Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का - Page 3 - SexBaba
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Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का

आ- एम्म्म..... नाइस तुम्हारी चूत तो भाई के लंड के लिए तरस रही है... बिचारी को तुम्हारे भाई का लंड खिलाओ....




ऑर फिर मनीषा की चूत मे खुजली उठती है.... वो जानती थी कि अशोक ही राज है ऑर उसने अभी अभी अपनी चूत की पिक्स सोफा पे बैठ के निकाल के उसको सेंड की थी... वो लंड लेने की तमन्ना जाहिर करने लगी अशोक से ऑर कहती है......


मनीषा- भैया अभी मेने दिव्या को अपनी पिक्स दिखाई वो बोल रही है कि तुम सुख गयी हो तुम्हारे भाई अशोक को बोलो केला खिलाने को.....





अशोक का भी मन मचल गया क्यू कि वो जानता था कि उसने दिव्या को नही उसको अपनी चूत की पिक्स भेजी है... ऑर अशोक ने जब उसकी चूत के उपेर कॉमेंट्स किए तो उसको मस्ती सूझी इसलिए वो मुझसे इनडाइरेक्ट्ली लंड माँग रही है......





अशोक भी उसका इशारा समझ कर अपने लंड को मसल्ते हुए कहता है....




अशोक- अरे दीदी जब बोलो तब तुम्हारी फुद्दि ( चूत इन पंजाबी ) मे डाल दूँगा लन ( लंड इन पंजाबी ) 




अशोक को पता था कि वो इन वर्ड्स का मतलब समझ गयी होगी कि फुद्दि ऑर लन क्या है....



जिस तरह उसकी बेहन उससे उसका लंड माँग रही थी अपनी प्यासी चूत के लिए उसी तरह अशोक भी उससे जता रहा था कि उसके भाई का लंड तैयार है तू बस चूत को फैला के लंड माँग......




मनीषा बोली बनती हुई अपने भाई से पूछती है....


म- भैया ये फुद्दि ऑर लन क्या है....?




आ- फुद्दि मतलब मुँह आइ मीन माउत.... ऑर लन मतलब केला.....





म- ऊहह..... तो फिर भैया कब दे रहे हो मेरी फुद्दि मे लन....? ( अपने पैरो को फैला के उसकी फटी हुई सलवार मे से उसकी चूत दिखाते हुए ) देखो ना भैया कितनी भूखी है मेरी फुद्दि....




जब अशोक उसकी तरफ देखता है तो वो अपना मुँह दिखाने लगती है पर अशोक का ध्यान तो उसकी चूत पे था.....

मनीषा भी अपने मन मे कहती है 


म- हाँ भैया एकदम सही जगा देख रहे हो यही भूखी है....
अशोक अपनी बेहन की चूत को देखते हुए.....


आ- तेरी फुद्दि तो लार टपका रही है लन का नाम सुनके....




म- अरे भैया अब क्या बताऊ मेरी फुद्दि मे तो पानी आ गया लन खाने के नाम से पूरी गीली हो चुकी है......




दोनो भाई बेहन सेक्सी सेक्सी बाते कर के एकदुसरे की चोदने की इच्छा बढ़ा रहे थे... वो लोग इतने खो गये थे अपनी अपनी इच्छा जाहिर करने मे कि शरमाना भी छोड़ छाड़ के बस वहाँ का महॉल को हॉट बनाने लग गये थे..... उन लोगो को तो बस एकदुसरे की लंड ऑर चूत को हॉट बाते कर के गरम करना था....


जिस तरह मनीषा अपने पैरो को फेला कर अपने भैया से लंड माँग रही थी ऑर अपने भाई से उसकी चूत की तड़प उसे बता रही थी तो अशोक से भी रहा नही गया.... ऑर उसने कहा...




आ- पता है मलयालम मे क्या बोलते है मुँह ऑर केले को....?




म- नही....




आ- मुँह को चूत ऑर केले को लंड बोलते है....


मनीषा भोली बनते हुए...

म- ये लंड ऑर चूत नाम सुना सुना सा लग रहा है..... ये तो हिन्दी वर्ड है शायद.... 





आ- पता नही शायद होगा... पर मलयालम मे केले को लंड बोलते है.....


मनीषा भी मोहोल को गरम बनाने के लिए वो ऑर सेक्सी बाते करने लगी ऑर अपने भाई को उकसाने लगी......



म- ओहफ़ो भैया बस भी करो..... कब्से लंड लंड कर रहे हो साला मेरी........ वो क्या कहते है मलयालम मे....?
अरे हाँ याद आया (चूत).... कब्से लंड लंड कर रहे हो मेरी चूत लंड का नाम सुन सुन कर पानी छोड़ने लगी है.... एक बार लंड डाल दो ना मेरी चूत मे.... 








दोनो भाई बेहन के लंड ऑर चूत इतने तड़प उठे थे कि वो खुल कर लंड ऑर चूत की बाते करने लगे.....

ऐसा नही था कि वो लोग को इन लंड ऑर चूत का मतलब नही पता था.... वो दोनो अच्छे से जानते थे.... 


भूख के मारे जेसे मुँह मे पानी आता है वो उसको हटा कर अपनी चूत की प्यास को खुल के बता रही थी.... उसका भाई भी समझ रहा था कि आंजान बन के उसकी बेहन उसकी चूत की ही भूख की बात कर रही है.....







अशोक भी आंजान बन कर उस मोहोल का फ़ायदा उठाते हुए कहता है.....






आ- अरे दीदी तुम्हे मे मेरा लंड खिलाउन्गा ना तब जा के तुम्हारी चूत की भूख मिटेगी.... 





म- तेरा लंड...? तूने लंड उगाया है क्या...?





आ- ऐसा ही कुछ समझ लो.... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img] मेरा लंड मोटा ऑर तगड़ा भी है.... 





म- फिर तो भैया तुम्हारा लंड एक ही बार मे पूरा चूत मे ले लुगी.... जबतक मेरी चूत तुम्हारे लंड का पूरा स्वाद नही ले लेती तबतक मे तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे से नही निकालुगी.........






आ- उसके बाद क्या उगल दोगि....?






म- अरे भैया... मेरा बस चले तो मे तुम्हारा लंड अपनी चूत से ही ना निकालु......तुमने इतने प्यार से लंड को उगाया है भला उसे मे केसे उगल दुगी....? मे तो तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे डाल कर लंड को अपनी चूत मे रगड़ रगड़ के पूरा स्वाद लुगी... ऑर फिर उसे फ्रीज़ मे रख दुगी ताकि तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे लेके रोज थोड़ा थोड़ा स्वाद ले सकूँ.....






