Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ - Page 3 - SexBaba
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Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ

विस्तर के बीचों-बीच वह गोरी-गोरी टागों को नीचे-स्कर्ट में चित आराम से लेटी थी ।

मैं पैंट के बाहर लौंडा निकाले- कच्ची चुचियों को मसलने का मजा ले रहा था अब खड़ा खड़ा सेठानी को देख रहा था

तभी सेठानी मेरे लंड को दवाती बोली - "तुमको अभी लॉडियावाजी करना नहीं आता है...उसके साथ सिखाउन्गी ..."

जी... जी...' ।। -

डरो नहीं एकदम इसको तुम्हीं से सयानी करवाउंगी तुमसे ही चुदवाउन्गी इसकी टांग खोल कर मस्त देना ।"

“जी...जी... मीना के नाज़ुक हाथो में फंसा लौंडा तो मुझको एकदम से पागल बना दिया था ।

सेठानी मजा लेने की सीख देती बोली कि किसी अनचुदी लड़की की चुची दबाने के बाद उसकी बुर पर हाथ फेरो फिर बुर चाटते हुए उसकी चुची को दवाओ फिर चुची को दबाने के बाद उसको मुंह में लेकर जितना पी सको उतनी देर तक पीओ. ..और ऊँगली से कच्ची बुर को धीरे-धीरे चोद कर बड़ी करो.. “समझे...."

जी... जी..." ।

इसपर वह मीना के सर के पास फेरती बोली-" तो चलो स्कर्ट को उतार कर इसकी कच्ची बुर खोलो मैं देखूगी..."

|अब तो मुझे सेठानी के बेडरूम में तीनों लोक दिखने लगे थे। | मैं मीना की अनचुदी बुर को देखने को कब से तड़प रहा था। तभी
सेठानी अपने हाथ से नादान लड़की की स्कर्ट को ऊपर कर बोली '' देखो-नीचे | चडडी नहीं पहनी है मजा लेने के लिये अभी कच्ची कली है....।। ।
 
गौरी-गोरी रानों के बीच मीना की छोटी पावरोटी सी चिकनी गुलाबी बुर को देखते हुए मैं मीना की टाँगो के पास वैठा और छोटी सी चूत के उभार
पर हाथ फेरा . हाथ फेरते ही मदहोश मीना-टागों को फैलाकर खड़ी हुई तो उसकी कच्ची बुर पुरी तरह दिखी।

मैं उसकी रानों के बीच ऊगली ले जाकर बुर पर पूरी तरह हाथ फेरने लगा । हाथ फेरते ही मेरा लंड लप-लप करने लगा और मीना के दोनों टमाटर
हर साँस के साथ और अच्छी तरह. नीचे होने लगे ।

सेठानी प्यार से हमदोनों को आपस में मजा लेते देख बोली-“पगले तुझे तो बुर सहलाना भी नहीं आता देख ऐसे दोनों हाथ से स्वयं लड़की के नीचे नंगे
भांग पर हथेली फेरती मुझ को बुर मसलने का तरीका बतायी ।"

मैं चुची दवाना छोड़ बताये तरीके से मीना के चिकने पेट और जाँघो पर | बुर के साथ दोनों हाथों को फेरने लगा। | हमको जवानी के रंगीन खेल का
भरपूर मजा अभी से तीनो लोकों की शैर कराने लगा ।। ..

“मजा आ रहा है -"

"जी आन्टी : |

"देखो मीना कितनी मस्त है - " ।

मीना की ऑखें बंद थी...और अपने आप ही उसने दोनों टागों को पूरी तरह फैला दिया था ।

* अभी मीना की बुर बहुत छोटी है ना...." *

जी मैडम..."

“कोई बात नहीं...इसके साथ मेहनत करोगे तो जल्दी सयानी हो जायेगी चलो बेड पर लेतो...मुंह को बुर पर लगाओ...जीभ से चाटते हुए इसके दोनो टमाटरों को मसलो - साथ में दोनों को इस तरह से बीच-बीच में छेड़ों मजा लो और मजा दो...." ।

और सेठानी ने स्वयं मीना की कमीज़ के सभी बटनों को खोल उसे एक तरह से नंगा कर दिया । मैं बेड पर लेटा - तो मीना खुद टांगों को मोड़ बुर के
उभार को मेरे मुँह पर रख दी ।
 
