Biwi ki Chudai किराए का पति - SexBaba
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Biwi ki Chudai किराए का पति

hotaks444

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Nov 15, 2016
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कामुक-कहानियाँ

किराए का पति--1

लेखक--राज अग्रवाल 

"राज सोनिया मेडम अपनी ऑफीस मे तुम्हसे मिलना चाहेंगी," मेरी सेक्रेटरी ने मुझसे कहा.

ये एक ऐसा वाक़या था जो कोई भी वेर्मा इंटरनॅशनल मे सुनना पसंद नही करता था. इसका सीधा मतलब था कि आज से आपका वजूद एक इतिहास बनने वाला है. सोनिया वेर्मा का ये मानना था कि वो खुद अपने हर कर्मचारी को खराब खबर सुनाना पसंद करती थी बजाई अपने किसी अधिकारी से.

पिछले कई सालों से वेर्मा इंटरनॅशनल का धंधा धीमा पड़ता जा रहा था. खर्चों को कम करने के हिस्साब से वो अपने कर्मचारियों मे कटौती करते आ रहे थे. में समझ गया कि आज मेरा नंबर है, मुझे फिर इंटरव्यू की लाइन मे खड़ा होना पड़ेगा.

मेने सोनिया वेर्मा के प्राइवेट ऑफीस के दरवाज़े पर दस्तक दी.

"कम इन," मुझे सोनिया की आवाज़ सुनाई दी.

मेने दरवाज़े को धकेला और उसकी ऑफीस मे कदम रखा. सोनिया अपनी मेज़ से उठ कर मेरे पास आई और अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया. उसे देख हर बार की तरह फिर मेरे शरीर मे एक जुरजूरी सी फैल गयी. वही सुंदर चेहरा, गोरा बदन और फिगर क्या कहने ठीक किसी मॉडेल की तरह.

"हाई राज कैसे हो? अच्छा लगा तुमसे मिलकर, बैठो." उसने अपने मधुर स्वर मे कहा.

हाथ मिलाने के बाद वो अपनी मेज़ के पीछे की कुर्सी पर बैठ गयी और में उसके सामने की कुर्सी पर. मेरे बैठते ही उसने अपने सामने फोल्डर को खोला और कुछ पढ़ने लगी, फिर उसने मेरी तरफ देखा और फिर फाइल को पढ़ने लगी.

"राज तुम हमारी कंपनी मे कितने सालों से काम कर रहे हो?" उसने पूछा.

"लगभग 10 साल से, अपनी हाइ स्कूल के ठीक बाद ही मेने आपके पिताजी के साथ क़ाम करना शुरू कर दिया था." मेने जवाब दिया.

"बड़ी मुश्किल होई होगी तुम्हे, दिन भर ऑफीस मे काम करना फिर रात को कॉलेज मे पढ़ना." सोनिया ने कहा.

"इतना आसान तो नही था मिस. वेर्मा, पर आपके पिताजी ने मेरी काफ़ी मदद की इस विषय पर." मेने कहा.

"हां मुझे पता है. वो अपनी दिल की बात ज़ुबान पर नही ला पाए नही तो हमेशा उन्होने तुम्हे अपना बेटे की तरह माना था. पिताजी ने तुम्हे तुम्हारी पढ़ाई के लिए उधार भी दिया था जिसे उन्होने तुम्हारी ग्रॅजुयेशन का तोहफा कहकर माफ़ कर दिया था. ऐसा उन्होने क्यों किया राज?" सोनिया बोली.

"मुझे पता नही." मेने जवाब दिया.

"तुम्हे पता है राज और मुझे भी पता है. तुमने ऐसा क्यों किया राज? तुमने उस झमेले अपनी मे गर्दन क्यों फँसाई?" सोनिया ने कहा.

"आपके पिताजी बहोत ही अच्छे इंसान थे मिस सोनिया, और में नहीं चाहता कि कोई रंडी उनकी जिंदगी बर्बाद कर दे." मेने जवाब दिया.

"क्या तुम्हारी पढ़ाई के लिए पैसे देना फिर इनाम मे माफ़ कर देना उसकी कीमत थी?" सोनिया ने पूछा.

"नही मेडम ऐसा नही था. आपके पिताजी मुझे पहले ही उधार दे चुके थे और उसे मेरा ग्रॅजुयेशन प्रेज़ेंट कह माफ़ कर चुके थे. और ये वो एक कारण था जिसके लिए मेने सब कुछ किया. उन्हे मेरी मदद करने की ज़रूरत नही थी, उन्होने जो कुछ किया अपने दिल से किया, और कोई भी इंसान ये सब सहन नही कर सकता कि कोई पैसे की भूकि रंडी किसी ऐसे अच्छे इंसान के साथ ये सब करे." मेने कहा.

"तुम खुशनसीब हो कि उस समय डीयेने टेस्ट का चलन नही था, अगर होता तो तुम्हारी कहानी हवा गयी होती." सोनिया बोली.

"ऐसी बात भी नही थी, फिफ्टी फिफ्टी चान्स था मेरी कहानी हर हाल मे सच साबित हो जाती." मेने जवाब दिया.

"तुम और पिताजी ने मिलकर ये सब किया,"

"मुझे नही पता कि आपके पिताजी ने क्या किया, पर मेल रूम के आधे से ज़्यादा कर्मचारी ये कर सकते थे. उनमे से कोई भी उसके बच्चे का बाप हो सकता था." मेने कहा.

"फिर भी ऐसी क्या बात थी जो तुमने उसके खिलाफ गवाही दी. जब उसने कहा कि मेरे पिताजी ने उसे गर्भवती बनाया है, पर उसने तुम्हे बताया था कि वो बच्चा मेरे पिताजी का नही है, वो तो सिर्फ़ पैसों के लिए ऐसा कह रही है." सोनिया ने कहा.

"ईमानदारी और नमक हलाली और कुछ नही." मेने जवाब दिया.

"पर मेने सुना है तुम पुराने ख्यालातो के हो?" सोनिया ने कहा.

