Incest Porn Kahani माँ बनी सास - Page 5 - SexBaba
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Incest Porn Kahani माँ बनी सास

कुछ टाइम बाद जब जमशेद आ कर एएसआइ ज़ाहिद से मिला तो ज़ाहिद ने उसे एक पॅकेट देते हुए कहा कि यह अपनी बाजी को दे देना.

ज्यों ही जमशेद ज़ाहिद से वो पॅकेट ले कर रवाना हुआ तो ज़ाहिद ने एसएमएस के ज़रिए नीलोफर को साजिदा( शाज़िया) के गिफ्ट के मुतलक बता दिया.


नीलोफर उस वक्त स्कूल में ही थी. उस ने अपने भाई जमशेद को फोन किया कि वो ज़ाहिद का दिया हुआ पॅकेट उसे स्कूल में ही दे जाय.

अपने भाई से पॅकेट वसूल कर के नीलोफर शाज़िया के पास आई और उसे कहा.

नीलोफर: शाज़िया देख तेरे यार ने तुम्हारे लिए तोहफा भेजा है.

शाज़िया ने नीलोफर के हाथ से पॅकेट लिया और उसे अपने बारे पर्स में रखने लगी.

“दिखा तो सही तेरे लिए क्या तोहफा आया है मेरी जान” नीलोफर ने शाज़िया को पॅकेट पर्स में रखते देखा तो बोली.
“कुछ नही घर जा कर देखूँगी तो तुम को बता दूँगी” शाज़िया ने जान छुड़ाने की कोशिस की.

“मुझे तो इतने दिन से चोद्चोद कर मेरी फुद्दि का फुदा बनाने के बावजूद कभी कुछ गिफ्ट नही दिया और तेरी “ली” भी नही तो अभी से तोहफे शुरू,यार मुझे तो तुम से जलसी होने लगी है” नीलोफर ने हँसते हुए कहा.

नीलोफर की इस बात पर शाज़िया ने भी ज़ोर का कहकहा लगाया. और इधर उधर देख कर उस ने पर्स में से पॅकेट निकाल कर नीलोफर के सामने खोला. तो सेक्सी ब्रेज़ियर और पैंटी देख कर नीलोफर बहुत खुश हुई.

उस ने दिल ही दिल में कहा “ वाह ज़ाहिद ने तो अपनी बहन के लिए बहुत ही सेक्सी और रिवीलिंग किस्म का पैंटी और ब्रा का गिफ्ट भेजा है”.

“यार ये तो बहुत सेक्सी और मस्त तोहफा है,तुम इस को ही पहन कर अपने यार से पहली मुलाकात करना” नीलोफर ने शाज़िया को छेड़ा.

“अच्छा देख लिए अब में वापिस इस को अपने पर्स में रख लूँ अगर इजाज़त हो तो” शाज़िया ने नीलोफर की बात पर मुस्कराते हुए कहा.

कुछ देर बाद उन की स्कूल से छुट्टी का टाइम हो गया और वो दोनो अपने अपने घर चली आईं.

उस रात ज़ाहिद ने फिर शाज़िया को एसएमएस किया.

ज़ाहिद: मेरा तोहफा मिला.

शाज़िया: जी.

ज़ाहिद: कैसा लगा.

शाज़िया: अच्छा है.

ज़ाहिद: सर्फ अच्छा है?,

“नही बहुत ही अच्छा है मुझे बहुत पसंद आया” शाज़िया ने जवाब लिखा.

“तो अभी पहन कर मुझे फोटो सेंड करो” ज़ाहिद ने मसेज किया.

“आज नही फिर कभी” शाज़िया अभी ज़ाहिद को तड़पाने के मूड में थी.

“अच्छा फिर वादा करो कि पहली मुलाकात पर ये ही पहन कर आओ गी” ज़ाहिद ने फरमाइश की.

“सोचूँगी” शाज़िया ने एक अदा से रिप्लाइ किया.

“अच्छा आप को एक बात बताऊ और फिर आप से एक सवाल पूछूँ” ज़ाहिद ने एसएमएस सेंड किया.

“एक तो आप सवाल बहुत पूछते हैं,अच्छा पूछो” शाज़िया ने रिप्लाइ किया.

“आप को बताना ये है कि मुझे शेव चूत बहुत पसंद है,और आप से पूछना ये है कि आप ने कूब अपनी फुद्दि शेव की थी” ज़ाहिद ने शाज़िया को एसएमएस सेंड किया.

शाज़िया ज़ाहिद का मसेज पढ़ कर मुस्कुराइ और जवाब लिखा “ आज सुबह ही”

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ फिर तो आपकी चूत की स्किन बहुत नरम और मुलायम हो गी इस वक्त” ज़ाहिद ने मस्ती में आते हुए एसएमएस लिखा.

शाज़िया को ज़ाहिद के “उफफफफफफफफफ्फ़” के मसेज ने इतना गरम किया. कि उस की फुद्दि का पानी छूटने लगा. जिस से शाज़िया की चूत का बुरा हाल हो गया.

“ फिर आप से कब आमने सामने मुलाकात हो गी?” ज़ाहिद ने शाज़िया से पूछा.

अच्छा में नीलोफर से कह देती हूँ ,कल या परसों आप से मिल सकती हूँ,अगर आप और नीलोफर तैयार हों तो” शाज़िया ने जवाब लिखा.

ज़ाहिद: ठीक में कल नीलोफर से बात कर लूँगा .

ज़ाहिद और शाज़िया दोनो अपने दिल ही दिल बहुत खुश हुए और फिर उन्होने जल्द मिलने का एक दूसरे से वादा कर के चॅट बंद कर दी.
 
ज़ाहिद शुरू शुरू में वाकई ही नीलोफर की सहेली साजिदा (शाज़िया) से सिर्फ़ नीलोफर की तरह सिर्फ़ चुदाई के नाजायज़ ताल्लुक़ात कायम करना चाहता था. 

मगर फिर आहिस्ता आहिस्ता उस को शाज़िया इतनी पसंद आने लगी.कि वो उस को हमेशा हमेशा के लिए अपने बिस्तर की ज़ीनत बनाने का फ़ैसला कर बैठा. 

इस की वजह शायद ये थी. कि साजिदा का बदन ज़ाहिद को बिल्कुल अपनी बहन शाज़िया की तरह भरा भरा नज़र आया था. इसी लिए ज़ाहिद को साजिदा (शाज़िया) पहली ही नज़र में बहुत भा गई थी.

क्यों कि वो जानता था. वो अगर चाहता भी तो उन दोनो बहन भाई के दरमियाँ कभी भी जमशेद और उस की बहन नीलोफर की तरह के ताल्लुक़ात कायम नही हो सकते थे.

इसीलिए इस सुरते हाल में अगर वो अपनी बहन शाज़िया को नही चोद सकता. तो क्यों ना एक ऐसी लड़की को अपनी महबूबा बना कर चोद ले. जो उस की बहन ना सही उस की बहन जैसा जिस्म तो रखती ही है.

दूसरे दिन शाज़िया ने जब स्कूल के फ्री पीरियड में अपनी सहेली से मुलाकात की. तो उस ने नीलोफर को आहिस्ता से कहा “ यार में रिज़वान से मिलने को तैयार हूँ,तुम मुलाकात का वक्त और जगह अरेंज कर कर रिज़वान और मुझे बता दो”

“तो क्यू मिलवाऊं तुम दोनो “लैला मजनू” को एक दूसरे के साथ” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए शाज़िया से पूछा.

“जितना जल्द अज जल्द हो सके यार” शाज़िया ने नीलोफर को जवाब दिया.

“जल्द अज जल्द भी अगले हफ्ते से पहले मुलाकात नामुमकिन है जानू” नीलोफर ने शाज़िया को तंग करने के लिए जान बूझ कर थोड़ा लंबा टाइम बताया.

शाज़िया ने स्टाफ रूम में इधर उधर देख कर ये स्योर किया. कि उन के अलावा तो कोई और कमरे में मौजूद नही है. और फिर ये बात कहते हुए उस ने नीलोफर के सामने ही अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि पर अपना हाथ तेज़ी से रगड़ा और बोली “उफफफफफफफफ्फ़ ,नही यार एक हफ़्ता तो बहुत ज़्यादा है,इस से पहले कुछ करो ना”

“अच्छा तो मेरी बन्नो की झिझक ख़तम होते ही अब मेरी सहेली की फुद्दि को अपने यार के लंड की इतनी शिद्दत से तलब हो गई कि अब उस के लिए इंतिज़ार मुहाल हो रहा है, इसे कहते हैं कि, या तो मुर्दा बोले ना, अगर बोले तो फिर कफ़न ही फाड़ आए” नीलोफर ने शाज़िया की हालत को देख कर शरारती मुस्कान में उसे कहा.

“बकवास ना करो,एक तो खुद मुझे इस किस्म की ग़लत राह पर डाला है और ऊपर से मुझ पर तंज़ करती हो” शाज़िया नीलोफर के मज़ाक पर झुंझला उठी.

“अच्छा कुछ करती हूँ में” कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया हो अपनी बाहों में भरा और दोनो सहेलियाँ खिल खिला कर हंस पड़ी.

एक तरफ शाज़िया उस वक्त इसीलिए खुश थी. कि जल्द ही उस की मुलाकात उस के ख्वाबो के शहज़ादे से होने वाली थी. 

