Kamukta xxx Story रद्दी वाला - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta xxx Story रद्दी वाला

hotaks444

New member
Joined
Nov 15, 2016
Messages
54,521
उसको यू चुदाई केलिए मचलते देख कर सुदर्शन जी का लंड भी सनसना उठा था. टाइट ब्लाउस मैं से झाँकते हुए आधे चूचे देख कर अपने लंड मे खून का दौरा तेज़ होता हुवा जान पड़ रहा था. भावावेश मैं वो उस'से लिपट पड़े और दोनो चूचियों को अपनी छाती पर दबा कर वो बोले, "लगता है आज कुच्छ ज़्यादा ही मूड मैं हो डार्लिंग." "तीन दिन से आपने कौन से तीर मारे हैं, मैं अगर आज भी चुपचाप पड़ जाती तो तुम अपनी मर्ज़ी सेतो कुछ करने वाले थे नही,मज़बूरन मुझे ही बेशर्म बन'ना पड़ रहा है." अपनी दोनो चूचियों को पति के सीने से और भी ज़्यादा दबाते हुए वो बोली, "तुम तो बेकार मैं नाराज़ हो जाती हो,मैं तो तुम्हे रोज़ाना ही चोदना चाह'ता हूँ,मगर सोचता हूँ लड़की जवान हो रही है,अब ये सब हमे शोभा नही देता." सुदर्शन जी उसके पेटिकोट के अंदर हाथ डालते हुए बोले.पेटिकोट का थोड़ा सा ऊपर उठना था की उसकी गदराई हुई गोरी जाँघ नाइट लॅंप की धुंधली रौशनी मैं चमक उठी. चिकनी जाँघ पर मज़े ले ले कर हाथ फिराते हुए वो फिर बोले, "हाई! सच ज्वाला!तुम्हे देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है,आहह! क्या ग़ज़ब की जंघें है तुम्हारी पुच्च! इस बार उन्होने जाँघ पर चुंबी काटी थी. मर्दाने होंठ की अपनी चिकनी जाँघ पर यूँ चुंबी पड़ती महसूस कर ज्वाला देवी की चूत मैं सनसनी और ज़्यादा बुलंदी पर पहुँच उठी. चूत की पत्तियाँ अपने आप फड़फड़ा कर खुलती जा रही थी. ये क्या? एका एक सुदर्शन जी का हाथ खिसकता हुआ चूत पर आ ही तो गया,चूत पर यू हाथ के पड़ते ही ज्वाला देवी के मून'ह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ी थी. "है. मेरे . सनम.. ऊहह.. आजज्ज.. मुझे .. एक .. बच्चे . की.. मा. और. बना . दो..और वो मचलती हुई ज्वाला को छ्चोड़ अलग हट कर बोले, "ज्वाला! क्या बहकी बहकी बातें कर रही हो, अब तुम्हारे बच्चे पैदा करने की उम्र नही रही,रंजना के ऊपर क्या असर पड़ेगा इन बातों का, कभी सोचा है तुमने?" "सोचते सोचते तो मेरी उम्र बीत गयी और तुमने ही कभी नहीं सोचा कि रंजना का कोई भाई भी पैदा करना है. "छ्चोड़ो ये सब बेकार की बातें,रंजना हमारी लड़की ही नहीं लड़का भी है.हम उसे ही दोनो का प्यार देंगे." दोबारा ज्वाला देवी की कोली भर कर उसे पूचकारते हुए वो बोले, उन्हे ख़तरा था कि कही इस चुदाई के समय ज्वाला उदास ना हो जाए. अबकी बार वो तुनक कर बोली,"चलो बच्चे पैदा मत करो,मगर मेरी इक्च्छाओ का तो ख़याल रखा करो, बच्चे के डर से तुम मेरे पास सोने तक से घबराने लगे हो.""आइन्दा ऐसा नहीं होगा, मगर वादा करो कि चुदाई के बाद तुम गर्भ निरोधक गोली ज़रूर खा लिया करोगी." "हाँ. मेरे .. मालिक.!

दोस्तो पहला पार्ट यही ख़तम करते है फिर मिलेंगे दूसरे पार्ट साथ

क्रमशः...................................................
