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- Dec 5, 2013
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[color=rgb(235,]जा रे हट नटखट, न छू रे मेरा घूंघट
[/color]
"लेकिन पहले इनके पैरों में घुंघरू बंधेगा." ये गुड्डी थी। उसने वो बैग खोल लिया जो रीत लायी थी। उस में खूब चौड़े पट्टे में बंधे हुए ढेर सारे घूँघरू।
"एकदम-एकदम." संध्या भाभी ने भी हामी भरी।
मैं फिर पकड़ा गया और चंदा भाभी, संध्या भाभी और गुड्डी ने धर पकड़कर मेरे पैरों में घुंघरू बाँध दी। रीत दूर से मुझे देखकर मुश्कुरा रही थी।
मैं क्यों उसे बख्शता। मैंने दूबे भाभी को उकसाया- "आप तो कह रही थी की आपकी ननद रीत बहुत अच्छा डांस कर है तो अभी क्यों?"
लेकिन जवाब रीत ने दिया- "करूँगी। करूँगी मैं लेकिन साथ में नाचना पड़ेगा."
"मंजूर." मैं बोला और रीत ने एक दुएट वाले गाना म्यूजिक सिस्टम पे लगा दिया। होली का पुराना गाना। दूबे भाभी को भी पसंद आये ऐसा। क्लासिकल टाइप नटरंग फिल्म का-
[color=rgb(243,]धागिन धिनक धिन,[/color]
[color=rgb(243,]
धागिन धिनक धिन, धागिन धिनक धिन,
अटक अटक झटपट पनघट पर,
चटक मटक इक नार नवेली,
गोरी-गोरी ग्वालन की छोरी चली,
[/color]
[color=rgb(243,]चोरी चोरी मुख मोरी मोरी मुश्कुये अलबेली।[/color]
दूबे भाभी ढोलक पे थी, संध्या भाभी बड़े-बड़े मंजीरे बजा रही थी, चंदा भाभी हाथ में घुंघरू लेकर बजा रही थी। गुड्डी भी ताल दे रही थी।
[color=rgb(65,]कंकरी गले में मारी
कंकरी कन्हैया ने
पकरी बांह और की अटखेली
भरी पिचकारी मारी
सा रा रा रा रा रा रा रा
भोली पनिहारी बोली
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
रीत क्या गजब का डांस कर रही थी। संध्या भाभी की रंग से भीगी झीनी साड़ी उसने उठा ली थी और अपने छलकते उरोजों को आधे तीहे ढंकी ब्रा के ऊपर बस रख लिया था। तोड़ा, टुकड़ा उसके पैर बिजली की तरह चल रहे थे-
[color=rgb(184,]अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
सबने धक्का देकर मुझे भी खड़ा कर दिया और अगला पार्ट गाने का मैं पूरा किया-
[color=rgb(41,]आया होली का त्यौहार[/color]
[color=rgb(41,]उड़े रंग की बौछार[/color]
[color=rgb(41,]तू है नार नखरेदार, मतवाली रे[/color]
[color=rgb(41,]आज मीठी लगे है तेरी गाली रे[/color]
[color=rgb(41,]ऊ। हाँ हाँ हाँ आ। हो।[/color]
लेकिन वो चपल चपला, हाथों में उसने पिचकारी लेकर वो अभिनय किया की हम सब भीग गए। खास तौर से तो मैं। उसके नयन बाण कम थे क्या?
