hotaks444
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फ्रेंड्स ये कहानी अशोक ने दूसरे फोरम मे लिखी है और अभी रन्निंग कन्डीशन मे है
सौतेला बाप
लेखक- अशोक
ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली माँ-बेटी की
माँ का नाम है रश्मि , उम्र 38 साल , भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी
और उसकी बेटी काव्या, 12th में पड़ने वाली , उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं , पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं
काव्या जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ रश्मि ने उसे अपने पास बिठा लिया.
वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ रश्मि को काव्या ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.
अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे - तैसे चल रहा था , वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती .. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.
पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे , वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव काव्या को काफी अच्छे लग रहे थे.
काव्या के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती...
पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर काव्या के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है , सिर्फ 12th में पड़ने वाली काव्या भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.
काव्या : "क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !! ''
रश्मि : "काव्या , वो .... मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी ''
काव्या : "हां मॉम बोलो न "
रश्मि थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : "मैं शादी कर रही हु ''
रश्मि कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो काव्या को समझ नहीं आया कि वो क्या करे
उसकी माँ शादी कर रही है , इस उम्र में..
38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है , ऐसा कैसे कर सकती है वो..
पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है , वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा ,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..
उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : "वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ , कौन है वो , मेरा मतलब , मेरे होने वाले पापा , किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो , कैसे डिसाईड किया आपने ये सब , बताओ न ??''
काव्या के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर रश्मि ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर रश्मि के सर से एक बोझ उतार दिया था..
रश्मि ने बताना शुरू किया
"देख काव्या , तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक समीर सर कि वजह से, उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है , उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है , थेंक्स बेटा …''
और फिर माँ काव्या से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी..
और काव्या अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी,
उसने भी देखा था समीर सर को , करीब 45 कि उम्र थी उनकी, उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था काव्या ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में काव्या अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में , और रहने वाला सिर्फ एक .
काव्या से मिलते हुए भी समीर सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही काव्या को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था.
पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी , वो भी नए -२ फेशन करेगी , शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह..
और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली श्वेता का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी
उसने अपनी माँ से कहा : "माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात श्वेता को बताकर आती हु ''
इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी
श्वेता के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे.
जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे विक्की आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा काव्या को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था
विक्की : "हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर ''
उसका इशारा काव्या के नुकीले निप्पलस कि तरफ था
काव्या वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : "जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते ''
हमेशा चुप रहने वाली काव्या के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्की भी हैरान रह गया , वो कुछ बोल पता इससे पहले ही काव्या वहाँ से निकल गयी
श्वेता के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली
श्वेता अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था , पर वो थी अब तक कुंवारी
श्वेता भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या - २ होगा आने वाले दिनों में ।
काव्या के जाने के बाद रश्मि आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी , जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था, रश्मि को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता
वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी
उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया , और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से
पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : "ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो , ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा ''
सौतेला बाप
लेखक- अशोक
ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली माँ-बेटी की
माँ का नाम है रश्मि , उम्र 38 साल , भरा हुआ शरीर, गोरी-चिट्टी
और उसकी बेटी काव्या, 12th में पड़ने वाली , उम्र **, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए हैं , पर इसके लम्बे निप्पल दूर से ही दिख जाते हैं
काव्या जैसी ही स्कूल से घर आयी, उसकी माँ रश्मि ने उसे अपने पास बिठा लिया.
वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना माँ-बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योकि अपनी माँ रश्मि को काव्या ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था.
अपने पिता को पांच साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी माँ को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम-सुम सी रहती थी, पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस कोर्डिनेटर कि जॉब मिल गयी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे - तैसे चल रहा था , वो घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती .. बस यही दिनचर्या थी उसकी माँ कि.
पर पिछले कुछ दिनों से उनमे काफी बदलाव आये थे , वो थोडा सज धज कर ऑफिस जाने लगी थी, गाने भी गुनगुनाती रहती थी, हंसने भी लगी थी और ये सारे बदलाव काव्या को काफी अच्छे लग रहे थे.
काव्या के स्कूल से आने के बाद दोनों माँ बेटी घंटो एक दूसरे से गप्पे मारती...
