hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
गतान्क से आगे……………………………………
उधर भोपाल में नारायण की ज़िंदगी काफ़ी रंगीन हो गयी थी... छुप छुप के मस्तिया करने में मज़ा ही कुच्छ और होता है और वो ही मज़ा नारायण को आने लगा था... रीत के वापस स्कूल आने के बाद नारायण से उसकी कोई ख़ास मुलाकात नहीं हुई क्यूंकी वो रश्मि के साथ ही लगा रहता था.... नारायण के कयि बारी कहने पर रश्मि ने स्कूल में थोड़े मॉडर्न कपड़े पहेन ने शुरू कर दिए थे और उसको ऐसे देख कर कयि स्कूल के टीचर्स/पीयान और यहाँ तक बच्चे भी मचल चुके थे..... कभी कबार जब वो स्कर्ट में होती तो नारायण उससे उसकी पैंटी उतरवा देता और खुली हवा का एहसास करवाता....
एक बारी कुच्छ दोपहर के 1 बज रहे थे और नारायण के कमरे में माहौल बड़ा रंगीन हो गया था....
रश्मि अपने बॉस को खुश करने के लिए उसके कॅबिन में गयी और उसकी कुर्सी के सामने और डेस्क के पीछे छुप के वो आराम से बैठके नारायण के लंड को चूस रही थी... नारायण को मस्ती तो बड़ी आ रही थी मगर असली मज़ा तब आया था जब सुधीर उसके कमरे में आया था.... एक आशिक़ के सामने उसकी महबूबा की बेशर्मी को देख कर नारायण पागल हुआ जा रहा था... सुधीर के कमरे में आने पर ही रश्मि ने भी अपना रॅनडिपना बढ़ा दिया था....
वो और मज़े लेके नारायण के लंड को चूसे जा रही और बिचारा नारायण किसी तरह अपने मज़े को च्छुपाने की
कोशिश कर रहा था... सुधीर ने नारायण से रश्मि के बारे में भी पूछा और उसने कुच्छ ना कुच्छ झूठी कहानी बना दी.... जैसी ही सुधीर वहाँ से निकला नारायण को राहत की साँस मिली और फिर अपना वीर्य अपनी नयी कुत्ति पे डाल दिया...
उसके अगली सुबह दिल्ली में दोनो बहनो का एग्ज़ॅम था और वो मौका था शन्नो और चेतन के पास माहॉल हसीन बनाने का मगर
वो सब चौपट हो गया जब उसकी शन्नो ने चेतन को बताया "आज मेरी बहन यानी के तुम्हारी आकांक्षा मासी आ रही है
तो प्लीज़ उसके रहने तक तुम कुच्छ हरकत नहीं करना" ये बात भी चेतन को काफ़ी देर में पता चली जिस वजह
से वो शन्नो से सुबह अपना लंड नहीं चुस्वा पाया और उस वजह से वो काफ़ी खफा भी था...
शन्नो की 2 बहने और भाई थे और उनमें से सबसे छ्होटी बहन आकांक्षा थी जोकि देहरादून में रहती थी....
वो दिल्ली आई हुई थी कुच्छ काम के सिलसिले में और ताकि वो अपनी बहन के जाने से पहले एक बारी मिल ले....
वैसे भी काफ़ी अरसे से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी और शन्नो नही चाहती थी ये मुलाकात किसी भी तरह खराब हो जाए
तो इसलिए वो चेतन को समझा रही थी.... चेतन का भी यहाँ रुकने मैं कोई फ़ायदा नहीं था और उसने शन्नो की
परेशानी हल कर दी और वो चंदर से मिलने चला गया...
उधर भोपाल में नारायण की ज़िंदगी काफ़ी रंगीन हो गयी थी... छुप छुप के मस्तिया करने में मज़ा ही कुच्छ और होता है और वो ही मज़ा नारायण को आने लगा था... रीत के वापस स्कूल आने के बाद नारायण से उसकी कोई ख़ास मुलाकात नहीं हुई क्यूंकी वो रश्मि के साथ ही लगा रहता था.... नारायण के कयि बारी कहने पर रश्मि ने स्कूल में थोड़े मॉडर्न कपड़े पहेन ने शुरू कर दिए थे और उसको ऐसे देख कर कयि स्कूल के टीचर्स/पीयान और यहाँ तक बच्चे भी मचल चुके थे..... कभी कबार जब वो स्कर्ट में होती तो नारायण उससे उसकी पैंटी उतरवा देता और खुली हवा का एहसास करवाता....
एक बारी कुच्छ दोपहर के 1 बज रहे थे और नारायण के कमरे में माहौल बड़ा रंगीन हो गया था....
रश्मि अपने बॉस को खुश करने के लिए उसके कॅबिन में गयी और उसकी कुर्सी के सामने और डेस्क के पीछे छुप के वो आराम से बैठके नारायण के लंड को चूस रही थी... नारायण को मस्ती तो बड़ी आ रही थी मगर असली मज़ा तब आया था जब सुधीर उसके कमरे में आया था.... एक आशिक़ के सामने उसकी महबूबा की बेशर्मी को देख कर नारायण पागल हुआ जा रहा था... सुधीर के कमरे में आने पर ही रश्मि ने भी अपना रॅनडिपना बढ़ा दिया था....
वो और मज़े लेके नारायण के लंड को चूसे जा रही और बिचारा नारायण किसी तरह अपने मज़े को च्छुपाने की
कोशिश कर रहा था... सुधीर ने नारायण से रश्मि के बारे में भी पूछा और उसने कुच्छ ना कुच्छ झूठी कहानी बना दी.... जैसी ही सुधीर वहाँ से निकला नारायण को राहत की साँस मिली और फिर अपना वीर्य अपनी नयी कुत्ति पे डाल दिया...
उसके अगली सुबह दिल्ली में दोनो बहनो का एग्ज़ॅम था और वो मौका था शन्नो और चेतन के पास माहॉल हसीन बनाने का मगर
वो सब चौपट हो गया जब उसकी शन्नो ने चेतन को बताया "आज मेरी बहन यानी के तुम्हारी आकांक्षा मासी आ रही है
तो प्लीज़ उसके रहने तक तुम कुच्छ हरकत नहीं करना" ये बात भी चेतन को काफ़ी देर में पता चली जिस वजह
से वो शन्नो से सुबह अपना लंड नहीं चुस्वा पाया और उस वजह से वो काफ़ी खफा भी था...
शन्नो की 2 बहने और भाई थे और उनमें से सबसे छ्होटी बहन आकांक्षा थी जोकि देहरादून में रहती थी....
वो दिल्ली आई हुई थी कुच्छ काम के सिलसिले में और ताकि वो अपनी बहन के जाने से पहले एक बारी मिल ले....
वैसे भी काफ़ी अरसे से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी और शन्नो नही चाहती थी ये मुलाकात किसी भी तरह खराब हो जाए
तो इसलिए वो चेतन को समझा रही थी.... चेतन का भी यहाँ रुकने मैं कोई फ़ायदा नहीं था और उसने शन्नो की
परेशानी हल कर दी और वो चंदर से मिलने चला गया...