Incest Porn Kahani उस प्यार की तलाश में - Page 6 - SexBaba
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Incest Porn Kahani उस प्यार की तलाश में

विशाल मेरी जवानी का रस धीरे धीरे पी रहा था.......वही वो अपने दूसरे हाथों से मेरे एक बूब्स को दबा भी रहा था......कभी वो अपनी उंगलियों के बीच मेरी निपल्स को दबाता तो मैं ज़ोरों से उछल पड़ती.......मैं वही बिस्तेर पर इधेर से उधेर मचल रही थी.......विशाल ने जब जी भर कर मेरे बूब्स का रस पिया तब वो अपनी जीभ सरकाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा........मैने जवाब में अपनी दोनो टाँगें उसके सामने पूरी फैला दी........

विशाल जब मेरी चूत के पास पहुँचा तब वो मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा..........मेरी चूत पूरी तरह से गीली थी......और वहाँ से काम रस धीरे धीरे बहता हुआ बाहर की ओर आ रहा था........विशाल फिर अपने दोनो हाथ मेरी चूत की पंखुड़ियों पर ले गया और मेरी चूत की फांको को बहुत आहिस्ता से फैलाकर मेरा छेद देखने लगा.........अंदर गुलाबी रंग की चमड़ी में चमकता मेरा काम रस उसे सॉफ दिखाई दे रहा था.........मैं लाख बेशर्मी विशाल के सामने जाहिर कर रही थी मगर फिर भी मेरे अंदर शरम की एक तेज़ लहर एक बार फिर से मेरे अंदर दौड़ गयी.......

विशाल कुछ देर तक मेरी चूत को ऐसे ही देखता और सहलाता रहा.......फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और वो वहाँ बहुत आहिस्ता से चाटने लगा......जैसे ही उसकी जीभ मेरी चूत को टच हुई मुझे एक पल तो ऐसा लगा जैसे मैने कोई बिजिल का नंगा वाइयर छू लिया हो.......मेरे जिस्म पर हज़ारों चीटियों ने जैसे काट लिया हो.....मैं इस बार अपने अंदर की सिसकरी को नहीं रोक सकी और फ़ौरन वही चीख पड़ी......

आईटी- आआआआआआआआआअ...........म्म्म्मीममममम...........उूुउउ.अयू.म्म्म्मकमममममममम..म्म्म्मलमममम.ययययययययययी..

बस करो विशाल.......मैं मर जाऊंगी.......प्प्प्प...ल्ल्ल्ल्ल्ल....ईई...एयेए....ससस्स...ईई.....क्या तुम आज मेरी जान लोगे ........अब मुझसे सहन नहीं होता......मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.....प्लीज़ अब मुझे अब और मत तड़पाऊ.......

विशाल फ़ौरन रुक गया और अपना चेहरा मेरी तरफ करके वो मुझे बड़ी गौर से एक टक देखने लगा- अभी तो ये शुरआत है अदिति.......ठीक है मैं तुम्हें और नहीं तड़पाउंगा मगर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा......

अदिति- क्या विशाल.......

विशाल- तुम्हें मेरा लॉडा चूसना होगा..........चूसोगी ना.........

मेरे लिए ये किसी झटके से कम नहीं था.......मैं पहली बार विशाल के मूह से इस तरह की वर्ड्स सुन रही थी........मुझे मेरे कानों पर बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था.......

विशाल- क्या हुआ अदिति......

अदिति- विशाल तुम ऐसे डर्टी वर्ड्स......

विशाल- ओह...कम्मोन अदिति.........बच्चो जैसी बातें मत करो.......बोलो तुम्हें मेरी शर्त मंज़ूर है कि नहीं......

अदिति- ठीक है मुझे मंज़ूर है.......

विशाल- ऐसे नहीं अदिति.......खुल कर बोलो.......जैसे अभी मैने कहा है.........ये मेरे लिए एक और शॉक था........मैने कभी ऐसे वर्ड्स किसी के सामने नहीं कहे थे तो विशाल के सामने भला मैं कैसे कहती........मैं चुप होकर उसकी तरफ एक टक देखने लगी......

विशाल- क्या हुआ अदिति.......अब बोल भी दो ना......

अदिति- प्लीज़......विशाल.......तुम जो चाहते हो वो तो मैं कर रही हूँ ना फिर ये सब कहना ज़रूरी है क्या........

विशाल-हां ज़रूरी है....क्या आप मेरी खातिर इतना भी नहीं कर सकती.......

अब मेरे लिए ये किसी इम्तिहान से कम नहीं था.....एक तरफ विशाल था तो दूसरी तरफ मेरे अंदर की शरम और लाज.......मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं आगे कैसे बढ़ूँ और क्या मैं ये सब उसके सामने कह पाउन्गि...........मैं एक बार फिर से खामोश होकर विशाल के चेहरे की तरफ देखने लगी...........पता नहीं आने वाले वक़्त में विशाल मेरे साथ ना जाने और क्या क्या करवाने वाला था.....................पता नहीं ये अंत था या फिर इन सब की एक शुरूवात थी..
 
मेरे लब अब तक खामोश थे......मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ.......अगर बोलूं भी तो इसकी शुरुआत कहाँ से करूँ......मुझे ऐसे खामोश बैठा देखकर विशाल फिर से मेरे करीब आया और उसने अपना हाथ धीरे से सरकाते हुए मेरे बालों के बीच ले गया और मेरे लबों को बड़े प्यार से चूसने लगा......जवाब में मैं भी उसका साथ देने लगी......

विशाल- अब बोल भी दो अदिति.......आख़िर मुझसे कैसी शरम.......

अदिति- मगर.......विशाल.....

विशाल- अगर मगर कुछ नहीं......मेरे खातिर प्लीज़......

मैं कुछ देर तक यू ही खामोश रही फिर आख़िरकार बोल पड़ी- मैं तुम्हारा एल....आ.....उ...द...आ.... चूसुन्गि विशाल......मैं ही जानती थी कि ये शब्द मैने कैसे कहे थे.......मेरे चेरे पर शरम की लाली फिर से गहरी हो चुकी थी......मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था......विशाल मेरी छातियों को उपर नीचे होता हुआ देख रहा था वही मैं शरम से और भी दोहरी होती जा रही थी.......

विशाल के चेहरे पर मुस्कान थी......उसने मुझे फिर से बिस्तेर पर सुला दिया और इस बार वो मेरे उपर आकर लेट गया......अब उसका लंड मेरी चूत पर दस्तक दे रहा था......एक बार फिर से मेरे अंदर की आग भड़क उठी थी........विशाल मेरी दोनो छातियों को बारी बारी से मसल रहा था और मेरे होंठो को चूस भी रहा था......कुछ देर बाद वो सरकते हुए नीचे की तरफ जाने लगा........मेरी चूत की तरफ......

