Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा - SexBaba
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Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा

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hotaks

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Dec 5, 2013
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यह कहानी एक ऐसे लड़के है जिसके मा ने इसका परित्याग इसके जन्म के समय ही कर दिया ये बचपन से अनाथ आश्रम में ही पला और इसे समज में बहुत ही हेय दृष्टि से देखा जाता था पर आज यह लड़का एक गरीब परिवार का हिषा है
इस घर मे 4 लोग है
1 हरीश उम्र 49 जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करके अपना घर चलता है जो इसका मुह बोला बाप भी है
2 सीमा उम्र 42 एज घरेलू महिला जो कि इसके8 मुह बोली मा है
3 दिया उम्र 22 साल जो कि इस कहानी के के हिरो की बड़ी बहन है इसी के चलते ही प्रेम को घर मे प्रवेश मिला क्यूंकि प्रेम ने इसकी इज्जत बचाई थी और यह प्रेम से मन ही मन प्यार करती ह पर वह इसे अपनी बहन मानता है
प्रेम उम्र 19 साल और यह खेतो में काम करता है
 
प्रेम अभी तक सोया हुआ था दिन पूरी तरह से निकल आया था (मैं सीमा को माँ और हरीश को बापु ओर दिया को दीदी कहकर बुलाऊंगा आगे की कहानी प्रेम की जुबानी)
माँ• दिया जाकर देख प्रेम अभी तक सो कर् उठा कि नही नही उठा तो जा कर उठा दे
दिया •प्रेम उठ देख दिन कितना निकल आया है आज खेत पर नही जाना है क्या तुझे मा बुला रही है
मैं• दीदी अभी सोने दो ना आज काम नही है बाद ने जाऊंगा| बापू काम पर गए क्या
दिया• हा बापू गए और माँ बुला रही है तुझे चल उठ अब । रामु आया था तुझे बुलाने के लिए कहि जाना है बोल रहा था (रामु प्रेम का दोस्त है)
मैं•मन मे मैं भूल कैसे गया आज तो दीपा से मिलने जाना था कल के लिए माफी जो मागनी है कही मा से बोल दी तो मा को बहुत कष्ट होगा ।
दीदी नास्ता तैयार कर दो कहि जाना है बहुत ही जरूरी है
दिया•कहा जाना है अब तो उठ भी नही रहा था और रामु का नाम सुनते ही बड़ी जल्दी है तुझे मैं कितना बार बोली कि उस कलमुहे से दूर रहआ कर पर तुझे तो मेरी बात सुनाइ कहा देती है तू क्या सोचता है कि मुझे पता नही है क्या की कल तेरे उसी कमीने दोस्त ने दीपआ का हाथ पकड़ा था और उसे गालिया भी दी थी ।मैन किसी तरह से उसे समझा कर भेज दिया कल पर अब तुम उसके पास व गए तो वो आकर बापू से बोल देगी उसके बाद क्या होगा वो तू भी जानता है
मैं•एक बार मुझे माफ़ कर दो मई आज से उस रामु से कोई दोस्ती नही रखूंगा
दिया •चल ठीक है इस बार तुझे माफ् किया अब जल्दी से चलकर नास्ता कर लो और दीपा से जाकर माफी मांग लेना वो दिल की अछि ह वो तुझे माफ् कर देगी
मैं उठ कर सौच से निविर्त हो कर मैं मा के पास जाकर बैठ गया म
मैं•मा मुझे नास्ता दो आज बहुत जल्दी में हु कुछ काम है
मा•बेटा तेरे बापू बोल कर गए है कि बाजार जाकर राशन लेते आये और दुकान वाले का हिसाब व कर दे
मैं•ठीक ह मा।(मन मे और रास्ते मे दीपआ मिलेगी तो माफी व मांग लूंगा )।
 
नास्ता करने के बाद मैं घर से निकला ही था कि रामु फिर मेरे घर की तरफ आता है दिखा तो मैंने सोचा कि आज रामु से बात कर ही लेता हु की वो मेरे घर पर ना आये नही दीदी के कारण मुझे उससे अपनी दोस्ती तोड़नी पड़ेगी मैं यही सब सोच रहा था ।कि रामु तब तक मेरे पास आ गया
रामु•प्रेम कहा था सुबह से आज सुबह से ही तुम्हें खोज रहा था
प्रेम•यार आज लेट सो कर उठा हु और बताओ किस लिएखोज रहे थे
रामु •कल जो मैंने दीपा के साथ किया उस कारण से माफी मांग लेते है नही तो घर पर बोल देगी
प्रेम •अब क्या फायदा वह घर पर बोल दि है यार तेरे से एक बात बोलनी थी बुरा मत मानना
