hotaks444
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बॉस- मुझे लगता है कि अंकित आज-कल बहुत दिमाग़ चला रहा है...तो सोचा कि क्यों ना उसका दिमाग़ कहीं और लगा दूं..
रिचा- अंकित...उसने क्या किया....
बॉस- कामिनी पर हमला...फिर दीपा का पिक्चर मे आना...ये कौन कर सकता है...
रिचा- पागल हो क्या...अंकित नही कर सकता...
बॉस- तो और कौन है कामिनी का दुश्मन...हो ना हो ये अंकित का काम है...
रिचा- नही...आकाश हो सकता है...
बॉस- आकाश तो सहर से दूर है...और मान लो कि आकाश है...तो उसका दिमाग़ भी डाइवर्ट हो जायगा....
रिचा- ह्म्म..पर इसमे मुझे क्या करना होगा...
बॉस- मैं तुम्हे एक अड्रेस सेंड करूगा...तुम्हे वहाँ जाना है...
रिचा- ओके..कब...
बॉस- मेसेज मिलने के 1घंटे के अंदर..
रिचा- क्या...पागल हो क्या...मैं रात मे कैसे ....मेरी बेटी को क्या बोलोगि...
बॉस- वो तुम देखो...तुम्हे बस वहाँ पहुचना ही होगा...
रिचा- उउहह...ओके...पर करना क्या है...
बॉस- वही जिसमे तुम एक्सपर्ट हो...उसे खुश करना है...
रिचा- तुम ना...ठीक है...पर एक बात बताओ...क्या तुम्हे भी लगता है कि दीपा जिंदा है...
बॉस- ह्म्म..श्योर तो नही...हो सकता है कि मर गई हो...
रिचा- तो क्या वो सच मे भूत है...
बॉस- भूत होता ही नही...हो सकता है कि दीपा जैसी दिखने वाली हो...कोई बड़ा गेम खेल रहा है...और वही मुझे पता करना है...
रिचा- मैने तभी बोला था..जब कामिनी का आक्सिडेंट हुआ था...पर तुम्हे तो..
बॉस(बीच मे)- इसीलिए अब वेट नही कर सकता...इस हमले से ये क्लियर हो जायगा कि दिमाग़ कौन चला रहा है...आकाश या अंकित...
रिचा- ओके...पर पता कैसे चलेगा...
बॉस- तुम बस ये ख्याल रखना कि ऑफीस पर हमले की खबर आकाश तक ना पहुचे...कुछ दिन तक...और हाँ..अंकित तक तुरंत पहुच जाए....
रिचा- ह्म्म...मैं रजनी से कॉल करवा दूगी..ओके..
बॉस- गुड....
रिचा- पर एक मिनट...आकाश के एंप्लायी ने बोल दिया तो...
बॉस- उसका इंतज़ाम मैने कर लिया है...
रिचा- अच्छा...कैसे...वहाँ तो सब आकाश के वफ़ादार होंगे....
बॉस- हाहाहा...डार्लिंग..भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है...यहाँ भी एक है...जिसे पैसों की भूख है....बस इंसान की भूख शांत कर दो...फिर वो तुम्हारा गुलाम ...
रिचा- अच्छा है....पर पोलीस का क्या...
बॉस- पोलीस की टेन्षन छोड़ो...जिसके पास तुम्हे जाना है...वो देख लेना...उसे भी भूख है...जो मैं शांत करवाउन्गा...
रिचा- उसकी भूख क्या है...
बॉस- जिस्म की भूख...वो औरत के जिस्म के लिए पागल है...
रिचा- ओह..तो उसकी भूख मुझे मिटानी है...
बॉस- ठीक समझी...मैं मेसेज करता हूँ...निकलो...और हाँ...अपनी बेटी को बोल देना कि सुबह ही आओगी...
रिचा - सुबह...क्या पूरी रात...
बॉस(बीच मे)- हाँ...उसकी भूख बड़ी है...और ठर्की है साला...पूरा निचोड़ के मज़ा लेगा...तुम उसे खुश कर देना...बाइ...
और रिचा के कुछ बोलने के पहले ही कॉल कट हो गई.....
वापिस....शादी की जगह....
यहाँ मैं सबनम आंटी से चिपट कर अपने लंड को आराम देने मे लगा हुआ था....
मेरे हाथ भी आंटी की गान्ड को दबाते हुए उन्हे गरम करने मे बिज़ी थे...और आंटी भी अपनी गान्ड को धीरे-2 मेरे लंड पर घिसे जा रही थी...
मैने मौका देख कर आंटी के कान मे बोला..
