hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
सौतेला बाप--9
रश्मि ने उसके बाद समीर से कोई बात नहीं की, वो अपना मुंह फुला कर दूसरी तरफ मुंह करके लेटी रही , उसकी हिम्मत अपनी बेटी के सामने जाने की भी नहीं हो रही थी , समीर ने भी उसके साथ बात करने की कोई कोशिश नहीं की, वो भी उसके साथ ही जाकर सो गया
दूसरी तरफ, काव्या की आँखों के सामने अभी तक उसकी माँ ,समीर का लंड चूसते हुए दिख रही थी. किस तरह से वो उसके सामने दासी की तरह बैठी थी, समीर के लम्बे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी, और उसकी मलाई को भी कैसे चपर -२ करके खा गयी, पूरी रंडी लग रही थी उसकी माँ उस वक़्त..
और उसकी माँ का ये रूप देखकर काव्या भी हैरान थी, उसने सोचा भी नहीं था की सेक्स के मामले में वो ये सब भी करती होगी, पर पिछले कुछ दिनों में जो उसने देखा था, उसे देखकर तो उसकी सारी धारणाएं ही बदल गयी थी अपनी माँ के बारे में, वो आजकल की लड़कियों की तरह ही सेक्स की दीवानी थी, लंड चूसने में और अपनी चूत चुस्वाने में उसे बड़ा मजा आता था, और चुदवाते हुए चीखने में भी उसका कोई जवाब नहीं था, काव्या की सोच में पहले उसकी माँ एक कंजरवेटिव औरत थी, पुराने ज़माने की औरतों की तरह, जो सिर्फ टाँगे पसार कर , बिना किसी फोरप्ले के , चुदाई करवाती थी, पर दो-तीन बार उन्हें देखने के बाद काव्या को पता चला था की वो कितना गलत सोचती थी अपनी माँ के बारे में, वो सेक्स का मज़ा लेने में सच में उसकी माँ थी ...
वैसे होना भी यही चाहिए, औरत चाहे बीस साल की हो या चालीस की, चुदाई के समय उसे रंडी जैसा बिहेव करना चाहिए, ऐसा करने में उसे भी मजा आएगा और उसके पार्टनर को भी..
और काव्या को समझ में आ रहा था की ये सब उसकी माँ किस वजह से कर रही है ........
समीर की वजह से.
क्योंकि जहाँ तक उसे याद है, समीर से शादी के बाद ही ऐसे चेंज आये है उसकी माँ में, कहाँ तो वो पहले उसके सामने कपडे बदलने में भी शर्माती थी, और आज ऐसे खुले में नंगी होकर समीर का लंड चूस रही है.
कितना बदल दिया है उसके सौतेले बाप ने उसकी माँ को , और सौतेले बाप समीर का नाम आते ही उसकी सोच का रुझान उसकी तरफ चल दिया..
उसके सामने समीर का बलिष्ट शरीर और उसकी टांगो के बीच लटकता लम्बा लंड लहराने लगा, और उसके बारे में सोचते ही उसकी खुद की टांगो के बीचो बीच एक टीस सी उभर आई..
और उसके हाथ लहराकर अपने आप वहां पहुँच गए , और उसे वहां पर गीलापन देखकर आश्चर्य बिलकुल भी नहीं हुआ.
एक ही दिन में दो-२ लंड देखकर ऐसा गीलापन तो स्वाभाविक ही था , पहले लोकेश अंकल का और फिर अपने नए बाप का..
काव्या ने अपना तकिया अपनी टांगो के बीच फंसाया और उसके ऊपर उलटी होकर लेट गयी..
और फिर उसके ऊपर लेटकर ऐसे हिलने लगी, जैसे तकिये की चुदाई कर रही हो , आगे पीछे हिलकर वो उसके ऊपर अपने पूरे शरीर को झुलाने लगी …हिलाने लगी ....
