hotaks444
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दामिनी ने सोचा था कि बच्चे की वजह से उसकी मोम संभाल जाएगी...पर दामिनी ग़लत थी...उसकी मोम ने सच जान कर अपने आप को मिटा दिया ....
फिर दामिनी ने मेरे दादाजी से कमल का हक़ माँगा...पर दादाजी माने ही नही कि कमल उनका बेटा है...और उन्होने दामिनी को जाने को कहा...और हाँ...उसकी सारी प्रॉपर्टी भी वापिस दे दी...
दामिनी भी मान गई...उसे सब वापिस मिल गया था...
पर कुछ दिन बाद ही दादाजी को एक आदमी खेत मे पड़ा मिला ..जो मर ही रहा था...किसी ने उसको चाकू से मारा था...
उस आदमी ने बताया कि कमल आज़ाद का बेटा नही...बल्कि उसका बेटा है...
वो आदमी था दामिनी का नौकर चंदू.....
अब चंदू कहाँ से आया...ये भी सुन लो...
जब गुड्डी की मौत हुई तो आज़ाद ने तुम्हारे घर आना बंद कर दिया...तुम्हारी मोम ने बहुत कोसिस की पर आज़ाद नही माने ...
पर तुम्हारी मोम को चुदाई की लत लग गई थी...और दामिनी को भी...
और इन दोनो ने अपने नौकर के रूप मे अपनी हवस मिटाने का रास्ता ढूँढ लिया...
पर तुम्हारी मोम आज़ाद से गुस्सा थी...और उन्होने एक ख़तरनाक प्लान बना लिया...जिससे आज़ाद को वापिस हासिल कर सके और साथ मे उसकी दौलत को भी...
तो फ़ैसला ये हुआ कि चंदू तुम्हारी माँ को प्रेगञेन्ट करेगा और उसका बाप आज़ाद को कहा जायगा ....
चंदू ने तो काम कर दिया...पर वो अंजान था तुम दोनो के मंसूबो से...उसे तो पता ही नही था कि ये उसका बेटा है....
फिर जब तुम्हारी मोम ख़त्म हो गई और दामिनी कमल के साथ अकेली थी...तब दामिनी ने नशे मे धुत चुदाई करते वक़्त चंदू को सच बोल दिया...
चंदू भी सबकी तरह आज़ाद को मानता था...उसलिए उसने आज़ाद को सच बताना ठीक समझा...
पर इस बात की दामिनी को भनक लग गई और उसने कुछ आदमियों को पैसे देकर चंदू को मारने भेज दिया...
आदमी चंदू को मार ही रहे थे कि आज़ाद वहाँ दिख गया...तो आदमी भाग निकले...
यहाँ चंदू ने मरते हुए आज़ाद को सच बताया..और वहाँ दामिनी के आदमियों ने दामिनी को बोल दिया कि शायद आज़ाद को सब सच पता चल चुका है...
आज़ाद गुस्से मे दामिनी की कोठी पहुचा...पर उसके पहले ही दामिनी कमल को ले कर निकल गई थी...
और वहाँ से भाग कर अपने पुस्तैनि गाओं आ गई...और कामिनी को भी बुला लिया...और शान के साथ रहने लगी...
आज़ाद ने भी दामिनी का पीछा नही किया...उन्होने सोचा कि चलो...जाने दो...बच्ची से क्या दुश्मनी...
पर दामिनी ने मन मे तय कर लिया की आज़ाद की फॅमिली को बर्बाद कर देगी...जैसे उसकी फैमिली बर्बाद हुई...और कमल के सहारे आज़ाद का सब कुछ हासिल कर लेगी...
कमल के सहारे इसलिए ..क्योकि दामिनी ने गाओं मे खबर फैलवा दी थी कि आज़ाद का एक बेटा कमला की कोख से पैदा हुआ है...इसलिए कमल का साथ ज़रूरी था...
तो ये थी पूरी कहानी....सच...सच...और पूरा सच....अब क्या बोलती हो दामिनी...
मेरी बात ख़त्म होते ही दामिनी और कमल एक -दूसरे को ऐसे देखने लगे जैसे दोनो को बिजली का झटका लगा हो...