मैं- आंटी...बस कीजिए...वरना गड़बड़ हो जायगी ....
आंटी- ह्म्म..सही कहा ...पर क्या करु...मन हो रहा है..
मैं- मन तो मेरा भी हो गया...पर ये जगह सही नही है...
आंटी- ह्म्म..जानती हूँ बेटा...
मैं- तो अब आराम से शादी देखो...हाँ...
आंटी- अब शादी देखने का मन नही बेटा...अब तो सुहागरात...
मैं(बीच मे)- कंट्रोल आंटी...कंट्रोल...
आंटी- ओके...मैं आती हूँ...
और आंटी अचानक से वहाँ से निकल गई...और मैं उन्हे जाते हुए देख कर सोचने लगा कि अब अचानक क्या हुआ..
फिर मैने सबकी नज़रो से बच कर अपने हथियार को ठीक किया और शादी देखने लगा.....
कुछ ही देर बाद अकरम आया और मुझे अपने साथ बाहर ले गया...जहा हमारी कार पार्क थी...
मैने देखा क़ि वहाँ वसीम और सबनम पहले से ही खड़े थे...
मैं- अकरम...ये सब...बात क्या है..
अकरम- कुछ नही...तुम और मोम फार्महाउस जा रहे हो...
मैं- हम दोनो..और तुम सब...
अकरम- हम थोड़ी देर से आते है...शादी ख़त्म करके...
मैं- पर अचानक...क्यो...??
वसीम- अरे बेटा ...वो तुम्हारी आंटी का सिर दर्द हो रहा है...तो उसे सोना है....
मैं- ओके...पर मैं...
वसीम(बीच मे)- उसने बोला कि तुम्हारे हाथ मे अभी भी दर्द है...इसलिए तुम भी रेस्ट करो...
अकरम- हाँ..और अब कुछ मत बोलना...कार मे बैठ...तुम और मोम ...दोनो रेस्ट करो...हम सब भी 1-2 घंटे मे आ रहे है..ओके...
मैं- ह्म्म...ठीक है...
मैने आंटी को देखा तो आंटी ने हल्की सी स्माइल दी और फिर से सिर पकड़ कर बोली...
सबनम- चलो बेटा...अब रहा नही जाता...
मैं(मन मे)- हाँ आंटी...अब कैसे रहा जायगा...वैसे रहा तो मुझे भी नही जा रहा....मान गये...क्या प्लान बनाया है....
सबनम(कार मे बैठ कर)- आओ बेटा...चले...
मैं- ओके आंटी...चलिए...
और फिर मैं आंटी के साथ फार्महाउस निकल आया....
पूरे रास्ते हम ने कोई बात नही की बस आंटी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर जमाए रखा...
हम दोनो ही नही चाहते थे कि ड्राइवर को कुछ भी शक हो...इसलिए चुप-चाप फार्म हाउस आ गये....
फार्महाउस आते ही आंटी अंदर निकल गई और मैं भी गार्ड को ध्यान रखने का बोल कर अंदर आया और मेन गेट लॉक कर दिया....
मैं(मन मे)- अब तो रात का मज़ा ही अलग आयगा....
और मैं उपेर रूम की तरफ चला आया...जहाँ आंटी मेरा ही वेट कर रही थी...
मुझे देखते ही आंटी ने स्माइल की और पलट कर खड़ी हो गई...
मैं समझ गया कि आंटी शर्मा रही है....
मैं आराम से आंटी के पास गया और पीछे से उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया....
आंटी- आअहह...बेटा...
मैं- क्या हुआ आंटी...ह्म्म..अब शर्मा रही हो...
आंटी- ह्म्म....
मैने अपने हाथ को आंटी की कमर और बूब्स पर फिराना शुरू किया....
मैं- तो शादी मे क्या कर रही थी...तब शर्म नही आई. .
आंटी- आई थी बेटा...पर पता नही कैसे इतनी हिम्मत कर ली...
मैं- बहुत मूड बन रहा था आपका तो...हाँ...
आंटी- ह्म्म...मूड तो शाम से ही बना था...जब तूने मुझे...आहह...
मैने धीरे से आंटी के एक बूब्स को दबा दिया...
मैं- तो आपने कहा क्यो नही...
आंटी- कैसे कहती बेटा...वो अकरम का रूम था...
मैं- ह्म्म..पर आपको कंट्रोल करना चाहिए ना...ह्म्म...
आंटी- कोसिस कर रही हूँ ...पर आज बहुत मन हो रहा था...
मैं- तो आज रात आपके मन को खुश कर दूं...
आंटी- हाँ बेटा...आज जी भर के मज़ा दे दे...
