hotaks444
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आज़ाद के अच्छे कामो ने आकाश को बचा तो लिया....पर आज़ाद की दोनो बेटियों का परिवार तबाह हो गया और मदन का भी....
इसी के साथ आरती की बेटी भी हमेशा के लिए गायब हो गई...किसी को नही पता चला कि वो कहाँ, कब और कैसे गई...
आंटी की पूरी बात सुन कर मैं भी सोच मे पड़ गया...
मैने यही तो डाइयरी मे पढ़ा था ...पर अभी भी नही मान रहा था कि मेरे डॅड ने सबको मारा....
और अब तो ये भी पता करना था कि मेरी आरती बुआ की बेटी गई कहाँ...कौन ले गया उसे....कोई अपना या कोई पराया....????????????
आंटी की बताई हुई बातों से एक बात तो क्लियर थी कि आंटी को भी सिर्फ़ उतना ही पता है जितना कि मुझे.....
उस घर मे असल मे हुआ क्या था...ये तो आंटी को भी नही पता....
क्या सच मे मेरे डॅड ने ही सबको मारा...नही- नही...ये सोच भी नही सकता मैं...मेरे डॅड ऐसा कभी नही कर सकते....
पर सच पता करूँ तो कैसे ...मुझे आंटी से उम्मीद थी की शायद ये मुझे सच तक ले जाएगी...पर ये तो खुद ही अंधेरे मे है...
और अब ये बात की मेरी छोटी बुआ की बेटी...वो गायब हो गई थी....उसे कौन ले जा सकता है...कोई तो होगा जो ले गया होगा....
इसका मतलब मैं सही सोच रहा हूँ...वहाँ कोई और भी था...जो जिंदा था और वहाँ से निकला था....और साथ मे मेरी बुआ की बेटी को ले गया था....पर कौन...???
ऐसा कौन हो सकता है जो वहाँ आ कर ये सब कर दे....कौन...???....हाँ...सरिया का पति...मदन...हाँ...वो आ सकता था वहाँ...
शायद सरिता ने उसे बुलाया हो...या फिर वो खुद ही आ गया हो...
एक वो ही था जो मेरे डॅड से नफ़रत करता था....सरिता के रेप सीन की वजह से...हाँ...वही होगा...पूछता हूँ शायद आंटी को कुछ पता हो...
मैं- आंटी...एक बात बताओ...आप मदन को जानती है...???
आंटी- मदन...वो...सरिता का पति...तुम्हारे दादाजी का दोस्त ना...पर तुम कैसे...
मैं(बीच मे)- अभी आप कुछ मत पूछिए....सिर्फ़ जवाब दो...मैं आपको सब बताउन्गा...पर अभी नही...बोलो...मदन को जानती है...
आंटी- हाँ..नाम सुना है...मतलब् जानती हूँ...ज़्यादा नही..
मैं- ओके..तो ये बताओ कि क्या उस टाइम ...जब ये हादसा हुआ...वहाँ मदन था की नही....
आंटी- उस टाइम....नही...वो तो बाद मे आया था...मुझे बताया गया था कि मदन तुम्हारे दादाजी के आने के बाद ही आया था...और फिर सरिता की लाश देख कर टूट गया था ...और उस हादसे के बाद किसी ने उसे गाओं मे नही देखा....
मैं(मन मे)- तो शायद मदन ही हो..जो अंदर सबको मार कर और बच्ची ले कर भाग गया हो और फिर आ गया सामने से....पर कैसे....उसने किया होता तो सरिता कैसे मरती...और सुभाष फूफा जी क्यो...वो तो सिर्फ़ डॅड को ही मारता सबसे पहले....और छोटी बुआ मेरे डॅड को कातिल क्यो कहती...क्या यार...कितना उलझा हुआ मॅटर है...ये ऐसे नही सॉल्व होगा...काफ़ी सोचना होगा....
अभी इसे छोड़ते है और आंटी से कुछ और पूछता हूँ...नही तो रात सोचते हुए ही निकल जाएगी...
फिर मैने अपने माइंड को शांत किया और आंटी से बोला....
