hotaks444
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जिस्म की प्यास--7
गतान्क से आगे……………………………………
रमेश ने कहानी बनाई कि मैं सिर्फ़ 14 साल का था जब मैं अपने मामा के घर रहने गया था और जब भी
मामा काम के लिए जाते थे मेरी मामी मुझे बहला फुसला के कभी डरा के ब्लॅकमेल करती थी...
और कभी तो जब मामा सोते थे तब मेरे रूम में आके चुद्वाती थी. रमेश ने देखा अब उसका बॅलेन्स ख़तम
होने वाला है और वो परेशान हो गया. उसने अगला मैसेज लिखा देखो मैं जानता हूँ तुम मुझसे मिलने
नहीं वाली मगर जब तुम नया नंबर लोगि भोपाल में तो याद से मुझे अपना नंबर सेंड करना. बाइ नेहा...
डॉली ने भी उदास होके मैसेज लिखा "ठीक है कर्दुन्गि... आज तुमसे बात करके अच्च्छा लगा. बाइ!!!
डॉली ने घड़ी देखी कि रात के 3 बज रहे थे. उसने चद्दर अपने मुँह पे डाली और आँख बंद करके सोने लगी.
उसको बस रमेश की बातें रंगीन याद आ रही थी मगर कुच्छ समय के बाद वो गहरी नींद में सो गयी.
जब गाड़ी भोपाल पहुचने लगी तो अपने समान में नारायण ने एक सूटकेस कम पाया...
आस पास देखने के बाद भी वो सूटकेस नहीं मिला... उस बक्से मे डॉली के कपड़े और बाकी ज़रूरी समान था....
डॉली को इस बात से बहुत दुख हो रहा था... ऐसा नहीं था कि उस बक्से में सारे नये कपड़े थे मगर अब
उसके पास सिर्फ़ एक-दो जोड़े कपड़े ही रह गये थे.... उस चोर को डॉली मन में गालिया देने लगी...
नारायण ने डॉली को तस्सली देते हुए कहा कि तुम नये कपड़े ले लेना और ये सुनके डॉली के चेहरे पे हल्की सी
खुशी च्छा गयी... फिर नारायण और डॉली जब स्टेशन के बाहर आए तो एक आदमी उनका इंतजार कर रहा था...
उसके हाथ में एक बोर्ड पे नारायण का नाम लिखा हुआ था. नारायण उसके पास गया और उससे बात करी.
उसने अपना नाम अब्दुल बताया और कहा कि वो उनका ड्राइवर है. अब्दुल ने दोनो का समान स्कॉर्पियो गाड़ी
में डाला और उनको घर ले गया. नारायण शहर से काफ़ी परिचित था मगर फिर भी इतने सालो
से यहाँ आया नहीं था. उसे भोपाल काफ़ी अलग लगा मगर उसकी नयी गाड़ी जो स्कूल की तरफ से उसे मिली थी वो
काफ़ी नयी थी... नारायण ने अब्दुल को बक्से के खोने के बारे में बताया और उसे शाम को
मार्केट ले जाना के लिए बोल दिया... कुच्छ देर बाद जब गाड़ी उल्टे एक गली में मूड के रुकी...
उस गली में बहुत सारी कोठिया बनी हुई थी... अब्दुल ने नारायण और डॉली को उनका नया घर दिखाया...
डॉली ने सोचा था कि उन्हे एक फ्लॅट मिलेगा मगर वो पूरी कोठी देख कर दंग रह गयी. कोठी बाहर से काफ़ी बड़ी
लग रही और वहाँ एक छोटा सा गार्डेन भी था. जब वो अंदर गये तो घर पूरी तरह से सॉफ और फर्निश्ड था.
घर में 3 बड़े कमरे थे 2 बाथरूम किचन और ड्रवोयिंग रूम था. अब्दुल समान रखके गाड़ी लेगया.
नारायण और डॉली इस घर को देख कर काफ़ी खुश हुए. नारायण और डॉली ने अपना अपना समान अपने
पसंदीदा कमरो में रख दिया. दोनो कमरो में टाय्लेट भी थे तो किसी को कोई तकलीफ़ भी नहीं थी. दिक्कत यही थी
कि डॉली का रूम ड्रॉयिंग रूम के साथ लगा हुआ था और नारायण का उसके दूसरी ओर था.
डॉली ने नारायण को बोला "पापा मैं नहाने जा रही हूँ आप भी फ्रेश हो जाइए फिर नाश्ते का सोचते है" नारायण ने कहा "मैं पहले अपना समान रख लू फिर नहा लूँगा."
ये सुनके डॉली अपने कमरे में गयी और उसे अंदर से बंद कर लिया और अपने कमरे की खिड़की पे परदा खीच दिया.
उसके कमरे की अलमारी में बहुत बड़ा शीशा था और उसमें देखक उसने अपनी हरी टी शर्ट को उतारा और
साथ ही में अपनी नीली जीन्स उतारी. फिर उसने अपना ब्रा का हुक खोला और अपनी काली पैंटी उतार दी. डॉली के लंबे
बाल उसके स्तनो को ढक रहे थे. वो नीचे झुकके अपने सूट केस में से कपड़े निकालने लगी. उसने पीला
सलवार कुरती निकाला और उसके सफेद ब्रा पैंटी. जैसे ही वो उठने लगी उसने बड़े से शीशे में अपने हिलते हुए स्तनो
और हल्की गुलाबी चूत को देखा. 2 सेकेंड के लिए वो रुक गयी और फिर नहाने चली गयी. जैसे ही उसने शवर
खोला तो ठंडा पानी तेज़ी से उसके बदन पे गिरने लगा. वो अपने बदन पे हाथ फेरने लगी. उसे ठंडा पानी इतना
अच्छा लगा इतने लंबे सफ़र के बाद. उसने अपने बदन पे साबुन लगाया और उसको सॉफ करके अपने बदन को पौछ लिया.
