Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर - Page 47 - SexBaba
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Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर

बॉस- मुझे लगता है कि अंकित आज-कल बहुत दिमाग़ चला रहा है...तो सोचा कि क्यों ना उसका दिमाग़ कहीं और लगा दूं..

रिचा- अंकित...उसने क्या किया....

बॉस- कामिनी पर हमला...फिर दीपा का पिक्चर मे आना...ये कौन कर सकता है...

रिचा- पागल हो क्या...अंकित नही कर सकता...

बॉस- तो और कौन है कामिनी का दुश्मन...हो ना हो ये अंकित का काम है...

रिचा- नही...आकाश हो सकता है...

बॉस- आकाश तो सहर से दूर है...और मान लो कि आकाश है...तो उसका दिमाग़ भी डाइवर्ट हो जायगा....

रिचा- ह्म्म..पर इसमे मुझे क्या करना होगा...

बॉस- मैं तुम्हे एक अड्रेस सेंड करूगा...तुम्हे वहाँ जाना है...

रिचा- ओके..कब...

बॉस- मेसेज मिलने के 1घंटे के अंदर..

रिचा- क्या...पागल हो क्या...मैं रात मे कैसे ....मेरी बेटी को क्या बोलोगि...

बॉस- वो तुम देखो...तुम्हे बस वहाँ पहुचना ही होगा...

रिचा- उउहह...ओके...पर करना क्या है...

बॉस- वही जिसमे तुम एक्सपर्ट हो...उसे खुश करना है...

रिचा- तुम ना...ठीक है...पर एक बात बताओ...क्या तुम्हे भी लगता है कि दीपा जिंदा है...

बॉस- ह्म्म..श्योर तो नही...हो सकता है कि मर गई हो...

रिचा- तो क्या वो सच मे भूत है...

बॉस- भूत होता ही नही...हो सकता है कि दीपा जैसी दिखने वाली हो...कोई बड़ा गेम खेल रहा है...और वही मुझे पता करना है...

रिचा- मैने तभी बोला था..जब कामिनी का आक्सिडेंट हुआ था...पर तुम्हे तो..

बॉस(बीच मे)- इसीलिए अब वेट नही कर सकता...इस हमले से ये क्लियर हो जायगा कि दिमाग़ कौन चला रहा है...आकाश या अंकित...

रिचा- ओके...पर पता कैसे चलेगा...

बॉस- तुम बस ये ख्याल रखना कि ऑफीस पर हमले की खबर आकाश तक ना पहुचे...कुछ दिन तक...और हाँ..अंकित तक तुरंत पहुच जाए....

रिचा- ह्म्म...मैं रजनी से कॉल करवा दूगी..ओके..

बॉस- गुड....

रिचा- पर एक मिनट...आकाश के एंप्लायी ने बोल दिया तो...

बॉस- उसका इंतज़ाम मैने कर लिया है...

रिचा- अच्छा...कैसे...वहाँ तो सब आकाश के वफ़ादार होंगे....

बॉस- हाहाहा...डार्लिंग..भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है...यहाँ भी एक है...जिसे पैसों की भूख है....बस इंसान की भूख शांत कर दो...फिर वो तुम्हारा गुलाम ...

रिचा- अच्छा है....पर पोलीस का क्या...

बॉस- पोलीस की टेन्षन छोड़ो...जिसके पास तुम्हे जाना है...वो देख लेना...उसे भी भूख है...जो मैं शांत करवाउन्गा...


रिचा- उसकी भूख क्या है...

बॉस- जिस्म की भूख...वो औरत के जिस्म के लिए पागल है...

रिचा- ओह..तो उसकी भूख मुझे मिटानी है...

बॉस- ठीक समझी...मैं मेसेज करता हूँ...निकलो...और हाँ...अपनी बेटी को बोल देना कि सुबह ही आओगी...

रिचा - सुबह...क्या पूरी रात...

बॉस(बीच मे)- हाँ...उसकी भूख बड़ी है...और ठर्की है साला...पूरा निचोड़ के मज़ा लेगा...तुम उसे खुश कर देना...बाइ...

और रिचा के कुछ बोलने के पहले ही कॉल कट हो गई.....

वापिस....शादी की जगह....

यहाँ मैं सबनम आंटी से चिपट कर अपने लंड को आराम देने मे लगा हुआ था....

मेरे हाथ भी आंटी की गान्ड को दबाते हुए उन्हे गरम करने मे बिज़ी थे...और आंटी भी अपनी गान्ड को धीरे-2 मेरे लंड पर घिसे जा रही थी...

मैने मौका देख कर आंटी के कान मे बोला..

मैं- आंटी...बस कीजिए...वरना गड़बड़ हो जायगी ....

आंटी- ह्म्म..सही कहा ...पर क्या करु...मन हो रहा है..

मैं- मन तो मेरा भी हो गया...पर ये जगह सही नही है...

आंटी- ह्म्म..जानती हूँ बेटा...

मैं- तो अब आराम से शादी देखो...हाँ...

आंटी- अब शादी देखने का मन नही बेटा...अब तो सुहागरात...

मैं(बीच मे)- कंट्रोल आंटी...कंट्रोल...

आंटी- ओके...मैं आती हूँ...

और आंटी अचानक से वहाँ से निकल गई...और मैं उन्हे जाते हुए देख कर सोचने लगा कि अब अचानक क्या हुआ..

फिर मैने सबकी नज़रो से बच कर अपने हथियार को ठीक किया और शादी देखने लगा.....

कुछ ही देर बाद अकरम आया और मुझे अपने साथ बाहर ले गया...जहा हमारी कार पार्क थी...

मैने देखा क़ि वहाँ वसीम और सबनम पहले से ही खड़े थे...

मैं- अकरम...ये सब...बात क्या है..

अकरम- कुछ नही...तुम और मोम फार्महाउस जा रहे हो...

मैं- हम दोनो..और तुम सब...

अकरम- हम थोड़ी देर से आते है...शादी ख़त्म करके...

मैं- पर अचानक...क्यो...??

वसीम- अरे बेटा ...वो तुम्हारी आंटी का सिर दर्द हो रहा है...तो उसे सोना है....

मैं- ओके...पर मैं...

वसीम(बीच मे)- उसने बोला कि तुम्हारे हाथ मे अभी भी दर्द है...इसलिए तुम भी रेस्ट करो...

अकरम- हाँ..और अब कुछ मत बोलना...कार मे बैठ...तुम और मोम ...दोनो रेस्ट करो...हम सब भी 1-2 घंटे मे आ रहे है..ओके...

मैं- ह्म्म...ठीक है...

मैने आंटी को देखा तो आंटी ने हल्की सी स्माइल दी और फिर से सिर पकड़ कर बोली...

सबनम- चलो बेटा...अब रहा नही जाता...

मैं(मन मे)- हाँ आंटी...अब कैसे रहा जायगा...वैसे रहा तो मुझे भी नही जा रहा....मान गये...क्या प्लान बनाया है....

सबनम(कार मे बैठ कर)- आओ बेटा...चले...

मैं- ओके आंटी...चलिए...

और फिर मैं आंटी के साथ फार्महाउस निकल आया....
पूरे रास्ते हम ने कोई बात नही की बस आंटी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर जमाए रखा...

हम दोनो ही नही चाहते थे कि ड्राइवर को कुछ भी शक हो...इसलिए चुप-चाप फार्म हाउस आ गये....

फार्महाउस आते ही आंटी अंदर निकल गई और मैं भी गार्ड को ध्यान रखने का बोल कर अंदर आया और मेन गेट लॉक कर दिया....

मैं(मन मे)- अब तो रात का मज़ा ही अलग आयगा....