अब बुर की गुलाबी फांके....दोनों चूत की कलियों के साथ सेठानी कमसिन छोकरी के साथ जो भी मौज मस्ती की क्रिया करवा रही थी...वह निराला था ।

मैं दोनों चुचियों को घुन्डी के साथ मसलते हुये जीभ से मीना की चिकनी बुर को चाटने लगा। सेठानी चाव से देखने लगी...और बीच-बीच में हमको मजा लूटने के तरीके को बताने लगी ।।

बुर चाटने में हमें काफी मज़ा आ रहा था ।

बुर चटाने में मीना को भी काफी मजा आ रहा था । वह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्हसीह्ह्ह्ह्ह-सर करके-चूतड़ को उठा-उठा मस्ती से बुर चटा रही थी ।

अभी मेरा चाटने का मन थां-पर सेठानी बोलीं-"बस उठो....." | मेंने बुर से मुंह ऊपर किया-तो सेठानी हमको लड़की के अपर चढ़ने का इशारा करती बोली-लंड को बुर पर रख कर अब इसकी एक चुचि को मुंह में लेकर चूसो-'। .

मैं मीना पर चढ़ गया-तो मीना प्यार से टागों को फैला हाथों को मेरी पीठ पर फेरती -- बुर को लंड से इस प्रकार चिपकाई जैसे पूरी जानकार छोकरी हो । '

मेरा लौंडा एकदम से मस्त था ।

सेठानी हाथ को नीचे ला-मेरे लंड को पकड़-गरम सुपाड़े को चूत की फांको पर चढ़ाती बोली ....... पूरी-चूची पीते हुए-धीरे-धीरे सुपाड़े को चूत के छेद पर ४-५ बार रगड़ो-देखो पूरी मस्त है...मीना...शावास मीना-सर से मजा लेकर जल्दी से जवान हो जाओ-तों तुमको भी चोदवा कर मैं मजा
दिलवाउन्गी . बहुत बढ़िया सर पाई हो

मीना की टमाटर सी चुचियों को चुसते हुए सुपाड़े को कमसिन बुर के होंठो पर रगड़ने में मुझको गजब का मजा आ रहा था । अब मीना टागों को कमर में बांध ली थी ।

मैं कभी दायी चुची कभी बांयी को चूसता कभी नीचे की नाजुक कली को रगड़ता-जो मजा पा रहा था - उसका बर्णन नहीं कर सकता...
| सेठानी बड़े चाव से हमदोनों को मस्ती में चूर होते देख आनंदित हो रही थी ।।

मीना दो मिनट बाद आनंद से भर सीत्कारी लेती बोली-“हाय मम्मी थोड़ा और मजा दो..." और हमको जोर-जोर से चूची पीने का इशारा कर..स्वयं खड़ी होकर गाउन को उतार नंगी हो...देखने लगी ।

करीब पांच मिनट तक इस क्रिया को कमसिन लड़की के साथ करवाई...फिर कंधे पर हाथ रख बोली ।
अब छोड़ो इसको....''

मेरा मन अभी भरा नहीं था.. पर मीना की मम्मी नाराज न हो जाय में फौरन उठा ।

कच्ची मीना अनमना कर बोली 'हाय मम्मी...' |
 
[size=large]में मोटे चुतड़ वाली गोरी चिट्ठी मोटी मोटी टाँगो वाली अयाश सेठानी को मादर जात नंगा देख-एकदम से तड़फड़ा गया ।
मीना की कच्ची बुर पर सुपाड़ा रगड़ रगड़ मेरा जवान यार और अधिक पगला गया था ।

मीना भी मेरे हटने से रुआंसी सी हो गई थी।

" आज बस इतना ही ...अब जाओ-"

इसके साथ वह मीना के सामने मेरे फैलादी लंड को मुट्ठी में दबा कर-बोली- शाबाश बहुत पसंद आये तुम मुझे .

