hotaks444
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जिस्म की प्यास--11
गतान्क से आगे……………………………………
फिर कुच्छ देर बाद फिरसे चेतन की पकड़ने की बारी आई. इस बारी फिर से ललिता चेतन के कमरे में छिप्ने गयी
मगर बिस्तर के पीछे छुपी क्यूंकी उसको लगा कि पर्दे के पीछे चंदर ही छिपा हुआ है. पर्दे और बिस्तर
में कोई ख़ास अंतर नहीं था... दोनो एक दूसरे से 2-3 फुट ही दूर थे... ललिता अपने हाथ और घुटनो को बल बिस्तर से
चुपक के छुपी हुई थी... उसका असली मकसद ये था कि वो अपनी गान्ड हवा में लहरा कर चंदर को पागल कर देगी
जोकि पर्दे के पीछे छुपा था....कुच्छ ही देर ललिता को पर्दे का हिलना महसूस हुआ और वो जान्गयि कि चंदर अब
उसके बदन को छुने की कोशिश करेगा. वो पर्दे से निकला और ललिता के पीछे फर्श पे घुटने के बल बैठ गया.
ललिता की गान्ड (फ्रॉक के अंदर) उसके चेहरे से कुच्छ ही दूर थी वो चाहता तो अपने होंठो से उसको चूम सकता.
उसने बिना सोचे समझे अपना हाथ बढ़ाया और ललिता के पैरों को छुआ. वो अपनी उंगलिया चलाकर ललिता की नंगी
टाँगो पे ले गया और उसकी फ्रॉक की तरफ जाकर रुक गया. फिर दूसरे ही पल में उसने अपनी 3 उंगलियाँ ललिता की
गुलाबी और सफेद रंग फ्रॉक के अंदर घुसा दी. और अब घबराता घबराता फ्रॉक के अंदर से उसकी जाँघो को छुने लगा. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर दंग रह गई. अब वो दोनो जाँघो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा. ललिता को
घबराहट में पसीना आने लगा था जोकि उन उंगलिओ को उसकी जाँघो पे सॉफ महसूस हो रहा था....
घबराहट में ललिता की टाँगें हिलने लगी थी मगर वो बाद हिम्मत दिखाकर वहाँ से हिली नहीं....
धीरे धीरे अपनी उंगलिओ ललिता की मोटी जाँघो से एक रेखा बनाकर वो उसकी पैंटी की तरफ ले गया.....
ललिता के नितंब को अब वो छू रहा था.... और फिर अपनी उंगलिया ललिता की पैंटी के उस तरफ ले गया जोकि शरम
के मारे गीली होने लगी थी.... बेशार्मो की तरह उसकी उंगलिया ललिता की चूत को रगड़ रही थी. ललिता को महसूस हुआ
की उसकी फ्रॉक को वो उपर कर रहा है और फिर दूसरे ही सेकेंड उसकी जाँघ पे एक गीली चूमि उसको महसूस हुई और वो वहाँ से घबराकर भाग गयी. ललिता कमरे के बाहर खड़ी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी... उसका माथा पसीने से लत्पथ था...
उसको अपने पे बहुत गुस्सा आया क़ी वो ऐसे भाग गयी थी मगर सच में पहली बारी वो इतना घबरा गयी थी....
लेकिन अब उसने सोच लिया था कि जितनी हिम्मत चंदर ने दिखाई है उसका इनाम वो उसको उसका इनाम ज़रूर मिलेगा....
उसके कुच्छ देर बाद बारी चंदर की आई पकड़ने की तब ललिता बिल्कुल चंदर के पीछे खड़ी गयी. बाकी सब कहीं
ना कही छुपे हुए थे और चंदर आँख बंद कर गिनती गिन रहा था. जैसी ही चंदर ने आँख खोली तो ललिता
उसके सामने खड़ी थी. हैरान परेशान चंदर के पसीने छूट गये. ललिता ने चंदर का हाथ पकड़ा और
अपने मम्मे पे रख दिया (जोकि टॉप/ब्रा के अंदर थे). चंदर को कुच्छ समझ आता उसके पहले ही ललिता चंदर का
हाथ हल्के हल्के अपने मम्मो पे दबाने लगी. चंदर को लग रहा था कि अब उसको दिल का दौरान ना पड़ जाए.
