Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास

जिस्म की प्यास--11

गतान्क से आगे……………………………………

फिर कुच्छ देर बाद फिरसे चेतन की पकड़ने की बारी आई. इस बारी फिर से ललिता चेतन के कमरे में छिप्ने गयी

मगर बिस्तर के पीछे छुपी क्यूंकी उसको लगा कि पर्दे के पीछे चंदर ही छिपा हुआ है. पर्दे और बिस्तर

में कोई ख़ास अंतर नहीं था... दोनो एक दूसरे से 2-3 फुट ही दूर थे... ललिता अपने हाथ और घुटनो को बल बिस्तर से

चुपक के छुपी हुई थी... उसका असली मकसद ये था कि वो अपनी गान्ड हवा में लहरा कर चंदर को पागल कर देगी

जोकि पर्दे के पीछे छुपा था....कुच्छ ही देर ललिता को पर्दे का हिलना महसूस हुआ और वो जान्गयि कि चंदर अब

उसके बदन को छुने की कोशिश करेगा. वो पर्दे से निकला और ललिता के पीछे फर्श पे घुटने के बल बैठ गया.

ललिता की गान्ड (फ्रॉक के अंदर) उसके चेहरे से कुच्छ ही दूर थी वो चाहता तो अपने होंठो से उसको चूम सकता.

उसने बिना सोचे समझे अपना हाथ बढ़ाया और ललिता के पैरों को छुआ. वो अपनी उंगलिया चलाकर ललिता की नंगी

टाँगो पे ले गया और उसकी फ्रॉक की तरफ जाकर रुक गया. फिर दूसरे ही पल में उसने अपनी 3 उंगलियाँ ललिता की

गुलाबी और सफेद रंग फ्रॉक के अंदर घुसा दी. और अब घबराता घबराता फ्रॉक के अंदर से उसकी जाँघो को छुने लगा. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर दंग रह गई. अब वो दोनो जाँघो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा. ललिता को

घबराहट में पसीना आने लगा था जोकि उन उंगलिओ को उसकी जाँघो पे सॉफ महसूस हो रहा था....

घबराहट में ललिता की टाँगें हिलने लगी थी मगर वो बाद हिम्मत दिखाकर वहाँ से हिली नहीं....

धीरे धीरे अपनी उंगलिओ ललिता की मोटी जाँघो से एक रेखा बनाकर वो उसकी पैंटी की तरफ ले गया.....

ललिता के नितंब को अब वो छू रहा था.... और फिर अपनी उंगलिया ललिता की पैंटी के उस तरफ ले गया जोकि शरम

के मारे गीली होने लगी थी.... बेशार्मो की तरह उसकी उंगलिया ललिता की चूत को रगड़ रही थी. ललिता को महसूस हुआ

की उसकी फ्रॉक को वो उपर कर रहा है और फिर दूसरे ही सेकेंड उसकी जाँघ पे एक गीली चूमि उसको महसूस हुई और वो वहाँ से घबराकर भाग गयी. ललिता कमरे के बाहर खड़ी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी... उसका माथा पसीने से लत्पथ था...

उसको अपने पे बहुत गुस्सा आया क़ी वो ऐसे भाग गयी थी मगर सच में पहली बारी वो इतना घबरा गयी थी....

लेकिन अब उसने सोच लिया था कि जितनी हिम्मत चंदर ने दिखाई है उसका इनाम वो उसको उसका इनाम ज़रूर मिलेगा....

उसके कुच्छ देर बाद बारी चंदर की आई पकड़ने की तब ललिता बिल्कुल चंदर के पीछे खड़ी गयी. बाकी सब कहीं

ना कही छुपे हुए थे और चंदर आँख बंद कर गिनती गिन रहा था. जैसी ही चंदर ने आँख खोली तो ललिता

उसके सामने खड़ी थी. हैरान परेशान चंदर के पसीने छूट गये. ललिता ने चंदर का हाथ पकड़ा और

अपने मम्मे पे रख दिया (जोकि टॉप/ब्रा के अंदर थे). चंदर को कुच्छ समझ आता उसके पहले ही ललिता चंदर का

हाथ हल्के हल्के अपने मम्मो पे दबाने लगी. चंदर को लग रहा था कि अब उसको दिल का दौरान ना पड़ जाए.

चंदर आगे बढ़ा और ललिता के होंठों चूम लिया. दोनो ने 2-3 सेकेंड के लिए अपने होंठ और ज़ुबान मिला कर रखे.

ये चंदर का पहला चुंबन था और उसको सपने में नहीं लगता था कि उसको उसके सबसे अच्छे दोस्त की बड़ी बहन ये ख़ुशनसीबी देगी. चंदर ने फिर बाकी सबको पकड़ लिया और खेल फिर बंद कर दिया.

पूरी रात चंदर और ललिता एक दूसरे को देखे जा रहे थे या फिर जानके एक दूसरे को छुके अंजान बन रहे थे.

जब सोने का समय आया तब चारो दोस्तो ने साथ में सोने का सोचा. ललिता ने बोला "तुम लोग एक कमरे या बिस्तर

पे तो आ नहीं पाओगे तो ऐसा करो कि बाहर गद्दे बिच्छा लो और सो जाओ". चेतन बोला "और आप कहाँ सोगे."

ललिता ने कहा "मैं तो अपने कमरे में ही सोउंगी.. मेरे पास मम्मी के कमरे की चाबी है तो उनके बिस्तर के गद्दे

ले लेना तुम लोग. जब ललिता ने मम्मी का कमरा खोला तो चारो लड़के गद्दे उठाने लगे. पर ललिता की नज़र वहाँ रखी हुई नींद की गोलिओ पे पड़ी. ललिता ने चुपके से वो उठा ली. ललिता को एक ज़बरदस्त प्लान सूझा और जब बिस्तर वगेरा लगगया तब ललिता ने पूछा "क्या किसी को पेप्सी पीनी है?" सबने हां करदी और ललिता किचन में चली गयी.

ललिता ने बड़ी चालाकी से चेतन,अल्ताफ़ और मयंक के ग्लास में दो-दो नींद की गोलिया डाल दी और सबको ग्लास पकड़ा दिया और खुद अपने कमरे में चली गयी सोने का नाटक करने.

ललिता चंदर का इंतजार करते करते सो गयी.... फिर काफ़ी घंटे बाद तकरीबन 2:30 बजे रात के ललिता के कमरे

का दरवाज़ा खुला. दरवाज़े की आवाज़ से ललिता की नींद टूट गयी. पूरे कमरे में अंधेरा था और ललिता एक चद्दर

ओढ़ के लेटी हुई थी बिस्तर पे. ललिता चुप चाप चंदर के बिस्तर के पास आने का इंतजार करने लगी. उसने दरवाज़ा

बंद करा और शायद कुण्डी भी लगा दी और दबे पाओ ललिता के बिस्तर तक आया..... बिस्तर के पास आके

ललिता के चेहरे क पास खड़ा हो गया. पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था और वो गद्दे को छुता छुता

ललिता के बालो को छुने लगा. हल्के हल्के वो ललिता के बालो को सहलाने लगा..... ललिता अभी भी चुप चाप लेटी

हुई थी शायद उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें..... फिर उसने अपने हाथ से ललिता के हाथ को हल्के से छुआ. उसको लग रहा था कि ललिता सच्ची में गहरी नींद में सो रही है. जब उसको भरोसा हो गया तो धीरे धीरे

ललिता की पतली चादर को हटाने लगा और हटा के ज़मीन पे फेक दी. उसके सामने ललिता एक ज़िंदा लाश की

तरह बिस्तर पे पड़ी थी.... ललिता अभी भी उसी टॉप और फ्रॉक में लेटी हुई थी. फिर वो अपना हाथ ललिता की चिकनी

टाँगो पे ले गया... अपना हाथ उनपे फेरता फेरता हुया घुटनो तक ले गया. ललिता इंतजार कर रही थी कि शाम की तरह

वो उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डालेगा मगर वो उनको ललिता के पेट की तरफ ले गया और फिर सीधा अपने दोनो हाथो

को ललिता के स्तनो पे रख दिया. हल्के हल्के वो मम्मो को दबाने लगा जोकि अभी टॉप और ब्रा में क़ैद थे.

ललिता के मोटे मोटे मम्मो को च्छुकर उसका लोड्‍ा जागने लगा था.... उसने अपनी एक उंगली ललिता के होंठो पे रखी और

उनके अंदर घुसा कर ललिता के दांतो पे चलाने लग गया जैसे कि ब्रश कर रहा हो.... अब उसने अपना चेहरा

झुकाया और ललिता के होंठो को चूमने लगा. अपनी ज़ुबान को वो ललिता के मुँह में घुसाने लगा और ललिता

ने भी उसे उसकी चाह पूरी करने दी. उसके हाथ अभी भी ललिता के मम्मे को दबा रहें थे.

अब वो और नहीं रुक सकता था.. उसने अपने हाथो को बढ़ाया और ललिता के गुलाबी टॉप के अंदर घुसा दिया.

ललिता के कोमल पेट के उपर अपना हाथ फेरते हुए उसके मुँह में पानी आ गया और ऐसा ही हाल ललिता का भी था.

