Kamukta kahani कीमत वसूल - Page 13 - SexBaba
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Kamukta kahani कीमत वसूल

अनु की गाण्ड पहली बार लण्ड ले रही थी, और अनु की गाण्ड का छेड़ थोड़ा कसा हआ भी था। मैंने अनु के चूतड़ों का हाथ से पकड़कर फैलाते हुए धक्के मारने शुरू कर दिए। इससे अनु की गाण्ड का छेद घोड़ा और फैल गया। अब अनु की गाण्ड को भी मेरे लौड़े की चोट अच्छी लगने लगी। अनु की सिसकियों में जो दर्द था, वो अब मजे में बदल गया।

अनु अब "आहह... मेरा बाबू उईईई... आह्ह.." करने लगी।

अनु की गाण्ड पर जब मैं चोट मारता था तब उसकी भुलभुले चूतड़ों पर शिरकन आ जाती थी, और उसके चूतड़ों पर चोट पड़ने से पट-पट की आवाज आ रही थी। मुझे ऐसा मजा कभी नहीं आया था। अनु की गरम और टाइट गाण्ड में मेरा लौड़ा खुद को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया और फिर मैंने अनु की गाण्ड में अपने माल को छोड़ दिया। अनु की गाण्ड में मेरा लण्ड झड़ने के बाद भी ऐसे ही तना रहा, जैसे झाड़ा ही ना हो।

मेरा मन नहीं हआ की में उसकी गाण्ड से अपने लण्ड को बाहर निकालूं। मैंने अपने लण्ड को अंदर ही पड़े रहने दिया जब तक की लण्ड टीला नहीं पड़ गया। अनु भी घोड़ी बनी रही। जब अनु की गाण्ड में लौड़ा टीला पड़ गया

तो मैंने अनु की गाण्ड में अपने लौड़े को बाहर खींचा, तो पुच्च की आवाज हुई। अनु बैंड पर झटके से पेंट के बाल लेट गई। मैं अपने लण्ड को पकड़कर सीधा बाथरूम में चला गया। वहां जाकर मैंने अपने लण्ड को देखा तो मेरे माल और अनु की शिट का मिक्स्चर लगा हुआ था। मैंने जल चला दिया और लण्ड नीचे रख दिया। लण्ड धोने के बाद मैं तौलिया से पोंछता हुआ बाहर आ गया।

अनु अभी तक वैसे ही लेटी थी। ऋतु उसके चूतड़ों को सहला रही थी।

मुझे देख कर ऋतु ने कहा- "पता है दीदी को अभी तक दर्द हो रहा है.."
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मैं अनु के पास जाकर लेट गया। मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा- "अनु डियर सारी... मुझे माफ कर दो। मैंने जानबूझ कर तुम्हें दर्द नहीं दिया.."

अनु पहले तो कुछ नहीं बोली। फिर एकदम से मुझे चिपक गई और मुझे चूमने लगी। बेहतशा चमने के बाद अनु ने मेरे सीने में अपना मुँह छुपा लिया। उसके गरम औंस मुझे सीने पर महसूस हुए।

मैंने अनु का चेहरा ऊपर किया और कहा- "अनु मेरी जान प्लीज... रोना नहीं, नहीं तो मुझे लगेगा की मैंने तुम्हें सलाया है। मैं तो तुम्हें यहां खुशियां देने के लिए लाया हूँ। अगर तुमको मेरी वजह से कोई तकलीफ हुई तो मुझं दोषी महसूस होगा..."

अनु ने सिसकते हए कहा- "नहीं-नहीं, मैं उस वजह से नहीं रो रही। मेरा तो मन वैसे ही भारी हो गया था..."
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मैंजे अनु के आँसू पोंछे और उसके गाल को चूमते हुए कहा- "गुड़ अब जरा स्माइल दो.."

अनु ने स्माइल दी। मैंने उसको अपने गले से लगा लिया और कहा- "तुम सिर्फ मकराती हई अच्छी लगती हो। रोए तुम्हारे दुश्मन ..."

अनु फिर से मेरे गले से लगकर बोली- "मेरा बाबू कितना स्वीट है."

मैंने अनु को कहा- "अब दर्द कुछ कम हुआ?"

अनु ने कहा- "हो तो अब भी रहा है, पर उतना नहीं जितना पहले था..."

मैंने अनु को कहा- "चलो तुम्हारा बाकी दर्द भी दूर करता हैं... उठकर खड़ी हो जाओ..."

अनु थोड़ा सा मुश्किल से खड़ी हुई।
 
मैंने उसको अपनी बाहों का सहारा दिया और कहा- "चलो तुम्हें टायलेट तक छोड़ आऊँ." सच में अनु के कदम लड़खड़ा रहे थे। मैं अनु को अपनी बाहों में भरकर टायलेट तक ले गया। वहां मैने अनु से कहा- "तुम फ्रेश हो जाओ, मैं बाहर जाता हूँ.."

अनु ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली"मझे छोड़कर मत जाओ..."

मैंने अनु को बड़े प्यार में लेजाकर कमोड पर बैठा दिया, और कहा- "तुम फ्रेश हो जाओ, मैं 10 मिनट में आता हूँ... और मैं बाहर आ गया।

ऋतु ने मुझसे कहा- "पता नहीं दीदी को इतना दर्द क्यों हुआ?"

