hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
तब मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- वाह.. ये तो ठीक है लेकिन हमें ऐसा करना है कि वो खुद यहाँ चल कर आए और ज्योति को अपने साथ ले जाए और इसके लिए आगे की विधि जो कल करनी है.. वो बहुत ही कठिन है।
तब वो कहने लगीं- कितनी भी कठिन विधि क्यों ना हो.. ज्योति के भले के लिए.. मैं वो करके रहूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
तो उन्होंने पूछा- कल कितने बजे विधि करनी है..?
तब मैंने कहा- कल सुबह मुझे बाहर जाना है और विधि भी रात को 10 बजे करनी है और शायद सुबह तक चले.. इसलिए दिन में आप आराम कर लेना।
वो बोलीं- ठीक है..।
जैसे-तैसे करके वो दिन गुजर गया और मैं दूसरे दिन रात का इंतज़ार करने लगा।
जब रात के 9 बजे.. तब मैं विधि की तैयारियां करने लगा और सासूजी को कहा- विधि कैसे करनी है.. ये आपको पता है.. तो आप नहा कर वैसे ही आना।
तब वो थोड़ी हड़बड़ाई.. क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहननी थी।
फिर भी वो अन्दर गईं और जब वो बाहर आई तो इतनी सेक्सी लग रही थीं.. कि मेरा मन चाहा कि उन्हें अपने आगोश में ले लूँ।
लेकिन ऐसा करता तो शायद काम बिगड़ जाता।
अब वो बोलीं- अब आगे क्या करना है..?
मैंने कहा- मुझे भी सिर्फ़ एक ही वस्त्र पहनना है और मैंने अपनी जीन्स निकाल कर अंडरवियर में आ गया और बोला- पहले मुझे अपने शरीर पर लेप लगाना है और फिर उस लेप से आपकी पीठ पर और पेट पर जो स्वास्तिक बनाया है उसे निकालना है.. लेकिन इस विधि में आप अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकती हो.. हाँ अगर आप चाहें तो मेरी मदद ले सकती हो.. लेकिन मैं भी अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकता हूँ।
तब वो बोलीं- ये कैसी विधि है कि हम हाथ का उपयोग किए बिना स्वास्तिक निकालें..?
तब मैंने कहा- ये आपको सोचना है.. मैंने कहा था ना कि आगे की विधि और कठिन है.. फिर भी अगर आपको ठीक नहीं लगता तो ये विधि को छोड़ देते हैं।
ये बात मैंने जान-बूझकर कही थी.. क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मैं जो सोच रहा था.. वो सच है या नहीं।
जब मेरे मुँह से विधि छोड़ने की बात सुनी तो सासूजी झट से बोलीं- नहीं.. नहीं.. विधि की वजह से तो कल ज्योति के पति का फोन आया था.. इसलिए कुछ तरकीब सोचते हैं और थोड़ी देर सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप तो सब जानते ही होंगे.. तो क्यों ना आप ही कोई तरकीब बताएं।
तब मैं बोला- मुझे पता था इसलिए मैं ये छोटी सी चौकी भी साथ लाया हूँ।
फिर मैंने सासूजी को चौकी पर खड़ा होने के लिए कहा। ये करने का सिर्फ़ एक ही मकसद था कि हमारी ऊँचाई एक सी हो जाए।
फिर वो चौकी पर खड़ी हो गईं और मैंने लेप को अपने कन्धों से लेकर पेट तक लगा दिया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और बोला- अब आप अपनी पीठ को मेरे शरीर पर लगे लेप से रगड़िए।
अब वो मुझे पूरा सहयोग दे रही थीं।
तब वो कहने लगीं- कितनी भी कठिन विधि क्यों ना हो.. ज्योति के भले के लिए.. मैं वो करके रहूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
तो उन्होंने पूछा- कल कितने बजे विधि करनी है..?
तब मैंने कहा- कल सुबह मुझे बाहर जाना है और विधि भी रात को 10 बजे करनी है और शायद सुबह तक चले.. इसलिए दिन में आप आराम कर लेना।
वो बोलीं- ठीक है..।
जैसे-तैसे करके वो दिन गुजर गया और मैं दूसरे दिन रात का इंतज़ार करने लगा।
जब रात के 9 बजे.. तब मैं विधि की तैयारियां करने लगा और सासूजी को कहा- विधि कैसे करनी है.. ये आपको पता है.. तो आप नहा कर वैसे ही आना।
तब वो थोड़ी हड़बड़ाई.. क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहननी थी।
फिर भी वो अन्दर गईं और जब वो बाहर आई तो इतनी सेक्सी लग रही थीं.. कि मेरा मन चाहा कि उन्हें अपने आगोश में ले लूँ।
लेकिन ऐसा करता तो शायद काम बिगड़ जाता।
अब वो बोलीं- अब आगे क्या करना है..?
मैंने कहा- मुझे भी सिर्फ़ एक ही वस्त्र पहनना है और मैंने अपनी जीन्स निकाल कर अंडरवियर में आ गया और बोला- पहले मुझे अपने शरीर पर लेप लगाना है और फिर उस लेप से आपकी पीठ पर और पेट पर जो स्वास्तिक बनाया है उसे निकालना है.. लेकिन इस विधि में आप अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकती हो.. हाँ अगर आप चाहें तो मेरी मदद ले सकती हो.. लेकिन मैं भी अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकता हूँ।
तब वो बोलीं- ये कैसी विधि है कि हम हाथ का उपयोग किए बिना स्वास्तिक निकालें..?
तब मैंने कहा- ये आपको सोचना है.. मैंने कहा था ना कि आगे की विधि और कठिन है.. फिर भी अगर आपको ठीक नहीं लगता तो ये विधि को छोड़ देते हैं।
ये बात मैंने जान-बूझकर कही थी.. क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मैं जो सोच रहा था.. वो सच है या नहीं।
जब मेरे मुँह से विधि छोड़ने की बात सुनी तो सासूजी झट से बोलीं- नहीं.. नहीं.. विधि की वजह से तो कल ज्योति के पति का फोन आया था.. इसलिए कुछ तरकीब सोचते हैं और थोड़ी देर सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप तो सब जानते ही होंगे.. तो क्यों ना आप ही कोई तरकीब बताएं।
तब मैं बोला- मुझे पता था इसलिए मैं ये छोटी सी चौकी भी साथ लाया हूँ।
फिर मैंने सासूजी को चौकी पर खड़ा होने के लिए कहा। ये करने का सिर्फ़ एक ही मकसद था कि हमारी ऊँचाई एक सी हो जाए।
फिर वो चौकी पर खड़ी हो गईं और मैंने लेप को अपने कन्धों से लेकर पेट तक लगा दिया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और बोला- अब आप अपनी पीठ को मेरे शरीर पर लगे लेप से रगड़िए।
अब वो मुझे पूरा सहयोग दे रही थीं।