Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास - Page 8 - SexBaba
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Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास

गतान्क से आगे……………………………………

उधर भोपाल में नारायण की ज़िंदगी काफ़ी रंगीन हो गयी थी... छुप छुप के मस्तिया करने में मज़ा ही कुच्छ और होता है और वो ही मज़ा नारायण को आने लगा था... रीत के वापस स्कूल आने के बाद नारायण से उसकी कोई ख़ास मुलाकात नहीं हुई क्यूंकी वो रश्मि के साथ ही लगा रहता था.... नारायण के कयि बारी कहने पर रश्मि ने स्कूल में थोड़े मॉडर्न कपड़े पहेन ने शुरू कर दिए थे और उसको ऐसे देख कर कयि स्कूल के टीचर्स/पीयान और यहाँ तक बच्चे भी मचल चुके थे..... कभी कबार जब वो स्कर्ट में होती तो नारायण उससे उसकी पैंटी उतरवा देता और खुली हवा का एहसास करवाता....

एक बारी कुच्छ दोपहर के 1 बज रहे थे और नारायण के कमरे में माहौल बड़ा रंगीन हो गया था....

रश्मि अपने बॉस को खुश करने के लिए उसके कॅबिन में गयी और उसकी कुर्सी के सामने और डेस्क के पीछे छुप के वो आराम से बैठके नारायण के लंड को चूस रही थी... नारायण को मस्ती तो बड़ी आ रही थी मगर असली मज़ा तब आया था जब सुधीर उसके कमरे में आया था.... एक आशिक़ के सामने उसकी महबूबा की बेशर्मी को देख कर नारायण पागल हुआ जा रहा था... सुधीर के कमरे में आने पर ही रश्मि ने भी अपना रॅनडिपना बढ़ा दिया था....

वो और मज़े लेके नारायण के लंड को चूसे जा रही और बिचारा नारायण किसी तरह अपने मज़े को च्छुपाने की

कोशिश कर रहा था... सुधीर ने नारायण से रश्मि के बारे में भी पूछा और उसने कुच्छ ना कुच्छ झूठी कहानी बना दी.... जैसी ही सुधीर वहाँ से निकला नारायण को राहत की साँस मिली और फिर अपना वीर्य अपनी नयी कुत्ति पे डाल दिया...

उसके अगली सुबह दिल्ली में दोनो बहनो का एग्ज़ॅम था और वो मौका था शन्नो और चेतन के पास माहॉल हसीन बनाने का मगर

वो सब चौपट हो गया जब उसकी शन्नो ने चेतन को बताया "आज मेरी बहन यानी के तुम्हारी आकांक्षा मासी आ रही है

तो प्लीज़ उसके रहने तक तुम कुच्छ हरकत नहीं करना" ये बात भी चेतन को काफ़ी देर में पता चली जिस वजह

से वो शन्नो से सुबह अपना लंड नहीं चुस्वा पाया और उस वजह से वो काफ़ी खफा भी था...

शन्नो की 2 बहने और भाई थे और उनमें से सबसे छ्होटी बहन आकांक्षा थी जोकि देहरादून में रहती थी....

वो दिल्ली आई हुई थी कुच्छ काम के सिलसिले में और ताकि वो अपनी बहन के जाने से पहले एक बारी मिल ले....

वैसे भी काफ़ी अरसे से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी और शन्नो नही चाहती थी ये मुलाकात किसी भी तरह खराब हो जाए

तो इसलिए वो चेतन को समझा रही थी.... चेतन का भी यहाँ रुकने मैं कोई फ़ायदा नहीं था और उसने शन्नो की

परेशानी हल कर दी और वो चंदर से मिलने चला गया...
 
फिर शन्नो ने जल्दी से खाना चढ़ाया और नहा के तैयार हो गयी....उसने सारा खाना अपनी बहन की पसंद का बनाया

और वो बस उसके आने का इंतजार कर रही थी.... कुच्छ 11 बजे घर की घंटी बजी और चेहरे पे बड़ी मुस्कान लिए

वो दरवाज़ा खोलने गयी... अपनी बहन आकांक्षा को देख कर वो काफ़ी खुश हो गयी थी... आकांक्षा का असली नाम कौशल था

मगर उसने शादी के बाद अपना नाम बदल लिया था.... शन्नो आकांक्षा से गले मिली और उसको घर के अंदर लेके आई.... आकांक्षा आके सोफे पे बैठी और पूछा "दीदी बच्चे कहाँ है?? कितना समय हो गया उन्हे देखे हुए...