आ- ओह तो तुम मेरा लंड अपनी चूत मे लोगि ऑर उसको खाओगी नही रगड़ के उसका रस निकाल कर पी जाओगी.....





म- एकदम सही कहा.........

अब अशोक ऑर मनीषा के पास कुछ बचा नही था बात करने के लिए....... वो दोनो चुप हो गये ऑर फिर कुछ सेकेंड्स बाद मनीषा ने राज आइ मीन अशोक को मेसेज किया.....




म- सॉरी यार भाई से बात कर रही थी इसलिए तुझे रिप्लाइ नही कर पाई.....




आ- इट्स ओके... क्या बोल रहा था तेरा भाई...?





म- यू वन'ट बिलीव इट... अभी अभी मेने अपने भाई को अपने दिल की बात कही......





आ- क्या कहा...? 






म- मेने भैया से कहा... भैया अपना लंड डालो ना मेरी चूत मे....





( अशोक को याद आता है कि उसकी बेहन ने पहले मेसेज मे कहा था कि वो अपने भाई का लंड देखना चाहती है... तो अशोक अपना लंड बाहर निकाल के अपने हाथ मे पकड़ के सहलाता है... ज़ीरो बल्ब की रोशनी मे भी उसका लंड चमक रहा था )


आ- साची....? कंग्रॅजुलेशन्स यार फाइनली तुझे तेरे भाई का लंड मिल गया..... लेकिन यार बोहोत जल्दी चुद गयी तू अपने भाई से.... घर मे कोई है क्या...? 






म- नही घर मे कोई भी नही है ऑर मे चुदि भी नही हूँ.... अभी भी मेरी चूत वेट कर रही है भैया के लंड के लिए..... 




आ- कुछ समझ नही आ रहा यार..?? तूने अपने भैया को बोला अपनी चूत मे लंड डालने के लिए ऑर तेरे घर मे कोई है भी नही फिर भी वो तुझे नही चोद रहा..... किसका वेट कर रहा है तेरा भाई...?





म- आक्च्युयली उसने मुझे कुछ देर पहले कहा था कि मलयालम मे मुँह को चूत बोलते है ऑर केले को लंड.... तो मेने भी कह दिया कि भैया तो फिर डाल दो ना लंड मेरी चूत मे..... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img] 




आ- हाहाहा.... ट्रिक तो अच्छी है पर प्रॅक्टिकली तो ये मुमकिन नही है ना... वो सच मे तेरी चूत मे अपना लंड तो नही डालेगा ना....? 






म- लेकिन अपने भैया से मेरी चूत के लिए उसका लंड माँगते हुए जो मज़ा आ रहा था वो उंगली करने मे भी नही आता.... उसको भी मूठ मारने से ज़्यादा मज़ा आया होगा जब उसने अपनी बेहन के मुँह से सुना था कि भैया अपना लंड मेरी चूत मे डालो ना....







आ- ऊहह ऐसा क्या...? फिर तो तेरी चूत को एक लंड की ज़रूरत होगी....? चाहो तो मेरा लंड ले सकती हो.... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img]






म- अबे तेरी चुदाई की वजह से ही तो हम दोनो भाई बेहन एकदुसरे से चुदाई करना चाहते है वरना ये कभी मुमकिन नही होता था......





आ- वो केसे....?






म- कुछ दिन पहले मेने अपनी फेक प्रोफाइल निशा हॉर्नी से तुझसे सेक्स चॅट किया था... नेक्स्ट डे सुबह को मे कपड़े सूखा रही थी बाल्कनी मे तब मेरे भाई ने मुझे पीछे से पकड़ लिया ऑर अपना मोटा लंड मेरी गान्ड मे धँसा दिया था.... अगर उस रात तूने मुझे चोदा नही होता तो दूसरे दिन मे हमारी चुदाई की बाते याद नही करती ऑर नही मेरा मन लंड के लिए तरसता ऑर ना मे अपने भाई का लंड इतनी देर तक अपनी गान्ड मे धसे रहने देती.... 
 
अशोक ये बात सुन कर उसका लंड एकदम तन जाता है....



आ- तो फिर आज भी चुद लो मेरे लंड से.....




म- यू मीन मे अपने भाई के सामने तुझसे चुदु...? बाइ दा वे तेरी जगह पर कोई ऑर होता था तो मे मेसेज का रिप्लाइ ही नही करती.... ऑर इतनी सारी बाते भी शेयर नही करती..... तुझे रिप्लाइ इसलिए किया क्यू कि तेरा लंड ऑर मेरे भाई का लंड एकदम एक जेसा दिखता है.... तेरा लंड जब चूत मे लुगी तो उसे भैया का लंड ही समझ कर लुगी...







आ- तो फिर उसको भी बुला ले ना हम 3 ग्रूप सेक्स करेगे..... नही तो एक काम कर सिर्फ़ मेरे लंड को नही मुझे भी अपना भाई समझ कर चुद जा..... तू बोले तो अभी मे अपना प्रोफाइल का नाम चेंज कर के तेरे भाई का रख देता हूँ......





म- ओह ओके भैया.... पर पहले अपनी दीदी की चूत को लंड दिखा दिखा के इतना ललचाया है उसको तो ठंडा कर दे...... उस दिन तो गेम खेलते वक्त मेरी चूत मे डाला था तो फिर निकाला क्यूँ....? पता है भैया.... उस दिन जब तुम्हारा लंड मेरी चूत की दीवारो को रगड़ते हुए अंदर जा रहा था तो मेरी चूत कह उठी थी कि मनीषा अपने इस भैया के प्यारे लंड को मुझसे जुड़ा मत होने देना..... तुम्हारे भैया के लंड की मोटाई मुझमे पूरी तरह से समाई हुई है... ऑर इसका सर (सुपाडा) मेरे पूरे शरीर को छु कर दीवाना बना रहा है...... ये मेरा पहला प्यार है प्लीज़ इसे मुझसे जुड़ा मत होने देना..... 


अशोक के लिए मनीषा अंजान थी उसको लगता था कि वो उसे राज ही समझ रही है पर मनीषा भी रियल सिचुयेशन को लेकर अपने भैया से नेट पे चुदाई करना चाहती थी..... अपने भैया से चुदने की एग्ज़ाइट्मेंट मे वो वही बैठे बैठे फटी हुई सलवार के अंदर अपना हाथ डाल के अपनी चूत मे उंगली करने लगी ऑर उसके सामने बैठा उसका भाई भी अपना लंड हिला रहा था.....




आ- रॉल्प्ले.... 