डॉली बाथरूम के बाहर आ गयी और फिरसे अपने नंगे बदन को शीशे में देखने लगी. उसने फिर कपड़े पहने और अपने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. उसको ध्यान आया कि उसके गंदे कपड़े सूट केस के उपर पड़े हुए है. उसने वो
उठाया और बाथरूम में टाँग दिए. उसने पहले अपनी काली ब्रा और पैंटी टांगी और फिर उसने उपर अपनी जीन्स और टी शर्ट.
ये काम करके वो बाहर निकली अपने बालो को तौलिए से सुखाते हुए. "पापा आप अभी भी गये नहीं....
जल्दी जाओ नहा के आओ मुझे प्यास लग रही है." नारायण उठा और अपने बाथरूम में नहाने चला गया.
थोड़ी देर के बाद दरवाज़े पे नॉक हुआ और डॉली ने दरवाज़ा खोल दिया. वहाँ एक लगभग 30 साल का लंबा
हटता खट्टा आदमी खड़ा था हाथो में गुलदस्ता लिए. डॉली ने पूछा "जी आप कौन" आदमी ने कहा "जी मेरा नाम
सुधीर है मैं नारायण सर से मिलने आया हूँ. पीछे से अब्दुल आया कुच्छ समान लेके और बोला
"छोटी मेमसाब ये सुधीर साब है स्कूल से आए है आपके पापा का स्वागत करने". सुधीर और अब्दुल ने
डॉली के हाथ में तौलिया देखा और समझ गये कि अभी ये नहा के निकली है. डॉली ने दोनो को अंदर बुला के
बिठाया और बोली "अभी पापा तो नहा रहे है वो थोड़ी में निकलने वाले होंगे."
"कोई नहीं हम इतनेज़ार करलेंगे आप ये अब्दुल के हाथ से नाश्ता ले ले लीजिए". डॉली का चेहरे पे नाश्ता सुनते
ही मुस्कान आ गयी और वो उसे लेके किचन ले गयी. कुच्छ ही देर में सुधीर किचन में आया और डॉली
को खाना निकालते देख खड़ा हो गया. डॉली एक दम से पलटी और डर गयी.
सुधीर ने कहा "सॉरी मैने आपको डरा दिया मुझे आक्च्युयली बाथरूम यूज़ करना था". डॉली मुस्कुराते हुए बोली "जी कोई नहीं". डॉली सुधीर को अपने कमरे के बाथरूम लेगयि और
शर्मिंदा होके बोली "सॉरी थोड़ा गीला है बाथरूम" सुधीर मुस्कुरकर अंदर चले गया.
डॉली वापस किचन चली गई और उसे एक दम से अपने गंदे कपड़े याद आए जो टाय्लेट के दरवाज़े पे
टाँगे हुए थे. सुधीर ने अपनी ज़िप खोली और पिशाब करने लग गया. पिशाब करते हुए उसने टाय्लेट के चारो
ओर देखा. दरवाज़े की तरफ कपड़े टँगे हुए देख के वो मचल गया. जैसे पिशाब आनी बंद हुई
उसने अपने हाथ से डॉली की जीन्स और टी-शर्ट को छुआ और हल्के से हटाने पे उसे एक काला स्ट्रॅप सा दिखा.
जब उसने कपड़े निकाले तो उसने काली ब्रा और पैंटी देखी. उन्हे देख के ही वो सूँगने लग गया.
एक महकती पसीने की खुश्बू आ रही थी. डॉली की पैंटी अभी भी हल्की सी नम थी. सुधीर ने ब्रा और पैंटी को
थोड़े समय अपने काले लंड पे रगड़ा. जब उसे लगा वक़्त ज़्यादा हो गया तो उसने कपड़े वैसे ही टाँग दिए
और टाय्लेट से निकला. जब वो कमरे के बाहर आया तो उसने नारायण को देखा और हाथ मिलाने चला गया. नारायण और उसने काफ़ी देर बात करी स्कूल भोपाल और इस घर के बारे में. सुधीर ने कहा सर अगर आप चाहे तो स्कूल
को अभी देख सकते है. नारायण ने भी ठीक समझा और तीनो निकलने लगे. नारायण ने डॉली को कहा
कि वो खाना आके ख़ालेगा. जब ये तीनो चले गये तो डॉली ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सीधा
अपने टाय्लेट में गयी. कपड़े उसी जगह टँगे हुए थे.. उसको लगा कि वो खमखा ज़्यादा सोच रही थी. शाम के कुच्छ 5 बजे थे नारायण ने डॉली को फोन करके कहा कि वो सुधीर जी के साथ है अभी तो वो
नहीं जा पाएगा मार्केट... फिर उसने कहा कि मैने अब्दुल को भेज दिया है वो तुम्हे ले जाएगा गाड़ी में और
वापस छोड़ भी देगा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.... डॉली के पास सिर्फ़ एक लाल टॉप और एक सफेद स्कर्ट थी पहेन्ने
को तो उसने वोई पहेन लिया.... लाल टॉप उसके कंधो को ढक रहा था और उसकी लंबाई भी ठीक ठाक थी...
उसके घुटने उस सफेद स्कर्ट की लंबाई की वजह से ढके हुए थे... उसने नीचे एक सफेद हील वाली सॅंडल
पहेन ली थी... .. अच्छे से बाल को कंघी करके और उनको क्लिप से बाँध वो अब्दुल का इंतजार करने लगी....
