Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Porn Kahani शरीफ़ या कमीना

hotaks444

New member
Joined
Nov 15, 2016
Messages
54,521
शरीफ़ या कमीना


Lekhak- Anoop

मैं राज चौधरी, जन्म से अच्छा शरीफ़ बन्दा था पर यार-दोस्तों की चक्कर में अब एक कमीना टाईप बन्दा बन गया हूँ। कमीना भी ऐसा की खुद अपनी छोटी बहन के सुहागरात की वीडीयो पूरी प्लानिंग के साथ बनाई और अब अपने दोस्त के साथ, जो संयोग से मेरी बहन का देवर है, उस वीडीयो को देख-देख कर अपने लन्ड की गर्मी शान्त करता हूँ। चलिए अब बताता हूँ सब बात शुरुआत से, जिससे आपको भी कुछ पता चले और शायद मजा भी आए। मैं अभी २२ साल का हूँ और मेरी छोटी बहन तनु चौधरी की शादी अभी एक महिने पहले मेरे दोस्त बब्लू के बडे भाई से हुई है। तनु मुझसे ४ साल छोटी है, अभी अगस्त महिने में १८ पूरा हुआ उसका और नवंबर में उसकी शादी बब्लू के भैया से हो गयी जो इसी साल एक बैंक में अधिकारी बने हैं। बब्लू मेरे बचपन का दोस्त है, नर्सरी से हम साथ ही पढे हैं। सच तो यह है कि बब्लू मेरी बहन पर शुरु से लाईन मारता रहा है और अब मैं भी उसकी बहन पर लाईन मारता हूँ। तनु मुझसे ४ साल ही छॊटी है, जबकि बब्लू की बहन बब्ली उससे आठ साल छोटी है। जाहिर है कि मेरी बहन तनु उसकी बहन बब्ली से पहले जवान हो गई।


हम तब ग्यारहवीं में थे और जब वो एक दोपहर मेरे घर आया था और उसी दिन उसको मेरी बहन जो तब सातवीं मे थी भरपूर देखने का मौका मिला था। उस दिन उसमें मेरे ही घर पर सीधे-सीधे मुझसे कहा था, "यार राज, तनु स्कूल में तो बच्ची दिखती है, पर यहाँ घर के कपड़ों में तो माल लग रही है यार।" तनु स्कूल तो एक ढीले सलवार-कुर्ते में जाती थी एक दुपट्टे के साथ जबकि घर पर वो एक टाईट टी-शर्ट के साथ एक स्कर्ट पहने थी जो उसके घुटने से करीब एक इंच ऊपर ही था और तनु की गोरी-गोरी पतली से टाँगे दिख रही थी। हम आपस में लडकियों के बारे में बाते करते, गन्दी किताबें पढते और साथ-साथ मूठ मारते थे। मैं उसकी बात सुन कर बस मुस्कुरा कर रह गया। मैं भी तनु के बदन को देखता तो था पर फ़िर वो मेरी बहन है, बस यह सोचकर अपने दिल को समझा लेता था। आज बब्लू के शब्दों में मेरे दिल की उसी रग को छेड़ दिया था सो मैं बस मुस्कुराया और चुप रह गया। बब्लू ने मेरी मुस्कुराहट से गलत अंदाजा लगाया और आगे कह गया, "अब यार जरा तनु के जाँघ का वर्णन करो ना, या उसका बदन जो तुम द्खे हो तो आज उसके नाम की मूठ निकाली जाए"। मैंने अब उसको हँसते हुए कहा, "हट... साले, एक घूँसा लगाऊँगा साले अब तुम्हें"। वो मेरा स्वभाव अच्छे से जानता था सो फ़िर मुझे छेडा, "अरे बेटा... हम सब समझ रहे हैं। ऐसा माल जब घर में है तभी तो तेरा लंड ऐसा मोटा हुआ है.... साले कब से हिला रहे हो तनु के बारे में सोच-सोच कर?" सच में मेरा लंड मेरी कद-काठी के हिसाब से कुछ ज्यादा ही मोटा है। मैं खुद दुबला सा हूँ, ५’७" और वजन कुल जमा ५६ किलो जबकि लंड है ७.५" और घेरा है ४.५" का जबकि बब्लू का बदन मेरे से अच्छा है पर उसका लंड है ६.५" और घेरा है ३.५"। मैंने अब कहा, "अबे साले तू अब पिट जाएगा मेरे से.... साले अब यही बाकी रहा है क्या कि मैं अपनी ही बहन की मूठ निकालूँ।"
 
उसने अब मुझे उकसाया, "अच्छा यार, तेरे लिए यह मुश्किल है पर मेरे लिए तो नहीं.... अब मैं तो तनु के लिए ही आज मूठ निकालूँगा, तुझे अगर पिटना है तो पीट ले पर मैं तो यार तुमसे यह कह भी रहा हूँ, देख अगर यही मैं अगर बिना तुम्हें बताए निकाल दूँ तब? तुझे पता भी है कि कब-कौन-कहाँ तेरी बहन को याद करके मूठ मार रहा है? सोच कर देख यार, हम अबतक जिन लडकियों के लिए मूठ मारते रहे हैं, क्या उन सब के भाई को पता भी है यह बात?" बब्लू बात तो सही कह रहा था, हमदोनों ने साथ मिलकर न जाने कितनी लड़कियों के बारे में गन्दा बोलते हुए साथ में मूठ मारी थी, सो मैं अब बब्लू की बात सुनकर चुप रह गया और तब बब्लू फ़िर बोला, "अच्छा यार.... अब बस प्लीज गुस्सा छोड़ और बस इतना बता दे कि तनु की काँख में बाल है या वो साफ़ करके रखती है अपने काँख। बस इसी से थोड़ा अंदाजा लगा कर अपने दिमाग में उसकी बूर के बारे में सोचते हुए मूठ मार कर अपनी गर्मी शान्त कर लूँगा दोस्त"। असल में हमदोनों को लड़की की झाँट का जबर्दस्त पैशन था।

ब्लू-फ़िल्मों में हमने जिस भी लड़की को देखा, सब की झाँट साफ़ ही थी। एक बार बड़ा हिम्मत जुटा कर एक कोठे पर भी हम हो आए थे, पर वहाँ साली रंडी जो मिली उसकी भी झाँट सफ़ाचट थी। हम अक्सर बात करते थे कि झाँटों भरी बूर कैसी दिखेगी असल में। मैं बब्लू की बात सुन कर धीमे से कहा, "बाल है उसके काँख में तीन दिन पहले ही देखा था जब वो छोटे बाँह का कुर्ता पहनी थी"। बब्लू की आँख चमक उठी, "अच्छा... क्या वो बाल छोटे-छोटे थे, जैसे दाढ़ी बनाने के बाद उग जाते हैं या पूरा ही थे?" मैं भी अब थोड़ा खुलते हुए कहा, "नहीं-नहीं, बडे थे... एक इंच से ज्यादा ही थे, काले-गुच्छे में।" बब्लू अब चहका, "वाह.... मतलब कि तनु अपना बाल छिलती नहीं है। मतलब उसके बूर पर भी झाँट होगा एक-एक इंच का.... काला-काला और घुँघराला भी। वाह दोस्त.... जबरद्स्त बहिन है तुम्हारी तो", कहते हुए उसने अपना जींस का बटन खोलकर लंड बाहर निकाला और मैं चट से दौड़ कर कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया।

लौट कर देखा कि बब्लू का लंड आधा ठनक गया है और उसका सुपाडा अब अपने खोल से बाहर निकल कर चमकने लगा है। वो अब अपनी ऊँगली से थूक निकाल कर अपने सुपाड़े पर चुपड़ रहा था। मुझे लौटता देख बोला, "आजा यार तू भी, दोनों साथ में तनु के बारे में बात करते हुए मूठ मारते हैं। तू साथ में तनु के बारे में बताना, बदलें में मैं कल अकेले तेरा पेमेंट करके तुझे कोठे पर एक घन्टे के लिए भेज दूँगा जिसके साथ भी तू जाना चाहे"। यह एक बडा औफ़र था मेरे लिए, इसके पहले दो बार हम दोनों ने एक साथ रंडी बूक की थी एक घन्टे के लिए और मैं हमेशा ही उसकी छाया में ही रह गया था, वो साला ज्यादा खुल कर मजे लेता था। मैंने भी अपना पैन्ट उतारते हुए कहा, "ठीक है साले, पर कल मुकर मत जाना मादरचोद"। वो मुस्कुराया और हम दोनों ने अपने हथेलियों से हाई-फ़ाईव किया। उस दिन पहली बार मेरी बहन तनु के बारे में गन्दी-गन्दी बाते करते हुए हम दोनों ने मूठ मारी। इसके बाद तो जब हम खुले तो फ़िर अक्सर ही हम तनु के बारे में बातें करते हुए अपना लंड झाडने लगे। मेरी तनु धीरे-धीरे पूरी तरह से जवान हो गयी और मेरी कमीनापंती भी बढती गयी। मैंने तनु की नंगी तस्वीरें भी खींची जब वो बाथरूम में नहा रही थी, हालाँकि बारहवीं के बाद मैं और बब्लू बाहर चले गये ग्रैजुएशन के लिए और धीरे-धीरे तनु के बदन की याद भी हमारे दिमाग से निकल गयी और हम अब बड़े शहर की नयी-नयी छोरियों के चक्कर में पड़ गये। हम अब कौलेज में नयी आजादी के साथ नयी लडकियों को चोदने लगे थे और तनु हमारे दिमाग से अब गायब हो चली थी।
 
