hotaks444
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मैं आज आंटी लोगो के साथ नही घूमना चाहता था ..मैं चाहता था कि सोनम या मनु मुझे मिल जाय…बट वो दोनो ही अलग ग्रूप मे निकल गई….सोनू भी दीपा के साथ निकल गया…रिचा मेरे पास आई..पर मैने उसे वेट करो कह कर टाल दिया…
मैं सोच ही रहा था कि किसके साथ जाउ…मुझे किसी न्यू माल के साथ जाना था..पर फिलहाल सब बिज़ी थे….
फिर मैने सोचा कि क्यो ना पहले घूम लूँ..फिर मस्ती की सोचुगा…ऑर यही सोच कर मैं मन्गो के पेड़ो की तरफ निकल गया….
थोड़ा आगे जाकर…मैं ऐसी जगह पहुचा जहाँ पर आम के घने पेड़ लगे हुए थे और रोशनी भी बहुत कम आ रही थी…महॉल थोड़ा डरावना था…सिर्फ़ चिड़ियो की आवाज़े ऑर हवा के चलने की आवाज़े ही आ रही थी..
मैं भी थोड़ा सा डर रहा था ऑर आगे जा ही रहा था कि किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा…मैने 1 मिनिट के लिए तो डर ही गया ऑर मैने चिल्लाते हुए पीछे देखा….
मैं-कौन है…कौन है..??
और जब मैं पूरा पलटा तो देखा कि वो तो दामिनी थी….जो मुझे देख कर हँसने लगी…
मैं- ओह..तुमने तो …डरा ही दिया….
दामिनी(हँसते हुए)- बस इतनी जल्दी डर गये…वैसे तो बड़े मर्द बनते हो…
मैं- तो क्या…मर्द भी डरता है….समझी
दामिनी- ओके….ओके..आइ एम सॉरी…
मैं- कोई नही…पर तुम यहाँ …???
दामिनी- हाँ, वो मैने तुम्हे यहा आता देख लिया था तो पीछे -पीछे आ गई...
मैं- अच्छा…वैसे कुछ काम था या ऐसे ही…
दामिनी- काम तो तुमसे बहुत से है…और आगे भी रहेगे…
और दामिनी ने मुझे बाहों मे जाकड़ लिया…
मैं- ओके...पर यहाँ ...*कंट्रोल करो...
दामिनी- मैं आज फुल कंट्रोल मे हूँ...वरना अभी तक तो तुम्हारा लंड मेरी चूत मे होता..
मैं- ओह..ऐसा क्या..तो फिर मेरे पीछे आने की कोई ख़ास वजह…या घूमने ही आई हो…???
दामिनी- वजह है…मेरा प्रोमिस...
मैं- प्रोमिस..????....क्या…????
दामिनी- भूल गये , मैने कहा था ना कि यहा से जाने के पहले तुम्हे फ्रेश चूत दूँगी…
मैं- ओह , हाँ…तो फिर…कब दोगि..???
दामिनी- आज ही….अभी ऑर यही..
मैं- यहाँ...*????
दामिनी- हाँ, यहाँ
मैं- पागल हो क्या....यहाँ कैसे...*???
दामिनी- तुम टेन्षन क्यो लेते हो...वैसे भी सब अपनी मस्ती मे बिज़ी है...तुम जब तक न्यू चूत को फाड़ दो....
मैं- ह्म्म्म ..वो तो ठीक है , पर कहाँ फाडू…ऑर है कौन वो..
दामिनी- है कौन , ये तो मिल कर पूछ लेना…ऑर फाड़ने की जगह मैं बताती हूँ…
मैं- तो फिर चलो….आइ एम रेडी
दामिनी- जानती हूँ….तो तुम उस घर मे जाओ…वहाँ वो वेट कर रही है…
मैं- जाओ मतलब क्या…तुम नही चलोगि…
दामिनी- अरे यार हम साथ मे जायगे तो ठीक नही होगा…तुम जाओ ना…वैसे भी वहाँ मेरा क्या काम…
मैं- ओके…बट पहले तुम जाओ..फिर मैं आता हूँ..ऑर उसके बाद तुम निकल..जाना…
दामिनी- पर मेरी ज़रूरत क्या है..???