उसने टॉप को दोनो तरफ से पकड़ा और एक ही झटके में उतार दिया. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर एक बार फिर दंग रह गयी.

ललिता इंतजार कर रही थी कि अब ये ब्रा के हुक्स को कैसे खोलेगा मगर उसने हुक खोलने में समय बर्बाद

नहीं करा और ललिता की ब्रा को आगे की तरफ से फाड़ दिया. बड़ी बेदर्दी वो ललिता के स्तनो को मसल्ने लगा और फिर

दूसरे ही पल उसने अपनी शर्ट उतारी और ललिता के बदन से लिपटने लग गया. अपनी उंगलिओ से ललिता के चूची को दबाने लगा. ललिता की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी अब. ललिता के अंगो को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा और साथ साथ उसके चूचियो को मसल्ने लगा.
 
"और ज़ोर से दबाओ चंदर और ज़ोर से" ललिता ने बड़ी उत्सुकता से ये कह दिया. ये सुनके उसके हाथ वही रुक गये....

ललिता ने अपने हाथो से उसके हाथो को पकड़ा और मम्मो को दबाना शुरू करा.... उसको जैसे कि पूरी आज़ादी मिल

गयी हो और अब वो ज़ोरो से चूचियो को दबाने लगा. ललिता से भी अब ये सती सावित्री नही बना जा रहा था और वो

उठ कर बिस्तर पे बैठी और उसको चूमने लगी. दोनो की ज़ुबान पैच लगाने लगी थी. ललिता ने उसके ट्राउज़र और

कच्छे को नीचे कर दिया और उसका लंड अपने हाथ में ले लिया. इस बारी ललिता को लंड ज़्यादा मोटा लगा और वो

खुशी खुशी उसको चूसने लगी. हल्की हल्की आ उसके मुँह से निकलने लगी. ललिता ने उसको बिस्तर पे लिटा दिया और उसकी टाँगो पे चढ़ कर लंड को चूसने लगी. ललिता की उंगलिया उसके आंडो को से खेलने लगी और वो ललिता के स्तनो

को फिरसे दबाने लगा जोकि एक फल की तरह लटक रहे थे. ललिता फिर उसके उपर से हट गयी और धीरे से कहा

"अब मेरी बारी है." उसने फिर "ह्म्म" कहा और ललिता को अपनी गोद में लेके बिस्तर पे लिटा दिया. धीरे धीरे उसने

ललिता की फ्रॉक उतार दी और फिर उसकी पैंटी. ललिता अपने बिस्तर पे नंगी पड़ी हुई थी अपने भाई के दोस्त के साथ.

उसने दोनो हाथो से ललिता को टाँगो को पकड़के चौड़ा कर दिया.... अब वो अपनी ज़ुबान से ललिता की गीली चूत को वो

चाटने लगा. चाटना फिर चूसने में बदल गया. ललिता के मुँह से हल्की हल्की सिसकिया आने लगी जिसे सुनके वो और

उत्साहित होकर ललिता की फुद्दि से खेलने लगा. ललिता का बदन टूटने लगा था. जैसे कि आप जानते है कि ललिता

किसीसे भी चुदि नहीं थी मगर अब वो इतनी गरम हो गयी थी कि उसने सिसकियाँ लेते हुए कहा

"चंदर मैं चुद्ना चाहती हूँ... क्या तुम मुझे अभी इसी वक़्त चोदोगे" ये सुनके उसका लंड और भी ज़्यादा सख़्त हो गया था.

उसने ललिता की टाँगें अपने कंधे पे रखी और अपने हाथ उसकी जाँघो पे. उसने दिखावा करा कि वो अपने लंड पे टोपी

लगा रहा है और फिर हल्के से अपने लंड को ललिता की गीली चूत में डालने लगा. ललिता ने अपनी आँखें बंद करली थी

क्यूंकी उसको पता था कि काफ़ी दर्द होगा. उसने अपने लंड को अंदर घुसाया और ललिता के मुँह से चीख निकल गयी.

ललिता बोली "चोदो मुझे कोई नहीं उठेगा..मैने सबको नींद की गोली पिला दी थी."

हौले हौले अपने लंड वो अंदर डाले जा रहा था और ललिता की गीली चूत उसकी मदद कर रही थी.

अब वो अपने बदन को हिलाने लग गया. उसके अंडे ललिता की गान्ड से टक्कर खा रहें थे. अब वो अपनी रफ़्तार

बढ़ाने लग गया. दर्द के मारे ललिता की जान निकली जा रही थी. फिर वो धीरे होने लगा और बिस्तर पे लेट गया..

ललिता को पकड़ के कहा "अब तुम कूदो लंड पे" ललिता उसके बदन पे चढ़ि और अपने हाथ से उसके लंड को

अपनी चूत में डालने लगी. अब वो रफ़्तार पकड़ ने लगी. उसके हाथ में ललिता के मम्मे थे और वो बड़ा मज़े

में उनके दबा रहा था. ललिता का दर्द भी अब मज़े में बदल गया था.ललिता के नाख़ून उसकी छाती पर

गढ़े हुए थे..... अपने जिस्म को अब वो उसके लंड पे घुमाने लगी थी. पूरे कमरे में सिसकीओ की आवाज़ भर गयी थी.

दोनो को कुच्छ होश नहीं था और ललिता होश में तब आई जब उसे उसकी चूत में से खून आने लगा.... ललिता वहाँ से जाना चाहती थी मगर उसने ललिता के हाथो को जाकड़ लिया और अपना लंड ललिता की चूत में मारने लगा.... ललिता की चूत में बहुत भयंकर दर्द होने लगा.... फिर ललिता को राहत मिली जब उसने अपना सारा पानी ललिता की चूत में डाल दिया..... जैसी ही उसके हाथो को आज़ादी मिली वो सीधा टाय्लेट की ओर भाग गयी..... खून काफ़ी गिरने लगा था. ललिता किसी तरह तौलिए से उसे रोकने लगी.... . काफ़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो कमरे में कोई नहीं था. वो कमरे के बाहर गयी तो उसने देखा कि सब सो रहे थे. ललिता ने अपने कपड़े बदले और कुच्छ देर बाद सो गयी.

ललिता की सुबह आँख खुली तो उसके बदन में बेहद दर्द हो रहा था... वो बिस्तर के सहारे उठ कर बैठी

और कल रात के बारे में सोचने लगी.... चंदर ने उसकी जान ही लेली थी कल ये सोचके वो अपनी चूत की

तरफ जो दर्द हो रहा था उसको महसूस करने लगी..... उसने जब देखा की कितने खून के धब्बे है उसके बिस्तर

पे तो उसका दर्द और बढ़ गया... उसने कमरे का दरवाज़ा धीरे से खुलते देखा तो उसके सामने

उसकी मम्मी शन्नो खड़ी थी.... ललिता ने एकदम से बिस्तर को रज़ाई से ढक दिया ताकि उसकी मम्मी की नज़र उस

खून से लत्पथ बेडशीट पे ना पड़े.....ललिता ने अपना दर्द उसके सामने ज़ाहिर नही होने दिया और

वो उठ कर अपने कमरे के बाहर गयी.... उसे बाहर कोई नही दिखा फिर वो अपने भाई के कमरे में जाने लगी तो

शन्नो ने बोला "ललिता चेतन चले गया है और शाम को ही आएगा...". ललिता को समझ आ ही गया

था कि बाकी सब भी वापस अपने घर चले गये है. ललिता को काफ़ी गुस्सा आया चंदर पे कि

वो उसे बिना मिले चले गया और उसने ठान ली कि वो आज के बाद उसके चेहरे पे थूकेगी भी नहीं.

उस दिन घर पे फोन पर कयि सारे कॉल आए मगर किसी ने भी एक बारी भी कुच्छ नहीं कहा....

केयी बारी फोन ललिता ने उठाया और जब वो परेशान हो गयी तो शन्नो ने फोन उठाकर उस कॉल करने

वाले को एक अच्छी सी झाड़ लगा दी जिसके बाद वो कॉल आना बंद हो गयी.... ललिता को लगा कि उसको भी अपनी

मम्मी की तरह सख्ती से पेश आना चाहिए और मज़बूत बनना चाहिए....
 
उधर दूसरी ओर भोपाल में दोस्ती की शुरुआत हो गयी थी. डॉली और राज रात भर एक दूसरे को स्मस

करते रहते थे. डॉली ने राज को अपने बारे में सब कुच्छ बता दिया था और जब डॉली ने राज से उसके

बारे में पूछा तो उसने बताया कि मैं इकलौता बच्चा हूँ और अपना घर के बारे में बताया

जोकि डॉली के घर से 10 मिनट ही दूर था. उसने बताया कि उसकी पहले 3 ही गर्ल फ्रेंड रह चुकी है जिनमें

से 1 को वो बहुत चाहता था. फिलहाल वो किसी अच्छी लड़की की तलाश में है जो उसको समझ पाए.

दोनो का घर पास होने की वजह से वो कुच्छ बार एक दूसरे से मिल भी पाए है हालाकी मिलना कभी भी

15 मिनट से ज़्यादा नहीं हुआ.

दोपहर के 1:40 बज रहे थे डॉली का मोबाइल बजा. "हाई डॉली कैसी हो" राज ने उत्साहिक होके पूछा.