चार साल बीत गया और इसी बीच तनु के इंटर का इम्तिहान खत्म होते ही उसके शादी के लिए लडकी की खोज शुरु हो गयी। हमारी तरफ़ बीस की उमर तक लडकी की शादी हो जानी आम बात थी। लोग इंटर पूरा करते ही लड़की के लिए दूल्हा देखने लगते थी और उसके बी०ए० होते-होते उसकी शादी कर देते थे। अब चूँकि बब्लू मेरा दोस्त था और जब उसके भैया का बैंक में नौकरी लग गया तो उसके घर तनु के लिए रिश्ता जाना लाजमी था। बब्लू के भैया थोडा पढाकू टाईप थे, सो ज्यादा मीन-मेख नहीं हुआ और तनु की शादी उनके साथ फ़ाईनल हो गयी। शादी से दो महिने पहले हमदोनों को भी डिग्री मिल गयी और हमारे घर में खुशियाँ दोगुणी हो गयीं। इस बार जब बब्लू मेरे घर आया तब वो मेरा दोस्त ही बन कर आया था, पर उसके तेवर अब नये किस्म के थे। जिस तनु के बदन को याद कर-करके उसने न जाने कितनी मूठ मारी थी वो तनु अब उसकी भाभी बन रही थी। उसने तो मेरे सामने ही तनु से मजाक शुरु कर दिया। आज की तनु अब १८ साल की एक जवान लड़की थी, और उससे ऐसे ही मिली जैसे वो बचपन में अपने भैया के दोस्त से मिलती थी, पर बब्लू ने एक झटके में उसको शर्माने पर मजबूर कर दिया, "क्या तनु... अब तक तो सही समय आया था तुमको लाईन मारने का, अभी तक तो मैं तुम्हारे ही ख्याल में रहता आया हूँ, अब भैया से शादी के बाद जरा अपने देवर को भी कभी-कभार लाईन दे देना। पराठा खिलाना भैया को खूब मन भर, मुझे बस जरा दिखा दिया करना"। तनु समझी नहीं, पर मैं समझ गया, यह "पराठा" हमदोनों का कोड-वर्ड था लडकी के तिकोने झाँट के लिए। तनु के चेहरे पर नासमझी के भाव थे, वो बोली, "इसमें क्या बात है, मैं पराठा बहुत अच्छा पकाती हूँ।" अब बब्लू बोल उठा, "अरे भाभी जी, आपके पराठे तो भैया ही चाटेंगे....हमें तो आप बस डेयरी मिल्क भी दिखा दोगी तब भी दिन बन जाएगा, पराठा एक बार दिखा दी तब तो जिनदगी बन जाएगी।" उसने जिस तरह से "डेयरी मिल्क" कहते हुए तनु की चूचियों को घूरा, वो पूरी तरह से समझ गयी थी कि उसका इशारा किस तरफ़ है। उसने अपने दुपट्टे को संभाला और मुस्कुराते हुए वहाँ से खिसक ली। शादी में दो महिने थे और दोनों ही परिवार में तैयारी चल रही थी।



अब एक बार फ़िर से हम दोनों दोस्तों के प्राईवेट बातों का विषय मेरी बहन तनु बन गयी थी। इन चार सालों में हमने कई लडकियों को चोद लिया था और हम अब ज्यादा खुल कर तनु के बदन के बारे में बातें करने लगे थे। मैंने तो अब बब्लू की छोटी बहन बब्ली, जो अब दसवीं में थी, के बारे में भी बोलना शुरु कर दिया था और गाहे-बगाहे उसके गालों को सहला भी दिया करता था। पर हमारा रिश्ता ऐसा था कि कोई कुछ खास शक भी नहीं करता था। एक दिन तो बब्लू ने अपनी बहन बब्लू की एक पैन्टी ही लाकर मुझे दे दिया और एक तरह से चैलेंज करते हुए कहा, "क्या बेटा, तू कभी ऐसी हिम्मत कर सकता है?" अगले ही दिन मैंने भी तनु की पैन्टी चुरा कर बब्लू को दे दी और उस दिन हम दोनों ने एक-दूसरे की बहनों की पैन्टी को अपने-अपने लन्ड पर लपेट कर मूठ मारा और तभी तय हुआ कि किसी उपाय से तनु की सुहागरात देखी जाए। शादी में अब १४ दिन बचा था, जब हमने तय किया कि हम उसके बेडरूम में छोटे-छोटे वाय-फ़ाई से जुडनेवाले कैमरे लगाएँगे और बब्लू अपने लौपटौप पर उस रात को रिकार्ड करेगा। आनन-फ़ानन में चार कैमरे हमने एक ई-कौमर्स साईट से मँगवाया। ये कैमरे शर्ट की बटन जितने छोटे थे और साथ के सौफ़्टवेयर से उनको जूम भी किया जा सकता था और करीब ३० डिग्री तक अलग-अलग दिशा में मोड़ा भी जा सकता था। हमने उन्हें खुब अच्छे से चेक कर लिया और फ़िर एक दिन बब्लू ने तीन कैमरे को उसको भैया के रूम में सेट कर दिया, एक बिस्तर के ठीक ऊपर पंखा में (यह पंखा वैसे भी चलने वाला नहीं था जाडे में), एक बेड की एक साईड पर और एक ड्रेसिंग टेबूल पर। एक कैमरा उसने बाथरूम में लगा दिया था। यह सब सेटिंग शादी के चार दिन पहले पूरा करने के बाद हमने सब कैमरों से अलग-अलग रिकार्डिंग की और फ़िर जरूरत के हिसाब से उनको थोडा इधर-उधर करके पूरी तरह से संतुष्ट हो लिए किए अब तनु की सुहागरात की पूरी लाईव रिकार्डिंग खूब अच्छे से हम कर सकेंगे। हमदोनों ने अपने इंजीनियरिंग की डिग्री की पूरा क्षमता तनु के सुहागरात की फ़िल्म बनाने में लगा दी थी।
 
शादी के तीन दिन पहले मुझे कहा गया कि मैं तनु को ब्यूटी-पार्लर पहुँचा दूँ। मैं वहाँ जब उसको छोड़ा, और जब पूछा कि कब लेने आ जाऊँ तो वो थोड़ा अचकचाते हुए बोली कि उसको आइडिया नहीं है कि उसको यहाँ कितना देर लगेगा। मैं अब उसके साथ ही रिशेप्शन पर चला गया और तनु अब वहाँ कार्ड पर उन चीजों पर निशान लगाने लगी जो वो वहाँ ब्युटी-पार्लर में करवाने वाली थी, थ्रेडिंग, आयल-मसाज, हेयर-ट्रीमिंग, आयब्रौ-सेटिंग, वैक्सिंग, बिकनी-लाईन्स(ब्राईडल)... और न जाने क्या-क्या। जब वो कार्ड सामने रिशेप्श्निस्ट को दी तो उसने एक लौमिनेटेड कैटेलौग निकाला और कहा, "म’म... आप देख लीजिए, बिकनी-लाईन्स में आप क्या पसन्द करेंगी... ब्राईडल में पूरी सेविंग अब कम ही करवातीं हैं।" उस कैटेलौग में मैंने देखा कि लडकी की बूर की फ़ोटो थी और सब में झाँट को अलग-अलग तरीके से आकार में बनाया गया था। तनु मेरे सामने यह देख कर घबडा गयी और मेरी भी हालत अब पतली हो गयी तो मैंने अब अपनी नजर दूसरी तरफ़ फ़ेर कर दीवार पर लगे विभिन्न पोस्टरों को निहारने लगा पर मेरा कान उनकी तरफ़ ही था। वो लड़की अब कह रही थी, "असल में मै’म... आप ना दो या तीन स्टाईल चून लीजिए, अभी आपकी जैसी होगी उस हिसाब से आपके च्वाईश की जो ज्यादा बेहतर बन पाएगी, वो ही हम कर देंगे।" मैंने अब सुना, तनु धीरे से कह रही थी, "अभी तो मेरी कोई स्टाईल नहीं है, आप जो ठीक समझें कर दें"। वो लडकी फ़िर बोली, "मतलब... आप शेव या ट्रीम तो करती होंगी ना, तो अब के साईज के हिसाब से ही बन पाएगी।" अब तनु भी थोडे आत्मविश्वास से बोली, "शेव तो नहीं, पर कभी-कभी कैंची से छोटा कर देती थी, वो भी पिछले महिने भर से नहीं किया है"। अब वो लड़की बोली, "फ़िर तो बढ़िया है मै’म... अगर लगभग एक इंच भी है तब तो बढ़िया डिजाईन बन जाएगा... आप पसन्द कर लीजिए।" मैंने अब कनखियों से देखा, तनु की पहली पसन्द थी, हार्ट यानि दिल का आकार, दूसरी पसन्द थी एकदम पतली से रेखा जैसी और तीसरी पसन्द थी एक उल्टे त्रिभुज का आकार। इसके बाद उसने मुझे कहा कि मैं करीब चार घन्टे के बाद आ जाऊँ और उस समय मेरे पास कोई काम नहीं था तो मैं अब बब्लू से मिलने उसके घर की तरफ़ निकल गया।




