kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया - SexBaba
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kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया

hotaks444

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पत्नी की चाची को फँसाया 


हैलो दोस्तो, आपके लिए एक और कहानी पेश कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप को ये कहानी बहुत पसंद आएगी यूँ तो मैने आ तक आप को बहुत सी कहानियाँ दी है लेकिन ये कहानी थोड़ी हट कर है ये कहानी मेरी चाची सास की है जिन्हे मैने किस तरह चोदा ये बताने जा रहा हूँ . जब मैं 21 साल का हुआ.. तब मेरी शादी मुंबई हुई.. मेरी पत्नी का नाम रेशमा है.. शादी के एक साल के बाद बेटा हुआ.. उसका नाम रवि है, अब मेरी फैमिली में माँ.. मैं मेरी पत्नी और मेरा बेटा है।
मेरी ससुराल में सास-ससुर और उनका एक बेटा और एक बेटी यानि कि मेरा एक साला और साली है। मेरे ससुर के छोटे भाई का नाम राजेश है.. जो रिश्ते में मेरे चाचा ससुर हुए.. उनकी फैमिली में मेरी चाची सास.. उनकी बेटी और एक बेटा है।
मेरे ससुर और चाचा ससुर अलग-अलग रहते हैं। दोनों के घर आने-जाने में करीब 4 घंटा लगते हैं। मेरी चाची सास का नाम प्रिया है.. उनकी उम्र 36 साल की है और वे देखने में भी बहुत खूबसूरत लगती हैं। उनकी खूबसूरती को आप यूँ समझ लो कि हिन्दी फिल्मों की एक्ट्रेस मुनमुन सेन जैसी.. और उनकी बेटी यानि कि मेरी साली का नाम ज्योति है।
मैं यहाँ दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मेरी अच्छी-ख़ासी तनख्वाह है और साथ में थोड़ा सा जादू-टोना भी जानता हूँ। वैसे जादू-टोना मेरा पेशा नहीं है.. लेकिन कभी-कभी किसी परेशान हुए लोगों की मदद कर देता हूँ।
शादी के दो साल के बाद एक दिन जब शाम को मैं घर आया तो मेरी पत्नी ने बताया कि मुंबई से शादी का निमंत्रण आया है.. अगले हफ्ते शादी है और हम सबको जाना है।
मैंने कहा- ठीक है.. हम सब चलेंगे। 
शादी एक हफ्ते बाद थी.. तो मैंने टिकटों का रिज़र्वेशन करा लिया.. ताकि कोई परेशानी ना हो। जब हम शादी में पहुँचे.. तो मेरी ससुराल वाले बहुत खुश हुए.. क्योंकि 2 साल बाद हम मुंबई गए थे। वहाँ मेरे ससुर और चाचा ससुर.. दोनों की फैमिली मौजूद थी। सब बहुत खुश हुए।
मैं और मेरी पत्नी सब बड़ों के पैर छू रहे थे और जो मुझसे छोटे थे.. वो मेरे पैर छू रहे थे।
जब मैं अपनी चाची सास के पैर छूने गया.. तो उन्होंने हँसते-हँसते मेरे सर पर हाथ रखा और हाथ को मेरे सर पर थोड़ा सा दबाया.. लेकिन मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.. फिर मैंने अपने चाचा ससुर के पैर छुए तब उन्होंने आशीर्वाद दिया और कहा- परसों का खाना आपको हमारे घर ही खाना है।
मैंने कहा- ठीक है.. हम सब जरूर आएंगे।
शादी के एक दिन बाद ही हम चाचा ससुर के घर खाना खाने को जा रहे थे। तब मेरी सास ने कहा- अपने बेटे को यहाँ रहने दीजिए.. दो घंटे जाने में लगेंगे.. तो ये परेशान हो जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है। 
फिर मैं और मेरी पत्नी चाचा ससुर के घर खाना खाने चले गए। जब वहाँ पहुँचे तो घर में सिर्फ़ मेरी चाची सास प्रिया और मेरी साली ज्योति ही थे।
मेरी पत्नी ने पूछा- मेरे चाचा और भाई कहाँ हैं? 
तब उन्होंने कहा- आज सुबह ही वो अहमदाबाद शादी में चले गए हैं।
मैंने चाची सास से कहा- आप नहीं गईं? 
 