पर कुछ ही पल मे दामिनी उसी तरह से तालियाँ बजाने लगी जैसे कुछ देर पहले मैने बजाई थी...
दामिनी- मान गये...इतनी सी उमर मे इतना दिमाग़...क्या सोच है....तुम्हे तो कहानीकार होना चाहिए...क्या कहानी बनाई ...अपने दादाजी को तो मासूम ही बना दिया...हा...
मैं(मुस्कुरा कर)- मुझे ऐसी ही उम्मीद थी तुमसे...पर अफ़सोस ...ये कहानी नही...सच्चाई है...कहानी तो तुमने सुनाई थी...
दामिनी- अच्छा....मेरा सच कहानी और तुम्हारी कहानी सच...वा बेटा...बड़े होशियार हो...
मैं- ह्म्म..कोई भी सच...सच तभी माना जाता है...जब कोई सबूत हो...तो बताओ...तुम्हारे पास क्या सबूत है...
मेरी बात सुन कर दामिनी की आँखो मे एक बार फिर से परेशानी के भाव आ गये...
दामिनी- सबूत...कैसा सबूत...ये कमल...ये है जीता जागता सबूत ...और मेरी गुड्डी की मौत..मेरे माँ-बाप की मौत...
मैं(बीच मे)- उन सब मौतो की ज़िम्मेदार तुम्हारी माँ और तुम हो...और हाँ...कमल...ये सच मे सबसे बड़ा सबूत है...पर ये सबूत तुम्हे ग़लत साबित करेगा....समझी...
दामिनी- मातब...तो तुम्हारे पास सबूत है...दिखाओ तो...या ये भी एक कहानी ही है...ह्म्म..
मैं- नही...बिना सबूत के मैं कुछ नही बोलता...अगर ऐसा नही होता तो तुम दोनो बहनो का मक़सद जानने के बाद मैं रुकता नही...कब का ठोक देता...पर मैं सबूत ढूँढ रहा था..जिससे मुझे सच्चाई पता चले....और आज भी मैं जो कुछ बोल रहा हूँ वो सच जानने के बाद ही बोला...सबूत के साथ...
दामिनी- बकवास बंद कर...
कमल- साले ..चुप रह वरना अभी ठोक दूँगा...
फिर दामिनी ने मेरे दादाजी से कमल का हक़ माँगा...पर दादाजी माने ही नही कि कमल उनका बेटा है...और उन्होने दामिनी को जाने को कहा...और हाँ...उसकी सारी प्रॉपर्टी भी वापिस दे दी...
दामिनी भी मान गई...उसे सब वापिस मिल गया था...
पर कुछ दिन बाद ही दादाजी को एक आदमी खेत मे पड़ा मिला ..जो मर ही रहा था...किसी ने उसको चाकू से मारा था...
उस आदमी ने बताया कि कमल आज़ाद का बेटा नही...बल्कि उसका बेटा है...
वो आदमी था दामिनी का नौकर चंदू.....
अब चंदू कहाँ से आया...ये भी सुन लो...
जब गुड्डी की मौत हुई तो आज़ाद ने तुम्हारे घर आना बंद कर दिया...तुम्हारी मोम ने बहुत कोसिस की पर आज़ाद नही माने ...
पर तुम्हारी मोम को चुदाई की लत लग गई थी...और दामिनी को भी...
और इन दोनो ने अपने नौकर के रूप मे अपनी हवस मिटाने का रास्ता ढूँढ लिया...
पर तुम्हारी मोम आज़ाद से गुस्सा थी...और उन्होने एक ख़तरनाक प्लान बना लिया...जिससे आज़ाद को वापिस हासिल कर सके और साथ मे उसकी दौलत को भी...
तो फ़ैसला ये हुआ कि चंदू तुम्हारी माँ को प्रेगञेन्ट करेगा और उसका बाप आज़ाद को कहा जायगा ....
चंदू ने तो काम कर दिया...पर वो अंजान था तुम दोनो के मंसूबो से...उसे तो पता ही नही था कि ये उसका बेटा है....
फिर जब तुम्हारी मोम ख़त्म हो गई और दामिनी कमल के साथ अकेली थी...तब दामिनी ने नशे मे धुत चुदाई करते वक़्त चंदू को सच बोल दिया...
