hotaks444
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विनीता जानती थी कि अब सौरभ उसको उतारने की कहेगा पर उसने सोच लिया था कि अपने बेटे को उस जन्नत के नज़ारे को अभी नही दिखाएगी उसने कहा- बेटा पैंटी को रहने दो हमारे बीच थोड़ा परदा तो रहना चाहिए तुम इसके उपर से ही साबुन लगा लो सौरभ के लिए तो इतना भी बहुत था ,जैसे ही उसने पैंटी पर अपना हाथ रखा उसके हाथो से साबुन नीचे गिर गयी विनीता की हँसी छूट गयी सौरभ ने चूत को कच्छी के उपर से ही अपनी मुट्ठी मे भरा और दबा दिया विनीता के मुँह से आह निकली
क्या हुआ मम्मी पूछा उसने
कुछ नही बेटा तुम अपना काम करो
साबुन से चिकनी हो चुकी कच्छी और टाँगो पर काफ़ी सारा झाग हो गया था सौरभ ने थोड़ा सा आगे बढ़ने को सोचा और अपनी एक उंगली कच्छी की साइड से पैंटी के अंदर सरका दी विनीता ने इसकी उम्मीद नही की थी पर वो चुप ही रही सौरभ धीरे धीरे अपनी उंगली को मम्मी के झान्टो पर रगड़ने लगा विनीता की टाँगे अपने आप खुलती चली गयी दो चार मिनिट तक चूत के बालो से खेलने के बाद सौरभ ने अपना हाथ निकाल लिया और मम्मी को नहलाने लगा
नहलाने के बाद तौलिए से अच्छे से रगड़ा उसने विनीता के जिस्म को ख़ासकर उसकी गान्ड और चूचियो को विनीता की चूत अब फटने को आई थी उसके बेटे ने उसको बुरी तरह से उत्तेजित कर दिया था अगर रिश्तो की मर्यादा ना होती तो अभी के अभी वो उसकी लंड को अपनी चूत मे घुसा लेती पर उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये शरम के बंधन पर कही ना कही एक चिंगारी दोनो माँ बेटे के दिल मे भड़कने लगी थी
विनीता बस जल्दी से जल्दी अपनी चूत की खुजली को उंगली से शांत करना चाहती थी कमरे मे आके सौरभ ने उसको कपड़े पहनाए दोनो का बुरा हाल था विनीता ने कहा बेटा मैं थोड़ी देर सोना चाहती हूँ तुम जाते जाते दरवाजे को बंद करके जाना , सौरभ वहाँ से सीधा बाथरूम मे आया और अपनी मम्मी की गीली ब्रा पैंटी को सूंघते हुए अपने लंड को हिलाने लगा कमरे मे विनीता अपनी चूत मे दो उंगलिया घुसाए पड़ी थी
ओह मममम्मी तुम कितनी सुंदर हो तुम्हारे बड़े बड़े बोबे और चूतड़ मम्मी एक बार दे दो ना बस एक बार ऐसे मन ही मन बुदबुदते हुवे सुरभ अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था और फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना पानी गिरा दिया , विनीता भी बिस्तर पर मचल रही थी उसकी चूत से बहुत ज़्यादा रस बह रहा था उसकी उंगलियो की रफ़्तार अब बहुत तेज हो गयी थी और फिर एक लंबी सांस के बाद वो भी झाड़ गयी पर उसके मुँह से झड़ते हुए निकल गया ओह्ह्ह्ह बेटे चोद दे अपनी माआआआआआआ कूऊव आअहह
झड़ने के बाद विनीता को भी हैरानी हुई कि वो अपने बेटे को सोच कर झड़ी थी उसके होटो पर एक मुस्कान गयी और फिर थकान के मारे उसको नींद आ गयी सौरभ भी अपना काम करने लग गया ,
उषा उठ चुकी थी और नज़रे बचा बचा कर प्रेम की तरफ देख रही थी पर माँ के होते दोनो कुछ कर नही सकते थे तो बस आँख मिचोली चल रही थी दोनो को इंतज़ार था रात का की कब माँ जाए और कब दोनो बिस्तर मे उस गरम खेल को खेले