मीना अलसायी सी उठी - और खुले शर्ट को बंद करती मम्मी की हरकत को देखने लगी ।

इसपर वह मेरे लंड पर हाथ फेरती बोली " अब जाओ यहाँ से । तुम्हें रोज मजा देगें-शर्ट और स्कर्ट पहन कर पढ़ा करना "

मैं बेकरी के साथ सेठानी के पपीते से चुचियों को पकड़ कर मीसने लगा ।

मीना कमरे से बाहर चली गई ।

उसंकी कचौड़ी सी उभरी चिकनी बुर को देखने को को मन बेचैन हो उठा ।

'' आया..मजा..'' .।


''जी...मैडम अव थाड़ा आया...''.।।

'' हमारी चोदना चाहते हो-- ''|

'' "जी...जी...मैडम..'' .और वाये हाथ को सेठानी के नगे पेट से लटकाता जाँघो के बीच उभार पर लाया ।" |

"ठीक है मेरी तरह पूरे कपड़े उतार कर नंगे हो जाओ."

अब में उसके मिज़ाज को पूरी तरह समझ गया था । लोंडा तो वैसे भी प्यासा था बुर के मजे के लिये ।।

अब अनचुदी का नशा उतर गया था और चुदी का मौसम पूरी तरह से जवान हो गया था ।
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[size=large][size=large]अब अनचुदी का नशा उतर गया था और चुदी का मौसम पूरी तरह से जवान हो गया था ।

अब आलीशान कमरे में हमदोनों नंगे थे। नग्न अवस्था में मोटी सेठानी ने मेरे फौलादी लंड पर दो-तीन बार हाथ फेरा और मैंने उसके एक वित्ते के बुर पर हाथ फेर कर मजा लिया उसके बाद वह आलीशान बिस्तर पर नगन अवस्था में हमको चित कर स्वयं उपर टांग फैला कर मेरे ऊपर आई ।। .

वह टाँग फैला कमर पर चढ़ी तो मैं उसके गुदाज बुर के लम्बे फाक के भीतर की गुलाबी देख मस्ती से दोनों चुचियों के बड़े-बड़े निप्पल्स को मसल्ने लगा ।।

\"हमको तो चुदती देखने का शौक है...?" ,

“जरा सा मैडम | ''

"कोई बात नहीं...लो थोड़ा मेरी भी चाटो-'" और पजे के बल आगे घिसक कर गुदाज बुर को मेरे मुंह के पास की ।

मैं जीभ से उसकी पुरानी बुर को चाटने लगा । उसने बुर को चिकना बना लिया था मीना की तरह उसकी बुर भी चिकनी थी...।।

मैं चुचियों को मसलते हुए उसकी बुर को प्यार से चाटने लगा । वह बुर को ऊपर नीचे कर चटाने लगी । हमको उसकी बुर चाटते हुए पपीते सी चुचियों को मसलने में हसीन मजा आ रहा था ।

"फाँक को चाटो डियर-बहुत अच्छे हमें तुम पुरी तरह पसंद आये हो |


दोनो फांको को फैला बुर पर जीभ फिराने से हमको एकीन हो गया कि चाटने से बुर की कलियों में भरपुर मस्ती आती है..."।
मैं जीभ को बुर् में चलाते हुए-चुचियों को कस-कसे कर मसल्ने लगा ।

चार पाँच मिनट बाद वह पीछे सरकी और हाथ से लण्ड को बुर के छेद पर जमा हैवी चूतड़ को जो दावी तो आनंद से भर - बदन को कड़ा कर आँखें
लंड पर करे बुर में जा रहे कुआरे लंड की बहार को लूटने लगी । । भले ही हमसे दुगने उमर की थी--पर बुर में मेरा लौड़ा कसी कसा जा रहा था ।।
धीरे-धीरे वह चूतड़ दबा दबा मेरे पूरे लंड को बुर में ले-जो मांसल चुतड़ों को हमारे लंड पर जमा-हमारी ओर देखी - तो मैं आनंद से भरकर-बोला- 'हाय मैडम-'

“मजा है ना-" *

'' बहुत मजा है मैडम-''

* अंब थोड़ा उठो....और कमर में मेरी हाथ डाल लो-"

में उठा और कमर में हाथ डाला। मेरा लौड़ा बुर में जाकर जो आनंद का अनुभव कर रहा थी...उसका बर्णन नहीं कर सकता ।

फिर बैठते ही लगा की लंड बुर से निकल जाएगा तभी हाथ से अपनी दांयी चुची को उठा-सुपारी जैसे तने निपुल को मुंह पर लगाती बोली “इसको धीरे-धीरे चुभलाओ में चोदवाती हूँ-" ।

मैं अपने होंठो के बीच काले निप्पल को चुभलाने लगा- तो वह चुतड़ उठा उठा कर लंड को बुर में सक-सक चलाने लगी । मैं हर सांस के साथ
उसकी बुर को चोदते हुये जवानी के आनंद केकी चरम सीमा की ओर पहुँचने लगा ।।