मैंने हँसते हुए कहा- "तुमको नहीं हुआ था क्या?"

ऋतु शर्माते हुए बोली- "हआ तो था पर ऐसे नहीं जितना दीदी को हो रहा है..."

मैंने कहा- "अनु ने एक तो पहली बार पीछे से करवाया है, दूसरा उसका छेद कुछ ज्यादा ही टाइट है। पर आज के बाद उसको कभी दर्द नहीं होगा.. और मैं अत से बात करने लगा। फिर मुझे याद आया अनु को मैं 10 मिनट में आने को बोलकर आया हैं।

मैं बाथरूम में गया तो अनु तब तक फ्रेश हो चुकी थी और वो मिरर के आगे खड़ी थी। मैंने उसको जाकर पीछे से बाहों में भर लिया और कहा- "अनु जान, तुमको नया जररत है खुद को निहारने की। तुम तो वैसे ही इतनी खूबसूरत हो..."

अनु शर्माकर मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर बोली- "सिर्फ आपको ही अच्छी लगती हैं मैं और तो किसी ने नहीं कहा मुझे ...

मैंने कहा- "अनु इसमें तुम्हारी क्या गलती? देखने वाले ही अंधे है.."

अनु खिलखिलाकर हँस पड़ी। मुझे उसके चेहरे पर हँसी देखकर अच्छा लगा।

मैंने कहा- "चलो अब तुम नहा लो फिर चलना भी है...'

अनु बोली- "आप नहीं नहाओंगे क्या?"

मैंने कहा- "तुम्हारा मतलब मैं समझ रहा हूँ.."

कहकर मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और शाबर के नीचे खड़ा हो गया। मैंने शाबर चलाया। अनु की हाइट मेरे से कम है, वो मेरे कंधों तक ही आती है। अनु मेरे सीने पर अपना सिर रखें हए थी। मैं उसकी कमर को सहला रहा था।

अचानक अनु बोली- "यहां से जाने के बाद भी आप मुझे इतना ही प्यार करोगे?"

मैंने कहा- तुमको क्या लगता है?

अनु ने कहा- आप बताओ ना?

मैंने कहा- "मैं जिंदगी भर तुमको इतना ही प्यार करता रहूँगा..."

अनु ने कहा- "सच या मेरा दिल रखने के लिए कह रहे हो?"

मैंने अनु से कहा- "मैं कसम तो नहीं खाता, पर जब भी किश्मत में कोई ऐसा मौका आया तो मैं प्रमाणित कर दूँगा की मैं तुमसे कितना प्यार करता है?"

अनु ने मुझसे चिपकते हुए कहा- "आपका कहना ही मेरे लिए काफी है."

हम नहाकर बाहर आए तो मैंने ऋतु में कहा "जाओ तुम भी तैयार हो जाओ.."

ऋतु कहने लगी- "आप दोनों नहा चुके?"

मैंने कहा- "हौं हम दोनों तैयार हैं। तुम भी हो जाओ."

ऋतु भी 15 मिनट में तैयार हो गई। अब हम सब तैयार थे तो रुकने की कोई वजह ही नहीं थी। मैंने अनु से कहा- "अपना-अपना लगेज भी पैक कर लो। कार में रखकर जहां चलना है चलते हैं."

अनु ने कहा- हमारा लगेज पैक है।

मैंने वेटर को बुलाया और लगेज उसको दे दिया। मैंने अनु को कार की चाभी देते हुए कहा- "तुम लोग कार में जाकर सामान रखवाओं। मैं होटेल का बिल में करके आता हैं..." फिर रिसेप्शन पर जाकर बिल पे करने लगा बिल में करके में जब कार तक पहुँचा तो अनु आगे की सीट पर बैठी थी।

मैने अत को देखा तो वो बैंक सीट पर आराम से लेटी हुई थी। मैंने कार स्टार्ट कर दी। कार माल रोड की पार्किंग में पार्क की और कहा- "चलो यहां से पैदल चलते हैं..."

हम लोग माल रोड पर आ गये। वहां हमने मनपसंद बैकफास्ट किया। फिर मैंने अनु और ऋतु से कहा तुम लोगों ने शापिंग ता नहीं करनी?"

दोनों ने मना कर दिया।

मैंने कहा- "फिर यहां रुकने का क्या फायदा चलो घर के लिए निकालते हैं। टाइम से निकलेंगे तो टाइम से पहुँचेंगे..."

अनु ने कहा- हाँ ठीक बात है।

हम जब वहां से चले तो 3:00 बज चुके थे। मैंने अनु से कहा- "कुछ लेना है तो बताओं रास्ते के लिए?"

अनु ने कहा- "मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक ले लीजिए.."
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मैंने कोल्ड ड्रिंक और चिप्स के पैकेट ले लिए। मैंने कार स्टार्ट की। हम जैसे ही टोल तक आए तो पता चला की रास्ते में कहीं लैंड स्लाइडिंग हो गई है, जिसकी वजह से रास्ता बंद है। मैंने अनु की तरफ देखा।

अनु ने कहा- "अब क्या होगा, कैसे जाएंगे?"

मैंने कहा- "इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं है..."

