Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी - Page 2 - SexBaba
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Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी

धीरे-2 मेरी और वीनू की जान पहचान बढ़ने लगी…वीनू की दो लड़किया थी और एक लड़का था…तीनो स्कूल मे पढ़ते थी….धीरे-2 मुझे वीनू के धंधे के बारे मे भी पता चल गया…कोई 2 महीनो तक उसने हमारी बहुत मदद की…पर मे उसकी एक बात से बहुत खुस थी, कि उसने कभी भी मुझे अपने धंधे मे शामिल होने को ना ही कहा., और ना ही मेरे सामने कोई ऐसी बात की…वीनू ने मेरे पति का इलाज भी करवाया…पर पति का घाव कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा था….हम वीनू के अहसान तले दबते जा रहे थे…पर उसने कभी भी मुझे ना तो मजबूर किया और ना ही उकसाया…कि मे ये काम करूँ…वो नेहा को भी अपनी बेटी जैसे मानती थी…हमारा दिन रात का खाना अब वहाँ ही होता था…इसके बदले मे उसके घर की सॉफ सफाई और उसके कपड़े वगेरहा सॉफ करने लगी…वो भी मुझ से बहुत खुस थी…

पर आख़िर वो भी कब तक हमारी मदद करती…धीरे-2 हमारी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी…एक दिन गोपाल ने फ़ैसला किया कि, हम अपने गाँव वापिस चलेंगे…पर गाँव वापिस जाने के लिए भी कम से कम 1000 रुपये तो चाहिए थे…गोपाल ने मुझे वीनू से बात करने को कहा…

पर मेरा दिल पैसे माँगने के लिए मान नही रहा था…आख़िर और कितना झुक सकती थी मे….पर मेरे पास और कोई चारा भी ना था…

एक दिन वो हुआ…जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तराहा बदल दिया….रात के 9 बज रहे थे….मे वीनू के घर पर खाना बना कर अभी बाहर आँगन मे बैठी थी….वीनू के घर का आँगन काफ़ी बड़ा था…रात को वो बाहर ही सोती थी…बाहर मे कूलर के सामने बैठ कर अपने पसीने को सुखा रही थी…वीनू भी बाहर पलंग पर मेरे साथ बैठी हुई थी….

तभी उसका मोबाइल बजा….वीनू ने नो देखा…नंबर देखते हुए उसके होंटो पर मुस्कान आ गई…

वीनू: हेलो अभी और बातों कैसे याद किया हमे….

अभी एक 25 साल का बहुत ही गोरा चित्ता लड़का था…वो काफ़ी पैसे वाला था…और वीनू का पक्का कस्टमर था…वो महीने मे एक दो बार वीनू के पास आता और वीनू हर बार उसके लिए कोई ना कोई नयी लड़की ढूढ़ कर उसके साथ भेज देती…वो कई बार घर पर आ चुका था…इसलिए मे उसे जानती थी…पर मेरी उससे कोई बात नही हुई थी…

वीनू: अभी मे तुझे 5 मिनट बाद कॉल करती हूँ…अभी तो टाइम बहुत हो गया है…देखती हूँ कहीं कोई आने को राज़ी हो जाए

वीनू ने फोन काट दिया…और सोच मे पढ़ गयी….

मे: क्या हुआ दीदी कोई परेशानी है….

वीनू; (मुस्करते हुए) वो अपना अभी है ना….उसका लंड आकड़ा हुआ है…..और उसको चूत चाहिए…पर अब इस टाइम कहाँ से किसी को ढूंधू…तू तो जानती है…कि ऐसे कस्टमर्स को मे नाराज़ नही कर सकती….

थोड़ी देर सोचने के बाद वीनू ने मेरी तरफ देखा….मेने उस समय सारी और ब्लाउस पहना हुआ था….फिर उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी…और मेरी तरफ देखते हुए बोली

वीनू: तू मिलेगी अभी से…मिलने से उसका मतलब उस लड़के के साथ बिस्तर पर लेटना…मेरे तो जैसे हाथ पैर सुन्न हो गये…मुझे समझ मे नही आ रहा था..कि मे वीनू दीदी को क्या जवाब दूं…उनके इतने अहसान थे हम पे कि, मे सीधे -2 मना नही कर सकती थी….

मे: (थोड़ी देर सोचने के बाद) पर दीदी आप तो जानती हो…मे ऐसी औरत नही हूँ…मेने कभी ऐसा काम नही किया है….मेरे पति के अलावा मुझे किसी दूसरे मर्द ने छुआ भी नही है….(वो अलग बात थी कि मेरे और जेठ जी के बीच संबंधों को मेरे जेठानी के अलावा और कोई नही जानता था)

वीनू: मे जानती हूँ रचना….पर इस समय मे कोई और लड़की या औरत कहाँ से लाउ…रचना मेरी ये बात मान ले, वरना अगर वो लड़का एक बार मेरे हाथ से निकल गया…तो इस शहर मे मेरे जैसे और भी बहुत हैं….प्लीज़ मना मत करना…..

मे: पर दीदी मे ये काम नही कर सकती…आप के हम पर बड़े अहसान हैं…हम थोड़े दिनो मे गाँव चले जाएँगे…और वहाँ से आप के पैसे वापिस भेंज देंगे..

क्रमशः.................
 
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वीनू: क्या पागलो जैसे बात कर रही है तू…..पैसो की बात नही है….देख वैसे भी वो मुझे एक लड़की के एक रात के 3000 रुपये देगा…जिसमे से 2000 लड़की ही ले जाती है…जो मे तुम्हें दे दूँगी….फिर तुम आराम से अपने घर चली जाना…सिर्फ़ पैसो की बात होती…तो मे तुम्हें कभी ना कहती…पैसे चाहे तू अभी लेकर चली जा…पर मुझे अभी तेरी ज़रूरत थी…और तुम मना कर रही हो…

मे सोच मे पड़ गयी…अब मे करूँ तो क्या करू….वीनू दीदी के हम पर बहुत अहसान थे…उन्होने ने हमे 3 महीनो तक सहारा दिया था..मेरे पति का इलाज करवा रही थी…उसने कभी भी मेरे और नेहा के बारे मे ग़लत नही सोचा था….एक बार तो उसने एक आदमी को बस यही कहने के लिए पीट दिया था…कि वो नेहा के साथ रात बिताना चाहता था…..

वीनू: क्या सोच रही है…कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही है….पर जल्दी बता उसको क्या जवाब दूं…देख 9:30 बज रहे हैं…..