आँखों के सामने कभी लोकेश अंकल नाव पर नंगे बैठे हुए अपना लंड मसलते हुए दीखते और कभी समीर झील के किनारे खड़ा होकर अपना लंड चुसवाते हुए दिखता..
और वो सब सोचते-२ कब उसकी चूत ने तकिये को गीला कर दिया, उसे भी पता नहीं चला, बस उसके मुंह से गर्म साँसे निकल रही थी , जिसकी तपन उसे अपने चेहरे पर भी महसूस हो रही थी..
अपनी आँखों में रंग बिरंगे सपने बुनते-२ कब उसे नींद आ गयी उसे भी पता नहीं चला.
और ग्राउंड फ्लोर पर अपने आलिशान कमरे में घुसते ही लोकेश ने अपने सारे कपडे उतार फेंके और अपने लंड को बुरी तरह से मसलने लगा...
आज जो उसने देखा था, वो आज से पहले कभी नहीं देख सका था, एक ही दिन में माँ-बेटी को नंगा देखने का सौभाग्य हर किसी के नसीब में नहीं होता.
एक तरफ काव्या की कच्ची जवानी थी और दूसरी तरफ रश्मि का हरियाली कबाब जैसा मांसल शरीर.
रश्मि जिस तरह से समीर के लंड को चूस रही थी , उसे पूरा विश्वास था की चुदाई के समय वो पूरा मजा लेने वाली मस्तानी औरत है.
रश्मि और काव्या को याद करते -२ उसका लंड बुरी तरह से फ़ुफ़कारने लगा..
उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और रिसोर्ट के रिसेप्शन पर फ़ोन लगाया..
लोकेश : "रितु, जल्दी से मेरे कमरे में आओ, फ़ौरन ....''
बस इतना कहकर उसने फ़ोन पटक दिया और अपने लंड को सहलाकर शांत कराने की कोशिश करने लगा ..
पांच मिनट के अंदर ही दरवाजे पर खट-२ हुई, लोकेश नंगा ही भागकर वहां गया और दरवाजा खोल दिया .
सामने होटल की रिसेप्शनिस्ट रितु खड़ी थी, सिल्वर कलर का ब्लाउसौर पर्पल कलर की साडी पहन कर , जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी , नीचे उसने हील वाले सेंडल पहने हुए थे . .
लोकेश ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया और फिर उससे बुरी तरह से लिपट कर उसके जिस्म को अपने हाथों से रोंदने लगा..
रितु (हँसते हुए) : "रुकिए सर, इतने उतावले क्यों हो रहे हो , आराम से करिये न, मुझे वापिस रिसेप्शन भी सम्भालना है, कपडे मत फाड़िए मेरे ''
लोकेश थोड़ी देर के लिए शांत हुआ और गहरी साँसे लेता हुआ बेड पर जाकर बैठ गया..
लोकेश : "चल, जल्दी से उतार ये सारे कपडे , और नंगी हो जा ''
रितु ने कातिलाना हंसी में मुस्कुराते हुए, अपने बॉस की बात मानते हुए, धीरे-२ अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए..
रितु : "मैं अभी थोड़ी देर पहले सोच ही रही थी, आपको आये हुए इतनी देर हो गयी, मुझे बुलाया ही नहीं, कोई गलती हुई है क्या मुझसे "
अपनी ब्रा को उतारते हुए उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज में लोकेश से कहा..
लोकेश और समीर ने ना जाने कितनी बार रितु की चुदाई की थी मिलकर, वो जब भी रिसोर्ट में आकर ठहरते , रितु उनके साथ ही रहती थी, पूरी नंगी होकर वो उनके कमरे में घूमती रहती, जिसका जब मन करता, उसकी चूत और गांड मार लेता..
पर इस बार समीर अपनी नयी बीबी और बेटी के साथ आया था, और लोकेश को अभी तक रितु को बुलाने का टाइम ही नहीं मिल पाया था, इसलिए रितु ऐसी शिकायत कर रही थी..
