kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया - Page 2 - SexBaba
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kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया

तब मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- वाह.. ये तो ठीक है लेकिन हमें ऐसा करना है कि वो खुद यहाँ चल कर आए और ज्योति को अपने साथ ले जाए और इसके लिए आगे की विधि जो कल करनी है.. वो बहुत ही कठिन है।
तब वो कहने लगीं- कितनी भी कठिन विधि क्यों ना हो.. ज्योति के भले के लिए.. मैं वो करके रहूँगी। 
मैंने कहा- ठीक है।
तो उन्होंने पूछा- कल कितने बजे विधि करनी है..?
तब मैंने कहा- कल सुबह मुझे बाहर जाना है और विधि भी रात को 10 बजे करनी है और शायद सुबह तक चले.. इसलिए दिन में आप आराम कर लेना।
वो बोलीं- ठीक है..।
जैसे-तैसे करके वो दिन गुजर गया और मैं दूसरे दिन रात का इंतज़ार करने लगा।
जब रात के 9 बजे.. तब मैं विधि की तैयारियां करने लगा और सासूजी को कहा- विधि कैसे करनी है.. ये आपको पता है.. तो आप नहा कर वैसे ही आना।
तब वो थोड़ी हड़बड़ाई.. क्योंकि सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहननी थी।
फिर भी वो अन्दर गईं और जब वो बाहर आई तो इतनी सेक्सी लग रही थीं.. कि मेरा मन चाहा कि उन्हें अपने आगोश में ले लूँ।
लेकिन ऐसा करता तो शायद काम बिगड़ जाता।
अब वो बोलीं- अब आगे क्या करना है..?
मैंने कहा- मुझे भी सिर्फ़ एक ही वस्त्र पहनना है और मैंने अपनी जीन्स निकाल कर अंडरवियर में आ गया और बोला- पहले मुझे अपने शरीर पर लेप लगाना है और फिर उस लेप से आपकी पीठ पर और पेट पर जो स्वास्तिक बनाया है उसे निकालना है.. लेकिन इस विधि में आप अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकती हो.. हाँ अगर आप चाहें तो मेरी मदद ले सकती हो.. लेकिन मैं भी अपने हाथ का उपयोग नहीं कर सकता हूँ।
तब वो बोलीं- ये कैसी विधि है कि हम हाथ का उपयोग किए बिना स्वास्तिक निकालें..?
तब मैंने कहा- ये आपको सोचना है.. मैंने कहा था ना कि आगे की विधि और कठिन है.. फिर भी अगर आपको ठीक नहीं लगता तो ये विधि को छोड़ देते हैं।
ये बात मैंने जान-बूझकर कही थी.. क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मैं जो सोच रहा था.. वो सच है या नहीं।
जब मेरे मुँह से विधि छोड़ने की बात सुनी तो सासूजी झट से बोलीं- नहीं.. नहीं.. विधि की वजह से तो कल ज्योति के पति का फोन आया था.. इसलिए कुछ तरकीब सोचते हैं और थोड़ी देर सोचने का नाटक किया और बोलीं- आप तो सब जानते ही होंगे.. तो क्यों ना आप ही कोई तरकीब बताएं। 
तब मैं बोला- मुझे पता था इसलिए मैं ये छोटी सी चौकी भी साथ लाया हूँ। 
फिर मैंने सासूजी को चौकी पर खड़ा होने के लिए कहा। ये करने का सिर्फ़ एक ही मकसद था कि हमारी ऊँचाई एक सी हो जाए।
फिर वो चौकी पर खड़ी हो गईं और मैंने लेप को अपने कन्धों से लेकर पेट तक लगा दिया और उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया और बोला- अब आप अपनी पीठ को मेरे शरीर पर लगे लेप से रगड़िए। 
अब वो मुझे पूरा सहयोग दे रही थीं।
 
सासूजी ने अपनी पीठ को मेरी छाती से लगाया और थोड़ा दूर रह कर पीठ को रगड़ने लगीं।
तब मैं बोला- अगर आप इस तरह दूर से स्वास्तिक निकालने की कोशिश करोगी तो शायद कल सुबह तक भी नहीं निकल पाएगा और विधि को हमें आज ही पूरा करना है। 
तब वो बोलीं- आप भी कुछ सहयोग करिए न..।
तो मैंने कहा- आपको बुरा तो नहीं लगेगा ना..?