अब तो काफ़ी बड़े भी हो गये होंगे"

शन्नो ने कहा "बस स्कूल गये है... डॉली और ललिता का तो एग्ज़ॅम है और बेटा भी एग्ज़ॅम के सिलसिले में दोस्त के पास

गया है...अच्छा है ना हम दोनो को बात करने का समय मिल गया"

दोनो ने ढेर सारी बात करी और फिर शन्नो ने फिर से वोई बात छेड़ दी जिसको उसकी बहन सुनना नहीं चाहती थी "

आकांक्षा अभी भी तूने उस बारे में नही सोचा है"

"किस बारे में दीदी" आकांक्षा अंजान बनके बोली

शन्नो ने कहा "तू जानती है मेरा क्या मतलब है... शादी के बारे में"

आकांक्षा बोली "दीदी आप प्लीज़ फिर से ये बात शुरू ना करो"

शन्नो गुज़ारिश करते हुए बोली " मैं मानती हू जो हुआ वो ग़लत हुआ... रोहित (उसका पति) तुम्हे छोड़के गया उसमें

तुम्हारी कोई ग़लती नहीं थी मगर देखो तुम्हारा एक छोटा बेटा है जिसको बाप की ज़रूरत है... तुम अगर नहीं

भी करना चाहती तो कम से कम उसका तो सोचो... उसको भी बाप क्या प्यार चाहिए होता होगा "

(हुआ ऐसा था कि आकांक्षा की शादी रोहित नाम के शक़्स से हुई थी.... दोनो ने एक अपने परिवार से लड़ झगदके शादी

करी थी .... शादी के बाद रोहित ने आकांक्षा के साथ बहुत एंजाय

करा मगर बच्चे होने के कुच्छ महीने बाद ही वो उसे दूसरी औरत के लिए छोड़ कर भाग गया और इसी वजह

आकांक्षा ने दूसरी शादी नहीं करी...)

आकांक्षा चिढ़ के बोली "इसलिए मैं आप में से किसी से भी नहीं मिलना चाहती... जब देखो शादी शादी करते रहते हो...

नहीं मुझे करनी शादी किसी से भी"

शन्नो आकांक्षा को गुस्से में देख कर चुप हो गयी और उसको शांत करने में लग गयी... कुच्छ देर बाद आकांक्षा का

गुस्सा शांत हो गया जिससे शन्नो को काफ़ी राहत मिली...

फिर कुच्छ 12:15 बजे घर की घंटी बजी और शन्नो को लगा कि ये उसका बेटा चेतन ही होगा... शन्नो के दिल में हल्की

घबराहट छाई हुई थी...
 
.चेतन को देख कर शन्नो ने कोशिश करी कि सब कुच्छ साधारण सा लगे...

उसने दरवाज़ा खोला तो चेतन घर में आया और आकांक्षा को देखा... आकांक्षा उसको देख कर सोफे से खड़ी हो

गयी और बड़ी खुशी से उसे मिली... आकांक्षा ने चेतन के गाल को हल्के से चूम लिया जिसको देख कर शन्नो को अच्छा

नहीं लगा... आकांक्षा अब पूरी तरह शन्नो से हुई उस बहस को भूल गयी थी और चेतन से खुश होकर

बातें करने लगी... चेतन भी दोनो बहनो को देखकर काफ़ी सोच में पड़ा हुआ था... उसकी मा शन्नो और आकांक्षा

में कुच्छ ख़ास अंतर नहीं था... दोनो के चेहरा सफेद और खूबसूरत था.. उसके बाल शन्नो के बालो से काफ़ी छोटे

थे यानी कंधे तक आते थे...जिस्म काफ़ी हद तक एक जैसे थे बेसक आकांक्षा थोड़ी पतली थी मगर उसके मम्मो और

नितंब का साइज़ शन्नो के मुक़ाबले का ही था... आकांक्षा की उम्र वैसे तो 38 थी मगर वो कुच्छ 34-35 तक लग रही थी

क्यूंकी उसका पहनावा भी आंटिओ वाला नहीं था.... आकांक्षा ने एक गहरे ब्राउन रंग का टॉप पहेन रखा था उसका अंदर

एक सफेद रंग की नूडल स्टाप बनियान और नीचे घुटनो से लंबी काली स्कर्ट थी.... चेतन को नही लगता था कि उसकी मासी इतनी मॉडर्न है...

शन्नो अपनी बहन को चेतन के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी मगर बार बार उठ कर प्रेशर कुक्कर की सीटी

बंद करने के लिए उठ रही थी क्यूंकी वो अपने आप बंद नही हो रही थी.... चेतन शन्नो के साथ लंबे वाले सोफे पे

बैठा था और उसके सीधे हाथ वाले छोटे सोफे पर उसकी मासी आकांक्षा थी... आखरी में जब शन्नो गॅस बंद

करके आई तो चैन की साँस लेके सोफे पे बैठी.... चेतन आकांक्षा से बात करकरके काफ़ी बोरा हो चुका था तो उसने अपना

सीधा हाथ अपनी मम्मी की कमर की तरफ रख दिया... धीरे धीरे वो अपना हाथ उसपे फेरने लगा... आकांक्षा को

वो हाथ दिखाई नही देने वाला था जिसका फ़ायदा चेतन उठा रहा था... शन्नो के काले कुर्ते पीछे से थोड़ा उठाकर

चेतन ने अपना हाथ उसकी पीठ के निचले हिस्से पे रख दिया..... शन्नो के चेहरे पे हल्की सी शिक्कन छा गयी थी जोकि

आकांक्षा को ज़ाहिर हो रही थी.... चेतन को उससे कोई मतलब नहीं था वो अपना हाथ शन्नोकी नंगी कमर पे

फेरे जा रहा था... फिर एक कदम और आगे बढ़ के चेतन ने अपना हाथ शन्नो की सलवार में घुसाने की कोशिश करी...