जैसे जैसे विशाल अपना जीभ नीचे की ओर ले जा रहा था वैसे वैसे मेरी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.......मेरे मूह से निकलती सिसकारी अब उस महॉल को और भी रंगीन बनाती जा रही थी........जैसे ही विशाल मेरी जांघों के बीच आया मैं एक बार फिर ज़ोरों से सिसक पड़ी........मगर इस बार उसने मेरी कोई परवाह नहीं की और मेरे दोनो घुटनों को अलग करके मेरी चूत पर अपनी जीभ हौले से रख दी........मैं ही जानती थी कि उस वक़्त मेरी क्या हालत हो रही थी.......

विशाल अपनी जीभ धीरे धीरे मेरी चूत के चारों तरफ फेरने लगा और मैं किसी जल बिन मछली की तरह वही बिस्तेर पर तड़पने लगी.......वो फिर अपना जीभ धीरे से सरकाते हुए मेरी चूत पर ले आया और उसने बहुत आहिस्ता से मेरी चूत पर अपनी दाँत गढ़ा दिए.......इस बार मैं बहुत ज़ोरों से चिल्ला पड़ी......


अदिति- आआआआआहह........मम्मी...........विशाल..........हां ऐसे ही......आआआआआहह...........

विशाल फिर अपना चेहरा मेरी तरफ करता हुआ बोला- क्या अदिति.......खुल कर कहो ना......देखो जितना तुम मुझसे खुल कर बातें करोगी उतना ही इस खेल में मज़ा आएगा.......क्या तुम मेरे खातिर थोड़ी बेशर्म नहीं बन सकती.......

अदिति- हां विशाल......मुझे आज तुम्हारे खातिर सब मंज़ूर है.......बोलो क्या सुनना चाहते हो तुम........

विशाल- अब क्या मुझे दुबारा फिर से बताना पड़ेगा........वही बोलो जो मैं सुनना चाहता हूँ........

मैं विशाल के चेहरे की तरफ बड़े गौर से देखने लगी........जैसे तैसे मैने अपने आपको संभाला फिर मैं एक साँस में कहती चली गयी.......

अदिति- मेरी चूत पर तुम अपनी जीभ ऐसे ही फेरते रहो विशाल.......मेरे जिस्म के रोयें पूरी तरह से खड़े हो चुके थे......ऐसे गंदे वर्ड्स कहने में एक अलग सा एग्ज़ाइट्मेंट आ रहा था.......मैने फ़ौरन अपनी नज़रें नीचे झुका ली......

विशाल फिर फ़ौरन उठकर मेरे पास आया और फिर से मेरी चूत के तरफ अपना मूह करके अपनी जीभ को धीरे धीरे हरकत करने लगा.......मैं एक बार फिर से सिसक पड़ी थी......मेरा एक हाथ खुद ब खुद मेरी निपल्स पर चला गया थे.......मैं उन्हें अपनी उंगलियों से धीरे धीरे मसल रही थी.....वही विशाल मेरी चूत के दोनो फांकों को खोलकर अपनी जीभ पूरी अंदर तक उतारता जा रहा था........
 
मेरी चूत इस वक़्त इस कदर गीली थी कि विशाल का थूक और मेरा कामरस दोनो धीरे धीरे बहता हुआ बाहर की ओर बिस्तेर पर गिर रहा था.........जब विशाल अपना जीभ मेरी चूत के गहराई में उतरता तो मैं फिर से उछल पड़ती.......मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अभी फारिग हो जाउन्गि.......

मेरा एक हाथ विशाल के सिर पर था......मैं उसके बालों को सहला रही थी वही विशाल पूरे मन से मेरी चूत चाटने में लीन था.......करीब 5 मिनिट भी नहीं बीते थे कि मैं वही ज़ोरों से चीख पड़ी और अपनी कमर उठाते हुए अपनी चूत विशाल के मूह पर मारने लगी........ऐसा लग रहा था जैसे वो विशाल का मूह ना होकर उसका लंड हो.........

दो तीन झटकों के बाद आख़िर मैं वही अपने बिस्तेर पर किसी लाश की तरह बिल्कुल ठंडी पड़ गयी......मेरी चूत से मेरा काम रस बाहर की ओर बह रहा था......मुझे उस वक़्त कोई होश नहीं था......मेरा जिस्म थर थर काँप रहा था.....मैं वही अपने बिस्तेर पर कुछ देर तक वैसे ही पड़ी रही.......विशाल फिर मेरे पास आया और फिर से मेरे लबों को बड़े प्यार से चूसने लगा.......मैने फ़ौरन अपनी आँखें खोली तो उसकी नज़रें मुझे ही घूर रही थी.......वो मुझे ऐसे ही देखकर मुस्कुराता रहा.....

विशाल- अब तुम्हारी बारी है अदिति......चलो अब तुम मेरा लंड चूसो........

अदिति- मगर विशाल.......मुझे लंड चूसना नहीं आता.....मैने विशाल को सवालियों नज़र से देखते हुए कहा......

विशाल- तो क्या हुआ अदिति......मैं जानता हूँ जब तुम छोटी थी तब तुम लोलीपोप अक्सर चूसा करती थी.......आज मेरा लंड भी लोलीपोप समझ कर चूस लो.......वैसे दोनो के टेस्ट में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं है.....लोलीपोप मीठा होता है और लंड नमकीन......

मैं विशाल के सीने पर मुक्के मारती हुई बोली- सच में तुम बहुत गंदे हो.......तुम्हें ज़रा भी शरम नहीं आती .........बेहन हूँ मैं तुम्हारी.......कुछ तो लिहाज़ करो ......

विशाल- बेहन आप मेरी पहले थी........अब तो आप मेरी बीवी के जैसी हो.......और अपनी बीवी से कैसे शरमाना......

अदिति- बहस में तो कोई तुमसे जीत नहीं सकता....उधेर विशाल फिर अपने कपड़े उतारना शुरू करता है.....पहले बनियान......फिर उसके बाद अंडरवेर........जब मेरी नज़र विशाल के लंड पर गयी तो मेरा मूह खुला का खुला रह गया.........विशाल का लंड किसी नाग की तरह फनफनाता हुआ मेरे सामने झूल रहा था......उसका लंड करीब 8 इंच के आस पास था और 3 इंच मोटा गोलाई में था......उसके लंड का सुपाडा काफ़ी मोटा था.......

मेरी नज़रें उसके लंड से हटाए नहीं हट रही थी......मेरी चूत में एक बार फिर से आग भड़क चुकी थी........मैं तो ये भी महसूस करने लगी थी कि जब विशाल का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ जब गहराई में जाएगा तो मैं कैसा फील करूँगी.....अब मेरी सारी फीलिंग्स हक़ीक़त में बदलने वाली थी......

