Kamukta Story चुदाई का सिलसिला - Page 6 - SexBaba
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Kamukta Story चुदाई का सिलसिला

इस पर संतोष हंस पड़ी ऑर कुसुम थोड़ा झेप्ते हुए मुस्कुरा दी….

संतोष…हाँ..हां..क्यूँ नहीं…शास…जब ये तुम्हे मेरे जितना प्यार करती है तो क्यूँ नहीं दिखाएगी…अपना वो स्वर्ग का रास्ता….क्यूँ कुसुम..दिखायेगी ना….

पर कुसुम ने कोई जबाब नहीं दिया…उसके गालों पर सुर्खी आ गयी थी…ऑर बड़ी बड़ी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे…जिससे पता चल रहा था…कि वो शर्मा ऑर उत्तेजना के कारण नहीं बोल पाई थी…पर उसकी मुस्कुराहट सॉफ बता रही थी…कि संतोष ऑर शास…के इस मिलन को देखकर उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी….

शास…क्या हुआ कुसुम बुआ बताओ ना क्या आप भी हमें अपना वो स्वर्ग का रास्ता दिखाएगी या नहीं….संतोष बुआ का स्वर्ग का रास्ता तो बहुत ही खुसबूदार ऑर रसीला है…आपका कैसा है….

कुसुम….शरमाते हुए …नहीं नहीं..मुझे नहीं दिखाना कुछ भी…ऑर अपने दोनो हाथों से अपना मुँह छुपा लिया….

शास…क्यों क्या हुआ…कुसुम बुआ …क्या आप हमें संतोष बुआ की तरह से प्यार नहीं करती है….

कुसुम…लजाते हुए…करती तो हूँ पर ….वो स्वर्ग का रास्ता…वो वो मुझे तो शर्म आ रही है….

संतोष…शास…चिंता मत करो….में ऑर कुसुम दोनो ही तुम्हे एक बार फिर अपना अपना स्वर्ग का रास्ता दिखाएगी…फिर तुम ही बताना कि किसका रास्ता तुम्हे ज़्यादा पसंद आया……ऑर एक बार फिर शास की गुलाबी होठ चूम लिए….

शास…संतोष बुआ…कुसुम बुआ तो इतना शरमा रही है…फिर ये हमें प्यार कैसे करेंगी…..

संतोष….थोड़ा सबर कर शास…तुम्हारी ये कुसुम बुआ तो तुम्हे…मुझ से भी ज़्यादा प्यार करेगी…बस थोड़ा इंतजार कर…..

शास…कुसुम की ओर देखते हुए…क्यूँ कुसुम बुआ…ऑर कुसुम की ओर लगातार देखता रहा…क्या हसीन चेहरा था…कुसुम का बड़ी बड़ी आँखें…गोल गोल गुलाबी गलाइयाँ..ऑर गुलाबी…मुलायम रसीले होंठ….चुचियाँ तो मानो ठोस रसीले अनार छुपाए हुए हो….गोरा चिटा रंग…मानो फुलो के बगीचे में ताज़ा गुलाब खिलने की लिए तयार हो…ऑर उसकी खुसबू से सारा बगीचा महक रहा हो….कुसुम के शरीर में हल्की हल्की सी कसमसाहट…आआआअहह धरती की जन्नत आसमान से उतर आई हो…

.शास…आज सुबह से ही…कुसुम के ख्यालों मे ही डूबा हुआ ना जाने क्या क्या अरमान सज़ा चुका था…उसके मुलायम गुलाबी होंठ…आआअहह क्या रसीले है….उसकी चुचियाँ आआहह क्या कसी हुई है…कितनी उत्तेजक है….उसका गोरा पेट…आआआहह तो उसकी चूत भी कितनी रसीली ऑर गुलाबी…भरी भरी होगी….आआआआअहह

कुसुम….शास को एक टक अपनी ओर देखता हुआ पाकर ….क्या देख रहे हो शास……किन ख्यालों में खो गये….

शास….आआआहह भगवान ने तुम्हे…कितने आराम से तराशा होगा…एक एक अंग को बड़ी ही मेहनत से तराशा होगा….आप बहुत सुंदर है…कुसुम बुआ……में तो क्या कोई भी आपको तो देखता ही रह जाएगा….

कुसुम…बस बस रहने दो अब शास…ज़्यादा तारीफ मत कर…

शास…नहीं कुसुम बुआ आप वास्तव में ही सुंदर है…ओर आपका स्वर्ग का रास्ता तो बहुत ही सुंदर ओर रसीला होगा…शास ने मुस्कुराते हुए कहा…

संतोष…तो देख ले मना किसने किया है…क्यूँ कुसुम???

कुसुम…नहीं नहीं दीदी पहले आप दिखाना …में तो बाद में दिखाउन्गी….

संतोष….मेरा स्वर्ग का रास्ता तो शास पहले ही खेत में देख चुका है…

कुसुम…नहीं दीदी…पहले आप ही दिखाओ…मुझे तो शर्म आती है…में तो बाद में ही सोचूँगी….कि मुझे क्या करना चाहिए…

शास…इसमें सोचने की क्या बात है…आप भी मेरी संतोष बुआ की तरह से ही है ऑर आप भी मुझे संतोष बुआ की तरह से ही प्यार भी करती है…कुसुम के गालों का रंग शर्म से ऑर ज़्यादा गुलाबी हो चुका था…उस पर नज़र जमाते हुए शास ने कहा……….

कुसुम…समझने की कोशिस करो….तुम्हारी बात ठीक है मगर फिर भी…

संतोष…चलो छोड़ो…ये बाद में देख लेंगे….क्या लोगे शास…चाय या दूध……पहले चाय पीते है…उसके बाद बात करेंगे….

कुसुम…दीदी शास के लिए दूध बना दो ऑर अपने ऑर मेरे लिए…चाय बना लो…..

संतोष…ओह तो ये बात है….पूरी तैयारी है…दूध पिला कर….
ऑर फिर तीनो एक साथ हंस पड़े…………………..

संतोष ऑर कुसुम किचन में चली गयी…ऑर शास भी उनके पीछ पीछ किचन में ही चला गया…..

संतोष…शास तुम अंदर बैठो….हम आते है….

शास…बुआ आप तो पीछे से ऑर भी सुंदर ऑर सेक्सी हो…ये तो मेने आज ही देखा है….आपके भारी भारी चूतड़ जो चलते हुए हिलते है…..तो क्यामत ही आ जाती है….

कुसुम…क्यामत तो तुम्हारे आने से ही आ चुकी है….बस अब तो गजब ढाने का इंतजार है….

शास…में कुछ समझा नहीं…कुसुम बुआ….

संतोष….थोड़ी देर में वो भी समझ जाओगे….

शास…साफ साफ बताओ ना बुआ क्या हुआ……

संतोष…अभी कुछ नहीं हुआ…पर जो होगा वो इस डॉक्टेरनी बुआ के लिए यादगार होगा….जैसे तुम स्वर्ग के रास्ते के बारे में बोल रहे थे…वैसे ही कुसुम तुम्हारे…उसके बारे में बोल रही है…जो इसने अभी तक नहीं देखा है…..

शास…मेरे उसके बारे में…किसके बारे में बुआ…

संतोष…अब ज़्यादा बदमाश ना बनो…तुम्हे मालूम है में किसके बारे में बोल रही हूँ….

शास…नहीं बुआ में सच में नहीं समझा…शास ने अंजान बनते हुए कहा…..

संतोष…तो क्या उसका नाम भी मुझ से ही बुलवाओगे…शास तुम तो बड़े ही बेशर्म हो गये हो….पहले तो ऐसे नहीं थे….बड़े ही शर्मीले थे….
 
शास…इसमें मेने कोन्सि बात कह दी…बस में समझा न्ही था…इसी लिए पूछ लिया…..ऑर फिर जो भी सिखाया है आपने ही तो सिखाया है…..बुआ…वर्ना में क्या जानता था….

संतोष…अच्छा तो में आपकी गुरु हूँ ना…तो बताओ गुरु दक्षिणा में आज क्या दोगे…..

शास….में सारा का सारा आपका आप जो चाहे ले लो…ऊपर से नीचे तक…

तब तक चाय ऑर दूध बन चुके थे…कुसुम ओर संतोष ने चाय ली ऑर शास के हाथ में दूध का गिलास थमा दिया……ऑर कमरे की ओर जाने लगे…..

शास…आपने तो मुझे ये दूध थमा दिया आज तो में वही दूध पीना चाहता था बुआ जो आपने खेत में पिलाया था….

संतोष…बेचैन क्यूँ होता है शास …वो भी पी लेना बल्कि एक का नहीं आज तो दो दो का पीना…पर पहले उसके लिए ये दूध पीकर तैयार तो हो जा…उस दिन में अकेली थी…पर आज दो है…क्या झेल पाएगा….

शास…बुआ आपका दूध पीकर तो में कुछ भी…ऑर भी दो को झेल सकता हूँ……

कुसुम…बस बस रहने दे….एक ही औरत कैसे ही मर्द की हेकड़ी निकाल देती है….फिर हम तो दो है…ज़्यादा मर्द ना बनो….

शास…आपने कितने मर्द देखे है कुसुम बुआ….

कुसुम…मेने नहीं देखे तो क्या हुआ…आपस में बाते तो की है….सभी औरते कहती है…कि मरद का क्या थोड़ी देर में ही ढेर हो जाता है….

संतोष…नहीं नहीं…कुसुम मेने देखा है…शास की तुलना….उन मर्दों से मत करो….ये तो अंतिम बूँद तक निकाल कर ही दम लेता है….

शास…संतोष बुआ आप रहने दो…..कुछ ही देर की तो बात रही है…ये खुद ही हमें ढेर कर देंगी….बस आप हमें उठाकर संभाल लेना….लगता है…इनकी चूत तो कुछ ज़्यादा ही प्यासी है….

शास ने अब पहली बार चूत शब्द का प्रयोग कर बातों को नयी दिशा देनी शुरू कर दी थी…..

कुसुम…लजा कर देखो तो दीदी…ये क्या बोल रहा है….