काफ़ी देर हो गयी थी और अब्दुल का कोई पता नहीं था.. मोबाइल भी ऑफ था और इस बात से उसको गुस्सा आ रहा था...
फिर तकरीबन 5:45 घर की घंटी बजी और डॉली सोफे से उठ कर दरवाज़ा खोलने गयी... अब्दुल वहाँ खड़ा हुआ था
और डॉली को देखकर ही उसे माफी माँगने लगा... डॉली ने उसको कुच्छ नहीं बोला और अपना पर्स लेके
स्कॉर्पियो की बीच वाली सीट पे बैठ गयी... अब्दुल भी गाड़ी में बैठा और गाड़ी चलाने लगा...
अब्दुल दिखने में मान लीजिए राजपाल यादव जैसे था लेकिन उम्र में उसके पापा के जितना ही शायद उनसे 2-3 साल
बड़ा भी हो सकता था... कपड़ो में सदाहरण शर्ट पॅंट पहेनता था मगर तमीज़दार लगता था....
डॉली अंदर ही अंदर खुश हो रही थी कि वो स्कॉर्पियो गाड़ी में एक मालकिन की तरह बैठी हुई थी....
अब्दुल बीच बीच में उसको जगहो के बारे में बता रहा था जिसे वो बड़ी गौर से सुन रही थी...
कुच्छ आधे घंटे के बाद अब्दुल ने गाड़ी रोकदी... अब्दुल ने डॉली को बताया कि ये यहाँ की न्यू मार्केट है आपको
यहा पर काफ़ी कुच्छ मिल जाएगा.... डॉली को लगा कि अब्दुल जी को तंग करना ठीक नहीं रहेगा तो वो अपने
आप ही चली जाएगी....
डॉली गाड़ी से उतरी और मार्केट के अंदर घुसी... मार्केट में ठीक ठाक भीड़ थी तो डॉली सम्भल
सम्भल के दुकाने देखने लगी... बीच बीच में किसी से कंधे टकरा रहे थे या हाथो से हाथ च्छू रहा
था मगर डॉली ने उन बातो पे ज़्यादा ध्यान नहीं दिया... जैसे कि आप लोग जानते हो कि लड़कियों को अकेला
मार्केट में छोड़ दो तो उन्हे वहाँ से निकालना मुश्किल हो जाता है तो वोही हाल डॉली का भी था... वो 3 दुकान
में जाके एक चीज़ ले रही थी... समय ज़्यादा होने की वजह से उसके पास अब्दुल के 1-2 बारी कॉल भी आ गया था...
कुच्छ 8:30 बज गये थे और भीड़ अब कम होने लगी थी... डॉली ने काफ़ी समान खरीदलिया था जिसको अब
वो ज़्यादा देर तक पकड़के घूमने नहीं वाली थी तो उसने अब्दुल को कॉल करके मार्केट के अंदर बुलाया...
अब्दुल से मिलके उसने सारा समान उसको पकड़ा दिया और उसे आधा घंटा और माँग लिया...
अब्दुल ने उसको बताया की 9:15 के बाद मार्केट बंद होजाएगी तो आप जल्दी करिए गा... डॉली ने उसकी बात को सुनके
भी अनसुना कर दिया... अब वो खाली हाथ थी और सबसे ज़रूरत मंद चीज़ तो उसने ली नहीं थी...
फिर वो एक स्टोर के अंदर गयी जोकि ठीक ठाक लग रहा था... स्टोर का नाम गुप्ता आंड सोंस था...
अंदर जाते ही उसको एक सेल्समन दिखा जो डॉली को देख कर ही बोला "आइए मेडम क्या दिखाऊ आपको... टॉप्स? स्कर्ट?जीन्स?
डॉली ने उसकी बात को बीच में काटते हुए धीमी आवाज़ में कहा "मुझे इन्नर वेर चाहिए...'
वो सेल्समन मुस्कुराते हुए बोला "मॅम उसके लिए आपको उपर जाना पड़ेगा...."
डॉली ने फिर छ्होटी छ्होटी सीडीओ को देखा और उनपे सम्भल संभलके उपर जाने लगी...
उसे डर लग रहा कि कहीं वो गिर ना जाए... उधर वो सेल्समन डॉली की लहराती हुई स्कर्ट को देख रहा था...
सेल्समन डॉली की हिल्लती हुई गान्ड को देखकर अपने लंड को मसल्ने लगा... जब डॉली उपर पहुचि तो वहाँ
एक 35-40 साल का आदमी खड़ा था... शकल से वो काफ़ी कमीना सा लग रहा था... वो वाला फ्लोर लड़कियों/औरतो
के इननेरवेार से भरा था... काई लड़कियों के पोस्टर लगे हुए थे अलग अलग ब्रा और पैंटी में....
डॉली को देखते वो आदमी बोला "जी मेडम क्या देखना चाहेंगी आप'
डॉली ने बोला "मुझे इननेरवेार देखने थे"
सेल्समन " ब्रा और पैंटी दोनो दिखाऊ"
डॉली बोली " जी दोनो ही..."
सेल्समन ने डॉली के स्तन का आकार देख कर ही अनुमान लगा लिया था कि उसका साइज़ क्या होगा मगर फिर भी उसने
डॉली से पूछा
डॉली ने बोला "34 बी"
डॉली को देखकर वो समझ गया था कि ये मेह्न्गि पार्टी है तो वो थोड़े महँगा इंपोर्टेड ब्रास दिखाने लग गया....
