Incest Porn Kahani माँ बनी सास - Page 4 - SexBaba
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Incest Porn Kahani माँ बनी सास

“जब हमारे पास पूरी रात है तो क्यों ना आज इकट्ठे एक साथ नहाया जाय बाजी” जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में उंगली करते हुए कहा.

“भाई पहले खाना ना खा लें” नीलोफर ने भाई से कहा.

“तुम्हारी फुददी से दिल भरे तो कुछ और खाने का होश आए ना बाजी” कहते हुए जमशेद ने अपनी बेहन की शलवार का नाडा खोला तो शलवार नीचे ज़मीन पर गिर गई.

“अच्छा तुम्हारी यह ही ख्वाहिश है तो चलो बाथरूम में चलते हैं” कहते हुए नीलोफर ने अपने भाई को अपनी ब्रेज़ियर की हुक खोलने को कहा.जिस पर जमशेद ने जल्दी से अपनी बेहन के ब्रेज़ियर को खोल कर उसे पूरा नंगा कर दिया.


नीलोफर की देखा देखी जमशेद भी फॉरन ही अपने कपड़े उतार कर अपनी बेहन की तरह नंगा हो गया और फिर दोनो बेहन भाई ही बाथ रूम ही तरफ चल पड़े .

बाथरूम में पहुँच कर दोनो बेहन भाई बिना किसी खोफ़-ओ-खतर के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे.

बाथ रूम में इकट्ठा नहाने के बाद दोनो बेहन भाई ने इकट्ठे खाना खाया. 


कहने से फारिग होते ही जमशेद ने किचन से अपनी बेहन को अपनी बाहों में उठाया और नीलोफर के बेड रूम आ गया.

फिर पूरी रात जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में अपना लंड इस तरह डाले गुज़री जैसे वो अपनी बेहन का शोहर हो और उस की बेहन उस की बीवी.

अगली सुबह जब नीलोफर स्कूल जाने के लिए अपनी वॅन में बैठी तो उसे शाज़िया उस का बेताबी से इंतजार कर रही थी.

दोनो सहेलियाँ एक दूसरे को महनी खेज़ नज़रों से देख और मुस्कराने लगीं.

उस दिन के बाद दोनो मज़ीद पक्की सहेलियाँ बन गई. अब वो अक्सर रात को काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपने अपने दिल की बात खुल कर करने लगीं.

क्यूंकी अब इन दोनो में शरम और झिझक का पड़ा परदा हट चुका था.इस लिए वो दोनो अब एक दूसरी को मज़ाक मज़ाक में गंदी बातों से छेड़ने भी लगीं थीं.

शाज़िया से अपने लेज़्बीयन तलोकात कायम करने और उस की नंगी फोटोस को अपने भाई से प्रिंट करवाने के बाद अब ज़ाहिद से मिलने को बेचैन थी. 

उस ने ज़ाहिद को एक दो दफ़ा फोन भी किया मगर ज़ाहिद अपनी नोकरी की मूसरूफ़ियत की बिना पर नीलोफर से फॉरी तौर पर मिल ना पाया.

फिर कुछ दिन के बाद ज़ाहिद ने वक्त निकाल कर खुद नीलोफर को फोन किया.

जब अगले हफ्ते ज़ाहिद वापिस आया तो नीलोफर ने उसे फोन कर के मिलने का कहा.तो ज़ाहिद ने नीलोफर से अगले दिन मिलने की हामी भर ली.

नीलोफर ने जब अपने फोन पर ज़ाहिद का नंबर देखा तो उस ने फॉरन ही अपने फोन को ऑन किया. 

ज़ाहिद: मेरी जान क्या हाल है. 

नीलोफर: अभी तुम को ही याद कर रही थी.

ज़ाहिद: क्यों खरियत?.

नीलोफर: बस वैसे ही तुम्हारी याद आ रही थी.

ज़ाहिद ने हँसते हुए कहा: क्यों आज कल तुम्हारा “चोदू” भाई तुम को “सर्विस” नही कर रहा क्या?.

नीलोफर बी हस पड़ी, “कौन जमशेद वो तो अभी अभी मुझे चोद कर वापिस अपने घर गया है. में तो वैसे ही अभी तुम को फोन करने का सोच रही थी,”

ज़ाहिद: तो आ जाओ मेरे पास मेरी जान.

“क्यों” अब नीलोफर ज़ाहिद को छेड़ने के मूड में थी. 

"क्योंकि बड़ा दिल कर रहा तुम्हारी चूत चोदने को. देखो मेरा लंड भी खड़ा हो गया है तुम्हारी प्यारी आवाज़ सुन कर” ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ से मसलते हुए कहा.

नीलोफर: दिल तो मेरा भी चाह रहा है में कल दोपहर को तुम्हारे मकान पर आउन्गी .

“ठीक है फिर कल मिलते हैं” कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया.

दूसरे दिन जमशेद ने अपनी बेहन नीलोफर को ज़ाहिद के मकान पर उतारा और दो घेंटे बाद वापिस आने का कह कर चला गया.

ज़ाहिद को नीलोफर की फुद्दि मारे एक महीने से ज़्यादा का टाइम हो चुका था. इस लिए वो बे सबरी से नीलोफर का इंतिज़ार कर रहा था.

ज्यों ही नीलोफर कमरे में दाखिल हुई ज़ाहिद उस को अपनी बाहों में ले कर उस के गालों और होंठो को चूमने लगा.

नीलोफर: बड़े बे सबरे हो रहे हो मुझे साँस तो लेने दो ज़रा.

“यार में तो इंतजार कर लूँ मगर इस पागल लंड को कॉन समझाए जो तुम्हारी फुद्दि के लिए एक महीने से तरस रहा है.” ज़ाहिद ने अपनी शलवार में तने हुए अपने मोटे और बड़े लंड को नीलोफर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा.

साथ ही साथ ज़ाहिद अपना हाथ नीलोफर की फुद्दि पर लाया और शलवार के ऊपर से उस की फुद्दि को रगड़ने लगा.

ज़ाहिद का हाथ उस की चूत से टच होते ही नीलोफर पर एक मस्ती सी छाने लगी.
 
सच्ची बात यह थी कि नीलोफर खुद भी अब ज़ाहिद के मोटे लंड से चुदवा चुदवा कर उस के लंड की दीवानी हो गई थी.इस लिए उस ने भी ज़ाहिद के लंड को अपने हाथ में ले कर उस की मूठ लगाना शुरू कर दिया.

दोनो के मुँह आपस में मिल गये और दोनो के हाथ एक दूसरे के कपड़ों को एक दूसरे के जिस्म से अलग करने लगे.

इस के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को तेज तेज चोद के उसे के अंग अंग को हिला कर नीलोफर को बहाल कर दिया.

नीलोफर की चुदाई के बाद ज़ाहिद थक कर सोफे पे गिर गया.

वो दोनो अब साथ साथ लेटे ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहे थे. 

जब उन दोनो की साँसे बहाल हुईं तो नीलोफर उठी और अपने बिखरे कपड़ों को समेट कर पहनने लगी.

अपने कपड़े पहन कर नीलोफर ज़ाहिद के पास सोफे पर दुबारा बैठ गई. ज़ाहिद अभी तक नंगी हालत में ही सोफे पर लेटा हुआ था. और उस का बड़ा लंड अब थोड़ा मुरझाई हुई हालत में उस की एक टाँग पर ऐसे पड़ा था. जैसे कोई मरीज़ हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़ा अपनी ज़िंदगी की आखरी साँसे ले रहा हो.

ज्यों ही नीलोफर ज़ाहिद के पास बैठी तो ज़ाहिद ने उसे दुबारा अपने बाहों में जकड कर उस के गालों को चूमा.

ज़ाहिद: यार तुम वाकई ही बहुत गरम और मज़ेदार चीज़ हो. मुझे समझ नही आती तुम्हारा शोहर कैसे तुम जैसे पोपट माल को छोड़ कर बाहर चला जाता है.