विशाल- ऐसे क्या देख रही हो अदिति.......बुझा दो ना मेरी ये प्यास अपने इन नाज़ुक होंठो से..

मैं फिर आगे झुक कर अपना चेहरा विशाल के लंड के करीब लाई और पहले अपना एक हाथ मैने आगे बढ़ाकर अपनी नाज़ुक सी हथेली में विशाल का लंड धीरे से पकड़ा......मेरे हाथ लगते ही विशाल ज़ोरों से सिसक पड़ा.......लज़्जत से उसकी आँखें बंद हो गयी........उसका लंड इस वक़्त बहुत सख़्त हो चुका था.......मेरे एक हाथ में उसका लंड बहुत मुश्किल से आ रहा था......

कुछ देर तक मैं विशाल के लंड को अपने हाथों से सहलाती रही फिर मैने झुककर अपने होंठ विशाल के लंड पर रख दिए.......मेरे जीभ ने जैसे ही उसके सुपाडे को छुआ उसके लंड से निकलता प्रेकुं मेरे मूह में जाने लगा.......मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था......कुछ नमकीन जैसा........मैं फिर अपना मूह धीरे धीरे पूरा खोल कर उसके लंड को धीरे धीरे अपने मूह के अंदर लेने लगी.........

उसका लंड इतना मोटा था कि जैसे तैसे मैं उसका सुपाड़ा अपने मूह में ले पा रही थी......उधेर विशाल के मूह से हल्की हल्की सिसकारी गूँज रही थी......उसकी आँखें बार बार बंद हो रही थी........मुझे उसके चेहरे से ये अंदाज़ा हो रहा था कि उसे इस वक़्त कितना मज़ा आ रहा होगा.......मेरे जीभ की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी......उसके लंड से निकलता उसका रस अब मेरे मूह में घुलने लगा था.....अब मुझे उसका स्वाद कुछ अच्छा लग रहा था.......
 
विशाल का एक हाथ इस वक़्त मेरे सिर पर था......वो मेरे बालों को बड़े प्यार से सहला रहा था.....मुझे लंड चूसने का कोई आइडिया नहीं था कई बार मेरे दाँत उसके लंड पर लग जाते तो तो वही दर्द से चीख पड़ता.......मगर मैं अब विशाल को कोई ताकेलीफ़ नहीं देना चाहती थी.......इस लिए मैं ज़्यादातर अपना जीभ उसके लंड पर फेर रही थी......विशाल का एक हाथ कभी मेरी चूत पर जाता तो कभी वो मेरे बूब्स को ज़ोरों से मसलता.......

करीब 10 मिनिट तक मैं विशाल का लंड ऐसे ही चूसाती रही....अब मेरा मूह भी दुखने लगा था......अभी तक विशाल का कम नहीं निकला था.....

अदिति- अब नहीं विशाल......मेरा मूह दुख रहा है.......

विशाल- कोई बात नहीं अदिति.......वैसे भी ये तुम्हारा फर्स्ट टाइम है तो इसकी आदत तो धीरे धीरे ही लगेगी .........बाद में तुम इन सब मामलों में एक्सपर्ट हो जाओगी.....

मैं विशाल को घूर कर देखने लगी तो विशाल मुझे देखकर ऐसे ही मुस्कुराता रहा........

अदिति- तुम सच में बहुत बदमाश हो........तुम कभी नहीं सुधरोगे......

विशाल- अब सुधरने से क्या होगा.....और आप जैसी लड़की के लिए तो मैं ऐसे ही ठीक हूँ......

अदिति- विशाल एक बात पूछू.......क्या तुम्हारे दिल में कहीं कोई पछतावा तो नहीं रहेगा कि तुम अपनी बेहन के साथ ये सब......

विशाल- नहीं अदिति......जब इतना आगे हम निकल चुके है तो फिर इन सब के बारे में दुबारा क्या सोचना.......जो होगा ठीक होगा.........तुम निसचिंत रहो मेरे जीते जी तुम पर कोई इल्ज़ाम नहीं आएगा........आप मेरी ज़िंदगी बन चुकी हो........मुझे अपने प्यार के लिए आज सब मंज़ूर है........फिर विशाल ने झट से मेरे लबों को चूम लिया और उसने मुझे बिस्तेर पर सुलाया और फिर वो मेरे उपर आकर लेट गया.......अब भी उसके लब मेरे लबों पर थे........

अदिति- मुझे औरत बना दो विशाल........इस वक़्त मुझे तुम्हारे प्यार की ज़रूरत है.......मुझे प्यार करो विशाल.....बहुत प्यार........इतना प्यार की आज हमारे बीच सारे रिश्ते सारी दरमियाँ सब कुछ मिट जाए.......मैं सब कुछ भूल जाऊं ...बस मुझे ये याद रहे कि तुम मेरे लिए हो और मैं बस तुम्हारे लिए हूँ......

विशाल- जो हुकुम मेरी साहिबा.......विशाल फिर मुझे देखकर मुस्कुरा पड़ा.....जवाब में मैं भी उसके देखकर मुस्कुराती रही........

विशाल ने फिर अपना लंड मेरी चूत के छेद पर सेट किया और वो अब धक्के मारने के लिए तैयार था......अब उसके एक ज़ोरदार धक्के की देरी थी कि मेरी वेर्ज्नीटी हमेशा हमेशा के लिए ख़तम हो जानी थी.......मेरा दिल उस वक़्त बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था......मेरे दिल में उस वक़्त जो फीलिंग्स जनम ले रही थी उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी........मगर जो भी था वो एहसास मेरे लिए बहुत अहम था........

अदिति- विशाल एक बात कहूँ.......

विशाल- हां कहो....

अदिति- मेरे ख्याल से तुम्हें कॉंडम यूज़ करना चाहिए.......कहीं कुछ हो गया तो......मेरा मतल्ब कहीं मैं मा बन गयी तो.......

बिशल- तुम भी ना अदिति.........पागलों जैसी बातें करती हो........भरोसा है ना मुझपर.......तुम्हें कहीं कुछ नहीं होगा........और अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो मैं तुमपर कोई आँच नहीं आने दूँगा.......ये मेरा तुमसे वादा है......

अदिति- अपने आप से ज़्यादा भरोसा है तुम पर.......ठीक है...... अब मैने अपने आप को तुम्हारे हवाले कर दिया है......मैं अब बस तुम्हारी हूँ........जैसी आगे तुम्हारी मर्ज़ी........मैं तैयार हूँ विशाल.......आओ अब अपना लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा उतार दो.......मगर विशाल जो करना आराम से करना........