तब उन्होंने कहा- आप आने वाले थे न.. इसलिए हम नहीं गए.. दो साल के बाद तो आप यहाँ आए हैं.. तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है ना.. कि दामाद का पूरी तरह ध्यान रखा जाए।
तब मेरी पत्नी ने कहा- कोई बात नहीं चाची.. राज की पोस्टिंग जब मुंबई में होगी.. तब आप जी भर के ध्यान रखिएगा..
हम सब हँस पड़े और फिर हम खाना खा कर ससुर के घर आ गए। कुछ दिन ससुराल में रुके.. फिर वापिस दिल्ली आ गए।
इस बात को कब 9 साल गुजर गए.. पता ही नहीं चला और इन 9 सालों में काफ़ी कुछ बदल गया था। मेरे ससुर और चाचा ससुर के बेटे और बेटी ज्योति की शादी हो चुकी थी और अपने-अपने फैमिली में सब खुश थे। लेकिन ज्योति की उनकी सास के साथ नहीं बनी तो वो मेरे चाचा ससुर के घर वापिस आ गई थी।
यहाँ आई तो उसकी भाभी यानि मेरे चाचा ससुर के बेटे की बीवी के बीच अनबन हुई.. जिसकी वजह से मेरा साला अपनी बीवी को लेकर अलग रहने चला गया। चाचा ससुर के यहाँ सिर्फ़ 3 लोग रह गए.. मेरे चाचा ससुर.. सास और ज्योति..
ज्योति बिल्कुल अपनी माँ पर गई थी। वो भी मुनमुन सेन की लड़की रिया सेन जैसी लगती थी। सब लोग अच्छी तरह से रहते थे और खुश थे।
एक दिन अचानक फोन आया कि मेरे चाचा ससुर की हार्ट-अटैक से मौत हो गई है.. तो हम सब फिर वहाँ उनके घर मुंबई गए। वहाँ चाची सास मुझे और मेरी पत्नी से लिपट कर बहुत रोईं। 
फिर इस घटना को दो साल बीत चुके थे.. सब अपनी-अपनी जिन्दगी में खुश थे.. लेकिन एक दिन मुझे मेरे ऑफिस से मुझे प्रमोशन मिला और घर आकर मैंने अपनी पत्नी से कहा- मेरा प्रमोशन मुंबई में हुआ है।
तब वो बहुत खुश हुई और उसने मुझसे कहा- कब जाना है? 
मैंने कहा- 15 दिन बाद..
तब वो बोलीं- रवि का तो स्कूल है.. तो कैसे सैट करेंगे? 
मैंने कहा- उसका एक साल बिगड़ जाएगा और क्या? 
तब वो बोलीं- मैं उसका एक साल बिगड़े.. ऐसा हरगिज़ नहीं चाहती हूँ.. आप अकेले मुंबई जाइए और कुछ ही महीनों की तो बात है.. आप मेरे पिताजी के घर रहिएगा।
मैंने कहा- जैसा तुम्हें ठीक लगे।
फिर 15 दिनों के बाद मैं मुंबई चला आया और जॉब ज्वाइन कर ली।
 
लेकिन मेरा ऑफिस उस एरिया में था जिधर मेरे चाचा ससुर रहते थे.. जिसकी वजह से मुझे अपनी ससुराल से ऑफिस आने-जाने में बहुत दिक्कत होती थी। यह बात मेरी पत्नी ने फोन पर बातों-बातों में मेरी चाची सास को कह दी।
तब वो रविवार को मेरे ससुर के घर आईं और मेरे सास-ससुर से कहने लगीं- आपके भाई के जाने के बाद आप लोगों ने मुझे पराया सा कर दिया है।
तब मेरी सास ने कहा- प्रिया.. तुम क्यों ऐसा बोल रही हो?
वो बोलीं- राज क्या मेरे दामाद नहीं हैं? 
तब मेरी सास ने कहा- हैं ना..
वो बोलीं- राज इतनी तकलीफ़ भुगत कर रोज अप-डाउन करते हैं.. तो क्या आपको नहीं कहना चाहिए कि वो हमारे साथ रहें.. वो भी तो उनकी ससुराल ही है ना.. वो भी तो मेरे बेटे जैसे ही हैं ना?
तब मेरे सास-ससुर ने मुझसे कहा- राज अगर आपको ठीक लगे.. तो आप इनके साथ रह सकते हो। वो भी आपकी ही ससुराल है। 
फिर जब सबने बहुत ज़ोर दिया.. तब मैं उनके साथ रहने के लिए चला गया। अब वहाँ मेरी चाची सास प्रिया.. उनकी बेटी ज्योति और मैं एक साथ रहने लगे।
मेरा ऑफिस वक्त सुबह 11 से शाम के 5 बजे तक का था। वहाँ रहते-रहते मुझे 2 महीना हो गए थे। मेरे मन में कभी चाची सास के लिए बुरे ख्याल नहीं आए थे.. लेकिन एक बार अचानक मैं उनके कमरे में गया तो वो सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं और साड़ी पहन रही थीं। 
लेकिन जब मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया.. क्योंकि 45 साल की उम्र में भी वो बहुत सेक्सी लग रही थीं.. और उनको ऐसे देख कर सच कहूँ तो मैं उनका दीवाना हो गया।
अब मैं खाली वक्त में यही सोचता रहता था कि चाची सास को कैसे अपना बनाया जाए.. क्योंकि हमारा रिश्ता सास-दामाद का था.. इसलिए मैं थोड़ा डरता था कि कहीं वो किसी को कुछ कह ना दें।
एक दिन जब मैं ऑफिस से लौटा तो मेरी साली ज्योति ने मुझसे कहा- जीजाजी घर में हर वक्त बैठे-बैठे मैं बोर हो जाती हूँ.. अगर आपके ध्यान में कोई अच्छी सी जॉब हो.. तो आप मुझे बताना। 
मैं भी यही चाहता था कि अगर ज्योति जॉब पर जाएगी.. तो मुझे और सास को अकेले रहने का ज़्यादा से ज़्यादा वक्त और मौका मिलेगा। फिर हो सकता है कि मैं अपने मकसद में कामयाब हो जाऊँ इसलिए मैं ज्योति के लिए ज़ोर-शोर से जॉब ढूँढने लगा। 
आख़िरकार मैंने उसके लिए जॉब ढूँढ ही ली और एक दिन जब ऑफिस से आया तो मैंने कहा- ज्योति आपके लिए गुड न्यूज़ है.. आपके लिए जॉब मिल गई है। लेकिन..
…और मैं चुप हो गया। 
तब सास ने कहा- आप रुक क्यों गए..? क्या बात है..? जॉब अच्छी नहीं है? 
एक साथ इतने सवालों से ज्योति भी बोल पड़ी- क्या माँ आप भी.. जीजाजी पर एक साथ इतने सवालों की बौछार कर बैठीं। 
तब मैं थोड़ा संयत होकर बोला- ऐसी कोई बात नहीं है.. दरअसल जॉब पर्सनल सेक्रेटरी की है.. सेलरी भी काफ़ी अच्छी है.. लेकिन उन्हें अक्सर बॉस के साथ बाहर जाना पड़ेगा और बॉस भी काफ़ी अच्छे हैं।
तब ज्योति ने मुझसे कहा- क्या आप भी जीजाजी.. इतनी छोटी सी बात के लिए इतना चिंतित हो रहे हो.. आप जॉब पक्की कर लो और अब मुझे माँ की भी कोई फ़िक्र नहीं है.. मेरी गैरमौजूदगी में आप तो माँ का ख्याल रख ही लोगे ना..
ये सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।
 
