hotaks444
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सौतेला बाप--39
अब आगे
**********
विक्की से चुदने का नशा ना होता तो शायद इस समय वो राघव के साथ मज़े ज़रूर कर लेती...पर इसको बाद के लिए छोड़कर उसने अभी सिर्फ़ शॉपिंग करने की ही सोची.
उसने उन दोनों 'सुरक्षा कवर्स' को अपनी ब्रा के अंदर धकेला..और ठीक अपने निप्पल्स के उपर लगा लिया..वो किसी हल्के प्लास्टिक के बने हुए थे जिसके ऊपर मोटे कपडे की लेयर थी ....इसलिए अंदर चुभ भी नही रहे थे..दोनो को लगाने के बाद रश्मि ने फिर से अपने आप को शीशे मे देखा..अब ठीक था...लग ही नही रहा था की उसके मुम्मो पर निप्पल है भी या नही..
उसने मुस्कुराते हुए राघव को देखा : "थेंक्स राघव...ये ठीक है....अब प्लीज़ तुम बाहर जाओगे...मुझे चेंज करना है..''
राघव शायद सोच रहा था की कुछ तो होकर रहेगा आज ,पर ऐसे एकदम से जब उसे बाहर जाने को बोला रश्मि ने तो वो बाहर निकल आया
और जाने से पहले उसने राघव से दोबारा अपने टॉप की डोरियों को खुलवा लिया...और उसके जाते ही उसने वो स्वीमिंग सूट उतारा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी..
बाहर आकर रश्मि ने वो स्विम सूट राघव को दिया और कहा की इसको पेक कर दे..
राघव उसे उलट पलट कर देखता रहा और फिर रश्मि से बोला : "मेम वो... वो... निप कवर ..वो कहाँ है...''
रश्मि को एकदम से ध्यान आया की वो तो वहीं चिपके रह गये..अंदर उसने टॉप उतारा था और अपनी ब्रा भी पहन ली..पर अपने निप्पल्स से चिपके कवर्स को उतारना याद ही नही रहा ..
रश्मि (तोड़ा सकुचाते हुए बोली ) : "वो ..वो ...शायद ...वहीं चिपके रह गये...''
राघव : "ओह्ह्ह ....कोई बात नही मेम ....वो वैसे भी हमारे स्टोर की तरफ से कॉम्पलिमेंट्री गिफ्ट है...आप चाहे तो और भी ले सकती है..''
इतना कहकर उसने नीचे से एक और सेट निकाल कर रश्मि को दे दिया..
रश्मि ने उसके बाद एक और स्विम सूट लिया...जो फुल था..और उसके पेट को भी कवर कर रहा था..उसे पहनने की ज़रूरत नही समझी उसने...क्योंकि वो भी देखने मे भले ही छोटा लग रहा था..पर वो भी स्ट्रेचेबल कपड़े का बना था..
फिर वो दोबारा आने का कहकर वहां से निकल आई और सीधा पार्लर गयी...और उसने अपनी टांगे और बाजू वेक्स करवाई...और जब तक वो वापिस घर पहुँची तब तक समीर भी ऑफीस से आ चुका था..काव्या अभी तक नही आई थी..वो शायद श्वेता के घर पर थी .
समीर ने आते ही पूछा की आज वो लड़का आया था क्या...क्या हुआ...कोई बात करी क्या उसके साथ....
रश्मि ने बड़े ही सुलझे हुए तरीके से हर बात का जवाब दिया..और कहा : " हमे इन्हे सोचने-समझने का मौका देना चाहिए..कल वो काव्या को अपने साथ वॉटर पार्क ले जाना चाहता है...मैं भी साथ मे रहूंगी...आपको तो कोई प्राब्लम नही है ना..''
समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे अपनी प्यारी बेटी के साथ स्वीमिंग पूल मे जाना तो वो भी चाहता था..पर अचानक उसके मन मे आया की अगर ये दोनो घर पर नही होंगे तो कल वो किसी और को तो घर पर बुला सकता है...वैसे भी काफ़ी दिन हो चुके थे...बाहर का खाना खाए हुए..
समीर : "नही...मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है...तुम उसकी माँ हो...तुम उसका भला ज़्यादा जानती हो...''
