hotaks444
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कुछ देर शांत रहने के बाद कुसुम ने एक लंबी साँस ली ऑर संतोष को पकड़ कर उससे लिपट गई…दीदी आज तो पूरा मज़ा आ गया…जिंदगी में पहली बार आनंद आया…है…मुझे तो इस मज़े के बारे में कुछ पता ही नहीं था..कहकर संतोष के हाथों को चूमती चली गई…
संतोष…सिर्फ़ हाथ चूमने से कुछ नहीं होगा…अब तुम्हारी बारी है …अब तुम भी मेरी चुचियों ऑर चूत से थोड़ी देर खेलो..मेरी चूत का भी तो पानी nikal जाए…बहुत दिनो से पानी भी नहीं निकला…बस गीली होकर ही रह जाती है….चुदाई तो हुई नहीं..चाट कर ही पानी nikal दो कुसुम…
कुसुम…ठीक है दीदी…अब तो मुझे भी इस मज़े का पता चल गया है..जब तक में यहाँ हूँ रोज आपके साथ इस आनंद का मज़ा लूँगी…..
संतोष…अरे असली आनंद तो तुमने लिया ही नहीं….चल पहले मेरी चूत का पानी nikal दे उसके बाद बात करेंगे…मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो रही है…..
कुसुम…मेरा भी मन कर रहा है…ऑर ये कह कर वो संतोष पर टूट पड़ी…मस्त होकर उसकी चुचियों को दबा दबा कर पी रही थी…ऑर उसके बाद संतोष की चूत को मुँह मे लेकर चूसने चाटने लगी…यही सिलसिला काफ़ी देर तक चलता रहा….उसके बाद संतोष की चूत ने भी पानी छोड़ दिया…
अब संतोष ओर कुसुम दोनो बराबर बराबर में बिल्कुल नंगी पड़ी थी…दोनो की आँखे बंद थी…ऑर अपने अपने ख़यालो में खोई हुई थी….
कुछ देर शांत रहने के बाद कुसुम ने चुप्पी तोड़ी….दीदी …आप कह रही थी…कि असली मज़ा तो मेने लिया ही नहीं…क्या इससे ज़्यादा मज़ा भी होता है…….
संतोष…आँखे बंद किए हुए ही…हाँ होता है…..
कुसुम…वो कैसे दीदी…वो भी बताओ ना…..
संतोष….चुदाई का मज़ा…
कुसुम…क्या मतलब…दीदी
संतोष…अरे पगली चुदाई में इससे भी ज़्यादा मज़ा है….
इस बात पर कुसुम एक बार फिर चुप हो गई…ऑर संतोष भी चुपचाप पड़ी रही…दोनो के अंदर ही अंदर शायद कोई तूफान चल रहे थे….वो शायद चुदाई के बारे में ही थे…संतोष शायद अब चुदाई का प्लान बना रही थी ऑर कुसुम चुदाई के मज़े के बारे में सोच रही थी…जब इतने मज़े को भी दीदी कुछ नहीं मान रही है तो फिर चुदाई का मज़ा कितना होगा….यही सोच सोच कर उसके सरीर में झुरजुरी सी आ गई…..
कुसुम …दीदी वास्तव में क्या इससे भी ज़्यादा मज़ा है…..
संतोष…है..कुसुम…..में उसी के बारे में सोच रही थी…बहुत दिनो से चुदाई नहीं करवाई है…बस सोच सोच कर ही सरीर में कुछ हो रहा है…
कुसुम…हाई दीदी मेरे सरीर में भी कुछ हो रहा है….
संतोष….कई महीने पहले शास से चुदवाया था…उस समय वो इस बारे में बिल्कुल अंजान था…पर मज़ा बहुत आया था…पर अब तो वो चुदाई में ट्रेंड हो चुका है…कुछ तो मेने ही ट्रैंड कर दिया था…ऑर आज जैसे वो तुम्हे घूर रहा था…..उससे तो मुझे पूरा यकीन है….कि उसने उसके बाद भी किसी की चुदाई की है….ऑर अब उसे भी चूत की ज़रूरत हो रही है….बस काँटा ही डालना है….वो तो तय्यार ही लगता है…..
