hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मगर वक्त गुज़रने के साथ साथ शाज़िया की ज़ुबान को भी अपनी सहेली नीलोफर की चूत का कुछ ऐसा नशा चढ़ा. के उस के बाद तो शाज़िया अपनी सहली की फुद्दि की आशिक़ ही बन गई.
अब अपने भाई ज़ाहिद से शादी और फिर नीलोफर के मलेशिया चले जाने के बाद शाज़िया नीलोफर की चूत की खुश्बू,लज़्जत और चूत के नमकीन पानी को बहुत मिस कर रही थी.
इसीलिए आज इतने महीने बाद जब शाज़िया ने अपनी ही सग़ी अम्मी की गरम और मोटी फुद्दि को अपनी आँखों के सामने यूँ खुलता देखा. तो अपनी अम्मी के इस हसीन फुद्दि को देख कर शाज़िया के मुँह मे पानी भर आया.
“मेरे पास लंड तो नही, मगर में अपनी अम्मी की फुद्दि को चाट कर अपनी ज़ुबान से तो अम्मी की चूत को सकून दे ही सकती हूँ ना, और इस तरह अम्मी की फुद्दि के साथ साथ मेरी गरम ज़ुबान भी ठंडी हो जाए गी” अपनी अम्मी की पानी छोड़ती फुद्दि के मोटे और फूले होंठो को देख कर शाज़िया के दिल में ये ख्याल आया.
आज अपनी ही अम्मी के उस मोटी फुददी को देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया अपने होश-ओ-हवस खो बैठी.
बल्कि अपनी अम्मी की गरम चूत देख कर शाज़िया के मुँह से राल भी टपकने लग पड़ी थी.
अपनी आँखों के सामने मचलती हुई अपनी अम्मी की चूत को देख कर शाज़िया को अपने उपर कोई कंट्रोल नही रहा. तो फिर बिजली की तेज़ी के साथ शाज़िया ने अपने जिस्म से सारे कपड़े उतार फैंके.
अपने घर के बरांडे में बिल्कुल नंगी होते ही शाज़िया दबे पाँव अपनी अम्मी के कमरे में दाखिल हुई. और आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई बिस्तर पर अपनी आँखे बंद किए पड़ी हुई अपनी अम्मी के पास खड़े हो कर खामोशी से अपनी अम्मी के मोटे और भारी वजूद का करीब से जायज़ा लेने लगी.
रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी से बे नियाज़ अपनी आँखे मून्दे (क्लोज़ किए) अपनी गरम फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ थी.
“उफफफफफफफफफ्फ़ मेरी अम्मी के मम्मे तो मुझ से भी बड़े हैं,ओह देखूऊऊओ तो मेरी अम्मी के डार्क ब्राउन निपल्स भी कैसे खड़े हुए हैं,और्र्र्र्ररर सब्बब्बबब से बढ़ कर मेरी अमिीईईईईईई की ये मोटी फुद्दीईईईईई कितनी प्यारी है, जिस की खूबसूरती और ताज़गी तो 5 बच्चे निकालने के बाद भी अभी तक मंद नही पाडिइईईईईईई”. बिस्तर पर लेटी रज़िया बीबी की खुली टाँगों में से अपनी अम्मी के गुदाज और भारी मम्मो और फूले होंठो वाली पानी छोड़ती फुद्दि को देख कर शाजिया ये बात सोचते हुए साथ ही साथ अपनी नंगी चूत में भी उंगली भी मार रही थी.
“हाईईईईईईईईईईईई अम्मी की चूत का पानी तो उन की फुद्दि से बह बह कर बिस्तर पर ज़ाया हो रहा है, मुझे चाहिए कि में आगे बढ़ुँ और अपनी अम्मी की फुद्दि से अपना मुँह लगा कर अपनी अम्मी के इस बहते झरने का सारा पानी अपने अंदर जज़ब कर लूँ” अपनी मोटी फुद्दि पर अपनी उंगली को तेज़ी से रगड़ते हुए शाज़िया ने सोचा.
अभी शाज़िया अपनी इस सोच में ही मगन थी. कि इतने में रज़िया बीबी मज़ीद गरम होते हुए अपने दोनो हाथों को अपने बड़े बड़े चुचों (मम्मो) पर लाई.
और अपने दोनो मोटे और भारी मम्मो को अपने हाथों में ले कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी. इस सारे अमल के दौरान रज़िया बीबी की आँखे बदस्तूर बंद थी.