मैने देर ना करते हुए आंटी के कपड़े निकाल दिए...और आंटी ब्रा-पैंटी मे आ गई...
आंटी ने भी मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे किस करना शुरू कर दिया....
मैने आंटी को सोफे के साइड पर बैठाया और किस करना जारी रखा...
मैने घुटनो पर आकर आंटी की नाभि पर जीभ फिराने लगा....
आंटी ने एक्सिटमेंट मे अपनी टांगे मेरे कंधे पर फसा दी....और अपने हाथो के बल पीछे झुक कर मज़ा लेने लगी.....
मैं- सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प...सस्रररुउउप्प्प्प...उउउम्म्म्मम...
आंटी- ओह्ह बेटा...उउउंम्म....बेटा...आआहह....
मैं आज आंटी को धीरे-धीरे मज़ा दे रहा था...और आंटी भी तड़पति हुई मज़े के सागर मे डूबती जा रही थी.....
मैं- आअहह...आप बहुत टेस्टी हो आंटी...उउउंम्म....सस्स्स्रररुउउउप्प्प्प्प्प....
आंटी- आअहह....तो चूस लो मुझे....ऊओह..बेटा....उूउउम्म्म्म...
थोड़ी देर तक आंटी की नाभि के मज़े लेने के बाद मैने उन्हे सोफे पर लिटा दिया और उनके साइड मे लेट कर उनके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया ....
मैं- उउउंम...अब मज़ा आयगा...
और मैने आंटी के बूब को मुँह मे भर लिया...
आंटी- उउंम...चूसो बेटा....चूसो...आआहह..
मैने आंटी के बूब्स को बारी-2 चूसना शुरू कर दिया और साथ मे एक हाथ से पैंटी के उपेर से उनकी चूत सहलाने लगा....
आंटी- उउउंम्म..यस बेटा...चूसो...आअहह...ज़ोर से....आआहह...
मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउंम्म...उूउउंम्म...उउउंम्म......
मैं- उउंम्म...यू आर सो हॉट आंटी...उउउंम्म....उउउंम्म...
आंटी- एस बेटा...सारी ह्टनेस निकाल दे ...चूस ले....उूउउंम्म....
मैं- उउंम...हाँ आंटी ..सब चूस लुगा...उूुउउम्म्म्म...सस्स्रररुउउप्प्प्प....
रिचा- अंकित...उसने क्या किया....
बॉस- कामिनी पर हमला...फिर दीपा का पिक्चर मे आना...ये कौन कर सकता है...
रिचा- पागल हो क्या...अंकित नही कर सकता...
बॉस- तो और कौन है कामिनी का दुश्मन...हो ना हो ये अंकित का काम है...
रिचा- नही...आकाश हो सकता है...
बॉस- आकाश तो सहर से दूर है...और मान लो कि आकाश है...तो उसका दिमाग़ भी डाइवर्ट हो जायगा....
रिचा- ह्म्म..पर इसमे मुझे क्या करना होगा...
बॉस- मैं तुम्हे एक अड्रेस सेंड करूगा...तुम्हे वहाँ जाना है...
रिचा- ओके..कब...
बॉस- मेसेज मिलने के 1घंटे के अंदर..
रिचा- क्या...पागल हो क्या...मैं रात मे कैसे ....मेरी बेटी को क्या बोलोगि...
बॉस- वो तुम देखो...तुम्हे बस वहाँ पहुचना ही होगा...
रिचा- उउहह...ओके...पर करना क्या है...
बॉस- वही जिसमे तुम एक्सपर्ट हो...उसे खुश करना है...
रिचा- तुम ना...ठीक है...पर एक बात बताओ...क्या तुम्हे भी लगता है कि दीपा जिंदा है...
बॉस- ह्म्म..श्योर तो नही...हो सकता है कि मर गई हो...
रिचा- तो क्या वो सच मे भूत है...
बॉस- भूत होता ही नही...हो सकता है कि दीपा जैसी दिखने वाली हो...कोई बड़ा गेम खेल रहा है...और वही मुझे पता करना है...
रिचा- मैने तभी बोला था..जब कामिनी का आक्सिडेंट हुआ था...पर तुम्हे तो..
बॉस(बीच मे)- इसीलिए अब वेट नही कर सकता...इस हमले से ये क्लियर हो जायगा कि दिमाग़ कौन चला रहा है...आकाश या अंकित...
रिचा- ओके...पर पता कैसे चलेगा...
बॉस- तुम बस ये ख्याल रखना कि ऑफीस पर हमले की खबर आकाश तक ना पहुचे...कुछ दिन तक...और हाँ..अंकित तक तुरंत पहुच जाए....
