hotaks444
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सीडियों से नीचे उतरते हुए समीर उन दोनो के जंगली प्यार को देखने लगा...रश्मि तो सोफे पर ओंधा लिटाकर वो उसकी चूत की कुटाई अपने मूसल जैसे लंड से कर रहा था..अपनी बीबी को अपने ही दोस्त से चुदते हुए देखकर समीर का लंड हुंकारने लगा..ऐसी दरियादिली हर पति में नही होती.
समीर ने देखा की रश्मि की चूत में आ-जा रहा लोकेश का लंड उसकी चूत के रस में डूबकर कितनी बुरी तरह से चमक रहा है...उसकी चूत से लगातार बह रहा पानी उसकी जांघों से होता हुआ नीचे गिर रहा था और चूत में ज़्यादा कीचड़ हो जाने की वजह से फच-2 की आवाज़ों से पूरा ड्रॉयिंग रूम गूँज रहा था..
और उन फच्च-2 की आवाज़ों को संगीत से सज़ा रही थी सुरो की मल्लिका रश्मि...जो अपनी उहह-आह के संगीत को लोकेश की तालों से मिलाकर एक अलग ही नगमा पेश कर रही थी..
''आआअहह उम्म्म्मम आआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... ओह माय गॉड ...... उम्म्म्ममममम अहह ऐसे ही .......आआआआहह मर गयी रे...''
और तभी लोकेश की नज़रें समीर की तरफ चली गयी...और कुछ देर तक दोनो ने एक दूसरे को देखा और दोनों के चेहरे पर ही वही कुटिल मुस्कान आ गयी जो अक्सर किसी रंडी की एक साथ चुदाई करते हुए आया करती थी...और समीर ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए अपनी बीबी की चूत मारते रहने को कहा..
और खुद वो अपने लंड को मसलता हुआ उन दोनो के करीब जाकर खड़ा हो गया.
और समीर के कहने पर एकदम से लोकेश ने आगे की तरफ झुककर रश्मि के बाल उपर की तरफ खींचे और समीर ने भी बिना कोई देरी किए उसके खुले हुए गीले मुँह में अपना लंड पेल दिया..
रश्मि तो समझ रही थी की लोकेश उसके साथ रफ़ सेक्स करने की चाह में उसके बाल खींच रहा है...पर जैसे ही उपर मुँह करते हुए उसके होंठों के बीच समीर का लंड फँसा, उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी...
अब और कोई मौका होता तो वो डर के मारे नंगी ही घर से बाहर भाग जाती, क्योंकि वो अपने पति के दोस्त से चुदवा रही थी..पर यहाँ सब कुछ उसके पति का ही रचाया हुआ था..और ऐसे में वो खुद आकर उनके साथ जाय्न करना चाहे तो वो भला कैसे मना कर सकती थी..पर अंदर ही अंदर ये सब करते हुए वो खुद को किसी रंडी से कम नही समझ रही थी..जो इस वक़्त 2-2 लंड से मज़े ले रही थी और उन्हे मज़े दे भी रही थी...
रश्मि ने भी खुद को उनके हवाले छोड़ दिया, वो समझ गयी थी की उसका पति यही चाहता है की वो और उसका दोस्त मिलकर उसकी चुदाई करे, और आप तो जानते ही है की रश्मि कितनी पतिव्रता स्त्री है, वो अपने पति को किसी भी बात के लिए मना कर ही नही सकती...
उसने समीर के लंड को अपने मुँह में रखा और उसकी आँखो में देखते-2 उसकी सेवा करनी शुरू कर दी...वो आज जिस तरीके से अपने पति का लंड चूस रही थी उससे साफ़ पता चल रहा था की वो उसे इसके माध्यम से थेंक यू बोल रही है...
दोनो दोस्तों के चेहरे एक दूसरे की तरफ थे, लोकेश रश्मि को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहा था तो समीर उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसका मुँह चोद रहा था..
और आदत के अनुसार दोनो दोस्तों ने अपना हाथ एक दूसरे के हाथ पर मारते हुए एक दूसरे को हाइ फाइव किया..जिसका मतलब था की वो जो भी कर रहे हैं, उसमे मज़ा आ रहा है..यही उनका हमेशा का स्टाइल था..जब भी वो मिलकर किसी को चोदते थे.
पर आज कोई बाहर वाली रंडी नही बल्कि घर वाली रश्मि चुद रही थी, किसी रंडी की तरह...और उसे ऐसे चुदाई करवाने में मज़ा भी आ रहा था.
रश्मि अब घोड़ी बने हुए थक सी चुकी थी, उसने एंगल चेंज करते हुए अपने आप को पीठ के बल लिटा लिया..और समीर के लंड को चूसना चालू रखा...
लोकेश का लंड फिसल कर बाहर निकल आया था, जिसे वो उसकी चूत की दरारों पर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा...ये रगड़ाहट उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी, क्योंकि उसे अंदर लेने की लालसा उसे और भी ज़्यादा तडपा रही थी.
लोकेश ने उसकी चूत के उपर की तरफ उंगली और अंगूठे का दबाव बनाकर उसकी चूत को भींच दिया और उसके होंठों के बीच अपने लंड को उपर नीचे करने लगा..
रश्मि चीख पड़ी अपने देवर पर..