अब नीचे से रज़िया बीबी की गरम और प्यासी फुद्दि अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ उस की बेटी शाज़िया की नज़रों के सामने खुली पड़ी थी.
ये शाज़िया के लिए बहुत सुनहरी मोका था. जब वो अपनी अम्मी की प्यासी फुद्दि को अपनी नुकीली ज़ुबान से ठंडा कर सकती थी.
इसीलिए इस मोके को गनीमत जानते हुए शाज़िया नीचे झुकी और बहुत आहिस्ता से अपनी अम्मी की टाँगों के दरमियाँ बैठ कर शाज़िया ने ज्यों ही अपने मुँह को अपनी अम्मी के मोटी फुद्दी के नज़दीक किया. तो रज़िया की पानी छोड़ती मोटी फुद्दी की खुसबू दार महक शाज़िया के नथुनो में समा गई.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी की चूत की ये खुसबू कितनी मज़ेदार हाईईईईईईईई” अपनी अम्मी की चूत की खुसबू को सूंघते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी की फूली हुई चूत पर हाथ फेरा. और झुक कर एक दम अपनी अम्मी की पानी पानी होती गरम फुद्दी पर अपने गरम होन्ट चिस्पान कर दिए.
शाज़िया के गरम होन्ट ज्यों ही अपनी अम्मी की गीली चूत से टच हुए. तो अपनी अम्मी की चूत के बहते पानी से शाज़िया के होंठ पूरी तरह तर हो गये.
“ओह कूऊऊऊऊओन हो तूमम्म्ममममममममम”ज्यों ही शाज़िया ने अपनी अम्मी की चूत के मोटे लिप्स को अपने मुँह में भरा.
रज़िया बीबी एक दम घबरा कर अपने बिस्तर से एक फुट उपर की तरह उछली.और अपने जिस्म को छुपाने के लिए बिस्तर की चादर को अपने उपर लेने की कोशिश करने लगी.
“शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ये क्या गंदी हरकत कर रही हो तुम मेरे साथ बेटी” रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपना सर उठा कर अपनी टाँगों के दरमियाँ देखा. तो अपनी बेटी शाज़िया को अपनी फुद्दि पर मुँह मारता देख कर रज़िया बीबी ने तो होश ही उड़ गये.
“एक औरत होने के नाते जिस्म की गर्मी को में अच्छी तरह समझती हूँ, इसीलिए आप परेशान ना हों,में अभी कुछ ही देर में आप की प्यासी चूत को ठंडा कर दूंगी अम्मी” शाज़िया ने अपने मुँह को अम्मी की चूत से थोड़ा सा हटाया. और अपने होंठो पर लगे हुए अपनी अम्मी की गरम चूत के नमकीन पानी पर अपनी नुकीली ज़ुबान फेरते हुए बोली.
दूसरे ही लम्हे शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म पर पड़ी चादर को अपने हाथ में पकड़ा. और एक ही झटके में अपनी अम्मी के जिस्म से चादर खैंच कर अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को दुबारा से पूरा नंगा कर दिया.
“तुम ये सब कयययययययययययययययययाआआआअ कर रही हो मेरे साथ शाज़िया” अपने जिस्म को अपनी बेटी के हाथों दुबारा नंगी पा कर रज़िया बीबी चीखी.
“में जानती हूँ कि जिस तरह मेरी तलाक़ के बाद मेरी ज़िंदगी बे रोनक हो गई थी, इसी तरह अब्बू की मौत के बाद आप की ज़िंदगी और चूत भी खुशक हो गई है अम्मी, आप ने मुझे तो अपने ही भाई की दुल्हन बना कर, मुझे अपने ही भाई के मोटे लंड से मज़ा लेने का मोका अता कर दिया,मगर मेरे बदकास आप अभी तक चुदाई के मज़े से महरूम हैं,इसीलिए आज में खुद अपने हाथों और मुँह से आप को भी चुदाई का मज़ा देना चाहती हूँ अम्मी” शाज़िया इतनी सारी बातें एक ही साँस में अपनी अम्मी से कह गई.
शाज़िया अपनी जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर आज एक बार फिर अपने और अपनी अम्मी के दरमिया कायम माँ बेटी के रिश्ते को ना सिर्फ़ बुला बैठी थी.
बल्कि अब एक दफ़ा अपनी ज़ुबान पर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि के पानी का नमकीन ज़ायक़ा पाते ही शाज़िया पागल हो के इस तरह की बहकी बहकी बातें करने लगी थी.