 
रद्दी वाला पार्ट--2

गतान्क से आगे...................

मैं ऐसा ही करूँगी पर मेरी प्यास जी भर कर बुझाते रहिएगा आप भी. ज्वाला देवी उनसे लिपट गई, उसे ज़ोर से पकड़ अपने लंड को उसकी गांद से दबा कर वो बोले,"प्यास तो तुम्हारी मैं आज भी जी भर कर बुझाउन्गा मेरी जान .. पुच. पुच.. पुच.." लगातार उसके गाल पर काई चूमि काट कर रख दी उन्होने. इन चुंबनो से ज्वाला इतनी गरम हो उठी कि गांद पर टकराते लंड को उसने हाथ मैं पकड़ कर कहा, "इसे जल्दी से मेरी गुफा मैं डालो जी." "हां. हां. डालता .. हूँ.. पहले तुम्हे नंगी कर'के चुदाई के काबिल तो बना लूँ जान मेरी." एक चूची ज़ोर से मसल डाली थी सुदर्शन जी ने,सिसक ही पड़ी थी बेचारी ज्वाला.सुदर्शन जी ने ज्वाला की कमर कस कर पकड़ी और आहिस्ता से उंगलिया पेटिकोट के नडे पर ला कर जो उसे खींचा कि कुल्हों से फिसल कर गांद नंगी करता हुआ पेटिकोट नीचे को फिसलता चला गया."वाह. भाई.. वाह.. आज तो बड़ी ही लपलापा रही है तुम्हारी! पुच!" मूँ'ह नीचे कर'के चूत पर हौले से चुंबी काट कर बोले. "आई.. नही.. उफ़फ्फ़.. ये.. क्या .. कर . दिया.. आ. एक.. बारर.. और .. चूमओ.. राजा.. आहह एम्म स" चूत पर चूमि कटवाना ज्वाला देवी को इतना मज़ेदार लगा कि दोबारा चूत पर चूमि कटवाने के लिए वो मचल उठी थी. "जल्दी नहीं रानी! खूब चुसूंगा आज मैं तुम्हारी चूत, खूब चट चट कर पियुंगा इसे मगर पहले अपना ब्लाउस और पेटिकोट एकदम अपने बदन से अलग कर दो.""आए रे ..मैं तो आधी से ज़्यादा नंगी हो गयी सय्या.." तुम इस साली लूँगी को क्यों लपेटे पड़े हुए हो?" एक ज़ोरदार झटके से ज्वाला देवी पति की लूँगी उतारते हुए बोली.लूँगी के उतरते ही सुदर्शन जी का डंडे जैसा लंबा व मोटा लंड फन्फना उठा था. उसके यूँ फुंफ़कार सी छ्चोड़ने को देख कर ज्वाला देवी के तन-बदन मैं चुदाई और ज़्यादा प्रज्वलित हो उठी. वो सीधी बैठ गयी और सिसक-सिसक कर पहले उसने अपना ब्लाउस उतारा और फिर पेटिकोट को उतारते हुए वो लंड की तरफ देखते हुए मचल कर बोली, "हाई. अगर.. मुझे.. पता. होता.. तो मैं . पहले . ही .. नंगी.. आ कर लेट जाती आप के पास. आहह. लो.. आ.. जाओ.. अब.. देर क्या है.. मेरी.. हर.. चीज़... नंगी हो चुकी है सय्याँ..." पेटिकोट पलंग से नीचे फैंक कर दोनो बाँहे पति की तरफ उठाते हुए वो बोली.सुदर्शन जी अपनी बनियान उतार कर बोले, "मेरा ख़याल है पहले तुम्हारी चूत को मुँह मैं लेकर खूब चूसू" "हाँ. हां.. मैं भी यही चाह'ती हूं जी.. जल्दी से .. लगा लो इस पर अपना मूँ'ह. दोनो हाथो से चूत की फाँक को चौड़ा कर वो सिसकरते हुए बोली, "मेरा लंड भी तुम्हे चूसना पड़ेगा ज्वाला डार्लिंग. अपनी आँखों की भावें ऊपर चढ़ाते हुए बोले,"छुसुन्गि. मैं.. चूसुन्गि.. ये तो मेरी ज़िंदगी है ... आहा.. इसे मैं नही चूसुन्गि तो कौन चूसेगा,मगर पहले .. आहह. आऊओ.. ना.." अपने होंठो को अपने आप ही चूस्ते हुए ज्वाला देवी उनके फन्फनते हुए लंड को देख कर बोली. उसका जी कर रहा था कि अभी खरा लंड वो मूँ'ह मैं भर ले और खूब चूसे मगर पहले वो अपनी चूत चुस्वा चुस्वा कर मज़े लेने के चक्कर मे थी.