तो उन्होंने कहा- इसमें बुरा लगने वाली क्या बात है..? आख़िर आप और मैं ये सब ज्योति के लिए ही तो कर रहे हैं।
तब मैं बोला- ठीक है..। 
सासूजी को ये सब अच्छा लग रहा था लेकिन मेरे द्वारा सब करवाना चाहती थीं।
जब उनकी तरफ से हरी झंडी मिली तो मैं उनके और करीब आकर उनसे चिपक गया।
मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था और मेरे अंडरवियर से बाहर आने को बेकाबू हो रहा था। 
फिर भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और सासूजी से कहा- आप भी तो मेरा सहयोग दीजिए। 
तब वो भी अपनी पीठ मेरी छाती पर रगड़ने लगीं.. जिनकी वजह से मेरा लण्ड कभी उनके गोल-गोल चूतड़ों पर रगड़ता.. तो कभी उनके वो चूतड़ों की दरार में घूम रहा था। 
सासूजी और उनकी गाण्ड मेरे लण्ड के स्पर्श को महसूस कर रहे थे.. करीब 10 मिनट रगड़ने के बाद पीठ वाला स्वास्तिक निकल गया और मैं पीछे से हट गया।
तब उनके चेहरे पर अजीब सा भाव दिख रहा था.. वो नहीं चाहती थीं कि मैं पीछे से हटूं.. लेकिन जब मैंने ये कहा- अब आपके पेट वाला स्वास्तिक निकालना है तब उनके चेहरे पर वो चमक फिर लौट आई।
फिर मैं उनके आगे आ गया और उनसे कहा- आप खड़े-खड़े थक गई होंगी.. थोड़ी देर आप बैठ जाइए.. तब-तक मैं अपने पेट पर फिर एक बार लेप लगा लेता हूँ।
तो वो बैठ गईं और मैंने अपने पेट पर लेप लगा लिया। 
 
फिर उनके सामने देखा तो वो वापिस आकर चौकी पर खड़ी हो गईं और जैसे ही मैंने अपना पेट उनके साथ चिपकाया और थोड़ा सा रगड़ा तो सासूजी ने जान-बूझकर अपना संतुलन थोड़ा बिगाड़ा और गिरने की एक्टिंग करने लगीं। 
तब मैंने उनको पकड़ लिया.. वो बोलीं- कब से खड़ी हूँ.. इसलिए ये हाल हुआ.. क्या ये विधि किसी और तरीके से नहीं हो सकती..?
और सच कहूँ तो सासूजी ने मेरे मुँह की बात छीनी थी.. क्योंकि मैं भी यही चाहता था।
मैंने कहा- ठीक है..
फिर मैं दीवार का सहारा लेकर दोनों पैरों को लंबा करके बैठ गया और सासूजी से कहा- अब आप आकर यहाँ बैठ जाइए।
तब सासूजी ने थोड़ा शरमाने का नाटक किया और आकर मेरे सामने मुँह करके मेरे पैरों के ऊपर बैठ गईं। लेकिन दोनों के पेट की दूरियां ज़्यादा थीं.. जिसकी वजह से स्वास्तिक नहीं निकल सकता था। 
तब मैंने थोड़ी हिम्मत करके उनकी कमर को पकड़ा.. तो उनकी साँसें थोड़ी तेज हो गईं.. लेकिन मैंने वहाँ ध्यान नहीं दिया और उनकी कमर को पकड़ कर मेरे पेट से उनके पेट को चिपका लिया। जिसकी वजह से मेरा लण्ड उनकी चूत को छूने लगा।
वो भी ये सब महसूस कर रही थीं। अब हम दोनों धीरे-धीरे एक-दूसरे के पेट को घिसने लगे.. हम दोनों कंट्रोल से बाहर थे फिर भी दोनों संयम रखते हुए ये कार्य कर रहे थे।
जब मुझसे नहीं रहा गया.. तब मैंने कहा- एक काम करो.. मैं जैसे करता हूँ.. आप भी वैसा ही करो ताकि स्वास्तिक जल्द निकल जाए।
तब सासूजी ने ‘हाँ’ में अपना सर हिलाया और फिर मैंने अपने दोनों हाथों को उनकी पीठ पर ले जाकर उन्हें अपनी बाँहों में ले लिया तो उन्होंने भी ऐसा ही किया।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चिपकाए हुए थे और मेरा लण्ड और उनकी चूत एक-दूसरे से चिपक गए थे।
अगर दोनों ने अंडरगार्मेंट्स नहीं पहने होते.. तो शायद कब के वो दोनों यानि कि मेरा लण्ड और सासूजी की चूत एक हो गए होते।
करीब 10 मिनट तक हम ये करते रहे और हम दोनों ने ये महसूस किया कि हम दोनों ही झड़ चुके हैं।
लेकिन दोनों में से कोई भी अपने मुँह से ये बोलना नहीं चाहते थे.. इसलिए मैंने पहल की और मैंने कहा- अब स्वास्तिक निकल गया होगा.. 
सचमुच में स्वास्तिक निकल गया था। फिर हम बारी-बारी से स्नान करने चले गए और स्नान करके वापिस आए तो रात का एक बज गया था। 
सासूजी मुझसे नशीली आवाज में बोलीं- अब क्या करना है..?
वैसे तो मैंने पूरी विधि उन्हें पहले ही लिख कर दे चुका था.. फिर भी वो मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं और एक बात मैंने नोटिस की कि सासूजी अब मुझसे शरमा नहीं रही थीं। 
तब मैंने उन्हें दो डिब्बे दिए। जिसमें से एक में मांड और दूसरे में मलाई थी। 
 
मैंने कहा- अब आपको पहले इसमें से आधे मांड को अपने शरीर पर लगाना है और मुझे उसे चाट कर खाना है और बाद में ये मलाई के डिब्बे में से मुझे अपने शरीर पर मलाई लगानी है और उसे आपको चाट कर खाना है.. पर इसके लिए आपको निर्वस्त्र होना पड़ेगा..। 
तब वो मेरे सामने देखने लगीं.. मुझे लगा शायद वो मना कर देंगी.. लेकिन सासूजी ने डिब्बा लिया और अन्दर के कमरे में चली गईं..।
थोड़ी देर बाद सासूजी आकर चौकी पर खड़ी हो गईं।
जब मैंने देखा तो देखता ही रह गया.. वो पूरी तरह से नंगी खड़ी थीं और नजरें नीचे झुका रखी थीं.. शायद पहली बार वो किसी पराए मर्द के सामने ऐसे आई थीं।
मैंने उन्हें सर से लेकर पाँव तक देखा और थोड़ी देर के लिए मुझे ऐसा लगा कि मानो मेरे दिल ने धड़कना बन्द कर दिया हो।
उनकी बड़ी-बड़ी चूचियों जिन पर मांड लगाने से वे और चमक रही थीं।
फिर मेरी नज़र उनकी मांड से लगी चूत पर गई.. मेरा जी चाहा कि तुरंत जाकर एक चुम्बन कर लूँ। 
फिर मेरे मन में विचार आया कि मैं भी ये क्या सोच रहा हूँ.. वैसे भी मुझे उनके पूरे शरीर को चूमना ही है और मैंने अपने आप पर संयम रखते हुए उनके करीब गया और घुटनों के बल उनके पाँव के पास बैठ गया।
तब सासूजी ने शर्म के मारे अपनी आँखें बन्द कर लीं और पीछे को मुड़ गईं।
फिर मैंने उनके दोनों पाँवों को बारी-बारी चाट कर सारा मांड निकल लिया और खड़ा होकर उनकी पीठ से भी मांड चाट लिया। 
मैंने जान-बूझकर उनकी गाण्ड को रहने दिया था।
तब उन्होंने पूछा- हो गया..?