शन्नो की सलवार नाडे से बँधी हुई थी मगर चेतन रुकने का नाम ही नही ले रहा था... जब भी वो हाथ अंदर घुसाने

की कोशिश करता शन्नो को नाडे की वजह से दर्द होता और वो काप जाती.... चेतन अपने मकसद में कामयाब हो गया

और शन्नो की सफेद पैंटी के अंदर उंगली डालके शन्नो के नितंब के बीच वाले हिस्से की उपरी तरफ अपनी उंगली चलाने लग गया....
 
वो उंगली सबसे उपरी हिस्से पे हिल रही थी जिस वजह से शन्नो को गुदगुदी सी होने लगी....

वो मदहोश हो चुकी थी और वो अब और रुक नहीं सकती थी... अपने आपको बचाने के लिए वो वहाँ से उठी और टाय्लेट के बहाने वहाँ से भाग गयी.... चेतन भी वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चले गया...

खाना खाने के वक़्त आकांक्षा ने शन्नो को कहा "चेतन से पुछ लो खाने के लिए"

शन्नो ने बोला "वो नहीं खाएगा ना... हम दोनो खाते है"

आकांक्षा बोली "मेरा तो ख़तम हो ही गया है... तो मैं पुछ लूँ उससे?? आप खाना खाओ"

शन्नो ने आकांक्षा को वही रोका और उठ कर चेतन के कमरे की तरफ गयी.... शन्नो ने जब दरवाज़ा खोला तो चेतन ने एक दम से उसे अंदर की तरफ खीच लिया और उसके बदन को चूमने लग गया....

शन्नो दबी आवाज़ में बोलने लगी "तुम्हारी मासी है बाहर... छोड़ो मुझे प्लीज़ छोड़ चेतन" और

चेतन ने शन्नो को जाने दिया... चेतन के ऐसे बर्ताव से शन्नो बेहद परेशान थी मगर फिर जब चेतन ने उसे अपनी

गिरफ़्त से आज़ाद कर दिया तब क्यूँ उसका बदन आज़ाद होना नहीं चाह रहा था.... परेशान शन्नो वहाँ से निकली और

अपनी बहन के पास जाके बैठ गयी... आकांक्षा को ऑफीस से कॉल आया और उसे दोपहर की मीटिंग के बारे में याद

दिलाया जो वो एक दम भूल गयी थी... मीठा खाने का बाद शन्नो सारा समान किचन में रखने गयी...

चेतन अपने कमरे के बाहर निकला और किचन में घुसते ही शन्नो के नितंब पे हाथ फेरता हुआ गुज़रा....

शन्नो शरम से पानी पानी हो रही थी... चेतन को अपनी मा पर ज़रा भी दया नहीं आई और उसकी गान्ड पे उसने ज़ोर

से चींटी मार दी... शन्नो अंदर ही अंदर ज़ोर से चिल्लाई और फिर टाय्लेट में चली गयी... उसी दौरान आकांक्षा के

फोन पे फिर से ऑफीस से कॉल आया और उसे जल्दी ऑफीस में आने को कहा... शन्नो टाय्लेट के अंदर अपनी सलवार खोलके अपने नितंब को देखने लगी जिसपे एक लाल निशान पड़ गया था... इन्न सारी हर्कतो की वजह से उसकी चूत गीली हो चुकी थी...

शन्नो अब आकांक्षा के सामने नहीं जाना चाहती थी तो उसने आकांक्षा को जाने के लिए कह दिया और आकांक्षा भी जल्दी

जल्दी में चेतन से मिलकर वहाँ से चली गयी...

जब घर का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई तो चेतन टाय्लेट के दरवाज़े को धीरे धीरे खटखटाने लग गया... वो बोला

"मा टाय्लेट में क्या चल रहा है.. वो भी अकेले अकेले??" ये बोलके वो हँसने लग गया.... फिर वो बोला "अच्छा ग़लती हो गयी थी... मैं रोक नही पाया था अपने आपको... दरवाज़ा खोलो ना"

शन्नो ने दरवाज़ा खोला तो चेतन उसे देख कर बोला "इतनी गरम हो गयी थी कि सलवार भी उतारनी पड़ी.??"

शन्नो ने ये सुनके अपनी सलवार को ज़मीन से उठाया.... चेतन ने सलवार को दूसरी तरफ से पकड़ा और उसको खीचता

खीचता किचन में ले आया... किचन में आके शन्नो ने सलवार को छोड़ दिया और नीचे सिर्फ़ सैफैद रंग की पैंटी में

खड़ी रही....
 
चेतन शन्नो के पास बढ़ा और अपने सीधे हाथ की सबसे बड़ी उंगली अपनी मम्मी की चूत में पैंटी

समैत घुसा दी... दर्द के मारे शन्नो अपने बेटे से लिपट गयी और चेतन उल्टे हाथ से शन्नो के नितंब को दबाने लगा... चेतन ने अपनी उंगली शन्नो की चूत में से निकाली और शन्नो को किचन की स्लॅब के सहारे खड़ा कर दिया...

शन्नो की चूत को कच्छि से आज़ाद करके चेतन ने अपनी जीन्स उतारी और शन्नो की चूत चोद्ने लग गया...