रामु•यार तेरी बात का कभी बुरा माना है जो आज मानूँगा बोल
प्रेम •यार तू मेरे घर पर मत आया कर आज दीदी तेरे बारे में न जाने क्या क्या बोल रही थी बोल रही थी कि तुमसे दोस्ती खत्म कर लूं नही तो वो बापू से मेरी शिकायत कर देंगी
रामु•ठीक है कोई बात नही वैसे कहा जा रहा है तू
प्रेम •कही नही यार बस वो लाला के दुकान पर जा रहा था वो बापू को कल वेतन मिला ना तो आज हिसाब करना है।
चल ठीक है बाद में मिलता हु तेरे से
और मैं वह से चला आया मेरे जाने के बाद रामु का एक दोस्त उसके पास आया उसका नाम गोविंद था
गोविंद •यार रामु तू तो बोलता था कि वो तेरा खास दोस्त बन गया है और जल्द ही तू उसकी बहन दिया को पटा लेगा पर वह तो तेरे से उसके घर आने से ही मना कर दिया अब क्या करोगे
रामु •यार यही तो मेरे भी समझ मे नही आ रहा लगता है कि ककल दीपा के साथ जो किया उसकी शिकायत वह दिया से कर दी है तभी तो वो प्रेम को बोल रही है मेरे से दोस्ती तोड़ने को ।
गोविंद• हा यार वैसे दीपक व मस्त माल है कैसी मस्त बड़ी बड़ी चुचिया है उसकी और गांड तो बहुत ही मस्त है मन करता है पकड़ कर साली का रेप कर दे पर क्या करे यार जो मजा मर्जी से करने में वो मजा रेप में कहा
रामु •यार अब तेरे से क्या छुपा है मैं तो बहुत पहले से दिया के पीछे पडा था ।पत नही यह साला कहा से मरने के लिए आ गया नही तो अबतक तो इसको चोद चुका होता
गोविंद •अच्छा ये सब छोड़ कहि कोउ जुगाड़ हो तो बोल यार बहुत मैन कर रहा है चोदने का
रामु•चल आजा तू भी क्या याद करेगा
इधर मैं लाला के दुकान पर पहुचा जंहा से पूरे गांव का राशन जाता है सभी यही कहते है कि लाला बहुत ठग है और वह सबके हिसाब में गड़बड़ी करता रहता है
लाला अपने दुकान पर बैठा मेरे चाचा जो कि उसके दुकान पर जाम करते है और लाला का खबरी भी है दोनों आपस मे कुछ बात कर रहे थे । मेरे को देखते ही शांत हो गए । लाला मेरे से बोला
लाला •आओ बेटा प्रेम कहा रहते हो आज कल दिखाई नही दे रहे हो
प्रेम •चाचा (मैं लाला को चाचा ही बोलता था)आज कल खतो में काम था तो इधर आना नही हुआ ।चाचा आप हिसाब कर दो आज ।
लाला अपना पोथी खोल कर हिसाब करता है ओर मैं हिशाब देकर चल दिया घर को तो रास्ते मे दीपा स्कूल जाते हुए दिखती ह तो पहले ही जा कर पूल के पास खड़ा हो गया क्यूंकि मैं जानता था दीपा को स्कूल जाने लिए ये पूल पार करना होगा यंहा बहुत सुन शान रहता ह अक्सर बहुत कम लोग ही इधर आते है ।दीपा जब पास मेंआयी तो मैं उससे बोला
मैं• दीपा मुझे माफ़ कर दो आगे से ऐसी गलती दुबारा नही होगी मैं तुम्हरे काज हाथ जोड़ता हु।
दीपा •देखो प्रेम मेरा रास्ता रोकने की कोशिश मत करो नही तो मैं तेरी दीदी से तेरी शिकायत कर दूंगी।
मैं •दीपा तुम मुझे माफ़ कर दो मैं कभी तुम्हे अपना मुंह नही दिखाऊंगा।
दीपा •ठीक है मैं तुम्हे माफ् किया अब मेरा रास्ता छोड़ दो और अपना काम करो
 
मैं दीपा से माफ कर देने पर उसका सुक्रिया किया और उसे जाने को कहा पर तब तक मेरी नजर उसकी उठी चुचियों पर पड़ी बहुत मस्त साइज़ था उसकी चूची की उसकी साइज एकदम नारंगी की तरह थी ।वैसे दीपा दिखने में एकदम मस्त थी ।गोरा रंग और उसकी भूरी आंखे जो बड़ी बड़ी थीउसे देख कर मन करता था कि उसकी आंखों में डूब जाए और उसके होंठ तो तो एकदम लाल गुलाबकी पंखुड़ी की तरह थी उसके शरीर पर कहि से भी ऐसा नही थी जिसे एक्स्ट्रा कहा जा सके ।मैं उसके अनकही में खोया हुआ था और वो मुझे देखे जा रही थी । मैं तो उसकी खूबसूरती में कहि खो सा गया था । तब वह मुझे हिला कर जगाई ।
दीपा •क्या देख रहे हो ऐसा लगता ह जैसे आज पहली बार देख रहे हो मुझे
दीपा को देख कर इतना खो से गया था मुझे कुछ एहसास भी नही रहा की मैं उसे क्या बोलू ।मैं बस इतना ही बोल पाया किसी तरह से