पर आज फिर से अपनी माँ को परेशान देखकर काव्या के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं है.
वैसे प्रॉब्लम दूर करने कि उसकी खुद कि कोई उम्र नहीं है , सिर्फ 12th में पड़ने वाली काव्या भला अपनी माँ कि परेशानियों को कैसे दूर करेगी.
काव्या : "क्या हुआ मॉम ?? आप इतनी परेशान क्यों हो !! ''
रश्मि : "काव्या , वो .... मुझे तुझसे एक जरुरी बात करनी थी ''
काव्या : "हां मॉम बोलो न "
रश्मि थोड़ी देर तक चुप रही और फिर एकदम से बोली : "मैं शादी कर रही हु ''
रश्मि कि बात सुनकर थोड़ी देर तक तो काव्या को समझ नहीं आया कि वो क्या करे
उसकी माँ शादी कर रही है , इस उम्र में..
38 कि उम्र वैसे तो ज्यादा नहीं होती पर उनकी एक जवान बेटी है , ऐसा कैसे कर सकती है वो..
पर फिर उसने अपनी माँ के नजरिये से सोचा, अभी तो उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी है , वो खुद एक दिन पराये घर चली जायेगी, फिर पीछे से उसकी माँ का ध्यान कौन रखेगा ,इस बात कि चिंता तो हमेशा उसे रहती थी और जब आज उसका समाधान सामने आया है तो वो ऐसे क्यों बिहेव कर रही है..
उसने सारी नेगेटिव बातों को अपने सर से झटक दिया और चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाते हुए बोली : "वाव, ये तो बहुत अच्छी बात है माँ , कौन है वो , मेरा मतलब , मेरे होने वाले पापा , किससे शादी कर रही हो, कब कर रही हो , कैसे डिसाईड किया आपने ये सब , बताओ न ??''
काव्या के चेहरे पर आयी ख़ुशी और इतने सारे सवाल और उसकी उत्सुक्तता देखकर रश्मि ने चैन कि सांस ली, वो डर रही थी कि उसकी बेटी क्या सोचेगी अपनी माँ के बारे में, पर उसने समझदारी से उसकी बात समझकर रश्मि के सर से एक बोझ उतार दिया था..
रश्मि ने बताना शुरू किया
"देख काव्या , तू तो जानती है, तेरे पापा के जाने के बाद से हमारे घर कि हालत कैसी थी, अगर मुझे उसी कम्पनी में ये नौकरी न मिली होती तो शायद हमारी हालत इससे भी बुरी होती, तेरा स्कूल, घर का खर्च, कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता, और ये सब हुआ है कंपनी के मालिक समीर सर कि वजह से, उन्होंने अगर सही समय पर सहारा नहीं दिया होता तो आज ये सब नहीं होता, और पिछले हफ्ते ही उन्होंने मुझसे शादी करने कि बात कही है , उनका तलाक हो चूका है, और वो अपने घर पर अकेले रहते है, पर मैंने उन्हें साफ़ कह दिया था कि जब तक मेरी बेटी इस शादी के लिए राजी नहीं होगी, मैं ये शादी नहीं करुँगी, पर आज तूने अपनी सहमति जताकर मेरे सर से इतना बड़ा बोझ उतार दिया है , थेंक्स बेटा …''
और फिर माँ काव्या से लिपट कर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए सुबकने लगी..
और काव्या अपनी माँ कि बाते सुनने के बाद अपनी आँखे चौड़ी करके आपने वाले दिनों के सपने बुनने लगी,
उसने भी देखा था समीर सर को , करीब 45 कि उम्र थी उनकी, उन्हें हँसते हुए कभी नहीं देखा था काव्या ने, हमेशा सीरियस रहते थे, एक बार उनके घर में हुई पार्टी में काव्या अपनी माँ के साथ उनके बंगले पर गयी थी, इतना आलिशान घर उसने सिर्फ फिल्मो में ही देखा था, घर के पीछे कि तरफ स्विमिंग पूल भी था, और लगभग दस कमरे थे पुरे बंगले में , और रहने वाला सिर्फ एक .