डॉली ने कहा "मैं ठीक हूँ तुम कहाँ हो"

राज ने कहा "मैं बस तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हुआ. "कियेययाया" डॉली ये कहके दरवाज़ा खोलने गयी.

दरवाज़ा जब खुला तो राज उसके सामने अपने स्कूल के कपड़ो में बस्ता टाँगें हुए खड़ा था.

वहीं डॉली एक नीले रंग के ट्राउज़र और सफेद रंग की टीशर्ट में थी. दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए और

फिर डॉली ने राज को अंदर बुलाया और दोनो डॉली के कमरे में चले गये. राज घर की ख़ासतौर

से डॉली के कमरे की काफ़ी तारीफ कर रहा था. डॉली ने उसे पूछा "क्या पीओगे तुम" राज ने जूस बोला.

जब डॉली जूस लेके आई तो राज अपने जूते उतारकर आराम से बिस्तर पे बैठा था.

डॉली ने उसको देख कर कहा "अर्रे वाह बिना पूच्छे बिस्तर पे बैठ गये" राज ने जल्दी से कहा

"मेरे प्रिन्सिपल का घर है आराम से ही तो बैठूँगा"

यह जवाब सुनके डॉली हँसने लग गयी और बोली "अगर उनको पता चल गया कि उनका होशियार पढ़ाकू बच्चा

अभी उनके घर पे है तो तुम्हारी खैर नहीं" राज घबराते हुए बोला "क्यूँ डरा रही हो यार."

कुच्छ देर बात करने के बाद राज बोला "यार काफ़ी प्यास लग रही है." डॉली बोली "मैं तो मग्गी खाने वाली थी..

तुम खाओगे?

राज ने हां बोला और दोनो किचन में मग्गी बनाने गये. दोनो ने काफ़ी देर इधर उधर की बात की और

वापस अपने कमरे में आके बैठ गये. जैसे ही बैठे वैसे घर की घंटी बजी और डॉली घबराने लग गयी.

"अब क्या करें पापा को पता चल जाएगा.... कुच्छ करो यार" डॉली घबराने लग गयी.

राज ने जल्दी से कमरे की खिड़की खोली और वहाँ से बाहर चला गया. डॉली बिल्कुल शांत होकर अपना

पसीना पौंचती हुई दरवाज़ा खोलने गयी. नारायण वही खड़ा था और डॉली के इतना समय लगाने की

वजह से काफ़ी खफा था.... डॉली उससे माफी माँगकर वापस अपने कमरे पहुचि उसने अपने

फोन पे राज का मैसेज देखा और उसमें लिखा था कि आज रात वो डॉली से मिलने आएगा.

डॉली ने उसको फिर मैसेज लिखा मगर राज ने कोई जवाब नहीं दिया. पूरे समय सोचने लग गयी कि राज

कैसे आएगा और क्या उसका आना ठीक होगा. हर अगले सेकेंड उसके दिमाग़ में वोई ख़याल आ रहा था....

रात के वक़्त वो राज का इंतजार करती रही.... घबराहट के साथ साथ उसको बेचैनी सी हो रही थी....

मगर इंतजार करते करते कब उसकी आँख लग गयी उसको पता ही नही चला. जब वो सुबह उठी तो वो हद से

ज़्यादा नाराज़ हो गई थी राज से मगर फिर भी वो राज के मैसेज का इंतजार करती रही मगर राज का

कुच्छ पता नहीं था. कमरे की लाइट्स बंद थी और डॉली बिस्तर पे मायूस होके लेटी थी....

रात के करीबन 12 बज रहे थे और अचानक डॉली को किसी के खटखटाने की आवाज़ आई.

उसे वो आवाज़ खिड़की की तरफ से आ रही थी तो वो जल्दी से उसकी तरफ भागी और परदा हटा के देखा

कि वहाँ राज खड़ा हुआ है.... उसको देख कर डॉली मन ही मन खुश हो गयी. डॉली ने खिड़की

खोली और राज खिड़की से अंदर आ गया डॉली के कमरे में. डॉली ने हल्के से राज को चाँटा मारते

हुए पूछा "क्यूँ मोबाइल कहीं फेक दिया है... एक मैसेज भी न्ही किया" "क्यूँ कोई मेरे मैसेज का वेट कर रहा था"

राज ने तुरंत उसको जवाब दिया.

"नहीं कोई भी नहीं.. मैं तो ऐसी ही पुछ रही थी.. मगर क्या पता आपके प्रिन्सिपल आपका इंतजार कर रहे होते...

. बोलो यहाँ क्यूँ आए हो?" डॉली ने इरिटेट होके पूछा. राज जाके बिस्तर पे बैठा और बोला

"बस मन करा मेरा तो आ गया." डॉली भी बिस्तर के दूसरी तरफ जाके बैठ गयी.

"बताओ ना क्या तुम मेरा इंतजार कर रही थी" राज ने की आँखों में आँखें डालके फिर से पूछा......

डॉली के पास कुच्छ जवाब नही था तो उसने टीवी ऑन कर दिया... फिर दोनो टीवी देखने लगे.

टीवी की रोशनी से दोनो एक दूसरे की शाक़ल और बदन को देख पा रहे थे... राज डॉली के चेहरे से नज़र

हटा ही नही रहा था और डॉली को ये बात पे बहुत शरम आ रही थी.... डॉली को तंग करने लिए टीवी

पे जो भी चीज़ उसको देखनी थी राज उसको हटा देता.

डॉली ने राज को घूरते हुए कहा "ये मेरे नाख़ून देख रहे हो.... अगर रिमोट नहीं दिया तो नोच

दूँगी तुम्हारे चेहरे को" राज भी बोला "बस की है तो लेले रिमोट."

ये सुनके डॉली ने राज के दोनो हाथ को कस्के पकड़ लिया और रिमोट छीनने की कोशिश करी. राज भी

उससे मज़े ले रहा था. डॉली ने नाख़ून से राज की कलाई को नौच दिया और राज को रिमोट छोड़ना पड़ा.

जैसी ही डॉली ने हाथ बढ़ा कर रिमोट को दबोचा राज ने उसके अपने पंजो से डॉली के पंजो को

जकड़ा और ताक़त लगाकर उनको बिस्तर से चुपका दिया.... डॉली पूरी तरह बिस्तर पे लेटी थी और राज उसके

2 फुट दूर बैठा मगर उसका हाथ डॉली के स्तन को साइड से च्छू रहा था और जब डॉली अपने आपको छुड़ाने की

कोशिश करती तो उसकी और स्तन की तकरार होती रहती.... "अब बोल रिमोट देगी कि मैं भी नौचु तुझे."

राज ने गुस्से में बोला.

क्रमशः……………………….
 
जिस्म की प्यास--12

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली ने रोने वाली शक़ल बनाते हुए कहा"मेरे लग रही है राज हटो प्लीज़." राज ने झट से डॉली

को छोड़ दिया और माफी माँगने लगा. डॉली अपने कपड़े ठीक कर बिस्तर से उठी और राज को

चिडाने लगी रिमोट दिखा कर के. राज को इस हार से कोई दिक्कत नहीं हुई.

कुच्छ देर बाद राज ने डॉली से पूछा "तूने कभी भोपाल घूमा है रात में" डॉली ने कहा "नहीं..क्यूँ."

राज बोला"अर्रे भोपाल रात में नहीं देखा तो फिर क्या देखा.. चल अभी चल मैं गाड़ी लेके आया हूँ."

डॉली हैरान होके बोली "पागल हो गये हो मैं कैसे जा सकती हूँ पापा आ गये तो" " अभी तक तो आए नहीं

है तो कोई भी नहीं आएगा.. घबरा मत" राज डॉली को तसल्ली देते हुए बोला.

फिर राज ने कहा"सुन तकिया लगा बिस्तर पर और रज़ाई डाल दे और बत्ती बंद रहने दे... कोई भी आके देखने

नहीं वाला कि तू लेटी हुई है कि नही.." डॉली ने फिरसे राज को मना करा..

राज फिर बोला "मैं 1 साल से ये करता आ रहा हूँ किसिको नहीं पता चलता.. करके तो देख.."

डॉली ने मना कर दिया.. "मेरे लिए प्लीज़" राज ने हाथ जोड़ के कहा..

डॉली ने उसकी बात मानलि और कपड़े बदलने गयी. राज बोला "पागल हो गयी इतनी अच्छी लग रही है ट्राउज़र

और टीशर्ट में.. कोई नहीं देखने वाला हम गाड़ी से उतरेंगे थोड़े ना".

फिर राज खिड़की से बाहर निकला और उसने डॉली की मदद करी बाहर निकलने में.... दोनो गाड़ी में बैठके

भोपाल देखने चले गया. डॉली को नहीं पता था कि भोपाल रात में इतना खूबसूरत लगता होगा.

15 मिनट बाद राज ने डॉली को वापस छोड़दिया. फिर ये सिलसिला चलता रहा. राज और डॉली रोज़ रात को

निकल जाते थे घूमने के लिए. फिर एक दिन जब डॉली गाड़ी से उतरने लगी घर जाने के लिए राज

ने भारी आवाज़ में बोला "डॉली आइ लाइक यू" डॉली ये सुनके चौंक गयी और कुच्छ सेकेंड के लिए वहीं घुरती रही .. फिर उसने एक बारी भी पिछे नहीं देखा और अपने घर में चली गयी. बिस्तर पे लेटके उसने राज को कॉल करा.