कुसुम…दीदी अब तो मेरा भी चुदाई का मन कर रहा है पर डर भी लग रहा है….कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए….
संतोष…कुसुम जब मज़ा लेना हो तो सारे डर भूल जाने चाहिए…मुझे देखो…बस चुदाई चाहिए आज…कोई डर नहीं….इसे पहले भी कई बार चुदि हूँ….बस एक बार शुरू में थोड़ा दर्द हुआ था….उसके बाद तो बस मज़े ही मज़े मिले….मेने तो प्लान बना लिया है…चाहे जो भी हो….अब तो एक बार फिर शास को फसाना है ऑर चुदाई करवानी है….
फिर दोनो उठ गई ऑर कपड़े पहन कर हाथ मुँह धोया ऑर शास के घर की तरफ़ चल दी…….
संतोष ऑर कुसुम शास के घर आ पहुँची….घर पर भाभी (शास की मम्मी) के अलावा कोई नहीं था….शास भी कहीं बाहर गया हुआ था…..संतोष ऑर कुसुम को देख कर भाभी खुश होते हुए बोली….आऊ…दीदी….में भी घर में अकेली थी…अच्छा किया आप आ गई…वर्ना में अकली बोर हो रही थी….
आपकी बोरियत दूर करने ही तो आए है भाभी….संतोष मुस्कुराइ…
भाभी…अच्छा किया….
कुसुम…हम भी घर पर दोनो अकेले ही थे सोचा आपके साथ बैठ जाए….हमारा भी मन लग जाएगा……
भाभी…ठीक किया तुमने कुसुम…..क्यूँ बाकी सब कहाँ गये…
संतोष…आप तो जानती है भाभी…शादियों का सीज़न चल रहा है….सभी कहीं ना कहीं शादी में गये है….बस घर हम दोनो के हवाले….ऑर उपर से ये डरपोक डाक्टरनी…..
कुसुम…क्या कहा…डरपोक….में किससे डरती हूँ….
संतोष…क्यूँ जब में चोर की बात बता रही थी…तो तुम डर नहीं रही थी….कि रात में क्या होगा, अगर चोर आ गये तो….कुसुम कुछ समझ नहीं पाई कि कब चोरों की बात हुई थी….कि अचानक उसके दिमाग़ में आया कि हो सकता है कि संतोष दीदी का कोई प्लान हो….उसने तुरंत हाँ में हां मिलाते हुए कहा हाई भाभी मुझे चोरों से बहुत डर लगता है…ऑर संतोष धीरे से मुस्कुरा दी….
भाभी…दीदी शादियों का सीज़न चल रहा है…तुम भी कोई लड़का ढूँढ लो ना अब तो…रात कैसे काटती हो….
संतोष…भाभी आपको याद करके….
इस पर तीनो हंस पड़ी….
संतोष…भाभी…अभी तो राते आपको याद करके ही काटनी पड़ेंगी…अभी कोई ऑर रास्ता नहीं है…
भाभी…क्यूँ…क्या कहीं कोई लड़का नहीं देखा है..चाचा जी ने…
संतोष…नहीं अभी तो कहीं भी बात नहीं बनी है….
कुसुम…भाभी आप ही कोई ढूँढ दो ना…..इस बेचारी का बुरा हाल तो मुझसे भी अब देखा नहीं जा रहा है….
संतोष…अपना हाल संभाल डॉक्टरनी जी…मेरा बाद में देखना…तेरी तो हर समय पानी छोड़ती रहती है….
भाभी…अच्छा…डाक्टरनी जी की भी पानी छोड़ती है…दीदी…क्या आपने खोलकर देखा है….कैसी है….
इस पर फिर तीनो हंस पड़े….ऑर कुसुम झेप से गई…..ऑर उसके गालों पर शर्म से गुलाबी पन आ गया…..