मैं • दीपा आज तुम बहुत खुबसुरुत लग रही हो । मैं तुम्हे पसन्द करने लगा हु।
दीपा •पागल हो तुम मुजजे लेट हो रहा है मैं स्कूल जा रही शाम को मिलूंगी।
फिर वो वहा से चली गयी ।जाते ह उसके गांड जब हिल रहे थे तो बहुत ही मस्त लग रहे थे ।
दीप अपने स्कूल जाकर अपनी सहेली चम्पा से बोली जो कि प्रेम की चाचा की लड़की थी जो रंडी टाइप की लड़की थी ।ना जाने कितने लंड से चुद चुकी थी ये तो इसे भी नही पता था । चम्पा का साइज़ 34d 28 36 पुरे गांव में अपनी उम्र में सबसे बड़ी गांड इसकी ही है । ये चूत से ज्यादा तो गांड मरवाती है।
दीपा• लगता है प्रेम को मुझसे प्यार हो गया है ।आज मैं बहुत खुश हूं।
चम्पा• क्या हुआ जो तू ऐसा बोल रही कहि उसने तेरी बुर में लण्ड डाल कर फाड् तो नही दीया।
दीपा •चुप कर पागल तुझे तो बस यही सूझता है।वो तेरा भाई है काम से कम तू उसे तो दे कहि ऐसा तो नही तूने उसे भी नही छोड़ा।
चम्पा •काहे का भाई वो तो बड़े पापा ने गोद लिया उसे ।मौका मिला तो पहले मैं ही उसे फाश लुंगी।ओर चुद भी जाउंगी।
दीपा वह से चली गयी ।मन में बड़बड़ाती है(तू क्या उसे फासेगी मैं आज हु जाकर उसे बोप दूंगी की मैं उससे प्यार करती हूं।)
इधर मैं घर पहुँच कर मा को बता दिया कि मैंने लाला को पैसे दे दिए ह और ननहाने के लिए कपड़ा लिया और बाथरूम में घुस गया ।वह पर मैन देखा कि दीदी ने पानी पैंटी ओर ब्रा वही पास के बाल्टी में दाल दिया है मुझे उसे देख कर उसे चूमने की इच्छा हई तो मैन पैंटी उठा लिया और जो भाग बुर के पास हो त है उसे चुम लिया फिर मैंने जीभ निकल कर छत तो मुझे उसका टेस्ट कुछ नमकीन से लगा मैं उसे चाटने लगा और अपना लण्ड निकल कर उसे हिलाने लगा मेरा लैंड जो कि 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है उसे हिलाने लगा क्क़रीब 20 मिंट हिलाने बाद मेरा पानी छूटा जो सब पानी दीदी की चढ़ी में निकल गया तो मैं दर कर उसे वही छिपा दिया और मैं नह कर निकल आया ।और खाना खाकर मैं सो गया
दीदी शक़म को मुझे उठाने आयी तो मुझे बहुत अजीब नजर से देख रही थी ।मैं दर गया और उठ कर भाग लिया नीचे जाकर चाय पी और दीपा के घर तरफ चल दिया।वहां जाकर देखा तो वो अपनी छोटे भाई के साथ बैठी थी मुझे देखी तो मुझे पोखरे पर जकने का इशारा किया और खुद वही जाने लगी । जब मैं वहा पहुचा तो बोली मुझे तुमसे कुछ बात करनी है
दीपा• तुम सुबह क्या कह रहे थे कि तुम मुझे पसंद करते हो
मैं • हा दीपा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु पर मैं यह भी जानता कि तुम कभी भी मेरी नही हो सकती इसलिए ही मैंने आज तक अपने प्यार का इजहार तुमसे नही किया ।
दीपा • क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ भी समझ ने नही आ रही है खुल कर बताओ जबसे तुम मझसे प्यार करते हो।
मैं•जब मैंने दिया दीदी की इज्जत बचाई थी उन गुंडो से तो दीदी ओर बापू ने मुझे आनाथ आश्रम से लेकर घर आये तो तुम और तुम्हारी मम्मी दीदी को देखने आए तो तुम काले रंग की सूट पहन कर आई थी और मैं तुमसे टकरा गया था तो तुमने मुझे झापड़ मार था और मैं तुम्हारी तरफ देखता रह गया था तबसे मैं तुमसे प्यार करता हु । मैं 3 सालो से लगातार जहाँ भी तुम जाती हो मैं वहाँ वहाँ तक तुम्हरा पीछा करता हु पर मैं यह भी जनतक तुम्हारे पापा इस गांव के प्रधान है और बहूत पैसा है उनके पास वो मुझ जैसे अनाथ से तुम्हारी शादी नही कराएंगे
दीपा •तो क्या हुआ मैं भी तुमसे ऑयर करने लगी हु तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ भाग कर भी शादी करने को तैयार हूं
मैं •नही मैं ऐसा नही कर सकता मैं नही चाहता कि मेरे कारण इस परिवार को कोई कुछ कहे जो मुझ अनाथ को आश्रय दिया मैं अगर ऐसा करूँगा तो तुम्हारे पापा पूरे परिवार को तबाह कर देंगे मुझे माफ़ कर दो और मुझे भूल जाओ
 