जैसे ही रितु ने अपने शरीर का आखिरी कपडा उतारा, लोकेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ और उसे धक्का देकर उसके पंजों पर बिठा दिया और अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया, जिसे रितु ने एक ही बार में पकड़ा और उसे चूसना शुरू कर दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स चूऊस साली ''
लोकेश के जहन में रश्मि भाभी की तस्वीर दौड़ने लगी, जो थोड़ी देर पहले उसी अवस्था में समीर का लंड चूस रही थी...
उसने रितु के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया..
रहा नहीं जा रहा था उससे , और वो सब करते हुए उसकी आँखे भी बंद थी.
वैसे एक बात है, जो भी लड़की या लड़का सेक्स करते हुए अपनी आँखे बंद कर लेते है, और लम्बी -२ सिस्कारियां लेते है, वो उस वक़्त अपने सामने वाले पार्टनर के बारे में नहीं, बल्कि किसी और ही के बारे में सोच रहे होते है, कोई पुराना आशिक़, कोई क्रश या फिर कोई फेंटेसी …
और यही इस वक़्त लोकेश भी कर रहा था, उसकी आँखों के सामने एक नहीं बल्कि दो-२ तस्वीरें तैर रही थी , माँ और बेटी की..
लोकेश ने रितु को एक टेबल पर बिठाया और उसकी टांगो को खोलकर अपनी खोलती हुई जीभ उसकी चाशनी उगल रही चूत के ऊपर रख दी और अपनी जीभ को घुमा घुमाकर जलेबियाँ बनाने लगा..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
रितु ने लोकेश के सर को पकड़ कर अपनी अंदर ठोंस लिया, जितना अंदर हो सकता था , उतना अंदर …
रितु के अंदर एक आग सी लगनी शुरू हो गयी थी, वो एक ऐसी रंडी थी जो एक बार सुलगने पर बुरी तरह से जलती भी थी और सामने वाले को जलाती भी थी..
और अपनी जलन को महसूस करते ही वो अपने फेवरेट रोल प्ले पर उतर आई , जैसा वो अक्सर पहले भी करती थी , लोकेश और समीर से चुदते वक़्त..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ............. अब मत तरसाओ ………आओ न , आपकी बेबी चुदना चाहती है अब ……''
लोकेश भी रोल प्ले में उसका साथ देने लगा
लोकेश : "उम्म्म्म्म्म्म माय डॉल , कम टू पापा ''
और उसने नंगी रितु को अपने गले से लगा लिया और उसकी ही चूत के पानी को उसके होंठों पर रगड़कर उसे पिलाने लगा
ऐसी हालत में तो रितु लोकेश का पेशाब भी पी जाती, ये तो फिर भी उसकी अपनी चूत का रस था, वो अपनी लम्बी जीभ निकाल कर लोकेश के पूरे मुंह को पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी
और फिर लोकेश को सोफे पर धक्का देकर वो 69 की पोजीशन पर आ गयी और दोनों एक दूसरे के अंगो को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगे..
आज तो रितु ऐसे चूस रही थी , जैसे वो लोकेश के गन्ने का सारा रस निचोड़कर पी जाएगी..
और लोकेश भी उसकी दोनों जाँघों को पकड़कर उसकी चूत के सागर में अटके उस मोती को अपनी जीभ से कुदर रहा था जैसे उसे बाहर निकल लेना चाहता हो..
उसकी जीभ की कुतरन से रितु बावली हो उठी और अपनी चूत को जोरों से उसके मुंह पर मारती हुई जोर -२ से चीखने लगी..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स पापा ……… सक ईट , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर और रश्मि तो सो चुके थे, पर अपनी मुठ मारकर सुस्ता रही काव्या के कानों में जब यस पापा ...यस पापा... की आवाज पहुंची तो वो एकदम से उठकर बैठ गयी , कान लगाकर उसने सुनने की कोशिश की तो पता चला की आवाज तो नीचे से आ रही है , उसने जल्दी-२ कपडे पहने और नीचे चल दी, वो भी देखना चाहती थी की ये कौन सी बेटी है जो अपने पापा से चुद रही है..