तब सास ने कहा- जॉब का वक्त क्या होगा?
तब मैंने कहा- जब वो यहाँ मुंबई में होगी.. तब जॉब का वक्त सुबह 9 से शाम के 7 बजे तक का रहेगा.. 
और फिर सास के सामने देख कर बोला- ठीक है न? 
सास ने अपनी मूक सहमति दे दी थी। 
दूसरे दिन सुबह मैं और ज्योति ऑफिस चले गए और उसके लिए जहाँ जॉब फिक्स की थी.. उस ऑफिस में जाकर ज्योति से बात करा के.. मैं अपने ऑफिस चला गया। 
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब मैं और सासू अकेले वक़्त बिता पायेंगे। ज्योति को जॉब ज्वाइन किए एक हफ्ता हो गया था और वो और सास बहुत खुश थे।
एक दिन सास ने मुझसे कहा- आप हमारा कितना ख्याल रखते हैं कि ज्योति को अच्छी सी जॉब दिला दी।
मैंने कहा- ये तो मेरा फ़र्ज़ है और आप भी मेरा कितना ख्याल रखती हैं। 
एक दिन मैं अचानक ऑफिस से 2 बजे आ गया.. मैंने घर पर आके देखा तो सास ने ज्योति की नाईटी पहनी हुई थी और वो बहुत अच्छी और सेक्सी लग रही थीं।
मैं अचानक से आया था.. इसलिए वो थोड़ी हड़बड़ाई और शर्मा कर अन्दर के कमरे में साड़ी पहनने चली गईं। जब वो वापिस आईं तो मैंने कहा- आप क्यों चली गई थीं? 
तो उन्होंने कहा- आपके सामने नाईटी में थोड़ी हया तो रखनी पड़ेगी ना..
तब मैंने भी मौका देख कर बोला- सच कहूँ तो आप नाईटी में बहुत अच्छी लग रही थीं..
वो बोलीं- क्या आप भी मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हो.. इस उम्र में थोड़ी अच्छी लगूँगी मैं.. 
मैंने कहा- आप ग़लत सोच रही हो.. अगर आप ज्योति के साथ खड़ी रहोगी तो आप उनकी बड़ी बहन ही लगोगी और ये कोई उम्र है आपके विधवा जैसे रहने की.. अगर आप साज-श्रृंगार करेंगी तो कोई नहीं कह पाएगा कि आप इतने बड़े बच्चों की माँ हैं।
मेरे मुँह से खुद की तारीफ सुनते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई थी, धीरे-धीरे वो मुझसे खुल रही थीं, वो बोलीं- ऊपर वाले के आगे किसकी चलती है.. उसे जो मंजूर होता है वो ही होता है.. आपकी ही बात ले लो ना.. आपकी बीवी यानि की रेशमा है.. फिर भी आपको यहाँ अकेले रहना पड़ता है।
‘हम्म..’ मेरे मुँह से भी निकला।
फिर वे थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या आपको रेशमा की याद नहीं आती? 
मैंने कहा- आती है.. पर क्या करूँ?
मैंने जान-बूझकर मेरी आँखें उनकी रसीली चूचियों पर लगा दीं।
मैं बात उनसे कर रहा था.. लेकिन मेरी हरामी नज़रें.. उनकी चूचियों पर थीं, मैं देखना चाहता था कि वो कुछ प्रतिक्रिया करती हैं या नहीं। 
फिर मैं थोड़ी हिम्मत जुटा कर बोला- आपकी और मेरी हालत एक जैसी ही है।
तब उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक दिखी और वो बोलीं- ठीक कह रहे हो आप।
हम दोनों बात का मर्म समझ कर हँसने लगे। 
फिर ये सिलसिला कुछ दिन चला.. उनके चेहरे की रौनक बता रही थी कि वो भी मेरे पास आना चाह रही थीं.. लेकिन बदनामी के डर से कुछ बोल नहीं पा रही थीं।
उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि आग दोनों तरफ लगी हुई है.. लेकिन दोनों में से कोई पहले कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मुझे सासू को पाने की कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी.. तब मैंने इस फोरम पर मेरे जैसे ही एक लेखक की कहानी पढ़ी और मेरा मन खुशी से झूम उठा।
एक दिन शाम को मैं ऑफिस से आया और फ्रेश होकर मैं और सासूजी बातें करने लगे। तब बातों-बातों में मैंने सासूजी से कहा- ज्योति के बारे में आपने क्या सोचा है.. ज्योति को ससुराल भेजना है या नहीं..? कब तक वो आपके साथ रहेगी.. सारी जिंदगी अकेले नहीं गुजारी जा सकती.. वो अभी जवान है.. आपको ज्योति को समझा कर उसकी ससुराल भेज देना चाहिए। 
तब सासूजी ने कहा- दामाद जी.. आप हमारे लिए कितना सोचते हैं.. इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। 
तो मैंने कहा- आपने धन्यवाद कह कर मुझे पराया कर दिया.. मैं तो आपको ‘अपना’ समझता हूँ।
 