मैं- यार फ्रेश माल है...थोड़ी जान-पहचान करवा दोगि तो वो कंफर्टबल हो जायगी , समझो ना
दामिनी-ह्म्म..ठीक है मैं जाती हूँ…तुम जल्दी आना..ओके..
मैं- हाँ..तुम चलो , मैं आया…
इसके बाद दामिनी आगे जाती हुई साइड मे बने एक छोटे से घर मे चली गई…ऑर थोड़ी देर बाद मैं भी आजू-बाजू देखते ही घर मे पहुच गया…
मैने जैसे ही अंदर पहुचा तो देखा कि दामिनी के साथ एक लड़की खड़ी हुई थी…उसका चेहरा दूसरी तरफ था..शायद शरमा रही होगी…
दामिनी- अब मैं चली..तुम मस्ती करो..ऑर हाँ..थोडा प्यार से…उंगली भी नही गई इसकी चूत मे…..इसलिए यहाँ क्रीम ऑर आयिल भी रख दिया है है ..वो रहा..
दामिनी ने मुझे इशारे से आयिल ओर क्रीम दिखा दी…
मैं-ह्म्म..पूरा इंतज़ाम....क्या बात है…
दामिनी- ऑर नही तो क्या..वरना तुम्हारे लंड से इसकी फट जायगी..हहेहहे
मैं- ह्म्म्म्म ..मैं जानता हूँ…पहले भी शील तोड़ी है मैने कई….इसकी भी प्यार से तोड़ुगा…
दामिनी फिर बाहर चली गई ओर मैने गेट को अंदर से लॉक किया ओर उस लड़की के पास आ गया….
वो लड़की अभी भी मेरी तरफ नही पलटी थी ऑर अपनी आँखे ज़मीन मे गढ़ाए हुए थी…
मैने पीछे से जाकर उसके कंधो को हाथ से पकड़ा तो वो सिसक उठी…और जैसे ही मैने उसे पलटाया तो देख कर चौंक गया….
ये तो वही लड़की थी जो कामिनी के घर काम करती है…पारूल..हाँ, ये वही है…
मैं- पारूल …तुम…
पारूल- हुम्म
मैं- ओह ..तुम तो जानी-पहचानी , निकली
पारूल- ( चुप रही..ऑर नज़रे नीचे किए हुए थी..)
मैं- अब देख भी लो….ऐसे नज़रे चुराने से मज़ा नही आयगा…
मेरे कहने से पारूल ने मुझे देखा तो उसकी आँखो मे शर्म और एक्साइट्मेंट सॉफ दिखाई दे रहा था...शायद पहले सेक्स का वेट कर रही थी....
मैं- ओह पारूल..उस दिन तुम्हे देख कर मन हुआ था कि कभी तुम्हारे साथ मस्ती करूँ...देखो आज मौका मिल ही गया...
पारूल- (फिर से चुप रही...शायद शरम के मारे चुप थी...)
मैं- देखो अगर तुम बोलोगि नही तो मैं जा रहा हूँ....
और जैसे ही मैं मुड़ा तो पारूल ने मुझे पकड़ के अपनी तरफ पलटा दिया ऑर मेरे गले से कस कर लिपट गई…
पारूल- मत जाओ ..शाब..मत जाओ…
मैं- ओके..नही जाता पर मुझे साहिब मत बोलो….
पारूल- तो क्या कहूँ...
मैं- ह्म्म...एक काम करो...तुम मुझे भैया कहो..
पारूल- भैया...नही ...भाई के साथ ऐसा नही कर सकते...
मैं- ओह हो...तुम भैया ही कहो...इसमे ज़्यादा मज़ा आयगा...खून का नही सही...मुँह बोला भाई तो बना ही सकती हो ना..
पारूल- पर कामिनी मेडम...आप तो उसके मेहमान हो...ऑर हम छोटे लोग...