मैं- आंटी...उस हादसे का सच मैं जल्दी पता कर लूँगा...पर अभी मैं ये जानना चाहता हूँ कि आपके साथियों की मुझसे या मेरी फॅमिली से किस बात की दुश्मनी है...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम सच पता कर लो ..हालाकी मुझे नही लगता कि इसमे कुछ मिलेगा...आरती ने मरने के पहले खुद कहा था कि आकाश ने सबको मारा...
मैं- जानता हूँ...पर जो दिखता है वो होता नही...वेल...ये छोड़ो...ये मैं देख लूँगा...आप आगे बोलो...
आंटी- ह्म्म..तो तुम्हे दुश्मनी की वजह जाननी है...ठीक है..मैं सबकी वजह बताती हूँ...जो मुझे पता है......
फिर आंटी ने बारी-बारी सबकी दुश्मनी की वजह बताना शुरू कर दिया....
कामिनी
कामिनी अपनी बहेन और माँ-बाप के साथ उसी गाओं मे रहती थी...जहाँ आज़ाद की फॅमिली रहती थी....
आज़ाद और कामिनी के पिता दोस्त थे...और बिज़्नेस भी साथ करते थे....
आज़ाद एक अयाश इंसान था और उसकी नज़र कामिनी की माँ पर थी...वो उसे अपने साथ सुलाना चाहता था...
जब प्यार से कामिनी की माँ नही पटी तो आज़ाद ने अपनी पवर का इस्तेमाल कर के कामिनी के बाप की सारी प्रॉपर्टी हथिया ली...और उन्हे कंगाल कर दिया...
कामिनी के पिता ये सदमा सह नही पाए और मर गये...उसके बाद आज़ाद ने कामिनी की माँ के साथ जबर्जस्ति करने की कोसिस की....
रेप होने के बाद कामिनी की माँ ने सुसाइड कर ली और कामिनी अनाथ हो गई...
आज़ाद ने अपनी पहुच का फ़ायदा उठाकर कामिनी और दामिनी को गाओं से निकलवा दिया....
तभी से कामिनी और दामिनी के सीने मे बदले की आग लगी हुई है...
और जब दोनो ने आकाश को इस सहर मे देखा तो वो आग फिर से भड़क उठी...अब दोनो की लाइफ का एक ही मक़सद है...आकाश के पूरे खानदान को मिटाना और उनकी प्रॉपर्टी हासिल करना...
इसी के साथ आरती की बेटी भी हमेशा के लिए गायब हो गई...किसी को नही पता चला कि वो कहाँ, कब और कैसे गई...
आंटी की पूरी बात सुन कर मैं भी सोच मे पड़ गया...
मैने यही तो डाइयरी मे पढ़ा था ...पर अभी भी नही मान रहा था कि मेरे डॅड ने सबको मारा....
और अब तो ये भी पता करना था कि मेरी आरती बुआ की बेटी गई कहाँ...कौन ले गया उसे....कोई अपना या कोई पराया....????????????
आंटी की बताई हुई बातों से एक बात तो क्लियर थी कि आंटी को भी सिर्फ़ उतना ही पता है जितना कि मुझे.....
उस घर मे असल मे हुआ क्या था...ये तो आंटी को भी नही पता....
क्या सच मे मेरे डॅड ने ही सबको मारा...नही- नही...ये सोच भी नही सकता मैं...मेरे डॅड ऐसा कभी नही कर सकते....
पर सच पता करूँ तो कैसे ...मुझे आंटी से उम्मीद थी की शायद ये मुझे सच तक ले जाएगी...पर ये तो खुद ही अंधेरे मे है...
और अब ये बात की मेरी छोटी बुआ की बेटी...वो गायब हो गई थी....उसे कौन ले जा सकता है...कोई तो होगा जो ले गया होगा....
इसका मतलब मैं सही सोच रहा हूँ...वहाँ कोई और भी था...जो जिंदा था और वहाँ से निकला था....और साथ मे मेरी बुआ की बेटी को ले गया था....पर कौन...???
ऐसा कौन हो सकता है जो वहाँ आ कर ये सब कर दे....कौन...???....हाँ...सरिया का पति...मदन...हाँ...वो आ सकता था वहाँ...
शायद सरिता ने उसे बुलाया हो...या फिर वो खुद ही आ गया हो...
एक वो ही था जो मेरे डॅड से नफ़रत करता था....सरिता के रेप सीन की वजह से...हाँ...वही होगा...पूछता हूँ शायद आंटी को कुछ पता हो...