रात को सबने खाना खाया और फिर रसोई का काम निपटा कर सुधा विनीता के घर चली गयी प्रेम ने दरवाजे को बंद किया और उषा के पास पहुच गया उषा को अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा और वो भी उसका पूरा साथ देने लगी उषा ने अपने रसीले होटो को भाई के लिए खोल दिया और अपनी बाहें प्रेम की पीठ पर कस दी दोनो की साँसे आपस मे घुलने लगी जिस्मो मे गर्मी का दौरा बढ़ने लगा एक लंबे किस के बाद प्रेम ने उषा को अपनी गोदी मे उठाया और कमरे मे ले आया
दोनो के नज़रे मिली और फिर बेसबरो ने जल्दी जल्दी एक दूसरे के कपड़ो को उतारना शुरू कर दिया दीदी के गदराए योवन के दर्शन करते ही प्रेम के लंड की नसें फूलने लगी उषा अपनी गान्ड मटकाते हुए आगे को आई और अपने भाई की गोद मे बैठ गयी, प्रेम का लंड उषा की गान्ड की दरार मे सेट हो गया गरम लंड को गान्ड पर पहसूस करके उषा को बहुत अच्छा लग रहा था उसने अपनी गंद को थोड़ा सा हिलाया उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्रेम का हाल हुआ अब बुरा
दीदी के कान के पिछले हिस्से पर किस करते हुए प्रेम ने अपने हाथों से दीदी को मस्त कबूतरों को थाम लिया और बड़े ही प्यार से उनको सहलाने लगा प्रेम के स्पर्श से उषा की आँखे गुलाबी होने लगी थी कल रात को जो धमाके दार चुदाई की थी प्रेम ने उसकी तो उषा उसकी दीवानी हो चुकी थी उसने पूरी तरह से अपने आप को भाई की बाहों मे सोन्प दिया था अब उषा थोड़ी सी साइड पर हुई और अपना हाथ नीचे ले जाकर लंड को पकड़ लिया और अपना हाथ उस पर फेर ने लगी इधर प्रेम उसके बोबो पर अपना दवाब बढ़ता जा रहा था दोनो की साँसे भारी हो चली थी
उषा बेहद कामुक हो रही थी उस से रुका नही जा रहा था तो वो गोदी मे ही झुकी और अपने होटो को लंड के सुपाडे पर टीका दिया उसके इस तरह झुकने से उसके कूल्हे उपर की तरफ उठ गये थे और प्रेम की आँखो के सामने आ गये थे लंड पर गीली जीभ के अहसास से ही प्रेम के बदन मे झुरजुरी दौड़ गयी उसको बहुत मज़ा आ रहा था उसके मुँह से निकल गया = आआआआआअ हह दीदी बहुत अच्छे ऐसे ही चूसो बहुत मज़ा आ रहा है ये सुनकर उषा और भी तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी
उषा के चूतड़ बहुत थिरक रहे थे उसकी चूत से रस की बूंदे टपक रही थी प्रेम ने अपनी एक उंगली चूत के अंदर सरका दी तो उषा ने अपने कुल्हो को सिकोड लिया प्रेम ने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुँह मे डाल दिया, दीदी की चूत का रस उसे बहुत स्वादिष्ट लगा तो उसने फिर से अपनी उंगली अंदर डाल दिया और हिलाने लगा उषा की टाँगे काँपने लगी उसने ने अपने मुँह से लंड नेकाला और प्रेम से कहा – मेरी चूत को चूसो ना
प्रेम तो चाहता ही था उसने तुरंत अपना मुँह चूत के गुलाबी होटो पर लगा दिया और छोटी सी चूत को झट से अपने मुँह मे ले लिया नमकीन स्वाद उसके मुँह मे घुलने लगा दोनो भाई बहन पागलो की तरह एक दूसरे के गुप्तांगो को चूस रहे थे कमरे की फ़िज़ा मे कामुक सिसकारियो का समावेश हो रहा था , उषा लंड को अपने गले तक उतार लेती थी उसके थूक मे पूरा लंड सन चुका था जबकि प्रेम भी कोई कसर बाकी ना छोड़ते हुए अपनी जीभ को गोल घुमा घुमा करके दीदी की चूत का पानी पीने की कोशिश कर रहा था
