hotaks444
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ससुराल की पहली होली-6
फिर हम लोग नहा धो के फ्रेश हुए , होली का रंग तो एक दिन में छूटने वाला नहीं था।
खाना खाते समय मैने अपनी जेठानी से पुछा ,
" क्यों भाभी , होली हो ली। "
" अभी कहाँ , शाम की होली तो और जबरदस्त होगी। और अभी तो इनका मस्त माल , हमारी छिनार ननद मीता शाम को आएगी। जम के लेनी है उसकी। "
फिर मेरी जेठानी ने राजीव को छेड़ा ,
" क्यों देवर तो होली में उद्घाटन करवा दूँ , आपसे। आखिर कोई न कोई तो लेगा ही। "
वो बिचारे झेंप के रह गए।
थोड़ी देर की नींद के बाद मैं शाम को उठी।
और थोड़ी देर में हमारी ननद और इनकी मस्त माल कम ममेरी बहन , मीता आयी।
मस्त खूब टाइट चिपका , सारे उभार कटाव दिखाता पीला टॉप , छोटी सी काली स्कर्ट ,
मक्खन सी चिकनी गोरी गोरी जांघ दिखाती , ललचाती। काली कजरारी बड़ी बड़ी सी आँखे , गोरे गुलाबी भरे भरे गाल , रसीले होंठ , और सबसे बढ़कर टाइट टॉप में मुश्किल से बंद , टेनिस बॉल्स के साइज के किशोर बूब्स जिसमें सिर्फ उभार और कटाव ही नहीं दिख रहा था , बल्कि निपल्स भी हलके हलके दिख रहे थे।
चेहरे पे एक भोलापन लेकिन साथ में आँखों में एक निमंत्रण ,…और देह पे आती हुयी जवानी के सारे निशान ,
मैंने उसे जोर से से अपनी बाँहों में भींच लिया और अपनी बड़ी 36 डी साइज जोबन से उसके छोटे छोटे किशोर उभारों को दबाने , रगड़ने लगी, और छेड़ा ,
" रास्ते में कुछ छैले मिल गए थे क्या ननद रानी , जो इतना टाइम लग गया। "
" अरे हमारी ननद को देख के तो इसके मोहल्ले के गदहों का लंड खड़ा हो जाता है , तो बिचारे छैलों कि बात ही क्या है "
चमेली भाभी ने चिढ़ाया।
मेरा एक हाथ उसकी पीठ पे ब्रा स्ट्रैप को सहला , हलके से खीच रहा था और उसके कंधे पे हाथ रख के मैंने उसे ऊपर छत पे बेडरूम में सीधे ले गयी , और समझाया
" सुन यार नीचे अभी थोड़ी भीड़ है , वो कालोनी की ,… तो जरा मैं उनको निपटा के आती हूँ। तब तक तुम जरा ,....'
" एकदम भाभी , मैं कहीं जाने वाली नहीं हूँ। हाँ मैंने सूना है सुबह होली में आप लोगों ने खूब कपडे फाड़े सबके " मुझे बांहो में ले , वो किशोर सुनयना , मुस्करा के बोली।
चमेली भाभी को तो मौका चाहिए था , उन्होंने उसके गाल पे पिंच कर के कहा ,
" अरे ननद रानी , उनके तो कपडे ही फाड़े थे , आपका देखिये क्या क्या फटता है "
" भाभी , आप भी न , अरे ये बिचारी तो आयी ही डलवाने है। पहले जरा ननद रानी को कुछ खिलाइये , पिलाइये , फिर डालने डलवाने का काम तो होता ही रहेगा। " मैंने चमेली भाभी को बोला।
कुछ ही देर में , मेरा इशारा समझ के चमेली भाभी , गुझिया की प्लेट और ठंडाई का ग्लास ले आयीं। ये कहने की जरूरत नहीं की दोनों में भांग की डबल डोज पड़ी थी।
मैंने एक गुझिया अपने हाथ से उसके मुंह में डाला और बोला , " ये ठंडाई भी पी ले साथ में सट से गटक जायेगी। "
चमेली भाभी नीचे पडोसिनो को सम्हालने चली गयी थीं।
बिस्तर पे कुछ मस्तराम की किताबें पड़ी थी, सचित्र। मीता की निगाहें बार बार वहीँ जा रही थीं।
मैंने उसे उठा के एक किताब दे दिया और बोली " असल में तुम्हारे भैया की ये फेवरिट किताबे हैं , हम साथ साथ पढ़ते है और प्रैक्टिस भी करते है। अब तू भी बड़ी हो गयी है ले पढ़। "
किताब खोलते ही जो उसने पढना शुरू किया , उसके आँखों की चमक बता रही थी की क्या असर हो रहा है।
मैंने टीवी भी खोल दिया , उसमें पहले से ही एक ब्ल्यू फ़िल्म की सीडी लगी हुयी थी।
