hotaks444
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मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी
मेरा नाम रचना है...मेरा जनम एक साधारण परिवार मे यूपी के एक छोटे से गाँव मे
हुआ … मेरे घर मुझे से बड़ी एक बहन और एक भाई है दोनो की शादी हो चुकी है … ये तब के बात है जब मेरी एज 18 साल थी.. अभी जवानी आनी शुरू ही हुई थी तब मेरी दीदी की शादी को 5 साल हो चुके थे और मे 12थ मे पढ़ रही थी…
एक दिन जब मे स्कूल से घर आई, तो घर मे मातम छाया हुआ था… मा नीचे ज़मीन पर बैठी रो रही थी जब मेने मा से पूछा तो मा ने कोई जवाब नही दिया.. और पापा जो एक कोने मे खड़े रो रहे थे .. उन्होने मुझे उठाया, और मेरी ओर देखते हुए बोले….. बेटा तुम्हारी दीदी हमे छोड़ कर इस दुनिया से चली गयी….
मेरे पैरो के तले से ज़मीन खिसक गयी, और मे फूट -2 कर रोने लगी…दीदी को एक बेटी थी जो शादी के एक साल बाद हुई थी मे अपने सारे परिवार के साथ जीजा जी के घर के लिए चली गयी दीदी की अंतिम क्रिया हुई
उसके बाद धीरे -2 सब नॉर्मल होने लगे… दीदी की मौत के दो महीने बाद जीजा जी अपनी बेटी को लेकर हमारे घर आए… तब मे स्कूल गयी हुई थी… जीजा जी के घर वालों से किया बात हुई, मुझे पता नही…. पर जब मे घर पहुचि तो, मा मुझे एक रूम मे ले गयी, और मुझे से बोली…..
मा: बेटा मेरी बात ध्यान से सुन…. तुझे तो पता है ना अब तेरी दीदी के गुजर जाने के बाद… तेरी दीदी की बेटी की देख भाल करने वाला कोई नही है, और तेरे जीजा जी दूसरी शादी करने जा रहे हैं… अब सिर्फ़ तुम ही अपनी दीदी की बेटी की जिंदगी खराब होने से बचा सकती हो….
मे: (हैरान होते हुए) मे पर कैसे मा…..
मा: बेटा तूँ अपने जीजा से शादी कर ले… यहीं आख़िरी रास्ता है…. देख बेटी मना मत करना… मे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ…(और मा की आँखों मे आँसू आ गये)
मे: (मा के आँसू मुझेसे देखे ना गये) ठीक है मा , आप जो भी कहो जी…मे करने के लाए तैयार हूँ..
मा: बेटा तूने मेरी बात मान कर, मेरे दिल से बहुत बड़ा बोझ उतार दिया है…
और उसके बाद मा दूसरे रूम मे चली गयी…. दीदी की मौत के 6 महीने बाद, मेरी शादी मेरे जीजा जी से करवा दी गये…मेरे सारे अरमानो की बलि दे दी गयी…
जीजा जी अब मेरे पति बन चुके थे….उनका नाम गोपाल था… शादी के बाद मे जब अपने ससुराल पहुचि…रात को मेरी सास ने मुझे, घर के कमरे मे बैठा दिया…बिस्तर ज़मीन पर लगा हुआ था…घर कच्चा था…यहाँ तक के घर का फर्श भी कच्चा ही था….मे नीचे ज़मीन पर लगे हुए बिस्तर पर बैठी… अपनी आने वाली जिंदगी के बारे मे सोच रही थी….ऐसा नही था की मुझे सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था…. पर बहुत ज़्यादा भी नही जानती थी…
अचानक रूम का डोर खुला, और गोपाल अंदर आ गये…अंदर आते ही उन्होने डोर को लॉक किया और मेरे पास आकर बैठ गये….मे एक दम से घबरा गयी… मेरे दिल की धड़कन एक दम तेज़ी से चल रही थी…..कुछ देर बैठने के बाद वो अचानक से बोले
गोपाल:अब बैठी ही रहोगी चल खड़ी हो कर अपनी सारी उतार
मे एक दम से घबरा गयी…मुझे ये उम्मीद बिकुल भी नही थी, की कोई आदमी अपनी सुहाग रात को ऐसे अपनी पत्नी से पेश आता होगा…
गोपाल: क्या हुआ सुनाई नही दिया …. चल जल्दी कर अपनी सारी उतार…