और फिर कुछ और बाते करने के बाद वो अपने रूम मे गया और सीधा अपने दोस्त लोकेश को फोन किया...और अगले दिन के लिए कुछ प्रोग्राम बनाने के लिए कहा..
लोकेश : "यार...तूने बोल दिया..समझ हो गया...कल 12 बजे तक आ जाऊंगा तेरे घर..एक नये पटाखे के साथ...''
और फिर अगले दिन की प्लानिंग करके दोनो ने फोन रख दिया.
अगले दिन संडे था...और रश्मि सुबह से ही किसी आवारा तितली की तरह घर भर मे उड़ती फिर रही थी...काव्या भी अपनी माँ की खुशी देखकर खुश थी..उसने जो आज के लिए प्लान बना रखे थे...अगर सब कुछ वैसा ही चलता रहा तो आज ही उसकी माँ को विक्की के लंड की सेवा मिल जाएगी...और फिर वो भी खुलकर अपनी माँ के पति..यानी समीर पर अपना हक जमा सकती है..
और फिर जल्द ही तैय्यार होकर दोनो माँ -बेटियाँ निकल पड़ी...उन्होने ड्राइवर को भी साथ नही लिया..काव्या खुद ड्राइव कर रही थी..
और दूसरी तरफ समीर भी उनके जाने की प्रतीक्षा कर रहा था...क्योंकि उनके जाते ही वो लोकेश को फोन करता और उसे जल्द से जल्द आने के लिए कहता..और हुआ भी ऐसा ही...जैसे ही दोनो बाहर निकली, समीर ने लोकेश को फोन खड़का दिया..और उसने भी 1 घंटे मे वहाँ पहुँचने का वादा करते हुए फोन रख दिया..
काव्या ने विक्की को निर्धारित जगह से पिक किया और फिर तीनों अपनी मंज़िल यानी एक्वा वॉटर पार्क की तरफ निकल गये.
विक्की के गाड़ी मे बैठने के साथ ही रश्मि के शरीर के रोँये खड़े से हो गये थे...वो तो ऐसे शरमा रही थी मानों उसकी बेटी नही बल्कि वो खुद विक्की के साथ डेट पर जा रही है..
पीछे बैठा हुआ विक्की कभी काव्या को और कभी रश्मि को देखे जा रहा था..उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास भी नही हो रहा था की दोनो माँ -बेटी के साथ वो वॉटर पार्क जा रहा है..
खैर, एक घंटे में ही वो वहाँ पहुँच गये..वो एक बड़ा सा रिसोर्ट कम वॉटर पार्क था..विक्की सीधा रिसोर्ट के रिसेप्शन पर पहुँचा..वहाँ का मॅनेजर विक्की को अच्छी तरह से जानता था.क्योंकि विक्की अक्सर वहां आता रहता था
मैनेजर : "हैल्लो सर ...कैसे हैं....आज बड़े दिनों के बाद आए..''
उसकी नजरें काव्या और उसकी माँ पर भी थी और शायद यही सोच रहा था की आज तो ये फुल मज़े लेने के मूड में आया है
विक्की : "बस ...ऐसे ही...जल्दी से एक दिन का पैकेज दे दो...''
काव्या विक्की के पास पहुँची और धीरे से बोली : "ये पैकेज किसलिए...हमे तो वॉटर पार्क में जाना है ना..''
विक्की : "स्वीटहार्ट...पैकेज इकॉनॉमिकल रहेगा यहाँ का...इसमे हमे वॉटर पार्क मे एंट्री...लंच एंड स्नेक्स और साथ ही एक रूम भी मिल जाएगा..जिसमें जाकर हम लोग चेंज भी कर सकते हैं और आराम भी...''
रश्मि को उसकी कमिनीपंती का एहसास हो चुका था की क्यों वो रूम ले रहा है...पर वो तो उसके लिए ही अच्छा था...उसकी माँ के साथ तो खुलकर मज़े वहीं ले सकता था वो..