अब मेरे पास दीदी की बात को टालने के लिए कोई चारा नही था….मेने धड़कते दिल के साथ हामी भर दी…और दीदी ने खुस होते हुए अभी का मोबाइल नंबर डाइयल किया…

वीनू: हेलो हां अभी….सॉरी यार इस टाइम कोई भी लड़की फ्री नही है…और जो हैं भी वो इस टाइम नही आ सकती, सुन अभी तू रचना को जानता है ना (थोड़ी देर चुप रहने के बाद)

वीनू: हाँ -2 वहीं उससे मिलेगा……….चल ठीक है तू फिर वहाँ आ जेया (पर दीदी फिर से चुप होकर उसकी बात सुनने लगी थोड़ी देर बाद) चल ठीक है मे उसे लेकर आती हूँ (और दीदी ने फोन काट दिया

मे दीदी के बात को सुन कर एक दम घबरा गयी….

मे: दीदी मे कहीं और नही जाउन्गि…मुझे डर लगता है…उसे यहीं बुला लो…और वैसे भी इतनी रात को क्या कह कर जाउन्गि…

वीनू: तू घबरा ना…मे तेरी साथ ही चलूंगी…और रात वहीं रुकूंगी…आज वो घर पर अकेला है, तू अब घर जा और जल्दी से तैयार हो जा…और गोपाल को कह देना के मे दीदी के साथ उनकी बहन के घर जा रही हूँ…उनकी बेहन के तबीयत खराब है…

और हां सुन अच्छा सलवार कमीज़ पहन लेना….

मे दिल डर के मारे जोरों से धड़क रहा था…मे उठ कर अपने घर आ गयी…मुझे देखते ही गोपाल बोले…

गोपाल: क्या हुआ आज इतनी देर क्यों लगा दी…खाना नही लाई….

मे: नही वो दीदी लेकर आ रही हैं…उनकी बहन के तबीयत अचानक से खराब हो गयी है…मुझे साथ चलने को कह रही थी…

गोपाल: तो इसमे क्या बात है चली जाओ…वैसे भी उन्होने हमारा कितना ख़याल रखा है…तू जा उनके साथ…

मे बाथरूम मे एक सलवार कमीज़ लेकर घुस गयी…मेने आज सुबह ही अपनी चूत की झांतों को सॉफ किया था…जिससे मेरी चूत एक दम चिकनी हो कर चमक रही थी..मे अभी कपड़े पहन ही रही थी…कि मुझे बाहर से वीनू दीदी की आवाज़ आई…जब मे कपड़े पहन कर बाहर आई तो…गोपाल और नेहा खाना खा रहे थे…

वीनू: चल जल्दी कर…पहले ही बहुत देर हो गये है….मेने गोपाल को कह दिया…तू कल सुबह ही मेरे साथ आएगी

और मे वीनू दीदी के साथ घर से बाहर आ गयी…बाहर महेश (वीनू दीदी का पति) बाइक पर हमारा इंतजार कर रहा था…उसने हमे देखते ही बाइक स्टार्ट की..और हम दोनो उसपर बैठ गये…वीनू दीदी सारे रास्ते मे समझाती रही…

वीनू: देख रचना तू पहली बार ऐसा काम कर रही है…मुझे पता है…कि तुझे कैसे लग रहा होगा पर एक बात का ध्यान रखान…वो जो भी कहे कर लेना…तूने कोन सा रोज -2 करना है…बस कुछ घंटों की बात है….

हम करीब 10 बजे एक कॉलोनी मे पहुच गये…ये कॉलोनी अभी नयी-2 बनी लगती थी…आबादी बहुत कम थी…मकान एक दूसरे से बहुत दूर-2 थे…चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा था…कुछ आगे जाने के बाद महेश ने बाइक रोक दी…हम दोनो बाइक से उतर गये…महेश बाइक लेकर वापिस चला गया…
 
हम दोनो पैदल चलने लगी…वीनू दीदी ने फिर से मोबाइल से अभी का नंबर डाइयल किया….

वीनू: हां अभी…हम पहुच गये हैं….गेट खोल दो….

और वीनू दीदी ने फोन काट दिया…और थोड़ी ही देर मे हम, एक बड़े से आलीशान घर के सामने खड़े थे…जैसे ही हम गेट पर पहुचे…गेट खुल गया…अंदर अंधेरा था…

अभी: (अंदर से) वीनू आंटी अंदर आ जाओ

मे वीनू दीदी के पीछे अंदर आ गयी….घर के अंदर हाल के बाहर भी एक बड़ा सा डोर लगा हुआ था..अभी ने डोर खोला और हमे अंदर बुला लिया…अंदर लाइट्स जल रही थी…वीनू बहुत ही मोटी थी…इस लिए थोड़ा सा चलने के कारण ही थक गयी….और जाते ही हाल मे लगे सोफे पर पसर गयी….

वीनू: हाए ओह्ह कितनी गर्मी है बाहर…और तू बता तेरा लाउडा किसी भी टाइम खड़ा हो कर चूत माँगने लग जाता है…और रात को मुझे परेशान करता है….

मे वीनू दीदी के मुँह से ऐसे बात सुन कर एक दम शर्मा गयी…और अपनी नज़रें नीचे कर ली…वैसे तो वीनू दीदी बहुत ही खुले विचारो वाली औरत थी….और मे उसके मुँह से ऐसी बातों को सुनने की आदि हो गयी थी…पर किसी अंजान के सामने ऐसी बात सुन कर मे एक दम शर्मा गयी…

वीनू: अर्रे रचना तू वहाँ क्यों खड़ी है…आ बैठ ना….

मे शरमाते हुए दीदी के पास जाकर सोफे पर बैठ गयी….अभी किचन मे चला गया…और दो ग्लास जूस लेकर वापिस आ गया….अभी ने हमे जूस दिया…थोड़ी देर वो वीनू से कुछ बात करता रहा…रात के 10 बज रहे थे…वीनू ने मुझे उठ कर आने के इशारा किया…मे वीनू दीदी के पीछे-2 चली गयी…वो मुझे अभी के बेड रूम मे ले गयी…और मुझे बेड पर बैठा दिया…

वीनू: देख अब मुझे निराश मत करना…अभी मेरा बहुत बड़ा कस्टमर है…उसको अच्छे से खुस कर देना…ज़्यादा शरमाना नही…मे उसे भेजती हूँ…

मे: पर आप यहाँ रुकेंगी ना रात को

वीनू: हां री यहीं रुकूंगी…मे साथ वाले रूम मे सो जाउन्गि….

और वीनू चली गयी…अभी ने उसके सोने का इंतज़ाम कर दिया था….और बाहर के गेट को लॉक करके हाल के डोर को भी लॉक कर दिया…मे अभी के रूम मे बैठी सब देख रही थी…अभी ने हॉल की लाइट्स ऑफ कर दी..और रूम की तरफ आने लगा…मेरे दिल की धड़कने एक दम से बढ़ गयी…मे क्या करूँगी…कैसे करूँगी…मे यही सोच सोच कर घबरा रही थी…कि कही वो मुझे बाकी रंडियो की तरह तो पेश नही आएगा..