बब्लू तब अपने कमरे में बैठ कर अपने भैया के कमरे में लगे कैमरों की रिकार्डिंग देख रहा था। दोनों भाइयों का कमरा अगल-बगल था सो वाय-फ़ाई सिग्नल्स अच्छे रहते थे और रिकार्डिंग भी एकदम मस्त हो रही थी। मुझे अपने कमरे में आता देख वो मुस्कुराया और फ़िर कमरा भीतर से लौक कर लिया और फ़िर फ़ुस्फ़ुसाते हुए बताया, "यार राज, भैया तो तेरी बहन के लिए मरा जा रहा है। पिछली तीन रात से रोज ब्लू-फ़िल्म देख-देख कर लन्ड की मालिश कर रहा है। आज तो उसने सुबह-सुबह उठ कर सब्से पहला काम किया है कि अपनी झाँट बनाई है कैंची से कुतर-कुतर कर। देख लो..." और उसने वो वीडीयो चला दी। उसके भैया पूरी तरह से नंगा हो कर एक कंघी और कैंची की मदद से अपनी झाँट की काट-छाँट करते अब दिखने लगे थे। उनका लन्ड फ़नफ़नाया हुआ था, करीब ७ इंच का.... अच्छा और स्वस्थ मर्दाना लन्ड। बब्लू बोला, "तेरी बहन की तो चाँदी है अब... मेरे पढाकू भाई को भी अब चूत का नशा लग गया है। मस्त चुदाई होगी अब उसकी इस घर में... बधाई हो भाई", कहते हुए उसने मुझे गले से लगा लिया। मैंने अब उसको बताया कि मैं अभी अपनी बहन तनु को ब्युटी-पार्लर में छोड़ कर आया हूँ। उसको अपना वैक्सिंग वगैरह करवाना था। वो चहका, "वाह... मतलब यार मेरी भाभी भी चुदाने की तैयारी में लग गयी है। मजा आएगा, उनकी सुहागरात देखने में"। फ़िर उसने पूछा, "यार तेरी बहन अभी तक सील-पैक है ना? कहीं मेरे भाई को सेकेन्ड-हैन्ड माल तो नहीं सप्लाई कर रहे हो? बेचारा आज तक किसी लडकी की तरफ़ आँख उठा कर देखा भी नहीं है अपने पढ़ाई के चक्कर में"। मैंने भी कहा, "नहीं बे, आज पहली बार तो तनु ऐसे पार्लर गयी है। वैसे भी दसवीं के बाद वो गर्ल्स-स्कूल में ही पढी है तो उसको कहाँ मौका मिला होगा लडके के साथ कुछ करने का...।" वो हँसा और मजाक करते हुए बोला, "क्यों बे साले, तू नहीं है हरामी उस घर में। तू तो आराम से तनु को अपने नीचे लिटा चुका होगा अब तक तो..."। मैंने भी उसकी ही शैली में जवाब दिया, "हाँ बिल्कुल...वैसे ही उसको अपने बिस्तर पर लिटाया है जैसे तू बब्ली को रोज सुलाता है अपने साथ"। हम दोनों ठहाका लगा कर हँसने लगे.... और मैंने तब बताया कि तनु अपना झाँट भी बनवाने वाली है। बब्लू अब खुब खुश हुआ और बोला, "वाह फ़िर तो मजा रहेगा जब दोनों जवान अपना कुश्ती मैच खेलेंगे....बहुत गर्म मैच होनेवाला है यार ये तो", हम दोनों का लन्ड अब हमारी हाथ में था और हम दोनों अपनी-अपनी बहन को याद करते हुए अपना लन्ड सहलाने लगे थे।
 
शाम करीब चार बजे मैं तनु को लेकर घर आया। घर एकदम खाली था, सब अलग-अलग काम से बाजार गये हुए थे। अब तनु कुछ ज्यादा ही गोरी लग रही थी और उसकी चमड़ी भी खुब चमक रही थी। हाथ पैर सब के रोंएँ गायब हो गये थे और तनु अब एकदम हमारे शहरी माल की तरह चिकनी दिख रही थी। मेरे रिश्ते की एक चाची, जो करीब ३२-३४ साल की थी वो शादी के घर में हाथ बँटाने के लिए आई हुई थी, बस वही घर पर थी। उसी ने तनु को वह लिस्ट बता कर पार्लर भेजा था कि वहाँ उसको क्या-क्या करवाना है। जब तनु घर आई तो वो तनु से बोली, "जल्दी से कोई एक पूरानी सी सिर्फ़ एक नाईटी पहन कर आओ, मैं गीजर औन करके पानी गर्म दी हूँ। थोडा जैतून का तेल पूरे लगा कर नहा लोगी तो चमडी को आराम मिलेगा... नहीं तो वैक्सिंग के कारण चमड़ी कुछ ज्यादा ही लाल हो जाएगी कल तक"। तनु भी बोली, "हाँ, वो पार्लरवाली भी बोली है कि घर जाक नहा लीजिएगा थोड़ा गर्म पानी से", कहते हुए वो अपने कमरे में चली गयी और मैं अपना लंच किचेन में ही लेकर एक मोढे पर बैठ गया। तभी तनु वापस डायनिंग हौल में आई क्योंकि उसी के साथ वाले बाथरूम में गीजर औन किया गया था। वो एक अपनी सबसे पुरानी नाईटी पहने हुए थी। करीब तीन साल पुरानी नाईटी थी सफ़ेद रंग की फ़्लोरल प्रिंट वाली। आज जमाने के बाद वो निकाल ली थी, पता नहीं कहाँ से और पहन ली थी। उसका बदन इन तीन सालों में पूरी तरह से खिल गया था और यह नाईटी उसकी ३४ साईज की चूचियों पर पूरी तरह से कस गया था। वो नाईटी घुटने से कुछ नीचे तक ही पहुँच रहा था और उसकी गोरी टाँगे उसके नीचे से चमक रही थी। चाची तबतक एक कटोरी में जैतून का तेल लेकर आई और फ़िर तनु की बाँहों पर हाथ फ़ेरते हुए बोली, "वैक्सिंग तो अच्छा की है पार्लरवाली... और बगल वगैरह साफ़ की है न?" तनु भी अपने हाथ ऊपर करके कहा, "जी चाची..." और चाची के साथ मैंने भी देखा उसकी साफ़ काँख पहली बार।


मुझे बस थोडा आगे झुकना पड़ा जिससे मैं किचेन के दरवाजे के बाहर उन्हें देख सकूँ। वैसे तो तनु हमेशा आधी बाँह वाला ड्रेस ही पहनती थी, पर कभी-कभार अगर बाँह थोडा खुला हो तो उसकी काँख अगर दिखती तो वहां बालों के काले गुच्छे दिखते थे। चाची उसके बाहों पर तेल लगाते हुए पूछी, "और नीचे का सब साफ़ करवा दी हो या कुछ रखी हो?" मेरा लन्ड एक ठुनकी मर दिया यह सुनकर। अब चाची मेरी बहन तबु से उसके झाँट की बात कर रही थी। तनु यह सुनकर अब शर्माई तो चाची ने कहा, "अरे मेरी बन्नो... अब शर्माना छोड़, नहीं तो ससुराल में ननदें और देवर जीना मुहाल कर देंगे... थोडा जैसा सवाल, वैसा जवाब देना सीख" और तब मुझे तनु की आवाज सुनाई दी, "छोटा सा एक दिल जैसा है"। चाची बोली, "देखूँ तो... मेरी हिम्मत नहीं हुई कि इस बार अपना गर्दन आगे हुका कर बाहर का नजारा देखूँ। मुझे पता था कि इस बार मुझे अपनी छोटी बहन की बूर का दर्शन हो सकता है, पर मेरी हिम्मत ऐन मौके पर जवाब दे गयी और मेरे कानों में चाची की आवाज आई, "आउ-हाय... कैसी सुन्दर दिख रही है। कित्ती गोरी-चिट्टी लग रही है अब सजने के बाद। दिल भी बडा प्यार बनावाई हो अपने सजना के लिए। हमारे जमाने में तो पूरा सफ़ाचट ही करके हमें जाना होता था। मेरी तो मम्मी ही शादी की सुबह साफ़ कर दी थी। और यह छेद भी कैसी सुन्दर कसी हुई दिख रही है...लगता है कि कम ही खेली हो उँगली से... ", मेरा तो यह सब सुनकर बुरा हाल था। तभी तनु की आवाज सुनाई दी, "आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, छीः चाची, आप बहुत गन्दी हैं" और दोनों की हँसी सुनाई दी। चाची कह रही थी, "अभी से यह हाल है, जमाई बाबू को तो खुब मेहनत करना होगा मेरी बन्नो की लाज तोडने में। छः इंच का मूसल तो होगा ही पक्का.... एकदम बेशर्म हो कर लेना भीतर मेरी बीटिया, जमाई बाबू से जरा भी मत घबडाना। शादी का मजा यही दो-तीन साल खुब ले लेना, फ़िर बच्चे-वच्चे के फ़ेर में पडना।" मैं समझ रहा था कि चाची अब मेरी बहन को चुदाई के बारे में बता रही है।