जो उस की रूखी ज़िंदगी और प्यासी चूत में फिर से रोनक और स्वाद लेने वाला था.

जब कि दूसरी तरफ नीलोफर उस वक्त इसीलिए हंस रही थी.कि आख़िर उस ने दोनो बहन भाई को अंजाने में एक दूसरे के नंगे जिस्म दिखा कर और एसएमएस के ज़रिए आधी मुलाकात करवा कर. उन में एक दूसरे के लिए गरमी और प्यास इतनी बढ़ा दी थी. कि अब जज़्बात के हाथों मजबूर हो कर वो दोनो ज़ना करने पर तूल गये थे.

फिर स्कूल से घर वापिस आ कर नीलोफर ने ज़ाहिद को फोन मिलाया.

नीलोफर: किधर हो यार.

ज़ाहिद: पोलीस स्टेशन में.

नीलोफर: अच्छा कल मेरे घर आ सकते हो

ज़ाहिद: क्यों.

प्लास्टिक के लंड से खुद भी तुम्हारी गान्ड मारनी है और अपने भाई के लंड से भी चुदवाना है तुम्हे” नीलोफर ने ज़ाहिद के “क्यों” के सवाल पर चिड़ते हुए कहा.

“इतना गुस्सा ,आज लगता है अंगरों पर ही बैठी हो जान” ज़ाहिद ने नीलोफर को तपते लहजे में बोलते सुना तो हंसते हुए बोला.

“फुद्दि के, गुस्सा ना आए तो और क्या आए,एक तो मेरी चूत को लूट का माल समझ कर मुफ़्त में ही मज़े लेते हो, और दूसरा जब नई फुद्दि से मिलाप करवाने जा रही हूँ तो पूछते हो “क्यों” गान्डु कहीं का” ज़ाहिद के हँसने पर नीलोफर को और गुस्सा आया और तो तड़प कर बोली.

ज़ाहिद समझ गया कि नीलोफर को उस का तोहफा ना मिलने का गुस्सा है.

“अच्छा बाबा ग़लती हो गई.अब की बार तुम्हारा गिफ्ट भी साथ ही दूँगा,अब गुस्सा थूक दो जानू” ज़ाहिद ने फोन पर मिन्नत के अंदाज़ में नीलोफर से माफी माँगते हुए कहा.

“अच्छा कल मेरे सास और सुसर झेलम से बाहर जा रहे हैं,इसीलिए तुम कल दोपहर को ठीक 3 बजे मेरे घर आ जाना” नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा.

“अच्छा जान में तो कल उड़ कर पहुँचुँगा तुम्हारे घर, यकीन करो में और मेरा लंड तुम्हारी सहेली की चूत के लिए बे करार हो रहे हैं” ज़ाहिद ने अपने लंड को पॅंट के ऊपर से रगड़ते हुए कहा.

“ठीक है फिर कल ही मुलाकात हो गी,वैसे मेरी सहेली की चूत भी तुम्हारे लंड के लिए इसी तरह तड़प रही है” नीलोफर ने ज़ाहिद को जवाब दिया.

उस के बाद नीलोफर ने शाज़िया को फोन किया और बताया कि वो कल स्कूल से छुट्टी मारे गी.

फिर साथ ही साथ नीलोफर ने शाज़िया को अगली दोपहर फ़ोन पर पोने तीन (2.45 पीएम) उसे अपने घर आ कर रिज़वान (ज़ाहिद) से मिलने का टाइम दे दिया.

“ठीक है में कल स्कूल से छुट्टी के बाद सीधे तुम्हारे घर आ जाउन्गी” शाज़िया ने जब सुना कि कल उस की मुलाकात आख़िर कार उस के यार और चोदु से होने की घड़ी आयी है. तो वो खुश से उछल पड़ी.

वो रात अपने बिस्तर पर करवटें बदल बदल कर शाज़िया ने किस तरह रात गुज़ारी.
ये वो ही जानती थी. या उस के बिस्तर की चादर पर पड़ी सलवटें जानती थी.
 
सुबह नहा धो कर शाज़िया ने रिज़वान( ज़ाहिद) का दिया हुआ गिफ्ट निकाल कर पहनना चाहा. तो पता चला कि उस का वो बॅग जिस में उस ने रिज़वान (ज़ाहिद) का दिया हुआ गिफ्ट रखा है. वो उस के कमरे में नही है.

शाज़िया ने नंगी हालत में ही अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और दरवाज़े की ऑर से किचन में काम करती हुई अपनी अम्मी रज़िया बीबी को आवाज़ दी “अम्मी मेरा स्कूल वाला बॅग नही मिल रहा”.

“बेटी वो तो मैने कल अपनी अलमारी में रखा था” रज़िया बीबी ने किचन से ही जवाब दिया.

“अम्मी वो मुझे चाहिए, क्या आप मुझे वो बॅग निकाल कर पकड़ा दो गी प्लीज़” शाज़िया ने दरवाज़े की ओट से अपनी अम्मी से दरख़्वास्त की.

“शाज़िया बेटा मुझे सुबह से उस अलमारी की चाभी नही मिल रही,पता नही में कहाँ रख कर भूल गईं हूँ” अम्मी का जवाब शाज़िया के कानों में पड़ा.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये अम्मी ने किया कम दिखा है, अब में रिज़वान (ज़ाहिद) से क्या कहूँगी” शाज़िया ने गुस्से में अपने कमरे को ज़ोर से पटकते हुए अपने अपने से कहा.

हस्बे मामूल शाज़िया को आज भी अपने स्कूल से देर हो रही थी.
इसीलिए उस ने जल्दी में एक दूसरे कलर का ब्रा और पैंटी पहना.

और फिर कपड़े पहन कर जल्दी जल्दी नाश्ता किया और स्कूल को रवाना हो गई.

नीलोफर ने अपनी छुट्टी का शाज़िया को कल ही बता दिया था. इस ले गुज़शता रात की तरह शाज़िया के लिए ये दिन भी नीलोफर के बिना बहुत और बच्चेदानी से ही गुज़ारा.

फिर दोपहर को ज्यों ही स्कूल से छुट्टी हुई तो शाज़िया ने रिक्शा लिया और अपनी सहेली के घर की तरफ चल पड़ी.

रास्ते में उस ने अपनी अम्मी को फोन पर बता दिया कि वो अपनी सहेली के घर जा रही है और इसीलिए कुछ देर ठहर कर घर वापिस आए गी.

उधर ज़ाहिद का दिल भी आज अपने किसी काम में नही लग रहा था.

वो सारा दिन पोलीस चोकी के पास अपने किराए के मकान में बैठा हुआ. अपने लंड से खेलता और दोपहर के 3 बजने का इंतिज़ार करता रहा.

जब इंतजार करते करते उस को सबर ना हुआ तो वो अपनी मोटर साइकल ले कर नीलोफर के घर की तरफ निकल गया.और वो नीलोफर के बताए हुए वक्त से थोड़ा पहले ही नीलोफर के घर पहुँच गया.

“तुम तो काफ़ी जल्दी आ गये,क्यों सबर नही हो रहा” नीलोफर ने ज़ाहिद को अपने ड्रॉयिंग रूम में बैठा कर दरवाज़े का परदा उस के आगे करते हुए पूछा.

“हां यार तुम्हारी सहेली से मुलाकात की खुशी में आज तो वक्त ही गुज़ारना मुहाल हो रहा है” ज़ाहिद ने नीलोफर को जवाब दिया.

इतनी देर में दूसरी तरफ शाज़िया भी नीलोफर के घर के दरवाज़े की बेल बजा कर घर के बाहर इंतिज़ार करने लगी.

“तुम बैठो में देखती हूँ कौन आया है” बेल की आवाज़ सुन कर नीलोफर ड्राइंग रूम से बाहर निकली और ड्राइंग रूम के दरवाजे को बाहर से कुण्डी लगा दी. ताकि उस के साथ ज़ाहिद कहीं बाहर ही ना आ जाय.

थोड़ी देर बाद नीलोफर ने ज्यूँ ही अपने घर का दरवाज़ा खोला शाज़िया अंदर दाखिल हुई. 

“हाई बानू बहुत तैयारी कर के आई हो लगता है अपने होने वाले यार पर बिजलियाँ गिराने का इरादा है आज” नीलोफर ने सरगोशी के अंदाज़ में शाज़िया से कहा. 



और शाज़िया को उस के बाज़ू से पकड़ कर तकरीबन खैंचती हुई अपने बेड रूम में ले आई.



आज शाज़िया वाकई ही बहुत अच्छी तरह से तैयार हो कर आई थी. इसीलिए वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.

शाज़िया नीलोफर की बात सुन कर शरमा गई.

“लंड के “अलावा” में अभी खाने,पीने के लिए क्या पेश करूँ तुम को बानू” नीलोफर ने शाज़िया को अपने कमरे में रखे हुए सोफे पर बैठते, शरारती अंदाज़ में पूछा.

“बहुत खराब हो तुम नीलोफर,मुझे सख़्त प्यास लगी है पानी पिला दो प्लीज़” शाज़िया ने नीलोफर की बात पर हँसते हुए कहा.

“पिलाती हूँ तुम को पानी मगर उस से पहले में ये तो देख लूँ कि तुम्हारे मुँह की तरह तुम्हारी चूत भी किसी पानी के लिए प्यासी हो रही है कि नही” ये कहते हुए नीलोफर शाज़िया के पास ही सोफे पर बैठ गई. 

नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया की पहले से ही गरम चूत अपना पानी छोड़ने लगी.
 
नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों में भरा और अपना हाथ शाज़िया की एलास्टिक वाली शलवार के अंदर से शाज़िया की फुद्दि में डाला. तो उस ने शाज़िया की चूत को बहुत ही गरम और पानी पानी होता पाया.

“बानू तुम्हारी चूत तो अपने यार से मिलने से पहले ही इतना पानी छोड़ रही है. जब उस का लंड अपने अंदर लोगी तो तुम्हारा क्या हाल हो गा जान” नीलोफर ने अपनी उंगली को शाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर आहिस्ता आहिस्ता फेरते हुए कहा.

नीलोफर के इस तरह करने से शाज़िया की साँसे मज़े से उखड़ने लगीं. और उस की चूत ने और गरम हो कर नीलोफर की उंगली को अपने पानी से तर कर दिया.

“ तुम बैठो में अभी तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ” नीलोफर ने कुछ मिनिट्स बाद शाज़िया की फुद्दि के पानी से भरी हुई अपनी उंगली को बाहर निकाला और शाज़िया के पास से उठ खड़ी हुई.

नीलोफर अपने बेड रूम से निकल कर फॉरन ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए एएसआइ ज़ाहिद के पास चली आई.

निलफोर ने ज़ाहिद के पास बैठते ही अपनी उंगली उस के मुँह में डाली और बोली, “मेरी उंगली पर मेरी सहेली की गरम और प्यासी चूत का पानी लगा हुआ है. इस को चूस कर उस की गर्मी का अंदाज़ा लगा सकते हो, कि वो तुम्हारे लंड के लिए कितनी तड़प रही है”

ज़ाहिद ने फॉरन अपने मुँह में डाली हुई नीलोफर की उंगली को चूसना शुरू कर दिया. उस को नीलोफर की उंगली पर लगे हुए नमकीन पानी का ज़ायक़ा बहुत ही अच्छा लगा और वो नीलोफर की उंगली को “शर्प शरप” कर के चाटने लगा.

“बस भी करो मेरी उंगली ही खा जाओ गे क्या” नीलोफर ने ज़ाहिद के मुँह से अपनी उंगली निकाली और उसे धकेल कर थोड़ा पीछे किया.

“वाकई ही तुम्हारी सहेली की चूत के पानी का ज़ायक़ा बहुत मस्त है” ज़ाहिद ने अपने होंठो पर ज़ुबान फेरते हुए कहा.

“अच्छा अब जल्द ही साजिदा की फुद्दि तुम को रियल में मिल जाए गी,दिल भर कर अपने होंठो और ज़ुबान की प्यास बुझा लेना,अब तुम मुझे बताओ कि तुम्हारा लंड कितना तड़प रहा है मेरी सहेली की प्यासी,गरम फुद्दि में जाने के लिए” नीलोफर ने ज़ाहिद की पॅंट की ज़िप खोल कर उस के खड़ा हुआ मोटा लंड बाहर निकालते हुए कहा.

ज़ाहिद के लंड को आज एक नई फुद्दि चोदने को मिल रही थी. इसीलिए वो आज पहले से भी ज़्यादा जोश में आते हुए सख़्त और तन चुका था. 

“वाह ये तो ऐसे अकड़ कर खड़ा है जैसे कोई फोजी बॉर्डर पर खड़ा होता है” 



नीलोफर ने कहते हुए अपना सर झुकाया और ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लेते हुए कहा.

“ओह” ज्यों ही नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में लिया ज़ाहिद के मुँह से एक सिसकारी फूट गई.

नीलोफर ने कुछ देर गरम जोशी से ज़ाहिद के लंड को चूसा . तो ज़ाहिद के लंड से थोड़ा सा पानी निकलने लगा.

नीलोफर समझ गई कि अगर उस ने थोड़ी देर और ज़ाहिद के लंड को चूसा तो वो उस के मुँह में ही फारिग हो जाय गा.

इसीलिए नीलोफर रुक गई और ज़ाहिद के मोटे लंड को अपने मुँह से निकाल कर दुबारा अपने हाथ में पकड़ कर लंड की तरफ देखा.

ज़ाहिद के लंड की लंबाई पर नीलोफर के मुँह का काफ़ी सारा थूक लगा हुआ था. 

जब कि उस के लंड की मोटी टोपी से उस का प्री कम (पानी) बूँद की शकल में हल्का हल्का से निकल रहा था.

नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी पर अपनी उंगली फेर कर अपनी उंगली को ज़ाहिद के लंड की मनी से तर कर लिया.

“जिस तरह मैने मिलने से पहले ही अपनी सहेली की चूत का पानी तुम को टेस्ट करवाया है, उसी तरह अब में अपनी सहेली को पहले तुम्हारे लंड के पानी का ज़ायक़ा से टेस्ट करवा दूँ,ता कि तुम दोनो जब मिलो तो एक दूसरे के लिए बिल्कुल भी अजनबी ना रहो” कहते हुए नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को दुबारा उस की पॅंट में क़ैद कर के ऊपर से ज़िप की कुण्डी लगा दी. और किचन से पानी का ग्लास भर कर शाज़िया के पास चली आई.

कमारे में शाज़िया शिद्दत से नीलोफर के लोटने का इंतिज़ार कर रही थी.

“किधर रह गई थी तुम,मेरी तो प्यास की शिद्दत से जान ही निकली जा रही है नीलोफर” ज्यों ही शाज़िया ने नीलोफर को दरवाजे से अंदर आते देखा उस की जान में जान आई. और उस ने अपनी सहेली से पूछा.

“ मुँह खोलो में आज खुद तुम को अपने हाथ से पानी पिलाती हूँ" नीलोफर ने शाज़िया के नज़दीक होते हुए कहा.

ज्यों ही शाज़िया ने अपना मुँह खोला, नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड के पानी से तर अपनी उंगली उस के मुँह में पूरी डाल दी और बोली"लो आज अपने यार के मोटे ताज़े लंड का पानी पी कर अपनी प्यास बुझाओ मेरी जान,क्या बताऊ तुम्हारी फुद्दि के लिए कितना तना हुआ है तुम्हारे यार का लंड"

शाज़िया नीलोफर की बात सुन कर अपने होश-ओ-हवास जैसे खो बैठी. नीलोफर की उंगली पर लगे लंड के ताज़ा पानी के ज़ायक़े ने उसे इतना मस्त कर दिया कि उसे अपने मुँह और गले के खुशक होने का अहसास ही ना रहा. 



शाज़िया ने बिना किसी झिझक के अपना मुँह खोला और ज़ाहिद की तरह वो भी नीलोफर की उंगली को चाट चाट कर उंगली पर लगे हुए अपने सगे भाई के लंड के नमकीन पानी को सॉफ करते हुए अपने मुँह में उडेलने लगी.

“उम्म्म्मममममममम” आज इतने अरसे बाद असली लंड के पानी को छू कर मज़ा ही आ गया है” शाज़िया ने नीलोफर की उंगली पर अपनी ज़ुबान रगड़ते हुए कहा.

नीलोफर खामोशी से खड़ी शाज़िया से अपनी उंगली चुस्वाती रही. वो चाहती थी कि शाज़िया खूब अच्छी तरह से अपने भाई के लंड के पानी का स्वाद चख ले तो फिर वो उसे ज़ाहिद के पास ले जाय.
 
जब शाज़िया नीलोफर की उंगली चूस चूस कर थक गई. तो उस ने नीलोफर की उंगली को अपने मुँह से निकाला. और अपने भाई ज़ाहिद की तरह वो भी अपने होंठो पर ज़ुबान फेर कर मज़े से नीलोफर की तरफ देख कर मुस्कुरा दी.

“दिल भर गया है तो चलो अब तुम को इस टेस्टी लंड से असल ज़िंदगी में मिलवा दूं” नीलोफर ने शाजिया को उस के बाज़ू से पकड़ा और ड्रॉयिंग रूम की तरफ चल पड़ी. जिधर सोफे पर बैठा हुआ ज़ाहिद पॅंट में खड़े अपने लंड को हाथ से मसल्ते हुए उन दोनो के इंतिज़ार में था.

“लो जी आज एक गरम लंड और प्यासी चूत की पहली मुलाकात हो गई,अब जल्दी से आगे बढ़ कर एक दूसरे के जवान प्यासे जिस्मो की प्यास बुझा दो तुम दोनो,साजिदा मीट रिज़वान ,और रिज़वान प्लीज़ मीट साजिदा, मेरी प्यारी और बे इंतिहा गरम सहेली” ड्रॉयिंग रूम में एंटर होते हुए नीलोफर ज़ोर से बोली और उस ने मूड कर ड्राइंग रूम के दरवाज़े को बंद किया तो घर के एक कमरे में छुप कर बैठे हुए नीलोफर के भाई जमशेद ने बाहर से कुण्डी लगा दी. ता कि शाज़िया को ड्राइंग रूम से भाग जाने का मोका ना मिले.

सोफे पर बैठे हुए ज़ाहिद और नीलोफर के पहलू में खड़ी शाज़िया की नज़रें जब आपस में मिली. तो दोनो बहन भाई एक दूसरे को यूँ अपने सामने देख कर हेरत जदा रह गये.

