Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 59 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

रिचा के घर.........

जैसे ही रिचा ने गेट खोला तो मैने एक करारा थप्पड़ जड़ दिया उसे.....

रिचा- त्त्त...तुम...पर...मारा क्यो....????????????????

इतना बोलते ही रिचा के गाल पर एक और थप्पड़ पड़ा और रूम मे थप्पड़ की आवाज़ गूँज उठी....

""कककचहााआटततटत्त्ताआआक्कककककककक.......""

रिचा थप्पड़ खा कर डर तो गई थी...फिर भी गुस्सा दिखाते हुए बोल पड़ी....

रिचा- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की...हाअ...

इतना बोलते ही रिचा के गालो पर 3-4 थप्पड़ और पड़ गये ....और फिर रिचा रोते हुए गिडगिडाने लगी.....

रिचा- बस करो...प्ल्ज़....बस करो अंकित....प्ल्ज़....

मैं- अब अकड़ कम हुई कि नही....

रिचा- मुझे क्यो मार रहे हो...मैने क्या कर दिया...सब तो बता दिया....

मैं- अभी भी नही समझी....लगता है थोड़ी और मार चाहिए तुझे....

फिर मैने हाथ उठाया ही था तो रिचा लगभग पैरों मे गिरते हुए गिडगिडाने लगी....

रिचा- नही अंकित...प्लीज़...मारना मत...पर ये तो बता दो कि मैने किया क्या है...प्लज़्ज़्ज़्ज़.....

मैं- तो तू मेरे मुँह से ही सुनना चाहती है...हाँ...

रिचा- प्ल्ज़....बताओ ना...क्या ग़लती कि मैने....

मैं- तेरी ग़लती तो तुझे बताउन्गा ही...उससे पहले तू सरफ़राज़ को कॉल करेगी....वो भी मेरे सामने....अभी...

रिचा(डरते हुए)- क्क़..क्या...नही-नही...ऐसा मत बोलो....उसे ज़रा भी शक हो गया तो वो मुझे छोड़ेगा नही....

मैं- अच्छा....और अगर तूने मेरी बात नही मानी ...तो तेरे साथ तेरी बेटी को भी नही छोड़ूँगा....अब सोच ले....तू अकेले जाएगी या बेटी को ले कर....

रिचा- न...नही..मेरी बेटी को कुछ मत करना...उसकी तो कोई ग़लती भी नही...वो तो कुछ जानती भी नही...

मैं- ह्म्म..तो अब कॉल कर....

रिचा- अगर उसे शक हुआ तो...

मैं- तो तेरी बेटी बच जाएगी...तू अकेले मरना....अब कॉल कर....जल्दी...और जो मैं कहता हूँ...वो बोल...

फिर मैने रिचा को सब समझा दिया कि उसे क्या बात करनी है...और फिर ...मेरे कहने पर रिचा ने लाउड स्पीकर ऑन कर के सरफ़राज़ को कॉल किया....

( कॉल पर )

सरफ़राज़- हेलो....

रिचा- ह..हेलो ...कहाँ हो...

सरफ़राज़- इससे तुझे क्या....तू ये बता कि मेरे मना करने पर भी तूने कॉल क्यो किया....

रिचा- वो...वो मुझे ज़रूरी काम था...

सरफ़राज़- अच्छा...तो बोल..क्या काम आ पड़ा ..

रिचा- वो...वो अंकित...

सरफ़राज़(चौंक कर)- अंकित...अंकित का क्या हुआ....

रिचा- कुछ नही...पर वो यहाँ आया था...

सरफ़राज़- तेरे घर...पर किस लिए...कहीं कुछ गड़बड़ तो नही हुई ना...

रिचा- नही...गड़बड़ नही...वो तो बस...

सरफ़राज़- रुक क्यो गई...बस क्या...किस लिए आया था...

रिचा(मुस्कुरा कर)- मेरे हुश्न के दीदार के लिए...हहहे....

सरफ़राज़- ओह...तू तो है ही ऐसी चीज़..जिसके मुँह लग जाए वो पीछा नही छोड़ता...पर इसमे कॉल करने की क्या ज़रूरत थी....

रिचा- अरे नही...कॉल तो इसलिए किया...क्योकि मुझे लग रहा है कि उसे कुछ शक हो गया...शायद तुम पर...

सरफ़राज़- क्या मतलब...मुझ पर कैसे होगा...ऐसा क्यो लगा तुम्हे...बोलो...

रिचा- ज़्यादा तो कुछ नही बोला...पर बोल रहा था कि उस ट्रिप पर सम्राट ने जो हमला करवाया....उसमे किसी अपने का हाथ था...ट्रिप मे जो उसके साथ थे...उनमे से कोई...

सरफ़राज़- क्या बकती हो...वो तुमसे क्यो कहेगा...

रिचा- क्योकि वो मुझे अपना मानता है...इसलिए...

सरफ़राज़- अच्छा...पर तुझे तो पता है ना कि उस हमले से मेरा कोई लेना देना...

रिचा- सच बोलो...मुझसे तो झूट मत बोलो...

सरफ़राज़- झूठ...मैं झूठ क्यो बोलने लगा....अगर मैं उसे मारना चाहता तो कब का मार देता...पर सिर्फ़ उसकी दौलत हथियाने के लिए उसे और उसके बाप को जिंदा छोड़ रखा है...तू जानती तो है...

रिचा- ह्म्म...दौलत ले कर क्या करोगे...हाँ...

सरफ़राज़- दौलत तो तुम सब के लिए है...मैं तो बस उसके खानदान के हर सख्श को एक साथ जला कर मारना चाहता हूँ...

रिचा- जला कर क्यो...??

सरफ़राज़- भूल गई क्या...मेरी फॅमिली जल-जल के मरी...मेरे अब्बू, अम्मी..भाई...सब जल गये....इसलिए आज़ाद की फॅमिली के बचे हुए लोग जल कर ही मरेगे...उसी तरह...

रिचा- ठीक है...जो करना है करो....बस संभाल कर करना...ओके...


सरफ़राज़- तू ज्ञान मत दे...और अब मुझे कॉल मत करना...और हाँ...अपने काम पर ध्यान दे...बाइ...

रिचा- बाइ...

कॉल कट होते ही रिचा ने मेरी तरफ देखा और बोली...

रिचा- सुन लिया....अब बोलो...मैने क्या ग़लत कहा था....मुझे क्यो मारा....

मैं- क्योकि मुझे लगा कि तुमने झूठ बोला है...

रिचा- अच्छा...अब तो सुन लिया ना....मैने जो कहा था...वो सब सच था....एक-एक बात सच थी...

मैं- ह्म...

रिचा- अब भी कोई शक है तो मार दो मुझे ...पर मेरी बेटी को कुछ मत करना....

मैं- ह्म्म ..कोई शक नही...मैं चलता हूँ....और तुम्हारी बेटी जल्दी आ जाएगी...डोंट वरी....

फिर मैं वहाँ से निकल गया....पर मेरे माइंड मे उथल-पुथल मच गई थी...

समझ मे नही आ रहा था कि किसकी बात को सच मानु....रिचा की, बहादुर की या सरफ़राज़ की....

रिचा कहती है कि मेरे दादाजी की वजह से अली की बीवी ने सुसाइड की...फिर मेरे दादाजी ने अली और उसके बेटे को जिंदा जला दिया....

सरफ़राज़ भी यही कहता है कि उसकी फॅमिली जल कर मरी...और उसका ज़िम्मेदार वो हमारी फॅमिली को मानता है...मतलब रिचा सच बोल रही है....

पर बहादुर ने बताया कि ऐसा कुछ हुआ ही नही...अली की फॅमिली तो मेरे डॅड के वापिस आने के पहले ही ख़त्म हो चुकी थी...पर उसने भी वजह आग ही बताई....

एक बात तो पक्की है कि अली की फॅमिली आग से मरी...पर क्या वो आग किसी ने लगाई थी...या अपने आप लग गई....

क्या मेरे दादाजी इतने गिरे हुए है कि अपने दोस्त की फॅमिली को जिंदा जला दिया...वो दोस्त जो उनको अपनी जान से बढ़ कर मानता था....या इस आग मे भी कोई राज है....

कुछ भी हो...पूरा सच जाने बिना मैं किसी को ज़िम्मेदार नही मान सकता....

पर पूरा सच पता कैसे चलेगा....कौन बता सकता है कि असल मे हुआ क्या था....कौन....?????

मैं अपनी सोच मे डूबा ड्राइविंग कर ही रहा था कि मेरा फ़ोन बजने लगा....ये रक्षा का कॉल था....

आज जबसे मैं रिचा के घर आया...तब से ले कर अब तक रक्षा के कम से कम 50 कॉल आ चुके थे...