डॉली: राज मेरे में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हे देख कर तुम्हे जवाब दे पाती.

राज (थोड़ा घबराया हुआ): मैं कोई ज़बरदस्ती नही चाहता यार... बस मैं इतना जानता हूँ कि इन्न कुच्छ दिनो

में मैं तुम्हारे काफ़ी करीब आ गया हूँ और पता नही क्यूँ मुझे लगता है कि तुम भी मेरे करीब आ गयी हो.

डॉली (धीमी आवाज़ में): मैं पहले भी किसी से प्यार करती थी और उसने मुझे धोका दिया और अब मैं

फिरसे धोका बर्दाश्त नहीं कर पाउन्गि.

राज ये सुनके चुप हो गया..

डॉली कुच्छ दे बाद बोली: ये कुच्छ दिन जो हमने साथ में बिताए है ये बहुत खूबसूरत थे....

और मैं इन्हे खोना नहीं चाहती..

और हां आइ लाइक यू टू

राज ये सुनके हद से ज़्यादा खुश हो गया और खुशी से चिल्लाने लगा... राज की खुशी देख कर डॉली भी काफ़ी

खुश हो गयी..

राज:तो मैं मिलने आ सकता हूँ??

डॉली: पागल रात के 2:30 बज गये अब तो रहने दो... हम कल मिलते है ओके??

राज: ठीक है डॉली जैसे तुम कहो...

फोन काटने के बाद राज और डॉली रात भर एक दूसरे के बारे में सोचते रहे.. राज हद से ज़्यादा

खुश था और डॉली खुशी के साथ साथ घबराई भी थी क्यूंकी राज उससे 4 साल छोटा था और वो नहीं

चाहती थी कि इसकी वजह उनके रिलेशन्षिप में कोई दिक्कत आए.. [दोस्तो आप सोच रहे होंगे कि भोपाल मे

राज कहाँ से आ गया तो दोस्तो मैं आपको बता दूं कि ये दूसरा राज था]
 
सुबह के 7 बजे डॉली का फोन बजा और उसने आधी नींद में उठाया... "डॉली मैं कल रात से तुम्हारे

बारे में सोच रहा हूँ और मैं फिर से कहना चाहता हूँ कि लाइक यू अलॉट और मैं पूरी कोशिश करूँगा कि

मेरी तरफ से हमारे रिलेशन्षिप में कोई दिक्कत ना आए...मैं बस तुमसे मिलने को बेताब हूँ"...

डॉली बोली "पहले स्कूल जाके आओ फिर रात में मिलते है क्यूंकी आज पापा घर पे ही होंगे...

डॉली ने जान के राज से झूठ बोला क्यूंकी वो राज से मिलने में थोड़ा कतरा रही थी. बस वो ये दुआ

कर रही थी कि राज को उसके पापा आज स्कूल में दिखाई ना दे और ऐसा ही हुआ. जैसी ही स्कूल ख़तम हुआ राज

ने डॉली को फोन करा और उससे जी भर के बात करी. डॉली ने राज से वादा करा कि आज रात को वो

ज़रूर मिलेंगे और राज ने उसके लिए एक सरप्राइज भी रखा था.

स्कूल में नारायण के कहने पर सुधीर को सेक्रेटरी/टीचर से हटाकर सीधे पर्सनल आड्वाइज़र टू प्रिन्सिपल

बना दिया था... स्कूल में कोई वाइस प्रिनिसिपल ना होने के कारण वो काम भी सुधीर के उपर डाल दिया था....

नारायण सुधीर के काम और दोस्ती से काफ़ी खुश था इसलिए उसने सुधीर को इतनी बड़ी पोस्ट देदि.... उधर सुधीर

भी सातवे आसमान पर था अपनी इस कामयाबी को देखकर... फिर नारायण के लिए एक नये सेक्रेटरी की

तलाश शुरू हो गयी थी और ये ज़िम्मा सुधीर के उपर ही था क्यूंकी उसे उस पोस्ट और नारायण सर के बारे

में सब कुच्छ पता था.... सुधीर ने इंटरव्यू की प्रतिक्रिया शुरू करी जिसमे से उसने 3-4 लोगो को शॉर्टलिस्ट

कर दिया और अगले दो दिन में ही उसने एक को सेलेक्ट भी कर लिया.....

दिल्ली में शन्नो के लिए माहौल बड़ा रूखा सूखा बीत रहा था... उसके दोनो बच्चे स्कूल में थे और

वो अपने घर की चार दीवारी में बैठी हुई थी... कभी झाड़ू मारकर तो कभी कपड़े धोकर अपना

वक्त काटने की कोशिश कर रही थी... फिर फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी... जब शन्नो ने फोन उठाया तो

फिर से किसी ने कुच्छ जवाब नही दिया और शन्नो को लग गया कि ये फोन उसकी बेटी के लिए ही हो रहा है....

शन्नो ने ठान ली थी कि अगर अब इसने फोन करा तो अब उस लड़के को इतना सुनाएगी कि फोन उठाना तक

भूल जाएगा.... कुच्छ देर बाद फिरसे फोन बजा और शन्नो ने गुस्से में फोन उठाकर

चिल्लाना शुरू कर दिया... इतनी चिल्ला पुकारी सुनके नारायण घबरा गया और शन्नो से चुप होने के लिए बोलने लगा.... नारायण से बात करने के बाद शन्नो को इतना गुस्सा आया कि उस लड़के की वजह से उसने अपने पति

को भरा भुला कह दिया.....

उधर दिल्ली की शाम को ललिता के मोबाइल पर एक मेसेज आया. वो किसी अंजान नंबर. से आया था और जैसे ही

उसने मैसेज पड़ा तो वो खुश हो गई. मेसेज पे लिखा था "हाई ललिता बड़ी हिम्मत जुटा के मैं तुम्हे

मैसेज कर रहा हूँ... अगर तुम मुझसे बात करना चाहती हो तो मुझे आज रात तक इस नो. 9902192क्षकशकश पे मैसेज करना." ललिता चाहती तो उसी वक़्त मैसेज कर देती मगर सबसे पहला काम उसने अपने भाई के मोबाइल पर चंदर का नंबर. देखा और दोनो नंबर. एक ही थे. ललिता ने उसको तुरंत ही मैसेज कर दिया. दोनो ने कुच्छ देर बात करी मगर

फिर ललिता ने उसको बोला कि वो रात में उसे बात करेगी.

रात के कुच्छ 12:30 बज रहे थे और राज ने डॉली को मिस्ड कॉल मारी. डॉली जल्दी से खिड़की के बाहर गयी

और राज की गाड़ी की तरफ बढ़ने लगी. खुशी के साथ साथ उसको घबराहट भी थी. डॉली एक हरे रंग

के सलवार कुर्ते में थी. गाड़ी में बैठने के बाद दोनो गाड़ी में इधर उधर घूमते रहे.

राज ने माहौल पूरी तरह हस्सी मज़ाक का कर रखा था और इसी वजह से डॉली भी खुश थी.

जब राज ने डॉली के घर के पास गाड़ी रोकी तो उसने पीछे की सीट में से चॉक्लेट्स का डब्बा निकाला और

डॉली को दिया. डॉली को चॉक्लेट्स बहुत पसंद थी और राज ने उसके ये देके और खुश कर दिया.

डॉली जब बाहर निकली तो राज के दरवाज़े के पास गयी और अचानक से उसके गाल को चूम के थॅंक्स बोल दिया

और राज खुशी के मारे पागल हो गया था....
 
डॉली की बहन ललिता भी काफ़ी खुश थी चंदर से बात करके.. अभी तक किसी ने भी जो भी हो चुका उसके बारे

में जिकर नहीं किया था. फिर ललिता को मेसेज मिला उसमें लिखा था "ललिता मैने कभी भी किसी

लड़की के साथ वो सब नहीं करा था जो तुम्हारे साथ करा था और सच बोलू मुझे इतना अच्छा कभी नहीं

लगा था. ललिता को ये पढ़ के और भी खुशी हुई मगर काफ़ी दिन उसने इंतजार में लगा दिया था और अब वो

नहीं लड़ सकती थी तो उसने चंदर से पूछा "मेरे साथ तुमने क्या करा था : "

चंदर ने लिखा "सेक्स" फिर ललिता लिखती हिन्दी में बोलो मुझे मज़ा आता है"

फिर चंदर ने जवाब दिया "मैने जब तुम्हे देखा था मेरा लंड तभी मचल गया था और जब तुम्हे चोदा

तो मानो मैने जन्नत पाली हो.' ये पढ़ के ललिता भी पूरी तरह मचल गयी और उसने पूछा

"फिर कब करने का इरादा है " उसने लिखा "जब आपकी इच्च्छा हो.. मैं तो हमेशा तैय्यार हूँ "

अगले दिन जब नारायण स्कूल में पहुचा तो उसके कमरे में एक बहुत ही ज़्यादा सुंदर लड़की खड़ी थी....