संतोष…भाभी क्या बताऊ…..डॉक्टरनी है ना….बिल्कुल चिकनी बना रक्खी है….कहीं पर एक बाल भी नहीं है…गोरी चिट्टी…सफाई का बड़ा ध्यान रखती है…..ऑर पानी भी सॉफ सुथरा ही छोड़ती है….
भाभी… चोन्कते हुए अच्छा जी…इसका मतलब तुमने जी भर कर देखा है….डाकटरणी की……
कुसुम…ये तो आपकी भी ना छोड़े भाभी…अगर इसका बस चले तो…इसके पास तो हर चीज़ का एलाज़ है भाभी….
संतोष…डॉक्टरनी तो तुम हो ऑर एलाज़ मेरे पास,,,ये कैसे हो सकता है…..हैं ना भाभी….
भाभी…हैं बात तो ठीक है….पर तुमने देखी कैसे…..
संतोष…बस ये ना पूछ भाभी…वर्ना…फिर तुम भी……
भाभी…तुम भी क्या….
संतोष…कुछ नहीं भाभी…
भाभी…कुछ छुपा रही हो क्या दीदी….
कुसुम…ये तो सब कुछ ही छिपा रही है….
संतोष…चुप रह डॉक्टरनी जी….भला में क्या छुपाउंगी….
भाभी…कुछ दाल में काला लगता है….सच-सच बताओ दीदी क्या बात है….क्या छिपा रही हो दीदी….भला मुझ से क्या छिपाना…
संतोष…कुछ नहीं भाभी..कुछ भी तो नहीं…बस ऐसे ही…हम लोगो ने सोचा था….कि रात में हम दोनो अकेले रहेंगे इस लिए शास को अपने पास सुला लेंगे…जिससे इस डॉक्टरनी को डर भी नहीं लगेगा….कोई तो आदमी होगा हमारे पास…..
भाभी…बस यही बात है या कोई ऑर….
संतोष…ऑर कुछ नहीं बस यही बात है भाभी….
भाभी…हंसते हुए…शास तो अभी बच्चा है भला वो आप लोगों का क्या डर दूर कर पाएगा….किसी…हट्टे कट्टे नौजवान लड़के को देखो…शायद वही रात में तुम दोनो का डर भी दूर कर दे ऑर……ऑर बस सारा का सारा ही डर दूर कर देगा……
संतोष…सिर्फ़ हाथ चूमने से कुछ नहीं होगा…अब तुम्हारी बारी है …अब तुम भी मेरी चुचियों ऑर चूत से थोड़ी देर खेलो..मेरी चूत का भी तो पानी nikal जाए…बहुत दिनो से पानी भी नहीं निकला…बस गीली होकर ही रह जाती है….चुदाई तो हुई नहीं..चाट कर ही पानी nikal दो कुसुम…
कुसुम…ठीक है दीदी…अब तो मुझे भी इस मज़े का पता चल गया है..जब तक में यहाँ हूँ रोज आपके साथ इस आनंद का मज़ा लूँगी…..
संतोष…अरे असली आनंद तो तुमने लिया ही नहीं….चल पहले मेरी चूत का पानी nikal दे उसके बाद बात करेंगे…मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो रही है…..
कुसुम…मेरा भी मन कर रहा है…ऑर ये कह कर वो संतोष पर टूट पड़ी…मस्त होकर उसकी चुचियों को दबा दबा कर पी रही थी…ऑर उसके बाद संतोष की चूत को मुँह मे लेकर चूसने चाटने लगी…यही सिलसिला काफ़ी देर तक चलता रहा….उसके बाद संतोष की चूत ने भी पानी छोड़ दिया…
अब संतोष ओर कुसुम दोनो बराबर बराबर में बिल्कुल नंगी पड़ी थी…दोनो की आँखे बंद थी…ऑर अपने अपने ख़यालो में खोई हुई थी….
कुछ देर शांत रहने के बाद कुसुम ने चुप्पी तोड़ी….दीदी …आप कह रही थी…कि असली मज़ा तो मेने लिया ही नहीं…क्या इससे ज़्यादा मज़ा भी होता है…….
