Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 40 - SexBaba
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

शादिया भी शॉर्ट मे हाथ डाल कर तेज़ी से अपनी चूत मसल रही थी..

मैं-आहह...यस...यस...एस्स...ऐसे ही अंदर तक ले...आहह....साली.....गले मे ..हाँ..ऐसे ही

शादिया-उउंम्म...सस्सुउउप्प्प...ससुउुउउप्प...उउंम्म...ऊओंम्म्म...ऊमम्म...

5 मिनिट तक तेज़ी से मुँह चोदने के बाद मैने शादिया को छोड़ा ओर लंड मुँह से निकलते ही..

शादिया-खो..खो..खो..उउंम..आअहह..खो...

मैं-क्या हुआ...तगड़ा लंड अच्छा नही लगा क्या

शादिया-खो..खो...उउंम्माअहह...अककचि लगा...

मैं-तो फिर

शादिया- तुमने तो जान ही निकाल दी...मुँह को ऐसे चोदा जैसे गला ही फाड़ दोगे लंड से...

मैं(हँसते हुए)-आज तो सिर्फ़ गान्ड फाड़ूगा….

फिर मैने शादिया को उठाया और उसकी टी-शर्ट निकालने लगा...शादिया ने भी जब तक अपना शॉर्ट निकाल दिया....

मैने देर ना करते हुए उसकी ब्रा को खीच के निकाल दिया...

शादिया- आअहह...आअराम से...

मैं- आज आराम नही...बिल्कुल भी नही...चल...

और मैने शादिया को पलटा कर झुका दिया और उसकी पैंटी साइड कर के उसकी गान्ड को देखने लगा....

आज इसे फाड़ने मे मज़ा आएँगे…ऐसा सोच कर मैने दोनो हाथो से गान्ड को पकड़ के फैला दिया ओर उसकी चूत ऑर गान्ड का छेद मेरी आँखो के सामने खुल गये.....

मैं- तेरी गान्ड तो टाइट लगती है...

शादिया-हाँ..टाइट ही है...

मैं-क्यो इसमे लंड नही लिया....

शादिया-लिया है पर महीनो बीत गये ऑर छोटा ही था...

मैं-क्यो तेरा यार तुझे चोदता नही क्या...

शादिया- चोदता है...पर गान्ड कम मारता है....

मैं- ह्म....मैं मारता हूँ इसको तो...

और मैने जीभ को उसके छेदों पर फिरा दिया.....





शादिया- उूुउउम्म्म्म.....आआहह....जैसे चाहो वैसे करो...बस जोरदार करना...उउउम्म्म्म.....

मैं-सस्स्ररुउउप्प्प…सस्स्रररुउुउउप्प्प्प्प.....

शादिया-आअहह…म्मार डालोगे…मस्त हो.....

मैं-सस्स्ररुउप्प्प..सस्ररुउपप…सस्ररुउउप्प..सस्ररुउपप
सस्ररुउपप…..सस्ररुउपप…सस्ररुउपप..सस्ररुउपप..सस्ररुउपप..
सस्स्ररुउपप…सस्ररुउप्प्प…सस्ररुउउप्प…सस्स्ररुउउप्प्प

शादिया-आअहह…उउंम्म…म्म्म्मतह…आअहह….म्म म्मूउहह…..
आआअझहह..आऐइयािससी…हहीी..आअहह..म्म्मसज़्ज़ाअ…
एयेए….आआ…गगग्गयययययाआअ…उउम्म्म्मम…..आअहह….आहह..

थोड़ी देर ऐसे ही मेरे जीभ फिराने से शादिया पूरी गरम हो गई....

मैने फिर शादिया को सोफे पर पटक दिया और उसकी पैंटी निकाल दी....

फिर उसकी टांगे फैला कर हवा मे उठाई और उसकी चूत को चाटने लगा....





मैं-सस्स्रररुउउउप्प्प.....सस्स्रररुउुउउप्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प...
सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्स्स्रर्र्ररुउुउउप्प्प्प...सस्स्स्र्र्ररुउउउप्प्प...स
सस्रररुउउउप्प्प.....सस्स्रररुउउप्प्प....सस्स्रर्र्र्ररुउुुुउउप्प्प्प्प्प्प्प्प

शादिया-ओह माइ गॉड...कहाँ थे तुम..आअहह..इतना मज़ा दोगे..आहह...सोचा ना था....आअहह....हहाअयययी....म्मार्र ज्जाोऊऊगगिइइ....आआब्ब्ब......ब्ब्ब्बसस्स...उूउउफफफफफ्फ़......आअहह...

थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद शादिया झड़ने लगी......

मैं-सस्स्ररुउप्प्प..सस्ररुउपप…सस्ररुउउप्प..सस्ररुउपप
सस्ररुउपप…..सस्ररुउपप…सस्ररुउपप..सस्ररुउपप..सस्ररुउपप..
सस्स्ररुउपप…सस्ररुउप्प्प…सस्ररुउउप्प…सस्स्ररुउउप्प्प


शादिया-आअहह...ब्बासस्स...कक्कर्ररू...आअब्ब्ब....आआहह....
म्म्मारयन्न्न्न्..गगगइयैय...ऊओ...उउंम..अम्म्म्ममैईईईईईन्न्न....
अग्गाइइइ.......यस..यस....आअहह....ऊऊहह...म्म्म्ममह.....

ऐसे ही आवाज़े करती हुई शादिया झड़ने लगी ओर मैं उसका चूत रस पीने लगा

मैं-उउउंम्म.....सस्ररुउउप्प...सस्स्ररुउपप...उउउंम्म...मम्मूउउहह.....उउंम...सस्रररुउपप..सस्र्र्ररुउउप्प्प..सस्स्रररुउउप्प...उउम्म्मह.....

शादिया- आअहह....अब जल्दी से लंड डाल दो....मैं इसे अंदर लेने को तड़प रही हूँ...

मैं- गान्ड फतवाने की बड़ी जल्दी है..ह्म..

शादिया- ह्म..

मैने शादिया को उठा कर फर्श पर बैठा दिया ...

शादिया- आअहह...क्या हुआ...

मैं- अब तू मेरी कुतिया है...और तुझे कुतिया की तरह ही चोदुगा....समझी...

मैने शादिया को फर्श पर कुतिया बनाया और उसकी विशाल गान्ड पूरी नंगी…मेरी आँखो के सामने थी….

मैने देर ना करते हुए…उसकी गान्ड पर हाथ मारे ओर वो कराह उठी....

शादिया-अओुचहच..आअहह..आअररररम सीए….फाडो…मारो मत...

मैं-तू बस मज़े कर…मेरी कुत्ति...

