hotaks444
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एक और घरेलू चुदाई
दोस्तो आपके लिए एक और मस्त कहानी लेकर आया हूँ मुझे उम्मीद है ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी
रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.
उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत
शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना
प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है
सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा
प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा
फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये
बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था , इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा
टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है
अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था
तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे , तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था
दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया
लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था
इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था
दोस्तो आपके लिए एक और मस्त कहानी लेकर आया हूँ मुझे उम्मीद है ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी
रामगढ़, शहर से दूर प्रकृति की छाँव मे बसा एक छोटा सा पर बड़ा ही प्यारा सा गाँव था , आबादी कुछ ज़्यादा नही थी करीब 100 एक घर होंगे एक तरफ घना जंगल था और दूसरी तरफ एक नदी थी पहाड़ो के आँचल मे बसा ये गाँव ऐसा था कि जो एक बार यहाँ आ जाए तो यहा आकर ही रह जाए, इसी गाँव मे रहता था प्रेम, उसके घर मे कुल मिला कर तीन लोग थे.
उसकी माँ सुधा, बहन उषा और तीसरा वो खुद पिता जब वो छोटा ही था तभी चल बसे थे सुधा ने ही दोनो भाई-बहनो को पाल पोसकर बड़ा किया था करीब 20-25 एक्ड्ड ज़मीन थी तो उसमे होने वाली फसल से भरपूर आमदनी हो जाती थी कुल मिला कर गाँव मे काफ़ी सम्मानित सा परिवार था उनका बहुत ज़्यादा अमीर तो नही पर ग़रीब भी नही थे तो चलो करते है कहानी की शुरुआत
शाम का वक़्त था प्रेम अपने दोस्त सौरभ के साथ नदी किनारे बैठा मछली पकड़ रहा था की सौरभ बोला-अरे यार आज गाँव मे वीसीआर का प्रोग्राम है पूरी रात फिलम देखने को मिलेगी तू आ रहा है ना
प्रेम- अच्छा मुझे तो पता ही नही था , वैसे किसके घर वीसीआर लाया जा रहा है
सौरभ- अरे वो अपने गाँव का नही है ना कल्लू उसके यहाँ ही और तू आ जाना वरना मैं भी नही जाउन्गा
प्रेम- यार माँ से पूछना पड़ेगा अगर वो हाँ कह देंगी तो पक्का आउन्गा
फिर दोनो मछली पकड़ने के बाद अपने अपने घर चले गये दोनो के घर बिल्कुल पास ही थे, रात को करीब 8 बजे सौरभ प्रेम को बुलाने आया प्रेम की भी इच्छा थी जाने की तो सुधा ने उसे कहा कि जाओ पर जल्दी ही वापिस आ जाना पूरी रात ही फिलम मत देखना तो फिर वो दोनो वीसीआर देखने कल्लू के घर पहुच गये रात का करीब 1 बज गया था एक फिलम पूरी हो गयी थी दूसरी चल रही थी कि तभी बिजली चली गयी और थोड़ा इंतज़ार करने पर भी ना आई तो करीब करीब सभी लोग अपने अपने घर चले गये
बस दो-चार लोग ही बचे थे, प्रेम और सौरभ का घर थोड़ा दूर पड़ता था तो वो वही कल्लू की बैठक मे लेट गये ना जाने कब दोनो को नीद आई , पर जब प्रेम की नींद खुली तो उसकी आँखे जैसे फट ही गयी थी दरअसल कुछ सिसकारियो की आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी थी लेटे लेती ही उसने आँखे खोल के देखा की सामने टीवी पर एक फिल्म चल रही है जिसमे एक आदमी और औरत पूरे नंगे थे और जिस्मो का खेल खेल रहे थे