मेरे हाथ पैर काँपने लगे…माथे पर पसीना आने लगा…दिल के धड़कन तेज हो गयी….मे किसी तरहा खड़ी हुई, और अपनी सारी को उतारने लगी...जब मे सारी उतार रही थी..तो गोपाल एक दम से खड़े हो गये….और अपना पयज़ामा और कुर्ता उतार कर खुंते से टाँग दिया, और फिर से बिस्तर पर लेट गये…मे अपनी सारी उतार चुकी थी…अब मेरे बदन पर पेटिकॉट और ब्लाउस ही था….और उसके अंदर पॅंटी और ब्रा…गोपाल ने मुझे हाथ से पकड़ कर खींचा…मे बिस्तर पर गिर पड़ी…
गोपाल: क्यो इतना टाइम लगा रही हो… इतने टाइम मे तो मे तुम्हें दो बार चोद चुका होता…चल अब लेट जा…
गोपाल ने मुझे पीठ के बल लेता दिया….जैसे मेने अपनी सहेलियों से सुहागरात के बारे मे सुन रखा था…वैसा अब तक बिल्कुल कुछ भी नही हुआ था…उन्होने एक ही झटके मे मेरे पेटिकॉट को खींच कर मेरी कमर पर चढ़ा दिया,और मेरी जाँघो को फैला कर, मेरी जाँघो के बीच मे घुटनो के बल बैठ गये…मेने शरम के मारे आँखें बंद कर ली…आख़िर मे कर भी क्या सकती थी…और आने वालों पलों का धड़कते दिल के साथ इंतजार करने लगी…गोपाल के हाथ मेरी जाँघो को मसल रहे थे…मे अपनी मुलायम जाँघो पर गोपाल के खुरदारे और, सख़्त हाथों को महसूस करके, एक दम सिहर गयी…वो मेरी जाँघो को बुरी तराहा मसल रहा था…मेरी दर्द के मारे जान निकली जा रही थी…पर तब तक मे दर्द को बर्दास्त कर रही थी, और अपनी आवाज़ को दबाए हुए थी…
फिर एका एक उन्होने ने मेरी पॅंटी को दोनो तरफ से पकड़ कर, एक झटके मे खींच दिया… मेरे दिल की धड़कन आज से पहले इतनी तेज कभी नही चली थी…उसे बेरहम इंसान को अपने सामने पड़ी नाज़ुक सी लड़की को देख कर भी दया नही आ रही थी…फिर गोपाल एक दम से खड़ा हुआ और, अपना अंडरवेर उतार दिया…कमरे मे लालटेन जल रही थी…लालटेन की रोशनी मे उसका काला लंड, जो कि 5 इंच से ज़यादा लंबा नही था, मेरी आँखों के सामने हवा मे झटके खा रहा था…गोपाल फिर से मेरी जाँघो के बीच मे बैठ गया, और मेरी जाँघो को फैला कर, अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर टिका दिया…मेरे जिस्म मे एक पल के लिए मस्ती की लहर दौड़ गयी…चूत के छेद और दीवारों पर सरसराहट होने लगी…पर अगले ही पल मेरी सारी मस्ती ख़तम हो गयी…उस जालिम ने बिना कोई देर किए, अपनी पूरी ताक़त के साथ अपना लंड मेरी चूत मे पेल दिया… मेरी आँखें दर्द के मारे फॅट गयी,और दर्द के मारे चिल्ला पड़ी…मेरी आँखों से आँसू बहने लगे…पर उस हवसि दरिंदे ने मेरी चीखों की परवाह किए बगैर एक और धक्का मारा, मेरा पूरा बदन दर्द के मारे एन्थ गया…मेरे मुँह से चीख निकलने ही वाली थी की, उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया… और मेरी चीख मेरे मुँह के अंदर ही घुट कर रह गये…मे रोने लगी
मे: (रोते हुए) बहुत दर्द हो रहा है इसे निकल लो जी आह
गोपाल: चुप कर साली, क्यों नखरे कर रही है पहली बार दर्द होता है…अभी थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा…
मेरा नाम रचना है...मेरा जनम एक साधारण परिवार मे यूपी के एक छोटे से गाँव मे
हुआ … मेरे घर मुझे से बड़ी एक बहन और एक भाई है दोनो की शादी हो चुकी है … ये तब के बात है जब मेरी एज 18 साल थी.. अभी जवानी आनी शुरू ही हुई थी तब मेरी दीदी की शादी को 5 साल हो चुके थे और मे 12थ मे पढ़ रही थी…
एक दिन जब मे स्कूल से घर आई, तो घर मे मातम छाया हुआ था… मा नीचे ज़मीन पर बैठी रो रही थी जब मेने मा से पूछा तो मा ने कोई जवाब नही दिया.. और पापा जो एक कोने मे खड़े रो रहे थे .. उन्होने मुझे उठाया, और मेरी ओर देखते हुए बोले….. बेटा तुम्हारी दीदी हमे छोड़ कर इस दुनिया से चली गयी….