मैं(मन मे)- इस साली को क्या हुआ...एक तो वैसे ही दिमाग़ घूम गया और उपेर से ये....

मैने कॉल कट कर दी...पर थोड़ी ही देर मे फिर से कॉल आ गया....

मैं(चिल्ला कर)- क्या है...क्यो परेशान हो..हाँ...

रक्षा- आप जल्दी से रूबी के घर आ जाओ भैया...बहुत ज़रूरी बात है...

इससे पहले कि मैं कुछ कहता ...कॉल कट हो गई...

मैं- इन दोनो को ज़्यादा ही गर्मी है...आज मैं ऐसा हाल करता हूँ कि फिर मुझे बुलाने से पहले 10 बार सोचेगी...

एक तो दिमाग़ भन्नाया हुआ है...और उपेर से ये दोनो....चलो...इनकी गान्ड मे सारा गुस्सा निकालता हूँ....

और मैने रूबी के घर की तरफ कार दौड़ा दी......
 
रिचा के घर.........

मेरे जाने के बाद रिचा के चेहरे पर एक अजीब सी चमक आ गई थी....जो उसकी कामयाबी की थी....

रिचा अपनी कामयाबी पर बेहद खुश थी....अब उसे यकीन हो गया था कि उसकी बेटी जल्दी ही सही-सलामत उसके पास आ जाएगी....

फिर रिचा ने एक कॉल लगाया...उसके दूसरे बॉस को....

( यहाँ दूसरे बॉस को बॉस 2 लिख रहा हूँ )

( कॉल पर )

बॉस2- कितनी बार कहा कि मुझे कॉल मत किया करो...समझ नही आता क्या....

रिचा- अरे...बहुत ज़रूरी बात थी...वरना मैं कभी नही करती...

बॉस2- हुह...तो बोलो...क्या ज़रूरी बात है...

रिचा- आज तुम्हारे जाने के बाद अंकित आया था...

बॉस2- अंकित....किस लिए....

रिचा- बताती हूँ...सुनो....

और रिचा ने अपने और अंकित के बीच हुई सारी बातें बता दी....रोया की किडनॅपिंग से ले कर अली के फ्लॅशबॅक तक ..सब कुछ....

बॉस2- ओह गॉड...ये अंकित इतना शातिर निकला....तेरी बेटी को ही उठा लिया....

रिचा- हाँ...हमने कभी सोचा भी नही था कि ये इतना ख़तरनाक निकलेगा...

बॉस2- ह्म्म..पर अब ये सोचो कि अगर उसे सच्चाई पता चली तो तेरी बेटी का क्या होगा...और फिर तेरा...हाँ ..

रिचा- ये डर तो मुझे भी था...पर सरफ़राज़ की बात सुनकर अंकित को कोई शक नही रहा....अब वो सिर्फ़ सरफ़राज़ के पीछे जायगा....

बॉस2- ये अच्छा हुआ...पर कहीं सरफ़राज़ ने मुँह खोल दिया तो...उसे तो तेरी सारी हिस्टरी पता है...बस वो पता नही जो मुझे है...हाहाहा....

रिचा- जानती हूँ....इसी बात का तो फ़ायदा उठाया तुमने...नही तो...

बॉस2- नही तो क्या...सुन...मेरे सामने झुक कर ही रहना...वरना मेरा मुँह खुल जायगा...और फिर अंकित के साथ-2 , सरफ़राज़ भी तेरे पीछे लग जायगा....जानती है ना...

रिचा - जानती हूँ....पर ये छोड़ो...मेरी बात सुनो....आज मुझे ये बताओ कि तुम अंकित के पीछे क्यो पड़े हो...

बॉस2- कितनी बार बोला की टाइम आने पर बताउन्गा....अभी नही...

रिचा- पर वो टाइम कब आएगा..

बॉस2- बहुत जल्दी...बस आकाश की प्रॉपर्टी मिलते ही सब सामने आ जायगा....कोई भी पर्दे के पीछे नही रह पायगा....ना सरफ़राज़...और ना मैं....

रिचा- फिर...उसके बाद क्या....

बॉस2- फिर...फिर अंकित की फॅमिली खल्लास और तेरे गले की हड्डी सरफ़राज़ और रेणु भी ख़त्म....ओके..

रिचा- ह्म्म्मत...पर मेरी बेटी के आने के पहले कुछ मत करना...प्ल्ज़्ज़...

बॉस2- डोंट वरी...मेरी एक्शन को अभी टाइम है....तब तक शायद अंकित या सरफ़राज़ मे से एक ही बचेगा...और उसे हम मिटा देगे...ओके...

रिचा- ओके....और सूनाओ...

बॉस2- और की बच्ची...अब फ़ोन रख...मुझे काम है...तेरी तरह फ्री नही बैठा...

रिचा- हाँ...तुम बड़ा काम करते हो...वो आदमी क्या देखने को लगाए हो..हुउः...चलो बाइ...

और रिचा कॉल कट कर के सोचने लगी कि कही उसकी सच्चाई अंकित या सरफ़राज़ को पता चल गई तो उसका क्या होगा......
 
रूबी के घर...........


मेरे कार रुकते ही रूबी का गेट खुल गया और गेट खोलते ही रक्षा मुझे खीच कर अंदर ले गई...

मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था...पर मैं कंट्रोल किए रहा...

मैं- अब बोलो...क्यो परेशान हो...

रक्षा- आपको तो हमारा ख्याल ही नही...एक तो हमे इसकी आदत डाल दी और अब देखते भी नही...

मैं- अच्छा...सब मेरा ही कसूर है...ये नही कहती कि तुम दोनो की चूत ही फड़फदा रही थी....

रक्षा(मेरे सीने से लग कर)- यही सही....पर अब आप ही हमारी चूत की तड़प मिटा सकते हो...

मैं(मन मे)- ह्म...आज ऐसी तड़प मिटाउन्गा की तड़पना भूल जाओगी...

रक्षा- भैया...अब प्यास भुजा भी दो ना...

मैं- ह्म्म..तो आओ..दोनो मुझे तैयार करो...फिर फाड़ता हूँ तुम दोनो की....

मेरे कहते ही रूबी भी मेरे पास आ गई और दोनो ने मिल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड और बॉल्स को बारी-बारी चूस -चाट कर खड़ा करने लगी......
रक्षा-उउउम्म्म्म...उूुुउउम्म्म्मम...उूुउउंम्म...उूउउम्म्म्म....

रूबी- सस्स्रररुउउउप्प्प्प...सस्स्रररुउउउप्प्प...उूउउम्म्म्ममम...आहह...सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउम्म्म्म.....

थोड़ी देर मे ही दोनो ने मेरे लंड को पूरा तैयार कर दिया......

मैं- अब ज़रा अपनी गान्ड तो दिखाओ...आज तुम दोनो की गान्ड फाड़ुँगा....जल्दी...

मेरे कहते ही दोनो नीचे से नंगी हो गई और कुतिया बन कर अपनी गान्ड दिखाने लगी...
मैं- ह्म्म्मर...तो पहले रूबी की फटेगी...इसकी थोड़ी छोटी लग रही है...आज रूबी....

रक्षा- हाँ भैया....फाड़ ही दो इसकी मरी जा रही थी कब्से....

मैं फिर रूबी के पीछे आया और दो धक्के मार कर लंड को रूबी की गान्ड मे डाल दिया...
रूबी- आआअम्म्म्मममिईीईईईईई.........आाऐययईईई....

रक्षा- अब चिल्ला....तेरी अम्मी आ गई तो उनकी भी ऐसे ही फटेगी...क्यो भैया....

मैं- ह्म्म..बुला ले अम्मी को....यही फाड़ दूँगा....

रूबी- आअहह....उनकी बाद मे....पहले मेरी....आआहह...

और मैने कमर पकड़ कर ज़ोर दार ठुकाई सुरू कर दी....

रूबी- आअहह...मम्मी...देखो कैसा तगड़ा लंड है....देखो...आऐईइ...

रक्षा- हाँ आंटी....आप को बहुत मज़ा आएगा.....मन भर के चुदवाओगी....हहहे ...

थोड़ी देर तक मैं रूबी की गान्ड मारता रहा और रक्षा उसकी चूत मसल्ति रही....जिससे रूबी झड़ने लगी....

रूबी के झाड़ते ही मैने रूबी को हटा कर रक्षा को कुतिया बनाया और उसकी गान्ड मे एक ही धक्के मे लंड उतार दिया....
रक्षा- आआआ...बभहाऐयय्य्ाआआअ .....

रूबी- अब पता चला साली....अब मज़ा ले...ह्म्म्मष...

रक्षा- भैया...आआहह...मार दिया आपने तो...आआहह....