ऋतु बोली- "आज तो हम रुक भी नहीं सकते, मम्मी गुस्सा हो जाएंगी...'

मैंने वहां एक टक्सी वाले से पूछा- "कच तक रास्ता खुलने की उम्मीद है?"

उसने कहा- साब आज तो मुश्किल है।

मैंने अनु से कहा- "हम यहां से वापिस होटेल चलते हैं। जब रोड साफ हो जाएगा तब चलेंगे। इसके सिवा कोई आप्षन ही नहीं था..' मैंने कार वापिस होटेल की पार्किंग में लगा दी। में रिसेप्शन पर गया और उसको बताया की हम लोगों को दो-तीन घंटे यहां रुकना पड़ेगा।

उसको भी लैंड स्लाइडिंग का पता था। उसने कहा- "सर, आप उसी रूम में जाकर आराम कर सकते हैं..."

हम सब फिर से उसी रूम में आ गये। मैंने रूम में आते ही टीवी आन कर दिया और लोकल चैंजेल लगा दिया। उसपर जो न्यूज चल रही थी उसको देखकर ऋतु में मस्ती में झमना शुरू कर दिया और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

उसमें दिखा रहें थे की रोड कल से पहले साफ नहीं हो सकती। मैंने अनु की तरफ देखा तो उसका चेहरा भी खुशी से चमक रहा था। मैंने उसको कहा- "ऋतु को इतनी खुशी हो रही है तुमको नहीं हुई क्या?"

अनु का चेहरा लाल हो गया, उसने कहा- "मुझे नहीं पता.." और वो भी ऋतु के साथ जाकर मस्ती में उछलने लगी। उन दोनों की मस्ती देखकर मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी।

मत ने मेरा हाथ पकड़कर खींच लिया, और बोली- "आप भी हमारे साथ सेलीब्रेट करिए."

मैं भी उनके साथ मस्ती करने लगा। अनु ने मुझे देखते हुए कहा- "आपके मन की बात सच हो गई.."

मैंने अनु को कहा- "मैंने तो ऐसा नहीं सोचा था। तुम्हारे मन की बात सच हुई है, तभी तो नाच रही हो.."

ऋतु बोली- "आपने अभी दीदी का डान्स देखा ही कहां है? देख लोगे तो होश उड़ जाएंगे..."

मैंने अनु की तरफ देखा तो अनु ने कहा- "ये तो ऐसे ही बोल रही है."

मैंने अनु में कहा- "प्लीज... मुझे एक बार डान्स करके दिखाओं ना..."

अनु ने शर्माते हुए कहा- "मुझे नहीं आता डान्स करना..."

मैंने कहा- "झूठी, मैंने देखा था तुमको.."

अनु ने कहा- कब?

मैंने कहा- "वीडियो में..."

अनु ने ऋतु की तरफ देखा, तो ऋतु ने कहा- "दीदी करो ना... मैं भी आपके साथ करेंगी."

मैंने कहा- "अनु मेरे लिए करो ना..."

अनु ने अपने दुपट्टे को उतारकर फेंक दिया और, मुझे शर्माते हुए देखा और कहने लगी. "मुझे सच में डान्स नहीं आता, आप क्यों जिद्द कर रहे हो?"

मैंने कहा- "अच्छा जैसे भी आता है वैसे करके दिखा दो.."

अनु बोली- "आप मेरा मजाक बनाओगे...'
...
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मैंने कहा- "नहीं जान... मैं सच में तुमको डान्स करते हए देखना चाहता हैं... मैंने अनु को फिर प्यार से कहा "करो तो सही..."

अनु ने मुँह बनाकर कहा- "ऐसे कैसे कर म्यूजिक के बिना?"
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मैंने टीवी पर म्यूजिक चैनेल लगा दिया। उसपर गाना आ रहा था

मौजा ही मौजा शाम सवेरे हैं, मौजा ही मौजा।

अनु उसपर डान्स करने लगी। पहले तो वो शर्मा रही थी। पर जब ऋतु ने उसका साथ दिया तो अनु रंग में रंग गई। फिर तो उसने में तुमके मारे की लण्ड को बैंकाबू कर दिया। मैं अनु को देखता ही रह गया। अनु की कमर पतली तो नहीं थी पर उसकी लचक सच में गजब की थी। उसके दोनों चतड़ डान्स करते वक्त ऐसे थिरक उठते थे जैसे की बिजली गिरने वाली हो। में उसका डान्स देखता रहा।
 
अचानक ऋतु ने चैनेल चेंज कर दिया उसपर। गाना आने लगा
जब कोई बात बिगड़ जाए,
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ये गाना सुनते ही अनु ने मेरे हाथ को पकड़कर मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गले में अपनी बाहों को डालकर मेरी आँखों में आँखें डालकर मुझे अपने साथ डान्स करवाने लगी। मैं भी पता नहीं इस गाने पर खुद को रोक नहीं पाया। मैं भी उसके साथ डान्स करने लगा। डान्स करते-करते हम दोनों इतनें खो गयें की कुछ खबर ही नहीं रही।

शायद हम दोनों ने स्पेशल ही परफार्म कर लिया इस गाने पर। जैसे ही गाना खतम हआ ऋतु ने जोर-जार से ताली बजानी शुरू कर दी। मैं कुछ समझ ही नहीं पाया, और अनु शर्माकर बैड पर अपने हाथों से मुँह को छुपाकर बैठ गई और तेज-तेज सांस लेने लगी। उसकी बड़ी-बड़ी छातियां उठने गिरने लगी।

मैंने ऋतु को देखते हुए कहा- "ऋतु सच बताओ क्या हुआ?"

