hotaks444
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अंजलि ने अजय की टी शर्ट को उतार फेंका...और अब दोनो मादरजात नंगे हो चुके थे...अजय की टेबल चुदाई का चौराहा बन चुका था, जिसपर कल रचना नंगी लेटी थी...भले ही वो चुदी नही थी,पर अजय ने जो उसके साथ किया था वो किसी चुदाई से कम नही था...
अजय ने उसकी दोनो टांगे उठा कर हवा में कर दी और उसे टेबल पर लिटा दिया, अब वो उसकी चूत में बड़ी आसानी से खड़े होकर चुदाई कर पा रहा था..
''आआआआआआआआआआआआअहह भेंन चोद .....साले कितना मोटा लण्ड है तेरा...... काश रोज चुदाई करवा पाती तुझसे...उम्म्म्मममममममममम...... डाल साले ...... चूत के दाने को रगड़ ..... अंदर तक डाल कर चोद ..... अहह ..... ओह''
अजय : "साली रंडी, तुझे तो मैं अपनी रखेल बनाकर रखूँगा...अपने घर के अंदर ही....अपनी बीबी के सामने चोदूँगा रोज....''
अंजलि (सिसकते हुए) : "सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... अहहssssss ...मैं तो तेरी रखेल बनने को भी तैयार हूँ .... तेरी बीबी के सामने तो क्या,उसके साथ ही मैं तेरे लण्ड से चुदूगी एक दिन....अहह.... देख लेना....''
उसके ऐसा कहने पर अजय को एहसास हुआ की काश ऐसा हो सकता...वो तो ना जाने कब से ये सपना देख रहा है की वो अपनी बीबी और किसी और चूत के साथ थ्रीसम करे...पर उसे अच्छी तरह पता था की उसकी बीबी ऐसा कभी नही होने देगी... दूसरी औरत को उसके सामने लाना तो दूसरी बात थी,उसे अगर भनक भी पड़ गयी की अजय आजकल कैसे बाहर मुंह मारता फिर रहा है तो वो उसे अपने घर के 3र्ड फ्लोर से ही नीचे फेंक देगी...
इसलिए उसने अपनी बीबी की तरफ से ध्यान हटाया और अंजलि पर लगा दिया...जो इस वक़्त बावली सी होकर उसके केबिन की टेबल पर किसी रंडी की तरह चुदाई करवा रही थी...
अजय के झटके इतने तेज थे की उसके हिलते हुए मुम्मे बहुत ज़ोर से उसके चेहरे से टकरा रहे थे...
अजय ने ऐसी क़्विक फकिंग आज तक किसी के साथ नही की थी...भले ही उनके पास आज शाम तक का समय था, पर अंदर आए हुए उन्हे सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे और अजय उसकी चूत मार रहा था...ना लंड चुसाई की रस्म, ना चूत चखाई की अदायगी , ना जाने कैसी आग लगी थी दोनो में की ऑफीस में आते ही सीधा चुदाई करनी शुरू कर दी...लेकिन इससे एक बात तो पक्की थी, शुरुवाती चुदाई के बाद उनके पास पूरा दिन रहेगा,जिसमें वो बाकी का बचा हुआ वो हर काम कर सकेंगे जिसका कोकशास्त्र में वर्णन है..
अंजलि की चूत में लगी आग का सेंक था ही इतना तेज की अजय जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...
वो चिल्लाया : "आआआआआआआअहह ...... ओह्ह्ह्ह भाभीssssssss ..... मैं झड़ने वाला हूँ ...... बोल रंडी ..... कहा निकालूsssssssssss .....''
''मेरी चूऊऊऊऊऊऊऊत में ......... सारा माल अंदर ही निकााआाआल..... बना दे मुझे अपने बच्चे की माँआआआआआआ...'' अंजलि ने जब ये कहा तो वो उसके रण्डीपन का कायल हो गया....सच में ऐसी औरत कहाँ मिलेगी जो अपने पति के दोस्त से,उसी के ऑफीस में चुदाई करवाकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए तैयार हो..
पर अजय के पास इस वक़्त ये सब बातें सोचने का टाइम नही था....अंजलि के इतना कहते ही की उसकी चूत में ही झड़ जाए, उसके लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर होली खेलने लगी...अजय के गर्म रंग को महसूस करते ही अंजलि भी थरथराती हुई झड़ने लगी...
और दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..
''आआआआआआआआआहह.... ओह मेरे राआआआजा ............. मजाआाअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआअ .... साआाआले तेरे लण्ड की तो मैं कायल हो गयी.......... ''
अजय भी अपने दोस्त की तारीफ सुनकर मुस्कुरा दिया...