और मैं उपेर रूम की तरफ चला आया...जहाँ आंटी मेरा ही वेट कर रही थी...

मुझे देखते ही आंटी ने स्माइल की और पलट कर खड़ी हो गई...

मैं समझ गया कि आंटी शर्मा रही है....

मैं आराम से आंटी के पास गया और पीछे से उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया....

आंटी- आअहह...बेटा...

मैं- क्या हुआ आंटी...ह्म्म..अब शर्मा रही हो...

आंटी- ह्म्म....

मैने अपने हाथ को आंटी की कमर और बूब्स पर फिराना शुरू किया....

मैं- तो शादी मे क्या कर रही थी...तब शर्म नही आई. .

आंटी- आई थी बेटा...पर पता नही कैसे इतनी हिम्मत कर ली...

मैं- बहुत मूड बन रहा था आपका तो...हाँ...

आंटी- ह्म्म...मूड तो शाम से ही बना था...जब तूने मुझे...आहह...

मैने धीरे से आंटी के एक बूब्स को दबा दिया...

मैं- तो आपने कहा क्यो नही...

आंटी- कैसे कहती बेटा...वो अकरम का रूम था...

मैं- ह्म्म..पर आपको कंट्रोल करना चाहिए ना...ह्म्म...

आंटी- कोसिस कर रही हूँ ...पर आज बहुत मन हो रहा था...

मैं- तो आज रात आपके मन को खुश कर दूं...

आंटी- हाँ बेटा...आज जी भर के मज़ा दे दे...

मैने देर ना करते हुए आंटी के कपड़े निकाल दिए...और आंटी ब्रा-पैंटी मे आ गई...

आंटी ने भी मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे किस करना शुरू कर दिया....

मैने आंटी को सोफे के साइड पर बैठाया और किस करना जारी रखा...

मैने घुटनो पर आकर आंटी की नाभि पर जीभ फिराने लगा....
आंटी ने एक्सिटमेंट मे अपनी टांगे मेरे कंधे पर फसा दी....और अपने हाथो के बल पीछे झुक कर मज़ा लेने लगी.....

मैं- सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प...सस्रररुउउप्प्प्प...उउउम्म्म्मम...

आंटी- ओह्ह बेटा...उउउंम्म....बेटा...आआहह....

मैं आज आंटी को धीरे-धीरे मज़ा दे रहा था...और आंटी भी तड़पति हुई मज़े के सागर मे डूबती जा रही थी.....

मैं- आअहह...आप बहुत टेस्टी हो आंटी...उउउंम्म....सस्स्स्रररुउउउप्प्प्प्प्प....

आंटी- आअहह....तो चूस लो मुझे....ऊओह..बेटा....उूउउम्म्म्म...

थोड़ी देर तक आंटी की नाभि के मज़े लेने के बाद मैने उन्हे सोफे पर लिटा दिया और उनके साइड मे लेट कर उनके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया ....

मैं- उउउंम...अब मज़ा आयगा...

और मैने आंटी के बूब को मुँह मे भर लिया...
आंटी- उउंम...चूसो बेटा....चूसो...आआहह..

मैने आंटी के बूब्स को बारी-2 चूसना शुरू कर दिया और साथ मे एक हाथ से पैंटी के उपेर से उनकी चूत सहलाने लगा....

आंटी- उउउंम्म..यस बेटा...चूसो...आअहह...ज़ोर से....आआहह...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउंम्म...उूउउंम्म...उउउंम्म......

मैं- उउंम्म...यू आर सो हॉट आंटी...उउउंम्म....उउउंम्म...

आंटी- एस बेटा...सारी ह्टनेस निकाल दे ...चूस ले....उूउउंम्म....

मैं- उउंम...हाँ आंटी ..सब चूस लुगा...उूुउउम्म्म्म...सस्स्रररुउउप्प्प्प....
 
थोड़ी देर तक आंटी के बूब्स चूसने के बाद मैने आंटी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और उनकी चूत पर अपने हाथ की स्पीड बढ़ा दी...

आंटी ने भी मस्ती मे अपनी टांगे खोल दी और अपनी चूत को मेरे हाथ पर उछालने लगी...

आंटी- उउंम..बेटा...कब तक तड़पाएगा...उूउउंम्म...

मैं- सस्स्ररुउपप...तड़प मे ही मज़ा है आंटी...उउउंम...

मैं और आंटी एक दूसरे के होंठो को पूरे मज़े से चूस रहे थे और मैं अपनी उंगली को आंटी की चूत मे पैंटी के उपेर से घुसाने लगा....

आंटी- उउंम..बेटा...निकाल दे...देख कैसे पानी छोड़ रही है...अब और ना तड़पा...उउउंम्म...


मैं- सस्स्रररुउपप....आअहह...आंटी...आप मज़ा करो बस ..बाकी मुझ पर छोड़ दो...सस्स्रररुउउप्प्प..सस्ररुउप्प्प...

थोड़ी देर बाद आंटी पूरी गरम हो गई...उनकी चूत रस से उनकी पैंटी पूरी गीली हो गई...

फिर मैं आंटी के पैरो के पास आ गया और उनकी पैंटी को साइड करके अपनी जीभ खुली चूत पर फिरा दी....



आंटी- ओह्ह्ह...बेटा...

मैं- उम्म..आज तो आप सच मे टेस्टी हो गई..ह्म्म..सस्स्रररुउुउउप्प्प्प्प....

आंटी-आहह….ऐसे ही…हाअ बेटा…चूस डालो...

मैं-सस्स्रररुउउप्प्प…सस्स्रररुउउप्प्प…उूउउम्म्म्मम

आंटी-आअहह….हहाअ….आईीससीए हहिि…ज्ज्ज्ूओर्रर से…ख्ह्हाअ जाआओ...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प...

आंटी- आहह...यस...बेटा..उउंम...

मैं- सस्रररुउउप्प...उउंम्म..सस्स्रररुउउप्प्प..आहह..

आंटी- ऊहह...यस...येस्स..उउफ़फ्फ़....

थोड़ी देर बाद मैने चूत मे जीभ घुसा दी और जीभ से उसे चोदने लगा...

मैं- उउंम..उउंम..उउंम..

आंटी- ओह...ओह...एस..एस्स...सक इट...एस...एस्स...

मैं- उउंम..उउंम..उउंम..उऊँ..उउंम..

आंटी- अंदर तक...एस...डीपर...सक..इट..एस्स..

और आंटी की चूत मेरी जीभ के हमलो से झड़ने लगी....

आंटी- ऊहह...एस्स...कोँमिंग..ओह्ह..ऊ...ओह्ह..

मैने चूत को मुँह मे भर लिया और चूत रस पीने लगा...

मैं- उउंम..उउंम..सस्ररूउगग...सस्ररूउगग...

आंटी- एस्स...सक ..सक..सक..ओह्ह..ऊहह..एस्स..

चूत रस पीने के बाद मैं खड़ा हो गया और बोला....

मैं- आंटी...मज़ा आया...

आंटी- ह्म्म...अब मैं तुम्हे मज़ा कराती हूँ बेटा...

और आंटी उठी और मुझे लिटा कर मेरा पेंट निकालने लगी....

आंटी ने जल्दी से मुझे नंगा कर दिया और मेरे लंड को हाथ मे थाम लिया....

आंटी- बेटा...ये तो आज और भी अच्छा लग रहा है...

मैं- बस आंटी ...आपके प्यार का असर है...आप बस ऐसे ही प्यार करते रहो...ये और भी अच्छा लगेगा...

आंटी ने एक प्यारी सी स्माइल दी और लंड के सुपाडे को अपनी जीभ से छेड़ने लगी...