अभी 25 साल का एक बहुत ही हॅंडसम लड़का था..हाइट करीब 5,8 इंच गोरा रंग अच्छी कसी हुई बॉडी…कुल मिला कर उस पर कोई भी लड़की मर मिट सकती थी…वो रूम मे आ गया…और अंदर आते ही उसने डोर को लॉक कर दिया…उसने टीशर्ट और शॉर्ट्स पहना हुआ था…अंदर आने के बाद वो बेड के दूसरी तरफ बैठ गया….और अपनी टीशर्ट उतारने लगा…

मे बेड के किनारे बैठी उसको चोर नज़रों से देख रही थी…जैसे ही उसने अपनी टी उतारी…मेरी नज़र उसके गोरे बदन पर ठहर गयी…फिर उसने खड़ा हो कर अपनी टीशर्ट को टेबल पर रख दिया…और अपने शॉर्ट्स को उतार दिया…उसकी कसी हुई जांघे देख मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा…शॉर्ट्स उतारने के बाद वो बेड पर आकर लेट गया…मेरे साँसे तेज़ी से चल रही थी…पूरे घर मे शांति छाई हुई थी…मे अपने तेज़ी से धड़क रहे दिल की धड़कनो को भी सॉफ-2 सुन पा रही थी…थोड़ी देर लेटने के बाद अभी बोला

अभी: तुम्हारा नाम क्या है…

मे: जी रचना

अभी: रचना बहुत ही प्यारा नाम है…इधर आओ

मे बेड के किनारे बैठी थी…मेरी पीठ अभी की तरफ थी…बेड काफ़ी बड़ा था…अभी बेड के दूसरे किनारे दीवार की तरफ लेटा था…जैसे ही उसने मुझे ऊपेर आने को कहा. मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गयी…मेरे गाल शरम के मारे लाल हुए जा रहे थे.

क्रमशः.................
 
गतान्क से आगे.....................6

अभी: क्या हुआ इधर आओ

मे: वो पहले आप लाइट ऑफ कर देते…

अभी: लाइट भी ऑफ कर दूँगा…पहले एक बार मुझे देखने तो दो…

मे एक दम से शर्मा गयी…पर मेरे पास अभी की बात मानने के इलावा और कोई चारा भी नही था…मेने अपने पैरो मे डाली संदेल्स को उतार दिया…और बेड के ऊपेर आ गयी…अभी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया…मे बिल्कुल उसके ऊपेर आ गयी…वो पीठ के बल लेटा हुआ था….और मेरा चुचियो तक का ऊपेरका हिस्सा उसकी छाती के ऊपेर आ गया था…मेरी साँसे एक दम से तेज हो गयी…रूम मे ट्यूब लाइट की रोशनी चारो तरफ फेली हुई थी…मेने शर्मा कर आँखें बंद कर ली…अभी का एक हाथ मेरी पीठ के नीचे से होता हुआ,मेरे कंधे को थामे हुआ था…मे उसकी बाहों मे कसमसा रही थी…

उसने मेरे गाल पर अपना दूसरा हाथ रख दिया….मेरा पूरा का पूरा बदन कांम्प गया…मेने अपनी भारी हुई आँखों को खोल कर देखा…अभी मुस्करा कर मेरी ओर देख रहा था..मुझे यकीन नही हो रहा था के सिर्फ़ 25साल का लड़का मेरे जैसी मेच्यूर औरत को ऐसे हॅंडेल कर सकता हैं…उसने अपना हाथ मेरे सर के पीछे ले जाते हुए…मुझे अपने ऊपेर झुकाया ….जिससे मेरे होंटो अभी के होंटो के तरफ बढ़ने लगे…मे शरम के मारे मरी जा रही थी…कि एक 25साल का लड़का अब मेरे होंटो को चूसने वाला है…

मे: प्लीज़ लाइट बंद कर दो ना…(काँपति हुए आवाज़ मे)

अभी: कर देता हूँ इतनी जल्दी भी क्या है…और उसने मेरे सर को झुका कर अपने होंटो को मेरे होंटो के ऊपेर रख दिया….मेने अपनी आँखें बंद कर ली…मेरी चुचिया अभी की छाती से दो इंच ऊपेर झूल रही थी…मे शरम के मारे मरी जा रही थी…मेरा हाथ उसकी छाती के ऊपेर आ गया. और मेने अपनी चुचियो को अभी की छाती से टकराने से बचाने के लिए अपने हाथ ऊपेर रख दिए थे…वो बड़े हे प्यार से धीरे-2 मेरे होंटो को चूस रहा था…धीरे-2 मे भी गरम होने लगी. वो मेरे होंटो को ऐसे चूस रहा था..जैसे कोई बच्चा अपनी मा के चुचि को दूध पीते वक़्त चूस्ता है…

मे उसके होन्ट चूसने से गरम हो गयी थी…मेरी साँसे भी गरम हो चुकी थी…और मेरा जो हाथ उसकी छाती पर था…उससे मे धीरे -2 उसकी छाती को सहलाने लगी…फिर उसने अपना हाथ जो के मेरे सर के पीछे था… उसे नीचे करके मेरी पीठ पर कस लिया…और मुझे अपने से और चिपका लिया…मे भी उसे से चिपक गयी…मेरी चुचिया जो अब तक एक दम तन चुकी थी…उसकी छाती मे धँस गयी…उसने मेरे होंटो को 10 मिनट तक चूस -2 कर लाल कर दिया….

जब उसने अपने होंटो को हटाया…तो मेरी साँसें तेज़ी से चल रही थी…मे थोड़ा ऊपेर हो गयी…वो मेरे आँखों मे देखने लगा….

अभी: तुम्हारे होंटो का रस तो सहद से भी मीठा है….सच मे मज्जा आ गया…

मे अभी की बात सुन कर बुरी तराहा शर्मा गयी…वो बेड पर लेटा हुआ था…अचानक मेरा ध्यान उसके अंडरवेर की तरफ गया…उसका लंड अंडरवेर मे एक दम तन कर खड़ा था….जो अंडरवेर मे एक बड़ा सा उभार बनाए हुए था…मेरी जाँघो के बीच ऊट मे सरसारहात सी होने लगी…

अभी: चल अब अपनी कमीज़ उतार दे…

मे: नही पहले लाइट बंद कर दो..मुझे शरम आती है…

अभी: प्लीज़ एक बार उतार के दिखा दो ना..फिर लाइट बंद कर लूँगा…

मे अब क्या कर सकती थी…मेने शरमाते हुए अपनी कमीज़ को दोनो तरफ से पकड़ कर ऊपेर उठाना चालू कर दिया…और कमीज़ को उतार कर बेड पर रख दिया…मेने ब्लॅक कलर की ब्रा और पॅंटी पहनी थी…अब मेरी चुचिया ब्लॅक ब्रा मे कसी हुई, उसकी आँखों के सामने थी…मेरी ब्रा की तरफ इशारा करते हुए अभी ने ब्रा को खोलने के लिए भी कहा…मेने शरमाते हुए ब्रा को खोल दिया….