संतोष…आँखे बंद किए हुए ही…हाँ होता है…..
कुसुम…वो कैसे दीदी…वो भी बताओ ना…..
संतोष….चुदाई का मज़ा…
कुसुम…क्या मतलब…दीदी
संतोष…अरे पगली चुदाई में इससे भी ज़्यादा मज़ा है….
इस बात पर कुसुम एक बार फिर चुप हो गई…ऑर संतोष भी चुपचाप पड़ी रही…दोनो के अंदर ही अंदर शायद कोई तूफान चल रहे थे….वो शायद चुदाई के बारे में ही थे…संतोष शायद अब चुदाई का प्लान बना रही थी ऑर कुसुम चुदाई के मज़े के बारे में सोच रही थी…जब इतने मज़े को भी दीदी कुछ नहीं मान रही है तो फिर चुदाई का मज़ा कितना होगा….यही सोच सोच कर उसके सरीर में झुरजुरी सी आ गई…..
कुसुम …दीदी वास्तव में क्या इससे भी ज़्यादा मज़ा है…..
संतोष…है..कुसुम…..में उसी के बारे में सोच रही थी…बहुत दिनो से चुदाई नहीं करवाई है…बस सोच सोच कर ही सरीर में कुछ हो रहा है…
कुसुम…हाई दीदी मेरे सरीर में भी कुछ हो रहा है….
संतोष….कई महीने पहले शास से चुदवाया था…उस समय वो इस बारे में बिल्कुल अंजान था…पर मज़ा बहुत आया था…पर अब तो वो चुदाई में ट्रेंड हो चुका है…कुछ तो मेने ही ट्रैंड कर दिया था…ऑर आज जैसे वो तुम्हे घूर रहा था…..उससे तो मुझे पूरा यकीन है….कि उसने उसके बाद भी किसी की चुदाई की है….ऑर अब उसे भी चूत की ज़रूरत हो रही है….बस काँटा ही डालना है….वो तो तय्यार ही लगता है…..
कुसुम…दीदी अब तो मेरा भी चुदाई का मन कर रहा है पर डर भी लग रहा है….कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए….
संतोष…कुसुम जब मज़ा लेना हो तो सारे डर भूल जाने चाहिए…मुझे देखो…बस चुदाई चाहिए आज…कोई डर नहीं….इसे पहले भी कई बार चुदि हूँ….बस एक बार शुरू में थोड़ा दर्द हुआ था….उसके बाद तो बस मज़े ही मज़े मिले….मेने तो प्लान बना लिया है…चाहे जो भी हो….अब तो एक बार फिर शास को फसाना है ऑर चुदाई करवानी है….
फिर दोनो उठ गई ऑर कपड़े पहन कर हाथ मुँह धोया ऑर शास के घर की तरफ़ चल दी…….
संतोष ऑर कुसुम शास के घर आ पहुँची….घर पर भाभी (शास की मम्मी) के अलावा कोई नहीं था….शास भी कहीं बाहर गया हुआ था…..संतोष ऑर कुसुम को देख कर भाभी खुश होते हुए बोली….आऊ…दीदी….में भी घर में अकेली थी…अच्छा किया आप आ गई…वर्ना में अकली बोर हो रही थी….
आपकी बोरियत दूर करने ही तो आए है भाभी….संतोष मुस्कुराइ…
भाभी…अच्छा किया….
कुसुम…हम भी घर पर दोनो अकेले ही थे सोचा आपके साथ बैठ जाए….हमारा भी मन लग जाएगा……
भाभी…ठीक किया तुमने कुसुम…..क्यूँ बाकी सब कहाँ गये…
संतोष…आप तो जानती है भाभी…शादियों का सीज़न चल रहा है….सभी कहीं ना कहीं शादी में गये है….बस घर हम दोनो के हवाले….ऑर उपर से ये डरपोक डाक्टरनी…..
कुसुम…क्या कहा…डरपोक….में किससे डरती हूँ….
