desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
रेवती महेश के बाहों में लेटी रही और उसके छाती के बालों को सहलाती गई। महेश भी उसके माथे को चूम लेता है और अपने किस्मत पर एहसानमन्द होने लगता है। रेवती प्यार से उसके बाहों में जुलझते हुए बोल परी "ताऊजी! वैसे आप ज़्यादा नमकीन है!"। इससे महेश कुछ सोच में आ गया "ज़्यादा मतलब? कहीं तुम और कहीं तो चक्कर नहीं चलाई हो ना?" नटखट होकर महेश पूछ लिया, उसके गेसूओ को सहलाकर। रेवती उसके मूरझे हुए लिंग को कच्चे के उपर से ही सहलाकर बोली "ऐसे नहीं ताऊ! पहले आप मुझे पूरा भोगेंगे तब! अभी तक प्यास नहीं मिटी मेरी!" एक संसहट और कामुकता थी रेवती की आवाज़ में, जिसे महेश भांप लेता है।
महेश : लेकिन बेटा! क्या तुम सच में और हादे पार करना चाहती हो??
रेवती : (महेश का होंठ वापस चूम कर) सच्ची! आप की कसम ताऊजी! आपको पता नहीं, बस आपके मौजूदगी मै कुछ कुछ होने लगती है मुझे!
यह कहना मुश्किल था के क्या वाकई में रेवती महेश से प्यार करने लगा था, या केवल उसे उकसा रही थी। लेकिन मज़े तो दोनों के ही थे! खैर, फिलहाल महेश और रेवती दोनों उठ जाते है और अपने अगले पल के इन्तजार में उस्सुख होने लगे। रेवती कुछ मायूसी में उलझी हुई थी और यह महेश भी देख रहा था "क्या बात है रेवती? कहीं ऐसा तो नहीं के तुम्हरे मन में कोई पछतावा या...."। रेवती प्यार से मुस्कुराकर बोली "नहीं ताऊजी! ऐसी बात नहीं! बस सोच रही हूं के कहीं आशा टाई को पता चली तो...."। इस बात पे महेश हस देता है। उसके हसी देखे रेवती हैरानी से उसे देखने लगी।
महेश : तुम्हरे ताई तो बस अपने ही धुन में है!
रेवती : (मन में) सच ही तो है ताऊ! ऐसा बेटे के साथ तो हर कोई कामुक हो जाएगा!
महेश : खैर, मुझे उसकी कोई फिक्र नहीं! मुझे तो बस इस नए रिश्ते का खयाल है!
रेवती और महेश फिर एक बार एक दूसरे को चूम लेते है और पास ही में एक जूस सेंटर के वहा चलने लगते है। जहा महेश का हाथ उसकी कमर पर थामा हुआ था, वहा रेवती भी प्यार से उसके दूसरे हाथ पर अपनी हाथ थमी हुई थी।
.....
वहा दूसरे और, लहरों में फिर से एक बार मा और बेटे मस्ती करने लगें। कुछ कुछ पानी आशा अपने बेटे और छिरकती गई, तो कुछ आशा अपने बेटे को। एक अटूट रिश्ता तो बन ही चुका था दोनों में और इस बात मै कोई शक नहीं था। कुछ हद तक ऐसे ही दोनों भीगते गए और बेसब्र होकर राहुल फौरन अपने मा के निकट चला जाता है। बेटे को नज़दीक पाकर आशा कुछ अंदरुनी सिक्सिया लेने लगीं, और सास भी मानो बहुत तेज़ चलने लगी थी।
आशा : ऐसे क्या देख रहा है मझे.....
राहुल : भीगे हुए अवस्था मै, क्या कभी भी पापा ने आपकी तारीफ की मा?
आशा : (महेश के जिर्क से नाराज़ होती गई) तुझे क्या लेना देना! बेटा, तू अपनी बात कर
राहुल : नहीं मा, ऐसी बात नहीं, सच कहूं तो तुम नमकीन से भी नमकीन लग रही हो!
आशा : हट! बदमाश कहीं का!