वह कभी दांयी कभी बायी घुन्डी को अपने हाथ से अदल-बदल चुसाती चोदवाने की रफ्तार को बढ़ाने लगी जिससे मैं मोटी कमर को पकड़ नीचे से
लंड को उभार उभार कर उसकी बुर को चोदने लगा ।

"कैसी है मेरी- '' सेठानी ने चुदवाते हुए पूछा

'' अह्ह्ह्ह मेडम मत पूछिए हमको कितना मज़ा आ रहा है ''

'' चुसते रहो...अभी और मजा आयगा - ''

इसके साथ वह पंजे के बल बैठ पूरे लंड की बजाय आधे लंड को बुर में सका...सक....लेने लगी ।

बीस पच्चीस धक्के मारा था कि में फलफला कर बुर में पानी छोड़ने लगा
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[size=large][size=large][size=large]पानी छोड़ती चूत से दोनो का रस नीचे रानों पर फैल रहा था सेठानी पूरे लंड को बुर में अंदर लेती हुई अपने चूतड़ हिलाती अपनी सांसो को सामान्य करती हुई बोली-शाबाश मजा आ गया'' ...मेरा भी छूट रहा हैं । हाय बहुत दिन बाद मजा आया ..."
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दो मिनट बाद वह बुर को लंड से अलग की तो मेरा लंड लूज होकर वांयी ओर लटक गया । | वह बुर को रानों के बीच दबा विस्तर पर बगल मे लेट हमको चिपका ली ।।



किसी बुर के चोदने का पहला आनंद हमको इतना पागल बना गया कि.मैं अब उसके एक इशारे पर लट्टू की तरह नाचने को बेकरार था ।।

| अब मजा पाकर जवानी की पूरी धड़क खुल चुकी थीं । मैने भी उसको अपने साथ घिसका लिया था ।



उसी अवस्था में उसने हमको आज रात के रंगीन प्रोग्राम के बारे में जो कुछ बताया उससे लंड में फ़ौरन ही जान आने लगी । |



"समझे ना...हमको तुम्हारी जवानी का असली मजा तव आयेगा जब मुझे अन्चुदी लड़कियों को चोद चोद उनकी बुरी को जवान कर के दिखाओगे।"

सेठानी ने मेरा मुँह अपनी एक चुचि पर लगाते हुए कहा



" ओ. के. मैडम पर आप को भी मज़ा देंगे -"



"जब नई-नई लड़कियाँ चोदने लगोगे...तो मेरी मजा नहीं देगी.. डियर...वह हाथ से लंड को टटोलती बोली ।"


[size=large][size=large][size=large]| " मुझे देगी-॥ | मैं एक हाथ से सेठानी की गद्देदार चुचि को दबाते हुए बोला उसकी पीठ पर दोनों हाथ ले जा कर उसे सहलाते हुए मैं एक चुचुक को भींच-भींच कर चूसने लगा और वह दबी-दबी आहों के साथ लुत्फअंदोज होने लगी-[/size][/size][/size]
 
‘’और जोर से खींचो.. दांतों से कुचलो। तकलीफ भी होती है तो होने दो। यह दर्द भी मुझे कई दिनों तक इस मजे को याद रखने में मददगार होगा।''

उसकी ख्वाहिश के मुताबिक मैं थोड़े जोर से उसके चूचुकों को खींचने लगा। बीच-बीच में दांतों से हल्के-हल्के कुचलता और फिर उस पर गीली जीभ रोल करके उस तकलीफ को भरने की कोशिश करता।

काफी देर एक चूचुक के साथ खेल चुका तो उसने दूसरा मेरे मुंह में दे दिया और खुद मेरे सर को सहलाती, आंखें बंद किये हौले-हौले सिसकारती रही। फिर मेरे मुंह से अपने चूचुक को निकालती हुई नीचे हुई और मेरे होंठों पर अपने होंठ टिका दिये और उन्हें चूसने लगी।मुझे उसके होंठों का स्वागत करने में देर नहीं लगी और मैं दुगने जोश से उसके होंठों को चूसने लगा। बीच में कहीं वह मेरे मुंह में जुबान घुसेड़ देती तो कहीं मैं अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा देता।