धीरे धीरे अपनी मा की चूत चोद्ने लगा और उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी.... चेतन ने शन्नो को बोला

"अपनी सलवार उतारो मम्मिजान.. मैं तुम्हे पूरा नंगा देखना चाहता हूँ"

जब भी चेतन ऐसी बातें करता था शन्नो के चेहरे पे गुस्सा नहीं बल्कि और खुमारी छा जाती थी...

शन्नो ने हिम्मत दिखाकर अपनी किचन की स्लॅब को छोड़ा और चेतन के लंड के सहारे खड़ी रहके अपनी सलवार

को उतार दिया.... चेतन ने शन्नो के पेट को जकड़ा और उसे उसी पोज़िशन में चोद्ता रहा...

फिर चेतन के दिमाग़ में एक और गंदा ख़याल आया... उसने शन्नो को किचन की स्लॅब पे बैठने को कहा....

शन्नो पहले स्लॅब पे चढ़ि और उसपे टाय्लेट करने की पोज़िशन में बैठ गयी... उसकी गान्ड हवा में थी और उसकी

कमर को पकड़ के चेतन ने अपनालंड शन्नो की चूत में फिरसे डाल दिया.... ऐसे चुदाई करवाने मे शन्नो को बहुत मज़ा

आ रहा था.. चेतन ने उसको चोद्ते हुए पूछा "क्या ऐसे कभी चोदा भी है पापा ने" शन्नो बोली

"तुम हमेशा ऐसी शरम्नाक चीज़े करवाते हो मुझसे"

चेतन ये सुनके और तेज़ी से चोद्ने लग गया... अपना सीधा हाथ बढ़ाते हुए उसने शन्नो की ब्रा के हुक्स को खोला जोकि

नीचे गिर गयी... शन्नो के मम्मे हवा में आज़ाद कूदने लगे.... शन्नो ने अपनी नज़रे नीचे की तरफ की

तो उसके बेटे का लंड उसकी गीली चूत में अंदर बाहर हो रहा था... पूरे ड्रॉयिंग रूम मे सिसकिओं की आवाज़ छाई हुई थी...

किसिको बाहर की दुनिया से कुच्छ नहीं लेना देना था....

मगर फिर एक चीख आई जो कि शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री

मगर फिर एक आवाज़ शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री " डिदीईईईईईई"

शन्नो ने मूड के देखा तो उल्टे हाथ की तरफ एक दम कोने में दो सोफो के बीच में उसकी बहन उसे चुद्ते

हुए देख रही थी और वो भी अपने खुद के बेटे से.... शन्नो वही पर ही शरम के मारे मर गयी मगर चेतन को

कुच्छ असर नहीं पड़ा.. वो अभी भी अपनी मा को चोदे जा रहा था...

"चेतन छोड़ो मेरी बहन को... तुम्हे शरम नही आती अपनी मा के साथ ऐसा करते हुए... पहले अपनी मासी के हाथ

पाँव और मुँह बाँध दिया ताकि वो तुम्हे कुच्छ बोल ना पाए और तुम अब अपनी मा से बदतमीज़ी कर रहे हो"

आकांक्षा ने चेतन को गुस्से में बोला...
 
ये सुनके चेतन शन्नो को चोद्ता चोद्ता रुक गया... उसका लंड अभी भी शन्नो की चूत में घुसा पड़ा था मगर

वो उसे हिला नहीं रहा था.... "क्या तुम्हारी दीदी भी यही चाहती है.. क्यूँ मम्मी??" चेतन ने आकांक्षा को देखकर

शन्नो से पूछा मगर शन्नो इस बात का कोई जवाब दे नहीं पाई... उसकी बहती हुई चूत ही उसका सारा हाल

बयान कर रही थी.... चेतन फिर से शन्नो को चोद ने लगा और आकांक्षा उसे रोकने को कहती रही...

शन्नो आकांक्षा से बिनति करते हुए बोली "प्लीज़ इधर मत देखो आकांक्षा प्लीज़ मुझे मत देखो"

आकांक्षा बोली " जानवर हो आप दोनो... आपको शरम नहीं आती.... आपकी दो बेटियाँ है एक अच्च्छा पति है तब भी

आप ये सब होने दे रही है"

शन्नो ने ना चाहते हुए भी चेतन को रुकने के लिए कह दिया... मगर चेतन तब भी नहीं रुका और बोला

"मुझे क्या मिलेगा रुकने पर"

कुच्छ देर दोनो बहने कुच्छ नहीं बोल पाई और फिर आकांक्षा ने हिम्मत दिखाते हुए कहा "अगर तुम मेरी बहन को अकेला छोड़ दोगे तो मैं अपने आपको तुम्हे सौप दूँगी..."

ये सुनके शन्नो बोली "पागल हो गई है क्या आकांक्षा"

चेतन ज़ोर से हँस पड़ा और बोला " अपने आपको सौपने का मतलब"

शन्नो चेतन को बोलने लगी तुम "मेरी बहन से मत बात करो... तुम मुझे चोद लो जितना चाहो"

आकांक्षा शन्नो को ऐसी हालत में परेशान देखकर बोली "मैं तुम्हे अपने आपको चोद्ने को दूँगी अगर तुम अभी

मेरी बहन को आज़ाद करते हो"

चेतन एक दम वही रुक गया और अपना लंड जोकि शन्नो की चूत से गीला पड़ा था निकालकर आकांक्षा की तरफ बढ़ा....