दीपा यह सुन कर खामोश हो गयी और उसकी आँखों मे आँशु की धारा फुट पड़ी और वह रोने लगी। मुझे कुछ समझ मे नही आया कि क्या हुआ ये रो किस लिए रही है।जब मुझे कुछ समझ मे नही आया तो मैंने उससे पूछा अब तुम्हे क्या हुआ तुम किस लिए रो रही है।
दीपा•प्रेम मैं तुमसे प्यार करने लगी हु और तुम मुझे स्वीकार नही कर रहे हो तो क्या करूँ मैं। आज के बाद यह दिल सिर्फ तुम्हारे लिए ही धड़केगा अगर काल तक तुमने मुझे स्वीकार नही किया तो मैं अपने आपको खत्म कर लुंगी
अब मैं क्या बोलू मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था ।
मैं•देखो दीपा मैं एक अनाथ हु और मुझे इतना प्यार की आदत नही है।बचपन से जब से मैन होश संभाला है तबसे मैंने खुद को लोगो द्वारा हरामी कुत्ता ओर भी ना जाने क्या क्या बोलते थे और मैं ज्यादा दिन यहा पर नही रहूंगा एक ना एक दिन चला जाऊंगा।
दीपा•तो क्या हुआ जंहा व चलोगे साथ मे ले चलो मुझे बस तुम्हारे साथ ही रहना है और मुझे कुछ व नही चाहिए।
मैं•दीपा यह सब पागलो वाली बात मत करो एशा नही हो सकता ।मैं तुझे अपने साथ नही रख सकता यह तुम समझती क्यू नही मेरी बातों को।
दीपा •मुझे जो कुछ भी कहना था मैं कह चुकी हूं और मुझे न कुछ कहना है ना ही कुछ समझना है।मैं कल शाम तक तुम्हारा इतंजार करूँगी।
मैं अभी जा रही हु मुझे देर हो रही है माँ घर पर इंतजार कर रही होगी पापा भी आने वाले होंगे ।मैं कल इनतजार करूँगी
दीपा आगे बढ़कर मेरे होंठो को चूम लिया और मैं वही पर खड़ा ठगा सा उसे देखता रह गया उसके बाद वह 1 मिनट भी रुकी और वहाँ से भाग गई।
उसके बाद मैं व घर की तरफ चल दिया कि रास्ते मे चम्पा मिल गयी वी कहि से आ रही थी वह मुझे बहुत परेशान करती रहती है बराबर मैं जल्दी जल्दी घर की तरफ जाने लगा कि वह मुझे देख ना ले पर फूटी किस्मत उसने मुझे देख लिया और दौड़ कर मेरे पास आई ।वो हांफ रही थी जीके कारण उसकी पहाड़ के माफिक चुचिया यूजर नीचे हो रही थी लगता है उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी जिसके कारण उसके निपल कपड़े के ऊपर भी महशुस हो रहे थे उसे इस हालत में देखकर मेरे लण्ड पूरा मौसम में आ गया और वह खड़ा हो गया जो कि पैंट के ऊपर महशुस हो रहा था मैने देखा चम्पा चम्पा उसे देख कर हस रही थी
चम्पा •कहा से आ रहे हो प्रेम ।
मैं •कहि से नही बस ऐसे ही घूम रहा था।
चम्पा •झूठ मत बोल मैं जानती हूं तू दीपा से मिलने गया था
मैं• नही ऐसी कोई बात नही है मैं ऐसे ही घूम रहा था तो मील गयी थी तो थोड़ी बहुत बाते हो गयी ।
चम्पा •चल कोई बात नही ये पैंट में छुपा रखा है (इसका लण्ड तो बहुत मस्त लग रहा अगर इससे चुद लू तो मजा आजये)
मैं•कुछ भी तो नही छुपाया हु
तबतक चम्पा आगे आकर मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और दबाने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मुह से शिष्कारी फुट पड़ी।
चम्पा •कभी मुझसे भी बाटे कर लिया कर मैं तुम्हे जवानी की असली मजा दूंगी।
मैं भी जोश में आकर उसके चुचियों को काशकर दबा दिया इतना जोर से दबाया की वो दर्द से चीख उठी औऱ उसनें मेरे लण्ड को कस कर दबा डियातो मेरे भी आहे निकल गयी।
फिर मैंने उसके बाल को पकड़ कर खिंचा तो उसके होंठ खुल गए तो मैंने अपने होठ उसके होठ से जोड़ दिया और उसके नीचे वाले होठ को चूसने लगा तबतक उसने अपना जीभ मेरे मुह में अपना जीभ डाल दिया और मैं उसके जीभ को चूसने लगा और मेरे होंठो को ये किस करीब 5 मिंट तक चला जब हमने एकदूसरे को छोड़ा तो हमारी सासे उखड़ी हुई थी ।हम दोनों अपनी सांसे अव ठीक कर ही रहे थे मेरे कानों में एक आवाज पड़ी जिसे सुनकर मेरी बुरी तरह गांड फट गयी।
 