रिचा- ह्म्म...मैं रजनी से कॉल करवा दूगी..ओके..
बॉस- गुड....
रिचा- पर एक मिनट...आकाश के एंप्लायी ने बोल दिया तो...
बॉस- उसका इंतज़ाम मैने कर लिया है...
रिचा- अच्छा...कैसे...वहाँ तो सब आकाश के वफ़ादार होंगे....
बॉस- हाहाहा...डार्लिंग..भूख इंसान से कुछ भी करवा सकती है...यहाँ भी एक है...जिसे पैसों की भूख है....बस इंसान की भूख शांत कर दो...फिर वो तुम्हारा गुलाम ...
रिचा- अच्छा है....पर पोलीस का क्या...
बॉस- पोलीस की टेन्षन छोड़ो...जिसके पास तुम्हे जाना है...वो देख लेना...उसे भी भूख है...जो मैं शांत करवाउन्गा...
रिचा- उसकी भूख क्या है...
बॉस- जिस्म की भूख...वो औरत के जिस्म के लिए पागल है...
रिचा- ओह..तो उसकी भूख मुझे मिटानी है...
बॉस- ठीक समझी...मैं मेसेज करता हूँ...निकलो...और हाँ...अपनी बेटी को बोल देना कि सुबह ही आओगी...
रिचा - सुबह...क्या पूरी रात...
बॉस(बीच मे)- हाँ...उसकी भूख बड़ी है...और ठर्की है साला...पूरा निचोड़ के मज़ा लेगा...तुम उसे खुश कर देना...बाइ...
और रिचा के कुछ बोलने के पहले ही कॉल कट हो गई.....
वापिस....शादी की जगह....
यहाँ मैं सबनम आंटी से चिपट कर अपने लंड को आराम देने मे लगा हुआ था....
मेरे हाथ भी आंटी की गान्ड को दबाते हुए उन्हे गरम करने मे बिज़ी थे...और आंटी भी अपनी गान्ड को धीरे-2 मेरे लंड पर घिसे जा रही थी...
मैने मौका देख कर आंटी के कान मे बोला..
मैं- आंटी...बस कीजिए...वरना गड़बड़ हो जायगी ....
आंटी- ह्म्म..सही कहा ...पर क्या करु...मन हो रहा है..
मैं- मन तो मेरा भी हो गया...पर ये जगह सही नही है...
आंटी- ह्म्म..जानती हूँ बेटा...
मैं- तो अब आराम से शादी देखो...हाँ...
आंटी- अब शादी देखने का मन नही बेटा...अब तो सुहागरात...
मैं(बीच मे)- कंट्रोल आंटी...कंट्रोल...
आंटी- ओके...मैं आती हूँ...
और आंटी अचानक से वहाँ से निकल गई...और मैं उन्हे जाते हुए देख कर सोचने लगा कि अब अचानक क्या हुआ..
फिर मैने सबकी नज़रो से बच कर अपने हथियार को ठीक किया और शादी देखने लगा.....
कुछ ही देर बाद अकरम आया और मुझे अपने साथ बाहर ले गया...जहा हमारी कार पार्क थी...
मैने देखा क़ि वहाँ वसीम और सबनम पहले से ही खड़े थे...
मैं- अकरम...ये सब...बात क्या है..
अकरम- कुछ नही...तुम और मोम फार्महाउस जा रहे हो...
मैं- हम दोनो..और तुम सब...
अकरम- हम थोड़ी देर से आते है...शादी ख़त्म करके...
मैं- पर अचानक...क्यो...??
वसीम- अरे बेटा ...वो तुम्हारी आंटी का सिर दर्द हो रहा है...तो उसे सोना है....
मैं- ओके...पर मैं...
वसीम(बीच मे)- उसने बोला कि तुम्हारे हाथ मे अभी भी दर्द है...इसलिए तुम भी रेस्ट करो...
अकरम- हाँ..और अब कुछ मत बोलना...कार मे बैठ...तुम और मोम ...दोनो रेस्ट करो...हम सब भी 1-2 घंटे मे आ रहे है..ओके...
मैं- ह्म्म...ठीक है...
मैने आंटी को देखा तो आंटी ने हल्की सी स्माइल दी और फिर से सिर पकड़ कर बोली...
सबनम- चलो बेटा...अब रहा नही जाता...
मैं(मन मे)- हाँ आंटी...अब कैसे रहा जायगा...वैसे रहा तो मुझे भी नही जा रहा....मान गये...क्या प्लान बनाया है....
सबनम(कार मे बैठ कर)- आओ बेटा...चले...