संतोष…इसमें बुरा क्या है…चूत को चूत नहीं तो क्या कहेंगे….

कुसुम…स्वर्ग का द्वार…ऑर हंस दी….फिर तीनो हंस पड़े….

संतोष…हाई शास ये तो तुमने सच ही कहा है…हम दोनो की चूत ही बहुत प्यासी है…इस डॉक्टरनी ने तो लंड को देखा तक नहीं है…..आज तुम अपने लंड से हम दोनो की चूत की प्यास बुझा दो……अब संतोष भी खुलकर सामने आ चुकी थी……

फिर तीनो बेड पर बैठ गये ऑर कुसुम ऑर संतोष ने चाय पी कर कप एक ओर रख दिया….ऑर शास ने भी गिलास रख दिया…..

संतोष…अब बताओ शास…पहले किसका दूध पीओगे…कुसुम का या मेरा….

शास…अब तो बुआ नींद आने लगी है…आपने दूध ही इतना पीला दिया है…कि बस सोने को जी चाह रहा है…..

संतोष…हम दोनो को बीच मजधार में छोड़ कर तुम सो जाओगे….

कुसुम…मेने कहा नहीं था…कि मर्दों का क्याआ…दो मिनट में ही ढेर हो जाते है…ये तो पहले ही ढेर होने की तैयारी में है…..

शास…हाय कुसुम बुआ आपने ना जाने कितने मर्द देखे है…कुछ तो आपकी चूत पर लंड रखते ही ढेर हो गये होंगे…क्या करें बेचारे….आप है ही इतनी सुंदर और कोमल कि बस सोच सोच कर ही लंड पानी छोड़ देता है….

कुसुम…फिर से लजा कर….नहीं मेने ऐसा तो नहीं कहा था….फिर मेने तो आज तक किसी मर्द की कल्पना भी नहीं की…वो तो मेरी फ्रेंड्स बताती है…..

शास…क्या क्या बताती है…तुम्हारी फ्रेंड्स कुसुम बुआ….

कुसुम…यही जो आपने बताया है…कि लगाते लगाते ही…निकल जाता है….पर कुछ तो पूरे मर्द होते है…ये भी तो बताया है…..

शास…अब अपनी फ्रेंड्स को जाकर बताना कि हमारे शास के लंड ने तो मुझे देख कर ही पानी छोड़ दिया था….

संतोष….तुम्हारी हालत देखकर तो यही लग रहा है शास….कि तुम्हारा लंड तो पहले ही पानी छोड़ने वाला है…..

शास…हाँ ये तो है बुआ…..वास्तव में आप दोनो है ही इतनी सुंदर कि कल्पना से ही लंड पानी छोड़ देता है….इसमें मैं क्या करू….

संतोष…पर अब हमारी जनम-जन्मान्तर की प्यासी चुतो का अब क्या होगा…शास….हमने तो ना जाने कितने सपने बुन रखे है दिन भर….

कुसुम…लो दीदी तुम ही शास की पूरे दिन से बधाई कर रही थी…इसका तो पहले ही बुरा हाल है….हाई रामम्म अब मेरी पानी छोड़ती हुई इस चूत का क्या होगा…….
 
संतोष….तुम्हारी हालत देखकर तो यही लग रहा है शास….कि तुम्हारा लंड तो पहले ही पानी छोड़ने वाला है…..

शास…हाँ ये तो है बुआ…..वास्तव में आप दोनो है ही इतनी सुंदर कि कल्पना से ही लंड पानी छोड़ देता है….इसमें मैं क्या करू….

संतोष…पर अब हमारी जनम-जन्मान्तर की प्यासी चुतो का अब क्या होगा…शास….हमने तो ना जाने कितने सपने बुन रखे है दिन भर….

कुसुम…लो दीदी तुम ही शास की पूरे दिन से बधाई कर रही थी…इसका तो पहले ही बुरा हाल है….हाई रामम्म अब मेरी पानी छोड़ती हुई इस चूत का क्या होगा…….

शास…अच्छा पहले ये बताओ बुआ कि अपनी चुचि का दूध पिलाना ही या नही…नहीं तो में सो जाता हूँ…..

कुसुम…बस आप ही पिला दो दीदी…बस चुचि पिलाकर ही आज काम चला लो…चुदाई तो इसके बस की बात नहीं है….

संतोष…एक लंबी शंस लेकर आआअहह भरते हुए…..ठीक है कुसुम…अब कुछ तो करना ही पड़ेगा….

शास….चलो में आपकी मदद करता हूँ…बुआ…ऑर संतोष का कुर्ता संतोष के बदन से अलग कर दिया…..शास…ने अंदर ही अंदर आआअहह भरी….वो क्या भरी हुई सुडोल चुचियाँ है बुआ की आहह आज तो मज़ा ही आ जाएगा…..ऑर फिर शास ने बुआ की चुचियों को आधी अधूरी छुपाए हुए ब्रा को भी हुक खोल कर संतोष के शरीर से अलग कर दिया….ऑर उसकी लंबी गरम साँस निकल गयी…..शास ने संतोष बुआ की दोनो चुचियों को हाथों में लिया ऑर संतोष को बेड पर लिटा दिया….फिर बुआ के ऊपर आकर बुआ की दोनों चुचियों को दबा दबा कर मस्त होकर पीने लगा….वो चुचियों में इस कदर खो गया मानो बुआ की चुचियों से मीठा शहद टपक रहा हो…..आआआअहह……उूुुुुुउउम्म्म्ममम उूुुुुउउईईईईआआआईयईईईईईइससस्स्स्स्सिईईई की धून गूज़्ने लगी….

शास का लंड बार बार फूँकार मारता…झटके खाता सलामी देता…पर शास बड़ी मजबूती से उस पर नियंत्रण करता रहा…..शास….संतोष बुआ की चुचियों के साथ साथ अब बुआ के नाज़ुक मुलायम होंठों को भी चूम रहा था….शास अब तक चुदाई का एक मझा हुआ खिलाड़ी बन चुका था….हर पैंतरे से वो वाकिफ़ हो चुका था…..संतोष बुआ को चूमता रहा चाट्ता रहा…होंठ पीता रहा…ऑर उसके हाथ अपने स्पर्श के जादू से बुआ को ऑर ज़्यादा उत्तेजित करते रहे….आआआहहुउऊउउईईईआआहहुउऊउईईईईीसस्स्स्स्सिईइ की धून के बीच शास का खेल…..लगता था…कि कामदेव स्वयं आज संतोष को वासना की आग मे झोंक रहा है….ऑर रति….वासना की गर्मी में पीघल पीघल कर फैलती जा रही है….


संतोष बुआ अपनी पूरी जवानी पर थी….ऑर आप तो जानते ही ही दोस्तों….एक तो रूप हो…ऑर जिस्म भी कमाल का हो…सुंदर हो…कमसिन हो….तो जवानी के यौवन में चार चाँद लग जाते है….इस यौवन पर तो देवता का भी नियंत्रण ना रहे तो फिर शास तो साधारण सा मानव ही था…..बुआ के यौवन पर शास का नियंत्रण भी अब टूटने लगा था….उसका लंड अब उसके काबू से बाहर…एक फूला…मोटा बेलन…बनता जा रहा था…लंड का कड़ा पन ऑर जोश…अब शा स…पर भी भारी पड़ने लगा था…….


अब शास ने बुआ की सलवार का नाडा खोल कर उसको संतोष के पैरों से अलग फेंक दिया था….ऑर चूत से बह रहे पानी को सोख कर गीली हो चुकी पैंटी को भी नीचे कर एक ही झटके में संतोष की टाँगों से अलग कर दिया….छोटे छोटे बालों वाली चूत खुलकर सामने आ गयी…चिपचिपाती हुई गीली चूत….को देखकर शास अपने ऊपर से नियंत्रण खोने लगा था….ऑर शास ने बुआ की चूत पर हाथ रख दिया ऑर धीरे धीरे से सहलाना शुरू कर दिया था….

कुसुम….जो अभी तक बैठी सब कुछ देख रही थी…कामदेव..की गिरफ़्त में पूरी तरह से खोने लगी थी…उसके शरीर में मानो आग निकल रही हो…शास की हर हरकत पर उसके शरीर में झुर्झुराहट हो जाती थी और अब दीदी की खुली चिपचिपाती चूत ऑर उस पर शास का सहलाता हुआ हाथ….आग में घी डालने का काम कर रहा था…..ना जाने कुसुम के अपने ही हाथ अपनी चुचियों पर और चूत के ऊपर जा चुके थे….ऑर आवाज़ के साथ चलती तेज साँसें…गरम ऑर गुलाबी चेहरा….पानी छोड़ती हुई चूत….आआअहह….अब क्या करे…मस्ती में खोती कुसुम एक अजीब सा अनुभव जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी….ऑर अब????


शास ने संतोष बुआ की चूत पर अपना मुँह रख दिया था….कुसुम की तो मानो जान ही निकल गयी थी…मानो कोई उसके शरीर को निचोड़ रहा हो….देख देख कर ही उसका शरीर अब अजीब से समुंदर में डूबता जा रहा था….अपनी चूत ऑर चुचियों पर अब अपने हाथ ही उसे शास के हाथ महसूस होने लगे थे…..उत्तेजना अपने चर्म को छूने चली थी…इस अजीब अनुभव का आज पहला दिन…पहली बार…


उसका शरीर अकड़ने लगा…शास…संतोष बुआ की चूत को जिस मस्ती सा चाट रहा था….कुसुम की निगाहें नहीं हट पा रही थी….उसे लग रहा था मानो शास की जीब उसकी चूत में अंदर तक जा रही थी…आआआहह……..एक मदहोशी में….अंजाने में है….सब भूल चुकी थी अब कुसुम….उसने पहले कई बार फ्रेंड्स से सुना था….पर आज तो मानो उस पर से अपना नियंत्रण पूरी तरह से हट चुका था….जवानी की डगर…छलकता सबाब..अंग अंग मदहोश होता हुआ….आआअहह….सब कुछ उसके नियंत्रण से बाहर जाता हुआ .