मैंने कहा- थोड़ा बाकी है..। 
फिर मैं वापिस घुटनों के बल बैठा और उनकी गाण्ड पर जैसे ही जीभ लगाई.. वो सिहर सी गईं।
हाय.. उनकी गाण्ड.. क्या मस्त मुलायम थी..
करीब 10 मिनट तक मैं मांड चाटने के बहाने उनकी गाण्ड चाटता रहा। 
फिर मैंने कहा- इधर का हो गया.. अब आगे की चाटना है.. पलट जाओ..
तब वो आँखें बन्द किए ही आगे की ओर पलट गईं। फिर मैंने आगे से उनके एक पाँव को अपने हाथ में लिया और उनके पैर की ऊँगलियां चाटने लगा और धीरे-धीरे करके दोनों पाँवों को जाँघों तक चाट कर सारा मांड निकाल दिया।
फिर थोड़ा और ऊपर होकर उनके पेट से भी सारा मांड साफ़ कर दिया.. फिर मैं खड़ा हो गया। 
अब बारी थी उनकी चूचियों को चूसने की। 
मैंने उनके हाथों को पकड़ कर जैसे ही उनकी एक चूची को मुँह में लिया.. तो वो उत्तेजना में कांपने लगीं। 
“ऊऊओह माय गॉड.. उनकी चूचियाँ.. क्या रस से भरी मस्त रसीली थीं..
फिर मैंने बारी-बारी उनकी दोनों चूचियों को चूस कर सारा मांड निकाल दिया और मैं खड़ा हो गया।
 
अब तो उन्हें भी ये सब बहुत अच्छा लग रहा था.. इसलिए जब मैं उनकी चूत से बिना मांड निकाले खड़ा हुआ तो वो बोलीं- नीचे का सारा मांड निकल चुका है ना..?
तब मैंने कहा- अभी थोड़ा है.. वो बाद में निकालूँगा..।
वो कुछ नहीं बोलीं.. और मन ही मन बाद में चूत चाटने की बात से खुश हो गईं।
मैं खड़े होकर उनके चेहरे को चूसने लगा फिर उनके होंठों को छोड़ कर पूरे चेहरे से मांड निकाल लिया।
अब वो भी जानती थीं कि मैं कौन सी जगह से मांड निकालने वाला हूँ।
मैंने जैसे ही उनके होंठ से मेरे होंठ को लगाया तो सासूजी ने संतुलन खोने का नाटक करते हुए मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया।
फिर क्या था.. मैंने भी अपना एक हाथ उनके सर के पीछे ले जाकर उनके बालों को पकड़ कर उनके होंठ चूसने लगा। मैं अपनी पूरी जीभ उनके मुँह में डाल कर उनकी जीभ को टटोल रहा था और सासूजी भी इतनी मदहोश हो चुकी थीं कि वो भी मेरी जीभ को अपनी जीभ से टटोल रही थीं।
करीब 5 मिनट तक मैं उन्हें मांड निकालने के बहाने उनको चूमता रहा।
फिर मैं उनसे दूर हटने जा रहा था लेकिन वो इतनी कामुक और अधीर हो गई थीं कि मेरे हाथ नहीं छोड़ रही थीं। 
फिर भी मैं उनसे दूर हो गया.. अब मेरी भी हिम्मत खुल चुकी थी और मैं जान चुका था कि आज सासूजी को चोदने का मेरा ख्वाब जरूर पूरा होगा।
फिर मैं उनके दोनों पैरों के सामने घुटनों के बल बैठा और मैंने उनकी दोनों टाँगों को पकड़ कर थोड़ा फैलाया.. जिसकी वजह से उनकी रसीली चूत के दर्शन हुए। अब धीरे से मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी.. उनका पूरा शरीर काँप रहा था और वो अति चुदासी हो कर सिसकियां भर रही थीं।
तब मैंने अपनी पूरी जीभ उनकी चूत में डाल दी.. सासूजी के मुँह से, “उफ.. हाय..ईई.. उंम्माआआह.. हय.. उई.. हे..भगवानन्.. क्या.. मस्त विधिईईईई.. है.. मेरीइईई.. हालतत्त.. बुरीईई हो रहिईईईई है..ईए..” 