अजय ने अपना चिपचिपा लण्ड बाहर निकाला और अंजलि झट से उसके कदमो में बैठकर उसके लण्ड को मुँह में लेकर सॉफ करने लगी...ठीक उसी तरह से जैसे कल रचना ने उसका लण्ड सॉफ किया था.... ऐसी रंगीन भाभी के मुँह में उसका लण्ड बहुत सुंदर लग रहा था..अपने एक हाथ से वो अपनी चूत से रिस रहे माल को समेट कर उसे भी चाट रही थी...कुल मिलाकर वो एक रंडी की भूमिका अच्छी तरह से निभा रही थी.
अजय का लंड अच्छी तरह से सॉफ करके वो बाथरूम में गयी और खुद भी साफ होकर ऐसे ही नंगी मटकती हुई वापिस आ गयी...
अब अजय उसके रसीले बदन के हर हिस्से का अच्छी तरह से मज़ा लेना चाहता था...और इसके लिए उसके बॉस के केबिन से बढ़िया जगह कोई और हो हि नही सकती थी...
उसने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाइस प्रेसीडेंट के केबिन की तरफ चल दिया,जहाँ उसने कल सोफे पर लिटाकर रचना की चूत चूसी थी...आज भी वो अंजलि की चूत का जूस वैसे ही पीना चाहता था...पर उससे पहले अपना लंड भी तो चुसवाना था उसे...अजय ने तो ये भी सोच लिया था की आज वो उसकी गांड भी मारेगा
केबिन का लॉक खोलकर अजय ने ए सी चला दिया और कल की तरह वो एक बार फिर से सोफे पर जाकर राजा बनकर बैठ गया...और अपनी उंगली के इशारे से उसने अंजलि को पास बुलाया और अपना लंड उसके हाथ में देकर उसे अपने पैरों के पास बिठा लिया...बाकी तो अंजलि को कुछ और समझाने की ज़रूरत ही नही थी...वो उसके मोटे लंड को हाथ में लेकर मुस्कुराइ और उसे सहलाते हुए बोली : "तुम एक नंबर के ठरकी हो.... बिना आराम के दूसरी शिफ्ट के लिए तैयार हो गये.. तुम्हारी बीबी की तो शामत आ जाती होगी...''
अजय : "वो तो है.... मेरे स्टेमीना को झेलना हर किसी के बस की बात नही है....''
ये बोलकर वो उसे उकसा रहा था...और हुआ भी ऐसा ही....वो सिसकारी मारकर उसके लण्ड को मसलती हुई, उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ती हुई बोली : "उम्म्म्मममममम...... आज तुम जान जाओगे की तुम्हारी टक्कर का भी कोई है इस दुनिया में .... मुझे रंडी बोला है ना.... अपनी रखेल कहा था ना अभी तुमने.... अब वैसी ही बनकर रहूंगी.... हमेशा. .... तेरे इस लंड की गुलाम ... जब चाहे बुला लेना.... जहाँ चाहे चोद लेना ... मेरे पति के सामने भी मेरी चूत मरोगे ना तो भी मना नही करूँगी.... भेंन चोद ..... आज तू मेरा असली रंडीपना देखेगा....''
वो उत्तेजना के आवेश में आकर कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रही थी और अजय उसे सुनकर खुश हुए जा रहा था....
पर उसकी खुशी को लकवा मार गया जब अचानक केबिन का दरवाजा खुला और उसका बॉस अंदर आ गया.
सामने के सोफे पर अजय बड़ी ही शान से अधलेटा सा होकर अपने लंड को अंजलि से चुसवा रहा था ..अंजलि की पीठ दरवाजे की तरफ थी,इसलिए वो नही देख पाई की कोई अंदर आया है...
पर अजय की तो सिट्टी - पिटी ही गुम हो गयी...जिस बात का उसे डर था,वही हुआ,उसके बॉस के पास ऑफीस के मैन गेट की दूसरी चाभी भी थी,और वो शायद अजय का काम देखने के लिए ऑफिस आ गया था...उसे पुर ऑफीस में ढूँढने के बाद वो जब अपने केबिन में घुसा तो अंदर का सीन देखकर उसके भी होश उड़ गये...उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की अजय काम के बहाने उसके ऑफीस को,उसके केबिन को चुदाईघर बना देगा ...
एक बात तो पक्की थी की उसकी नौकरी तो गयी...
रही सही कसर अंजलि ने पूरी कर दी.
अंजलि ने जब देखा की अजय को एकदम से साँप सूंघ गया है और वो डरा हुआ सा दरवाजे की तरफ देख रहा है तो वो उसके लंड को छोड़कर पीछे की तरफ पलटी, और अपनी उसी उत्तेजना के आवेश में भरकर ज़ोर से बोली
"कौन है ये भोंसड़ी का ...''
उसका बॉस कभी अजय को और कभी अंजलि को हैरानी और गुस्से से भरी नज़रों से देख रहा था.
