hotaks444
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करीब 1 घंटे के बाद मैं नाइट क्लब से निकल कर खुश हो कर घर जा रहा था....रास्ते मे ही था कि मुझे पोलीस स्टेशन से फ़ोन आ गया....
( कॉल पर )
मैं- हेलो...
सामने- मैं ** पोलीस स्टेशन से हवलदार बोल रहा हूँ. ...क्या ये अंकित मल्होत्रा का नंबर. है..
मैं- हाँ...बोल रहा हूँ...कहिए...
सामने- आप तुरंत ** पोलीस स्टेशन आ जाइए....जल्दी...
मैं- ओके...पर बात क्या है..ये तो बताओ..
सामने- आप आ जाओ...पता चल जायगा...
मैं(ब्रेक मार कर)- ओह्ह...अच्छा आपके सीनियर आलोक कहाँ है..उनसे बात कराईए...
सामने- वो किसी काम से बाहर गये है...आते ही होगे...पर आप चले आइए...जल्दी से जल्दी...
मैं- ओके...आता हू...
कॉल कट हो गई....फिर मैने अपने आदमी को कॉल किया बट उसने कॉल उठाया नही...
मैं(मन मे)- ये भी कॉल नही ले रहे....क्या करूँ...ये साला पोलीस का लफडा ही मुझे बुरा लगता है...पता नही क्या हुआ....चलो...जा कर देखते है...जो होगा सो होगा...
और मैने कार पोलीस स्टेशन के लिए दौड़ा दी......
पोलीस स्टेशन पहुँच कर मैं उस हवलदार से मिला...जो मेरा ही वेट कर रहा था....
मैं- हाँ जी ...मैं अंकित मल्होत्रा हूँ...क्या हुआ...
हवलदार- ओह..आ गये आप..चलिए मेरे साथ...
मैं- कहाँ...??
हवलदार- असल मे हमे एक लड़की की लाश मिली है और हमारे साब ने बताया कि उस लड़की को आपके घर देखा गया है...इसलिए आपको सिनाख्त के लिए बुलाया है...
मैं- क्या...लाश ...किसने कहा कि वो मेरे घर की कोई है..मतलब कौन साब है आपके ...??
हवलदार- रफ़्तार सर...
मैं(धीरे से)-ये साला रफ़्तार....हर जगह तगड़ी लगाता है बेन्चोद...
हवलदार- कुछ कहा क्या...??
मैं- नही...कहा है लाश...??
हवलदार- वही पड़ी है...जब तक छानबीन नही होती, हम उठा नही सकते...आलोक सर आएँगे तब उठेगी...
मैं- ओह..आलोक सर...चलिए फिर...
हवलदार- चलिए...आपकी कार से चलते है. .
और फिर मैं हवलदार के साथ निकल गया....
मेरे दिल मे अजीब सी कस्मकश चल रही थी ....
लड़की की लाश...मतलब...नही...वो ना हो...मेरा अंदेशा ग़लत हो तो ठीक....बिना देखे क्यो कुछ सोचु...क्या पता कि उन्हे सिर्फ़ डाउट हो...ग़लत पहचान की हो...हाँ...हो सकता है....पहुँच कर ही पता चलेगा....
और मैं अपने धड़कते दिल को संभाले ड्राइव करता रहा.....
वहाँ पहुँच कर देखा कि इन्स आलोक भी आ चुके थे...
मैं- आलोक सर...ये सब...मुझे यहाँ..
आलोक(बीच मे)- मेरे साथ आओ...
और आलोक मुझे अपने साथ वहाँ पड़ी लाश के पास ले गये...
आलोक- इस आदमी को जानते हो...??
मैं- नही...मैं नही जानता...
आलोक(उसका चेहरा ढक कर)- ओके..अब यहाँ आओ...और इसे देखो....
और फिर आलोक ने ज़मीन पर कार के पास पड़ी लाश से चद्दर हटाई और उसे देख कर मेरे मुँह से ज़ोर से निकल गया...
मैं- रश्मि...........ये कैसे....इसे किसने....?????
इनस्पेक्टर आलोक ने जैसे ही लाश के उपेर से चद्दर हटाई तो चेहरा देख कर ही मेरे मुँह से एक चीख सी निकल गई....
मैं- रश्मि.....
रश्मि की लाश देख कर मेरा माइंड घूम सा गया था....
ये सच था कि मैं उसे सज़ा देना चाहता था...पर मौत ...कभी नही...
मैने सोचा भी नही था कि रश्मि मर जाएगी...वो भी इस तरह...
मैं अपनी आँखो मे सवाल लिए इन्स आलोक को देखने लगा...और आलोक ने कंधे उचका कर बता दिया कि उन्हे भी कोई अंदाज़ा नही कि ये कैसे हुआ...
