hotaks444
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ज़ाहिद के लंड से निकलती मनी की धार इतनी तेज और गरम थी. कि शलवार में मलबोस होने के बावजूद शाज़िया को ऐसे लगा. जिसे उस के भाई ने उस की चूत के अंदर ही अपना पानी निकाल दिया हो.
अपने सगे भाई को अपनी टाँगों के दरमियाँ फारिग होता देख कर शाज़िया तो शरम से पानी पानी हो गई.
मगर साथ ही शाज़िया ने सकून का साँस भी लिया. क्यों कि ना जाने क्यों शाज़िया को ये शक हुआ कि अपनी गर्मी निकालने के बाद शायद उस का भाई अब उस की जान बक्शी कर देगा. मगर ये शाज़िया की भूल थी.
क्यों कि शाज़िया के शोहार के मुक़ाबले उस का भाई ज़ाहिद उन मर्दो में से था. जिन के लंड से एक बार पानी निकलने के बाद उन में चुदाई का जोश पहले से ज़्यादा भर जाता था. और वो रात भर कई कई बार फारिग हो कर भी फुद्दि के प्यासे रहते थे.
इसीलिए अपने लंड की मनी से अपनी बहन की शलवार को तर ब तर करने के बाद भी ज़ाहिद उसी जोश में अपनी बहन के गालो और गर्दन को चूमता और काटता रहा.
जब शाज़िया ने देखा कि उस के भाई पर उस की किसी बात का असर नही हो रहा. तो अपनी बे बसी के मारे उस की आँखों से आँसू जारी हो गए.
गुस्से में आते हुए उस ने ज़ाहिद को एक ज़ोर दार धक्का मारा. तो ज़ाहिद की पकड़ शाज़िया के जिस्म से छूट गई. और झटके से ज़ाहिद अपनी बहन के पहलू में गिर गया.
ज्यों ही ज़ाहिद बिस्तर पर गिरा. शाज़िया ने उठ के कमरे से जाने की बजाय एक दम अपनी शलवार का नाडा खोला और साथ ही गुस्से में आ कर अपनी मलमल की पतली कमीज़ को अपनी भारी छातियों से पकड़ कर फाड़ दिया.
शाज़िया के इस अमल से वो ना सिर्फ़ नीचे से बिल्कुल नंगी हुई गई. बल्कि ऊपर से उस के मम्मे अपने भाई के सामने नीम नंगे हो गये.
अपने जिस्म को अपने भाई के सामने आधा नंगा करते ही शाज़िया रोते रोते बोली” लो भाई मेने खुद ही अपने आप को तुम्हारे लिए नंगा कर दिया है,आगे बडो और नोच लो मेरे नंगे जिस्म को,पूरी कर लो अपनी गंदी हवस को अपनी बहन के जिस्म से खेल कर”
ज़ाहिद ने जब अपनी बहन की आँखों में आँसू देखे. तो उस का खड़ा हुआ लंड मुरझा कर बैठने लगा.जब कि ज़ाहिद का पत्थर दिल एक दम से पिघल गया.
ज़ाहिद को अपने आप से शरम आने लगी.और अपने ऊपर लानत भेजते हुए ज़ाहिद ने एक दम अपने कपड़े उठाए और शाज़िया को रोती छोड़ के वो उस के कमरे से निकल आया.
आज ज़ाहिद को उस की बहन के आँसुओं ने मजबूर कर दिया और वो चाहते हुए भी अपनी सग़ी बहन का रेप ना कर सका.
अपने कमरे में लेट कर ज़ाहिद अपने और शाज़िया के बारे में सोचने लगा.कि लाख कोशिश के बावजूद शाज़िया उस के साथ चुदाई पर राज़ी नही हो रही. तो बेहतर है कि उसे उस के हाल पर छोड़ दिया जाए.
और उस ने ये तय कर लिया कि वो अब कभी ग़लती से भी अपनी बहन के मुतलक सोचे गा भी नही.