विशाल फिर से मेरी लबों को बड़े प्यार से चूम लिया- तुम इसकी चिंता मत करो अदिति......तुम्हारा दर्द मेरा दर्द है.......मुझे तुम्हारे दर्द की पूरी परवाह रहेगी......बस मेरा साथ तुम देती रहना......आगे मैं सब सभाल लूँगा.........

मैं विशाल के चेहरे को एक टक देखने लगी.......मैं अब अपने अंदर हिम्मत जुटा रही थी........मुझे उस होने वाली तकलीफ़ से डर भी था मगर उससे कहीं ज़्यादा उस चरम सुख की चाहत भी थी........मैं विशाल के चेहरे को घूरे जा रही थी........

विशाल ने फिर मेरी दोनो जाँघो को अलग किया और उसने अपने लंड का सुपाडा मेरी चूत पर रखकर उसे एक हल्का सा धक्का दिया........उसका लंड मेरी चूत के नाज़ुक से छेद से सरकता हुआ बाहर फिसल गया......उसने फिर से ट्राइ किया मगर इस बार भी वही हुआ......मैने पास में रखी तेल की शीशी की ओर विशाल को इशारा किया तो वो तेल की शीशी से तेल कुछ अपने लंड पर और कुछ मेरी चूत पर अच्छे से गिराकर मलने लगा.......अब तेल की वजह से चिकनाहट हो गयी थी......

विशाल ने फिर अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और इस बार उसने एक ज़ोर का धक्का दिया.......उसके इस धक्के से उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत के अंदर 2 इंच तक समा गया......मैं वही ज़ोरों से चीख पड़ी.......मेरे जिस्म में दर्द की एक तेज़ लहर दौड़ पड़ी........विशाल मेरे होंटो को बड़े प्यार से चूसने लगा.........
 
अदिति-आआआआआआअ............हह.............विशाल धीरे........दर्द हो रहा है......

विशाल- बस थोड़ा सा और अदिति.......फिर तुम्हारे इस दर्द के बाद वो सुख मिलेगा जिसके लिए तुम तड़प रही हो......

अदिति- मैने तो ऐसे ही कहा था विशाल......तुम मेरी परवाह मत करो.......तुम जैसा चाहो वैसी मेरी चुदाई करो.....मुझे तुम्हारे खातिर आज सब मंज़ूर है......

विशाल फिर मेरी आँखों में देखने लगा और धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव भी बढ़ाने लगा.......उसने अपना लंड बाहर की ओर निकाला और फिर तेज़ी से अंदर की ओर ज़ोर का झटका दिया.......विशाल के उस धक्के पर मैने इस बार अपने मूह को पूरा बंद कर लिया और अपने दाँतों को ऐसे ही दबाव बनाया रखा.......मैं ही जानती थी कि उस वक़्त मेरी क्या हालत हो रही थी.......विशाल का लंड करीब 4 इंच तक मेरी चूत में उतर चुका था.......

उस वक़्त मैने अपना मूह तो बंद कर लिया था मगर मेरी आँखों से आँसू बाहर की ओर छलक पड़े........मेरी आँखों से दर्द सॉफ बयान हो रहा था....विशाल मेरे चेहरे को बड़े प्यार से देख रहा था......वो अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरी आँखों से बहते आँसू पोछने लगा........कुछ देर तक वो वैसे ही मेरे उपर लेटा रहा तब मुझे कुछ सुकून मिला.....अब मेरा दर्द कुछ कम हो गया था........

विशाल फिर अपना लंड बाहर की ओर निकाला और इस बार उसने एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में उतार दिया........इस बार मेरे लिए अपने आप को संभालना बहुत मुस्किल था........अब मेरी चूत की वर्जिनिटी टूट चुकी थी.......अब मेरी चूत से खून बाहर की ओर धीरे धीरे बह रहा था.........विशाल का पूरा लंड मेरी चूत में उतर चुका था.......

इधेर मेरी आँखों से आँसू दुबारा फुट पड़े थे.......मैं इस बार अपने अपनी चीख नहीं रोक सकी और मैं ज़ोरों से रो पड़ी.....

अदिति-आआआआअ...........हह..........मम्मी...........प्लीज़..........विशाल.......बाहर निकालो इसे....नहीं तो मैं मर जाऊंगी......मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा.....

विशाल जवाब में मेरे होंठो को चूसने लगा मगर इस वक़्त मैं उस दर्द के आगे बिल्कुल कमज़ोर लग रही थी.......मैं अब विशाल को अपने उपर से धकेल रही थी....मैं चाहती थी कि विशाल अपना लंड मेरी चूत से फ़ौरन बाहर निकाले......मगर मेरे हिलाने से वो ज़रा नहीं नहीं हिल रहा था.......इस वक़्त मेरी मैं वही दर्द से सिसक रही थी.....कुछ देर तक विशाल उसी पोज़िशन में रुका रहा फिर करीब 5 मिनिट बाद वो अपने लंड से धीरे धीरे हरकत करने लगा.........एक बार फिर से मेरे जिस्म में दर्द की लहर दौड़ गयी........मैं फिर से सिसकने लगी.......

करीब 10 मिनट बाद मेरा दर्द बिल्कुल कम हो गया और उस दर्द की जगह मज़े ने ले ली........अब मैं गरम हो रही थी.......अब मुझे उस सुख का एहसास हो रहा था.......विशाल अपने लंड की स्पीड बढ़ाता जा रहा था.......और इधेर वो मेरे होंटो को चूस भी रहा था.....अब मैं भी उसके होंठो को चूस रही थी.........

थोड़े देर बाद मैं भी विशाल का साथ देने लगी.......और करीब 5 मिनिट के बाद विशाल भी मेरी चूत की गर्मी सहन नहीं कर सका और वो वही अपना सारा कम मेरी चूत में छोड़ता चला गया.......लज़्जत से मेरी आँखें भी बंद हो गयी........मैं इस पल के लिए कब से तड़प रही थी........विशाल के अंदर का लावा अब मेरी चूत की गहराई में उतर चुका था.....इस वक़्त मैं पसीने से भीग चुकी थी और वही विशाल का भी कुछ ऐसा ही हाल था........इस वक़्त हम दोनो पसीने से पूरी तरह लथपथ थे.......

मेरे अंदर की भी तपिश अब पूरी तरह से शांत हो चुकी थी......इस वक़्त कमरे में चारों तरफ खामोशी थी......बस हमारी धड़कनें इतनी ज़ोरों से धड़क रही थी कि उनकी आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी.......विशाल अब भी मेरे उपर लेटा हुआ था.......मैं उसके बालों को बड़े प्यार से सहला रही थी........आज हम ने उस चरम सुख को हासिल कर लिया था......मगर एक बार फिर से मेरे दिल में अपने आप से नफ़रत सी होने लगी कि क्या हम ने इस सुख के बदले कितना कुछ खो दिया है......आज हमारे बीच उस पवित्र रिश्ते की मज़बूत डोर हमेशा हमेशा के लिए टूट का बिखर चुकी थी.......