पल पल प्रेम के लंड की कठोरता और उषा की चूत की चिकनाहट बढ़ती ही जा रही थी प्रेम का लंड अब बिल्कुल तैयार था दीदी की चूत मे जाने के लिए उसने उषा को बिस्तर पर घोड़ी बनाया और उसकी पतली कमर को थामते हुवे अपने लंड को चूत के मुख से सटा दिया उषा ने एक झुरजुरी सी ली और अगले ही पल प्रेम का सुपाडा चूत मे घुस चुका था , उषा बस एक बार ही चुदि हुई चूत थी तो उसे फिर से दर्द हुआ पर वो जानती थी कि बस थोड़ी देर की ही तो बात हैं उसने अपने हाथों मे चादर को कस लिया प्रेम ने एक धक्का और मारा और लंड आधा अंदर सरक गया
उषा इस बार अपनी आह को नही रोक पाई प्रेम वही पर रुक गया और अपने हाथो को आगे लेजा कर उषा के बोबो को मसल्ने लगा उषा के कुछ नॉर्मल सा होते ही उसने एक तेज का शॉट लगाया और अपने अंडकोषो को उषा के कुल्हो से सटा दिया उषा को लगा कि उसकी चूत को किसी लंबे चाकू से चीर दिया गया हो जैसे आँसू निकल पड़े आँखो से पर वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी कल भी तो उसने चुदाई का सुख प्राप्त किया था दीदी के बोबो को कुछ ज़ोर से भींचते हुए प्रेम अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा
गीली चूत के रस से सारॉबार लंड ने जल्दी ही जगह बना ली और चूत की दीवारो से रगड़ खाने लगा उषा को धीरे धीरे मस्ती चढ़ने लगी थी जल्दी ही प्रेम ने अपनी रफ़्तार को पकड़ लिया और दीदी को पाने लौडे का मज़ा देने लगा जितनी ज़ोर से अब वो बहन के बोबो को मसलता उषा को उतनी ही मस्ती चढ़ती दोनो भाई बहन एक दूजे मे समाए हुए उस कमरे मे अपनी हवस को शांत कर रहे थे दोनो की आहे कमरे की दीवार से टकरा रही थी करीब पंद्रह मिनिट की चुदाई के बाद उषा झड चुकी थी और प्रेम भी बस झड़ने ही वाला था उसने उषा की कमर को कस कर जाकड़ लिया और फिर उसको लिए लिए ही बेड पर लुढ़क गया उसके वीर्य की धार उषा की चूत मे गिरने लगी दोनो अपनी मंज़िल को पा गये थे………………………….
पर ये तो बस एक शुरुआत थी पाप के रास्ते पर पहले कदम थे इनके
क्या हुआ मम्मी पूछा उसने
कुछ नही बेटा तुम अपना काम करो
साबुन से चिकनी हो चुकी कच्छी और टाँगो पर काफ़ी सारा झाग हो गया था सौरभ ने थोड़ा सा आगे बढ़ने को सोचा और अपनी एक उंगली कच्छी की साइड से पैंटी के अंदर सरका दी विनीता ने इसकी उम्मीद नही की थी पर वो चुप ही रही सौरभ धीरे धीरे अपनी उंगली को मम्मी के झान्टो पर रगड़ने लगा विनीता की टाँगे अपने आप खुलती चली गयी दो चार मिनिट तक चूत के बालो से खेलने के बाद सौरभ ने अपना हाथ निकाल लिया और मम्मी को नहलाने लगा
नहलाने के बाद तौलिए से अच्छे से रगड़ा उसने विनीता के जिस्म को ख़ासकर उसकी गान्ड और चूचियो को विनीता की चूत अब फटने को आई थी उसके बेटे ने उसको बुरी तरह से उत्तेजित कर दिया था अगर रिश्तो की मर्यादा ना होती तो अभी के अभी वो उसकी लंड को अपनी चूत मे घुसा लेती पर उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये शरम के बंधन पर कही ना कही एक चिंगारी दोनो माँ बेटे के दिल मे भड़कने लगी थी
विनीता बस जल्दी से जल्दी अपनी चूत की खुजली को उंगली से शांत करना चाहती थी कमरे मे आके सौरभ ने उसको कपड़े पहनाए दोनो का बुरा हाल था विनीता ने कहा बेटा मैं थोड़ी देर सोना चाहती हूँ तुम जाते जाते दरवाजे को बंद करके जाना , सौरभ वहाँ से सीधा बाथरूम मे आया और अपनी मम्मी की गीली ब्रा पैंटी को सूंघते हुए अपने लंड को हिलाने लगा कमरे मे विनीता अपनी चूत मे दो उंगलिया घुसाए पड़ी थी