ऋतु ने कहा- "काश आप दोनों का डान्स मैं ऐकाई करके आप दोनों को दिखा पाती। आप दोनों ऐसे परफार्म कर रहे थे जैसे प्रोफेशनल डान्सर करते हैं..."

मैं अनु के पास गया और उसके हाथों को उसके चेहरा से हटाते हुए कहा- "इतना क्यों शर्म महसूस कर रही हो?

अनु ने मेरे सीने में मुंह छुपा लिया।

मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा- "क्या हआ? इतना क्यों शर्मा रही हो? ऋतु तो तुम्हारी तारीफ कर
अनु ने शर्माते हुए कहा- "मुझे नहीं पता."

फिर मैंने ऋतु से कहा, "तुम में बताओं किसने ज्यादा अच्छा डान्स किया?"

अत् बोली- "दोनों ने परफक्ट डान्स किया, जैसे की ये पर फक्ट कपल डान्स था."

अनु फिर में शर्मा गई।

मैंने कहा- "हमें आज यहीं रुकना पड़ेगा। घर फोन करके बता तो दो.."

ऋतु बोली- "ना बाबा ना... मैं तो नहीं करेंगी..."

अनु भी बोली- "मुझे डर लग रहा है.."

मैंने कहा- "चला में ही कर देता हैं.." मैने ऋतु से कहा- "कल झठ बोलने में डर नहीं लग रहा था, आज सच बोलने में डर रही हो?" कहकर मैंने शोभा के सेल पर फोन किया।

शोभा बोली- "आप लोग वहां से चल दिए, कब तक आओगे?"

मैंने कहा- "हम वापिस आ रहे थे पर रास्ते में लैंड स्लाइडिंग की वजह से हमको आज वहीं रूकना पड़ेगा."

शोभा बोली- "ऊऊह्ह..."

मैंने कहा- "आप टीवी पर देखो, सब पता चल जाएगा.. आज हमको यहां रुकना पड़ेगा, मजकी है..."

शोभा ने कहा- "हाँ, अब तो रुकना ही पड़ेंगा..

." वैसे भी शोभा मुझसे ज्यादा बोल नहीं सकती थी। उसने कहा

"ऋतु से बात करवा दीजिए."

मैंने ऋतु का फोन दिया। ऋतु ने भी यही सब बता दिया। फिर फान रखकर बाली- "अब यहां रुकना ही है ता कहीं घूमकर आते हैं..."

मैंने कहा- हाँ चलो, घूमने चलते हैं।

अनु बोली- "मेरे पास तो कोई और ड्रेस ही नहीं बची। मैं तो सिर्फ एक दिन के हिसाब से इस लाई थी..."

मैंने अनु के गले में हाथ डालकर उसकी चूचियों को सहलाया और कहा- "इसमें क्या सोचना, चलो बाजार से खरीद लेते हैं."

अनु मुझे देखते हुए बोली- "आप तो मुझे पूरा नैनीताल खरीद कर दें दोगे..'

मैंने भी हँसते हुए कहा- "काश मेरे बस में होता.."

अनु बाली- "मेरे साइज की ड्रेस मिले ना मिले पता नहीं."

ऋतु बोली- "दीदी चलकर देखते हैं, हो सकता है मिल जाए."
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हम सब माल रोड पर आ गये। हमने वहां तीन-चार शोरूम पर देखा पर कुछ समझ में नहीं आया। मैंने अनु से कहा- "तुम मेरे साथ आओं मैं तुम्हें दिलवाता हू..."

अनु को एक शोरूम में ले गया वहां मैंने जाते ही कहा- "मेडम के साइज की जीन्स दिखाओ..."

अनु मुझं चुटकी काटतं हए बोली- "मैंने आपको बताया नहीं था, मैं नहीं पहनती जीन्स.."

मैंने कहा- वहां नहीं पहनती, यहां तो पहन सकती हो?" और मैंने सेल्सगर्ल को कहा- "दिखाओ.."

सेल्सगर्ल ने दिखानी शुरू कर दी।

अनु मुझे घूरती रही फिर बोली- "मैं तो नहीं पहनूंगी.."

पर मैं अनु की परवाह किए बिना जीन्स के कलर देखता रहा। फिर मैंने कहा- "इनके साइज की लोग करती और दिखाओ...

अनु ने कहा- "आप समझते क्यों नहीं? में नहीं पहनंगी, क्या फायदा देखने से?"

मैंने कहा- "रुको तो दो मिनट.." और मैंने कुरती भी पसंद कर ली। मैंने जीन्स और कुरती अनु को देते हुए कहा- "जाओं चेंज रूम में जाकर ट्राई करो..."

अनु ने बुरा सा मुँह बनाया।

ऋतु ने कहा- "दीदी ट्राई तो करके देखो। अच्छी लगेगी.."

मैंने कहा- "अगर अच्छी ना लगे तो नहीं लेना। बस ट्राई तो करो एक बार.."

