hotaks444
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“जब हमारे पास पूरी रात है तो क्यों ना आज इकट्ठे एक साथ नहाया जाय बाजी” जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में उंगली करते हुए कहा.
“भाई पहले खाना ना खा लें” नीलोफर ने भाई से कहा.
“तुम्हारी फुददी से दिल भरे तो कुछ और खाने का होश आए ना बाजी” कहते हुए जमशेद ने अपनी बेहन की शलवार का नाडा खोला तो शलवार नीचे ज़मीन पर गिर गई.
“अच्छा तुम्हारी यह ही ख्वाहिश है तो चलो बाथरूम में चलते हैं” कहते हुए नीलोफर ने अपने भाई को अपनी ब्रेज़ियर की हुक खोलने को कहा.जिस पर जमशेद ने जल्दी से अपनी बेहन के ब्रेज़ियर को खोल कर उसे पूरा नंगा कर दिया.
नीलोफर की देखा देखी जमशेद भी फॉरन ही अपने कपड़े उतार कर अपनी बेहन की तरह नंगा हो गया और फिर दोनो बेहन भाई ही बाथ रूम ही तरफ चल पड़े .
बाथरूम में पहुँच कर दोनो बेहन भाई बिना किसी खोफ़-ओ-खतर के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे.
बाथ रूम में इकट्ठा नहाने के बाद दोनो बेहन भाई ने इकट्ठे खाना खाया.
कहने से फारिग होते ही जमशेद ने किचन से अपनी बेहन को अपनी बाहों में उठाया और नीलोफर के बेड रूम आ गया.
फिर पूरी रात जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में अपना लंड इस तरह डाले गुज़री जैसे वो अपनी बेहन का शोहर हो और उस की बेहन उस की बीवी.
अगली सुबह जब नीलोफर स्कूल जाने के लिए अपनी वॅन में बैठी तो उसे शाज़िया उस का बेताबी से इंतजार कर रही थी.
दोनो सहेलियाँ एक दूसरे को महनी खेज़ नज़रों से देख और मुस्कराने लगीं.
उस दिन के बाद दोनो मज़ीद पक्की सहेलियाँ बन गई. अब वो अक्सर रात को काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपने अपने दिल की बात खुल कर करने लगीं.
क्यूंकी अब इन दोनो में शरम और झिझक का पड़ा परदा हट चुका था.इस लिए वो दोनो अब एक दूसरी को मज़ाक मज़ाक में गंदी बातों से छेड़ने भी लगीं थीं.
शाज़िया से अपने लेज़्बीयन तलोकात कायम करने और उस की नंगी फोटोस को अपने भाई से प्रिंट करवाने के बाद अब ज़ाहिद से मिलने को बेचैन थी.
उस ने ज़ाहिद को एक दो दफ़ा फोन भी किया मगर ज़ाहिद अपनी नोकरी की मूसरूफ़ियत की बिना पर नीलोफर से फॉरी तौर पर मिल ना पाया.
फिर कुछ दिन के बाद ज़ाहिद ने वक्त निकाल कर खुद नीलोफर को फोन किया.
जब अगले हफ्ते ज़ाहिद वापिस आया तो नीलोफर ने उसे फोन कर के मिलने का कहा.तो ज़ाहिद ने नीलोफर से अगले दिन मिलने की हामी भर ली.
नीलोफर ने जब अपने फोन पर ज़ाहिद का नंबर देखा तो उस ने फॉरन ही अपने फोन को ऑन किया.
ज़ाहिद: मेरी जान क्या हाल है.
नीलोफर: अभी तुम को ही याद कर रही थी.
ज़ाहिद: क्यों खरियत?.
नीलोफर: बस वैसे ही तुम्हारी याद आ रही थी.
ज़ाहिद ने हँसते हुए कहा: क्यों आज कल तुम्हारा “चोदू” भाई तुम को “सर्विस” नही कर रहा क्या?.