मैं- आंटी...एक बात बताओ...आप मदन को जानती है...???
आंटी- मदन...वो...सरिता का पति...तुम्हारे दादाजी का दोस्त ना...पर तुम कैसे...
मैं(बीच मे)- अभी आप कुछ मत पूछिए....सिर्फ़ जवाब दो...मैं आपको सब बताउन्गा...पर अभी नही...बोलो...मदन को जानती है...
आंटी- हाँ..नाम सुना है...मतलब् जानती हूँ...ज़्यादा नही..
मैं- ओके..तो ये बताओ कि क्या उस टाइम ...जब ये हादसा हुआ...वहाँ मदन था की नही....
आंटी- उस टाइम....नही...वो तो बाद मे आया था...मुझे बताया गया था कि मदन तुम्हारे दादाजी के आने के बाद ही आया था...और फिर सरिता की लाश देख कर टूट गया था ...और उस हादसे के बाद किसी ने उसे गाओं मे नही देखा....
मैं(मन मे)- तो शायद मदन ही हो..जो अंदर सबको मार कर और बच्ची ले कर भाग गया हो और फिर आ गया सामने से....पर कैसे....उसने किया होता तो सरिता कैसे मरती...और सुभाष फूफा जी क्यो...वो तो सिर्फ़ डॅड को ही मारता सबसे पहले....और छोटी बुआ मेरे डॅड को कातिल क्यो कहती...क्या यार...कितना उलझा हुआ मॅटर है...ये ऐसे नही सॉल्व होगा...काफ़ी सोचना होगा....
अभी इसे छोड़ते है और आंटी से कुछ और पूछता हूँ...नही तो रात सोचते हुए ही निकल जाएगी...
फिर मैने अपने माइंड को शांत किया और आंटी से बोला....
मैं- आंटी...उस हादसे का सच मैं जल्दी पता कर लूँगा...पर अभी मैं ये जानना चाहता हूँ कि आपके साथियों की मुझसे या मेरी फॅमिली से किस बात की दुश्मनी है...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम सच पता कर लो ..हालाकी मुझे नही लगता कि इसमे कुछ मिलेगा...आरती ने मरने के पहले खुद कहा था कि आकाश ने सबको मारा...
मैं- जानता हूँ...पर जो दिखता है वो होता नही...वेल...ये छोड़ो...ये मैं देख लूँगा...आप आगे बोलो...
आंटी- ह्म्म..तो तुम्हे दुश्मनी की वजह जाननी है...ठीक है..मैं सबकी वजह बताती हूँ...जो मुझे पता है......
फिर आंटी ने बारी-बारी सबकी दुश्मनी की वजह बताना शुरू कर दिया....
कामिनी
कामिनी अपनी बहेन और माँ-बाप के साथ उसी गाओं मे रहती थी...जहाँ आज़ाद की फॅमिली रहती थी....
आज़ाद और कामिनी के पिता दोस्त थे...और बिज़्नेस भी साथ करते थे....
आज़ाद एक अयाश इंसान था और उसकी नज़र कामिनी की माँ पर थी...वो उसे अपने साथ सुलाना चाहता था...
जब प्यार से कामिनी की माँ नही पटी तो आज़ाद ने अपनी पवर का इस्तेमाल कर के कामिनी के बाप की सारी प्रॉपर्टी हथिया ली...और उन्हे कंगाल कर दिया...
कामिनी के पिता ये सदमा सह नही पाए और मर गये...उसके बाद आज़ाद ने कामिनी की माँ के साथ जबर्जस्ति करने की कोसिस की....
रेप होने के बाद कामिनी की माँ ने सुसाइड कर ली और कामिनी अनाथ हो गई...
आज़ाद ने अपनी पहुच का फ़ायदा उठाकर कामिनी और दामिनी को गाओं से निकलवा दिया....
तभी से कामिनी और दामिनी के सीने मे बदले की आग लगी हुई है...
और जब दोनो ने आकाश को इस सहर मे देखा तो वो आग फिर से भड़क उठी...अब दोनो की लाइफ का एक ही मक़सद है...आकाश के पूरे खानदान को मिटाना और उनकी प्रॉपर्टी हासिल करना...