मैं- रूबी....इसकी चूत चूस...मैं इसकी फाड़ता हूँ. .

और मैने रक्षा की जोरदार गान्ड चुदाई सुरू कर दी....

रक्षा- आअहह...भैया....उउउंम्म..आहह...आअहह....

थोड़ी देर बाद रक्षा भी झाड़ गई....तो मैने रूबी को लिटा कर एक बार फिर से उसकी गान्ड मारना सुरू कर दी...
रूबी- आअहह...अम्मी...देखो ना....कितना बढ़ा लौडा है...आअहह....मज़ा आ गया ...उउउंम्म...

रक्षा- तू चुद ले फिर आंटी भी ले लेगी...क्यो भैया...आंटी को चोदोगे....

मैं- अभी बुला दे....चोद दूँगा उसे भी ...ईएहह.....

थोड़ी देर बाद रूबी दुबार झड गई और मैं रक्षा की गान्ड मारने लगा.....
रक्षा- आहह...आज तो...आअपँे....आहह....क्या हुआ...आआहह...

मैं- चुपचाप मज़े ले....यीहह...यीहह...ईएहह..

थोड़ी देर बाद रक्षा फिर से झड गई....और मैं भी झड़ने वाला था...

मैने गान्ड से लंड निकाला तो दोनो मेरे सामने मुँह खोल कर बैठ गई और मैने लंड रस की पिचकारी मार कर दोनो की प्यास बुझा दी...

मैं- अब खुश हो...अब मैं चलूं...

रक्षा-नही...अभी नही....

मैं- क्यो...

रूबी- एक खास काम है आपसे...

और दोनो हँसने लगी....

मैं- तो जल्दी बोलो ना....

पर इससे पहले कि रक्षा कुछ बोलती....मेरा फ़ोन बज उठा....ये फ़ोन ऑफीस से आया था....

मैं- हेलो....क्या हुआ...

सामने- आप ऑफीस आ जाओ...ज़रूरी काम है...

मैं- ओके..आता हूँ...

रक्षा- भैया....पर हमारा काम...

मैं- ह्म..अगर जल्दी फ्री हुआ तो आज ही आउगा...वरना फिर कभी...ओके..

रूबी- आज ही आ जाना प्ल्ज़ ...

मैं- ओके...आइ विल ट्राइ....

थोड़ी देर बाद मैं रेडी हुआ और वहाँ से निकलने लगा....तभी मुझे ऐसा लगा कि कोई मुझे देख रहा है....

जब मैं पीछे मुड़ा तो वहाँ कोई नही था...पर मेरे सामने एक पिक्चर लटकी हुई थी...दूर, अंदर वाले रूम की दीवाल पर...

मुझे वो पिक्चर कुछ जानी-पहचानी लगी....मैं पास जा कर देखता...पर मुझे जाना था....

मैने सोचा कि बाद मे देख लूँगा और वहाँ से निकल गया.....
 
ऑफीस मे.....................


ऑफीस मे आते ही मुझे अक्कौंटेंट ने आज सुबह की सारी बात बता दी...जो सुजाता और डॅड के साथ हुई थी.....

ए/सी- सर...अब बताइए...मैं क्या करता ..

मैं- आपने ठीक किया....उसे मैं देख लूँगा...और हाँ...अगली बार वो आए तो कह देना कि ये मेरा ऑर्डर है कि कोई भी वो फाइल मेरी मर्ज़ी के बिना नही देख सकता...

आ/सी- पर फाइल तो आकाश सर ले गये...

मैं- ओह्ह...डोंट वरी...वो नकली है...असली अपनी जगह सेफ है....चलो...आप अपना काम करो...मैं बाकी देख लूँगा..

सुजाता की हरकते सुनकर मुझे गुस्सा आ गया...पर मैं बिना उसकी असलियत जाने कुछ नही करने वाला था...

पर अभी उससे बात तो करनी ही होगी...पता तो चले कि उसके माइंड मे अब कौन सा प्लान है...

यही सोच कर मैं घर आ गया...जहा सुजाता और डॅड बैठे हुए बातें कर रहे थे...

मुझे देखते ही वो ऐसे चुप हो गये जैसे साँप सूंघ गया हो...और फिर डॅड वहाँ से उठ कर निकल गये...

सुजाता(बनावटी मुस्कान के साथ)- अरे अंकित...आओ बेटा....हम अभी तुम्हारे बारे मे ही बात कर रहे थे...आओ बैठो...

मैने भी चेहरे पर स्माइल बिखेरी और जा कर सुजाता के बाजू मे बैठ गया...और उसकी नरम जाघे मेरी जाघो से सट गई....

मैं- आहह...तो आंटी...आज क्या किया आपने दिन भर...

सुजाता- कुछ ख़ास नही...बस यू ही घूमती रही...तुम्हारे डॅड का ऑफीस...

मैं- आपका मतलब मेरा ऑफीस...है ना...

सुजाता(सकपका कर)- हाँ...हाँ...तुम्हारा ही ऑफीस...बस वही घूम लिया...

मैं- ओह्ह...और काफ़ी हंगामा भी कर लिया...है ना...

मैने सुजाता की आँखो मे देख कर बोला तो वो हैरान रह गई...उसके मुँह से एक लब्ज नही निकला...बस आँखे फाडे मुझे देखती रही....

मैं- क्या हुआ...ऐसे क्या देख रही हो आंटी....

सुजाता- मैं वो...वो ऐसा हुआ कि...

सुजाता कुछ सोच पाती उसके पहले उसका फ़ोन बजने लगा....और उसे राहत मिल गई...

सुजाता(मन मे)- बच गई....(मुझसे)- बेटा मैं बात कर लूँ...फिर बताती हूँ...

और इतना बोल कर सुजाता अपनी गान्ड मटकाते हुए रूम मे निकल गई...

मैं(मन मे)- जा साली....और सोच कर आना कि बोलना क्या है....

फिर मैं पारूल के पास चला गया....जहा पारूल बेड पर औंधी लेटी हुई कुछ पढ़ रही थी...पर बुक उल्टी पकड़ी थी...

मैं- पारूल...ये क्या....उल्टी बुक...

पारूल- अरे भैया...वो मैं तो बस एक पिक्चर देख रही थी...जो उल्टी देखने पर समझ आ रही है...

मैं- ह्म्म...उल्टा समझ मे आ जाता है क्या...

पारूल- भैया...समझने की नज़र चाहिए....उल्टा हो या सीधा...और वैसे भी...हम अपने आप को आईना देख कर ही समझ पाते है कि कैसे लग रहे है....जबकि हम आईने मे उल्टे ही होते है ना...

मैं- बात तो सही कही...कभी -2 उल्टी तस्वीर बहुत कुछ बोल जाती है..जो सीधी भी ना बोल पाए. .

पारूल- ह्म्म..

मैं- अच्छा...अब ये बुक रखो और रेस्ट करो...और शाम तक हिलना भी मत....

फिर मैं पारूल को रेस्ट करता छोड़ कर अपने रूम मे आ गया...और फिर से रिचा, सरफ़राज़ और बहादुर की बातों को सोचने लगा.....
मैं अपने रूम मे बैठा अपनी सोच मे खोया हुआ ही था कि सुजाता आ गई....

सुजाता- हेलो...मैं आ सकती हूँ...

मैं- हाँ आंटी..आइए...

सुजाता- ह्म्म...तो अब बताओ...क्या बोल रहे थे...अपनी बात अधूरी रह गई थी ना...

मैं- ह्म्म..पर कहना तो आपको था...आपने ऑफीस मे क्या कहा था...और क्यो....

सुजाता- ह्म्म..वो तो बस ऐसे ही...आज कल के एंप्लायी ठीक से काम नही करते तो उन्हे टाइम -टाइम पर हड़काना पड़ता है ....

मैं- वो तो है...पर उसके लिए डॅड है...मैं हूँ...आपको तकलीफ़ करने की क्या ज़रूरत थी...और फिर आपने प्रॉपर्टी के पेपर्स मागे ही क्यो...उससे आपको क्या मतलब...

सुजाता- वो...वो तो तुम्हारे डॅड ने माँगे थे...मैने तो बस....

मैं- चुप क्यो हो गई...आपने तो बस यही कहा था ना कि ये प्रॉपर्टी मेरे नाम क्यो है...है ना....

सुजाता- देखो बेटा...मुझे ग़लत मत समझो...मैं तो बस पूछ रही थी कि आकाश ने ऐसा क्यो किया....बाकी उसकी मर्ज़ी...सब उसी का है...

मैं- ह्म्म्मो..सब मेरा भी है....है ना...

सुजाता- ह्म्म...पर तुम्हारे नाम पर सब देख कर सब यही बोलेगे ना कि बेटे ने ऐसा क्यो किया ....तुम्हे नही लगता...

