hotaks444
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मम्मी के रहते मैं विशाल से चुदवा नहीं सकती थी.......दिन में तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता था......मगर रात में चान्सस ज़्यादा थी मगर रिस्क भी उतना था.........क्यों की मम्मी पापा रात के वक़्त कई बार पानी पीने या बाथरूम के लिए बाहर आते थे.......उनका कमरा मेरे कमरे के बगल में था......और वही विशाल का कमरा सबसे आखरी में था.........इस लिए जब भी विशाल के कमरे में जाना हो तो मम्मी पापा के कमरे के सामने से होकर जाना पड़ता था........
मगर कहते है ना कि अगर शेर के मूह में खून लग जाए तो वो कभी उस स्वाद से दूर नहीं रह सकता......कुछ ऐसा ही हाल अब विशाल और मेरा था........उसे भी चूत की लत पड़ चुकी थी और मुझे उसके लंड की..........
आज पूरे 4 दिन बीत चुके थे मेरा बहुत बुरा हाल था......मेरी चूत हर वक़्त गीली रहती थी......मुझे विशाल की सख़्त ज़रूरत थी उससे कहीं ज़्यादा उसके लंड की.......उधेर विशाल का भी कुछ वैसा ही हाल था.......वो भी हर पल बेचेन रहा करता था......दिन भर हम कॉलेज में होते तो वहाँ तो कोई मौका नहीं मिलता........और फिर घर पर भी कुछ वैसा ही हाल था.......मम्मी हर वक़्त मेरे साथ रहती थी कभी कभी तो मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा भी आता था........
ऐसे ही एक दिन जब मैं सुबेह सुबेह किचन में नाश्ता बना रही थी तभी विशाल किचन में आया और आकर वो मेरे पीछे सट कर मुझसे खड़ा हो गया.........उसने अपने दोनो हाथ मेरे सीने पर रख दिए और मेरे नरम बूब्स को धीरे धीरे अपने कठोर हाथों से मसल्ने लगा......मैं फिर से सिसक पड़ी थी वही मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.......उससे कहीं ज़्यादा मेरे अंदर डर था की कहीं अगर किसी ने देख लिया तो क़यामत आ जाएगी......मैं विशाल को अपने से दूर करते हुए बोली......
अदिति- विशाल.......ये क्या कर रहे हो....अगर मम्मी पापा ने देख लिया तो......
विशाल- दीदी आज पूरा एक हफ़्ता गुज़र गया.......आपको क्या मालूम कि इस वक़्त मेरी कैसी हालत है.......अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता.......प्लीज़ एक बार मुझे फक करने दो ना......
अदिति- क्या!!!! तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है ना विशाल......यहाँ पर......और इस वक़्त......तुम होश में तो हो.......
विशाल- मैं पूरे होश में हूँ दीदी.......मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत है......मम्मी इस वक़्त बाथरूम में है और पापा अपने रूम में.......अगर आज आपने मुझे अपनी चूत नहीं दी तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा.......
मेरे होश उड़ चुके थे मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं विशाल के बातों का क्या जवाब दूं.......मैं उसे दुखी नहीं करना चाहती थी मगर सवाल ये था की सुबेह के वक़्त आज सब घर पर थे और मम्मी पापा के रहते मैं ये सब.......आज तो हमारे कॉलेज की छुट्टी भी थी.
विशाल- उतारो ना दीदी अपनी ये लॅयागी.......मैं बहुत जल्दी फारिग हो जाऊँगा......विशवास करो मेरा.......कुछ नहीं होगा.........
अदिति -मगर विशाल.......अब भी मेरे चेहरे पर सवाल थे........
विशाल फिर मेरी बातों का परवाह किए बगैर उसने मेरी लॅयागी को धीरे धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा और मेरी लॅयागी को घुटनो तक नीचे कर दिया......फिर उसने मेरी पैंटी भी सरका कर मेरे घुटनों के नीचे कर दी........अब इस वक़्त मैं किचन में नंगी हालत में खड़ी थी......मेरी चूत ना जाने क्यों गीली होती जा रही थी....मगर डर भी बहुत लग रहा था.....मम्मी कभी भी किचन में आ सकती थी......अगर उन्होने हमे इस हाल में देख लिया तो फिर हमे उपर वाला भी आज नहीं बचा सकता था..........
मैं विशाल का बिल्कुल विरोध नहीं कर सकी और इधेर विशाल फ़ौरन अपने पेंट की चैन खोलकर उसने अपना लंड अंडरवेर से बाहर निकाला और अगले ही पल वो अपना लंड मेरी चूत पर सेट करके एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत में पूरा उतरता चला गया......मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकारी फुट पड़ी........मैने अपने दोनो हाथ किचन के स्लॅप पर रख दिए और विशाल को अपने जिस्म के साथ मनमानी करने देने लगी.......विशाल मेरे दोनो बूब्स को सूट के उपर से मसल रहा था वही तेज़ी से मेरी चूत भी चोद रहा था..........