लंड चुसवाने का वादा ले सुदर्शन जी घुटने पलंग पर टेक दोनो हाथों से ज्वाला की जंघे कस कर पकड़ झुकते चले गये.और अगले पल उनके होंठ छूट की फाँक पर जा टीके थे. लेटी हुई ज्वाला देवी ने अपने दोनो हाथ अपनी दोनो चूचियो पर जमा कर सिग्नल देते हुए कहा,"अब ज़ोर से .. चूसो..जी.. यू.. कब.. तक. होंठ रगड़ते रहोगे.. आह.. पी. जाओ. इसे."पत्नी की इस मस्ती को देख कर सुदर्शन जी ने जोश मैं आ कर जो चूत की फांको पर काट काट कर उन्हे चूसना शुरू किया तो वो वहशी बन उठी. खुश्बुदार,बिना झांतो की दरार मैं बीच-बीच मैं अब वो जीभ फँसा देते तो मस्ती मैं बुरी तरह बैचैन सी हो उठती थी ज्वाला देवी.चूत को उच्छाल उच्छल कर वो पति के मूँ'ह पर दबाते हुए चूत चुसवाने पर उतर आई थी. "ए..आइए.. नहीं.. ई. मैं.. नहीं.. आए.ए.. ये. क्या.. आइईइ.. मर... जाउन्न्ग्गीइ राअज्जजा. आहह. दान्नाअ मत चोस्सो जी.. उउफ़फ्फ़... आहह नहीं.."सुदर्शन जी ने सोचा कि अगर वे चंद मिनिट और चूत चूस्ते रहे तो कही चूत पानी ही ना छ्चोड़ दे.काई बार ज्वाला का पानी वे जीभ से चूत को चाट चाट कर निकाल चुके थे.इसलिए चूत से मुँह हटाना ही अब उन्होने ज़्यादा फ़ायदेमंद समझा.जैसे ही चूत से मुँह हटा कर वो उठे तो ज्वाला देवी गीली चूत पर हाथ मलतःुए बोली, "ओह.. चूसनी क्यों बंद कर दी जी." "मैने रात भर तुम्हारी चूत ही पीने का ठेका तो ले नहीं लिया, टाइम कम है, तुम्हे मेरा लंड भी चूसना है, मुझे तुम्हारी चूत भी मारनी है और बहुत से काम करने है,अब तुम अपनी ना सोचो और मेरी सोचो यानी मेरा लंड चूसो आई बात समझ मैं." सुदर्शन जी अपना लंड पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोले,उनके लंड का सूपड़ा इस समय फूल कर सुर्ख हुआ जा रहा था."मैं.. पीछे हटने वाली नहीं हूँ.. लाओ दो इसे मेरे मुँह मे."तुरंत अपना मुँह खोलते हुए ज्वाला देवी ने कहा.उसकी बात सुन कर सुदर्शन जी उसके मुँह के पास आ कर बैठ गये और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर उस'के खुले मुँह मे सूपड़ा डाल कर वो बोले, "ले.. चूस.. चूस इसे साली लंड खोर हरामन." "अयै..उई.. आ..उउंम." आधा लंड मूँ'ह मैं भर कर उऊँ.. उ उहं करती हुए वो उसे पीने लगी थी.