वो आवाज किसी और कि नही ये मेरी दीदी थी जो नजाने कबसे हमारे पीछे खड़ी थी ।मैं यह तो भूल ही गया था हम दोनों इस्टीमे रास्ते मे खड़े थे और ये सब कर रहे थे ।तो किसी की भी नजर पड़ना स्वभाविक ही था। दीदी पूरे गुस्से में खड़ी थी हमे घूर रही थी और साथ मे उनके आंखों से अश्रु की धारा भी बह रही थी ।मुझे तो कुछ समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ उधर दीदी पूरे गुस्से में चिलाती हुई पूछी
दीदी•प्रेम ये सब क्या कर रहा है तू तुझे मैंने एकबार माफ् किया तू फिर वही काम करने लगा और रण्डी तुझे क्या पूरे गांव का लैंड कम पैड गया जो तू अपने ही भाई के साथ ये सब करने लगी।
चम्पा • हा मैं तो रण्डी हु पर तु कौन सी दूध की धुली है और यह भाई तेरा होगा मेरा नही ।मैं कुछ भी कर तुझे क्या तू अपना काम कर औऱ जा यंहा से
दीदी इतना सुनते ही उनका पारा हाई हो गया और वी आगे बढ़कर चम्पा की गाल पर तमाचा जड़ दिया जिसके कारण उसके होठो से खून निकलने लगा।
चम्पा ने भी दीदी के गाल पर तमाचा जड़ दिया तो मेरा भी ग़ुस्सा फुट पड़ा मैन भी चम्पा के दोनों गाल पर तमाचा जड़ दिया और वह गिर गयी क्यूंकि दीदी को मैन दिल से अपनी बहन माना था क्यूंकि रिश्तो का क्या महत्व होता है ये हम जैसे अनाथ बहुत अच्छी तरह से जानते है ।
फिर मैंने दीदी के पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा तो दीदी ने कहा कि चल घर लेट हो रहे है माँ परेशान होगी।
मैं अब और भी ज्यादा परेशान हो गया क्यूंकि दीदी जल्दी किसी से गुस्सा नही होती और अगर एकबार किसी से गुस्सा हो गयी उन्हें मनाना बहुत मुस्किल है मै भी चुपचाप उनके पीछे घर को हो लिया ।
जब मैं घर पहुचा तो अंधेरा होने को था मा हम दोनों के लिए बहुत परेशान हो रही थी ।
मा• बेटा आ गया तो चल हाथ मुह धो ले इर मैं कहना लगा देती तू खाना खा ले ।
तब दीदी ने अंदर से ही अपने रूम में बैठी थी वही से बोली
दीदी •हाँ माँ इस सांड को खाना दे खाने के लिए तभी तो पूरे गांव में मस्ती करेगा ।
माँ ने जब दीदी के मुह से ऐसी बात सुनी तो वो दीदी पर गुस्सा होने लगी पर मेरी तो फटी पड़ी थी पता नही और आज क्या क्या बुरा होने वाला है ।
पहले दीपा से माफी मांगने गया तो उसने माफ् तो कर दिया पर मुझे एक दूसरी मुसीबत में दाल दी थी कि कल तक अगर उसका जवाब नही दिया तो वो अपने आप को कुछ कर लेगी ।मैन सोचा थी कि शाम को दीदी से इस बारे में बात करके कूछ जवाब दे दूंगा पर अब तो दीदी भी गुस्सा है मुझसे ।सब मेरी ही गलती ह आगर में चम्पा के साथ बहका नही होता तो दीदी मुझसे कभी गुस्सा नही होती । पहले चलो दीदी को मनाता हु फिर खाना खाएंगे
मैं• अभी भूख नही है बाद में खाऊंगा हा बापू काम से आ गए क्या ।
माँ•नही बेटा कभी उनके आने में थोड़ा समय है
मैं• ठीक है माँ मैं बापू के साथ ही खाना खाऊंगा तबतक दीदी के पास जा रहा हूं
मैं दीदी के कमरे में गया तो देखा कि दीदी अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी और शायद रो रही थी। मुझे यह देख कर बहुत बुरा लगा कि आज दीदी को मेरे कारण बहुत तकलीफ पहुची ।मैं जाकर दीदी के पास जा कर बैठ गया और दीदी से बोला
मैं•दीदी मुझसे गुस्सा ही क्या एक आखिरी बार मुझे माफ़ कर दो मई आगे से ऐसी कोउ गलती भी करूंगा
दीदी •प्रेम अभी तू यंहा से चला जा मुझे तुझसे की बात नही करनी है मैं तुझे कितना सरीफ समझती तू एसा निकलेगा मैं कभी सोच भी नही सकती थी।
मैं •दीदी प्लीज मुझे माफ़ कर दो अब ऐसी कोई गलती भी नही करूँगा ।
 
दीदी •मुझे तेरी कोई बात नही सुननी है चुपचाप चला जा यंहा से। तू अभी जा और खा ले जाकर ।मुझे परेशान मत कर
मैं •दीदी मैं अपनी गलती मानता हूं आप जो भी सजा देंगी मैं उसे भुगतने के लिए तैयार हू पर आप इस तरह से नाराज मत हो ।