और मैने झुक कर शादिया की चूत मे लंड उतार दिया और अंगूठा उसकी गान्ड मे डाल दिया.....





शादिया- आअहह....गान्ड मारनी थी ना....

मैं- साली...लंड को गीला कर लूँ थोड़ा...

और फिर मैने तेज़ी से शादिया की चूत मारना शुरू कर दिया.....
 
शादिया- ओह्ह...एस्स...एस्स...उूउउम्म्म्म...उउउंम्म...

मैं- ले साली....मज़ा कर...ईएह...

शादिया-आहह..आह..आह..एस..एस…एस..आहह…
तप्प..त्ततप्प्प……टत्त्तप्प्प…आअहह…एस…एस..एस…एस…
आअहह.आहह..आह…त्ततप्प्प..ह…एस…एस…फास्ट…फास्ट…आहह...

थोड़ी देर तक शादिया की जोरदार चूत मारने के बाद मैने लंड बाहर निकाल लिया और शादिया को फर्श पर लिटा दिया...

फिर शादिया के पीछे लेटकर लंड उसकी गान्ड मे सेट किया और उसकी टाँग उठा कर लंड गान्ड मे डालना शुरू किया.....

मैने 1 धक्का मारा तो लंड का टोपा गान्ड के अंदर
गान्ड गीली थी ऑर पहले भी मारी थी..तो उसे दर्द नही हुई बस सिसकी निकली...

शादिया-आअहह....धीरे से....

मैने दूसरा धक्का मारा ऑर लंड 5 इंच अंदर…अब उसको दर्द हुआ

शादिया-आहह…उउम्म्म्मम…आअहह....

मैने तीसरा धक्का मारा ऑर पूरा लंड गान्ड मे घुसा दिया…

इस बार शादिया चीख उठी...

शादिया-आहह…..म्म्म्मघमाआ…..फफफफात..ग्ग्गाऐइ...आअहह....

मैने जल्दी से धक्के मारने शुरू किए ऑर शादिया चीखती रही...पर ज़्यादा देर नही...थोड़ी देर बाद वो सिसकने लगी...




शादिया-आअहह..आहह..आह…ईीस्स…यईीस…एस…एस…..फास्ट…य्या…फास्ट..आहह..आह...

मैं-याअ…टेक इट…टेक इट..या...

शादिया-आह..आ..आ..आह..आह…ओउंम..आहह..एस..एस..ये.स…एस…

मैं धक्के मारे जा रहा था ऑर शादिया सिसकते जा रही थी….

शादिया पीछे धक्के मारती ऑर मैं आगे…हमारी जाघो की आवाज़ भी शादिया की आवाज़ के साथ मिक्स हो गई….

शादिया-आहह..आह..आह..एस..एस…एस..आहह…
तप्प..त्ततप्प्प……टत्त्तप्प्प…आअहह…एस…एस..एस…एस…
आअहह.आहह..आह…त्ततप्प्प..ह…एस…एस…फास्ट…फास्ट…आहह

ऐसे ही मिक्स आवाज़े सुनते हुए मैं शादिया की गान्ड मारता रहा …कुछ देर बार मैने लंड गान्ड से निकाला ऑर उसे बालो से पकड़ कर उठाया ….

शादिया-आअहह…..मुझे भी वाइल्ड सेक्स..पसंद है ,….आअहह...

मैं-देखती जा फिर...आजा..सवारी करता हूँ...

शादिया जल्दी से उठी और लंड को गान्ड मे ले कर मेरे उपेर बैठ गई....

शादिया की पीठ मेरी तरफ थी...मैने हाथो से शादिया के निप्पल पकड़े और दबाने लगा...और शादिया भी सिसकते हुए गान्ड मरवाने लगी...



शादिया-आअहह..आहह..आह…ईीस्स…यईीस…एस…एस…..फास्ट…य्या…फास्ट..आहह..आह...

मैं-याअ…जंप बेबी..जंप...

शादिया-आह..आहह..आ..आह..आह…ओउंम..आहह..एस..एस..ये.स…यस…..

मैं- आहह...कुतिया...ज़ोर से उछल...और तेजज्ज़....आअहह...


शादिया- उूुउउंम्म...आअहह...आअहह...आअहह...आअहह...आआमम्म्ममिईीईई....उूउउंम्म...

टिदी देर तक शादिया फुल स्पीड मे उछल-उछल के गान्ड मरवाती रही...और फिर तक कर स्लो हो गई...

शादिया के थकते ही मैने उसे हटाया और सोफे पर पटक दिया...

शादिया- आअहह...आराम से...

मैं- आज तुझे कुतिया की तरह ही मारूगा समझी...

और मैने शादिया के पैर एक साइड मोड और एक झटके मे लंड को गान्ड मे डाल दिया....




शादिया- आआआमम्मिईीईई...आआहह...

मैं- बुला ले अपनी अम्मी को...उसकी भी गान्ड मारूगा...ईएहह...

और फिर से मैने जोरदार गाड़ चुदाई शुरू कर दी....

चुदाई शुरू होते ही शादिया फिर से झड़ने लगी....

शादिया- आअहह..आअहह...आअहह. .माऐइं..आइईइ...आआहह....ज़ोर से...आअहह..जोर्र सी...

शादिया का चूत रस बहकर उसकी गान्ड मे घुसने लगा और मेरा लंड पिस्टन की तरह गान्ड मे अंदर बाहर होने लगा....

मैं-उउम्म्म्म....गान्ड मस्त है...ये ले..ईईहह....ईसस्स्सस्स.....ये ले...

शादिया- आअहह..आहह..आह…आह..अहहह..आअहह..आहह
ईीस्स…यईीस…एस…एस…..यस..एस…यस…एस…एस..
फास्ट…फास्ट…फास्ट….य्या…फास्ट..आहह….आह…आअहह…

थोड़ी देर बाद मैने शादिया को उठा कर कुतिया बनने को कहा ....

मैं- अब बन जा मेरी कुतिया...फिर फाड़ता हूँ ...

शादिया तुरंत सोफे पर कुतिया बन गई और अपने हाथ से अपनी गान्ड चौड़ी कर ली....
 
मैने शादिया का हाथ पकड़ा और लंड को गान्ड मे डाल दिया....और धक्के मारना शुरू कर दिया....




शादिया- आअहह..आहह..आह…आ..अहहह..आअहह..आहह
ईीस्स…यईीस…एस…मसल दूओ….ज्ज्ज्ूओर्रर…ससीए…आअहह….अह्ह्ह्ह....

मैं- हाँ मेरी कुत्ति...ये ले...ईएह...ईएहह....