"जहाँ तक मेरा सवाल है ईमानदारी और नमक हलाली वक़्त के साथ नही बदलती मेडम." मेने जवाब दिया.

"क्या ऐसा हो सकता है कि जो ईमानदारी और नमक हलाली तुमने मेरे पिताजी के साथ दिखाई थी वो उनकी आगे की पीढ़ियों के साथ भी कायम रह सकती है." सोनिया ने प्रश्ना भरी नज़रों से मुझसे कहा.

"आपका कहने का मतलब क्या है, में कुछ समझा नही?" मेने पूछा.
 
"इतना ही राज, क्या तुम वो ही ईमानदारी और नमक हलाली मेरे साथ निभा सकते हो?" सोनिया ने कहा.

"मिस वेर्मा में अभी भी आपकी बातों का मतलब नही समझा." मेने कहा.

"राज में काफ़ी मुसीबत मे हूँ और मुझे एक ऐसा इंसान चाहिए जो मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाल सके." सोनिया थोड़े दुखी स्वर मे बोली.

"मिस वेर्मा मुझसे जो हो सकेगा में करूँगा." मेने कहा.

"हो भी सकता है और नही भी राज. सबसे पहले तो तुम ये समझ लो कि तुम्हे काफ़ी ज़िल्लत से गुज़रना होगा, ऐसा भी वक़्त आ सकता है कि तुम मुझसे नफ़रत करने लगो. आज रात का खाना में तुम्हारे साथ खाना चाहूँगी राज जहाँ हमारी बातों को कोई सुन नही सके, वरना दीवारों के भी कान होते है ये मेने सुना है. क्या में तुम्हे आज रात 7.00 बजे पिक कर लूँ?' सोनिया ने कहा.

"हां क्यों नही, में आपको मेरे घर का पता दे देता हूँ." मेने कहा.

"इसकी ज़रूरत नही है राज, मुझे पता है तुम कहाँ रहते हो."

शायद इन बातों के दौरान मेरे चेहरे पर अजीब भाव आ गये होंगे, "थोड़ा इंतेज़ार करो राज, आज की रात तुम्हे तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जाएगा."

थोड़ा सा इंतेज़ार करो, उसके लिए कहना आसान था पर मेरे लिए नही. उसे कैसे पता कि में कहाँ रहता हूँ. दीवारों के भी कान होते इस बात का क्या मतलब है, वो मुझसे क्या चाहती है इन्ही सब ख़यालों मे खोया में अपनी डेस्क पर बैठा था. में इन्ही ख़यालों मे खोया था और अपने काम पर भी ध्यान नही दे पाया.

मेरे दिमाग़ मे यही घूम रहा था कि आज की रात खाने पर वो मुझसे क्या कहेगी.

"राज में चाहती हूँ कि तुम मुझसे शादी कर लो." सोनिया ने कहा.

सोनिया की बात सुनकर मेरा शरीर पत्थर सा हो गया. मुझे उससे इस बात की उम्मीद नही थी. बड़ी मुश्किल से मेने अपने आपको संभाला और गहरी साँस लेने लगा.

"राज आज की रात में तुम्हे सब कुछ बता दूँगी और मुझे उम्मीद है कि जो भी बाते हम दोनो की बीच होगी उसे तुम राज़ ही रखोगे. जो में तुमसे कह रही हूँ तुम मानो या ना मानो ये तुम्हारी मर्ज़ी है, में तो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे पिताजी के संबंधो को देखते हुए तुमसे ये कह रही हूँ. क्या तुम्हे पता है कि उन्होने अपनी वसीयत मे लिख रखा है कि तुम हमेशा वेर्मा इंटरनॅशनल के लिए काम करोगे. इसका मतलब है कि कोई भी तुम्हे ना तो नौकरी छोड़ने के लिए कह सकता है और ना ही तुम्हे रिटाइर कर सकता है." सोनिया ने कहा.

"मुझे इस बात की जानकारी नही है." मेने कहा.

"तुम्हे जानने की ज़रूरत भी नही है, में तुम्हे ये बात सिर्फ़ इसलिए बता रही हूँ जो में तुमसे माँगने जा रही हूँ, अगर तुम उस बात से इनकार करते हो तो तुम्हे तुम्हारी नौकरी का कोई डर ना हो. क्या तुम ऐसा कर सकते हो राज?. क्या तुम मुझसे एक वादा कर सकते हो? आज की रात तुम चाहो जो फ़ैसला करो, पर जो बातें में तुम्हे बताने जा रही हूँ वो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी." सोनिया ने कहा.

"ये बात आप पहले से जानती हैं मिस वेर्मा वरना में आज यहाँ आपके सामने ना बैठा होता." मेने कहा.

"हालातों को देखते हुए मुझे लगता है राज तुम मुझे सोनिया नाम से पुकारो तो ज़्यादा अच्छा रहेगा. हम पहुँच गये," सोनिया ने गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने रोकी, "राज जैसे ही तुम्हारे गले के नीचे पहला पैग जाएगा तुमपर में एक बिजली सी गिराने वाली हूँ." सोनिया ने कहा.

क्रमशः…………………………………..
 
कामुक-कहानियाँ

किराए का पति--2

गतान्क से आगे……………………………..

मेरे चेहरे पे आए भावों ने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया, "में जानती हू आज सुबह से तुम्हारे दिमाग़ मे हज़ारों प्रश्न घूम रहे थे, पर में शर्त लगा सकती हूँ कि तुम्हे मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी."

"हां मेडम में सपने मे भी नही सोच सकता था कि आप मुझे ये कहेंगी." मेने कहा.

"राज मेने तुमसे कहा था कि मेरा नाम सोनिया है, तो कैसा लगा तुम्हे मेरा प्रस्ताव?" सोनिया मेरी आँखों मे झाँकते हुए बोली.

"अगर सच कहूँ तो मुझे डर सा लग रहा है, और मेरी समझ मे नही आ रहा है मिस..सोनिया…….."