ओह मममम्मी तुम कितनी सुंदर हो तुम्हारे बड़े बड़े बोबे और चूतड़ मम्मी एक बार दे दो ना बस एक बार ऐसे मन ही मन बुदबुदते हुवे सुरभ अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था और फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना पानी गिरा दिया , विनीता भी बिस्तर पर मचल रही थी उसकी चूत से बहुत ज़्यादा रस बह रहा था उसकी उंगलियो की रफ़्तार अब बहुत तेज हो गयी थी और फिर एक लंबी सांस के बाद वो भी झाड़ गयी पर उसके मुँह से झड़ते हुए निकल गया ओह्ह्ह्ह बेटे चोद दे अपनी माआआआआआआ कूऊव आअहह
झड़ने के बाद विनीता को भी हैरानी हुई कि वो अपने बेटे को सोच कर झड़ी थी उसके होटो पर एक मुस्कान गयी और फिर थकान के मारे उसको नींद आ गयी सौरभ भी अपना काम करने लग गया ,
उषा उठ चुकी थी और नज़रे बचा बचा कर प्रेम की तरफ देख रही थी पर माँ के होते दोनो कुछ कर नही सकते थे तो बस आँख मिचोली चल रही थी दोनो को इंतज़ार था रात का की कब माँ जाए और कब दोनो बिस्तर मे उस गरम खेल को खेले
रात को सबने खाना खाया और फिर रसोई का काम निपटा कर सुधा विनीता के घर चली गयी प्रेम ने दरवाजे को बंद किया और उषा के पास पहुच गया उषा को अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा और वो भी उसका पूरा साथ देने लगी उषा ने अपने रसीले होटो को भाई के लिए खोल दिया और अपनी बाहें प्रेम की पीठ पर कस दी दोनो की साँसे आपस मे घुलने लगी जिस्मो मे गर्मी का दौरा बढ़ने लगा एक लंबे किस के बाद प्रेम ने उषा को अपनी गोदी मे उठाया और कमरे मे ले आया
दोनो के नज़रे मिली और फिर बेसबरो ने जल्दी जल्दी एक दूसरे के कपड़ो को उतारना शुरू कर दिया दीदी के गदराए योवन के दर्शन करते ही प्रेम के लंड की नसें फूलने लगी उषा अपनी गान्ड मटकाते हुए आगे को आई और अपने भाई की गोद मे बैठ गयी, प्रेम का लंड उषा की गान्ड की दरार मे सेट हो गया गरम लंड को गान्ड पर पहसूस करके उषा को बहुत अच्छा लग रहा था उसने अपनी गंद को थोड़ा सा हिलाया उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्रेम का हाल हुआ अब बुरा
दीदी के कान के पिछले हिस्से पर किस करते हुए प्रेम ने अपने हाथों से दीदी को मस्त कबूतरों को थाम लिया और बड़े ही प्यार से उनको सहलाने लगा प्रेम के स्पर्श से उषा की आँखे गुलाबी होने लगी थी कल रात को जो धमाके दार चुदाई की थी प्रेम ने उसकी तो उषा उसकी दीवानी हो चुकी थी उसने पूरी तरह से अपने आप को भाई की बाहों मे सोन्प दिया था अब उषा थोड़ी सी साइड पर हुई और अपना हाथ नीचे ले जाकर लंड को पकड़ लिया और अपना हाथ उस पर फेर ने लगी इधर प्रेम उसके बोबो पर अपना दवाब बढ़ता जा रहा था दोनो की साँसे भारी हो चली थी
उषा बेहद कामुक हो रही थी उस से रुका नही जा रहा था तो वो गोदी मे ही झुकी और अपने होटो को लंड के सुपाडे पर टीका दिया उसके इस तरह झुकने से उसके कूल्हे उपर की तरफ उठ गये थे और प्रेम की आँखो के सामने आ गये थे लंड पर गीली जीभ के अहसास से ही प्रेम के बदन मे झुरजुरी दौड़ गयी उसको बहुत मज़ा आ रहा था उसके मुँह से निकल गया = आआआआआअ हह दीदी बहुत अच्छे ऐसे ही चूसो बहुत मज़ा आ रहा है ये सुनकर उषा और भी तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी
उषा के चूतड़ बहुत थिरक रहे थे उसकी चूत से रस की बूंदे टपक रही थी प्रेम ने अपनी एक उंगली चूत के अंदर सरका दी तो उषा ने अपने कुल्हो को सिकोड लिया प्रेम ने उंगली को बाहर निकाला और अपने मुँह मे डाल दिया, दीदी की चूत का रस उसे बहुत स्वादिष्ट लगा तो उसने फिर से अपनी उंगली अंदर डाल दिया और हिलाने लगा उषा की टाँगे काँपने लगी उसने ने अपने मुँह से लंड नेकाला और प्रेम से कहा – मेरी चूत को चूसो ना
प्रेम तो चाहता ही था उसने तुरंत अपना मुँह चूत के गुलाबी होटो पर लगा दिया और छोटी सी चूत को झट से अपने मुँह मे ले लिया नमकीन स्वाद उसके मुँह मे घुलने लगा दोनो भाई बहन पागलो की तरह एक दूसरे के गुप्तांगो को चूस रहे थे कमरे की फ़िज़ा मे कामुक सिसकारियो का समावेश हो रहा था , उषा लंड को अपने गले तक उतार लेती थी उसके थूक मे पूरा लंड सन चुका था जबकि प्रेम भी कोई कसर बाकी ना छोड़ते हुए अपनी जीभ को गोल घुमा घुमा करके दीदी की चूत का पानी पीने की कोशिश कर रहा था
पल पल प्रेम के लंड की कठोरता और उषा की चूत की चिकनाहट बढ़ती ही जा रही थी प्रेम का लंड अब बिल्कुल तैयार था दीदी की चूत मे जाने के लिए उसने उषा को बिस्तर पर घोड़ी बनाया और उसकी पतली कमर को थामते हुवे अपने लंड को चूत के मुख से सटा दिया उषा ने एक झुरजुरी सी ली और अगले ही पल प्रेम का सुपाडा चूत मे घुस चुका था , उषा बस एक बार ही चुदि हुई चूत थी तो उसे फिर से दर्द हुआ पर वो जानती थी कि बस थोड़ी देर की ही तो बात हैं उसने अपने हाथों मे चादर को कस लिया प्रेम ने एक धक्का और मारा और लंड आधा अंदर सरक गया
उषा इस बार अपनी आह को नही रोक पाई प्रेम वही पर रुक गया और अपने हाथो को आगे लेजा कर उषा के बोबो को मसल्ने लगा उषा के कुछ नॉर्मल सा होते ही उसने एक तेज का शॉट लगाया और अपने अंडकोषो को उषा के कुल्हो से सटा दिया उषा को लगा कि उसकी चूत को किसी लंबे चाकू से चीर दिया गया हो जैसे आँसू निकल पड़े आँखो से पर वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी कल भी तो उसने चुदाई का सुख प्राप्त किया था दीदी के बोबो को कुछ ज़ोर से भींचते हुए प्रेम अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा
गीली चूत के रस से सारॉबार लंड ने जल्दी ही जगह बना ली और चूत की दीवारो से रगड़ खाने लगा उषा को धीरे धीरे मस्ती चढ़ने लगी थी जल्दी ही प्रेम ने अपनी रफ़्तार को पकड़ लिया और दीदी को पाने लौडे का मज़ा देने लगा जितनी ज़ोर से अब वो बहन के बोबो को मसलता उषा को उतनी ही मस्ती चढ़ती दोनो भाई बहन एक दूजे मे समाए हुए उस कमरे मे अपनी हवस को शांत कर रहे थे दोनो की आहे कमरे की दीवार से टकरा रही थी करीब पंद्रह मिनिट की चुदाई के बाद उषा झड चुकी थी और प्रेम भी बस झड़ने ही वाला था उसने उषा की कमर को कस कर जाकड़ लिया और फिर उसको लिए लिए ही बेड पर लुढ़क गया उसके वीर्य की धार उषा की चूत मे गिरने लगी दोनो अपनी मंज़िल को पा गये थे………………………….
पर ये तो बस एक शुरुआत थी पाप के रास्ते पर पहले कदम थे इनके