शादिया- आअहह..आहह..आह…आ..अहहह..आअहह..आहह
ईीस्स…यईीस…एस…एस…..यस..एस…एस…एस…एस..
फास्ट…फास्ट…फास्ट….य्या…फास्ट..आहह….आह…आअहह…एस.एस…..एसस्स..

मैं- येस्स....ईसस्स...उउउंम्म..ये ले...ये ले..ईएहह.....

रूम मे चुदाई का पूरा महॉल था….ऑर हम दोनो फुल मज़े के साथ गान्ड फाड़ने का प्रोग्राम कर रहे थे…

शादिया ने फिर से अपनी चूत मसलना शुरू कर दिया और मैं तेज़ी से उसकी गान्ड मारे जा रहा था.....

शादिया- आअहह..आहह..आह…उूउउंम्म....उूउउंम्म..
ईीस्स…म्म्मापआ….आअहह…...एस…एस…एस…एस..
फास्ट…फास्ट……फास्ट…….उूउउंम्म…ऊओह..श..श…ऊहह..
आहह….आह…आअहह…यस.यस…..एसस्स…आहह…ऊहहूओ...

करीब 10 मिनिट बाद शादिया फिर से झड़ने लगी....फिट मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो...

मैं- शादिया...कहाँ निकालु....

शादिया- मेरे मुँह मे आअहह....

मैने गान्ड मारना बंद किया और शादिया को फर्श पर बैठ दिया...

शादिया ने जल्दी से मेरा लंड मुँह मे भर के चूसना शुरू कर दिया.....

मैने शादिया के बाल पकड़ के उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया....





थोड़ी देर तक शादिया का मुँह चोदने के बाद मैं शादिया के मुँह मे झड़ने लगा....

शादिया ने मेरा लंड रस पी लिया और लंड चाट कर सॉफ कर दिया....

दमदार गान्ड चुदाई के बाद हमने थोड़ा रेस्ट किया फिर फ्रेश होकर कपड़े पहन लिए...

फिर हमने एक-एक पेग और लगाया और शादिया को किस कर के मैं उसके रूम से निकल आया....


यहाँ कहीं दूर........

रेणु इस समय बहुत ही टेन्षन मे थी...वो अंकित के लिए परेसान थी...

अंकित ने उससे झूट बोला था कि वो लाहा है इस वक़्त...पर रेणु को ये पता चल चुका था...

रेणु इस बात से ज़्यादा परेसान थी कि कही अंकित को उसके बारे मे कुछ पता तो नही चल गया...

और इस परेसानि मे वो किसी को बार-2 कॉल कर रही थी पर सामने वाला कॉल नही ले रहा था...

ऐसे ही कुछ देर तक रेणु परेसानि मे घूमती रही...तभी उसके फ़ोन पर कॉल आ गया......

( कॉल पर )

रेणु- कहाँ थे...??

बॉस- बिज़ी था...क्या हुआ...??

रेणु- क्या हुआ...अरे बहुत टेन्षन है...

बॉस- हुआ क्या...??

रेणु- अंकित ने मुझसे झूट बोला...

बॉस- हाहाहा....तो इसमे क्या बड़ी बात है...

रेणु- मेरे लिए बड़ी बात ही है...अगर उसका भरोसा मुझ पर से उठ गया तो अपने प्लान मे मुस्किल आ जायगी...

बॉस- डोंट वरी...कुछ दिन रुक जाओ...वो तुम्हे खुद अपने पास बुलाएगा...और कुछ दिन हाथ-पैर भी नही मार पायगा...बहुत दिमाग़ चलता है ना...सब बंद हो जायगा....

रेणु- ऐसा क्या करने वाले हो...???

बॉस- ज़्यादा कुछ नही...बस एक चोट...बड़ी सी चोट...

रेणु- नही...उसे कुछ मत करना...उसका सही सलामत रहना बहुत ज़रूरी है...

बॉस- टेन्षन मत लो...वो हमारे काम आएगा...और प्राब्लम भी नही होगी...समझी...

रेणु- पर ..उसे चोट मत दो..मैं हॅंडल करती हूँ ना...

बॉस- नही...अब सब मैं डिसाइड करूगा..तुम बस मेरे ऑर्डर का वेट करो...

रेणु- पर मेरी बात....

रेणु कुछ बोल पाती ..उससे पहले कॉल कट हो गई...

रेणु(परेसान हो कर)- हे भगवान..ये अंकित को क्या करेगा...आइ होप उसके साथ कुछ बुरा ना हो...वरना मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गी.....

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वापिस फार्महाउस मे.......

शादिया की जोरदार गान्ड तो मार ली...और उसे इस बहाने सज़ा भी दे दी....

मैं आज बहुत दिनो बाद सेक्स पॉवेर बढ़ाने वाली गोली खा कर शादिया की गान्ड फाडी थी....

उसने मेरे दोस्त के घर को तोड़ने का काम किया था...इसकी सज़ा तो देनी ही थी...अब साली की गान्ड 2 दिन तो दर्द करेगी ही....

यही सब सोच कर मैं लेट गया...मैं भी थक गया था इसलिए जल्दी ही नीद आ गई....

फिर मेरी नीद साम को खुली...जब अकरम मुझे जगाने आया...

साम का टाइम कॉफी पीने और गप मारने मे निकल गया....फिर रात को डिन्नर के बाद सब अपने-अपने रूम मे निकल गये....

मेरे रूम मे आते ही चंदा भी मेरे रूम मे आ गई...

मैने फिर चंदा की गान्ड मारी और वो थक कर सो गई...

पर मैं तो दिन मे सो चुका था इसलिए नीद नही आ रही थी...तो मैं लॅपटॉप ऑन कर के सबके रूम का जायज़ा लेने लगा.....

आज ज़्यादातर लोग तो सो रहे थे पर कुछ लोग जाग भी रहे थे....

अकरम और रूही आज साथ मे थे...दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे...जिसे देख कर मुझे खुशी हुई कि चलो अकरम आगे तो बढ़ा....

पर दूसरे रूम मे पूनम संजू से चुद रही थी..जिसे देख कर मुझे गुस्सा आ गया...ये दोनो कुछ ज़्यादा ही करने लगे थे....इन्हे सबक सिखाना होगा....

अकरम की मोम अपने सोहर की बाहों मे सो रही थी...जिसे देख कर मुझे राहत मिली कि चलो ये लाइन पर आ गई...

फिर मैने सरद को देखने के लिए उसका रूम सेलेक्ट किया....

सरद के रूम मे सरद तो खर्राटे मार कर सो रहा था पर सरद की बीवी मोहिनी जाग रही थी...

और हैरानी की बात ये थी कि मोहिनी अपनी बेटी के साथ लेज़्बीयन सेक्स कर रही थी....