मे: (धीमी सी आवाज़ मे) अब तो लाइट बंद कर दो..

उसने मेरी सलवार की तरफ इशारा किया…

मे: इसे भी

उसने हां मे सर हिला दिया….मे बिल्कुल किसी बाजारू रंडी के तराहा उसकी बात मान रही थी…क्योंकि मे वीनू दीदी को शिकायत का मोका नही देना चाहती थी…मे अपने कांप रहे हाथों को अपने सलवार के नडे के तरफ ले गयी….मेरे हाथ वहीं जाम गये…मे शरम के मारे डूबी जा रही थी…

मे : नही मुझ से नही होगा…आप पहले लाइट बंद कर दो…

अभी: चलो खड़ी हो जाओ

मे: जी क्या

अभी: मेने कहा खड़ी हो जाओ

इस बार अभी की आवाज़ मे कुछ गुस्सा था…मे डर के मारे बेड पर खड़ी हो गयी…मुझे अपने आप पर हैरानी हो रही थी…कि मे किसी 25 साल के लड़के के सामने किसी रंडी के तराहा उसकी हर बात मान रही हूँ…उसने मुझे ऊपेर से बिल्कुल नंगा कर दिया था…और मेरी तनी हुई चुचियो को देख कर अपने अंडरवेर के ऊपेर से अपने लंड को हाथ मे लेकर मसल रहा था…

अभी: अपने हाथों को ऊपेर सर के पीछे करो…..
 
मेने बिना कुछ बोले अपने हाथों को ऊपेर करके सर के पीछे कर लिया….जिससे मेरे अमृत कलश उसे दिखने लगे…मेने बगल के बाल भी सुबह ही सॉफ किए थे…उसने अपना बैठे-2 अपना हाथ बढ़ा कर मेरी सलवार का नडा पकड़ कर लिया…मेने उसे अपने हाथ नीचे करके रोकना चाहा….मेने उसके हाथों को पकड़ लिया….

मे: नही प्लीज़ पहले आप लाइट बंद कर दो…मुझे बहुत शरम आ रही है….

अभी: चल हाथ हटा (मुझे हाथ ना हटाते देख वो फिर से गुस्से से बोला) सुना नही क्या

मेने अपने हाथों को फिर से ऊपेर कर लिया…और उसने मेरे सलवार के नडे को खींच दिया…नडा खुलते ही मेरी सलवार ढीली होकर मेरे जाँघो तक उतर कर मेरी जाँघो मे अटक गयी….उसने मेरी सलवार को पकड़ कर फिर से खींचा….अब मेरी सलवार मेरे पैरों मे पड़ी थी…और मे ब्लॅक कलर के पॅंटी मे उसके सामने अपनी आँखें बंद किए खड़ी थी…उसने फिर से मेरी सलवार को खींचा, ताकि वो उसे मेरे पैरो से निकाल सकें…मेने एक एक करेके अपने दोनो पैरों को बारी-2 ऊपेर उठाया…जिससे उसने मेरी सलवार को मेरे पैरो से निकाल कर एक तरफ फेंक दिया…

अभी: चल अब घूम जा….

मे घूम गयी…अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी…मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज़ी से चल रही थी…और आने वाले पलों के बारे मे सोच सोच कर कांम्प रही थी…वो मेरे पीछे खड़ा हो गया…हम दोनो उस बेड पर खड़े थे…मेरा मुँह दीवार की तरफ था.

उसने मेरे चुतड़ों को दोनो हाथों मे पकड़ लिया….और मसलना चालू कर दिया….मेरे पूरे बदन मे सिहरन दौड़ गयी…वो बिल्कुल मेरे जेठ जी के तराहा मेरे चुतड़ों को मसल रहा था…पर इस बार अपने से कई साल छोटे लड़के से चुतड़ों को मसलने पर कुछ और ही मज़ा आ रहा था…उसने अपने होंटो को मेरी नंगी पीठ पर रख दिया…और मेरी पीठ को चूमने लगा..मेरे मुँह से आह निकल गयी…मेने अपनी हथेलियो को दीवार से सटा लिया….वो मेरी पीठ के हर हिस्से को चूम रहा था…चाट रहा था…मे मस्ती मे आने लगी…मे दबी हुई सिसकारिया भरने लगी…नीचे वो अपने दोनो हाथों से मेरे चुतड़ों को मेरी पॅंटी के ऊपेर से मसल रहा था…

फिर उसने थोड़ी देर बाद मेरी पॅंटी को दोनो साइड से पकड़ कर नीचे कर दिया….मेने शरम और डर के मारे अपनी जाँघो को भींच लिया…पर तब तक मेरी पॅंटी मेरे पैरो मे पड़ी थी…उसने मेरी पॅंटी को निकाल कर एक तरफ फेंक दिया…मे तेज़ी से साँसें ले रही थी…हाथ पैर काँप रहे थे…

अभी: नीचे बैठो…

मे अपनी चुचियो को अपने हाथों से छुपाए हुए नीचे बैठ गयी….उसने अपना अंडरवेर उतार कर एक तरफ फेंक दिया था…जैसे ही मेने आँखें खोली…तो मेरी जान जैसे मेरे हलक मे अटक गयी हो…सामने अभी अपना 8 इंच लंबा और मोटा लंड हाथ मे पकड़ कर हिलाता हुआ मेरी तरफ देख कर मुस्करा रहा था….मेने अपना फेस दूसरी तरफ कर लिया…

अभी: क्या हुआ पसंद नही आया…छोटा है…

मे: (दीवार की तरफ देखते हुए) नही बहुत बड़ा है (मेरे आवाज़ लड़खड़ा रही थी)

अभी: देखना जब मेरा लाउडा तुम्हारी फुददी मे जाएगा…तो तू उछल-2 कर मेरे लौदे से अपनी फुददी को चुदवायेगी…

मे अभी की बातों को सुन कर झेंप गयी…

अभी: चल ना पकड़ इसे हाथ मे लेकर थोड़ा सहला तो सही…..

मे: अब तो लाइट बंद कर दो….अब तो जो तुमने देखना था, देख लिया…..