इतना बोलते बोलते मेरे आंखों से आँशु निकल पड़े। जिसे मैंने जल्दी से पोछ लिया फिर भी दीदी ने देख लिया और वह तड़प उठी ।उन्होंने तुरंत ही मुझे गले लगा लिया और बोली
दीदी •पागल तू रोता किस लिए है मैं तुझसे इसलिए नही नाराज हु तू ये सब क्यू करता है ( मन मे मैं तो इसलिए रो रही हु की मैं तुमसे प्यार करती हूं तो यह देख कर बुरा लगा)
मैं• तो फिर आप इसतरह से रो क्यों रही थी।
दीदी•मैं तो इसलिए रो रही थी कि मैंने तुझे डांटा।
मैं •तो दीदी आप मुझसे नाराज नही हो ।
दीदी •मैं तुझसे कभी नाराज हो सकती हूं भला
मैं• चलो ना दीदी आज मैं आपको अपने हाथों से खाना खिलाऊंगा तभी मैं मानूँगा की आपने मुझर माफ् कर दिया।
दीदी • (मन मे तू अपने हाथ से मुझे जहर भी खिला दे तो मैं वो भी खुशी से खा लुंगी)नही तू जा अभी मुझर भूख नही है मैं बाद में खा लुंगी।
मैं•तब तो मुझे पक्का यकीन है कि आपने मुझे माफ़ नही किया।
दीदी •तुझे मेरव खाने से अगर यकीन हो जाएगा तो मैं खुशी से चल तेरे साथ एक ही थाली में खाते है
फिर हम दोनों बाहर आये और दीदी ने जाकर खाना लाया और हम दोनों एक दूसरे को खाना खिलाने लगे। और दीदी मुझे देख रही थी और मैं उन्हें
हम खाना खा रहे थे इसीतरह एक दूसरे को खिलाते हुए तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गए जब मैं इस परिवार का हिस्सा नही था और अनाथ आश्रम में रहता था वह पर हमें खाना के बदले काम करना पड़ता था एकबार मैं चोरी से रसोई से 2 रोटी चुरा लिया था तो आश्रम का रखवाली करने वाली अम्मा ने मुझे बहुत मार था। ।
अचानक दीदी नव मुझे छुआ तो मुझे लगा कि अम्मा फिर से मुझे मार रही है तो मैं दर कर चीख उठा मुझे मत मारो मैं दुबारा कभी रोटी नही चुराउंगा।
यह सुनाई दीदी तड़प उठी
दीदी •प्रेम ये तू कैसी बाटे कर रहा है को तुझे मरेगा तू ऐसा क्यों बोला की तू रोटी नही चुराएगा ।
तो मैंने दीदी को उस घटना के बारे में बता दिया क्या हुआ था मेरे साथ।
तब तक हम दोनों खाना खा चुके थे ।फिर हमने हाथ धोया और दीदी से बोला कि मुझे आपसे कुछ बात करनी है तो दीदी ने कहा कि
दीदी• अभी तो बापू के आने का समय हो गया है मैं बापू को खाना देने के बाद तेरे पास आउंगी तब बोलना जो व कहना हो अच्छा मैं जाती हु।
फिर दीदी वहाँ से चली गयी ।और में पूरे दिन के घटनाक्रम के बारे में सोचने लगा।जब भी दीपा के बारे सोचता तो मन एक अजीब से डर के मारे बैठा जा रहा था ।कही ना कही ये सच भी था मेरे यंहा रुकने का कारण दीपा ही थी मैं तो उससे पहली नजर में प्यार कर बैठा परन्तु कभी मेरी उससे कहने की हिम्मत ना हुई।
 
इधर बापू आये तो उन्होंने मुझे बुलाया और बोला
बापू•कल से खेतों पर नही जाएगा मैने खेतो में हरिया को बोल दिया है काम करने को वो एक तिहाई पर काम करेगा और तू जा कर काल स्कूल में दाखिला ले ले और अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करो समझे मैं नही छत कोई कल ये बोले कि हरीश ने एक लड़का को भी पढ़ा नही पाया ।
मैं बापू के सामने ज्यादा बोलता नही था तो मैंने सिर्फ हा में अपना सिर हिला कर वहां से चल दिया ।परन्तु मन ही मन मे बहुत हु खुश हुआ क्यूंकि अब मैं दीपा से स्कूल में देख सकूँगा।
फिर मैं माँ से बोला कि मैं अभी रामु के घर से आता हूं । माँ बोली जल्दी से आना लेट मत करना।
मैं जब रामु कर घर के पास पहुचा तो मैंने देखा कि रामु दबे पांव अपने घर के पीछे जा रहा था एक रूम में जा रहा था तभी मैन देखा कि उसकी बहन भी वही जा रही थी और वो भी छुप कर जा रही थी मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो मैंने भी छुप देखने का फैसला किया।
मैं रूम के पास जाकर अंदर देखने के लिये जगह खोजने लगा तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि खिड़की खुली हुई थी अंदर का नजारा देखकर तो मैं दंग रह गया अंदर रामु की बहन नंगी बैठ कर रामु का लण्ड चूस रही थी रमु का लण्ड मुझसे छोटा था।