मोहिनी और मोना को देख कर मैं सोच मे पड़ गया कि क्या ये माँ-बेटी पागल है जो सरद के बाजू मे ही शुरू हो गई...या फिर सरद को सब पता है शायद....

उनका सेक्स थोड़ी देर मे ख़त्म हो गया और फिर दोनो की बातें शुरू हो गई....

मोना- अच्छा मोम ये बताओ कि आज डॅड को क्या हुआ...इतनी गहरी नीद मे सो रहे है.....

मोहिनी- अरे कुछ नही...मैने ही नीद की गोली खिला दी थी...ताकि मस्ती कर सकूँ....

मोना- इसकी क्या ज़रूरत थी ..वो तो सब जानते ही है ना...

मोहिनी- हाँ बेटा...पर अब उनमे तो दम रहा नही...इसलिए सुला दिया..ताकि मैं वसीम के साथ मज़े कर सकूँ.. पर वो तो आया ही नही आज...

मोना- ओह्ह..तो वसीम अंकल का वेट हो रहा था..और आ गई मैं ..हहहे....

मोहिनी- तो क्या ...तू भी तो मज़ा दे रही है...

मोना- ओह...और वसीम अंकल आ जाते तो...

मोहिनी- तो हम दोनो को साथ मे चोद कर मज़ा देते...हहहे....

मोना- सही कहा...हहहे.....

मैं(मन मे)- ये दोनो माँ-बेटी तो पूरी रंडी निकली....साली दोनो वसीम से चुदती है....तभी वसीम अपनी बीवी को छोड़ कर भटकता रहता है...कुछ करना होगा....

और फिर से मैं उन दोनो की बाते सुनने लगा....

मोना- मोम..मुझे आपसे कुछ बात करनी थी...

मोहिनी- हाँ बेटा बोल...पर पहले एक सिगरेट जला दे मुझे....

फिर मोना और मोहिनी ने सिगरेट के कस लगाने शुरू किए और बाते शुरू हुई....
 
मोहिनी- अब बता...क्या बोल रही थी...

मोना- मुझे आपसे ये पूछना था कि आप अंकित को पहले से जानती है क्या...???

मोहिनी(चौंक कर)- नही...नही तो...मैं कैसे जान सकती हूँ...मैं तो पहली बार मिली उससे....

मोना- हाँ मोम...पर मुझे ऐसा लगता है कि आप उसे ना सिर्फ़ पहले से जानती है बल्कि काफ़ी कुछ जानती है...

मोहिनी- मतलब...मैं झूट बोलूँगी क्या...मुझ पर भरोसा नही तुझे...

मोना- भरोसा...ये शब्द तो आप बोला मत करो...

मोहिनी- ऐसा क्यो बोल रही हो...???

मोना- याद करो...जब मुझसे झूट बोलकर वसीम अंकल से चुदवाती थी....और मैने शक किया था....तब भी यही बोला था ना कि भरोसा करो...मैं कुछ ग़लत नही करती...और फिर सच क्या निकला...भरोसा तोड़ा था ना..

मोहिनी- वो बात अलग थी...वो मैं अपनी ग़लती छिपा रही थी...पर अंकित को जानती होती तो इससे मुझे क्या फ़ायदा या नुकसान होता...तो सोच..मैं झूट क्यो बोलूँगी...

मोना- मतलब आप उसके बारे मे कुछ नही जानती...??

मोहिनी- नही बेटा...बोला तो...

मोना-ओके...और रजनी को जानती है...???

मोहिनी(हस्ती हुई)- रजनी...कौन रजनी....मैं किसी रजनी को नही जानती....

मोना- अच्छा...तो फिर आपको कैसे पता कि अंकित रजनी को चोदता है...ह्म

मोना की बात सुनकर मोहिनी बुरी तरह चौंक गई...पर अपने आप को संभाल कर बोली...

मोहिनी- मुझे क्या पता...मैने कब कहा...

मोना- अच्छा...उस दिन जब वसीम अंकल का गान्ड मे ले रही थी तब तो बड़ा उछल-उछल कर बोल रही थी...कि "साला अंकित तो रजनी को जोरदार चोदता है...पूरा कॉंट्रोल मे है रजनी के ..." ...वो क्या था फिर....

अब मोहिनी के माथे पर पसीना आ गया...उसकी चोरी पकड़ी गई थी...

मोना- अब सच बताएँगी या फिर मैं वसीम अंकल से पूछने जाउ...

मोहिनी (चुप रही)

मोना- ठीक है...आप बैठो...मैं आज पूछ कर ही रहूगि...

और मोना उठ कर कपड़े पहनने लगी ...पर मोहिनी ने उसे रोक लिया और पास बैठा कर बोला...

मोना- अगर सच बताना हो तो ही रोको वरना....

मोहिनी- हाँ..सब सच बताउन्गी...पर पहले ये बता कि तुझे क्या ज़रूरत पड़ गई ये जानने की....

मोना- आप सच बताइए....मैं भी आपको सब सच बता दूगी....

मोहिनी- तो कहाँ से शुरू करूँ...???

मोना- पहले तो मुझे ये बता दो कि आप रजनी को कैसे जानती है...और ये भी की आपको कैसे पता कि रजनी और अंकित का सेक्स रीलेशन है....

मोहिनी- ह्म्म...रजनी और अंकित के सेक्स रीलेशन के बारे मे मुझे उसकी फ्रेंड कामिनी ने बताया था....

मोना- ये कामिनी कौन है अब....???

मोहिनी- मैं तुझे शुरू से बताती हूँ....

फिर मोहिनी ने मोना को बताना शुरू किया ....

रजनी, कामिनी, दीपा और रिचा...ये चारों फ्रेंड है....और इनमे एक बात कॉमन है....

और वो है अंकित के परिवार से दुश्मनी....

सबकी दुश्मनी की अपनी-अपनी वजह है...पर दुश्मन एक ही है...अंकित का परिवार.....

मोना- पर आपको ये कैसे पता...

मोहिनी- पूरी बात सुन लो पहले.....

तो इन चारों के अलावा भी कुछ लोग है जो अंकित की फॅमिली के खिलाफ है....

पता नही कैसे पर अब ये सब लोग एक साथ हो चुके है...और इंतज़ार कर रहे है अंकित की फॅमिली को मिटाने का....

मोना- ओके...ये तो उन सब के और अंकित की फॅमिली के बीच की बात है...आप कहाँ हो इसमे....

मोहिनी- मुझे भी इन लोगो ने अपने साथ मिलाने के लिए बुलाया था....

मोना- पर क्यो...??

मोहिनी- क्योकि....मैं भी उसकी फॅमिली की एक दुश्मन हूँ...

मोना(मुँह फाड़ कर)- क्या....आप भी...पर क्यो...???