हलकी नारायण ने उसका चेहरा नही देखा क्यूंकी वो पीठ करके खड़ी हुई थी मगर पीछे से ही देखने में

वो काफ़ी हसीन लग रही थी.... जब नारायण ने अपने गले से हल्की सी आवाज़ निकाली तो वो लड़की एक दम से

घूमी और उसको देखकर गुड मॉर्निंग सर बोलने लगी..... उस लड़की को आगे से देखकर नारायण की कुच्छ सेकेंड

के लिए बोलती बंद हो गयी.... वो फिलहाल तो एक सफेद पर्पल सलवार कुर्ते में थी दुपट्टे के साथ मगर वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.... नारायण ने उसे बड़े प्यार से पूछा "जी आप कौन"

उस लड़की के जवाब देने से पहले ही पीछे से सुधीर आ गया और बोला " नारायण सर ये आपकी नयी सेक्रेटरी है...

इनका नाम मिस. रश्मि मिश्रा है... मैने कल ही इन्हे अपायंट करा है" ये सुनके नारायण खुश हो गया था

कि पहली बारी उसके पास कोई लेडी सेक्रेटरी होगी और वो भी दिखने में अच्छी थी... हाइट में लंबी

तकरीबन 5 फुट 5 इंच बदन से बिल्कुल पतली... बाल काले कंधे तक थे और अच्छे से बँधे हुए...

चेहरा मासूम गोरा बदन और आँखों पे काला मास्कारा लगा हुआ था और उनपे एक चश्मा..

उसकी गान्ड काफ़ी एक दम टाइट थी और मम्मे भी छोटे थे तकरीबन 34 बी... ये मानलो दिखने में वो

शरीफ रिया सेन लग रही थी....तीनो फिर साथ में असेंब्ली के लिए नीचे उतरे... नारायण की नज़र

काफ़ी बच्चो पर पड़ रही थी जो रश्मि को आगे पीछे से घूर जा रहे थे....

फिर जब ललिता और चेतन स्कूल गये हुए थे फोन की घंटी फिर से बजी और ललिता ने फोन उठाया के हेलो बोला...

एक अजीब सी आवाज़ में एक शक़्स ने बोला "हेलो मॅम... कैसी है आप?? "

शन्नो ने वो आवाज़ अभी तक सुनी नही थी उसने पूछा "सॉरी आपको पहचाना नहीं...आप कौन बोल रहे है??"

उस आदमी ने कहा "हॉ...आप ने मुझे पहचाना नहीं??? वैसे तू पहचान भी नहीं सकती क्यूंकी मैं हॉलो मॅन हूँ" ये बोलके वो हँसने लग गया

"क्या बकवास का रहे हो" शन्नो गुस्सा होके बोली

हॉलो मॅन (ह्म) बोला "बकवास नही करवाना चाहती तो और क्या करवाना चाहती है??"

शन्नो ने फोन रख दिया और अपने आपको शांत करने लगी मगर फिरसे फोन की घंटी बजी... शन्नो ने फोन

उठाया वो ही इंसान फिरसे बोला

"हेलो मॅम.... मेरे फोन का इंतजार कर रही थी?? मैं वो मूतने गया हुआ था इसलिए 2 मिनट लेट हो गया"

शन्नो ने कुच्छ नहीं कहा मगर उसकी सांसो से उस बंदे को पता चल रहा था कि फोन अभी शन्नो के कान पे लगा हुआ है....

बोला " क्या पहेना हुआ है आज??"

शन्नो बोली "तुमसे मतलब??"

हसके बोला "खैर जो भी पहना हो तू तो हमेशा नंगी ही अच्छी लगती है"

शन्नो ने "ष्ह्ह्हुउउउत्त्त्त्त उप्प्प्प्प्प" चिल्ला के फोन रख दिया..

फिर वो दूसरे काम में लग गयी मगर कहीं ना कहीं से उसका ध्यान फोन पे जा रहा था

नारायण की ख्वाहिश थी कि रश्मि को कोई मॉडर्न ड्रेस में देखे जैसी कि आम तौर पे

सेक्रेटरी पहना करती है... जब देखो तो वो सलवार कुर्ते में ही आती थी....

रश्मि के पास एक छोटा सा कॅबिन था जो कि नारायण के कमरे से लगा हुआ था...

वो कॅबिन नीचे से लकड़ी का था और उपर से शीशे का तो जब भी नारायण कमरे में इर्द गिर्द घूमता तो

उसे रश्मि सामने बैठी हुई काम में व्यस्त दिखाई देती.... उसको देख कर ऐसा लगता था कि वो उस

स्कूल की लड़की की तरह है जो पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहती है मगर लड़को से काफ़ी दूर रहती है....

ऐसा नही था कि नारायण रश्मि का दीवाना हो गया था मगर जब एक लड़की आपके आमने सामने इधर उधर

दिखाई देती रहती है तो मन में गंदे ख़याल आने लगते है और वोई हाल नारायण का भी हो रहा था....

फिर एक बारी स्कूल में मीटिंग होने वाली थी जिस में रश्मि एक हल्की ग्रे रंग की सारी में आई थी....

उसके बाल क्लिप में बँधे हुए थे और माथे पर एक छ्होटी सी सिल्वर बिंदी लगी हुई थी....

उस दिन पहली बारी नारायण ने रश्मि के नंगे पेट को देखा जोकि हद से ज़्यादा चिकना और गोरा था...

उसकी छोटी सी नाभि में उसका उंगली डालने का भी मन था मगर अपनी पोज़िशन के वजह से वो रिस्क नही ले सकता था....

दोनो बहनो की ज़िंदगी खुशी से चलती रही मगर फरक इतना था कि डॉली को प्यार था और ललिता को हवस

से प्यार था. राज और डॉली काफ़ी करीब आने लगे थे अब डॉली को राज के गालो को चूमना आम बात थी.

राज का भी अब आगे बढ़ने का ख्वाब था और उसने वो पूरा करने की ठान रखी थी.

जहा डॉली और ललिता अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी चला रही थी उधर शन्नो की ज़िंदगी में एक तूफान आहिस्ते आहिस्ते

बढ़ रहा था..... हॉलो मॅन शन्नो को कयि बारी कॉल कर चुका था और गौर की बात ये थी कि वो उसको

दोपेहर के दौरान फोन किया करता था....

एक दोपहर जब शन्नो ने फोन उठाया तो वो इतना परेशान हो गई थी उसकी गंदी बातो से कि उसने कहा

"देखो मेरा पति है तुम एक शादी शुदा औरत से ऐसे बात नही कर सकते"

उस ने कहा " तो हफ्ते में कितनी बारी चोद्ता है तेरेको तेरा मर्द??" इससे पहले शन्नो उसको कुच्छ बोलती उसने बोला

"वैसे भी वो काफ़ी बुड्ढ़ा हो गया है और तेरे इस जिस्म की प्यास को वो नहीं मिटा सकता"

शन्नो बोली "तुम मेरे पति को जानते नही हो"

होलो मॅन बोला "वैसे वो एक महीने से घर पर तो है नही तो उसके बगैर तेरी चूत का कैसे गुज़ारा होता होगा??"

शन्नो ये जानके चौक गयी कि इसको कैसे पता कि नारायण घर पर नही है.... मगर फिर उसने आखरी बारी उसे

बिन्ति करी ये कहके "कि मेरे बच्चे भी है प्लीज़ यहा कॉल ना करा करो"

होलो मॅन बोला "डॉली, ललिता और चेतन यही नाम है तेरे बच्चो का.. और तेरी बेटियाँ भी जवान और खूबसूरत है

मगर तेरी तरह बड़े बड़े तरबूज़ का रस उनके पास कहाँ"

शन्नो ने उसे धमकी दी कि वो पोलीस में बता देगी जिसपे हॉलो मॅन ज़ोर ज़ोर से हँसने लग गया और शन्नो

ने फोन रख दिया...

पूरे आधे घंटे तक हॉलो मॅन शन्नो को कॉल करता रहा और शन्नो फोन की घंटी से परेशान होकर

अपने कान पर हाथ रख कर अपने बिस्तर पे बैठी रही...

उस रात डॉली ने राज को कॉल करा और दोनो ढेर सारी बात करती रही... राज ने डॉली से मिलने की

इच्छा ज़ाहिर करी और वो तो अभी रात के 1 बजे आने के लिए कह रहा था मगर डॉली ने उसको मना कर दिया..

राज फिर भी नही माना तो डॉली ने बताया कि कल वो स्कूल आएगी पापा का टिफिन लेके तब वो उसे कुच्छ

मिनट के लिए मिल ले.... ये सुनकर राज शांत हो गया और दोनो ने बात करनी बंद करी.....

पूरी रात राज सोचने लगा कि वो कैसे अपने दोस्तो को साबित करें कि उसने स्कूल के प्रिन्सिपल की बेटी को पटा

रखा है. उसने अपने कुच्छ ख़ास दोस्तो को जब ये बताया था तो सब उसपे हँसने लगे थे...

कोई मान नहीं सकता था कि राज उससे 4 साल बड़ी लड़की जोकि प्रिनिसिपल की बेटी भी है उसको पटा सकता है....

राज के पास इससे अच्छा मौका नही था सबकी बोलती बंद करने का....