मैं- ओह्ह..आंटी...अब आप भी तड़पाने लगी....

आंटी- नही बेटा...मैं नही तड़पाउन्गी....मुझे अब ये अंदर चाहिए...आओउउउम्म्म्म...

और आंटी ने सुपाडा मुँह मे भर लिया....और बड़े प्यार से चूसने लगी...
आंटी-सस्स्स्सुउउउप्प्प…ऊओंम्म….उउउंम्म….सस्स्रर्र्र्र्रप्प्प्प

मैं-आआहह…अओंती…ईसस्स...

आंटी ने धीरे-धीरे आधे से ज़्यादा लंड मुँह मे भर लिया....

आंटी-सस्स्स्र्र्ररुउउप्प्प…..ऊओंम्म….उउउंम्म…सस्स्रररुउउप्प

मैं-आअहह…..ऐसे ही आंटी...थोड़ा और...…आअहह…

आंटी-सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प….सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प…..उूुउउम्म्म्ममनममम….सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प

मैं-आंटी …मज़ा आ गया…आअहह

थोड़ी देर की लंड चुसाइ मे मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया...

और मैने आंटी की रोक कर उन्हे अपने उपेर आने का इशारा किया...


आंटी भी मेरी गोद मे आ कर अपने हाथ से लंड को चूत पर सेट कर के बैठने लगी...

आंटी- आअहह...

आंटी ने बैठते हुए पूरा लंड अपनी गीली चूत मे ले लिया...
 
जैसे ही आंटी ने मेरी आखो मे देखा तो वो थोड़ा सा शर्मा गई...तभी मैने नीचे से एक धक्का मार दिया...

आंटी- आअहह...

मैं- आंटी...मुझे तो आपकी गान्ड मारनी थी...और आपने...

आंटी- तो मार लेना बेटा...पहले चूत तो मार लो...

मैं- ह्म्म...ओके

और मैने आंटी की गान्ड पकड़ के धीरे-2 धक्के मारने शुरू कर दिए....

मैं- खुश हो आंटी...ह्म्म..

आंटी-आहह..आहह..हाँ बेटा...बहुत खुश….

और थोड़ी देर के बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी....आंटी भी अब अपनी गान्ड उछाल कर मेरा साथ देने लगी....

आंटी- आअहह…अब मार ले मन भर के….आअहह..अहहह

मैं-आहह..आप तेज़ी से उछलो…मज़ा आ रहा है..आहह

आंटी- ये ले बेटा..आहह..आहह…ओर ज़ोर से..आहह

मैं- हाअ ऐसे ही ….जंप…आंटी जंप..

आंटी-आहह..आह..आह..आह..अहूहह..ऊहह

मैं-आहह…ज़ोर से..आंटी…आह…ज़ोर से….

हमारी चुदाई की स्पीड से सोफा भी आवाज़े निकाल रहा था...

थोड़ी देर बाद आंटी थकने लगी तो मैने आंटी को साथ ले कर पलट गया...

अब आंटी मेरे नीचे थी और मैं उपेर...मैने आंटी की टांगे हवा मे उठाई और धक्के मारने की स्पीड बढ़ा दी...
आंटी-आअहह…आहह…हहा…बेटा…ऐसे ही करो..आहह…
..आहहह…अहहह..यईएसस..सहहाः…ज्जॉर्र्र..ससी..आहहह…

मैं- हां आंटी…ये लो….यीहह…यीहह…

आंटी- अहः..उउंम…बेटा…हहूऊ…आअहह….बेटा……आऐईइईसीए हहीी…ययईसस…ज्जूओर्रर…ससीए…..एसस्सस्स…आअहह…आहहहह…

मैं- यस आंटी...ये लो...आप तो बहुत हॉट हो...ईएह...

आंटी- अहहह....आहह...बेटा...आहह......माअररर....माअररर...तीएज्ज्ज...

और इस दमदार चुदाई मे आंटी फिर से झड़ने लगी.....

आंटी-आअहह…आह...आहह...आह…म्मायन्न…आऐईइ…..बेटाअ....आ..आह...आऐईयईईईईई..

आंटी झड़ने लगी ओर चुदाई की आवाज़ बदलने लगी...

मैं- मैं भी आया आंटी...ईएहह...एसस्स..

आअहह…..आहहहह..ब्बीतता…ऊहह…म्मा..आहह…त्ततहुूप्प्प…कचहुप्प्प…..ईएहहाअ…आहह…त्ततहुूप्प्प…त्ततहुूप्प्प…
.फ़फफूूककचह…फ़फफूूककच….ऊओ…ईीस्स…यईीसस…आअहह….आंटी….यी ली….ऊओ……फफफफकक्चाआप्प्प….टतततुउउप्प…आहह…आईईईई..बीतता..

ऐसे ही आवाज़ो के साथ आंटी और मैं झड गये और फिर से किस करने लगे....
मैं- उउंम्म...आंटी...मज़ा आया...

आंटी- ह्म्म..सस्स्रररुउप्प्प...सस्ररुउप्प्प..

मैं- अब आपकी गान्ड मारनी है आंटी...

आंटी- तो जल्दी करना बेटा...वरना...

तभी हमें मेन गेट पर नॉक होने की आवाज़ आई और हम चौंक गये...

थोड़ी देर बार फिर से आवाज़ आई और इस बार गार्ड्स की आवाज़ भी आई...

आंटी- वो लोग आ तो नही गये...

मैं- इतनी जल्दी...नही...कुछ और बात होगी...मैं देखता हूँ...

और मैने जल्दी से टवल लपेटी और नीचे चला गया...

गेट खोलने पर गौर्ड़ ने बताया की बारिश की वजह से रास्ता खराब हो गया तो बाकी सब सुबह ही आएँगे....

मैने गेट वापिस लॉक किया और सोचने लगा कि साला चुदाई के चक्कर मे पता ही नही चला कि बारिश भी हो गई...

पर मैं खुश हो गया...अब तो रात भर आंटी की गान्ड मरूगा...

यही सोच कर मैं वापिस आने पलटा तो सीडीयों पर आंटी खड़ी हुई थी...

मैने देखा कि आंटी मुस्कुरा रही थी...सयद उन्होने भी गौर्ड़ की बात सुन ली थी...आंटी सिर्फ़ नाइट गाउन पहन के आ गई थी...

मैं सीडीओ पर गया और आंटी से बोलना चाहा पर आंटी पहले ही बोल पड़ी...

आंटी(मुस्कुरा कर)- मैने सब सुन लिया...

मैं- तो अब आज रात आप मेरी...

आंटी शरमा गई...

मैने जल्दी से अपनी टवल निकाल दी..और मेरा मुरझाया लंड आंटी के सामने आ गया ...

फिर मैने आंटी का गाउन निकाल दिया और उन्हे किस करने लगा...
 
आंटी- उउंम..रूम मे चलो बेटा...

मैं- नही आंटी...यही करते है...सेक्स मे मज़े भी लेना चाहिए...अलग-2 जगह...अलग-2 पोज़िशन मे...

आंटी- उउंम..पर यहाँ..

मैं- हा आंटी...यही...अब इसे खड़ा करो...

और मैने आंटी के बाजू मे खड़ा हो कर उन्हे घुटनो पर बैठा दिया...

आंटी भी चुप-चाप लंड मुँह मे भर के तैयार करने लगी....
आंटी- सस्ररुउउप्प्प...तुम तो पक्के खिलाड़ी लगते हो...सस्ररुउप्प्प...

मैं- वो तो सुबह आप ही बताना...आज रात भर खेल दिखाउन्गा...

और फिर आंटी ने मेरे लंड को चूस कर खड़ा करना शुरू कर दिया...