मैं- हो सकता है...पर अब कर क्या सकते है...ये तो हो ही गया ना...

सुजाता- हो सकता है बेटा ..तुम सब कुछ अपने डॅड के नाम ही कर दो...

मैं- ह्म्म..और इससे क्या होगा...

सुजाता- इससे लोग यही बोलेगे की कितना प्यारा बेटा है...डॅड के होते हुए कुछ अपने नाम नही किया...फिर तो ये तुम्हारा ही है ना....

माओं- ओके आंटी....सोचता हूँ...

सुजाता- सोचना क्या...मैं तो कहती हूँ कि....

तभी मेरा फ़ोन बज उठा ..ये रक्षा का कॉल था....और मैने सुजाता को रोक कर बात करनी सुरू की...
 
रक्षा- भैया...अगर फ्री हो तो आ जाओ ना...बहुत खास काम है...

मैं- काम है या फिर...ह्म्म्मr..

रक्षा- नही भैया..सच मे खास काम है...आप आइए तो सही...अगर मेरी बात झूठ निकले तो पनिश कर देना...ओके...

मैं- ओके...आता हूँ....

कॉल कट होते ही सुजाता बोल पड़ी...

सुजाता- तो मैं कह रही थी की...

मैं(बीच मे)- सॉरी आंटी...बाद मे....मुझे अर्जेंट काम से जाना है....ओके...बाइ...

और मैं रूबी के घर निकल गया....और सुजाता मन ही मन मुझे गाली देते हुए माथा पीट ती रही.......

रूबी के घर.........

मैं जब रूबी के घर पहुँचा तो रूबी और रक्षा फिर से मुझसे चिपकने लगी...

मैं(गुस्से से)- तुम दोनो को हो क्या गया है....झूठ भी बोलने लगी...

रक्षा- हमने क्या झूठ बोला...

मैं- अच्छा...तुमने बोला कि खास काम है...और यहाँ आते ही तुम दोनो फिर से....क्या है ये...

रक्षा- नही भैया...हमने कोई झूठ नही बोला...सच मे कुछ खास है...

रूबी- हाँ भैया....आपक्क याद है ना...मैने आपसे कहा था कि आपके लिए कुछ खास है पास...

मैं- हाँ याद है...पर वो है क्या...ये तो बताओ...

रक्षा- बताते है भैया...पहले थोड़ी मस्ती हो जाए...

मैं- तुम मुझे अब गुस्सा दिला रही हो...

रूबी- नही भैया....बस 5 मिनट हमारी बात मान लीजिए फिर आपको सब समझ आ जायगा....

मैं- ओके..सिर्फ़ 5 मिनट...उसके बाद मैं कुछ नही सुनुगा....

रक्षा- ओके...तो आप 5 मिनट हमे अपने मन की करने दो फिर जो आपको सही लगे...ओके...

मैं- ह्म..ठीक है...5 मिनट...टाइम स्टार्ट नाउ...

मेरे कहते ही दोनो मेरा पेंट निकाल कर लंड आज़ाद कर दिया और बिना देर किए उसे तैयार करने लगी...

मैं- ये..ये क्या...फिर से....

रक्षा- उउउंम..आअहह...5 मिनट हमारे है....उूउउम्म्म्म...उउंम्म..

दोनो ने कुछ ही देर मे रंडियों की तरह लंड चूस -चूस कर खड़ा कर दिया....

मैं- आअहह....क्या कर रही हो....अब मेरा मूड बनने लगा है...

रक्षा- उउउंम्म.....उउम्म्मह....बनने दो ना...

मैं- सोच लो....मैं तुम दोनो का बुरा हाल कर दूँगा....

रूबी- उउउम्म्मह....उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी....

मैं- क्या मतलब....???

रूबी- वहाँ देखो भैया....आपका मूड बनाने का साधन....


रूबी की बात सुन कर मैने एक तरफ देखा तो वहाँ एक औरत खड़ी हुई थी....मेरे देखते ही वो शरमा कर नीचे देखने लगी....

मैं- ये...ये है कौन...

रूबी- उउउंम्म...आओ अम्मी...अब ये आपका है...

मैं(चौंक कर)- अम्मी ....ये तेरी अम्मी है....पर ये यहाँ...कैसे...

रूबी- ये इनका ही घर है भैया....यही रहती है...

मैं- वो तो ठीक है पर..इस वक़्त....आख़िर ये चल क्या रहा है...

रक्षा- उउउंम्म...उउम्म्मह...मैं बताती हूँ....असल मे आंटी आपके हथ्यार की दीवानी हो गई है...और वो...

मैं(बीच मे, चिल्ला कर)- रक्षा...तुमने मुझे समझ क्या रखा है...कॉल बॉय...और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब सोचने की भी...

मेरी जोरदार आवाज़ सुन कर रक्षा सहम गई...रूबी का चेहरा भी उतर गया...और रूबी की अम्मी भी मुझे उदासी भरी नज़रों से देखने लगी....

मैं- बोलो...क्या है ये सब....बोलो...

रूबी- एम्म..मुझे लगा कि आपको ये पसंद आएगा...पर आप तो...

मैं- पसंद की बात नही...पर ये सब क्यो...

रक्षा- भैया....वो आंटी ने आपको रूबी के साथ देख लिया था...और तभी से...

मैं- तभी से क्या...मन हुआ और बुला लिया...मुझसे पूछा भी नही...हां...

मेरी बात सुन कर रूबी की अम्मी दूसरे रूम मे भाग गई...रूबी भी अपनी अम्मी के पीछे चली गई...

रक्षा- भैया...ये आपने सही नही किया...बेचारी को हर्ट कर दिया....

मैं- चुप कर....तूने मुझे बताया क्यो नही...और ये रूबी...अपनी ही माँ को...

रक्षा- तो उसमे बुरा क्या...उसके डॅड दुबई मे रहते है...और उसकी माँ यहाँ तड़पति रहती है...क्या उन्हे मस्ती करने का हक़ नही...

मैं- है..बिल्कुल है...पर इस तरह से...मुझे बोलती...

रक्षा- वो डर रही थी..इसलिए रूबी से बोला...

मैं- ओह...और वो अपनी माँ चुदवाने को तैयार हो गई...

रक्षा- हाँ...और इसमे बुराई नही...

मैं- तू अपनी माँ चुदवा देती...

रक्षा- वो कहेगी तो चुदवा ही दुगी...

मैं- तू तो बड़ी वाली है...चल छोड़...अब क्या...

रक्षा- आपने आंटी को हर्ट कर दिया...अब क्या...

मैं- ह्म्म..तो मना लेता हू...तुम एक काम करो...उसे यहाँ भेज दो...और कहना कि मेरे साथ खुल कर पेश आए...तभी उन्हे सही सुख मिलेगा..ओक...अब जाओ...और भेजो मेरी नई छमिया को....

रक्षा(मुस्कुरा कर)- अभी भेजती हूँ....
 
रक्षा , आंटी को बुलाने चली गई...और मैं सोचने लगा कि ये सब हो क्या रहा है...करना कुछ था और अब करने कुछ और ही जा रहा हूँ....साली ये सेक्स की भूख बढ़ती ही जा रही है...

मैं वैसे ही बैठा रहा और थोड़ी देर बाद रक्षा, आंटी को ले कर आ गई...

जैसे ही उसने मेरा लंड देखा तो आँखे झुका ली...

मैं- रक्षा...इनसे बोल दो कि मुझे शरमाती औरते अच्छी नही लगती...खुल के आओ और मज़ा लो...

रक्षा- हाँ आंटी...आप खुल के मज़ा लो...मैं और रूबी घूम कर आते है...गेट बाहर से लॉक रहेगा...अब दिल खोल कर चुदवाओ ..हहहे....

रक्षा की बात सुन कर आंटी शर्मा गई...और रक्षा उसे रूम मे छोड़ कर रूबी के साथ घर से बाहर निकल गई...

मैं- ह्म्म्मी..तो अपना नाम तो बता दो आंटी...

सलमा- स...सलमा...

मैं- देखो सलमा...शरमाओ मत...तुम्हे मेरा लंड पसंद है ना...तो आओ और इसे प्यार करो...फिर ये तुम्हे बहुत प्यार करेगा...आओ जल्दी...


सलमा धीरे से मेरे पास आई और बैठ कर लंड थामते ही सिसक पड़ी...

सलमा- आअहह...

मैं- ह्म्म्मी ..पसंद आ गया...अब इसे प्यार करो...दिल खोल कर...जल्दी...टाइम वेस्ट मत करो....

सलमा ने एक नज़र मुझे देखा और फिर अपने गुलाबी होंठो को लंड के टोपे पर रख दिया....