अभी मेरे बात सुन कर बेड से नीचे उतर गया….और लसीडी ऑन कर ली….टीवी पर सॉंग्स चल रहे थे…हलकी आवाज़ कर उसने लाइट ऑफ कर दी…और बेड के पास आकर बेड लॅंप ऑन कर दिया, और फिर जाकर लाइट ऑफ कर दी…रूम मे लाइट तो कम हो गयी थी…पर लसीडी और बेड लॅंप की लाइट रूम मे फेल गयी थी….

मे: इन्हे भी बंद कर दो (शरमाते हुए)

अभी: अब इनको तो रहने दो….इतनी से रोसनी तो होनी चाहिए…ताकि मे तुम्हारी फुद्दि का छेद देख सकूँ…
 
मे उसकी हर बात पर शर्मा जाती…अभी बेड पर आ गया….और मुझे पीठ के बल लेटा कर मेरी जाँघो को फैला कर, मेरी जाँघो के बीच घुटनो के बल बैठ गया….मेने अभी भी अपनी चुचियो को अपने हाथों से ढक रखा था…पर मेरी चूत मेरी जाँघो के फैलने के कारण खुल कर,उसकी आँखों के सामने आ गयी थी….

अभी ने मेरे हाथों को मेरी चुचियो से हटा दिया…और मेरे हाथों को बेडशीट से सटा दिया…और मेरे हाथों की हथेलियो से अपने हाथों की हथेलियो को मिला कर मेरे हाथों की उंगलयों को अपने हाथों के उंगलयों से कस लिया….और मेरे ऊपेर झुक कर मेरे एक तने हुए निपल को मुँह मे ले लिया…जैसे ही उसकी जीभ मेरे तने हुए निपल पर पड़ी…मेरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया….और मेरे मुँह से सीईइ के आवाज़ निकल गयी.

अभी मेरे एक निपल को चूसने लगा…मे एक दम मस्त हो चुकी थी…उसका मोटा लंड मेरी चूत के छेद पर रगड़ खा रहा था…मे आज फिर से कितने दिनो बाद चुदवाने वाली थी….अभी का लंड इतना मोटा और लंबा था, कि आज तक मेने ऐसा लंड नही देखा था, यहाँ तक के मेरे जेठ जी का लंड भी मुझे इसके सामने छोटा मालूम हो रहा था…अभी को देखने से ऐसे नही लगता था…कि उसका औजार इतना बड़ा होगा…उसका लंड एक दम गोरा था…और लंड का सुपाड़ा किसी छोटे सेब जितना मोटा और लाल था…

वो पागलों के तराहा मेरी चुचि को चूस रहा था…मेरे हाथों के उंगलिया उसके हाथों पर कसने लगी थी…मेरे मुँह से दबी हुई सिसकारिया निकल रही थी…अभी बिल्कुल भी जल्दी मे नही था, वो करीब 10 मिनट तक मेरी के चुचि को चूस्ता रहा…और फिर उसने मेरी दूसरी चुचि को मुँह मे ले लिया…और चूसने लगा…मे मस्ती मे आकर अहह ऑश ऑश सीईईईईईईईईई उंह कर रही थी…मेरी चुचियो के निपल एक दम कड़े हो गये थे..और ज़्यादा लंबे हो कर तन चुके थे…उसका लंड नीचे से एक दम तना हुआ था…जो मेरी चूत के एक साइड मे रह-2 कर झटके खा रहा था…वो मेरी जाँघो के जोड़ो के बीच मे रगड़ खा रहा था…मेरी चूत पानी से पूरी तराहा गीली हो चुकी थी…

अभी मेरी चुचि को चूस्ते हुए अपने लंड को बिना किसी सहारे के मेरी चूत मे घुसाने की कॉसिश करने लगा…पर अभी का लंड मेरी चूत की फांकों पर रगड़ खा कर इधर उधर हो जाता…उसने कई बार ऐसा किया…पर लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के छेद तक नही पहुच पा रहा था…क्योंकि आज तक ना तो मेरे पति ने और ना ही मेरे जेठ जी ने कभी,मेरी चूत को देखे बिना और हाथ के सहारे के बिना मेरी चूत मे लंड डाला था…अब मेरी बर्दास्त की हद से बाहर हो रहा था....मुझसे रहा नही गया….

मे: (शरमाते हुए) ऐसे कैसे अंदर जाएगा

अभी (मुस्करते हुए) और कैसे जाएगा तुम ही बता दो….

मे: (अपने फेस को दूसरी तरफ घूमाते हुए) मुझे नही पता….

अभी : अगर मेने ऐसे ही तुम्हारी फुदीदी मे अपने लंड को डाल दिया तो……

मे: कैसे…

अभी: अपनी टाँगों को थोड़ा सा ऊपेर उठाओ

मेने अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा लिया….मेरी चूत एक दम गीली हो चुकी थी…अभी ने अपने आप को थोड़ा सा अड्जस्ट किया तो, उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के छेद पर आकर टिक गया…मेरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी…मेने अपने होंटो को अपने दाँतों मे भींच लिया….अभी ने मेरे फेस को अपनी तरफ घुमाया.. मेरे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया, और मेरे होंटो को चूसने लगा…और अपने लंड को मेरी चूत मे घुसाने लगा…लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर होने लगा…मुझे अभी का लंड अंदर लेने मे दिक्कत हो रही थी.मेरी चूत का छेद अभी के लंड से एक दम से कस गया….मुझे थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था…आज तक मेरी कसी हुई चूत ने इतना मोटा और तगड़ा लंड नही लिया था…अभी अपने लंड के सुपाडे को ही मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा…

क्रमशः.................
 
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गतान्क से आगे.....................