चंदर आगे बढ़ा और ललिता के होंठों चूम लिया. दोनो ने 2-3 सेकेंड के लिए अपने होंठ और ज़ुबान मिला कर रखे.
ये चंदर का पहला चुंबन था और उसको सपने में नहीं लगता था कि उसको उसके सबसे अच्छे दोस्त की बड़ी बहन ये ख़ुशनसीबी देगी. चंदर ने फिर बाकी सबको पकड़ लिया और खेल फिर बंद कर दिया.
पूरी रात चंदर और ललिता एक दूसरे को देखे जा रहे थे या फिर जानके एक दूसरे को छुके अंजान बन रहे थे.
जब सोने का समय आया तब चारो दोस्तो ने साथ में सोने का सोचा. ललिता ने बोला "तुम लोग एक कमरे या बिस्तर
पे तो आ नहीं पाओगे तो ऐसा करो कि बाहर गद्दे बिच्छा लो और सो जाओ". चेतन बोला "और आप कहाँ सोगे."
ललिता ने कहा "मैं तो अपने कमरे में ही सोउंगी.. मेरे पास मम्मी के कमरे की चाबी है तो उनके बिस्तर के गद्दे
ले लेना तुम लोग. जब ललिता ने मम्मी का कमरा खोला तो चारो लड़के गद्दे उठाने लगे. पर ललिता की नज़र वहाँ रखी हुई नींद की गोलिओ पे पड़ी. ललिता ने चुपके से वो उठा ली. ललिता को एक ज़बरदस्त प्लान सूझा और जब बिस्तर वगेरा लगगया तब ललिता ने पूछा "क्या किसी को पेप्सी पीनी है?" सबने हां करदी और ललिता किचन में चली गयी.
ललिता ने बड़ी चालाकी से चेतन,अल्ताफ़ और मयंक के ग्लास में दो-दो नींद की गोलिया डाल दी और सबको ग्लास पकड़ा दिया और खुद अपने कमरे में चली गयी सोने का नाटक करने.
ललिता चंदर का इंतजार करते करते सो गयी.... फिर काफ़ी घंटे बाद तकरीबन 2:30 बजे रात के ललिता के कमरे
का दरवाज़ा खुला. दरवाज़े की आवाज़ से ललिता की नींद टूट गयी. पूरे कमरे में अंधेरा था और ललिता एक चद्दर
ओढ़ के लेटी हुई थी बिस्तर पे. ललिता चुप चाप चंदर के बिस्तर के पास आने का इंतजार करने लगी. उसने दरवाज़ा
बंद करा और शायद कुण्डी भी लगा दी और दबे पाओ ललिता के बिस्तर तक आया..... बिस्तर के पास आके
ललिता के चेहरे क पास खड़ा हो गया. पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था और वो गद्दे को छुता छुता
ललिता के बालो को छुने लगा. हल्के हल्के वो ललिता के बालो को सहलाने लगा..... ललिता अभी भी चुप चाप लेटी
हुई थी शायद उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें..... फिर उसने अपने हाथ से ललिता के हाथ को हल्के से छुआ. उसको लग रहा था कि ललिता सच्ची में गहरी नींद में सो रही है. जब उसको भरोसा हो गया तो धीरे धीरे
ललिता की पतली चादर को हटाने लगा और हटा के ज़मीन पे फेक दी. उसके सामने ललिता एक ज़िंदा लाश की
तरह बिस्तर पे पड़ी थी.... ललिता अभी भी उसी टॉप और फ्रॉक में लेटी हुई थी. फिर वो अपना हाथ ललिता की चिकनी
टाँगो पे ले गया... अपना हाथ उनपे फेरता फेरता हुया घुटनो तक ले गया. ललिता इंतजार कर रही थी कि शाम की तरह
वो उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डालेगा मगर वो उनको ललिता के पेट की तरफ ले गया और फिर सीधा अपने दोनो हाथो
को ललिता के स्तनो पे रख दिया. हल्के हल्के वो मम्मो को दबाने लगा जोकि अभी टॉप और ब्रा में क़ैद थे.
