाहर निकाला ऑर उसकी गान्ड पे सुला दिया ऑर वो एकदम चिपक के लेट गया अपनी बेहन के साथ मे ऑर उसको बातो मे उलझा के रख रहा था ताकि उसकी बेहन उसको ऐसे चिपके हुए होने पर कोई सवाल ना करे....
मनीषा भी तो लंड लेने के लिए मर रही थी वो भी जानबूज के ऐसा दिखा रही थी जैसे वो उसकी बातो मे उलझी हुई है ऑर उसको होश ही नही है कि उसका भाई उसके साथ क्या कर रहा है....
ऑर फिर धीरे धीरे अपने लंड को वो रगड़ने लगा उसकी गान्ड पे.........
मनीषा- अपने मन मे ( पता होता कि तू मेरी गान्ड की दरारो की बीच अपना लंड ऐसे रगड़ेगा तो मे आज पैंटी ही नही पहनती थी... )धीरे धीरे अपना लंड उसकी गान्ड पर रगड़ते रगड़ते उसके मन मे एक बात आई कि साला ये इतनी बेवकूफ़ तो नही है इसको भी मेरा लंड अपनी गान्ड पे महसूस हो रहा होगा इसका मतलब ये भी मेरा लंड लेना चाहती है....
ऑर फिर अशोक ने अपना एक पैर धीरे धीरे उसके उपेर चढ़ा दिया ऑर अपने शॉर्ट से बाहर निकले हुए लंड को रगड़ने लगा अगर कोई उन दोनो को देख लेता तो यही समझता जैसे कि अशोक अपनी बेहन की गान्ड मार रहा है....
मनीषा की पैंटी की वजह से उसका लंड मनीषा की गान्ड की दरारों मे ठीक से नही घुस पा रहा था वो अपने लंड को सुलाए हुए कोशिश कर रहा था कि पूरा लंड उसकी दरार मे फसा कर रगडे ताकि उसकी बेहन भी उसके लंड का भर पूर मज़ा ले सके.....
फिर पज़्ज़ील समझते समझते उसको कपड़ों के उपेर से चोद रहा था ओर जब पानी निकालने वाला था तो वो थोड़ा पीछे हो कर अपने लंड को मुट्ठी मे लेकर हिलाने लगा ऑर अपना पानी दीदी की गान्ड के छेद के यहाँ पूरा पानी छोड़ दिया...
उसने जानबूझ के ऐसा किया क्यू कि स्टेप बाइ स्टेप वो खुद ऑर उसकी बेहन को बेशरम बना कर उसको एक गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड की तरह चोदना चाहता था... वो नही चाहता था कि जब वो उसकी बेहन को लंड मुँह मे दे तो वो नखरे करे या फिर वो उसके पैरो को अपने दोनो हाथो से खोल कर रखे तो तब उसकी दीदी अपनी चूत को अपनी उंगलियो से फैलाए ऑर अपने दूसरे हाथ मे थूक ले कर उसके सुपाडे पे लगा कर उसका लंड पकड़ के अपनी चूत मे डाले ऑर उससे बेशरम हो कर सेक्स करते वक्त अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करे कि उसको अपने भाई का लंड चूत मे लेने पर क्या महसूस होता है... वो उसे चुदते वक्त कहे कि भैया तुम्हारा लंड मेरी चूत की दीवारो पे जब रगड़ते हुए अंदर जाता है तो मुझे ऐसा लगता है मुझे वैसे लगता है.........
इतनी देर मे मनीषा की सलवार ऑर पैंटी भीग के उसकी गान्ड पे गीला गीला महसूस कर लिया था... इसका तो काम हो गया था पर मनीषा का अभी बाकी था... तो उसने सोचा कि अब तो इसको यहाँ रोकने का कोई फ़ायदा नही है वो कहती है चलो भाई मे थोड़ी देर सो जाती हूँ आप भी जाओ ऑर अपने रूम मे जा कर आराम कर लो.....
अशोक उठ कर चला जाता है क्यू कि वो भी चाहता था कि उसके जाने के बाद उसकी बेहन हालात का जाएजा ज़रूर लेगी ऑर उसको पता चल जाएगा कि मेने अपने लंड का पानी उसकी गान्ड पे निकल लिया है......
मनीषा उसके जाने के बाद अपनी गान्ड पे हाथ घुमाती है ऑर अशोक के लंड का चिप छिपा पानी उसके हाथ मे लग जाता है ऑर फिर वो अपनी कमीज़ को नीचे करती है जो अशोक ने उसकी गान्ड से हटा दी थी उससे अपनी गान्ड पे लगा पानी पोछ के पीठ के बल लेट कर अपनी चूत मे उंगली करने लगती है .... कुछ देर बाद उसका पानी निकल जाता है ऑर वो सो जाती है....