शन्नो किचन पे फर्श पे आधी लेटी हुई थी... वो अपने बेटे को अपनी बहन के पास नंगा जाते हुए देख रही थी...

क्रमशः…………………..
 
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]गतान्क से आगे……………………………………

चेतन ने अपनी ताक़त दिखाते हुए सोफे को धक्का देते हुए हटाया और आकांक्षा को वहाँ बैठे हुए

लाचार देखने लगा... वो फर्श पे बैठा और अपने सीधे हाथ से आकांक्षा के मम्मो को हल्के से दबाया...

उस चुअन के असर की वजह से आकांक्षा ने अपनी आखें बंद करली... चेतन ने अपनी मासी की काली स्कर्ट उठाया और

उसकी मलाई जाँघो को देखने लगा...अपना हाथ उन जाँघो पे वो फेरने लगा और आकांक्षा की टाँगें कापने लगी....

उसने आकांक्षा की स्कर्ट और उठाया और उसकी चूत एक पीली रंग की पैंटी से धकि हुई थी और पीला रंग काफ़ी

हल्का होता है जिस वजह से चेतन को अपनी मासी की चूत की नमी सॉफ दिखाई दे रही थी और बोला

"अपनी बहन को चुद्ते हुए देख काफ़ी गीली हो गई है आपकी चूत मासी"

अपनी उगली वो आकांक्षा की चूत पे उपर नीचे करने लग गया... जब उसे आकांक्षा पे पूरा भरोसा हो गया तो

उसने उसकी टाँग पे बँधी रस्सी को खोल दिया और उसको कोने से उठाकर थोड़ा बाहर की तरफ ले आया....

आकांक्षा के चेहरे पे घबराहट, उत्सुकता, डर, रोना सब झलक रहे थे मगर चेतन को किसी चीज़ की कुच्छ

परवाह नहीं था.... चेतन ने आकांक्षा की सीधी टाँग को पकड़ा और उसको चूमने लग गया और चूमता चूमता

उसकी जाँघो तक पहुच गया... अपने उल्टे हाथ से चेतन शन्नो के मम्मो को दबाने लग गया...

आकांक्षा के नज़रे चेतन के लंड पे थी जोकि फिर से बड़ा होने लगा था... चेतन ने आकांक्षा की नज़रो को अपने लंड पे

देखा और हँस कर बोला "क्या चूसने का मन है" ये कहकर अपना लंड आकांक्षा के मुँह की तरफ ले गया और

आकांक्षा ने ना चाहते हुए भी अपना मुँह खोला और चेतन के लंड को अपने मुँह में लिया... धीरे धीरे उसने चूसना

शुरू करा और फिर अच्छे तरीके से लंड को चूसने लगी... चेतन आकांक्षा को देख कर बोला

"अपनी पति के बाद कितनो के लंड को चूस चुकी हो क्यूंकी इसमे तो तुम मा से बेहतर हो" आकांक्षा को ये सुनके शरम

भी आई और अजीब सी खुशी भी मिली... उसने जवाब नहीं दिया और बस लंड चूस्ति रही....

चेतन का लंड ढकने लगा तो उसने अपने लंड को आकांक्षा के मुँह से आज़ाद कराया और आकांक्षा को खड़े होने को कहा....

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. 
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, 
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ 
(¨`·.·´¨) Always 
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & 
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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rajsharmaSuper memberPosts: 6568Joined: 10 Oct 2014 07:07Contact: 
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Re: जिस्म की प्यास[/font]


[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]Post by rajsharma » 31 Oct 2014 10:08[/font]
सोफे पे हाथ रख के आकांक्षा चेतन के लंड का इंतजार करने लगी.... चेतन ने आकांक्षा की स्कर्ट को उपर उठा दिया

और उसकी पीली कच्छि को उतार फेका.... चेतन ने आकांक्षा के नितंब पे हाथ गढ़ाए और अपना लंड आकांक्षा की

चूत में डालने लगा... मगर उसने अंदर डाला नहीं बल्कि आकांक्षा की पीठ के निचले हिस्से पर अपना लंड हिलाने लग गया... आकांक्षा की चूत में से पानी टपक रहा था जिससे चेतन को सॉफ पता चल गया था कि उसकी मासी को कितनी

तड़प है लंड की... चेतन ने आकांक्षा से पूछा "अगर मेरा सख़्त लंड चाहिए तो उसके लिए तुम्हे भीक माँगनी पड़ेगी"

और जब आकांक्षा ने कहा "प्लीज़ अपने लंड से मेरी चुदाई करो चेतन... मैं और नहीं रुक सकती"

तो शन्नो के कान फटे के फटे रह गये... उसने अपनी चूत को देखा जोकि अभी भी गीली लंड की फरियाद कर रही थी

मगर वो लंड अब उसकी बहन की चूत में जाने वाला था... आकांक्षा के गिद्गिडाने पर आख़िर कार चेतन ने

अपना लंड अपनी मासी की चूत में डाला और आकांक्षा खुशी के मारे पागल हो गयी... चेतन उसको चोद्ने लगा और