तब उन्होंने कहा- कौन माँ ये चाहेगी कि उनकी बेटी मायके में पड़ी रहे.. लेकिन वहाँ ज्योति की उनकी सास और ननद के साथ नहीं बनती है.. इसलिए आप ही कुछ उपाय सुझाइए कि वो लोग ज्योति को खुशी-खुशी घर ले जाएं.. 
मैंने उनकी तरफ देखा तो फिर वो हँसते-हँसते कहने लगीं- आप तो थोड़ा-बहुत जादू-टोना भी जानते हैं.. तो क्यों न आप ही कुछ करें?
यह एक अच्छा मौका था और मैंने फट से कह दिया- सासूजी.. इसके लिए बहुत कठिन विधि करनी पड़ेगी और शायद आप वो ना कर पाएं..।
सासूजी ने कहा- अगर ज्योति का घर बस जाए.. तो मैं ‘कुछ भी’ करने को तैयार हूँ।
मैंने नोटिस किया कि सासूजी ने ‘कुछ भी’ शब्दों पर ज़्यादा ज़ोर दिया था। मैं उनको अभी देख ही रहा था तभी सासूजी ने आगे कहा- आप मुझे विधि तो बताइए..
मैंने कहा- जब विधि शुरू हो तब तक आपको मेरी दासी बनना होगा और मेरी हर बात को मानना पड़ेगा और विधि कैसे करनी है.. ये बताने में मुझे थोड़ी शर्म महसूस हो रही है।
तब वो बोलीं- अगर ऐसी बात है.. तो आप लिख कर मुझे दे दीजिए.. मैं पढ़ लूँगी।
तब मैंने पूरी विधि लिख कर सासूजी को दे दी और मैं जान-बूझकर ‘अभी आता हूँ..’ कह कर बाहर चला गया।
करीब 7 बजे मैं लौटा तो वो शर्म से लाल हुई पड़ी थीं और मुझसे नजरें चुरा रही थीं।
तब ज्योति भी घर वापिस आ गई इसलिए सासूजी हमारे लिए चाय बनाने चली गईं। 
तभी ज्योति खुश होते हुए मुझे बताने लगी- जीजू कल सुबह मुझे बॉस के साथ 1 हफ्ते के लिए बेंगलोर जाना है.. लेकिन मैंने कहा कि मैं घर जाकर माँ और जीजाजी से बात करूँगी.. अगर उनकी आज्ञा होगी तो मैं आपको फोन करूँगी।
सासूजी हमारी बातें सुन रही थीं.. तब मैंने कहा- अगर आपका मन जाने के लिए कहता है.. तो जरूर जाओ और इस बहाने आपको बेंगलोर भी देखने को मिलेगा। फिर भी आप अपनी मम्मी से पूछ लो।
तब तुरंत ही सास ने कहा- तुम्हारे जीजा ठीक कह रहे हैं.. तुम्हें जाना चाहिए.. इस बहाने तुम्हें नई जगह और कुछ नया सीखने को भी मिलेगा। 
ज्योति ने अपने बॉस को फोन कर दिया और दूसरे दिन सुबह वो बैंगलोर चली गई..
 