आज भले ही मैं अपनी लक्ष्मण रेखा तोड़ कर बाहर आई थी मगर कहीं ना कहीं मेरे दिल में इस बात का एक पछतावा भी था......आज इस तपिश की वजह से मैं इतनी आगे निकल जाऊंगी ये मैने कभी सोचा भी नहीं था.......पता नहीं आगे ये तपिश हमे किस राह पर ले जाएगी......शायद ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था.
 
मेरी साँसें बहुत ज़ोरों से चल रही थी........विशाल अभी भी मेरे उपर लेटा हुआ था..........कुछ सोचकर मेरी आँखों में आँसू आ गये थे........मगर मैं नहीं चाहती थी कि ये आँसू अब यू थमे.......शायद मैं पश्चाताप की अग्नि में जल रही थी.......विशाल की नज़र जब मुझसे मिली तो वो मुझे सवाल भरी नज़रो से देखने लगा.......शायद वो नहीं समझ पा रहा था कि मैं इस वक़्त रो क्यों रही हूँ.......

विशाल अपने हाथ आगे बढ़ाकर मेरे आँखों से बहते आँसू पोछता है और फिर वो मेरा माथा बड़े प्यार से चूम लेता है....

विशाल- क्या हुआ अदिति.......तुम ठीक तो हो ना.......ये तुम्हारी आँखों में आँसू........

अदिति- बस ऐसे ही ........फिर मैं विशाल को अपने उपर से हटाने लगी और मैने अपने नंगे बदन पर एक चादर डाल लिया फिर मैं फ़ौरन बाथरूम की ओर जाने लगी.......तभी विशाल ने आगे बढ़कर मेरा हाथ झट से थाम लिया......मेरे बढ़ते कदम वही रुक गये थे और मैं विशाल की ओर फिर से देखने लगी......

विशाल फिर मेरे करीब आया और उसने मुझे अपने बाहों में भर लिया.......मैं चाह कर भी उसका विरोध ना कर सकी........और किसी बेल की तरह उसके सीने से लिपटती चली गयी.......

विशाल- मैं जनता हूँ अदिति कि जो हुआ हमारे बीच उसका तुम्हें पछतावा है........तुम्हारी जगह अगर और कोई भी होती तो वो भी ऐसा ही महसूस करती........जैसा इस समय तुम महसूस कर रही हो.......मगर मुझे इस बात का कोई शिकवा गिला नहीं है........अगर आपको कोई ऐतराज़ नहीं तो मैं आपके साथ शादी भी करने को तैयार हूँ.......

ना जाने क्यों मैं विशाल की बातों को सुनकर उसपर ज़ोरों से चिल्ला पड़ी- विशाल!!!! बंद करो अपनी ये बकवास.......आख़िर क्या जताना चाहते हो तुम.........कल तक जो लोग हमारे इस रिस्ते से अंजान थे उन्हें तुम ये बताना चाहते हो कि मैं तुम्हारी बेहन ना होकर तुम्हारी बीवी हूँ........ताकि कल को सभी लोगों को हमारे उपर हँसने का मौका मिल जाए..........

और मम्मी पापा का क्या होगा......कभी सोचा है तुमने......वो दोनो जीते जी मर जाएँगे.......और मैं नहीं चाहती कि उनपर कोई उंगली उठाए......बदले में मुझे मरना मंज़ूर है मगर मैं उनके उपर बदनामी का दाग कभी नहीं लगा सकती.......

विशाल जो हुआ हमारे बीच वो तुम एक बुरा सपना समझ कर भूल जाओ......अब मैं इस रिश्ते को अब और आगे नहीं बढ़ाना चाहती......शायद यही हमारे लिए अच्छा होगा........फिर मैं विशाल के जवाब का इंतेज़ार किए बगैर अपने बाथरूम की ओर चल पड़ी......विशाल मुझे जाता हुआ देख रहा था मगर उसने मुझे रोकने की कोई कोशिश नहीं की.......

थोड़ी देर बाद मैं एक सफेद रंग की सूट और उसी रंग की मॅचिंग लग्गि पहना कर विशाल के पास गयी.......मेरे सीने पर एक ब्लॅक रंग की ट्रॅन्स्परेंट चुनरी था जो मेरे सीने को छुपा कम रहा था और ऐक्स्पोज ज़्यादा कर रहा था.......विशाल की नज़र बार बार मेरे सीने की तरफ जा रही थी.....वो इस वक़्त अंडरवेर में था..........मुझे देखते ही वो फिर से बिस्तेर पर जाकर बैठ गया......... कमरे में कुछ पल तक हमारे बीच गहरी खामोशी छाई रही......

विशाल फिर मेरे करीब आकर मेरे सामने खड़ा हो गया और मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखने लगा......मैं चाह कर भी उससे नज़र नहीं मिला पा रही थी........

विशाल- मुझे तुम्हारे फ़ैसले से कोई ऐतराज़ नहीं है अदिति........और ना ही मैं तुम्हें रुशवा करना चाहता हूँ........तुम मेरे प्यार को ग़लत समझ रही हो.........मैं तो बस ये कहना चाहता था कि.............

अदिति- विशाल तुम समझते क्यों नहीं.......ऐसा कभी नहीं हो सकता......भला कोई भाई अपनी बेहन से कैसे शादी कर सकता है........मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करने में कोई ऐतराज़ नहीं है......तुम जब कहोगे जहाँ कहोगे मैं तुम्हारे खातिर अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा दूँगी.........मगर शादी ये मुझसे नहीं होगा.......

विशाल- मैने कहा ना तुम इन सब की परवाह करना छोड़ दो.......मैं जीते जी तुमपर कोई आँच नहीं आने दूँगा.......आखरी बात मैं तुमसे कहूँगा अदिति कि अब तुम मेरी ज़िंदगी बन चुकी हो......अगर मुझे तुम ना मिली तो मैं कुछ भी कर जाऊँगा........इतना कहकर विशाल झट से अपने कमरे से बाहर चला गया.....मैं एक बार फिर से उसे सवाल भरी नज़रो से देख रही थी....आज एक बार फिर से मेरे पास कोई शब्द नहीं बचे थे कि मैं उससे कुछ कह सकूँ......
 