आंटी-सस्स्स्सुउउउप्प्प…ऊओंम्म….उउउंम्म….सस्स्रर्र्र्र्रप्प्प्प...उउंम्म..

मैं-आआहह…आंटी...जल्दी ही रेडी कर दिया...वाह...

आंटी-सस्स्स्र्र्ररुउउप्प्प…..ऊओंम्म….उउउंम्म…सस्स्रररुउउप्प....सस्ररुउउप्प...

मैं-आअहह…..बस आंटी..अब आपको मज़ा कराता हूँ...कुछ नया...

और मैने आंटी को रोका और सीडी पर बैठ गया...

फिर मैने आंटी को खड़ा किया और उनकी टाँगो के बीच मे मुँह लगा कर चूत चाटने लगा...

आंटी- आअहह..बेटा...तू तो ...ये कहाँ से सीखा...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्ररुउपप...आहह...आप देखती जाओ...मैने बहुत कुछ सीखा है...

और फिर से आंटी की चूत चुसाइ शुरू कर दी....

आंटी-आहह..आह..आ..ऊहह..म्माहह..बेटा…आअहह..

मैं-उउंम..सस्ररुउपप...उउंम्म..उउम्मह....

आंटी-आहह..बेटा...मेरा पानी... आहह....आहह…

मैं-उम्म्म…उउंम..उउंम्म..सस्ररुउउप्प्प....

आंटी-आअहह..मैइयैईंन…झड जाउन्गी..…बीटाअ…आअहह...

आंटी शायद ज़्यादा ही गरम हो गई थी...मैने चुसाइ छोड़ी और आंटी को अपनी गोद मे बैठा कर...वही सीडीओ पर उनकी चुदाई शुरू कर दी...
आंटी- आहह..बेटा...तू तो...आअहह...ज़ोर से...

मैं- बस आंटी...आप मज़ा करो..और फॅमिली के साथ रहो ..

आंटी- हाँ बेटा...मैं किसी के साथ कुछ नही करूगि...बस तुम करते रहना...

मैं- ह्म्म ..कभी-2 ...पर आज तो पूरी रात...

और मैने तेज़ी से धक्के लगाना शुरू कर दिया...

आंटी- बेटा..मैं आने वाली हूँ..

मैं- अभी नही आंटी...

और मैने आंटी की चूत से लंड निकाला और बिना देर किए आंटी की गान्ड फैला कर लंड को गान्ड मे डाल दिया...

आंटी- आहह...बता तो देता...

मैं- अब पता चल गया ना...

और मैने 3 धक्को मे पूरा लंड आंटी की गान्ड मे उतार दिया...

आंटी को भी ज़्यादा दर्द नही हुआ...और मैने आंटी के बूस दबाते हुए उनकी गान्ड मारना शुरू कर दिया...
थोड़ी देर बाद ही आंटी खुद उछल कर गान्ड मरवाने लगी....

मैं-ये लो आंटी..मज़ा करो...

आंटी-आअहह….हहाअ…म्माअर्ररूव…त्ट्तीएजज्ज़…ऊओ...

मैं-ओर तेज ये…ये लीयी…

आंटी-आअहह…म्माआ……आऐईयइ….हहाअ…ज्ज्ज्ूओर्र…
सस्ससे…बबबीएटत्त्ताअ…फ़ाआड़ द्दूव…उउउम्म्म्ममम...

आंटी गान्ड मरवाते हुए अपनी चूत भी मसल्ने लगी और मैं उनकी गान्ड पकड़ कर उन्हे तेज़ी से उछालने लगा...

थोड़ी ही देर बाद आंटी फिर से झड़ने लगी...

आंटी-आअहह…अहहह..उउउंम…ऊहह..ऊहह..ऊहह..
ऊहह…ज्ज्ज्ूओर्र…सीई…बबबीएटत्त्ताआअ….आाऐययईईई….
उूउउंम्म…आहह…आहह…आह….

जब आंटी झड गई तो थक कर शांत हो गई...
 
थोड़ी देर बाद मैने आंटी को साथ लिया और रूम मे आ गया...

मैं- अभी मेरा बाकी है आंटी...

और मैने आंटी को बेड झुका कर पीछे से गान्ड मारनी शुरू कर दी...
आंटी- ओह्ह्ह...बेटा...धीरे...आअहह..

मैं- सॉरी आंटी..अभी नही रुक सकता...

आंटी- आअहह...तो फिर मर...जैसे चाहे...

और मैं पूरी स्पीड से आंटी की गान्ड मारने लगा...

मेरे धक्को के साथ आंटी और बेड , दोनो आगे-पीछे हो रहे थे....

आंटी-आआहह…..आज तो...म्म्मागआररररर द्दददााालल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआ...

मैं-यीहह…ऑर तेज
मैं-ययईएह….ययईईहह…यी…ल्ल्लीए…ऑर तीज्ज..हाँ..

आंटी-ऊओ….म्म्मागआ…आआहह….अहहाा..

मेरे जोरदार धक्के खा कर.. आंटी पूरी तरह बेड पर लेट गई थी...और गान्ड मरवाने का आनंद ले रही थी...

आंटी भी फिर से गरम हो गई और अपनी उंगली से अपनी चूत को चोदने लगी...

आंटी- आअहह..बेटा...मैं तो ...फिर से...आअहह...आऐईयइ...

और दमदार चुदाई मे आंटी फिर से झड़ने लगी...

मेरा भी अब होने वाला था..और मैने आंटी की गान्ड को पकड़ के तेज़ी से कई शॉट्स मारे और झड़ने लगा...

मैं- ऊहह...आंटी...मैं भी गया....

और मैने अपने लंड रस से आंटी की गान्ड भर दी...और लंड निकाल कर बेड पर बैठ गया...

मेरे हट ते ही आंटी भी पलट गई और सासे लेने लगी...

तभी अचानक से आंटी बैठ गई और उनके चेहरे पर डर ले भाव आ गये...

मैने आंटी की ऐसी हालत देखी तो उनकी नज़रों का पीछा किया...और वहाँ देख कर मैं भी घबरा गया....

मैं- तुम..यहाँ....कैसे....????
हमारे सामने इस वक़्त गुल खड़ी हुई थी....

हम दोनो ही उसे देख कर परेसान थे....क्योकि हम ने तो सोचा भी नही था कि गुल यहाँ आ सकती है....

एक तरफ मैं अपने मन मे सोचने लगा की अब गुल से किस तरीके से बात करूँ....उसे क्या समझाऊ...

वही सबनम आंटी का.माइंड फ्यूज़ हो गया था....वो एक टक लगाए गुल को ही देख रही थी....

सबनम आंटी के मुँह से एक शब्द भी नही निकल रहा था...शायद वो भी कुछ सोचने की कोसिस कर रही थी...

वही हमारे सामने खड़ी गुल हमे आँखे फाड़ कर देखने के बाद चोरी-चोरी मुस्कुरा रही थी....

पर अब तक गुल ने ना ही कुछ कहा था और ना ही उसके चेहरे पर गुस्से के भाव आए थे....

तभी महॉल को सम्हालने के लिए मैने गुल से बात करना ही ठीक समझा...

मैं- गुल...तुम यहाँ कैसे....??

गुल ने मेरी बात का कोई आन्सर नही दिया...बस मुझे एक स्माइल पास कर दी...

गुल की स्माइल देख कर ही मैं रिलॅक्स हो गया...मैं समझ गया कि गुल को कोई प्राब्लम नही हुई...

वैसे भी गुल को मेरा और ज़िया का रिश्ता भी पता था...और वो खुद भी चुप-चाप से मेरे लंड का मज़ा ले चुकी थी...