मैं ऑफिस जाने लगा.. लेकिन सासूजी ने मुझसे बात नहीं की.. तब मुझे लगा कि शायद सासूजी मुझसे नाराज़ हो गई हैं। 
मुझे इस बात से थोड़ा डर भी लगा कि कहीं वो विधि वाली बात मेरी पत्नी या मेरी सास को ना बता दें। 
मैं ऑफिस चला गया उधर भी मैं ये ही सोचता रहा.. करीब 12 बज गए.. तब अचानक मेरे मोबाइल पर कॉल आई।
यह कॉल सासूजी ने की थी और उन्होंने मुझसे कहा- अगर हो सके तो आप छुट्टी ले लेना।
मेरी खुशी का मानो ठिकाना ना रहा और सोचने लगा कि कब 5 बजे और मैं घर जाऊँ। मैंने अपने लिए 3 दिन की छुट्टी ले ली और घर आया.. तब सासूजी मुझसे नज़रें चुरा कर बोलीं- क्या ऐसी विधि ज़रूरी है?
मैंने कहा- अगर ना होती तो शायद मैं आपसे कभी नहीं कहता।
तब उन्होंने कहा- अच्छा है कि ज्योति घर पर नहीं है और आपने कहीं उसे ये सब बताया तो नहीं है? 
तब मैंने कहा- मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है.. जो ऐसी बात बताऊँगा.. बल्कि मैं तो चाहता हूँ कि आप भी कभी किसी को मत बताइएगा.. क्योंकि इसमें हमारी बदनामी हो सकती है।
तब सासूजी बोलीं- मैं आपकी दासी बनने के लिए तैयार हूँ।
उस वक्त उनके चेहरे पर थोड़ी चमक आई.. क्योंकि वो भी मन से तो यही चाहती थीं.. लेकिन यह सब मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं। 
इस तरह मैंने चाची सास को दासी बनाने के लिए तैयार किया और मन ही मन खुश हुआ कि अब तो सासूजी मेरी दासी हैं तो मैं उनसे कुछ भी करवा सकता हूँ।
लेकिन फिर भी मैं दिल से तो यही चाहता था कि सासूजी अपने मुँह से मुझे चुदाई का न्यौता दें.. इसलिए मैं अपनी ओर से कोई पहल करना नहीं चाहता था।
फिर वो अन्दर गईं और 5000 रूपए लाईं और मुझे देने लगीं और कहा- विधि का जो भी सामान है.. आप ले लेना। 
तब मैंने उनको 5000 रूपए वापिस दिए और बोला- ये तो मेरा फ़र्ज़ है.. अगर आप ज्योति की माँ हैं तो क्या ज्योति मेरी कुछ नहीं है? आप इन्हें वापिस ले लीजिए.. मैं सामान ले आऊँगा।
मेरे बहुत कहने पर उन्होंने उसमें से सिर्फ़ 3000 रूपए ही वापस लिए और मुझे कसम दी कि अब इतने तो आपको रखना ही पड़ेंगे।
मैंने कहा- ठीक है और मैं बाज़ार विधि का सामान लेने चला गया और जब वापिस आ रहा था कि मैंने ज्योति के पति को एक कॉलगर्ल के साथ देख लिया। 
वो दोनों होटल में जा रहे थे.. मैं भी उनके पीछे-पीछे वहाँ गया और सीधे उनके कमरे में जाकर उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया और ज्योति के पति को दो झापड़ मारे।
तब ज्योति का पति मेरे पाँव पड़ने लगा और कहने लगा- प्लीज़ आप किसी को कुछ बताइएगा नहीं.. वरना हमारी बहुत बदनामी होगी।
तब मैंने उसके सामने एक शर्त रखी कि मैं जो भी कहूँगा.. वो तुम्हें करना पड़ेगा। 
उसने राजी होते हुए कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा और दोबारा ये ग़लती कभी नहीं करूँगा।
वो तो साला ऐसे गिड़गिड़ा रहा था कि मेरा पालतू कुत्ता हो..। 
तब मैंने कहा- ठीक है.. मैं किसी को नहीं कहूँगा.. लेकिन जब मैं बोलूँ तब तुम ज्योति को अपने घर ले जाना और उसे कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए। 
तो उसने कहा- आप जो भी कहोंगे.. मैं करूँगा।
फिर मैं उधर से बाजार गया और जो भी ज़रूरी सामान था.. वो सब सामान ले आया और सासूजी से कहा- अपनी विधि सुबह 6 बजे आरम्भ करनी है..। 
सुबह सासूजी रेडी हो गई थीं.. उन्होंने सफ़ेद रंग की साड़ी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था.. और अन्दर सफ़ेद रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी।
मैंने सासूजी से कहा- विधि शुरू करें? 
तो उन्होंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
 
फिर मैंने उन्हें एक चौकी पर बिठा दिया.. मैं उनके पाँव के करीब नीचे ज़मीन पर तेल लेकर बैठ गया और उनका एक पाँव अपने पाँव पर रखा और उनके पाँव के तलवों पर तेल लगाने लगा। फिर मैं उनके पाँव की ऊँगलियों पर तेल लगाने लगा। 
सासूजी को बहुत शर्म सी लग रही थी.. पर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। फिर मैं पाँव के ऊपरी हिस्से में घुटने तक तेल लगाने लगा। अब मैं अपने हाथ उनके पूरे पैर पर घुमा रहा था.. सासूजी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। वो ये सब बर्दाश्त कर रही थीं और मुझे अपने मन मर्ज़ी करने का मौका मिल रहा था। 