रमु •अच्छे से चूस डाली पूरा अंदर ले ना जो लण्ड तू चुस्ती है वैसी तो कोई भी नही चुस्ती तू तो मेरी रण्डी बहन है
डाली•हा भाई तेरा लण्ड व मस्त है आज सुबह से ही गरम हु जबसे तूने मुझे बताया कि मुझे प्रेम को अपने जिस्म के जाल फसना है तबसे ।
रामु•तबी तो मेरा रास्ता साफ होगा कुकी वो तो लम्पट पागल है जबसे वो आया तबसे मैं दिया को पटाने में असमर्थ हो गया हूं ।वो साला कुत्ता हमेशा मेरे या दिया के पास रहता है जिसके कारण मैं कुछ कर नही पा रहा हु।धीरे चूस रण्डी साली काटती क्यों है कुतिया। चल आजा आज तेरी सारी गर्मी निकलता हु लेट जा ।
डाली•भाई अब तेरे लण्डसे मजा नही आता है।
रामु •है रण्डी साली चुदवा कर बुर का तो भोसड़ा बना ली है अब तुझे तो गधे का लैंड चाहिए
डाली •चल कुत्ते बहनचोद ज्यादा बोल मत पहले मेरी बुर को चैट कर गिला तो कर दे।
रामु •नही आज सुखा डालूंगा ठीक उसी तरह जैसे मैं दिया को पेलूंगा पहली बार
अब मुझसे सहन करना मुश्किल हो गया था मकई तुरन्त दरवाजा खटखटा दिया और बोला
मैं •रामु तू दरवाजा खोल मैं सब कुछ देख ओर सुन लिया हु आज मैं तुझे नही छोडूंगा तू साले मेरी दीदी के बारे में ऐसा बोलता है तू दोस्त कहलाने के लायक नही है
 
रामु और डाली तो डर गए और दोनों ने तुरंत अपने कपड़े पहने ओर बाहर आ गए और मुझसे माफी मांगने लकगे ओर कहने लगे कि मैं इस बारे में किसी से भी ना कहु डाली तो थर थर कपङे लगी ।वो बहुत ही धिरे से बोली
डाली• अगर तुम चाहो मेरे साथ कुछ कर लो पर ये बात किसी मत कहना नही तो मैं कहि मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी।
मैं• ठीक है मैं किसी से कहूंगा तो नही पर रमु तु सुन आज जेबद तेरा मेरे साथ किसी भी तरह कोई रिश्ता नही है काज के बाद अब मेरे घर के आस पास भी नही आना न ही दीदी के बारे में सोचना भी मत।
रामु डाली के कान में कुछ कहता है और डाली हस देती है ।तुरन्त अपने कपड़े जगह जगह से फाड् लेती बाल को बिखेर लेती है और चिलाने लगती है बचाओ बचाओ
अभी ज्यादा रात हुई नही थी तो सभी लोग जागे हुए थे सभी आवाज सुनकर इस तरफ भाग कर आये सब आये और डाली सेपूछा क्या हुआ तो डाली ने बोला कि यह प्रेम मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था अच्छा हुआ जो रमु भईया आ गए नही तो मैं कहि भी मुह दिखाने के लायक भी नही रहती।
यह सुनकर सबका गुस्सा मुझपर फुट पड़ा मैं बोलता रह गया कि मैंने ये सब नही किया ये इसकी चाल है मुझे फसाने की।पर नेरी बात कोई सुना नही तबतक घर और भी पता चल गया कि यंहा पर क्या हुआ है तो बापू तो गुस्सा हो गए और यंहा पर आ गए उनके पीछे मा ओर दीदी भी आई।
यंहा आने पर सबने बापू को वही बताया जो डाली ने सब को बोल दिया इतना सुनने के बाद तो बापू पूरे गुस्सा हो गए और मुझे बुरी तरह मारा दीदी ओर माँ दोनों रो रही थी पर किसी की हिम्मत नही हुई मुझे आ कर बचाये। मैं बेहोश हो गया तो जाकर बापू ने मरना बन्द किया ।जब मुझे होश आया तो मैंने उठाने की कोशिश की तो पता चला कि मेरे हाथ और पैर रस्सी से बांध दिए गए है।मैन छूटने की बहुत कोशिश की पर छूट नही सका ।मुझे अब रामु के घर से उठा कर गांव के प्रधान के घर ला दिया गया था और बापू और गांव के लगभग सभी लोग वहां पर मौजूद थे । मुझे कुछ व समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ क्यूंकि कोई भी मेरी बात मानने को तैयार नही था ।ऊपर से मैं अनाथ था बापू तो गुस्सा में कुछ भी सुनने को तैयार नही थे ।रक़म भी मौके का फाद उठा कर मुझे गालिया देते हुए दो तीन झापड़ मार दिया पर अब जब मुझे ये एहसास हुआ कि मैं दीपा के घरके सामने हु ओर सभी लोग यही है तो मैं इस आशा में इधर उध्रदेखने लगा तो दीपा मुझे दिखी पर उसके साथ डाली बैठी थी और रो रही थी उसके कंधे पर सर रख कर।