मैं- चुप करो…इंसान , सब बराबर होते है…तुम मुझे भैया ही कहो…
पारूल- ह्म्म..पर भैया के साथ ये करना ठीक होगा…
मैं- अरे उसमे क्या…मेरे दोस्त की बहन भी मुझे भैया कहती है..और मैं उसे भी चोदता हूँ…
पारूल- हाय राम..आप अपने दोस्त की बहन के साथ…
मैं- तो क्या हुआ…चूत ओर लंड की भूख ऐसी ही है….ओर वैसे भी जब अपने भूख मिटाने को मिले तो मज़ा दोगुना बढ़ जाता है..
पारूल- सच मे..
मैं- हाँ…तू मुझे भैया कह कर चुदना ..फिर देख कितना मज़ा आता है….
पारूल-ह्म्म....ठीक है…
मैं- तो अब अपने भाई को खुश कर…
और मैने अपने होठ पारूल के होंठो पर रख दिए..ऑर उसके निचले होठ को मूह मे भर कर चूसने लगा…पारूल अभी अनाड़ी थी इसलिए वो ठीक से किस भी नही कर पा रही थी…
मैं(किस तोड़ कर)- पहली बार किस कर रही हो
पारूल-जी सर…अरे..जी भैया..
मैने- ओके..देखो जैसे मैं तुम्हारे होठ चूस रहा था ऐसे ही तुम मेरे चूसो ..ओके
पारूल -जी भैया
फिर मैने पारूल को किस करना सुरू कर दिया ऑर इस बार पारूल ने मेरे होंठो को मूह मे भर के चूसना सुरू कर दिया….
मैने थोड़ी देर तक पारूल को किस करता रहा ..ऑर पारूल भी मेरी तरह नकल करते हुए ..मुझे किस करती रही..ऑर पूरी तरह गरम होने लगी…थोड़ी देर मे पारूल ने मुझे बाहों मे जाकड़ कर किस करना सुरू कर दिया….फिर मैने किस ख़त्म किया तो पारूल हाँफने लगी…
मैं-आहह क्या हुआ..
पारूल- आहह…पता नही…कुछ –कुछ हुआ है…गर्मी लग रही है…
मैं- ह्म्म..तो एक काम करो..अपने कपड़े निकाल दो…
मैं सोच ही रहा था कि किसके साथ जाउ…मुझे किसी न्यू माल के साथ जाना था..पर फिलहाल सब बिज़ी थे….
फिर मैने सोचा कि क्यो ना पहले घूम लूँ..फिर मस्ती की सोचुगा…ऑर यही सोच कर मैं मन्गो के पेड़ो की तरफ निकल गया….
थोड़ा आगे जाकर…मैं ऐसी जगह पहुचा जहाँ पर आम के घने पेड़ लगे हुए थे और रोशनी भी बहुत कम आ रही थी…महॉल थोड़ा डरावना था…सिर्फ़ चिड़ियो की आवाज़े ऑर हवा के चलने की आवाज़े ही आ रही थी..
मैं भी थोड़ा सा डर रहा था ऑर आगे जा ही रहा था कि किसी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा…मैने 1 मिनिट के लिए तो डर ही गया ऑर मैने चिल्लाते हुए पीछे देखा….
मैं-कौन है…कौन है..??
और जब मैं पूरा पलटा तो देखा कि वो तो दामिनी थी….जो मुझे देख कर हँसने लगी…
मैं- ओह..तुमने तो …डरा ही दिया….
दामिनी(हँसते हुए)- बस इतनी जल्दी डर गये…वैसे तो बड़े मर्द बनते हो…
मैं- तो क्या…मर्द भी डरता है….समझी
दामिनी- ओके….ओके..आइ एम सॉरी…
मैं- कोई नही…पर तुम यहाँ …???
दामिनी- हाँ, वो मैने तुम्हे यहा आता देख लिया था तो पीछे -पीछे आ गई...
मैं- अच्छा…वैसे कुछ काम था या ऐसे ही…
दामिनी- काम तो तुमसे बहुत से है…और आगे भी रहेगे…
और दामिनी ने मुझे बाहों मे जाकड़ लिया…
मैं- ओके...पर यहाँ ...*कंट्रोल करो...