अनु बेमन में चली गई। अनु जब चेंज रूम से बाहर आई तो मेरे मुँह से निकला- "वाऊओ...'

ऋतु भी बोली- "दीदी सच में आप इस ड्रेस में बड़ी प्यारी लग रही हो...'

अनु हम दोनों को ऐसे देखने लगी जैसे की हम उसको झठ बोल रहे हों। फिर जिस सेल्सगर्ल ने इस दिखाई थी उसने भी कहा- "मॅडम ये इस आप पर बड़ी प्यारी लग रही है.....

अनु को तब जाकर कुछ कान्फिडेन्स आया।

मैने अनु से कहा- "तुम ऐसे ही डर रही थी। तुम जीन्स में जितनी प्यारी लग रही हो, इतनी ता सलवार सूट में भी नहीं लगती..."

अनु ने मिरर में देखा और कहा- "हाँ सच में... ये तो मुझपर अच्छी लग रही है...
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मैंने कहा- "अब इसी ड्रेस में चलो.."

अनु बोली- "पक्का बुरी तो नहीं लग रही ना?"

मैंने कहा- "कसम से बड़ी कातिल लग रही हो, पता नहीं कितनों को मार डालिगी?"

अनु शर्मा गईं।

हम सब वहां से निकले तो ऋतु बोली- "दीदी जीन्स के साथ स्टाइलिश सँडल भी होते तो मजा आता.."

मैंने कहा- "वो भी ले लेते हैं, चलो.." हम एक फुटवेर के शोरूम में गये। वहां अनु को सँडल लेकर दिए, और एक शानदार हैंडबैग भी लेकर दिया।

अनु बोली- "आप तो मुझे ऐसे शापिंग करवा रहे हो जैसे की......"

हम जब वहां से बाहर आए तो मैंने अनु को देखा वो सच में बड़ी प्यारी लग रही थी। मैंने अनु से कहा- "अब मेरे साथ-साथ मत चलना। लोग देखकर मेरे से जलने लग जाएंगे..."

अनु बाली- "दनियां को जलने दो मुझं क्या?" कहकर अनु ने मेरे हाथ में अपना हाथ डाल दिया। अब अनु और में ऐसे चल रहे थे जैसे नये कपल हो।

ऋतु ने कहा- "आप दोनों यहां अपना हनीमून माजा रहे हो। मैं भी आपके साथ है."

मैंने हँसते हुए अनु से कहा- "ये कैसी साली है?"

सुनकर अनु शर्मा गई और ऋतु मुझे ऐसे देखने लगी जैसे की मैने।

थोड़ी देर चुप रहने के बाद अनु ने कहा- "चला मामास खाते हैं."

मुझे भी मोमोस पसंद हैं। मैंने कहा- "हाँ चलो..."

हम लोग मोमोस खाने लगे। अनु ने मोमोस खाते ही सस्स्सी ... सस्स्सी ... करनी शुरू कर दी।

मैंने कहा- "मुझे तो इतना तीखा नहीं लगा.."

अनु बोली- "आपको तीखा नहीं लगा और मेरी हालत खराब हो गई... मेरे तो कानों में सीटियां बज रही हैं। सीईई... सस्स्सी .."

मैंने जल्दी से एक आइसक्रीम लाकर अनु को दे दी। अनु ने झट से आइस्क्रीम खतम कर ली। उसको अब रिलैक्स होने लगा। फिर अनु ने मुझे बड़े ही प्यार से देखा और आँखें बंद करके कहा- "थॅंक्स मेरे बाबू.."

मैंने कहा- "मुझे थॅंक्स क्यों बोल रही हो?"

अनु बोली- "आप मेरी इतनी केयर जो करते हो इसलिए.."

मैंने मुश्कुराकर कहा- "में कभी-कभी केयरलेस भी हो जाता हूँ.."

अनु समझ गई में क्या बोल रहा हूँ। अनु शर्मा गई। उसने अपनी निगाहों को नीचे कर लिया।

ऋतु ने कहा- "आप दोनों के साथ मुझे अब ऐसे लग रहा है जैसे कबाब में हड्डी."

अनु और में दोनों एकसाथ हँस पड़े।

मैंने ऋतु का हाथ पकड़कर कहा- "चलो अब अनु को हड्डी बनाते हैं..." हम लोग जैसे ही रोड पर आए हल्की हल्की बूंदा बांदी होने लगी। मैंने अनु से कहा- "जल्दी बताओं और कुछ खाने पीने का मन है?"

अनु ने कहा- अभी तो नहीं।

मैंने कहा- फिर जल्दी करो बारिश कहीं तेज ना हो जाए।
 
अनु ने कहा- अब सीधा सम में चलते हैं।
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पर ऋतु का मन नहीं था अभी जाने का। उसने मुँह बनाते हए कहा- "आप दोनों को रूम में जाने की जल्दी क्यों है, मुझे पता है?"

मुझे लगा ऋतु अब बुरा मान गई है। इसलिए मैंने उसको प्यार से कहा- "ऋतु जी, अब जब तक आप नहीं कहोगी हम रूम में नहीं जाएंगे..."