कुछ ही देर में वो तीनो वॉटर पार्क में थे...आज संडे था, इसलिए कुछ ज़्यादा ही भीड़ थी...और सभी जोड़े मे ही आए हुए थे...ज़्यादातर स्कूल-कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ थे...और कुछ एक ऑफीस टाइप के लोग भी थे...पता नही अपनी बीबी के साथ थे या किसी और के साथ..
उन्होने पहले साथ ही बने हुए रूम में जाकर चेंज किया ..सबसे पहले विक्की ने कपड़े बदले और अपना स्वीमिंग शॉर्ट पहन कर बाहर निकल आया और पानी मे जाकर उन दोनो परियों का वेट करने लगा..
फिर काव्या ने भी चेंज किया और वो भी बाहर निकल आई...उसने एक शॉर्ट और स्पोर्ट्स ब्रा टाइप का स्विमवीयर पहना हुआ था...बट उसमें भी वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..उसके छोटे-2 बूब्स बिल्कुल चिपक चुके थे..और निप्पल थे की कपड़ा फाड़ कर बाहर आने को अमादा थे..
विक्की आराम से कमर तक आए पानी मे खड़ा होकर उनका वेट कर रहा था...और दूर से आती हुई काव्या को देखकर पानी के अंदर ही शॉर्ट मे उसका लंड खड़ा हो गया...इतनी सेक्सी जो लग रही थी ...लंबी और चिकनी टांगे...छरहरा बदन ...सपाट पेट..नाभि वाला हिस्सा अंदर की तरफ धंसा हुआ..और उपर उसके छोटे-2 बूब्स..और साथ मे उसका सेक्सी सा चेहरा....और वो विक्की की तरफ मुस्कुराती हुई आई और सीधा पानी मे छलाँग लगा कर अंदर कूद गयी...और कूदने के साथ ही वो एकदम से पानी के अंदर तक घुस गयी...एक ही मिनट मे उसकी साँसे बंद सी होने लगी..क्योंकि उसे तैरना तो आता नही था..बस शो बाजी मे वो विक्की के सामने छलाँग लगा गयी...विक्की ने भी ये मौका अपने हाथ से नही जाने दिया..और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे पानी से बाहर निकाला...अपनी फूली हुई सांसो पर काबू पाने के बाद काव्या को ये एहसास हुआ की उसकी गांड और पूरा शरीर विक्की ने अपने से चिपका रखा है...और उसके लंड वाले हिस्से पर उसकी भरी हुई गांड बुरी तरह से रगड़ खा रही थी.
विक्की का चेहरा उसकी कंधे पर था..वो धीरे से बोला : "तैरना नही आता तो पहले सीख लो मुझसे...अच्छी तरह से सीखा दूँगा..''
और इतना कहकर उसने उसकी नाभि पर ज़ोर से अपने हाथ का दबाव बनाकर उस हिस्से को अपनी मुट्ठी मे भर लिया...काव्या उसकी इस हरकत से सिहर उठी..
और काव्या ने एकदम से अपने आपको उसके चुंगल से छुड़वाया और गहरी साँसे लेते हुए किनारे पर खड़ी हो गयी..मज़ा तो उसको भी बहुत आया था पर ऐसे मज़े के लालच मे वो अपना मिशन नही भूलना चाहती थी.
उसने बात बदलते हुए एकदम से कहा : "मम्मी नही आई अभी तक...पता नही इतनी देर क्यो लग रही है उन्हे..''
और देर लगती भी क्यो ना..काव्या के जाते ही रश्मि एक्ससाइमेन्ट मे एकदम से नंगी हो गयी और अपने बैग से अपना स्विम सूट निकाल कर पहन लिया..पर जैसा उस सेल्सबॉय ने बोला था...उसे पीछे की डोरी बाँधने के लिए किसी की हेल्प लेनी पड़ेगी, और वो हेल्प करने के लिए उस वक़्त वहाँ कोई भी नही था...और रूम से लेकर स्वीमिंग पूल तक वाले एरिया मे जाने मे काफ़ी रिस्क था.....उसकी समझ में नही आ रहा था की करे तो क्या करे..
उसके मोटे-2 मुम्मे बिना ब्रा/स्विमसूट के बुरी तरह से लटक कर सॉफ दिख रहे थे...और ऐसे में वो बाहर कैसे जा सकती थी.