अजय ने उसकी दोनो टांगे उठा कर हवा में कर दी और उसे टेबल पर लिटा दिया, अब वो उसकी चूत में बड़ी आसानी से खड़े होकर चुदाई कर पा रहा था..
''आआआआआआआआआआआआअहह भेंन चोद .....साले कितना मोटा लण्ड है तेरा...... काश रोज चुदाई करवा पाती तुझसे...उम्म्म्मममममममममम...... डाल साले ...... चूत के दाने को रगड़ ..... अंदर तक डाल कर चोद ..... अहह ..... ओह''
अजय : "साली रंडी, तुझे तो मैं अपनी रखेल बनाकर रखूँगा...अपने घर के अंदर ही....अपनी बीबी के सामने चोदूँगा रोज....''
अंजलि (सिसकते हुए) : "सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... अहहssssss ...मैं तो तेरी रखेल बनने को भी तैयार हूँ .... तेरी बीबी के सामने तो क्या,उसके साथ ही मैं तेरे लण्ड से चुदूगी एक दिन....अहह.... देख लेना....''
उसके ऐसा कहने पर अजय को एहसास हुआ की काश ऐसा हो सकता...वो तो ना जाने कब से ये सपना देख रहा है की वो अपनी बीबी और किसी और चूत के साथ थ्रीसम करे...पर उसे अच्छी तरह पता था की उसकी बीबी ऐसा कभी नही होने देगी... दूसरी औरत को उसके सामने लाना तो दूसरी बात थी,उसे अगर भनक भी पड़ गयी की अजय आजकल कैसे बाहर मुंह मारता फिर रहा है तो वो उसे अपने घर के 3र्ड फ्लोर से ही नीचे फेंक देगी...
इसलिए उसने अपनी बीबी की तरफ से ध्यान हटाया और अंजलि पर लगा दिया...जो इस वक़्त बावली सी होकर उसके केबिन की टेबल पर किसी रंडी की तरह चुदाई करवा रही थी...
अजय के झटके इतने तेज थे की उसके हिलते हुए मुम्मे बहुत ज़ोर से उसके चेहरे से टकरा रहे थे...
अजय ने ऐसी क़्विक फकिंग आज तक किसी के साथ नही की थी...भले ही उनके पास आज शाम तक का समय था, पर अंदर आए हुए उन्हे सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे और अजय उसकी चूत मार रहा था...ना लंड चुसाई की रस्म, ना चूत चखाई की अदायगी , ना जाने कैसी आग लगी थी दोनो में की ऑफीस में आते ही सीधा चुदाई करनी शुरू कर दी...लेकिन इससे एक बात तो पक्की थी, शुरुवाती चुदाई के बाद उनके पास पूरा दिन रहेगा,जिसमें वो बाकी का बचा हुआ वो हर काम कर सकेंगे जिसका कोकशास्त्र में वर्णन है..
अंजलि की चूत में लगी आग का सेंक था ही इतना तेज की अजय जल्द ही झड़ने के करीब पहुँच गया...
वो चिल्लाया : "आआआआआआआअहह ...... ओह्ह्ह्ह भाभीssssssss ..... मैं झड़ने वाला हूँ ...... बोल रंडी ..... कहा निकालूsssssssssss .....''
''मेरी चूऊऊऊऊऊऊऊत में ......... सारा माल अंदर ही निकााआाआल..... बना दे मुझे अपने बच्चे की माँआआआआआआ...'' अंजलि ने जब ये कहा तो वो उसके रण्डीपन का कायल हो गया....सच में ऐसी औरत कहाँ मिलेगी जो अपने पति के दोस्त से,उसी के ऑफीस में चुदाई करवाकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए तैयार हो..
पर अजय के पास इस वक़्त ये सब बातें सोचने का टाइम नही था....अंजलि के इतना कहते ही की उसकी चूत में ही झड़ जाए, उसके लंड से लंबी-2 पिचकारियाँ निकल कर उसकी चूत के अंदर होली खेलने लगी...अजय के गर्म रंग को महसूस करते ही अंजलि भी थरथराती हुई झड़ने लगी...
और दोनो एक दूसरे को चूमते हुए झड़ने लगे..
''आआआआआआआआआहह.... ओह मेरे राआआआजा ............. मजाआाअ आआआआआआ गय्ाआआआआआआआअ .... साआाआले तेरे लण्ड की तो मैं कायल हो गयी.......... ''
अजय भी अपने दोस्त की तारीफ सुनकर मुस्कुरा दिया...