मैं पूरी तरह से उनकी चूत को चाट कर खड़ा हो गया। 
मैंने देखा तो उनकी चूत से अब भी पानी निकल रहा था.. वो झड़ चुकी थीं..। 
फिर वो लड़खड़ाते हुए कदमों से बाथरूम में गईं और दूसरी ब्रा और पैन्टी पहन कर आ गईं..। 
उनके चेहरे से लग रहा था कि वो मुझसे ये कह रही हों कि इतना कुछ होने के बाद भी मैंने क्यों उन्हें चोदे बिना छोड़ दिया। 
आप लोग भी शायद यही सोचते होंगे.. 
लेकिन दोस्तों मुझे भी अपना लण्ड उन्हें चुसवाना था.. इसलिए जब वो आईं तो मैंने उन्हें कहा- आप थोड़ी देर अन्दर रुकी रहें.. मैं ये मलाई के डिब्बे से अपने शरीर पर मलाई लगा लूँ..।
तब वो मुस्कुराती हुई अन्दर चली गईं।
फिर मैं पूरी तरह से नंगा हुआ और मलाई मेरे चेहरे पर और लण्ड पर लगा कर उन्हें आवाज़ दी, “अब आप आ जाइए..”
वो आकर थोड़ी शरमाते हुए बोलीं- आपने अपने पूरे शरीर पर मलाई नहीं लगाई..?
तब मैंने कहा- शरीर के जो भाग में बाल हैं.. वहाँ मलाई नहीं लगानी है।
तब उन्होंने तिरछी नज़र से मेरे खड़े लण्ड की ओर देखा कि मैंने वहाँ मलाई लगाई है कि नहीं.. लेकिन मैं पहले ही अपने लौड़े के पूरे बाल साफ़ कर चुका था। वहाँ कोई बाल ना होने की वजह से मैंने सबसे ज़्यादा मलाई मेरे लण्ड पर ही लगा रखी थी। जिसकी वजह से वो मेरा लण्ड पूरी तरह से देख नहीं पा रही थीं। 
थोड़ी देर हम दोनों चुपचाप खड़े रहे.. फिर मैंने चुप्पी तोड़ी और बोला- विधि को आगे बढ़ाया जाए..?
तब उनके चेहरे पर एक अद्भुत चुदास की चमक आ गई और बोलीं- मुझे शर्म आ रही है.. इसलिए आप अपनी आँखों पर पट्टी बाँध लीजिए और दीवार के सहारे से खड़े हो जाइए।
मैं उसकी बात सुनकर सोचने लगा कि विधि मैं करवा रहा हूँ या वो..
फिर मैंने अपनी आँख पर पट्टी लगाई और दीवार का सहारा लेकर खड़ा हो गया।
 
इन सब बातों से मेरा लण्ड किसी रॉड की तरह खड़ा हो गया था।
फिर सासूजी मेरे पास आईं और मेरे सर को जीभ से चाटने लगीं।
दोस्तों क्या बताऊँ.. मेरा तो हाल बेहाल हो गया था। 
फिर सासूजी ने मेरे पूरे चेहरे को अपनी कोमल जीभ से साफ़ कर दिया.. इसके बाद सासूजी ने अपने कोमल होंठों को मेरे होंठों पर रखे और चूसने लगीं।
वो मेरे होंठों को ऐसे चूस और चाट रही थीं.. जैसे कि आइसक्रीम चाट रही हों..। 
फिर सासूजी ने मेरी ओर देखा कि मैं कहीं से देख तो नहीं रहा हूँ ना.. क्योंकि हम-दोनों जानते थे कि आगे क्या होने वाला है।
फिर वो मेरे सामने आकर घुटनों के बल बैठ गईं और अब कांपने की बारी मेरी थी। 
मैंने अपने आप पर संयम रखा और चुपचाप खड़ा रहा।
फिर वे अपनी कोमल मक्खन जैसी जीभ को मेरे लण्ड के पास लाईं और मेरे लण्ड पर जीभ फिराते हुए उसको अपने मुँह में ले लिया.. लेकिन लण्ड की साइज़ बड़ी होने की वजह से मेरा पूरा लण्ड उनके मुँह में समा नहीं रहा था।
लेकिन वो इतनी कामुक हो गई थीं कि मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
फिर लण्ड को बाहर निकल कर बाकी के आधे लण्ड को अपनी जीभ से चाट कर पूरा लण्ड साफ़ कर दिया।
मैं आँख पर लगाई हुई पट्टी के नीचे से सब कुछ देख रहा था।
वो उन्हें पता नहीं था.. 
जब मैंने देखा कि लण्ड पूरी तरह से साफ़ हो चुका है.. तब मैंने कहा- हो गया ?
तब वो बोलीं- अभी थोड़ा सा बाकी है.. 
मैं समझ गया कि सासूजी मेरे लण्ड को और चूसना चाहती थीं। ये सोच कर मेरा लण्ड और फड़फड़ाने लगा और झटके मारने लगा। 
मुझे महसूस हो रहा था कि अगर सासूजी जल्द से लण्ड को अपने मुँह में नहीं लेगीं.. तो शायद बाहर ही लण्ड से पानी का फुव्वारा छूट जाएगा। 
फिर सासूजी ने मेरे दोनों पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया। 
मुझे महसूस हो रहा था कि वो मेरे लण्ड के सुपारे पर अपनी जीभ घुमा रही हैं और मेरा लण्ड भी उनके मुँह में झटके मार रहा था। 
अब मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए करीब 10 मिनट के बाद.. जैसे पिस्टल से बुलेट छूटती है.. ठीक उसी रफ़्तार से मैंने उनके मुँह में लण्ड से पानी छोड़ा.. 