काफ़ी तरीके की क्वालिटी थी वहाँ और कंपनी सिर्फ़ एक ही थी "फ्लॉरल"... इतनी सारी ब्रास को देखकर डॉली का दिमाग़
ही नही चल रहा था... कुच्छ सेमी ट्रॅन्स्परेंट वाली थी कुच्छ स्पोर्ट्स ब्रा थी कुच्छ बिना स्ट्रॅप वाली.....
डॉली को थोड़ा कन्फ्यूज़ देख कर सेल्समन बोला "मेडम आप चाहे तो चेंजिंग रूम में ट्राइ कर सकती है...
इश्स कंपनी की सबसे अच्छी बात ये है कि हर हर माल का साइज़ सेम होता है... अगर 34 लिखा है तो उतना ही होगा..... "
सेल्समन के कहने पर डॉली ने सारी तरीके की ब्रा उठाके ट्राइयल रूम के बारे में पुच्छने लगी....
उस आदमी ने उसे इशारे करते हुए उल्टे हाथ की तरफ जाने के लिए कहा.... ट्राइयल रूम में एक बहुत बड़ा
शीशा लगा हुआ था जिसको देख कर डॉली खुश हो गयी थी... उसने दरवाज़े को बंद कर्दिआ और अपनी टी-शर्ट
उतारके दरवाज़े के हुक पे टाँग दी.... अपनी पीट की तरफ हाथ लेजा कर उसने ब्रा खोलदी और उतारके साइड में
पड़े स्टूल पे रख दी.... डॉली ने अपने आपको शीशे में अधनग्न देखा... उस दुकान में एसी की
वजह से काफ़ी ठंढक थी और जैसी ही डॉली ने अपनी ब्रा उतारी तो उसके रॉगट खड़े हो गये....
उसने नज़र शीशे पे डाली तो उसके चुचियाँ भी काफ़ी सख़्त हो गयी थी... उसने फिर एक काली रंग की स्पोर्टा ब्रा
उठाई और उसको पहेंके शीशे में देखने लगी... वो ब्रा उसको पूरी तरह से फिट हो गयी थी...
उसके मम्मे उसमें पूरी तरह शूरक्षित महसूस कर रहे थे.... फिर उसे उतारने के बाद उसने एक नॉर्मल
वाली सफेद ब्रा पेहेन्के देखी तो वो भी उसके स्तन को अच्छी तरह से ढक रहे थे.... उस ब्रा में नीचे
की तरफ वाइयर लगी हुई थी जैसे की डॉली की अभी वाली ब्रा थी....
फिर उसने आखरी तर्कीके की ब्रा उठाई जिसमे एक गुलाबी रंग सेमी ट्रॅन्स्परेंट लेसी ब्रा उठाई और उसे पहने लिया...
उसको पहनने में उसे थोड़ी सी दिक्कत हुई मगर जब उसने सारे हुक्स लगा दिए तो शीशे में खड़े देखा
उसके स्तन काफ़ी बड़े और गोल लग रहे थे.... सबसे अच्छी बात उसकी ये थी कि वो अच्छा नज़ारा दिखाकर भी चुचियाँ
को छुपा रही थी... ऐसा ब्रा डॉली ने आज तक नहीं पहनी और इस्पे उसका दिल आ गया था... आख़िर में उसने
एक आखरी ब्रा उठाके पहनी जो पूरी तरह से उसे फिट नहीं हो रही थी... डॉली का अब वापिस कपड़े पेहेन्के बाहर
जाके बताने में आलस आ रहा था तो उसने वहीं से उस सेल्समन को बोला जोकि अपने लंड को सहला रहा था
डॉली के बारे में सोचके जोकि उसे कुच्छ कदम दूर नंगी खड़ी थी..."भैया ये सफेद रंग की ब्रा थी ना जिसपे सफेद
डॉट्स से वो फिट नही हो रही है इसका बड़ा वाला साइज़ दो"
सेल्समन बोला "मेडम वो पुश अप वाली ब्रा है आपको अपनी ब्रेस्ट उपर करके पहन्नी पड़ेगी" डॉली के सामने
ना खड़े रहने का उसने पूरा फ़ायदा उठाया और डॉली ये सुनके भी काफ़ी हैरान थी... खैर उसने जैसे तैसे करके
उस ब्रा के हुक लगा दिया मगर फिर उसे अजीब सा दर्द होने लगा..... उसने अपना हाथो से अपनी अपने
मम्मो को ठीक करा... उसकी ठंडी उंगलिया उसकी चुचियाँ को जैसे छुई वो एक दम से हिल गयी...
वो हल्के से एहसास में ही वो गरम हो गयी थी.... उसने शीशे में देखा कि उस ब्रा में स्तन का उपरी हिस्सा
सॉफ दिख रहा था...
उस सेल्समन ने जान के पूछा "मॅम हुक लग गये आपसे??" डॉली को उस सेल्समन की आवाज़ अब थोड़ी पास से सुनाई दी..
उसे लगा कि वो ट्राइयल रूम के बाहर खड़ा ही पुच्छ रहा है... डॉली ने जैसे ही हाँ कहा उस सेल्समन ने फिर कहा
"मॅम आप पैंटी भी ट्राइ करेंगी?? अभी अभी फ्रेश पीस आए है..."
डॉली को पैंटी तो लेनी ही थी तो उसने बोला "अच्छा मैं देखने आती हूँ"
सेल्समन ने बोला "माँ मैं आपको पकड़ा देता हूँ आप खमखा कष्ट करेंगी बाहर निकलने का... मुझे बस 2 मिनट दीजिए"
क्रमशः……………………….