संतोष…क्यूँ जब में चोर की बात बता रही थी…तो तुम डर नहीं रही थी….कि रात में क्या होगा, अगर चोर आ गये तो….कुसुम कुछ समझ नहीं पाई कि कब चोरों की बात हुई थी….कि अचानक उसके दिमाग़ में आया कि हो सकता है कि संतोष दीदी का कोई प्लान हो….उसने तुरंत हाँ में हां मिलाते हुए कहा हाई भाभी मुझे चोरों से बहुत डर लगता है…ऑर संतोष धीरे से मुस्कुरा दी….
भाभी…दीदी शादियों का सीज़न चल रहा है…तुम भी कोई लड़का ढूँढ लो ना अब तो…रात कैसे काटती हो….
संतोष…भाभी आपको याद करके….
इस पर तीनो हंस पड़ी….
संतोष…भाभी…अभी तो राते आपको याद करके ही काटनी पड़ेंगी…अभी कोई ऑर रास्ता नहीं है…
भाभी…क्यूँ…क्या कहीं कोई लड़का नहीं देखा है..चाचा जी ने…
संतोष…नहीं अभी तो कहीं भी बात नहीं बनी है….
कुसुम…भाभी आप ही कोई ढूँढ दो ना…..इस बेचारी का बुरा हाल तो मुझसे भी अब देखा नहीं जा रहा है….
संतोष…अपना हाल संभाल डॉक्टरनी जी…मेरा बाद में देखना…तेरी तो हर समय पानी छोड़ती रहती है….
भाभी…अच्छा…डाक्टरनी जी की भी पानी छोड़ती है…दीदी…क्या आपने खोलकर देखा है….कैसी है….
इस पर फिर तीनो हंस पड़े….ऑर कुसुम झेप से गई…..ऑर उसके गालों पर शर्म से गुलाबी पन आ गया…..
संतोष…भाभी क्या बताऊ…..डॉक्टरनी है ना….बिल्कुल चिकनी बना रक्खी है….कहीं पर एक बाल भी नहीं है…गोरी चिट्टी…सफाई का बड़ा ध्यान रखती है…..ऑर पानी भी सॉफ सुथरा ही छोड़ती है….
भाभी… चोन्कते हुए अच्छा जी…इसका मतलब तुमने जी भर कर देखा है….डाकटरणी की……
कुसुम…ये तो आपकी भी ना छोड़े भाभी…अगर इसका बस चले तो…इसके पास तो हर चीज़ का एलाज़ है भाभी….
संतोष…डॉक्टरनी तो तुम हो ऑर एलाज़ मेरे पास,,,ये कैसे हो सकता है…..हैं ना भाभी….
भाभी…हैं बात तो ठीक है….पर तुमने देखी कैसे…..
संतोष…बस ये ना पूछ भाभी…वर्ना…फिर तुम भी……
भाभी…तुम भी क्या….
संतोष…कुछ नहीं भाभी…
भाभी…कुछ छुपा रही हो क्या दीदी….
कुसुम…ये तो सब कुछ ही छिपा रही है….
संतोष…चुप रह डॉक्टरनी जी….भला में क्या छुपाउंगी….
भाभी…कुछ दाल में काला लगता है….सच-सच बताओ दीदी क्या बात है….क्या छिपा रही हो दीदी….भला मुझ से क्या छिपाना…
संतोष…कुछ नहीं भाभी..कुछ भी तो नहीं…बस ऐसे ही…हम लोगो ने सोचा था….कि रात में हम दोनो अकेले रहेंगे इस लिए शास को अपने पास सुला लेंगे…जिससे इस डॉक्टरनी को डर भी नहीं लगेगा….कोई तो आदमी होगा हमारे पास…..
भाभी…बस यही बात है या कोई ऑर….
संतोष…ऑर कुछ नहीं बस यही बात है भाभी….
भाभी…हंसते हुए…शास तो अभी बच्चा है भला वो आप लोगों का क्या डर दूर कर पाएगा….किसी…हट्टे कट्टे नौजवान लड़के को देखो…शायद वही रात में तुम दोनो का डर भी दूर कर दे ऑर……ऑर बस सारा का सारा ही डर दूर कर देगा……