hotaks444
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ज़ाहिद इस से पहले भी कई दफ़ा अपनी बहन शाज़िया के भारी जिस्म को इसी तरह अपनी बाहों में उठा कर खड़े खड़े चोद चुका था.
इसीलिए उसे इस स्टाइल में मोटी और भारी वज़न वाली औरतों को चोदने में काफ़ी प्रॅक्टीस थी.
ये ही वजह थी कि ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की बात को अनसुनी करते हुए शाज़िया के मुँह से अपना लंड निकला.
और इस के साथ ही अपने बाजुओं में जकडे हुए अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मोटे जिस्म को कमर से पकड़ कर थोड़ा सा नीचे किया.
तो शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद के तने हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर नीचे से अपनी अम्मी की पानी छोड़ती चूत के मुँह से लगाया.
“ऊहह” ज्यूँ ही शाज़िया के मुँह के थूक से भरे लंड ने एक बार फिर से रज़िया बीबी की चूत को टच किया. तो रज़िया बीबी के जिस्म ने एक जदगारी ली.
अपनी अम्मी की गरम गीली और मुलायम चूत के चिप चिप करते होंठो पर अपने लंड को महसूस करते ही ज़ाहिद अपने घुटनों को मोड़ते हुए थोड़ा नीचे हुआ फिर एक दम से उपर को उठा.
तो ज़ाहिद का लंड अपनी अम्मी की फुद्दि के होंठो के दरमियाँ से अपना रास्ता बनाता हुए रज़िया बीबी की चूत में दुबारा घुस गया.
“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई बएटााआआआआआअ,किय्ाआआअ शानदार चोदते हो तुम” ज्यों ही ज़ाहिद का लंड रज़िया बीबी की बे करार चूत में दुबारा दाखिल हुआ. तो रज़िया बीबी की तपती चूत को एक सकून से महसूस हुआ.
रज़िया बीबी की चूत में तो पहले ही आग लगी हुई थी. इसीलिए ज्यों ही ज़ाहिद का मोटा लंड रज़िया बीबी की चूत के होंठो से स्लिप हो कर फुद्दि के अंदर आया. तो रज़िया बीबी की गीली चूत ने “शारपप्प्प्प्प” से अपने बेटे ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने अंदर निगल लिया.
अपनी अम्मी के जिस्म को अपने बाजुओं में उठाने की वजह से रज़िया बीबी और ज़ाहिद की आँखे पहली बार एक दूसरे से मिलीं.
तो दोनो माँ बेटे की आँखों में क़ैद एक दूसरे के लिए जिन्सी प्यार उबल कर बाहर निकल आया.
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की आँखों में आँखे डालते हुए अपने मुँह को आगे किया. और पहली बार अपनी अम्मी के रस भरे हुए होंठो के उपर अपने होंठो को रख दिया.
“ओह अम्मिईीईईई जाअंन्नँनननणणन्” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के होंठो को अपने दाँतों से काटा.
तो रज़िया बीबी सिसक उठिईीई” हाईईईईईईईईईईईई काटूऊऊ मात्त्तटटटतत्त बएटााआआ”.
दोनो माँ बेटा के होंठो पहली बार आपस में मिले.तो दोनो के होंठो की गर्मी ने एक दूसरे के वजूद को मज़ीद गरमा दिया.
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के मुँह में अपनी ज़ुबान डाली और दोनो माँ बेटे की ज़ुबान एक दूसरे से अपनी लड़ाई लड़ने लगी.
रज़िया बीबी के होंठो को चुसते चुसते ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के भारी मम्मे को अपनी हाथ की गिरफ़्त में लेने की कोशिश की.
मगर रज़िया बीबी के 42 ड्ड मम्मा इतना मोटा और बड़ा था. कि वो ज़ाहिद के हाथ में पूरा नही समा पाया.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आप के मम्मे तो मेरी बीवी शाज़िया से भी ज़्यादा सॉफ्ट और बड़े हैंन्नननननननणणन् अम्मिईीईईईईईई” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की आँखों में देखते हुए प्यार से कहा. और फिर अपने हाथ से अपनी अम्मी के मोटे मम्मे के साथ खेलने लगा.
ज़ाहिद अपनी अम्मी के मम्मे दबाए जा रहा था. और उन के मम्मो के पिंक निपल को मसल रहा था और खींच रहा था.
“आआआआआअ बडूऊऊऊऊओ मेरे इन मम्मो और निपल्स को ज़ाहिद,ये बहुत अरसा तरसे हैं किसी मर्द के हाथों के लामास को बेटा” ज्यों ही ज़ाहिद के गरम हाथों ने अपनी अम्मी की भारी छातियों को छुआ. तो आज इतने सालों बाद किसी मर्द के हाथों का स्वाद पा कर रज़िया बीबी के मम्मो के निपल्स तन कर मज़ीद अकड़ गये.
“ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ज़ाहिद्द्द्द्द्द्दद्ड मेरे मम्मो को को चूसो गे भी या बस दबाते ही रहो गे,इन को चूसो ना बएटााआआअ”. रज़िया बीबी अपने बेटे के हाथों के लामास को अपनी छातियों पर महसूस कर के सिसकियाँ ले रही थी.
“आप की इन मोटी छातियों को अपने मुँह में लेने के लिए तो में कब से तरस रहा हूँ अमिीईईईईईई” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने जवाब दिया. और साथ ही अपनी अम्मी का एक मम्मा पकड़ कर उस को पागलों की तरह चूसने लगा और दूसरे मम्मे को साथ साथ दबाने लग गया.
ज़ाहिद अपनी अम्मी के मोटे निपल्स के उपर अपनी गरम ज़ुबान फेरता और फिर अपने अम्मी के मोटे मम्मे के गोश्त को अपने मुँह में भर कर निपल्स के इर्द गिर्द वाले हिस्से को चूमता और चाट्ता था.
ज़ाहिद आज ज़िंदगी में पहली बार अपनी अम्मी के उन मोटे मम्मो को अपने मुँह में ले कर चूसने में मगन था. जिन मम्मो से उस ने कभी अपने बचपन में दूध पिया था.
ज़ाहिद को आज अपनी अम्मी के मम्मो को चुसते हुए बहुत मज़ा आ रहा था.
इसीलिए अब ज़ाहिद अब अपनी अम्मी के मम्मो को चूसने के साथ साथ कभी कभी वहशियाना तरीके से काट भी रहा था.
जिस की वजह से रज़िया बीबी के मम्मो पर ज़ाहिद के दाँतों के निशान भी बन गये थे.
आज कितने सालों बाद किसी मर्द की गरम ज़ुबान और मुँह को अपनी भारी छातियों पर चलता हुआ महसूस कर के रज़िया बीबी मज़े से पागल हो रही थी.
रज़िया बीबी ने इस मज़े के आलम में अपनी आँखे बंद कर लीं और सिसकियाँ लेने लग गई “आआहह ज़ाहिद और चूवसूओ आहह दाँत से नही काटो प्लज़्ज़्ज़्ज़ ह मेरी जान बोहोत मज़ा आ रहा है,,,, आअहह चूवस लूऊ उम्म्म्मम उम्म्म्म ऊहह”
इसीलिए उसे इस स्टाइल में मोटी और भारी वज़न वाली औरतों को चोदने में काफ़ी प्रॅक्टीस थी.
ये ही वजह थी कि ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की बात को अनसुनी करते हुए शाज़िया के मुँह से अपना लंड निकला.
और इस के साथ ही अपने बाजुओं में जकडे हुए अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मोटे जिस्म को कमर से पकड़ कर थोड़ा सा नीचे किया.
तो शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद के तने हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर नीचे से अपनी अम्मी की पानी छोड़ती चूत के मुँह से लगाया.
“ऊहह” ज्यूँ ही शाज़िया के मुँह के थूक से भरे लंड ने एक बार फिर से रज़िया बीबी की चूत को टच किया. तो रज़िया बीबी के जिस्म ने एक जदगारी ली.
अपनी अम्मी की गरम गीली और मुलायम चूत के चिप चिप करते होंठो पर अपने लंड को महसूस करते ही ज़ाहिद अपने घुटनों को मोड़ते हुए थोड़ा नीचे हुआ फिर एक दम से उपर को उठा.
तो ज़ाहिद का लंड अपनी अम्मी की फुद्दि के होंठो के दरमियाँ से अपना रास्ता बनाता हुए रज़िया बीबी की चूत में दुबारा घुस गया.
“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई बएटााआआआआआअ,किय्ाआआअ शानदार चोदते हो तुम” ज्यों ही ज़ाहिद का लंड रज़िया बीबी की बे करार चूत में दुबारा दाखिल हुआ. तो रज़िया बीबी की तपती चूत को एक सकून से महसूस हुआ.
रज़िया बीबी की चूत में तो पहले ही आग लगी हुई थी. इसीलिए ज्यों ही ज़ाहिद का मोटा लंड रज़िया बीबी की चूत के होंठो से स्लिप हो कर फुद्दि के अंदर आया. तो रज़िया बीबी की गीली चूत ने “शारपप्प्प्प्प” से अपने बेटे ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने अंदर निगल लिया.
अपनी अम्मी के जिस्म को अपने बाजुओं में उठाने की वजह से रज़िया बीबी और ज़ाहिद की आँखे पहली बार एक दूसरे से मिलीं.