"में तुम्हे सॉफ सॉफ बताती हूँ, आर्थिक कारनो से मुझे पति की सख़्त ज़रूरत है, और मेर अपनी मजबूरी है कि जिससे में प्यार करती हूँ वो मुझसे फिलहाल शादी नही कर सकता." सोनिया ने जवाब दिया.

"माफ़ करना मेडम, मेरी समझ मे अब भी आपकी बात नही आई." मेने कहा.

"में तुम्हे ये तो नही बता सकती कि में अपने प्रेमी से क्यों शादी नही कर सकती पर बाकी की सब बाते तुम्हे बताती हूँ. मेरे पिताजी ने अपनी वसीयत कुछ अजीब किस्म की लिखी है, ऐसा उन्होने क्यों किया ये वो ही जानते है. हां तो में कह रही थी कि पिताजी ने अपनी वसीयत मे लिखा है कि अगर तीस साल की उम्र तक अगर मेने शादी नही की तो सारी दौलत अलग धर्म संस्थाओं को दान मे दे दी जाएगी. सारी दौलत तीन हिस्सों मे बनती गयी है जिनके तीन ट्रस्टी है. ये दौलत मुझे मेरी शादी पर मुझे मिल जाएगी," अपनी सांसो को काबू करते हुए सोनिया ने कहा.

थोड़ी देर अपनी बातो को रोक वो पानी के ग्लास को टेबल से उठा पीने लगी. उसकी आँखों मे गहरी चिंता और परेशानी सॉफ नज़र आ रही थी. उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा.

"सात महीनो मे में तीस साल की हो जाउन्गि. जिससे में प्यार करती हूँ वो किसी कारण वश मुझसे शादी नही कर सकता और में अपनी दौलत को अपने हाथ से जाने नही दे सकती. अपनी दौलत बचाने के लिए मुझे एक पति की ज़रूरत है, पर पति भी कुछ खास किस्म का होना चाहिए." सोनिया ने कहा, "राज तुम ध्यान से सुन रहे हो ना मेने क्या कहा."

"हां मे सुन रहा हूँ, आप आगे कहें," राज ने कहा.

"तो मुझे एक खास पति चाहिए जो अच्छी तरह समझ ले कि वो सिर्फ़ नाम का ही मेरा पति होगा. जिस्मानी रिश्ता बहोत कम होगा और अगर होगा तो भी एक तरफ़ा होगा. वो ये भी अच्छी तरह समझ ले कि उसका प्रत्यक्ष रूप मे काफ़ी अपमान होगा. वैसे अपमान सिर्फ़ दिखावे का होगा जिससे वो पाँच साल बाद मुझसे तलाक़ ले सके. और इन पाँच सालों मे उसे मुझे मा बनाकर बाप भी बनना होगा. क्या तुम ये काम करने को तय्यार हो राज?" सोनिया ने कहा.

"अभी कुछ तय नही कर पाया हूँ, आप आगे बताएँ कि मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके?" राज ने पूछा.

"ठीक है में तुम्हे बताती हूँ. तुम्हारे नाम से किसी बॅंक मे 50 लाख रुपये जमा करा दिए जाएँगे. पर पाँच सालों तक तुम उस रकम को नही पा सकते. तुम मेरे साथ रहोगे, और में तुम्हारे हर खर्चे का भुगतान करूँगी. तुम्हे घर, गाड़ी जो तुम चाहो, जिस क्लब की मेंबरशिप चाहो मिलेगी. जेब खर्च के लिए तुम्हे 20,000/- महीना मिला करेगा. इसके बदले मे तुम्हे ये वादा करना होगा कि तुम हमेशा मेरे साथ ईमानदार पति बन कर रहोगे. अब अच्छा लग रहा है सुनकर." सोनिया ने कहा.

"हां अच्छा तो लग रहा है, पर कुछ परेशानिया है."

"और वो क्या है?" सोनिया ने पूछा.

"तुमने कहा कि हम दोनो मे जिस्मानी रिश्ता कम से कम रहेगा और मुझे पत्निव्रता बन कर रहना होगा. अब इस उमर मे में चुदाई के बिना नही रह सकता." राज ने कहा.
 
"अगर तुम्हारी चुदाई वाली समस्या का में कोई इंतेज़ाम कर दूं तो कैसा रहेगा." सोनिया ने कहा.

"जो सब तुमने कहा वो सुनने मे तो अच्छा लग रहा है, पर दूसरी अड़चने भी है. जैसा मेरा आत्म सम्मान. तुमने कहा कि मुझे अपमान सहन करना होगा, में जानना चाहता हूँ कि कहाँ तक." राज ने पूछा.

"तुम्हे कोई जिस्मानी अपमान या नुकसान नही पहुँचने वाला. हां बोली से ज़रूर होगा जिससे हमे तलाक़ लेने मे आसानी हो." सोनिया ने कहा.

"फिर भी कुछ चीज़ें है जिसका में खुलासा करना चाहूँगा." मेने कहा.

सोनिया प्रश्न भरी नज़रों से मुझे देखने लगी, वो सोच मे पड़ गयी. मेने उसके दिमाग़ की हालत देख कहा, "ठीक है अगर तुम्हे मेरी कुछ शर्तें मंज़ूर हो तो में ये काम करने के लिए तय्यार हूँ."

"और वो क्या है?" सोनिया ने पूछा.

"हम दोनो के बीच एक लिखित अग्रीमेंट बनेगा, जिसमे तुम सब सच सच लिखोगी. अग्रीमेंट मे ये लिखा होना चाहिए कि पाँच साल बाद मुझे 50 लाख रुपये मिल जाएँगे, और अगर किसी कारण वश हमारे बीच ये समझौता 5 सालों तक नही चलता तो भी मुझे ये रकम मिलेगी और उसमे मेरी कोई ग़लती नही होगी, बोलो मंजूर है?'