लंड के चारो तरफ झांतो का झुर्मुट उस'के मूँ'ह पर घस्से से छ्चोड़ रहा था. जिस'से एक मज़ेदार गुदगुदी से उठती हुए वो माह'सूस कर रही थी, चिकना व ताक़तवर लंड चूस'ने मैं उसे बड़ा ही जाएकेदार लग रहा था. जैसे जैसे वो लंड चूस्ति जा रही थी, सुपाड़ा मूँ'ह के अंदर और ज़्यादा उच्छल उच्छल कर टकरा रहा था. जब लंड की फुंफ़कारें ज़्यादा ही बुलंद हो उठी तो सुदर्शन जी ने स्वैम ही अपना लंड उस'के मुँह से निकाल कर कहा,"मैं अब एक पल भी अपने लंड को काबू मैं नहीं रख सकता ज्वाला.. जल्दी से इसे अपनी चूत मैं घुस जाने दो." "वाह.. मेरे . सैय्या. मैने भी तो यही चाह रही हूँ. आओ.. मेरी जांघों के पास बैठो जी..." इस बार अपनी दोनो टांगे ज्वाला देवी ऊपर उठा कर चुदने को पूर्ण तैयार हो उठी थी. सुदर्शन जी दोनो जांघों के बीच मे बैठे और उन्होने लपलपाति गीली चूत के फड़फदते छेद पर सुपाड़ा रख कर दबाना शुरू किया. आच्छी तरह लंड जमा कर एक टाँग उन्होने ज्वाला देवी से अपने कंधे पर रखने को कहा, वो तो थी ही तैयार फ़ौरन उसने एक टाँग फुर्ती से पति के कंधे पर रख ली. चूत पर लगा लंड उसे मस्त किए जा रहा था. ज्वाला देवी दूसरी टाँग पहले की तरह ही मोड हुए थी. सुदर्शन जी ने थोड़ा सा झुक कर अपने हाथ दोनो चूचियों पर रख कर दबाते हुए ज़ोर लगा कर लंड जो अंदर पेलना शुरू किया कि फॅक की आवाज़ के साथ एक साँस मैं ही पूरा लंड उसकी चूत साटक गयी. मज़े मैं सुदर्शन जी ने उसकी चूचियाँ छ्चोड़ ज़ोर से उसकी कोली भर कर ढ़ाचा ढ़च लंड चूत मैं पेलते हुए अटॅक चालू कर दिए. ज्वाला देवी पति के लंड से चुद्ते हुए मस्त हुई जा रही थी. मोटा लंड चूत मैं घुसा बड़ा ही आराम दे रहा था. वो भी पति के दोनो कंधे पकड़ उच्छल उच्छल कर चुद रही थी तथा मज़े मैं आ कर सिसकती हुई बक बक कर रही थी, "आहह. श. शब्बास.. सनम.. रोज़.. चोदा करो . वाहह.तुम..वाकाय.. सच्चे... पती.. हो .. चोडो और चोदो.... ज़ोर... से चोदो... उम्म्म... आ.. मज़ाअ.. आ.. रहा आ.. है जी.. और तेज़्ज़.... आहह.." सुदर्शन जी मस्तानी चूत को घोटने के लिए जी जान एक किए जा रहे थे. वैसे तो उनका लंड काफ़ी फँस-फँस कर ज्वाला देवी की चूत मैं घुस रहा था मगर जो मज़ा शादी के पहले साल उन्हे आया था वो इस समय नही आ पा रहा था.खैर चूत भी तो अपनी ही चोदने के अलावा कोई चारा ही नही था.उन चेहरे को देख कर लग रहा था कि वो चूत नहीं मार रहे हैं बल्कि अपना फ़र्ज़ पूरा कर रहे है,ना जाने उनका मज़ा क्यों गायब होता जा रहा था. वास्टिविक्ता ये थी की प्रतिभा की नयी नयी जवान चूत जिसमें उनका लंड अत्यंत टाइट जाया करता था उसकी याद उन्हे आ गयी थी. उनकी स्पीड और चोदने के ढंग मैं फ़र्क मह'सूस करती हुई ज्वाला देवी चुद्ते चुद्ते ही बोली,"ओह.. ये. ढीले..से.. क्योन्न.. पड़ड़.. रहे हैं.. आप.. अफ.. मैं .. कहती हूँ.... ज़ोर.. से .करो... आ. क्यो.. मज़ा.