लेकिन राहुल कहां रुकने वाला था, फौरन अपने मा को अपने बाहों में भरकर, एक बार फिर होंठ से होंठ मिला देता है। अब तमाम लहर समुद्र के साथ साथ उनके रग रग में भी दौड़ने लगा। राहुल बेनिंतेहा अपने मा के अड्रो का रस पीने लगा और प्यार से अपने भीगे ब बदन को उसकी भीगीं जिस्म से रगड़ने लगा। भीगी भीगी मखमली पीठ की चारो और हाथ फिराकर राहुल को एक अलग ही मज़ा आ रहा था और आशा भी बेटे के मजबूत पीठ को अपने नाखून से खरोच देती है हल्के से।
चुम्बन से अलग होकर आशा वापस बेटे की और देखने लगी "कहीं तेरे पापा....। "शुश्श! इस बारे में सोचना भी मत मा! इस बात का खयाल रिमी और रेवती दोनों रखेगी!"। "क्या मतलब?" आशा कुछ हैरान सी थी और फिर राहुल उसे सब कुछ बता देता है के किस अंदाज़ से रिमी और रेवती ने पापा को अपने कामुकता के जाल में फासाने का सोचे है, ताकि उसे और आशा को बीन पश्चाताप के अपना लीला कायम रख पाए!
बेटे के बातो को सुनके आशा की दिल जोरों से धड़क उठी और मुंह पर हाथ दिए बहुत कोशिश की अपनी मुस्कुराहट को रोकने के लिए। राहुल भी हस देता है और मा को गले लगा देता है। प्यार से अपने बेटे के छाती पर हाथ रखे, वोह सर को उसके कंधो पर थाम देती है "यह सब, बस मुझे पाने के लिए?" बहुत धीमी सवर में वोह बोली और फिर एक बार दोनों के होंठ वहीं लहरों के दरमियान मिल जाते है और कुछ पल के बाद वोह दोनों वापस चले जाते है। जाते जाते राहुल अपने मा से पूछ परा "वैसे वेरोनिका के न्योता के बारे में क्या विचार है मा?"।
बेटे के छाती पे प्यार से नाखून फिराकर वोह बोली "ज़रूर जाएंगे!" दोनों मा बेटे के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान फेल जाते है और फिर एक बार हाथ पे हाथ मिलाएं, दोनों वापस जाने लगते है।
......
वहा रिसोर्ट में एक महेश को छोड़कर, सब वापस आते है और अपने अपने कमरे में आराम करने लगे। बस, एक आशा थी जो अभी भी बरामदे पर थी और शाम की राह देख रही थी। सुबह से लेकर एक एक पल बेटे के साथ बिताए हुए और फिर वेरोनिका का न्योता मिलने तक सब कुछ उसके मन में अटल थी। बहुत सारे खुआविश उसके मन की कमरे में यहां वहा घूमने लगीं। वहा दूसरे और, राहुल आराम से लेटा रहा और ऐसे में, उसके दोनों बाजू आकर लेट जाते है रिमी और रेवती! दोनों के दोनों बारी बारी अपने भाई के होंठ चूम लेते है।
राहुल : वैसे महारानियो! हमारे पिताश्री को रिझा पाए?
रिमी : अवश्य महाराज! आपके पिताश्री तो है ही मोहित होने वालों में से! (मस्ती में)
रेवती हस देती है दिल खोल के! राहुल एक चैन की सास लेता है।
रिमी : महाराज! अब आप केवल आज के शाम के उत्सव के बारे में सोचिए! आपका प्रिय आशा देवी के बारे में!
राहुल : अवश्य! (हस के)
रेवती : वैसे महाराज! मतलब, भइया! मुझे तो कभी कभी यह सब एक अजीब सपना जैसे लग रही है! आई मीन यह बाप बेटी और मा बेटा! गॉड!!
राहुल दिनों के मखमली गांड़ पर हाथ सटाए, दोनों को अपने और खींच लेता है "यही होता है मेरी प्यारी बेहनो! जब वासना और भूख का अटूट मिलन होता है!!"।
........
आखिरकार शाम का समय हो जाता है और रिसोर्ट के अजी बाजू दिए और चांद की हल्की रोशनी से पूरा गोआ झूम उठा। वादे के मुताबिक आशा वहीं बीच वाली आउटफिट पहनेती है और राहुल एक टीशर्ट और बीच शर्ट्स पहने वेरोनिका की दी हुई पते पर पहुंच जाते हैं। वोह जगह बस बीच से कुछ ही दूरी पे था और मानो कोई पार्टी रिसोर्ट जैसा हो!