म- लौडे साले..... रॉल्प्ले नही रियल सिचुयेशन थी मेरी.... चल अभी जा पूरे मूड की माँ चोद दी तूने.....
मनीषा अपना मोबाइल चार्जिंग पे लगा देती है ऑर उसके भैया ने जो गाउन रिपेर कर के दिया था वो पहन लेती है..... ऐज यूषुयल हमेशा की तरह अंदर कुछ नही पहनती...... अब तो इन दोनो भाई बेहन की आदत बन गयी थी अंदर कुछ ना पहनने की... पता नही कब कहाँ किस हाल मे मोका मिल जाए चुदाई करने का.. या फिर एकदुसरे को अपनी चूत ऑर लंड दिखाने का.....

खेर फिर मनीषा अशोक के पास जाती है ऑर उसको बोलती है....




म- भैया टीवी पे कुछ अच्छा नही आ रहा ऑर मेरे मोबाइल की बॅटरी भी डाउन है... चलो ना हम तुम्हारे रूम मे जाते है ऑर कोई अच्छी ऑनलाइन मूवी देखते है......





ओर फिर दोनो रूम मे चले जाते है.... कुछ देर ब्राउज़ करने के बाद उन दोनो को एक मूवी ठीक लगती है हेडफोन लगा कर एक इयरफोन अशोक खुद लगता है दूसरा अपनी बेहन को देता है ऑर दोनो बेड पे एकदुसरे के आस पास लेट जाते है ऑर मनीषा अशोक के कंधे ( शोल्डर ) पर अपना सिर रख के वो लोग मूवी देखने लगते है.....






मनीषा का एक हाथ अशोक की छाती पर था ऑर वो अपने आप को अड्जस्ट करती हुई अपना एक पैर उसकी थाइस पर रख देती है.... कुछ देर मूवी देखने के बाद मनीषा थोड़ा ऑर करीब आ जाती है ऑर उसके पैर को ऑर उपेर तक चढ़ा देती है..... अशोक को समझ आ रहा था कि अब आगे क्या होने वाला है...... उसने अपनी बेहन को इतनी हिम्मत करते देख उसने भी अपना लंड बाहर निकालने की सोची पर थोड़ा मुस्किल था क्यू कि दीदी उसी डाइरेक्षन मे ही देख रही थी... तो उन दोनो ने चादर ओढ़ ली ... अशोक जानता था कि वो जब पूरा उसके उपेर चढ़ जाएगी तो दीदी की नंगी चूत उसके लंड पे आ के टच होगी..... 







मनीषा सी सी करती हुई उसकी छाती से हाथ हटा कर चादर के अंदर डाल के अपना पैर अशोक की थाइस से उठा कर अपनी चूत पे 2-3 चूटी काट के खुजाति है.... ऑफ फिर थोड़ा आगे सरक कर वापिस अपना पैर उसके उपेर रखती है तो उसकी नंगी चूत सीधा उसके भाई के नंगे लंड से जा के टकराती है......




कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर वो सी की आवाज़ कर के इरिटेट होती हुई अपना हाथ अंदर डाल देती है... ऑर फिरसे अपना पैर तोड़ा उठाती है ऑर चूत खुजाने लगती है... ऑर फिर अपना हाथ ऑर चूत दोनो को वापिस अपने भैया के लंड पे रख देती है....... कुछ देर बाद वो मूवी को एंजाय करती हुई अपने हाथो से खेलने लगती है.... खेलते खेलते उसको अपने भैया का लंड भी सहलाना था उसको.... तो धीरे धीरे वो सहलाना भी सुरू कर देती है... पहले वो हल्की हल्की उंगलियो से उसके लंड को छुति है फिर लंड के उपेर अपने हाथ का पंजा रख देती है.... ऑर उसके बाद धीरे धीरे अपने भैया के लंड को अपने मुट्ठी मे भर लेती है...... ऑर फिर अचानक से उसके साथ खेलने लगती है जेसे वो कोई खिलोना हो.... ऑर वो इस तराहा से ही दिखा रही थी जेसे उसने लंड नही कोई ऑर चीज़ पकड़ रखी हो.... ऑर लंड को जेसे तेसे अपने हाथो मे पकड़ रही थी..... वो अशोक को यकीन दिलाना चाहती थी कि वो आंजान है उसे नही पता कि उसने अपने भैया का लंड पकड़ रखा है......







लेकिन एक बात तो दोनो जानते थे कि वो लोग अंजान बनने का नाटक कर रहे है....... 








कुछ सेकेंड बाद मनीषा ने फिर सी सी की आवाज़ की ऑर कहा 



म- ओह फो यार.......







ऑर इस बार मनीषा ने जो अपने भाई का लंड पकड़ रखा था उसको कस के पकड़ के अपनी चूत पे उसके सुपाडे को रगड़ने लगी.... ऑर भैया के लंड से अपनी चूत को खुजाने लगी.... अशोक के लंड का सुपाडा उसकी बेहन की चूत के लिप्स के बीच मे रगड़ रहा था.... ऑर फिर मनीषा ने लंड को अपनी चूत के छेद के यहाँ ला कर छोड़ दिया..... ऑर फिर अपना हाथ बाहर निकाल दिया...... ऑर अब वो अपनी गान्ड को दबा कर अपने भैया का लंड चूत मे लेने लगी.... पूरा लंड अंदर लेने के बाद वो अपनी गान्ड को नीचे उपेर कर के अपने भैया से चुदने लगी ... . कुछ देर तक हल्के हल्के शॉट मार कर अपने भैया से चुद रही थी.... अब उससे रहा नही गया वो अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थी.... उसने अपना एक हाथ अपने भाई की छाती पे रखा ऑर उसको कस के दबोच लिया ऑर अपनी आखे बंद कर ली उसके बाद 3-4 करारे शॉट मार कर झड गयी.... तेज सासे लेती हुई अपने भैया को देखने लगी... उसके भाई के चेहरे को देख कर ऐसा बिल्कुल भी नही लग रहा था कि उसका लंड उसकी बेहन की चूत मे घुसा पड़ा है....