ऋतु मेरी बात सुनकर मुश्कराने लगी। हम लोग फिर इधर-उधर घूमते रहे। अचानक बारिश तेज होने लगी। हम लोग बारिश से बचने के लिए एक जगह रुक गये। हम लोग वहां काफी देर तक रुके रहें, पर बारिश तो और तेज होती जा रही थी।

मैंने ऋतु से कहा- "अब तो यहां से होटेल तक भीगते हुए जाना होगा.."

ऋतु ने कहा- "ये सच मेरी वजह से हुआ है सारी."

मैंने कहा- "नहीं पार इसमें तुम्हारी क्या गलती है? बारिश तो पहाड़ों पर कभी भी हो जाती है."

हम लोग बारिश में ही अपने होटल की तरफ चलने लगे। रगम तक जाते-जातें हम सब बुरी तरह भीग गये थे।

अनु की हालत कुछ ज्यादा ही खस्ता हो रही थी, वो ठंड से कॉप रही थी।

मैंने रूम में जाकर ऋतु में कहा- "तुम भी जल्दी से चेंज कर लो, नहीं तो ठंड लग सकती है..." कहकर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, फिर अपने जिशम को तालिया से पांछकर बेडशीट में अपने जिएम को लपेट लिया।

अनु को शायद भीगने से ज्यादा ठंड लग गई थी। वो ठंड से काँप रही थी।
मैंने ऋतु से कहा- "अनु को रजाई दे दो.."

ऋतु ने अनु के ऊपर रजाई डाल दी। मैंने विस्की की बोतल खोलकर पेंग बना लिया। में सिप करने लगा। ऋतु मेरे पास आकर बैठ गईं।

मैंने ऋतु से कहा- "अगर तुम्हें ठंड लग रही है तो एक पेग ले लो.."
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ऋतु हिचक कर बोली "कुछ होगा तो नहीं?"
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मैंने ऋतु में कहा- "दवाई समझकर पी लो..."

ऋतु ने हाँ में सिर हिला दिया। मैंने एक लार्ज पेग बनाकर ऋतु को दे दिया। वो बुरे-बुरे से मुँह बनाकर पीने
लगी।

फिर मैंने अनु की तरफ देखा तो वो अभी भी ठंड से काँप रही थी और मुझे देख रही थी। मैंने एक छोटा पैग बनाया और अनु के पास चला गया। मैंने अनु के सिर पर हाथ फेरा और उसका कहा- "उठो ये पी ला.."

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अनु ने हिचकिचाते हुए कहा- "मैंने तो कभी नहीं पी आज तक.."

मैंने कहा- "इसका दबाई समझकर पी जाओ। देखो ऋतु भी पी रही है.."

अनु ने ऋतु की तरफ देखा। फिर मैं अनु की रजाई में घुस गया। मैंने उसके पीछे बैठकर उसको सहारे से बैठा दिया। अब अनु की कमर मेरे सीने पर थी। अनु मरे से टेक लगाकर बैठी थी।

मैंने उसके हाथ में पेग देते हुए कहा- "मेरे कहने से पी लो."

अनु ने मुझे देखा और कहा- "आपके कहने से पी रही हैं, कुछ हो गया तो संभाल लेना.."

मैंने अनु के होंठों को किस किया और कहा- "मेरे होते कुछ नहीं होगा.."

अनु ने अपने मह से ग्लास लगाया और एक घट भरा उसने कभी पी नहीं थी इसलिए उसका बड़ा अजीब सा लग रहा था। अनु ने छी-छीः करते हुए कहा- "इसको पीने से गले में चुभन हो रही है."

मैंने उसको कहा- "देखो में बताता हैं, इसको कैसे पीते हैं?

मैंने ऋतु से कहा- "मेरा पेंग उठाकर मुझे दे दो..."

मैं जब अनु के लिए पेंग लेकर आया था तब अपना पेग वहीं टेबल पर ही छोड़ आया था। ऋतु मेरा पंग उठाकर ले आई। मुझं पंग देकर वो भी मेरे पास ही बैठ गई।

मैंने अनु से कहा- "देखो पहले हल्का-हल्का सिप करो."

अनु ने हल्का-हल्का सिप किया।

मैंने कहा- "अब ऐसे ही पी ..."
 
अनु ने तीन-चार छोटे-छोटे सिप लिए। फिर उसने बड़े सिप लेते हए पेंग खतम कर दिया।

मैंने कहा- "अब बोलो चुभन हुई?"

अनु ने कहा- "नहीं, अब तो कुछ नहीं हुआ.."

मैंने अनु से कहा- "अब तुम रजाई में लेटी रहीं। थोड़ी देर में नार्मल लगने लगेगा..." कहकर मैं उठने लगा।

अनु बोली- "बाबू ऐसे ही बैठे रहो ना, अच्छा लग रहा है."

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मैंने कहा- "अच्छा जी जैसे आपको अच्छा लगे... मेरा पेंग खतम हो गया था।

मैंने ऋतु से कहा- "बोतल उठाकर यहीं ले आओ.." ऋतु उठकर बोतल ले आई।
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मैंने अपना पंग फिर से बनाया और सिप करने लगा। मैंने ऋतु से एक बार फिर पूछा- "और लोगी बया?"
ऋतु ने भी कह दिया- "हाँ एक और..
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मैंने उसका फिर से लार्ज पेग बना दिया, हम दोनों सिप करते रहे।

ऋतु ने कहा- "आप बिना नमकीन के कैसे पी लेते हो?"