खराब..किए जा रहे हो जीई... उउफ्फ.." "मेरे बच्चों की मा .. आहह.. ले. तुझे. खुश.. कर'के ही हटूँगा.. मेरी.. अच्छी.. रानी.. ले.. और ले. तेरीई.. चूत का.. मैं अपने.. लंड.. से ... भोसड़ा... बना. चुका हूँ.. रंडी..और.ले.. बड़ी अcछी चूत हे.. आह. ले.. चोद. कर रख दूँगा..तुझे.." सुदर्शन जी बड़े ही करारे धक्के मार मार कर आंट शॅंट बकते जा रहे थे, अचानक ज्वाला देवी बहुत ज़ोर से उनसे लिपट लिपट कर गांद को उच्छलते हुए चुदने लगी.सुदर्शन जी भी उसका गाल पीते पीते तेज़ रफ़्तार से उसे चोदने लगे थे.तभी ज्वाला देवी की चूत ने रज की धारा छ्चोड़नी शुरू कर दी. "ओह.. पत्टीी..देव... मेरे. सैयाँ.. ओह. देखो.. देखो.. हो.. गया..ए.. मई..गई..."और झड़ती हुई चूत पर मुश्किल से 8-10 धक्के और पड़े होंगे कि सुदर्शन जी का लंड भी ज़ोरदार धार फेंक उठा. उन'के लंड से वीर्य निकल निकल कर ज्वाला देवी की चूत मैं गिर रहा था,मज़े मैं आ कर दोनो ने एक दूसरे को जाकड़ डाला था. जब दोनो झाड़ गये तो उनकी जकड़न खुद ढीली पड़ती चली गयी.कुछ देर आराम मैं लिपटे हुए दोनो पड़े रहे और ज़ोर ज़ोर से हानफते रहे. करीब 5 मिनिट बाद सुदर्शन जी, ज्वाला देवी की चूत से लंड निकाल कर उठे और मूतने के लिए बेडरूम से बाहर चले गये.
 
ज्वाला देवी भी उठ कर उन'के पीछे पीछे ही चल दी थी.थोड़ी देर बाद दोनो आ कर बिस्तर पर लेट गये तो सुदर्शन जी बोले, "अब! मुझे नींद आ रही है डिस्टर्ब मत करना." "तो क्या आप दोबारा नहीं करेंगे? भूखी हो कर ज्वाला देवी ने पूचछा." "अब! बहुत हो गया इतना ही काफ़ी है, तुम भी सो जाओ." उन्होने लेटते हुए कहा.वास्तव मैं वे अब दोबारा इसलिए चुदाई नही करना चाहते थे क्योंकि प्रतिभा केलिए भी थोड़ा बहुत मसाला उन्हे लंड मे रखना ज़रूरी था.उनकी बात सुन कर ज्वाला देवी लेट तो गयी परंतु मन ही मन ताव मैं आ कर अपने आप से ही बोली, "मा चोद साले, कल तेरी ये अमानत रद्दी वाले को ना सौंप दूँ तो ज्वाला देवी नाम नहीं मेरा. कल सारी कसर उसी से पूरी कर लूँगी साले." सुदर्शन जी तो जल्दी ही सो गये थे, मगर ज्वाला देवी काफ़ी देर तक चूत की ज्वाला मैं सुलगती रही और बड़ी मुश्किल से बहुत देर बाद उसकी आँखे झपकने पर आई. वह भी नींद के आगोश मैं डूबती जा रही थी. अगले दिन ठीक 11 बजे बिरजू की आवाज़ ज्वाला देवी के कानो मैं पड़ी तो खुशी से उसका चेहरा खिल उठा, भागी भागी वो बाहर के दरवाजे पर आई. तब तक बिरजू भी ठीक उसके सामने आ कर बोला,"में साहब ! वो बॉटल ले आओ, ले लूँगा." "भाई साइकल इधर साइड मैं खड़ी कर अंदर आ जाओ और खुद ही उठा लो." वो बोली. "जी आया अभी" बिरजू साइकल बरामदे के बराबर मे खड़ी कर ज्वाला देवी के पीछे पीछे आ गया था.