सोनिया थोड़ी देर तक मेरी आँखों की गहराईयो मे झाँकति रही फिर बोली, "ठीक है मुझे मंजूर है," और उसने अपना हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया. मेने उसका हाथ पकड़ मिला लिया.

वैसे तो ये सब एक आसान काम साबित हुआ, पर अटपाटा भी. उसका प्रेमी एक निहायत ही काइयाँ किस्म का इंसान था. उसका नाम अमित केपर था. वो किसी कारण वश सोनिया से शादी नही कर सकता था, और सोनिया के पिताजी की वसीयत के अनुसार सोनिया को 30 साल की उम्र तक शादी भी करनी थी और 35 साल की उमर तक एक बच्चे की मा भी बनना था.

सोनिया से शादी करने के बाद मुझे उस उल्लू के पत्थे अमित को झेलना था. सोनिया की करीबी सहेलियाँ शायद अमित के बारे मे जानती थी इसलिए अक्सर उससे पूछा करती थी कि उसने अमित मे ऐसा क्या देखा, पर वो कहावत सच है कि प्यार अँधा होता है.

"राज में जानती हूँ कि कभी कभी अमित को सहन करना मुश्किल होता है, पर क्या करूँ में उससे प्यार भी बहोत करती हूँ. और प्यार मे अक्सर ऐसा होता है, है ना राज और तुम तो खुद ये सब भुगत चुके हो और प्रीति के साथ सहन कर चुके हो. है ना राज?"

"तुम प्रीति के बारे मे कैसे जानती हो?"

"में तुम्हारे बारे मे सब कुछ जानती हूँ राज. जिस दिन मेने तुम्हे अपना किराए का पति बनाने का फ़ैसला किया उसी दिन से तुम्हारे पीछे जासूस लगा दिया था. में कोई चान्स नही लेना चाहती थी कारण 50 करोड़ दाँव पर है. जब मुझे तुम्हारे और पिताजी के बीच गहरे संबंधो का पता चला तो मुझे लगा कि तुम मेरे काम आ सकते हो. इसलिए में तुम्हारे बारे मे सब कुछ जानना चाहती थी. वैसे एक बात पुच्छू तुम्हे बुरा ना लगे तो, तुम्हे प्रीति से अलग हुए कितना अरसा हो गया?"

"दो साल, ग्यारह महीने, तीन हफ्ते, दो दिन, तीन घंटे और चालीस मिनिट." मेने जवाब दिया.

"तुम्हे इतना सब क्यों सहन किया राज?"

"तुम्ही ने तो कहा कि प्यार अँधा होता है और इंसान प्यार मे बहाने तो ढूँढ ही लेता है. अगर उसने अपने किसी प्रेमी के लिए बेवफ़ाई की होती तो शायद मे उसे माफ़ कर देता पर अपने सगे पिता और भाई के साथ. ये में कैसे सहन कर लेता इसलिए उसकी जिंदगी से दूर हट गया."

"तो फिर क्या सोचा राज तुंमेरा ये काम करोगे ना?" सोनिया ने पूछा.

"हां करूँगा," मेने कहा, "पर ये तुम्हे खुलासा करना होगा कि कम से कम जिस्मानी संबंध और एक तरफ़ा का क्या मतलब है."

"अच्छा वो?"

"हां वो."

"में अमित से बहोत प्यार करती हूँ और उसके प्रति पूरी तरह वफ़ादार रहना चाहती हूँ. शादी के बाद हम दोनो एक बार ज़रूर साथ मे सोएंगे जिससे शादी पर मोहर लग सके फिर उसके बाद जब बच्चे का वक़्त आएगा तभी जिस्मानी संबंध बनाएँगे. मेरी अपनी कुछ जिस्मानी ज़रूरते हैं जिसे पूरी करने से अमित इनकार करता है. उन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तुम मेरी मदद करोगे इसके लिए वो तय्यार हो गया है. वो इसे बेवफ़ाई नही मानता है बल्कि कुछ खास परिस्थितियों मे एक समझौता समझ सकता है." सोनिया ने कहा.

"और वो ख़ास परिस्थितियाँ क्या है?" मेने पूछा.

"क्या अभी सब बताना ज़रूरी है राज?"

"सब सच सच बताना होगा सोनिया मेने पहले ही कहा था. फिर बाद मे या पहले तुम्हे बताना तो पड़ेगा ही तो फिर आज क्यों नही." मेने कहा.

क्रमशः…………………………………..
 
किराए का पति--3

गतान्क से आगे……………………………..

"मुझे अपनी चूत चूसवाने मे बहोत मज़ा आता है, पर अमित ऐसा करने से मना करता है, पर तुम अगर मेरी चूत चूसो तो उसे कोई ऐतराज़ नही है सिर्फ़ इतना कि पहले वो मेरी चुदाई करेगा फिर तुम मेरी चूत चूसना. कभी कभी तो वो तुम्हे ऐसा करते देखना भी चाहेगा." सोनिया ने कहा.

"जो तुम कह रही है उसके बारे मे तुमने अच्छी तरह सोच लिया है ना?"

"हां राज मेने सोच लिया है, फिर तुम्हे क्या फरक पड़ता है. प्रीति जब दूसरे मर्दों से चुद्वाकर आती थी तब तुमने कई बार उसकी चूत चूसी होगी. पर उस वक़्त कोई ख़ज़ाना तुम्हारा इंतेज़ार नही कर रहा था, पर इस बार 50 लाख रुपये तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे है. सोचो ज़रा थोड़ी से चूत चूस्कर तुम ये हासिल कर सकते हो. में तुमसे वादा करती हूँ कि तुम्हे चूत की कमी नही होने दूँगी, सिर्फ़ वो मेरी नही किसी और की होगी." सोनिया ने कहा.

में मन ही मन सोचने लगा. मेरी उम्र 36 की होने वाली है, और चूत चूसने से अगर 50 लाख रुपये मिलते है तो बुराई क्या है. इतने रुपये से मेरी बाकी की जिंदगी आराम से कट सकती है.