दोनो बहन भाई को यूँ अचानक एक दूसरे के सामने आ कर इतना शॉक पहुँचा. जिस से एक तरफ शाज़िया की गरम फुद्दि में से बहता हुआ पानी रुक गया.तो दूसरी तरफ ज़ाहिद की पॅंट में खड़ा हुआ उस का लंड अकड़ने की जगह की तरह फॉरन बैठ गया.

नीलोफर ने आज शाज़िया और ज़ाहिद की हालत बिल्कुल ऐसे कर दी थी. जैसे आज से कुछ महीने पहले नीलोफर और उस के भाई जमशेद की ज़ाहिद के सामने बैठे हुए हो रही थी. 

दोनो बहन भाई शर्मिंदगी और हेरत का बुत बने एक दूसरे को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहे थे. उन दोनो को यकीन नही हो रहा था. कि वो ज़िंदगी में कभी इस तरह भी आपस में मुलाकात करेंगे.

“नीलोफर ये क्या मज़ाक है,ये साजिदा नही बल्कि मेरी सग़ी बहन शाज़िया है” ज़ाहिद ने हेरान होते हुए नीलोफर से कहा.

“में जानती हूँ कि ये तुम्हारी बहन शाज़िया है ज़ाहिद, और इसी बहन की फुद्दि का पानी अभी अभी बारे शौक से चखा है तुम ने मेरे यार” नीलोफर ने मुस्कुराते हुए ज़ाहिद को जवाब दिया.

“क्या” नीलोफर के जवाब पर दोनो बहन भाई के मुँह से एक साथ ये इलफ़ाज़ निकले.

शाज़िया की हालत देख कर यूँ लग रहा था. जैसे उस के जिस्म से किसी ने खून का आखरी क़तरा भी निकाल लिया हो.जिस से वो एक ज़िंदा लाश बन गई हो.

शाज़िया को समझ नही आ रहा था कि ये सब किया है. और क्यों उस की सहेली ने जानते बूझते उन दोनो बहन भाई के साथ इतना घटिया ड्रामा किया है.

शाज़िया को नीलोफर पर बे इंतिहा गुस्सा आने लगा. उस का बस नही चल रहा था कि वो नीलोफर को क़ातल ही कर दे. जिस ने उन दोनो बहन भाई को धोके में रख कर ना सिर्फ़ उन को एक दूसरे के नंगे जिस्म के एक एक हिस्से से रूबरू कर वा दिया था. बल्कि उस ने आज उन दोनो सगे बहन भाई के लंड और फुद्दि का पानी भी एक दूसरे को चखवा दिया था.

बहरहाल अब जो भी हो शाज़िया अब मज़ीद उधर रुक कर अपने आप को मज़ीद तमाशा नही बनाना चाहती थी .इसीलिए उस ने इरादा किया कि वो जल्द अज जल्द उधर से निकल जाय.

ये सोच कर वो वापिस जाने के लिए ज्यों ही मूडी तो ड्रॉयिंग रूम के दरवाज़े को बाहर से बंद पाया.

“दरवाज़ा खोलो और मुझे जान दो” शाज़िया ने इंतिहाई गुस्से से नीलोफर को कहा.

नीलोफर ने शाज़िया के गुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए उस के पीछे आ कर शाज़िया को कंधे से पकड़ते हुए कहा “शाज़िया में जानती हूँ तुम दोनो बहन भाई इस वक्त मेरी की हुई इस हरकत पर बहुत गुस्से में हो,मगर रुक जाओ में सारी बात तफ़सील से बताती हूँ कि मैने ये सब क्यों किया”

शाज़िया: छोड़ो मुझे जाने दो,मुझे तुम को अपनी सहेली कहते हुए भी शर्म आ रही है नीलोफर.

“ शाज़िया प्लीज़ सिर्फ़ चन्द मिनिट्स रुक जाओ मैं तुम को आज सब कुछ खुल कर बता देती हूँ” नीलोफर ने शाज़िया को पकड़ कर अपने साथ ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठाते हुए कहा.
 
शाज़िया का दिल तो नही चाह रहा था. कि अपनी भाई की मौजूदगी में वो अंदर एक लम्हा भी रुके.मगर ड्राइंग रूम का दरवाज़ा बाहर से बंद होने की वजह से उस के पास अब ड्राइंग रूम में ही रुकने के अलावा कोई चारा नही था. इसीलिए वो मजबूरन नीलोफर के साथ सोफे पर बैठ गई और अपनी नज़रें नीचे फर्श पर गाढ दीं.

फिर नीलोफर ने शुरू से ले कर आख़िर तक शाज़िया को अपनी ज़िंदगी की सारी कहानी उसी तरह बयान कर दी. जिस तरह आज से कुछ महीने पहले उस ने शाज़िया के भाई एएसआइ ज़ाहिद को सुनाई थी.

जिस में नीलोफर ने अपने और अपने भाई जमशेद के जिन्सी ताल्लुक़ात का किस्सा भी खुलम खुले अल्फ़ाज़ में पूरी तफ़सील से शाज़िया को बता दिया.

साथ साथ नीलोफर ने शाज़िया को ये भी बता दिया.कि कैसे ज़ाहिद के पोलीस रेड के दौरान रंगे हाथों पकड़े जाने और फिर ज़ाहिद के हाथों ब्लॅकमेल होने के डर से ही नीलोफर ने उन दोनो बहन भाई शाज़िया और ज़ाहिद को भी एक दूसरे के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम करने के लिए आमादा करने का सोचा.

शाज़िया अपनी दोस्त की सारी बातों को हेरत के साथ सुन तो रही थी.लेकिन साथ उसे शरम भी आ रही थी. कि उस का अपना सगा बड़ा भाई भी उसी कमरे में उस के साथ बैठा सारी ये सारी बातें सुन रहा है.

नीलोफर की सारी बाते सुनने के दौरान शाजिया को नीलोफर पर गुस्से बढ़ने के साथ साथ इस बात पर भी हैरत हो रही थी. कि क्यों उस के भाई ज़ाहिद ने उन दोनो बहन भाई के साथ की गई नीलोफर की इस जानिब पर शाज़िया की मुक़ाबले कम गुस्से का इज़हार किया था.

इधर ज़ाहिद का हाल ये था. कि पहले पहल तो उसे भी नीलोफर की इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया था.मगर अब जब उस ने देखा कि उस की बहन शाज़िया सामने वाले सोफे पर बैठ कर मजबूरन अपनी सहेली की बातों को सुन रही है. तो उसे नीलोफर की उन दोनो बहन भाई के साथ की गई इस हरकत पर आने वाला गुस्सा अब प्यार में बदल गया.

वो अब दिल ही दिल में नीलोफर का शूकर गुज़ार होने लगा. के जिस ने अंजाने में उन दोनो बहन भाई के जिस्मो का एक दूसरे का ना सिर्फ़ नज़ारा करवा दिया था. बल्कि उन दोनो की आपस में मुलाकात करवा कर शाज़िया और ज़ाहिद के दरमियाँ कायम बहन भाई वाले रिश्ते की झिझक और शरम के पर्दे को उतार फैंका था.

फिर ज्यों ही नीलोफर की बात ख़तम हुई. तो ड्राइंग रूम का दरवाज़ा खुला और नीलोफर का भाई जमशेद अंदर मुस्कुराता हुआ अंदर दाखिल हुआ.

“इस से मिलो शाज़िया, ये है मेरा भाई जमशेद, जो मेरा भाई भी है और मेरा यार भी’ ये कहते हुए नीलोफर भी अपने भाई को देख कर मुस्करते हुए सोफे से उठ खड़ी हुई.

जमशेद चलता हुआ अपनी बहन नीलोफर के नज़दीक पहुँचा. और अपनी बहन को अपनी बाहों में क़ैद करते हुए. उस ने अपने होन्ट नीलोफर के होंठो पर रख कर बहन के गुलाबी होंठो का रस चूमने लगा. 

साथ ही साथ जमशेद का एक हाथ नीलोफर के पेट से होता हुआ उस की छाती पर आया. और शाज़िया के देखते ही देखते जमशेद ने नीलोफर के एक मम्मे को अपने हाथ में ले कर किस्सिंग के दौरान मसलना शुरू कर दिया.

शाज़िया अपनी सहेली और उस के भाई की इस हरकत को आँखे पर फाड़ कर ऐसे देखे जा रही थी.जैसे नीलोफर और उस का भाई जमशेद कोई आम इंसान नही बल्कि किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हो.

दोनो बहन भाई को यूँ एक दूसरे से लिपटा देख कर शाज़िया के जिस्म से पसीने छूटने लगे.

उसे यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी आँखों के सामने होता देख रही है. वो वाकई ही ये हक़ीकत में हो भी सकता है.

शाज़िया का अब उधर अपने भाई के सामने बैठ कर ये सब देखना ना मुमकिन हो गया. 

इसीलिए वो तेज़ी से उठी और दौड़ते हुए नीलोफर के कमरे से अपना पर्स उठा कर घर से बाहर निकल गई.

नीलोफर ने इस बार शाज़िया को रोकने की कोशिस नही की और जान बूझ कर उसे जाने दिया.