चाची अब बोली, "देख तनु, अगर तुम्हें कुछ पूछना-समझना है तो अभी बोल दो, दीदी (यानि मेरा माँ) बोलकर गयी है कि मैं तुम्हें सब समझा दूँ... तुम समझ रही हो ना, मैं जो कह रही हूँ"। मैं फ़िर किचेन की दरवाजे के ओट से झाँका, तनु ने "हाँ" में सर हिलाया था। मेरी तो यह सब सुनकर फ़टी पडी थी पर अब हालात ऐसे थी कि अब वहीं किचेन में छुपे रहना मेरी मजबूरी हो गयी थी। मैं अब वहीं बैठ कर सब सुन रहा था। चाची फ़िर बोली, "अभी घर खाली है तो जो जानना-समझना है सब साफ़-साफ़ जान समझ ले। तेरी वाली जैसी दिख रही है, साफ़ पता चल रहा है कि तुम अपने अंग से बहुत ज्यादा नहीं खेली हो। तुम्हारी सखियाँ भी तो तुम्हारी जैसी ही होंगी और घर में कोई दीदी या भाभी भी नहीं है तो...?" अब तनु धीरे से बोली, "चाची, क्या बहुत दर्द होता है?" उसको अपने पहले चुदाई की फ़िक्र हो रही थी। चाची अब प्यार से समझाते हुए बोली, "अरे बेटा... यह सब तो आज न कल, एक बर तो सहना ही पडेगा। पर तुम फ़िक्र मत करो.... सब लडकी को यह दर्द जैसा भी हो बर्दास्त हो जाता है। वैसे बहुत ज्यादा भी नहीं होता है। असल में शर्म या झिझक के कारण ज्यादा लगता है... बस यही बात है। अगर ठीक से तेल-वेल लगा कर डालेंगे तो ज्यादा परेशानी नहीं होती है"। तनु की अब थोडी डरी हुई सी आवाज आई, "मुझे तो इसी बात का डर लगता है बहुत ज्यादा कि अगर बहुत दर्द हुआ तो वहाँ क्या, कैसे होगा? कोई होगा भी नहीं जिसको बता पाऊँगी।" चाची अब उसको हिम्मत देते हुए बोली, "अरे ऐसा कुछ नहीं होगा... तुम बेफ़िक्र रहो। यह दर्द भी कोई किसी को बताता है... वैसे भी यह दर्द बस कुछ सेकेन्ड का खेल है उसके बाद तो लगातार उसी समय में जो मजा मिलेगा न कि सारा दर्द-वर्द भूल जाओगी। तुम उस बेचारे के बारे में सोच कर देखो, वो कितना टेंशन में होगा कि कैसे भीतर घुसाएगा। कहीं अंदर नहीं घुसा पाया तब तुम क्या सोचोगी... लडका सब ज्यादा टेंशन में रहता है पहली रात को। तुम्हें तो कुछ खास करना नहीं है, बस अपनी टाँग खोल कर आराम से लेट जाना है। उस बेचारे को तो यह टेंशन लगी रहती है कि क्या पता सही समय पर उसका खडा ही न हो?" इसके बाद दोनों की हँसी सुनाई दी।
 
चाची आगे बोली, "असल दर्द तो होता है बच्चा पैदा करने में। इसीलिए कह रही हूँ कि दो-तीन साल जम कर भीतर लेना खूब मन से, जिससे कि तुम्हारी छेद आराम से खुल सके और तब बच्चे पैदा करने के बारे में सोचना" तनु अब बोली, "हाँ चाची सच में, कैसे कोई बच्चा इत्ती छोटी सी छेद से बाहर आ जाता है पेट में से..."। चाची की अब शरारती आवाज आई, "छोटी सी.... बन्नो इस छेद को इत्ती कमजोर मत समझो। एक बार जहाँ लेटी मर्द के नीचे... कि तुम भी अगले दिन दो-दो गधों का भीतर डलवा लोगी। देखी हो कभी गधे का?" तनु की आवाज ने मुहे चौका दिया, "हाँ... स्कूल के पास ही धोबी सब का घर है, वहाँ देखी हूँ। चाची कित्ता बडा हो जाता है और मोटा सा। एकदम जमीन तक जैसे सटने लगता है जब बाहर निकलता है।" चाची अब चहकी, "वाह रे मेरी बन्नो... तू तो बडी छुपी रुस्तम निकली। आने दो दीदी को, सब बताती हूँ कि आपकी लाडली बेटी स्कूल जाने के बजाए पास के धोबी-घाट पर गधे का लटका हुआ औजार देखती है आजकल। अच्छा हुआ कि उसकी शादी तय कर दी, नहीं तो पता नहीं कब किसी गधे को अपने ऊपर चढा लेती..."। दोनों की हँसी एकबार फ़िर से कमरे में गुँज गयी। मैंने अब हिम्मत करके बाहर झाँका तो देखा कि चाची तनु की नाईटी ऊपर उठा कर उसके पीठ पर तेल मल रही है। तनु भी नाईटी को ऊपर पकड कर आगे झुकी हुई सी है। मुझे आज पहली बार अपनी जवान बहन की नंगी पीठ, कमर और गोल-गोल चुतड़ों का दीदार हुआ। मैं अब अपनी नजर बाहर के दृश्य पर टिकाये हुए था का पता मुझे उसके बदन का सामने का हिस्सा भी नंगा दिख जाए। मेरा लन्ड अब पूरी तरह से मेरे पैन्ट के भीतर फ़नफ़नाया हुआ था और मुझे पता था कि जल्द ही उसमें विस्फ़ोट हो जाएगा। पर उस समय मुझे निराशा ही हाथ लगी। सामने में शायद तेल मालिश पहले ही हो चुका था। बस उसकी दाहिने चुची की गुलाबी निप्पल की एक झलक मुझे मिल पाई और तनु ने नाईटी नीचे गिरा कर कहा, "अच्छा चाची, अब जरा नहा कर आती हूँ फ़िर बात करते हैं"। चाची अब बोली, "ठीक है... देख लो अब तुम मेरी, दो बच्चों को पैदा करने के बाद कैसी खुल गयी है... कहते हुए उन्होंने अपनी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और सामने कुर्सी पर बैठ कर अपने जाँघों को फ़ैला दिया। चाची की चूत थोडा काली जैसी दिखी, मोटे-मोटे होठ और बाहर की तरफ़ हल्का सा लटका हुआ भीतरी होठ। एकदम साफ़, चिकनी चूत थी और जब वो अपने हाथ से अपनी चूत खोली को पूरा तीन इंच का छेद नजर आया और भीतर का गुलाबी हिस्सा पनिआया हुआ अब चमक रहा था।"। तनु बोली, "मेरी भी किसी दिन ऐसी ही हो जाएगी, है न चाची?" चाची बोली, "अरे तुम औपरेशन से बच्चे पैदा करना, काहे को फ़ोकट में दर्द भी सहोगी और बूर का भोंसड़ा बनवाओगी। लडकी की चूत जितना कसा रहे उसका मर्द उसको उतना ही प्यार करता है।" तनु अब तक पूरा खुल गयी थी चाची से सो वो बोली, "उसका मर्द ही क्यों... बाकि सब मर्द भी तो प्यार करते है"। चाची अब उसके पीठ पर एक प्यार भरी धौल जमाते हुए बोली, "अच्छा जी.... फ़िर तो तुम चढ़वाना अब अपने सब आशिक को अपने ऊपर... बस बच्चे अपने भतार का ही पैदा करना, कोई हरामी मत पैदा कर देना.... ऐसे भी दुनिया में हरामी लोग बहुत ज्यादा हो गये हैं अब"। तनु अब सही में शर्मा गयी जब चाची अपने रंग में आयी और फ़िर अपना कपडा ले कर बाथरूम की तरफ़ भाग गयी और चाची भी सीढ़ी से छत की तरफ़ चली गयी।


मैं अब जल्दी से किचेन के बाहर निकल कर अपने कमरे में भागा और अगले ही पल मेरा लन्ड मेरे हाथ में था। मैं अब अपनी बहन की नंगी चुतड और उसके गाँड़ का छेद देख चुका था। आज तक मैं जिस बदन की कल्पना करके मूटः मारता रहा था, अब उसके साक्षात नंगे के बाद पता चला कि वह बदन कल्पना से ज्यादा सेक्सी है। मैं तनु के बदन और उसके और चाची के बात-चीत को याद करते हुए अपने बहन के नाम की मूठ मारने लगा था। उस दिन सब होश गुम हो गया था और मेरा लन्ड मेरे हाथ में ही उछल-उछल कर पिचकारी छोडने लगा, और मेरी नजर सामने दीवार पर लगी तनु की फ़ोटो पर गडी हुई थी। वो तो मुझे झडने के बाद याद आया कि आज तो मुझे चाची की खुली हुई चूत भी दिखी है, नशीली सी पनिआयी हुई.... और मुझे उस चूत की कल्पना में झड़ना चाहिए था, पर तनु की जवानी का नशा शायद कुछ ज्यादा ही चढ गया था मुझ पर। अब मैं बब्लू से भी ज्यादा अपने बहन की सुहागरात को देखने के लिए बेचैन हो गया था। मुहे अब पता था कि मेरी बहन आज तक कोरी कच्ची कली है जो सही तरीके से अपने बूर में ऊँगली भी नहीं की है ज्यादा। मेरे दिमाग में उसके मुँह से निकलने वाली उस चीख की बात घूमने लगी थी जो उसके मुँह से तब निकलने वाली थी जब वो पहली बार अपने सुहागरात को चुदवाते हुए निकालने वाली थी। मुझे पता था कि तनु कैसी डरपोक है। मैं कमरे से बाहर आया, घर पर मम्मी-पापा भी आ गये थे बाजार से गहने आ गये थे और सब लोग अब एक ही कमरे में बैठ कर सब चीजों को देख रहे थे। तनु तुरंत की नहाई हुई तरो-ताजा दिख रही थी।

