hotaks444
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अपनी सबका शादी शुदा जिंदगी में शाज़िया के कमज़ोर जिस्म वाले शोहर ने शाज़िया को कभी इस स्टाइल में चोदने की हिम्मत भी नही की थी. इसीलिए शाज़िया के लिए चुदाई का ये अंदाज़ बिल्कुल नया और मज़े दार था.
अपने भाई के प्यार का ये वलिहाना अंदाज़ देख कर शाज़िया ने भी फेरते जज़्बात से अपना एक बाज़ू ज़ाहिद की गर्दन के गिर्द लपेट लिया. जब कि उस का दूसरा हाथ उस के भाई की सख़्त और चौड़ी छाती पर रेंगने लगा.
अपनी बहन को यूँ अपने साथ चिमटा देख कर ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया को चुदाई का ये तरीका अच्छा लगा है.
इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनो हाथों से अपनी बहन की गुदाज रानों को थाम कर शाज़िया के बाहरी जिस्म को एक मोम की गुड़िया समझ कर हवा में उछाल उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दि में अपना पूरा लंड डालना शुरू कर दिया.
अपने भाई की इस चुदाई से शाज़िया को भी मज़ा आने लगा.और वो भी अपने मोटे मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर अपने भाई का मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी.
शाज़िया की चूत ज़ाहिद की पहली चुदाइ के दौरान छोड़े हुए पानी की वजह से पहले की काफ़ी गीली हो चुकी थी.
इसीलिए उस की फुद्दि अब ज़ाहिद के हर हर धक्के पर फ़च्छाक फ़च्छाक की आवाज़ निकाल कर कमरे के माहौल में एक निहायत माशूक किस्म की मौशिकि (म्यूज़िक) पैदा कर रही थी.
“ऊऊओिईई ज़ाहिद भाई, अह्ह्ह्ह्ह्ह,ऐसा मज़ा तो मुझ है कभी भी नही आया मेरे राजा,अह्ह्ह्ह,मैं शायद छूटने वाली हूँ ज़ाहिद भाई अह्ह्ह्ह” कहते हुए शाज़िया ने अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया.
ज्यों ही शाज़िया फारिग हुई.तो शाज़िया की गीली चूत से पानी बह बह कर ज़ाहिद के लंड के साथ साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर गया.
कोई 15, 20 सेकेंड्स तक शाज़िया के जिस्म को झटके लगते रहे.और फिर वो निढाल हो कर ज़ाहिद के बाजुओं में ही झूल गई.
ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया इस वक़्त चूत (ऑर्गॅज़म) गई है. इसीलिए ज़ाहिद ने आहिस्ता से अपनी बहन को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया. और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया.
ज़ाहिद चूँकि अभी तक फारिग नही हुआ था . इसीलिए उस का लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा शाज़िया की चूत में घुस कर खड़ा था.
ज़ाहिद अपनी बहन के जिस्म के ऊपर लेटा बहुत प्यार से शाज़िया की कमर और चुतड़ों पर अपना हाथ फेर रहा था. जब कि शाज़िया ज़ाहिद के जिस्म के नीचे लेटी हुई गहरे गहरे साँस लेती रही.
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद ने शाज़िया की फुद्दि से अपना मोटा और खड़ा हुआ लंड निकला. और अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ अपना मुँह रख कर अपनी बहन की ताज़ा ताज़ा चुदि हुई चूत का बगौर जायज़ा लेने लगा.
ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया की चूत उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से बेशक काफ़ी खुल गई थी.
लेकिन इस के बावजूद उस की बहन की चूत का गुलाबी पन अब तक मंद नही पड़ा था.
शाज़िया की फुद्दि के लब ज़ाहिद के मोटे और बड़े लंड को अपने अंदर लेने की वजह से फैल चुके थे.मगर अभी भी वो उस की चूत के गिर्द बड़ी ही खूबसूरती से फैले हुए थे.
अपनी बहन की फूली हुई चूत को देखते देखते ज़ाहिद ने अपना मुँह आगे बढ़ाया. और शाज़िया की गान्ड के सुराख के सामने अपना मुँह ला कर अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई भीनी भीनी खुशुबू को सूंघने लगा.
अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई महक ने ज़ाहिद के दिल-ओ-दिमाग़ को पागल कर दिया.
"वाह शाज़िया तुम्हारी गान्ड की खुशहू तो बहुत मस्त है मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी नाक के रास्ते अपने अंदर खैंचते हुए कहा.
शाज़िया के सबका शोहर ने कभी उस की गान्ड तो क्या चूत की तारीफ भी नही की थी. इसीलिए शाज़िया को अपने भाई के मुँह से अपनी गान्ड की महक की तारीफ सुन कर अच्छा लग रहा था.
कुछ देर तक अपनी बहन की गान्ड की महक सूंघने के बाद ज़ाहिद ने बिस्तर पर सीधी लेटी हुई अपनी बहन शाज़िया को करवट बदल कर लेटने का कहा.
अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने ज्यों ही करवट बदली तो उस की भारी गान्ड की बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ पीछे से उठ गईं.
जिस की वजह से शाज़िया की गान्ड में पोषीदा उस की गान्ड का ब्राउन सुराख ज़ाहिद की आँखों के सामने अपनी पूरी आबो-ताब से खुल कर सामने आ गया.
ज़ाहिद थोड़ी देर यूँ की आँखें फाड़ फाड़ कर खामोशी से अपनी बहन की कसी हुई गान्ड का दीदार करता रहा.
जब शाज़िया ने अपने पीछे लेटे हुए भाई की खामोशी को महसूस किया तो वो बोली”“आप इतनी खामोशी से क्या देख रहे हो भाई?”
“कुछ नही मैं बस तुम्हारी चौड़ी बुन्द (गान्ड) की खूबसूरती देख रहा हूँ जान” ज़ाहिद ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए शाज़िया को जवाब दिया.
“मेरी गान्ड में ऐसी क्या खास बात है तो आप इतने गौर से उसे देख रहे है भाई” अपने भाई से ये सवाल पूछते हुए शाज़िया मुस्कुरा दी.
“उफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ शाज़िया ये तुम्हारी मज़े दार गान्ड ही थी, जिस ने मुझे पहली ही नज़र में अपनी ही सग़ी बहन का दीवाना बना दिया था. हाईईईईई ऐसी मक्खन जैसी मुलायम और गदराई हुई गान्ड तो किसी किस्मत वाले मर्द को ही मिलती है” .ये कहते हुए ज़ाहिद अपने हाथ शाज़िया की भारी गान्ड के नीचे ले जा कर शाज़िया की गुदाज बुन्द (गान्ड) की पहाड़ियों को हाथ में ले कर दबाना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन की भारी पहाड़ियों को अपने हाथ से पकड़ कर खोला. तो शाज़िया की भारी गान्ड का कंवारा ब्राउन सुराख मज़ीद खुल कर ज़ाहिद की नज़रों के सामने आ गया.
अपनी बहन की गान्ड की इस बुन्द (क्लोज़) सुराख को देखते ही ज़ाहिद की आँखों में चुमक सी आ गई.और उस का लंड अपनी बहन की अन चुदि गान्ड की सील फाड़ ने के लिए बे ताब हो गया.
ज़ाहिद ने अपनी एक उंगली अपने मुँह में डाल कर उसे अपने थूक से अच्छी तरह गीला किया. और फिर अपने थूक से गीली उंगली को अपने मुँह से निकाल कर अपनी बहन की गान्ड के छेद को दुबारा सहलाया.
अपने भाई की उंगली को अपनी भारी और कंवारी गान्ड के सुराख कर महसूस करते ही शाज़िया फिर तड़प उठी.
ज़ाहिद ने अपने हाथ से अपनी बहन की गान्ड की एक पहाड़ियों को हाथ से छेड़ते हुए बहुत आहीस्तगी से थूक से तर अपनी उंगली को अपनी बहन की गान्ड के सुराख में डाल कर हल्का सा पुश किया.
अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया तो उछल पड़ी “ हाइी भाई आप को पहले भी कहा है कि यहाँ नही प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज”.
“उधर क्यों नही जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन को छेड़ते हुआ पूछा.
“इसीलिए कि मेने कभी इधर कभी नही करवाया भाई” शाज़िया ने अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपनी गान्ड के सुराख से ज़ाहिद की उंगली को हटा दिया.