ज्यों ही शाज़िया कमरे से बाहर निकली. ज़ाहिद ने उठ कर नीलोफर को जमशेद की बाहों से निकाला और उसे अपनी बाहों में भरते हुए नीलोफर को दीवाना वार चूमने लगा.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ ज़ाहिद पागल हो गये हो क्या” नीलोफर ने ज़ाहिद को जब उसे यूँ पागलो की तरह अपने चेहरे,गर्देन और होटो को चूमते देखा तो बोली.

नीलोफर तो ज़ाहिद की तरफ से गुस्से के इज़हार की तव्क्को कर रही थी.मगर उसे ज़ाहिद का ये अंदाज़ देख कर एक खुश गंवार हेरत हुई.

“हां में वाकई ही पागल हो गया हूँ निलो, यार तुम ने आज वो काम किया है जिस के लिए में उस वक्त से तरस रहा था, जब पहली बार तुम दोनो बहन भाई से मुलाकात हुई थी” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मे को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए कहा.

“और वो काम क्या है कुछ हम को भी तो बताओ” नीलोफर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बनने की आक्टिंग करते हुए बोली.

“तुम दोनो बहन भाई की चुदाई देखने के बाद मेरे दिल में भी अपनी बहन शाज़िया के साथ जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने का ख्याल आ गया. मगर मुझे में ना तो जमशेद की तरह अपनी बहन के साथ किसी किस्म की हरकत करने का होसला था. ना ही मुझे ये समझ आ रही थी कि में शाज़िया से अपने दिल ही बात कैसे कहूँ,मगर तुम ने हम दोनो बहन भाई को एक दूसरे के नंगे जिस्मो का दीदार करवा कर मेरा आधा काम आसान कर दिया है,अब इस से अगला काम मेरा है. और मुझे उम्मीद है कि जल्द ही जमशेद की तरह में भी अपनी बहन की फुद्दि का मज़ा लेने में कामयाब हो जाऊं गा” ज़ाहिद ने नीलोफर के मम्मो को हाथ से दबाते और मसलते हुए कहा.

साथ ही ज़ाहिद ने नीलोफर को सोफे पर बैठाया और नीलोफर के एक तरफ जमशेद जब कि दूसरी तरफ ज़ाहिद आ कर बैठ गया.

अब नीलोफर उन दोनो के दरमियाँ थी. और ज़ाहिद नीलोफर के मुँह में मुँह डालने के साथ साथ नीलोफर के जवान मम्मो के साथ भी खेलने में मसरूफ़ था. 

जब कि दूसरी तरफ से नीलोफर का भाई जमाशेद अपनी बहन के कानो और गर्देन पर किस्सस करता हुए नीलोफर के दूसरे मम्मे को छेड़ रहा था.

ज़ाहिद नीलोफर के जुवैसी होंटो को काटता हुआ बोला “नीलोफर में तो पहले ही अपनी बहन के लिए पागल हो रहा था. मगर याकीन मानो आज जब से मुझे ये पता चल चुका है कि कपड़ों के बिना मेरी अपनी बहन शाज़िया का जिस्म इतना जबर्जस्त है तो अब मेरे लिए उस से एक पल भी दूर रहना मुमकिन नही.
 
ज़ाहिद अभी इतनी ही बात कह पाया कि उस के टेबल पर रखे फोन की घेंटी बज उठी.

ज़ाहिद ने नीलोफर से अलहदा होते हुए अपना फोन चेक किया. तो स्क्रीन पर उस के पोलीस स्टेशन का नंबर शो हो रहा था.

ज़ाहिद ने फोन का जवाब दिया तो उस को खबर मिली कि उस के एरिया में एक क़तल हो गया है. 

पोलीस स्टेशन का इंचार्ज होने की वजह से ज़ाहिद का मोका ए-वारदात पर जाना लाज़मी था. इसीलिए ज़ाहिद को ना चाहते हुए भी नीलोफर के घर से जाना पड़ गया.

ज़ाहिद के घर से जाने के बाद जमशेद नीलोफर को ले कर उस के कमरे में चला आया. और अपने और अपनी बहन के कपड़े उतार कर नीलोफर को उस के सुहाग के बेड पर ज़ोरदार तरीके से चोदने लगा.

शाज़िया बोझल कदमो के साथ अपने घर लोटी. वो आज पेश आनी वाले सुरते हाल से बहुत ही परेशान और रंजीदा थी.

शाज़िया की खुश किस्मती थी. कि उस की अम्मी उस वक्त अपने कमरे में बैठी फोन पर किसी से बातों में मसरूफ़ थी.

वरना उस की अम्मी रज़िया बीबी के लिए अपनी बेटी के चेहरे पर मजूद गुस्से,गम और परेशानी का असर पड़ना कोई मुश्किल काम ना होता.और उस के बाद फिर शाज़िया के लिए अपनी अम्मी के सवालों का जवाब देना या उन को टालना भी कोई आसान बात ना होती.

शाज़िया खामोशी से चलती हुई अपने कमरे में घुसी. और बिस्तर पर गिरते ही फूट फूट कर अपने साथ होने वाले वाकये पर ज़रो कतर रोने लगी.

आज का पेश आने वाला वाकीया उस के लिए ना काबले बर्दाश्त था. उस को समझ में नही आ रहा था. कि वो आज के बाद अपने सगे भाई का सामना कैसे करे गी. 

जो उस का पूरा नंगा जिस्म ना सिर्फ़ देख चुका था. बल्कि वो अपनी चॅट के दौरान उस के बदन की तारीफ के पुल बाँधते हुए अंजाने में अपनी ही सग़ी बहन को अपनी महबूबा बनाने का इरादा ज़ाहिर कर चुका था.

जब कि शाज़िया को इस के साथ साथ अपने आप से भी घिन आने लगी थी. कि कैसे वो नीलोफर की बातों में आ कर अंजाने में अपने ही सगे बड़े भाई के लंड की दीवानी हो कर उस से चुदवाने पर तूल गई.और फिर उसे मिलने और प्यार करने नीलोफर के घर भी जा पहुँची थी.

दिन भर के सारे वाकीयत को सोच सोच कर शाज़िया पागल हुई जा रही थी. 

सोचते सोचते उस का दिल चाहा कि वो कमरे में लगे पंखे के साथ लटक कर खुद खुशी कर ले.

मगर शाज़िया एक निहायत डरपोक लड़की थी.इसीलिए चाहते हुए भी अपने इस ख्याल को अमली जामा पहनाने की उस में हिम्मत नही हुई.

फिर कब वो रोते रोते सो गई ये उस को खुद भी पता ना चला. 

रात के तकरीबन 8 बजे उस की अम्मी ने आ कर उसे उठाया. तो वो अम्मी से अपनी तबीयत का बहाना बना कर बिस्तर पर ही पड़ी रही.

रज़िया बीबी समझी कि उस की बेटी शायद स्कूल में मसरूफ़ियत की वजह से थक गई है. इसीलिए शाज़िया की अम्मी ने भी उसे ज़्यादा तंग ना किया और उस का खाना कमरे में ही रख कर खुद बाहर टीवी लाउन्ज में चली गईं.

शाज़िया के दिल की तरह उस की भूक भी आज जैसे उड़ चुकी थी. इसीलिए उस ने पास रखे खाने को नज़र उठा कर भी ना देखा और गुम सूम पड़ी कमरे की छत (रूफ) को घूरती रही. 

फिर जब उस का ज़हन सोच सोच कर थक गया. तो वो दुबारा से नींद की वादी में डूब गई.

उस रात हस्बे मामूल ज़ाहिद अपनी ड्यूटी से लेट वापिस आया. तो उस वक्त तक उस की अम्मी और शाज़िया दोनो अपने कमरे में सो चुकी थी.

ज़ाहिद ने दिल ही दिल में सुख का सांस लिया.क्यों कि आज दिन में पेश आने वाले वाकिये के बाद अभी उस में भी अपनी बहन का सामना करने का होसला नही पैदा हुआ था.

फिर ज़ाहिद भी अपने कमरे में चला आया. और बिस्तर पर लेट कर अपनी बहन शाज़िया के बारे में सोचने लगा.

शाज़िया के बारे में सोचते सोचते ज़ाहिद के ज़हन में वो मंज़र याद आने लगा. जब उसने पिंडी से वापिसी पर पहली बार अपनी बहन को उस के कमरे में सोता देखा था. और अपनी बहन शाज़िया की मोटी भारी गान्ड को देख कर उस का दीवाना हो गया था.

फिर एक एक कर के वो सारे मंज़र ज़ाहिद के दिमाग़ में एक फिल्म की तरह चलने लगे. 

जब उस ने पिछले चन्द दिनो में किसी ना किसी सेक्सी पोज़ में अपनी सग़ी बहन के गरम बदन का नज़ारा किया था.

इस के साथ साथ जब ज़ाहिद नीलोफर की दिखाई हुई शाज़िया की नंगी तस्वीरो और अपनी बहन की चूत के नमकीन पानी के जायके को ज़हन में लाया. तो अपनी बहन के नंगे वजूद को याद करते हुए ज़ाहिद तो जैसे पागल हो गया.

शाज़िया के मुतलक सोचते सोचते ज़ाहिद को यकीन हो गया कि.उस की अपनी सग़ी बहन ही वो औरत है. जिस औरत की तलाश में उस का लंड मारा मारा फिरता हुआ कई औरतों की फुद्दियो की सैर करता रहा है. 