ब्युटी-पार्लर से आने के बाद अब सच में उसका रूप निखर गया था। उस पर भी अब जवानी का नशा आ गया था, और एक नई दुल्हन के दिल की हुदहुदी ने उसके बदन पर एक अलग सी सेक्सी चमक ला दी थी। एक नयी चीज जो मैंने नोटिस की वो यह कि आज तनु पहली बार एक टी-शर्ट पहनी थी एक स्कर्ट के साथ। चाची, मम्मी और पापा के साथ हम भाई-बहन भी गहनों को देख रहे थे और तभी माँ ने एक पैकेट निकाला और तनु को देते हुए कहा, "लो यह रख लो तीन सेट है, एक शादी वाले दिन पहन लेना और दो को साथ में ले जाना अपने ससुराल"। पापा जी भी अपने जेब से एक रसीद निकाले और तनु को देते हुए बोले, "हाँ बेटी लो यह रख लो, और अपने कमरे में जाकर साइज देख लो, अगर पसन्द ना हो तो आज शाम को आठ बजे के बाद जाकर बदल लेना, दुकान नौ बजे तक हुली रहती है.. दुकानवाले को कहा हुआ भी है।" मैंने बिना कुछ सोचे उत्सुकता वश पूछा, "क्या है मम्मी उसमें?" मेरी मम्मी ने चट से मुझे डाँटा, "सब तुम्हें जानने की क्या जरुरत है?" मैं सकपका गया और बोला, "अब वापस करने आठ बजे तो तनु जाएगी नहीं, मुझे ही जाना होगा ना... फ़िर मैंने पूछ ही लिया तो क्या गलत हो गया?", मेरा मूड खराब हो गया था। तभी चाची ने बात संभाली और तनु के हाथ से पैकेट लेकर भीतर से तीनों डब्बे निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा, "अरे राज बेटा, यह तनु के लिए अंडर्गारमेन्ट का सेट है, तुम क्या करोगे यह सब देख कर।" अब शर्माने की बारी मेरी थी और तनु की नजर भी इस तरह से उसके अंदरूनी कपड़ों की चर्चा पर झुक गयी थी। चाची ने डिब्बों को उलट-पलट कर देखा और कहा, "साइज तो ठीक लग रहा है M है तो" फ़िर तनु को देते हुए बोली, "लो तनु देख लो, अगर बदलना हो तो आज ही बदल लेना कल दिन भर पूजा-वगैरह में समय लगेगा और तुमको अब आज के बाद फ़िर बाहर नहीं जाना है, इसीलिए आज ही पार्लर भेजी थी।" तनु शर्माते हुए डिब्बों को अपने हाथ में लेकर चाची से बोली, "आप भी आइए न चाची।" मेरी माँ ने भी चाची को इशारा किया और दोनों अब तनु के कमरे की तरफ़ चल पड़ी। मम्मी ने अब मुझे कहा, "अब बेटा तुम यह सब समेटो और आलमारी में बन्द करके चाभी पापा को दे दो।"
 
पन्द्रह-बीस मिनट में दोनों वापस आयीं तो उनके हाथ में एक डिब्बा था। चाची ही बोली, "दीदी, बाकी दोनों तो ठीक है पर यह वाला कैसा उदास रंग का है। उसको बदलवा दीजिए, तनु को गुलाबी रंग का एक लेने का मन है।" मेरी मम्मी बोली, "हाँ, पर गुलाबी रंग में कढ़ाई का काम नहीं था... अब नयी दुल्हन की हो और कुछ कढाई वगैरह ना हो तो जरा उदास सा लगता है। काले रंग मेम तो खुब सारी है पर शादी में पहली बार काला...ठीक नहीं लगेगा सो नहीं ले पाई।" चाची अब तनु से बोली, "तुम ना तनु भैया के साथ चली जाना और अपनी पसंद का ले लेना जैसा भी पसंद हो।" तनु थोड़ा हिचकिचाई तो चाची ही बोली, "अरे अब इस सब बात में शर्म-झिझक छोड़ो। शादी करके नये घर में रहने जा रही हो तो कहाँ तक मम्मी से चिपकी रहोगी। अगले साल तक तो तुम खुद ही मम्मी बन जाओगी.... और सब औरतें ठहाका लगा दी और तनु भी अब झेंप गयी। पापा ने बात बदला, "चलो अब चाय बनाओ कोई, अब अगले तीन दिन लगातार खटना है बैल जैसे... बेटी की शादी है।" तनु सबसे पहले कमरे से बाहर भागी। करीब साढे सात बजे मम्मी ने तनु को आवाज दी, "तनु... कपडे चेंज करके जरा भैया के साथ आकर बदल ले ना उसको और देख थोडे पैसे ले जाना और अगर कुछ अलग पसंद हो तो कुछ पैसे और लगा कर लेना अपनी पसंद से।" मुझे यह आवाज अपने कानों में सुनाई दी, जब मैं टीवी पर एक पुराने टेनिस मैच की रिकार्डिंग देख रहा था। पाँच मिनट में तनु एक सलवार-सूट में मेरे सामने थी, "भैया... चलिए न, मार्केट चलना है"। मैं अब अपनी बाईक की चाभी ले कर तैयार हो गया। करीब आठ बजे हम उस दुकान पर थे। तनु ने काउँटर पर बिल दिखाया और तब एक नयी शादी-शुदा लड़की तनु के पास आयी और फ़िर उसके सामने कई सारे डब्बे रख दिए। तनु ने बहुत सोचने के बाद एक सफ़ेद रंग का ब्रा-पैन्टी सेट पसंद किया। उस पर सफ़ेद रेशम से कढाई की गयी थी। उस सेल्स-गर्ल ने उस ब्रा-पैन्टी सेट को खोल कर हमारे सामने फ़ैला कर रख दिया। ब्रा पर लिखा था 32B और पैन्टी पर M(80-85), पैन्टी थोडा क्लासिकल टाइप था और लडकी के पूरे चुतड़ को ढक लेता, और ऐसे ही आगे से भी। हमें इस वाले के लिए वहाँ 65 रूपये और देने पड़े और हम उस नये ब्रा-पैन्टी सेट के साथ बाहर आ गये।


मैं अब जैसे ही बाईक स्टार्ट किया कि तनु बोली, "भैया... क्या आप एक बार उस वाले मार्केट में चलेंगे। शालू बता रही थी कि वहाँ एक नया दुकान खुला है सिर्फ़ इसी सब चीज का। एक बार वहाँ चलते हैं न, वहाँ कोई अच्छा सा गुलाबी रंग का दिख जाएगा तो खरीद लेंगे।" मुझे उम्मीद नहीं थी कि तनु मुझसे ऐसे फ़रमाईश करेगी किसी एक्सक्लूसीव लेडीज अंडर्गार्मेन्ट्स की दुकान पर ले चलने के लिए। मैंने बाईक उस दिशा में मोड़ दी। जल्द ही हम उस दुकान के अंदर थे। भीतर सब तरफ़ एक-से-एक मस्त डिजाईन की ब्रा-पैन्टी डिसप्ले में लगा हुआ था - थौंग और स्टींग टाइप का। सेल्सगर्ल ने मुझे तनु का ब्वाय-फ़्रेंड माना और फ़िर मुस्कुराते हुए पूछी कि कैसा टाइप का चाहिए - रेगुलर यूज या हनीमून टाइप? तनु से थोडा हिचकते हुए कहा, "जी हनीमून टाइप ही चाहिए"। उस सेल्स-गर्ल में एक नजर मुझ पर डालते हुए धीरे से पूछा, "मै’म... क्या आप बताएँगी कि आप बिकनी-लाईन्स कैसा रखती हैं - मेरा मतलब नौर्मल या डिजायनर।" तनु बस इतना ही बोल पाई, "जी दो दिन के बाद शादी है...तो उसी के लिए चाहिए"। उसकी आवाज में हिचक थी, हालाँकि मैं उससे थोड़ी दूर पर ही खडा हो गया था। वो सेल्स-गर्ल सब समझ गयी और फ़िर उसने एक बड़ा सा कार्टन निकाल कर सामने रख दिया। अलग-अलग शेप-साइज की करीब ३० पैन्टी थी, सब लेस और साटन की। एकदम छोटी-छोटी पट्टी जैसी, कुछ के पीछे की तरफ़ सिर्फ़ एक धागा ही था जो लडकी की गाँड़ की फ़ाँक में ही फ़ँसता। चुतड को तो ढकने की कोई गुन्जाईस ही नहीं थी। ज्यादातर के सामने सिर्फ़ दो या तीन इंच की एक पट्टी ही थी जो मुश्किल से लडकी की चूत को ढक पाती। वो सेल्स-गर्ल अब कह रही थी, "आप मै’म इसमें से कोई सा भी पसंद कीजिए, साथ का ब्रा भी मिल जाएगा। ये सब की कीमत ४०० से ७०० तक है सेट में"। मैं अब कनखियों से देख रहा था कि तनु बहुत चाव से अलग-अलग किस्म की पैन्टी उठा उठा कर देख रही थी। मैं उससे जरा दूर था तो वो थोडा कंफ़र्टेबुल महसूस कर रही थी।