मोहिनी- ये बात मेरी मौसी से रिलेटेड है...उनकी मौत के बाद ही मैं अंकित के परिवार से नफ़रत करने लगी....

मोना- पर ऐसा क्या हुआ था...और कौन थी आपकी मौसी...और आपकी मौसी का क्या लेना-देना था अंकित से...

मोहिनी- मेरी मौसी की जिंदगी अंकित के फॅमिली मेंबर्ज़ ने ही तबाह की थी...और उनकी मौत का ज़िम्मेदार भी उसकी फॅमिली का मेंबर है....

मोना- इसका मतलब...आप उसकी फॅमिली को अच्छी तरह जानती है....
 
मोहिनी(एक ठंडी आह भर कर)- ह्म...मैं अंकित को जानती हूँ...उसके बाप को भी ...उसके दादा को भी और उसके पूरे परिवार को...सबको जानती हूँ...

मोना-ओके...आप ये तो बताओ कि हुआ क्या था...और आप कैसे जानती है उन सब को और कब से.....


मोहिनी की बातें सुन कर मैं शॉक्ड था....मैं भी जानना चाहता था कि आख़िर मोहिनी मेरे परिवार को कैसे जानती है....क्या रीलेशन हो सकता है उसका, मेरे परिवार से.....और उसकी मौसी कौन थी...और उसे मारा किसने...????

मोहिनी- हमारा रिश्ता बहुत पुराना है....और बहुत ही करीबी....

मोना- हाँ ..पर ये तो बताओ कि ये कौन सा रिश्ता है..जो मुझे भी नही बताया ....

मोहिनी- रिश्ता तो बहुत पुराना है बेटा....तब तो मेरा जनम भी नही हुआ था...तबसे ये रिश्ता है....पर मुझे बहुत बाद मे पता चला....

मोना- आपको कब पता चला...और ये आपके जनम के पहले का रिस्ता है..तो आपको किसने बताया....

मोहिनी- मुझे तो मेरी मौसी के खत(लेटर) से सब पता चला...वो भी तब , जब मेरी मौसी इस दुनिया को छोड़ कर जा चुकी थी...

ये बात होते ही थोड़ी देर के लिए रूम मे शांति हो गई....तभी मोहिनी ने अपनी नम हो चुकी आँखो को सॉफ किया और एक सिगरेट जला के कस मारने लगी.....थोड़ी देर के बाद मोना फिर बोली...


मोना- एक बात समझ नही आई मोम...आख़िर अंकित की फॅमिली मे से कोई आपकी मौसी को क्यो मारेगा....

मोहिनी(सिगरेट का कस लगा कर)-क्योकि मेरी मौसी भी उस फॅमिली की दुश्मन थी...और बदला ले रही थी....

मोना- किस बात का बदला...

मोहिनी- मेरी माँ और मौसी के परिवार को मिटा डालने का बदला..जिसके ज़िम्मेदार अंकित के बड़े लोग थे...

मोना- तो आप अंकित को इसका ज़िम्मेदार समझती है...

मोहिनी- नही बेटा...मैं उसे ज़िम्मेदार नही समझती और मैं बदला लेने का भी नही सोचती...बस मरने के पहले एक बार अंकित के बाप से और उसके दादाजी से मिलना चाहती हूँ...

मोना- पर किस लिए...??

मोहिनी- कुछ सवाल पूछने है उनसे...और कुछ सच्चाई भी बतानी है उनको...

मोना- कैसी सच्चाई मोम...??

मोहिनी- ये तुझे अभी नही बता सकती...इंतज़ार कर...तुझे भी साथ ले चलूगी...सुन लेना ..ह्म्म

मैं मोहिनी की बात सुन कर सोच मे पड़ गया....

कितनी अच्छी औरत है ये...सब जानती भी है कि इसकी मौसी की मौत की वजह मेरी फॅमिली है...फिर भी इसके दिल मे मेरी फॅमिली के लिए नफ़रत नही है...



वहाँ मोहिनी को शांत देख कर मोना ने फिर से एक सवाल कर दिया...मैं भी कब्से इसी सवाल के जवाब का वेट कर रहा था....

मोना- ह्म्म...वैसे आपकी मौसी कौन थी मोम...और उन्हे मारा किसने था....

मोहिनी(थोड़ी देर चुप रहने के बाद)- मेरी मौसी की मौत के ज़िम्मेदार अंकित के डॅड है...उन्ही ने मारा मेरी मौसी को....

और इतना कहकर मोहिनी फुट-फुट कर रोने लगी और मोना अपनी मोम को संभालने लगी ....

पर मेरे दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी...मैं जल्दी से जल्दी मोहिनी की मौसी का नाम जानना चाहता था...

मैं सोचने लगा था कि क्या मेरे डॅड ने एक और खून किया है...किसी की जान ली है....

मैं लॅपटॉप पर आँखे लगाए मोहिनी को देख रहा था और कान खुले रख कर इंतज़ार कर रहा था कि जल्द से जल्द मुझे उस औरत का नाम पता चल जाए जिसे मोहिनी के हिसाब से मेरे डॅड ने मारा...

तभी मोना अपनी माँ को संभालते हुए बोली...

मोना- बस मोम..प्ल्ज़ चुप हो जाइए...

मोहिनी(रोते हुए)- कैसे चुप हो जाउ बेटा...कैसे भूल जाउ कि कितनी बेदर्दी से आकाश ने मार डाला मेरी प्यारी मौसी को....मेरी सरिता मौसी...

और "सरिता मौसी " बोल कर मोहिनी की आँखो मे आँसुओं का सैलाब आ गया और उसके साथ मोना भी रोने लगी...

वहाँ दोनो माँ-बेटी आपस मे चिपकी हुई आँसू बहाने लगी और मैं सरिता का नाम सुनते ही सन्न हो गया और उन्दोनो को रोते हुए देखता रहा.....
मेरे दिमाग़ मे इस समय तूफान आया हुआ हुआ था....

कुछ सवाल भी थे....कुछ उलझने थी...और बहुत ज़्यादा जिग्यासा थी....

मैं जानना चाहता था कि सरिता की मौत के बारे मे मोहिनी को कितना और क्या पता है....

साथ मे यह भी जानना था कि मेरी फॅमिली का मोहिनी की माँ और उसकी मौसी सरिता की फॅमिली से क्या संबंध था....

और मेरी फॅमिली ने उस फॅमिली को क्यो और कैसे बर्बाद किया था....

मैं अपने आप से ही झूझ रहा था...दिल ये मानने को तैयार नही था कि मेरे डॅड या दादाजी किसी को नुकसान पहुचा सकते है....

