hotaks444
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बाहर पंजाबी सूट में उसकी बीवी शिखा खड़ी थी , उसने उसके हाथ चाभी थमाते कहा "मैं मंदिर जा रही हूँ"
"सुनो बाहर से ज़रा पॉपकॉर्न , सॉल्टेड काजू और पीनिट्स ले आना" उसने हुकुम दिया "ये लो पैसे" उसने 1000 का नोट शिखा को दिया
"ठीक है" कह कर वह अपनी चुन्नी संभालते हुए नीचे गयी
"अमन मैने कुछ चखना मँगवाया है" उसने मेरी ओर मूड कर कहा
"अरे राजन जी मेरे पास कुछ नमकीन है अपने क्यों तकलीफ़ की" मैने कहा
"इट्स ओक यार" वह बोला "अब मॅच का माहौल है रत 10 बजे दूसरा मॅच है , इफ़ यू डॉन'त माइंड"
"अरे राजन जी प्लीज़...मैं भी फुटबॉल का शौकीन हूँ"
रात के 8 बाज चुके थे डोर बेल बाजी राजन ने दरवाज़ा खोला उसकी बीवी शिखा चखना ले आई थी
"तुम घर जाओ में बाद में आता हूँ" उसने समान लेते कहा
"खाना तो खा लीजिए" उसने कहा
"खाना तुमने बना लिया क्या?" उसने सवाल किया
"सुबह का है , गर्म कर देती हूँ" उसने कहा
"तुम ही खाओ , सुबह का खाना" उसने नाराज़ होते कहा
"मैं सब्जी बना देती हूँ.. थोड़ा रुकिये" उसने राजन को मनाते कहा
"ठीक है जब खाना रेडी हो जाए मुझे आवाज़ दे देना , मैं यहीं मॅच देख रहा हूँ" उसने कहा
"ठीक है" शिखा बोली और दरवाज़ा खोल कर अपने घर चली गयी.
"ये सला राजन तो हरामी है , इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर ये चूतिया मॅच देख रहा है" मैने सोचा
राजन मेरे सामने बैठते हुए बोला "सॉरी अमन , ये बीवियाँ भी यू नो ज़रा भी प्राइवसी नही देती"
"आइ कॅन अंडरस्टॅंड" मैने मुस्कुराते कहा
"क्या बीवियाँ इतनी पस्सेसिव होती हैं?" मैने पूछा
उसने मेरी और देखा "आइ आम सॉरी राजन" मैने बात को समहालते कहा
"अरे डॉन'त बी फॉर्मल" उसने हंसते कहा "शादी के बाद तो बीवी जीना हराम कर देती है"
"हा हा हा" मैने हंसते हुए कहा की मेरे फोन की रिंग बाजी
"एक्सकूज़ मी" मैने कहा और फोन ले कर गॅलरी में आ गया
मैने फोन पर बात करते हुए देखा , साइड के गॅलरी में शिखा भी फोन पर किसी से बात कर रही थी,
मैने देखा उसकी साइड ही चाँदनी खिली थी , पूनम का चाँद आसमान में अपनी चाँदनी बिखेर रहा था.
मैं कान दे कर उसकी बातें सुनने लगा
"हां मा , मैं मंदिर जा कर आई ..नही राजन नही आए वो टीवी पर मॅच देख रहे थे...मा उनको क्या पता गुरु पूर्णिमा
के बारे में"
वह शायद अपनी मा से बात कर रही थी
"हाँ मा मैं नवमी की दिन उपवास करूँगी और रात में राजन के साथ...."
उसने मुझे बाल्कनी में उसकी ओर देखते हुए पाया , वह अंदर चली गयी
"शिट साला " मैं अपने आप से बोला "उसको देखने का चान्स चला गया"
मैं वापस ड्रॉयिंग रूम में आया , राजन चखने का पॅकेट खोल चुका था . मुझे गॅलरी से ड्रॉयिंग रूम में आते देख राजन बोला
"अरे अमन जी आइए सुअरेज़ ने क्या गोल किया है मज़ा आ गया"
"आज तो जर्मनी की हालत पतली लगती है"
"देखते हैं अभी तो 10 मिनिट बाकी हैं" राजन ने टीवी देखते कहा
मॅच अब एकदम रोचक मोड़ पर आ चुका था कि बत्ती गुल हो गयी
"शीट" हम दोनो एकसाथ चिल्ला उठे. एक तो लाइट चली गयी और शिखा को ताकने का चान्स जाने की वजेह से मेरा मूड खराब हो गया था , मैं अपनी किस्मत को कोस रहा था की अंधेरे में चौखट पर मुझे कोई खड़ा दिखाई दिया.