जिस कुसुम ने आज तक किसी लड़के से बात करना भी गंवारा नहीं किया था….आज वो खुद…वासना की कश्ती मे सवार सभी मर्यादाओं को तोड़ कर खुद अपने कपड़े उतारने लगी थी….उसे आज ये भी परवाह नहीं थी…कि शास…उसके सामने ही उसकिे बड़ी दीदी की चूत को चाट चाट कर चूत के टपकते हुए पानी का आनंद ले रहा है वो उसे रोक दे या खुद वहाँ से चली जाए बल्कि…उसने खुद पैंटी ऑर ब्रा को छोड़ कर खुद ही अपने कपड़े उतार दिए थे…

.शास की नज़र उस पर पड़ी .….मानो सामने मेनका बैठ कर उसे ही देख रही हो….आआअहह…कामुकता का जहर अब उस रूम में पूरी तरह से घुल चुका था….संतोष की चुचियों को दबा दबा कर उसकी चूत को अंदर तक चाट्ता ऑर चूस्ता शास….अकड़ते हुए शरीर…आता हुआ तूफान….उछलता हुआ समुंदर….आआआआआआवउुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममाआआऐईईईइससस्स्स्स्सिईईईईईईईईईईईईईईईईईईय्ाआआआ
………..सस्स्स्स्स्स्स्स्शहाआआअसस्स्स्स्स्सस्स…की लंबी धून….

दो चुतो ने एक साथ पानी छोड़ दिया….उनके शरीर अकडे हुए थे साँसे नियंत्रण से बाहर थी…आँखें बंद…..बँधे हाथ….कुसुम ने ज़ोर से मुठियाँ भींच ली थी…ऑर संतोष ने शास के सर को इतनी ज़ोर से अपनी चूत पर दबाया कि मानो आज वो शास को सिर समेत अंदर लेने का प्रयास कर रही हो…ऑर शास का पूरा चेहरा….सन गया था…चूत के पानी से….और कुसुम की पैंटी से चूत के पानी की टपकती हुई बूंदे….आआआआहह….लिखते लिखते…मेरा खुद का लंड पानी छोड़ने आमादा है…शायद अभी मुझे खुद को भी…खाली करना पड़ेगा…आप सोच सकते है दोस्तों वो पल…चारों ओर गरम साँसे…लंबी लंबी…ऑर नीचुड़ते हुए दो शरीर…आआआआअहहुउऊुउउईईईईईईईईईुुुुउउईईईइससस्स्सिईईईईएंमम की धुन…ऑर काँपते बदन….शिरफ़…सिसकारियों की धुन ऑर अपनी लंबाई में ऐनठे हुए शरीर….चुतो से बहता हुआ पानी….कि तभी अचानक शास का एक हाथ बढ़ा ऑर कुसुम की सॉलिड…ठोस…घायल करती हुई…चुचि पर जा ठहरा…..था……ऑर एक ऑर ज़ोर की सिसकरिी…..उूुुुउउईईईआआाअहहस्स्स्सिईई
उूुुुुुुुुउउईईईईईईईईईआआआआआआअहह
 
शास…..अभी भी संतोष की दोनो टाँगों को ऊपर उठाकर उसकी चूत को मस्ती में चाट रहा था…संतोष बुआ की चूत ऐसे लग रही थी जैसे किसी अधखिले गुलाब की गुलाबी पंखुड़ियाँ खुली हुई हों…उसे अब टपकता पानी स्वादिष्ट ओस की बूँदों की तरह से चमक रहा था…संतोष की चूत अभी भी खुल- बंद होकर अपनी चूत की अंतिम बूँद को बाहर निकालने का प्रयास कर रही थी…शास ने एक बार फिर चूत को देखा….वाह क्या गुलाबी चूत थी…ऑर एक बार फिर अपनी जीब संतोष की चूत में घुसा दी…बुआ एक बार फिर सिसक पड़ी….शास की जीब बुआ की चूत में अंदर बाहर होकर उसकी चूत को चोद रही थी…ऑर बुआ भी सातवे आसमान में स्वर्ग की सैर कर रही थी….बुआ की चूत अभी भी टाइट ऑर कुँवारी चूत जैसी ही महसूस हो रही थी….इसी लिए उसकी सुगंध ऑर टेस्टी पानी ने शास को भी मदहोश कर दिया था….


कुछ देर के बाद संतोष बुआ का शरीर ढीला हुआ…और शास की ओर देखा जो उसकी चूत में दन दना दन जीब घुमा रहा था… ऑर शास का पूरा मुँह उसकी चूत के पानी से अभी तक सना हुआ था….बुआ मुस्कुरा दी…तभी बुआ को शास के लंड का ख़याल आया…उसे याद था कि पहली बार शास ने अंजान होते हुए भी उसकी चूत की जो मस्त चुदाई की थी जिसे वो आज तक नहीं भूली थी….


संतोष ने अपना हाथ बढ़ाकर शास के लंड को पाजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया….एक बार तो उसके पैरों के नीचे की मानो ज़मीन ही खिसक गयी हो…हहााया राम….इतना बड़ा…लंड….पर उसने सोचा कि शायद कपड़े होने की वजह से उसे कुछ ज़्यादा ही बड़ा नज़र आ रहा है….

संतोष….शास…अब ज़रा अपने लंड के भी तो दर्शन करा दो…बहुत दिन हो गये है….उसके दर्शन किए हुए……

कुसुम…दीदी वो तो बेचारा अपने ही पानी में नहाया हुआ सोया पड़ा होगा…

शास…हाँ बुआ क्यूँ नहीं…ये लंड तो सबसे पहली बार आपने ही देखा था…आपने ही इसका इस्तेमाल बतया था…ऑर पहली बार आपकी चूत में ही घुसा था….इस पर पहला हक़ भी तो आपका ही है….आप जब चाहे…जैसे चाहे देख ले….या जब चाहे इस्तेमाल कर लें

कुसुम…क्या कपड़ो से बाहर निकालने में शर्म आ रही है…लाओ में निकाल देती हूँ दीदी इसे तो शर्म आ रही है….ऑर इसका लंड भी कहीं दूबका पड़ा होगा…..ये कहते कहते कुसुम ने शास का पाजामा नीचे खिसका दिया…..


पर पाजामे के नीचे होते ही कुसुम के होश उड़ गये…उसने देखा कि शास का लंड उसके अंडरवेर में से बाहर झाँक रहा है…उसकी उम्मीदों से कहीं ज़्यादा लगभत 4 गुना ज़्यादा बड़ा ऑर मोटा ऑर लंबा लंड…..उसने तो सोचा था कि -4-5 इंच का होगा….ऊऊफफफफ्फ़ पर ये क्या….ये लंड है या कोई भयंकर हथियार…..उसके तो होश ही उड़ गये….भला इस लंड को कॉन औरत अपनी चूत में डलवाकर उसका सत्यानाश करेगी…..कुसुम के चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी…..उसकी साँसे जहाँ की तहाँ रुक गयी…..

संतोष…क्या हुआ कुसुम…तुम्हारा चेहरा क्यूँ उतर गया…क्या शास का लंड वाकई में ही सोया पड़ा है….

कुसुम….हड़बड़ाकार…नहीं दीदी….ये लंड कहाँ…ये तो गधे घोड़े से भी बड़ा है इसे लंड कहूँ या लन्डाअ….बाप रे बाप भला इस लंड को कॉन औरत ले पाएगी….दीदी ये शास अभी तक हमें बेवकूफ़ बना रहा था…

शास…क्यूँ….संतोष बुआ क्या मेने अभी तक कुछ कहा था…ये खुद ही ना जाने क्या क्या बोल रही थी…मेने तो अभी तक कुछ भी नहीं बोला था…

संतोष..एक साथ उठ बैठी…उसकी आँखें भी शास के लंड को देखकर फटी की फटी रह गयी….अभी कुछ दिनो पहले ही तो वो शास से चुदि थी…तब तो ये इतना ख़तरनाक नहीं था….फिर कुछ ही दिनो में ये कई गुना बड़ा कैसे हो गया है….

शास….क्या हुआ बुआ…आपने तो पहले भी देखा है…आप क्यों ऐसे देख रही है…..जैसे पहली बार देख रही हो…..

संतोष…हाँ शास इस लंड को तो आज पहली बार ही देख रही हूँ…जो लंड उस दिन मेने देखा था…वो तो इससे आधा ही था इसे क्या हुआ शास ….

यक़ीन मानिए दोस्तों आज संतोष ऑर कुसुम दोनो के चेहरे पर ना जाने कितने विचार आ जा रहे थे…संतोष खुद भी हैरान थी…कुछ ही दिन पहले ही उसने खुद इस लंड को खड़ा किया था….खुद अपने हाथो से अपनी चूत में घुस्साया था…पर आज तो ये लंड उस दिन से दुगना हो चुका है….

हर औरत की तमन्ना होती है कि उसे एक मोटा मस्टंड लंड चोदे…पर आज संतोष ऑर कुसुम की पानी छोड़ती हुए चूत ही शांत हो गयी थी…

शास…क्यूँ घबरा रही है बुआ…इसको आपने पहले भी अपनी चूत में डाला है….ऑर आज भी कोई परेशानी नहीं होगी….ये कहकर शास ने फिर से संतोष बुआ को अपनी ओर खींच कर अपनी बाहों में भर लिया…ऑर बेतहाशा चूमने लगा…..
 
हर औरत की तमन्ना होती है कि उसे एक मोटा मस्टंड लंड चोदे…पर आज संतोष ऑर कुसुम की पानी छोड़ती हुए चूत ही शांत हो गयी थी…

शास…क्यूँ घबरा रही है बुआ…इसको आपने पहले भी अपनी चूत में डाला है….ऑर आज भी कोई परेशानी नहीं होगी….ये कहकर शास ने फिर से संतोष बुआ को अपनी ओर खींच कर अपनी बाहों में भर लिया…ऑर बेतहाशा चूमने लगा…..