क्रमशः……………………….
 
जिस्म की प्यास--13

गतान्क से आगे……………………………………

अगली दोपहर जब डॉली स्कूल आई नारायण को टिफिन देने के बहाने से तब उसने एक घुटनो से बड़ी सफेद

स्कर्ट पहेन रखी थी और उसके उपर बैंगनी रंग का टॉप. उसके अंदर उसने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहेन

रखी थी. नारायण ने रश्मि को डॉली से मिलवाया और दोनो की कुच्छ ही समय काफ़ी अच्छी जान पहचान हो गयी....

फिर डॉली ने राज को चिडाने के लिए मैसेज किया कि वो स्कूल आई हुई है.... वो जानती थी कि वो उस वक़्त राज मिनक्लॅस होगा और वो उससे मिले बगैर घर जा सकती थी.... लेकिन जब राज ने डॉली को कॉल किया तो उसने

घबराके कॉल उठाया.

राज ने बोला "तुम्हे क्या लगता मैं तुम्हे इतनी आसानी से जाने दूँगा.. मुझसे मिलना तो पड़ेगा ही" डॉली बोली

"ये नहीं हो सकता राज कोई भी मुझे पहचान लेगा यार समझा करो"

राज फिर बोला "मैं कुच्छ नहीं जानता मिलना तो पड़ेगा चाहे कुच्छ भी हो जाए. " डॉली बोली कोई ऐसी जगह

है जहाँ मुझे कोई देख ना पाए"

राज ने फॅट से कहा कि जगह तो है क्यूंकी अभी सबके पीरियड्स चल रहे है तो जब मैं तुम्हे मिस्ड कॉल

मारु तो तुम अपने पापा के कमरे से बाहर आ जाना." डॉली ने पापा को बोल दिया कि वो अब घर जा रही

है और जैसी ही राज का कॉल आया तो वो कमरे के बाहर आगयि. राज डॉली को देख कर मचल गया और

डॉली भी काफ़ी खुश थी मगर वो ये जानना चाह रही थी कि राज इतना मचला हुआ क्यूँ है.

राज उसके पास आया और अंजान बनकर उसके कानो में हल्के से कहा "अब बस मेरे पीछे चलती रहो."

राज उसको थोड़ी दूर तक चलके लेके गया और एक दरवाज़े के बाहर रुक गया. डॉली ने अपनी मुन्डि

उपर की तो लिखा हुआ था 'बॉय'स टाय्लेट'.... वो जगह छोटी क्लास 6-7 क्लास के लड़को का टाय्लेट था. राज ने

दरवाज़ा खोलके देखा और जब उसे लगा कि अंदर कोई नही है तो उसने डॉली की कलाई को पकड़ा और उसको

अंदर खीच लिया........ राज ने अंदर से मैं दरवाज़े पर कुण्डी लगा दी. दोनो की फिर 2 मिनट तक बहस

चलती रही और डॉली ने फिर उसे आहिस्ते से पूछा "अगर कोई आ गया तो??" राज ने कहा

"बच्चो को यही लगेगा कि दरवाज़ा अंदर से जाम हो गया है और वैसे भी हमारी सेट्टिंग है."

डॉली ने राज पे भरोसा कर लिया क्यूंकी उसके पास और कोई चारा नहीं था.... राज ने एक दम से अपनी

बाहें फेलाई और डॉली को अपने से चिप्टा लिया.... डॉली ने भी राज को बाँहों में ले लिया.... जब दोनो ने एक

दूसरे की बाहें छोड़ी तो राज मस्ती करने के लिए डॉली को कुच्छ दरवाज़ो के पीछे लिखी

बातें डॉली को पढ़ाने लगा. डॉली पढ़ के दंग रह गयी कि जो गंदी बातें उसको कॉलेज में आके पता

चली थी वो इन बच्चो को इतनी छोटी उमर में पता है. फिर राज ने डॉली को कहा "अच्छी बात है

कि तुम आ गयी मैं बोर हो रहा था' डॉली ने कहा "हां और मैं जा भी रही हूँ मुझे डर लग रहा है."

राज ने कहा "ऐसे कैसे अभी तो स्कूल ख़तम होने में भी बहुत समय है प्लीज़ रुक जाओ ना. ये कहता

कहता राज नाराज़ हो गया. डॉली उसको मनाने की कोशिश करती रही मगर वो नहीं माना. फिर डॉली

ने कहा देखो जाना तो है ही तो मैं तुम्हारे लिए क्या करके जा सकती हूँ."

राज ने डॉली की आँखों में देखा और एक प्यारी सी मुस्कान दी जिसको देखा डॉली शरमाने लगी.....

डॉली बोली "अब बताओ भी या फिर सिर्फ़ स्माइल करते रहोगे"... राज ने फिर कहा"ओके मुझे तुम्हारी पैंटी दिखाओ"

डॉली ये सुनके चौक गयी और बोली "तुम पागल हो गये हो क्या?"

राज बोला "सिर्फ़ दिखाने को बोल रहा हूँ डॉली... इतनी कोई बड़ी बात नहीं है... सिर्फ़ 2 सेकेंड के लिए ना जान"

आज पहली बारी राज ने डॉली को जान कहा जो डॉली को सुनके काफ़ी अच्च्छा लगा और वो बोली

"ठीक है राज जी मगर सिर्फ़ 2 सेकेंड लिए.. ओके जान"

राज फिर डॉली को देखना लगा जोकि धीरे धीरे अपनी लंबी सफेद रंग की स्कर्ट को उठाने लगी....

पहले डॉली की टाँगें फिर जांघें दिखने लगी और फिर एक लाल रंग की पैंटी दिखाई दी राज को जिससे उसका गला

सूख गया... फिर झट से डॉली ने अपनी स्कर्ट नीचे कर दी और राज बोला "क्या इतनी जल्दी... ये कोई बात नहीं हुई"

डॉली बोली "अब मैं जा रही हूँ.. बस बहुत टाइम हो गया" राज बोला नहीं मुझे देखना है...

या तो तुम मुझे अपनी पैंटी उतारके देदो"

फिर से डॉली और राज की बहस हो गई मगर अपनी बात पे अड़ा रहा. डॉली अब और इंतजार नहीं कर

सकती थी और उसने अपनी स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और अपनी लाल पैंटी उतारके राज को पकड़ा दी. राज ने बोला

"अब आज ये मेरे पास ही रहेगी." डॉली राज के इस बर्ताव से काफ़ी नाराज़ हो गई थी. उसने इस बारी कोई

बहस नहीं करी और गुस्से में उस टाय्लेट से चली गयी.... राज बड़ा बिंदास होके टाय्लेट से निकला क्यूंकी उसने

अपना काम निकाल लिया था और अपने कुच्छ दोस्तो को सामने ऊचा बनने के लिए उसने डॉली की उतरी पैंटी भी दिखा दी.

ये देख कर सब राज की पूजा करने लगे और राज अपने आपको भगवान समझने लगा. डॉली जितना

परेशान राज के बर्ताव से थी अब उतनी खुश भी हो गई थी. ये सब करने में उसको एक अजीब सा मज़ा

आया वैसा ही मज़ा जैसे जब उसने अपने छोटे भाई के साथ चुदाई करी थी...
 
उस रात नारायण और डॉली जब खाना खा रहे थे तब नारायण ने उसे पूछा "बेटा एग्ज़ॅम्स कब हो रहे तुम्हारे?? टिकेट भी तो करवाना होगा तुम्हारा...' ये सुनके डॉली के चेहरे पे उदासी छा गयी.. उसकी ज़िंदगी इतने

समय के बाद अच्छी चल रही थी मगर अब बीच में एग्ज़ॅम्स आने थे.. उसने नारायण से कहा

"पापा मैं भूल ही गयी थी आपको बताना कि अगले हफ्ते है एग्ज़ॅम्स... आप टिकेट करवा दीजिए"

डॉली पूरे समय यही सोचती रही की मेरेको पढ़ाई करनी चाहिए तभी मेरे अच्छे नंबर आएँगे नहीं तो

पापा मम्मी नाराज़ हो जाएँगे.. ये सोचके उसी वक़्त उसने राज को मैसेज करके कह दिया कि उसको

वापस दिल्ली जाना है एग्ज़ॅम देने और उसके लिए पढ़ना पड़ेगा और उसी वजह से वो अब उसे मिल नहीं पाएगी"

राज ने काफ़ी ज़िद करी डॉली से मिलने के लिए मगर डॉली अपनी बात पे आडी रही. उधर शन्नो ने भी ललिता

और चेतन को अब घूमने फिरने के लिए मना किया और पढ़ाई पे ध्यान देने को कहा..

चेतन ने अपनी मम्मी की फिर भी सुन ली मगर ललिता अभी भी अपनी दुनिया में खोई वी थी. ललिता कयि बारी

चंदर से फोन पे बात करने को कहा मगर वो हर बारी कोई ना कोई बहाने मारता रहा..

ये बात ललिता को थोड़ी अजीब लगी मगर उसको ये भी लगा कि वो शायद थोड़ा सा शर्मा रहा हो.

