desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]जुलूस हैलीपैड पर पहुंचने वाला था कि तेजस्वी की नजर पांडुराम पर पड़ी।
“रोको … रोको!” उसने लगभग चीखकर ड्राइवर से कहा।
ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाते हुए पूछा, “क्या हुआ सर?”
उसका सवाल मानो तेजस्वी के कानों तक पहुंचा ही नहीं—वह काफी दूर, भीड़ के बीच खड़े पांडुराम की तरफ जोर-जोर से हाथ हिलाने में मशगूल था, मगर पांडुराम ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की जबकि वह देख उसी की तरफ रहा था।
तेजस्वी ने उसके चेहरे पर अपने लिए अजीब-सा रोष महसूस किया।
उसे शरारत सूझी।
लगा, पांडुराम के साथ छेड़छाड़ करने में मजा आएगा।
“उस आदमी को हमारे पास लाओ।” तेजस्वी ने अपनी बगल में खड़े पार्टी के जिलाध्यक्ष से कहा—जिलाध्यक्ष ने उसकी अंगुली के इशारे को ‘फॉलो’ किया, बोला—“यह तो पांडुराम है।”
“हां, तुम जानते हो उसे?”
“यस सर!”
“वो अपना पक्का यार है, मगर आजकल थोड़ा नाराज चल रहा है—देखो, वो मुड़ गया—शायद समझ गया कि मैं तुम्हें उसके पास भेज रहा हूं—कम्बख्त मिलना तक नहीं चाहता—उसे पकड़कर लाओ।”
जिलाध्यक्ष के लिए इतना काफी था कि चीफ मिनिस्टर ने उसे कोई काम बताया—उत्साह से भरा वह जीप से कूदा और चौकड़ी भरता हुआ भीड़ को चीरता चला गया।
ऐसा कहीं हो सकता है कि अपने इतने समर्थक होते मुख्यमंत्री किसी से मिलना चाहें और न मिल पाएं?
पांडुराम को लगभग जबरदस्ती जीप के नजदीक ले आया गया—तेजस्वी ने बड़ी आत्मीयता से उसका हाथ पकड़ा और ऊपर खींच लिया।
“क्या बात है पांडुराम?” तेजस्वी के होंठों पर मुस्कान थी—“हमसे नाराज है?”
पांडुराम ने अजीब स्वर में कहा—“तुमसे नाराज होकर मरना है क्या?”
“मगर तू तो साफ-साफ नाराज नजर आ रहा है, खैर … सुना—क्या हाल हैं?”
“मैं तो वही हूं साब जहां था, लेकिन तुम …”
“हम तुझे अपनी सरकार में मंत्री बना सकते हैं, बोल, बनेगा?”
पांडुराम ने नफरत से मुंह सिकोड़ लिया—“ऐसी सरकार पर तो मैं थूकना भी पसंद न करूं।”
“ओह, जरूरत से ज्यादा नाराज है!” तेजस्वी को उसका जवाब सुनने में मजा आया—पांडुराम से खुलकर बातें करने का मन हुआ तो जीप में मौजूद लोगों से बोला—“आप लोग कुछ देर के लिए हमें अकेला छोड़ दें—प्राइवेट बातें करनी हैं और आप सुनें!” उसने ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर से कहा—“सब लोगों को जीप से दूर हटा दें—किसी भी तरफ दस-दस कदम तक कोई नजर नहीं आना चाहिए।”
इंस्पेक्टर और उसके सहयोगी हुक्म का पालन करने में जुट गए।
“क्या तमाशा कर रहे हो साब?” पांडुराम कह उठा।
“सुनने को दिल चाह रहा है कि तू मेरे बारे में क्या सोचता है?”
“सोचता क्या हूं साब, भले ही तुम चाहे जो बन गए हो मगर मैंने भी अपना चैलेंज तो पूरा कर ही दिया …।”
“कौन-सा चैलेंज?”
“वर्दी वाला …।”
“ओह, अच्छा!” तेजस्वी ठहाका लगा उठा।
पांडुराम ने कहा—“तुम्हारी वर्दी तो उतरवा ही दी मैंने।”
“तेरा ख्याल गलत है पांडुराम, वर्दी उतरवा नहीं दी, बल्कि बदलवा दी।”
“मतलब?”