मैं- उउंम्म....एक्सपर्ट लगती हो....थोड़ा जल्दी करना...ह्म्म....

सलमा ने बिना कुछ बोले होंठो को खोला और सुपाडा मुँह मे भर के जीच को लंड के छेद पर घुमाने लगी.....

मैं- ओह्ह्ह....यस.....क्या बात है सलमा....पर अपना टॅलेंट फिर कभी दिखाना....अभी जल्दी करो....उउउंम्म

सलमा ने मेरी बात मान कर आधे लंड को मुँह मे भर कर चूसना सुरू कर दिया.....
सलमा- उउउंम्म.....उूुुउउ...उउउम्म्म्मम..उउउम्म्म्म.....

मैं- ओह्ह..सलमा...चूस लो...ज़ोर से...आआहह...

सलमा- सस्स्रररूउउगग़गग....सस्स्रररुउउउगग़गग....सस्स्रररूउउग़गग.....सस्स्रररुउउउगग़गग....

सलमा पूरा दिल लगा कर मेरे लंड को चूसे जा रही थी....फिर सलमा ने अचानक से लंड को पूरा मुँह मे भरने की कोसिस की...

लेकिन पूरा लंड उसके मुँह मे नही जा पाया...जितना गया उतने को मुँह मे भर के सलमा ने लंड चुसाइ चालू रखी...

सलमा- सस्स्रररुउउउगग़गग....सस्स्रररूउउगग़गग....सस्स्रररुउउउप्प्प्प....

मैं थोड़ी देर तक सलमा से लंड चुस्वता रहा...पर अब लंड को छूट की चाह तड़पने लगी...इसलिए मैने सलमा को रोक दिया.....

मैं- आज चुसाइ बहुत हो गई....पहले वो लड़कियाँ भी कर गई थी...अब चुदाई चालू करे....

सलमा- ह्म्म्मर...पर मेरे बेडरूम मे...

मैं- जहा तुम कहो...पर कुछ खास है क्या...

सलमा- ह्म्म्मर...वहाँ फीलिंग अच्छी आयगी....उसी बेड पर मेरे सोहर चोदते थे...आज कोई गैर भी मुझे वही चोदेगा तो ये मेरे सोहर के मुँह पर तमाचा होगा....

मैं- पर ऐसा क्यो....तुम्हारे सोहर तूमे चोदते नही अब...

सलमा- चोदेगे तो तब , जब आएँगे....वो तो दुबई मे रहता है और मैं यहाँ तड़पति रहती हूँ...महीनो मे आता है और 1 दिन मे ही चला जाता है...उसे मेरी फ़िक्र ही नही...

मैं- ह्म्म..तो चलो....आज तुम्हारे सोहर की कमी पूरी कर दूं...

और फिर सलमा मुझे अपने बेडरूम मे ले आई....

बेडरूम मे आते ही सलमा ने अपनी नाइटी निकाल दी और उसका गोरा बदन मेरी आँखो मे चमक उठा....

एक दम मस्त बॉडी थी सलमा की....हर एक अंग परफेक्ट....और उसकी गान्ड तो...हाए...कयामत थी....इसे तो ज़रूर मारूगा...पर आज टाइम नही...

मैने सलमा को बाहों मे भर के किस किया और उसे बेड पर लिटा दिया...

फिर जैसे ही मैं झुका तो सलमा ने अपनी आँखे बंद कर ली...

मैं- नही सलमा...आँखे खोल कर मज़ा लो...

सलमा ने आखे खोल कर मुस्कुरा दिया और मैने उसके बूब्स चूसना सुरू कर दिया....

सलमा- आआहह.....

मैं- सस्स्रररुउउउप्प्प.....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प्प....सस्स्स्र्र्ररुउउप्प्प...उउउंम्म...

सलमा- आओउउम्म्म्म....आआहह.....

फिर मैं सलमा के बूब्स से नीचे जाकर उसकी चूत तक पहुँचा और उसकी जाघो मे छिपी चूत पर किस कर दिया...

सलमा- आआअहह...उउउंम्म...

मैं- उउउंम्म...मज़ेदार...

मेरा इशारा समझते ही सलमा ने अपनी टांगे खोल कर चूत का जाम पेश कर दिया....

मैने भी देर ना करते हुए सलमा की चूत को चखना सुरू कर दिया....
मैं- सस्स्रररुउउप्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउउ..आआहह....सस्स्रररुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउुउउप्प्प्प...सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प...आअहह....

सलमा- उउउफफफफ्फ़...माअस...आअहह...आअहब...उउउंम्म...ऊहह..माआ....उउउंम्म...उउंम्म...

धीरे-धीरे सलमा चूत चुस्वा कर मस्त होती जा रही थी...उसकी आवाज़े भी बढ़ने लगी थी....

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प्प.....सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....

सलमा- ओह...आअहह...आअहह...हहा....चूसो...आअहह...मज़ा आ गया...आहह...आअहह
 
अब सलमा पूरे मज़े से चूत चुस्वा रही थी और अपनी गान्ड आगे कर के चूत को मुँह मेरे मुँह मे लगाने लगी....

सलमा- अओउंम..तुम सच मे पागल हो..अओउउउंम.....

मैं- सस्स्रररुउउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...उउउंम्म..

मैं सलमा की चूत चूस्ता रहा और सलमा काफ़ी टाइम बाद चूत चुसवाने के एक्साइट्मेंट मे झड़ने लगी....

सलमा- ओह्ह..मैं..आअहह...आऐईयइ...उउंम...उउउंम...आआहह...

मैं प्यार से सलमा की चूत चूस कर पानी पी गया और फिर खड़ा हो गया...

मैं- मज़ा आया ना...

सलमा- हमम्म्म...रूबी ने सही बोला था...तुम जादूँगर हो....पहली बार मे ही अपना बना लेते हो...

मैं- तो जादू के लिए तैयार हो जाओ....

सलमा- मैं अब पूरी तरह से तैयार हूँ...

सलमा ने इतना बोल कर अपनी टांगे खोल दी और मैने भी जाघो के बीच बैठ कर लंड को चूत पर सेट किया और धक्का मारा....

मैने एक धक्का मारा और आधा लंड सलमा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया...

मैं- ये ले...बन गई तू मेरी....सलमा बेगम...

सलमा- आआईयईई....माआररर गगाइइइ......

मैं- बस इतने मे मर गई...अभी तो बाकी है...

और मैने दूसरे धक्के मे पूरा लंड चूत के अंदर डाल दिया...

सलमा- ओह्ह्ह...आमम्मिईिइ....फ़ाआद्ड ..दडिईई....आआहह....

मैं- इतना क्यो तड़प रही हो...तुम्हारी सील नही टूटी.....

सलमा- आहह....सील ही टूटी है...मेरे सोहर का इतना बढ़ा और आअहह...मोटा नही....आआहह...

मैं- ह्म्म्मर..अब आदत पड़ जाएगी...ये बार-बार तेरी चूत मे जायगा....ये लो....

थोड़ी देर बाद जैसे ही मुझे सलमा नॉर्मल लगी तो मैने धक्को की स्पीड बढ़ा दी...
मैं- अब मज़ा कर ...

और मैं ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने लगा...

सलमा- आअहह..आहह..आहह..आहब...आहह...आहह...

मैं- यह..एस्स...एस्स...एस्स..ईएसस...

सलमा- ज़ोर से...ऐसे ही...आहह...आहह.आहह..आहह..

मैं- हा...ये लो...और ज़ोर से लो...यीहह...

सलमा- उउंम..उउंम्म..आअहह...आअहह. ..

थोड़ी देर की जोरदार चुदाई के बाद सलमा झाड़ गई...

सलमा- आहह..आहह..सर...मैं..गई...आअहह...आआअम्म्म्मममिईीईईई......

सलमा के झाड़ते ही वो ढीली पर गई थी...

मैने सलमा की चूत से लंड निकाला और उसे बाहों मे भर लिया और चूमने लगा...

सलमा- उउंम....बहुत मस्त...उउंम..है...रोज पेलना...उउउंम्म..

मैं- हाँ मेरी बेगम...अब तू मेरी है...रूज पेलुँगा...उउंम..

फिर मैने सलमा को कुतिया बनाया तो सलमा ने खुद लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिका लिया....

मैं- गुड...वैसे तेरी गान्ड दमदार है...मारनी पड़ेगी...

सलमा- आज नही....

मैं- ह्म..आज तो मैं भी नही मारूगा...आज तेरी चूत जो सुजाना है...

और मैने सलमा की कमर पकड़ कर एक धक्के मे लंड को चूत मे पेल दिया.......
सलमा- आहह..आहह..आहह..आहह...ज़ोर से...आहह...