लाश को ढक कर आलोक मेरे पास आए और तसल्ली देने को मेरे कंधे पर हाथ रख दिया...
मैं- हाँ...सर...ये सब कैसे हुआ...कब हुआ ..
आलोक- वैसे पूरी सच्चाई तो नही पता पर शायद ये आक्सिडेंट आज शाम के टाइम ही हुआ है...
आलोक मुझे समझा ही रहे थे कि वहाँ रफ़्तार सिंग आ गया ..
रफ़्तार- सॉरी सर...लेट हो गया...
और जैसे ही रफ़्तार ने मुझे देखा तो घूर कर बोला...
रफ़्तार- तुम यहाँ कैसे...हा ..
आलोक(बीच मे)- मैने बुलाया अंकित को...क्योकि ये लड़की इन्ही के घर काम करती थी...
रफ़्तार(मुझे देख कर)- ओह...कमाल है...आज-कल जो भी पंगा होता है...उसमे तेरी फॅमिली ज़रूर शामिल होती है...हाँ...
मैं गुस्से मे कुछ बोलने ही वाला था कि आलोक बीच मे बोल पड़ा....
आलोक- रफ़्तार सिंग ...बेहतर होगा कि अपने काम पर ध्यान दो....
रफ़्तार ने आलोक की बात सुन कर एक-एक कर के लाषो को चेक किया और बोला....
रफ़्तार- ह्म्म...मुझे तो लगता है कि ड्रिंक आंड ड्राइव का मामला है...पिए हुए होगी...
आलोक- रफ़्तार....
रफ़्तार- हाँ सर...बदबू सॉफ बता रही है कि दोनो पिए हुए है...
मैं- क्या बक रहे हो...रश्मि..
आलोक(बीच मे)- अंकित....तुम चुप रहो...और रफ़्तार...बदबू तो शराब उपेर से डालने पर भी आती है...और शायद मैं सही हूँ...ये शराब उसी ने डाली जिसने इन्हे मारा...
रफ़्तार- मारा...पर ये तो आक्सिडेंट है...
आलोक- लगता है तुम पोलीस का काम भूल चुके हो रफ़्तार....बिना देखे ही बोल दिया ...हाँ...
रफ़्तार- क्या मतलब सर...
आलोक- शायद तुमने इस कार को और लाश को गौर से नही देखा....वरना समझ जाते...
रफ़्तार- क्या सर...मैं समझा नही..मैने क्या नही देखा ..
आलोक- सबसे पहले कार को देखो...इसे देख कर सॉफ पता चलता है कि कार को पीछे से कई टक्कर मारी गई है...
रफ़्तार- ह्म्म...सही कहा...पर हो सकया है कि कार की ब्रेक लगी हो और पीछे वाली कोई कार टकरा गई होगी...और फिर नीचे गिर गई. .ये तो आक्सिडेंट ही हुआ ना....
आलोक- हो सकता था...पर तुम उस लड़की की लाश देखो..उसके गले मे घाव है...जो एक चाकू या खंजर से हुआ है...
रफ़्तार(सकपका कर)- घाव....मैने शायद...सॉरी ध्यान नही दिया...
आलोक- ह्म्म्मर..और उस आदमी की बॉडी देखो...उसके सीने मे भी गोली लगी है...
रफ़्तार- पर सर...कोई इनका मर्डर कर के इन्हे यहाँ क्यो लायगा...आइ मीन ये आक्सिडेंट की क्या ज़रूरत ...
आलोक- ज़रूरत ...मिस्टर.रफ़्तार, कातिल अपने आप को बचाने के लिए बहुत सी तिकड़म करते है...
रफ़्तार- हो सकता है सर...पर ये किया किसने होगा...
आलोक- आप बताओ...
रफ़्तार(सकपका कर)- म्म..मैं..क्यो..
आलोक- ये एरिया आप का ही है....
रफ़्तार- हाँ सर...मैं पता करवाता हूँ...
आलोक- गुड...तब तक मैं इन लाशो का पोस्टमार्टम करवाता हूँ...देखे क्या पता चलता है...
मैं- सिर...मैं भी आपके साथ चलूं...
आलोक- आप घर जाइए अंकित....पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद लाश आपको मिल जाएगी....अभी आपको इसके घरवालो को भी बताना होगा...ह्म..
मैं- ओके सर...और प्ल्ज़...पता कीजिए कि इसे मारा किसने ....(रफ़्तार को देख कर)- एक बार बस पता चल जाए कि इसमे कौन-कौन शामिल है...तो सालो को नंगा कर के मारूगा....कसम से...
आलोक- ओके..हम जल्दी ही पता करेंगे....आप घर जाइए....