पर दिमाग़ मे मोहिनी की बाते और डाइयरी मे लिखी बात चल रही थी...जिसके हिसाब से उस दिन मेरे डॅड के हाथ मे पिस्टल थी और उस घर मे सुभाष और सरिता की लाशे पड़ी हुई थी....

मतलब..क्या सच मे मेरे डॅड ने ही सरिता को मारा था....
 
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मैं इस समय इन सवालो के जवाब जानने के लिए मरा जा रहा था...और मेरा माइंड तो जैसे फटने लगा था....

ऐसी कंडीशन मे मैं सिर्फ़ एक काम करता हूँ ...थोड़ी सी ड्रिंक...

मैं उठा और नीचे जाकर एक बॉटल ले आया....

फिर 2 पेग लगाए तो थोड़ी शांति मिली...

थोड़ी देर बाद मैने देखा कि मोना और मोहिनी ने रोना बंद कर के कपड़े पहन लिए थे...

और मोना अपने रूम मे निकल गई...और मोहिनी भी अपने पति के साथ सोने लगी...

मैने सोचा कि अब तो कुछ पता चलेगा नही ...अब मुझे खुद ही मोना या मोहिनी से बात कर के सच्चाई जाननी होगी....

और कुछ देर बाद एक पेग और गटक कर मैं भी सोने लगा....

सुबह जब मैं जगा तो एक झटके के साथ जगा...

मैं पसीने मे तर-बतर था और मेरी सासे ज़ोर-ज़ोर से चल रही थी....

आज फिर से मैने वो सपना देखा जो मुझे अक्सर परेसान करता है... 

मेरे चारो तरफ से हाथ आकर मेरा गला दबा रहे है...

ऑश..लास्ट नाइट मेरे लिए बहुत बुरी रही...

पहले तो मोहिनी की बातों ने मेरा दिमाग़ हिला दिया और फिर वो सपना...

मैने अपने आप को नॉर्मल किया और रेडी हो कर नीचे आ गया....

आज नाश्ते के दोरान मेरी नज़रे मोहिनी पर ही टिकी रही...

पर उसने ऐसा कोई रिक्षन नही दिया जिससे पता चले कि वो मुझे बहुत अच्छे से जानती है...और ना ही उसके चेहरे पर कल रात की बातों का कोई असर था....

नाश्ता करने के बाद सबका प्लान बना कि आज नदी की तरफ घूमने चलते है...

हम फिर से खेतो की तरफ आ गये वाहा से पैदल ही नदी की तरफ निकलना था....

सब लोग अलग-अलग पार्ट्नर ले कर जाने लगे...

पर मेरा बिल्कुल भी मूड नही कर रहा था....आज मैं अकेला रहना चाहता था....

पर जूही को ये मंजूर नही था...वो मेरे साथ ही खड़ी रही....

मैं नही चाहता था कि मेरी वजह से जूही का दिन भी खराब निकले....इसलिए मैने उसे जाने को बोला...

पर जूही कहाँ मानने वाली थी...उसे तो जैसे सिर्फ़ मुझसे मतलब था...घूमने से नही....

जूही ने मेरा हाथ पकड़ा तो मैं उसे देखने लगा....

जूही भी मेरी आँखो मे झाँक कर देखने लगी...शायद मेरी उदासी की वजह तलाश रही थी...



आख़िरकार काफ़ी देर तक मुझे देखने के बाद वो बोल ही पड़ी...

जूही- दर्द बाटने से कम होता है अंकित...

मैं- क्क़..क्या...कहा...

जूही- अपने दर्द मे इतना खोए हुए हो कि मेरी बात भी नही सुनी...

मैं- नही..ऐसा कुछ नही है...मैं तो बस....

जूही(बीच मे)- मैं फोर्स नही करूँगी...जब तक तुम्हे ये ना लगे कि मैं तुम्हारे दर्द को बाँट सकती हूँ..तब तक कुछ मत कहना...

मैं- ऐसा कुछ नही यार..वो तो बस रात को ड्रिंक की थी ना...तो मूड फ्रेश नही हुआ...

जूही- झूट बोलना सीख लो अंकित...अभी ठीक से नही बोल पाते हो....

मैं- क्या...मैं क्यो झूठ बोलुगा...और वो भी तुमसे...

जूही- ह्म्म..चलो..ये बात यही ख़त्म करते है...जब बताना हो तो बता देना...अभी चले...

मैं- ऐसा कुछ नही समझी...और ..मेरा सिर दर्द हो रहा है...तुम चली जाओ ना...मैं नही घूमने वाला...

जूही- तो फिर...एक काम करो..बैठो यहाँ...

मैं- क्या..पर क्यो...

फिर जूही ने मुझे जबरन नीचे बैठा लिया...मैं मना करता रहा पर वो नही मानी...

बैठने के बाद जूही ने मुझे खीच कर अपनी गोद मे लिटा लिया....

मैं- ये..क्या कर रही हो...

जूही- सस्शह....लेटे रहो...

मैं- ओके..पर बताएगी कि क्यो...??

जूही- तुम्हारा सिर दर्द ठीक करना है...

मैं- ह्म्म्म..ओके...करो फिर...

जूही की गोद मे सिर रख कर मैं अपना सिर दबवाने लगा....
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जूही की गोद और उसके नाज़ुक हाथों के स्पर्श से मेरा मूड ठीक होने लगा...

और उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देख-देख कर मेरा मूड मस्ती करने का होने लगा....

जूही(सिर दबाते हुए)- कुछ आराम मिला...??

मैं- ना..अभी नही...

जूही- कोई बात नही...जल्दी मिल जायगा...मेरे हाथो मे जादू है...

मैं- अच्छा...पर मेरे उपेर हाथो का जादू नही चलता...

जूही- ओह्ह...तो क्या चलता है...

मैं- उम्म्म..होंठो का जादू...

जूही मेरी बात का मतलब समझ गई और शरमा गई...

मैं- क्या हुआ...होंठो का जादू है तुम्हारे पास..??

जूही(शरमाते हुए मुझे देखती रही)

मैं- नही है तो रहने दो..मैं किसी और को ढूँढ लुगा...

और मैने उठने का नाटक किया...पर जूही ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे वापिस गोद मे लिटा दिया...

जूही(गुस्सा दिखाते हुए)- चुपचाप लेटे रहो...बड़े आए किसी और को ढूँडने वाले...

मैं- तो क्या करूँ...तुम तो जादू दिखा ही नही रही...

जूही- श्ह्ह्ह्ह...चुप...

और मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही जूही मेरे चेहरे पर झुक कर फूक मारने लगी...

जूही के गरम होंठो से निकलती गरम हवा ने मेरे माथे पर टकरा का मेरे जिस्म मे हलचल मचा दी...