मनीषा को रियलाइज़ हुआ कि उसने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर्से धक्के मारे थे.... उसकी हाइ एग्ज़ाइट्मेंट ने सिचुयेशन को थोड़ा ऑक्वर्ड बना दिया था.... हल्के हल्के झटकों मे उसका भाई अंजान बनने का नाटक कर सकता था पर ये तो कुछ ज़्यादा हो गया था....मनीषा ने सिचुयेशन संभालने के लिए वहाँ से कुछ देर के लिए चले जाना बेहतर समझा..... तो फिर उसने चादर हटाई ऑर धीरे धीरे अपना पैर उठाने लगी.... इस वक्त दोनो भाई बेहन की नज़र चूत से निकल रहे काले मोटे लंड पर थी.... अशोक का अभी पानी नही निकला था तो उसका लंड अभी भी तन्नाया हुआ था.... ऑर उसका काला लंड अपनी बेहन की चूत के पानी से भीगा हुआ था.... उसकी बेहन का सफेद गाढ़ा (थिक) पानी उसके लंड के चारो तरफ लगा हुआ था.... लंड के बाहर निकालने के बाद वो वैसे ही तना हुआ खड़ा था ऑर उसकी बेहन की चूत के साइड के हिस्सो मे भी पानी सॉफ झलक रहा था.....

मनीषा बाहर आ जाती है रूम से.... ऑर अशोक अपने तने हुए लंड को देख रहा था ऑर अपने आप से बाते करने लगा



अशोक अपने लंड को देखते हुए...





अशोक- मज़ा आया दीदी की चूत मे जा कर...? बाइ दा वे दीदी की चूत ने क्या हाल बना कर रखा है तेरा....? लगता है दीदी की चूत ने प्यार की बौछार की है तुझ पर....... लेकिन यार तुझे मोका नही दिया बौछार करने का..... [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_sad.gif[/img]






अशोक के साथ-2 मनीषा भी ना खुश थी उसे भी लग रहा था कि उसे भैया के लंड को अपनी चूत मे कुछ देर ऑर डालवाए रखना था... पहली बार भैया से चुदने का मोका मिला था वो भी जल्द बाजी मे चला गया....






मनीषा का कॉन्फिडेन्स उसका आटिट्यूड बेशर्मी... ये सब बढ़ चुकी थी अब पहले के जेसी नही रही थी मनीषा.... अब वो लड़को की तरह बिंदास हो गयी थी भैया का लंड खा कर.......






अब मनीषा एक अलग ही आटिट्यूड ऑर कॉन्फिडेन्स के साथ रूम मे वापिस आती है ऑर भाई के साथ बेड पे लेट जाती है...... कुछ देर बाद दोनो सो जाते है....




सुबह जब मनीषा की आख खुलती है तो उसके भाई का लंड पाजामे मे तना हुआ था ऑर वो सो रहा था.... मनीषा ने उसके लंड को हाथ मे पकड़ा ऑर बिंदास मसल्ने लगी 2-3 बार ज़ोर ज़ोर से मसल्ने के बाद उसने लंड को पाजामे से बाहर निकाला ऑर उसके सुपाडे को मुँह मे भर लिया.... ऑर फिर अपने होंठो से पकड़ लिया.... अब अपने होटो को थोड़ा आगे कर के उसके पूरे सुपाडे को अपने होंठो मे दबोच लिया ऑर फिर अपनी जीब की नोक ( पॉइंट) से उसके लंड के छेद को सहलाने लगी..... ऑर लंड को हाथ मे पकड़ के मूठ मारने लगी.... 5-6 बार अपनी जीब की नोक से उसके लंड के छेद पर उपेर नीचे कर के सहलाने के बाद पक की आवाज़ से लंड को बाहर निकाला ऑर उसके सुपाडे को चूम लिया ऑर लंड को फिर वापिस अंदर डाल दिया ऑर उपेर से अपना हाथ उसके लंड पर रख के लंड को मसल्ते हुए अपने भाई को जगाने लगी......





मनीषा- अरे ओह मेरे प्यारे केले वाले भैया उठो सुबह हो गयी..... 




अशोक सोच रहा था कि साला आख खॉलुगा तो मज़ा मिलना बंद हो जाएगा..... पर वो बिचारा करता भी क्या मजबूरी थी काम पे भी तो जाना था.... वो उठ गया ऑर फ्रेश हो कर काम पे चला गया....












रात के 10 बज रहे थे अशोक ने सोचा दीदी को मेसेज कर के क्यू ना महॉल को हॉट बनाया जाए.....


उसने मेसेज किया पर मनीषा ने रिप्लाइ नही दिया.... उसके सामने ही मनीषा ने टोन बजने के बाद मेसेज चेक किया पर रिप्लाइ नही दिया.... 



अशोक को लगा कि शायद उसकी बेहन शरमा रही है अपने भाई के सामने किसी ऑर से चुदने के लिए.... 



वो बाल्कनी मे जा के खड़ा हो गया ऑर मेसेज करने लगा.... 
फिर भी उसको रिप्लाइ नही मिला अपनी दीदी की तरफ से.... 





अशोक- अरे दीदी नाराज़ हो क्या...? मेरी ग़लती क्या थी यार...? मेने बस इतना पूछा रॉल्प्ले करेगी क्या आप...?




इतना टाइप किया ही था कि पीछे से किसीने उसे थप थपाया..... अशोक पीछे मुड़ा तो मनीषा थी... 



मनीषा ने उसका हाथ पकड़ के उसको घुमाया ऑर सीधा कर के उस से चिपक गयी....




मनीषा- क्या हुआ भाई.... यहाँ क्या कर रहे हो....?





ऑर बाते करते वक्त उसने अपनी चूत अशोक के लंड पे दबा दी थी ऑर अपनी चूत से उसके लंड को 2-3 बार मसल भी चुकी थी... वो अपने भाई से ऐसे बिहेव करने लगी थी जेसे वो उसकी बेहन नही बीवी है......पहले से उसके बिहेवियर मे बहुत चेंज आ गया था........ 





मनीषा ने भी आव देखा ना ताव उसने धीरे से उसका पाजामा नीचे कर दिया जब लंड बाहर निकाला तो वो वही रुक गयी.... ऑर उसका लंड धीरे धीरे अपने हाथो मे लिया ऑर चूत के छेद पर ला कर रख दिया..... 




फिर मनीषा ने अपने दोनो हाथो को अशोक के शोल्डर पे रखा ऑर अपनी गान्ड को दबा के चूत से लंड पे प्रेशर देने लगी...... 




मनीषा- लगता है मुझे खुद से ही लंड लेना पड़ेगा मेरी चूत मे वरना तुम तो खिलाओगे नही.....




अबतक मनीषा ने अपनी चूत से भैया के लंड पे 3-4 धक्के भी लगा चुकी थी.....
मनीषा अपने पैरो को फेला कर उसके भाई के पैरो के अगल बगल डाल कर खड़ी हो गयी थी थोड़ा ऑर नज़दीक आ कर अपने भैया का पूरा लंड अपनी चूत की जड़ों तक घुसा लिया था...... ऑर हल्के हल्के झटके भी लगा रही थी..... 