“शाज़िया तुम को पता है कि सुहाग रात में एक शोहर अपनी बीवी से हमेशा उस की कंवारी चूत हासिल करने की तवक्को रखता है, अब तुम्हारी चूत तो कंवारी नही रही, मगर कोई बात नही में आज ज़रूर तुम्हारी कंवारी गान्ड में ही अपना लंड डाल कर सुहाग रात में सील तोड़ने वाली रसम तो पूरा करूँगा जानू” ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए अपने इरादे अपनी बहन के सामने ज़ाहिर कर दिए.
“नही भाई आप जानते हैं कि आप के मोटे लंड ने मेरी पहले से चुदि हुई फुददी की क्या हालत की है.और अब आप मेरी कंवारी गान्ड को भी फाड़ देना चाहते हैं?” अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया घबड़ाहट में बोल उठी.
“फिकर ना करो जान मैं तुम को आज तुम्हारी गान्ड मार का वो मज़ा दूँगा जिस का तुम ने कभी जिंदगी में तसव्वुर भी नही किया हो गा” ये कहते हुए ज़ाहिद नीचे झुका. और शाज़िया की गान्ड के पीछे लेट कर अपनी बहन की गुदाज और मोटी गान्ड की पहाड़ियों को अपने होंठो से चूमने और चाटने लगा.
.
“अहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” अपने भाई की गरम ज़ुबान को अपनी गान्ड की पहाड़ियों पर फिसलता हुआ पा कर शाज़िया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लग गईं.
ज़ाहिद पागलों की तरह अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों को अपने दाँतों से काट रहा था.
थोड़ी देर अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों पर अपनी ज़ुबान फिराने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया को घोड़ी बनने को कहा.
तो शाज़िया अपने भाई की बात पर अमल करते हुए अपनी कोहनियो के बल उल्टी लेट कर घोड़ी बनते हुए बिस्तर पर लेट गई.
शाज़िया के इस तरह लेटने से उस की भारी और चौड़ी गान्ड पीछे से पूरी तरह हवा में उठ गई.
अपने भाई के प्यार का ये वलिहाना अंदाज़ देख कर शाज़िया ने भी फेरते जज़्बात से अपना एक बाज़ू ज़ाहिद की गर्दन के गिर्द लपेट लिया. जब कि उस का दूसरा हाथ उस के भाई की सख़्त और चौड़ी छाती पर रेंगने लगा.
अपनी बहन को यूँ अपने साथ चिमटा देख कर ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया को चुदाई का ये तरीका अच्छा लगा है.
इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनो हाथों से अपनी बहन की गुदाज रानों को थाम कर शाज़िया के बाहरी जिस्म को एक मोम की गुड़िया समझ कर हवा में उछाल उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दि में अपना पूरा लंड डालना शुरू कर दिया.
अपने भाई की इस चुदाई से शाज़िया को भी मज़ा आने लगा.और वो भी अपने मोटे मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर अपने भाई का मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी.
शाज़िया की चूत ज़ाहिद की पहली चुदाइ के दौरान छोड़े हुए पानी की वजह से पहले की काफ़ी गीली हो चुकी थी.
इसीलिए उस की फुद्दि अब ज़ाहिद के हर हर धक्के पर फ़च्छाक फ़च्छाक की आवाज़ निकाल कर कमरे के माहौल में एक निहायत माशूक किस्म की मौशिकि (म्यूज़िक) पैदा कर रही थी.
“ऊऊओिईई ज़ाहिद भाई, अह्ह्ह्ह्ह्ह,ऐसा मज़ा तो मुझ है कभी भी नही आया मेरे राजा,अह्ह्ह्ह,मैं शायद छूटने वाली हूँ ज़ाहिद भाई अह्ह्ह्ह” कहते हुए शाज़िया ने अपनी फुद्दि का पानी छोड़ दिया.
ज्यों ही शाज़िया फारिग हुई.तो शाज़िया की गीली चूत से पानी बह बह कर ज़ाहिद के लंड के साथ साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर गया.
कोई 15, 20 सेकेंड्स तक शाज़िया के जिस्म को झटके लगते रहे.और फिर वो निढाल हो कर ज़ाहिद के बाजुओं में ही झूल गई.