मन हँसते हए कहा- "मैं बड़ा पुराना शराबी हैं... मैं जानबूझ कर ऋतु को बड़े-बड़े पैग बनाकर दे रहा था ताकी वो रात को चैन से सो जाए। मैं अनु के साथ रजाई में बैठा हा एक हाथ से उसकी चूचियों को भी सहला रहा था।

अब अनु का जिम कुछ गरम होने लगा था। विस्की अपना असर दिखा रही थी। फिर मैंने ऋतु में कहा- "यार एक-एक पेग सब पीते हैं, और बोतल को खतम कर देते हैं."

अनु ने मेरे हाथ को रजाई में जार से दबाया। मैंने उसको देखा तो अपनी आँखों की भाषा से मुझे समझाने लगी। अनु की आँखों के इशारें अब मैं समझने लगा था। उसने इशारे से कहा, "मैं नहीं पियंगी..."

मैंने भी उसकी चूचियों को सहलाकर उसको इशारे से समझा दिया. "तुम चुप रहो...

ऋतु दो पंग के बाद शरण में आ गई थी। उसको और पीने की तलब मच गई। मैंने ऋतु को इस बार पहले से हरू का पेग बनाकर दिया। अपने लिए सेम और अनु को बिल्कुल ही जरा सा पेग बनाकर दिया। अनु मुझे देखने लगी। मैंने उसको प्यार से इशारा किया। उसने पेग पकड़ लिया।

ऋतु में अपना पंग झटके में खतम किया और लंबी सांस लेकर बोली "मुझे नींद आ रही है..."

मैंने कहा- "पहले डिनर तो कर लो, फिर सो जाना.." फिर मैंने रूम सर्विस पर आईर कर दिए, और मैं अपना पेग सिप करने लगा। मैं अभी तक अनु के साथ रजाई में ऐसे ही बैठा था।

मैंने अनु से कहा- "अपना पेग खतम करो जल्दी से.."

ऋतु को कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था। उसकी हालत देखकर मैंने कहा- "ऋतु तुम थोड़ी देर सो जाओ। जब डिनर आ जाएगा मैं तुमको उठा दूँगा."

ऋतु के मन में जो बात दबी हई थी वो नशे की वजह से उसके मुंह से निकल गई। उसने कहा- "मैंने आज आप दोनों के बीच में सोना है। आप दोनों को आज अलग-अलग साना पड़ेगा..."

ऋतु की बात सुनकर अनु मुझे देखने लगी। मैंने उसको इशारा किया की वो कुछ ना बोले। मैंने उठकर ऋतु से कहा- "तुम अनु के पास सो जाओ। में बेड के इस साइड में सो जाऊँगा.."

ऋतु अनु के पास सो गई। मैं अपनी साइड में लेट गया। ऋतु का लेटते ही नींद आ गई। मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा। इतने में डिनर भी आ गया। मैंने अनु से कहा- "ऋतु को उठा दो.."

अनु ने ऋतु का उठाने की कोशिश की पर ऋतु की नींद नहीं खुली।

मैंने अनु से कहा- "आओं तुम डिनर कर लो। ऋतु जब उठेगी उसके लिए फिर से आ जाएगा... हम दोनों डिनर करने लगे।

अनु भी हल्के शरण में थी उसने मुझसे कहा- "देखा आपने ऋतु का?"

मैंने मुश्कुराकर कहा- "जाने दो, बो अभी होश में नहीं है."

पर अनु बोली- "मुझे उसकी ये बाद गलत लगी.."

मैंने अनु को प्यार से समझाते हए कहा- "अनु तुम शायद उसकी बात का गलत मतलब निकाल रही हो.. असल में वो खुद को अकेला महसूस कर रही होगी..."

अनु मेरी बात सुनकर और गुस्से में आ गई। उसकी आँखों में नमी भर आई। मुझे बोली- "आप उसका इतना फेवर कर रहे हो। मेरी बात की कोई कीमत ही नहीं आपकी नजर में... और अनु ने खाना बीच में ही छोड़ दिया।
 
मैने अनु को प्यार से कहा- "अनु तुम मुझे गलत मत समझा। मेरे लिए जो तुम हो, वो कोई नहीं हो सकता। मुझे जब कभी ऐसा लगेगा की कोई तुम्हें डामिनेट कर रहा है, तब मैं तुम्हारा ही साथ दूंगा.." कहते हए मैंने एक कौर अनु के मुह में डाल दिया।

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अनु ने खा लिया, और बोली- "अब आप मुझे खिलाओगे?"

मैंने मुश्कराकर कहा- "बस इतनी सी बात?" और मैं अनु को खिलाने लगा। फिर अनु और मैं डिनर के बाद बेड पर आ गये।

मैंने अत को देखा तो वो अब तक होश में नहीं थी और अब वो बेड पर इस तरह से सोई हुई थी की बेड पर सिर्फ एक ही इंसान और सा सकता था। मैंने अनु से कहा- "इतनी जगह में दोनों नहीं सो सकते। तुम बैंड पर सो जाओ मैं सोफे पर सो जाता हैं." कहकर में सोफे पर जाकर लेट गया।

अनु भी अपना मन मार कर बेड पर पड़ गई। थोड़ी देर बाद मुझे अनु की आवाज आई. "मुझे नींद नहीं आ रही, में आपके पास आ जाऊँ?"