नीलोफर बी हस पड़ी, “कौन जमशेद वो तो अभी अभी मुझे चोद कर वापिस अपने घर गया है. में तो वैसे ही अभी तुम को फोन करने का सोच रही थी,”
ज़ाहिद: तो आ जाओ मेरे पास मेरी जान.
“क्यों” अब नीलोफर ज़ाहिद को छेड़ने के मूड में थी.
"क्योंकि बड़ा दिल कर रहा तुम्हारी चूत चोदने को. देखो मेरा लंड भी खड़ा हो गया है तुम्हारी प्यारी आवाज़ सुन कर” ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ से मसलते हुए कहा.
नीलोफर: दिल तो मेरा भी चाह रहा है में कल दोपहर को तुम्हारे मकान पर आउन्गी .
“ठीक है फिर कल मिलते हैं” कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया.
दूसरे दिन जमशेद ने अपनी बेहन नीलोफर को ज़ाहिद के मकान पर उतारा और दो घेंटे बाद वापिस आने का कह कर चला गया.
ज़ाहिद को नीलोफर की फुद्दि मारे एक महीने से ज़्यादा का टाइम हो चुका था. इस लिए वो बे सबरी से नीलोफर का इंतिज़ार कर रहा था.
ज्यों ही नीलोफर कमरे में दाखिल हुई ज़ाहिद उस को अपनी बाहों में ले कर उस के गालों और होंठो को चूमने लगा.
नीलोफर: बड़े बे सबरे हो रहे हो मुझे साँस तो लेने दो ज़रा.
“यार में तो इंतजार कर लूँ मगर इस पागल लंड को कॉन समझाए जो तुम्हारी फुद्दि के लिए एक महीने से तरस रहा है.” ज़ाहिद ने अपनी शलवार में तने हुए अपने मोटे और बड़े लंड को नीलोफर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा.
साथ ही साथ ज़ाहिद अपना हाथ नीलोफर की फुद्दि पर लाया और शलवार के ऊपर से उस की फुद्दि को रगड़ने लगा.
ज़ाहिद का हाथ उस की चूत से टच होते ही नीलोफर पर एक मस्ती सी छाने लगी.
“भाई पहले खाना ना खा लें” नीलोफर ने भाई से कहा.
“तुम्हारी फुददी से दिल भरे तो कुछ और खाने का होश आए ना बाजी” कहते हुए जमशेद ने अपनी बेहन की शलवार का नाडा खोला तो शलवार नीचे ज़मीन पर गिर गई.
“अच्छा तुम्हारी यह ही ख्वाहिश है तो चलो बाथरूम में चलते हैं” कहते हुए नीलोफर ने अपने भाई को अपनी ब्रेज़ियर की हुक खोलने को कहा.जिस पर जमशेद ने जल्दी से अपनी बेहन के ब्रेज़ियर को खोल कर उसे पूरा नंगा कर दिया.
नीलोफर की देखा देखी जमशेद भी फॉरन ही अपने कपड़े उतार कर अपनी बेहन की तरह नंगा हो गया और फिर दोनो बेहन भाई ही बाथ रूम ही तरफ चल पड़े .
बाथरूम में पहुँच कर दोनो बेहन भाई बिना किसी खोफ़-ओ-खतर के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे.
बाथ रूम में इकट्ठा नहाने के बाद दोनो बेहन भाई ने इकट्ठे खाना खाया.
कहने से फारिग होते ही जमशेद ने किचन से अपनी बेहन को अपनी बाहों में उठाया और नीलोफर के बेड रूम आ गया.
फिर पूरी रात जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में अपना लंड इस तरह डाले गुज़री जैसे वो अपनी बेहन का शोहर हो और उस की बेहन उस की बीवी.
अगली सुबह जब नीलोफर स्कूल जाने के लिए अपनी वॅन में बैठी तो उसे शाज़िया उस का बेताबी से इंतजार कर रही थी.
दोनो सहेलियाँ एक दूसरे को महनी खेज़ नज़रों से देख और मुस्कराने लगीं.