गतान्क से आगे……………………………………
रमेश ने कहानी बनाई कि मैं सिर्फ़ 14 साल का था जब मैं अपने मामा के घर रहने गया था और जब भी
मामा काम के लिए जाते थे मेरी मामी मुझे बहला फुसला के कभी डरा के ब्लॅकमेल करती थी...
और कभी तो जब मामा सोते थे तब मेरे रूम में आके चुद्वाती थी. रमेश ने देखा अब उसका बॅलेन्स ख़तम
होने वाला है और वो परेशान हो गया. उसने अगला मैसेज लिखा देखो मैं जानता हूँ तुम मुझसे मिलने
नहीं वाली मगर जब तुम नया नंबर लोगि भोपाल में तो याद से मुझे अपना नंबर सेंड करना. बाइ नेहा...
डॉली ने भी उदास होके मैसेज लिखा "ठीक है कर्दुन्गि... आज तुमसे बात करके अच्च्छा लगा. बाइ!!!
डॉली ने घड़ी देखी कि रात के 3 बज रहे थे. उसने चद्दर अपने मुँह पे डाली और आँख बंद करके सोने लगी.
उसको बस रमेश की बातें रंगीन याद आ रही थी मगर कुच्छ समय के बाद वो गहरी नींद में सो गयी.
जब गाड़ी भोपाल पहुचने लगी तो अपने समान में नारायण ने एक सूटकेस कम पाया...
आस पास देखने के बाद भी वो सूटकेस नहीं मिला... उस बक्से मे डॉली के कपड़े और बाकी ज़रूरी समान था....
डॉली को इस बात से बहुत दुख हो रहा था... ऐसा नहीं था कि उस बक्से में सारे नये कपड़े थे मगर अब
उसके पास सिर्फ़ एक-दो जोड़े कपड़े ही रह गये थे.... उस चोर को डॉली मन में गालिया देने लगी...
नारायण ने डॉली को तस्सली देते हुए कहा कि तुम नये कपड़े ले लेना और ये सुनके डॉली के चेहरे पे हल्की सी
खुशी च्छा गयी... फिर नारायण और डॉली जब स्टेशन के बाहर आए तो एक आदमी उनका इंतजार कर रहा था...
उसके हाथ में एक बोर्ड पे नारायण का नाम लिखा हुआ था. नारायण उसके पास गया और उससे बात करी.
उसने अपना नाम अब्दुल बताया और कहा कि वो उनका ड्राइवर है. अब्दुल ने दोनो का समान स्कॉर्पियो गाड़ी
में डाला और उनको घर ले गया. नारायण शहर से काफ़ी परिचित था मगर फिर भी इतने सालो
से यहाँ आया नहीं था. उसे भोपाल काफ़ी अलग लगा मगर उसकी नयी गाड़ी जो स्कूल की तरफ से उसे मिली थी वो
काफ़ी नयी थी... नारायण ने अब्दुल को बक्से के खोने के बारे में बताया और उसे शाम को
मार्केट ले जाना के लिए बोल दिया... कुच्छ देर बाद जब गाड़ी उल्टे एक गली में मूड के रुकी...
उस गली में बहुत सारी कोठिया बनी हुई थी... अब्दुल ने नारायण और डॉली को उनका नया घर दिखाया...
डॉली ने सोचा था कि उन्हे एक फ्लॅट मिलेगा मगर वो पूरी कोठी देख कर दंग रह गयी. कोठी बाहर से काफ़ी बड़ी
लग रही और वहाँ एक छोटा सा गार्डेन भी था. जब वो अंदर गये तो घर पूरी तरह से सॉफ और फर्निश्ड था.
घर में 3 बड़े कमरे थे 2 बाथरूम किचन और ड्रवोयिंग रूम था. अब्दुल समान रखके गाड़ी लेगया.
नारायण और डॉली इस घर को देख कर काफ़ी खुश हुए. नारायण और डॉली ने अपना अपना समान अपने
पसंदीदा कमरो में रख दिया. दोनो कमरो में टाय्लेट भी थे तो किसी को कोई तकलीफ़ भी नहीं थी. दिक्कत यही थी
कि डॉली का रूम ड्रॉयिंग रूम के साथ लगा हुआ था और नारायण का उसके दूसरी ओर था.
डॉली ने नारायण को बोला "पापा मैं नहाने जा रही हूँ आप भी फ्रेश हो जाइए फिर नाश्ते का सोचते है" नारायण ने कहा "मैं पहले अपना समान रख लू फिर नहा लूँगा."
ये सुनके डॉली अपने कमरे में गयी और उसे अंदर से बंद कर लिया और अपने कमरे की खिड़की पे परदा खीच दिया.
उसके कमरे की अलमारी में बहुत बड़ा शीशा था और उसमें देखक उसने अपनी हरी टी शर्ट को उतारा और
साथ ही में अपनी नीली जीन्स उतारी. फिर उसने अपना ब्रा का हुक खोला और अपनी काली पैंटी उतार दी. डॉली के लंबे
बाल उसके स्तनो को ढक रहे थे. वो नीचे झुकके अपने सूट केस में से कपड़े निकालने लगी. उसने पीला
सलवार कुरती निकाला और उसके सफेद ब्रा पैंटी. जैसे ही वो उठने लगी उसने बड़े से शीशे में अपने हिलते हुए स्तनो
और हल्की गुलाबी चूत को देखा. 2 सेकेंड के लिए वो रुक गयी और फिर नहाने चली गयी. जैसे ही उसने शवर
खोला तो ठंडा पानी तेज़ी से उसके बदन पे गिरने लगा. वो अपने बदन पे हाथ फेरने लगी. उसे ठंडा पानी इतना
अच्छा लगा इतने लंबे सफ़र के बाद. उसने अपने बदन पे साबुन लगाया और उसको सॉफ करके अपने बदन को पौछ लिया.