थोडी देर बाद तनु मेरे पास आई और फ़िर मुझे एक साइड में ले जाकर धीमे से बोली, "भैया आपके पास कुछ पैसा है? पाँच-सात सौ?" मुझे पता था कि उसको मम्मी ने पाँच सौ दिये थे... अब वो और पैसे खोज रही थी तो मतलब था कि वो यहाँ से कम-से-कम दो पीस खरीदने वाली है। मैंने कहा, "हाँ हैं न... तुमको कुछ पसंद है तो ले लो... दो हजार तो जरूर होगा मेरे पास"। तनु अब खुश हो कर वापस गयी और फ़िर दो पीस निकाल कर बोली, "इसके साथ का सेट निकाल दीजिए"। सेल्स-गर्ल ने दो मिनट में उन दोनों पैन्टी के साथ का ब्रा निकाल दिया और फ़िर सामने काउंटर पर ब्रा-पैन्टी को एक सेट की तरह फ़ैला दिया और फ़िर मुझे इशारा किया, "आप भी आइए सर..."। मेरे पास अब उपाय नहीं था, तो मैं भी अब पास चला आया। मैं अब देख रहा था कि तनु ने जिन दो सेट को चुना था दोनों गुलाबी रंग के अलग-अलग शेड की थी और हद सेक्सी थी। दोनों ही पीछे से पूरा खुला दिखाने वाली थी, बस एक धागा था जो कमर पर के धागे से जुड़ा हुआ था। सामने से दोनों ही करीब तीन इंच की थी एक चौड़ी पट्टी जो इतने पतले कपडे से बनी थी कि भीतर का सब कुछ दिखता रहता उसको पहनने के बाद भी। तनु जब मुझे यह सब ऐसे देखते हुए देखी तो थोडा शर्माते हुए सर झुका ली। मैंने बिना उसको कुछ कहे सेल्स-गर्ल को बिल बनाने को बोला और ११३० रुपये देकर पैकेट लेकर दुकान केबाहर आ गया। तनु ने अब मुझे "थैंक्यू भैया" बोली और फ़िर कहा, "भैया... इस दुकान वाली खरीदारी की बात घर पर मत बताइएगा। मम्मी बहुत गुस्सा करेगी कि ऐसा सब क्यों खरीदी..."। मैं अब समझ गया कि तनु आज के जमाने की है और मम्मी पिछले जमाने की... सो दोनों का जेनरेशन गैप...। मैं मुस्कुराया और फ़िर तनु के गाल को प्यार से थपथपाते हुए कहा, "तुम फ़िक्र मत करो... मैं समझता हूँ सब"। तनु खुश हो गयी... और फ़िर थोड़ा हिचकते हुए बोली, "भैया... क्या ऐसा ही एक बब्ली के लिए ले लूँ। मेरी ननद लगेगी तो ऐसा गिफ़्ट तो दे ही सकती हूँ। उसका भी तो मन होता होगा ना ऐसा कुछ पहनने का?" मेरा लंड अब एक ठुनकी मारा और मैंने खुश हो कर कहा, "हाँ जरुर... ऐसा करो तुम उसके लिए एक काली रंग की ले लो। वो तो तुमसे भी गोरी है तो उसके बदन पर काला रंग खुब फ़बेगा।" हम फ़िर दुकान के भीतर गये और फ़िर से वो डब्बा निकला। तनु ने एक काला स्ट्रींग टाइप निकाला जिसमें स्ट्रींग सिर्फ़ साइड में ही था और आगे-पीछे अच्छा खासा कपडा लगा था जो चुतड़ को करीब आधा ढक देता। मैंने तनु को इशारा किया कि वो बब्ली के लिए भी अपने ही टाइप का कुछ चूने तो तनु मेरे कान से मुँह सटा कर धीरे से बोली, "पर उस टाइप को तो ऐसे सीधे पहनने में बहुत गन्दा लगेगा बाल की वजह से।" मैंने इस तरह से तनु के मुँह से जब बूर पर के बालों का जिक्र सुना तो मेरा कान गर्म हो गया और मैं बोला, "अरे तो तुम्हें कैसे पता है कि उसको बाल है ही...? तुमसे तो बच्ची ही है, तो कहीं उसको वैसा बाल न हो तो... या कहीं वो साफ़ रखती हो तो? न होगा तो तुम उसको समझा देना। भाभी बनोगी तो ननद की जिम्मेदारी तो लेनी पडेगी।" तनु मुस्कुराई और फ़िर एक छोटी सी पट्टीनुमा चुन लिया और फ़िर एक ब्रा भी जो 32 साइज की थी। ये सब लेसवाली पैन्टी फ़्री साइज थी। बब्ली की ब्रा-पैन्टी का पेमेन्ट भी मुझे ही करना पड़ा ६८० रुपये... और इसके बाद हम घर आ गये। तनु में इन तीनों सेक्सी ब्रा-पैन्टी को मेरी बाईक में ही रहने दिया कि मैं उसको बाद में चुपके से निकाल कर दे दूँ। हम जब घर में आए तो उसके हाथ में वही सफ़ेद वाला ब्रा-पैन्टी सेट था जो वो माँ को दिखाई। हम सब फ़िर खाने बैठ गये।
 
शादी के बाद वाली सुबह ही मेरी बहन तनु की विदाई हो गई। लडकी की विदाई का क्षण एक ऐसा क्षण होता है कि हर कोई भावुक हो ही जाता है और तनु तो मेरी एकलौती बहन थी। घर के सब लोग अब थकान के कारण इधर-उधर आराम करने के मूड में आ गए। मैं भी चुपचाप बहन की विदाई के गम से थोड़ा दु:खी हो कर अपने कमरे में जा कर लेट गया और मेरी आँख लग गयी। करीब तीन घन्टे के बाद मेरी आँख खुली तो मैंने चाय पी और तब मैं अब अपने होशो-हवास में आया। अब मुझे याद आया कि आज की रात मेरी बहन की सुहागरात है और आज वो अपने जीवन में पहली बार चुदेगी। यह सब सोचते हुए मुझे कुछ अजीब सा लगा पर यही सच था और अब मुझे याद आया कि इसी दिन के लिए मैंने और बब्लू ने कैमरा, माइक्रोफ़ोन, और एक २ टीबी एक्सटर्नल हार्ड-ड्राइव पर करीब १४००० खर्च दिये थे। मैंने अब फ़िर से अपनी बहन के बदन के बारे में सोचना शुरु कर दिया कि वो उन सेक्सी ब्रा-पैन्टी में कैसी दिख रही होगी...वगैरह वगैरह...। तभी तनु का फ़ोन आया माँ के पास कि वहाँ पर भी पूजा-वूजा हो गया है और अब सब आराम करने जा रहे हैं। मेरी माँ कह रही थी, "ठीक है बेटी... आराम कर लो अच्छे से। रात भर की थकान है... ठीक है जाओ सो रहो कुछ देर... ठीक है, बाद में उठना तब फ़िर फ़ोन करना....बाय, हाँ खुश रहो"। इसके बाद मेरे घर पर अब चर्चा शुरु हुई और कहा गया कि कल मुझे तनु के घर जाना है कुछ गिफ़्ट लेकर और फ़िर उसके अगले दिन मुझे तनु को अपने साथ लाना है उसके पति के साथ, तीन दिन वो दोनों यहीं मेरे घर रहेंगे और फ़िर उसके बाद उसकी दूसरी बार विदाई होगी तब शादी का सब विधि-विधान पूरा हो जाएगा। उसके बाद वो जब जैसे चाहे अपने मायके आना-जाना कर सकेगी। मैंने शाम में कहा, "जरा बब्लू के घर से हो कर आता हूँ, तनु का भी हाल मिल जाएगा", पर इस पर मेरी चाची ही बोली, "नहीं बेटा, आज नहीं.... अब कल तुमको जाना है वहाँ, अब उस घर में तनु की ससुराल है तो अब इस एक विधान को भी सही से हो जाने दो फ़िर दोस्त से दोस्ती निभाना"। घर पर सब अब मुझे मना कर दिये। असल में मेरा इरादा तनु का हाल जानने से ज्यादा, यह जानना था कि हमारे कैमरे ने क्या सब रिकार्ड किया है तनु और उसके पति के साथ के आराम के समय का। वैसे जैसी हालत हमसब की थी थकान के कारण, यह तो पक्का था कि वो लोग अभी चुदाई का खेल नहीं खेले होंगे, फ़िर भी चुम्मा-चाटी का जुगाड़ तो था हीं। पर अब तो मन मसोस कर ही रह जाना था, बस एक तसल्ली थी कि मेरी बहन के साथ वहाँ जो-जो हो रहा होगा, मेरा दोस्त बब्लू उस सब को निश्चित ही मेरे लिए रिकार्ड करके रखेगा।


अगले दिन करीब करीब तीन बजे मैं तनु के ससुराल सब के लिए गिफ़्ट ले कर गया। आज की रात मुझे वहीं रहना था और अप्ने बहन-बहनोई को एक फ़ौर्मल न्योता देना था मेरे घर आने का। मैं बस यही सोच रहा था कि जल्द-से-जल्द वहाँ पहुँचूँ और फ़िर बब्लू से सब हाल लूँ। खैर वहाँ पहुँचने के बाद करीब आधा घन्टा सब से गप-शप करने के बाद मुझे नयी दुल्हन यानि मेरी बहन के साथ हमें अकेला छोड दिया गया। तनु मुझसे बडे जोर से चिपक कर गले मिली जैसे उसने भाई के रूप में कोई खजाना पाया हो। मेरी नजर उसके चहरे पर थी और मैं उसके चलने के तरीके पर गैर कर रहा था। मुझे लग रहा था कि अगर वो चुदी होगी तो उसकी बूर की सील तूटी होगी और उसको दर्द हो रहा होगा। मुझे किसी कुँवारी को चोदने का अनुभव तो था नहीं, बस ऐसे ही अनुमान लगा रहा था। लेकिन मुझे तनु में कोई परिवर्तन नहीं दिख रहा था। तनु तब एक लाल रंग की चुनरी और मैंचोंग ब्लाऊज में बहुत सुन्दर दिख रही थी। उसकी माँग में भरपूर लाल सिंदूर लगा हुआ था और उसका गोरापन हद से ज्यादा दमक रही थी। शादी के तुरंत बाद वैसे भी सब लड़कियाँ पहले से थोडा ज्यादा सुन्दर दिखने लग जाती हैं। थोडी देर तक हम बात-चीत करते रहे और फ़िर बब्लू भी वहीं आ गया। हम सब ने साथ ही शाम की चाय पी और फ़िर मैं तनु को यह बोल कर कि अब जरा बब्लू के कमरे में जाकर आराम कर लेता हूँ, कह कर बब्लू के साथ तनु के कमरे से बाहर निकल गया।