दामिनी- मैं आज फुल कंट्रोल मे हूँ...वरना अभी तक तो तुम्हारा लंड मेरी चूत मे होता..
मैं- ओह..ऐसा क्या..तो फिर मेरे पीछे आने की कोई ख़ास वजह…या घूमने ही आई हो…???
दामिनी- वजह है…मेरा प्रोमिस...
मैं- प्रोमिस..????....क्या…????
दामिनी- भूल गये , मैने कहा था ना कि यहा से जाने के पहले तुम्हे फ्रेश चूत दूँगी…
मैं- ओह , हाँ…तो फिर…कब दोगि..???
दामिनी- आज ही….अभी ऑर यही..
मैं- यहाँ...*????
दामिनी- हाँ, यहाँ
मैं- पागल हो क्या....यहाँ कैसे...*???
दामिनी- तुम टेन्षन क्यो लेते हो...वैसे भी सब अपनी मस्ती मे बिज़ी है...तुम जब तक न्यू चूत को फाड़ दो....
मैं- ह्म्म्म ..वो तो ठीक है , पर कहाँ फाडू…ऑर है कौन वो..
दामिनी- है कौन , ये तो मिल कर पूछ लेना…ऑर फाड़ने की जगह मैं बताती हूँ…

मैं- तो फिर चलो….आइ एम रेडी
दामिनी- जानती हूँ….तो तुम उस घर मे जाओ…वहाँ वो वेट कर रही है…
मैं- जाओ मतलब क्या…तुम नही चलोगि…
दामिनी- अरे यार हम साथ मे जायगे तो ठीक नही होगा…तुम जाओ ना…वैसे भी वहाँ मेरा क्या काम…
मैं- ओके…बट पहले तुम जाओ..फिर मैं आता हूँ..ऑर उसके बाद तुम निकल..जाना…
दामिनी- पर मेरी ज़रूरत क्या है..???
मैं- यार फ्रेश माल है...थोड़ी जान-पहचान करवा दोगि तो वो कंफर्टबल हो जायगी , समझो ना
दामिनी-ह्म्म..ठीक है मैं जाती हूँ…तुम जल्दी आना..ओके..
मैं- हाँ..तुम चलो , मैं आया…
इसके बाद दामिनी आगे जाती हुई साइड मे बने एक छोटे से घर मे चली गई…ऑर थोड़ी देर बाद मैं भी आजू-बाजू देखते ही घर मे पहुच गया…
मैने जैसे ही अंदर पहुचा तो देखा कि दामिनी के साथ एक लड़की खड़ी हुई थी…उसका चेहरा दूसरी तरफ था..शायद शरमा रही होगी…
दामिनी- अब मैं चली..तुम मस्ती करो..ऑर हाँ..थोडा प्यार से…उंगली भी नही गई इसकी चूत मे…..इसलिए यहाँ क्रीम ऑर आयिल भी रख दिया है है ..वो रहा..
दामिनी ने मुझे इशारे से आयिल ओर क्रीम दिखा दी…
मैं-ह्म्म..पूरा इंतज़ाम....क्या बात है…
दामिनी- ऑर नही तो क्या..वरना तुम्हारे लंड से इसकी फट जायगी..हहेहहे

मैं- ह्म्म्म्म ..मैं जानता हूँ…पहले भी शील तोड़ी है मैने कई….इसकी भी प्यार से तोड़ुगा…
दामिनी फिर बाहर चली गई ओर मैने गेट को अंदर से लॉक किया ओर उस लड़की के पास आ गया….
वो लड़की अभी भी मेरी तरफ नही पलटी थी ऑर अपनी आँखे ज़मीन मे गढ़ाए हुए थी…
मैने पीछे से जाकर उसके कंधो को हाथ से पकड़ा तो वो सिसक उठी…और जैसे ही मैने उसे पलटाया तो देख कर चौंक गया….