डॉली बाथरूम के बाहर आ गयी और फिरसे अपने नंगे बदन को शीशे में देखने लगी. उसने फिर कपड़े पहने और अपने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया. उसको ध्यान आया कि उसके गंदे कपड़े सूट केस के उपर पड़े हुए है. उसने वो
उठाया और बाथरूम में टाँग दिए. उसने पहले अपनी काली ब्रा और पैंटी टांगी और फिर उसने उपर अपनी जीन्स और टी शर्ट.
ये काम करके वो बाहर निकली अपने बालो को तौलिए से सुखाते हुए. "पापा आप अभी भी गये नहीं....
जल्दी जाओ नहा के आओ मुझे प्यास लग रही है." नारायण उठा और अपने बाथरूम में नहाने चला गया.
थोड़ी देर के बाद दरवाज़े पे नॉक हुआ और डॉली ने दरवाज़ा खोल दिया. वहाँ एक लगभग 30 साल का लंबा
हटता खट्टा आदमी खड़ा था हाथो में गुलदस्ता लिए. डॉली ने पूछा "जी आप कौन" आदमी ने कहा "जी मेरा नाम
सुधीर है मैं नारायण सर से मिलने आया हूँ. पीछे से अब्दुल आया कुच्छ समान लेके और बोला
"छोटी मेमसाब ये सुधीर साब है स्कूल से आए है आपके पापा का स्वागत करने". सुधीर और अब्दुल ने
डॉली के हाथ में तौलिया देखा और समझ गये कि अभी ये नहा के निकली है. डॉली ने दोनो को अंदर बुला के
बिठाया और बोली "अभी पापा तो नहा रहे है वो थोड़ी में निकलने वाले होंगे."
"कोई नहीं हम इतनेज़ार करलेंगे आप ये अब्दुल के हाथ से नाश्ता ले ले लीजिए". डॉली का चेहरे पे नाश्ता सुनते
ही मुस्कान आ गयी और वो उसे लेके किचन ले गयी. कुच्छ ही देर में सुधीर किचन में आया और डॉली
को खाना निकालते देख खड़ा हो गया. डॉली एक दम से पलटी और डर गयी.
सुधीर ने कहा "सॉरी मैने आपको डरा दिया मुझे आक्च्युयली बाथरूम यूज़ करना था". डॉली मुस्कुराते हुए बोली "जी कोई नहीं". डॉली सुधीर को अपने कमरे के बाथरूम लेगयि और
शर्मिंदा होके बोली "सॉरी थोड़ा गीला है बाथरूम" सुधीर मुस्कुरकर अंदर चले गया.
डॉली वापस किचन चली गई और उसे एक दम से अपने गंदे कपड़े याद आए जो टाय्लेट के दरवाज़े पे
टाँगे हुए थे. सुधीर ने अपनी ज़िप खोली और पिशाब करने लग गया. पिशाब करते हुए उसने टाय्लेट के चारो
ओर देखा. दरवाज़े की तरफ कपड़े टँगे हुए देख के वो मचल गया. जैसे पिशाब आनी बंद हुई
उसने अपने हाथ से डॉली की जीन्स और टी-शर्ट को छुआ और हल्के से हटाने पे उसे एक काला स्ट्रॅप सा दिखा.
जब उसने कपड़े निकाले तो उसने काली ब्रा और पैंटी देखी. उन्हे देख के ही वो सूँगने लग गया.
एक महकती पसीने की खुश्बू आ रही थी. डॉली की पैंटी अभी भी हल्की सी नम थी. सुधीर ने ब्रा और पैंटी को
थोड़े समय अपने काले लंड पे रगड़ा. जब उसे लगा वक़्त ज़्यादा हो गया तो उसने कपड़े वैसे ही टाँग दिए
और टाय्लेट से निकला. जब वो कमरे के बाहर आया तो उसने नारायण को देखा और हाथ मिलाने चला गया. नारायण और उसने काफ़ी देर बात करी स्कूल भोपाल और इस घर के बारे में. सुधीर ने कहा सर अगर आप चाहे तो स्कूल
को अभी देख सकते है. नारायण ने भी ठीक समझा और तीनो निकलने लगे. नारायण ने डॉली को कहा
कि वो खाना आके ख़ालेगा. जब ये तीनो चले गये तो डॉली ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और सीधा
अपने टाय्लेट में गयी. कपड़े उसी जगह टँगे हुए थे.. उसको लगा कि वो खमखा ज़्यादा सोच रही थी. शाम के कुच्छ 5 बजे थे नारायण ने डॉली को फोन करके कहा कि वो सुधीर जी के साथ है अभी तो वो
नहीं जा पाएगा मार्केट... फिर उसने कहा कि मैने अब्दुल को भेज दिया है वो तुम्हे ले जाएगा गाड़ी में और
वापस छोड़ भी देगा तुम जल्दी से तैयार हो जाओ.... डॉली के पास सिर्फ़ एक लाल टॉप और एक सफेद स्कर्ट थी पहेन्ने
को तो उसने वोई पहेन लिया.... लाल टॉप उसके कंधो को ढक रहा था और उसकी लंबाई भी ठीक ठाक थी...
उसके घुटने उस सफेद स्कर्ट की लंबाई की वजह से ढके हुए थे... उसने नीचे एक सफेद हील वाली सॅंडल
पहेन ली थी... .. अच्छे से बाल को कंघी करके और उनको क्लिप से बाँध वो अब्दुल का इंतजार करने लगी....