“ अच्छा अब ज़्यादा मकान ना लगो,यह देखू में तुम्हारे लंड के लिए एक नये माल का बन्दोबस्त कर रही हूँ. यकीन जानो इस की फुद्दि में मेरी चूत से ज़्यादा आग भरी हुई है. और मुझे यकीन है कि अगर तुम को यह चोदने को मिले तो इस फुद्दि की आग तुम्हारे लंड को जला कर रख कर दे गी” नीलोफर ने शाज़िया की चन्द फोटोस अपने पर्स से निकाल कर ज़ाहिद को देते हुए कहा.

ज़ाहिद ने एक एक कर के नीलोफर की दी हुई शाज़िया की सारी फोटोस देखीं. 



फोटोस देखते देखते ज़ाहिद के ढीले लंड में आहिस्ता आहिस्ता दुबारा जान पड़ने लगी.

ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र नीलोफर की दी हुई फोटोस पर पड़ी. जिस में शाज़िया पूरी नगी हालत में इस तरह खड़ी थी कि उस की कमर ही नज़र आ रही थी.



यह फोटो देख कर ज़ाहिद का लौडा इस तरह एक दम फुल तन कर खड़ा हो गया. जैसे किसी ने उस को वियाग्रा खिला दी हो.

“उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ नीलोफर यार क्या ग़ज़ब की चीज़ है यह,देखो तो सही इस को देख का मेरा लंड किस तरह उठा कर खड़ा हो गया है, क्या नाम है इस कयामत का और कब मिलवा रही हो इस ज़ालिम हसीना से” शाजिया की फोटो देख कर अपने लंड को हाथ मे ले कर मूठ मारते हुए ज़ाहिद ने नीलोफर से कहा.

“ इस का नाम साजिदा है और अगर इस का सिर्फ़ जिस्म देख कर तुम्हारे लंड यह हाल है तो सोचो इस की फुद्दि में अपना लंड डाल कर तुम्हारा क्या हाल हो गा” नीलोफर ने ज़ाहिद के हाथ को उस के लंड से परे किया और खुद उस की मूठ लगाते हुए कहा.

बे शक शाज़िया एक कॉमन नाम है और इस नाम की कितनी ही लड़कियाँ झेलम में रहती होंगी. मगर इस के बावजूद नीलोफर ने जान बूझ कर ज़ाहिद को शाज़िया का नाम ग़लत बताया था. ता कि ज़ाहिद को किसी किस्म का ज़रा सा भी शक ना पड़े .

“हाईईईईईई ज़ालिम इस जवानी ने तो मेरे लंड को पागल कर दिया है. जल्दी से मुझे इस से मिलवाओ में तो उस की गान्ड को चाट चाट कर ही खा जाऊं गा” ज़ाहिद शाज़िया की गान्ड वाली फोटो को अपने मुँह के पास लिया और अपनी ज़ुबान को शाज़िया की गान्ड पर रख कर चाटते हुए मस्ती में बोला.

नीलोफर ने महसूस किया कि ज़ाहिद का लंड अपनी बेहन के नंगे बदन को देख कर पहले से बी ज़ेयादा अकड़ कर सख़्त हो गया है.

“फिकर ना करो में जल्द ही तुम्हारा मिलाप करवा दूं गी इस से. में ने इसे तुम्हारे लंड के बारे में ना सिर्फ़ बताया है बल्कि इसे तुम्हारा लंड दिखाया भी है. यकीन मानो तुम्हारे लंड को देख कर इस की चूत भी बिल्कुल इसी तरह पानी छोड़ गई थी. जिस तरह तुम्हारा लंड इस को देख कर पानी छोड़ रहा है” नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड की टोपी पर से निकलते हुए पानी को सॉफ करते हुए कहा.

“क्या मेरी नंगी फोटो तो तुम ने कभी खींची ही नही तो उसे कैसे देखा दीं” ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हैरत से उस की तरफ देखने लगा.

नीलोफर ज़ाहिद की बात सुन कर मुस्कुराइ और फिर ज़ाहिद को सच सच बता दिया. कि किस तरह जमशेद ने उस के मकान में ख़ुफ़िया कॅमरा फिट कर के नीलोफर, ज़ाहिद और जमशेद की अपनी चुदाई रेकॉर्ड की और फिर उस में से स्टिल फोटोस निकाली हैं.
 
ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हॅका बक्का रह गया. उसे नीलोफर की बात का अभी तक यकीन नही हो रहा था.

“मगर तुम ने यह सब क्यूँ किया,क्या तुम दोनो बेहन भाई मिल कर मुझे ब्लॅक मेल करना चाहते हो” ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर परेशान हो गया.

नीलोफर: नही यार तुम को ब्लॅक मेल करना होता तो तुम को यह बात कभी ना बताती.असल में मेरी यह सहेली गरम तो बहुत है मगर साथ में बहुत शेर्मीली भी है,अगर में सीधी तरह से इस से बात करती तो यह कभी राज़ी नही होती.

फिर नीलोफर ने शाज़िया और अपने दरमियाँ होने वाला लेज़्बीयन किस्सा पूरी तफ़सील से ज़ाहिद को सुना दिया. मगर उस ने ज़ाहिद को इस बात का शक भी ना होने दिया कि वो या उस की सहेली "साजिदा" किसी स्कूल में टीचर्स हैं.

सारी बात सुनने के बाद नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा” मेरी सहेली साजिदा की फुद्दि बहुत ही गरम और प्यासी है और इस की गर्मी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम जैसे बड़े और मोटे लंड वाला आदमी ही निकल सकता है,बोला निकालोगे मेरी दोस्ती की चूत की गर्मी,भरोगे इस की फुद्दि को अपने लंड के पानी से”


“हन्ंननननणणन् फाड़ दूऊऊऊऊऊऊन गाआआआआआअ इस की गान्ड और फुद्दिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई एक बार लऊऊऊऊ तो सहियिइ मेरे पस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” कहता हुआ ज़ाहिद ने अपने लंड का पानी नीलोफर के हाथ में ही छोड़ दिया.

नीलोफर ने पास पड़े तोलिये से ज़ाहिद के लंड को सॉफ किया और फिर उठ कर बाथ रूम में अपना हाथ धोने चली गई.

हाथ धो कर नीलोफर बाहर आई तो ज़ाहिद को शाज़िया की फोटोस को देखते हुआ पाया तो वो दिल ही दिल में मुस्करा दी. 

वो सोचने लगी कि अगर ज़ाहिद को यह पता चल गया कि जिस फुद्दि को देख कर उस ने अभी अभी अपने लंड के पानी का फव्वारा छोड़ा है. वो कोई और नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेहन है तो उस का क्या हाल हो गा.

नीलोफर को अपने दिल में इस बात की ख़ुसी होने लगी कि अंजाने में ही सही. उस ने ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बेहन भाई ने एक दूसरे का नंगा जिस्म देखा कर दोनो के तन बदन में एक दूसरे के लिए ऐसी आग भड़का दी थी. जिस को ठंडा किए बगैर अब दोनो का गुज़ारा बड़ा मुश्किल हो गा.

नीलोफर सोचने लगी कि अब जल्द आज़ जल्द वो इन दोनो का आपस में मिलाप करवा ही दे तो अच्छा है.

यह सोचते हुए उस ने ज़ाहिद के पास आ कर अपना पर्स उठाया और जमशेद को कॉल मिला दी.

जमशेद तो पहले ही ज़ाहिद के मकान से थोड़ी दूर बैठा अपनी बेहन के फोन का इंतिज़ार कर रहा था.इस लिए ज्यों ही नीलोफर का फोन आया और अपनी कार ले कर ज़ाहिद के मकान के बाहर चला आया.

नीलोफर ज़ाहिद से जल्द दुबारा मिलने का वादा कर के जमशेद के साथ अपने घर वापिस चली आई.

उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर आया तो दरवाज़ा खोलते ही उसे अपनी बेहन शाज़िया घर के सहन में कपड़े धोती हुई मिली.