"खाना बन गया है , चलिए" ये शिखा थी अपने पति राजन को बुला रही थी.
"तुम चलो मैं आता हूँ" राजन ने कहा , शिखा जाने को मूडी "अरे अमन जी आप भी आइए ना" राजन ने कहा
"नो थॅंक्स राजन जी..में कुछ ऑर्डर कर लूँगा आप तकलीफ़ ना कीजिए" मैने कहा
"नो वे अमन जी...आज तो आपको हमारे घर चलना ही होगा" राजन ने इन्सिस्ट किया तो मैं राज़ी हो गया.
हम उनके घर पंहुचे , में ड्रॉयिंग रूम में बैठा मग से बियर पी रहा था`, राजन् ने बियर उसके घर ले चलने के लिए कहा था हालाँकि शिखा को यह बात पसंद नही आई.
राजन मेरे सामने आ बैठा और हममे इधर उधर की बातें हो रही थी , खाना लगने में थोड़ा टाइम था कि राजन को किसी का फोन आया वह फोन रिसीव करने गॅलरी गया.
शिखा इतने में सूप ले आई और बोल मेरे सामने रखा
"ये कहाँ गये?" उसने पूछा
"उन्हे फोन आया था" मैने जवाब दिया
"मैं अभी आती हूँ " कहकर वो जाने को मूडी की इतने में राजन वापस आया
"मैं आपको ढूँढरही थी कहाँ गये थे" उसने राजन से पूछा
"ऑफीस से फोन आया था , ख़ान को फाइल देनी है मैं ऑफीस में में देना भूल गया" राजन ने जूते पहनते कहा
"खाना खा कर जाइए , खाना रेडी है" शिखा ने उसे कहा
"नही ज़रा अर्जेंट है मैं ख़ान को फाइल दे कर आता हूँ" राजन ने कहा "अमन जी प्लीज़ डॉन'त माइंड मैं अभी 15 मिनिट में आया" राजन ने मुझसे कहा और चला गया
शिखा उसको यूँ जाते हुए देखती रही , उसकी आँखों में आँसू भर आए.
"एनी प्राब्लम?" मैने बियर पीते कहा "शिखा जी?"
वह मेरी ओर मूड कर बोली "नतिंग" उसने मेरे हाथ में बियर का मग देखा और गुस्से से बोली
"यह ब्राह्मण का घर है यहाँ यह सब नही चलेगा"
"ओह आइ अम सॉरी" मैने माफी माँगते हुए कहा "लेकिन मुझे तो आप के पति ही लेकर आए और वह भी तो पी रहे थे" मैने मग टेबल पर रखते कहा
"वो सब मैं नही जानती , वो आपके यहाँ पी रहे थे आप जाने , यहाँ में रोज पूजा पाठ करती हूँ ये सब नही चलेगा"
उसने मुझे सुनाते कहा
"ओक शिखा जी अब चलूँगा" इतनी बेइज़्ज़ती के बाद अब वहाँ मुझे रुकने की इच्छा नही थी
"खाना खा कर जाइएएगा" शिखा ने कहा
"नो थॅंक्स , मैं तो आना ही नही छ्च रहा था आपके पति ने ज़ोर दिया" मैने उसको जवाब दिया
"देखिए" उसने कहा "आपको समझना चाहिए की आपका मेरे पति के साथ उतना बैठना मुझे पसंद नही"
"क्यों?" मैने हैरत से पूछा
"आप उन्हे गंदी आदतें लगा रहे हैं" उसने कहा
"राजन क्या इतना मासूम है जो अपना भला बुरा ना जनता हो?" मैने पूछा
"आप उन्हे शराब की लत क्यों लगा रहे हैं?" उसने बात को बदलते कहा
"वो खुद शराब पीने घर आया था मेरे" मैने कहा
"ग़लत वो सिर्फ़ मॅच देखने आए थे शराब अपनी पिलाई" उसने कहा
"मॅच सिर्फ़ बहाना था असल में उसको शराब ही पीने थी" मैने तर्क लाढ़ाया
"आप कहना क्या चाहते हैं?" उसने ज़रा गुस्से से पूछा
"यही की आपके पति शराब पीते हैं , मच्योर हैं अपना भला बुरा समझते हैं और मैं उन्हे कोई बुरी आदत नही लगा रहा" मैं एक सांस में कह गया
"फिर वो आपके यहाँ क्यों पड़े रहते हैं वीकेंड में?" उसने सवाल पूछा