तो दोनो माँ बेटे की आँखों में क़ैद एक दूसरे के लिए जिन्सी प्यार उबल कर बाहर निकल आया.
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की आँखों में आँखे डालते हुए अपने मुँह को आगे किया. और पहली बार अपनी अम्मी के रस भरे हुए होंठो के उपर अपने होंठो को रख दिया.
“ओह अम्मिईीईईई जाअंन्नँनननणणन्” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के होंठो को अपने दाँतों से काटा.
तो रज़िया बीबी सिसक उठिईीई” हाईईईईईईईईईईईई काटूऊऊ मात्त्तटटटतत्त बएटााआआ”.
दोनो माँ बेटा के होंठो पहली बार आपस में मिले.तो दोनो के होंठो की गर्मी ने एक दूसरे के वजूद को मज़ीद गरमा दिया.
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के मुँह में अपनी ज़ुबान डाली और दोनो माँ बेटे की ज़ुबान एक दूसरे से अपनी लड़ाई लड़ने लगी.
रज़िया बीबी के होंठो को चुसते चुसते ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के भारी मम्मे को अपनी हाथ की गिरफ़्त में लेने की कोशिश की.
मगर रज़िया बीबी के 42 ड्ड मम्मा इतना मोटा और बड़ा था. कि वो ज़ाहिद के हाथ में पूरा नही समा पाया.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आप के मम्मे तो मेरी बीवी शाज़िया से भी ज़्यादा सॉफ्ट और बड़े हैंन्नननननननणणन् अम्मिईीईईईईईई” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की आँखों में देखते हुए प्यार से कहा. और फिर अपने हाथ से अपनी अम्मी के मोटे मम्मे के साथ खेलने लगा.
ज़ाहिद अपनी अम्मी के मम्मे दबाए जा रहा था. और उन के मम्मो के पिंक निपल को मसल रहा था और खींच रहा था.
“आआआआआअ बडूऊऊऊऊओ मेरे इन मम्मो और निपल्स को ज़ाहिद,ये बहुत अरसा तरसे हैं किसी मर्द के हाथों के लामास को बेटा” ज्यों ही ज़ाहिद के गरम हाथों ने अपनी अम्मी की भारी छातियों को छुआ. तो आज इतने सालों बाद किसी मर्द के हाथों का स्वाद पा कर रज़िया बीबी के मम्मो के निपल्स तन कर मज़ीद अकड़ गये.
“ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ज़ाहिद्द्द्द्द्द्दद्ड मेरे मम्मो को को चूसो गे भी या बस दबाते ही रहो गे,इन को चूसो ना बएटााआआअ”. रज़िया बीबी अपने बेटे के हाथों के लामास को अपनी छातियों पर महसूस कर के सिसकियाँ ले रही थी.
“आप की इन मोटी छातियों को अपने मुँह में लेने के लिए तो में कब से तरस रहा हूँ अमिीईईईईईई” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने जवाब दिया. और साथ ही अपनी अम्मी का एक मम्मा पकड़ कर उस को पागलों की तरह चूसने लगा और दूसरे मम्मे को साथ साथ दबाने लग गया.
ज़ाहिद अपनी अम्मी के मोटे निपल्स के उपर अपनी गरम ज़ुबान फेरता और फिर अपने अम्मी के मोटे मम्मे के गोश्त को अपने मुँह में भर कर निपल्स के इर्द गिर्द वाले हिस्से को चूमता और चाट्ता था.
ज़ाहिद आज ज़िंदगी में पहली बार अपनी अम्मी के उन मोटे मम्मो को अपने मुँह में ले कर चूसने में मगन था. जिन मम्मो से उस ने कभी अपने बचपन में दूध पिया था.
ज़ाहिद को आज अपनी अम्मी के मम्मो को चुसते हुए बहुत मज़ा आ रहा था.
इसीलिए अब ज़ाहिद अब अपनी अम्मी के मम्मो को चूसने के साथ साथ कभी कभी वहशियाना तरीके से काट भी रहा था.
जिस की वजह से रज़िया बीबी के मम्मो पर ज़ाहिद के दाँतों के निशान भी बन गये थे.
आज कितने सालों बाद किसी मर्द की गरम ज़ुबान और मुँह को अपनी भारी छातियों पर चलता हुआ महसूस कर के रज़िया बीबी मज़े से पागल हो रही थी.
रज़िया बीबी ने इस मज़े के आलम में अपनी आँखे बंद कर लीं और सिसकियाँ लेने लग गई “आआहह ज़ाहिद और चूवसूओ आहह दाँत से नही काटो प्लज़्ज़्ज़्ज़ ह मेरी जान बोहोत मज़ा आ रहा है,,,, आअहह चूवस लूऊ उम्म्म्मम उम्म्म्म ऊहह”