ज़ाहिद समझ गया कि शाज़िया इस वक़्त चूत (ऑर्गॅज़म) गई है. इसीलिए ज़ाहिद ने आहिस्ता से अपनी बहन को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया. और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया.
ज़ाहिद चूँकि अभी तक फारिग नही हुआ था . इसीलिए उस का लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा शाज़िया की चूत में घुस कर खड़ा था.
ज़ाहिद अपनी बहन के जिस्म के ऊपर लेटा बहुत प्यार से शाज़िया की कमर और चुतड़ों पर अपना हाथ फेर रहा था. जब कि शाज़िया ज़ाहिद के जिस्म के नीचे लेटी हुई गहरे गहरे साँस लेती रही.
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद ने शाज़िया की फुद्दि से अपना मोटा और खड़ा हुआ लंड निकला. और अपनी बहन की टाँगों के दरमियाँ अपना मुँह रख कर अपनी बहन की ताज़ा ताज़ा चुदि हुई चूत का बगौर जायज़ा लेने लगा.
ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन शाज़िया की चूत उस की जबर्जस्त चुदाई की वजह से बेशक काफ़ी खुल गई थी.
लेकिन इस के बावजूद उस की बहन की चूत का गुलाबी पन अब तक मंद नही पड़ा था.
शाज़िया की फुद्दि के लब ज़ाहिद के मोटे और बड़े लंड को अपने अंदर लेने की वजह से फैल चुके थे.मगर अभी भी वो उस की चूत के गिर्द बड़ी ही खूबसूरती से फैले हुए थे.
अपनी बहन की फूली हुई चूत को देखते देखते ज़ाहिद ने अपना मुँह आगे बढ़ाया. और शाज़िया की गान्ड के सुराख के सामने अपना मुँह ला कर अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई भीनी भीनी खुशुबू को सूंघने लगा.
अपनी बहन की गान्ड से निकलती हुई महक ने ज़ाहिद के दिल-ओ-दिमाग़ को पागल कर दिया.
"वाह शाज़िया तुम्हारी गान्ड की खुशहू तो बहुत मस्त है मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन की गान्ड की महक को अपनी नाक के रास्ते अपने अंदर खैंचते हुए कहा.
शाज़िया के सबका शोहर ने कभी उस की गान्ड तो क्या चूत की तारीफ भी नही की थी. इसीलिए शाज़िया को अपने भाई के मुँह से अपनी गान्ड की महक की तारीफ सुन कर अच्छा लग रहा था.
कुछ देर तक अपनी बहन की गान्ड की महक सूंघने के बाद ज़ाहिद ने बिस्तर पर सीधी लेटी हुई अपनी बहन शाज़िया को करवट बदल कर लेटने का कहा.
अपने भाई के कहने पर शाज़िया ने ज्यों ही करवट बदली तो उस की भारी गान्ड की बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ पीछे से उठ गईं.
जिस की वजह से शाज़िया की गान्ड में पोषीदा उस की गान्ड का ब्राउन सुराख ज़ाहिद की आँखों के सामने अपनी पूरी आबो-ताब से खुल कर सामने आ गया.
ज़ाहिद थोड़ी देर यूँ की आँखें फाड़ फाड़ कर खामोशी से अपनी बहन की कसी हुई गान्ड का दीदार करता रहा.
जब शाज़िया ने अपने पीछे लेटे हुए भाई की खामोशी को महसूस किया तो वो बोली”“आप इतनी खामोशी से क्या देख रहे हो भाई?”
“कुछ नही मैं बस तुम्हारी चौड़ी बुन्द (गान्ड) की खूबसूरती देख रहा हूँ जान” ज़ाहिद ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए शाज़िया को जवाब दिया.
“मेरी गान्ड में ऐसी क्या खास बात है तो आप इतने गौर से उसे देख रहे है भाई” अपने भाई से ये सवाल पूछते हुए शाज़िया मुस्कुरा दी.
“उफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ शाज़िया ये तुम्हारी मज़े दार गान्ड ही थी, जिस ने मुझे पहली ही नज़र में अपनी ही सग़ी बहन का दीवाना बना दिया था. हाईईईईई ऐसी मक्खन जैसी मुलायम और गदराई हुई गान्ड तो किसी किस्मत वाले मर्द को ही मिलती है” .ये कहते हुए ज़ाहिद अपने हाथ शाज़िया की भारी गान्ड के नीचे ले जा कर शाज़िया की गुदाज बुन्द (गान्ड) की पहाड़ियों को हाथ में ले कर दबाना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद ने बड़े प्यार से अपनी बहन की भारी पहाड़ियों को अपने हाथ से पकड़ कर खोला. तो शाज़िया की भारी गान्ड का कंवारा ब्राउन सुराख मज़ीद खुल कर ज़ाहिद की नज़रों के सामने आ गया.
अपनी बहन की गान्ड की इस बुन्द (क्लोज़) सुराख को देखते ही ज़ाहिद की आँखों में चुमक सी आ गई.और उस का लंड अपनी बहन की अन चुदि गान्ड की सील फाड़ ने के लिए बे ताब हो गया.
ज़ाहिद ने अपनी एक उंगली अपने मुँह में डाल कर उसे अपने थूक से अच्छी तरह गीला किया. और फिर अपने थूक से गीली उंगली को अपने मुँह से निकाल कर अपनी बहन की गान्ड के छेद को दुबारा सहलाया.
अपने भाई की उंगली को अपनी भारी और कंवारी गान्ड के सुराख कर महसूस करते ही शाज़िया फिर तड़प उठी.
ज़ाहिद ने अपने हाथ से अपनी बहन की गान्ड की एक पहाड़ियों को हाथ से छेड़ते हुए बहुत आहीस्तगी से थूक से तर अपनी उंगली को अपनी बहन की गान्ड के सुराख में डाल कर हल्का सा पुश किया.
अपने भाई की इस हरकत से शाज़िया तो उछल पड़ी “ हाइी भाई आप को पहले भी कहा है कि यहाँ नही प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज”.
“उधर क्यों नही जान” ज़ाहिद ने अपनी बहन को छेड़ते हुआ पूछा.
“इसीलिए कि मेने कभी इधर कभी नही करवाया भाई” शाज़िया ने अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपनी गान्ड के सुराख से ज़ाहिद की उंगली को हटा दिया.
“शाज़िया तुम को पता है कि सुहाग रात में एक शोहर अपनी बीवी से हमेशा उस की कंवारी चूत हासिल करने की तवक्को रखता है, अब तुम्हारी चूत तो कंवारी नही रही, मगर कोई बात नही में आज ज़रूर तुम्हारी कंवारी गान्ड में ही अपना लंड डाल कर सुहाग रात में सील तोड़ने वाली रसम तो पूरा करूँगा जानू” ज़ाहिद ने मुस्कराते हुए अपने इरादे अपनी बहन के सामने ज़ाहिर कर दिए.
“नही भाई आप जानते हैं कि आप के मोटे लंड ने मेरी पहले से चुदि हुई फुददी की क्या हालत की है.और अब आप मेरी कंवारी गान्ड को भी फाड़ देना चाहते हैं?” अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया घबड़ाहट में बोल उठी.
“फिकर ना करो जान मैं तुम को आज तुम्हारी गान्ड मार का वो मज़ा दूँगा जिस का तुम ने कभी जिंदगी में तसव्वुर भी नही किया हो गा” ये कहते हुए ज़ाहिद नीचे झुका. और शाज़िया की गान्ड के पीछे लेट कर अपनी बहन की गुदाज और मोटी गान्ड की पहाड़ियों को अपने होंठो से चूमने और चाटने लगा.
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“अहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” अपने भाई की गरम ज़ुबान को अपनी गान्ड की पहाड़ियों पर फिसलता हुआ पा कर शाज़िया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लग गईं.
ज़ाहिद पागलों की तरह अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों को अपने दाँतों से काट रहा था.
थोड़ी देर अपनी बहन की गान्ड की पहाड़ियों पर अपनी ज़ुबान फिराने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया को घोड़ी बनने को कहा.
तो शाज़िया अपने भाई की बात पर अमल करते हुए अपनी कोहनियो के बल उल्टी लेट कर घोड़ी बनते हुए बिस्तर पर लेट गई.
शाज़िया के इस तरह लेटने से उस की भारी और चौड़ी गान्ड पीछे से पूरी तरह हवा में उठ गई.