अब मैं गुल की तरफ से रिलॅक्स था...अब सिर्फ़ सबनम आंटी को रिलॅक्स करना था...इसलिए मैने आंटी से बात करनी शुरू की....

मैं- आंटी...आंटी...

आंटी- हूँ...क्या...अंकित...ये सब...गुल..यहाँ...अब क्या होगा....

आंटी हड़बड़ाते हुए रुक-रुक कर बोली और रोने लगी....

मैं(आंटी के कंधे पर हाथ रख कर)- रिलॅक्स आंटी..कुछ नही हुआ...और कुछ होगा भी नही....

आंटी- पर...गुल...वो..यहाँ...नही अंकित...अब कुछ नही हो सकता...मैं तो गई...

मैने आंटी के दोनो कंधो को पकड़ा और अपने सीने से चिपका लिया...

आंटी के बूब्स मेरे सीने पर दस्तक देने लगे और गुल एक बार फिर से हमे देख कर स्माइल करने लगी...
 
मैं- बस आंटी...चुप...कुछ नही होगा...

आंटी- पर बेटा..वो ...गुल.....

मैं- सस्शहीए....बिल्कुल चुप...मैं हूँ ना....

आंटी- ह्म्म..पर...

मैं- बस...मेरा साथ दो...सब ठीक होगा....ट्रस्ट मी....

और मैने आंटी को अलग कर के उनके होंठो को चूसना शुरू कर दिया....

आंटी अभी इसके लिए तैयार नही थी...पर मुझ पर भरोशा कर के हल्का -हल्का रेस्पोन्स देने लगी....

हम धीरे-धीरे किस के रंग मे रंगने लगे और गुल हमे देखती हुई खुश होती रही...

थोड़ी देर तक किस करने के बाद ..जब मुझे लगा कि आंटी गरम होने लगी है ..तो मैने गुल को आँखो से पास आने का इशारा कर दिया....

मैं जानता था कि गुल मना नही करेगी...क्योकि वो भी गरम हो चुकी थी....

जैसे ही गुल बेड के करीब आई तो मैने अपने हाथ आंटी के जिस्म से हटा लिए और एक हाथ से गुल के एक बूब्स को दबाने लगा...

आंटी भी अभी मुझे किस कर रही थी...पर तिरछी निगाहो से गुल को भी देख रही थी...

आंटी अभी भी डरी हुई थी...और उनका डर ख़त्म करने के लिए मैने गुल की नाइटी को नीचे से उठाना चालू किया...

गुल मेरी इक्षा समझ गई और मेरा साथ देते हुए अपनी नाइटी को खुद ही निकाल दिया...

अब गुल मेरे पास ब्रा-पैंटी मे खड़ी हुई थी...

आंटी अभी भी किस करने मे और गुल को देखने मे बिज़ी थी...

मैने गुल को अपने पास खीच लिया और गुल घुटनो के बल बेड पर आ गई...

गुल के आते ही मैने अपना एक हाथ गुल की पैंटी पर रख दिया और उसकी चूत मसल्ने लगा....

गुल- आअहह.....गुल के मुँह से सिसकी निकलते ही आंटी का डर तोड़ा कम हुआ...और अब वो किस से ज़्यादा गुल पर ध्यान देने लगी...

थोड़ी देर तक गुल की चूत मसल्ते ही गुल पूरी तरह से गरम हो गई और सिसकते हुए चूत से पानी बहाने लगी....

वहाँ आंटी भी गुल की मादक सिसकारिया सुनकर गरम हो गई थी...

मैने मौका देख कर चौका मारने का तय किया और लेट गया...

लेट कर मैने गुल को खींच कर अपने लंड की तरफ कर दिया और दूसरी तरफ आंटी को भी लंड पर झुका दिया....

अब आंटी और गुल आमने-सामने थी...और उनके बीच मे मेरा आधा खड़ा हुआ लंड....

दोनो ही लंड को चूसने के लिए गरम थी...पर एक दूसरे से हिचकिचा रही थी...

मैने देखा कि गुल और आंटी एक-दूसरे की आँखो मे झाँक रही है..शायड यही सोच रही थी कि पहले कौन...

मैं- अब तुम दोनो शुरू करो...वरना मैं चला....


मैं जानता था कि अब तक दोनो इतनी गरम हो चुकी थी की मुझे जाने नही देती...

अचानक से आंटी और गुल एक -दूसरे को देखते हुए मेरे लंड पर झुकी और अपनी जीभ फिराने लगी....

गुल की जीभ लंड के टोपे पर थी और आंटी के हिस्से मे बॉल्स थी...

आंटी- सस्स्रररुउउउप्प्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...

गुल- सस्स्रररुउउउप्प्प्प...एयेए...सस्स्रररुउउप्प्प्प....

मैं- ह्म्म्मर...कम ऑन....जल्दी से.....

थोड़ी देर तक दोनो मेरे लंड पर जीभ फिराती रही...पर एक दूसरे से नज़रे नही हटाई...

उनकी जीभ के जादू से मेरे लंड ने उफान मारना शुरू कर दिया...और देखते ही देखते मेरा लंड टाइट हो कर उनकी आँखो से सामने खड़ा हो गया....

मैं- आहह..अब चाट कर ही काम चलाओगी क्या...शर्म छोड़ो और चूसना शुरू करो...कम ऑन...

मैं जानभुज कर ऐसी बाते कर रहा था कि दोनो मेरे सामने खुल जाए और शरमाना छोड़ कर छुदाई का मज़ा ले...

मेरे कहने के बाद आंटी ने हिम्मत की और लंड को मुँह मे भर लिया...

मैं- आहह...गुल डार्लिंग...मेरी बॉल्स भी है...शुरू हो जाओ...

गुल ने एक स्माइल दी और मेरी बॉल्स को चूसना शुरू कर दिया...
 
क्या सीन था...आंटी आधा लंड मुँह मे भर कर चूस रही थी और गुल बॉल्स को....

आंटी- सस्स्रररूउउग़गग...सस्स्ररूउउगग....सस्स्ररूउउग़गग...

गुल- उउंम..सस्र्र्ररुउप्प्प...उउउंम..उउंम्म....
मैं- आअहह...मज़ा आ गया...चूस्ति रहो....

थोड़ी देर तक आंटी और गुल पूरी शिद्दत से अपना काम करती रही...और साथ मे दोनो एक-दूसरे की हरकतों को भी देखती रही...

मैं- ओह्ह...अब दूसरे को भी मौका दो...हाँ...

मेरी बात का मतलब समझते ही आंटी ने लंड को मुँह से निकाल दिया और गुल ने चुप चाप लंड को मुँह मे भर लिया....और आंटी ने भी बॉल्स पर कब्जा जमा लिया...

मैं- वाउ...समझदार हो...कम ऑन...सक इट बेबीस....फास्टर..फास्टर....


थोड़ी देर और चुसाइ करवाने के बाद मैं पूरी तरह से रेडी हो गया था...पर मैं तो दोनो को मज़े ले कर मज़ा करना चाहता था...

मैने दोनो को रोका और गुल को पूरा नंगा कर के लिटा दिया...

गुल को लिटा कर मैं उसके पैरों के बीच आया और उसकी चूत पर मुँह लगा लिया...

गुल- आअहह...उउउंम्म...

मैं- सस्स्ररुउउप्प्प....सस्रररिपप...आअहह..आंटी..इसे अपनी चूत का मज़ा दे दो...हाँ..कम ऑन आंटी...

मेरी बात सुन कर आंटी कुछ नही बोली...बस गुल के मुँह पर चूत खोल कर बैठ गई...