मैं- ओके आंटी...चलिए...
और फिर मैं आंटी के साथ फार्महाउस निकल आया....
पूरे रास्ते हम ने कोई बात नही की बस आंटी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर जमाए रखा...
हम दोनो ही नही चाहते थे कि ड्राइवर को कुछ भी शक हो...इसलिए चुप-चाप फार्म हाउस आ गये....
फार्महाउस आते ही आंटी अंदर निकल गई और मैं भी गार्ड को ध्यान रखने का बोल कर अंदर आया और मेन गेट लॉक कर दिया....
मैं(मन मे)- अब तो रात का मज़ा ही अलग आयगा....
और मैं उपेर रूम की तरफ चला आया...जहाँ आंटी मेरा ही वेट कर रही थी...
मुझे देखते ही आंटी ने स्माइल की और पलट कर खड़ी हो गई...
मैं समझ गया कि आंटी शर्मा रही है....
मैं आराम से आंटी के पास गया और पीछे से उन्हे अपनी बाहों मे कस लिया....
आंटी- आअहह...बेटा...
मैं- क्या हुआ आंटी...ह्म्म..अब शर्मा रही हो...
आंटी- ह्म्म....
मैने अपने हाथ को आंटी की कमर और बूब्स पर फिराना शुरू किया....
मैं- तो शादी मे क्या कर रही थी...तब शर्म नही आई. .
आंटी- आई थी बेटा...पर पता नही कैसे इतनी हिम्मत कर ली...
मैं- बहुत मूड बन रहा था आपका तो...हाँ...
आंटी- ह्म्म...मूड तो शाम से ही बना था...जब तूने मुझे...आहह...
मैने धीरे से आंटी के एक बूब्स को दबा दिया...
मैं- तो आपने कहा क्यो नही...
आंटी- कैसे कहती बेटा...वो अकरम का रूम था...
मैं- ह्म्म..पर आपको कंट्रोल करना चाहिए ना...ह्म्म...
आंटी- कोसिस कर रही हूँ ...पर आज बहुत मन हो रहा था...
मैं- तो आज रात आपके मन को खुश कर दूं...
आंटी- हाँ बेटा...आज जी भर के मज़ा दे दे...
मैने देर ना करते हुए आंटी के कपड़े निकाल दिए...और आंटी ब्रा-पैंटी मे आ गई...
आंटी ने भी मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे किस करना शुरू कर दिया....
मैने आंटी को सोफे के साइड पर बैठाया और किस करना जारी रखा...
मैने घुटनो पर आकर आंटी की नाभि पर जीभ फिराने लगा....
आंटी ने एक्सिटमेंट मे अपनी टांगे मेरे कंधे पर फसा दी....और अपने हाथो के बल पीछे झुक कर मज़ा लेने लगी.....
मैं- सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प...सस्रररुउउप्प्प्प...उउउम्म्म्मम...
आंटी- ओह्ह बेटा...उउउंम्म....बेटा...आआहह....
मैं आज आंटी को धीरे-धीरे मज़ा दे रहा था...और आंटी भी तड़पति हुई मज़े के सागर मे डूबती जा रही थी.....
मैं- आअहह...आप बहुत टेस्टी हो आंटी...उउउंम्म....सस्स्स्रररुउउउप्प्प्प्प्प....
आंटी- आअहह....तो चूस लो मुझे....ऊओह..बेटा....उूउउम्म्म्म...
थोड़ी देर तक आंटी की नाभि के मज़े लेने के बाद मैने उन्हे सोफे पर लिटा दिया और उनके साइड मे लेट कर उनके बूब्स को ब्रा से आज़ाद कर दिया ....
मैं- उउउंम...अब मज़ा आयगा...
और मैने आंटी के बूब को मुँह मे भर लिया...
आंटी- उउंम...चूसो बेटा....चूसो...आआहह..
मैने आंटी के बूब्स को बारी-2 चूसना शुरू कर दिया और साथ मे एक हाथ से पैंटी के उपेर से उनकी चूत सहलाने लगा....
आंटी- उउउंम्म..यस बेटा...चूसो...आअहह...ज़ोर से....आआहह...
मैं- सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउंम्म...उूउउंम्म...उउउंम्म......
मैं- उउंम्म...यू आर सो हॉट आंटी...उउउंम्म....उउउंम्म...
आंटी- एस बेटा...सारी ह्टनेस निकाल दे ...चूस ले....उूउउंम्म....
मैं- उउंम...हाँ आंटी ..सब चूस लुगा...उूुउउम्म्म्म...सस्स्रररुउउप्प्प्प....