आह्ह.. और ये मैं क्या महसूस कर रहा हूँ.. मुझे ऐसा लगा था कि लण्ड से निकला सारा पानी.. सासूजी बाहर निकाल देंगी.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. सासूजी ने लण्ड से निकला सारा पानी मिल्क-शेक की तरह पी लिया। 
अब मैं भी पानी छूटने की वजह से थोड़ा ठंडा हुआ.. तो अचानक मेरे मुँह से निकल गया- अब विधि सम्पन्न हुई। 
मैं अपनी आँख पर लगी पट्टी को हटा कर स्नान करने चला गया। 
जब वापिस आया तो मैंने सासूजी का मायूस सा चेहरा देखा। वो कुछ सोच रही थीं और मैं जानता था कि वो क्यों मायूस थीं और क्या सोच रही थीं।
क्योंकि मेरे मुँह से विधि सम्पन्न हुई.. ये बात सुनकर सासूजी का मुझसे चुदवाने का ख्वाब.. बस ख्वाब ही रह गया था। 
मैं भी मन ही मन यही सोच रहा था कि ये मेरे मुँह से क्या निकल गया.. लेकिन दोस्तों मैं यही चाहता था कि सासूजी यही समझें कि ये सब मैंने सिर्फ़ ज्योति की भलाई के लिए किया है। 
अब मैं बस यही चाहता था कि सासूजी खुद अपने मुँह से मुझसे चुदवाने के लिए मुझसे कहें और मुझे पक्का यकीन था कि वो ऐसा कहेंगी। 
तीन दिन बाद मेरी छुट्टियाँ पूरी हुईं और मैंने जॉब ज्वाइन कर ली। 
 
अब तो सासूजी भी मुझसे फ्री होकर बातें करने लगी थीं। शाम को जब मैं घर आया तो सासूजी ने मेरे लिए चाय बनाई और हम दोनों चाय पीने लगे।
चाय पीते-पीते सासूजी ने मुझसे कहा- आपने जो विधि की.. उसकी वजह से मुझे पूरा यकीन है कि अब ज्योति के ससुराल वाले उसे यहाँ से ले जाएंगे.. क्योंकि आज उनकी सास का फोन आया था और अगले हफ्ते उसे ले जाने की बात कर रही थीं, लेकिन…
“लेकिन” कह कर सासूजी चुप हो गईं.. तब मैंने कहा- लेकिन क्या..?आपको जो भी कहना है बेहिचक कह सकती हो..।
तब सासूजी थोड़ा शर्मा कर बोलीं- मुझे जानना है कि ऐसी कोई विधि है कि जो करने से ज्योति और उसके पति और पास आएं और जल्द से जल्द ज्योति माँ बन जाए.. अगर उसे बच्चा हो जाएगा तो उन दोनों के बीच मन-मुटाव नहीं होंगे और उनके ससुराल वाले भी ज्योति से खुश रहेंगे। 
मैं समझ गया कि सासूजी क्या कहना चाहती हैं.. वो मुझसे चुदवाने के लिए बेताब हो चुकी थीं और मुझसे विधि के नाम पर चुदवाना चाहती हैं। 
लेकिन मेरे मुँह से सुनना चाहती थीं.. इसलिए मैंने कुछ देर सोचने का नाटक किया और बोला- सासूजी विधि तो है.. लेकिन बहुत कठिन है.. शायद आपसे नहीं हो पाएगा..। 
तब सासूजी बोलीं- कितनी भी “कठिन” विधि क्यों ना हो… मैं ‘करवाने’ के लिए तैयार हूँ.. आप बताइए तो सही.. 
तब मैंने सासूजी को कहा- ये विधि सिर्फ़ पति-पत्नी या औरत-मर्द साथ में मिलकर ही कर सकते हैं।
तब वो बोलीं- यह तो सचमुच कठिन है क्योंकि ज्योति के पापा तो नहीं रहे और आप तो जानते हैं कि मेरा कोई देवर भी नहीं है.. जिनके साथ मिलकर विधि की जाए..। 
वो अपना चुदास भरा चेहरा गंभीर बनाने का नाटक करते हुए कुछ सोचने लगीं।
तब मुझे लगा कि शायद मेरा प्लान फेल हो जाएगा.. तभी वो अचानक बोलीं-
दामाद जी.. आपने कहा ना कि औरत-मर्द साथ मिलकर भी विधि कर सकते हैं
मैंने सर को ‘हाँ’ में हिलाया। 
तो वे अपने चेहरे पर शर्म के भाव लाते हुए बोलीं- क्या आप और मैं मिलकर ये विधि नहीं कर सकते..?
तब मैं भी शरमाने का नाटक करते हुए बोला- सासूजी जानती हैं.. आप क्या कह रही हो? इस काम के लिए हम दोनों को पति-पत्नी बनना होगा और अगर आप ये विधि करने का अपने मन में जब से संकल्प करती हो.. तब से लेकर विधि पूर्ण होने के 24 घंटे बाद तक आपको उन नियमों का पालन करना पड़ेगा। हम दोनों को पति-पत्नी की तरह बात करनी होगी और हर वो काम करना होगा.. जो एक पति-पत्नी करते हैं।
तब सासूजी बोलीं- मैं समझ सकती हूँ लेकिन.. ज्योति के लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूँ ना.. और क्या आप मेरा साथ नहीं दे सकते हैं..? आप भी जानते हैं कि मैं आपके सिवा और किसी का ‘साथ’ नहीं ले सकती हूँ।
अब तो सासूजी भी मुझसे खुलकर बातें कर रही थीं।
मैंने कहा- ठीक है.. कल मैं सब सामान ले आऊँगा और कल विधि करेंगे।
वे खुश सी दिखीं।
फिर मैंने बोला- आपके पास आपकी शादी की साड़ी और चाचा जी के कपड़े तो होंगे ना?