अब अपने भाई ज़ाहिद से शादी और फिर नीलोफर के मलेशिया चले जाने के बाद शाज़िया नीलोफर की चूत की खुश्बू,लज़्जत और चूत के नमकीन पानी को बहुत मिस कर रही थी.
इसीलिए आज इतने महीने बाद जब शाज़िया ने अपनी ही सग़ी अम्मी की गरम और मोटी फुद्दि को अपनी आँखों के सामने यूँ खुलता देखा. तो अपनी अम्मी के इस हसीन फुद्दि को देख कर शाज़िया के मुँह मे पानी भर आया.
“मेरे पास लंड तो नही, मगर में अपनी अम्मी की फुद्दि को चाट कर अपनी ज़ुबान से तो अम्मी की चूत को सकून दे ही सकती हूँ ना, और इस तरह अम्मी की फुद्दि के साथ साथ मेरी गरम ज़ुबान भी ठंडी हो जाए गी” अपनी अम्मी की पानी छोड़ती फुद्दि के मोटे और फूले होंठो को देख कर शाज़िया के दिल में ये ख्याल आया.
आज अपनी ही अम्मी के उस मोटी फुददी को देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया अपने होश-ओ-हवस खो बैठी.
बल्कि अपनी अम्मी की गरम चूत देख कर शाज़िया के मुँह से राल भी टपकने लग पड़ी थी.
अपनी आँखों के सामने मचलती हुई अपनी अम्मी की चूत को देख कर शाज़िया को अपने उपर कोई कंट्रोल नही रहा. तो फिर बिजली की तेज़ी के साथ शाज़िया ने अपने जिस्म से सारे कपड़े उतार फैंके.
अपने घर के बरांडे में बिल्कुल नंगी होते ही शाज़िया दबे पाँव अपनी अम्मी के कमरे में दाखिल हुई. और आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई बिस्तर पर अपनी आँखे बंद किए पड़ी हुई अपनी अम्मी के पास खड़े हो कर खामोशी से अपनी अम्मी के मोटे और भारी वजूद का करीब से जायज़ा लेने लगी.
रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की कमरे में मौजूदगी से बे नियाज़ अपनी आँखे मून्दे (क्लोज़ किए) अपनी गरम फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ थी.
“उफफफफफफफफफ्फ़ मेरी अम्मी के मम्मे तो मुझ से भी बड़े हैं,ओह देखूऊऊओ तो मेरी अम्मी के डार्क ब्राउन निपल्स भी कैसे खड़े हुए हैं,और्र्र्र्ररर सब्बब्बबब से बढ़ कर मेरी अमिीईईईईईई की ये मोटी फुद्दीईईईईई कितनी प्यारी है, जिस की खूबसूरती और ताज़गी तो 5 बच्चे निकालने के बाद भी अभी तक मंद नही पाडिइईईईईईई”. बिस्तर पर लेटी रज़िया बीबी की खुली टाँगों में से अपनी अम्मी के गुदाज और भारी मम्मो और फूले होंठो वाली पानी छोड़ती फुद्दि को देख कर शाजिया ये बात सोचते हुए साथ ही साथ अपनी नंगी चूत में भी उंगली भी मार रही थी.
“हाईईईईईईईईईईईई अम्मी की चूत का पानी तो उन की फुद्दि से बह बह कर बिस्तर पर ज़ाया हो रहा है, मुझे चाहिए कि में आगे बढ़ुँ और अपनी अम्मी की फुद्दि से अपना मुँह लगा कर अपनी अम्मी के इस बहते झरने का सारा पानी अपने अंदर जज़ब कर लूँ” अपनी मोटी फुद्दि पर अपनी उंगली को तेज़ी से रगड़ते हुए शाज़िया ने सोचा.
अभी शाज़िया अपनी इस सोच में ही मगन थी. कि इतने में रज़िया बीबी मज़ीद गरम होते हुए अपने दोनो हाथों को अपने बड़े बड़े चुचों (मम्मो) पर लाई.
और अपने दोनो मोटे और भारी मम्मो को अपने हाथों में ले कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी. इस सारे अमल के दौरान रज़िया बीबी की आँखे बदस्तूर बंद थी.
अब नीचे से रज़िया बीबी की गरम और प्यासी फुद्दि अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ उस की बेटी शाज़िया की नज़रों के सामने खुली पड़ी थी.