[color=rgb(243,]
तक तक न मार पिचकारी की धार
हो। तक तक न मार पिचकारी की धार
कोमल बदन सह सके न ये मार
तू है अनाड़ी बड़ा ही गंवार
कजरे में तुने अबीर दिया डार
तेरी झकझोरी से बाज आई होरी से
चोर तेरी चोरी निराली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
और उसके बाद तो वो फ्री फार आल हुआ की पूछो मत। लेकिन इसके पहले सबने तालियां बजायीं खूब जोर-जोर से सिवाय मेरे और रीत के हमारे हाथ एक दूसरे में फँसे थे। वो मेरी बांहों में थी और मैं उसकी।

"लेकिन पहले इनके पैरों में घुंघरू बंधेगा." ये गुड्डी थी। उसने वो बैग खोल लिया जो रीत लायी थी। उस में खूब चौड़े पट्टे में बंधे हुए ढेर सारे घूँघरू।
"एकदम-एकदम." संध्या भाभी ने भी हामी भरी।
मैं फिर पकड़ा गया और चंदा भाभी, संध्या भाभी और गुड्डी ने धर पकड़कर मेरे पैरों में घुंघरू बाँध दी। रीत दूर से मुझे देखकर मुश्कुरा रही थी।
मैं क्यों उसे बख्शता। मैंने दूबे भाभी को उकसाया- "आप तो कह रही थी की आपकी ननद रीत बहुत अच्छा डांस कर है तो अभी क्यों?"
लेकिन जवाब रीत ने दिया- "करूँगी। करूँगी मैं लेकिन साथ में नाचना पड़ेगा."
"मंजूर." मैं बोला और रीत ने एक दुएट वाले गाना म्यूजिक सिस्टम पे लगा दिया। होली का पुराना गाना। दूबे भाभी को भी पसंद आये ऐसा। क्लासिकल टाइप नटरंग फिल्म का-
[color=rgb(243,]धागिन धिनक धिन,[/color]
[color=rgb(243,]
धागिन धिनक धिन, धागिन धिनक धिन,
अटक अटक झटपट पनघट पर,
चटक मटक इक नार नवेली,
गोरी-गोरी ग्वालन की छोरी चली,
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[color=rgb(243,]चोरी चोरी मुख मोरी मोरी मुश्कुये अलबेली।[/color]
दूबे भाभी ढोलक पे थी, संध्या भाभी बड़े-बड़े मंजीरे बजा रही थी, चंदा भाभी हाथ में घुंघरू लेकर बजा रही थी। गुड्डी भी ताल दे रही थी।
[color=rgb(65,]कंकरी गले में मारी
कंकरी कन्हैया ने
पकरी बांह और की अटखेली
भरी पिचकारी मारी
सा रा रा रा रा रा रा रा
भोली पनिहारी बोली
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
रीत क्या गजब का डांस कर रही थी। संध्या भाभी की रंग से भीगी झीनी साड़ी उसने उठा ली थी और अपने छलकते उरोजों को आधे तीहे ढंकी ब्रा के ऊपर बस रख लिया था। तोड़ा, टुकड़ा उसके पैर बिजली की तरह चल रहे थे-
[color=rgb(184,]अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
सबने धक्का देकर मुझे भी खड़ा कर दिया और अगला पार्ट गाने का मैं पूरा किया-
[color=rgb(41,]आया होली का त्यौहार[/color]
[color=rgb(41,]उड़े रंग की बौछार[/color]
[color=rgb(41,]तू है नार नखरेदार, मतवाली रे[/color]
[color=rgb(41,]आज मीठी लगे है तेरी गाली रे[/color]
[color=rgb(41,]ऊ। हाँ हाँ हाँ आ। हो।[/color]
लेकिन वो चपल चपला, हाथों में उसने पिचकारी लेकर वो अभिनय किया की हम सब भीग गए। खास तौर से तो मैं। उसके नयन बाण कम थे क्या?
[color=rgb(243,]
तक तक न मार पिचकारी की धार
हो। तक तक न मार पिचकारी की धार
कोमल बदन सह सके न ये मार
तू है अनाड़ी बड़ा ही गंवार
कजरे में तुने अबीर दिया डार
तेरी झकझोरी से बाज आई होरी से
चोर तेरी चोरी निराली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
अरे जा रे हट नटखट न छू रे मेरा घूंघट
पलट के दूँगी आज तुझे गाली रे
मुझे समझो न तुम भोली भाली रे
सा रा रा रा रा रा रा रा[/color]
और उसके बाद तो वो फ्री फार आल हुआ की पूछो मत। लेकिन इसके पहले सबने तालियां बजायीं खूब जोर-जोर से सिवाय मेरे और रीत के हमारे हाथ एक दूसरे में फँसे थे। वो मेरी बांहों में थी और मैं उसकी।