थोड़ी देर बाद मैने नाश्ता तैयार किया और विशाल को भी नाश्ता दिया.......फिर मैने पूजा के मोबाइल पर कॉल की कि आज मेरी तबीयात ठीक नहीं है.....मैं आज कॉलेज नहीं आऊँगी........विशाल वही मेरे सामने बैठा हुआ था वो मुझे ही घूर रहा था........नाश्ता करने के बाद मैं किचन में जाकर वॉशबेसिन में बर्तन धोने लगी........थोड़ी देर बाद विशाल भी किचन में मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे बड़े गौर से देखने लगा.........मैं अच्छे से जानती थी कि उसकी नज़र इस वक़्त मेरी गान्ड पर होगी.

मैं ये जानते हुए भी कि विशाल मेरे पीछे खड़ा है मगर मैं अपने आप को अपने काम में उलझाए रखना चाहती थी.......तभी विशाल मेरे एक दम करीब आकर मुझसे सट कर खड़ा हो गया.......इस वक़्त उसका लंड मेरी गान्ड पर दस्तक दे रहा था......एक बार फिर से मेरी साँसें ज़ोरों से चलने लगी थी........
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विशाल ने अपने दोनो हाथ मेरे दोनो हाथों पर रखकर उसे धीरे धीरे सरकाते हुए मेरे कंधे की तरफ ले जाने लगा........जैसे जैसे उसके हाथ सरक रहें थे वैसे वैसे मेरे बदन में गर्मी बढ़ती जा रही थी........वो अपने होंठो को मेरी गर्देन पर रखकर बहुत आहिस्ता से अपना जीभ धीरे धीरे फेरने लगा.......एक बार फिर मैं अपने बस में नहीं थी.........मेरे जिस्म के रोयें पूरी तरह से खड़े हो चुके थे........

अदिति- आआआआआआआआ.हह.........ये...क्या कर रहें हो विशाल......प्लीज़ लीव मी..........मुझे छोड़ो विशाल......तुम्हें कॉलेज नहीं जाना है क्या ........
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विशाल- नहीं........और छोड़ने के लिए ही क्या मैने तुमसे प्यार किया था.......देखता हूँ कि तुम अब मुझसे दूर कैसे जाती हो........और विशाल अपने हाथों को धीरे धीरे सरकाते हुए मेरे कंधे तक ले गया और फिर वो अपने दोनो हाथों को फिर से सरकाते हुए नीचे मेरे सीने की तरफ ले जाने लगा.........

मेरे अंदर अब विरोध पूरी तरह ख़तम हो चुका था......विशाल के हाथ सरकते हुए लगातार नीचे की ओर बढ़ रहें थे वही वो अपने जीभ से मेरी गर्देन को चाटे जा रहा था......मैं अब बिकलूल मदहोश हो चुकी थी........मैने अपना जिस्म बिल्कुल ढीला छोड़ दिया........

जैसे ही विशाल ने अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स को छुआ एक बार फिर से मैं ज़ोरों से सिसक पड़ी....... अगले ही पल उसने अपनी मुट्ठी में मेरे दोनो बूब्स को पकड़ा और फिर उसे ज़ोरों से मसल दिया......एक बार फिर से मैं ज़ोरों से चीख पड़ी......कल रात की चुदाई से मेरा बदन अभी तक दुख रहा था मगर मेरे अंदर विरोध पूरी तरह से ख़तम हो चुका था मैं विशाल को किसी बात के लिए रोकना नहीं चाहती थी.........विशाल कुछ देर तक मेरे दोनो बूब्स को ऐसे ही अपने कठोर हाथों से मसलता रहा......और मैं वही सिसकते रही.......हवस से मेरी आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी......
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विशाल अपनी जीभ मेरी पीठ पर फेर रहा था..........फिर उसने मेरी पीठ पर बँधा डोर अपने दाँतों के बीच फँसाकर उसे हौले हौले से खीचने लगा........मेरी चूत अब फिर से गीली हो चुकी थी......निपल्स तंन कर पूरी तरह से हार्ड हो गये थे........

अदिति-आआआआ.हह..........विशाल..........प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ.........क्यों तुम मुझसे मेरे जीने का हक़ भी छीनना चाहते हो........

विशाल- मैं कहाँ कुछ कर रहा हूँ अदिति.......तुमसे प्यार ही तो कर रहा हूँ.......और प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं .........उधेर विशाल के हाथ तेज़ी से मेरे बदन पर सरक रहें थे.......कभी वो मेरे बूब्स को मसल रहा था तो कभी वो मेरी गान्ड पर अपना हाथ फेर रहा था.........मैं चुप चाप वही खड़ी होकर उसे पूरी मनमानी करने दे रही थी.........सच तो ये था कि मैं अब उसके हाथों की कठपुतली बन चुकी थी........
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विशाल फिर मेरे सूट को उपर की तरफ उठाने लगा मैने भी फ़ौरन अपने दोनो हाथ उपर की ओर कर दिए.......उसने झट से मेरी सूट मेरे बदन से अलग कर दी.........अब मेरे सीने पर एक ब्लॅक कलर की ब्रा मौजूद थी.......एक बार फिर से शरम से मेरा बुरा हाल था........विशाल फिर अपना जीभ फिर से मेरी पीठ पर रखकर मेरी पीठ को अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटने लगा.......मेरी आँखे बार बार बंद हो रही थी.........अब मेरे जिस्म भी मेरा पूरा साथ छोड़ चुका था.....
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विशाल फिर मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा ले गया और मेरे होंठो को चूसने लगा........मैने भी धीरे से अपने होंठ पूरे खोल कर उसे अंदर जाने का रास्ते दिया........विशाल मेरे नीचले होंठ को कभी अपने दाँतों के बीच काटता तो कभी उसे अपने मूह में लेकर चूस्ता..........वो फिर अपने दोनो हाथ मेरे पीठ के तरफ ले गया और उसने मेरी ब्रा की स्ट्रॅप्स धीरे से खोल दी........अगले ही पल मेरी ब्रा नीचे की तरफ सरकते गिरने लगी......मैने भी उसने रोकने की ज़रा भी कॉसिश नहीं की और उसे नीचे गिरने दिया........

विशाल फिर मेरी ब्रा को नीचे गिरा दिया और अब मैं किचन में विशाल के सामने कमर के उपर पूरी नंगी थी.......वो फिर से मेरे निपल्स को अपने दोनो उंगलिओ के बीच धीरे धीरे दबा रहा था वही मैं हल्की हल्की सिसक रही थी.......अभी भी उसका मूह मेरे मूह में था.......इस वक़्त मेरा खड़ा होना बहुत मुश्किल होता जा रहा था......मेरी चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.......
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करीब 10 मिनिट तक विशाल मेरे बदन के हर हिस्से से खेलता रहा........फिर उसने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे नीचे बैठने का इशारा किया..........मैं अच्छे से उसका इरादा समझ रही थी.....आख़िर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी और मैं वही घुटनों के बाल नीचे फर्श पर बैठ गयी और विशाल के पेंट की तरफ बड़े गौर से देखने लगी.....उसके पेंट के उपर से उसके लंड का उंभार सॉफ दिखाई दे रहा था.......मैं भी अपना एक हाथ आगे लेजा कर उसके लंड को अपनी नाज़ुक हथेली में थाम लिया और उधेर विशाल के मूह से एक ज़ोरदार सिसकरी निकल पड़ी.....