अपने मम्मी पापा के कमरे के आगे से निकलते हुए उसने सुनने की कोशिश की, पर वहां से कोई आवाज नहीं आ रही थी,..
तभी नीचे से फिर से आवाज आई
''पापा , अब मत तरसाओ …फ़क मी , जल्दी से करो अब ''
वो समझ गयी की आवाज नीचे लोकेश अंकल के रूम से आ रही है , पर ये पापा की बेटी कहाँ से आ गयी..
वो नीचे उतरी तो सीढ़ियों के साइड में बने हुए एक रोशनदान को थोड़ा सा खुला पाकर उसने अंदर झाँका तो हैरान रह गयी ..
लोकेश अंकल एक लड़की के साथ पूरे नंगे थे और दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चूस रहे थे
लड़की को गौर से देखने पर उसे मालुम चला की ये तो होटल की रिसेप्शनिस्ट है, जो उनके स्वागत में फूल और माला लेकर बाहर खड़ी थी , वो समझ गयी की ये उन दोनों का पुराना चक्कर है, और ये पापा-बेटी का रोल प्ले वो सेक्स में मजा लाने के लिए कर रहे है..
वो पहले से ही गर्म थी, उनका नाटक देखकर फिर से गरमाने लगी..
रितु अब पलटकर लोकेश के ऊपर आ गयी और उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी , लोकेश भी बड़ा शातिर था, वो उसे अंदर नहीं डाल रहा था , बल्कि उसे तरसा रहा था..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह पापा , मत तरसाओ अपनी लाड़ली को, उसे लेने दो अपने पापा को अंदर ''
लोकेश मुस्कुराया और अपनी बेटी की बात मानकर उसने आखिरकार उसकी चूत के दरवाजे पर अपने लंड को रख दिया और एक दो घिस्से देने के बाद अंदर धकेल दिया..
रितु किसी कच्ची कली की तरह, ओह्ह्ह पापा , उम्म्म पापा करती हुई लोकेश के लंड पर फिसलती हुई नीचे तक आई और अपनी गांड टिकाकर वहीँ बैठ गयी..
थोड़ी देर तक उसके मोटे लंड को अपने अंदर एडजस्ट करने के बाद उसने धीरे-२ ऊपर नीचे उछलना शुरू किया और लोकेश ने भी नीचे से धक्के मारकर उसकी चूत की टाईटनेस्स को लूस करना शुरू कर दिया
चूत में लंड जाता हुआ देखकर , रोशनदान से झाँक रही काव्या की आँखे फट कर बाहर ही आ गयी, उसने अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश अंकल का लंड काफी पास से देखा था, उसे रितु से जलन हो रही थी, क्योंकि अगर वो चाहती तो इस वक़्त वो झूल रही होती लोकेश अंकल के झूले पर
जैसे रितु झूल रही थी अब, अपनी टाँगे फैलाये हुए, अपने पापा के ऊपर , उनका लंड अपनी छोटी सी चूत में फंसाकर
काव्या भी लोकेश अंकल की ताकत देखकर रोमांचित हो उठी, कितनी आसानी से वो रितु को दोनों हाथों में लेकर आगे पीछे कर रहे थे, उनके हाथों में इतनी ताकत है तो छोटे शेर में कितनी होगी..
इतना सोचते ही उसका हाथ फिसलकर फिर से अपनी चूत पर पहुँच गया, जिसे थोड़ी देर पहले ही तकिये से रगड़कर शांत किया था , अब उसे अपनी उँगलियों से सहलाकर शांत करना था..