“देख … मेरे जिस्म पर मौजूद इस नई वर्दी को देख और सोच, क्या ये वर्दी पिछली वर्दी से कहीं ज्यादा पावरफुल नहीं है—मैं तुझे इस वर्दी का दाता मानता हूं—न तू पिछली वर्दी उतरवाता, न मैं इस नई वर्दी तक पहुंचता।”
“शायद …।”
“शायद नहीं पांडुराम हंडरेड परसैन्ट ठीक कह रहा हूं मैं—मेरे चारों तरफ जय-जयकार कर रहे बेवकूफों के इस हजूम को देख… मीटिंग में होता तो देखता … पुरानी वर्दी में जिन लोगों को सर … सर कहता नहीं थकता था, वे सबके सब साले मुझे बार-बार ‘सर’ कह रहे थे—तू हार गया पांडुराम, असल में तू बुरी तरह हार गया—तेरे उस वर्दी वाले गुण्डे के जिस्म को पुरानी वर्दी से हजार गुना मजबूत वर्दी ने ढांप लिया—उस वर्दी में मेरे पास ताकत ही कितनी थी, जबकि अब … ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता?”
“हां, मुझे मालूम है तुम देश के टुकड़े-टुकड़े कर सकते हो।” पांडुराम के जबड़े भिंच गए—“चाहो तो देश को बेचकर खा सकते हो।”
“क्या मतलब?”
“बात मेरी समझ में आ गई है साब—रहे तुम वर्दी वाले गुण्डे ही—किसी गुण्डे के जिस्म पर अगर पुलिस की वर्दी हो तो स्थिति केवल कोढ़ में खाज जैसी होती है लेकिन अगर तुम जैसे गुण्डे को ये वर्दी मिल जाए तो स्थिति कोढ़ पर तेजाब डालने जैसी हो जाएगी … सचमुच उस वर्दी में तुम्हारे पास कोई खास ताकत न थी, मगर यह वर्दी धारण करने के बाद असीमित ताकतों के मालिक बन गए हो … भले ही इस देश के लोग तुम जैसे अनेक वर्दी वाले गुण्डों को झेल रहे हों, मगर मैं तुम्हें नहीं झेल सकता साब!”
तेजस्वी जोर से हंसा, बोला—“क्या करेगा तू?”
“हाथ जोड़कर प्रणाम करूंगा, चरण स्पर्श करूंगा तुम्हारे!”
कहने के साथ पांडुराम उसके पैरों की तरफ झुका ही था कि तेजस्वी की जाने किस इंद्रिय ने खतरे का आभास पाया—जीप से उछलता हुआ हलक फाड़कर चिल्ला उठा वह—“अरे … रोको इसे!”
“धड़ाम!”
भयंकर विस्फोट हो चुका था।
इंसानी खून और गोश्त के लोथड़े दूर-दूर तक बिखर गए।
[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]।। समाप्त।।[/font]
“रोको … रोको!” उसने लगभग चीखकर ड्राइवर से कहा।
ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाते हुए पूछा, “क्या हुआ सर?”
उसका सवाल मानो तेजस्वी के कानों तक पहुंचा ही नहीं—वह काफी दूर, भीड़ के बीच खड़े पांडुराम की तरफ जोर-जोर से हाथ हिलाने में मशगूल था, मगर पांडुराम ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की जबकि वह देख उसी की तरफ रहा था।
तेजस्वी ने उसके चेहरे पर अपने लिए अजीब-सा रोष महसूस किया।
उसे शरारत सूझी।
लगा, पांडुराम के साथ छेड़छाड़ करने में मजा आएगा।
“उस आदमी को हमारे पास लाओ।” तेजस्वी ने अपनी बगल में खड़े पार्टी के जिलाध्यक्ष से कहा—जिलाध्यक्ष ने उसकी अंगुली के इशारे को ‘फॉलो’ किया, बोला—“यह तो पांडुराम है।”
“हां, तुम जानते हो उसे?”
“यस सर!”
“वो अपना पक्का यार है, मगर आजकल थोड़ा नाराज चल रहा है—देखो, वो मुड़ गया—शायद समझ गया कि मैं तुम्हें उसके पास भेज रहा हूं—कम्बख्त मिलना तक नहीं चाहता—उसे पकड़कर लाओ।”
जिलाध्यक्ष के लिए इतना काफी था कि चीफ मिनिस्टर ने उसे कोई काम बताया—उत्साह से भरा वह जीप से कूदा और चौकड़ी भरता हुआ भीड़ को चीरता चला गया।
ऐसा कहीं हो सकता है कि अपने इतने समर्थक होते मुख्यमंत्री किसी से मिलना चाहें और न मिल पाएं?
पांडुराम को लगभग जबरदस्ती जीप के नजदीक ले आया गया—तेजस्वी ने बड़ी आत्मीयता से उसका हाथ पकड़ा और ऊपर खींच लिया।
“क्या बात है पांडुराम?” तेजस्वी के होंठों पर मुस्कान थी—“हमसे नाराज है?”
पांडुराम ने अजीब स्वर में कहा—“तुमसे नाराज होकर मरना है क्या?”
“मगर तू तो साफ-साफ नाराज नजर आ रहा है, खैर … सुना—क्या हाल हैं?”