अब मनीषा ने अपने भाई के दोनो हाथ पकड़े ऑर उसको अपने कमर के पीछे ला कर दोनो हाथो को जोड़ दिया... कुछ देर तक अशोक अपने हाथो को थामे रखा था फिर खोल दिया ऑर धीरे धीरे अपने दोनो हाथो को दीदी के दोनो कुल्हो पर रख दिया... अब अशोक को भी अपने हाथो पे महसूस हो रही थी उसकी बेहन की गान्ड जो चूत मे लंड लेने के कारण कभी अंदर कभी बाहर हो रही थी..... 


कुछ देर के बाद मनीषा का शॉर्ट वाला गाउन उपेर हो चुका था ऑर वो पीछे से पूरी गान्ड नंगी हो चुकी थी......

अब अशोक ने भी उसके दोनो कुल्हों को अपने हाथो मे थाम लिया था जेसे उसकी बेहन लंड लेने के लिए अपनी गान्ड को अंदर दबाती अशोक भी अपने हाथो से उसकी गान्ड को पुश कर देता....... 






मनीषा अपनी चरम सीमा पर आ गयी थी उसको अब भैया के लंड को जोरो से अपनी चूत मे घुसाना था... अब हालत ऐसे नही थे कि वो अपने भाई को बाहों मे भर ले ऑर ज़ोर ज़ोर से शॉट मार के भैया से चुदे...... तो मनीषा ने अपने भैया से पूछा......




मनीषा- भैया ये कुत्ते कुतिया के उपर चढ़ के ऐसा ऐसे क्यूँ करते है......




इतना बोलने के बाद मनीषा ने ग्रिल को अपने हाथो मे कस के थाम लिया ऑर अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से लंड पे मारने लगी...... अशोक भी समझ गया था कि अब दीदी का पानी निकलने वाला है.... वो भी अपने हिप को आगे पीछे कर के उसकी ताल मे ताल मिला रहा था...... 

जब मनीषा पीछे होती तो अशोक भी पीछे हो जाता ऑर जब मनीषा पूरे इंपॅक्ट के साथ चूत को लंड पे मारती तब अशोक भी उसी जोश मे अपना लंड दीदी की चूत के अंदर घुसा देता.....




दीदी की चूत ने उसके लंड को इतना कस के जाकड़ रखा था उसकी वजह से अशोक को दुगना मज़ा आ रहा था.....





दोनो की सासे तेज़ हो गयी थी ऑर मनीषा तो कुछ ज़्यादा ही हाफ़ रही थी.... लेकिन उसका चेहरे पे थकान से ज़्यादा वासना दिख रही थी.... 





सॉफ दिख रहा था कि वो बोहोत थक चुकी है पर लंड लेने की इच्छा की वजह से वो थकान को छोड़ कर ज़ोर ज़ोर से लंड पे झटके दे रही थी.......






मनीषा का पानी छूटने लगा ही था कि कुछ पल बाद मनीषा को अपनी चूत मे गरम गरम महसूस हुआ ऑर फिर मनीषा ऑर अशोक ने मिल कर एक जोरदार शॉट मार के लंड को पूरा घुसा दिया ऑर मनीषा ने भी एक ज़ोर का झटका मार के लंड पूरा चूत मे घुस्वा लिया...... ऑर फिर बाल्कनी की ग्रिल को पकड़ के अपनी चूत को भैया के लंड पे दबाने लगी ऑर अशोक ने उसकी गान्ड को दबोच के अपने लंड को पूरा जड़ तक घुसा दिया.......


कुल्हो को दबोचने की वजह से उसके दोनो कूल्हे खुल गये थे ऑर गान्ड का छेद सॉफ सॉफ दिख रहा था........
 
उसके भैया के लंड से निकलते गरम गरम पानी को अपनी चूत मे महसूस कर रही थी..... जब उसके भाई के लंड से पानी की पिचकारी छूटी तो सीधा उसकी चूत की यूटरिन मे जा के गरम गरम पानी गिरा.....






मनीषा ने पहली बार अपनी चूत के इतने अंदर तक कुछ गरम गरम महसूस किया था..... वो उस लम्हे को बया नही कर सकती थी कि उसे केसा महसूस हो रहा है..... मनीषा को तो ऐसा लग रहा था जेसे चूत की गहराइयो मे कोई ज्वाला मुखी फुट पड़ा हो......




खेर दोनो ने एग्ज़ाइट्मेंट मे अपनी हद पार कर दी थी.... उसको जब होश आया तो दोनो भाई बेहन ने अपनी अपनी पकड़ ढीली की ऑर मनीषा ने धीरे से पीछे को कर लंड बाहर निकाल लिया ऑर लंड के निकलते ही बाकी का बचा हुआ स्पर्म एक साथ पूरा नीचे गिर जाता है....... 





दोनो भाई बेहन की नज़र उस स्पर्म पे पड़ी.... एक सेकेंड के लिए दोनो सोचने लग गये कि ये किसका है...?

मनीषा का या अशोक का...?


फिर मनीषा अपने आप से मन मे कहती है ये ना तो मेरा है ऑर नही अशोक का.... ये तो भाई बेहन का प्यार का है.....



स्पर्म के उस धब्बे ने एक ऑक्वर्ड सिचुयेशन बना दी थी ऑर उन दोनो भाई बेहन की नज़रे उस पे ही थी.....


अशोक ने सोचा अपनी बेहन के कुत्ते वाले सवाल का जवाब देने को पर जवाब नही देता है क्यूँ कि सवाल किए हुए काफ़ी टाइम हो गया था अब जवाब देने का कोई मतलब नही था...







मनीषा बिना अपने भाई को देखे वो नीचे ही मंडी कर के रखती है ऑर वैसे ही घूम जाती है ऑर फिर चल देती है......





अशोक जब अपनी बेहन को जाते हुए देखता है तो वो उसके थाइस पे नज़र डालता है तो उसको पानी की एक लकीर दिखती है जो उसकी चूत से निकल कर उसकी थाइस से बह रही थी....

रात के 11 बज रहे थे... हमेशा की तरह मनीषा अशोक के बनाए हुए शॉर्ट गाउन मे थी ऑर अशोक सिर्फ़ शॉर्ट्स मे.... उसने उपेर कुछ नही पहना था टी-शर्ट भी नही ऑर बनियान भी नही..... 


मनीषा हॉल मे खड़ी थी दीवार से लग कर.... अशोक उसके पास जाता है ऑर उसके नज़दीक खड़ा हो जाता है ऑर कहता है चलो दीदी सोने चलते है......