ललिता के मोटे मोटे मम्मो को च्छुकर उसका लोड्ा जागने लगा था.... उसने अपनी एक उंगली ललिता के होंठो पे रखी और
उनके अंदर घुसा कर ललिता के दांतो पे चलाने लग गया जैसे कि ब्रश कर रहा हो.... अब उसने अपना चेहरा
झुकाया और ललिता के होंठो को चूमने लगा. अपनी ज़ुबान को वो ललिता के मुँह में घुसाने लगा और ललिता
ने भी उसे उसकी चाह पूरी करने दी. उसके हाथ अभी भी ललिता के मम्मे को दबा रहें थे.
अब वो और नहीं रुक सकता था.. उसने अपने हाथो को बढ़ाया और ललिता के गुलाबी टॉप के अंदर घुसा दिया.
ललिता के कोमल पेट के उपर अपना हाथ फेरते हुए उसके मुँह में पानी आ गया और ऐसा ही हाल ललिता का भी था.
उसने टॉप को दोनो तरफ से पकड़ा और एक ही झटके में उतार दिया. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर एक बार फिर दंग रह गयी.
ललिता इंतजार कर रही थी कि अब ये ब्रा के हुक्स को कैसे खोलेगा मगर उसने हुक खोलने में समय बर्बाद
नहीं करा और ललिता की ब्रा को आगे की तरफ से फाड़ दिया. बड़ी बेदर्दी वो ललिता के स्तनो को मसल्ने लगा और फिर
दूसरे ही पल उसने अपनी शर्ट उतारी और ललिता के बदन से लिपटने लग गया. अपनी उंगलिओ से ललिता के चूची को दबाने लगा. ललिता की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी अब. ललिता के अंगो को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा और साथ साथ उसके चूचियो को मसल्ने लगा.
गतान्क से आगे……………………………………
फिर कुच्छ देर बाद फिरसे चेतन की पकड़ने की बारी आई. इस बारी फिर से ललिता चेतन के कमरे में छिप्ने गयी
मगर बिस्तर के पीछे छुपी क्यूंकी उसको लगा कि पर्दे के पीछे चंदर ही छिपा हुआ है. पर्दे और बिस्तर
में कोई ख़ास अंतर नहीं था... दोनो एक दूसरे से 2-3 फुट ही दूर थे... ललिता अपने हाथ और घुटनो को बल बिस्तर से
चुपक के छुपी हुई थी... उसका असली मकसद ये था कि वो अपनी गान्ड हवा में लहरा कर चंदर को पागल कर देगी
जोकि पर्दे के पीछे छुपा था....कुच्छ ही देर ललिता को पर्दे का हिलना महसूस हुआ और वो जान्गयि कि चंदर अब
उसके बदन को छुने की कोशिश करेगा. वो पर्दे से निकला और ललिता के पीछे फर्श पे घुटने के बल बैठ गया.
ललिता की गान्ड (फ्रॉक के अंदर) उसके चेहरे से कुच्छ ही दूर थी वो चाहता तो अपने होंठो से उसको चूम सकता.
उसने बिना सोचे समझे अपना हाथ बढ़ाया और ललिता के पैरों को छुआ. वो अपनी उंगलिया चलाकर ललिता की नंगी
टाँगो पे ले गया और उसकी फ्रॉक की तरफ जाकर रुक गया. फिर दूसरे ही पल में उसने अपनी 3 उंगलियाँ ललिता की
गुलाबी और सफेद रंग फ्रॉक के अंदर घुसा दी. और अब घबराता घबराता फ्रॉक के अंदर से उसकी जाँघो को छुने लगा. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर दंग रह गई. अब वो दोनो जाँघो पे अपनी उंगलिया फेरने लगा. ललिता को
घबराहट में पसीना आने लगा था जोकि उन उंगलिओ को उसकी जाँघो पे सॉफ महसूस हो रहा था....