शास…संतोष बुआ को बाहों में भरकर बेतहाशा चूमने ऑर चाटने लगा था…

संतोष बुआ शास की बाहों में जकड़ी हुई…ऑर शास बुआ के हर अंग अंग को चूमता रहा…इस पर संतोष फिर से गरम होने लगी थी…उसकी चूत फिर से पानी छोड़ कर पिलपिलाने लगी थी….संतोष भी अब मस्त होकर शास से ऑर चिपकने लगी थी…ऑर वो भी शास की प्रतिक्रियाओं का जबाब दे रही थी…

संतोष….पर शास एक बात तो बताओ…तुम्हारा ये लंड कुछ ही दिनो में इतना मोटा, लंबा ऑर ताकतवर कैसे हो गया है….

शास…बुआ सच सच बताऊ…..

संतोष….हाँ सच सच बताओ कि इसे ऐसा क्या पिला दिया कि ये इतना भयंकर हो गया है…मेरी चूत तो इसे अब शायद ही झेल पाए….अगर ये अंदर गया तो मेरी चूत तो पक्का फट जाएगी….

शास…वास्तव में बुआ मेरे लंड ने उस दिन जो आपकी चूत का पानी पिया था…उसी के कारण से ये फूल कर कुप्पा हो गया ऑर दूसरे आपने इसे अपनी ताज़ी चूत का ताज़ा पानी पिलाया था…बस वही कारण है….

संतोष…मेरी चूत के पानी में क्या बोर्नवीटा मिला था शास…

शास…अब ये तो आपको ही मालूम होगा ना बुआ…कि आपकी चूत के पानी में वो क्या खास है… अव्व्ल तो आपकी चूत ही खास है ना बुआ….

संतोष…क्यूँ मेरी चूत में खास क्या है…

शास…मेरे लंड से पूछो…कि इसे आपकी चूत से क्या मिला…ऑर ये क्यूँ बेचैन हुआ जा रहा है…आपकी चूत में जाने के लिए….

संतोष बुआ ने शास के होंठ चूम लिए…तुम बातें बहुत बनाते हो शास…ये कह कर संतोष फिर से शास से लिपट गयी…

शास एक…बार फिर जोश में था….उसका लंड ठुमके पे ठुमके मार रहा था….ऑर कुसुम उन दोनो को देख देख कर फिर से उत्तेजित हो चली थी….

कुसुम…दीदी क्या वास्तव में आप इस लंड को चूत में लेंगी….

संतोष…उखड़ी हुई साँसों के साथ…कुछ मिम्याती हुई….आज जो भी होगा कुसुम देखा जाएगा…पता नहीं ये लंड फिर इस जनम में मिले ना मिले…कम से कम इस लंड की यादे तो रहेंगी….

कुसुम…अगर चूत फट गई तो क्या करोगी…दीदी…

संतोष…आज चाहे जो हो जाए…फटे तो फटे…ऑर यक़ीनन फट ही जाएगी…पर क्या हुआ कुछ दिन में ठीक हो जाएगी….पर आज इस लंड को चूत में ज़रूर लेकर रहूंगी…..

कुसुम…पर मुझे तो डर लग रहा है…में क्या करूँगी….

संतोष…भूल जा सब कुछ….आज की रात यादगार रात बना ले…फिर तू तो डॉक्टरनी है….सिलाई करा लेना…ऑर मुस्कुरा दी…

संतोष की चूत से एक बार फिर पानी का लावा बहने लगा था…वो कई बार शास के लॅंड को हिला भी देती थी…जिससे लंड फिर से सलामी मार देता था….

शास…बुआ अब मेरे लंड से रुका नहीं जा रहा है…अब तो ये चूत में जाने को बेकरार है…

संतोष…तो फिर डाल दो मेने कब मना किया है…..

शास…पर ये अंदर जाएगा कैसे….पहले तुम अपनी चूत को थोड़ा ऑर ज़्यादा खोल लो….

संतोष….मगर कैसे…भला में कैसे खोल सकती हूँ…

शास…अपने पैरों को पूरी तरह से ऊपर उठाकर अपनी गर्दन पर लगा लो…ऑर गंद के नीच मोटा तकिया ले लो….

संतोष…मेरे साजन…अब में तो तैयार हूँ जो चाहो तुम खुद करो…लंड चूत में डालना है तो जो चाहे करो…

शास…में तो चूत के मुँह पर रख कर पेल दूँगा…पर देख लो तुम ही चिल्लाओगी…फिर मुझे ना कहना….

संतोष…अच्छा अच्छा…कुसुम ज़रा किचन से थोड़ा सरसों का तेल( आयिल) तो ले आ….ऑर खुद दो मोटे मोटे तकिये….अपनी गान्ड के नीचे ले लिए…लो शास…मेने ये भी कर दिया…तभी कुसुम ने तेल ला कर दे दिया…ऑर शास ने आधी शीशी संतोष की चूत में उडेल दी…..आआआआहह की सिसकारी के साथ संतोष सिहर गयी….

संतोष…अब जो भी करना है…करो शास…अब तो मुझे से भी बर्दास्त नहीं हो रहा है…बस जल्दी से अंदर डालो…..

शास…ये लो बुआ रानी…बंदा भी तैयार है…ऑर शास ने बुआ की दोनो टाँगे…ऊपर उठाकर उसकी गर्दन के पास दबा दी …अब चूत पूरी तरह से खुल गयी थी…..

कुसुम ने एक नज़र शास के लंड पर डाली…आआअहह कितना भयंकर है…आज तो बस दीदी की चूत तो गई काम से…..शास के लंड का मोटा गुलाबी सुपाडा….देखकर कुसुम की फिर से आआहह निकल गयी….

शास ने लंड का मोटा फूला हुआ…गुलाबी सुपाडा…संतोष बुआ की गुलाबी फड़फड़ाती हुई चूत के मुँह पर रख दिया ऑर चूत के दोनो पर्दे एक ओर खींच कर लंड का दबाव चूत पर बढ़ा दिया….पर लंड चूत से ऊपर की ओर फिसल गया…..

शास के लंड का सुपाडा जैसे ही संतोष की चूत से ऊपर को फिसला…तो संतोष की चूत की क्लिट जो उत्तेजना में फूलकर उभार ले चुकी थी को जड़ से रगड़ते हुए ऊपर गया…ऑर संतोष की जोरदार सिसकारी निकल गयी….आआअहह शास….उूुउउम्म्म्मिईईईईई…ज़रा आअराम सीई आआअहह

शास ने फिर से चूत के पल्लों को बाहर की ओर खींच कर लंड को चूत के मुँह पर टिका दिया…बुआ की चूत तो पहले ही मुँह फाडे हुए थी…शास ने काफ़ी दबाव बनाया पर लंड अंदर नहीं जा रहा था…

अब शास ने बुआ के दोनो कंधी पकड़े ऑर लंड के दबाव को ज़ोर के झटके में बदल दिया…….

उूुउउईईईईई आआआआआअसस्स्स्सिईईईईईईईईईईई के साथ संतोष चीख पड़ी….उसकी चूत में असहनीय दर्द हुआ क्योंकि चूत की उपरी ओर नीचे के दोनो जोड़ खुल चुके थे…ऑर खून निकलने लगा था…पर शास के लंड का सुपाडा चूत में 1 एंच अंदर तक समा गया था….

संतोष की आँखों से आँसू निकल आए थे.. वो दर्द पर काबू नहीं कर पा रही थी…शास ने अभी लंड को वही पर छोड़ कर बुआ की चुचियों से खेलते हुए उसके नाज़ुक रसीले होंठों को मुँह में ले लिया था…. .शास मस्ती में बुआ के अंग अंग को चूम रहा था….उसके होंठ…गाल ऑर कान चूम कर बुआ के दर्द को कम करने की कोशिस कर रहा था…
 
दोस्तों…लंड कैसा भी हो…चूत तो वो बला है…आख़िर में लंड को पी ही जाती है…कुसुम की निगाहें भी संतोष दीदी पर जमी थी…वो ये भी जान चुकी थी…कि शास के भयंकर लंड ने अब अपना रास्ता बना लिया है…ऑर दीदी की चूत धीरे धीरे पूरे लंड को खा जाएगी….. इससे उसकी उत्तेजना ऑर बढ़ने लगी थी…उसने ये तो बहुत सुना था…कि पहली बार तो दर्द होता ही है….चाहे लंड बड़ा हो या छोटा….पर जो मज़ा और सुख मोटा…लंबा..मजबूत लंड देता है…वो अलग ही होता है….उसके लिए तो औरते तरसती है…पर भाग्य से आज उसे भी वही लंड मिलने जा रहा है…ऑर इस सुनहरे मौके को अब तो बिल्कुल भी नहीं खोएगी….यही सोचते ही उसकी चूत की पंखुड़ियाँ खुलने बंद होने लगी थी……

कुछ देर दर्द से सिसकती हुई संतोष ने अब कुछ राहत मिली थी…पर शास…..तो लगातार नज़र रख रहा था…जैसे ही उसने महसूस किया कि बुआ अब छटपटा नहीं रही बल्कि अब शांत है ऑर एंजाय कर रही है….शास ने अपने लंड पर थोड़ा सा दबाव बनाया..संतोष ने फिर दर्द का अनुभव किया…पर शास ने इस प्रकार लंड पर दबाव बनाए रखा…कि जैसे ही बुआ की चूत कुछ ही ढीली होती लंड का कुछ हिस्सा अंदर सरक कर जगह बना लेता था…..

संतोष…शास अभी रुक जाओ…बहुत दर्द हो रहा है…

शास…बुआ…में तो बड़े आराम आराम से डाल रहा हूँ…

संतोष…तुम तो आराम से डाल रहे हो पर तुम्हारा ये लंड तो मेरी जान ही निकाले दे रहा है……

शास…क्या अच्छा नहीं है..बुआ मेरा लंड…..

संतोष…तुम्हारा लंड तो बहुत ही प्यारा है पर पहली बार तो झेलना मुश्किल है…अभी मेरी चूत इतनी खुली हुई नहीं है…..

शास….बुआ तुम्हारी चूत तो बहुत ही लचीली ऑर रसीली है…अभी कुछ ही देर में ये मेरे पूरे लंड को खा जाएगी….ऑर तुम्हे पता भी नहीं चलेगा…..

संतोष…पर तब तक मेरी चूत चूत नहीं…फटी हुई कुतिया की चूत बन जाएगी….