फिर आलोक लाशो के साथ हॉस्पिटल निकल गये और मैं घर निकल आया...
( कॉल पर )
मैं- हेलो...
सामने- मैं ** पोलीस स्टेशन से हवलदार बोल रहा हूँ. ...क्या ये अंकित मल्होत्रा का नंबर. है..
मैं- हाँ...बोल रहा हूँ...कहिए...
सामने- आप तुरंत ** पोलीस स्टेशन आ जाइए....जल्दी...
मैं- ओके...पर बात क्या है..ये तो बताओ..
सामने- आप आ जाओ...पता चल जायगा...
मैं(ब्रेक मार कर)- ओह्ह...अच्छा आपके सीनियर आलोक कहाँ है..उनसे बात कराईए...
सामने- वो किसी काम से बाहर गये है...आते ही होगे...पर आप चले आइए...जल्दी से जल्दी...
मैं- ओके...आता हू...
कॉल कट हो गई....फिर मैने अपने आदमी को कॉल किया बट उसने कॉल उठाया नही...
मैं(मन मे)- ये भी कॉल नही ले रहे....क्या करूँ...ये साला पोलीस का लफडा ही मुझे बुरा लगता है...पता नही क्या हुआ....चलो...जा कर देखते है...जो होगा सो होगा...
और मैने कार पोलीस स्टेशन के लिए दौड़ा दी......
पोलीस स्टेशन पहुँच कर मैं उस हवलदार से मिला...जो मेरा ही वेट कर रहा था....
मैं- हाँ जी ...मैं अंकित मल्होत्रा हूँ...क्या हुआ...
हवलदार- ओह..आ गये आप..चलिए मेरे साथ...
मैं- कहाँ...??
हवलदार- असल मे हमे एक लड़की की लाश मिली है और हमारे साब ने बताया कि उस लड़की को आपके घर देखा गया है...इसलिए आपको सिनाख्त के लिए बुलाया है...
मैं- क्या...लाश ...किसने कहा कि वो मेरे घर की कोई है..मतलब कौन साब है आपके ...??
हवलदार- रफ़्तार सर...
मैं(धीरे से)-ये साला रफ़्तार....हर जगह तगड़ी लगाता है बेन्चोद...
हवलदार- कुछ कहा क्या...??
मैं- नही...कहा है लाश...??
हवलदार- वही पड़ी है...जब तक छानबीन नही होती, हम उठा नही सकते...आलोक सर आएँगे तब उठेगी...
मैं- ओह..आलोक सर...चलिए फिर...
हवलदार- चलिए...आपकी कार से चलते है. .
और फिर मैं हवलदार के साथ निकल गया....
मेरे दिल मे अजीब सी कस्मकश चल रही थी ....
लड़की की लाश...मतलब...नही...वो ना हो...मेरा अंदेशा ग़लत हो तो ठीक....बिना देखे क्यो कुछ सोचु...क्या पता कि उन्हे सिर्फ़ डाउट हो...ग़लत पहचान की हो...हाँ...हो सकता है....पहुँच कर ही पता चलेगा....
और मैं अपने धड़कते दिल को संभाले ड्राइव करता रहा.....
वहाँ पहुँच कर देखा कि इन्स आलोक भी आ चुके थे...
मैं- आलोक सर...ये सब...मुझे यहाँ..
आलोक(बीच मे)- मेरे साथ आओ...
और आलोक मुझे अपने साथ वहाँ पड़ी लाश के पास ले गये...
आलोक- इस आदमी को जानते हो...??
मैं- नही...मैं नही जानता...
आलोक(उसका चेहरा ढक कर)- ओके..अब यहाँ आओ...और इसे देखो....
और फिर आलोक ने ज़मीन पर कार के पास पड़ी लाश से चद्दर हटाई और उसे देख कर मेरे मुँह से ज़ोर से निकल गया...
मैं- रश्मि...........ये कैसे....इसे किसने....?????
इनस्पेक्टर आलोक ने जैसे ही लाश के उपेर से चद्दर हटाई तो चेहरा देख कर ही मेरे मुँह से एक चीख सी निकल गई....
मैं- रश्मि.....
रश्मि की लाश देख कर मेरा माइंड घूम सा गया था....
ये सच था कि मैं उसे सज़ा देना चाहता था...पर मौत ...कभी नही...
मैने सोचा भी नही था कि रश्मि मर जाएगी...वो भी इस तरह...
मैं अपनी आँखो मे सवाल लिए इन्स आलोक को देखने लगा...और आलोक ने कंधे उचका कर बता दिया कि उन्हे भी कोई अंदाज़ा नही कि ये कैसे हुआ...