काव्या से मिलते हुए भी समीर सर के चेहरे पर कोई ख़ुशी नहीं थी, इसलिए पहली नजर में ही काव्या को अपनी माँ का बॉस एक खडूस इंसान लगा था.
पर आज वही खडूस इंसान उसका पिता बनने जा रहा है, और वो अपनी माँ के साथ उसी घर में रहेगी जिसे देखकर उसकी आँखे चुंधिया गयी थी , वो भी नए -२ फेशन करेगी , शौपिंग पर जाया करेगी, अपनी अमीर सहेलियों कि तरह..
और अमीर सहेलियों का ख्याल आते ही उसके दिमाग में सबसे पहले अपनी ख़ास सहेली श्वेता का ध्यान आया, वो सबसे पहले ये बाते उसे बताना चाहती थी
उसने अपनी माँ से कहा : "माँ, मुझे बहुत ख़ुशी है कि आप दूसरी शादी कर रही है, आप उन्हें अभी फ़ोन करके हाँ बोल दो, और तब तक मैं ये बात श्वेता को बताकर आती हु ''
इतना कहकर वो बिना अपने कपडे बदले घर से बाहर कि तरफ भाग गयी
श्वेता के पापा पुलिस में एक ऊँची पोस्ट पर थे और वो पास कि ही एक सोसाईटी में काफी बड़े फ्लैट में रहते थे.
जैसे ही वो सड़क तक पहुंची, सामने से उसे विक्की आता हुआ दिखायी दिया, वो उसकी गली में ही रहता था और आते-जाते हमेशा काव्या को गन्दी नजरों से देखकर भद्दी-२ बातें कहकर उसे छेड़ता था
विक्की : "हाय मेरी फुलझड़ी, कहा चली अपनी तोपें लेकर ''
उसका इशारा काव्या के नुकीले निप्पलस कि तरफ था
काव्या वैसे तो उससे कभी बोलती नहीं थी, पर आज उसने उसे मजा चखाने का मन बना लिया : "जहाँ जा रही हु वहाँ पर ना तो ऐसी गंदगी होगी और और ना ही तेरे जैसे कुत्ते ''
हमेशा चुप रहने वाली काव्या के मुंह से ऐसी बाते सुनकर विक्की भी हैरान रह गया , वो कुछ बोल पता इससे पहले ही काव्या वहाँ से निकल गयी
श्वेता के घर पहुंचकर वो उससे लिपट गयी और एक ही सांस में उसे पूरी बात बता डाली
श्वेता अपनी उम्र के हिसाब से काफी पहले जवान हो चुकी थी, उसकी उम्र 18 साल थी, और अपने नशीले और जवान शरीर का इस्तेमाल कब और कहा करना है, उसे अच्छी तरह से पता था , पर वो थी अब तक कुंवारी
श्वेता भी उसकी बात सुनकर काफी खुश हुई और फिर वो दोनों सहेलियां मिलकर बातें करने लगी कि क्या - २ होगा आने वाले दिनों में ।
काव्या के जाने के बाद रश्मि आईने के सामने जाकर खड़ी हो गयी, उसने अपने पुरे शरीर को निहारा, और फिर ना जाने क्या सोचकर उसने अपनी साडी उतारनी शुरू कर दी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके मोटे मुम्मे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उसने उनकी बात मानते हुए अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका, अपने ही पसीने कि गंध उसके नथुनो में समा गयी , जो उसे हमेशा से बहुत अच्छी लगती थी, इन्फेक्ट उसका पति भी उसकी गंध का दीवाना था, रश्मि को अभी भी याद है कि उसे चोदते हुए वो उसके दोनों हाथों को ऊपर करके जब झटके मारता था तो अपना मुंह उसकी बगल में डालकर वो जोर से साँसे लेता था, और वो गंध सूंघकर वो और भी ज्यादा उत्तेजना के साथ उसकी चुदाई करता
वो सब बाते याद करते-२ उसकी चूत गीली होने लगी
उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया , और फिर कच्छी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से
पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी और फिर खुद से ही बाते करने लगी : "ओहो …कितनी मोटी हो गयी हु मैं, पेट भी निकल आया है, ब्रैस्ट भी मोटे हो गए है, लटक भी गए है, और पीछे से तो , ओहो इन्हे अब जल्द ही कम करना होगा ''