"सुनो बाहर से ज़रा पॉपकॉर्न , सॉल्टेड काजू और पीनिट्स ले आना" उसने हुकुम दिया "ये लो पैसे" उसने 1000 का नोट शिखा को दिया
"ठीक है" कह कर वह अपनी चुन्नी संभालते हुए नीचे गयी
"अमन मैने कुछ चखना मँगवाया है" उसने मेरी ओर मूड कर कहा
"अरे राजन जी मेरे पास कुछ नमकीन है अपने क्यों तकलीफ़ की" मैने कहा
"इट्स ओक यार" वह बोला "अब मॅच का माहौल है रत 10 बजे दूसरा मॅच है , इफ़ यू डॉन'त माइंड"
"अरे राजन जी प्लीज़...मैं भी फुटबॉल का शौकीन हूँ"
रात के 8 बाज चुके थे डोर बेल बाजी राजन ने दरवाज़ा खोला उसकी बीवी शिखा चखना ले आई थी
"तुम घर जाओ में बाद में आता हूँ" उसने समान लेते कहा
"खाना तो खा लीजिए" उसने कहा
"खाना तुमने बना लिया क्या?" उसने सवाल किया
"सुबह का है , गर्म कर देती हूँ" उसने कहा
"तुम ही खाओ , सुबह का खाना" उसने नाराज़ होते कहा
"मैं सब्जी बना देती हूँ.. थोड़ा रुकिये" उसने राजन को मनाते कहा
"ठीक है जब खाना रेडी हो जाए मुझे आवाज़ दे देना , मैं यहीं मॅच देख रहा हूँ" उसने कहा
"ठीक है" शिखा बोली और दरवाज़ा खोल कर अपने घर चली गयी.
"ये सला राजन तो हरामी है , इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर ये चूतिया मॅच देख रहा है" मैने सोचा
राजन मेरे सामने बैठते हुए बोला "सॉरी अमन , ये बीवियाँ भी यू नो ज़रा भी प्राइवसी नही देती"
"आइ कॅन अंडरस्टॅंड" मैने मुस्कुराते कहा
"क्या बीवियाँ इतनी पस्सेसिव होती हैं?" मैने पूछा
उसने मेरी और देखा "आइ आम सॉरी राजन" मैने बात को समहालते कहा
"अरे डॉन'त बी फॉर्मल" उसने हंसते कहा "शादी के बाद तो बीवी जीना हराम कर देती है"
"हा हा हा" मैने हंसते हुए कहा की मेरे फोन की रिंग बाजी
"एक्सकूज़ मी" मैने कहा और फोन ले कर गॅलरी में आ गया
मैने फोन पर बात करते हुए देखा , साइड के गॅलरी में शिखा भी फोन पर किसी से बात कर रही थी,
मैने देखा उसकी साइड ही चाँदनी खिली थी , पूनम का चाँद आसमान में अपनी चाँदनी बिखेर रहा था.
मैं कान दे कर उसकी बातें सुनने लगा
"हां मा , मैं मंदिर जा कर आई ..नही राजन नही आए वो टीवी पर मॅच देख रहे थे...मा उनको क्या पता गुरु पूर्णिमा
के बारे में"
वह शायद अपनी मा से बात कर रही थी
"हाँ मा मैं नवमी की दिन उपवास करूँगी और रात में राजन के साथ...."
उसने मुझे बाल्कनी में उसकी ओर देखते हुए पाया , वह अंदर चली गयी
"शिट साला " मैं अपने आप से बोला "उसको देखने का चान्स चला गया"
मैं वापस ड्रॉयिंग रूम में आया , राजन चखने का पॅकेट खोल चुका था . मुझे गॅलरी से ड्रॉयिंग रूम में आते देख राजन बोला
"अरे अमन जी आइए सुअरेज़ ने क्या गोल किया है मज़ा आ गया"
"आज तो जर्मनी की हालत पतली लगती है"
"देखते हैं अभी तो 10 मिनिट बाकी हैं" राजन ने टीवी देखते कहा
मॅच अब एकदम रोचक मोड़ पर आ चुका था कि बत्ती गुल हो गयी
"शीट" हम दोनो एकसाथ चिल्ला उठे. एक तो लाइट चली गयी और शिखा को ताकने का चान्स जाने की वजेह से मेरा मूड खराब हो गया था , मैं अपनी किस्मत को कोस रहा था की अंधेरे में चौखट पर मुझे कोई खड़ा दिखाई दिया.