जिस औरत को वो आज तक बाहर की दुनिया में तलाश करता रहा.वो औरत तो उस की बहन के रूप में उस के अपने घर में छुपी हुई है. 

और उस ने अपने दिल में ये फ़ैसला कर लिया कि अब कुछ भी हो. वो भी जमशेद की तरह अब अपनी सब शर्मो हया को एक तरफ रखते हुए.जल्द आज़ जल्द अपनी बहन को अपने बिस्तर की ज़ीनत बना कर उस की चूत का मज़ा ज़रूर ले गा.

क्यों कि बकॉल एक पंजाबी के शायर के, 

“अन पग इशक दी भादी नई
जीने बहन बना के याडी नई”.

(उस शक्स का इश्क उस वक्त तक मुकम्मल नही होता. जब तक वो किसी लड़की को अपनी बहन कह कर ना चोद ले)

फिर शाजिया के बारे में ही सोचते और अपने लंड से खेलते खेलती ज़ाहिद भी आख़िर कार सो गया.

दूसरे दिन सुबह सवेरे ज़ाहिद तैयार हो कर पोलीस स्टेशन जाने के लिए अपने कमरे से निकला. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को किचन में अम्मी के साथ नाश्ते बनाते देखा.

शाज़िया से कल नीलोफर के घर की मुलाकात के बाद दोनो बहन भाई के अपने घर में ये पहला आमना सामना हुआ था.

अपनी बहन को किचन में अपनी अम्मी के साथ कायम करते देख कर ज़ाहिद के दिल के साथ साथ उस के लंड की धड़कन भी तेज हो गई.

जब कि ज़ाहिद ज्यों ही किचन में दाखिल हुआ. तो अपने भाई ज़ाहिद को आता देख कर शाज़िया के भी पसीने छूटने लगे.

कल के वाकई के बाद उस में अभी भी अपने भाई से नज़रें मिलाने की हिम्मत ना हुई. 

ज्यों ही ज़ाहिद शाज़िया और अपनी अम्मी के नज़दीक पहुँचा तो शाज़िया ने एक दम से अम्मी की तरफ ध्यान देते हुए कहा “अम्मी भाई आ गये हैं आप इन के साथ बैठ कर नाश्ता कर लो”.

ये कहते हुए अपनी नज़रें झुका कर शाज़िया किचन में रखे हुए टेबल पर चाइ और नाश्ता रखने लगी.

रज़िया बीबी: शाज़िया बेटी आओ तुम भी हमारे साथ बैठ कर नाश्ता कर लो ना.

“नही अम्मी में चाइ के साथ रस खा चुकी हूँ,आप नाश्ता करें में थोड़ी देर में आती हूँ” शाज़िया अपने भाई के सामने मज़ीद रुकना नही चाहती थी. इसीलिए वो बहाना बना कर अपने कमरे में चली गई.
 
ज़ाहिद कुर्सी पर बैठ कर गान्ड मटकाती हुई अपनी बहन शाज़िया को किचन से बाहर जाता देख कर उस के भारी कुल्हों की पहाड़ियों में खो गया.

शाज़िया के जाने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के साथ मिल कर नाश्ता किया और फिर अपनी ड्यूटी पर चला गया.

कमरे में पहुँच कर शाज़िया ने अपनी बिखरी सांसो को संभाला और अपना फोन उठा कर अपने स्कूल के प्रिन्सिपल से फोन पर तीन दिन की छुट्टी की रिक्वेस्ट की. जिस को प्रिन्सिपल ने मंज़ूर कर लिया.

उस रोज़ वाले वाकिये की वजह से आज शाज़िया का अपने स्कूल जाने और अपनी सहेली नीलोफर से मिलने को दिल नही कर रहा था. इसीलिए उस ने स्कूल से तीन दिन की ऑफ ले कर घर रहना ही मुनासिब समझा.

उस दिन जब नीलोफर ने अपनी सुजकी वॅन में शाज़िया को ना देखा. तो वो समझ गई कि आज शाज़िया ने आज स्कूल से छुट्टी मारी है. 

नीलोफर ने स्कूल पहुँच कर शाज़िया को फोन मिलाया. तो अपने कमरे में बैठी शाज़िया ने नीलोफर का नंबर देख कर नफ़रत से फोन पर थुका, मगर फोन का जवाब नही दिया.

फोन की बजती बेल की आवाज़ सुन कर नीलोफर को अंदाज़ा हो गया कि शाज़िया जान बूझ उस का फोन अटेंड नही कर रही. नीलोफर समझ गई कि शाज़िया अभी तक उस की हरकत पर उस से नाराज़ है. 

“कोई बात नही मुझे शाज़िया को एक दो दिन का वक्त देना चाहिए,ता कि उसे आराम और सकून से इस सारे मामले पर गौर करने का वक्त मिल सके” नीलोफर ने अपने आप से कहते हुए फोन की लाइन काट दी.

अगले दो दिन शाज़िया ने अपने घर में और ज़्यादा तर अपने कमरे में ही रह कर गुज़ारे. और अपने और अपने भाई ज़ाहिद के दरमियाँ होने वाले सारे किससे के मुतलक सोचती और दिल ही दिल में कुढती और रंजीदा होती रही.

घर में रहने के दौरान उस ने पूरी कोशिस रही. कि उस का अपने भाई ज़ाहिद से आमना सामना नही हो पाए.

इसीलिए जब भी ज़ाहिद घर आता. तो शाज़िया अपने आप को अपने कमरे तक सीमित कर लेती. 

जब कि इन दो दिनो में ज़ाहिद की ये कोशिस रही. कि वो किसी तरह मोका देख कर शाज़िया से एक दफ़ा बात तो कर के देखे. 

मगर शोमी किस्मत कि जब भी वो नोकरी से घर आया उस ने अपनी अम्मी को घर में ही मौजूद पाया. जिस वजह से ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया से कोई बात करने का मोका ना मिला पाया.

इस दौरान उस ने नीलोफर से भी पूछा कि उस का रब्ता शाज़िया से हुआ ही कि नही. तो नीलोफर का जवाब भी नही में था.

ज़ाहिद ने अपने पोलीस स्टेशन और रात को अपने कमरे से खुद भी शाज़िया के दोनो नंबर्स पर कॉल करने की ट्राइ की. मगर उसे अपनी बहन शाज़िया के दोनो नंबर्स हमेशा बंद ही मिले.

पोलीस वालों की नोकरी भी अजीब होती है. कभी कभी किसी बेगुनाह आदमी को पोलीस इनकाउंटर में मार दो तो भी कुछ नही होता. और कभी सही काम करने पर भी सस्पेंड हो जाते हैं.

अपने बाकी जाती भाइयो (पोलीस कॉलीग्स) की मुक़ाबले ज़ाहिद इस मामले में खुशकिस्मत था.कि अपनी नोकरी के दौरान वो अभी तक किसी केस में सस्पेंड नही हुआ था.

उस की वजह ये थी कि वो अपने हर बड़े ऑफीसर से हमेशा बना कर रखता था. 

मगर कहते हैं ना कि बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी. बिल्कुल इसी तरह शाज़िया वाले वाकये के तीसरे दिन जब ज़ाहिद दोपहर को अपने पोलीस स्टेशन गया. तो उस को पता चला कि एक केस की ग़लत इंक्वाइरी करने की वजह से एसपी साब ने उस को चार दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है.

ज़ाहिद ये सज़ा पा कर बहुत खुश हुआ. कि चलो इस बहाने उस को अपने घर में आराम करने और अपनी बहन के नज़दीक आने का टाइम और मोका तो मिल पाए गा. 

वरना 24 घंटे और 7 दिन की पोलीस ड्यूटी के दौरान ज़ाहिद को अपने घर में रहने का टाइम कम ही मिल पाता था. 

उस दिन दोपहर में खलफ़े मामूल ज़ाहिद दिन के तकरीबन 4 बजे अपने घर चला आया. उस वक्त ज़ाहिद ने अपनी पोलीस यूनिफॉर्म की बजाय शलवार कमीज़ पहनी हुई थी.

जब ज़ाहिद घर में दाखिल होने लगा. तो उस ने अपनी अम्मी को घर से बाहर निकलते देखा.

“बेटा आज जल्दी घर चले आए,ख़ैरियत तो है ना” रज़िया बीबी ने घर से बाहर आते हुए अपने बेटे ज़ाहिद को देखा तो पूछने लगी.

“हां अम्मी जी ख़ैरियत ही है,आप किधर जा रही हैं?” ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के सवाल का जवाब देते हुए ,उन से सवाल पूछा.

“बेटा में इधर मोहल्ले में ही किसी के घर जा रही हूँ,तुम चलो में अभी थोड़ी देर में आई” कहते हुए रज़िया बीबी चली गई.

जब ज़ाहिद घर में एंटर हुआ. तो उस ने अपनी बहन शाज़िया को ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठे हुए पाया.


शाज़िया सोफे पर अपनी राइट टाँग को अपनी लेफ्ट टाँग पर रख कर इस अदा से बैठी हुई थी. कि ड्राइंग रूम में दाखिल होते ज़ाहिद को राइट साइड अपनी बहन की मोटी रान और उस की भारी और बड़ी गान्ड का भरपूर नज़ारा देखने को मिल गया. 