आकांक्षा उसका भरपूर आनंद लेती रही.... चेतन ने आकांक्षा के टॉप को भी उतार दिया जिसमें उसकी मासी ने

खुद उसकी मदद करी... उसकी ब्रा के हुक्स खोलके जब चेतन ने आकांक्षा के मम्मे देख कर तो उसने आकांक्षा को

सोफे पे बिठा दिया और उसकी टाँगें चौड़ी करके चोद्ना फिरसे शुरू करा... आकांक्षा के मम्मे शन्नो के जितने बड़े

नहीं थे मगर उनको ज़रूर टक्कर दे सकते थे ख़ासतौर पे चुचियाँ की निप्पल इतनी मुलायम थी कि छुते ही

आकांक्षा मस्ती में काप उठती.... आकांक्षा के मम्मो उपर नीचे हीले जा रहे थे जिनको पकड़के चेतन ज़ोर से दबाए जा रहा था....

शन्नो फर्श से उठी और हार कर अपने कमरे में चली गयी... चेतन और आकांक्षा को कुच्छ फरक नहीं पड़ा और

उन्होने चुदाई को जारी रखा और फिर चोद्ते चोद्ते चेतन ने अपना सारा वीर्य अपनी मासी के बड़े मुलायम

मम्मो पे डाल दिया...

कुच्छ देर बाद आकांक्षा अपने आपको सॉफ कर के वहाँ से चली गयी और चेतन भी कहीं घर से बाहर चले गया....

शन्नो अभी भी नंगी थी और अपने कमरे से बाहर निकलके वो चेतन को ढूँढने लगी... वो नंगी अपने पूरे घर में

चेतन को ढूँढती रही मगर उसको उसका बेटा कही नहीं दिखा.... हारकर वो वापस अपने कमरे के बिस्तर पे

जाके बैठ गयी.... उसे यकीन हो गया था कि चेतन उसकी बहन आकांक्षा के साथ कहीं गया है...

उसे ज़रा सा भी गुस्सा चेतन पे नहीं आ रहा था मगर अपनी बहन से वो काफ़ी गुस्सा हो गयी थी या फिर ये कहो कि

जल गयी थी... उसके दिमाग़ में चलने लगा कि आकांक्षा उसे उम्र में छोटी है और ज़्यादा सुंदर भी दिखती है

तभी चेतन ने आकांक्षा के लिए उसको छोड़ दिया....
 
उधर भोपाल में हमेशा की तरह नारायण का लंड रश्मि के मुँह के लिए तड़प रहा था.... वो स्कूल में उसे

चोद तो नहीं सकता था मगर अपना लंड ज़रूर चुस्वाता था.... वो अपने कॅबिन में से रश्मि के कॅबिन में

देख रहा था मगर रश्मि का कुच्छ अता पता नहीं था... पिच्छले आधे घंटे से वो वहाँ नहीं थी...

नारायण सोचता के साली किसी और से तो चुदवाने नहीं चली गयी है... उसने सुधीर को कॉल करके उससे पूछा

"तुमने क्या रश्मि को देखा है कहीं" सुधीर ने कहा "नहीं सर आज पूरे दिन वो मुझे मिली नहीं... क्या कॅबिन में नहीं है??"

नारायण ने चिढ़ के कहा "अगर कॅबिन में होती तो तुमसे पूछता क्या??" सुधीर ने शर्मिंदा होके नारायण से माफी माँगी....

नारायण की आँखें चौंधिया गयी जब रश्मि ने उसके कॅबिन का दरवाज़ा खोला... उसके काले बाल खुले हुए थे और

वो सफेद सारी में अपनी कमर पे हाथ रखे खड़ी हुई थी... उसको देखकर ही नारायण बोला "आजा मेरी रानी...

मेरे लंड का कुच्छ इलाज कर"

रश्मि चलती हुई नारायण के पास गयी और नारायण पे बैठी... नारायण ने काफ़ी मचलते हुए अपनी पॅंट की ज़िप खोलके अपने अंडरवेर में से लंड को निकाला और रश्मि को पेश करा.... और फिर दर्द के मारे उसकी चीख निकल गयी...

रश्मि ने नारायण के लंड को ज़ोर से पकड़ लिया और अपने नाख़ून गढ़ा दिए.....

"रंडी क्या कर रही है" नारायण ने रश्मि के बाल खीचे ज़मीन पे गिरा दिया.... नारायण अपना लंड सहलाता हुआ

उसका दर्द मिटाने की कोशिश करने लगा... रश्मि फर्श से उठी और अपने ब्लाउस में हाथ डालकर उसने एक सफेद रंग का

लिफ़ाफ़ा निकाला..... नारायण लिफाफे को देखकर

बोला "क्या है ये??" रश्मि बोली "खुद क्यूँ नही देखता"

रश्मि की ऐसी बदतमीज़ी देख कर नारायण ने उसे लिफ़ाफ़ा छीना और उसको खोलके देखा और वो दंग रह गया....

उसके हाथो में कुच्छ 7-8 पिक्स थी जिसमें सॉफ दिखाई दे रहा था कि वो रश्मि और नवरीत के साथ एक बिस्तर में नंगा

चुदाई चुदाई खेल रहा था..... नारायण के चेहरे की रंगत एक दम गुल हो गयी थी और वहीं रश्मि उसकी हालत देखकर

हँसने लगी...