प्रेम भी पूरा जवान था, और उसे भी इन सब बातों का पता था पर ये पहली बार था जब वो ऐसा कुछ अपनी आँखो से देख रहा था , इस से पहले तो उसने बस किस्से- कहानी ही सुने थे चुदाई के . उसका लंड पॅंट मे ही फूलने लगा साँसे भारी होने लगी थी, उसकी आँखे बरा बार टीवी की स्क्रीन पर ही गढ़ी थी अचानक ही उसका हाथ उसके लंड पर चला गया और वो उसे सहलाने लगा
टीवी पर चलती ब्लूफिल्म देख कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था करीब घंटे भर वो फिल्म चलती रही और प्रेम अपनी आँखो से उस नज़ारे का भरपूर अवलोकन करता रहा , बार बार उसे ख़याल आ रहा था कि काश उस आदमी की जगह वो उस लड़की को चोद रहा होता उसे लगा कि जैसे चूत मारने की उसकी इच्छा अचानक से बहुत ही ज़्यादा बढ़ गयी थी पर उसे ये भी पता था की चूत ऐसे नही मिला करती है
अगले दिन प्रेम सोया पड़ा था कि कमरे मे आवाज़ से उसकी आँख खुल गयी तो उसने देखा की उसकी बहन उषा झुक कर झाड़ू लगा रही है उसकी चुन्नी कुछ सरक सी गयी थी तो सूट मे से उसकी चूचियो की घाटी की लकीर प्रेम को दिखने लगी जबकि उषा बेतकलुफ्फि से झाड़ू लगाती रही प्रेम चाहकर भी अपनी नज़रे बहन के बोबो से हटा नही पाया तभी उषा दूसरी तरफ घूम गयी उसका सूट एक साइड से कुछ उपर को हो गया था
तो प्रेम को उसकी सलवार का पीछे का हिस्सा दिखने लगा क्या भारी भारी से चूतड़ थे उषा के , उषा उमर के 22वे बसंत मे चल रही थी 5 फुट के साँचे मे ढली गोरी सी एक भरे हुवे हुस्न की मालकिन थी उसके पतले होठ, लंबी गर्दन मोटी मोटी चूचिया किसी को भी अपना दीवाना एक पल मे ही बना सकती थी और ऐसा ही हाल उसके भाई का भी उस समय हो रहा था तभी उसकी नज़र प्रेम पर पड़ी तो वो चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुवे बोली उठ गये भाई
प्रेम ने भी मुस्कुरा कर उसको जवाब दिया और सीधा खेत की तरफ चल पड़ा कुछ तो उसने रात को ब्लूफिल्म देखली थी और फिर सुबह सुबह ही अपनी बहन की चूचियो के दर्शन कर लिए थे , तो वैसे ही उसका हॉल बुरा था लंड रह रह कर पॅंट मे ऐंठन पैदा कर रहा था और फिर जब वो कुँए से बाल्टी भर रहा था तो उसने देखा कि पास के खेत मे एक बकरा एक बकरी पे चढ़ कर उसे चोद रहा था
दरअसल वो खेत सौरभ का था और वहाँ पर उसकी मम्मी विनीता भी थी जो कि करीब 35 साल की एक मस्त औरत थी गाँव मे कई लोग उसको चोदना चाहते थे वो बहुत ही सुंदर थी अंग-अंग जैसे किसी शिल्पकार ने मेहनत से तराशा हो उसका , उसे देख कर कोई कह ही नही सकता था कि वो दो बच्चों की मा होगी, इधर प्रेम का लंड बहुत गरम हो चुका था तो उसने उसे पॅंट से बाहर निकाल दिया
लंड हवा मे झूलने लगा प्रेम के दिमाग़ मे हवस का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया तो उसे मज़ा आने लगा उसका हाथ तेज़ी से लंड पर चलने लगा और उसकी आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी थी तभी उसकी आँखो के सामने उषा की तस्वीर आ गयी, तो लंड और भी कड़ा हो गया उसके मन मे विचार आया कि जैसे वो उषा को ही चोद रहा है अपनी सग़ी बहन की कल्पना करके वो मुट्ठी मार रहा था
इधर प्रेम कुँए पर खड़े खड़े ही मुट्ठी मार रहा था दूसरी तरफ बाल्टी लिए विनीता उसी ओर चले आ रही थी अपनी मस्ती मे मस्त विनीता जैसे ही उस ओर आई तो उसकी निग प्रेम पर पड़ी तो वो उसके उस विशालकाय लंड को देखते ही उसकी आँखे खुल गयी वो फॉरन ही दीवार की ओट मे हुई और चुपके चुपके प्रेम के लंड को निहारने लगी प्रेम उसकी मोजूदगी से बेख़बर अपना लंड हिलाने मे लगा हुवा था