अचानक उसको एक आइडिया आया...उसने एक बड़ा सा टावल उठाया और अपने उपर वाले हिस्से को धक कर छुपा लिया...और बाहर निकल आई...
इसी बीच काव्या को एक बड़ी सी गोल ट्यूब मिल गयी और अपने कूल्हे बीच मे फँसा कर और अपनी टांगे बाहर हवा मे निकाल कर वो उसमें बैठ गयी और बच्चो की तरह पानी मे हाथ मारकर अपनी कश्ती चलाने लगी...और वो ऐसे करती हुई पानी के बीच में पहुँच गयी...
इसी बीच रश्मि किनारे पर पहुँची...ये सोचकर की अपनी ब्रा की डोरी वो काव्या से बँधवा लेगी..पर वो तो पानी के बीचो बीच थी..
विक्की ने जब उसे ऐसे टावल से ढक कर आते हुए देखा तो वो बोला : "अरे आंटी...आप ऐसे टावल लपेट कर क्यों आई हो...पानी मे आओ ना..ये टावल यहीं किनारे पर रखो...देखो कितना मज़ा आ रहा है पानी मे..''
वो सकुचाती हुई सी पानी मे पैर लटका कर बैठ गयी...और धीरे से बोली : "वो..दरअसल...मेरे टॉप की डोरी नही बंध रही...इसलिए ...मैने सोचा की पहले काव्या से बँधवा लू...''
उसने दूर पानी मे मस्ती करती हुई काव्या की तरफ देखा...पर वो तो अपने मे ही मस्त होकर तैरने मे लगी हुई थी..
विक्की तो बस इसी कल्पना मात्र से ही उत्तेजित हो उठा की इस टावल के नीचे रश्मि ने ब्रा की डोरियाँ नही बाँधी...हालाँकि वो नही जानता था की गले वाली डोरी बँधी है...पर उसके कल्पना के घोड़े तेज़ी से भागने लगे थे..
उसने बिना कोई देरी किए रश्मि की कमर मे हाथ डाला और उसे पानी मे खींच लिया..और जब तक रश्मि कोई रिएक्शन दे पाती , वो ठंडे पानी मे विक्की से चिपकी खड़ी थी..और दूर पानी मे मज़े लेती काव्या तिरछी नज़रों से उन दोनो को ऐसे चिपक कर खड़े हुए देखकर खुशी से फूली नही समा रही थी...उसने तो सोचा भी नही था की उन दोनो का एक्शन इतनी जल्दी शुरू हो जाएगा..
विक्की तो ये बात अच्छी तरह से जानता था की रश्मि के मन में उसके लिए क्या है, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया था..चाहती तो रश्मि भी यही थी पर अपनी बेटी के सामने एकदम से ऐसे नही...वो चिपक तो गयी उसके साथ पर उसकी नज़रें अपनी बेटी की तरफ ही थी...पर उसे दूसरी तरफ मज़े से पानी मे मज़े लेते देखकर वो निश्चिंत हो गयी...और अपने आप को विक्की की बाहों मे खुला छोड़ दिया..
विक्की ने टावल के अंदर हाथ डालकर ब्रा की डोरियाँ खोजी और उन्हे आपस मे बांध दिया...बाँधने के साथ ही उसकी छाती से लगे रश्मि के मोटे-2 मुम्मो के उपर आ रहा कसाव वो सॉफ महसूस कर पा रहा था...और ज़्यादा कसने की वजह से वो तन कर बिल्कुल सामने किसी तोप की तरह तन चुके थे...और गाँठ मारते हुए तो रश्मि के मुँह से एक आह्ह्ह भी निकल गयी..
और जैसे ही वो डोरी बँधी, रश्मि ने किसी फिल्मी अंदाज मे वो टावल निकाल कर किनारे पर फेंक दिया...और अब रश्मि के मोटे-2 मुम्मों को इतनी पास से देखकर विक्की की आँखे फटी रह गयी....ऐसे मोटे और गोरे मुम्मों की कल्पना तो उसने की भी नही थी...वो जानता तो था की वो तगड़ा माल है पर इतना खूबसूरत भी, ये उसने नही सोचा था..