शाज़िया उस वक्त बगैर दुपट्टे के कपड़े धोने में मसरूफ़ थी. और नल के गिरते पानी में कपड़े ढोते वक्त शाज़िया की शलवार कमीज़ पानी से भीग कर गीली हो चुकी थी.

ज़ाहिद ने अपनी बेहन शाज़िया को सलाम किया और किचन से अपना खाना ले कर बाहर टीवी लाउन्ज में बैठ गया. और खाना खाने के साथ साथ टीवी पर न्यूज़ का चॅनेल लगा कर देखने लगा.


बाहर कपड़े ढोते वक्त कई दफ़ा बे इख्तियारी में शाज़िया झुक कर किसी कपड़े को बाल्टी में रखती या उठाती. तो ऐसा करने से उस की कमीज़ के खुले गले में से उस की भारी छातियाँ अपनी पूरी आबो ताब से नंगी हो जातीं.

कमीज़ के भीग जाने की वजह से शाज़िया का ब्रेज़ियर उस के जिस्म के साथ चिपक सा गया था. और उस ने शाज़िया के मोटे और बड़े मम्मों को और भी नुमाया कर दिया था.

टीवी देखने के साथ साथ ज़ाहिद थोड़ी थोड़ी देर बाद अपनी बेहन को भी ताड़ रहा था. इस लिए ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र कुछ देर बाद सीधी अपनी बहन शाज़िया की कमीज़ से बाहर निकलते हुए उस के बड़े बड़े चूचों पर पड़ी. तो वो तो बस अपनी बेहन के मम्मे देखता ही रह गया.

अपनी आँखों से अपनी बेहन के जिस्म को“सैंकते” और अपनी बेहन की उभरी हुई जवान छातियो के दरमियाँ नाज़ुक सी लकीर की गहराइयों को नापते हुए ज़ाहिद को साफ अंदाज़ा हो रहा था. कि उस की बेहन शाज़िया ने आज अपनी कमीज़ के नीचे रेड कलर का ब्रेज़र पहना हुआ है.

शाज़िया के मम्मे मोटे और बड़े होने के बावजूद निहायत ही खूबसूरत शेप में थे.जिस वजह से गीली कमीज़ में से बाहर दिखते शाज़िया के भारी मम्मे ज़ाहिद के जलते जज़्बात पर पेट्रोल का काम कर रहे थे.

कपड़े धोने के बाद शाज़िया इन कपड़ों को सहन में लटकी हुई रस्सी पर डालने के लिए ज्यों ही उठी. तो गीला होने की वजह से उस की कमीज़ उस के बदन से चिपक गई. इस वजह से शाज़िया की शलवार के सामने वाला हिस्सा ज़ाहिद की नज़रों के सामने पूरा का पूरा नंगा हो गया.


अपनी बेहन की गीली शलवार में से उस की नंगी होती मोटी और फूली हुई फुद्दि का वाइज़ा नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखे फटी की फटी रह गईं.

अपनी बेहन के बंदन को यूँ दिन की रोशनी में अपने सामने यूँ नीम नंगी होता देख कर ज़ाहिद का मुँह ना सिर्फ़ खुशक हो गया.बल्कि उस के मुँह में डाला हुआ रोटी का नीवाला ज़ाहिद के खलक में ही अटक गया.

ज़ाहिद के अपनी बेहन की जवानी को देख कर पसीने छूट गये और उस का लंड उस की पॅंट में फुल तन गया.
 
अभी ज़ाहिद अपनी बेहन के जवान और गुदाज बदन का जायज़ा लेने में मसगूल था. कि इतने में ज़ाहिद की अम्मी रज़िया बीबी बाहर की तरफ से घर में दाखिल हुआ. तो शाज़िया को आँखे फाड़ पहर कर देखते हुए ज़ाहिद ने फॉरन अपनी नज़रे बेहन के बदन से हटा कर टीवी पर जमा लीं.

रज़िया बीबी ने जब अपने बेटे को टीवी लाउन्ज में बैठे देखा तो वो भी उस के पास आन बैठीं और ज़ाहिद से बातें करने लगीं.

खाने से फारिग होने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कहा और उठ कर अपने कमरे में गया और अपने कुछ काग़ज़ात लाने के बाद दुबारा अपनी ड्यूटी पर वापिस पोलीस स्टेशन चला आया.

ज़ाहिद के जाने के बाद शाज़िया भी अपने काम से फारिग हो कर नहाने चली गई.

रात को जब देर गये ज़ाहिद दुबारा घर लोटा तो उस वक्त तक उस की अम्मी सोने के लिए अपने कमरे में जा चुकी थीं.

जब कि शाज़िया अभी तक टीवी लाउन्ज में बैठी एक ड्रामा देखने में मसरूफ़ थी.

ज़ाहिद भी चलता हुआ टीवी लाउन्ज में आ कर टीवी के सामने रखे एक सोफे पर आन बैठा और टीवी देखने लगा.

ज़ाहिद का टीवी देखना तो आज एक बहाना था. असल में शाम को अपनी बेहन के भीगे बदन ने उस पर ऐसा असर डाला था. कि उस का दिल चाहने लगा कि सोने से पहले वो एक दफ़ा फिर अपनी बेहन के भरे हुए भरपूर जिस्म को देख कर अपनी प्यासी आँखों को ठंडक पहुँचा सके.

इस बार भी ज़ाहिद टीवी देखते देखते ज़ाहिद तिरछी आँखो से अपनी बेहन के बदन का जायज़ा लेने लगा तो उस की किस्मत ने उस का भरपूर साथ दिया.

टीवी लाउन्ज में उस वक्त शाज़िया अपने भाई की प्यासी नज़रों से बे खबर यूँ बैठ कर टीवी देखने में मसरूफ़ थी.
कि इस तरह बैठने से दुपट्टा ओढ़े होने के बावजूद ना सिर्फ़ उस के भाई ज़ाहिद को उस के बाईं तरफ के मम्मे का नज़ारा सॉफ देखने को मिल रहा था.


बल्कि साथ ही साथ शलवार में कसी हुई शाज़िया की मोटी गुदाज और चौड़ी गान्ड भी ज़ाहिद के मनोरंजन के लिए खुली किताब की तरह पूरी की पूरी ज़ाहिद की भूकि निगाहों से सामने पड़ी थी.

ज़ाहिद अपनी बेहन शाज़िया के बदन को खोजता रहा जिस से उस की बेक़ारारी बढ़ती रही.

थोड़ी देर तक ज़ाहिद टीवी देखने के बहाने अपनी बेहन के जवान जिस्म को अपनी गरम नज़रों से देख देख कर अपने दिल और लंड को गरम करता रहा.

आज ज़ाहिद का दिल उधर से उठने को नही चाह रहा था. मगर नोकरी की मजबूरी की वजह से सुबह सुबह उठना भी था.

इस लिए ज़ाहिद अपने लंड को काबू करता हुआ उठ कर बोझिल कदमो के साथ चलता अपने कमरे में आ गया.

ज़ाहिद के अपने कमरे में जाने के थोड़ी देर बाद शाज़िया भी अपने काम ख़तम कर के अपने कमरे में सोने के लिए चली आई.

अब घर में हालत यह थी कि रात के अंधेरे में अपने कमरे में लेटे हुए ज़ाहिद को नींद नही आ रही थी.

उस को पहले नीलोफर की दिखाई हुई उस की सहेली साजिदा की फोटोस ने बे हाल कर रखा था.

जब कि अब घर आ कर उस पर उस की अपनी सग़ी बेहन के चूचों ने कयामत ढा दी थी.

वो जब जब सोने के लिए अपनी आँखे बंद करता .उस की जवान बेहन के गीले जिस्म का सेरपा उस की आँखों के सामने आ कर उस की नींद उड़ा देता.

उस ने अपने दिल और दिमाग़ को समझाने की लाख कोशिश की .कि उस के अपनी बेहन के बारे में इस तरह सही नही.

मगर वो कहते हैं ना कि,

“लंड है कि मानता नही”

इसी लिए उस का लंड भी आज उस के काबू में नही रहा था.