मे एक दम मस्त हो गयी…धीरे-2 अभी के लंड का सुपाड़ा भी मेरी चूत के पानी से गीला हो कर चिकना हो गया…और अभी हर धक्के के साथ 1 इंच लंड को और मेरी चूत मे पेल देता…मेरी चूत की दीवारें मुझे अभी के लंड पास कसी हुई महसूस हो रही थी…उसने मेरे हाथों को छोड़ दिया…और घुटनो के बल बैठ कर मेरी जाँघो को उँचा कर दिया…और एक के बाद एक 3-4 जोरदार धक्के मार कर अपना मोटे गधे जैसे लंड को मेरी चूत मे जड़ तक घुसा दिया…लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर बच्चे दानी मे जाकर धँस सा गया….मेरी चूत ने मस्ती मे आकर और पानी छोड़ दिया…

मे: अहह अहह ओह उंम्म्माआ मररर्र्र्र्र्ररर दलाआ रीईई अहह धीरीईई धीरीईई

अभी मेरे ऊपेर झुक गया…और मेरी चुचि को मुँह मे लेकर चूसने लगा…दूसरे हाथ से वो मेरी दूसरी चुचि को मसल रहा था…मेरे बदन मे आग सी लग चुकी थी…और मेने नीचे से अपनी चूत को ऊपेर की ओर उछालना चालू कर दिया था…मुझे वासना के नशे मे मदहोश होता देख, अभी ने अपने लंड को धीरे-2 बाहर निकाला…जब लंड सुपाडे तक बाहर आ गया…तो वो रुक कर मेरी चुचि को चूसने लगा…

मेरी चूत अभी के मोटे लंड को फिर से अपने अंदर लेने के लिए फुदकने लगी…और मेरी कमर अपने आप ही ऊपेर की तरफ उछल पड़ी…लंड का सुपाड़ा चूत की कसी हुई दीवारों पर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुसने लगा….और जैसे ही फिर से पूरा लंड मेरी चूत मे घुस्सा और मेरी बच्चे दानी से टकराया, मेरे होंटो पर कामुक और सन्तुस्ति से भरी मुस्कान फेल गयी…मेरे होन्ट कंम्पने लगे… और मुँह से उंह आहह सीईईईई की आवाज़ निकल गयी, जो मेरी मस्ती को बयान कर गयी…अभी ने मेरे थरथरा रहे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया…और वो मेरे होंटो को निचोड़-2 कर चूसने लगा…मेरी कमर नीचे से रह-2 कर झटके खा रही थी…अभी ने फिर से धीरे-2 अपनी गांद को ऊपेर करना चालू कर दिया…लंड का सुपाड़ा फिर से चूत की दीवारों पर बुरी तराहा रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा…

अब एक बार फिर से अभी का लंड मेरी चूत के बाहर था…बस लंड का सुपाड़ा ही मेरी चूत के छेद मे फँसा हुआ था…मेरी चूत की फाँकें उस को कस रही थी…मेरी चूत के फाँकें जैसे उसे वापिस अंदर लेने के लिए सिकुर और फेल रही थी…

अब एक बार फिर से अभी का लंड मेरी चूत के बाहर था…बस लंड का सुपाड़ा ही मेरी चूत के छेद मे फँसा हुआ था…मेरी चूत की फाँकें उस को कस रही थी…मेरी चूत की फाँकें जैसे उसे वापिस अंदर लेने के लिए सिकुड और फेल रही थी…

अभी ने मेरे होंटो पर फिर से अपने होंटो को हटा लिया…और मेरे तरफ देखने लगा…मे आँखें बंद किए तेज़ी से साँसें ले रही थी, मेरे होन्ट थोड़ा सा खुले हुए थे..और कांम्प रहे थे…लंड का सुपाड़ा चूत के मुँह पर था…जिससे मेरी चूत मे उसे दोबारा फिर से अंदर लेने के लिए खुजली होने लगी…मेने अपने हाथों से बेड शीट को कस के पकड़ लिया…और अपने होंटो को अपने दाँतों मे भींच कर अपनी चूत को ऊपेर के तरफ उछाला…लंड फतच-2 की आवाज़ से फिर से मेरी चूत के गहराईयो मे उतर गया….अभी ने अपना वजन मुझ पर डाल दिया…जिससे मेरी गांद फिर से नीचे बिस्तर पर लग गयी…नीचे बेड शीट मेरी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी…

अभी के लंड के मोटे सुपाडे को फिर से अपनी चूत के गहराईयो मे महसूस करके…फिर से मेरे मुँह से अहह सीईईईईईईईई निकल गया…और अपने होटो को अपने दाँतों से काटने लगी…

अभी मुझे ऐसे लंड के लिए तरसता देख कर मुस्करा रहा था…मे शर्मा भी रही थी…पर अभी के मोटे लंड को अपनी चूत मे लेने की चाहत मे ब्लिकुल किसी रंडी के तराहा पेश आने लगी थी….

अभी ने फिर से अपने लंड को बाहर निकालना चाहा…पर मुझ से बर्दास्त नही हुआ…मेने बेड शीट को छोड़ दिया…और अपनी बाहों को अभी के पीठ पर कस लिया….और टांगो को अभी के चुतड़ों पर चढ़ा कर कस लिया…
 
मे: नही बस और नही आहह आह अब मुझे सीईईई जल्दी से चोद डालो ओह अब बर्दास्त नही हो रहा…अपने इस मोटे लंड से मेरी चूत की दीवारों को छिल कर रख दो आहह

और मे अभी के किसी हरकत का इंतजार किए बिना अपनी कमर को नीचे झटके देने चालू कर दिए…अभी का लंड मेरी चूत मे पहले से ही अंदर तक घुस्सा हुआ था…

और सिर्फ़ 1 इंच लंड ही बाहर आ रहा था…बार- 2 अभी के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर तक जाकर मेरी बच्चेदानी के मुँह पर रगड़ खा रहा था…मेरी चूत से पानी बह-2 कर मेरी गांद के छेद पर आ गया था…मे अभी के नंगे जिस्म से बिकुल चिपकी हुई अपनी कमर को ऊपेर की तरफ झटके दे रही थी…अभी के लंड का नरम और मोटे सुपाडे का घर्षण महसूस करके मे झड़ने के बिल्कुल करीब थी..अभी ने फिर तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करना चालू कर दिया….

मे ह अहह ओह करने लगी…मेरी सिसकारियाँ पूरे कमरे मे गूँज रही थी…अभी के 6-7 ज़बरदस्त धक्को के साथ ही मेरी चूत ने पानी का लावा उगल दिया…पूरा पूरा बदन झटके खाने लगा….और मे झाड़ कर पस्त हो गयी…मेरे कंम्प रहे होंटो पर कामुकता के सन्तुस्ति से पूरण मुस्कान आ गयी…अभी अपने लंड को तेज़ी से मेरी चूत मे पेल रहा था…मेरी चूत की दीवारों ने उसके लंड को कस रखा था…इसलिए वो भी 2 मिनट बाद मेरी चूत मे और लंड पेलने के बाद झाड़ गया…मेरी चूत मे वीर्ये के बोछर करने लगा…एक के बाद एक उसके लंड के सुपाडे से वीर्ये की कई पिचकारियाँ छूटी…जो मेरी चूत की दीवारों को भिगोने लगी… मे अभी के लंड से निकल रहे गाढ़े वीर्ये को अपनी चूत के दीवारों से बहता हुआ अपनी बच्चेदानी मे महसूस कर रही थी….और मेरी कमर झटके खा रही थी…मेरी चूत के दीवारें बार बारअभी के लंड पर कस्ती और ढीली हो रही थी…जैसे वो अभी के लंड से सारा रस निचोड़ लेना चाहती हो….