उस दिन के बाद दोनो मज़ीद पक्की सहेलियाँ बन गई. अब वो अक्सर रात को काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपने अपने दिल की बात खुल कर करने लगीं.
क्यूंकी अब इन दोनो में शरम और झिझक का पड़ा परदा हट चुका था.इस लिए वो दोनो अब एक दूसरी को मज़ाक मज़ाक में गंदी बातों से छेड़ने भी लगीं थीं.
शाज़िया से अपने लेज़्बीयन तलोकात कायम करने और उस की नंगी फोटोस को अपने भाई से प्रिंट करवाने के बाद अब ज़ाहिद से मिलने को बेचैन थी.
उस ने ज़ाहिद को एक दो दफ़ा फोन भी किया मगर ज़ाहिद अपनी नोकरी की मूसरूफ़ियत की बिना पर नीलोफर से फॉरी तौर पर मिल ना पाया.
फिर कुछ दिन के बाद ज़ाहिद ने वक्त निकाल कर खुद नीलोफर को फोन किया.
जब अगले हफ्ते ज़ाहिद वापिस आया तो नीलोफर ने उसे फोन कर के मिलने का कहा.तो ज़ाहिद ने नीलोफर से अगले दिन मिलने की हामी भर ली.
नीलोफर ने जब अपने फोन पर ज़ाहिद का नंबर देखा तो उस ने फॉरन ही अपने फोन को ऑन किया.
ज़ाहिद: मेरी जान क्या हाल है.
नीलोफर: अभी तुम को ही याद कर रही थी.
ज़ाहिद: क्यों खरियत?.
नीलोफर: बस वैसे ही तुम्हारी याद आ रही थी.
ज़ाहिद ने हँसते हुए कहा: क्यों आज कल तुम्हारा “चोदू” भाई तुम को “सर्विस” नही कर रहा क्या?.
नीलोफर बी हस पड़ी, “कौन जमशेद वो तो अभी अभी मुझे चोद कर वापिस अपने घर गया है. में तो वैसे ही अभी तुम को फोन करने का सोच रही थी,”
ज़ाहिद: तो आ जाओ मेरे पास मेरी जान.
“क्यों” अब नीलोफर ज़ाहिद को छेड़ने के मूड में थी.
"क्योंकि बड़ा दिल कर रहा तुम्हारी चूत चोदने को. देखो मेरा लंड भी खड़ा हो गया है तुम्हारी प्यारी आवाज़ सुन कर” ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ से मसलते हुए कहा.
नीलोफर: दिल तो मेरा भी चाह रहा है में कल दोपहर को तुम्हारे मकान पर आउन्गी .
“ठीक है फिर कल मिलते हैं” कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया.
दूसरे दिन जमशेद ने अपनी बेहन नीलोफर को ज़ाहिद के मकान पर उतारा और दो घेंटे बाद वापिस आने का कह कर चला गया.
ज़ाहिद को नीलोफर की फुद्दि मारे एक महीने से ज़्यादा का टाइम हो चुका था. इस लिए वो बे सबरी से नीलोफर का इंतिज़ार कर रहा था.
ज्यों ही नीलोफर कमरे में दाखिल हुई ज़ाहिद उस को अपनी बाहों में ले कर उस के गालों और होंठो को चूमने लगा.
नीलोफर: बड़े बे सबरे हो रहे हो मुझे साँस तो लेने दो ज़रा.
“यार में तो इंतजार कर लूँ मगर इस पागल लंड को कॉन समझाए जो तुम्हारी फुद्दि के लिए एक महीने से तरस रहा है.” ज़ाहिद ने अपनी शलवार में तने हुए अपने मोटे और बड़े लंड को नीलोफर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा.
साथ ही साथ ज़ाहिद अपना हाथ नीलोफर की फुद्दि पर लाया और शलवार के ऊपर से उस की फुद्दि को रगड़ने लगा.
ज़ाहिद का हाथ उस की चूत से टच होते ही नीलोफर पर एक मस्ती सी छाने लगी.