मेरे पैरो के तले से ज़मीन खिसक गयी, और मे फूट -2 कर रोने लगी…दीदी को एक बेटी थी जो शादी के एक साल बाद हुई थी मे अपने सारे परिवार के साथ जीजा जी के घर के लिए चली गयी दीदी की अंतिम क्रिया हुई
उसके बाद धीरे -2 सब नॉर्मल होने लगे… दीदी की मौत के दो महीने बाद जीजा जी अपनी बेटी को लेकर हमारे घर आए… तब मे स्कूल गयी हुई थी… जीजा जी के घर वालों से किया बात हुई, मुझे पता नही…. पर जब मे घर पहुचि तो, मा मुझे एक रूम मे ले गयी, और मुझे से बोली…..
मा: बेटा मेरी बात ध्यान से सुन…. तुझे तो पता है ना अब तेरी दीदी के गुजर जाने के बाद… तेरी दीदी की बेटी की देख भाल करने वाला कोई नही है, और तेरे जीजा जी दूसरी शादी करने जा रहे हैं… अब सिर्फ़ तुम ही अपनी दीदी की बेटी की जिंदगी खराब होने से बचा सकती हो….
मे: (हैरान होते हुए) मे पर कैसे मा…..
मा: बेटा तूँ अपने जीजा से शादी कर ले… यहीं आख़िरी रास्ता है…. देख बेटी मना मत करना… मे तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ…(और मा की आँखों मे आँसू आ गये)
मे: (मा के आँसू मुझेसे देखे ना गये) ठीक है मा , आप जो भी कहो जी…मे करने के लाए तैयार हूँ..
मा: बेटा तूने मेरी बात मान कर, मेरे दिल से बहुत बड़ा बोझ उतार दिया है…
और उसके बाद मा दूसरे रूम मे चली गयी…. दीदी की मौत के 6 महीने बाद, मेरी शादी मेरे जीजा जी से करवा दी गये…मेरे सारे अरमानो की बलि दे दी गयी…
जीजा जी अब मेरे पति बन चुके थे….उनका नाम गोपाल था… शादी के बाद मे जब अपने ससुराल पहुचि…रात को मेरी सास ने मुझे, घर के कमरे मे बैठा दिया…बिस्तर ज़मीन पर लगा हुआ था…घर कच्चा था…यहाँ तक के घर का फर्श भी कच्चा ही था….मे नीचे ज़मीन पर लगे हुए बिस्तर पर बैठी… अपनी आने वाली जिंदगी के बारे मे सोच रही थी….ऐसा नही था की मुझे सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था…. पर बहुत ज़्यादा भी नही जानती थी…
अचानक रूम का डोर खुला, और गोपाल अंदर आ गये…अंदर आते ही उन्होने डोर को लॉक किया और मेरे पास आकर बैठ गये….मे एक दम से घबरा गयी… मेरे दिल की धड़कन एक दम तेज़ी से चल रही थी…..कुछ देर बैठने के बाद वो अचानक से बोले
गोपाल:अब बैठी ही रहोगी चल खड़ी हो कर अपनी सारी उतार
मे एक दम से घबरा गयी…मुझे ये उम्मीद बिकुल भी नही थी, की कोई आदमी अपनी सुहाग रात को ऐसे अपनी पत्नी से पेश आता होगा…
गोपाल: क्या हुआ सुनाई नही दिया …. चल जल्दी कर अपनी सारी उतार…