में सोनिया को घूरते रहा फिर कहा, "मेरी तीन शर्तें होगी, एक, लिखित अग्रीमेंट होगा. दूसरा तुम चाहे जिसका इंतेज़ाम करो मुझे चूत मिलती रहेगी और आखरी और अहम शर्त हमारी सुहागरात सिर्फ़ मेरी होगी सिर्फ़ मेरी. बोलो मंजूर है?" मेने कहा.

"ये सुहागरात वाली बात से तुम्हारा क्या मतलब है?"

"दो बातें है. जैसे तुमने कहा कि तुम्हारा प्रेमी मुझे तुम्हारी चूत चूस्ते देखना चाहता है. पर उस रात नही. में नही चाहता की उस रात वो तुम्हारे पास भी फटके. दूसरी बात वो रात मेरी होगी, पूरी तरह से मेरी ऐसा नही हो कि आधे घंटे मे चुदाई ख़त्म करो और फूटो. उस रात मे अच्छी तरह और हर तरह से तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना होगा और गंद भी मर्वानी होगी." मेने कहा.

"में ऐसा नही कर सकती राज, ये अमित के साथ बेवफ़ाई होगी."

"तुम कर सकती हो सोनिया. तुम पहले ही मान चुकी हो कि सुहागरात को हम चुदाई करेंगे वो समझौता है बेवफ़ाई नही. फिर समझौता थोड़ी देर का हो या पूरी रात का क्या फरक पड़ता है एक ही बात है."

"नही राज में नही कर सकती, ये ग़लत होगा."

"सोच लो सोनिया या तो हां या फिर तुम किसी और को ढूँढ लो."

"इतनी छोटी सी बात के लिए तुम 50 लाख रुपये छोड़ने को तय्यार हो."

"और तुम 50 करोड़ खो दोगि." मेने कहा.

"में किसी और को भी तय्यार कर सकती हूँ, तुम ये बात जानते हो राज."

"हां तुम कर सकती हो." कहकर मेने टेबल पर मेनू कार्ड उठाया और वेटर को आवाज़ दी.

"राज विषय को बदली मत करो."

"में कोई विषय को नही बदल रहा. हम यहाँ कोई बात करने आए थे, मेने अपनी शर्त तुम्हे बता दी और तुमने उसे नकार दिया तो मेने समझा कि हमारी बात पूरी हो गयी. हम यहाँ खाना खाने आए थे सो वेटर को खाने का ऑर्डर दे रहा था जिससे बाद मे में टॅक्सी पकड़ घर जा सकूँ और तुम्हे मुझे छोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े." मेने कहा.

"पर तुम इस एक बात पर क्यों आड़े हुए हो? ऐसी क्या ख़ास बात है इसमे." सोनिया ने कहा.

"मेरी मानसिक हालत के लिए बहोत ज़रूरी है, सोनिया."

"ये तो कोई बात नही हुई राज."

"तुम्हारे लिए नही होगी पर मेरे लिए ये बहोत ज़रूरी है."

"क्या तुम मुझे ज़रा खुल कर समझा सकते हो."
 
"बड़ी सीधी सी बात है सोनिया. तुमने मुझे पहले ही बता दिया है कि मुझे आने वाले पाच साल तुम्हारे उस बद्दिमाग प्रेमी को झेलना होगा. में कोई बेवकूफ़ नही हूँ, आने वाले पाँच सालों की कहानी में अभी लिख सकता हूँ. पहले तो वो मुझे चिढ़ाएगा कि में अपनी पत्नी को नही चोद रहा हूँ बल्कि वो हर रात मेरी पत्नी को चोद्ता है. जब वो तुम्हे चोद रहा होगा तो मुझे बगल के कमरे मे इंतेज़ार करना होगा कि कब वो तुम्हारी चुदाई खत्म करे और में आकर उसके वीर्य से भरी तुम्हारी चूत को चूसू. इसी तरह वो मुझे चिढ़ा कर अपमानित करता रहेगा."

"उसके हर अपमान पर में मुस्कुरा कर उसका जवाब दम एक गधे की तरह, नही में ये सहन नही कर सकता. हां में करूँगा पर जब में उसे देखूं तो मन ही मन कह सकूँ देख मेने तेरी प्रेमिका की चूत मारी है, उसके मुँह मे अपना पानी छोड़ा है, उसकी गांद की तो धज्जियाँ उड़ा दी है. उसके गर्भ मे मेरा बीज है जिससे वो मा बनने वाली है." मेने कहा, "जैसा मेने कहा सोनिया ये मानसिक लड़ाई है जो मेरे लिए ज़रूरी है, फिर तुम्हारा कुछ जाने वाला नही है वैसे भी उस रात तुम मेरे साथ चुदाई करने को तय्यार हो तो क्या फरक पड़ता है."

"राज मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे एक बार फिर सोचना पड़ेगा. चलो खाने का ऑर्डर देते है, भूक लगी है." सोनिया ने कहा.

खाना खाने के बाद उसने मुझे टॅक्सी नही बुलाने दी और मुझे घर तक छोड़ा. जब में गाड़ी से उतर रहा था उसने कहा, "हम फिर बात करेंगे राज पर मुझे सोचने के लिए कुछ वक़्त दो." ये कहकर वो चली गयी.

दो दिन के बाद सोनिया ने मुझे अपने ऑफीस मे बुलाया और बैठने को कहा.

जैसे ही में कुर्सी पर बैठा उसने कुछ काग़ज़ात मेरे सामने रख दिए, "राज ये अग्रीमेंट जैसे तुमने कहा था वैसे ही बनाया गया है. जहाँ तक हमारी सुहागरात का सवाल है तुम हर वो काम कर सकते हो जो तुम चाहो उसके लिए में तय्यार हूँ. अब रहा सवाल तुम्हारे लिए किसी पर्मनेंट चूत का इंतेज़ाम करना तो में चाहूँगी कि घर मे एक नौकरानी रख ली जाए जिसका घर की सफाई के साथ साथ ये काम होगा कि वो तुम्हारे लंड की भी सफाई करती रहे. बाहर वालों को कुछ पता ना चले इसलिए में चाहूँगी कि ये सब हमारे घर की चारदीवारी मे ही हो. अगर तुम्हे ये मंज़ूर हो तो बोलो."