नीलोफर की सहेली साजिदा का नंगा जिस्म और अपनी बेहन शाज़िया नीम उघड़ा होता बदन बार बार याद कर ज़ाहिद के लंड में ऐसा जोश आ गया था. कि जो कम होने का नाम ही नही ले रहा था.

खास तौर पर अपनी बेहन के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मे को सोच सोच कर उस का लंड फनफना उठा था.


ज़ाहिद अंधेरे में अपने बिस्तर पर लेटा बेचैनी से करवटें बदल रहा था.


वो बिस्तर पर लेटा कभी अपने हाथ से अपने लौडे को मसलता तो कभी उल्टा लेट कर अपना लंड अपने बिस्तर से रगड़ने लगता.

वो जितनी भी उल्टी सीधी हरकतें करता. उस का लंड आज उतना ही उस के काबू से बाहर होता जा रहा था.
 
आख़िर कार ज़ाहिद ने अपने दिल और दिमाग़ की बात को रुड करते हुए अपने लंड की बात मानी. और अपनी बेहन के बदन को याद कर के अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को नीचे कर के अपने लंड से खेलने लगा.

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बेहन के मुतलक सोचना शुरू किया तो जोश के मारे उस का सारा जिस्म अकड़ने लगा. और ज़ाहिद का लंड लोहे की राड की तरह सख़्त हो गया.

ज़ाहिद की आँखे बंद थीं और उस की आँखों के सामने उस की बेहन का नंगा जिस्म पूरी आबो ताब से घूमने लगा.

अपनी बेहन के मोटे मोटे मम्मे और उभरी हुई गान्ड को याद कर के ज़ाहिद के हाथ तेज़ी से उस के लंड पर फिसलने लगे.

मूठ मारते मारते ज़ाहिद के लंड ने एक झटका लिया और फिर दूसरे ही लम्हे वो “शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स” कहते हुए फारिग हो गया.

ज़ाहिद के लंड ने इतना पानी छोड़ा कि वो खुद हेरान हो गया. आज से पहले ज़ाहिद कभी इतनी जल्दी ना तो फारिग हुआ और ना ही उस के लंड से इतना ज़्यादा वीर्य निकला था.

आज पहली बार ज़ाहिद ने अपनी ही बेहन के बारे में सोच कर मूठ लगाई और फिर बेहन का नाम लेते ही अपने लंड का पानी छोड़ा था.

आम हालत में तो ज़ाहिद अपनी इस हरकत के बाद शायद डूब ही मरता. मगर आज हैरत अंगैज़ तौर पर उसे ज़रा भी शर्मिंदगी नही हुई थी.

इस की वजह शायद यह रही थी. कि नीलोफर और जमशेद से मिलने के बाद उस के दिल-ओ-दिमाग़ ने शायद सगे बेहन भाई के आपस में जिस्मानी ताल्लुक़ात को कबूल कर लिया था.

फारिग होने के बाद भी ज़ाहिद का जिस्म और लंड पुर्सकून ना हुए.

इस की वजह शायद यह थी. कि उस के लंड को अब अपनी बेहन की चूत की प्यास शिद्दत से लग चुकी थी.

मगर ज़ाहिद को अब भी यह समझ नही आ रही थी. कि वो भी जमशेद की तरह अपनी बेहन को काबू करे तो कैसे करे.

यही सोचते सोचती ज़ाहिद नंगा ही नींद में डूब गया.

उधर दूसरे कमरे में अपने बिस्तर पर लेटी शाज़िया का हाल भी अपने भाई से मुक्तिलफ नही था.

उस के तन बदन में भी अपनी सहेली नीलोफर की बातों ने आग लगाई हुई थी.

अभी शाज़िया नीलोफर के साथ अपनी लेज़्बीयन चुदाई के बारे में सोचने में मगन थी. कि उस के फोन की घेंटी बज उठी.

शाज़िया ने अपने तकिये के नीचे रखते हुए फोन को उठा कर देखा तो पता चला कि नीलोफर की कॉल है.

“केसी हो” शाज़िया के फोन आन्सर करते ही नीलोफर ने पूछा.

शाज़िया: ठीक हूँ,तुम सूनाओ.

नीलोफर: में तो ठीक हूँ मगर तुम्हारा यार बड़ा तड़प रहा है तुम्हारे लिए.

“क्या बकवास करती हो,मेरा कौन सा यार है” शाज़िया ने नीलोफर की बात पर थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा.

नीलोफर: वो ही बड़े लंड वाला,जिस के साथ अपनी चुदाई की वीडियो में ने तुम को दिखाई थी.

“पहली बात कि वो मेरा यार नही,दूसरी बात कि वो तो मुझे जानता नही फिर वो मेरा कैसे पूछ सकता है” शाज़िया ने नीलोफर से कहा.

नीलोफर: यार अगर बुरा ना मानो तो एक बात बताऊ.

शाज़िया: कहो.

शाज़िया: अच्छा अब बको भी.

नीलोफर: शाज़िया मुझे ग़लत मत समझना क्योंकि तुम को पता है में जो भी कर रही हूँ तुम्हारे भले के लिए कर रही हूँ.

“अच्छा अब ज़्यादा पहेलियाँ मत बुझाओ मतलब की बात करो” शाज़िया अब चाहती थी कि नीलोफर के दिल में जो भी बात है वो जल्दी से उस की ज़ुबान पर आ जाय.

फिर झिझकते झिझकते नीलोफर ने शाज़िया को बता दिया. कि किस तरह उस ने शाज़िया की इजाज़त के बैगर उस की नगी फोटोस एक गैर मर्द को दिखा दी हैं.
 
नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया को बहुत गुस्सा आया और वो फोन पर ही अपनी सहेली से लड़ने लगी.

मगर नीलोफर शाज़िया से दोस्ती के बाद उस की तबीयत को समझ गई थी. इस लिए उस ने शाज़िया की किसी तलख बात का जवाब ना दिया और खामोशी से शाज़िया की सारी गुस्से वाली बातों को सुनती रही.

कुछ देर बाद जब शाज़िया अपने दिल की भडास निकल चुकी तो उस का गुस्सा खुद ब खुद ठंडा हो गया.

नीलोफर को जब पूरा यकीन हो गया कि शाज़िया अब अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल कर पुरसकून हो चुकी है. तो उस ने दुबारा से अपनी बात स्टार्ट की.

नीलोफर: शाज़िया में जानती हूँ कि में ने जो किया वो ग़लत है. मगर यकीन मानो मुझे तुम्हारा इस तरह घुट घुट कर जीना ज़रा भी पसंद नही. इस लिए तुम्हारी जिंदगी में एक नई बहार लाने के लिए तुम को बताए बैगर में ने कदम उठा लिया.

शाज़िया: मगर यार खुद सोचो कि यह कितनी ग़लत बात है कि तुम एक गैर मर्द को मेरी नंगी फोटो दिखा दीं.

नीलोफर: जानू जब तुम उस का नंगा जिस्म देख चुकी हो तो उस का हक भी तो बनता है कि वो भी तुम्हारे दिल कश बदन का नज़ारा ले. वैसे सच पूछो तो एक दूसरे के नंगे जिस्म देख कर तुम दोनो अब एक दूसरे के लिए गैर नही रहे.

नीलोफर यह बात कहते हुए हंस दी.

शाज़िया को समझ नही आ रही थी कि वो अब करे तो क्या करे.इस लिए अब उस ने नीलोफर की बात का जवाब देना मुनासिब ना समझा और खामोश हो गई.

“अच्छा में रिज़वान (ज़ाहिद) की दो फोटो तुम को सेंड कर रही हूँ.इन को देखो और एंजाय कर के सो जाओ,सुबह तुम से स्कूल में मुलाकात हो गी” नीलोफर को जब शाज़िया की तरफ से कोई जवाब नही आया. तो उस ने फिर फोन की लाइन पर छाई हुई खामोशी को तोड़ते हुए कहा और फोन बंद कर दिया.

नीलोफर के फोन काटते ही शाज़िया को “व्हाट्सअप” के ज़रिए नीलोफर की भेजी हुई फोटोस मिल गईं.

