hotaks444
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कहते है ना कि अगर कहीं आग लगती है तो धुँआ भी ज़रूर उठता है.......इतने दिनों से विशाल और मेरे बीच नज़ायज़ संबंध चल रहें थे.........मम्मी को मुझपर शक़ हो गया था मगर वो मुझसे इस बारे में कभी कुछ नहीं कहती थी........वक़्त गुज़रता गया और मैं हर दो दिन के अंतराल में विशाल के साथ होटेल जाने लगी........अब मेरा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था.......हर वक़्त मुझे चुदाई का नशा रहता था.........
उधेर पूजा भी मुझसे अक्सर पूछा करती थी कि तू कॉलेज आज कल क्यों नहीं आती है......मैं उसे हमेशा कोई ना कोई बहाना बना दिया करती थी........अब तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था मैने सारी बातें अपनी डायरी में लिख दी थी......अब मेरे राज़ उस डायरी में थे जो मैं सबसे छुपाकर रखती थी........वक़्त तेज़ी से बीत रहा था और हमारी अयाशी पूरे उफान पर थी.......अब तो उस होटेल का मॅनेजर से भी मेरी अच्छी जान पहचान हो चुकी थी.........मैने उसकी आँखों में भी भूख देखी थी.........
एक बार तो दिल में आया कि मैं उसे भी ट्राइ करूँ मगर मुझमें बिल्कुल हिम्मत नहीं हुई.....और मैं विशाल की नज़रो में गिरना नहीं चाहती थी इस लिए मैने ये बात यहीं पर ख़तम कर दी........
अब विशाल से चुदाई करते मुझे . दो महीना हो गये थे........अब मैं पूरी तरह खुल कर विशाल का साथ देती.......मेरे अंदर की झिझक पूरी तरह से ख़तम हो चुकी थी........ऐसे ही एक रोज़ मैं अपने घर पर थी.......वो दिन सनडे था......आज घर में सभी लोग मौजूद थे.........मैं अपनी डायरी लिख रही थी......जब मैने अपनी डायरी ख़तम की तो मैने हमेशा की तरह उसे अपने लॉकर में रख दिया........
फिर मैं जैसे ही अपने बिस्तेर से उठी मुझे अचानक से ओमिटिंग आनी शुरू हो गयी.........मैं अपने मूह पर हाथ रखते हुए फ़ौरन बाथरूम में गयी और वही ओमिटिंग करने लगी.......कुछ देर बाद मुझे काफ़ी हल्का सा महसूस होने लगा......मेरे पीरियड्स भी नहीं आ रहे थे कुछ दिनों से ......इस ओमिटिंग ने ये बात सॉफ कर दी थी कि मैं अब प्रेगञेन्ट हो चुकी हूँ.......ये सोचकर मैं अंदर ही अंदर हिल सी गयी थी.......
मैं फिर बाथरूम से बाहर आई और वही सामने की वॉश बेसिन में आकर अपना मूह हाथ धोने लगी........तभी किसी ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और अगले ही पल मेरे पाँव तले ज़मीन खिसक गयी.......मेरे जिस्म के रोयें डर से पूरी तरह खड़े हो चुके थे.......जब मैने अपनी गर्देन पीछे की ओर घुमाई तो मेरे पीछे मम्मी खड़ी थी........
मम्मी मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी........मैने फ़ौरन अपना चेहरा शरम से नीचे झुका लिया........अब मैं अच्छे से जान चुकी थी कि मम्मी अब सब कुछ जान चुकी है.......पता नहीं आने वाला वक़्त कौन सा तूफान लेकर हमारी ज़िंदगी में आने वाला था.......पर इतना तो ज़रूर तय था कि अब जो कुछ होगा ये ना ही मेरे लिए अच्छा होगा और ना ही ................विशाल के लिए.