एर गुल ने भी चुप चाप आंटी की चूत को अपने मुँह मे दबाना शुरू कर दिया...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प....

गुल- उउउंम्म...सस्स्रररुउउप्प्प...उउउंम्म....उूउउम्म्म्म....

आंटी- आओउंम...उउउंम्म..आअहह...उउउंम...

गुल की सिसकिया तो आंटी की चूत मे दबा रही थी पर आंटी अपनी सिसकियाँ छिपाने की कोसिस कर रही थी...

मैं समझ गया की अभी भी आंटी शरमा रही है...पर चूत की गर्मी भी बहुत है...

थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद आंटी और गुल झड़ने लगी....

गुल- उउंम्म..उउउंम...आअहह...उउउंम..उउउंम...आअहह...

आंटी- आअहह...आओउंम..आअहह...आआहह....ऊओह....

दोनो झड़ने के साथ ही ढीली पड़ गई और आंटी, गुल के मुँह से हट कर साइड मे लेट गई...और गुल तेज साँसे लेने लगी...


मैने गुल के चूत रस को चखा और उसे खीच कर उसकी चूत पर लंड फिराने लगा....

गुल ने मेरा इशारा समझा और पैर को हवा मे उठा कर लंड को अंदर जाने की दावत दे दी...

मैने 2 धक्को मे ही लंड को चूत मे डाल दिया...और धीरे-धीरे चुदाई शुरू कर दी...

गुल- आआहह....आआहह...उउउंम्म...

गुल की सिसकी सुनकर आंटी गुल के साइड खिसक आई...

मैं- अरे ...आंटी की चूत खाली...गुल...कुछ करो यार...

आंटी के आते ही गुल ने हाथ बढ़ा कर आंटी की चूत को सहलाना चालू कर दिया...

गुल का हाथ चूत पर लगते ही आंटी भी खुल गई और अपने हाथ से गुल की चूत के दाने को रगड़ने लगी...

मैं धीरे-धीरे गुल की चुदाई करता रहा और गुल और आंटी एक दूसरे की चूत के दाने को प्यार से रगड़ती रही...

अभी भी दोनो एक-दूसरे को देखतो हुई सिसक रही थी...

गुल- आअहह...आअहह...उउउंम्म..आअहह...

आंटी- एसस्स...उउंम्म...फास्ट...आअहह...

मैं- यीहह....क्या बात है...एस्स...एस्स...हाव फन लॅडीस...ह्म..यह..यीह...

थोड़ी देर तक चुदाई करने के बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी...और वजा आंटी और गुल ने आपस मे किस करना शुरू कर दिया....

अब गुल मेरे धक्के खा रही थी और आंटी के होंठो को चूस रही थी...आंटी भी गुल के नाज़ुक होंठों को चूस्ते हुए अपनी चूत को खुद ही रगडे जा रही थी....

आंटी- उउंम्म..उउंम..आअहह..उउउंम...उउंम..

गुल- सस्स्रररुउप्प्प...उउंम..आअहह..आहह..उउउंम्म...

मैं- कम ऑन...एस्स..एस्स..एस्स..एस्स...यीहह...कम ऑन बेबी....

रूम मे बस सिसकियों की आवाज़ें आ रही थी...और साथ मे थप-थप करती गुल की गान्ड की भी...

कुछ देर की चुदाई और रगड़ाई के बाद फिर से आंटी और गुल साथ-साथ झड़ने लगी...

आंटी- आअहह..उउंम..एस्स...येस्स...कँम्मिंग...उउउंम्म..उउंम्म...


मैं- कम ऑन आंटी...एस्स...एस्स...

गुल- उउम्मह...आअहह...आअहह....एस्स...एस्स...ऊओ...ईसस्सस्स......

दोनो के झड़ने के बाद मैने अपना लंड चूत से निकाल दिया....और आंटी की तरफ आ गया....

मैं- मज़ा आया आंटी...

आंटी कुछ नही बोली बस शरमा गई...
 
मैं- और गुल...तुम्हे मज़ा आया...

गुल भी शरमा कर रह गई...

मैं- अब छोड़ो भी शरमाना...कम ऑन...आओ आंटी...

और मैने आंटी को उठा कर किस करना शुरू कर दिया...तभी गुल ने मेरे लंड को हाथ से सहलाना चालू रखा...

मैने आंटी को अपनी गोद मे बैठा कर एक स्ट्रॉंग धक्के के साथ उनकी चूत मे लंड उतार दिया...

आंटी- बबबीएतटाआ....

मैं- मज़ा आया आंटी...

और मैं लेट कर आंटी को अपने लंड पर उछालने लगा...

आंटी भी गुल को देखते हुए अपनी गान्ड को लंड पर उछलवाने लगी और मुस्कुराने लगी...

मैने गुल को अपने मुँह पर आने का इशारा किया और उसकी चूत की फांके खोल कर चूत मे जीभ घुसा कर चोदने लगा...

मैने एक उंगली गुल की गान्ड मे फसा कर उसकी चूत चुसाइ शुरू कर दी....

जिससे गुल आगे झुक गई और उसके सामने आंटी के बड़े-बड़े बूब्स आ गये....


जिसे देख कर गुल रुक नही पाई और आंटी के बूब्स चाटने लगी...

आंटी भी दुगनी मस्ती मे अपनी गान्ड उछाल कर लंड को अंदर-बाहर करने लगी....

गुल- सस्स्ररुउउप्प्प...उउउंम्म..आआहह...उउंम..सस्रररुउपप.. सस्ररुउपप...

आंटी- ओह्ह...कम ऑन बेटा...चूस लो....कम ऑन...

मैं- सस्स्ररुउउप्प्प..उउंम..उउंम..उउंम..उउंम..

गुल- यस आंटी...यू आर सो हॉट...उउंम.उउंम्म..

आंटी- सक इट बेबी....उउउंम्म...एस्स..एस्स..एस्स...

आख़िरकार आंटी और गुल के मुँह से कुछ शब्द सुन कर मैं खुश था और मैने अपना काम जारी रखा...

थोड़ी देर के बाद आंटी और गुल पूरे जोश मे आ गई ...और एक दूसरे को बाहों मे कस कर चूमने लगी...

आंटी- यस बेबी...उउंम...उउंम...यू आर टू सेक्सी...उउउंम...

गुल- आंटी...यू 2....सूपर हॉट...उउंम...


और दोनो पूरे जोश मे अपनी चूत के आग को चूत रस के साथ बाहर निकालने लगी...

आंटी- उंम..ऊहह...मैं गई बेटा...आष्ह..आहह...आहह...

आंटी झड गई और गुल के बूब्स दबाए हुए उसे किस करती रही...

थोड़ी देर बाद गुल भी झड़ने लगी...

गुल- उउंम...आंटी...मैं भी आऐईइ...ओह्ह..एससस्स..एस्स...उउउंम्म..

दोनो के झाड़ते ही उनका जोश ख़त्म हो गया और दोनो एक-दूसरे से चिपक कर साँसे भरने लगी...

मैने दोनो को साइड किया और उन्हे लिटा कर उनके सामने खड़ा हो कर लंड हिलाने लगा...

मैं भी अब झड़ने के करीब था...और वो दोनो मेरा लंड रस निकलने के इंतज़ार मे मुँह खोल कर लेटी हुई थी...

थोड़ी देर बाद मैं लंड रस की पिचकारियाँ मारने लगा और दोनो के मुँह पर लंड रस फैला दिया..

दोनो ने पूरा लंड रस चखा और एक दूसरे को किस करके मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी....

मैं भी समझ गया कि अब दोनो की शर्म गई...

थोड़ी देर बाद हम फ्रेश हो कर लेट गये...

तब हमे सही बात याद आई...