अब आगे
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विक्की से चुदने का नशा ना होता तो शायद इस समय वो राघव के साथ मज़े ज़रूर कर लेती...पर इसको बाद के लिए छोड़कर उसने अभी सिर्फ़ शॉपिंग करने की ही सोची.
उसने उन दोनों 'सुरक्षा कवर्स' को अपनी ब्रा के अंदर धकेला..और ठीक अपने निप्पल्स के उपर लगा लिया..वो किसी हल्के प्लास्टिक के बने हुए थे जिसके ऊपर मोटे कपडे की लेयर थी ....इसलिए अंदर चुभ भी नही रहे थे..दोनो को लगाने के बाद रश्मि ने फिर से अपने आप को शीशे मे देखा..अब ठीक था...लग ही नही रहा था की उसके मुम्मो पर निप्पल है भी या नही..
उसने मुस्कुराते हुए राघव को देखा : "थेंक्स राघव...ये ठीक है....अब प्लीज़ तुम बाहर जाओगे...मुझे चेंज करना है..''
राघव शायद सोच रहा था की कुछ तो होकर रहेगा आज ,पर ऐसे एकदम से जब उसे बाहर जाने को बोला रश्मि ने तो वो बाहर निकल आया
और जाने से पहले उसने राघव से दोबारा अपने टॉप की डोरियों को खुलवा लिया...और उसके जाते ही उसने वो स्वीमिंग सूट उतारा और अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी..
बाहर आकर रश्मि ने वो स्विम सूट राघव को दिया और कहा की इसको पेक कर दे..
राघव उसे उलट पलट कर देखता रहा और फिर रश्मि से बोला : "मेम वो... वो... निप कवर ..वो कहाँ है...''
रश्मि को एकदम से ध्यान आया की वो तो वहीं चिपके रह गये..अंदर उसने टॉप उतारा था और अपनी ब्रा भी पहन ली..पर अपने निप्पल्स से चिपके कवर्स को उतारना याद ही नही रहा ..
रश्मि (तोड़ा सकुचाते हुए बोली ) : "वो ..वो ...शायद ...वहीं चिपके रह गये...''
राघव : "ओह्ह्ह ....कोई बात नही मेम ....वो वैसे भी हमारे स्टोर की तरफ से कॉम्पलिमेंट्री गिफ्ट है...आप चाहे तो और भी ले सकती है..''
इतना कहकर उसने नीचे से एक और सेट निकाल कर रश्मि को दे दिया..
रश्मि ने उसके बाद एक और स्विम सूट लिया...जो फुल था..और उसके पेट को भी कवर कर रहा था..उसे पहनने की ज़रूरत नही समझी उसने...क्योंकि वो भी देखने मे भले ही छोटा लग रहा था..पर वो भी स्ट्रेचेबल कपड़े का बना था..
फिर वो दोबारा आने का कहकर वहां से निकल आई और सीधा पार्लर गयी...और उसने अपनी टांगे और बाजू वेक्स करवाई...और जब तक वो वापिस घर पहुँची तब तक समीर भी ऑफीस से आ चुका था..काव्या अभी तक नही आई थी..वो शायद श्वेता के घर पर थी .
समीर ने आते ही पूछा की आज वो लड़का आया था क्या...क्या हुआ...कोई बात करी क्या उसके साथ....
रश्मि ने बड़े ही सुलझे हुए तरीके से हर बात का जवाब दिया..और कहा : " हमे इन्हे सोचने-समझने का मौका देना चाहिए..कल वो काव्या को अपने साथ वॉटर पार्क ले जाना चाहता है...मैं भी साथ मे रहूंगी...आपको तो कोई प्राब्लम नही है ना..''
समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे अपनी प्यारी बेटी के साथ स्वीमिंग पूल मे जाना तो वो भी चाहता था..पर अचानक उसके मन मे आया की अगर ये दोनो घर पर नही होंगे तो कल वो किसी और को तो घर पर बुला सकता है...वैसे भी काफ़ी दिन हो चुके थे...बाहर का खाना खाए हुए..
समीर : "नही...मुझे क्या प्राब्लम हो सकती है...तुम उसकी माँ हो...तुम उसका भला ज़्यादा जानती हो...''