शास…कुछ नहीं होगा बुआ…आपकी चूत ने इस लंड को पहले भी लिया है…ऑर आज भी पूरा का पूरा हजम कर जाएगी….ये कहते ही शास ने एक हल्का सा धक्का लगा दिया….ऑर संतोष की एक बार फिर चीख निकल गयी…..उईईईईईईईईईई माआआ
मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई हाइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईयहह
ऑर संतोष ने ज़ोर से अपने होंठ भींच लिए थे……..चूत के दर्द को झेलने की कोशिस में संतोष का चेहरा कई रंग बदल रहा था…..

संतोष….शास…आज तो तुमने मार ही डाला…अब तो दर्द सहन नहीं हो रहा है…

शास…बुआ अभी तो एक चौथाई लंड भी अंदर नहीं गया है…थोड़ा हिम्मत से काम लो पर जल्दी से पूरा पी जाओगी…..

संतोष…हाँ शास…मेरी चूत फट तो चुकी ही है…ऑर जो फॅटनी है फट जाए…बस तुम कुछ ऐसा करो कि ये तुम्हारा लंड एक बार में ही अंदर चला जाए…बार बार के लंबे दर्द से बस एक बार में ही छुट्टी हो जाएगी…..अब जब ओखली में सिर दे लिया है तो मुसलों से क्या डरना है……

शास…ठीक है बुआ….वैसे भी तुम्हारी चूत तेल से भरी है…ज़्यादा परेशानी नहीं होगी….ऑर तुम्हारी गरम चूत रहने से वो तेल भी गर्म हो गया है तुम्हारी चूत की सिकाई भी करता रहेगा…..

संतोष….ये तेल तो तुम्हारे इस मोटे महा लंड के गरम सुपाडे को छूकर गरम हुआ होगा….तुम्हारा लंड तो बहुत गरम हो रहा है…मेरी चूत को अंदर ही अंदर झुलसा रहा है…..

शास…चलो बुआ…गरम लंड गरम चूत ऑर उसमें गरम तेल….बढ़िया सिकाई हो रही होगी…दर्द कम होगा….

कुसुम…अब गरम सिकाई छोड़ो…जो तोड़..फोड़ करनी है जल्दी करो…सिकाई तो हो ही रही है…डर भी नहीं होगा…तो फिर इस लंड को जल्दी से अंदर डाल कर निपटो ना… दीदी तो पहले भी चुदाई करवा चुकी है…पहले भी आनंद लूट चुकी है…पर मुझसे और इंतजार नहीं हो पा रहा है…मुझे भी तो…तुड़वा फुडवा कर मज़े लूटने है कि नहीं….

शास…चिंता क्यूँ करती हो डार्लिंग बुआ…तुम्हारी चूत को तो ज़रा आराम से सहला सहला कर चोदुन्गा….रानी….

कुसुम…पर कब…अभी तो ये अंदर ही नहीं जा रहा है…..
 
शास…चिंता क्यूँ करती हो डार्लिंग बुआ…तुम्हारी चूत को तो ज़रा आराम से सहला सहला कर चोदुन्गा….रानी….

कुसुम…पर कब…अभी तो ये अंदर ही नहीं जा रहा है…..

संतोष…हाँ शास…बस अब निपटा दो काम लगातार दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा है….बस एक बार अंदर चला जाए…उसके बाद देखा जाएगा….

शास…पर बुआ…जल्दी में आपकी चूत ज़्यादा फट सकती है….

संतोष…वो तो मुझे भी मालूम है…पर क्या किया जाए…फॅटनी तो इसको है ही…ये घोड़े से भी बड़ा लंड कहीं कोई चूत झेल पाएगी…बिना चूत फाडे तो अंदर ही नहीं जा सकता है…..

शास…जो अभी तक बुआ की चुचियाँ सहला रहा था…ठीक है बुआ…कोशिस करता हूँ…ऑर फिर आपकी चूत भी तो बहुत ज़्यादा टाइट है…मेरे लंड को ऐसे भींच रखा है…जैसे दोनो हाथों से पकड़ कर भींच रखा हो….

संतोष…तो अपने इस मोटे लंड से फाड़ डाल ऑर आज इतनी छोड़ी कर दे कि कभी बाद में दिक्कत ना हो….

शास…पर बुआ आपको दर्द ज़्यादा होगा ना…इसीलिए…में जल्दी से अंदर नहीं कर रहा हूँ…..

संतोष…परवाह मत कर चुदाई में जब तक खुलकर ना चोदो मज़ा नहीं आता है…आज दर्द होगा तो क्या…बाद का रास्ता तो खुल ज्जाएगा…..

शास…ठीक है बुआ…लो फिर आज इस लंड का चमत्कार देखो…कि ये अपनी जगह किस प्रकार से बना लेता है….ऑर ये कहकर शास ने तीन चार जबर्दास्त धक्के मार दिए…ऑर पूरा लंड चूत की आखरी सीमा तक पेल दिया…बुआ की बच्चे दानी कोट 2-3 इंच ऑर अंदर सरक गयी थी…

संतोष बुआ की कई जोरदार चीख निकल गयी…पर उसने अपने पर नियन्त्रण करते हुए अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया….बुआ के गहरे दर्द की झलक उसके चेहरे ऑर शरीर की कसमसाहट से लगाया जा सकता था….बुआ के खुले हुए पैर अब सिकुड रहे थी…ऑर बुआ ने दर्द के कारण गान्ड को भी ज़ोर से भींच रखा था था…जैसे जैसे लंड पर दबाव ऑर बढ़ा रहा था….ऑर शास ने लंड पर दबाव कम करने के लिए जल्दी जल्दी कई बार बाहर भीतर किया ऑर फिर लंड को शांत छोड़ दियाआ….

संतोष बुआ की आँखों से पानी बह रहा था…ऑर उसकी चूत से खून निकल कर चादर पर बह रहा था….संतोष अभी भी नहीं समझ पा रही थी…कि आख़िर शास के लंड को क्या हुआ…कुछ ही समय पहले तो वो उसे चुदि थी…ऑर पूरा मज़ा भी लिया था…उसे ट्रैनिंग भी उसी ने दी थी…पर कुछ ही दिनो में इसके लंड में क्या हुआ जो आज उसकी चूत भी फाड़ डाली ऑर अभी भी दर्द उसे बर्दास्त नहीं हो पा रहा है…..

शास…लो बुआ…अब तो ठीक है ना मेने ये पूरा का पूरा लंड अब आपकी चूत में पेल दिया है……अब तो आप खुश हैं ना…

संतोष…अभी दर्द बहुत है…शास…कुछ देर तक मेरी चुचियाँ चूस लो…ऑर लंड को मत छेड़ना…कुछ देर के बाद जब में नॉर्मल हो जाऊ…फिर चाहे जो करना….

शास…ठीक है बुआ…ऑर शास ने बुआ की भारी भारी..चुचियों की निप्पल अपने मुँह में भर लिए…ऑर दबा दबा कर चुचिय्याँ पीने लगा था…..

संतोष…कुसुम तुम तब तक अपनी चूत में तेल लगाकर उसमें उंगली डालो जिससे वो कुछ ढीली हो सके…नहीं तो तुम्हे ज़्यादा दर्द होगा….

कुसुम…दीदी मेरी चूत तो काबू से बाहर हो रही है…इसमें से तो पानी ही रुकने का नाम नहीं ले रहा ही…बहुत ज़्यादा चिपचिपी हो गयी है….इसलिए वैसे ही उंगली डालकर अंदर बाहर करती हूँ…

संतोष…ठीक है…पहले एक उंगली फिर दो उंगली ऑर फिर तीन…चार उंगली अंदर बाहर कर तुझे मज़ा भी आएगा…ऑर चूत थोड़ी खुल भी जाएगी…..

मगर शास तो बुआ के गठीले बदन को चूस चूस कर मज़ा लेने में व्यस्त था….वो बुआ की चुचियाँ पीता…उन्हे दबाता ऑर कभी कभी बुआ के रसीली होंठों को भी चूस रहा था….

कुछ देर यही सिलसिला चलता रहा…कुसुम अपने में मस्त थी…उसने अपनी चूत को सहला सहला कर दो बार पानी निकल चुकी थी…ऑर अब तो एक उंगली उसने चूत में डाल रखी थी…ऑर बड़ी तेज़ी से उंगली चूत में अंदर बाहर हो रही थी…ऐसे सॉफ जाहिर था कि वी फिर सा पानी छोड़ने की तैयारी में थी….

शास…के हाथ बुआ के पूरे शरीर की मालिश कर रहे थी…वो चुचियाँ चाट चाट कर पी रहा था…

धीरे धीरे संतोष बुआ का दर्द अब कम हो रहा था…ऑर उसके शरीर में कुछ हलचल शास ने महसूस की…शास को समझते देर नहीं लगी कि बुआ का दर्द कम हो चुका है…ऑर उसकी चूत भी अब लंड पर सिकुड़ने ऑर खुलने का संकेत दे रही है….शास के लंड ने चूत को सलामी दी….जिससे बुआ के मुँह से आआआहह निकल गयी…..

शास…क्या हुआ बुआ….क्या दर्द अभी भी ज़्यादा है….

संतोष…नहीं अब उतना दर्द नहीं है…पर तुम्हारा लंड अभी भी अंदर उछल कूद करता है…जिससे दर्द होता है….
शास एक बात तो बताओ….इस भयंकर लंड को तुम संभालते कैसे हो…

शास…बुआ…मेरे लंड को आपकी चूत का चस्का लग गया है…जिस दिन से आपने इसे अपनी चूत का दर्शन कराया था….ऑर चूत का मीठा पानी पिलाया था…उसी दिन से ये कुछ एंठा एंठा सा रहता है….आपने बहुत दिनो से इसको चूत में नहीं लिया था…इसी लिए तो ये नाराज़ था…ऑर आपको दर्द दिया…यदि लगातार अपनी चूत में लेती रहती…तो आज दर्द नहीं होता ऑर तुम्हारी चूत भी बिना फटे ही काफ़ी खुल चुकी होती…..