शाज़िया बिस्तर पर लेटी लेटी अपनी दोस्त नीलोफर की सेंड की हुई रिज़वान (ज़ाहिद) की फोटोस को देखने लगी.

उन दोनो फोटोस में रिज़वान (ज़ाहिद) के चेहरे को फोटो शॉप से छुपा दिया गया था. मगर वो फोटो में पूरा नंगा था.और उस का लंड अपनी पूरी आबो ताब से तन कर खड़ा नज़र आ रहा था.

अपने हाथ में पकड़े हुए स्मार्ट फोन को टच करते हुए शाज़िया ने फोन की स्क्रीन का साइज़ बड़ा किया. और उस रिज़वान (ज़ाहिद) के लंड को और नज़दीक करते हुए उस के लंड का बगौर जायज़ा लेने लगी.

इतने मोटे और बड़े लंड को अपने आँखों के इतने नज़दीक देख कर कर शाज़िया के मुँह में पानी आने लगा और नीचे से भी गरम हो कर उस की फुद्दि भी अपना पानी छोड़ने लगी.

शाज़िया अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर फोन की स्क्रीन पर नज़र आते हुए लंड को देखने में मसरूफ़ थी.

लंड को देखने के दौरान ही वो अपने दिल ही दिल में रिज़वान (ज़ाहिद) के लंड की लंबाई और मोटाई के बारे में सोचने लगी.


फोटो को देखते देखते शाज़िया का हाथ बे इख्तियारी में उस की शलवार के अंदर दाखिल हुआ. और फिर आहिस्ता आहिस्ता सरकता हुआ उस की फुद्दि पर आन पहुँचा.

फुद्दी पर अपने हाथ को ला कर शाज़िया ने अपनी उंगली अपनी चूत मे डाली और चूत के दाने को रगड़ रगड़ कर अपनी प्यास को ठंडा करने की नाकाम कॉसिश करने लगी.

आज इतने अरसे बाद लंड की फोटो को ही देख कर शाज़िया इतनी गरम हो चुकी थी. कि अब अपनी उंगली से उस की चूत की आग काम होने में नही आ रही थी.

बल्कि आज तो उस की चूत की आग कम होने की बजाय और मज़ीद भड़क उठी थी.

शाज़िया ने फोन को अपने मुँह पर रखा और अपनी नुकीली ज़ुबान को अपने मुँह से बाहर निकाला और स्क्रीन पर नज़र आने वाले लंड पर अपनी ज़ुबान फेरने लगी.

फिर जब फोन की स्क्रीन को चाट चाट कर शाज़िया का दिल ना भरा. तो उस ने फोन को नीचे ले जा कर फोन को अपनी चूत पर रखा और अपनी गान्ड को हल्का से उठा कर ऐसे पोज़ में ऊपर नीचे होने लगी. जैसे हक़ीकत में कोई लंड उस की फुद्दि के अंदर जा रहा हो.

अपनी फुद्दि से खेलते कलीते शाज़िया को नीलोफर की बातें याद आने लगी, "शाज़िया यार जितनी आग तुम्हारी चूत में दबी हुई है.इस आग को ठंडा करने के लिए तुम्हे एक मोटे बड़े और सख़्त जवान लंड की ज़रूरत है और अगर तुम चाहो तो में तुम्हारे लिए लंड का बन्दो बस्त कर सकती हूँ”

आज अपनी चूत से खेलते हुए शाज़िया को यकीन हो गया. कि वाकई ही उस की प्यासी फुद्दि अब उस की उंगलियों से मज़ीद ठंडी नही हो सके गी.

अब वाकई ही उसे अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझाने के लिए अपनी चूत में गरम और मोटा लंबा और असली लंड चाहिए था.

इस लिए अब शाज़िया ने फ़ैसला कर लिया कि अब चाहे जो भी हो. वो भी अब मज़ीद घुट घुट कर जीने की बजाय नीलोफर की तरह इस शख्स "रिज़वान" से अपनेताल्लुकात कायम कर के उस के लंड का स्वाद चख कर रहे गी.

यह फ़ैसला करने की देर थी. कि शाज़िया के जिस्म ने एक झटका लिया और उस की फुद्दि का बाँध टूट गया.

शाज़िया की चूत से झड़ते हुए पानी की एक नदी बहने लगी. और उस का पूरा हाथ अपनी चूत से निकलते हुए पानी से भीग गया.

शाज़िया आज से पहले कभी इतना नही छूटी थी. इस लिए उसे आज बहुत मज़ा आया.

फारिग होते ही शाजिया ने अपने हाथ को शलवार से बाहर निकाला और अपनी उंगली को अपने होंठो के दरमियाँ ला कर उंगली पर लगे अपनी चूत के पानी को चाट चाट कर सॉफ करने लगी.फिर कुछ देर बाद शाज़िया को भी नींद आ गई.

दूसरी सुबह जब शाज़िया और नीलोफर स्कूल के फारिग टाइम में इकट्ठी हुईं तो नीलोफर ने शाज़िया से पूछा “ सूनाओ फिर कैसी लगीं रिज़वान की तस्वीरे”.

“नीलोफर यार कोई और बात करो” शाज़िया ने शरमाते हुए मोज़ू चेंज करने का कहा.

“बताओ ना,मज़ा आया ना देख कर रिज़वान का बड़ा और मोटा लंड” नीलोफर ने फिर शाज़िया को छेड़ा.

“यार तंग ना करो मुझे शरम आती है” शाज़िया ने दुबारा नीलोफर को टालते हुए कहा.

“शाज़िया शरमाना छोड़ो और मान जाओ कि रिज़वान के लंड को देख कर तुम्हारी फुद्दि ने रात को पानी छोड़ा है” नीलोफर ने मुस्कराते हुए अपनी सहेली से कहा और उस के हाथ पर अपना हाथ रख कर ज़ोर से दबाया.

नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया ने खामोशी इख्तियार की. तो नीलोफर को यकीन हो गया कि शाज़िया ने वाकई ही रात अपने भाई के लंड को देख कर अपनी चूत में उंगली मारी है.

“हां यार ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ रात को,और क्या बताऊ कि रिज़वान का लंड तो मेरे सबका शोहर से इतना बड़ा है कि मुझे तो समझ नही आती कि तुम इस को कैसे अपनी फुद्दि में ले लेती हो” शाज़िया ने नीलोफर से कहा.

“बानू जल्द ही जब यह लंड तुम्हारी चूत की दीवारों को चीरता हुआ तुम्हारी फुद्दि के अंदर घुसे गा तो तुम को मालूम हो जाए गा कि मेरी क्या हालत होती है इस मोटे लंड को अपनी चूत में लेते वक्त” नीलोफर ने हँसते हुए शाज़िया को जवाब दिया.

“नीलोफर यकीन मानो मुझे शादी से पहले भी और तलाक़ के बाद भी इसी किस्म के मोटे बड़े और सख़्त जवान लंड की तलब रही है, और जब से इस लंड की फोटो को अपनी फुद्दि के ऊपर रगड़ा है, मेरी फुद्दि इतनी गरम हो गई है कि अब इस लंड को अपने अंदर लिए बिना इस को चैन नही मिले गा यार”शाज़िया ने झिझकते झिझकते नीलोफर से अपने दिल की बात कह दी.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ यार मुझे पता था. कि तुम्हारी गरम और प्यासी फुद्दि को ऐसा जवान और तगड़ा लंड ही चाहिए,फिकर ना करो में जल्द ही तुम दोनो का आपस में मिलाप करवा दूं गी, ताकि मेरी तरह तुम भी असली लंड का मज़ा दुबारा से ले सको” नीलोफर अपनी दोस्त शाज़िया की बात सुन कर बहुत खुश हुई और उस ने उफनते जज्वात में अपनी सहेली को अपनी बाहों में भरते हुए कहा.

शाज़िया: नही यार में इस तरह एक दम एक अंजान आदमी से नही मिल सकती.

नीलोफर: तो फिर तुम क्या चाहती हो.