और फिर कुछ और बाते करने के बाद वो अपने रूम मे गया और सीधा अपने दोस्त लोकेश को फोन किया...और अगले दिन के लिए कुछ प्रोग्राम बनाने के लिए कहा..
लोकेश : "यार...तूने बोल दिया..समझ हो गया...कल 12 बजे तक आ जाऊंगा तेरे घर..एक नये पटाखे के साथ...''
और फिर अगले दिन की प्लानिंग करके दोनो ने फोन रख दिया.
अगले दिन संडे था...और रश्मि सुबह से ही किसी आवारा तितली की तरह घर भर मे उड़ती फिर रही थी...काव्या भी अपनी माँ की खुशी देखकर खुश थी..उसने जो आज के लिए प्लान बना रखे थे...अगर सब कुछ वैसा ही चलता रहा तो आज ही उसकी माँ को विक्की के लंड की सेवा मिल जाएगी...और फिर वो भी खुलकर अपनी माँ के पति..यानी समीर पर अपना हक जमा सकती है..
और फिर जल्द ही तैय्यार होकर दोनो माँ -बेटियाँ निकल पड़ी...उन्होने ड्राइवर को भी साथ नही लिया..काव्या खुद ड्राइव कर रही थी..
और दूसरी तरफ समीर भी उनके जाने की प्रतीक्षा कर रहा था...क्योंकि उनके जाते ही वो लोकेश को फोन करता और उसे जल्द से जल्द आने के लिए कहता..और हुआ भी ऐसा ही...जैसे ही दोनो बाहर निकली, समीर ने लोकेश को फोन खड़का दिया..और उसने भी 1 घंटे मे वहाँ पहुँचने का वादा करते हुए फोन रख दिया..
काव्या ने विक्की को निर्धारित जगह से पिक किया और फिर तीनों अपनी मंज़िल यानी एक्वा वॉटर पार्क की तरफ निकल गये.
विक्की के गाड़ी मे बैठने के साथ ही रश्मि के शरीर के रोँये खड़े से हो गये थे...वो तो ऐसे शरमा रही थी मानों उसकी बेटी नही बल्कि वो खुद विक्की के साथ डेट पर जा रही है..
पीछे बैठा हुआ विक्की कभी काव्या को और कभी रश्मि को देखे जा रहा था..उसे तो अपनी किस्मत पर विश्वास भी नही हो रहा था की दोनो माँ -बेटी के साथ वो वॉटर पार्क जा रहा है..
खैर, एक घंटे में ही वो वहाँ पहुँच गये..वो एक बड़ा सा रिसोर्ट कम वॉटर पार्क था..विक्की सीधा रिसोर्ट के रिसेप्शन पर पहुँचा..वहाँ का मॅनेजर विक्की को अच्छी तरह से जानता था.क्योंकि विक्की अक्सर वहां आता रहता था
मैनेजर : "हैल्लो सर ...कैसे हैं....आज बड़े दिनों के बाद आए..''
उसकी नजरें काव्या और उसकी माँ पर भी थी और शायद यही सोच रहा था की आज तो ये फुल मज़े लेने के मूड में आया है
विक्की : "बस ...ऐसे ही...जल्दी से एक दिन का पैकेज दे दो...''
काव्या विक्की के पास पहुँची और धीरे से बोली : "ये पैकेज किसलिए...हमे तो वॉटर पार्क में जाना है ना..''
विक्की : "स्वीटहार्ट...पैकेज इकॉनॉमिकल रहेगा यहाँ का...इसमे हमे वॉटर पार्क मे एंट्री...लंच एंड स्नेक्स और साथ ही एक रूम भी मिल जाएगा..जिसमें जाकर हम लोग चेंज भी कर सकते हैं और आराम भी...''
रश्मि को उसकी कमिनीपंती का एहसास हो चुका था की क्यों वो रूम ले रहा है...पर वो तो उसके लिए ही अच्छा था...उसकी माँ के साथ तो खुलकर मज़े वहीं ले सकता था वो..