सोनिया ने फिर अपना ब्रीफकेस खोला और उसमे से तीन फोटो आल्बम निकाल कर मुझे पकड़ा दिए.

"इनमे देखो शायद तुम्हे कोई पसंद आ जाए. जिनके चेहरे पर निशान लगा है वो उपलब्ध नही है." सोनिया ने कहा.

मेने आल्बम मे लगी सुंदर औरतों की तस्वीरों को देखने लगा. फोटो के साथ उनके बारे मे भी लिखा था, में पढ़ने लगा और सोनिया की ओर देख कर मुस्कुरा दिया.

"मेरी एक फ्रेंड है जो मोडीलिंग एजेन्सी के साथ एस्कॉर्ट एजेन्सी भी चलाती है. उसने मुझे आश्वासन दिया है कि जिस काम के लिए में पैसे खर्चा कर रही हूँ उससे कहीं अच्छा काम इनमे से हर कोई करेगा. इनमे से एक को चुन लो राज में सब इंतेज़ाम कर लूँगी. अगर कुछ महीनो बाद तुम्हारा उससे दिल भर जाए तो फिर इनमे से किसी और को चून सकते हो. तो अब हमारा सौदा पक्का." सोनिया ने कहा.
 
जब सोनिया मुझसे ये कह रही थी तब में आल्बम लगी फोटोस देख रहा था. अचानक मे एक फोटो को देख कर रुक सा गया उस फोटो को देखने लगा. मीनाक्षी मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मे फूटबाल खेला करता था, और हमेशा उसे चोद्ने के सपने देखा करता था.

"इस आल्बम की हर औरत पैसे के लिए चुद्वाने को तय्यार है." मैने पूछा.

सोनिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी. मेने उसे आल्बम वापस लौटाया, "ये वाली."

"तो में ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है."

"हां सोनिया मुझे ये सौदा मंजूर है."

उस दिन के बाद तो मेरी जिंदगी काफ़ी व्यस्त हो गयी. अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे. फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी. उसके बाद तो जैसे पार्टीस की लाइन लग गयी. कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिज़्नेस असोसीयेट.

उसके बाद शादी की तैयारियो के साथ ही हमारे हनिमून की प्लानिंग. एक शाम या रात ऐसी नही थी कि में सोनिया किसी पार्टी या होटेल मे साथ मे ना हो. शादी के वक़्त तक हमारे प्यार की सचाई पर सभी को विश्वास हो चुका था. प्रेस, मीडीया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे.

अभी तक एक शर्त पूरी नही हुई थी, वो थी 50 लाख रुपये की. मेने सोनिया को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो हो जाएगा. में भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वरना में थोड़ी शादी करने वाला था. दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बॅंक मे रुपया डेपॉज़िट हो चुका है.

अभी तक मेरी मुलाकात सोनिया के प्रेमी अमित केपर से नही हुई थी. शायद शादी तक सोनिया ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था. शादी वाले दिन में भीढ़ मे उसे ढूँढने लगा. जितना मेने उसके बारे मे सुना था में जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आए बगैर मानेगा नही.

मेरा सोचना कितना सही था. जैसे ही में और सोनिया मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया. मेरी उससे नज़रें मिली और में मुस्कुरा दिया. में उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, "साले गधे के बच्चे तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी. तू चाहे जितना खुश हो ले पर जब भी तू इसे चोदेगा ये दौड़ कर मेरे पास ही आएगी कुत्ते के बच्चे."

शादी की सारी विधि बिना हिचक के पूरी हो गयी. पर आखरी रसम के लिए शायद सोनिया ने अपने आपको तय्यार नही किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, "अब आप दुल्हन को मंगलसूत्र पहना दीजिए."

एक बार तो मेने सोचा कि शायद सोनिया इनकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तय्यारी करके आई है. पैसों के लिए रिश्तों और रीवाजों की कहाँ अहमियत होती है. और आने वाले पाच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है.

शादी का रिसेप्षन कोई ख़ास नही था. हर रिसेप्षन की तरह लोगों ने हमे बधाई दी और तोहफे दिया. और ठीक पहले से तय वक़्त पर हम दोनो ने कपड़े बदले और में सोनिया को लेकर वहाँ से भाग गया.

रिसेप्षन से ठीक दो किलोमेटेर दूर एक गाड़ी मेरा इंतेज़ार कर रही थी.

"राज ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ," सोनिया ने पूछा.

"तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ है जान, थोड़ा इंतेज़ार करो." मैने कहा.

क्रमशः…………………………………..
 
किराए का पति--4

गतान्क से आगे……………………………..

में अपना समान कार की डिकी मे रखने लगा. कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा. समान रखे जाने के बाद मेने ड्राइवर को 500 रुपये दिए और वो कार की चाभी मुझे देकर चला गया.

"राज ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?" सोनिया ने फिर पूछा.

"थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर मे तुम्हे सब पता चल जाएगा." मेने कहा.

जैसे ही वो ड्राइवर गया मेने सोनिया को गाड़ी मे बैठने को कहा.

"जब तुम मुझे सब कुछ नही बताओगे में तुम्हारे साथ कहीं नही जाउन्गि," सोनिया ने कहा.

"सोनिया गाड़ी मे बैठो जिद्द मत करो. अगर तुम नही चली तुम्हे यहाँ अकेला सड़क पर छोड़ में चला जाउन्गा फिर तुम उस हनिमून होटेल जाकर सफाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आई हो."

मेने थोड़ा गुस्से मे कहा.

सोनिया ने इतने गुस्से मे मेरी और देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी. फिर वो गाड़ी मे बैठ गयी, "पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?"

"आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का." मेने कहा.

"बकवास बंद करो राज, में सब कुछ जानना चाहती हू कि तुम क्या चाहते हो?"