अचानक सेठानी ने मुझे अपने से दूर किया और बोली

" अच्छा बाबा अच्छा....मेरी भी चोंदना ... अब उठो... और फ्रेश होकर-नाश्ता करो और जाओ फिर रात को दस से पहले आ जाना--तुम्हारे लिये
छोकरी बुला रही हूँ...आज हमें उसकी जवान कर दिखाओ-"

“जी...जी..." लौड़ा कस गया था। अब मैं अपने भाग्य पर फूले नहीं समा रहा था । नाश्ता करने के बाद
मैने, कहा-“अब कल ही जाउन्गा....।"

'
'' ठीक है फिर तब तक आराम कर लो '' सेठानी बोली

उस समय संध्या के साढे सात बज रहे थे ।

वह मेरे जवान लंड से चुदवा कर थक गई थी पर मैं पुन: जवानी की उमंग से भर गया था ।

"तुम्हें दिक्कत तो नहीं होगी-" वह नग्न अवस्था मे आलीशान विस्तर पर मेरी ओर करवट बदल कर पूछी,

“जी,...जी.....नहीं...." ' मेंने उतारेगये कपड़ो को पहन...अपने को ठीक-ठाक करते हुए कहा । उसने अपनी हसीन छोकरी को आवाज़ दी । वह आई-तो उसके लूटे गये बदन की मस्ती से लंड थोड़ा और कसा ।

मीना अपनी नंगी माँ को देख-गुलाबी हो चहक के साथ बोली- '' चलिए सर '' वह अभी उसी शर्ट और स्कर्ट में थी ।।
 
एक ही बार के मजे को पाकर जो इसकी अयाश माँ के कहने पर मैने कराया था-हमसे एकदम से खुल सी गई थी । | मेरो भी झिझक दूर हो गई थी ।

भले ही सेठानी की चोद-कर मैं झड़ा था पर कमसीन छोकरी को देखते ही पुनः मौज मस्ती की' अरजू जवान हो गयी ।

'' जाओ जाओ-मेरी तो कमर दु:ख गयी....मनोहर को भेजना बेटी थोड़ा तेल लगावे "* ।

वह मुझे ज्यों कमरे के बाहर ले गयी-त्यों मैं उसके गोल-मटोल चूतड़ पर हाथ रख दूसरे हाथ से कमीज के उपर से उसके नन्हे उभार को दवा लंड को पुन: पैन्ट में खड़ा करता हुआ बोला-“हाथ मीना...तुम कितनी अच्छी हो-"

मेरा मन भरा नहीं था

'' आप हमारे कमरे ने चलिए-मैं मनोहर को कह कर आती हूँ '' मीना ने कातिलाना अंदाज में कहा

उसके उभंरते टमाटर को दवाते ही मेरी जवानी की भूख पहले से भी और ज़्यादा बढ़ गयी थी । |

"हॉ....हाँ...." मैं मीना के कमरे में गया । इस आलीशान बंगले में तो मेरे लिये अब मज़े ही मज़े थे ।

इन दिनों सेठ मुंबई गया था । | मनोहर नगी सेठानी को तेल लगायेगा-सोच कर ही लौड़ा मस्त होने लगा। एक घन्टे पहले मीना की देखी गयी गुलाब के फूल सी नाजुक नंगी बुर और टमाटर सरीखी नंगी चुचियों के बारे में सोचते ही मेरा लौड़ा पैन्ट में पूरी तरह उभर गया । । सबसे ज़्यादा मजा हमको मीना और उसकी मम्मी की बुर चुचियों को मसलते हुए आया था ।

दो मिनट बाद मीना कमरे में आयी. । कमरे में बिजली का भरपूर प्रकाश था । मीना के चेहरे पर भी मस्ती थी । । मैंने मीना को प्यार से अपने उभरे हुए लंड पर गोद में बिठाया -उसकी नादान चुचियों, को ज्यों मसला त्यो ही मीना...झटके के साथ गोद से उठ कर बोली-

'' रूकिये सरं"।
 
दो मिनट बाद मीना कमरे में आयी. । कमरे में बिजली का भरपूर प्रकाश था । मीना के चेहरे पर भी मस्ती थी । । मैंने मीना को प्यार से अपने उभरे हुए लंड पर गोद में बिठाया -उसकी नादान चुचियों, को ज्यों मसला त्यो ही मीना...झटके के साथ गोद से उठ कर बोली- '' रूकिये सरं"।