कुछ ही देर में वो तीनो वॉटर पार्क में थे...आज संडे था, इसलिए कुछ ज़्यादा ही भीड़ थी...और सभी जोड़े मे ही आए हुए थे...ज़्यादातर स्कूल-कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ थे...और कुछ एक ऑफीस टाइप के लोग भी थे...पता नही अपनी बीबी के साथ थे या किसी और के साथ..
उन्होने पहले साथ ही बने हुए रूम में जाकर चेंज किया ..सबसे पहले विक्की ने कपड़े बदले और अपना स्वीमिंग शॉर्ट पहन कर बाहर निकल आया और पानी मे जाकर उन दोनो परियों का वेट करने लगा..
फिर काव्या ने भी चेंज किया और वो भी बाहर निकल आई...उसने एक शॉर्ट और स्पोर्ट्स ब्रा टाइप का स्विमवीयर पहना हुआ था...बट उसमें भी वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..उसके छोटे-2 बूब्स बिल्कुल चिपक चुके थे..और निप्पल थे की कपड़ा फाड़ कर बाहर आने को अमादा थे..
विक्की आराम से कमर तक आए पानी मे खड़ा होकर उनका वेट कर रहा था...और दूर से आती हुई काव्या को देखकर पानी के अंदर ही शॉर्ट मे उसका लंड खड़ा हो गया...इतनी सेक्सी जो लग रही थी ...लंबी और चिकनी टांगे...छरहरा बदन ...सपाट पेट..नाभि वाला हिस्सा अंदर की तरफ धंसा हुआ..और उपर उसके छोटे-2 बूब्स..और साथ मे उसका सेक्सी सा चेहरा....और वो विक्की की तरफ मुस्कुराती हुई आई और सीधा पानी मे छलाँग लगा कर अंदर कूद गयी...और कूदने के साथ ही वो एकदम से पानी के अंदर तक घुस गयी...एक ही मिनट मे उसकी साँसे बंद सी होने लगी..क्योंकि उसे तैरना तो आता नही था..बस शो बाजी मे वो विक्की के सामने छलाँग लगा गयी...विक्की ने भी ये मौका अपने हाथ से नही जाने दिया..और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे पानी से बाहर निकाला...अपनी फूली हुई सांसो पर काबू पाने के बाद काव्या को ये एहसास हुआ की उसकी गांड और पूरा शरीर विक्की ने अपने से चिपका रखा है...और उसके लंड वाले हिस्से पर उसकी भरी हुई गांड बुरी तरह से रगड़ खा रही थी.
विक्की का चेहरा उसकी कंधे पर था..वो धीरे से बोला : "तैरना नही आता तो पहले सीख लो मुझसे...अच्छी तरह से सीखा दूँगा..''
और इतना कहकर उसने उसकी नाभि पर ज़ोर से अपने हाथ का दबाव बनाकर उस हिस्से को अपनी मुट्ठी मे भर लिया...काव्या उसकी इस हरकत से सिहर उठी..
और काव्या ने एकदम से अपने आपको उसके चुंगल से छुड़वाया और गहरी साँसे लेते हुए किनारे पर खड़ी हो गयी..मज़ा तो उसको भी बहुत आया था पर ऐसे मज़े के लालच मे वो अपना मिशन नही भूलना चाहती थी.
उसने बात बदलते हुए एकदम से कहा : "मम्मी नही आई अभी तक...पता नही इतनी देर क्यो लग रही है उन्हे..''
और देर लगती भी क्यो ना..काव्या के जाते ही रश्मि एक्ससाइमेन्ट मे एकदम से नंगी हो गयी और अपने बैग से अपना स्विम सूट निकाल कर पहन लिया..पर जैसा उस सेल्सबॉय ने बोला था...उसे पीछे की डोरी बाँधने के लिए किसी की हेल्प लेनी पड़ेगी, और वो हेल्प करने के लिए उस वक़्त वहाँ कोई भी नही था...और रूम से लेकर स्वीमिंग पूल तक वाले एरिया मे जाने मे काफ़ी रिस्क था.....उसकी समझ में नही आ रहा था की करे तो क्या करे..
उसके मोटे-2 मुम्मे बिना ब्रा/स्विमसूट के बुरी तरह से लटक कर सॉफ दिख रहे थे...और ऐसे में वो बाहर कैसे जा सकती थी.