मैने शांति से अपनी आँखे बंद की और जूही की गरम सांसो के अहसास मे खोने लगा...

जूही- आराम मिला...

मैं- ह्म..थोडा सा...

फिर जूही ने झुक कर मेरे माथे पर किस कर दिया...जो मेरे अरमान जगाने के लिए काफ़ी था...

जूही- अब...

मैं- ह्म्म्म्म ...थोड़ा और...

फिर जूही मेरे माथे को किस करती रही और मेरी मस्ती बढ़ती रही...

मैं- जूही...मेरी आँखे भी ...

जूही- अच्छा....

इतना बोल कर जूही ने मेरी बंद आँखो पर एक-एक किस कर दिया...


मैं- अभी आराम नही मिला...

जूही ने फिर 2-3 और किस किए....तभी मैने जूही को अपने होंठ दिखाते हुए कहा....

मैं- जूही मेरे होंठ भी...

जूही- बदमाश....

मैं- सच्ची यार...करो ना..

जूही शायद इसी इंतज़ार मे थी...पिछली बार भी हमने लिप किस नही किया था...

जूही शरमाते हुए अपने होंठ मेरे होंठो तक लाई...उसकी गरम साँसे मैं अपने होंठो पर फील कर रहा था....

पर इससे पहले की हमारे होंठो का मिलन हो पाता ...पीछे से शबनम की आवाज़ आई....

शबनम- जूही...ये क्या हो रहा है...

जूही और मैं दोनो घबरा गये...शबनम ने हमे रंगे हाथो पकड़ लिया था...और उसके साथ चंदा भी थी...

शबनम की आवाज़ सुनते ही जूही सीधी हो गई और मैं उसकी गोद से उठकर बैठ गया...

शबनम- अंकित तुम...यहाँ...हो क्या रहा था यहाँ...

जूही- मोम...वो..वो अंकित ..

मैं(बीच मे)- अरे आंटी...मेरी आँख मे कचरा चला गया था तो जूही से गरम फूक मारने को बोला था..

शबनम(मुस्कुरा कर)- ओह्ह..अच्छा ...

जूही- हाँ मोम..

शबनम- ह्म..अच्छा अब ठीक है ना ..

मैं- जी...

शबनम- तो जूही मेरे साथ चल..हमे कुछ खाने को बनाना है...

जूही- जी मोम...पर आप यहाँ ...घूमने नही गई...

शबनम- गई थी...फिर सोचा कि क्यो ना आज सबको अपने हाथो की बिरयानी खिला दूं...तो आ गई..चल हमारी हेल्प कर दे...
 
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जूही चुपचाप उठ कर चंदा के साथ फार्महाउस मे चली गई...मैं भी उठ कर खड़ा हो गया...

शबनम- थॅंक यू बेटा...

मैं- किस लिए आंटी...

शबनम- मुझे सही रास्ता दिखाने के लिए...

मैं- कोई बात नही आंटी...ये सब सिर्फ़ अकरम के लिए किया...उसकी फॅमिली...मतलब मेरी फॅमिली..है ना..

शबनम- ह्म्म..मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे बेटे को तुम जैसा दोस्त मिला...

मैं- नही आंटी...मैं खुश हूँ कि मुझे अकरम जैसा दोस्त मिला...

शबनम- तुम दोनो अच्छे हो ओके...अब तू घूम ले...फिर तुझे मस्त बिरयानी खिलाती हूँ...

मैं- ओके आंटी...वैसे...अंकल कहाँ है..आइ मीन किसके साथ गये...

शबनम- वो तो ज़िया के साथ निकल गये...

मैं- ओके..आप बिरयानी बनाओ ..मैं घूम कर आता हूँ...

फिर आंटी बिरयानी बनाने निकल गई और मैं नदी की तरफ जाने लगा....

जाते हुए मैं सोचने लगा कि आज भी जूही की किस्मत खराब निकली...उस दिन मैने लिप किस नही किया और आज आंटी की वजह से नही हो पाया...बेचारी...

फिर मुझे आंटी की बात याद आई कि वसीम ज़िया के साथ निकल गया है...

मुझे यकीन हो गया कि पक्का ये दोनो कहीं गुल खिला रहे होंगे....आज तो इन्हे रंगे हाथो पकदूँगा...



क्योकि अगर अकरम की फॅमिली को सही करना है तो वसीम और ज़िया को भी सही रास्ते पर लाना होगा....

यही सोच कर मैं तेज़ी से आगे बढ़ने लगा....

काफ़ी देर घूमने के बाद मुझे सफलता मिल ही गई....

नदी के पास वसीम और ज़िया चुदाई करने मे बिज़ी थे....

ज़िया ग्राउंड पर कुतिया बनी हुई थी और वसीम पीछे से उसकी गान्ड मार रहा था....

वसीम- आअहह...बेटा...तेरी गान्ड मारने मे जो मज़ा है...वो किसी और गान्ड मे नही...ईएह...

ज़िया- अब्बू....ज़ोर से क्यों ...आआहह...आअराम से ना...उूउउम्म्म्म..

वसीम- क्या करूँ..तेरी गान्ड ही ऐसी है...उपेर से मैं कल से प्यासा हूँ बेटा....ईएह...

ज़िया- क्यो...कल मोम नही मिली...और मोहिनी...आअहह...उनकी ले लेते..या मौसी की...आअहह..

वसीम- कल तेरी मोम साथ थी तो कुछ नही हुआ...यीहह...

ज़िया- हमम्म....बस डॅड...मेरा होने वाला है..आहह...आअहह...

वसीम- मैं भी आया...ईसस्स...ईीस्स...आआहह...

वसीम और ज़िया झड कर वैसे ही बैठे रहे...

मैने सोचा कि चलो इनकी बंद बजाता हूँ...पर कुछ कदम चलने के बाद....

मैं(मन मे)- अगर अभी इन्हे पकड़ लिया तो वसीम सारी उम्र मेरे सामने शर्मिंदा रहेगा....और ये अच्छा नही...

मैं ज़िया से बात कर के इस सब को रोक सकता हूँ....

ज़िया को तो चोद ही चुका हूँ...तो उसको ज़्यादा फ़र्क नही पड़ेगा...

ह्म्म..यही ठीक होगा...अभी यहाँ से चलता हूँ...आज रात को ज़िया से बात करूगा...

मैं आगे का प्लान सोच कर वहाँ से निकल आया...और नदी के किनारे पर पहुच गया...

वहाँ पर संजू और पूनम मस्ती करते हुए भाग रहे थे...

संजू पूनम को पकड़ रहा था...थोड़ी ही देर मे संजू ने पूनम को पकड़ा और वही खुले मे किस करने लगा...