चंदू भी सबकी तरह आज़ाद को मानता था...उसलिए उसने आज़ाद को सच बताना ठीक समझा...
पर इस बात की दामिनी को भनक लग गई और उसने कुछ आदमियों को पैसे देकर चंदू को मारने भेज दिया...
आदमी चंदू को मार ही रहे थे कि आज़ाद वहाँ दिख गया...तो आदमी भाग निकले...
यहाँ चंदू ने मरते हुए आज़ाद को सच बताया..और वहाँ दामिनी के आदमियों ने दामिनी को बोल दिया कि शायद आज़ाद को सब सच पता चल चुका है...
आज़ाद गुस्से मे दामिनी की कोठी पहुचा...पर उसके पहले ही दामिनी कमल को ले कर निकल गई थी...
और वहाँ से भाग कर अपने पुस्तैनि गाओं आ गई...और कामिनी को भी बुला लिया...और शान के साथ रहने लगी...
आज़ाद ने भी दामिनी का पीछा नही किया...उन्होने सोचा कि चलो...जाने दो...बच्ची से क्या दुश्मनी...
पर दामिनी ने मन मे तय कर लिया की आज़ाद की फॅमिली को बर्बाद कर देगी...जैसे उसकी फैमिली बर्बाद हुई...और कमल के सहारे आज़ाद का सब कुछ हासिल कर लेगी...
कमल के सहारे इसलिए ..क्योकि दामिनी ने गाओं मे खबर फैलवा दी थी कि आज़ाद का एक बेटा कमला की कोख से पैदा हुआ है...इसलिए कमल का साथ ज़रूरी था...
तो ये थी पूरी कहानी....सच...सच...और पूरा सच....अब क्या बोलती हो दामिनी...
मेरी बात ख़त्म होते ही दामिनी और कमल एक -दूसरे को ऐसे देखने लगे जैसे दोनो को बिजली का झटका लगा हो...
पर कुछ ही पल मे दामिनी उसी तरह से तालियाँ बजाने लगी जैसे कुछ देर पहले मैने बजाई थी...
दामिनी- मान गये...इतनी सी उमर मे इतना दिमाग़...क्या सोच है....तुम्हे तो कहानीकार होना चाहिए...क्या कहानी बनाई ...अपने दादाजी को तो मासूम ही बना दिया...हा...
मैं(मुस्कुरा कर)- मुझे ऐसी ही उम्मीद थी तुमसे...पर अफ़सोस ...ये कहानी नही...सच्चाई है...कहानी तो तुमने सुनाई थी...
दामिनी- अच्छा....मेरा सच कहानी और तुम्हारी कहानी सच...वा बेटा...बड़े होशियार हो...
मैं- ह्म्म..कोई भी सच...सच तभी माना जाता है...जब कोई सबूत हो...तो बताओ...तुम्हारे पास क्या सबूत है...
मेरी बात सुन कर दामिनी की आँखो मे एक बार फिर से परेशानी के भाव आ गये...
दामिनी- सबूत...कैसा सबूत...ये कमल...ये है जीता जागता सबूत ...और मेरी गुड्डी की मौत..मेरे माँ-बाप की मौत...
मैं(बीच मे)- उन सब मौतो की ज़िम्मेदार तुम्हारी माँ और तुम हो...और हाँ...कमल...ये सच मे सबसे बड़ा सबूत है...पर ये सबूत तुम्हे ग़लत साबित करेगा....समझी...
दामिनी- मातब...तो तुम्हारे पास सबूत है...दिखाओ तो...या ये भी एक कहानी ही है...ह्म्म..
मैं- नही...बिना सबूत के मैं कुछ नही बोलता...अगर ऐसा नही होता तो तुम दोनो बहनो का मक़सद जानने के बाद मैं रुकता नही...कब का ठोक देता...पर मैं सबूत ढूँढ रहा था..जिससे मुझे सच्चाई पता चले....और आज भी मैं जो कुछ बोल रहा हूँ वो सच जानने के बाद ही बोला...सबूत के साथ...
दामिनी- बकवास बंद कर...
कमल- साले ..चुप रह वरना अभी ठोक दूँगा...