मैं- ले सलमा...और ले...आअज तुझे ज़न्नत दिखाता हूँ...

सलमा- आअहह...वो तो लंड देखते ही दिख गई थी...अब तो ज़न्नत से बढ़ कर मज़ा आ रहा है...ऊहह...ऊओ..आमम्मिईिइ...

मैं- अब रोज मज़ा मिलेगा...यीहह..यीहह...ईएह...यययह...

सलमा- आअहह.. आअहह...उउउंम्म...आअम्म्मी.....आहह...पेलो ...और पेलो...आअहह...

सलमा की गान्ड देख-2 कर मैं और जोश मे धक्के मारने लगा और थोड़ी देर बाद ही सलमा और मैं साथ-साथ झड़ने लगे...

सलमा- मेरा हो गया..आआहह ....आअहह...आहह...

मैं- मेरा भी....कहाँ निकालु...

सलमा- अंदर डाल दो ..मैं संभाल लूगी...उउउंम्म..

मैं- तो लो फिर...और मैं सलमा की चूत मे झाड़ गया....

हम दोनो झाड़ कर शांत हो गये और लेट गये....


थोड़ी देर बाद मैं रेडी हुआ और रक्षा को कॉल कर के बुला लिया...गेट जो लॉक था...

फिर जब मैं जाने को हुआ तो दीवाल पर लगी फोटो देख कर मेरा सिर घूम गया...
 
मैं- सलमा...ये..ये फोटो किसकी है...

सलमा- ये...यही तो है मेरे सोहर...जो मुझे याद ही नही करते...हुह..

सलमा की बात सुनकर तो मेरा सिर पूरा चकरा गया...

मैं- ये कैसे हो सकता है...

सलमा- क्या कैसे...

मैं- क्क़..कुछ नही...ये तुम्हारे सोहर ही है ना...

सलमा- हाँ...पर तुम ऐसे क्यो पूछ रहे हो....

मैं- कुछ नही...वैसे इनका नाम क्या है....

सलमा- सरफ़राज़ ख़ान.......

सरफ़राज़ ख़ान , सलमा का पति....?????????????????
सलमा की बात सुनकर तो मेरे माइंड मे एक धमाका सा हो गया था....और ये बात मेरी आँखो से सॉफ पता चल रहा था...जो सलमा ने भी नोटीस कर लिया....

सलमा- क्या हुआ....तुम इन्हे जानते हो क्या...

मैं- नही...बस ऐसा लगा कि कही देखा है पहले....इसलिए...

सलमा- ओह्ह...

तभी गेट खोल कर रक्षा और रूबी भी आ गई...

रक्षा- तो आंटी...कैसा रहा...

सलमा फिर से शर्मा गई और नीचे देखने लगी...

रक्षा- ओये होये...देख तो रूबी...तेरी अम्मी को...ऐसे शर्मा रही है जैसे आज ही सुहागरात हुई है...हहहे ....

रूबी- हहहे .....अम्मी....मज़ा आया ना ....

रक्षा- वो तो आया ही होगा....भैया करते ही ऐसे है...है ना आंटी...

सलमा ने एक नज़र रक्षा को देखा और फिर शर्म से लाल हो गई...

रक्षा- ओह्ह्ह...काश हम साथ मे होते...तो आंटी को अपनी आँखो से देख पाते...

रूबी- ह्म्म...मैं तो अम्मी को सवारी करते देखना चाहती थी...पर...

मैं(बीच मे)-अब बस भी करो....और रक्षा तुम्हे घर चलना है..तो छोड़ दूं...

रक्षा- नही भैया...आप जाओ...आज मैं यही रुक रही हूँ...नई नवेली दुल्हन के साथ...

और फिर से रूबी और रक्षा हँसने लगी...

थोड़ी देर बाद मैं वहाँ से निकल आया...पर मेरा माइंड उसी फोटो पर लगा हुआ था....मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि अब क्या करूँ...

सबसे पहले तो मुझे ये बात हजम ही नही हो रही थी कि सरफ़राज़ ही रूबी का बाप है....

और दूसरी बात ये कि अब मैं अकरम से क्या बात करूँ...क्योकि मैने तो सोचा था कि अकरम से वसीम के बारे मे बात करू...शायद कुछ और पता चले....पर अब मैं कन्फ्यूज़ था...

वसीम ख़ान ही सरफ़राज़ है और सरफ़राज़ ही सलमा का पति भी है...मतलब सरफ़राज़ की दो बीवियाँ है...और दोनो के बच्चे भी...पर क्यो...और कैसे....???

एक ही सहर मे साला दो बीवियाँ पाल रहा है और ये बात किसी को पता नही...कैसे....???

यही सवाल मुझे सबसे ज़्यादा परेशान कर रहा था...और ये भी की ये बात अपने खास दोस्त को बताऊ या नही कि उसका बाप उसे धोखा दे रहा है.....

अपने दिमाग़ मे यही सब सवाल लिए मैं घर पहुँच गया....

रात सुरू हो चुकी थी...पर सबसे ज़्यादा अंधकार मेरे माइंड मे छाया हुआ था....

अब तक मेरी सोच यही थी कि अकरम से बात कर के कोई डिसिशन लूँगा...पर अब मुझे प्लान चेंज करना पड़ेगा...या कुछ और सोचना पड़ेगा....

सुजाता- अरे अंकित....जवाब भी नही दिया...कहाँ खोया है....

सुजाता की आवाज़ सुन कर मैं जैसे नीद से जगा...और मैने देखा की मैं सीडीयों पर खड़ा हूँ और सुजाता नीचे खड़े मुझे आवाज़ दे रही है ...

मैं- हुहन...हाँ आंटी...कुछ कहा क्या....

सुजाता- कहाँ खोया है...

मैं- कही नही..बोलो...

सुजाता- तुम पहले फ्रेश हो जाओ...मैं रूम मे आ कर बात कर लुगी...ओके..

मैं- जी...

फिर मैं रूम मे गया और फ्रेश हो कर सुजाता का वेट करने लगा...

तभी मुझे शीला का कॉल आ गया..पर मैने बहाना कर के उसे कल मिलने का बोल दिया.....

थोड़ी देर बाद सुजाता मेरे कमरे मे आई....और आते ही उसने गेट लॉक कर दिया....

गेट की आवाज़ सुन कर मैने उसे देखा तो मैं देखता रह गया....

आज तो साली ने कपड़े सिर्फ़ नाम के लिए पहने हुए थे....उसने एक पतली सी नाइटी पहनी हुई थी...जो उसकी आधी जाघे दिखा रही थी....साथ मे वो नाइटी सिर्फ़ दो डोरियों के सहारे उसके कंधो से टॅंगी हुई थी...उसका गला भी इतना खुला था कि उसके दोनो बड़े बूब्स मुझे आँख मार रहे थे...कुल मिला कर साली लंड खड़ा करने ही आई थी...


सुजाता- अब मूड ठीक है ...??

मैं(मन मे)- हाँ साली...तूने ही फ्रेश कर दिया....

सुजाता- क्या हुआ...अभी भी सोच मे डूबा हुआ है...

मैं- नही...अब ठीक है...और आपके आने से तो और भी ज़्यादा ठीक हो गया....

सुजाता ने देखा कि मैं उसे देख कर मुस्कुरा रहा हूँ तो वो भी मुस्कुरा दी और आ कर मेरे बाजू मे सट कर बैठ गई....

सुजाता(टाँग को दूसरी टाँग पर चढ़ा कर)- मैं इसलिए ही तो आई हूँ कि तुम्हारा मूड ठीक कर दूं...

सुजाता ने अपनी बॉडी हिला कर मेरी बॉडी से रगड़ दी...उपेर से टाँग पर टाँग चढ़ाने से उसकी नाइटी और उपर हो गई और उसकी जाघ और ज़्यादा चमक उठी...

मैं(जाघ देखते हुए)- ह्म्म...सही किया आपने..मुझे मूड फ्रेश करने के लिए इसी की ज़रूरत थी....

सुजाता- ह्म्म..अच्छा बताओ...क्या प्राब्लम है...शायद मैं कोई मदद कर सकूँ...

मैं- ह्म्म...असल मे मेरा बदन दुख रहा है....पता नही क्यो...पर एक अजीब सी थकान लग रही है...

सुजाता(मेरे गले मे हाथ डाल कर)- ओह्ह..तो बताओ..मैं मालिश कर दूं...

मैं- नही आंटी...मालिश की ज़रूरत नही होगी..बस थोड़ी देर मे ठीक हो जायगा...

सुजाता- ओके ...चलो मैं सिर सहला देती हूँ...