लाश को ढक कर आलोक मेरे पास आए और तसल्ली देने को मेरे कंधे पर हाथ रख दिया...
मैं- हाँ...सर...ये सब कैसे हुआ...कब हुआ ..
आलोक- वैसे पूरी सच्चाई तो नही पता पर शायद ये आक्सिडेंट आज शाम के टाइम ही हुआ है...
आलोक मुझे समझा ही रहे थे कि वहाँ रफ़्तार सिंग आ गया ..
रफ़्तार- सॉरी सर...लेट हो गया...
और जैसे ही रफ़्तार ने मुझे देखा तो घूर कर बोला...
रफ़्तार- तुम यहाँ कैसे...हा ..
आलोक(बीच मे)- मैने बुलाया अंकित को...क्योकि ये लड़की इन्ही के घर काम करती थी...
रफ़्तार(मुझे देख कर)- ओह...कमाल है...आज-कल जो भी पंगा होता है...उसमे तेरी फॅमिली ज़रूर शामिल होती है...हाँ...
मैं गुस्से मे कुछ बोलने ही वाला था कि आलोक बीच मे बोल पड़ा....
आलोक- रफ़्तार सिंग ...बेहतर होगा कि अपने काम पर ध्यान दो....
रफ़्तार ने आलोक की बात सुन कर एक-एक कर के लाषो को चेक किया और बोला....
रफ़्तार- ह्म्म...मुझे तो लगता है कि ड्रिंक आंड ड्राइव का मामला है...पिए हुए होगी...
आलोक- रफ़्तार....
रफ़्तार- हाँ सर...बदबू सॉफ बता रही है कि दोनो पिए हुए है...
मैं- क्या बक रहे हो...रश्मि..
आलोक(बीच मे)- अंकित....तुम चुप रहो...और रफ़्तार...बदबू तो शराब उपेर से डालने पर भी आती है...और शायद मैं सही हूँ...ये शराब उसी ने डाली जिसने इन्हे मारा...
रफ़्तार- मारा...पर ये तो आक्सिडेंट है...
आलोक- लगता है तुम पोलीस का काम भूल चुके हो रफ़्तार....बिना देखे ही बोल दिया ...हाँ...
रफ़्तार- क्या मतलब सर...
आलोक- शायद तुमने इस कार को और लाश को गौर से नही देखा....वरना समझ जाते...
रफ़्तार- क्या सर...मैं समझा नही..मैने क्या नही देखा ..
आलोक- सबसे पहले कार को देखो...इसे देख कर सॉफ पता चलता है कि कार को पीछे से कई टक्कर मारी गई है...
रफ़्तार- ह्म्म...सही कहा...पर हो सकया है कि कार की ब्रेक लगी हो और पीछे वाली कोई कार टकरा गई होगी...और फिर नीचे गिर गई. .ये तो आक्सिडेंट ही हुआ ना....
आलोक- हो सकता था...पर तुम उस लड़की की लाश देखो..उसके गले मे घाव है...जो एक चाकू या खंजर से हुआ है...
रफ़्तार(सकपका कर)- घाव....मैने शायद...सॉरी ध्यान नही दिया...
आलोक- ह्म्म्मर..और उस आदमी की बॉडी देखो...उसके सीने मे भी गोली लगी है...
रफ़्तार- पर सर...कोई इनका मर्डर कर के इन्हे यहाँ क्यो लायगा...आइ मीन ये आक्सिडेंट की क्या ज़रूरत ...
आलोक- ज़रूरत ...मिस्टर.रफ़्तार, कातिल अपने आप को बचाने के लिए बहुत सी तिकड़म करते है...
रफ़्तार- हो सकता है सर...पर ये किया किसने होगा...
आलोक- आप बताओ...
रफ़्तार(सकपका कर)- म्म..मैं..क्यो..
आलोक- ये एरिया आप का ही है....
रफ़्तार- हाँ सर...मैं पता करवाता हूँ...
आलोक- गुड...तब तक मैं इन लाशो का पोस्टमार्टम करवाता हूँ...देखे क्या पता चलता है...
मैं- सिर...मैं भी आपके साथ चलूं...
आलोक- आप घर जाइए अंकित....पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद लाश आपको मिल जाएगी....अभी आपको इसके घरवालो को भी बताना होगा...ह्म..
मैं- ओके सर...और प्ल्ज़...पता कीजिए कि इसे मारा किसने ....(रफ़्तार को देख कर)- एक बार बस पता चल जाए कि इसमे कौन-कौन शामिल है...तो सालो को नंगा कर के मारूगा....कसम से...
आलोक- ओके..हम जल्दी ही पता करेंगे....आप घर जाइए....
फिर आलोक लाशो के साथ हॉस्पिटल निकल गये और मैं घर निकल आया...