भाई के कमरे से जाने के बाद शाज़िया काफ़ी देर अपने बिस्तर पर पड़ी अपने आँसू बहाती रही.
फिर जब कुछ देर बाद उस ने रोना बंद किया. तो शाज़िया को अपनी चूत के ऊपर खारिश महसूस हुई.
शाज़िया ने बे इख्तियारी में शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ को अपनी चूत पर रख कर खुजली करनी चाही. तो शाज़िया के हाथ की उंगलियाँ उस की शलवार के ऊपर छोड़े हुए अपने सगे भाई के थिक वीर्य से जा टकराया.
शाज़िया की शलवार पर लगा उस के भाई का वीर्य अब थोड़ा थोड़ा खुशक होने लगा था. जिस की वजह से उस जगह पर जहाँ ज़ाहिद का वीर्य गिरा था. शाज़िया की शलवार का वो हिस्सा वीर्य के सोखने की वजह से अकड़ कर सख़्त हो गया था.
ज़ाहिद का वीर्य इतना ज़्यादा और इस कदर थिक हो कर शाज़िया की शलवार के ऊपर गिरा था. कि थोड़ा सूखने के बावजूद उसके अपने भाई का वीर्य शाज़िया की उंगलियों पर चिपक सा गया था
शाज़िया को ज्यों ही अहसास हुआ कि उस का हाथ अपने ही भाई की मनी सर भर गया है. तो वो फॉरन उठी और उस ने अपनी शलवार को अपने जिस्म से अलहदा कर के दूर कोने में पड़ी टोकरी में फैंक दिया.
उस के बाद शाज़िया आधी नंगी चलती हुई बाथरूम में गई और अपने हाथ को अच्छी तरह से धो कर अलमारी से दूसरी शलवार कमीज़ निकाल कर पहनी. और अपने कमरे के दरवाज़े को फिर से लॉक लगा कर बिस्तर पर दुबारा सोने के लिए लेट गई.
अगली सुबह शाज़िया के उठने से पहले ही ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था.
शाज़िया भी तैयार हुई और नाश्ता कर के अपने स्कूल रवाना हो गई.
शाज़िया ने नीलोफर से नाराज़गी के बाद से नीलोफर वाली स्कूल वॅन में जाना छोड़ दिया था. इसीलिए उसे स्कूल पहुँच कर पता चला कि नीलोफर आज स्कूल नही आई.
अंदर अपने घर में छुट्टी कर के बैठी नीलोफर ने अपने सुबह सवेरे के काम निबटा कर ज़ाहिद को फोन कॉल मिला दी.
नीलोफर को ज़ाहिद से बात और मुलाकात किए काफ़ी दिन हो चुके थे. इसीलिए आज वो ज़ाहिद से बात कर के पता करना चाहती थी. कि उसे अपनी बहन शाज़िया की फुददी में अपना लंड डालने का फक्र अब तक नसीब हुआ है या नही.
अपने पोलीस स्टेशन में बैठे ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने मोबाइल पर देखा तो फॉरन फोन उठा लिया.
ज़ाहिद: हेलो नीलोफर कैसी हो.
नीलोफर: में ठीक हूँ यार,तुम सूनाओ क्या चल रहा है?.
“बस यार वो ही रोज़ की रूटीन” ज़ाहिद ने नीलोफर को बोझिल आवाज़ में जवाब दिया.
ज़ाहिद के इस अंदाज़ में बात करने से नीलोफर समझ गई. कि ज़ाहिद अभी तक अपनी बहन शाज़िया को चोद नही पाया है.
“इतने मायूस क्यों हो,लगता है शाज़िया के मामले में तुम्हारी दाल नही गली अभी तक” नीलोफर ने ज़ाहिद से पूछा.