फिर मैंने सासूजी की साड़ी को घुटनों तक ऊँची उठाई.. तो उन्होंने अपनी आँखें खोलीं और नाटक करके कहने लगीं- ये सब करना ज़रूरी है?
तब मैंने भी कहा- अगर आपको ठीक नहीं लगता.. तो नहीं करते हैं।
तब उन्होंने मन ही मन कुछ सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप वायदा करो कि ये विधि वाली बात किसी को नहीं कहोगे।
तब मैंने उन्हें प्रोमिस किया कि ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी।
तब वो शान्त होने का नाटक करते हुए बोलीं- ठीक है.. आपको जो ठीक लगे करो।
अब मेरा रास्ता पूरी तरह साफ़ था। अब फिर से मैंने उनकी साड़ी घुटनों तक ऊँची उठाई और उन्होंने अपनी आँखें बन्द कर लीं। मैं उनके पाँव पर घुटनों तक धीरे-धीरे तेल लगाने लगा।
अब धीरे-धीरे सासूजी के चेहरे का रंग भी बदल रहा था.. उनका चेहरा थोड़ा सा लाल होता जा रहा था.. शायद वो भी मेरे हाथ का मज़ा ले रही थीं। फिर मैंने तेल अपने हाथ में लिया और साड़ी के अन्दर हाथ डालकर उनकी जाँघों पर तेल लगाने लगा। 
ओह्ह.. क्या बताऊँ दोस्तों.. सासूजी की जांघें इतनी कोमल और मुलायम थीं.. ऐसा लग रहा था.. जैसे फूलों पर हाथ फेर रहा होऊँ।
अब मुझे इसमें और भी ज़्यादा मज़ा आने लगा था। 
उनके मुँह से आवाजें निकल रही थीं.. वो अपने दाँतों के बीच होंठ दबा रही थीं।
फिर मैंने सासूजी को खड़े होने को कहा तब वो खड़ी हो गईं और मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और तेल हाथ में लेकर साड़ी में हाथ घुसा कर पाँव के पिछले हिस्से में ऊपर से नीचे तक तेल लगाने लगा। 
मुझे ऐसा करके बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा दिल कर रहा था कि ये पल यहीं रुक जाए। 
मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड तक ले जाता था और नीचे ले आता था। मैंने कई बार उनकी अंडरवियर की लाइन को टच किया। जब भी मेरा हाथ उनकी गाण्ड के करीब आता.. वो सहम जाया करती थीं..
फिर मैं खड़ा हो गया और सासू का हाथ अपने हाथों में ले लिया और तेल लगाने लगा.. पर ब्लाउज के चलते पूरे हाथ में लगाना मुश्किल था। 
 
मैंने उनसे कहा- ऐसे कपड़ों के साथ मैं तेल लगा नहीं पाऊँगा.. और वैसे भी नीचे का हिस्सा अभी बाकी रह गया है।
तब वो समझ गईं और अन्दर के कमरे में जाकर सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा पहन कर और अपने बालों को खोल कर आ गईं।
जब वो आईं.. तो ऐसा लग रहा था कि जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर आई हो।
लेकिन वो बहुत शर्मा रही थीं.. फिर भी वो आकर चौकी पर बैठ गईं..
फिर मैंने उनके बालों में तेल लगाया और कुछ तेल अपने हाथ पर लिया और उनके कन्धों पर लगाने लगा। 
उनके कंधे की त्वचा एकदम मखमली रज़ाई जैसी थी और कंधे पर तेल लगाते-लगाते.. मैं उनके मम्मों के ऊपरी हिस्सों में तेल लगाने लगा। उनके मम्मे ब्रा में समा नहीं पा रहे थे और उभर कर बाहर आने को बेताब थे। 
फिर मैं तेल हाथ में लेकर उनकी पीठ पर लगाने लगा।
ओह.. उनकी त्वचा का स्पर्श एकदम सुखदायी था। 
सासू भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थीं। वो कुछ बोल तो नहीं रही थीं.. पर उनका चेहरा लाल हो चुका था। 
अब बारी थी उनके गुप्त अंगों की.. और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे आगे बढूं।
तब मैंने उन्हें कहा- आपको अगर शर्म आ रही हो.. तो अपनी आँखों पर पट्टी लगा दीजिए.. क्योंकि मैंने आपके पूरे शरीर को तो तेल लगा दिया है अब सिर्फ़ आपके गुप्त अंग ही बाकी हैं।
मेरे मुँह से ये सुनते ही उनका चेहरा और लाल हो गया और उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी लगा ली।
फिर मैंने अपने दोनों हाथों में तेल लिया और उनके पीछे जाकर मेरे लण्ड को उनकी गाण्ड से सटा कर उनकी ब्रा में ऊपर से हाथ डाला.. जैसे ही मेरे हाथ ने उनके मम्मों को छुआ.. हम दोनों के शरीर कँपने लगे।
फिर मैंने अपना हाथ उनके मम्मों पर रखा.. मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मैं अपने दोनों हाथों को उनके दोनों मम्मों पर धीरे-धीरे घुमाने लगा.. उनके निप्पल सख़्त हो गए थे। 
उनको भी मेरे हाथों का स्पर्श अच्छा लग रहा था.. इसलिए उन्होंने अपनी गाण्ड को थोड़ा और पीछे किया जिसकी वजह से मेरा लण्ड उनकी गाण्ड के और पास आ गया और उनकी दरार से चिपक गया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने तेल लगा कर अपने हाथ को बाहर खींच लिए.. फिर वापिस मैंने तेल लिया और उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर सीधा उनकी गाण्ड पर रख दिया।
मेरा हाथ गाण्ड पर लगते ही वो थोड़ी सहम सी गईं.. और शायद उन्हें भी ये सबसे अच्छा लग रहा था और वे आनन्द ले रही थीं।
फिर मैंने हाथ में और तेल लिया और उनके दोनों चूतड़ों पर बारी-बारी से तेल लगाया। मेरे मन में एक अजीब सी हलचल हो रही थी और लण्ड एकदम तन्नाया हुआ था। फिर मैंने गाण्ड की दरार में तेल लगाया और वहाँ से हाथ हटा लिया।
अब उन्होंने एक बड़ी सी साँस ली क्योंकि वो जान चुकी थीं कि अब तेल कौन सी जगह पर लगना है। 
मेरा लण्ड अन्दर ही अन्दर फड़फड़ा रहा था।
 