"तू य किताबे पढ़ , टी वी देख बस मैं १० मिनट में उन सब को निपटा के आती हूँ " मैंने बोला।
तब तक फ़िल्म शुरू हो गयी। एक जोड़ा चुम्मा चुम्मी कर रहा था। फिर लड़की के होंठ धीरे धीरे नीचे आये और पहले तो उसने बल्ज को होंठो से रगड़ा , और जिपर खोल दिया। स्प्रिंग कि तरह बड़ा लम्बा और मोटा लंड झटके से बाहर निकल आया। मीता की आँखे टी वी स्क्रीन पे चिपकी थीं।
लड़की ने पहले तो एक हाथ में पकड़ के लंड को आगे पीछे किया और फिर अपने होंठो के जोर से सुपाड़ा खोल दिया।
क्या मस्त मोटा सुपाड़ा था , मुश्किल से के मुंह में घुस पाया। लेकिन वो सपड़ सपड़ उसे चाटे चूसे जा रही थी।
तभी एक और लड़की आयी और उसने पहली वाली की स्कर्ट उठा के उसकी गुलाबी चूत चूसनी शुरू कर दी। यहाँ तक की उसकी चूत की दोनों फांको को फैला के अपनी जुबान अंदर घुसेड़ दी और जीभ से ही चोदने लगी।
मैं कनखियों से मीता पर उसका असर देख रही थी। उसके किशोर उरोज और पथरा रहे थे। अब टॉप से उस के कबूतरों की चोंचें झाँकने लगी थी। मेरी सेक्सी ननद की साँसे भी लम्बी हो रही थी।
वो हलके से बोली , " भाभी ".
मैं उठी और उससे कहा ,
" अरे अभी तो फ़िल्म शुरू हुयी है है। , तू ये गुझिया भी ख़तम कर दे तो मैं प्लेट ले जाऊं। निगाहें उसकी अभीः भी टीवी पर थीं , चेहरे से मस्ती झलक रही थी। बिना कुछ सोचे उसने गुझिया उठा के खा ली और मैं प्लेट ले के बाहर निकल आयी। मैंने बाहर से दरवाजा न सिर्फ बंद किया बल्कि बोल्ट भी कर दिया।
फिर हम लोग नहा धो के फ्रेश हुए , होली का रंग तो एक दिन में छूटने वाला नहीं था।
खाना खाते समय मैने अपनी जेठानी से पुछा ,
" क्यों भाभी , होली हो ली। "
" अभी कहाँ , शाम की होली तो और जबरदस्त होगी। और अभी तो इनका मस्त माल , हमारी छिनार ननद मीता शाम को आएगी। जम के लेनी है उसकी। "
फिर मेरी जेठानी ने राजीव को छेड़ा ,
" क्यों देवर तो होली में उद्घाटन करवा दूँ , आपसे। आखिर कोई न कोई तो लेगा ही। "
वो बिचारे झेंप के रह गए।
थोड़ी देर की नींद के बाद मैं शाम को उठी।
और थोड़ी देर में हमारी ननद और इनकी मस्त माल कम ममेरी बहन , मीता आयी।
मस्त खूब टाइट चिपका , सारे उभार कटाव दिखाता पीला टॉप , छोटी सी काली स्कर्ट ,
मक्खन सी चिकनी गोरी गोरी जांघ दिखाती , ललचाती। काली कजरारी बड़ी बड़ी सी आँखे , गोरे गुलाबी भरे भरे गाल , रसीले होंठ , और सबसे बढ़कर टाइट टॉप में मुश्किल से बंद , टेनिस बॉल्स के साइज के किशोर बूब्स जिसमें सिर्फ उभार और कटाव ही नहीं दिख रहा था , बल्कि निपल्स भी हलके हलके दिख रहे थे।
चेहरे पे एक भोलापन लेकिन साथ में आँखों में एक निमंत्रण ,…और देह पे आती हुयी जवानी के सारे निशान ,
मैंने उसे जोर से से अपनी बाँहों में भींच लिया और अपनी बड़ी 36 डी साइज जोबन से उसके छोटे छोटे किशोर उभारों को दबाने , रगड़ने लगी, और छेड़ा ,
" रास्ते में कुछ छैले मिल गए थे क्या ननद रानी , जो इतना टाइम लग गया। "
" अरे हमारी ननद को देख के तो इसके मोहल्ले के गदहों का लंड खड़ा हो जाता है , तो बिचारे छैलों कि बात ही क्या है "
चमेली भाभी ने चिढ़ाया।
मेरा एक हाथ उसकी पीठ पे ब्रा स्ट्रैप को सहला , हलके से खीच रहा था और उसके कंधे पे हाथ रख के मैंने उसे ऊपर छत पे बेडरूम में सीधे ले गयी , और समझाया
" सुन यार नीचे अभी थोड़ी भीड़ है , वो कालोनी की ,… तो जरा मैं उनको निपटा के आती हूँ। तब तक तुम जरा ,....'