मेरे हाथ पैर काँपने लगे…माथे पर पसीना आने लगा…दिल के धड़कन तेज हो गयी….मे किसी तरहा खड़ी हुई, और अपनी सारी को उतारने लगी...जब मे सारी उतार रही थी..तो गोपाल एक दम से खड़े हो गये….और अपना पयज़ामा और कुर्ता उतार कर खुंते से टाँग दिया, और फिर से बिस्तर पर लेट गये…मे अपनी सारी उतार चुकी थी…अब मेरे बदन पर पेटिकॉट और ब्लाउस ही था….और उसके अंदर पॅंटी और ब्रा…गोपाल ने मुझे हाथ से पकड़ कर खींचा…मे बिस्तर पर गिर पड़ी…
गोपाल: क्यो इतना टाइम लगा रही हो… इतने टाइम मे तो मे तुम्हें दो बार चोद चुका होता…चल अब लेट जा…
गोपाल ने मुझे पीठ के बल लेता दिया….जैसे मेने अपनी सहेलियों से सुहागरात के बारे मे सुन रखा था…वैसा अब तक बिल्कुल कुछ भी नही हुआ था…उन्होने एक ही झटके मे मेरे पेटिकॉट को खींच कर मेरी कमर पर चढ़ा दिया,और मेरी जाँघो को फैला कर, मेरी जाँघो के बीच मे घुटनो के बल बैठ गये…मेने शरम के मारे आँखें बंद कर ली…आख़िर मे कर भी क्या सकती थी…और आने वालों पलों का धड़कते दिल के साथ इंतजार करने लगी…गोपाल के हाथ मेरी जाँघो को मसल रहे थे…मे अपनी मुलायम जाँघो पर गोपाल के खुरदारे और, सख़्त हाथों को महसूस करके, एक दम सिहर गयी…वो मेरी जाँघो को बुरी तराहा मसल रहा था…मेरी दर्द के मारे जान निकली जा रही थी…पर तब तक मे दर्द को बर्दास्त कर रही थी, और अपनी आवाज़ को दबाए हुए थी…
फिर एका एक उन्होने ने मेरी पॅंटी को दोनो तरफ से पकड़ कर, एक झटके मे खींच दिया… मेरे दिल की धड़कन आज से पहले इतनी तेज कभी नही चली थी…उसे बेरहम इंसान को अपने सामने पड़ी नाज़ुक सी लड़की को देख कर भी दया नही आ रही थी…फिर गोपाल एक दम से खड़ा हुआ और, अपना अंडरवेर उतार दिया…कमरे मे लालटेन जल रही थी…लालटेन की रोशनी मे उसका काला लंड, जो कि 5 इंच से ज़यादा लंबा नही था, मेरी आँखों के सामने हवा मे झटके खा रहा था…गोपाल फिर से मेरी जाँघो के बीच मे बैठ गया, और मेरी जाँघो को फैला कर, अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर टिका दिया…मेरे जिस्म मे एक पल के लिए मस्ती की लहर दौड़ गयी…चूत के छेद और दीवारों पर सरसराहट होने लगी…पर अगले ही पल मेरी सारी मस्ती ख़तम हो गयी…उस जालिम ने बिना कोई देर किए, अपनी पूरी ताक़त के साथ अपना लंड मेरी चूत मे पेल दिया… मेरी आँखें दर्द के मारे फॅट गयी,और दर्द के मारे चिल्ला पड़ी…मेरी आँखों से आँसू बहने लगे…पर उस हवसि दरिंदे ने मेरी चीखों की परवाह किए बगैर एक और धक्का मारा, मेरा पूरा बदन दर्द के मारे एन्थ गया…मेरे मुँह से चीख निकलने ही वाली थी की, उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया… और मेरी चीख मेरे मुँह के अंदर ही घुट कर रह गये…मे रोने लगी
मे: (रोते हुए) बहुत दर्द हो रहा है इसे निकल लो जी आह
गोपाल: चुप कर साली, क्यों नखरे कर रही है पहली बार दर्द होता है…अभी थोड़ी देर मे ठीक हो जाएगा…