मनीषा उसके शोल्डर पे हाथ रख के उससे कहती है....



मनीषा- रूको ना भैया कुछ देर बाद चलते है......








फिर अशोक नीचे झुकता है ऑर उसकी बेहन के थाइस के इनसाइड से अपने दोनो हाथ डाल कर उसके पैरो को पकड़ के उठा लेता है...... उठाते वक्त उसकी बेहन की टांगे फैल गयी थी ऑर उसका शॉर्ट गाउन उपर चढ़ गया था वो नीचे से पूरी नंगी हो गयी थी.. ऑर मनीषा ने दोनो थाइस को उसके हाथो पे चढ़ा दिया था..... मनीषा ने अपना बॅलेन्स संभालने के लिए अपना दूसरा हाथ भी अशोक के गले मे डाल दिया... ऑर यहाँ अशोक ने अपने बेहन को ठीक से पकड़ने क़ लिए उसने अपने हाथो को सरका के उसकी दीदी के दोनो नंगे कुल्हो पर रख दिए... ऑर उसके पैरो को अपनी कमर के अगल बगल डाल दिया ऑर फिर अपने फोर आर्म'स से उसकी थाइस को ऑर फेला दिया ऑर अपने लंड पे दीदी की चूत को रख कर चिपका दिया.... मनीषा ने भी अपने दोनो पैरो से उसकी कमर पे लॉक लगा दिया.....


ऑर फिर अशोक अपनी बेहन को वेसे ही उठाए हुए उस के रूम मे चला आया ओर अपनी बेहन को दीवार मे चिपका दिया ऑर कहने लगा...




अशोक- दीदी लाइट बुझा दो.....




मनीषा ने लाइट बंद की ऑर ज़ीरो बल्ब नही चालू किया......




कुछ सेकेंड वेट करने के बाद जब बल्ब नही चालू हुआ तो उसे भी लगने लगा कि अंधेरे हमे एकदुसरे की आखो मे देखना नही पड़ेगा ऑर हमे शर्म भी नही आएगी......





अशोक सोच मे डूबा ही था कि मनीषा ने उसके गाल को चूम लिया ऑर अपनी चूत से अपने भैया के लंड को मसल्ते हुए कहने लगी 


मनीषा- थॅंक यू सो मच भैया.... ऐसे ही मेरा ख़याल रखना..... 



एक बार ऑर अपने भैया को चूम लिया.... इस बार उसने अपने होटो को भैया के होटो के नज़दीक ला चुकी थी साइड साइड से उन दोनो के होंठ टकरा चुके थे..... मनीषा ने इस बार थोड़ी ऑर हिम्मत कर उसने इस बार अपने भैया के होटो को चूम लिया... ऑर फिर कहने लगी....




मनीषा- ऊप्स सॉरी.....




अशोक- इट्स ओक दीदी.... वेसे तुमने कभी किस किया है....?




मनीषा- हाँ किया है....




अशोक- किसे...?




मनीषा- तुम्हे.... अभी किया ना [img=15x17]http://rajsharmastories.com/images/smilies/icon_e_smile.gif[/img]






अशोक- यॅ राइट..... बट सीरियस्ली तुमने कभी किस किया है क्या....?



मनीषा- नही.... ऑर तूने...?





अशोक- नही... पर मुझे किस से ज़्यादा अच्छा तब लगेगा जब मे लड़की की नेक पे किस करूँ....




मनीषा- अच्छा...? उसमे क्या मिलेगा तुझे ऑर उसे....?





अशोक- चलो देख लेते है क्या मिलेगा ऐसा करने से.....




अब अशोक अपनी बेहन के गले को चूमने लगा ऑर मनीषा ने अपनी गर्दन उपर कर दी थी... अशोक गर्दन के नीचे से चूमता हुआ उपेर आ रहा था.... मनीषा ने भी अपना काम करना सुरू कर दिया... उसने अशोक के बगल मे एक हाथ डाल कर पीछे से उसके शोल्डर पर रख दिया.... ऑर दूसरे हाथ को उसके सर पे रख दिया था.... अशोक को अपनी बाहो मे जाकड़ के उसको अपने आप से पूरा चिपका लिया था.... ऑर अपनी गान्ड को उपेर नीचे मूव कर के अपनी नंगी चूत से भैया के लंड को मसल्ने लगी थी..... 






अब अशोक ने अपनी जीब की नोक से उसकी बेहन की नेक को लिक्क करता हुआ उपेर आ रहा था.... ऑर फिर गालो पे पहुँचने के बाद वो गालो को चूमता हुआ धीरे धीरे उसके होटो के पास अपने होंठ ला रहा था....... 








अब अशोक के होंठ उसकी बेहन के होंठो पे थे.... अशोक ने अपने होटो को वही रख के चूम लिया ऑर फिर दीदी के होटो को अपने होटो मे दबोच के चूसने लगा.......





होटो को चूस्ते चूस्ते दीदी को बेड पे ले जा कर लिटा दिया मनीषा ने भी अपने लेग्स की लॉक खोल दी ऑर अपने लेग्स को फेलाए हुए बेड पे लेट गयी.... अशोक अपनी बेहन के होटो को चूस्ता हुआ अपनी शॉर्ट उतार देता है........ऑर उसके गाउन को वो उपेर चढ़ा देता है उसे बूब्स के उपेर तक ऑर फिर अशोक अपनी बेहन के उपेर लेट जाता है.... उसका तना हुआ लंड उसकी बेहन की चूत पर दबाव देने लगता है...अब अशोक अपनी बेहन का एक बूब अपने हाथ मे भर लेता है ऑर उसको हल्के हाथो से थामे रहता है.... कुछ पल बाद वो उसकी बेहन के बूब को दबाना सुरू कर देता है दबाते दबाते उसकी उंगलियो को उसके निपल के पास ला कर उसको चुटकी मे भर कर मसल्ने लगता है... ऑर फिर अपने तने हुए लंड को सीधा कर के अपनी बेहन की चूत मे डाल देता है...... 



ऑर फिर अशोक अपनी बेहन को चोदने लगता है..... मनीषा का बदन तड़पने लग गया था वो अपने भाई को अपनी बाहों मे जकड़ने लगी थी.... अशोक थोड़ा उपेर हुआ तो ऑर ज़ोर ज़ोर से लंड को अपनी बेहन की चूत मे पेलने लगा..... थप थप की मधुर आवाज़ पूरे रूम मे गूँज रही थी..... मनीषा ने अपनी गर्दन उपेर करली थी ऑर उसके पैरो की उंगलिया सिकुड़ने लगी थी.... मनीषा को भैया का लंड ले कर बोहोत ही मज़ा आ रहा था..... 