शाज़िया ताज़ा ताज़ा नहा कर बाथरूम से निकली थी. जिस वजह से उस के सारे बाल अभी तक गीले थे.

शाज़िया का खिला खिला और धुला धुला चेहरा और गीला महकता जिस्म. जिस की मदहोश करने वाली महेक किसी भी मर्द के होश उड़ा कर रख दे.

दुपट्टे के बगैर उस की कमीज़ में कसे हुए शाज़िया के मोटे और भारी मम्मे दूर से सॉफ नज़र आ रहे थे.और फिर ऊपर से शाज़िया की गान्ड का “फेलाव” उफफफफफफ्फ़ क्या ही उम्दा जिस्म था शाज़िया का.

ताज़ा ताज़ा नहा कर निकलने से शाज़िया की कमीज़ उस के जिस्म से चिपक रही थी. और उस के गीले बाल उस वक्त शाज़िया के हुश्न में इज़ाफ़ा कर रहे थे. 

ज़ाहिद दरवाज़े पर ही खड़ा हो कर अपनी बहन के जवान प्यासे जिस्म का जायज़ा लेने लगा था.

बहन के गरम और प्यासे बदन को देख देख कर उस का लंड उस की शलवार में तन कर खड़ा हो गया.

अम्मी की गैर मौजूदगी में ज़ाहिद के लिए आज एक बहुत ही अच्छा मोका था. कि वो अपनी बहन से अब अपने दिल की बात कह सके. 

इसीलिए ज़ाहिद आहिस्ता से चलता हुआ आ कर अपनी बहन के साथ सोफे पर बैठ गया. 

अपने भाई के यूँ पास बैठने से शाज़िया तो जैसे शर्म से अपने ही अंदर सिमट कर रह गई. 

ज़ाहिद ज्यों ही सोफे पर बैठा तो शाज़िया एक दम से उठी और अपने कमरे में जाने लगी.

ज़ाहिद अपना शिकार हाथ से निकलता देख कर एक दम शाजिया के पीछे भागा. और शाज़िया को पीछे से पकड़ कर उसे ड्राइंग रूम की दीवार से लगा दिया.

ज़ाहिद: शाज़िया में तुम से कुछ कहना चाहता हूँ.

“छोड़ो भाई अब हमारे दरमियाँ कहने को कुछ बाकी नही रहा” शाज़िया ने ज़ाहिद को अपने आप से अल्हेदा करने की कोशिस की.

“हमारी कहानी तो अभी शुरू हुई है मेरी बहन” ज़ाहिद ने शाज़िया के दोनो कंधो को मज़बूती से अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा.

“किया मतलब आप का” शाज़िया ने अपने भाई के इस जवाब पर हेरत से उस की आँखों में देखते हुए पूछा.

“मातब ये कि शाजिया इस से पहले हमारे दरमियाँ जो कुछ हुआ वो सब अंजाने में हुआ. नीलोफर ने बे शक गुस्से में आ कर मुझ से बदला लेने के लिए हम दोनो बहन भाई से ये सब ड्रामा रचाया. मगर सच पूछो तो इस सारे खेल में, अंजाने में तुम को मिले बिना ही,में अपना दिल तुम को दे बैठा था, मुझे पता है कि मेरी ये बात तुम को बुरी लगेगी.मगर ये हक़ीकत है कि जब से मुझे पता चला है कि मेरे सपनो की रानी कोई आम औरत नही. बल्कि मेरी अपनी सग़ी बहन है. तो यकीन मानो मेरा ये इश्क तुम से कम होने की बजाय पहले से भी बढ़ गया है. “आइ लव यू शाज़िया, नोट ऐज बहन ,बट ऐज आ मॅन लव्स आ विमन”.

अपनी बहन से पहली बार अपने दिल की बात कहते हुए अगले ही लम्हे ज़ाहिद के होन्ट सीधे शाज़िया के होंटो की तरफ बढ़ाए.
 
मगर शाज़िया ने अपने होंठो को अपने भाई के होंठो से बचाने के लिए अपना मुँह ज्यों ही मोड़ा तो ज़ाहिद के होन्ट शाज़िया की राइट गाल के ऊपेर जा चिपके. और ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया के गाल को ऐसे चूमने लगा. जैसे कोई इंसान किसी मासूम बच्चे को प्यार करता है. 

इस से पहले तक तो शाज़िया ये समझ रही थी.कि जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उस की सहेली नीलोफर का किया धरा था. मगर अब भाई की इस हरकत ने उस के होश और हाथों के तोते ही जैसे उड़ा दिए.

“भाईईईईईईईईईईईईईईईईईई आप ये किया गुनाह कर रहे हैं,बहन हूँ में आप की,और आप की इज़्ज़त हूँ में” शाज़िया अपने भाई की इस हरकत और बातों से बोखला कर रह गई. और उस ने अपने आप को भाई की क़ैद से छूटने की कॉसिश करते हुए कहा.

"उफफफफफफफफ्फ़ मेरी बहन ये गुनाह सवाब की बात नही. ये दो जवान प्यासे जिस्मो की ज़रूरत का मामला है, मुझे पता है कि तुम्हारी इस जवानी को एक मोटे तगड़े लंड की ज़रूरत है. जब कि मेरे मोटे लंड को तुम जैसी एक प्यासी औरत की चूत की तलब,अगर तुम मेरा साथ दो तो हम दोनो एक दूसरे की प्यास को बुझा सकते हैं और इस तरह घर की इज़्ज़त घर में ही महफूज़ रहे गी मेरी जान” अपनी बहन से बे शर्मी से इतने गंदे इलफ़ाज़ बोलते हुए ज़ाहिद का हाथ अब आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ आया. और उस ने अपनी बहन की फूली ही चूत को शलवार के उपर से अपनी मुट्ठी में काबू कर के सहलाना शुरू कर दिया. 

शाज़िया की चूत इतनी गरम थी. कि अपनी बहन की चूत पर हाथ रखते ही ज़ाहिद को यूँ महसूस हुआ जैसे उस ने किसी तेज आग वाली भट्टी में हाथ डाल दिया हो. और उस भट्टी से निकलते हुए गरम आग के शोले उस के हाथ की उंगलियो को जला कर भसम कर देंगे.

उधर अपने भाई के हाथ को अपनी फुद्दि के ऊपर पा कर शाज़िया के मुँह से भी “हाईईईईईईईईईईईईईईईई”एक सिसकारी निकलते निकलते रह गई.

“भाई छोड़ दो मुझे , अपनी ही बहन के साथ इस किस्म की घटिया हरकत से आप को शरम आनी चाहिए,आप जानते नही कि आप को इस हरकत का कितना गुनाह हो गा” शाज़िया ने ज़ाहिद की बाहों में मचलते हुए कहा.

"इस का जवाब जवानी को प्यार करने से अगर गुनाह मिलता है तो मिलने दो मेरी जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात को अन सुनी करते हुए उस के गालों पर अपने होन्ट दुबारा चिस्पान किया और शाज़िया के जिस्म को और ज़ोर से कस कर अपने करीब कर लिया.

अपनी बहन को यूँ अपने इस कदर करीब करने से शाज़िया के मोटे और नरम मम्मे ज़ाहिद की सख़्त और चौड़ी छाती में जज़्ब हो गये. 

जब कि नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की शलवार के अंदर से ही शाज़िया के पेट से रगड़ खाने लगा.

अपने भाई की बाहों में क़ैद होने से शाज़िया को अपने सगे भाई का फन फनाता और लोहे की राड जैसे सख़्त लंड को अपने पेट से पहली दफ़ा टकराता हुए महसूस कर के शाज़िया को बहुत घबराहट होने लगी.

ये वो ही लंड था.जिस को देख कर शाज़िया की चूत कुछ दिन पहले इतनी गरम हुई थी. कि उस ने जोशे जज़्बात में आ कर उस लंड की फोटो को अपनी प्यासी फुद्दि पर रगड़ रगड़ कर अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया था.

मगर आज अपने भाई की बाहों में क़ैद शाज़िया को इस लंड के इतने करीब हो कर बहुत शरम महसूस होने लगी थी. और वो अपने भाई की बाहों के घेरे को तोड़ कर उस से दूर भाग जाना चाहती थी.

अपनी बहन के भारी जिस्म को अपनी बाहों की क़ैद में जकड़े जकड़े ज़ाहिद ने अपने हाथ को शाज़िया के पेट के ऊपर से ले कर. उस की कमीज़ के ऊपर से ही अपनी बहन के मोटे और भारी मम्मे को पहली बार अपनी मुट्ठी में जकड़ा और उसे दबाने लगा.

शाज़िया का मम्मा इतना बड़ा था. कि वो ज़ाहिद के हाथ में नही समा पा रहा था.

ज़ाहिद ने आज तक इतने बड़े मम्मे को अपने हाथ में ले कर कभी नही दबाया था. इसीलिए आज पहली बार अपनी बहन की जवान छाती को अपने हाथ से मसल्ते हुए वो जोश और मज़े से बे हाल होने लगा.

शाज़िया के मम्मो और चूत को किसी मर्द का हाथ लगे तकरीबन दो साल होने को थे. इसीलिए उसे अपने ऊपर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. 

इस से पहले कि वो भी जज़्बात की रौ में बह कर अपने भाई के साथ हम बिस्तरी के गुनाह पर आमादा हो जाती.