उपर एक बोर्ड था, जिसमे लिखा था "परादयिस हाउस"। नाम पड़कर राहुल और आशा एक दूसरे को देखने लगे और कुछ पल रुककर, दोनों के दोनों हाथ थामे, खुले हुए दरवाज़े के अंदर आते है। अंदर आकर एक ही पल में राहुल हैरान हो गया और आशा के भी आंखे बड़ी के बड़ी रह गाई।
अंदर का माहौल कुछ इस प्रकार का था के, थोड़े बहुत कपल्स थे, और खास बात यह था के सब के सब उम्र में फरक वाले! और उससे भी खास बात के सब के चेहरे में एक मेल था, जिसे देख आशा बहुत ज़्यादा हैरान थीं, लेकिन इससे पहले राहुल भी मा से कुछ कह पता, कमरे में आती है वेरोनिका, एक बेहद कामुक सी पारदर्शी ड्रेस पहनी हुई, जिस्मे उसकी गडरिए जिस्म पे बिकिनी और पैंटी भी आसानी से दिखी जा सकती थी। उनकी अदाकारी को देखकर राहुल भी काफी हद तक मोहित हो उठा उसके प्रति।
वेरोनिका सब की और देखे, फिर राहुल और आशा के तरफ देखने लगी और एक मुस्कान उनकी चेहरे पर समा गई। उन्हें देख राहुल भी मुस्कुराया और आशा ने बहुत कोशिश की मुस्कुराने की, लेकिन बार बार नज़रे आस पास के जोड़ियों पे ही जा रही थी।
वेरोनिका : तुम्हारा आश्चर्य होना नॉरमल है आशा!
आशा : बस यही सोच रही हू के.......
वेरोनिका : तुम्हारी सोच भी सही है माई फ्रेंड! यह सब आपस में रिश्ते रखते है! सब के सब!! कोई बाप बेटी है, तो कोई मा बेटा!
आशा की धड़कन अब काफी तेज हो गई और हैरानी से एक नज़र राहुल की और देखी, और फिर उन सारे जोड़ियों को। जहा कुछ बेटियां अपने पिता से कामुक पोज में चिपके हुए थे, तो कुछ माए भी अपने बेटो के साथ चिपके ड्रिंक्स ले रहे थे। कुछ तो अपने में ही चुम्बन लीला भी आरंभ कर चुके थे। इन सब को देखकर राहुल और आशा हैरानी से बरोनिका की और देख रहे थे, जो केवल मुस्कुरा रही थी।
कुछ पल बाद एक लड़का आके उसे अपनी ग्लास ड्रिंक्स देता है, जिसे वोह आशा और राहुल की और बड़ा देती है "प्लीज़! बी माई गेस्ट!"। आशा कुछ सोच में थी, लेकिन राहुल दोनों ग्लास लैलेता है और आशा को आंखो से तस्सली देता हुआ, उसे भी एक ग्लास देने लागा। आशा एक मुस्कान दिए लेती है और वेरोनिका एक ताली बजाने लगी, जिसके बाद एक लड़का आके खड़ा हो जाता है।
दोनों आशा और राहुल हैरान होके रहे, हाथो में ड्रिंक लिए, जब बेरोनिका के मुंह से निकल गई "अल्बर्ट! इन्हे इनका रूम दिखा दो!"।
महेश : लेकिन बेटा! क्या तुम सच में और हादे पार करना चाहती हो??
रेवती : (महेश का होंठ वापस चूम कर) सच्ची! आप की कसम ताऊजी! आपको पता नहीं, बस आपके मौजूदगी मै कुछ कुछ होने लगती है मुझे!
यह कहना मुश्किल था के क्या वाकई में रेवती महेश से प्यार करने लगा था, या केवल उसे उकसा रही थी। लेकिन मज़े तो दोनों के ही थे! खैर, फिलहाल महेश और रेवती दोनों उठ जाते है और अपने अगले पल के इन्तजार में उस्सुख होने लगे। रेवती कुछ मायूसी में उलझी हुई थी और यह महेश भी देख रहा था "क्या बात है रेवती? कहीं ऐसा तो नहीं के तुम्हरे मन में कोई पछतावा या...."। रेवती प्यार से मुस्कुराकर बोली "नहीं ताऊजी! ऐसी बात नहीं! बस सोच रही हूं के कहीं आशा टाई को पता चली तो...."। इस बात पे महेश हस देता है। उसके हसी देखे रेवती हैरानी से उसे देखने लगी।
महेश : तुम्हरे ताई तो बस अपने ही धुन में है!
रेवती : (मन में) सच ही तो है ताऊ! ऐसा बेटे के साथ तो हर कोई कामुक हो जाएगा!
महेश : खैर, मुझे उसकी कोई फिक्र नहीं! मुझे तो बस इस नए रिश्ते का खयाल है!
रेवती और महेश फिर एक बार एक दूसरे को चूम लेते है और पास ही में एक जूस सेंटर के वहा चलने लगते है। जहा महेश का हाथ उसकी कमर पर थामा हुआ था, वहा रेवती भी प्यार से उसके दूसरे हाथ पर अपनी हाथ थमी हुई थी।
.....
