hotaks444
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उसकी मा बिस्तर पर पड़ी अपनी बदन से खेल रही थी और उनको कोई होश नहीं था... ललिता को यह पता चल गया था
कि उसकी मा का यह हाल किसी से फोन पे बात करने की वजह से था मगर एक बात ललिता को नही पता थी कि
वो सब चेतन का कारण था... जितनी भी इज़्ज़त वो अपनी मम्मी की करती थी वो अब सारी ख़तम हो गयी थी...
वो अपने पापा नारायण के बारे में सोचके अफ़सोस जताने लगी... उसे समझ नही आ रहा था कि वो ये किसी को बताए
भी या नहीं... काई सारे सवाल थे जिसका जवाब उसके पास नही था...
आज का दिन दोनो बहनो के लिए दिल्ली में आखरी दिन था... दोनो ने घर पे वक़्त बिताना ही ठीक समझा मगर उनके भाई चेतन का कुच्छ आता पता नहीं था... शन्नो ने अपने बेटे के फोन पे मैसेज लिख दिया था कि कल डॉली और ललिता
भोपाल जा रहे है जैसा कि तुम चाहते थे..... इस मैसेज के भेजने के बाद ही चेतन कुच्छ घंटे में घर आ गया था....
चेतन शन्नो के प्रति बिल्कुल एक अच्छे बेटे की तरह व्यवहार कर रहा था मगर ललिता ऐसा कुच्छ भी नही कर रही थी...
उसे अपनी मम्मी पे गुस्सा आ रहा था क्यूंकी कल रात वो किसी से फोन पे बात करते हुए नंगी बिस्तर पे पड़ी अपने
जिस्म से खेल रही थी.... कोई भी बेटी अपनी मा को ऐसी हालत में देखना पसंद नही करेगी मगर इसका असर एक अलग तरह से हुआ शन्नो की बेटी पे.... खैर पूरा दिन ऐसे ही बीत चुका था....
उधर भोपाल में रश्मि आज स्कूल से जल्दी चली गयी थी... नारायण को पूरे आधा दिन स्कूल में राहत मिली जिसका
वो बहुत आनंद उठा रहा था... रश्मि के आस पास भटकने के कारण उसके काई काम रुके हुए पड़े थे...
सब कुच्छ निपटाते निपटाते काफ़ी देर हो चुकी थी.. नारायण ने घड़ी पे समय देखा तो 3:30 तक बज चुके थे...
नारायण ने सोच लिया था कि घर जाकर वो चैन की नींद सोएगा... अपने कॅबिन को बंद करके वो अपना बॅग लेके स्कूल बाहर जाने के लिए निकला... उसे लगा था कि पूरा स्कूल जा चुका है क्यूंकी कोई दिखाई नहीं दे रहा था...
वो जल्दी जल्दी चलके जाने लगा और फिर उसे टेबल या चेर के हिलने की आवाज़ आई... उसके कदम एक दम से रुक गये
और वो धीरे धीरे पीछे की तरफ जाने लगा... हर क्लास के कमरे पर ताला लगा हुआ था मगर उसकी नज़र एक
कमरे पे पड़ी जिसपे कोई ताला नहीं था... उस क्लास रूम पर छोटा सा शीसा था जिसकी वजह से अंदर बाहर
देखा जा सकता था... नारायण ने अपनी आखें फैला कर देखा तो उसे कुच्छ दिखाई नही दिया...
वो थोड़ा टेढ़ा हुआ तो उसे किसी का पाँव हिलते हुए दिखाई दिया जोकि हर अगले सेकेंड आगे पीछे हीले जा रहा था...
नारायण को पता चल गया था कि कमरे में कुच्छ गड़बड़ हो रही है... वो ज़ोर ज़ोर से उस कमरे के दरवाज़े पर
मारने लग गया.... हाथो के साथ साथ लाते भी दरवाज़े पर बरसाने लगा और फिर उसे कुण्डी खुलने की आवाज़ आई...
क्लास रूम का दरवाज़ा खोलने वाला एक पीयान जोकि नारायण को देखकर ज़रा सा भी नहीं घबराया...
नारायण ने उसको हल्क्का सा धक्का देते हुए हटाया तो वो दंग रह गया... उस कमरे के कोने में एक टेबल पे टाँगें
फेला कर रीत बैठी हुई.. रीत के जिस्म पर सिर्फ़ के सफेद रंग की कच्छि थी और वो बेहद शर्मिंदा लग रही थी..
नारायण गुस्से में कमरे में गया और उससे पहले वो कुच्छ बोलता रीत ने कहा " सर आप जैसा कह रहे है मैं वैसा ही कर रही हूँ... प्लीज़ आप मेरे घर वालो को कुच्छ मत बताईएएगा"
ये सुनकर नारायण वहाँ खड़ा का खड़ा रह गया... वो बोला "ये क्या बकवास कर रही हो तुम"
रीत बोली " सर आपने ही तो कहा था कि इस पीयान के साथ के मुझे ये सब करना पड़ेगा तभी आप वो म्मस क्लिप मेरे घर वालो को नहीं दिखाओगे.."
नारायण के माथे पर पसीना छाया हुआ था और मूड के देखा तो वो पीयान भी वहाँ से जा चुका था... उसके पास रीत से कहने के लिए कुच्छ नहीं था मगर वो समझ गया था कि रश्मि उसे और रीत दोनो को ब्लॅकमेल कर रही है....