घबराहट में ललिता की टाँगें हिलने लगी थी मगर वो बाद हिम्मत दिखाकर वहाँ से हिली नहीं....
धीरे धीरे अपनी उंगलिओ ललिता की मोटी जाँघो से एक रेखा बनाकर वो उसकी पैंटी की तरफ ले गया.....
ललिता के नितंब को अब वो छू रहा था.... और फिर अपनी उंगलिया ललिता की पैंटी के उस तरफ ले गया जोकि शरम
के मारे गीली होने लगी थी.... बेशार्मो की तरह उसकी उंगलिया ललिता की चूत को रगड़ रही थी. ललिता को महसूस हुआ
की उसकी फ्रॉक को वो उपर कर रहा है और फिर दूसरे ही सेकेंड उसकी जाँघ पे एक गीली चूमि उसको महसूस हुई और वो वहाँ से घबराकर भाग गयी. ललिता कमरे के बाहर खड़ी ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी... उसका माथा पसीने से लत्पथ था...
उसको अपने पे बहुत गुस्सा आया क़ी वो ऐसे भाग गयी थी मगर सच में पहली बारी वो इतना घबरा गयी थी....
लेकिन अब उसने सोच लिया था कि जितनी हिम्मत चंदर ने दिखाई है उसका इनाम वो उसको उसका इनाम ज़रूर मिलेगा....
उसके कुच्छ देर बाद बारी चंदर की आई पकड़ने की तब ललिता बिल्कुल चंदर के पीछे खड़ी गयी. बाकी सब कहीं
ना कही छुपे हुए थे और चंदर आँख बंद कर गिनती गिन रहा था. जैसी ही चंदर ने आँख खोली तो ललिता
उसके सामने खड़ी थी. हैरान परेशान चंदर के पसीने छूट गये. ललिता ने चंदर का हाथ पकड़ा और
अपने मम्मे पे रख दिया (जोकि टॉप/ब्रा के अंदर थे). चंदर को कुच्छ समझ आता उसके पहले ही ललिता चंदर का
हाथ हल्के हल्के अपने मम्मो पे दबाने लगी. चंदर को लग रहा था कि अब उसको दिल का दौरान ना पड़ जाए.
चंदर आगे बढ़ा और ललिता के होंठों चूम लिया. दोनो ने 2-3 सेकेंड के लिए अपने होंठ और ज़ुबान मिला कर रखे.
ये चंदर का पहला चुंबन था और उसको सपने में नहीं लगता था कि उसको उसके सबसे अच्छे दोस्त की बड़ी बहन ये ख़ुशनसीबी देगी. चंदर ने फिर बाकी सबको पकड़ लिया और खेल फिर बंद कर दिया.
पूरी रात चंदर और ललिता एक दूसरे को देखे जा रहे थे या फिर जानके एक दूसरे को छुके अंजान बन रहे थे.
जब सोने का समय आया तब चारो दोस्तो ने साथ में सोने का सोचा. ललिता ने बोला "तुम लोग एक कमरे या बिस्तर
पे तो आ नहीं पाओगे तो ऐसा करो कि बाहर गद्दे बिच्छा लो और सो जाओ". चेतन बोला "और आप कहाँ सोगे."
ललिता ने कहा "मैं तो अपने कमरे में ही सोउंगी.. मेरे पास मम्मी के कमरे की चाबी है तो उनके बिस्तर के गद्दे
ले लेना तुम लोग. जब ललिता ने मम्मी का कमरा खोला तो चारो लड़के गद्दे उठाने लगे. पर ललिता की नज़र वहाँ रखी हुई नींद की गोलिओ पे पड़ी. ललिता ने चुपके से वो उठा ली. ललिता को एक ज़बरदस्त प्लान सूझा और जब बिस्तर वगेरा लगगया तब ललिता ने पूछा "क्या किसी को पेप्सी पीनी है?" सबने हां करदी और ललिता किचन में चली गयी.