जैसे ही हम बब्लू के कमरे में पहुँचे जो तनु के कमरे के ठीक बाजू में ही था और उन दोनों कमरों के बीच में सिर्फ़ एक पाँच इंच की दीवार थी। हमने पहले ही सब जाँच लिया था कि वहाँ कैमरे का सिग्नल बेहतरीन रहता था तो मैं बड़ी उत्सुकता से बब्लू से कहा, "यार, अब दिखा ना जरा सा ट्रेलर कल की रात का। पूरा तो आराम से रात में सोते समय देखा जाएगा।" मेरी आवाज में मेरी बेचैनी दिख रही थी। बब्लू यह देख मुस्कुराया, "साले.... बहुत जल्दी है अपनी छोटी बहन की पहली चुदाई देखने की।" उसने जिस अंदाज में कहा मुझे शर्माना ही था। फ़िर वो बोला, "पर यार... कल तो सब थके हुए थे, तो कुछ खास नहीं हुआ.... बस थोडी सी चुम्मी-वुम्मी लेने के बाद भैया और तनु दोनों ही सो गये। मैं बेकार में करीब दो घन्टे जाग कर बिताया कि कहीं तो कुछ होगा। पर यार इस चक्कर में एक दूसरा चीज दिखाता हूँ, तुमको ज्यादा मजा आएगा"। मुझे कल रात सब सो गये होंगे इसका अंदाजा था, पर फ़िर बब्लू की बात सुन कर अब मैं चकराया कि ये क्या दिखाने की बात कर रहा है। बब्लू ने बताया कि जब देखा कि कैमरा वाला आयडिया बढिया काम कर रहा है तो उसने इ-पोर्टल से तीन माईक और एक कैमरा और मँगवा लिया। दो माईक को उसने अपने भाई के पलंग के दोनों साइड पर चिपका दिया और फ़िर एक कैमरा और एक माईक उसने अपनी बहन बब्ली के कमरे में सेट कर दी थी। उसने बताया कि उसने रात में बब्ली को सोने के पहले अपने बूर में उँगली करते हुए रिकार्ड किया है। कैमरा तो वो ज्यादा बेहतर सेट नहीं कर पाया क्योंकि यह सब सामन शादी की सुबह ही आया और फ़िर उसको बेहतर जगह सोच कर लगाने का मौका नहीं मिला, फ़िर भी बब्ली की छोटी-छोटी चुचियों और उसके चेहरे का हाव-भाव बेजोड मस्ती देता है। उसने यह सब कहते हुए अपना लैप-टौप चला दिया। सामने बिस्तर पर बब्ली बैठ कर अपने कपडे उतारती हुई दिखी। फ़िर पूरी तरह से नंगी हुई पर कैमरा का कोण ऐसा था कि हमें उसकी बूर नहीं दिखी बस उसकी नाभी तक ही दिख पाई जो बडी सुन्दर दिख रही थी। एक्बर हल्का सा झलक मिला उसकी झाँट का पर बूर जरा भी नहीं दिखा। हाँ उसकी छोटी-छोटी गोल अनार के आकार की चुच्चियाँ मस्त दिख रही थी। मुझे साफ़ लग गया कि जो ब्रा हमने बब्ली के लिए खरीदी थी उस दिन वो उसको अभी थोड़ा ढ़ीला होगा, पर अब तो उसकी चूचियों के बढने के दिन थे तो आज-न-कल वो ब्रा उसको फ़िट आनी ही थी। उसने अपनी एक उँगली को जीभ से चाट कर गीला किया और फ़िर उसको नीचे ले गयी। मुड़े हुए घुटने दिख रहे थे जो अब हाथ नीचे जाने के बाद फ़ैल गये थे औए हम समझ गये थे कि मेरी बहन तनु इंटर करने के बाद भी वैसी माल नहीं बनी है जितना गरम माल बन दसवीं में पढने वाली तनु बन गई है। उसके बिस्तर के नीचे लगे माईक से उसकी सिसकियाँ और उसकी सेक्सी आवाजें साफ़ सुनाई दे रही थी। बब्लू आराम से मेरे बगल में बैठ कर मेरे साथ ही बब्ली को अपने बूर में ऊँगली करते हुए देख रहा था। जल्द ही उसकी साँस तेज हुई और फ़िर वो हाँफ़ते हुए शान्त हो गयी। हमें समझ आ गया कि वो अब झड गई है। वो अब धीरे-धीरे अपनी छाती को सहलाते हुए बिस्तर से उठी और फ़िर अटैच्ड बाथरूम की तरफ़ बढ गयी। ऐसे जाते हुए कैमरे ने उसकी चुतड़ की गोलाईयों के दीदार हमें करा दिया और जब वो लौटी तो उसके बदन पर एक नाईटी थी। बब्लू ने कहा, "अब कल जब तुमलोग चले जाओगे तो फ़िर से उसके कमरे में जाकर कैमरा को बेहतर तरीके से लगा दूँगा कि अब जब भी वो अपने बूर से खेलेगी तब हम भी सब देखते हुए मस्ती करें। वैसे भी अब मुझे पूरा आइडिया हो गया है कि कैमरा का कोण कैसा रहे तो सबसे बेहतर दिखेगा बिस्तर पर का खेल।"
 
मैं अब अपनी साँसों को काबू में कर रहा था जो बब्ली को ऐसे देखते हुए तेज हो गयी थी, और बब्लू अब पूछा, "अब क्या अपनी बहन को देखोगे?" मैं चुप था तो उसने कल रात की रिकार्डिंग चालू कर दी। बिस्तर पर तनु अपने को समेट कर बैठी हुई थी और बार-बार अपने चेहरे को अपने हाथों से पोछ रही थी जैसे उसको पसीना सा आ रहा हो। करीब आठ-दस मिनट के बाद दीपू भैया कमरे में आये और फ़िर तनु हड़बडा कर बिस्तर से उटर कर खडी हो गयी। दीपू भैया की आवाज साफ़ सुनाई दी, "अरे बैठो आराम से... बहुत थक गयी होगी। कपडे बदल लो, और आराम करो.... कब सोयी थी तुम?" तनु की घबडाई हुई आवाज सुनाई दी, "दो-तीन दिन से ठीक से नहीं सो पाई हूँ.... रोज देर रात तक कुछ-कुछ होता रहता था"। दीपू भैया बोले, "हाँ यह सब तो होता है, कोई बात नहीं अब आराम करो.... कुछ हल्का पहन लो जो सोने में सुविधा हो। ऐसे दुल्हन के लिबास में सो नहीँ पाओगी आराम से"। तनु की घबडाहट अब कम हो गयी थी तो थोडा बेहतर आवाज में बोली, "जी, आप दो मिनट बाहर चले जाएँगे तो मैं कपडा चेंज कर लूँगी"। दीपू भैया ने अब हँसते हुए कहा, "यार... तुम मेरी वाईफ़ हो, अब मेरे सामने ही तुम्हें कपडे बदलने की आदत डालनी होगी न। पता हैं ना कि आज हमारी सुहागरात है.... आज की रात तो मुझे तुमको अपने हाथ से नंगा करके अपने नीचे लिटाने का अधिकार है, समझ रही हो ना मेरा बात...। वो तो यार मैं खुद इतना थक गया हूँ कि अभी तो मेरा इरादा सिर्फ़ और सिर्फ़ सोने का है।" अब फ़िर से तनु की घबडाई हुई आवाज आई, "जी.... पर ऐसे...."। उसकी घबडाहट देखते हुए दीपू भैया बोले, "ठीक है बाबा घबडाओ मत... मैं चेहरा दूसरी तरफ़ कर लेता हूँ तुम चेंज कर लो। अब ऐसे बाहर चला गया तो मेरी क्या इज्जत रह जाएगी कि बीवी ने कमरे से बाहर कर दिया।" तनु के चेहरे पर अब मुस्कान दिखी और उसने नजरें झुका लीं। दीपू भैया ने अपना पीठ अब तनु की तरफ़ कर लिया और तनु भी जल्दी-जल्दी अपने कपडे उतार कर सिर्फ़ लाल ब्रा-पैन्टी में आ गयी और फ़िर एक साटन का गुलाबी रंग का नाईटी पहन कर बोली, "हो गया चेंज"। दीपू भैया अब उसकी तरफ़ घुमे और फ़िर बोले, "बहुत सुन्दर हो यार तुम। शादी के बाद और ज्यादा सुन्दर दिखने लगी हो।" तनु मुस्कुराते हुए अपने कपडे तह करने लगी तो दीपू भैया बोले, "अब छोड़ो यह सब और बत्ती बुझाओ कि नींद बेहतर आए। अब जो करना है कल सुबह उठने के बाद कर लेना", और वो बिस्तर पर पसर गये। तनु भी बत्ती बन्द कर दी और सिर्फ़ नाईट बल्ब की रोशनी में बिस्तर की तरफ़ बढी। हमारा कैमरा शानदार फ़ोटो दिखा रहा था इस कम रोशनी में भी। जब वो बिस्तर पर पहुँची तो दीपू भैया ने उसको अपने ऊपर खींच लिया और तनु को इसकी उम्मीद नहीं थी, सो वो धम्म से उनकी छाती पर गिरी। उसके चेहरे पर अब फ़िर से घबडाहट के भाव थे और दीपू भैया बोले, "अरे डरो मत.... सुहागरात है तो कम-से-कम एक चुम्मा तो बनता है ना, चाहे हमलोग कितना भी थके हुए हो"। जब तक तनु कुछ समझे दीपू भैया ने अपने होठ मेरी बहन तनु के होठ से सटा दिये और वो अब बिल्कुल शान्त पर गयी, शायद यह सोच कर कि अब वो कर भी क्या सकती है। अब दीपू भैया धीरे-धीरे उसके होठों को चुसने हुए चुम्मी लेने लगे और तनु बस शान्त हो कर पड़ी रही। उन्होंने अब उसकी चुचियों को नाईटी के ऊपर से दबाया और फ़िर हल्के हाथों से मसलना शुरु कर दिया। वो अब उनके चुम्मों का जवाब देने लगी थी। दीपू भैया बोले, "तुम्हारे ये गेंद तो बहुत सौफ़्ट और मस्त हैं", उनका इशारा तनु की चुचियों की तरफ़ था। फ़िर जब उनका हाथ तनु की बूर की तरफ़ गया और वो जब नाईटी ऊपर खींचने लगे तब तनु ने उनको कहा, "नहीं... प्लीज, मुझे शर्म आती है"। दीपू भैया हँसते हुए बोले, "बच्ची हो इसीलिए शर्म आ रही है तुम्हें। अच्छा सो जाओ आज, कल तुम्हारी जवानी को पूरा नंगा करके तुम्हारी शर्म उतारेंगे। पता है ना कि शादी के बाद लडकी को अपना शर्म अपने मायके में ही छोड कर आना होता है। ससुराल में उसके पति की जिम्मेदारी होती है कि वो उस लड़की की शर्म-हया को खत्म करें, वर्ना इस नये परिवार के लिए बच्चे कैसे पैदा करोगी"। अब तनु की घबड़ाई हुई आवाज सुनाई दी, "अभी कोई बच्चा-वच्चा नहीं करना मुझे"। दीपू भैया हँसते हुए बोले, "अच्छा बाबा... अब सो जाओ। अब जो होगा सो कल होगा, गुड-नाईट"। इसके बाद वो करवट बदल लिये थे और तनु भी उनसे थोड़ा दूरी बना कर सोने लगी। उसने अपने ऊपर एक चादर डाल लिया था। अब बब्लू बोला, "बस इतना ही...., इसके बाद मैं भी सो गया और यार बाथरूम का फ़ोटो कुछ ले नहीं पाया.... मेरी ही नींद जरा लम्बी हो गयी, थकान और टेंशन की वजह से। अब आज की रात देखना है, क्या होता है?"