मगर कहते है ना कि अगर शेर के मूह में खून लग जाए तो वो कभी उस स्वाद से दूर नहीं रह सकता......कुछ ऐसा ही हाल अब विशाल और मेरा था........उसे भी चूत की लत पड़ चुकी थी और मुझे उसके लंड की..........
आज पूरे 4 दिन बीत चुके थे मेरा बहुत बुरा हाल था......मेरी चूत हर वक़्त गीली रहती थी......मुझे विशाल की सख़्त ज़रूरत थी उससे कहीं ज़्यादा उसके लंड की.......उधेर विशाल का भी कुछ वैसा ही हाल था.......वो भी हर पल बेचेन रहा करता था......दिन भर हम कॉलेज में होते तो वहाँ तो कोई मौका नहीं मिलता........और फिर घर पर भी कुछ वैसा ही हाल था.......मम्मी हर वक़्त मेरे साथ रहती थी कभी कभी तो मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा भी आता था........
ऐसे ही एक दिन जब मैं सुबेह सुबेह किचन में नाश्ता बना रही थी तभी विशाल किचन में आया और आकर वो मेरे पीछे सट कर मुझसे खड़ा हो गया.........उसने अपने दोनो हाथ मेरे सीने पर रख दिए और मेरे नरम बूब्स को धीरे धीरे अपने कठोर हाथों से मसल्ने लगा......मैं फिर से सिसक पड़ी थी वही मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.......उससे कहीं ज़्यादा मेरे अंदर डर था की कहीं अगर किसी ने देख लिया तो क़यामत आ जाएगी......मैं विशाल को अपने से दूर करते हुए बोली......
अदिति- विशाल.......ये क्या कर रहे हो....अगर मम्मी पापा ने देख लिया तो......
विशाल- दीदी आज पूरा एक हफ़्ता गुज़र गया.......आपको क्या मालूम कि इस वक़्त मेरी कैसी हालत है.......अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता.......प्लीज़ एक बार मुझे फक करने दो ना......
अदिति- क्या!!!! तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है ना विशाल......यहाँ पर......और इस वक़्त......तुम होश में तो हो.......
विशाल- मैं पूरे होश में हूँ दीदी.......मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा आपकी ज़रूरत है......मम्मी इस वक़्त बाथरूम में है और पापा अपने रूम में.......अगर आज आपने मुझे अपनी चूत नहीं दी तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा.......
मेरे होश उड़ चुके थे मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं विशाल के बातों का क्या जवाब दूं.......मैं उसे दुखी नहीं करना चाहती थी मगर सवाल ये था की सुबेह के वक़्त आज सब घर पर थे और मम्मी पापा के रहते मैं ये सब.......आज तो हमारे कॉलेज की छुट्टी भी थी.
विशाल- उतारो ना दीदी अपनी ये लॅयागी.......मैं बहुत जल्दी फारिग हो जाऊँगा......विशवास करो मेरा.......कुछ नहीं होगा.........
अदिति -मगर विशाल.......अब भी मेरे चेहरे पर सवाल थे........
विशाल फिर मेरी बातों का परवाह किए बगैर उसने मेरी लॅयागी को धीरे धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा और मेरी लॅयागी को घुटनो तक नीचे कर दिया......फिर उसने मेरी पैंटी भी सरका कर मेरे घुटनों के नीचे कर दी........अब इस वक़्त मैं किचन में नंगी हालत में खड़ी थी......मेरी चूत ना जाने क्यों गीली होती जा रही थी....मगर डर भी बहुत लग रहा था.....मम्मी कभी भी किचन में आ सकती थी......अगर उन्होने हमे इस हाल में देख लिया तो फिर हमे उपर वाला भी आज नहीं बचा सकता था..........
मैं विशाल का बिल्कुल विरोध नहीं कर सकी और इधेर विशाल फ़ौरन अपने पेंट की चैन खोलकर उसने अपना लंड अंडरवेर से बाहर निकाला और अगले ही पल वो अपना लंड मेरी चूत पर सेट करके एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत में पूरा उतरता चला गया......मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकारी फुट पड़ी........मैने अपने दोनो हाथ किचन के स्लॅप पर रख दिए और विशाल को अपने जिस्म के साथ मनमानी करने देने लगी.......विशाल मेरे दोनो बूब्स को सूट के उपर से मसल रहा था वही तेज़ी से मेरी चूत भी चोद रहा था..........