इसी बीच, लोकेश उठकर बैठ गया और अपना लंड रितु की चूत में फंसाये -२ खड़ा हो गया और चलता हुआ बेड तक आया और उसे घोड़ी बनाकर पेलने लगा फिर से उस रंडी को
रश्मि ने उसके बाद समीर से कोई बात नहीं की, वो अपना मुंह फुला कर दूसरी तरफ मुंह करके लेटी रही , उसकी हिम्मत अपनी बेटी के सामने जाने की भी नहीं हो रही थी , समीर ने भी उसके साथ बात करने की कोई कोशिश नहीं की, वो भी उसके साथ ही जाकर सो गया
दूसरी तरफ, काव्या की आँखों के सामने अभी तक उसकी माँ ,समीर का लंड चूसते हुए दिख रही थी. किस तरह से वो उसके सामने दासी की तरह बैठी थी, समीर के लम्बे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी, और उसकी मलाई को भी कैसे चपर -२ करके खा गयी, पूरी रंडी लग रही थी उसकी माँ उस वक़्त..
और उसकी माँ का ये रूप देखकर काव्या भी हैरान थी, उसने सोचा भी नहीं था की सेक्स के मामले में वो ये सब भी करती होगी, पर पिछले कुछ दिनों में जो उसने देखा था, उसे देखकर तो उसकी सारी धारणाएं ही बदल गयी थी अपनी माँ के बारे में, वो आजकल की लड़कियों की तरह ही सेक्स की दीवानी थी, लंड चूसने में और अपनी चूत चुस्वाने में उसे बड़ा मजा आता था, और चुदवाते हुए चीखने में भी उसका कोई जवाब नहीं था, काव्या की सोच में पहले उसकी माँ एक कंजरवेटिव औरत थी, पुराने ज़माने की औरतों की तरह, जो सिर्फ टाँगे पसार कर , बिना किसी फोरप्ले के , चुदाई करवाती थी, पर दो-तीन बार उन्हें देखने के बाद काव्या को पता चला था की वो कितना गलत सोचती थी अपनी माँ के बारे में, वो सेक्स का मज़ा लेने में सच में उसकी माँ थी ...
वैसे होना भी यही चाहिए, औरत चाहे बीस साल की हो या चालीस की, चुदाई के समय उसे रंडी जैसा बिहेव करना चाहिए, ऐसा करने में उसे भी मजा आएगा और उसके पार्टनर को भी..
और काव्या को समझ में आ रहा था की ये सब उसकी माँ किस वजह से कर रही है ........
समीर की वजह से.
क्योंकि जहाँ तक उसे याद है, समीर से शादी के बाद ही ऐसे चेंज आये है उसकी माँ में, कहाँ तो वो पहले उसके सामने कपडे बदलने में भी शर्माती थी, और आज ऐसे खुले में नंगी होकर समीर का लंड चूस रही है.
कितना बदल दिया है उसके सौतेले बाप ने उसकी माँ को , और सौतेले बाप समीर का नाम आते ही उसकी सोच का रुझान उसकी तरफ चल दिया..
उसके सामने समीर का बलिष्ट शरीर और उसकी टांगो के बीच लटकता लम्बा लंड लहराने लगा, और उसके बारे में सोचते ही उसकी खुद की टांगो के बीचो बीच एक टीस सी उभर आई..
और उसके हाथ लहराकर अपने आप वहां पहुँच गए , और उसे वहां पर गीलापन देखकर आश्चर्य बिलकुल भी नहीं हुआ.
एक ही दिन में दो-२ लंड देखकर ऐसा गीलापन तो स्वाभाविक ही था , पहले लोकेश अंकल का और फिर अपने नए बाप का..
काव्या ने अपना तकिया अपनी टांगो के बीच फंसाया और उसके ऊपर उलटी होकर लेट गयी..
और फिर उसके ऊपर लेटकर ऐसे हिलने लगी, जैसे तकिये की चुदाई कर रही हो , आगे पीछे हिलकर वो उसके ऊपर अपने पूरे शरीर को झुलाने लगी …हिलाने लगी ....
आँखों के सामने कभी लोकेश अंकल नाव पर नंगे बैठे हुए अपना लंड मसलते हुए दीखते और कभी समीर झील के किनारे खड़ा होकर अपना लंड चुसवाते हुए दिखता..