मैंने कहा, "यार, तुम जो यह माईक लगा दिये हो न... यह तो तुम्हारा मस्टर-स्ट्रोक हो गया है। आवाज इतना साफ़ सुनाई दे रहा है कि मजा आ गया। जैसा कि दीपू भैया के बात से लगा है, आज रात को वो सुहागरात मना ही लेंगे"। बब्लू अब मेरी पीठ पर एक प्यार सी धौल जमाते हुए बोला, "हाँ यार.... अब आज लाईव ही देख लेना अपनी छोटी बहन की पहली चुदाई, मुझे भी यार तनु को एक बार नंगी देखने का बहुत मन कर रहा है.... पता तो चले कि झाँट कैसी है उसकी"। जब मैंने बब्लू के मुँह से सुना "छोटी बहन की पहली चुदाई", तो मेरे मन में एक अजीब सी हूक उठी। तभी नीचे से बब्ली की आवाज आई, "बब्लू भैया नीचे आइए.... सब लोग नीचे बुला रहे हैं"। सात बज रहा था और हम दोनों नीचे आए तो देखा की पूरा परिवार हौल में इकट्ठा है, तनु और दीपू भैया भी। सब लोग अब शादी की बातें कर रहे थे और तनु की सुन्दरता की बडाई कर रहे थे। मेरी बहन सच में बहुत सुन्दर दिख रही थी शादी के अगले ही दिन से। शादी का फ़ोटो एलबम स्टूडियो से बन कर आया था और सब उसी में लगे हुए थे।
 
करीब नौ बजे खाना हुआ और फ़िर गप-शप के बाद करीब साढे दस बजे सब अपने-अपने कमरे की तरफ़ जाने लगे। दीपू भैया पहले गए, और इसके बाद बब्ली ने तनु को भी भैया के पास जाने के लिए कहा, "जाइए भाभी, भैया अब आराम करने गए... तो अब आपको भी जाना चाहिए।" उसकी माँ ने भी कहा, "हाँ-हाँ तनु... अब तुम भी जाओ, थोडा आराम-वाराम करो। कल सुबह तुम्हें जाना भी है मायके अपने भैया के साथ"। तनु भी अब सकुचाते हुए "जी" कह कर उठी। लगभग साथ में ही बब्लू भी मेरा हाथ पकडते हुए उठा, "चल यार अपन भी अब चलते हैं, भाभी को उनका कमरा भी तो दिखाना है", कहते हुए उसने मेरी बहन को कंधों से पकड लिया और पीछे से उसको ठेलते हुए चलने लगा। यह देवर-भाभी का नया रिश्ता बन रहा था उन दोनो के बीच। हम तीनों सीढियों से ऊपर आ गये और तब बब्लू धीरे से बोला, "काश... तनु मैं तुम्हें अपने कमरे में ले जा पाता.... पर जाओ, अब तो भैया के कमरे में तुम्हारा मन लगेगा..."। बेचारी तनु तो जैसे शर्म से गडी जा रही थी। उसने तनु को अपने भैया के कमरे में ठेल दिया और फ़िर कमरे का दरवाजा खींच कर बन्द कर दिया। तनु अब ऐसी बच्ची थी नहीं कि वो बब्लू के बातों का असल अर्थ नहीं समझती।



इसके बाद हम दोनों दोस्त बगल के बब्लू वारे कमरे में आ गए। बब्लू ने अपना दरवाजा भीतर से लौक कर लिया और बोला, "चल दोस्त अब देखना है कि आज क्या सब होता है..."। उसका लौपटौप चालू हो गया था और उसने बारी-बारी से कैमरा औन कर दिया था। दीपू भैया अपने आलमारी से कुछ निकाल रहे थे और तनु बिस्तर के चादर को झाड रही थी। जब वो बिस्तर के चादर सीधा कर रही थी तब दीपू भैया बोले।


दीपू - रहने दो अब यह सब, बेकार की मेहनत से क्या फ़ायदा, सुबह तो चादर बदलनी ही है न।
तनु - जी... क्यों? अभी कल ही तो नयी बिछी है।
दीपू - अरे यार.... अब आज जब हमदोनों अपनी असल वाली सुहागरात मनाएँगे तब फ़िर चादर तो बदलना ही पडेगा ना।

तनु के चेहरे पर अब असमंजस का भाव था और तब फ़िर दीपू भैया बोले।

दीपू - समझ रही हो ना, हो सकता है कि कुछ धाग-वाग लग जाए.... या फ़िर पहले भी किसी के साथ प्रैक्टिस कर ली हो सुहागरात की?

यह कहते हुए वो हँसने लगे और तनु को अपने बाहों के घेरे में ले लिया। उनका ५’१०" के बदन से लगा हुआ ५’३" का तनु का छरहरा बदन अब जैसे काठ हो गया था। वो समझ रही थी कि दीपू भैया उससे क्या बोल रहे हैं।

दीपू - कपडे तुम उतारोगी या मुझे उतारना होगा?
तनु - हमलोग आज सो जाते, यह सब बात में करते तो अच्छा रहता।



यह सुनकर बब्लू बोला, "क्या साली बहन है यार तुम्हारी.... उसको समझ में नहीं आ रहा है कि बेचारे भैया पर क्या बीत रही होगी अभी।" मैंने उसकी बात सुनकर कहा, "अरे ऐसे कैसे हो जाएगा... लडकी को किसी की अनजाने के साथ यह सब करते शर्म तो आएगी।" बब्लू की नजर सामने स्क्रीन पर ही थी सो वो बोली, "अच्छा बेटा... तू ना अपनी बीवी को रोज गोद में लेकर लोरी गाकर सुलाया करना। अबे... दो रात बीत गयी बीवी बने और अभी तक नंगी भी नहीं हुई है"। मैं अब क्या बोलता, सो चुपचाप मैंने भी अपनी नजरें सामने के स्क्रीन पर गडा ली।

दीपू - अब कितना सोना है मेरी जान.... अब आज तो अपनी जवानी दिखा दो न प्लीज।
तनु - छोड़िए न, मुझे शर्म आ रही है।
दीपू - लो छोड दिया....( अपनी बाँहों की गिरफ़्त से आजाद करते हुए), जाओ बाथरूम से हो लो और अगर ड्रेस चेंज करना हो तो
वो भी कर लो, वैसे आज की रात तो तुम्हारे कपडे उतरने ही वाले हैं।
तनु - प्लीज.... आज नहीं।
दीपू - अच्छा बाबा.... पहले आओ तो तैयार हो कर बिस्तर पर, फ़िर सोचते हैं।
 
Back
Top