ललिता ने बड़ी चालाकी से चेतन,अल्ताफ़ और मयंक के ग्लास में दो-दो नींद की गोलिया डाल दी और सबको ग्लास पकड़ा दिया और खुद अपने कमरे में चली गयी सोने का नाटक करने.
ललिता चंदर का इंतजार करते करते सो गयी.... फिर काफ़ी घंटे बाद तकरीबन 2:30 बजे रात के ललिता के कमरे
का दरवाज़ा खुला. दरवाज़े की आवाज़ से ललिता की नींद टूट गयी. पूरे कमरे में अंधेरा था और ललिता एक चद्दर
ओढ़ के लेटी हुई थी बिस्तर पे. ललिता चुप चाप चंदर के बिस्तर के पास आने का इंतजार करने लगी. उसने दरवाज़ा
बंद करा और शायद कुण्डी भी लगा दी और दबे पाओ ललिता के बिस्तर तक आया..... बिस्तर के पास आके
ललिता के चेहरे क पास खड़ा हो गया. पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था और वो गद्दे को छुता छुता
ललिता के बालो को छुने लगा. हल्के हल्के वो ललिता के बालो को सहलाने लगा..... ललिता अभी भी चुप चाप लेटी
हुई थी शायद उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें..... फिर उसने अपने हाथ से ललिता के हाथ को हल्के से छुआ. उसको लग रहा था कि ललिता सच्ची में गहरी नींद में सो रही है. जब उसको भरोसा हो गया तो धीरे धीरे
ललिता की पतली चादर को हटाने लगा और हटा के ज़मीन पे फेक दी. उसके सामने ललिता एक ज़िंदा लाश की
तरह बिस्तर पे पड़ी थी.... ललिता अभी भी उसी टॉप और फ्रॉक में लेटी हुई थी. फिर वो अपना हाथ ललिता की चिकनी
टाँगो पे ले गया... अपना हाथ उनपे फेरता फेरता हुया घुटनो तक ले गया. ललिता इंतजार कर रही थी कि शाम की तरह
वो उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डालेगा मगर वो उनको ललिता के पेट की तरफ ले गया और फिर सीधा अपने दोनो हाथो
को ललिता के स्तनो पे रख दिया. हल्के हल्के वो मम्मो को दबाने लगा जोकि अभी टॉप और ब्रा में क़ैद थे.
ललिता के मोटे मोटे मम्मो को च्छुकर उसका लोड्ा जागने लगा था.... उसने अपनी एक उंगली ललिता के होंठो पे रखी और
उनके अंदर घुसा कर ललिता के दांतो पे चलाने लग गया जैसे कि ब्रश कर रहा हो.... अब उसने अपना चेहरा
झुकाया और ललिता के होंठो को चूमने लगा. अपनी ज़ुबान को वो ललिता के मुँह में घुसाने लगा और ललिता
ने भी उसे उसकी चाह पूरी करने दी. उसके हाथ अभी भी ललिता के मम्मे को दबा रहें थे.
अब वो और नहीं रुक सकता था.. उसने अपने हाथो को बढ़ाया और ललिता के गुलाबी टॉप के अंदर घुसा दिया.
ललिता के कोमल पेट के उपर अपना हाथ फेरते हुए उसके मुँह में पानी आ गया और ऐसा ही हाल ललिता का भी था.
उसने टॉप को दोनो तरफ से पकड़ा और एक ही झटके में उतार दिया. ललिता उसकी रफ़्तार देख कर एक बार फिर दंग रह गयी.
ललिता इंतजार कर रही थी कि अब ये ब्रा के हुक्स को कैसे खोलेगा मगर उसने हुक खोलने में समय बर्बाद
नहीं करा और ललिता की ब्रा को आगे की तरफ से फाड़ दिया. बड़ी बेदर्दी वो ललिता के स्तनो को मसल्ने लगा और फिर
दूसरे ही पल उसने अपनी शर्ट उतारी और ललिता के बदन से लिपटने लग गया. अपनी उंगलिओ से ललिता के चूची को दबाने लगा. ललिता की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी अब. ललिता के अंगो को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा और साथ साथ उसके चूचियो को मसल्ने लगा.