और वो सब सोचते-२ कब उसकी चूत ने तकिये को गीला कर दिया, उसे भी पता नहीं चला, बस उसके मुंह से गर्म साँसे निकल रही थी , जिसकी तपन उसे अपने चेहरे पर भी महसूस हो रही थी..
अपनी आँखों में रंग बिरंगे सपने बुनते-२ कब उसे नींद आ गयी उसे भी पता नहीं चला.
और ग्राउंड फ्लोर पर अपने आलिशान कमरे में घुसते ही लोकेश ने अपने सारे कपडे उतार फेंके और अपने लंड को बुरी तरह से मसलने लगा...
आज जो उसने देखा था, वो आज से पहले कभी नहीं देख सका था, एक ही दिन में माँ-बेटी को नंगा देखने का सौभाग्य हर किसी के नसीब में नहीं होता.
एक तरफ काव्या की कच्ची जवानी थी और दूसरी तरफ रश्मि का हरियाली कबाब जैसा मांसल शरीर.
रश्मि जिस तरह से समीर के लंड को चूस रही थी , उसे पूरा विश्वास था की चुदाई के समय वो पूरा मजा लेने वाली मस्तानी औरत है.
रश्मि और काव्या को याद करते -२ उसका लंड बुरी तरह से फ़ुफ़कारने लगा..
उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और रिसोर्ट के रिसेप्शन पर फ़ोन लगाया..
लोकेश : "रितु, जल्दी से मेरे कमरे में आओ, फ़ौरन ....''
बस इतना कहकर उसने फ़ोन पटक दिया और अपने लंड को सहलाकर शांत कराने की कोशिश करने लगा ..
पांच मिनट के अंदर ही दरवाजे पर खट-२ हुई, लोकेश नंगा ही भागकर वहां गया और दरवाजा खोल दिया .
सामने होटल की रिसेप्शनिस्ट रितु खड़ी थी, सिल्वर कलर का ब्लाउसौर पर्पल कलर की साडी पहन कर , जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी , नीचे उसने हील वाले सेंडल पहने हुए थे . .
लोकेश ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया और फिर उससे बुरी तरह से लिपट कर उसके जिस्म को अपने हाथों से रोंदने लगा..
रितु (हँसते हुए) : "रुकिए सर, इतने उतावले क्यों हो रहे हो , आराम से करिये न, मुझे वापिस रिसेप्शन भी सम्भालना है, कपडे मत फाड़िए मेरे ''
लोकेश थोड़ी देर के लिए शांत हुआ और गहरी साँसे लेता हुआ बेड पर जाकर बैठ गया..
लोकेश : "चल, जल्दी से उतार ये सारे कपडे , और नंगी हो जा ''
रितु ने कातिलाना हंसी में मुस्कुराते हुए, अपने बॉस की बात मानते हुए, धीरे-२ अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए..
रितु : "मैं अभी थोड़ी देर पहले सोच ही रही थी, आपको आये हुए इतनी देर हो गयी, मुझे बुलाया ही नहीं, कोई गलती हुई है क्या मुझसे "
अपनी ब्रा को उतारते हुए उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज में लोकेश से कहा..
लोकेश और समीर ने ना जाने कितनी बार रितु की चुदाई की थी मिलकर, वो जब भी रिसोर्ट में आकर ठहरते , रितु उनके साथ ही रहती थी, पूरी नंगी होकर वो उनके कमरे में घूमती रहती, जिसका जब मन करता, उसकी चूत और गांड मार लेता..
पर इस बार समीर अपनी नयी बीबी और बेटी के साथ आया था, और लोकेश को अभी तक रितु को बुलाने का टाइम ही नहीं मिल पाया था, इसलिए रितु ऐसी शिकायत कर रही थी..