''आआआआआआआअहह लोकेश ................ मत तरसाओ ना............... डालो अंदर.............. पहले की तरह ..............प्लीज़..........''
पर वो कमीना नही माना, वो उसी तरह से अपने लंड के ज़रिए उसकी रसीली चूत से खेलता रहा.
समीर ने देखा की रश्मि की चूत में आ-जा रहा लोकेश का लंड उसकी चूत के रस में डूबकर कितनी बुरी तरह से चमक रहा है...उसकी चूत से लगातार बह रहा पानी उसकी जांघों से होता हुआ नीचे गिर रहा था और चूत में ज़्यादा कीचड़ हो जाने की वजह से फच-2 की आवाज़ों से पूरा ड्रॉयिंग रूम गूँज रहा था..
और उन फच्च-2 की आवाज़ों को संगीत से सज़ा रही थी सुरो की मल्लिका रश्मि...जो अपनी उहह-आह के संगीत को लोकेश की तालों से मिलाकर एक अलग ही नगमा पेश कर रही थी..
''आआअहह उम्म्म्मम आआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... ओह माय गॉड ...... उम्म्म्ममममम अहह ऐसे ही .......आआआआहह मर गयी रे...''
और तभी लोकेश की नज़रें समीर की तरफ चली गयी...और कुछ देर तक दोनो ने एक दूसरे को देखा और दोनों के चेहरे पर ही वही कुटिल मुस्कान आ गयी जो अक्सर किसी रंडी की एक साथ चुदाई करते हुए आया करती थी...और समीर ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए अपनी बीबी की चूत मारते रहने को कहा..
और खुद वो अपने लंड को मसलता हुआ उन दोनो के करीब जाकर खड़ा हो गया.
और समीर के कहने पर एकदम से लोकेश ने आगे की तरफ झुककर रश्मि के बाल उपर की तरफ खींचे और समीर ने भी बिना कोई देरी किए उसके खुले हुए गीले मुँह में अपना लंड पेल दिया..
रश्मि तो समझ रही थी की लोकेश उसके साथ रफ़ सेक्स करने की चाह में उसके बाल खींच रहा है...पर जैसे ही उपर मुँह करते हुए उसके होंठों के बीच समीर का लंड फँसा, उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी...
अब और कोई मौका होता तो वो डर के मारे नंगी ही घर से बाहर भाग जाती, क्योंकि वो अपने पति के दोस्त से चुदवा रही थी..पर यहाँ सब कुछ उसके पति का ही रचाया हुआ था..और ऐसे में वो खुद आकर उनके साथ जाय्न करना चाहे तो वो भला कैसे मना कर सकती थी..पर अंदर ही अंदर ये सब करते हुए वो खुद को किसी रंडी से कम नही समझ रही थी..जो इस वक़्त 2-2 लंड से मज़े ले रही थी और उन्हे मज़े दे भी रही थी...
रश्मि ने भी खुद को उनके हवाले छोड़ दिया, वो समझ गयी थी की उसका पति यही चाहता है की वो और उसका दोस्त मिलकर उसकी चुदाई करे, और आप तो जानते ही है की रश्मि कितनी पतिव्रता स्त्री है, वो अपने पति को किसी भी बात के लिए मना कर ही नही सकती...
उसने समीर के लंड को अपने मुँह में रखा और उसकी आँखो में देखते-2 उसकी सेवा करनी शुरू कर दी...वो आज जिस तरीके से अपने पति का लंड चूस रही थी उससे साफ़ पता चल रहा था की वो उसे इसके माध्यम से थेंक यू बोल रही है...
दोनो दोस्तों के चेहरे एक दूसरे की तरफ थे, लोकेश रश्मि को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहा था तो समीर उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसका मुँह चोद रहा था..
और आदत के अनुसार दोनो दोस्तों ने अपना हाथ एक दूसरे के हाथ पर मारते हुए एक दूसरे को हाइ फाइव किया..जिसका मतलब था की वो जो भी कर रहे हैं, उसमे मज़ा आ रहा है..यही उनका हमेशा का स्टाइल था..जब भी वो मिलकर किसी को चोदते थे.
पर आज कोई बाहर वाली रंडी नही बल्कि घर वाली रश्मि चुद रही थी, किसी रंडी की तरह...और उसे ऐसे चुदाई करवाने में मज़ा भी आ रहा था.
रश्मि अब घोड़ी बने हुए थक सी चुकी थी, उसने एंगल चेंज करते हुए अपने आप को पीठ के बल लिटा लिया..और समीर के लंड को चूसना चालू रखा...
लोकेश का लंड फिसल कर बाहर निकल आया था, जिसे वो उसकी चूत की दरारों पर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा...ये रगड़ाहट उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी, क्योंकि उसे अंदर लेने की लालसा उसे और भी ज़्यादा तडपा रही थी.
लोकेश ने उसकी चूत के उपर की तरफ उंगली और अंगूठे का दबाव बनाकर उसकी चूत को भींच दिया और उसके होंठों के बीच अपने लंड को उपर नीचे करने लगा..
रश्मि चीख पड़ी अपने देवर पर..
''आआआआआआआअहह लोकेश ................ मत तरसाओ ना............... डालो अंदर.............. पहले की तरह ..............प्लीज़..........''
पर वो कमीना नही माना, वो उसी तरह से अपने लंड के ज़रिए उसकी रसीली चूत से खेलता रहा.