मैंने कहा- "आ जाओ..."

अनु मेरे पास आ गई। मैंने उसको मुस्कुराते हुए कहा तुम्हें नींद नहीं आ रही या तुम्हारी. मैंने उसकी चूत
की तरफ इशारा करते हुए कहा।

अनु झंपते हुए मेरी गोद में आकर बैठ गईं।

मैंने उसको कहा- "अच्छा, अगर तुमको सिर्फ सोना है तो हम दोनों साफे पर सो सकते हैं। पर अगर कुछ और मह हो तो फिर हमें नीचे सोना पड़ेगा। बोलो नीचे सो सकती हो, कोई प्राब्लम तो नहीं होगी?"

अनु मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए बोली "जहां आप हो वहां मैं हर हाल में खुश हूँ."

मैंने कहा- "चलो फिर..." और हम दोनों नीचे लेट गये। अनु मेरे पास में लेटी हई मेरे सीने के बालों से खेलने लगी। मैंने अनु को अपने और पास करते हए उसके ऊपर अपनी टांग रख दी, और उसके गालों को चूमते हए कहा- "अब बताओ, मेरे साथ सोकर क्या करना है?"
 
desiaks said:
ऋतु ने मुँह से लगाई और दो-तीन घट भरे और बुरा सा मुँह बनाया और कहा- "जी... कित्ता बुरा टेस्ट है.."

मैंने हँसते हुए कहा- “ये मदों की चीज है.." फिर मैंने उसका ग्लास उठाया और गटागट पी गया। ऋतु देखती ही रह गई।

ऋतु बोली- "सर आपने मेरा जूठा पी लिया.." :rolleyes:

Good wrinting 

मैंने कहा- "क्या हुआ? तुम मेरा जूठा मत खाना। मुझे तो कोई गलत नहीं लगता..."

ऋतु की आँखों में मैंने पहली बार अपने लिए प्यार देखा फिर हमने लंच किया। जब मैंने बिल देने के लिए अपना पर्स खोला तो ऋतु में मेरे पर्स को बड़े ही ध्यान से देखा। मेरा पर्स र 1000 के नोटों से भरा था। मैंने बिल दिया और बाकी उसको रख लेने को कहा। मैंने एक बात नोटिस की कि ऋतु मेरे पर्स को बड़े ध्यान से देख रही थी। हम वहां से वापिस आने का चल दिए।

मैंने कार में ऋतु से कहा- "तुम अब मेरी दोस्त हो, ये बताओ की तुम दोस्ती की क्या लिमिट मानती हो?"

ऋत ने कहा- "मेरी नजर में दोस्ती की कोई लिमिट नहीं होती, क्योंकी दोस्ती की लिमिट दोस्ती के साथ बढ़ जाती है...'

मैं मन ही मन खुश हो गया की इसका आउटलुक बोल्ड है। मैंने अपना हाथ ऋतु की कमर के ऊपर रख दिया। वो कुछ नहीं बोली, सामने देखती रही। फिर मैंने अपना हाथ उसके कंधों पर रखा और अपने हाथ को जरा सा ऐसे करा की उसकी चचियां मेरी उंगली से टच हो जाएं, और ऐसा ही हआ।

अब अत ने मेरी तरफ शरत से देखा और कहा "क्या कर रहे हो आप?"

मैंने अंजान बनते हुए कहा "क्या हुआ.. हाथ हटा लें क्या?"

ऋतु बोली- "नहीं मुझे कोई प्राब्लम नहीं... आप सही से हाथ रख लो.." और बो रिलैक्स होकर बैठ गई।

रास्ते में एक जगह सूनसान आते ही मैंने कार राककर ऋतु से कहा- "मैं सूसू कर लू.."

में कार से उत्तर गया और सूस करने के बाद मैंने जानबूझ कर अपनी जीन्स की जिप बंद नहीं की। मेरे मन में अब कुछ करने का इरादा पक्का हो चुका था। मैंने ऋतु की साइड का दरवाजा खोला और झुककर उसके होंठों पर होंठ रख दिए। ऋतु ने कोई विरोध नहीं किया। उसके होंठ सच में इतने मुलायम थे, मुझे एहसास हो रहा था

और उसकी सांसों की महक महसूस हो रही थी। मन ही नहीं कर रहा था होंठ हटाने का।

फिर उसने मुझे एकदम से धक्का दिया और बोली- "बस अब इतना ही.."

अपनी सीट पर चला गया। मैंने अपनी जिप को खला ही रहने दिया।

इतने में ऋतु बोली- "आपकी जिप खुली है.'

मैंने कहा- "होनें दो जरा हवा लगने दो.."

ऋतु हँस पड़ी, बोली- "हवा से क्या होगा?"

मैंने उसको कहा- "इसको गर्मी हो गई है..."

ऋत मश्रा उठी फिर एकदम से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मैंने कुछ कहा नहीं बस कार चलाता रहा, दो मिनट बाद मैंने ऋतु से कहा- "हाथ हटा लो नहीं तो कुछ हो जाएगा.."

ऋतु ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- "क्या होगा जी... हम भी तो देखें..."
 
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