अभी भी झड़ने के बाद सुस्त पड़ गया….और मेरी चुचियो पर अपना फेस रख कर हाँफने लगा…मे आज एक बार फिर से झाड़ कर सन्तुस्त हो चुकी थी…जब वासना का नशा मुझ पर से उतरा…तो मे अपने आप को एक 25 साल के लड़के के नीचे ऐसे नंगा पा कर एक दम से शर्मा गयी…कुछ देर पहले अभी ने ना सिर्फ़ मेरी जबरदस्त चुदाई की थी…बल्कि उस 25 साल के लड़के ने मेरी चूत से पानी भी निकाल दिया था….ये सोच-2 कर मे उसके नीचे पड़ी कसमसाने लगी….उसका लंड झड़ने के बाद भी पूरी तराहा ढीला नही हुआ था…उसके लंड मे अभी भी काफ़ी तानव था…और मेरी चूत के अंदर ही था…

मुझे कसमसाता देख…अभी मेरे ऊपेर से हट कर मेरी बगल मे आकर लेट गया….मेने शरम के मारे उसकी तरफ पीठ कर ली…रूम मे लसीडी और बेड लॅंप की लाइट चारो तरफ फेली हुई थी…अभी मुझ से पीछे से सॅट गया…उसने अपना हाथ मेरे ऊपेर रख दिया…और मेरी एक चुचि को अपने हथेली मे ले लिया…उसका आधा तना हुआ लंड मेरे चुतड़ों की दरार मे रगड़ खा रहा था…

अभी: क्या हुआ रचना….

मे: कुछ नही…

अभी: फिर मेरी तरफ पीठ क्यों कर ली….

मे: आप ने लाइट बंद नही की…मुझे शरम आ रही है….

अभी: ओह्ह अभी भी शरम आ रही है….लगता है तुम्हारी शरम को दूर करना ही पड़ेगा…नही तो तुम सारा मज़ा खराब कर दोगी…

उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर, मेरे चुतड़ों की दरार मे घुसा दिया…और उसने हाथ की उंगली से मेरी गांद के छेद को ढूँढते हुए…अपने लंड के सुपाडे को मेरी गांद के छेद पर टिका दिया….मेरा पूरा बदन एक दम से सिहर गया…अपनी गांद के छेद पर अभी के लंड के सुपाडे को महसूस करके…मेरे पूरे बदन मे मस्ती के लहर दौड़ गयी…पर मे अपनी गांद के छेद पर अभी के लंड के मोटे सुपाडे को महसूस करके एक दम डर भी गयी…कहीं अभी अपना मोटा लंड मेरी गांद के टाइट छेद मे ना पेल दे…

मे: ये आप क्या कर रहे हैं….वहाँ भी कोई घुसाता है क्या….

अभी: हां क्यों नही…बहुत से लोग घुसाते हैं….

मे: (घबराते हुए) तो क्या आप भी…. नही-2 मेने कभी….(और मे चुप हो गयी)

अभी: घबरा क्यों रही हो…मे वहाँ नही घुसाउन्गा….

मे: फिर आप ने अपना वो वहाँ क्यों लगा रखा है…

अभी: वैसे ही….मुझे अच्छा लग रहा है….

अभी अपने हाथ को आगे के तरफ ले आए…और मेरे पेट से होते हुए..उनका हाथ मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा…और मेरी चूत की फांकों पर अपना हाथ रख कर अपनी उंगलयों को मेरी चूत के फांकों मे चलाने लगे…मेरे बदन मे फिर से सरसराहट सी होने लगी…अचानक अभी ने अपने हाथ की उंगलयों से मेरी चूत के भांगास (क्लिट) को दबा दिया….मेरे पूरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया…और पूरा बदन झटका खा गया…मुझे इस तराहा मचलता देख अभी ने अपने हाथ की उंगलयों से मेरी चूत के क्लिट को मसलना चालू कर दिया…जिसका असर मेरे पूरे बदन मे हुआ…और मस्ती की लहर पूरे बदन मे दौड़ गयी…चूत के क्लिट को मसलने के कारण मेरी गांद अपने आप अभी के लंड पर दबने लगी…मे अपनी गांद को पीछे की तरफ धकेलने लगी…जिसे मेरी गांद का छेद अभी के लंड के सुपाडे पर दबाब डालने लगा…मे फिर से गरम हो चुकी थी…अभी का लंड भी फिर से तन कर खड़ा हो चुका था…
 
अब मुझे एक बार फिर से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था….मुझसे रहा नही गया…और मेने अभी की तरफ करवट बदल ली…और अभी से एक दम चिपक गयी…अभी ने मेरे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया…और चूसने लगा…मेरे हाथ अभी की पीठ को सहला रहे थे…अभी ने मेरी जाँघ को पकड़ कर अपनी जाँघ के ऊपेर रख दिया…जिससे अभी का लंड मेरी चूत की फांकों पर रगड़ खाने लगा….मेरी साँसें एक बार फिर से गरम होने लगी…और मेरी कमर अभी के लंड को अपनी चूत की फांकों पर महसूस कर फिर से झटके खाने लगी…मेरी चूत मे अभी का लंड के लेने के लिए फिर से खुजली होने लगी…और मे अपनी चूत को अभी को लंड पर दबाएँ लगी…पर अभी का लंड बार-2 मेरी चूत के फांकों से रगड़ खा कर इधर उधर हो जाता….

अभी: क्या हुआ…फिर से चोदू…

मे अभी की बात सुन कर एक दम से शर्मा गयी…चुदवाने की इच्छा से मेरी चूत खलबली मची हुई थी…मे ने भी बिल्कुल किसी रंडी के तराहा हां मे सर हिला दिया…और अभी के होंटो पर मुस्कान आ गयी…अभी ने मुझे बाहों मे भर कर अपने ऊपेर खींच लिया…

अब मे अभी के ऊपेर आ चुकी थी…मेरे पैर अभी की कमर के दोनो तरफ थे…और मेरी तनी हुई चुचियाँ अभी की आँखों के सामने उसके चहरे के ऊपेर झूल रही थी…अभी ने अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे लेजा कर मेरे बालों को खोल दिया…मे इतनी मस्त हो चुकी थी, कि मे अभी को कुछ भी करने से रोक नही रही थी…अभी ने अपना हाथ नीचे लेजा कर अपने लंड को थाम कर मेरी चूत के छेद पर लगाने लगा…मे वासना के नशे मे मदहोश थी…मुझसे सबर नही हुआ…और मेने अपनी गांद को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया…जिससे अभी ने आसानी से अपनी लंड के सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया…लंड का सुपाड़ा जैसे ही मेरी चूत के छेद पर लगा…मेरे मुँह से आह निकल गयी…