“मैं तो वही हूं साब जहां था, लेकिन तुम …”
“हम तुझे अपनी सरकार में मंत्री बना सकते हैं, बोल, बनेगा?”
पांडुराम ने नफरत से मुंह सिकोड़ लिया—“ऐसी सरकार पर तो मैं थूकना भी पसंद न करूं।”
“ओह, जरूरत से ज्यादा नाराज है!” तेजस्वी को उसका जवाब सुनने में मजा आया—पांडुराम से खुलकर बातें करने का मन हुआ तो जीप में मौजूद लोगों से बोला—“आप लोग कुछ देर के लिए हमें अकेला छोड़ दें—प्राइवेट बातें करनी हैं और आप सुनें!” उसने ड्यूटी पर तैनात इंस्पेक्टर से कहा—“सब लोगों को जीप से दूर हटा दें—किसी भी तरफ दस-दस कदम तक कोई नजर नहीं आना चाहिए।”
इंस्पेक्टर और उसके सहयोगी हुक्म का पालन करने में जुट गए।
“क्या तमाशा कर रहे हो साब?” पांडुराम कह उठा।
“सुनने को दिल चाह रहा है कि तू मेरे बारे में क्या सोचता है?”
“सोचता क्या हूं साब, भले ही तुम चाहे जो बन गए हो मगर मैंने भी अपना चैलेंज तो पूरा कर ही दिया …।”
“कौन-सा चैलेंज?”
“वर्दी वाला …।”
“ओह, अच्छा!” तेजस्वी ठहाका लगा उठा।
पांडुराम ने कहा—“तुम्हारी वर्दी तो उतरवा ही दी मैंने।”
“तेरा ख्याल गलत है पांडुराम, वर्दी उतरवा नहीं दी, बल्कि बदलवा दी।”
“मतलब?”
“देख … मेरे जिस्म पर मौजूद इस नई वर्दी को देख और सोच, क्या ये वर्दी पिछली वर्दी से कहीं ज्यादा पावरफुल नहीं है—मैं तुझे इस वर्दी का दाता मानता हूं—न तू पिछली वर्दी उतरवाता, न मैं इस नई वर्दी तक पहुंचता।”
“शायद …।”
“शायद नहीं पांडुराम हंडरेड परसैन्ट ठीक कह रहा हूं मैं—मेरे चारों तरफ जय-जयकार कर रहे बेवकूफों के इस हजूम को देख… मीटिंग में होता तो देखता … पुरानी वर्दी में जिन लोगों को सर … सर कहता नहीं थकता था, वे सबके सब साले मुझे बार-बार ‘सर’ कह रहे थे—तू हार गया पांडुराम, असल में तू बुरी तरह हार गया—तेरे उस वर्दी वाले गुण्डे के जिस्म को पुरानी वर्दी से हजार गुना मजबूत वर्दी ने ढांप लिया—उस वर्दी में मेरे पास ताकत ही कितनी थी, जबकि अब … ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता?”
“हां, मुझे मालूम है तुम देश के टुकड़े-टुकड़े कर सकते हो।” पांडुराम के जबड़े भिंच गए—“चाहो तो देश को बेचकर खा सकते हो।”
“क्या मतलब?”
“बात मेरी समझ में आ गई है साब—रहे तुम वर्दी वाले गुण्डे ही—किसी गुण्डे के जिस्म पर अगर पुलिस की वर्दी हो तो स्थिति केवल कोढ़ में खाज जैसी होती है लेकिन अगर तुम जैसे गुण्डे को ये वर्दी मिल जाए तो स्थिति कोढ़ पर तेजाब डालने जैसी हो जाएगी … सचमुच उस वर्दी में तुम्हारे पास कोई खास ताकत न थी, मगर यह वर्दी धारण करने के बाद असीमित ताकतों के मालिक बन गए हो … भले ही इस देश के लोग तुम जैसे अनेक वर्दी वाले गुण्डों को झेल रहे हों, मगर मैं तुम्हें नहीं झेल सकता साब!”
तेजस्वी जोर से हंसा, बोला—“क्या करेगा तू?”
“हाथ जोड़कर प्रणाम करूंगा, चरण स्पर्श करूंगा तुम्हारे!”
कहने के साथ पांडुराम उसके पैरों की तरफ झुका ही था कि तेजस्वी की जाने किस इंद्रिय ने खतरे का आभास पाया—जीप से उछलता हुआ हलक फाड़कर चिल्ला उठा वह—“अरे … रोको इसे!”
“धड़ाम!”
भयंकर विस्फोट हो चुका था।
इंसानी खून और गोश्त के लोथड़े दूर-दूर तक बिखर गए।
[/font]
[font=tahoma, arial, helvetica, sans-serif]।। समाप्त।।[/font]