ये शाज़िया के लिए बहुत सुनहरी मोका था. जब वो अपनी अम्मी की प्यासी फुद्दि को अपनी नुकीली ज़ुबान से ठंडा कर सकती थी.
इसीलिए इस मोके को गनीमत जानते हुए शाज़िया नीचे झुकी और बहुत आहिस्ता से अपनी अम्मी की टाँगों के दरमियाँ बैठ कर शाज़िया ने ज्यों ही अपने मुँह को अपनी अम्मी के मोटी फुद्दी के नज़दीक किया. तो रज़िया की पानी छोड़ती मोटी फुद्दी की खुसबू दार महक शाज़िया के नथुनो में समा गई.
“उफफफफफफफ्फ़ अम्मी की चूत की ये खुसबू कितनी मज़ेदार हाईईईईईईईई” अपनी अम्मी की चूत की खुसबू को सूंघते हुए शाज़िया ने अपनी अम्मी की फूली हुई चूत पर हाथ फेरा. और झुक कर एक दम अपनी अम्मी की पानी पानी होती गरम फुद्दी पर अपने गरम होन्ट चिस्पान कर दिए.
शाज़िया के गरम होन्ट ज्यों ही अपनी अम्मी की गीली चूत से टच हुए. तो अपनी अम्मी की चूत के बहते पानी से शाज़िया के होंठ पूरी तरह तर हो गये.
“ओह कूऊऊऊऊओन हो तूमम्म्ममममममममम”ज्यों ही शाज़िया ने अपनी अम्मी की चूत के मोटे लिप्स को अपने मुँह में भरा.
रज़िया बीबी एक दम घबरा कर अपने बिस्तर से एक फुट उपर की तरह उछली.और अपने जिस्म को छुपाने के लिए बिस्तर की चादर को अपने उपर लेने की कोशिश करने लगी.
“शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ये क्या गंदी हरकत कर रही हो तुम मेरे साथ बेटी” रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपना सर उठा कर अपनी टाँगों के दरमियाँ देखा. तो अपनी बेटी शाज़िया को अपनी फुद्दि पर मुँह मारता देख कर रज़िया बीबी ने तो होश ही उड़ गये.
“एक औरत होने के नाते जिस्म की गर्मी को में अच्छी तरह समझती हूँ, इसीलिए आप परेशान ना हों,में अभी कुछ ही देर में आप की प्यासी चूत को ठंडा कर दूंगी अम्मी” शाज़िया ने अपने मुँह को अम्मी की चूत से थोड़ा सा हटाया. और अपने होंठो पर लगे हुए अपनी अम्मी की गरम चूत के नमकीन पानी पर अपनी नुकीली ज़ुबान फेरते हुए बोली.
दूसरे ही लम्हे शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म पर पड़ी चादर को अपने हाथ में पकड़ा. और एक ही झटके में अपनी अम्मी के जिस्म से चादर खैंच कर अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को दुबारा से पूरा नंगा कर दिया.
“तुम ये सब कयययययययययययययययययाआआआअ कर रही हो मेरे साथ शाज़िया” अपने जिस्म को अपनी बेटी के हाथों दुबारा नंगी पा कर रज़िया बीबी चीखी.
“में जानती हूँ कि जिस तरह मेरी तलाक़ के बाद मेरी ज़िंदगी बे रोनक हो गई थी, इसी तरह अब्बू की मौत के बाद आप की ज़िंदगी और चूत भी खुशक हो गई है अम्मी, आप ने मुझे तो अपने ही भाई की दुल्हन बना कर, मुझे अपने ही भाई के मोटे लंड से मज़ा लेने का मोका अता कर दिया,मगर मेरे बदकास आप अभी तक चुदाई के मज़े से महरूम हैं,इसीलिए आज में खुद अपने हाथों और मुँह से आप को भी चुदाई का मज़ा देना चाहती हूँ अम्मी” शाज़िया इतनी सारी बातें एक ही साँस में अपनी अम्मी से कह गई.
शाज़िया अपनी जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर आज एक बार फिर अपने और अपनी अम्मी के दरमिया कायम माँ बेटी के रिश्ते को ना सिर्फ़ बुला बैठी थी.
बल्कि अब एक दफ़ा अपनी ज़ुबान पर अपनी अम्मी की गरम फुद्दि के पानी का नमकीन ज़ायक़ा पाते ही शाज़िया पागल हो के इस तरह की बहकी बहकी बातें करने लगी थी.