मैने धीरे से उसका पेंट खोला और उसका पेंट नीचे की तरफ सरका दिया.......फिर उसका अंडरवीअर भी नीचे की तरफ धीरे धीरे सरकाने लगी.......कुछ देर बाद विशाल कमर के नीचे पूरी तरह नंगा था......अब उसका 8 इंच का लंड फिर से मेरी आँखों के सामने झूल रहा था.......मैं कुछ देर तक उसके लंड को देखती रही फिर मैने अपना मूह धीरे से पूरा खोल दिया और विशाल के लंड को अपने मूह में धीरे धीरे लेने लगी........
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मैं एक हाथ से उसका लंड सहला रही थी और उपर अपना जीभ भी धीरे धीरे फेर रही थी.......एक बार फिर से मेरे मूह में लंड का वही टेस्ट घुल रहा था......मगर अब मुझे उसका टेस्ट अच्छा लग रहा था........विशाल का सुपाडा मैं अपने मूह में लेकर धीरे धीरे चूस रही थी वही विशाल मेरे बालों से खेल रहा था......उसकी सिसकारी धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी.........मैं भी विशाल को पूरी तरह से सॅटिस्फाइ करना चाहती थी इस लिए जितना हो सके मैं उसका लंडा अपने मूह के अंडे लेने की कोशिश कर रही थी........
 
उधेर विशाल भी धीरे धीरे मेरे मूह में लंड उतरता जा रहा था.....उसके धक्कों से कई बार तो मुझे उबकाई सी आ जाती......तो कभी मेरी साँस फूलने लगती.....मुझे भी अब मज़ा आ रहा था......मैं अपना जीभ उसके अंडों पर भी फेरती तो वो ज़ोरों से उछल पड़ता.......मेरे थूक से उसका लंड पूरी तरह से गीला हो चुका था.......मेरे मूह से बहती लार उसके लंड पर किसी धागे की तरह उसे जोड़ रही थी.......करीब 10 मिनिट तक मैं विशाल का लंड ऐसे ही चूसति रही और आख़िर कार विशाल का कम मेरी मूह में एजौक्ट हो गया........मैं उसके लंड से बहता सारा कम धीरे धीरे अपने मूह में उतार रही थी....मुझे ये सब बहुत अजीब लग रहा था मगर सच तो ये था कि मैं उसका टेस्ट चखना चाहती थी........
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थोड़ी देर बाद विशाल का लंड किसी मरे जैसे चूहे की तरह दिखाई देने लगा.......विशाल फिर मुझे उठाया और उसने मुझे किचन के रॅक पर बैठा दिया......इस वक़्त भी मैने अपनी लॅगी पहनी हुई थी.....विशाल मेरी कमर में हाथ डालकर मेरी लॅयागी को उतारने लगा.......फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल फेंकी.......अब मैं एक बार फिर से विशाल के सामने पूरी नंगी थी.........

विशाल फिर मेरी दोनो जाँघो को पूरा फैलाकर मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा........शरम से एक बार फिर मेरा बुरा हाल था........मैं विशाल के चेहरे की तरफ देख रही थी......विशाल फिर आगे बढ़कर मेरी चूत पर अपनी जीभ धीरे से रख कर वहाँ बहुत आहिस्ता से चाटना शुरू कर दिया......मेरी मूह से एक बार फिर से सिसकारी फुट पड़ी........
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विशाल पूरे जी जान से मेरी चूत को चाटे जा रहा था वही मैं अपने दोनो हाथों से अपनी चूत उसके सामने फैलाकर अपनी चूत उससे चटवा रही थी........उस समय मैं किसी रंडी की तरह बिहेव कर रही थी.........सच तो ये था कि मुझे अपने अंदर की आग को कैसे भी शांत करना था उसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े.......कुछ देर तक मेरी चूत चाटने के बाद विशाल ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल डल और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा........इधेर मेरा मज़े से बुरा हाल था.......

मैं अपनी कमर को बार बार विशाल की तरफ आगे पीछे कर रही थी........कुछ देर बाद विशाल फिर अपनी दो उंगली मेरी चूत के अंदर डालकर उससे मेरी चुदाई करने लगा.........मैं भी अपनी कमर हिलाकर उसका पूरा साथ दे रही थी.......करीब 5 मिनिट तक विशाल अपने उंगलिओ को मेरी चूत में अंदर बाहर करता रहा और आख़िर मैं भी अपना सब्र खो बैठी और वही ज़ोरों से चीखते हुए फारिग हो गयी......और विशाल के उपर किसी लाश की तरह बिल्कुल ठंडी पड़ गयी.......

एक बार फिर से मैं उस चरम सुख को पा लिया था........पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त सब कुछ भूल चुकी थी......अब मेरे अंदर ना ही कोई पश्चाताप था और ना ही किसी बात की चिंता.....मैं उस हसीन सुख के आगे अब एक कठपुतली सी बनकर रह गयी थी.
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करीब 10 मिनिट बाद जब मेरी आँखें खुली तो विशाल की नज़रें मुझे ही घूर रही थी.......एक बार फिर से मेरे चेहरे पर शरम की लाली थी........विशाल चुप चाप कुछ देर वही खड़ा रहा तो मैं नीचे उतरकर अपने घुटनों के बल फर्श पर बैठ गयी और उसका लंड अपनी जीभ से हौले हौले चूसने लगी......एक बार फिर से वो ज़ोरों से सिसक पड़ा था......

मेरी जीभ की रफ़्तार धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी......मैं अपनी पूरी जीभ उसके लंड के टोपे से धीरे धीरे फेरती हुई नीचे उसके आंडों की तरफ जा रही थी.........वही विशाल अपने कमर को धीरे धीरे आगे पीछे कर रहा था.......जैसे वो मेरा मूह ना होकर मेरी चूत हो.......मैं अपना जीभ कभी उसके लंड के सुपाडे पर रखकर हौले से चूसति तो कभी उसके आंडों पर अपना जीभ फेरती.......विशाल का मज़े से बुरा हाल था......मैं उसके चेहरे की तरफ देखकर उसका लंड चूस रही थी.........विशाल का एक हाथ मेरे सिर पर था वो मेरे बालों के साथ खेल रहा था वही वो अपने दूसरे हाथों से मेरे बूब्स को भी मसल रहा था.........