शाज़िया: में रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने से पहले इस से फोन पर बात करना चाहती हूँ,ता कि जब इस से आमने सामने मुलाकात हो तो मुझे इस का सामना करने में कोई मुश्किल या शरम महसूस ना हो.
 
नीलोफर शाज़िया की बात सुन कर घबरा गई. क्योंकि उसे डर लग गया कि एक तो दोनो बेहन भाई को एक दूसरे का फोन नंबर लाज़मान पता हो गा. 

दूसरा कहीं वो फोन पर एक दूसरे की आवाज़ पहचान गये .तो उस का बना बनाया काम बिगड़ जाए गा.

नीलोफर थोड़ी देर कशमकश रही और फिर जब उसे शाज़िया को ज़ाहिद से बात चीत से रोकने का कोई बहाना ना सूझा तो वो आख़िर बे दिली से बोली. “अच्छा तो ठीक है में उसको को तुम्हारा नंबर दे दूं गी और वो तुम को फोन कर ले गा”

शाज़िया: नही तुम इस को मेरा असल नंबर मत देना. में कल एक नई सिम ले कर उस का नंबर रिज़वान( ज़ाहिद) को दूं गी. और फिर वो मुझ से फोन पर डाइरेक्ट वाय्स चॅट नही बल्कि टेक्स्ट मेसेज के ज़रिए बात चीत कर सकता है.

शाज़िया की बात सुन कर नीलिफर की जान में जान आई. 

नीलोफर तो यह ही चाहती थी.कि अगर शाज़िया और ज़ाहिद किसी तरह आपस में डाइरेक्ट बात ना करें तो उस के प्लान के लिए अच्छा रहेगा.

फिर उसी दिन स्कूल से वापसी पर दोनो सहेलियाँ एक मोबाइल कंपनी “टेलिनोर” के ऑफीस गईं. 

टेलिनोर के ऑफीस में शाज़िया ने एक फ़र्ज़ी नाम से एक नई सिम को आक्टीवेट करवा कर उसे अपने डबल सिम वाले स्मार्ट फोन में डाला और अपना नया नंबर नीलोफर को दे दिया.

फिर ऑफीस के बाहर से दोनो एक रिक्शा में सवार हुई और शाज़िया नीलोफर को रास्ते में उस के घर उतार कर अपने घर चली गई.

नीलोफर ने अपने घर पहुँचते ही ज़ाहिद को कॉल मिला दी.

ज़ाहिद पोलीस स्टेशन में बैठा किसी केस की एफआइआर फाड़ रहा था. ज्यों ही उस के फोन की घंटी बजी. तो उस ने फॉरन अपने खास नंबर वाले मोबाइल फोन पर निगाह दौड़ाई.

ज़ाहिद पहले ही से एक दो नही बल्कि तीन मुक्तिलफ टेलिफोन कंपनियों के नंबर्स इस्तेमाल करता था.

जिन में से दो नंबर्स तो उस ने आम इस्तेमाल के लिए रखे हुए थे. 

जब कि एक नंबर उस ने सिर्फ़ खास खास लोगों को दिया हुआ था. और इस नंबर का ईलम उस की अम्मी या उस की तीनो बहनों में से किसी को भी नही था.

ज़ाहिद ने यह खास नंबर नीलोफर को भी दिया हुआ था. ता कि जब भी नीलोफर उस से बात करना चाहे तो वो इस नंबर पर उस से रबता कर ले.

ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने फोन की स्क्रीन पर देखा तो जल्दी से फोन उठा कर बोला “हां जान केसी हो”.

नीलोफर: में ठीक हूँ तुम जल्दी से यह फोन नंबर नोट कर लो.

ज़ाहिद ने नीलोफर के दिए हुए नंबर को अपने पास लिख लिया और पूछा “यह किस का नंबर है मेरी जान”.

“यह तुम्हारी दूसरी जान का नंबर है जिस के लिए आज कल तुम्हारा लंड बहुत मचल रहा है” नीलोफर ने जवाब दिया.

फिर नीलोफर ने ज़ाहिद को सारी बात बता दी कि उस की सहेली साजिदा ज़ाहिद से मिलने से पहले एसएमएस के ज़रिए उस से बात करना चाहती है.

नीलोफर: वो आज रात तुम्हारे मेसेज का इंतज़ार करे गी. और याद रखना कि वो तुम से मिलना तो चाहती है मगर साथ में शर्मा भी रही है.इस लिए तुम कोशिश कर के उस से बे तकल्लुफी पेदा कर लूँ ता कि जल्द आज़ जल्द तुम्हारा और उस का मिलाप हो जाय. 

“उूुउउफ़फ्फ़ यार मेरा तो दिल अभी से उस नाज़नीन से बात करने को चाह रहा है, रात का इंतज़ार अब कौन कम्बख़्त करे,वैसे तुम मुझ पर भरोसा रखो में उस को जल्दी ही लाइन पर ले आउन्गा मेरी जान” ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी पॅंट की पॉकेट में से मसलते हुए कहा.

नीलोफर: नही अभी मेसेज मत करना क्योंकि उस के घर वाले इधर उधर उस के आस पास ही होंगे. और एक बात ज़हन में रखना कि में ने साजिदा को तुम्हारा नाम रिज़वान बताया है. और उसे कहा है कि तुम एक प्राइवेट कंपनी में नोकरी करते हो.

“अच्छा में रिज़वान बन कर ही उस से बात करूँगा ” ज़ाहिद ने नीलोफर की बात सुन कर उस पर रज़ामंदी का इज़हार किया.

फिर थोड़ी देर इधर उधर की कुछ बातें कर के नीलोफर ने फोन काट दिया.

नीलोफर से उस की सहेली साजिदा की बातें कर के ज़ाहिद का दिल बेचैन हो गया. उस का बस नही चल रहा था. कि वो किसी तरह घड़ी की सूइयां आगे कर के फॉरन दिन को रात में बदल दे.

अभी ज़ाहिद साजिदा के जिस्म के बारे में ही सोचने में मसरूफ़ था.कि डीएसपी साब का फोन आया और उस ने ज़ाहिद को अपने ऑफीस में आ कर मिलने का हुकम दिया.

डीएसपी साब के हुकम के मुताबिक ज़ाहिद उन को मिलने डीएसपी ऑफीस पहुँचा. तो उस को पता चला कि डीएसपी ने उस को एक मिनिस्टर साब की सेक्यूरिटी की ड्यूटी सर अंजाम देने के लिए बुलाया है. फिर ज़ाहिद मिनिस्टर साब के साथ रात देर गये तक अपनी ड्यूटी देता रहा.

ज़ाहिद उस दिन रात को काफ़ी लेट अपने घर आया. घर में दाखिल होने पर उस ने घर में मुकमल खामोसी महसूस की. तो उसे अहसास हुआ कि उस की बेहन शाज़िया और अम्मी अपने अपने कमरों में जा कर शायद सो चुकी हैं.

ज़ाहिद आज खाना बाहर से ही खा कर आया था. इस लिए उस ने भी सीधा अपने कमरे में जा कर सोने का फ़ैसला किया.
ज़ाहिद ने अपना यूनिफॉर्म चेंज किया और सिर्फ़ शलवार पहने ही बिस्तर पर लेट कर नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) को “हेलो” का एसएमएस सेंड कर दिया.

शाज़िया अभी अभी अपने बिस्तर पर लेटी ही थी. कि “टन” की आवाज़ से बिस्तर की साइड टेबल पर रखा हुआ उस का फोन बोल उठा.

शाज़िया समझ गई कि किसी ने उसे एसएमएस किया है. उस ने लेटे लेटे हाथ बढ़ा कर अपना मोबाइल उठाया और मेसेज पर कर रिप्लाइ किया” आप कौन?”

“में रिज़वान हूँ और मुझे आप का नंबर आप की दोस्त नीलोफर ने दिया है” ज़ाहिद ने जवाव लिखा.
 
शाज़िया ने नीलोफर को रिज़वान (ज़ाहिद) से एसएमएस के ज़रिए बात चीत करने का कह तो दिया था.मगर अब जब ज़ाहिद का मेसेज आया तो शाज़िया को समझ में नही आ रहा था. कि वो क्या और कैसे इस आदमी से बात करे.