नारायण ने रीत को कपड़े पहनने के लिए कहा और यहाँ से जाने के लिए कहा... इन सब हर्कतो में नारायण को एक बात समझ नहीं आई कि आख़िर कार क्यूँ रश्मि रीत को एक पीयान से चुद्वायेगी
कि उसकी मा का यह हाल किसी से फोन पे बात करने की वजह से था मगर एक बात ललिता को नही पता थी कि
वो सब चेतन का कारण था... जितनी भी इज़्ज़त वो अपनी मम्मी की करती थी वो अब सारी ख़तम हो गयी थी...
वो अपने पापा नारायण के बारे में सोचके अफ़सोस जताने लगी... उसे समझ नही आ रहा था कि वो ये किसी को बताए
भी या नहीं... काई सारे सवाल थे जिसका जवाब उसके पास नही था...
आज का दिन दोनो बहनो के लिए दिल्ली में आखरी दिन था... दोनो ने घर पे वक़्त बिताना ही ठीक समझा मगर उनके भाई चेतन का कुच्छ आता पता नहीं था... शन्नो ने अपने बेटे के फोन पे मैसेज लिख दिया था कि कल डॉली और ललिता
भोपाल जा रहे है जैसा कि तुम चाहते थे..... इस मैसेज के भेजने के बाद ही चेतन कुच्छ घंटे में घर आ गया था....
चेतन शन्नो के प्रति बिल्कुल एक अच्छे बेटे की तरह व्यवहार कर रहा था मगर ललिता ऐसा कुच्छ भी नही कर रही थी...
उसे अपनी मम्मी पे गुस्सा आ रहा था क्यूंकी कल रात वो किसी से फोन पे बात करते हुए नंगी बिस्तर पे पड़ी अपने
जिस्म से खेल रही थी.... कोई भी बेटी अपनी मा को ऐसी हालत में देखना पसंद नही करेगी मगर इसका असर एक अलग तरह से हुआ शन्नो की बेटी पे.... खैर पूरा दिन ऐसे ही बीत चुका था....
उधर भोपाल में रश्मि आज स्कूल से जल्दी चली गयी थी... नारायण को पूरे आधा दिन स्कूल में राहत मिली जिसका
वो बहुत आनंद उठा रहा था... रश्मि के आस पास भटकने के कारण उसके काई काम रुके हुए पड़े थे...
सब कुच्छ निपटाते निपटाते काफ़ी देर हो चुकी थी.. नारायण ने घड़ी पे समय देखा तो 3:30 तक बज चुके थे...
नारायण ने सोच लिया था कि घर जाकर वो चैन की नींद सोएगा... अपने कॅबिन को बंद करके वो अपना बॅग लेके स्कूल बाहर जाने के लिए निकला... उसे लगा था कि पूरा स्कूल जा चुका है क्यूंकी कोई दिखाई नहीं दे रहा था...
वो जल्दी जल्दी चलके जाने लगा और फिर उसे टेबल या चेर के हिलने की आवाज़ आई... उसके कदम एक दम से रुक गये
और वो धीरे धीरे पीछे की तरफ जाने लगा... हर क्लास के कमरे पर ताला लगा हुआ था मगर उसकी नज़र एक
कमरे पे पड़ी जिसपे कोई ताला नहीं था... उस क्लास रूम पर छोटा सा शीसा था जिसकी वजह से अंदर बाहर
देखा जा सकता था... नारायण ने अपनी आखें फैला कर देखा तो उसे कुच्छ दिखाई नही दिया...
वो थोड़ा टेढ़ा हुआ तो उसे किसी का पाँव हिलते हुए दिखाई दिया जोकि हर अगले सेकेंड आगे पीछे हीले जा रहा था...
नारायण को पता चल गया था कि कमरे में कुच्छ गड़बड़ हो रही है... वो ज़ोर ज़ोर से उस कमरे के दरवाज़े पर
मारने लग गया.... हाथो के साथ साथ लाते भी दरवाज़े पर बरसाने लगा और फिर उसे कुण्डी खुलने की आवाज़ आई...
क्लास रूम का दरवाज़ा खोलने वाला एक पीयान जोकि नारायण को देखकर ज़रा सा भी नहीं घबराया...
नारायण ने उसको हल्क्का सा धक्का देते हुए हटाया तो वो दंग रह गया... उस कमरे के कोने में एक टेबल पे टाँगें
फेला कर रीत बैठी हुई.. रीत के जिस्म पर सिर्फ़ के सफेद रंग की कच्छि थी और वो बेहद शर्मिंदा लग रही थी..
नारायण गुस्से में कमरे में गया और उससे पहले वो कुच्छ बोलता रीत ने कहा " सर आप जैसा कह रहे है मैं वैसा ही कर रही हूँ... प्लीज़ आप मेरे घर वालो को कुच्छ मत बताईएएगा"
ये सुनकर नारायण वहाँ खड़ा का खड़ा रह गया... वो बोला "ये क्या बकवास कर रही हो तुम"
रीत बोली " सर आपने ही तो कहा था कि इस पीयान के साथ के मुझे ये सब करना पड़ेगा तभी आप वो म्मस क्लिप मेरे घर वालो को नहीं दिखाओगे.."
नारायण के माथे पर पसीना छाया हुआ था और मूड के देखा तो वो पीयान भी वहाँ से जा चुका था... उसके पास रीत से कहने के लिए कुच्छ नहीं था मगर वो समझ गया था कि रश्मि उसे और रीत दोनो को ब्लॅकमेल कर रही है....
नारायण ने रीत को कपड़े पहनने के लिए कहा और यहाँ से जाने के लिए कहा... इन सब हर्कतो में नारायण को एक बात समझ नहीं आई कि आख़िर कार क्यूँ रश्मि रीत को एक पीयान से चुद्वायेगी