"आसान सी बात है मेरी जान, में तुम पर विश्वास नही करता. तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली. तुम्हारे दिमाग़ ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक़्त हां कर दो, एक बार शादी हो जाएगी तो तुम अपनी ज़ुबान से मुकर सकती हो. तब तक शादी हो चुकी होगी और वो इंसान पैसे के लालच मे कुछ नही बोलेगा. क्यों मे सच कह रहा हूँ ना?" मेने उसकी ओर देखते हुए कहा.

"नही राज ये सच नही है, मेरे मन मे ऐसा कुछ नही था,"

"यही सच है सोनिया. जिस तरह से तुमने सब प्लॅनिंग की थी मुझे उसी वक़्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. हो सकता था कि होटेल मे पहुचने के बाद तुम अमित के कमरे मे चली जाती जो हमारे सामने के कमरे मे तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती.

हो सकता था कि जो मेने सोचा वो ग़लत होता पर ऐसा हुआ नही. मेने तुम्हे अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी घड़ी की ओर इशारा कर तुम्हे याद दिला रहा था. तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मेने भी अपना प्लान पहले से ही बना लिया था. इस वक़्त हम दूसरे होटेल मे जा रहे है जहाँ मेने सब व्यवस्था कर रखी है. और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात मे होकर रहेगा."

"राज ये तो कोई तरीका नही हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?" सोनिया ने कहा.

"सोनिया तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नही एक व्यापारिक समझौता है. में अपना वचन निभाउन्गा. मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हे भी अपना वचन निभाना होगा."

इतना कहकर मेने गाड़ी रोड के साइड मे खड़ी कर दी. "अभी वक़्त है अगर तुम्हारा इरादा नही है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो. में कल ही कोर्ट मे अपने तलाक़ के काग़ज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो."

मेने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब अजीब से भाव आ रहे थे. थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, "में अपना वादा ज़रूर निभाउन्गि राज. मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझपर विश्वास नही किया."

"सोनिया ये तुम भी जानती ही कि हमारी शादी एक समझौता है. फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो. तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना में हू नही. मेने कुछ फोन किए थे और मुझे पता चल गया. हमारी बुकिंग रूम नंबर 1216 मे जिस होटेल मे हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा 1217 मिस्टर. अमित कप्पोर् के नाम बुक था. मेने तुम्हे पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील की अंदर नही होना चाहिए. में तुम्हारे जाल मे नही फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है." मेने कहा.
 
जहाँ तक सुहागरात की बात है तो कुछ बातें भी होती है और कुछ बुरी भी. जब हम होटेल सिल्वर इन्न मे घुसे जिसमे मेने कमरा बुक कराया था (मुझे पता है कि सोनिया वेर्मा जैसी महान हस्ती को कोई इस छोटे से होटेल मे नही ढूँढेगा). जैसे ही हम कमरे मे घुसे सोनिया ने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गयी जैसे कह रही हो, "जो करना है जल्दी करो और इस कहानी को यहीं ख़त्म करो." पर में भी पूरी तैयारी के साथ आया था. मेने अपनी सूटकेस खोली और एक कीताब निकालकर सोनिया को पकड़ा दी.

"ये क्या है?" उसने पूछा.

"जब तक में अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ," मेने कहा.

में उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगो को फैला दिया तभी वो बोली, "तुम कुछ भूल तो नही रहे हो?"

"नही तो,"

"तुम भूल तो रहे हो, कॉंडम कहाँ है?" उसने पूछा.

"उसकी ज़रूरत ही नही है."

"है तुम्हे उसकी ज़रूरत है, में अभी से मा बनने के लिए तय्यार नही हूँ." सोनिया ने कहा.

"जो में करूँगा उससे तुम प्रेग्नेंट नही हो सकती, तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो," इतना कहकर मेने अपना चेहरा उसकी टाँगो के बीच दे दिया. मुझे चूत चूसने मे काफ़ी मज़ा आता है और कइयों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नही चूस्ता.

सोनिया को उत्तेजित करने मे मुझे ज़्यादा वक़्त नही लगा. थोड़ी ही देर मे वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठा अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अंगूठा उसकी गंद के छेद मे डाल दिया. अब मेरी जीब के साथ मेरी एक उंगली उसकी चूत मे और अंगूठा उसकी गंद के अंदर बाहर हो रहे थे.

"ये तुम क्या कर रहे हो?" उसने गहरी साँसे लेते हुए पूछा तो मेने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, "सोनिया तुम अपनी कीताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो."

मेने अपना अंगूठा उसकी गंद मे से निकाल कर अपनी एक उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा. फिर दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी. अब में उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी उंगलियाँ उसकी गंद के अंदर बाहर कर रहा था.

सोनिया ने अपनी किताब बिस्तर पर फैंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर और अपनी चूत पे दबा दिया साथ ही अपने कूल्हे भी उपर को उठा दिए. मेरा मुँह पूरा उसकी चूत पे था.

"ऑश ऱाआआआज़ ओह अब और बर्दाश्त नही होता चोदो मुझे जल्दी सीई." सोनिया सिसक रही थी.

मेने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मेने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी. मेने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगाई और साथ ही उसकी चूत मे उंगली कर करता रहा. सोनिया सिसक रही थी. जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मेने उसकी टाँगो को पकड़ कर मेरे कंधों पर रख लिया, जब उसकी गंद पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मेने एक ही धक्के मे अपना लंड उसकी गंद मे घुसेड दिया.

"ओह मर गयी……." सोनिया ने अपने आप को मुझ से छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गंद मे घुसा हुआ था. में अपना लंड उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा.

मेरे पीछले अनुभव ने मुझे बताया था कि कुछ औरतें को गंद मराने मे बड़ा मज़ा आता है. कुछ शौक के लिए मरवाती थी तो कुछ अनुभव के लिए. सोनिया किस किस्म मे आती है मुझे इस वक़्त इसकी नही पड़ी थी. मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से जिसमे सोनिया के साथ में कुछ भी कर सकता था.