"खाना बन गया है , चलिए" ये शिखा थी अपने पति राजन को बुला रही थी.
"तुम चलो मैं आता हूँ" राजन ने कहा , शिखा जाने को मूडी "अरे अमन जी आप भी आइए ना" राजन ने कहा
"नो थॅंक्स राजन जी..में कुछ ऑर्डर कर लूँगा आप तकलीफ़ ना कीजिए" मैने कहा
"नो वे अमन जी...आज तो आपको हमारे घर चलना ही होगा" राजन ने इन्सिस्ट किया तो मैं राज़ी हो गया.
हम उनके घर पंहुचे , में ड्रॉयिंग रूम में बैठा मग से बियर पी रहा था`, राजन् ने बियर उसके घर ले चलने के लिए कहा था हालाँकि शिखा को यह बात पसंद नही आई.
राजन मेरे सामने आ बैठा और हममे इधर उधर की बातें हो रही थी , खाना लगने में थोड़ा टाइम था कि राजन को किसी का फोन आया वह फोन रिसीव करने गॅलरी गया.
शिखा इतने में सूप ले आई और बोल मेरे सामने रखा
"ये कहाँ गये?" उसने पूछा
"उन्हे फोन आया था" मैने जवाब दिया
"मैं अभी आती हूँ " कहकर वो जाने को मूडी की इतने में राजन वापस आया
"मैं आपको ढूँढरही थी कहाँ गये थे" उसने राजन से पूछा
"ऑफीस से फोन आया था , ख़ान को फाइल देनी है मैं ऑफीस में में देना भूल गया" राजन ने जूते पहनते कहा
"खाना खा कर जाइए , खाना रेडी है" शिखा ने उसे कहा
"नही ज़रा अर्जेंट है मैं ख़ान को फाइल दे कर आता हूँ" राजन ने कहा "अमन जी प्लीज़ डॉन'त माइंड मैं अभी 15 मिनिट में आया" राजन ने मुझसे कहा और चला गया
शिखा उसको यूँ जाते हुए देखती रही , उसकी आँखों में आँसू भर आए.
"एनी प्राब्लम?" मैने बियर पीते कहा "शिखा जी?"
वह मेरी ओर मूड कर बोली "नतिंग" उसने मेरे हाथ में बियर का मग देखा और गुस्से से बोली
"यह ब्राह्मण का घर है यहाँ यह सब नही चलेगा"
"ओह आइ अम सॉरी" मैने माफी माँगते हुए कहा "लेकिन मुझे तो आप के पति ही लेकर आए और वह भी तो पी रहे थे" मैने मग टेबल पर रखते कहा
"वो सब मैं नही जानती , वो आपके यहाँ पी रहे थे आप जाने , यहाँ में रोज पूजा पाठ करती हूँ ये सब नही चलेगा"
उसने मुझे सुनाते कहा
"ओक शिखा जी अब चलूँगा" इतनी बेइज़्ज़ती के बाद अब वहाँ मुझे रुकने की इच्छा नही थी
"खाना खा कर जाइएएगा" शिखा ने कहा
"नो थॅंक्स , मैं तो आना ही नही छ्च रहा था आपके पति ने ज़ोर दिया" मैने उसको जवाब दिया
"देखिए" उसने कहा "आपको समझना चाहिए की आपका मेरे पति के साथ उतना बैठना मुझे पसंद नही"
"क्यों?" मैने हैरत से पूछा
"आप उन्हे गंदी आदतें लगा रहे हैं" उसने कहा
"राजन क्या इतना मासूम है जो अपना भला बुरा ना जनता हो?" मैने पूछा
"आप उन्हे शराब की लत क्यों लगा रहे हैं?" उसने बात को बदलते कहा
"वो खुद शराब पीने घर आया था मेरे" मैने कहा
"ग़लत वो सिर्फ़ मॅच देखने आए थे शराब अपनी पिलाई" उसने कहा
"मॅच सिर्फ़ बहाना था असल में उसको शराब ही पीने थी" मैने तर्क लाढ़ाया
"आप कहना क्या चाहते हैं?" उसने ज़रा गुस्से से पूछा
"यही की आपके पति शराब पीते हैं , मच्योर हैं अपना भला बुरा समझते हैं और मैं उन्हे कोई बुरी आदत नही लगा रहा" मैं एक सांस में कह गया
"फिर वो आपके यहाँ क्यों पड़े रहते हैं वीकेंड में?" उसने सवाल पूछा