अशोक उसी जोश से अपना लंड दीदी की चूत मे पेले जा रहा था ऑर एक हाथ मे उसके बूब को नीचे से दबा कर उसके बूब के निपल को एकदम तान कर उसको अपनी जीब की नोक से सहलाने लगा.... ऑर अपनी जीब को उसके तने हुए निपल की चारो तरफ घुमाने लगा......









ऑर अब निपल को अपने दाँतों के बीच दबा कर उसे अपने दाँतों से मसल्ने लगा......




अब मनीषा को समझ आ रहा था कि ये सेक्स नाम की चीज़ क्या है.... एक तरफ लंड उसकी चूत की दीवारो को ज़ोर ज़ोर से रगड़ता हुआ अंदर घुसे जा रहा था ऑर दूसरी तरफ उसका निपल दाँतों के बीच मसले जा रहा था....... 




मनीषा की सासे बोहोत तेज चल रही थी ऑर उससे भी तेज उसका भाई उसकी चूत मे लंड पेल रहा था......



जेसे जेसे अशोक पूरे जोश से अपना लंड दीदी की चूत मे घुसाता वेसे वेसे उसकी बेहन की साँस उखड़ जाती......






अब मनीषा ने अपने भैया को जाकड़ लिया ऑर पलटी मार कर उसको नीचे कर दिया ऑर खुद उपेर चढ़ गयी.... ऑर अपनी गान्ड को उछाल उछाल कर अपने भैया के लंड पे मारने लगी.... अशोक ने अपनी बेहन की रफ़्तार बढ़ाने के लिए उसकी गान्ड को अपने हाथो मे दबोच लिया ऑर अपने लंड पे मारने लगा..... ऑर नीचे से अशोक खुद पे उछल उछल कर अपनी बेहन की चूत मे लंड घुसाने लगा....


कुछ देर बाद मनीषा ने उसके हाथो को पकड़ के अपने दोनो बूब्स पे रख दिए..... ऑर अपने हाथो से दबवा कर अपने बूब्स मसलवाने लगी.......








मनीषा तो झड चुकी थी अब अशोक झड़ने वाला था.... तो उसने अपनी बेहन को अपने उपेर लिटा दिया ऑर उसके हाथो से बेहन की गान्ड को पीछे से थाम लिया ऑर अपने पैरो को फोल्ड कर के उछलने लगा ऑर लंड को बोहोत तेज़ी से चूत मे पेलने लगा.... ऑर अपने हाथो मे थामी उसकी गान्ड को पूरी ताक़त से लंड पे पुश करने लगा.....




कुछ सेकेंड्स बाद ऐसे ही बेहन को चोदते-2 उसकी चूत मे झड गया....
कुछ देर मनीषा अपने भैया के उपेर लेटी रहती है फिर सरक के साइड मे सो जाती है...... 



उठने के बाद अशोक मनीषा का रियेक्शन देखना चाहता था..... अपने भैया से चुद कर उसको केसा लगा ये जानना चाहता था..... वो मनीषा के पास गया तो मनीषा नॉर्मली रिएक्ट कर रही थी जेसे कुछ हुआ ही ना हो........ अबतक जो भी कुछ हुआ था वो एक सपने जेसा लग रहा था अशोक को.... मनीषा को देख के बिल्कुल नही लग रहा था कि कल रात को उछल उछल के अपने भैया का लंड अपनी चूत मे ले कर बैठी है......................


दा एंड ऑफ साला बहनचोद कही का.............
 
bhai yaar mazaa aa gya ek ek word read karte hue land khadaa ho rhaa tha   sexstori said:
( बॅक टू दा अशोक) 

अशोक सोने की कोशिश करता है पर उसे नींद नही आती 
ऑर अशोक अपने मोबाइल पे बैठ के देर रात तक पॉर्न देखता रहता है... क्यू कि कल उसकी छुट्टी थी... 


नेक्स्ट डे सनडे था मनीषा ने सुबह उठ कर अपनी लेग्गी को थोड़ा नीचे कर दिया ताकि उसकी उभरी हुई चूत को मम्मी ने देख लिया तो उसकी वॉट लग जाएगी.... सुबह से वो कोई ना कोई तरकीब लगा रही थी ताकि उसको लौडा खाने को मिले....

कल की तरह बाल्कनी मे कपड़े सूखा रही थी तब उसे अहसास हुआ कि कोई उसकी तरफ आ रहा है तो उसने जानबूझ के अपने हाथ से कपड़े ज़मीन पर गिरा दिए ऑर झुक के एक एक कर के उठाने लगी.... ऑर जैसे जैसे उसको महसूस हो रहा था कि अशोक उसके नज़दीक आ रहा है वो वैसे वैसे अपनी गान्ड को ऑर चौड़ी करती गयी ऑर साथ साथ अपनी गान्ड को फेला भी दिया.... वो थोड़ा ज़्यादा ही झुक गयी थी... अब वो इस तराहा से झुकी थी कि अगर अशोक अपना तना हुआ लंड उसकी गान्ड मे घुसाने की कोशिश करता तो लंड सीधा उसकी चूत मे घुस जाता.... 



वो झुकी हुई खड़ी ही थी कि उसको अहसास हुआ कि अब कुछ ही पॅलो मे मेरी चूत मे लंड धसने वाला है... ये सोच कर उसकी चूत मे एक लहर सी दौड़ जाती है जैसे किसीने उसकी चूत मे बिजली का झटका दिया हो.... 



ऑर फिर अचानक दो हाथ उसकी कमर पे आते है ऑर उसकी कमर को थाम लेते है ऑर मनीषा अब जो होने वाला था उसका भर पूर आनंद लेने के लिए अपनी आखे बंद कर देती है ऑर एक लंबी सास लेती है..................





कुछ सेकेंड बीत गये पर लंड अब तक उसकी चूत मे क्यू नही धसा तो उसने मन मे अपने भाई को गालियाँ देने लगी...

मनीषा- अबे ओह बेहन्चोद कबतक मे ऐसे ही झुकी रहूगी जल्दी से अपना लंड घुसेड दे ऑर फिर मैं अपनी फेली हुई टाँगो को बढ़ा दूँगी ऑर तेरे लंड को अपनी गान्ड से जाकड़ के उसको अपनी चूत के यहाँ दबा कर रखुगी........