अचानक उसको एक आइडिया आया...उसने एक बड़ा सा टावल उठाया और अपने उपर वाले हिस्से को धक कर छुपा लिया...और बाहर निकल आई...
इसी बीच काव्या को एक बड़ी सी गोल ट्यूब मिल गयी और अपने कूल्हे बीच मे फँसा कर और अपनी टांगे बाहर हवा मे निकाल कर वो उसमें बैठ गयी और बच्चो की तरह पानी मे हाथ मारकर अपनी कश्ती चलाने लगी...और वो ऐसे करती हुई पानी के बीच में पहुँच गयी...
इसी बीच रश्मि किनारे पर पहुँची...ये सोचकर की अपनी ब्रा की डोरी वो काव्या से बँधवा लेगी..पर वो तो पानी के बीचो बीच थी..
विक्की ने जब उसे ऐसे टावल से ढक कर आते हुए देखा तो वो बोला : "अरे आंटी...आप ऐसे टावल लपेट कर क्यों आई हो...पानी मे आओ ना..ये टावल यहीं किनारे पर रखो...देखो कितना मज़ा आ रहा है पानी मे..''
वो सकुचाती हुई सी पानी मे पैर लटका कर बैठ गयी...और धीरे से बोली : "वो..दरअसल...मेरे टॉप की डोरी नही बंध रही...इसलिए ...मैने सोचा की पहले काव्या से बँधवा लू...''
उसने दूर पानी मे मस्ती करती हुई काव्या की तरफ देखा...पर वो तो अपने मे ही मस्त होकर तैरने मे लगी हुई थी..
विक्की तो बस इसी कल्पना मात्र से ही उत्तेजित हो उठा की इस टावल के नीचे रश्मि ने ब्रा की डोरियाँ नही बाँधी...हालाँकि वो नही जानता था की गले वाली डोरी बँधी है...पर उसके कल्पना के घोड़े तेज़ी से भागने लगे थे..
उसने बिना कोई देरी किए रश्मि की कमर मे हाथ डाला और उसे पानी मे खींच लिया..और जब तक रश्मि कोई रिएक्शन दे पाती , वो ठंडे पानी मे विक्की से चिपकी खड़ी थी..और दूर पानी मे मज़े लेती काव्या तिरछी नज़रों से उन दोनो को ऐसे चिपक कर खड़े हुए देखकर खुशी से फूली नही समा रही थी...उसने तो सोचा भी नही था की उन दोनो का एक्शन इतनी जल्दी शुरू हो जाएगा..
विक्की तो ये बात अच्छी तरह से जानता था की रश्मि के मन में उसके लिए क्या है, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया था..चाहती तो रश्मि भी यही थी पर अपनी बेटी के सामने एकदम से ऐसे नही...वो चिपक तो गयी उसके साथ पर उसकी नज़रें अपनी बेटी की तरफ ही थी...पर उसे दूसरी तरफ मज़े से पानी मे मज़े लेते देखकर वो निश्चिंत हो गयी...और अपने आप को विक्की की बाहों मे खुला छोड़ दिया..
विक्की ने टावल के अंदर हाथ डालकर ब्रा की डोरियाँ खोजी और उन्हे आपस मे बांध दिया...बाँधने के साथ ही उसकी छाती से लगे रश्मि के मोटे-2 मुम्मो के उपर आ रहा कसाव वो सॉफ महसूस कर पा रहा था...और ज़्यादा कसने की वजह से वो तन कर बिल्कुल सामने किसी तोप की तरह तन चुके थे...और गाँठ मारते हुए तो रश्मि के मुँह से एक आह्ह्ह भी निकल गयी..
और जैसे ही वो डोरी बँधी, रश्मि ने किसी फिल्मी अंदाज मे वो टावल निकाल कर किनारे पर फेंक दिया...और अब रश्मि के मोटे-2 मुम्मों को इतनी पास से देखकर विक्की की आँखे फटी रह गयी....ऐसे मोटे और गोरे मुम्मों की कल्पना तो उसने की भी नही थी...वो जानता तो था की वो तगड़ा माल है पर इतना खूबसूरत भी, ये उसने नही सोचा था..