शाज़िया तलाक़ के बाद पहली बार किसी मर्द से इस तरह छुप छुप कर रात के अंधेरे में फोन चॅट कर रही थी. इस लिए उस के दिल की धड़कन तेज होने लगी थी.

ज़ाहिद ने कुछ देर शाज़िया के रिप्लाइ का इंतजार किया. मगर जब देखा कि शाज़िया उस को रिप्लाइ नही कर रही तो उस ने फिर लिखा “ नीलोफर ने मुझे आप की फोटोस दिखाई हैं. और यकीन माने जब से आप की फोटोस देखी हैं मेरे तो होश ही उड़ गये हैं”.

ज़ाहिद का एसएमएस पढ़ कर शाज़िया समझ गई. कि रिज़वान (ज़ाहिद) उस की नंगी फोटोस के बारे में बात कर रहा है.

वो रिज़वान (ज़ाहिद) से यह तवक्को नही कर रही थी. कि वो उस से एक दम यूँ फ्री होने लगे गा. इस लिए ज़ाहिद का यह मेसेज पर कर शाज़िया को बहुत ज़्यादा शरम महसूस हुई और उस का पैसा छूट गया.

उस की समझ में न आया कि वो रिज़वान( ज़ाहिद) की इस बात का क्या जवाब दे. इस लिए उस ने मुनासिब यह समझा कि वो उस को दुबारा कोई रिप्लाइ ना करे.

जब ज़ाहिद ने देखा कि कि तरफ से कोई रिप्लाइ नही आ रहा तो उस ने फिर एक मेसेज लिखा “ लगता है आप को मेरा यूँ आप से फ्री होना अच्छा नही लगा.और आप को मुझ से बात करने में शर्म आ रही है. कोई बात नही में अब दुबारा आप को तंग नही करूँगा . मगर जाने से पहले आप से यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि में ने आप का चेहरा तो अभी तक नही देखा. मगर आप के बदन को देख कर में वाकई ही ना सिर्फ़ आप का दीवाना हो गया हूँ बल्कि आप से इश्क़ भी कर बैठा हूँ और अपने इस इश्क को सच साबित करने के लिए अपनी जान भी क़ुरबान करने को तैयार हूँ”

शाज़िया को ज़ाहिद की यह बात पढ़ कर बहुत हैरत हुई.क्योंकि वो तो अपनी सहेली के कहने पर और अपनी फुद्दि की गर्मी के हाथो मजबूर होते हुए इस आदमी से चुदवाने के लिए अपने आप को ज़ेहनी तौर पर तैयार कर चुकी थी.

और शाज़िया को यह यकीन था. कि चूँकि रिज़वान (ज़ाहिद) उस की सहेली नीलोफर को चोदता रहता है. 

इस लिए वो नीलोफर की तरह उस से भी जिस्मानी ताल्लुक़ात इस्तिवर कर के चोदे गा. और फिर कुछ टाइम तक इस्तेमाल कर के उसे एक टिश्यू पेपर की तरह फैंक दे गा.

मगर उस की सोच के बार अक्स रिज़वान (ज़ाहिद) तो उस से सिर्फ़ वक्ति तौर पर जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के मूड में नही लगता था.

बल्कि उस के एसएमएस पढ़ कर लगता था कि वो तो शाज़िया से अपने दिल की बात कह कर उसे अपनी महबूबा बनाने के चक्कर में है.

(सियाने कहते हैं कि लड़कियाँ बड़ी पागल होती हैं. जब भी कोई उन से प्यार के दो बोल बोलता है. उन का दिल फॉरन मोम हो कर पिघल जाता हैं. इस लिए ऐसा ही कुछ उस वक्त शाज़िया के साथ भी हुआ)

आज से पहले तक शाज़िया की ज़िंदगी में कभी ऐसा लम्हा नही आया था. कि जब किसी मर्द ने उस से इस तरह से इज़हार-ए-मुहब्बत नही किया हो.

और तो और शादी के बाद भी उस के सबका शोहार ने कभी उस खुल कर अपने प्यार का इज़हार नही किया और ना ही उस को कभी “आइ लव यू” तक बोला था.

मगर आज जब रिज़वान ( ज़ाहिद ) ने उस से प्यार का इज़हार किया. तो रिज़वान (ज़ाहिद ) की इस बात पर ना सिर्फ़ शाज़िया का दिल अब पहले से भी ज़्यादा तेज़ी के साथ धड़कने लगा बल्कि उस की फुद्दि और ज़्यादा गरम हो कर अपना पानी छोड़ने लगी.

रिज़वान(ज़ाहिद) के इज़हार-ए-मोहबत पर गरम होते हुए शाज़िया ने बिना सोचे समझे एक दम से ज़ाहिद को एसएमएस किया “ जनाब ना तो आप मुझ से कभी मिले हैं और ना में आप से, तो फिर आप कैसे मुझे देखे बिना मुझ से प्यार कर सकते हैं”

शाज़िया का रिप्लाइ पर कर ज़ाहिद मुस्करा दिया और उस ने साजिदा (शाज़िया) को जवाब दिया,“प्यार का ताल्लुक दिल से होता है और सच पूछो तो में आप को पहली नज़र में ही दिल चुका हूँ,रह गई मिलने की बात तो आप जब चाहे में आप से मिलने को तैयार हूँ”

शाज़िया को रिज़वान (ज़ाहिद) की बातों से ना जाने क्यों यह यकीन होने लगा.कि वो जो कुछ एसएमएस में लिख रहा है. वो झूट नही .बल्कि उस के सारे के सारे लिखे हुए इलफ़ाज़ रिज़वान (ज़ाहिद) के सच्चे दिल की आवाज़ हैं. 

शाज़िया तो वैसे भी अपनी फुद्दि की प्यास मिटाने के लिए रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने को तैयार थी. और फिर फोन पर आज की पहली ही चॅट ने शाज़िया के दिल में रिज़वान (ज़ाहिद) के मुतलक शरम और जिगाख पहले से बहुत कम कर दी. 

मगर इस के बावजूद वो रिज़वान (ज़ाहिद) को जल्द मिलने का वादा कर के उसे हरगिज़ यह तासूर नही देना चाहती थी कि वो कोई “गश्ती” या “ चीप किसम की “आम” औरत है.

इस लिए उस ने ज़ाहिद से कहा कि वो उस से मिलने के मुतलक सोचे गी और फिर अपना फ़ैसला नीलोफर को बता दे गी.
 
ज़ाहिद भी यह बात जान चुका था कि. साजिदा (शाज़िया) उस को पसंद करने और उस से मिलने को तैयार है. मगर वो फॉरन उस से मिलने से कतरा रही है.

इस लिए उस ने भी साजिदा (शाज़िया) को वक्त देना मुनासिब समझा और खुदा हाफ़िज़ का एसएमएस लिख कर सो गया.

दूसरे दिन नीलोफर शाज़िया से मिली तो उस ने फॉरन उस से रिज़वान (ज़ाहिद) के मुतलक पूछा.

नीलोफर: क्यों बन्नो रात को यार का मेसेज आया?.

“नही तो” शाज़िया ने जान बूझ कर अपनी सहेली से झूठ बोला.

नीलोफर: में नही मानती,अच्छा मुझे अपना फोन दिखाओ.

“वो में आज घर भूल आई हूँ” शाज़िया ने एक और झूठ बोला.

“बकवास ना करो,में खुद तुम्हारे बॅग में से फोन निकाल लेती हूँ”कहते हुए नीलोफर ने जबर्जस्ती शाज़िया के हाथ से उस का बॅग छीना और उस का फोन निकाल लिया.

फिर नीलोफर ने चस्के ले ले कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले मेसेज को चस्के लगा लगा कर पढ़ा और शाज़िया को बोली.