और सुजाता मेरे सिर पर हाथ फिराने लगी...इस समय मुझे उसकी बॉडी से आ रही खुसबु मदहोश कर रही थी...लगता है देव लगा कर आई थी...साथ मे उसके बूब्स का हिस्सा मेरे कंधे पर रगड़ कर मेरी भावनाओ को हवा दे रही थी....

अब तक मैं समझ चुका था कि सुजाता को मेरे साथ खुलने मे कोई प्राब्लम नही...इसलिए मैने भी आगे बढ़ने का फ़ैसला कर लिया...

मैने अपना हाथ सुजाता की नंगी जाघ पर रखा और बिना किसी रियेक्शन के बोला...

मैं- अच्छा आंटी...आज आप क्या कह रही थी..वो प्रॉपर्टी पेपर्स के बारे मे...

सुजाता ने मेरा हाथ अपनी जाँघ पर देखा ...और फिर मुझे देखा...और मुस्कुरा कर बोली...

सुजाता- वो...वो मैं ये कह रही थी कि तुम्हे अभी इस लोड की क्या ज़रूरत...अभी सब अपने डॅड को संभालने दो...

मैं(हाथ को थोड़ा घुमाते हुए)- सही कहा आंटी...मैं भी यही सोचता हूँ..अभी तो मेरे ऐश करने के दिन है...है ना...

और इसी के साथ मैने अपना हाथ थोड़ा सा निघट्य के अंदर डाल दिया...जिससे सुजाता की आँखे बड़ी हो गई...पर वो नॉर्मल हो कर मुस्कुराइ और बोली...

सुजाता- ह्म्म...यही तो...तुम्हारी उमर ही ऐश करने की है...

मैं(हाथ को घुमाते हुए)- पर ऐश कैसे करू आंटी....कोई मिलता ही नही...मतलब...आप समझ रही है ना...

सुजाता(मन मे)- कितना बढ़ा कमीना है...इतनो को चोद चुका है और बन रहा है बिल्कुल सरीफ़....

मैं- क्या हुआ आंटी...मैने कुछ ग़लत बोला क्या...

सुजाता- हुह..नही...तुमने सही कहा....पर बेटा...ढूँढने से सब मिल जाता है...तुम ट्राइ करो..सब मिल जायगा....

मैं(हाथ को थोड़ा और आगे ले जा कर)- पर यही तो प्राब्लम है....मैं डाइरेक्ट कैसे कहूँ...सामने वाले को समझना चाहिए ना....

सुजाता अब हाथ के स्पर्श से गरमाने लगी थी...पर उसने मुझे रोका नही...

सुजाता- बेटा...ट्राइ करो...सफलता मिल ही जाएगी...

मैं- क्या आप मेरी प्राब्लम सॉल्व नही कर सकती आंटी...

मैने अपना मुँह सुजाता के मुँह के थोड़ा पास कर लिया और उसकी आँखो मे देखने लगा....


सुजाता- मैं...मैं कैसे...

तभी मैने अपना हाथ थोड़ा और आगे बढ़ा दिया और मेरा हाथ सुजाता की जाघो के बीच पहुँच गया...जिससे सुजाता की आँखे और खुल गई...

मैं(हाथ को दबाते हुए)- बोलो ना आंटी...क्या आप मेरी मदद करेगी...ह्म..

सुजाता- मैं..वो...अंकित...मैं तो..
 
मैने तभी अपना चेहरा सुजाता के चेहरे के बिल्कुल करीब कर लिया...अब हमारी साँसे एक दूसरे के चेहरे को टच कर रही थी...और हमारे होंठो के बीच 1 उंगली का ही फासला था...

मैं- आंटी...मेरी मदद करेगी ना...

सुजाता- ह्म...हां बेटा...करूगी...हम्म...

सुजाता मेरे हाथ की हरक़त से गरमाने लगी थी...और अब वो भी आगे बढ़ने के लिए तैयार थी..

मैने अपने हाथ को जाघो के बीच कर के दबाया तो सुजाता समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ...और गरम हो कर सुजाता ने दोनो टाँगो को अलग कर लिया और मेरा हाथ उसकी पैंटी के उपेर से उसकी चूत पर जा पहुँचा....

सुजाता- आअहह...अंकित...

मैं- आंटी...आप कितनी अच्छी हो...सच मे..बहुत अच्छी...

सुजाता- अंकित...मैं...वो...उउउंम्म...

और सुजाता कुछ और बोलती इससे पहले मैने अपने होंठ उसके होंठो से चिपका दिए. ...

सुजाता की आँखे बड़ी हो गई..पर उसने कोई विरोध नही किया और मैने उसे चूमने लगा....

इससे पहले की सुजाता मेरा साथ देती...गेट पर नॉक हुई और हम अलग हो गये...

गेट खोलने पर पता चला की सविता थी...जो डिन्नर के लिए बुलाने आई थी...

फिर हमने डिन्नर किया और जब डिन्नर के बाद सुजाता जाने लगी तो मैं बोला...

मैं- आंटी...अगर टाइम मिले तो रात को मेरी मदद करने आ जाओगी क्या...

सुजाता ने मुझे पलट के देखा और हल्की मुस्कान दे कर अपने रूम मे निकल गई...

रात को मैने सुजाता का इंतज़ार किया...पर वो नही आई....और इंतज़ार करते हुए मैं सो गया....

सुबह मैं जब जगा तो सुजाता डॅड के साथ कहीं जा चुकी थी...मैं भी रेडी हुआ और निकल गया....

मैने काफ़ी सोचा और फिर कार को अकरम के घर की तरफ घुमा दिया....

अकरम के घर जाते ही मुझे सबनम आंटी मिल गई...

सबमम- अरे अंकित...आज बड़े दिन बाद हमारी याद आई....

मैं- नही आंटी...ऐसा कुछ नही...बस थोड़ा बिज़ी था....और याद का क्या...याद तो उन्हे करते है जिन्हे भूल जाओ...और आप सब तो मेरे दिल मे रहते है...

सबनम(मुस्कुरा कर)- बाते तो तुम बड़ी अच्छी करती हो...आओ बैठो...मैं कॉफी लाती हूँ...

सबनम किचन मे गई ही थी कि जूही मेरी आवाज़ सुन कर दौड़ के नीचे आ गई और मेरे पास आके अचानक रुक गई और नीचे देखने लगी....


मैं- अब रुक क्यो गई...गले नही मिलोगि...

जूही(शरमाते हुए)- अकरम घर मे है...

मैं- तो क्या...देखना...एक दिन उसके सामने तुम्हे उठा के ले जाउन्गा...

जूही चुपचाप मुझे देखने लगी...

मैं- सच मे...एक दिन अपना बना के ले जाउन्गा..और अकरम कुछ नही बोलेगा...

जूही कुछ नही बोली बस शरमा कर नीचे देखने लगी...फिर मैं आगे बढ़ा और उसके कान मे बोला...

मैं- कहिए...हमारी सरीक-य-हयात बनना कबूल करेगी...

मेरी बात सुन कर जूही बुरी तरह से शर्मा गई...

मैं- लगता है तुम ऐसे नही बोलोगि...उठा के दिखाना पड़ेगा...

मैं कुछ करता उसके पहले ही सबनम आंटी कॉफी ले कर आ गई...

सबनम- क्या हुआ...कौन किसे क्या दिखाने वाला है...

मैं- कुछ नही आंटी...ऐसे ही मज़ाक हो रहा था...

सबनम- ह्म्म..ये लो कॉफी...

मैने कॉफफी ख़त्म की और जूही को बाद मे मिलने का बोलकर अकरम के रूम मे चला गया....

अकरम- अरे...आ भाई...क्या हाल है...

मैं- मुझे तुझसे कुछ बात करनी है...बहुत ज़रूरी...

अकरम- हाँ तो बोल ना...

मैं- यहाँ नही...अकेले मे...गार्डन मे चल...

अकरम- क्या हुआ भाई...तू बहुत परेशान दिख रहा है..सब ठीक है ना...

मैं- तू चल...सब बताता हूँ...

फिर मैं और अकरम घर के पीछे गार्डन मे आए और वहाँ मैने बात बताना सुरू की....

मैने अकरम को सब कुछ बता दिया जो रिचा ने मुझे बताया था...पर उसे सलमा के घर की कोई बात नही बताई....

अकरम(हैरानी से)- क्या ये सच है...

मैं(सिर हिला कर)- ह्म्म..शायद...

अकरम- शायद...मतलब...

मैं- देख...मैं उस पर भरोशा नही करता...इसलिए कन्फर्म नही कह सकता...और इसलिए मुझे तेरी हेल्प चाहिए...ताकि सच पता कर सकूँ...

अकरम- ह्म...मैं तैयार हूँ...मुझे क्या करना है...बता...

मैं- तुझे किसी तरह अपने डॅड की हिस्टरी पता करनी है...कैसे...ये तू देखना...