फिर भी वो मैसेज से काफ़ी बातें करते थे. चंदर ललिता से कुच्छ चटपटी बातें भी पुछ्ता था

जैसे कि उसका साइज़ क्या है और वो अपने को संतुष्ट कैसे करती है और किन चीज़ो से करती है?

क्या उसने और किसी को भी नंगा देख रखा है? वगेरा वगेरा. ललिता ने भी उसको सच सच जवाब दिए.

दोनो का सबसे पसंदीदा सवाल था कि आज उन्होने क्या पहेन रखा है?? फिर एक उन्होने मिलने

का प्लान बनाया. चंदर ने बताया कि सुबह से दोपहर तक उसका घर पर खाली रहता है मगर उसके बाद

बाई आती है उसके लिए खाना वगेरा बनाने के लिए और वो उसको मना भी नहीं कर सकता क्यूंकी

फिर उसके मा बाप सवाल करने लगेंगे. ललिता किसी भी तरह उससे मिलना चाहती थी क्यूंकी वो ये अकेलापन

बर्दाश्त नहीं कर सकती थी और वो फिरसे चंदर के लंड को अपनी टाइट चूत में महसूस करना चाहती थी.

ललिता ने बोला कि अगर तुम चाहो तो तुम छुट्टी लेलो स्कूल से और मैं वहाँ बंक करके आ सकती हूँ.

चंदर को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी और दोनो ने फिर परसो का प्लान बनाया.

अगले शाम ललिता ने पार्लर जाके अपने चेहरे पे ब्लीच वागरह लगवाया बाल ठीक करवाया और

वॅक्सिंग भी करवाई. वो चाहती थी कि चंदर उसको देखता ही रह जाए. उसको चंदर से कोई प्यार व्यार

नहीं था मगर फिर भी वो ये सब कर रही थी ताकि कल का दिन हसीन बन जाए. उसी दोपहर राज भी

डॉली के घर आया और घंटी बजाने लगा.. डॉली ने दरवाज़ा नहीं खोला और जब राज ने उसको

कॉल करके पूछा तो उसने बहाना बना दिया क़ि वो अभी घर पे नहीं है. राज को लगा था कि जब डॉली की

पैंटी हाथ में आगयि थी तो उसको भी आने में समय नहीं लगागे मगर इस एग्ज़ॅम ने सब

कुच्छ बिगाड़ दिया. राज डॉली की पैंटी से ही काम चला रहा था.. जब भी उसे मौका मिलता तो उसको सूँगके

या डॉली को उसमें सोचके अपने लंड को सहलाने लगता.

मगर उधर................ उससे पहले दोपहर के कुच्छ 12 बजे फ़ोन की घंटी फिरसे बजी और काफ़ी देर के बाद फोन ना

चाहते हुए भी उठाया... फिरसे शन्नो को वोई गंदी आवाज़ सुनाई दी

हेलो मॅम?? कैसी है आप?? इतनी देर क्यूँ लगा दी?? क्या आपनी चूत से खेल रही थी आप??

शन्नो बोली "तुम क्यूँ मुझे परेशान कर रहे हो??"

हॉलो मॅन ने उस बात का कोई जवाब नही दिया और बोला "वैसे आपके लिए मैने एक गिफ्ट रखा है??

ख़ासतौर से आपके लिए खरीदा है"

शन्नो गुस्से में बोली "मुझे तुमसे और तुम्हारा गिफ्ट से कुच्छ लेना देना नही है"

हॉलो मॅन बोला "लेना और देना हम दोनो में खूब लगा रहेगा फिलहाल अगर आपने वो तौफा नहीं उठाया

तो आपका बेटा या फिर बेटी उसे ज़रूर देख लेगी क्यूंकी वो आपके घर के बाहर ही रखा है"

शन्नो जल्दी से फोन अपने साथ लेके गयी (कॉर्डलेस था) और दरवाज़ा खोलते ही उसे ज़मीन पर एक लाल रंग

के चकोर डिब्बा दिखाई दिया... शन्नो ने उस डिब्बे को उठाया और घबरा गयी कि इस आदमी को मेरे घर का पता भी मालूम है.. शन्नो फिर वापिस सोफे पे बैठी और बोली "क्या है इसमे??"

हॉलो मॅन बोला "एक ऐसी चीज़ है जो आपके बहुत ईस्तमाल की है... ज़रा खोलके को देखिए"

शन्नो ने उस गुलाबी काग़ज़ की रॅपिंग को गुस्से में छितरे छितरे कर दिया और जब उसने उस डिब्बे को

खोलके देखा तो उसने गुस्से में हॉलो मॅन को कहा " तुम समझते क्या हो आपने आपको?? तुम्हारी हिम्मत

कैसे हुई मुझे ये देने की??

होलो मॅन बोला " मैं जानता था की ये आपको ज़रूर पसंद आएगा... अब ये आपके जिस्म की प्यास मिटाने में थोड़ी

सी मदद करेगा"

शन्नो ये सुनके उस डिब्बे को फेंकने ही वाली थी जिसमे एक गुलाबी रंग का बड़ा मोटा लंड (डिल्डो सेक्स टॉय) था....

हॉल मॅन ने बोला "अगर उस डिब्बे को फेकने की या फिर आपने हाथ से दूर करने की कोशिश करी तो आपके इस मस्त

बदन के और उस घर के छितरे छितरे हो जाएँगे क्यूंकी इसमे बॉम्ब है"

बॉम्ब सुनते ही शन्नो के माथे पर पसीना आने लगा... शन्नो बोली "देखो मैने तुम्हारा कुच्छ नहीं

बिगाड़ा है तो प्लीज़ इससे बॉम्ब को फटने से रोको"

होलो मॅन बोला " वो काफ़ी मुश्किल काम है मगर हां अगर मेरी शर्त मंज़ूर करो तो मैं तुम्हारी तकलीफ़

कम कर दूँगा"

शन्नो परेशान होकर बोली "प्लीज़ जल्दी करो मुझे बहुत डर लग रहा है"

एचएम बोला " मेरी शर्त बहुत छ्होटी सी है... मगर है बड़ी मज़ेदार... मुझे तुम्हे एक गाना गाके

सुनाना पड़ेगा... "

शन्नो उसको बीच में रोकके बोली " कौनसा गाना..."

एचएम बोला " मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त... और इसको गाने के बाद ही मैं बॉम्ब बंद करने में तुम्हारी

मदद करूँगा"
 
शन्नो इतना तो जान गयी थी कि ये आदमी मानने वालो में से नहीं है तो उसने बिना बिनति करें गाना

शुरू करा...

"मैं चीज़ बड़ी हू मस्त मस्त...

मैं चीज़ बड़ी हू मस्त मस्त मैं चीज़ बड़ी हू मस्त

नहीं मुझको कोई होश होश उसपर जोबन का जोश जोश

नहीं मेरा कोई दोष दोष मदहोश हू मैं हर वक्त वक्त

मैं चीज़ बड़ी हू मस्त मस्त मैं चीज़ बड़ी हू मस्त"

पूरे गाने के वक़्त हॉलो मॅन तेज़ तेज़ साँसें ले रहा था शायद वो अपने लंड को साथ में सहला

रहा था.... शन्नो को काफ़ी शरमिंदगी उठानी पड़ रही थी... ऐसे गाने उसे सुनने भी पसंद नही थे

मगर वो अब एक अंजान इंसान के लिए वो गा रही थी... शन्नो ने जैसे ही गाना ख़तम करा हॉलो

मॅन ने कहा "हाए मज़ा आ गया... अब उस लंड के पास एक चौकोर सा बटन है उसको उपर की तरफ करदो और

बॉम्ब बंद हो जाएगा"

शन्नो ने घबराते हुए उस चौकोर बटन को उपर की तरफ कर दिया और वो लंड ज़ोर ज़ोर से हिलने (वाइब्रट)

लग गया और धडाम से उसके हाथ से निकल के गिर गया.... हॉलो मॅन उस लंड की हिलने की आवाज़ से ज़ोर ज़ोर

से हँसने लग गया... शन्नो गुस्से में बोली "तुमने मुझे बेवकूफ़ बनाया... " हॉलो मॅन की हस्सी रुकने

का नाम ही नही ले रही थी और शन्नो ने फोन रख दिया.... मगर अभी भी वो लंड ज़मीन पे पड़ा हुआ था और

उसकी हिलने की आवाज़ शन्नो को परेशान कर रही थी... शन्नो ने उसको हाथ में उठाया 2 सेकेंड उसको देखा

और बंद करके डिब्बा समैत अपने कमरे की अलमारी में छुपा के रख दिया....

पूरी रात शन्नो अकेले बिस्तर पर कारबट लेती रही... जब भी वो अपनी आँखें बंद करती तो उसे वोई गंदी

आवाज़ उससे गंदे गंदे सवाल पूच्छने लगती और जब उससे बचने के लिए वो अपनी आँखें खोलती तो उसका

दिमाग़ उस तोहफे के बारे में सोचने लगता जो उस हॉलो मॅन ने उसे दिया था..... वो हिलते हुए (वाइब्रट)

लंड को वो अपने ज़हेन से निकाल नही पा रही थी.... उस रात ललिता भी सो नहीं पाई. उसके दिमाग़ वो सब चलता

रहा जो अभी तक उसने और चंदर ने कर रखा था. मगर वो सब रात के अंधेरे में था और कल

वो दिन के उजाले में होगा.. ललिता बस सुबह के इंतजार में थी.