काफ़ी देर हो गयी थी और अब्दुल का कोई पता नहीं था.. मोबाइल भी ऑफ था और इस बात से उसको गुस्सा आ रहा था...
फिर तकरीबन 5:45 घर की घंटी बजी और डॉली सोफे से उठ कर दरवाज़ा खोलने गयी... अब्दुल वहाँ खड़ा हुआ था
और डॉली को देखकर ही उसे माफी माँगने लगा... डॉली ने उसको कुच्छ नहीं बोला और अपना पर्स लेके
स्कॉर्पियो की बीच वाली सीट पे बैठ गयी... अब्दुल भी गाड़ी में बैठा और गाड़ी चलाने लगा...
अब्दुल दिखने में मान लीजिए राजपाल यादव जैसे था लेकिन उम्र में उसके पापा के जितना ही शायद उनसे 2-3 साल
बड़ा भी हो सकता था... कपड़ो में सदाहरण शर्ट पॅंट पहेनता था मगर तमीज़दार लगता था....
डॉली अंदर ही अंदर खुश हो रही थी कि वो स्कॉर्पियो गाड़ी में एक मालकिन की तरह बैठी हुई थी....
अब्दुल बीच बीच में उसको जगहो के बारे में बता रहा था जिसे वो बड़ी गौर से सुन रही थी...
कुच्छ आधे घंटे के बाद अब्दुल ने गाड़ी रोकदी... अब्दुल ने डॉली को बताया कि ये यहाँ की न्यू मार्केट है आपको
यहा पर काफ़ी कुच्छ मिल जाएगा.... डॉली को लगा कि अब्दुल जी को तंग करना ठीक नहीं रहेगा तो वो अपने
आप ही चली जाएगी....
डॉली गाड़ी से उतरी और मार्केट के अंदर घुसी... मार्केट में ठीक ठाक भीड़ थी तो डॉली सम्भल
सम्भल के दुकाने देखने लगी... बीच बीच में किसी से कंधे टकरा रहे थे या हाथो से हाथ च्छू रहा
था मगर डॉली ने उन बातो पे ज़्यादा ध्यान नहीं दिया... जैसे कि आप लोग जानते हो कि लड़कियों को अकेला
मार्केट में छोड़ दो तो उन्हे वहाँ से निकालना मुश्किल हो जाता है तो वोही हाल डॉली का भी था... वो 3 दुकान
में जाके एक चीज़ ले रही थी... समय ज़्यादा होने की वजह से उसके पास अब्दुल के 1-2 बारी कॉल भी आ गया था...
कुच्छ 8:30 बज गये थे और भीड़ अब कम होने लगी थी... डॉली ने काफ़ी समान खरीदलिया था जिसको अब
वो ज़्यादा देर तक पकड़के घूमने नहीं वाली थी तो उसने अब्दुल को कॉल करके मार्केट के अंदर बुलाया...
अब्दुल से मिलके उसने सारा समान उसको पकड़ा दिया और उसे आधा घंटा और माँग लिया...
अब्दुल ने उसको बताया की 9:15 के बाद मार्केट बंद होजाएगी तो आप जल्दी करिए गा... डॉली ने उसकी बात को सुनके
भी अनसुना कर दिया... अब वो खाली हाथ थी और सबसे ज़रूरत मंद चीज़ तो उसने ली नहीं थी...
फिर वो एक स्टोर के अंदर गयी जोकि ठीक ठाक लग रहा था... स्टोर का नाम गुप्ता आंड सोंस था...
अंदर जाते ही उसको एक सेल्समन दिखा जो डॉली को देख कर ही बोला "आइए मेडम क्या दिखाऊ आपको... टॉप्स? स्कर्ट?जीन्स?
डॉली ने उसकी बात को बीच में काटते हुए धीमी आवाज़ में कहा "मुझे इन्नर वेर चाहिए...'
वो सेल्समन मुस्कुराते हुए बोला "मॅम उसके लिए आपको उपर जाना पड़ेगा...."
डॉली ने फिर छ्होटी छ्होटी सीडीओ को देखा और उनपे सम्भल संभलके उपर जाने लगी...
उसे डर लग रहा कि कहीं वो गिर ना जाए... उधर वो सेल्समन डॉली की लहराती हुई स्कर्ट को देख रहा था...
सेल्समन डॉली की हिल्लती हुई गान्ड को देखकर अपने लंड को मसल्ने लगा... जब डॉली उपर पहुचि तो वहाँ
एक 35-40 साल का आदमी खड़ा था... शकल से वो काफ़ी कमीना सा लग रहा था... वो वाला फ्लोर लड़कियों/औरतो
के इननेरवेार से भरा था... काई लड़कियों के पोस्टर लगे हुए थे अलग अलग ब्रा और पैंटी में....
डॉली को देखते वो आदमी बोला "जी मेडम क्या देखना चाहेंगी आप'
डॉली ने बोला "मुझे इननेरवेार देखने थे"
सेल्समन " ब्रा और पैंटी दोनो दिखाऊ"
डॉली बोली " जी दोनो ही..."
सेल्समन ने डॉली के स्तन का आकार देख कर ही अनुमान लगा लिया था कि उसका साइज़ क्या होगा मगर फिर भी उसने
डॉली से पूछा
डॉली ने बोला "34 बी"
डॉली को देखकर वो समझ गया था कि ये मेह्न्गि पार्टी है तो वो थोड़े महँगा इंपोर्टेड ब्रास दिखाने लग गया....