नारायण की ज़ुबान ने लड़खड़ाते हुए पूछा "इसका क्या मतलब है"

रश्मि बड़ा इतराते हुए बोली "ये तेरी पोल खोलने के लिए"

नारायण गुस्से में उसको फाड़ने वाला था तब रश्मि बोली "चूतिए ये तो सिर्फ़ ट्रेलर है पूरी पिक्चर तो मेरे पास

जिसमें कुच्छ 40 मिनट तक तू मेरे और उस लड़की के साथ मस्ती कर रहा था.... "

नारायण घबराके बोला "तुम तुम अब ये क्यूँ कर रही हो... और मैने तुम्हारे कहने पे करा था ये सब तो"

रश्मि बोली "चाहती तो तुझे उसके अगले दिन ये दिखा के तमाचा मार देती लेकिन में भी तुझसे मज़े ले रही थी...

और अब में थक गयी थी और यूँ कहूँ कि बोर हो गयी थी तेरे बूढ़े लंड से"

नारायण ये सुनके और भी शर्मिंदा हो गया...

रश्मि फिर बोली "ज़ाहिर सी बात है ये पिक्चर मैने तेरा लंड खड़ा करने के लिए तो नहीं दिखाई है तो अब असली बात सुन....

अगर तू चाहता है कि ये पिक्स तेरी बीवी बच्चो को या फिर इस स्कूल के किसी कोने में ना मिले तो तू मुझे हर महीने

10000 रुपय कॅश में देगा..... नहीं देने का तो सवाल उठता ही नहीं है... चल अब मैं जाती हूँ तू इन पिक्चर्स के

साथ एंजाय कर...
 
नारायण अभी भी अपनी कुर्सी पे बैठा हैरान था.. उसके माथे से पसीना टपक रहा था.. हाथ काप रहे थे...

एक लड़की को चोद्ने के लिए वो इतना बेताब हो रहा था और अब उसी ने उसकी गान्ड मार दी थी.... उसने संभालके उन

पिक्चरो को लिफाफे में डाला और तुर्रंत स्कूल से चला गया....

उधर दिल्ली में रात के कुच्छ 2:30 बजे शन्नो अपने बिस्तर पे अकेली पड़ी पलटिया ले रही थी... इतनी देर सोने की कोशिश करने के बावजूद उसे कुच्छ हासिल नहीं... उसके दिमाग़ में से उसकी बहन और उसके बेटे के साथ होने का दृश्य

दिमाग़ से हट नहीं रहा था.... परेशान होकर वो अपने बिस्तर से उठी और अपनी गुलाबी सफेद नाइटी में

वो दबे पाँव अपने कमरे के बाहर निकली.... उसके कदम अपने बेटे के कमरे पे जाके रुके... उसे पता था ज़रा सा शोर

से भी अगर उसकी बेटियाँ जाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा... उसने अपने बेटे के कमरे का दरवाज़ा खोला जहाँ बिल्कुल अंधेरा

था... शन्नो ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर्दिआ और उसपे कुण्डी भी लगा दी... दबे पाँव वो चेतन के बिस्तर

के पास गयी और उसने आहिस्ते से अपने बेटे को पुकारा "चेतन..." चेतन ने कुच्छ जवाब नहीं दिया...

शन्नो ने फिर से कहा मगर इस बार थोड़ा तेज़ "चेतन' मगर इस बार भी चेतन ने अपनी मम्मी के पुकारने पर

कुच्छ जवाब नहीं दिया... अंधेरे में शन्नो को चेतन की शक़्ल नहीं दिख रही थी और वो उसको बस एक बारी देखना चाहती थी... उसने बिस्तर के साथ रखी हुई मेज़ पर पड़े लॅंप को ऑन कर दिया और हल्की रोशनी कमरे में फेल गयी...

शन्नो चेतन के चेहरे को देख रही थी... ऐसा लग रहा था कि चेतन बड़ी गहरी नींद में सो रहा हो...

शन्नो ने अपना हाथ बढ़ाया और अपने बेटे के गालो प्यार से छुआ... अभी भी उसके दिमाग़ में आकांक्षा के प्रति

ज्वालामुखी पनप रहा था कि कैसे उसने मेरे बेटे को मुझसे छीन लिया... शन्नो के हाथ चेतन पे पड़ी चद्दर पे

गया और उसको सरकाते हुए शन्नो ने चेतन के बदन से हटा दिया... चेतन बिस्तर पे पूरा सीधा लेटा हुआ बस

उसकी मुंदी सीधी दीवार की तरफ थी.... चेतन ने पाजामा और टी-शर्ट पहेन रखी थी जोकि सोने के कारण उपर हुई पड़ी थी.... चेतन की नाभि और थोड़ा सा पेट शन्नो को दिखाई दे रहा था... उसका काप्ता हुआ हाथ आगे बढ़ा और चेतन के

पेट को महसूस करने लगा.... उसके उल्टे हाथ की कलाई ने ग़लती से उसके लंड को च्छू लिया और शन्नो ने घबराहट में अपना

हाथ वापस खीच लिया.... शन्नो को महसूस हो गया था कि उसका दिल कितने ज़ोरो से धड़क रहा था, कि उसका दिमाग़ कुच्छ अच्छा बुरा नहीं सोच रहा था.. उसकी चूत कितनी गीली हो रखी थी, कि अब पीछे हटने का कोई मतलब नही था....