फिर जैसे ही मैं अपना हाथ उनकी चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथों में गर्मी सी महसूस हुई।
शायद वो भी इस सबसे उत्तेजित हो गई थीं और जैसे ही मैंने उनकी चूत पर हाथ रखा.. तो वो एकदम से चिहुंक गईं और मेरे हाथ को अपनी टाँग से हल्का सा दबा लिया।
उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। शायद उन्होंने निकाल दिए थे और मैंने उनकी चूत पर तेल लगा कर हाथ हटा लिया।

अब सासूजी भी होश में आईं और मैंने उनकी पट्टी खोल दी और उन्हें नहाने के लिए बोला।
जब वो नहा कर आईं तो मैंने उन्हें पूजा के स्थान पर बिठाया और एक किताब खोल कर मन्त्रों का जाप करने लगा।
करीबन आधे घंटे तक मैं मन्त्रों का जाप करने का नाटक करता रहा और मैंने सासूजी से कहा- मुझे लगता है कि जिस निष्ठा से आप ये पूजा कर रही हो.. उससे लगता है कि ज्योति के यहाँ आने से पहले ही उनके ससुराल वाले.. सामने से उसे लेने यहाँ आ जाएंगे।
मेरे मुँह से यह सुन कर सासूजी बहुत खुश हुईं और कहने लगीं- दामाद जी.. आप जो भी विधि है.. वो पूरी कर लो.. अगर ज्योति का घर बस जाए तो मैं समझूँगी कि भगवान हम पर सच में प्रसन्न हो गए हैं। 
तब मैंने कहा- आगे की विधि तो और भी कठिन है.. आप कर पाओगी ना? 
तब उन्होंने कहा- क्या करना होगा?
तब मैंने उन्हें चंदन का लेप और एक चोला निकाल कर दिया और अपने लिए धोती निकाली.. फिर उनसे कहा- आपको अपने सारे कपड़े उतार कर यह चोला पहनना होगा। 
वो बोलीं- करना क्या है? 
मैंने कहा- ये लेप है.. इसे आपके शरीर पर लगाना है.. तब वो बाथरूम में जाकर कपड़े बदलने लगीं.. और मैंने भी तब तक अपनी पैन्ट-शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली। 
जब वो वापस आईं.. तो मेरा ध्यान उनके कपड़ों पर पड़ा तो मैं दंग रह गया। 
दरअसल मैं जान-बूझकर वो चोला बहुत छोटा लाया था और वो 2 पीस में था उसके नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था और वो सासूजी की जाँघों तक ही था। 
उनकी गोरी जांघें मुझे साफ़ दिख रही थीं और ऊपर का ब्लाउज भी बहुत छोटा था, वो सिर्फ़ उनके स्तनों तक ही था, वो बहुत ढीला था.. उसमें भी वो आगे से गहरा खुला हुआ था। सासूजी के 80% मम्मे साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं। उनके ब्लाउज के आस्तीन भी बहुत छोटी और खुली हुई थीं.. जिसमें से उनकी बगलें साफ़ दिख रही थीं। वहाँ भी एक भी बाल नहीं थे.. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं खुद को उन्हें चोदने से कैसे रोकूँ। 
मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.. मेरा लण्ड धोती में टाइट खड़ा था.. पर धोती की चुन्नटों के चलते दिखाई नहीं दे रहा था।
मुझे लग रहा था कि सासूजी भी शायद चुदासी थीं क्योंकि उनके चूचुक सख़्त हो चुके थे और ब्लाउज के कपड़े से साफ़ दिख रहे थे। 
फिर मैंने सासूजी को बैठने को कहा.. जैसे ही वो बैठीं.. मैं उनके सामने घुटनों पर बैठा और उनके चेहरे पर लेप लगाने लगा। 
पहले मैंने लेप को उनके माथे पर लगाया और फिर गले पर.. उनकी गर्दन पर जो कि लंबी और सुराहीदार थी। 
 