ये देख कर मुझे गुस्सा आ गया...मैने सोच लिया कि आज इन दोनो को तो सबक सिखा ही दूं...

तभी पूनम और संजू वही पास मे बने एक घर मे घुस गये...

ये घर किसका होगा...वसीम का..???

ये जानने के लिए मैने अकरम को कॉल किया...उसने मुझे बताया कि वसीम एक फॅक्टरी खोलने वाला है यहाँ...

तो क्लाइंट से मिलने के लिए और उन्हे ठहराने के लिए ये घर बनाया है..

कॉल कट कर के मैं उस घर मे चला गया...

घर के अंदर संजू पूनम को नंगा कर के चूत मे लंड डाल चुका था और दोनो चुदाई मे मस्त थे...

तभी मैं तालियाँ बजाते हुए आगे बढ़ने लगा....

तालियो की आवाज़ सुनकर दोनो ने आवाज़ की तरफ देखा और वहाँ मुझे देख कर दोनो की फट के हाथ मे आ गई और दोनो सुन्न पड़ गये.....

मैं तालियाँ बजाते हुए उन दोनो के पास जाने लगा और दोनो की गान्ड और ज़्यादा फटने लगी....

मैं- वाह...वाह. .क्या बात है...

संजू- अंकित...तू...यहाँ....???

मैं- हाँ बेटा..मैं ..यहाँ...क्यो क्या हुआ...क्या मैं ग़लत वक़्त पर आ गया....ह्म

मेरी बात सुनकर दोनो चुप रहे...कोई जवाब नही दिया. ..

मैं- अच्छा हुआ कि मैं यहाँ आ गया...इसी बहाने ये देखने तो मिला कि भाई-बेहन का प्यार क्या होता है..वाहह .....

संजू- भाई ...वो ..मैं...

मैं- क्या वो मैं...हाँ...तुझे शर्म नही आई...अपनी दीदी को चोदता है ...

संजू-(मुँह नीचे कर के उदास हो गया)

मैं- अभी बता दूं तेरे घर...रजनी आंटी को बोल दूं...कि तू अपनी दीदी को रंडी की तरह चोदता है...

संजू- नही भाई...मैं तो दी से प्यार...

मैं(बीच मे)- प्यार....चुप साले...इसको कहीं भी चोदता रहता है और इसे प्यार कहता है...

संजू- मैं तो कभी-कभी...

मैं- अच्छा...कभी-कभी...हाहाहा...
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मेरे हँसने से संजू का चेहरा उतर गया..तभी पूनम बोली...

पूनम- भाई..प्ल्ज़्ज़....

मैं- तू तो बोल ही मत...तू तो रंडी बन गई है अब...

पूनम(गुस्से से)- भाई...

मैं- क्या भाई...हां...खुले मैदान मे..पहाड़ी के पास खुले मे और अब यहाँ...क्या ये रंडियो जैसी हरकत नही...

पूनम ने मेरी बात सुनी तो वो समझ गई कि मैने सब देखा है इसलिए वो चुप हो गई...

संजू- भाई प्लीज़...माफ़ कर दे...अब नही करूगा...

तभी पूनम ने मुझे देखा और मैने उसे आँख मार दी...

पूनम समझ गई कि मैं बस संजू के मज़े ले रहा हूँ...

मैं- अबे शर्म नही आई ....इतना मस्त माल अकेले-अकेले खा रहा है...मुझे भूल गया...

संजू(आँखे फैला कर)- क्या...क्या कहा..

मैं- वही जो सुना...मुझे भी बता देता...हम साथ मे चुदाई करते...

संजू- मैं तो बताने वाला था..पर दी ने...

मैं- ओह्ह...तो पूनम ने मना किया...क्यो पूनम...??

पूनम- मैं डर रही थी...

मैं- मुझसे...ह्म्म..

मैने पूनम को घूर के देखा और वो मुस्कुरा दी...

संजू- भाई..तो अभी कर ले...बस ये किसी को बताना मत ..बहुत बदनामी होगी..

मैं- ओह्ह..अब बदनामी की फ़िक्र हो गई...और खुले मे चोद रहा था तब...तब नही सोचा...

संजू- ग़लती हो गई भाई...सॉरी...

पूनम- सॉरी भाई...अब नही करेंगे..

मैं- ह्म्म..पर तुम दोनो को सज़ा तो मिलेगी...

संजू- जो सज़ा देना है दे..बस माफ़ कर दे...

मैं- सज़ा ये है कि अभी मैं पूनम को तेरे सामने चोदुगा...और पूनम की सज़ा ये है कि अभी वो 2 लंड से एक साथ चुदेगि...

संजू और पूनम एक साथ बोल पड़े...क्याअ...??

मैं- ह्म्म..अब तू वहाँ बैठ जा ...मैं पूनम को लाता हूँ...

संजू हमसे दूर जा कर सोफे पर बैठ गया और मैने पूनम को पीछे से बाहों मे भर लिया...


मैं(धीरे से)- बड़े मज़े मार रही है अकेले-अकेले...

पूनम- आप भी तो मार रहे हो..

मैं- हाँ..पर मुझसे क्यो छिपाया...

पूनम- बस ..डरती थी कि आप मना ना कर दो...

मैं- नही रे...इसमे क्या...तुझे घर पर ही लंड मिल गया...अच्छा है ना..

पूनम- ह्म्म...और अब तो 2-2 लंड मिलेगे...

मैं- ह्म्म..तो चल तुझे 2 लंड का एक साथ मज़ा चखाता हूँ...

पूनम- मैं तो कब्से सोचती थी कि मुझे 2 लंड एक साथ मिले...जबसे फिल्म मे देखा था...तब से मन है...

मैं- आज तेरा मन भर देते है...आज तेरी चूत और गान्ड..दोनो की बजाते है..चल..

फिर मैं पूनम को सोनू के पास ले गया...

सोनू का लंड आधा मुरझा गया था...पर मेरा लंड फुल आकड़ा था...

मैने पूनम को सोफे पर झुकाया और उसे संजू का लंड चूसने बोला...

फिर अपना पेंट निकाल कर पूनम की टाँग उठाई और अपना लंड पूनम की चूत मे डाल दिया...

पूनम(लंड मुँह से निकाल कर)- आअहह...गीला तो कर लेते...आअहह....

मैं- तो दर्द कैसे होता...आज तो तुझे रुला-रुला कर मारना है....

पूनम- ऊहह...संजू..तू ही बोल ना..आराम से करे...आआहह...

मैं- चुप कर और लौंडा चूस उसका...संजू...डाल दे इसके मुँह मे वापिस...

संजू ने पूनम का मुँह पकड़ के लंड को उसके मुँह मे वापिस डाल दिया और मैं तेज़ी से धक्के मारने लगा...
 
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