वह बटनों को खोल अपने टमाटरों को नंगा कर- खुद पंजे के बल फर्स पर बैठ कर-मेरे उभरे लंड को पकड़ती हुई बोली-“ इसको निकलिये सर-हम इसे सहलाये आप मेरी दबाइये -" |. मीना एक ही बार मजा पाकर पूरी तरह से खुल सी गयी थी ।

मैं फौरन लंड को निकाल नीचे हाथ कर उसके टमाटरों को मीसने लगा । | वह मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी ।
एका-एक कमसीन छोकरी ने नये अदांज से हमको पागल बना दिया।

हुआ यूँ कि मीना कुछ देर तक मेरे लंड को सहलाती रही और फिर उसने मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया और मज़े से आइसक्रीम की तरह चाटते हुए चूसने लगी

मैं उसकी चुचियों को सहलाते हुये-उसको उचका उचका कर लंड को चुसवाने लगा । इस क्रिया में हमको उसकी माँ की बुर को जमकर चोदने से अधिक आनंदकारी लगा था ।

• चूसते-चूसते वह मुंह हटाई तो मैं दोनों चुन्डियों को दबाते हुए .. वाह-हाय. ..थोड़ा और चूसो-'

“मजा आयो ने सर" मीना ने आँख मारते हुए कहा

हॉ... हाँ..." मैने उसकी उफान लेती हुई चुचियों को मीसते हुए कहा

बराबर चूसंगी...पर मेरी भी चूसिएगा आप ।"

“हाँ....हॉ....मैंने उसके नाज़ुक होंठो के बीच लाल सुपाडे को ठेला-तो वह रसगुल्ले कर तरह चूसने लगी । अब मुझे लगा कि में दुवारा पानी छोड़ने वाला हूँ -तो फौरन उसको खड़ी करके -स्वयं पंजे के बल होकर मीना की बुर को चाटने लगा ।
 
दूसरी बार में ही वो छोकरी....अच्छेसे टागों को फैला ऊँगली से चौड़ा कर अपनी चूत की फांक मुझे चटाने लगी।"

बुर चाटने में और मजा आया । मैंने वासना को रोकने के लिए दो तीन बार सुपाड़े को दबाया पर आनंद से लंड थूकने को बेचैन हुआ जा रहा था । । |
मैंने बुर से मुंह हटाया ही था कि मीना हाथ से सर को दबा बुर को मेरे मुंह से सटायी बोली-हाय सर और चाटिये ना-हमको बहुत मजा आ रहा है। अच्छे से चाटिये जल्दी से इसको बड़ी करके हमको भी चोदिये - •

मैं नादान छोकरी के मुँह से मस्ती की बात सुन एकदम से गनगना गया।

मीना की चूत अब लंड माँगने लगी थी मेरा उत्तेजना से बुरा हाल हो चुका था फिर झड़ने के करीब आकर सुपाड़े को मीना की बुर से सटा-कमसीन मीना को खड़े अवस्था में चिपका कर दोनों चुचियों को मसलते हुए झड्ने लगा ।

मीना अपनी नन्ही बुर पर गिरते गरम वीर्य को पा मस्ती से मुझसेचिपक गई ।, .

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: सेठानी आराम करने के बाद करीब नौ बजे रात को मनोहर से मालिस करवा कर हमारे साथ बैठ कर खाना खाई और खिलाई, . उसके बाद हमको पाँच सौ रुपये देती बोली-
"तुम्हारे लिये लड़की मॅंगा ली हूँ...आज रात उसकी चोदकर जवान कर दो-"।

"कहाँ है मैडम-" : मैने उतावला होकर पूछा

"मनोहर तुम्हारे मज़े के लिये तैयार कर रहा है...गदरायी है.. चुची संतरा साइज का है...चुदी नहीं है...पूरा पेलोगे तो मछली की तरह छटपटां जायेगी..थोड़ा आराम करके मेरे बड़े रूम में सब कपड़े उतार कर आ जाना-आज से यह तुम्हारा प्राइवेट रूम हैं-"

सेठानी अपने कमरे के बगल एक छोटे से कमरे में ले गयी । | आलीशान बेड के साथ-साथ आकर्षक सोफा सेट भी था । मेरा लंड दो बार झड़ कर अब सुस्त पड़ गया था ।
 
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