फिर मैंने उनके गोरे-गोरे कोमल गालों पर लगाया.. उनके गाल मक्खन जैसे मुलायम थे। 
फिर थोड़ा हिचकिचाते हुए मैं बोला- सासूजी अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ..?
तब वो बोलीं- क्या..?
तो मैंने कहा- आपके गाल बहुत मुलायम हैं और आपके चेहरे की त्वचा भी बहुत चिकनी है।
तब वो थोड़ी मुस्कुराईं.. अब मुझे थोड़ा यकीन हुआ कि अब उन्हें भी ये सब अच्छा लग रहा है।
फिर मैं उनके पीछे जाकर बैठ गया.. उनका स्कर्ट इतना छोटा था कि पीछे से उनकी गाण्ड की लकीर साफ़ दिख रही थी।
मेरा लण्ड धोती में इतना बेकाबू हो चला था.. मैंने किसी तरह उसे समझाया कि बैठ जा मादरचोद.. अभी चूत मिलेगी तुझे। 
फिर मैंने चंदन का लेप हाथ में लिया और सासूजी का ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर दिया। 
ढीला होने की वजह से वो आराम से ऊपर हो गया..। 
सासूजी ने मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो..?
तब मैंने कहा- मुझे आपकी पीठ में और आपके पेट पर स्वास्तिक बनाना है। 
वो कहने लगीं- ऐसी विधि भी होती है क्या..? 
मुझे मालूम था कि वो ये सब दिखाने के लिए कह रही थीं.. मन ही मन उन्हें भी ये सब अच्छा लग रहा था। 
फिर जैसे ही मैंने उनकी नंगी पीठ को छुआ.. मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई और खून तेज रफ़्तार से दौड़ने लगा। 
उधर सासूजी का भी यही हाल था और फिर वापिस मैं उनकी तारीफ करने लगा।
मैंने कहा- सासूजी आपकी पीठ इतनी चिकनी है कि मुझे बचपन याद आ गया.. जैसे कि फिसल-पट्टी..। 
तब वो भी मुझसे थोड़ी और खुलीं और हँसते हुए कहा- ठीक है.. दामाद जी बहुत तारीफ कर ली..।
सासूजी को भी इन सब बातों में मज़ा आ रहा था।
जब मैंने स्वास्तिक बना लिया.. फिर आगे आकर उनके पेट पर भी बनाया। 
फिर मैंने उनसे कहा- अब आप लेट जाओ। 
वो बोलीं- क्या करना है..? 
मैंने कहा- आप लेटो तो सही.. बताता हूँ। 
जैसे ही वो लेटीं.. मैं उनकी जाँघों के करीब बैठ गया। 
वो मुझे ही देख रही थीं.. फिर मैंने हाथ में लेप लिया और उनकी जाँघों पर लगाने के लिए आगे बढ़ा.. जैसे ही मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों पर रखा.. मेरा लण्ड और टाइट हो गया। 
उनकी जांघें एकदम गरम थीं। 
शायद वो भी मेरी तरह बहुत गरम हो गई थीं। वो अपनी आँखें बंद करके धीरे-धीरे ‘आहें’ भर रही थीं और उनकी साँसें भी तेज हो गई थीं। 
फिर मैं उनके पाँव से लेकर जाँघों तक लेप लगाने लगा.. उनकी टाँगें तेल लगाने की वजह से और भी चिकनी हो चुकी थीं। 
मैंने लेप लगाते-लगाते सासूजी से हिम्मत करके पूछा- सासूजी आप अपनी टाँगों पर क्या लगाती हो..? 
उन्होंने आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और पूछा- क्यों? 
मैंने कहा- मुझे नहीं पता था कि किसी की इस उम्र में भी त्वचा इतनी मुलायम हो सकती है.. आपकी त्वचा रेशमा से भी अधिक मुलायम है।
तब वो हँसते हुए कहने लगीं- आप तो बिल्कुल पागल हैं..। 
मैंने कहा- सच सासूजी.. बताओ ना क्या लगाती हो? 
वो शर्मा कर बोलीं- कुछ नहीं..।
फिर सब जगह लेप लगाने के बाद मैंने उन्हें फिर नहाने भेज दिया और कहा- स्वास्तिक न निकल जाए.. इसका ध्यान रखिएगा..।
जब वो आईं तो वापिस मैंने सासूजी को पूजा के स्थान पर बिठाया और आधे घंटे तक मन्त्रों को बोलने का नाटक किया फिर कहा- अब आज की सारी पूजा ख़त्म हुई.. अब कल पूजा करेंगे.. बस स्वास्तिक न निकल जाए.. इसका ध्यान रखिएगा..।
मैं बाहर चला गया.. फिर मैंने ज्योति के पति को फोन करके कहा- अब तुम ज्योति की माँ यानि की तुम्हारी सासूजी को फोन करके उनका हाल-चाल पूछो और ज़्यादा बात मत करना..।
तो ज्योति के पति ने कहा- ठीक है.. मैं अभी फोन करता हूँ..।
जब मैं वापिस आया तो सासूजी बहुत खुश दिख रही थीं.. मैं जानता था कि वो क्यों खुश हैं..। 
फिर भी मैंने अंजान बनने का नाटक करते हुए उनसे पूछा- क्या बात है.. आप बहुत खुश दिख रही हो..?
तब वो बोलीं- लगता है.. पूजा का असर हो रहा है.. अभी ज्योति के पति का फोन आया था और मेरा हाल-चाल पूछ रहे थे।
 
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