काफ़ी तरीके की क्वालिटी थी वहाँ और कंपनी सिर्फ़ एक ही थी "फ्लॉरल"... इतनी सारी ब्रास को देखकर डॉली का दिमाग़
ही नही चल रहा था... कुच्छ सेमी ट्रॅन्स्परेंट वाली थी कुच्छ स्पोर्ट्स ब्रा थी कुच्छ बिना स्ट्रॅप वाली.....
डॉली को थोड़ा कन्फ्यूज़ देख कर सेल्समन बोला "मेडम आप चाहे तो चेंजिंग रूम में ट्राइ कर सकती है...
इश्स कंपनी की सबसे अच्छी बात ये है कि हर हर माल का साइज़ सेम होता है... अगर 34 लिखा है तो उतना ही होगा..... "
सेल्समन के कहने पर डॉली ने सारी तरीके की ब्रा उठाके ट्राइयल रूम के बारे में पुच्छने लगी....
उस आदमी ने उसे इशारे करते हुए उल्टे हाथ की तरफ जाने के लिए कहा.... ट्राइयल रूम में एक बहुत बड़ा
शीशा लगा हुआ था जिसको देख कर डॉली खुश हो गयी थी... उसने दरवाज़े को बंद कर्दिआ और अपनी टी-शर्ट
उतारके दरवाज़े के हुक पे टाँग दी.... अपनी पीट की तरफ हाथ लेजा कर उसने ब्रा खोलदी और उतारके साइड में
पड़े स्टूल पे रख दी.... डॉली ने अपने आपको शीशे में अधनग्न देखा... उस दुकान में एसी की
वजह से काफ़ी ठंढक थी और जैसी ही डॉली ने अपनी ब्रा उतारी तो उसके रॉगट खड़े हो गये....
उसने नज़र शीशे पे डाली तो उसके चुचियाँ भी काफ़ी सख़्त हो गयी थी... उसने फिर एक काली रंग की स्पोर्टा ब्रा
उठाई और उसको पहेंके शीशे में देखने लगी... वो ब्रा उसको पूरी तरह से फिट हो गयी थी...
उसके मम्मे उसमें पूरी तरह शूरक्षित महसूस कर रहे थे.... फिर उसे उतारने के बाद उसने एक नॉर्मल
वाली सफेद ब्रा पेहेन्के देखी तो वो भी उसके स्तन को अच्छी तरह से ढक रहे थे.... उस ब्रा में नीचे
की तरफ वाइयर लगी हुई थी जैसे की डॉली की अभी वाली ब्रा थी....
फिर उसने आखरी तर्कीके की ब्रा उठाई जिसमे एक गुलाबी रंग सेमी ट्रॅन्स्परेंट लेसी ब्रा उठाई और उसे पहने लिया...
उसको पहनने में उसे थोड़ी सी दिक्कत हुई मगर जब उसने सारे हुक्स लगा दिए तो शीशे में खड़े देखा
उसके स्तन काफ़ी बड़े और गोल लग रहे थे.... सबसे अच्छी बात उसकी ये थी कि वो अच्छा नज़ारा दिखाकर भी चुचियाँ
को छुपा रही थी... ऐसा ब्रा डॉली ने आज तक नहीं पहनी और इस्पे उसका दिल आ गया था... आख़िर में उसने
एक आखरी ब्रा उठाके पहनी जो पूरी तरह से उसे फिट नहीं हो रही थी... डॉली का अब वापिस कपड़े पेहेन्के बाहर
जाके बताने में आलस आ रहा था तो उसने वहीं से उस सेल्समन को बोला जोकि अपने लंड को सहला रहा था
डॉली के बारे में सोचके जोकि उसे कुच्छ कदम दूर नंगी खड़ी थी..."भैया ये सफेद रंग की ब्रा थी ना जिसपे सफेद
डॉट्स से वो फिट नही हो रही है इसका बड़ा वाला साइज़ दो"
सेल्समन बोला "मेडम वो पुश अप वाली ब्रा है आपको अपनी ब्रेस्ट उपर करके पहन्नी पड़ेगी" डॉली के सामने
ना खड़े रहने का उसने पूरा फ़ायदा उठाया और डॉली ये सुनके भी काफ़ी हैरान थी... खैर उसने जैसे तैसे करके
उस ब्रा के हुक लगा दिया मगर फिर उसे अजीब सा दर्द होने लगा..... उसने अपना हाथो से अपनी अपने
मम्मो को ठीक करा... उसकी ठंडी उंगलिया उसकी चुचियाँ को जैसे छुई वो एक दम से हिल गयी...
वो हल्के से एहसास में ही वो गरम हो गयी थी.... उसने शीशे में देखा कि उस ब्रा में स्तन का उपरी हिस्सा
सॉफ दिख रहा था...
उस सेल्समन ने जान के पूछा "मॅम हुक लग गये आपसे??" डॉली को उस सेल्समन की आवाज़ अब थोड़ी पास से सुनाई दी..
उसे लगा कि वो ट्राइयल रूम के बाहर खड़ा ही पुच्छ रहा है... डॉली ने जैसे ही हाँ कहा उस सेल्समन ने फिर कहा
"मॅम आप पैंटी भी ट्राइ करेंगी?? अभी अभी फ्रेश पीस आए है..."
डॉली को पैंटी तो लेनी ही थी तो उसने बोला "अच्छा मैं देखने आती हूँ"
सेल्समन ने बोला "माँ मैं आपको पकड़ा देता हूँ आप खमखा कष्ट करेंगी बाहर निकलने का... मुझे बस 2 मिनट दीजिए"
क्रमशः……………………….