अकरम- ओके...पर तूने जो कहा..वो सही निकला तो...क्या करेगा तू...सही या ग़लत...

मैं- अकरम ख़ान...अंकित मल्होत्रा सही के साथ सही और ग़लत के साथ ग़लत करने की दम रखता है...समझे....तू बस सच पता कर....बाइ...

मैं जाने के लिए मुड़ा और कुछ याद कर के बोला...

मैं- अगर तेरे डॅड ग़लत निकले तो....

अकरम फिर कुछ नही बोला...बस हम दोनो ने एक दूसरे की आँखो मे देखा और मैं वहाँ से निकल आया...........

मुझे समझ मे नही आया कि अकरम की आखो मे क्या छिपा था...गुस्सा और नफ़रत....??????????
अकरम से बात करने के बाद मैं दामिनी से मिलने निकल गया....

मैं- हेलो....घर मे कोई है...हेलो....

मैं जब दामिनी के घर पहुँचा तो मुझे कोई नही दिखाई दिया...ना ही कामिनी , ना ही काजल और ना ही दामिनी....यहाँ तक कि उनकी नौकरानी और नर्स भी गायब थी....

मैं- कहाँ गये सब....हेलो...हेल्लूऊओ...

तभी सामने से काजल आ गई...वो इस समय टू पीस मे थी....उसका बदन पानी से तर-बतर था....और उसकी चाल ऐसी थी कि उसकी बॉडी का हर एक अंग बल खा रहा था...

काजल मेरे पास आई और अदा के साथ खड़ी हो कर मुस्कुरा दी...

काजल- क्या हुआ...आप इतना चिल्ला क्यो रहे है....ह्म्म...

मैं- वो...असल मे मुझे कोई दिखा नही तो....

काजल- ह्म...आक्च्युयली सब लोग पीछे पूल पर है....थोड़ा रिलॅक्स कर रहे है...

मैं- ह्म्म..पर अचानक से सब एक साथ...कुछ खास है क्या ....और दामिनी ....वो कहाँ है....

काजल- वो भी वही है...रिलॅक्स कर रही है....

मैं- व्हाट ..तुम जानती हो कि उसकी तवियत ...फिर भी...पागल हो क्या....

काजल- अरे...डोंट वरी...वो पूल मे नही है...वो तो वहाँ गार्डन मे रेस्ट कर रही है....और मोम भी वही वॉक कर रही है...बाकी नौकरानी और नर्स भी साथ है....

मैं- ह्म्म...तब ठीक है....

काजल- आप भी आइए...थोड़ा रेस्ट कर लीजिए...हमारे साथ...ह्म्म..

काजल ने अपनी नशीली आँखे घमा कर बोला....

मैं- ह्म्म...चलो....देखते है कि तुम कैसे रेस्ट करवाती हो...

और फिर मैं काजल के साथ पूल पर चला गया ...वहाँ मैने दामिनी और कामिनी की बातें की और फिर काजल के साथ पूल मे आ गया....
 
कुछ देर तक तो मैं शांत रहा पर काजल की मदमस्त जवानी मुझे मजबूर करने लगी....तो मैं भी उसकी जवानी के रंगने की सोच ली....

काजल ने जब देखा की सब लोग हमसे थोड़ा दूर है तो वो मेरे पास आ गई....

काजल- क्या बात है...आप तो रिलॅक्स भी ठीक से नही करते....

मैं- ह्म्म...क्या करे...तुम करवाओ...तब तो करूगा...

काजल- मेरे करीब आ कर....तो कहिए....कैसे रिलॅक्स करना चाहेगे आप...

मैं- ह्म्म...ज़्यादा कुछ नही...बस थोड़ी सी मस्ती ...और क्या...

काजल- ह्म्म्मड...तो फिर एक काम करे...रेस लगते है...देखते है कि आप हमे पकड़ पाते है कि नही....

मैं- अच्छा...अगर पकड़ लिया तो....

काजल- नही पकड़ पाए तो...

मैं- सवाल के बदले सवाल....गुड...ठीक है...मैं हरा तो तुम्हे शॉपिंग कराउन्गा....पर जीता तो.....

काजल(मुस्कुरा कर)- तो मैं एक मज़ेदार गिफ्ट दूगी....

मैं- ह्म....अच्छा है...तो सुरू करे....

काजल- ह्म्म...कॅच मी..न्ड गेट युवर गिफ्ट...

और काजल पूल मे तैर गई...और मैं उसके पीछे निकल गया.....

करीब 3 घंटे के बाद मैं काजल के घर से निकल कर घर जाने लगा...तभी मेरे आदमी का कॉल आ गया....और मैने कार सीक्रेट हाउस की तरफ दौड़ा दी.....


सीक्रेट हाउस पर...........


मैं- क्या हुआ...इतने अर्जेंट मे क्यो बुलाया....

स- अंदर आओ...देखो इसने क्या किया....

मैं अंदर गया तो देखा कि रिया बेड पर बेहोश डली हुई थी और डॉक्टर उसका चेक अप कर रहा था....

मैं- क्या हुआ इसे...

स- इसने सुसाइड की कोसिस की...

मैं- सुसाइड....पर क्यो...और कैसे...

स- क्यो का तो यही बताएगी...पर ये सुसाइड इसने अपने एअर रिंग से की...बहुत धार वाला इयररिंग था...

मैने रिया के बेड के बाजू मे खड़ी उसकी फ्रेंड को देख कर गुस्से मे कहा....

मैं- तू क्या कर रही थी...रोका नही इसे...

रिया फ्रेंड- मुझे कुछ पता नही चला...मैं बाथरूम गई...जब तक...

और फिर वो रोने लगी...

मैं- ओह गॉड...डॉक्टर...अब ये ठीक है ना...

डॉक्टर- ह्म्म..हथियार धारदार नही था..वरना बचना मुस्किल होता...अब ये ठीक है...और...ये लो...होश भी आ गया...

मैं(चिल्ला कर)- तू समझती क्या है अपने आपको...ऐसा करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई...हाँ...

मेरी आवाज़ सुन कर रिया सहम गई और आँखो से आँसू बहने लगे...

मैं- उफ्फ...ये लड़कियाँ भी ना...अब क्या हुआ..रोने क्यो लगी..बोल ना...ऐसा क्यो किया...वजह तो बता...

रिया- म्म...मैं अपनी इज़्ज़त की खातिर मरना पसंद करूगि...इसलिए...

मैं- पर तेरी इज़्ज़त को क्या हो गया...किसी ने कुछ किया क्या...

रिया- न..नही..पर आज नही तो कल...तुम लोग यही करोगे ना...और मैं अपनी इज़्ज़त...

मैं(बीच मे)- बस...बहुत हुआ....इज़्ज़त-इज़्ज़त....देख..मैं लड़कियो की रेस्पेक्ट करता हूँ...और बिना मर्ज़ी उन्हे हाथ भी नही लगाता...इसलिए ये मत सोच कि यहाँ तुम्हारी इज़्ज़त के साथ कुछ बुरा होगा..ओके...

रिया- तो...फिर हमे छोड़ दो ना...हमसे और क्या चाहिए ...

मैं- छोड़ देगे...बस एक बार हमारा काम हो जाए...और वो भी इज़्ज़त के साथ...ओके...

रिया- कैसा काम...हमसे क्या काम है...

मैं- सब बताउन्गा...पर अभी नही...अभी रेस्ट करो ..

और मैं जाने के लिए मुड़ा और गेट पर पहुँच कर रिया को वॉर्निंग दे दी...

मैं- रिया...यहाँ आराम से रहो...कोई तुम्हे बुरी नज़र से देखेगा भी नही...पर अगर आइन्दा ऐसी कोई हरक़त की..तो तुम्हारी इज़्ज़त की बॅंड बजा दूगा...समझी....

और फिर थोड़ी देर रुकर मैं घर निकल आया...कार ड्राइव करते हुए मैं रिया के ही बारे मे सोचता रहा...

मैं(मन मे)- क्या लड़की है...सिर्फ़ इज़्ज़त के बारे मे सोच कर ही सुसाइड करने चली थी...

यकीन ही नही होता कि ये रिचा की बेटी है...एक रिचा है...जो रंडियों को भी पीछे छोड़ दे...और एक उसकी लड़की...जो इज़्ज़त को ही जिंदगी समझती है....

एक तरफ रिचा...अपना काम निकलवाने के लिए किसी के भी नीचे सो जाती है...और एक उसकी बेटी ...जो इज़्ज़त की खातिर जान देने से भी नही हिचकति....

भगवान की लीला भी कमाल है...""कमल को हमेशा कीचड़ मे ही खिलते है...""" ....जय हो प्रभु..जय हो....
 
Back
Top