शन्नो सुबह ललिता को अपने आप तैयार होके देख चौक गयी. शन्नो ने पूछा "अर्रे बेटा आज ये कैसे हो गया"

ललिता ये सुनके हँसने लगी..

ललिता ने अपने एक काली जीन्स और एक लाल टी-शर्ट पहेन रखी थी.... उन कपड़ो में उसका जिस्म काफ़ी ज़्यादा

ढका हुआ था.... अच्छे से बालो में कंघी करके उनको काले रिब्बन में बाँध लिया और कपड़ो के अंदर उसने

अच्छी लड़कियों की तरह सफेद ब्रा और पैंटी पहनी थी. चंदर के घर जाने का प्लान 10 बजे का था तो वो

सबसे पहले अपने घर से निकल कर अपनी दोस्त रिचा के घर गयी जोकि उसके घर से ज़्यादा दूर नहीं था....

जैसे तैसे वो रिचा के घर पहुचि. ललिता ने किसिको भी आज के बारे में नहीं बताया था क्यूंकी

वो नहीं चाहती थी कि किसी तरह भी किसिको पता चलें. रिचा को भी उसने कहीं और जाने का बताया था.

खैर किसी तरह उसने रिचा की बकवास को एक घंटे तक झेला और 9 बजे उसने अपना बस्ता खोला और उसमें से कपड़े निकाले. रिचा उन कपड़ो को देख कर चिढ़ के बोलने लगी "मेडम क्या प्लान है आपका??"

जिस बात का ललिता ने कुच्छ जवाब नही दिया.... ललिता उनको लेके सीधा टाय्लेट चली गयी चेंज करने के लिए.

उसने अपने पहले पहने हुए कपड़े उतार दिए और फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी.. टाय्लेट की सामने वाली

दीवार पर एक बड़ा शीशा था उसमें अपने हसीन जिस्म को देख के वो और मचल रही थी.. वो देख कर सोचने

लगी कि चंदर आज कहाँ कहाँ और किधर किधर अपना हाथ फेरेगा... उसने अपनी चूचियो को हल्का सा

छुआ और वो एक दम से ही सख़्त हो गये.. उसका जिस्म हवस की आग में अभी भी जल रहा था. उसने अपनी एक काली

रंग की ब्रा निकाली जिसपे खूबसूरत डिज़ाइन बना हुआ था और जो कि थोड़ी टाइट भी थी. उसको पहनने के बाद

उसने एक काली रंग का थॉंग निकाला जोकि उसने पहले खरीदा था और अपनी अलमारी में कहीं छुपके रखा था, उसको पहेन कर उसने अपनी नितंब को शीशे में देखा और धीरे से उसपे एक दो चान्टे भी लगाए और

वो आवाज़ सुनके हँसने लगी... वो आवाज़ बाहर बैठी रिचा ने भी सुनी और हंस पड़ी.....

वो इतना ज़रूर जानती थी कि चंदर के आज होश उड़ जाएँगे उसको देख कर...फिर उसने एक काली ड्रेस निकाली कम

बाजू वाली उसको पहेन लिया. वो पोशाक उसकी गोरी मोटी जाँघो को आधा ही ढक पा रही थी. उसका गला भी

गहरा था और किसी वजह से वो ज़्यादा झुकती तो उसका क्लीवेज सॉफ दिखाई पड़ता... फिर काली सॅंडल्ज़ पहनके

वो टाय्लेट से बाहर निकल गयी. वो ड्रेस उसके बदन पर चिपका हुआ था और उसके जिस्म की सारी गोलाई लंबाई

गहराई दिखा रहा था.... ललिता की सहेली उसको देख के दंग रह गयी. ललिता ने अपने बालो को सहलाया और अपना

बस्ता वहीं छोड़ के (ताकि उसको उठाना ना पड़े) अपनी सहेली के घर से चली गयी.

क्रमशः……………………….
 
जिस्म की प्यास--14

गतान्क से आगे……………………………………

वो जानके पीछे के रास्ते से निकली ताकि उसको कोई जानने वाला उसको देख ना पाए.. उसे इतना यकीन था

कि 50 में 49 आदमिो/लड़को की नज़र उसके बदन पे घूम रही होगी और जो 1 बचा होगा वो अँधा ही होगा....

वो अपनी जाँघो को एक दम चिपकाके चलने लगी ताकि उसकी काली ड्रेस उपर ना हो जिस वजह उसकी चूत

के होंठ भी आपस में रगड़ने लगे और ललिता थे.... जब वो चल रहीथी तो उस हील्स की

वजह से उसकी गान्ड बाहर की तरफ हो गयी और उसकी पूरी गोलाई पीछे वालो को नज़र आ रही थी...

वो बस या मेट्रो में नहीं जाना चाहती क्यूंकी उसमें ऐसे जाना ख़तरे से खाली नही होता इसलिए उसने ऑटो

ढूँढना शुरू किया. मैन सड़क पे खड़ी हुई वो ऑटो का इंतजार करने लगी.... गाड़ी वाले, बाइक वाले और

यहा तक साइकल वाले भी उसको पीछे मूड मूड के देखे जा रहे थे जिस बात से उसे कोई ग़लत फरक

नही पड़ा उल्टा वो खुश थी कि ये लोग उसकी मदमस्त जवानी के शिकार हो गये है.... फिर उसके सामने ही

2 ऑटो वाले उसके सामने रुक गये. दोनो बड़े उत्सुक होके ललिता से पुछ्ने लगे "कहाँ जाना है आपको?"

ललिता ने दोनो को देखा और बोली "मुझे नोएडा सेक 16 जाना है.. मगर मीटर से चलना पड़ेगा"

दोनो एक दम से राज़ी हो गये (जोकि एक लड़के से करना असंभव कार्य होता)... ललिता अपने सीधे हाथ

वाले ऑटो की तरफ जाके बैठने लगी और जब उसने अपनी सीधे टाँग अंदर की तरफ बढ़ाई तो उसका भी स्ट्रेच

हो गया और उसकी गान्ड की गोलाई और भी ज़्यादा दिखाने लग गया... वो ऑटोवाला अपने आपको खुश

नसीब समझ रहा था कि ये परी उसके ऑटो में बैठ रही है.... ऑटो वाला अपने आप ही बोलना शुरू हो

गया और ललिता से बात करने की कोशिश करता रहा. ललिता ने एक काले रंग के गॉगल्स पहेन लिए और

उसको टरकाने के लिए फोन पे बात करने का नाटक किया.. जब ऑटो एक रेड लाइट पे खड़ा हुआ तो एक गाड़ी

में बैठा हुआ आदमी ललिता की मलाई जैसी टाँगो को घूर्ने लगा.... ललिता को ये नही पता था क्यूंकी वो

पीछे होके बैठी थी मगर ऑटोवाले को सॉफ नज़र आ रहा था.... ऑटो वाले को लगा कि लड़की

अभी बिज़ी है तो उसने अभी अपने शीशे को ठीक करा ताकि वो लड़की को देख पाए.

ललिता अपने उल्टे हाथ से अपने बालो को सहला रही थी जिस वजह उसके स्तन उस टाइट ड्रेस में थोड़ा थोड़ा

हिल रहे थे.... एक नज़र मम्मो पे डालके उसने शीशे नीचे की तरफ कर दिया यानी के ललिता के टाँगो

की तरफ कर दिया. ललिता ने देख लिया था कि उसने शीशा नीचे करा है और अच्छी तरह समझ

भी गयी थी कि थर्कि ऑटोवाले की नज़र कहाँ पे है. ललिता अपनी टाँगें एक के उपर एक करके बैठी हुई थी

मगर थोड़ी मस्ती के लिए उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फेला दी. ऑटो वाले को जब मौका मिलता तो वो उन मोटी

मलाई टाँगो को देखने लगता. ललिता अभी भी फोन पे बात करने का नाटक कर रही थी ताकि ऑटो वाले

को शक़ ना हो. एक बार फिर से रेड लाइट आई तो ऑटोवाला मीटर देखने के बहाने पीछे मुड़ा

और ललिता के जिस्म को ताड़ने लगा. पुर 5 सेक तक उसने मज़ा उठाया और फिर ऑटो चलाने लगा.

फिर ललिता के पास चंदर के नंबर. से मैसेज आया ये जानने के लिए की वो कहाँ पहुचि..

ललिता झुक के मैसेज का रिप्लाइ करने लगी और उसका क्लीवेज दिखाई देने लगा.. ललिता को एक दम से ऑटो वाले

का ध्यान आया मगर वो फिर भी झुकी रही. 5 मिनट में चंदर का घर आने वाला था और ललिता ने

मज़े लेने के लिए ऑटो वाले का दिन बना दिया. उसने अपने उल्टे घुटने पे अपनी सीधी टाँग रखी

मगर इस बारी वो साथ में अपनी सॅंडल ठीक करने लगी.. ऑटो वाले को काफ़ी हद तक सानिया की जांघे

दिख गयी.. इतनी दूधिया जांघें ऑटो वाले ने इतनी पास से कभी नहीं देखी थी.
 
Back
Top