संतोष ने शास के होंठ चूम लिए….तुम्हे बुआ की चूत की बहुत याद आती थी शास….

शास…हाँ बुआ मुझे भी ऑर मेरे लंड को भी आपकी चूत ऑर चुचियों की काफ़ी कमी महसूस हुई है….

संतोष…ले आज जी भर कर मेरी चुचियों को पी ले ऑर चूत को फाड़ तो तुम चुके ही हो आज इसकी चुदाई का भी पूरा आनंद ले लो..मेरी चूत का चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना…. पिला दो मेरी चूत का पूरा पंनी अपने मस्टंड लंड को जिससे ये ऑर मोटा तगड़ा हो जाए…ऑर मेरी चूत को एक बार फिर से फाड़ सके…आज जी भर ले मेरे शास…कूद ले…पूरी ताक़त से…लोथडे लटका दे मेरी चूत के….फिर ना कहना बुआ मज़ा नहीं आया….अब मेरे दर्द की परवाह मत कर जितना दर्द देगा…जितना जम की चोदेगा…उतना ही मज़ा तेरी बुआ को भी आएगा…चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना….बस आज इतना चोदो इतना चोदो कि जनम जनम की प्यास बुझा जाए….आज अपनी बुआ को इतना तृप्त कर दे कि फिर चुदने की तमन्ना ना रहे….बाकी….चोद शास चोद…लगा धक्के पे धक्के….हो जा मस्त…बिना दर्द के चुदाई का मज़ा ही कहाँ है…..

कुसुम…दीदी आपको इतना दर्द हो रहा है…चूत से खून निकल रहा है…आप फिर भी शास को खुलकर चोदने के लिए कह रही है…..
 
संतोष…ले आज जी भर कर मेरी चुचियों को पी ले ऑर चूत को फाड़ तो तुम चुके ही हो आज इसकी चुदाई का भी पूरा आनंद ले लो..मेरी चूत का चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना…. पिला दो मेरी चूत का पूरा पंनी अपने मस्टंड लंड को जिससे ये ऑर मोटा तगड़ा हो जाए…ऑर मेरी चूत को एक बार फिर से फाड़ सके…आज जी भर ले मेरे शास…कूद ले…पूरी ताक़त से…लोथडे लटका दे मेरी चूत के….फिर ना कहना बुआ मज़ा नहीं आया….अब मेरे दर्द की परवाह मत कर जितना दर्द देगा…जितना जम की चोदेगा…उतना ही मज़ा तेरी बुआ को भी आएगा…चाहे जो भी हाल हो जाए…इसकी परवाह तुम मत करना….बस आज इतना चोदो इतना चोदो कि जनम जनम की प्यास बुझा जाए….आज अपनी बुआ को इतना तृप्त कर दे कि फिर चुदने की तमन्ना ना रहे….बाकी….चोद शास चोद…लगा धक्के पे धक्के….हो जा मस्त…बिना दर्द के चुदाई का मज़ा ही कहाँ है…..

कुसुम…दीदी आपको इतना दर्द हो रहा है…चूत से खून निकल रहा है…आप फिर भी शास को खुलकर चोदने के लिए कह रही है…..

संतोष…मेरी बन्नो डॉक्टरनी…चूत को जितना दर्द होगा…मज़ा भी फिर उतना ही आएगा….लंड हमेशा चूत पर भारी पड़ना चाहिए…तभी चूत की प्यास तृप्त होती है….जो लंड चूत को फाड़ ना सके…भला वो चूत में रगड़ क्या देगा…वो चूत को कैसे अपना अहसास कराएगा….फिर मज़ा भी कहाँ से आएगा….

दोस्तों…ये तो आपने सुना भी होगा…कि हर औरत मोटा…लंबा…ऑर मस्टंड लंड चाहती है…पर कभी सोचो…कि वो महा लंड जब चूत फाड़ता है तो कितना दर्द होता है….मेरी महिलाए साथी…जानती होगी…या मुझसे सहमत होगी…जब तक लंड चूत में फँस कर ना जाए…चूत को दर्द का अहसास ना कराए…जब तक औरत…लंड के चूत में घुसते ही गान्ड ना भिंचे तो पूरा मज़ा नहीं आता….ये फिर असली चुदाई तो वही है…जिसके लिए औरतें तड़पती है…नाजायज़ रिश्ता बनाती है….अगर लंड का अहसास चूत को पूरी तरह से ना हो तो…चुदाई नहीं बस पानी निकालना ही तो है….वो तो अपनी उंगली से भी निकाला जा सकता है…..

कुसुम…बस दीदी आज समझ में आया कि हर औरत मोटे..लंबे..भारी लंड के पीछे क्यूँ दौड़ती है….आज तो में भी अपनी चूत को फडवा कर ही रहूंगी…फिर चाहे अंजाम जो भी हो….

शास…हाँ…बुआ…आज में तुम दोनो को जम कर मस्त होकर चोदुन्गा….आपकी चूत का मस्त पानी जी भर कर लंड को पिलाउन्गा…जिससे ये ऑर मस्त हो जाए….

कुसुम…हाँ शास…संतोष दीदी की चूत का पानी पिलाकर इसे ऑर मस्त कर लो….फिर मेरी चूत पर बिल्कुल रहम मत करना….फाड़ डालना….चोद चोद कर साली को कुआँ बना देना….

शास…हाँ बुआ तुम चिंता मत करो…तुम्हारी चूत को में बड़े ही प्यार से चोद चोद कर फाड़ुँगा…इस कुँवारी चूत को चोदने में तो आनंद भी अलग ही होगा…में तो तुम्हें हर जगह से चोदुन्गा….

संतोष…बस बस शास…अब मत रूको…हो ज्जाओ शुरू…आज इतना चोदो इतना चोदो…कि कोई अरमान बाकी ना रहे….
ऑर शास ने अब संतोष बुआ को कस कर बाहों में लिया…उनके होंठ चूमते हुए पूरा लंड चूत से बाहर खींचा…ऑर फिर एक जोरदार धक्का लगा दिया…बुआ….इस धक्के से लगभग 1 फिट ऊपर को सरक गयी…ऑर उनकी ज़ोर की चीख शास के मुँह में घुट कर रह गयी…अब तो शास शैतान बन चुका था…बेरहम चोदु शैतान…वो लंड को बाहर खींचता ऑर धक्के के साथ चूत में पेल देता….संतोष का पूरा शरीर दर्द से कर्राह रहा था…वो पसीने पसीने हो चुकी थी…पर शास पर तो अब चुदाई का वो भूत सवार हो चुका था…कि उसे अब ना बुआ की चिंता थी…ना उसकी चूत की…आज तो वो उस चूत को वास्तव में एक खुला हुआ कुआँ बनाने में लगा गया था…जिसमें आम लंड का तो कुछ पता भी ना चले….

शास…के ज़बरदस्त धक्को से संतोष की चूत अब कुछ ढीली पड़ चुकी थी…चूत की पकड़ लंड पर हट चुकी थी…ऑर शास के धक्को की स्पीड बढ़ती जा रही थी….अब संतोष बुआ को दर्द भी कम होने लगा था…चूत एक बार फिर पानी छोड़ने लगी थी…जिससे लंड एक पिस्टन की तरह से अंदर बाहर हो रहा था…हर धक्के के साथ बुआ उचक जाती थी…पर अब वो भी चुदाई का आनंद लेने लगी थी…हर धक्के के साथ….शास के लंड का उपरी हिस्सा बुआ की चूत के क्लिट को मसल देता था…जिससे चूत का क्लिट अब पूरी तरह से खड़ा होकर चूत को ऑर ज़्यादा पानी चोदने के लिए तैयार कर रहा था….चूत की चुदाई चूत के क्लिट की धुनाई…वो क्या मस्त चुदाई थी….संतोष अब हर धक्के पर आनंद से सिसक उठती थी…चूत से फूच…फूच की मधुर..कामुक धुन…चूत पानी से लाबा लब…फुकू फूच….ऑर सिसकारिया…उउउउउउउआआआ…….आआआहह…आआईइसीई…आह शास….तू मस्त है…तेरा लंड मस्त है…तू तो किसी भी औरत की चूत को एक बार तो फाड़ ही सकता है…आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्चोद बेटे चोद….आआअहह उूउउम्म्म्म…ऑर संतोष की चूत के अंदर बच्चेदानी भी अब तक ज़ख्मी हो चुकी थी…इस सब की परवाह से दूर…संतोष…अब चूतड़ उछाल उछाल कर शास का साथ दे रही थी….

इस चुदाई के विहंगम दृश्य…को देखकर तो किसी बूढ़े का सूखा हुआ लंड भी झटके मारने लगे….आआआहह…उूउउ…..आआऐईईइससस्स्स्सिईइ…की सिसकारिया…गूँज रही थी…शास के हर धक्के पर संतोष सिसक उठती थी…ऑर कुसुम की उंगलियाँ उसकी चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी…दोनो की सिसकारियो ने रूम के महॉल को बड़ा ही उत्तेजक बना दिया था…जिससे शास के लंड की ताक़त ऑर बढ़ गयी थी…ऑर उसके धक्को की रफ़्तार..ऑर ज़्यादा ऑर ज़्यादा होती जा रही थी…
दर्द के कारण संतोष की भींची हुई जांघे कुछ कुछ खुलने लगी थी…ऑर अब शास का लंड पूरी चूत की गहराई नाप कर बच्चेदानी पर लगातार चोट कर रहा था….जिससी संतोष की सिसकारिया तेज हो चली थी……उूउऊएउउईईई आआहह…म्म्म्ममाआअरर्र्ररर डााालल्ल्ल्लाआा उूऊउईएइसीई की धुन ऑर शास के लंड के स्पीड मादक महॉल को ऑर ज़्यादा…उत्तेजित कर रही थी…जिससे कुसुम की अब तीन उंगलियाँ उसकी चूत में लबालब पानी से भरी चूत में अंदर बाहर हो रही थी…..ऑर उसके मुंहाने की आवाज़ संतोष के मुंहाने की आवाज़ से सुर मिला रही थी….