तब वो बोलीं- क्यों?
मैंने कहा- पहले हमें शादी बनानी होगी.. तब हम विधि पूर्वक पति-पत्नी बनेंगे। 
उन्होंने कहा- हाँ सब कुछ पड़ा है.. लेकिन आपके चाचा के कपड़े नहीं हैं।
तब मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं किराए से शेरवानी आदि ले आऊँगा। 
‘हाँ.. ये ठीक रहेगा..’
मैंने सासूजी की चुदास को भांप लिया और कहा- अभी खाना खाने के बाद ही सब सामान ले आता हूँ।
सासूजी ने कहा- हाँ ठीक है.. जैसा आपको ठीक लगे.. और हँसते-हँसते बोलीं- कल शादी है.. तो क्या कल आप छुट्टी नहीं ले सकते?
मैंने कहा- आपका हुक्म सर आँखों पर.. कल सुबह फोन करके बोल दूँगा।
फिर वो खाना बनाने रसोई में गईं और मैं सामान लेने बाज़ार गया।
 
करीब एक घंटे बाद मैं सामान लेकर आ गया और साथ में सासूजी के लिए एक नई लाल रंग की ब्रा और पैन्टी का सैट भी ले आया। 
तब तक खाना बन चुका था और सासूजी सामान अन्दर रखने के लिए गईं और मुझे आवाज़ दी- अजी सुनते हो?
मैंने चौंक कर उनकी ओर देखा तो सासूजी ने ब्रा और पैन्टी वाला पैकेट मुझे बताते हुए पूछा- ये किसके लिए है?
मैंने कहा- ये मेरी होने वाली पत्नी यानि कि आपके लिए है..
सासूजी खुश हुईं और बोलीं- राज मुझे लगता है कि आपने अभी तक मन से मुझे अपनी पत्नी बनाने का संकल्प नहीं किया है। 
मैंने कहा- अगर ऐसा होता तो मैं आपके लिए ब्रा और पैन्टी का सैट क्यों लाता और आपको क्यों ऐसा लगा कि मैंने संकल्प नहीं किया है।
तब सासूजी बोलीं- मुझे इसलिए लगा कि आप ही कहते हो कि जब से मन में संकल्प करें.. तब से हमें पति-पत्नी जैसा ही बर्ताव करना है और आप ही ऐसा नहीं कर रहे हैं.. फिर हँसते हुए बोलीं- क्या आप रेशमा को ‘आप’ कह कर बुलाते हो?
मैंने कहा- नहीं..
तब सासूजी बोलीं- तो आप मुझे ‘आप-आप’ कह कर क्यों बुलाते हो.. इसलिए मुझे लगा कि आपने संकल्प नहीं किया होगा।
मैंने कहा- ऊऊओह.. तो ये बात है.. सॉरी यार..
वो मेरे मुँह से ‘यार’ शब्द सुनकर खिल उठीं। 
फिर हमने साथ मिलकर खाना खाया और सासूजी बर्तन धोने लगीं। हम दोनों सोच रहे थे कि कैसे एक-दूसरे से बात करें। 
मेरी नज़रें सासूजी की मटकती गाण्ड पर टिकी थीं.. तभी अचानक सासूजी ने मेरी ओर देखा.. तो मैंने नजरें हटा लीं। लेकिन सासूजी ने मुझे देख लिया था..
इसलिए वो बोलीं- ऐसे क्या देख रहे थे मेरे होने वाले सैया?
उनके मुँह से ये सुनकर मेरा लण्ड पजामे में फड़फड़ाने लगा था। 
तब सासूजी ने वापिस पूछा.. तब मैं उठ कर सासूजी के पीछे खड़ा रहा और अपने खड़े हुए लण्ड को उनकी गाण्ड से सटा कर हल्के से धक्का मारते हुए बोला- आपका होने वाला पति ये देख रहा था.. 
मैं ये कह कर थोड़ा सा पीछे हो गया..
तब सासूजी भी कहाँ हार मानने वाली थीं।
उन्होंने भी अपनी गाण्ड से मेरे तने हुए लण्ड को दबाया और हँसते-हँसते बोलीं- इनका कुछ नाम भी होगा ना?
मैं समझ गया कि सासूजी मेरे मुँह से खुलम्म-खुल्ला सेक्सी बातें सुनना चाहती हैं। 
इसलिए मैंने भी शर्म छोड़ कर उनकी गाण्ड से मेरा लण्ड पूरी तरह से चिपका कर बोला- आपका…
तभी वो मेरी बात को काट कर बोलीं- आपने फिर से ‘आपका…’ कहा..
तब मैं सेक्सी अंदाज़ में बोला- सॉरी.. तुम्हारा होने वाला पति अपनी होने वाली पत्नी की मुलायम गाण्ड के दर्शन कर रहा था।
तब मैंने नोटिस किया कि सासूजी की साँसें थोड़ी तेज हो गई थीं और थोड़ा वो काँपते हुए बोलीं- क्या.. आपको अपनी होने वाली पत्नी की गाण्ड अच्छी लगती है?

तब मैंने अपने लण्ड को और थोड़ा सासूजी की गाण्ड से दबाया और बोला- हाँ.. मेरी प्रिया रानी.. मुझे तेरी गाण्ड बहुत पसंद है..
सासूजी ने कहा- क्क्य्या.. आअपप उसे छूना नहीं चाहोगे?