“बस यार कुछ ऐसा है बात समझो” ज़ाहिद ने जवाब दिया.और फिर नीलोफर के इसरार पर ज़ाहिद ने सारी बात उसे तफ़सील से बयान कर दी.
अपने सगे भाई को अपनी टाँगों के दरमियाँ फारिग होता देख कर शाज़िया तो शरम से पानी पानी हो गई.
मगर साथ ही शाज़िया ने सकून का साँस भी लिया. क्यों कि ना जाने क्यों शाज़िया को ये शक हुआ कि अपनी गर्मी निकालने के बाद शायद उस का भाई अब उस की जान बक्शी कर देगा. मगर ये शाज़िया की भूल थी.
क्यों कि शाज़िया के शोहार के मुक़ाबले उस का भाई ज़ाहिद उन मर्दो में से था. जिन के लंड से एक बार पानी निकलने के बाद उन में चुदाई का जोश पहले से ज़्यादा भर जाता था. और वो रात भर कई कई बार फारिग हो कर भी फुद्दि के प्यासे रहते थे.
इसीलिए अपने लंड की मनी से अपनी बहन की शलवार को तर ब तर करने के बाद भी ज़ाहिद उसी जोश में अपनी बहन के गालो और गर्दन को चूमता और काटता रहा.
जब शाज़िया ने देखा कि उस के भाई पर उस की किसी बात का असर नही हो रहा. तो अपनी बे बसी के मारे उस की आँखों से आँसू जारी हो गए.
गुस्से में आते हुए उस ने ज़ाहिद को एक ज़ोर दार धक्का मारा. तो ज़ाहिद की पकड़ शाज़िया के जिस्म से छूट गई. और झटके से ज़ाहिद अपनी बहन के पहलू में गिर गया.
ज्यों ही ज़ाहिद बिस्तर पर गिरा. शाज़िया ने उठ के कमरे से जाने की बजाय एक दम अपनी शलवार का नाडा खोला और साथ ही गुस्से में आ कर अपनी मलमल की पतली कमीज़ को अपनी भारी छातियों से पकड़ कर फाड़ दिया.
शाज़िया के इस अमल से वो ना सिर्फ़ नीचे से बिल्कुल नंगी हुई गई. बल्कि ऊपर से उस के मम्मे अपने भाई के सामने नीम नंगे हो गये.
अपने जिस्म को अपने भाई के सामने आधा नंगा करते ही शाज़िया रोते रोते बोली” लो भाई मेने खुद ही अपने आप को तुम्हारे लिए नंगा कर दिया है,आगे बडो और नोच लो मेरे नंगे जिस्म को,पूरी कर लो अपनी गंदी हवस को अपनी बहन के जिस्म से खेल कर”
ज़ाहिद ने जब अपनी बहन की आँखों में आँसू देखे. तो उस का खड़ा हुआ लंड मुरझा कर बैठने लगा.जब कि ज़ाहिद का पत्थर दिल एक दम से पिघल गया.
ज़ाहिद को अपने आप से शरम आने लगी.और अपने ऊपर लानत भेजते हुए ज़ाहिद ने एक दम अपने कपड़े उठाए और शाज़िया को रोती छोड़ के वो उस के कमरे से निकल आया.
आज ज़ाहिद को उस की बहन के आँसुओं ने मजबूर कर दिया और वो चाहते हुए भी अपनी सग़ी बहन का रेप ना कर सका.
अपने कमरे में लेट कर ज़ाहिद अपने और शाज़िया के बारे में सोचने लगा.कि लाख कोशिश के बावजूद शाज़िया उस के साथ चुदाई पर राज़ी नही हो रही. तो बेहतर है कि उसे उस के हाल पर छोड़ दिया जाए.
और उस ने ये तय कर लिया कि वो अब कभी ग़लती से भी अपनी बहन के मुतलक सोचे गा भी नही.
भाई के कमरे से जाने के बाद शाज़िया काफ़ी देर अपने बिस्तर पर पड़ी अपने आँसू बहाती रही.