" एकदम भाभी , मैं कहीं जाने वाली नहीं हूँ। हाँ मैंने सूना है सुबह होली में आप लोगों ने खूब कपडे फाड़े सबके " मुझे बांहो में ले , वो किशोर सुनयना , मुस्करा के बोली।
चमेली भाभी को तो मौका चाहिए था , उन्होंने उसके गाल पे पिंच कर के कहा ,
" अरे ननद रानी , उनके तो कपडे ही फाड़े थे , आपका देखिये क्या क्या फटता है "
" भाभी , आप भी न , अरे ये बिचारी तो आयी ही डलवाने है। पहले जरा ननद रानी को कुछ खिलाइये , पिलाइये , फिर डालने डलवाने का काम तो होता ही रहेगा। " मैंने चमेली भाभी को बोला।
कुछ ही देर में , मेरा इशारा समझ के चमेली भाभी , गुझिया की प्लेट और ठंडाई का ग्लास ले आयीं। ये कहने की जरूरत नहीं की दोनों में भांग की डबल डोज पड़ी थी।
मैंने एक गुझिया अपने हाथ से उसके मुंह में डाला और बोला , " ये ठंडाई भी पी ले साथ में सट से गटक जायेगी। "
चमेली भाभी नीचे पडोसिनो को सम्हालने चली गयी थीं।
बिस्तर पे कुछ मस्तराम की किताबें पड़ी थी, सचित्र। मीता की निगाहें बार बार वहीँ जा रही थीं।
मैंने उसे उठा के एक किताब दे दिया और बोली " असल में तुम्हारे भैया की ये फेवरिट किताबे हैं , हम साथ साथ पढ़ते है और प्रैक्टिस भी करते है। अब तू भी बड़ी हो गयी है ले पढ़। "
किताब खोलते ही जो उसने पढना शुरू किया , उसके आँखों की चमक बता रही थी की क्या असर हो रहा है।
मैंने टीवी भी खोल दिया , उसमें पहले से ही एक ब्ल्यू फ़िल्म की सीडी लगी हुयी थी।
"तू य किताबे पढ़ , टी वी देख बस मैं १० मिनट में उन सब को निपटा के आती हूँ " मैंने बोला।
तब तक फ़िल्म शुरू हो गयी। एक जोड़ा चुम्मा चुम्मी कर रहा था। फिर लड़की के होंठ धीरे धीरे नीचे आये और पहले तो उसने बल्ज को होंठो से रगड़ा , और जिपर खोल दिया। स्प्रिंग कि तरह बड़ा लम्बा और मोटा लंड झटके से बाहर निकल आया। मीता की आँखे टी वी स्क्रीन पे चिपकी थीं।
लड़की ने पहले तो एक हाथ में पकड़ के लंड को आगे पीछे किया और फिर अपने होंठो के जोर से सुपाड़ा खोल दिया।
क्या मस्त मोटा सुपाड़ा था , मुश्किल से के मुंह में घुस पाया। लेकिन वो सपड़ सपड़ उसे चाटे चूसे जा रही थी।
तभी एक और लड़की आयी और उसने पहली वाली की स्कर्ट उठा के उसकी गुलाबी चूत चूसनी शुरू कर दी। यहाँ तक की उसकी चूत की दोनों फांको को फैला के अपनी जुबान अंदर घुसेड़ दी और जीभ से ही चोदने लगी।
मैं कनखियों से मीता पर उसका असर देख रही थी। उसके किशोर उरोज और पथरा रहे थे। अब टॉप से उस के कबूतरों की चोंचें झाँकने लगी थी। मेरी सेक्सी ननद की साँसे भी लम्बी हो रही थी।
वो हलके से बोली , " भाभी ".
मैं उठी और उससे कहा ,
" अरे अभी तो फ़िल्म शुरू हुयी है है। , तू ये गुझिया भी ख़तम कर दे तो मैं प्लेट ले जाऊं। निगाहें उसकी अभीः भी टीवी पर थीं , चेहरे से मस्ती झलक रही थी। बिना कुछ सोचे उसने गुझिया उठा के खा ली और मैं प्लेट ले के बाहर निकल आयी। मैंने बाहर से दरवाजा न सिर्फ बंद किया बल्कि बोल्ट भी कर दिया।