चप.फूच…चुप..फूच की धुन ऑर जोरदार चुदाई…संतोष अब चूत का दर्द पूरी तरह से भूल चुकी थी…उसकी चूत का भोसड़ा जो बन चुका था…फटा हुआ भोसड़ा…..ऑर ऊपर से पानी ऑर तेल से लबालब चूत में पिस्टन की तरह चप-फूच की आवाज़ के साथ जोरदार तरीके से अंदर बाहर होता हुआ लंड….आआहह

शास…बुआ…अब कैसा लग रहा है….

संतोष…चोद बेटा चोद…अब तो ये भोसड़ा बन चुका है…आज इतना चोद की आज की चुदाई उम्र भर यादगार बन जाए….

शास…लो फिर बुआ…ऑर शास ने कई जोरदार धक्के फील दिए…संतोष की सिसकारी निकल गाइइ….उूुुउउईईईउउम्म्म्ममममाआआहीईएइससस्सिईईई के साथ ही संतोष का शरीर अकड़ने लगा था…ऑर उसकी आँखें बंद हो चुकी थी….

संतोष…शास…पेल बेटा पेल…में तो जा रही हूँ…आआअहह….उूुउउंम्म………ये ले में तो गाइिईईईईआआईएइसीईईईईईईई के साथ संतोष ने शास को ज़ोर से जक्ड लिया…ऑर उसकी चूत के पानी का फॉवरा फुट पड़ा……उूुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममम के साथ…संतोष का शरीर लकड़ी की तरह अकड़ गया…..ऑर उसकी चूत लगातार शास के लंड पर गर्म पानी की बौछार कर रही थी…..पर शास तो अभी काफ़ी दूर था……उसके लंड में तो अभी तक सुरसूरहट तक नहीं हुई थी…ऑर फिर से बुआ की चूत का पानी….पीकर वो ऑर अकड गया….

फूच..फूच…फूच….के साथ लंड अंदर बाहर होता रहा…

थोड़ी देर के बाद संतोष की पकड़ ढीली पड़ने लगी थी…वो फिर होश में लोटने लगी थी…जन्नत के द्वार से …असीम आनंद से चूर संतोष….आज जीवन का जो सुख संतोष ने भोगा था…उसकी तो शायद उसने कल्पना भी नहीं की थी….

संतोष…शास…बस अब उठ जाओ…में तो थक चुकी हूँ….तुमने तो आज अंग अंग तोड़ डाला…

शास…बुआ…पर अभी तो मेरा लंड प्यासा ही है….अभी तो इसे जी भर कर अपनी गुलाबी चूत का अमृत पानी पी लेने दो….शास ने एक बार फिर संतोष का दूध ऑर होंठ पीने शुरू कर दिए थे….उसका लंड अभी भी संतोष की चूत में पूरी तरह से फँसा हुआ था…ऑर ज़ोर दार तरीके से झटके मार रहा था….

कुसुम…भी एक बार फिर पानी छोड़ चुकी थी…अभी वो भी शांत थी…

कुसुम…शास…आ जाओ अब मेरी चूत को भी फाड़ कर भोसड़ा बना दो…दीदी तो थक चुकी है……मेरी चूत के अंदर की खुजली बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है….

संतोष…हाँ शास…अब ज़रा कुसुम की चूत का एंतजाम करो…..

शास…नहीं बुआ अभी नहीं…एक बार तुम्हारी चूत में पानी निकाल दूं उसके बाद कुसुम बुआ की चूत को ज़रा तस्सली से चोदुन्गा…कुसुम की चूत अभी पूरी तरह से कुँवारी है…ऑर नाज़ुक भी है…लगता है…कुसुम बुआ अपनी चूत पर फेर आंड लव्ली क्रीम लगती है…वो चिकनी ऑर गोरी भी है…उसे तो पहले मस्ती से चाट चाट कर चुदाई करूँगा…..

कुसुम…पर शास अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो पा रहा है…बस मुझे भी जल्दी से चोद दूं….

शास…बुआ हम बचपन में एक कविता बोला करते थे….

“या इलाही ,दे लुगाई…उमर सोलह साल”
“छोटी छोटी चुचियाँ…चूत बगैर बाल”””

बस आज तुम्हारी उसी चूत को जो आज मेरे लिए तैयार है…ज़रा मस्ती में आराम से चोदुन्गा…बुआ…बस थोड़ा इंतजार करो….
 
शास…बुआ हम बचपन में एक कविता बोला करते थे….

“या इलाही ,दे लुगाई…उमर सोलह साल”
“छोटी छोटी चुचियाँ…चूत बगैर बाल”””

बस आज तुम्हारी उसी चूत को जो आज मेरे लिए तैयार है…ज़रा मस्ती में आराम से चोदुन्गा…बुआ…बस थोड़ा इंतजार करो….

संतोष…शास…तुमने तो मुझे फिर गरम करना शुरू कर दिया…है…मेरी चूत में फिर कुछ होने लगा है….ना जाने तुम्हारे लंड में क्या है…मेरी चूत तो इसकी दीवानी हो गयी है……ऑर संतोष ने अपने चूतड़ ऊपर को उछाल दिए……

शास…तो क्या हुआ बुआ तुम्हारा शास ऑर उसका लंड दोनो तैयार हैं…..

शास…तो क्या हुआ बुआ तुम्हारा शास ऑर उसका लंड दोनो तैयार है…..मेरा लंड आपकी चूत को उस समय तक लगातार चोदता रहूँगा…..जब तक ये पूरी तरह से संतुष्टि ना हो जाए…जब तक तुम्हारी चूत की पूरी प्यास ना बुझ जाए….जब तक तुम्हारी चूत की अंदर तक की खुजली ना मिट जाए….

कुसुम…शास कुछ मेरी चूत के बारे में भी सोचो…या फिर झूठी तसल्ली ही देते रहोगे…दीदी की चूत में ऐसा क्या है…जो उसी चूत के पीछे पड़े हो….आज रात भर क्या दीदी की चूत ही चोदोगे….

शास…कुसुम बुआ…मेरे लंड की पहली मुलाकात इसी चूत से हुई थी…ऑर इसी चूत ने पहली बार मेरे लंड का कुछ पानी निकाला था…भला ये लंड इस चूत का उपकर कैसे भूल सकता है…..इस चूत को तो मेरा लंड उम्र भर लगातार चोद सकता है….ऑर फिर इसी चूत का पानी पीकर तो ये लन्ड़ जवान हुआ है….

संतोष…तो फिर देर किस बात की है….चोद दे साली को एक बार फिर…पर अब ये अंदर से कुछ ज़्यादा ही चिपचिपी हो गयी है शास….मेरी चूत ने इतना पानी छोड़ा है कि अंदर पानी ही पानी भरा है…ऊपर से चूत फटने के कारण खून भी अंदर ही भरा हुआ हाई…..

शास…में लंड को बाहर निकालता हूँ…आप मेरे लंड को किसी कपड़े से सॉफ कर दो में फिर से अंदर डाल दूँगा….ये कहकर शास ने लंड को बाहर खींचा…ऑर फूच की आवाज़ के साथ लंड निकल आया…संतोष की चूत से लाल रंग का पानी बाहर बहने लगाजिसे कुसुम बड़े ध्यान से देख रही थी….

कुसुम…दीदी तुम्हारी चूत में से इतना पानी ऑर वो भी लाल रंग का….

संतोष…आज इतने दिनो बाद जम कर चुदाई हुई है तो पानी तो निकले गा ही…ऑर खून मिला होने के कारण ही लाल है….

शास के लंड को देखकर संतोष सोच में पड़ गई…क्या वास्तव में उसकी चूत में ये इतना भारी लंड ही घुसा था…शास का लंड पूरा फूला हुआ था..ऑर झटके मार रहा था….मेरी चूत ने इस लंड को कैसे झेला होगा…ये सोच कर वो खुद हैरान थी…ये तो गधि की चूत को भी फाड़ दे…पर मेरी चूत इसे भी झेल गयी…ऑर फिर अपनी चूत पर गर्व से मुस्कुरा दी….

संतोष ने कपड़े से शास के लंड को सॉफ किया…ऑर झटके मारते लंड पर हाथ रखकर बोली…क्या यही मस्टंड लंड मेरी चूत में फँसा था….हाई राम ये कैसे अंदर गया होगा….

शास…देखलो बुआ…आपकी चूत इस लंड को पूरा पी गयी…आपकी चूत बड़े ही कमाल की है…अब तो यदि आप गधे का लंड भी अपनी चूत में लोगि तो भी कुछ नहीं होगा….ऑर शास ने संतोष को फिर से बेड पर लिटा कर उसकी चूत के मुँह पर लंड का सुपाडा रखा ऑर एक ही जोरदार धक्के में पूरा लंड अंदर डाल दिया…..संतोष की एक बार फिर चीख निकल गयी….ऑर फिर से आँखों में पानी आ गया…फिर शास की ओर देखा….

संतोष…बड़े बेरहम हो शास…कम से कम मेरी चूत का कुछ तो ख़याल किया होता….इतनी बेरहमी से घुसेड दिया…पहले ही क्या फाड़ने में कमी रखी है…….चूत के अंदर भी जखम कर दिए तुम्हारे इस लंड ने….

शास…बुआ…चूत ख़याल रखने के लिए नहीं…बस चोदने की चीज़ होती है…ऑर में वही कर रहा हूँ…..आज तुम्हारी चूत को पूरी तरह से चोदना चाहता हूँ…जितनी बेरहमी से में आपकी चूत को चोदुन्गा…आपको उतना ही ज़्यादा मज़ा आएगा बुआ….क्या आपको मज़ा नहीं आ रहा है….

संतोष…मज़ा तो बहुत आ रहा है…इस चुदाई के लिए तो ना जाने कब से तड़प रही थी…पर दर्द भी आज बहुत हुआ है..ऑर चूत भी इतनी फट गयी है कि काफ़ी दिनो बाद अब ठीक हो पाएगी….ऑर हो सकता है डॉक्टर की मदद भी लेनी पड़े सकती है…तुमने तो कमी छोड़ी नहीं है…..