असल मे गुल को सिर दर्द था..उसलिए वो शादी मे गई ही नही थी...और ये बात मुझे और आंटी को बिल्कुल याद नही रही..और हम पकड़े गये...

पर जो भी हुआ...अच्छा हुआ और मज़ा भी बहुत आया...

फिर हम सब सो गये और जब मेरी आँख खुली तो वहाँ गुल नही थी...वो जा चुकी थी...

और आंटी का नंगा बदन सुबह की रोशनी मे कयामत ढा रहा था...

तभी आंटी भी जाग गई और मुझे देख कर मेरे गले लग गई...

और फिर हम ने बाथरूम मे एक बार फिर से दमदार चुदाई की...आंटी की गान्ड भी मारी और फिर मैं अपने रूम मे जाने लगा..

आंटी- बेटा...ये लास्ट टाइम था...

मैं- मुझे खुशी होगी...मैं भी चाहता हूँ कि आप भटके ना...

आंटी- ह्म्म ...मैं पूरी कोसिस मे हूँ...पर कभी भटक गई तो...

मैं(मुस्कुरा कर)- मैं हूँ ना...डोंट वरी...अब रेडी हो जाओ...सब आते होंगे...


और मैं अपने रूम मे निकल आया...

रूम मे आते ही मैने अपने मोबाइल पर आए मसेज चेक किए ...

जिसे पढ़कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई...

मैने तुरंत कॉल लगाया ....

( कॉल पर )

मैं- हेलो...

स- हेलो...मसेज मिला...रिप्लाइ तो दे दिया कर...

मैं- सॉरी...बिज़ी था...वेल ..ऑल सेट...

स- ऑल सेट...तुम कब आ रहे हो...

मैं- कल आउगा...पर काम आज करना होगा...

स- मतलब...

मैं- मैने अभी मेसेज किया...देख लो...

स- क्या...तुम ये क्यो...

मैं- सब बताउन्गा...अभी बस कर दो...और याद से....जान नही जानी चाहिए....ओके..

स- ह्म्म..अब तूने कहा है तो करना ही होना...

मैं- अभी जाओ...और याद रखना...

स- मैने सब पढ़ लिया....और हाँ...जान नही जायगी...चल बाइ...मुझे अभी निकलना होगा...

मैं- बाइ...

कॉल कट होने के बाद...मैने मोबाइल मे एक पिक को देख कर बोला...

मैं- ह्म्म...अब तेरी बारी...गेट रेडी...यू आर फिनिश्ड.......
थोड़ी देर बाद ही सब लोग शादी से वापिस आ गये थे....
 
मैं जब फ्रेश हो कर नीचे आया तो सब नाश्ते की टेबल पर थे....

नाश्ता करते हुए सबने डिसाइड किया कि आज दोपहर बाद...मतलब 12 के बाद निकलना है....

नाश्ते के बाद सब लोग रेस्ट करने चले गये...पूरी रात जो जागे थे....

मैं भी अपने रूम मे आ गया...और जाने की तैयारी करने लगा...

मैने तय कर लिया था कि मैं रेकॉर्डिंग वाला लॅपटॉप अपने साथ ले जाउन्गा....शायद इसमे कुछ काम की रेकॉर्डिंग मिले...

पर इसके लिए मुझे चंदा से बात करनी होगी....यही सोच कर मैं चंदा को कॉल करने ही वाला था कि चंदा खुद मेरे रूम मे आ गई...

मैं- ओह...चंदा तुम..मैं तुम्हे ही बुलाने वाला था...

चंदा- अच्छा...सच मे...थॅंक यू...

मैं- थॅंक्स किस लिए...

चंदा- अरे आपने मेरे मन की बात जो कह दी...मैं तो यही सोच रही थी कि जाने के पहले एक बार आप...

मैं- ओह..वो भी करेंगे...पर एक काम और था...

चंदा- हाँ बोलिए ना..

मैं- मुझे ये लॅपटॉप चाहिए...और ये बात किसी को...

चंदा(बीच मे)- बस...ये आपका हुआ...मैं देख लुगी...अब खुश..

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...

चंदा- तो अब मुझे भी....

मैं- ह्म्म..गेट लॉक करो....तुम्हे भी खुश करता हूँ....




यहाँ सहर मे......आज सुबह....

एक घर मे रिचा बेड पर उल्टी लेटी हुई थी और एक मर्द उसकी गान्ड मे तेज़ी से लंड पेल रहा था....

रिचा- ओह हरामी....अब आअहह...रुक भी जा....आअहह...साले....

मर्द- चुप कर रंडी.....और मज़े ले ....यीहह...

वो मर्द और तेज़ी से रिचा की गान्ड मारने लगा और साथ एक हाथ से गान्ड पर थप्पड़ भी मारने लगा...

पूरे रूम मे बस रिचा की चीखे...थप्पड़ो की आवाज़....और चुदाई की सिसकियाँ ही गूज़ रही थी...

रिचा- आअहह...मर गई...रुक जा साले ...पूरी रात मे मन नही भरा.....आआहह....

मर्द- क्या करूँ....तेरी जैसी रंडी जो मिली है...मन ही नही भरता....यीहह...यीहह...

रिचा- ओह माँ...मैं फिर से...आअहह...गाऐयइ....

मर्द- साली फिर झड गई...मज़े ले रही है और नखरे करती है....ये ले...

और मर्द तेज़ी से थप्पड़ मारते हुए रिचा की गान्ड का भुर्ता बनाता रहा...

थोड़ी देर बाद वो मर्द भी झाड़ गया और चुदाई का महॉल शांत पद गया...

मर्द- अब बोल...कुछ बोल रही थी...हाँ..

रिचा- साले भडवे....सुबह से गान्ड मार दी...पूरी रात मे मेरी जान निकाल दी...आअहह...

मर्द- तो अब आराम करना...

रिचा- ह्म्म..पर तू रेडी हो जा...काम याद है ना....

मर्द- हाँ मेरी रंडी...याद है....पर पहले एक बार तेरी लूँगा फिर जाउन्गा....

रिचा- न्नहिी...मुझे फ्रेश होना है...दम नही है मुझ मे...

मर्द- तेरी माँ की...मैं पूछ नही रहा...बता रहा हूँ...चल...

और फिर उस मर्द ने रिचा की चूत और गान्ड को एक बार और ठोका और फिर दोनो रेडी हो गये....

रिचा- अब मैं जाती हूँ....काम हो जाना चाहिए....

मर्द- हो गया समझो....साम तक गुड न्यूज़ देता हूँ...फिर तेरी लूँगा...हाहाहा....

रिचा- कमीने....

और रिचा मुस्कुरा कर अपने घर निकल गई...


रिचा के जाते ही उस मर्द ने कॉल कर के अपने आदमियो को आने को कहा...

और फिर दूसरा कॉल किया...

( कॉल पर)

मर्द- हेलो सोनी...

सोनी- कौन...

मर्द- कौन छोड़...ये बता कि रेडी है तू...

सोनी- रेडी....ओह्ह...तो आप है जो आकाश का ऑफीस...

मर्द(बीच मे)- हाँ...सुन...तू घर पर रहना....जब काम हो जायगा तब कॉल कर दूँगा...बस लॉकर की कीस मेरे आदमी को दे देना...वो आता ही होगा...

सोनी- ह्म्म..आया था...मैने कीस दे दी.....पर प्ल्ज़...मेरा नाम ना आने पाए...प्ल्ज़्ज़...

मर्द- घबरा मत...तुझे पैसे मिल गये ना...तो कुछ दिन घूम कर आ...ऐश कर....

सोनी आगे कुछ बोल पाता उसके पहले ही कॉल कट हो गई....