अजय ने अपना चिपचिपा लण्ड बाहर निकाला और अंजलि झट से उसके कदमो में बैठकर उसके लण्ड को मुँह में लेकर सॉफ करने लगी...ठीक उसी तरह से जैसे कल रचना ने उसका लण्ड सॉफ किया था.... ऐसी रंगीन भाभी के मुँह में उसका लण्ड बहुत सुंदर लग रहा था..अपने एक हाथ से वो अपनी चूत से रिस रहे माल को समेट कर उसे भी चाट रही थी...कुल मिलाकर वो एक रंडी की भूमिका अच्छी तरह से निभा रही थी.
अजय का लंड अच्छी तरह से सॉफ करके वो बाथरूम में गयी और खुद भी साफ होकर ऐसे ही नंगी मटकती हुई वापिस आ गयी...
अब अजय उसके रसीले बदन के हर हिस्से का अच्छी तरह से मज़ा लेना चाहता था...और इसके लिए उसके बॉस के केबिन से बढ़िया जगह कोई और हो हि नही सकती थी...
उसने अंजलि का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाइस प्रेसीडेंट के केबिन की तरफ चल दिया,जहाँ उसने कल सोफे पर लिटाकर रचना की चूत चूसी थी...आज भी वो अंजलि की चूत का जूस वैसे ही पीना चाहता था...पर उससे पहले अपना लंड भी तो चुसवाना था उसे...अजय ने तो ये भी सोच लिया था की आज वो उसकी गांड भी मारेगा
केबिन का लॉक खोलकर अजय ने ए सी चला दिया और कल की तरह वो एक बार फिर से सोफे पर जाकर राजा बनकर बैठ गया...और अपनी उंगली के इशारे से उसने अंजलि को पास बुलाया और अपना लंड उसके हाथ में देकर उसे अपने पैरों के पास बिठा लिया...बाकी तो अंजलि को कुछ और समझाने की ज़रूरत ही नही थी...वो उसके मोटे लंड को हाथ में लेकर मुस्कुराइ और उसे सहलाते हुए बोली : "तुम एक नंबर के ठरकी हो.... बिना आराम के दूसरी शिफ्ट के लिए तैयार हो गये.. तुम्हारी बीबी की तो शामत आ जाती होगी...''
अजय : "वो तो है.... मेरे स्टेमीना को झेलना हर किसी के बस की बात नही है....''
ये बोलकर वो उसे उकसा रहा था...और हुआ भी ऐसा ही....वो सिसकारी मारकर उसके लण्ड को मसलती हुई, उसके होंठों से अपने होंठ रगड़ती हुई बोली : "उम्म्म्मममममम...... आज तुम जान जाओगे की तुम्हारी टक्कर का भी कोई है इस दुनिया में .... मुझे रंडी बोला है ना.... अपनी रखेल कहा था ना अभी तुमने.... अब वैसी ही बनकर रहूंगी.... हमेशा. .... तेरे इस लंड की गुलाम ... जब चाहे बुला लेना.... जहाँ चाहे चोद लेना ... मेरे पति के सामने भी मेरी चूत मरोगे ना तो भी मना नही करूँगी.... भेंन चोद ..... आज तू मेरा असली रंडीपना देखेगा....''
वो उत्तेजना के आवेश में आकर कुछ भी अनाप-शनाप बोले जा रही थी और अजय उसे सुनकर खुश हुए जा रहा था....
पर उसकी खुशी को लकवा मार गया जब अचानक केबिन का दरवाजा खुला और उसका बॉस अंदर आ गया.
सामने के सोफे पर अजय बड़ी ही शान से अधलेटा सा होकर अपने लंड को अंजलि से चुसवा रहा था ..अंजलि की पीठ दरवाजे की तरफ थी,इसलिए वो नही देख पाई की कोई अंदर आया है...
पर अजय की तो सिट्टी - पिटी ही गुम हो गयी...जिस बात का उसे डर था,वही हुआ,उसके बॉस के पास ऑफीस के मैन गेट की दूसरी चाभी भी थी,और वो शायद अजय का काम देखने के लिए ऑफिस आ गया था...उसे पुर ऑफीस में ढूँढने के बाद वो जब अपने केबिन में घुसा तो अंदर का सीन देखकर उसके भी होश उड़ गये...उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की अजय काम के बहाने उसके ऑफीस को,उसके केबिन को चुदाईघर बना देगा ...
एक बात तो पक्की थी की उसकी नौकरी तो गयी...
रही सही कसर अंजलि ने पूरी कर दी.
अंजलि ने जब देखा की अजय को एकदम से साँप सूंघ गया है और वो डरा हुआ सा दरवाजे की तरफ देख रहा है तो वो उसके लंड को छोड़कर पीछे की तरफ पलटी, और अपनी उसी उत्तेजना के आवेश में भरकर ज़ोर से बोली
"कौन है ये भोंसड़ी का ...''
उसका बॉस कभी अजय को और कभी अंजलि को हैरानी और गुस्से से भरी नज़रों से देख रहा था.