वहा दूसरे और, लहरों में फिर से एक बार मा और बेटे मस्ती करने लगें। कुछ कुछ पानी आशा अपने बेटे और छिरकती गई, तो कुछ आशा अपने बेटे को। एक अटूट रिश्ता तो बन ही चुका था दोनों में और इस बात मै कोई शक नहीं था। कुछ हद तक ऐसे ही दोनों भीगते गए और बेसब्र होकर राहुल फौरन अपने मा के निकट चला जाता है। बेटे को नज़दीक पाकर आशा कुछ अंदरुनी सिक्सिया लेने लगीं, और सास भी मानो बहुत तेज़ चलने लगी थी।
आशा : ऐसे क्या देख रहा है मझे.....
राहुल : भीगे हुए अवस्था मै, क्या कभी भी पापा ने आपकी तारीफ की मा?
आशा : (महेश के जिर्क से नाराज़ होती गई) तुझे क्या लेना देना! बेटा, तू अपनी बात कर
राहुल : नहीं मा, ऐसी बात नहीं, सच कहूं तो तुम नमकीन से भी नमकीन लग रही हो!
आशा : हट! बदमाश कहीं का!
लेकिन राहुल कहां रुकने वाला था, फौरन अपने मा को अपने बाहों में भरकर, एक बार फिर होंठ से होंठ मिला देता है। अब तमाम लहर समुद्र के साथ साथ उनके रग रग में भी दौड़ने लगा। राहुल बेनिंतेहा अपने मा के अड्रो का रस पीने लगा और प्यार से अपने भीगे ब बदन को उसकी भीगीं जिस्म से रगड़ने लगा। भीगी भीगी मखमली पीठ की चारो और हाथ फिराकर राहुल को एक अलग ही मज़ा आ रहा था और आशा भी बेटे के मजबूत पीठ को अपने नाखून से खरोच देती है हल्के से।
चुम्बन से अलग होकर आशा वापस बेटे की और देखने लगी "कहीं तेरे पापा....। "शुश्श! इस बारे में सोचना भी मत मा! इस बात का खयाल रिमी और रेवती दोनों रखेगी!"। "क्या मतलब?" आशा कुछ हैरान सी थी और फिर राहुल उसे सब कुछ बता देता है के किस अंदाज़ से रिमी और रेवती ने पापा को अपने कामुकता के जाल में फासाने का सोचे है, ताकि उसे और आशा को बीन पश्चाताप के अपना लीला कायम रख पाए!
बेटे के बातो को सुनके आशा की दिल जोरों से धड़क उठी और मुंह पर हाथ दिए बहुत कोशिश की अपनी मुस्कुराहट को रोकने के लिए। राहुल भी हस देता है और मा को गले लगा देता है। प्यार से अपने बेटे के छाती पर हाथ रखे, वोह सर को उसके कंधो पर थाम देती है "यह सब, बस मुझे पाने के लिए?" बहुत धीमी सवर में वोह बोली और फिर एक बार दोनों के होंठ वहीं लहरों के दरमियान मिल जाते है और कुछ पल के बाद वोह दोनों वापस चले जाते है। जाते जाते राहुल अपने मा से पूछ परा "वैसे वेरोनिका के न्योता के बारे में क्या विचार है मा?"।
बेटे के छाती पे प्यार से नाखून फिराकर वोह बोली "ज़रूर जाएंगे!" दोनों मा बेटे के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कान फेल जाते है और फिर एक बार हाथ पे हाथ मिलाएं, दोनों वापस जाने लगते है।
......
वहा रिसोर्ट में एक महेश को छोड़कर, सब वापस आते है और अपने अपने कमरे में आराम करने लगे। बस, एक आशा थी जो अभी भी बरामदे पर थी और शाम की राह देख रही थी। सुबह से लेकर एक एक पल बेटे के साथ बिताए हुए और फिर वेरोनिका का न्योता मिलने तक सब कुछ उसके मन में अटल थी। बहुत सारे खुआविश उसके मन की कमरे में यहां वहा घूमने लगीं। वहा दूसरे और, राहुल आराम से लेटा रहा और ऐसे में, उसके दोनों बाजू आकर लेट जाते है रिमी और रेवती! दोनों के दोनों बारी बारी अपने भाई के होंठ चूम लेते है।
राहुल : वैसे महारानियो! हमारे पिताश्री को रिझा पाए?