तब मैं घुटनों के बल बैठा और सासूजी की दोनों जाँघों को पकड़ कर उनकी गाण्ड पर एक लंबी सी चुम्मी की।
तब सासूजी की साँसें और भी तेज हो गईं और उनके चेहरे के भाव यही बयान कर रहे थे कि राज प्लीज़.. मुझे अभी के अभी चोद कर मेरी चूत की खुजली मिटा दो।
लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और खड़ा होकर वापिस बाहर के कमरे में चला गया।
जैसे-तैसे करके रात और आधा दिन कट गया और शाम के 4 बज गए।
मैंने सासूजी को कहा- मैं होटल जाकर रात के लिए खाना ले आता हूँ क्योंकि खाना पकाने का वक्त नहीं रहेगा। 
मैं गया और आधे घंटे के बाद खाना लेकर आ गया और मैंने सासूजी से कहा- प्रिया डार्लिंग.. तुम रेडी हो जाओ.. और मैं भी हो जाता हूँ।
अब मैं सासूजी को उनके नाम से और तुम कह कर बुलाने लगा था।
तब वो बोलीं- ठीक है राज डियर..
फिर हम दोनों अपने-अपने कमरों में तैयार होने चले गए और आधे घंटे के बाद मैं तैयार होकर बाहर आ गया। 
मैं विधि की सब तैयारियां करके सासूजी का इन्तजार करने लगा।
 
करीब एक घंटे के बाद सासूजी कमरे से बाहर आईं.. तो मैं उन्हें देखता ही रह गया।
उन्होंने लाल रंग की साड़ी और मैचिंग का ब्लाउज पहना हुआ था।
इस उम्र में भी वो इतनी सेक्सी और हॉट लग रही थीं कि एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं उन्हें अपनी बाँहों में ले लूँ.. लेकिन फिर ख्याल आया कि आज तो उनके साथ शादी है.. फिर सुहागरात भी मनानी है।
तो मैंने अपने आपको संभाला और उसे देखता रहा।
वो आकर बोलीं- राज.. मैं तैयार हूँ और शर्मा कर बोलीं- राज डार्लिंग.. मैं कैसी लग रही हूँ?
तब मैं बोला- तुम इतनी सुंदर लगती हो कि तुम्हें अपनी बाँहों में समाने को जी चाहता है।
तब वो बोलीं- थोड़ी देर और धीरज रखो मेरे होने वाले पति.. कुछ ही पल बाकी हैं, एक बार हमारी शादी हो जाए.. फिर मैं ऊपर से नीचे तक आपकी ही हूँ.. तब आप जो चाहे कर लेना।
मैंने कहा- ओके मेरी प्रिया डार्लिंग.. तब वो मुस्कुराने लगी।
शादी की सारी विधि मैंने अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर ली थी।
फिर मैंने अग्नि जलाई और मोबाइल चालू करके विधिपूर्वक हम दोनों ने शादी की।
मैंने सासूजी की सूनी माँग में सिंदूर भरा और उसे मंगलसूत्र पहनाया। तब वो भी एक नई दुल्हन की तरह मेरे पैर छूने को नीचे झुकी.. मैंने उनके कन्धों को पकड़ कर उन्हें खड़ा किया और अपनी बाँहों में भर लिया। 
मैंने बोला- प्रिया.. तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं.. मेरे दिल में है।
मैंने उसे कस कर जकड़ लिया।
सासूजी ने भी मुझे कस कर जकड़ा.. करीब दस मिनट तक हम एक-दूसरे के आलिंगन में बंधे रहे।
अब तक रात के 8 बज चुके थे.. फिर हमने साथ मिल कर खाना खाया और घर का सारा काम निपटाने में और 1 घंटा चला गया।
रात के 9 बज चुके थे.. मैंने सासूजी को फूलों की थैली दी और सासूजी हमारी सुहाग की सेज सजाने अन्दर चली गईं।
थोड़ी देर बाद सासूजी ने आवाज़ दी- सुनते हो जी.. बिस्तर लग चुका है..
मैंने बाहर के कमरे की लाइट और टीवी ऑफ किया और सासूजी के साथ सुहागरात मानने उस कमरे में चला गया जिधर सुहाग की सेज तैयार थी। सासूजी भी मेरा बेसब्री से इंतज़ार कर रही थीं।
मैंने सासूजी को खड़ा किया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया और मैंने उनके गालों पर.. कान पर.. चुम्बन किया और फिर सासूजी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। 
मैं करीब 10 मिनट तक उन्हें चुम्बन करता रहा और करीब आधे घंटे तक हम दोनों एक-दूसरे के शरीर को चूमते रहे। 
वो कह रही थी- राज.. आपने मुझे बहुत तड़फाया है। 
मैं भी उन्हें सेक्सी अंदाज़ में जवाब दे रहा था- प्रिया.. तूने भी मुझे बहुत तड़फाया है.. जबसे मैंने तुम्हें देखा है तब से कोई दिन ऐसा नहीं गया होगा कि मैंने तुम्हें ख्बावों में ना चोदा हो.. 