“अच्छा रात भर अपने आशिक़ से चॅट करती रही हो और अब मुझ से झूट बोलती हो, मैं ही तुम दोनो को एक दूसरे के करीब ला रही हूँ और मुझ से ही अपनी बातें छुपाने लगी हो बानो” सारी चॅट पढ़ कर नीलोफर ने मज़ाक में अपनी सहेली से नकली गुस्सा करते हुए कहा.

“ऐसी कोई बात नही बस वैसे ही तुम को तंग करने को दिल कर रहा था” शाज़िया ने अपनी सहेली के गुस्से पर मुस्कराते हुए नीलोफर को अपनी बाहों में भरा और गले से लगा लिया.

“अच्छा तो कब मिलवाऊ तुम को उस से” नीलोफर ने शाज़िया से पूछा.

“एक दो दिन में तुम को बता दूं गी” कहते हुए शाज़िया अपनी क्लास अटेंड करने चल पड़ी.

दूसरी रात शाज़िया अपने बिस्तर पर लेटी ज़ाहिद के एसएमएस का इंतिज़ार करती रही मगर. ज़ाहिद ने जान बूझ कर शाज़िया को उस रात एसएमएस नही किया.

असल में अब ज़ाहिद यह चाहता था. कि साजिदा (शाज़िया) उसे खुद एसएमएस कर के उस से बात करे. इस लिए उस ने जान बूझ कर उसे मेसेज नही किया.

जब तीन दिन तक ज़ाहिद का एसएमएस नही आया तो शाज़िया के सब्र का पैमाना लबरेज हो गया और उस ने उसी वक्त ज़ाहिद को एसएमएस किया. 

ज़ाहिद उस दिन एक सरकारी काम के सीलसले में लाहोर आया हुआ था. और वो अपनी दिन भर की मुसरिफयत से फारिग हो कर उस वक्त लाहोर रैलवे स्टेशन के करीब बने हुए एक छोटे से होटेल में रात गुज़ारने के लिए होटेल के कमरे में पहुँचा ही था.

जब ज़ाहिद ने साजिदा( शाज़िया) का एसएमएस देखा .तो उस के दिल के साथ साथ उस का लंड भी खुशी से उछल पड़ा. 

वो समझ गया कि नीलोफर की कही हुई बात वाकई ही सही है. कि उस की सहेली की चूत में बहुत आग है. और यह उस की फुद्दि की प्यास और आग ही का असर है कि वो ज़ाहिद के एसएमएस ना आने पर बे काबू हो कर उसे मेसेज करने पर मजबूर हो गई है.
 
ज़ाहिद ने शाज़िया का “हाई” का मेसेज पढ़ कर शाज़िया को रिप्लाइ किया “कैसी हैं आप”

“में ठीक हूँ आप कैसे हैं” शाज़िया ने जवाब लिखा.

“बस आप की याद और इंतज़ार में ही बैठा हुआ हूँ” ज़ाहिद ने लिखा.

“अच्छा मुझे नही पता था कि आप बहुत बे सबरे इंसान हैं” शाज़िया ज़ाहिद का मेसेज पढ़ कर खुश हुई और रिप्लाइ किया.

“बस क्या करूँ आप चीज़ ही इतनी मस्त हैं कि इंतज़ार मुश्किल होता जा रहा है” ज़ाहिद ने दुबारा शाज़िया को छेड़ा.

“अच्छा बाबा में आप को कल पक्का बता दूं गी कि आप से कब मिल सकती हूँ” शाज़िया अब मज़ीद ज़ाहिद को तरसाने के मूड में नही थी. इस लिए उस ने ज़ाहिद को खुश करने के लिए उसे रिप्लाइ कर दिया.

ज़ाहिद साजिदा (शाज़िया) का एसएमएस पढ़ कर बहुत खुश हुआ और उसे उम्मीद हो गई कि जल्द ही वो इस गरम और प्यासी लड़की को अपनी बाहों में भर कर उस की और अपनी प्यास बुझा सके गा.

ज़ाहिद: आप से एक बात पुच्छू नाराज़ तो नही हो गीं?.

शाज़िया: क्या?

“आप के मम्मे तो में ने देखे हैं.बहुत ही बड़े और प्यारे हैं आप के,और अगर आप को बुरा ना लगे तो क्या में आप के चूचों का साइज़ पूछ सकता हूँ?.

रिज़वान (ज़ाहिद) के उस खुले और बे शरम सवाल को पढ़ कर शाज़िया उस से गुस्सा होने की बजाय अब नीचे से गरम होने लगी थी.

“क्यों” शाज़िया ने फॉरन ही ज़ाहिद को जवाव लिखा.

शाज़िया के जवाब को पढ़ कर ज़ाहिद को और यकीन हो गया कि अब”मछली” उस के “जाल” में पूरी तरह से फँस चुकी हैं. क्योंकि अगर साजिदा (शाज़िया) उस के इस गंदे सवाल का बुरा मानती तो “क्यों” का रिप्लाइ हरगिज़ ना करती.

इस लिए अब ज़ाहिद नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) से पूरी तरह बे शरम हो कर बात करने के मूड में आ गया.और वो एक हाथ से अपने लंड की हल्के हल्के मूठ लगाते हुए,दूसरे हाथ से मेसेज लिखने लगा.

“ वो में आप को तोहफे में ब्रेज़ियर और पैंटी देना चाहता हूँ, और मेरी ख्वाहिश है कि आप मुझे मेरी गिफ्ट की हुई ब्रेज़ियर और पैंटी में अपनी तस्वीर खींच कर मुझे सेंड करें.” ज़ाहिद ने लिखा.

अपनी सहेली नीलोफर से अपने लेज़्बीयन ताल्लुक़ात कायम करने के बाद शाज़िया रात को देर तक उस से इस किस्म की गंदी चॅट करने की आदि हो चुकी थी. मगर उस को अपनी सहेली से किसी भी गंदी से गंदी बात की चेट का वो मज़ा नही आया था. जो आज उसे रिज़वान(ज़ाहिद) से चॅट करते वक्त मिलने लगा था.

उस की वजह शायद यह रही हो गी कि जो भी हो आख़िर शाज़िया की तरह नीलोफर थी तो एक औरत. 

और औरत और मर्द की आपस में अट्रॅक्षन एक क़ुदरती अमल है.जिस का अपना एक अलग ही मज़ा है.

वैसे भी ज़ाहिद की नगी फोटोस और वीडियोस देख कर और उस से चॅट के ज़रिए बात कर के शाज़िया अब अपनी शर्म-ओ-हया का परदा उठा कर नीलोफर की तरह पूरा बे शरम बनने का सोच चुकी थी. 

इस लिए शाज़िया ने बिना किसी झिझक के,फोन के दूसरे एंड पर एक अजनबी आदमी को अपने ब्रेज़ियर का साइज़ बता दिया, “ मैं ब्रेज़ियर 40 डीडी की और पैंटी लार्ज साइज़ की पहनती हूँ”

“उफफफफफफफ्फ़ बड़ा मस्त साइज़ है आप का” ज़ाहिद ने मेसेज पढ़ कर जोश में अपने लंड को मसल्ते हुए रिप्लाइ किया.

“अच्छा में कल नीलोफर के हाथ आप को अपना पसंदीदा ब्रेज़ियर और पैंटी का सेट भिजवा दूं गा, आप कल उसे पहन कर मुझे अपनी फोटो ज़रूर सेंड करना प्लीज़” ज़ाहिद ने शाज़िया को एसएमएस किया.

“ठीक है में कॉसिश करूँगी” शाज़िया ने जवाब दिया. और फिर एक दो लतीफ़े शेयर करने के बाद दोनो में चॅट ख़तम हो गई.

दूसरे दिन ज़ाहिद ने झेलम वापसी से पहले लाहोर से साजिदा( शाज़िया) के बताए हुए साइज़ के मुताबिक ग्रे कलर में “नेट” वाला एक एक बहुत ही प्यारा और सेक्सी ब्रेज़ियर और पैंटी का सेट खरीद लिया.

ज़ाहिद सीधा पोलीस स्टेशन आया और उस ने जमशेद को फोन किया कि वो उस से पोलीस स्टेशन आ कर मिले. 
 
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