रिमी : अवश्य महाराज! आपके पिताश्री तो है ही मोहित होने वालों में से! (मस्ती में)
रेवती हस देती है दिल खोल के! राहुल एक चैन की सास लेता है।
रिमी : महाराज! अब आप केवल आज के शाम के उत्सव के बारे में सोचिए! आपका प्रिय आशा देवी के बारे में!
राहुल : अवश्य! (हस के)
रेवती : वैसे महाराज! मतलब, भइया! मुझे तो कभी कभी यह सब एक अजीब सपना जैसे लग रही है! आई मीन यह बाप बेटी और मा बेटा! गॉड!!
राहुल दिनों के मखमली गांड़ पर हाथ सटाए, दोनों को अपने और खींच लेता है "यही होता है मेरी प्यारी बेहनो! जब वासना और भूख का अटूट मिलन होता है!!"।
........
आखिरकार शाम का समय हो जाता है और रिसोर्ट के अजी बाजू दिए और चांद की हल्की रोशनी से पूरा गोआ झूम उठा। वादे के मुताबिक आशा वहीं बीच वाली आउटफिट पहनेती है और राहुल एक टीशर्ट और बीच शर्ट्स पहने वेरोनिका की दी हुई पते पर पहुंच जाते हैं। वोह जगह बस बीच से कुछ ही दूरी पे था और मानो कोई पार्टी रिसोर्ट जैसा हो!
उपर एक बोर्ड था, जिसमे लिखा था "परादयिस हाउस"। नाम पड़कर राहुल और आशा एक दूसरे को देखने लगे और कुछ पल रुककर, दोनों के दोनों हाथ थामे, खुले हुए दरवाज़े के अंदर आते है। अंदर आकर एक ही पल में राहुल हैरान हो गया और आशा के भी आंखे बड़ी के बड़ी रह गाई।
अंदर का माहौल कुछ इस प्रकार का था के, थोड़े बहुत कपल्स थे, और खास बात यह था के सब के सब उम्र में फरक वाले! और उससे भी खास बात के सब के चेहरे में एक मेल था, जिसे देख आशा बहुत ज़्यादा हैरान थीं, लेकिन इससे पहले राहुल भी मा से कुछ कह पता, कमरे में आती है वेरोनिका, एक बेहद कामुक सी पारदर्शी ड्रेस पहनी हुई, जिस्मे उसकी गडरिए जिस्म पे बिकिनी और पैंटी भी आसानी से दिखी जा सकती थी। उनकी अदाकारी को देखकर राहुल भी काफी हद तक मोहित हो उठा उसके प्रति।
वेरोनिका सब की और देखे, फिर राहुल और आशा के तरफ देखने लगी और एक मुस्कान उनकी चेहरे पर समा गई। उन्हें देख राहुल भी मुस्कुराया और आशा ने बहुत कोशिश की मुस्कुराने की, लेकिन बार बार नज़रे आस पास के जोड़ियों पे ही जा रही थी।
वेरोनिका : तुम्हारा आश्चर्य होना नॉरमल है आशा!
आशा : बस यही सोच रही हू के.......
वेरोनिका : तुम्हारी सोच भी सही है माई फ्रेंड! यह सब आपस में रिश्ते रखते है! सब के सब!! कोई बाप बेटी है, तो कोई मा बेटा!
आशा की धड़कन अब काफी तेज हो गई और हैरानी से एक नज़र राहुल की और देखी, और फिर उन सारे जोड़ियों को। जहा कुछ बेटियां अपने पिता से कामुक पोज में चिपके हुए थे, तो कुछ माए भी अपने बेटो के साथ चिपके ड्रिंक्स ले रहे थे। कुछ तो अपने में ही चुम्बन लीला भी आरंभ कर चुके थे। इन सब को देखकर राहुल और आशा हैरानी से बरोनिका की और देख रहे थे, जो केवल मुस्कुरा रही थी।
कुछ पल बाद एक लड़का आके उसे अपनी ग्लास ड्रिंक्स देता है, जिसे वोह आशा और राहुल की और बड़ा देती है "प्लीज़! बी माई गेस्ट!"। आशा कुछ सोच में थी, लेकिन राहुल दोनों ग्लास लैलेता है और आशा को आंखो से तस्सली देता हुआ, उसे भी एक ग्लास देने लागा। आशा एक मुस्कान दिए लेती है और वेरोनिका एक ताली बजाने लगी, जिसके बाद एक लड़का आके खड़ा हो जाता है।
दोनों आशा और राहुल हैरान होके रहे, हाथो में ड्रिंक लिए, जब बेरोनिका के मुंह से निकल गई "अल्बर्ट! इन्हे इनका रूम दिखा दो!"।