शास…बस बुआ आज तो चुदाई का पूरा मज़ा लो..भूल जाओ कि फटेगी या नहीं…बस गान्ड को उछाल कर चुदो…तो मज़ा आए….जब फट ही गयी है तो फिर क्या घबराना…थोड़ी फटी या ज़्यादा…इससे क्या फ़र्क पड़ता है….
ऑर अब संतोष भी चूतड़ उछाल उछाल कर लंड को अंदर ले रही थी….

कुछ ही देर बाद फिर से संतोष की चूत पानी छोड़ने लगी थी ऑर उसकी सिसकारियाँ गूज़्ने लगी थी…ऑर शास का लंड बड़ी ही बेरहमी से उसे चोद रहा था….उूुउउम्म्म्ममाआऐईईएुुउउईईआआअहहाआआईईएइससस्स्स्स्सिईईई
के साथ संतोष मिमया रही थी ऑर शास तूफ़ानी गति से संतोष को चोद रहा था…..लगता था…कि आज शास ने संतोष की चूत का कबाड़ा बनाने की ठान ही ली थी….संतोष की साँसे फूल रही थी…ऑर वो ऊपर चूतड़ उछाल उछाल कर शास के लंड को अंदर ले रही थी…साथ मे मिमिया भी रही थी….आआअहहामम्म्ममममममममाआऐईईइससस्स्स्स्स्सिईईईई

कुछ देर चुदाई के बाद संतोष का शरीर फिर ऐंठने लगा था…उसकी आँखें ज़ोर से बंद होने लगी थी…एक बार फिर उसका शरीर उसका साथ छोड़ रहा था…उसे लग रहा था…कि उसकी चूत में आने वाला तूफान अबकी बार ऑर जवानी पर होगा….तेज तेज साँसों के बीच संतोष…ने शास को फिर ज़ोर से बाहों में जकड लिया….ऑर ज़ोर से….शास…मैं तो जा रही हूँ…आआआहहुउऊुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममममममम के साथ ही संतोष नीचूड़ने लगी थी…उसकी चूत के गरम पानी ने शास के लंड को एक बार फिर ज़ोर से गरम किया…ऑर शास को लगा कि अब वो भी नहीं रुक पाएगा….ऑर उसने धक्को की ऑर स्पीड बढ़ा दी थी….उूुुुुउउम्म्म्मममम आआआहह ले बुआ ऑर ले….ऑर चुद….ले फडवा ले…..में भी आ रहा हूँ ….ले भर ले अपनी चूत को मेरे पानी से….बुझा ले अपनी पयास…आआआहह….उूुउउम्म्म्मममम अब शास की साँसे भी ऑर तेज हो गयी थी…ऑर उसने आँखें बंद कर ली थी…धक्को की स्पीड ऑर तेज ऑर तेज..और गहराई तक… शास को लगा कि उसके लंड का सुपाडा संतोष की बच्चेदानी के मुँह में घुस गया है….ऑर नीचुड्ती हुई संतोष एक बार फिर मिमिया उठी.ऊऊऊईईईईआआआईइससस्सिईईईईई

ऑर शास के लंड ने एक तेज पिचकारी छोड़ दी…..ऑर सारा वीर्या संतोष की बेच्चेदानि में समा गया…..

संतोष को आज एक अजीब सा सुखद अहसास हुआ….और उसके पानी छोड़ने की स्पीड एक बार फिर बढ़ गयी…ऑर लंड चूत के मिलन के साथ ही दोनो के पानी का मिलन भी हो गया…शास ने गरम गरम…वीर्य ने संतोष की चूत ऑर बच्चेदानि को नहला दिया…..उउउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्माआआईएइससस्स्सिईई…की आवाज़ के साथ लंबी खामोशी…रूक्रूका कर शास के धक्के….ऑर लंड की पिचकारी…दोनो ही मदहोशी में…सातवे आसमान पर….एक दूसरे की बाहों में कस कर जकड़े हुए…… लेटे रहे…शास का लंड अभी भी चूत के गहराई में ऑर उतरने की कोशिस में…बच्चेदानि के मुँह में घुसता हुआ…अंदर दाखिल हो रहा था….
 
लगभग 2 घंटे की इस चुदाई ने संतोष को तोड़ दिया था…उसकी सारी हिम्मत अब टूट चुकी थी…उसका अंग अंग टूट चुका था…इस अनोखी चुदाई…ने उसे पूरी तरह से निचोड़ कर रखा दिया था….कुछ देर के बाद दोनो होश में वापस आए तो उन्होने एक दूसरे को देखा तो संतोष ने शास के होंठ चूम लिए…..

संतोष…शास…आज तो तुमने मेरी चूत ऑर बच्चेदानि दोनो ही फाड़ दिए है…अब तो लंड को बाहर निकाल लो….मेरी चूत ऑर बच्चेदानी दोनो ही तुम्हारे बीज (पानी) से लबलब भरी हुई है….

शास….बुआ सच मानो आज जो चुदाई हुई है…वो में जीवन भर नहीं भूलूंगा….आज की मस्त चुदाई से मेरे लंड को एक नया जोश ऑर ताज़गी मिली है….आज जो मज़ा आया…वो अभूतपूर्व है…वास्तव में तुम्हारी चूत को लंड को पूरी तरह से निचोड़ना आता है….

संतोष…ये तो तुम्हारे इस भयंकर मॅस्टंड लंड का कमाल है…शास…आज जो तुमने इस चूत की चुदाई की है…अब ये किसी आम लंड के काबिल कहाँ रह गयी होगी..…पर एक बात याद रखना…कि अपनी बुआ की चूत को भूल मत जाना…ये तो तुम्हारे लंड के बिना अब अधूरी ही रह जाएगी…..

शास…नही नहीं बुआ…तुम्हारी चूत ने तो मेरे लंड को चुदाई सिखाई हैइसे नई ताक़त दी है…भला ये लंड आपकी चूत को कैसे भूल सकता है…….ये लंड आपकी चूत के लिए हमेशा तैयार रहेगा…..

कुसुम…अब तो बहुत हो चुका है…सारी रात ही गुज़ार दी तुमने…क्या मेरी चूत को ऐसे ही छोड़ दोगे…शास….दीदी की चूत को तो जम कर चोद दिया…अब थके थकाये…भला मेरी चुत को कैसे चोदोगे…..

शास…चिंता क्यों करती हो कुसुम बुआ…तुम्हारे शास ऑर मेरे लंड में अभी इतनी ताक़त है…कि रात भर अलग अलग चूत को भी चोद सकता है…ऑर फिर अब तो इसने संतोष बुआ की चूत का मस्त होकर पानी ऑर खून पीआ है अब तो ये ओर ज़्यादा ख़ूँख़ार हो गया होगा…

कुसुम…पर अब इसे दीदी की चूत से बाहर तो निकालो…तभी तो ये मेरी चूत का कुछ कर पाएगा…..

संतोष…हाँ शास…अब अपने लंड को बाहर निकालो…में बुरी तरह से थक गयी हूँ अब ज़रा कुसुम की चूत का कुछ इंतज़ाम कर दो…देखो तो वो कितनी प्यासी है….ऑर फिर 2 घंटे से पानी छोड़ छोड़ कर मुरझा गयी है….

शास…चिंता मत करो बुआ….मेरे लंड ऑर मुझमें तो आपकी चुदाई करके अब ऑर ताक़त आ गयी है…..कुसुम बुआ की चुदाई तो आपसे भी ज़्यादा मस्त होगी….इनकी चूत की सारी प्यास बुझाकर ही मेरा लंड शांत होगा…..

संतोष…पर अब अपने इस हथियार (लंड) को बाहर तो निकालो…मेरी चूत में अभी तक चुभ रहा है…अब मुझ में तो हिम्मत नहीं बची है ऐसे ऑर झेलने की…..अब तो सोच कर ही सिहरन हो रही है…कि अब मेरी चूत ऑर बच्चेदानी का क्या होगा……

कुसुम…वो तो में संभाल लूँगी…एम्स में काफ़ी सीनियर्स डॉक्टर्स है…पर अब कुछ मेरा तो करो…मेरी चूत में तो आग जल रही है दीदी….

संतोष…शास बस अब बाहर निकाल लो…ऑर अब कुसुम की चूत का भी निरीक्षण कर लो…वरना वो बेचारी तो सोचा सोच कर ही आधी होती जा रही है…..आज इसकी चूत की ऐसी आग बुझा दो कि इसके बाद कभी आग ना लगे……

शास…बुआ …कभी किसी चूत की आग बुझी है…जो कुसुम बुआ या आपकी चूत की आग बुझा सकूँ….हाँ कुछ देर के लिए शांत हो सकती है….तो लो में अभी इनकी चूत की आग को भी शांत कर देता हूँ…..

संतोष…मेरी चूत का तो तुमने वो हाल कर दिया कि महीनो में जाकर कुछ आराम मिलेगा….

शास…बुआ क्या महीनो इस लंड के बिना रह सकोगी…

संतोष..लगता तो नहीं कि रह सकूँगी..पर रहना तो पड़ेगा ही….तुमने अंदर तक चीर कर जो रख दी है….

कुसुम….आआआहह उूुउउम्म्म्म हाई में क्या करूँ…इनकी तो अपनी ही खिचड़ी पक रही है…ऑर मेरी चूत में ज्वालामुखी फट रहा है…उूुउउम्म्म्मईएइससस्स्सिईईईईईईईई उूुउउईईई म्म्माआअ में क्या करूँ…..है कोई जो इस चूत की आग बुझा सके….इस शास के पास तो टाइम है नहीं…….उूुउउईईईई आआआहह….हाई रे मेरी चूत का क्या होगा……

(दोस्तों अब आप ही रिप्लाइ करे कि कुसुम की चूत का क्या होना चाहिए…वो तो बहुत परेशान है….पहले तो एम्स में फ्रेंड्स के कॉमेंट्स देने से…फिर सहेलियों की बातों से…ऑर किस्से सुन सुन कर ही…उसकी चूत का पानी नहीं रुकता था…पर आज तो हद ही हो गयी…2 घंटे से वो अपनी चुदाई का इंतजार कर रही है…पर शास संतोष की चूत में फँसा लंड निकाल ही नहीं रहा है….)

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