शाम को 7 बजे वो चाइ का कप ले कर अपने भाई के रूम मे जाती है ऑर उसे दे कर वो जाने लगती है तो अशोक उसे टोक देता है...
अशोक- कहाँ जा रही हो...?
मनीषा- मे बाल्कनी मे जा कर चाइ पीते पीते बाहर का नज़ारा देखने के लिए जा रही हूँ... तुम भी चलो.....
अशोक भी उठ कर उसके साथ चल देता है दोनो भाई बेहन अगल बगल मे खड़े हो कर चाइ पीते है..... चाइ पी लेने के बाद अशोक उसकी तरफ गुम जाता है ऑर वो अपनी बेहन की तरफ फेस कर के बाते करने लगता है ऑर फिर थोड़ा ऑर करीब आने की कोशिश करता है.... मनीषा को एहसास होता है कि ये अब मेरी गान्ड की साइड मे अपना लंड टच करने की कोशिश करेगा... पर वो सफल नही हो पाएगा क्यू कि उसको मेरे बोहोत करीब आना पड़ेगा.... अब उसको भी मज़ा लेना था तो उसको भी अपनी तरफ से कुछ जुगाड़ लगाना पड़ेगा वरना ये हसी मोका निकल जाएगा... तो उसने अपना हाथ नीचे कर दिया ऑर फिर अपने हाथ को उसके लंड से टच करती हुई वही खड़ी रही....... ऑर फिर चाइ का ग्लास साइड मे रखने लगी ऑर फिसलने का बहाना कर के अशोक के लंड को कस के अपने हाथ मे जकड लिया... मनीषा की एक उंगली ने उसके आंडो को भी दबा दिया था जिसकी वजह से अशोक के चेहरे का हाव भाव चेंज हो गया.... मनीषा ने उसके चेहरे को देख के कहा..
मनीषा- नाख़ून लग गया क्या...?
अशोक के चेहरे की तरफ देखती हुई सॉरी सॉरी कहती हुई उसके लंड को मसल रही थी जैसे वो गिल्टी फील कर रही हो ऑर जहा चोट लगी है वहाँ सहला कर माफी माँग रही हो.....
मनीषा ने उसका लंड मसल के उसकी मोटाई नाप ली थी... ऑर मन ही मन खुश हो रही थी... उसे जितना मोटा लंड चाहिए था ये उतना ही था.....
फिर वो वहाँ से चली जाती है ऑर कुछ देर बाद अपना मोबाइल लेके आती है ऑर उसको कहती है
मनीषा- अशोक ये देखो दिव्या ने ये कोन्सि पिक्स भेजी है......?
अशोक मोबाइल को उल्टा सीधा घुमा के देख के कहता है
अशोक- कुछ समझ नही आ रहा....???? लगता है ये उसके मुँह के अंदर की पिक्स है..... देखो यहाँ आस पास सफेद सफेद थूक नज़र आ रही है.... शायद उसके गले मे इन्फेक्षन हो गया है वो यही दिखाने के लिए तुम्हे अपनी पिक्स व्हाट्स अप पे भेजी होगी..... देखो उसके अंदर की स्किन गुलाबी होनी चाहिए पर वो रेड रेड दिख रही है कुछ जगह से.....
मनीषा-( अपने मन मे अबे साले मेरी चूत की पिक्स है मेने अपनी चूत को फेला कर उसके छेद की क्लोज़-अप मे पिक्स निकाली है चूतिए साले ) हाँ लेकिन गले के अंदर एक छोटा सा दाना होता है ना वो नही है ना इसमे..
तब उसकी बत्ती जलती है कि ये तो चूत पिक्स है... फिर उसको मज़ाक सूझता है ऑर वो कहता है..
अशोक- उसका गला ही है... दिव्या को किसने कहा था पूरा केला हलक तक लेने के लिए... देखो केसे उसकी स्किन लाल लाल हो गयी है.... उसके पति को भी समझना चाहिए था ऐसे पूरा केला दिव्या के अंदर घुसा नही देना चाहिए था... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img]
मनीषा- ( अपने मन मे साले दुपेहर को तूने मेरी चूत गीली कर दी थी तब मे उंगलियो डाल कर तेरे लंड को इमॅजिन कर के ज़ोर ज़ोर से घुसा रही थी इसलिए मेरी चूत लाल हो गयी थी)
रात के 10:45 हो रहे थे मनीषा ऑर अशोक ऑर मंजू खाना खा चुके थे मंजू सो रही थी.. मनीषा ने हॉल मे जा कर अशोक को बुलाया ऑर उसको फिरसे वोही गेम की नेक्स्ट पज़्ज़ील समझने के बहाने अपने रूम मे ले गयी.... दुपेहर की ग़लती दुबारा नही करना चाहती थी इसलिए उसने पाजामे के अंदर पैंटी नही पहनी थी.......