मेने देखा कि सोनिया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उछाल मेरा साथ दे रही है..

"हाआँ फाड़ दो मेरी गाअंड को ऑश हां और जूओर से ऑश." सोनिया सिसक रही थी.

आज की रात के लिए मेने पीछले 24 घंटे मे कम से कम 20 बार मूठ मारी थी. सिर्फ़ इसलिए कि मेरा लंड जल्दी पानी नही छोड़े. में पंद्रह मिनिट तक सोनिया की गंद मारता रहा. सोनिया की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आख़िर मे मेरे लंड ने भी उसकी गंद मे पानी छोड़ दिया.

जब मेरा लंड मुरझा गया तो मेने उसे सोनिया की गंद से बाहर निकाला और बाथरूम मे सफाई के लिए चला गया. सोनिया बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही.
 
में अपना लंड साफ कर के फिर एक बार बिस्तर पर आ गया. अपने घुटनो से उसकी टाँगो को फैलाया और एक बार फिर उसकी चूत को चूसने लगा. इस बार उसकी गंद के बजाय में अपनी तीन उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था.

एक बार फिर सोनिया ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया और जोरों से सिसक पड़ी, "ऑश राज अब और मत तरसाओ में नही रह सकती प्लीज़ चोदो ना मुझे डाल दो अपना लंड मेरी चूत मे."

"नही में अभी नही चोद सकता मेरा लंड खड़ा नही हुआ है," कहकर में उसकी चूत को जोरों से चाटने और चूसने लगा. "प्लीज राज चोदो नाअ देखो ना मेरी चूओत मे आअग लगी हुई है," सोनिया फिर गिड़गिदा पड़ी.

"थोड़ी देर रूको ना जान, जैसे ही मेरा लंड खड़ा होगा में चोदुन्गा तुम्हे," कहकर में उसकी चूत चूस्ता रहा.

तभी मेने उसके हाथ को अपने लंड पर महसूस किया. वो थोड़ी देर तो मेरे लंड को मसल्ति रही फिर वो इस तरह घूम गयी कि उसका मुँह मेरे लंड के पास आ गया. वो मेरे नीचे ही मेरे लंड को अपने गरम मुँह मे ले चूसने लगी.

यही तो मेने सोचा था, में चाहता था कि वो हर चीज़ के लिए मुझसे भीक माँगे मेरे सामने गिड़गिडाए. पहले वो मुझे चोद्ने के लिए गिद्गिदाती रही और अब मेरे लंड को अपने मुँह ले बड़े प्यार से चूस रही थी.

मेने सोनिया को थोड़ी देर तक अपना लंड चूसने दिया फिर घूम कर उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चेहरे को देखने लगा कि कहीं वो नाटक तो नही कर रही.

"अब क्या देख रहे हो?" सोनिया ने कहा, "किस बात का इंतेज़ार कर रहे हो, जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा कर मुझे चोदो."

उस रात मेरी एक तमन्ना पूरी नही हुई. उसने मुझ से अपनी गंद मारने को नही कहा. उस रात मेने सोनिया को तीन बार चोदा और हर बार चुदाई के बाद उसकी चूत चॅटी और चूसी. जब भी में उसकी चूत चूस्ता तो वो उत्तेजना मे पागल हो जाती. सुबह के पाँच बजे ही हम सो पाए.

मेरी सुबह साढ़े नौ बजे जब आँख खुली तो देखा कि सोनिया कोहनी के बल लेटी हुई मुझे देख रही थी.

"क्या बात है," मेने अपनी आँखों को मसल्ते हुए कहा.

"कुछ नही"

"फिर मुझे इस तरह क्यों देख रही हो?" मेने कहा.

"क्यों ना देखूं, ये मेरी शादी की जिंदगी का पहला दिन है और पहली बार मेने रात अपने पति के साथ गुज़ारी है." सोनिया ने कहा.

"पति……… वो भी नाम का." मैने हंसते हुए कहा और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा.

"ये क्या कर रहे हो?" सोनिया ने पूछा.

"कपड़े पहन रहा हूँ और क्या." मेने जवाब दिया.

"में यहाँ नंगी बिस्तर पर लेटी हुई हूँ और तुम कपड़े पहन रहे हो." सोनिया ने कहा.

"देखो हमारे बीच एक समझौता हुआ था कि एक रात तुम मेरे साथ गुजारोगि, अब सुबह हो चुकी है और सूरज आसमान मे चढ़ चुक्का है." मेने जवाब दिया. "रात गुज़र चुकी है और अब में अपना वचन निभाउन्गा."

"रात तब तक पूरी नही होती जब तक कि हम बिस्तर से निकल कर अपने कपड़े ना पहन ले." सोनिया ने कहा.

मेने अपनी पॅंट छोड़ दी और वापस बिस्तर मे आ गया, "तुम्हारा इरादा कैसे बदल गया," मेने कहा.

"सुहागरात किसी औरत के जीवन मे एक बार ही आती है. मेने तुम्हे पहले भी बताया है कि मुझे चूत चूसवाने मे बड़ा मज़ा आता है जो कि तुम आने वाले दिनो मे भी चूसोगे. पर रात को जैसे तुमने मेरी चूत चूसी में एक बार फिर चूत चूसवाना चाहती हूँ." सोनिया ने कहा.

हम दोपहर को ढाई बजे ही होटेल से चेक आउट कर सके. हमारे लेट होने से सोनिया के सारे प्लान लेट हो गये. हमे हनिमून के लिए शिमला जाना था और अगली फ्लाइट दूसरे दिन ही थी.

सोनिया ने कुछ फोन किया और फिर से सब तैयारी की. हम दोनो सोनिया के मकान पर आ गये और वो दिन मेने सोनिया के कमरे मे ही गुज़ारा जो आने वाले पाँच सालों के लिए अब मेरा था.

क्रमशः…………………………………..
 
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