मैं बेगुनाह होते हुए भी अपनी बेगुनाही साबित नही कर पा रहा था।और अब दीप भी मुझे नफरत की नजर से देख रही थी वो । वो भी डाली की बातों में आ गयी थी।मुझे प्यास लगी थी तो मैंने पानी मांगा तो दीपा के पापा ने उसकसे पानी लाने को बोला ।वो गयी और पानी पिलाया मुझे पर अब मुझे उसकी नजरो में प्यार नही नफरत ओर दुख दिखाई दे रहे थे


प्रधान•हरीश भाई कब आप बोलो अब इसके साथ क्या किया जाए पुलिस के पास गए तो लड़की की बदनामी होगी और गांव में इस्का रहना अब ठीक नही है ।
बौ •प्रधान जी अब मैं इससे अपने रिश्ते तोड़ता हु ऐसा बलात्कारी के लिए मेरे घर ने कोई जगह नही है मैन इसे अनाथ समझकर आने घर मे जगह दी थी मैं क्या जानता था कि ये ऐसा निकलेगा।
प्रधान•तो ठीक है कल इसे पूरे गांव ने इसके चहरे पर कालिख पोत कर पूरे गांव में घुमाया जाएगा।
 
मैं ये सब चुपचाप सुन रहा था क्यूंकि मैं यह तो समझ गया था किअब कोई भी मेरी बात का विस्वास नही करेगा।इसलिए मैं शांत होकर अपनी किस्मत पर रो रहा था किंतु मुझे यह विशवास था कि चाहे कोई मेरी बात का भरोसा कर या ना करे दीदी जरूर विश्वास करेंगी। बापू ने दीदी से कहा कि अब तू यंहा खड़ी हो कर क्या तमाशा देख रही ह चल घर।
दीदी •मैं इसके लिए किस लिए रोऊंगी।(भाई मैं ये जानती हूं तुम ऐसी गिरी हुई हरकत नही कर सकते इसमें जरूर कोई साजिश है मैं इसे पता लगाने के लिए मैं झूठ बोल रही हु मुझे माफ् कर दो)
और दीदी तुरन्त वंहा से चली गयी। तब प्रधान ने बोला
प्रधान•तो हरीश अब इसको कहा रखा जाए रात को।
हरीश•प्रधान जी मैं क्या बोलू अब आप ही बोले
प्रधान•ठीक है मैं इसे अपने घर के एक रूम में इसे बन्द कर देते है।
हरीश•ठीक है ।
प्रधान ने दो आदमी को बोलके मुझे अपने घर के बैठक में बने एक रूम में डलवा दिया मेरे हाथ पैर खोल दिये गए।मैं पूरी रात आने बीते हुए दिन जे बारे सोचने लगा । हमारे अनाथालय में एक लड़का थाजो बोलता था कि हम सब हरामी है दुनिया हमे कुछ दिन के लिए तो अपना सकती है पर हमारे ऊपर कोई व विश्वास नही करेगा।जब हमारे मा बाप ने हमे कूड़े में फेंक दिया तो दुनिया हमे क्या अपनाएगा। आज उसकी भक्त मुझे सच लग रही थी आज कोई भी मेरे ऊपर विश्वास नही कर रहा था बस कब केवल दीपा का सहारा था कि शायद वो मुझपर विश्वास करेगी।
अभी मैं यह सोच ही रह था कि मुझे दरवाजा खुलता हुआ दिखा शायद कोई रूम में आया था। मैंने देखा यह कोई और नही दीपा थी और वह रो रही थी। दीपा ने आकर मेरे पास बैठ गयी और बोली।
दीपा• तुमने ऐसा क्यों किया प्रेम अगर तुम्हें जिस्म की भूख थी तो एकबार मुझसे बोलकर तो देखा होता तुम जहा भी कहते मैं वहां आ जाती । जब मैंने तुम्हें शाम को बोली कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो बड़ी बड़ी बाटे कर रहे थे फिर ऐसा क्यू किया तुमने ।
मैं• दीपा मेरी बात का विश्वास करो मैन ऐसा कुछ भी नही किया मैं सच बोल रहा हु ।
दीपा •तुमने मेरे विश्वास की हत्या कर दी हैमेन शाम को भी दिखी थी कि कैसे तुम चम्पा से चिपके हुए क्या कररहे थे। मैं तुमसे मिलने के बाद घर गयी तुम्हारी दीदी कुछ काम से मेरे घर आई थी तो मैंने उन्हें बताया कि मैंने तुम्हें माफ् कर दिया है और मैं उनके साथ तुम्हारे घर को आरही थी तो देखा था।
मैं •दीपा माना कि मैं शाम को चम्पा के साथ बहक गया था मुझसे गलती हो गयी इस बात का तुम जो भी सजा दोगी मुझे मंजूर है पर मैं डाली के साथ कुछ भी नही किया उल्टे यह तो डाली और रामु की चाल है
दीपा•अब तुम अपना दोष दूसरे पर मत दो मैं तुम्हारे किसी भी बात का व
विश्वासW नही रहा।
 
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