पर उसके लंड घुसाने की बजाए अशोक उसकी गान्ड को साइड मे कर रहा था... ये हरकत देख के मनीषा क़ी झान्टे जल गयी उसको लगा कि आटिट्यूड दिखा रहा है अशोक ऑर भाव खा रहा है वो.......

मनीषा बोहोत गुस्से मे होती है वो ऑर झट से साइड मे हो जाती है ऑर मन मे सोच लेती है कि अब इस मादरचोद को अपने आस पास भी भटकने नही दुगी.... 


कपड़े सुखाने के लिए जब वो रस्सी पे डालती है तो उसे पता चलता है कि ये तो अशोक नही उसकी माँ है मंजू वो कुछ लेने आई थी बाल्कनी मे... तब जा के उसका गुस्सा ठंडा हुआ.... 



अशोक तो रात भर पॉर्न देख रहा था... अबतक वो उठा ही नही था नींद से 



दुपेहर के 12 बजे अशोक नींद से उठा ऑर आराम से नहा वहा के 1:30 बजे टी-शर्ट ऑर शॉर्ट पहन के थोड़ी देर वेट किया ऑर खाना वाना खा के बाहर चला गया....


मनीषा को थोड़ा अजीब लगा वो सोच मे पड़ गयी कि कही उसके भाई को गिल्टी तो फील नही हो रही कि वो जो कर रहा है वो ग़लत है... साले के अंदर का जमीर तो नही जाग गया ना....?
अबे साले मेरी चूत मे आग लगा कर अब शरीफ बॅन रहा है...?

मनीषा उसको कोस रही थी तभी डोर बेल बजती है ऑर वो उठ के डोर खोलती है तो सामने अशोक होता है वो बिना कुछ बोले अंदर घुस जाता है ऑर सोफा पे बैठ के प्लास्टिक की कॅरी बॅग साइड मे रख के अपने माथे का पसीना पोछता है ऑर मनीषा उसको सवालिया नज़रो से देख रही थी ऑर सोच रही थी कि साला लंड लेने का मोका गया हाथ से....
ओर फिर वो साइड मे पड़ी चेयर पे बैठ जाती है.... 


तब अशोक उसको पूछता है..


अशोक- मम्मी तो सो रही होगी खाना वाना खा के...?

मनीषा- हाँ सो रही है.. कुछ काम था क्या माँ से....?

अशोक- नही बस ऐसे ही पूछा.... अच्छा छोड़ो ये बताओ तुम्हे चूसना ज़्यादा पसंद है या चाटना....?


ये बात सुन के मनीषा की उदास चूत फिर से खिल जाती है

मनीषा- मे कुछ समझी नही...?


अशोक- अरे बताओ ना दीदी......


मनीषा डाइरेक्ट्ली तो बोल नही सकती थी कि हाँ मुझे लंड चुसाओ... मुझे लंड चूसना अच्छा लगता है.....


मनीषा- मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि मे क्या बोलू....?


अशोक- तुम बस इतना बताओ कि तुम्हे चूसना ज़्यादा अच्छा लगता है या चाटना...?


मनीषा मन मे सोचती है कि चलो बोलके देखती हूँ कि मुझे चूसना अच्छा लगता है फिर देखते है ये क्या करता है


मनीषा- अगर कोई चीज़ अच्छी हो ऑर चूसने लायक हो तो ऑफ कोर्स... 

अशोक- व्हाट यू मीन बाइ ऑफ कोर्स....?

मनीषा- आइ मीन यॅ आइ लव टू सक इफ़ इट्स वर्त इट देन आइ लव सकिंग.... मेरा मतलब मुझे चाटने से ज़्यादा चूसना पसंद है.....


अशोक- तो फिर यहाँ आओ ऑर चूसो....

मनीषा के तो होश ही उड़ जाते है ये बात सुन के उसको लगता है आज पक्का मुझे लंड चूसने को मिलेगा ऑर खुश होते हुए वो पूछती है क्या चुसू....?

अशोक- मावा कुलफी.... गर्मी लग रही थी तो मे एक मावा कुलफी ऑर दूसरी चॉको बार लाया था.....



मनीषा के तो जैसे अरमानो पे पानी फिर गया था... मुँह बिगाड़ के अपने मन मे कहती है साले ने मूड खराब कर दिया मे यहाँ लंड लेने के लिए बैठी हूँ ओर ये मुझे कुलफी खिला रहा है.....

मनीषा- चॉको बार तो कुलफी ही होती है ना.....? तू क्या चाट के ख़ाता है चॉको बार....?


अशोक- अरे दीदी कुलफी ऑर चॉको बार का शेप तो देखो.... कुलफी तुम पूरी अपने मुँह मे ले कर चूस सकती हो पर चॉको बार नही.... 


अशोक- यहाँ आओ मे तुम्हे मुँह मे देता हूँ....

मनीषा भी समझ रही थी उसके डबल मीनिंग बातो को उसने भी कहा 


मनीषा- हाँ चल डाल दे मेरी मुँह मे कब्से तड़प रही हूँ गर्मी के मारे.... तबीयत मे थोड़ी जान आए....


अशोक- फिर तो दीदी तुम्हे रोज एक केला खाना चाहिए... तुम्हारी तबीयत भी खिल जाएगी ऑर तुम भी......

मनीषा- अच्छा....? तो फिर तुम ही रोज खिलाया करो ना केला.... मे भी तो देखु केला खा के मे केसे खिलती हूँ....?



अशोक- अरे दीदी तुम्हारी दोस्त दिव्या को देखा ना शादी के बाद केसे खिल गयी है....? उसका पति उसको रोज केला खिलाता है ( अपने मन मे तुम्हे भी रोज मे अपना लंड दूँगा तो तुम भी वेसी ही खिल जाओगी ) 



मनीषा- वो मेरी दोस्त है या तेरी...? तुझे केसे पता उसका पति उसको रोज केला खिलाता है...?



अशोक- (अपने मन मे... साली एमोशन पे ध्यान दे मैं क्या कह रहा हूँ तू साली डाइलॉग मे घुसी पड़ी है.... ) अरे दीदी मेने उसके पति को केला लेते हुए देखा था.....


मनीषा- अच्छा ठीक है कल खिला देना... मे भी तो देखु तेरे केले मे कितना दम है....


अशोक- ( अपने मन मे दम की तो बात मत करो दीदी अभी अपना लंड तुम्हारी चूत मे घुसा कर तुम्हे उपेर उठा सकता हूँ अपने लंड के दम पे...... जोश मे आ कर मे कुछ ज़्यादा बोल गया.....? लंड से वैसे भी कॉन्सा वो सुन रही है :-* )
 
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