थोड़ी देर बाद उस मर्द के चम्चे भी आ गये...

चमचा- बॉस...ये रही लॉकर की कीस...और हाँ...ये रही आकाश की डीटेल...

ये कहते हुए उस आदमी ने कीस और एक फाइल उस मर्द को थमा दी...

कीस को रख कर उसने फाइल को देखना चालू किया...

पहले पेज पर आकाश की पिक और डीटेल लिखी हुई थी ....

दूसरा पेज पलट ते ही उस मर्द की आँखे बड़ी हो गई...

उस पेज पर अंकित की पिक्स और डीटेल थी...

मर्द(अपने आप से) - ओह...तो ये आकाश का लौंडा है....ह्म्म..अब आयगा मज़ा...बहुत स्मार्ट बनता है ना...अब निकालता हूँ सारी स्मार्टनेस....साला...

और फिर वो मर्द अपने आदमियों को आगे का प्लान समझने लगा.....


सहर मे ही...सोनी के घर....

जैसे ही कॉल कट हुई तो सोनी पीछे मुड़ा और सामने चेयर पर बैठे आदमी से बोला...

सोनी- देखो...मैने वही किया जो तुमने कहा था....मैने कीस भी नकली दी....अब हमे कुछ मत करना प्लज़्ज़्ज़...

आदमी- ह्म्म...रिलॅक्स...तुम्हे कुछ नही होगा...

सोनी- और मेरी बीवी...प्लीज़ उसे छोड़ दो...

आदमी- उसे भी कुछ नही होगा....वो बस बेहोश है...उसे तो पता ही नही कि क्या हुआ...

सोनी- थॅंक यू...थॅंक यू...हमारी जान बक्शने के लिए...थॅंक यू...

आदमी- ह्म्म...क्या करे...मुझे ऑर्डर मिला था कि जान नही जानी चाहिए...नही तो...खैर...अब आराम करो...और मुँह बंद रखना...

सोनी- जी...बिल्कुल...बिल्कुल चुप...

आदमी- वैसे उस लॉकर मे क्या है...

सोनी- उसमे कंपनी के इम्पोर्टेंट पेपर्स है...वो मिस हो गये तो काफ़ी गड़बड़ हो सकती है...

आदमी- ह्म्म..चलो ..चलता हूँ...फिर मिलेगे...

सोनी- सर...अगर उनको पता चला कि वो कीस नकली है तो...वो मुझे मार डालेगे...वो बहुत ख़तरनाक...

आदमी- डोंट वरी...उन्हे कुछ पता नही चलेगा....रेस्ट करो...और हाँ..वो मसेज सबको फॉर्वर्ड....

सोनी(बीच मे)- कर दिया...सबको कर दिया...

आदमी- गुड...

और फिर वो आदमी सोनी के घर से निकल गया.......
 
सहर मे ही....दोपहर के वक़्त....

सहर के बीचो-बीच...एक भीड़ वाले इलाक़े मे....4-5 लोग एक कार से निकले...

सभी ने अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था....और सभी की पीठ पर 1-1 बॅग लटका हुआ था....

वो आदमी उस इलाक़े मे बनी एक बिल्डिंग के सामने खड़े थे जो 2 फ्लॉर की थी...

उन आदमियों के आते ही बिल्डिंग का गौर्ड़ उनके पास आया...

पर उन लोगो के कुछ बोलने के बाद वो गौर्ड़ वहाँ से निकल गया....

गौर्ड़ के जाते ही उन आदमियों ने बिल्डिंग मे एंट्री मारी और कुछ खोजने लगे...

काफ़ी देर बाद उनको अपने काम की जगह मिल गई...

उन्होने अपना काम पूरा किया....और कुछ सामान अपने बॅग्स मे भर लिया....

आदमी 1- अब चलो....और हाँ...बॉस ने कहा था कि कुछ भी सही-सलामत ना रहे...

आदमी 2- ओके ..सब फैल जाओ...और जल्दी करो...

थोड़ी देर बाद....

आदमी 1(फ़ोन पर)- सर...हो गया...अब...

सामने- गुड...काम पूरा करो और निकलो...बट याद रहे...जान नही जानी चाहिए....

फिर वो आदमी काम पूरा कर के वहाँ से निकल गये......

सहर मे ही ...रिचा के घर....


रिचा रात भर की ठुकाई से थकि हुई आराम फर्मा रही थी...

आज पूरा दिन उसने अपने बेड पर ही लेटे हुए निकाला था....

रिचा को बस उस मर्द के कॉल का इंतज़ार था....वही गुड न्यूज़ देगा तो रिचा की गान्ड को शांति मिलेगी.....

आख़िर कार वो वक़्त आ ही गया. ..रिचा को उस मर्द का कॉल आ गया....जिसे देख कर रिचा की आँखो मे खुशी तैर गई....

( कॉल पर )

रिचा(खुश हो कर)- बोल मेरे भडवे ...काम हो गया ना...

मर्द- ह्म्म..वो...हुआ ये..कि...

रिचा- चुप क्यो हो गया..बोल ना...

मर्द- काम नही हुआ...

रिचा(गुस्से मे)- क्या...नही हुआ...क्या बक रहा है तू...

मर्द- काम नही हुआ....हम से पहले ही कोई काम तमाम कर गया...

रिचा- क्या मतलब...???

मर्द- मतलब ये कि जब मेरे आदमी वहाँ पहुचे तो आकाश के ऑफीस मे आग जल रही थी...

रिचा(चौंक कर)- आग...पर कैसे...??

मर्द- नही पता...बस ये जानता हूँ कि सबकुछ जल चुका था...

रिचा(माथे पर हाथ रख कर)- माइ गॉड...मतलब कुछ नही मिला...वो पेपर्स...

मर्द(बीच मे)- सब जल गया...कुछ नही बचा....

रिचा को अब गुस्सा आ गया था...एक तो उसने रात भर अपनी ठुकवाई और अब काम भी नही हुआ....

रिचा- साले भडवे....एक काम नही हुआ तुझसे...आ गया गान्ड मरवा कर...

मर्द- ओये...तमीज़ से बात कर...

रिचा- तमीज़ गई माँ चुदाने...साला रात भर मेरी गान्ड पेलता रहा और अब कहता है कि कुछ नही मिला...

मर्द(गुस्से मे)- नही हुआ तो नही हुआ...क्या करूँ...

रिचा- ओये...आवाज़ नही...नही हुआ ना...अब देख..तेरा क्या होता है...

मर्द- क्या...मेरा क्या कर लेगी...

रिचा- हहा...मैं नही...जिसने तुझे काम दिया था ना...वो करेगा...

मर्द- क्या कर लेगा मेरा...

रिचा- क्या कर लेगा...हाँ...जैसे तूने मेरी गान्ड मारी ना...अब वैसे ही तेरी मरेगी...इंतज़ार कर भडवे...

मर्द- ओये रंडी...मेरा नाम रफ़्तार साइ है...मेरा कोई घंटा नही उखाड़ सकता...

रिचा- अच्छा...रुक...बस 2 मिनट...और खुद देख लेना....

रफ़्तार सिंग कुछ और बोलता...उससे पहले रिचा ने कॉल कट कर दी...और अपने बॉस को कॉल लगाई...और सब बता दिया...

बॉस- कोई नही...मैं देखता हूँ...और हाँ...अब कॉल मत करना...मैं कल वही मिलूँगा...

कॉल कट होने के बाद बॉस रफ़्तार सिंग को कॉल करने लगा...

और रिचा अपनी गान्ड को सहलाते हुए रफ़्तार सिंग को मन मे गालियाँ बकती रही......
 
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