मम्मी अपनी आँखें फाडे अभी भी मेरी तरफ देख रही थी.....वही मैं शरम से अपनी नज़रें उनसे नहीं मिला पा रही थी......इस वक़्त डर से मेरे हाथ पाँव बिल्कुल ठंडे पड़ चुके थे.........
स्वेता- अदिति........क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वही बात तो नहीं है ना....क्या तू.......
उधेर पूजा भी मुझसे अक्सर पूछा करती थी कि तू कॉलेज आज कल क्यों नहीं आती है......मैं उसे हमेशा कोई ना कोई बहाना बना दिया करती थी........अब तक जो कुछ भी मेरे साथ हुआ था मैने सारी बातें अपनी डायरी में लिख दी थी......अब मेरे राज़ उस डायरी में थे जो मैं सबसे छुपाकर रखती थी........वक़्त तेज़ी से बीत रहा था और हमारी अयाशी पूरे उफान पर थी.......अब तो उस होटेल का मॅनेजर से भी मेरी अच्छी जान पहचान हो चुकी थी.........मैने उसकी आँखों में भी भूख देखी थी.........
एक बार तो दिल में आया कि मैं उसे भी ट्राइ करूँ मगर मुझमें बिल्कुल हिम्मत नहीं हुई.....और मैं विशाल की नज़रो में गिरना नहीं चाहती थी इस लिए मैने ये बात यहीं पर ख़तम कर दी........
अब विशाल से चुदाई करते मुझे . दो महीना हो गये थे........अब मैं पूरी तरह खुल कर विशाल का साथ देती.......मेरे अंदर की झिझक पूरी तरह से ख़तम हो चुकी थी........ऐसे ही एक रोज़ मैं अपने घर पर थी.......वो दिन सनडे था......आज घर में सभी लोग मौजूद थे.........मैं अपनी डायरी लिख रही थी......जब मैने अपनी डायरी ख़तम की तो मैने हमेशा की तरह उसे अपने लॉकर में रख दिया........
फिर मैं जैसे ही अपने बिस्तेर से उठी मुझे अचानक से ओमिटिंग आनी शुरू हो गयी.........मैं अपने मूह पर हाथ रखते हुए फ़ौरन बाथरूम में गयी और वही ओमिटिंग करने लगी.......कुछ देर बाद मुझे काफ़ी हल्का सा महसूस होने लगा......मेरे पीरियड्स भी नहीं आ रहे थे कुछ दिनों से ......इस ओमिटिंग ने ये बात सॉफ कर दी थी कि मैं अब प्रेगञेन्ट हो चुकी हूँ.......ये सोचकर मैं अंदर ही अंदर हिल सी गयी थी.......
मैं फिर बाथरूम से बाहर आई और वही सामने की वॉश बेसिन में आकर अपना मूह हाथ धोने लगी........तभी किसी ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और अगले ही पल मेरे पाँव तले ज़मीन खिसक गयी.......मेरे जिस्म के रोयें डर से पूरी तरह खड़े हो चुके थे.......जब मैने अपनी गर्देन पीछे की ओर घुमाई तो मेरे पीछे मम्मी खड़ी थी........
मम्मी मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी........मैने फ़ौरन अपना चेहरा शरम से नीचे झुका लिया........अब मैं अच्छे से जान चुकी थी कि मम्मी अब सब कुछ जान चुकी है.......पता नहीं आने वाला वक़्त कौन सा तूफान लेकर हमारी ज़िंदगी में आने वाला था.......पर इतना तो ज़रूर तय था कि अब जो कुछ होगा ये ना ही मेरे लिए अच्छा होगा और ना ही ................विशाल के लिए.
मम्मी अपनी आँखें फाडे अभी भी मेरी तरफ देख रही थी.....वही मैं शरम से अपनी नज़रें उनसे नहीं मिला पा रही थी......इस वक़्त डर से मेरे हाथ पाँव बिल्कुल ठंडे पड़ चुके थे.........
स्वेता- अदिति........क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वही बात तो नहीं है ना....क्या तू.......