hotaks444
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ससुराल सिमर का—14
गतान्क से आगे……………
रजत भैया एकदम सुबह आफ़िस जाते थे, सुबह दस बजे मैं चोद कर आफ़िस जाता था, फिर माँ चढती थी अपनी लाडली बहू पर और शाम को वापस आकर रजत चोदता था इसे एक मिनिट को खाली नहीं रखते थे, इसकी मादक जवानी को पूरे दिन चखते थे, रात को सब मिल बाँट कर खाते थे, वैसा ही कुछ तुम्हारे और माँ के साथ अब होगा दो तीन दिन"
"पर मुझे बाँध क्यों दिया जीजाजी?"
"अरे नहीं तो मुठ्ठ मार लोगे, मुझे मालूम है क्या हाल होता है, पागल हो जाती थी मैं चुदासी से तेरे झडने पर अब हमारा कंट्रोल रहेगा भैया अरे टुकूर टुकूर क्या देख रहे हो, अब जन्नत का मज़ा लोगे तुम दोनों! ख़ासकर माँ को तो आज मैं और सासूजी देखेंगे प्यार से बीच बीच में तुझे देख जाया करेंगे वैसे ये मेरे पति और जेठजी तुम्हारा ख़याल रखेंगे" दीदी मेरे लंड को मुठियाते हुए बोली फिर जीजाजी से बोली "चलो, पहला नंबर किसका है?"
जीजाजी बोले "मैं नहाने जा रहा हू, आकर पहले ज़रा मांजी की बुर का प्रसाद लूँगा फिर अपने प्यारे साले से इश्क फरमाऊन्गा अभी भैया चढे होंगे मांजी पर तब तक सिमर, तू मज़ा कर ले अपने भाई के साथ, फिर दिन भर मौका मिले ना मिले"
जीजाजी के जाते ही सिमर दीदी मुझपर चढ कर चोदने लगी मन भर कर उसने मुझे चुदाया पर झड़ाया नहीं मैंने बहुत कहा, मुझसे यह सुख सहन नहीं हो रहा था दीदी कान को हाथ लगाकर बोली "नहीं बाबा, मुझे डाँट नहीं खानी, आज तेरे लंड की चाबी रजत और दीपक के हाथ में है मांजी भी नहीं झड़ाएँगी तुझको, हाँ चूत का रस पिला देती हू"
सिमर दीदी के जाने के बाद कुछ देर बाद जीजाजी वापस आए सीधे मेरे लंड पर ही बैठ गये अपनी गान्ड में उसे घुसाते हुए बोले "अमित, आज मैं मन भर कर मराऊम्गा तुझसे, कल सब के साथ जल्दी में मज़ा आया पर मन नहीं भरा"
बहुत देर तक मेरे लंड से वे मरावाते रहे उपर नीचे होकर, कभी हौले हौले, कभी हचक हचक कर अपने लंड को पकडकर वी मुठिया रहे थे मैं सुख से तडप रहा था लंड में मीठी अगन हो रही थी मन भर कर मरा कर वे जब उतरे तो मैंने कहा "जीजाजी, ऐसे सूखे मत छोडो, कम से कम मेरी ही गान्ड मार लो, कुछ तो राहत मिले"
वी बोले "यार मैं ज़रूर मारता, पर रजत ने नहीं कहा है तेरी गान्ड बहुत मस्त है, भैया तो आशिक हो गये हैं उसपर वे अभी आएँगे तब मारेंगे हाँ, तेरी मलाई मैं ज़रूर चखूगा और तुझे अपनी चखाऊन्गा" वे मेरे उपर उलटे लेट गये और मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया मेरे लंड को चूसते हुए वे मेरे मुँह को चोदने लगे
गतान्क से आगे……………
रजत भैया एकदम सुबह आफ़िस जाते थे, सुबह दस बजे मैं चोद कर आफ़िस जाता था, फिर माँ चढती थी अपनी लाडली बहू पर और शाम को वापस आकर रजत चोदता था इसे एक मिनिट को खाली नहीं रखते थे, इसकी मादक जवानी को पूरे दिन चखते थे, रात को सब मिल बाँट कर खाते थे, वैसा ही कुछ तुम्हारे और माँ के साथ अब होगा दो तीन दिन"
"पर मुझे बाँध क्यों दिया जीजाजी?"
"अरे नहीं तो मुठ्ठ मार लोगे, मुझे मालूम है क्या हाल होता है, पागल हो जाती थी मैं चुदासी से तेरे झडने पर अब हमारा कंट्रोल रहेगा भैया अरे टुकूर टुकूर क्या देख रहे हो, अब जन्नत का मज़ा लोगे तुम दोनों! ख़ासकर माँ को तो आज मैं और सासूजी देखेंगे प्यार से बीच बीच में तुझे देख जाया करेंगे वैसे ये मेरे पति और जेठजी तुम्हारा ख़याल रखेंगे" दीदी मेरे लंड को मुठियाते हुए बोली फिर जीजाजी से बोली "चलो, पहला नंबर किसका है?"
जीजाजी बोले "मैं नहाने जा रहा हू, आकर पहले ज़रा मांजी की बुर का प्रसाद लूँगा फिर अपने प्यारे साले से इश्क फरमाऊन्गा अभी भैया चढे होंगे मांजी पर तब तक सिमर, तू मज़ा कर ले अपने भाई के साथ, फिर दिन भर मौका मिले ना मिले"
जीजाजी के जाते ही सिमर दीदी मुझपर चढ कर चोदने लगी मन भर कर उसने मुझे चुदाया पर झड़ाया नहीं मैंने बहुत कहा, मुझसे यह सुख सहन नहीं हो रहा था दीदी कान को हाथ लगाकर बोली "नहीं बाबा, मुझे डाँट नहीं खानी, आज तेरे लंड की चाबी रजत और दीपक के हाथ में है मांजी भी नहीं झड़ाएँगी तुझको, हाँ चूत का रस पिला देती हू"
सिमर दीदी के जाने के बाद कुछ देर बाद जीजाजी वापस आए सीधे मेरे लंड पर ही बैठ गये अपनी गान्ड में उसे घुसाते हुए बोले "अमित, आज मैं मन भर कर मराऊम्गा तुझसे, कल सब के साथ जल्दी में मज़ा आया पर मन नहीं भरा"
बहुत देर तक मेरे लंड से वे मरावाते रहे उपर नीचे होकर, कभी हौले हौले, कभी हचक हचक कर अपने लंड को पकडकर वी मुठिया रहे थे मैं सुख से तडप रहा था लंड में मीठी अगन हो रही थी मन भर कर मरा कर वे जब उतरे तो मैंने कहा "जीजाजी, ऐसे सूखे मत छोडो, कम से कम मेरी ही गान्ड मार लो, कुछ तो राहत मिले"
वी बोले "यार मैं ज़रूर मारता, पर रजत ने नहीं कहा है तेरी गान्ड बहुत मस्त है, भैया तो आशिक हो गये हैं उसपर वे अभी आएँगे तब मारेंगे हाँ, तेरी मलाई मैं ज़रूर चखूगा और तुझे अपनी चखाऊन्गा" वे मेरे उपर उलटे लेट गये और मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया मेरे लंड को चूसते हुए वे मेरे मुँह को चोदने लगे