वो जल्द अज जल्द अपने आप को अपने भाई से दूर करने का सोच कर अपने बचाव के लिए अपने हाथ पैर मार रही थी.

इसीलिए शाज़िया ने अपने आप को अपने भाई की बाजुओं की क़ैद से निकालने की नाकाम कॉसिश करते हुआ कहा ““ये क्या कर रहे हैं आप भाई.. आप होश में आइए, में बहन हूँ आप की, खुदा के लिए मुझे छोड़ दो ,ये ग़लत है भाई”.

ज़ाहिद ने शाज़िया को अपने सीने के साथ मज़ीद सख्ती से भींचते और अपनी बहन की गर्देन पर चूमते कहा “आआअहह,शाज़िया बहन तो तुम हो, मगर में इस से पहले ये नही जानता था कि इतनी गरम भी हो.मैने इस से पहले कई दफ़ा सोचा तो ज़रूर था, मगर कभी तुम को छूने की हिम्मत नही पड़ी, लेकिन जो काम नीलोफर ने किया उस के बाद अब में खुल कर अपने जज़्बात का इज़हार तुम से करना चाहता हूँ मेरी बहन, 

(ज़ाहिद ये बात ब खूबी जानता था.कि उस की बहन शाज़िया जवानी की आग में जल रही है. लेकिन अपने ही सगे भाई से चुदवाने के लिए वो झिझक रही है. और ज़ाहिद को मालूम था. कि अपनी बहन की ये झिझक दूर करने के लिए उसे शुरू में शाज़िया के साथ थोड़ी ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़े गी.)

इसी लिए अपनी बात ख़तम करते ही ज़ाहिद ने अपना जिस्म को थोड़ा नीचे झुकाया.साथ ही अपने दोनो हाथों से अपनी बहन के भारी चुतड़ों को अपने हाथों में कसते हुए.उस ने अपने जिस्म को एक दम से ऊपर की तरफ उठाया. 

ज़ाहिद के इस तरह करने से उस का मोटा सख़्त लंड उस की बहन की गुदाज रानों से रगड़ ख़ाता शाज़िया की गरम और प्यासी चूत से जा टकराया.

“हाईईईईईईईईईई” ज़ाहिद के लंड की अपनी बहन की प्यासी गरम फुद्दि से पहली मुलाकात होते ही दोनो बहन भाई के मुँह से आवाज़ निकली. 

ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की गर्मी अपने लंड पर और शाजिया अपने भाई के मोटे ताज़े लंड की गर्मी अपनी चूत पर सॉफ तौर पर महसूस कर रही थी. 
 
इस से पहले के ज़ाहिद कुछ और कहता या करता घर के दरवाज़े पर लगी डोर बेल बज गई.

ज़ाहिद समझ गया कि अम्मी वापिस आ चुकी हैं. इसीलिए अब शाज़िया को अपनी बाहों की क़ैद से आज़ाद करने के सिवा उस के पास कोई चारा नही था.

ज़ाहिद ने अपनी बहन को अपने चुंगल से आज़ाद करने से पहले अपनी बहन के गुदाज गालों की एक बार फिर एक भर पूर चुम्मि ली. और शाज़िया को अपनी क़ैद से रिहाई दे कर खूद बाहर का दरवाज़ा खोलने चला गया.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को बहका कर अपने रास्ते पर लाना चाहता था. और अपने मकसद को पाने के लिए आज वो अपना चारा फैंक चुका था. 

ज़ाहिद को अपनी किस्मत पर पूरा यकीन था. कि उस के फैंके हुए चारे में उस की बहन एक मछली की तरह ज़रूर अटके गी. 

अपने इन ही ख्यालो में मगन होते और अपने खड़े लंड को बड़ी मुश्किल से अपनी शलवार में बिताते ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के लिए घर का दरवाज़ा खोल दिया.

उधर ज़ाहिद के शाज़िया को छोड़ कर बाहर निकलने की देर थी. कि शाज़िया अपनी बिखरी सांसो को समेटती हुई जल्दी से अपने कमरे में चली आई. और कमरे के दरवाज़े की कुण्डी लगा कर बिस्तर पर गिरते हुए फूट फूट कर रोने लगी.

शाज़िया तो अपने भाई के सामने यूँ अचानक बेनकाब होने और अपना राज़ खुल जाने की वजह से पहले ही बहुत परेशान थी. मगर अभी अभी ज़ाहिद ने अपने हाथों,होंठो और अल्फ़ाज़ से अपनी जिस गंदी ख्वाइश का इज़हार अपनी बहन से खुलम खुल्ला कर दिया था. उस ने शाज़िया को मज़ीद रंजीदा कर दिया था.

अब वो बिस्तर पर लेट कर रोते रोते फिर उस वक्त को कोस रही थी. जिस वक्त उस के भाई ज़ाहिद की मुलाकात नीलोफर और उस के भाई से हुई थी.

क्यों कि शाजिया अब ये बात जान चुकी थी. कि जिस तरह एक आम इंसान किसी गंदे आदमी के साथ रह कर गंदा हो जाता है 

बिल्कुल इस तरह उस का भाई ज़ाहिद भी नीलोफर और उस के भाई से मिलने के बाद उन के रंग में रंग चुका है.

और अब वो भी नीलोफर और जमशेद की तरह गुनाह और सवाब की बात को हटा कर अपनी बहन की शलवार के नाडे को खोलने पर तूल चुका है.

इस के साथ साथ शाज़िया इस बात पर भी सोचने लगी. कि कैसे आज उस के ना चाहने के बावजूद ज़ाहिद की छेड़खानी ने उस की जवानी के जज़्बात को गरम कर दिया था. 

शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थी. कि आज के बाद उस के भाई का होसला पहले सी भी बढ़ जाए गा. और वो फिर मोका देख कर उस से अपनी गंदी ख्वाहिश का इज़हार ज़रूर करे गा.

शाज़िया सोचने लगी कि आज तो अम्मी के आ जाने की वजह से वो अपनी इज़्ज़त अपने ही भाई के हाथों बर्बाद होने से बचा पाई थी. 

मगर उसे डर लग गया कि कहीं नीलोफर की तरह अगर वो भी बहक गई. तो अपनी जवानी के जज़्बात को अपने काबू में रखना उस के लिए फिर आसान ना रहे गा.

इस बात को सोचते सोचते शाज़िया ने अपने दिल में पक्का इरादा कर लिया. कि अब चाहे जैसा भी रिश्ता मिले वो अपनी अम्मी से कह कर जल्द अज जल्द अपनी शादी कर के इस घर और अपने भाई से दूर चली जाएगी.

दूसरे दिन सुबह जब ज़ाहिद अपने किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर गया. तो शाज़िया ने मौका देख कर अपनी अम्मी से बात की.

शाज़िया: अम्मी आप खाला गुलशन से कहें कि मेरे लिए कोई रिश्ता तलाश करे.

(खाला गुलशन झेलम सिटी में ही एक रिश्ते करवाने वाली औरत थी. जो अपनी फीस ले कर लोगों के आपस में रिश्ते करवाती थी)

“बेटी गुलशन ने तो इस से पहले भी काफ़ी रिश्ते दिखाए हैं.मगर तुम को कोई रिश्ता पसंद ही नही आता” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात सुन कर जवाब दिया.

“अम्मी आप बस उन से बात करें,इस बार जो भी रिश्ता आया में हां कर दूंगी” शाजिया ने अपनी अम्मी की बात के जवाब में कहा.

रज़िया बीबी दो तीन दफ़ा रात की तन्हाई में अपनी बेटी को अपने जिस्म से खेलता और अपनी चूत की आग को ठंडा करते सुन चुकी थी. 

इसीलिए वो अपनी बेटी की बात को सुन कर ये समझी कि शायद उस की बेटी के लिए अब एक मर्द के बगैर रहना मुहाल हो रहा है.और वो अपने बदन की जिन्सी भूक के हाथों मजबूर हो कर किसी भी किस्म के मर्द से शादी के लिए रज़ा मंद हो चुकी है.

मगर रज़िया ये हक़ीकत नही जान पाई थी. कि उस की बेटी असल में अपने जिस्म की भूक से नही. बल्कि उस के अपने ही सगे बेटे के हाथों और लंड से दूर हो जाने के लिए ना सिर्फ़ रंडवे, बच्चो वाले बल्कि किसी बूढ़े आदमी के पल्ले बँधने पर भी तूल गई है.

“अच्छा बेटी में आज ही गुलशन को फोन कर के उस से बात करती हूँ” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की बात मानते हुए कहा.



उसी दोपहर जब ज़ाहिद घर वापिस आया. तो उस ने अपनी अम्मी और खाला गुलशन को ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करते देखा.

खाला गुलशन को अपनी अम्मी के साथ बैठा देख कर ज़ाहिद का माथा ठनका. 

ज़ाहिद अपने कमरे में जा कर सोचने लगा. कि उस ने तो अपनी अम्मी को अपनी शादी से अभी तक इनकार किया हुआ है.तो फिर ये खाला गुलशन आज किस सिलसिले में अम्मी के पास बैठी हुई है.

थोड़ी देर बाद जब ज़ाहिद ने खाला गुलशन को अपनी अम्मी से खुदा हाफ़िज़ कहते सुना.तो ज़ाहिद अपने कमरे से निकल कर अपनी अम्मी के पास सोफे पर आन बैठा.
 
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