मेरे मुँह से ये सुनकर वो भी अपने चेहरे पर कामुकता लाकर बोलीं- राज.. मैं भी कब से आपके पास चुदवाना चाहती थी.. लेकिन बदनामी से डर रही थी। ये भगवान की मर्ज़ी ही है कि मेरी चूत और आपके लण्ड को.. ज्योति की वजह से एक-दूसरे को मिलने का मौका मिला है और यह मौका मैं गंवाना नहीं चाहती हूँ।
फिर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी और उसने भी मेरी शेरवानी निकाल दी।
अब वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में और मैं पज़ामे में था।
हम दोनों खड़े थे.. फिर मैं खड़े-खड़े ही उसके पीछे गया और पीछे से उसे अपनी बाँहों में समा लिया और उसके गले को चुम्बन करने लगा।
मेरे दोनों हाथ उसकी दोनों चूचियों पर थे.. मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसकी चूचियां थोड़ी सख़्त हो गईं। 
फिर मैंने अपने दोनों हाथों की पहली दो-दो ऊँगलियों के बीच में उनके निप्पल को पकड़ लिया और ऊँगलियों से मसलने लगा।
 
वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.. इसलिए वो अपना दाहिना हाथ पीछे लाईं और मेरे लण्ड को पज़ामे के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगीं, बोलीं- ऊओह.. राज आपका लण्ड कितना बड़ा है.. एक बार अपने मुँह में लेने के बाद भी.. अभी ऐसा अहसास हो रहा है कि पहली बार ही आपके लण्ड को छू रही हूँ..। 
मैंने अपने दोनों हाथों को फैला कर उनकी दोनों चूचियों पर रख दिए और धीरे-धीरे दबाने लगा और वो भी अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर मेरे लण्ड को और तेज़ी से सहलाने लगीं।
मैं धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा और सारे हुक खोल कर उनका ब्लाउज निकाल दिया। फिर मैं अपना हाथ उनके पेटीकोट पर ले गया और पेटीकोट के नाड़े को अपने हाथ में लिया.. तभी सासूजी ने भी मेरे पज़ामे का नाड़ा पकड़ लिया और हम दोनों ने एक साथ एक-दूसरे के नाड़े खींच दिए।
ऐसा लगा कि किसी दुकान का फीता काट कर उदघाटन हुआ हो।
हम दोनों ही हँस पड़े.. और इसी के साथ हम दोनों सिर्फ़ चड्डियों में रह गए थे।
मैंने थोड़ा पीछे होकर उसकी ब्रा के भी हुक खोल दिए।
फिर मैंने अपने लण्ड को सैट करके उनकी गाण्ड के छेद में लगा करके उनसे चिपक गया।
वो भी अपनी गाण्ड का दबाव मेरे लण्ड पर बढ़ा रही थीं।
मैं उनकी दोनों नंगी चूचियों पर अपना हाथ रख कर उन्हें दबाने लगा। उनके मस्त मम्मे दबाते-दबाते मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उनकी चूत पर रख दिया। 
तब सासूजी ने एक लंबी साँस ली और अपने दोनों पैरों के बीच में मेरे हाथ को ज़ोर से दबा लिया।
मैं अपना एक हाथ उनकी चूत पर और एक हाथ उनकी चूचियों पर रख कर करीब 10 मिनट तक दबाता रहा।
सासूजी ने भी अपने दोनों हाथों को पीछे लाकर.. मेरे लण्ड को दबाना चालू कर दिया।
मुझे लगा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो शायद हम दोनों ही झड़ जाएँगे। इसलिए मैं दूर हट गया और सासूजी को उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।
अब हम पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। फिर मैं अपना मुँह सासूजी के पैरों के पास ले गया और उनके पैरों को चूमने लगा और चूमते-चूमते उनकी जाँघों तक आ गया। मैं उनकी दोनों मुलायम जाँघों को बारी-बारी से चूमता रहा।
सासूजी भी छटपटा रही थीं और अपने दोनों पैरों को ऊपर-नीचे कर रही थी। 
फिर मैं 69 की अवस्था में आ गया और अपने दोनों पैरों को फैला कर उनके सर को बीच में ले लिया। अब मैंने उनकी दोनों जाँघों को पकड़ कर उनकी चूत को थोड़ा सा ऊपर किया और उनकी चूत पर जीभ को रख दिया।
जीभ के चूत पर पाते ही सासूजी का पूरा शरीर कांप उठा और सासूजी ने मेरे दोनों पैरों को पकड़ लिए, मैंने ऊँगली से सासूजी की चूत को थोड़ा फैलाया और उनकी चूत में जीभ को अन्दर तक डाल दी।
अब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो सासूजी ने भी एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया लेकिन मेरा लण्ड इतना मोटा और लंबा था कि सासूजी के मुँह में समा नहीं रहा था फिर भी सासूजी मेरे लण्ड को तेज़ी से अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थीं वे मुझसे चुदासी हो कर कह रही थीं- ऊऊहह राज्जजज.. अब्ब्ब्ब.. सहहन.. नहीं होता.. प्प्प्ल्ल्लीज..
करीब 5 मिनट तक सासूजी मेरे लण्ड को और मैं उनकी चूत को अपनी-अपनी जीभ से चोदते रहे।
फिर मैं उठा और सासूजी के दोनों पाँवों को फैला कर बैठ गया, सासूजी समझ चुकी थीं कि अब उनकी सूनी चूत को लण्ड का स्वाद चखने को मिलेगा। 
तब मैंने तकिया लिया और उनकी गाण्ड के नीचे रख दिया जिसकी वजह से उनकी चूत थोड़ी ऊपर आई और सासूजी की चूत का दाना मेरे लण्ड को दावत देने लगा, मैं लण्ड को हाथ में पकड़ कर सासूजी के चूत के दाने पर रगड़ने लगा.. तब वो पूरी तरह से लण्ड लेने को बेताब हो चुकी थीं, वो अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर मेरे लण्ड को चूत में अन्दर लेने की कोशिश कर रही थीं।
 
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