शन्नो ने हाथ बढ़ाकर चेतन के लंड पर रख दिया जोकि पाजामें था... आहिस्ते आहिस्ते वो अपना हाथ हिलाने लग गयी....

उसने फिर बड़ी सावधानी से अपने बेटे के पाजामें को दोनो तरफ से पकड़ा और उसकी जाँघो तक उतार दिया....

चेतन ने अंदर कच्छा नहीं पहना हुआ था और उसके सोता हुआ लंड शन्नो के सामने था... उसको पकड़के के शन्नो

उसपे उंगलिया चलाने लग गयी.... उसका गला सूख गया... वो झुकी तो उसके बाल चेतन के पेट पर झूलने लगे क्यूंकी उसने अपना मुँह खोलके चेतन के लंड पर रख दिया था.... उसके लाल होंठ अपने बेटे के लंड को चूसने मे लगे थे...

चेतन का लंड भी बड़ा होने लगा और शन्नो के जिस्म की प्यास भी बढ़ने लगी थी... शन्नो ने अपने सीधे से हाथ से अपनी

नाइटी को उठाया और उसमें हाथ डालके अपनी चूत को मसल्ने लगी... उसकी चूत मानो नलका बन गयी हो जो हर बारी

छुने पे पानी छोड़ देती थी... उसने चेतन के चेहरे को देखा और बस उसने वो करने की सोचली जो वो यहाँ करने आई थी....
 
वो बिस्तर पे खड़ी हुई और अपनी नाइटी में हाथ डालकर उसने अपनी पैंटी को उतार फेका....

फिर बड़ी आराम से वो चेतन के सिर के उपर तक अपनी गान्ड ले गयी ताकि उसकी चूत को चेतन के होंठो से छुआ पाए...

धीरे धीरे वो अपनी चूत को चेतन के होंठो से छुआ रही... उसकी चूत के पानी की एक बूँद चेतन के होंठो पे लगी...

शन्नो वहाँ बैठे बैठे दुआ माँग रही थी कि चेतन मेरी चूत को चॅटो प्लीज़ अपनी मा की चूत का रस पिओ....

शन्नो अपनी आँखें बंद कर अपनी चूत हिलाने लगी और वो एक दम से चौकी जब उसके बेटे की गीली ज़ुबान ने उसकी चूत को चॅटा..... शन्नो वहाँ से जब उठने लगी तो चेतन ने उसकी जाँघो को जाकड़ लिया ताकि वो जा ना पाए और उसकी चूतचाटने लगा..

"यही चाहती थी ना आप... कि मैं आपकी गीली चूत को चातु" चेतन शन्नो की चूत को चाट्ता हुआ बोला

"तुम जागे हुए थे" शन्नो ने चेतन से धीमी आवाज़ में पूछा

चेतन बोला "मैं तो तबसे जगा हुआ था जब मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला था और आप मेरे पास आकर बेताब हुई बैठी थी... मैं तो बस इसी का इंतजार कर रहा था कि कब आप शुरूवात करें... फिर मेरा मन करा की और इंतजार करके देखु कि

मेरी मम्मी और कितना आगे जाएँगी..." चेतन शन्नो की चूत चाटते जा रहा था और शन्नो मस्ती में धीमी धीमी

सिसकियाँ ले रही थी.... चेतन जानता था कि उसकी मा की छूट सिर्फ़ चाटने और चूसने से शांत नही होगी उसको ठोकना पड़ेगा

और सच बात तो ये था कि चेतन ये करने के लिए इस पूरे वक़्त बेताब था... चेतन ने शन्नो को अपने उपर से हटाया और

अपने पाजामे को पूरा उतार दिया...

शन्नो बोली "ये... ये क्या कर रहे हो तुम"

चेतन बोला "वोई जो आप करवाने आई हो मम्मी"

"देखो डॉली या फिर ललिता आ जाएगी.. हम ये अभी नहीं कर सकते... "

चेतन ने एक नहीं सुनी और अपनी मा की टाँगें चौड़ी करी और अपना तना हुआ लंड उसमें डाल दिया.... शन्नो आधी बिस्तर

पे लेटी हुई जन्नत की सैर करने लगी....चेतन घोड़े की तरह अपना लंड अपनी मा की चूत में घुसा रहा था...

शन्नो ने बड़ी कोशिश करी कि वो एक आवाज़ भी ना निकाले अपने मुँह से मगर उसके बेटे के लंड ने ये होने नहीं दिया....

वो बस यही दुआ कर रही थी कि उसकी दोनो बेटियाँ गहरी नींद में सो रही हो... मगर फिर वो मायूस हो गयी क्यूंकी

चेतन ने अपना लंड उसकी चूत में से निकाल लिया... शन्नो ने चेतन को देखा जोकि अपनी मम्मी को देखकर बोला

"ये लंड अब एक शर्त पे अंदर घुसेगा.. " कैसी शर्त" शन्नो ने आहिस्ते से पूछा"
 
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