फिर जब कुछ देर बाद उस ने रोना बंद किया. तो शाज़िया को अपनी चूत के ऊपर खारिश महसूस हुई.
शाज़िया ने बे इख्तियारी में शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ को अपनी चूत पर रख कर खुजली करनी चाही. तो शाज़िया के हाथ की उंगलियाँ उस की शलवार के ऊपर छोड़े हुए अपने सगे भाई के थिक वीर्य से जा टकराया.
शाज़िया की शलवार पर लगा उस के भाई का वीर्य अब थोड़ा थोड़ा खुशक होने लगा था. जिस की वजह से उस जगह पर जहाँ ज़ाहिद का वीर्य गिरा था. शाज़िया की शलवार का वो हिस्सा वीर्य के सोखने की वजह से अकड़ कर सख़्त हो गया था.
ज़ाहिद का वीर्य इतना ज़्यादा और इस कदर थिक हो कर शाज़िया की शलवार के ऊपर गिरा था. कि थोड़ा सूखने के बावजूद उसके अपने भाई का वीर्य शाज़िया की उंगलियों पर चिपक सा गया था
शाज़िया को ज्यों ही अहसास हुआ कि उस का हाथ अपने ही भाई की मनी सर भर गया है. तो वो फॉरन उठी और उस ने अपनी शलवार को अपने जिस्म से अलहदा कर के दूर कोने में पड़ी टोकरी में फैंक दिया.
उस के बाद शाज़िया आधी नंगी चलती हुई बाथरूम में गई और अपने हाथ को अच्छी तरह से धो कर अलमारी से दूसरी शलवार कमीज़ निकाल कर पहनी. और अपने कमरे के दरवाज़े को फिर से लॉक लगा कर बिस्तर पर दुबारा सोने के लिए लेट गई.
अगली सुबह शाज़िया के उठने से पहले ही ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था.
शाज़िया भी तैयार हुई और नाश्ता कर के अपने स्कूल रवाना हो गई.
शाज़िया ने नीलोफर से नाराज़गी के बाद से नीलोफर वाली स्कूल वॅन में जाना छोड़ दिया था. इसीलिए उसे स्कूल पहुँच कर पता चला कि नीलोफर आज स्कूल नही आई.
अंदर अपने घर में छुट्टी कर के बैठी नीलोफर ने अपने सुबह सवेरे के काम निबटा कर ज़ाहिद को फोन कॉल मिला दी.
नीलोफर को ज़ाहिद से बात और मुलाकात किए काफ़ी दिन हो चुके थे. इसीलिए आज वो ज़ाहिद से बात कर के पता करना चाहती थी. कि उसे अपनी बहन शाज़िया की फुददी में अपना लंड डालने का फक्र अब तक नसीब हुआ है या नही.
अपने पोलीस स्टेशन में बैठे ज़ाहिद ने नीलोफर का नंबर अपने मोबाइल पर देखा तो फॉरन फोन उठा लिया.
ज़ाहिद: हेलो नीलोफर कैसी हो.
नीलोफर: में ठीक हूँ यार,तुम सूनाओ क्या चल रहा है?.
“बस यार वो ही रोज़ की रूटीन” ज़ाहिद ने नीलोफर को बोझिल आवाज़ में जवाब दिया.
ज़ाहिद के इस अंदाज़ में बात करने से नीलोफर समझ गई. कि ज़ाहिद अभी तक अपनी बहन शाज़िया को चोद नही पाया है.
“इतने मायूस क्यों हो,लगता है शाज़िया के मामले में तुम्हारी दाल नही गली अभी तक” नीलोफर ने ज़ाहिद से पूछा.
“बस यार कुछ ऐसा है बात समझो” ज़ाहिद ने जवाब दिया.और फिर नीलोफर के इसरार पर ज़ाहिद ने सारी बात उसे तफ़सील से बयान कर दी.