जैसे ही रितु ने अपने शरीर का आखिरी कपडा उतारा, लोकेश उसके सामने जाकर खड़ा हुआ और उसे धक्का देकर उसके पंजों पर बिठा दिया और अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया, जिसे रितु ने एक ही बार में पकड़ा और उसे चूसना शुरू कर दिया..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स चूऊस साली ''
लोकेश के जहन में रश्मि भाभी की तस्वीर दौड़ने लगी, जो थोड़ी देर पहले उसी अवस्था में समीर का लंड चूस रही थी...
उसने रितु के सर को पकड़ा और अपने लंड से उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया..
रहा नहीं जा रहा था उससे , और वो सब करते हुए उसकी आँखे भी बंद थी.
वैसे एक बात है, जो भी लड़की या लड़का सेक्स करते हुए अपनी आँखे बंद कर लेते है, और लम्बी -२ सिस्कारियां लेते है, वो उस वक़्त अपने सामने वाले पार्टनर के बारे में नहीं, बल्कि किसी और ही के बारे में सोच रहे होते है, कोई पुराना आशिक़, कोई क्रश या फिर कोई फेंटेसी …
और यही इस वक़्त लोकेश भी कर रहा था, उसकी आँखों के सामने एक नहीं बल्कि दो-२ तस्वीरें तैर रही थी , माँ और बेटी की..
लोकेश ने रितु को एक टेबल पर बिठाया और उसकी टांगो को खोलकर अपनी खोलती हुई जीभ उसकी चाशनी उगल रही चूत के ऊपर रख दी और अपनी जीभ को घुमा घुमाकर जलेबियाँ बनाने लगा..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
रितु ने लोकेश के सर को पकड़ कर अपनी अंदर ठोंस लिया, जितना अंदर हो सकता था , उतना अंदर …
रितु के अंदर एक आग सी लगनी शुरू हो गयी थी, वो एक ऐसी रंडी थी जो एक बार सुलगने पर बुरी तरह से जलती भी थी और सामने वाले को जलाती भी थी..
और अपनी जलन को महसूस करते ही वो अपने फेवरेट रोल प्ले पर उतर आई , जैसा वो अक्सर पहले भी करती थी , लोकेश और समीर से चुदते वक़्त..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ............. अब मत तरसाओ ………आओ न , आपकी बेबी चुदना चाहती है अब ……''
लोकेश भी रोल प्ले में उसका साथ देने लगा
लोकेश : "उम्म्म्म्म्म्म माय डॉल , कम टू पापा ''
और उसने नंगी रितु को अपने गले से लगा लिया और उसकी ही चूत के पानी को उसके होंठों पर रगड़कर उसे पिलाने लगा
ऐसी हालत में तो रितु लोकेश का पेशाब भी पी जाती, ये तो फिर भी उसकी अपनी चूत का रस था, वो अपनी लम्बी जीभ निकाल कर लोकेश के पूरे मुंह को पालतू कुतिया की तरह चाटने लगी
और फिर लोकेश को सोफे पर धक्का देकर वो 69 की पोजीशन पर आ गयी और दोनों एक दूसरे के अंगो को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगे..
आज तो रितु ऐसे चूस रही थी , जैसे वो लोकेश के गन्ने का सारा रस निचोड़कर पी जाएगी..
और लोकेश भी उसकी दोनों जाँघों को पकड़कर उसकी चूत के सागर में अटके उस मोती को अपनी जीभ से कुदर रहा था जैसे उसे बाहर निकल लेना चाहता हो..
उसकी जीभ की कुतरन से रितु बावली हो उठी और अपनी चूत को जोरों से उसके मुंह पर मारती हुई जोर -२ से चीखने लगी..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स्स पापा ……… सक ईट , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
समीर और रश्मि तो सो चुके थे, पर अपनी मुठ मारकर सुस्ता रही काव्या के कानों में जब यस पापा ...यस पापा... की आवाज पहुंची तो वो एकदम से उठकर बैठ गयी , कान लगाकर उसने सुनने की कोशिश की तो पता चला की आवाज तो नीचे से आ रही है , उसने जल्दी-२ कपडे पहने और नीचे चल दी, वो भी देखना चाहती थी की ये कौन सी बेटी है जो अपने पापा से चुद रही है..