ये तो वही लड़की थी जो कामिनी के घर काम करती है…पारूल..हाँ, ये वही है…
मैं- पारूल …तुम…
पारूल- हुम्म
मैं- ओह ..तुम तो जानी-पहचानी , निकली
पारूल- ( चुप रही..ऑर नज़रे नीचे किए हुए थी..)
मैं- अब देख भी लो….ऐसे नज़रे चुराने से मज़ा नही आयगा…
मेरे कहने से पारूल ने मुझे देखा तो उसकी आँखो मे शर्म और एक्साइट्मेंट सॉफ दिखाई दे रहा था...शायद पहले सेक्स का वेट कर रही थी....
मैं- ओह पारूल..उस दिन तुम्हे देख कर मन हुआ था कि कभी तुम्हारे साथ मस्ती करूँ...देखो आज मौका मिल ही गया...
पारूल- (फिर से चुप रही...शायद शरम के मारे चुप थी...)
मैं- देखो अगर तुम बोलोगि नही तो मैं जा रहा हूँ....
और जैसे ही मैं मुड़ा तो पारूल ने मुझे पकड़ के अपनी तरफ पलटा दिया ऑर मेरे गले से कस कर लिपट गई…

पारूल- मत जाओ ..शाब..मत जाओ…
मैं- ओके..नही जाता पर मुझे साहिब मत बोलो….
पारूल- तो क्या कहूँ...
मैं- ह्म्म...एक काम करो...तुम मुझे भैया कहो..
पारूल- भैया...नही ...भाई के साथ ऐसा नही कर सकते...
मैं- ओह हो...तुम भैया ही कहो...इसमे ज़्यादा मज़ा आयगा...खून का नही सही...मुँह बोला भाई तो बना ही सकती हो ना..
पारूल- पर कामिनी मेडम...आप तो उसके मेहमान हो...ऑर हम छोटे लोग...
मैं- चुप करो…इंसान , सब बराबर होते है…तुम मुझे भैया ही कहो…
पारूल- ह्म्म..पर भैया के साथ ये करना ठीक होगा…
मैं- अरे उसमे क्या…मेरे दोस्त की बहन भी मुझे भैया कहती है..और मैं उसे भी चोदता हूँ…
पारूल- हाय राम..आप अपने दोस्त की बहन के साथ…
मैं- तो क्या हुआ…चूत ओर लंड की भूख ऐसी ही है….ओर वैसे भी जब अपने भूख मिटाने को मिले तो मज़ा दोगुना बढ़ जाता है..
पारूल- सच मे..
मैं- हाँ…तू मुझे भैया कह कर चुदना ..फिर देख कितना मज़ा आता है….
पारूल-ह्म्म....ठीक है…
मैं- तो अब अपने भाई को खुश कर…
और मैने अपने होठ पारूल के होंठो पर रख दिए..ऑर उसके निचले होठ को मूह मे भर कर चूसने लगा…पारूल अभी अनाड़ी थी इसलिए वो ठीक से किस भी नही कर पा रही थी…
मैं(किस तोड़ कर)- पहली बार किस कर रही हो
पारूल-जी सर…अरे..जी भैया..

मैने- ओके..देखो जैसे मैं तुम्हारे होठ चूस रहा था ऐसे ही तुम मेरे चूसो ..ओके
पारूल -जी भैया
फिर मैने पारूल को किस करना सुरू कर दिया ऑर इस बार पारूल ने मेरे होंठो को मूह मे भर के चूसना सुरू कर दिया….
मैने थोड़ी देर तक पारूल को किस करता रहा ..ऑर पारूल भी मेरी तरह नकल करते हुए ..मुझे किस करती रही..ऑर पूरी तरह गरम होने लगी…थोड़ी देर मे पारूल ने मुझे बाहों मे जाकड़ कर किस करना सुरू कर दिया….फिर मैने किस ख़त्म किया तो पारूल हाँफने लगी…
मैं-आहह क्या हुआ..
पारूल- आहह…पता नही…कुछ –कुछ हुआ है…गर्मी लग रही है…
मैं- ह्म्म..तो एक काम करो..अपने कपड़े निकाल दो…