मेरे पूरे बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी…मेरी चूत की खुजली और बढ़ गयी…मेरी चूत के छेद मे संकुचन होने लगा, और मे धीरे -2 अपनी चूत को अभी के लंड के सुपाडे पर दबाने लगी…

अभी के लंड का सुपाड़ा…मेरी चूत के छेद और दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा…जैसे ही अभी का लंड मेरी चूत के अंदर आधा चला गया…मे वासना के नशे मे चूर हो गयी…मेरे बदन ने मेरा साथ छोड़ दिया…और मे अभी के ऊपेर झुक गयी…अभी ने मेरे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया…और चूसने लगा…मेने भी अपने होंटो को ढीला छोड़ दिया….अब एक 25 साल के लड़के का मेरे जिसम पर कब्जा था…वो मेरे होंटो को चूस रहा था…उसके हाथ मेरी नंगी पीठ को ऊपेर से नीचे तक सहला रहे थे…और मेने अपने आप को उसके अधीन कर दिया था…मे पूरी तराहा चुदासी हो कर उसको अपने बदन से खेलने दे रही थी…उसके हाथ धीरे-2 मेरे चुतड़ों पर आ गये…मेने एक बार फिर अपनी चूत को अभी के लंड पर दबा दिया…जिससे अभी का लंड मेरी चूत को फैलाता हुआ..जड़ तक अंदर घुस्स गया…और मेरी बच्चेदानी के मुँह से जाकर सॅट गया..

अभी मेरे चुतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ कर मसल रहा था…मे उसकी दासी की तरहा उसका लंड अपनी चूत मे लिए…उसे अपनी मन मानी करने दे रही थी…उसने मेरे होंटो को बारी-2 चूस कर एक दम लाल कर दिया था…उसने अपने दोनो हाथों से मेरे चुतड़ों को पकड़ कर दोनो तरफ फैला दिया…एसी से आ रही ठंडी हवा अपनी गांद के छेद पर महसूस करते ही…मे एक दम से अभी की छाती से चिपक गयी…

मे: आहह क्या कर रहे हैं आप्प्प….नही ओह मेन्न नहियीई ओह ओह अहह सीईईईईईईई अभिईीईईई

अभी ने अपने हाथ की उंगली को मेरी गांद के छेद पर लगा दिया…और धीरे-2 अंदर घुसाने लगा….मेरा पूरा बदन कांम्प गया…अभी ने मेरे होंटो को छोड़ कर मेरी एक चुचि को मुँह मे ले लिया और चूसने लगा…अब मेरे लिए रुकना ना मुनकीन था…

मेने अपनी कमर के नीचले हिस्से और गांद को ऊपेर नीचे करना चालू कर दिया…अभी का लंड मेरी चूत के पानी से एक दम गीला हो कर चिकना हो गया था…लंड तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा…मे तेज़ी से अपनी गांद को उछाल -2 कर अभी के लंड पर अपनी चूत को पटक-2 कर अभी का लंड अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी…फतच-2 के आवाज़ पूरे रूम मे गूंजने लगी…

मे: अह्ह्ह्ह अहह ओह ओह हइई रीईए ओह्ह्ह ऑश उंह

अभी : (मेरी चुचि को मुँह से निकालते हुए) कैसे लग रहा है… मेरे जान

मे बस आह ओह्ह्ह किए जा रही थी…मे बहुत ही गरम हो चुकी थी…और तेज़ी से अपनी कमर और गांद हिला कर अभी के मोटे लंड से अपनी चूत को चुदवा रही थी…मे आगे से अभी से एक दम चिपकी हुई थी…जिस के कारण मेरी कमर का नीचला हिस्सा और गांद ही ऊपेर को उछल कर अभी के लंड पर पटक कर अभी के मोटे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी…जिससे अभी के मोटे लंड के मोटे सुपाडे का घर्षण मेरी चूत के दीवारों पर और ज़्यादा होने लगा…मे एक दम मचल उठी…और तेज़ी से अपनी चूत को पटक-2 कर अभी के लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी…
 
अभी का लंड तेज़ी से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा…पूरे रूम मे मेरी सिसकारियाँ और फतच-2 के आवाज़ गूँज रही थी…

अभी: बोल साली कैसा लग रहा है…मेरा लौदा अपनी फुदी मे लेकर…

मे: अहह ओह बाबू जीई बहुतत्त्तत्त मज़ा आआ रहा है….आह आप का बहुत बड़ा हाईईइ अहह ह अहह मेरीए फत्त्तत्त जयगीईए

अभी: क्या फॅट जाईए गी ….ठीक से बोल ना साली

मे: अहह उंह बाबू जीई अपना लौदाअ मेरी चूत्त फदद्ड़ देगाआ अहह ओह मेरे चूत्त्त्त आपके लुंद्द्द्द्दद्ड के दस्सि हो गइई हाई उंह उईमाआअ

अभी ने मेरे चुतड़ों को कस कस के मसलना चालू कर दिया…और अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछालने लगा…लंड और तेज़ी से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा…अभी के लंड की नसें फूलने लगी….अभी ने फिर से मेरी चुचि को मुँह मे ले लिया…मेरी मस्ती का कोई ठिकाना नही रहा…मे फिर से झड़ने के करीब थी…और अपनी गांद को उछाल-2 कर अभी के लंड को अपनी चूत मे पेल्वा रही थी…

मेरा बदन अकड़ने लगा…चूत की दीवारों पर अभी के लंड के सेब जैसे मोटे सुपाडे को कसता हुआ महसूस करने लगी..और मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया….अभी के लंड ने मेरी चूत के पानी छोड़ते ही…अपने वीर्ये की बोछर कर दी…और मे अपनी चूत के अंदर अभी के गरम वीर्ये को महसूस करके और रोमांचित हो उठी…मे अभी के ऊपेर लुडक गयी…तूफान एक दम से शांत हो गया…हम दोनो एक दूसरे से बिकुल नंगे लिपटे हुए थे…करीब 5 मिनट बाद मे अभी के ऊपेर से उतर के अभी के बगल मे लेट गयी…जैसे ही मे अभी के ऊपेर से उठी…उसका आधा तना हुआ लंड मेरी चूत से पट्च की आवाज़ से बाहर आ गया…मे अभी की आँखों मे देख रही थी…पट्च के आवाज़ सुन कर मे शर्मा गयी…

क्रमशः.................

दोस्तों आगे की कहानी आपके कमेन्ट्स के बाद पोस्ट करूँगा आपका दोस्त राज शर्मा
 
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