अपने मम्मी पापा के कमरे के आगे से निकलते हुए उसने सुनने की कोशिश की, पर वहां से कोई आवाज नहीं आ रही थी,..
तभी नीचे से फिर से आवाज आई
''पापा , अब मत तरसाओ …फ़क मी , जल्दी से करो अब ''
वो समझ गयी की आवाज नीचे लोकेश अंकल के रूम से आ रही है , पर ये पापा की बेटी कहाँ से आ गयी..
वो नीचे उतरी तो सीढ़ियों के साइड में बने हुए एक रोशनदान को थोड़ा सा खुला पाकर उसने अंदर झाँका तो हैरान रह गयी ..
लोकेश अंकल एक लड़की के साथ पूरे नंगे थे और दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को चूस रहे थे
लड़की को गौर से देखने पर उसे मालुम चला की ये तो होटल की रिसेप्शनिस्ट है, जो उनके स्वागत में फूल और माला लेकर बाहर खड़ी थी , वो समझ गयी की ये उन दोनों का पुराना चक्कर है, और ये पापा-बेटी का रोल प्ले वो सेक्स में मजा लाने के लिए कर रहे है..
वो पहले से ही गर्म थी, उनका नाटक देखकर फिर से गरमाने लगी..
रितु अब पलटकर लोकेश के ऊपर आ गयी और उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी , लोकेश भी बड़ा शातिर था, वो उसे अंदर नहीं डाल रहा था , बल्कि उसे तरसा रहा था..
रितु : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह पापा , मत तरसाओ अपनी लाड़ली को, उसे लेने दो अपने पापा को अंदर ''
लोकेश मुस्कुराया और अपनी बेटी की बात मानकर उसने आखिरकार उसकी चूत के दरवाजे पर अपने लंड को रख दिया और एक दो घिस्से देने के बाद अंदर धकेल दिया..
रितु किसी कच्ची कली की तरह, ओह्ह्ह पापा , उम्म्म पापा करती हुई लोकेश के लंड पर फिसलती हुई नीचे तक आई और अपनी गांड टिकाकर वहीँ बैठ गयी..
थोड़ी देर तक उसके मोटे लंड को अपने अंदर एडजस्ट करने के बाद उसने धीरे-२ ऊपर नीचे उछलना शुरू किया और लोकेश ने भी नीचे से धक्के मारकर उसकी चूत की टाईटनेस्स को लूस करना शुरू कर दिया
चूत में लंड जाता हुआ देखकर , रोशनदान से झाँक रही काव्या की आँखे फट कर बाहर ही आ गयी, उसने अभी थोड़ी देर पहले ही लोकेश अंकल का लंड काफी पास से देखा था, उसे रितु से जलन हो रही थी, क्योंकि अगर वो चाहती तो इस वक़्त वो झूल रही होती लोकेश अंकल के झूले पर
जैसे रितु झूल रही थी अब, अपनी टाँगे फैलाये हुए, अपने पापा के ऊपर , उनका लंड अपनी छोटी सी चूत में फंसाकर
काव्या भी लोकेश अंकल की ताकत देखकर रोमांचित हो उठी, कितनी आसानी से वो रितु को दोनों हाथों में लेकर आगे पीछे कर रहे थे, उनके हाथों में इतनी ताकत है तो छोटे शेर में कितनी होगी..
इतना सोचते ही उसका हाथ फिसलकर फिर से अपनी चूत पर पहुँच गया, जिसे थोड़ी देर पहले ही तकिये से रगड़कर शांत किया था , अब उसे अपनी उँगलियों से सहलाकर शांत करना था..
इसी बीच, लोकेश उठकर बैठ गया और अपना लंड रितु की चूत में फंसाये -२ खड़ा हो गया और चलता हुआ बेड तक आया और उसे घोड़ी बनाकर पेलने लगा फिर से उस रंडी को