इस वक़्त मेरे थूक से उसका लंड पूरा गीला हो चुका था........मुझे भी अब उसके लंड का स्वाद अच्छा लगने लगा था........मैं अपने जीभ की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ाती जा रही थी.......जब वो अपने चरम के बहुत करीब पहुँच गया तो मैने उसका लंड चूसना बंद कर दिया.......विशाल ने फिर मुझे अपनी गोद में उठाकर वही किचन के रॅक पर बैठा दिया और अपना लंड एक बार फिर से मेरी चूत पर सेट करने लगा.......मेरी चूत इस वक़्त पूरी तरह गीली थी......मुझे भी इंतेज़ार था कि कब विशाल अपना मूसल मेरी चूत की गहराई में उतारेगा........
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विशाल ने अपना लंड जैसे ही मेरी चूत पर रखा एक बार फिर से लज़्जत से मेरी आँखें दुबारा बंद हो गयी.......मैं एक बार फिर से ज़ोरों से सिसक पड़ी........अगले ही पल विशाल बिना देर किए अपना लंड एक ही झटके में मेरी चूत में पूरा उतारता चला गया.......मेरा मूह पूरा खुल गया था कुछ दर्द की वजह से तो कुछ लज़्जत की वजह से......विशाल फिर से मेरे होंठो को चूसने लगा और साथ ही साथ वो मेरी चूत में अपना लंड पेलकर अंदर बाहर तेज़ी से मेरी चुदाई करने लगा.........
 
एक बार फिर से मैं सब कुछ भूल चुकी थी..........कमरे में फ़ाच..... फ़ाच... की मधुर आवाज़ें गूँज रही थी और साथ में मेरी सिसकारी भी......कुल मिलाकर महॉल पूरी तरह से रंगीन बन चुका था.......विशाल तेज़ी से मेरी चूत में धक्के मार रहा था.......मैं अपने नाखूनों को उसके पीठ के बाकी हिस्सों में गढ़ा रही थी.......
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थोड़ी देर बाद विशाल ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी उसी पोज़िशन में चुदाई करने लगा......मैं भी अपनी बाहें उसके गले में डाले उसका पूरा साथ दे रही थी........मेरे मूह से आआआआआआ.........हहिईीईईईईईई..की आवाज़ें बार बार निकल रही थी........करीब 5 मिनिट की चुदाई के दौरान विशाल का जिस्म अकड़ने लगा और वो मुझे और कसकर अपनी बाहों में दबाने लगा......मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज मेरी पसलियाँ टूट जाएँगी.........मेरा साँस लेना भी अब मुश्किल होता जा रहा था......आख़िरकार विशाल कुछ देर में अपने चरम पर पहुँच गया और आआआआआआआआआआआ..............सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......हह..........ईईईईईईईईईईईईई...........करते हुए अपना सारा कम मेरी चूत की गहराई में उतारता चला गया........मैं भी उस वक़्त अपने चरम पर पहुँच चुकी थी.......विशाल के झरते ही मैं भी आआआआआआआआआआअ...................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.............आआआआअ......ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई..ईईईईईईईईईईईईईईई............करते हुए बिल्कुल ठंडी हो गयी और एक बार फिर से विशाल के सीने से ऐसे ही किसी बेल की तरह उससे लिपटी रही........विशाल फिर मुझे ऐसे ही गोद में उठाकर मेरे बेडरूम में ले आया और वो भी आकर मेरे उपर लेट गया........
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ना जाने कितनी देर तक विशाल और मैं उसी तरह बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहें......अभी भी उसका लंड मेरी चूत में था........मेरी चूत से उसका कम बाहर की ओर धीरे धीरे बह रहा था.........इस वक़्त कमरे में हमारे दिल की धड़कानो को सॉफ सुना जा सकता था......हम दोनो की साँसें बहुत ज़ोरों से चल रही थी.......हम दोनो इस वक़्त पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे........

थोड़े देर बाद जब मेरी आँख खुली तो विशाल भी अपनी आँखें खोले मेरी तरफ देख रहा था.......एक बार फिर से उसने मेरे नरम होंठो पर अपने होंठ रख दिए और फिर से उसे हौले हौले चूसने लगा.......

अदिति- बस भी करो विशाल......अब और नहीं........मेरा बदन बहुत दुख रहा है.......

विशाल- क्यों अदिति अच्छा नहीं लगा क्या........

अदिति- ऐसी बात नहीं है विशाल.......मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ..........
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विशाल- तो आज क्या प्लान किया है आपने.......कॉलेज नहीं जाना है तो फिर दिन भर चुदाई तो होनी पक्की है........इस बारे में ख्याल है आपका .....इतना कहकर विशाल धीरे से मुस्कुरा पड़ता है......

अदिति- सच में तुम बहुत गंदे हो.......जाओ मुझे तुमसे अब कोई बात नहीं करनी......और अब मैं कुछ नहीं करने दूँगी तुम्हें.......

विशाल- लगता है मेरी जान मुझसे नाराज़ हो गयी......खैर कब तक आप मुझसे नाराज़ होगी......मैं आपको मना लूँगा.........

अदिति -विशाल एक बात कहूँ.........पता नहीं क्यों मेरा दिल कहता है कि जो कुछ हो रहा है वो ठीक नहीं........अगर मम्मी पापा को इस बात की खबर लग गयी तो पता नहीं क्या होगा........
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विशाल- क्या अदिति.......तुम फिर से वही सब लेकर बैठ गयी......तब की तब देखने और मैं तो किसी से ये सब नहीं कहूँगा.....रिलॅक्स......आगे जो होगा ठीक होगा..........मैं भी विशाल के चेहरे की ओर देख रही थी पता नहीं आने वाले समय में वक़्त हमे कौन से मोड़ पर ले जाने वाला था.......

मम्मी पापा की गैर मौजूदगी में विशाल ने मुझे पूरे तीन दिन घर के हर हिस्से में मेरी चुदाई की थी........मैं भी उसका पूरा पूरा साथ देती......मेरी चूत की आग अब पहले से कहीं ज़्यादा भड़क चुकी थी.......इन तीन दिनों में मैं विशाल से ना जाने कितनी बार चुद चुकी थी........अब मेरी ऐसी हालत हो चुकी थी कि मैं अब विशाल से एक पल के लिए दूर नहीं रह सकती थी..........मैं तो मन ही मन ये दुवा कर रही थी कि काश मम्मी पापा और कुछ दिन तक ना आयें........मगर ऐसा नहीं हुआ........तीन दिन बाद मम्मी पापा घर आ गये और हमारे बीच जो नज़दीकियाँ थी अब धीरे धीरे वो दूरियों में बदलने लगी.......
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