इस समय वह सोच रहा था कि शायद बिविजी की चूत के आज भी दर्शन हो जाय. मगर दिल पर काबू किए हुए था. ज्वाला देवी आज बहुत लंड मार दिखाई दे रही थी. पति वा बेटी के जाते ही चुदाई की सारी तैयारी वह कर चुकी थी. किसी का डर अब उसे ना रहा था.गुलाबी सारी और हल्के ब्लाउस मे उसका बदन और ज़्यादा खिल उठा था. ब्लाउस के गले मे से उसकी चूचियों का काफ़ी भाग झँकता हुआ बिरजू सॉफ दिख रहा था. चूचियाँ भींचने को उसका दिल मचलता जा रहा था. तभी ज्वाला देवी उसे अंदर ला कर दरवाजा बंद करते हुए बोली,"अब दूसरे कमरे मैं चलो, बॉटल वहीं रखकी हैं." "जी, जी, मगर आपने दरवाजा,क्यों बंद कर दिया." बिरजू बेचारा हकला सा गया था. घर की सजावट और ज्वाला देवी के इस अंदाज़ से वह हड़बड़ा सा गया था.वह डरता हुआ सा वहीं रुक गया और बोला, "देखिए मेम साहब ! बॉटल यहीं ले आइए, मेरी साइकल बाहर खड़ी है." "अरे आओ ना, तुझे साइकल मैं और दिलवा दूँगी."बिरजू की बाँह पकड़ कर उसे ज़बरदस्ती अपने बेडरूम पर खींच ही लिया था ज्वाला देवी ने.इस बार सारी बातें एक एक पल मे समझता चला गया, मगर फिर भी वो काँपते हुए बोला,"देखिए,मैं ग़रीब आदमी हूँ जी, मुझे यहा से जाने दो,मेरे बाबा मुझे घर से निकाल देंगे." "अर्रे घबराता क्यों है, मैं तुझे अपने पास रख लूँगी, आजा तुझे बॉटल दिखाउ, आजा ना." ज्वाला देवी बिस्तर पर लेट कर अपनी बाँहें उसकी तरफ बढ़ा कर बड़े ही कामुक अंदाज़ मैं बोली."मैं. मगर.. बॉटल कहा है जी.." बिरजू बुरी तरह हड़बड़ा उठा था."अर्रे!लो ये रही बॉटल, अब देखो इसे जीभर कर मेरे जवान आजा." अपनी सारी व पेटिकोट ऊपर उठा कर सफाचट चूत दिखाती हुई ज्वाला देवी बड़ी बेहयाई से बोली. वो मुस्कुराते हुए बिरजू की मासूमियत पर झूम झूम जा रही थी.चूत के दिखाते ही बिरजू का लंड हाफ पॅंट मैं ही खड़ा हो उठा मगर हाथ से उसे दबाने का प्रयत्न करता हुआ वो बोला, "मेम साहब ! बॉटल कहाँ है . मैं जाता हूँ, कहीं आप मुझे चक्कर मैं मत फँसा देना." "ना.. मेरे .. राजा.. यूँ दिल तोड़ कर मत जाना तुझे मेरी कसम! आजा पत्थे इसे बॉटल ही समझ ले और जल्दी से अपनी डॉट लगा कर इसे ले ले." चुदने को मचले जा रही थी ज्वाला देवी इस समय. "तू नहा कर आया है ना." वो फिर बोली. "जी .. जी. हां. मगर नहाने से आपका मतलब."चौंक कर बिरजू बोला, "बिना नहाए धोए मज़ा नहीं आता राजा इसलिए पूच्छ रही थी." ज्वाला देवी बैठ कर उस'से बोली."तो आप मुझसे गंदा काम करवाने के लिए इस अकेले कमरे मैं लाए हो." तेवर बदलते हुए बिरजू ने कहा, "हाई मेरे शेर तू इसे गंदा काम कह'ता है! इस काम का मज़ा आता ही अकेले मे है, क्या कभी किसी की तूने ली नहीं है?" होंठो पर जीभ फिरा कर ज्वाला देवी ने उस'से कहा और उस'का हाथ पकड़ उसे आप'ने पास खींच लिया. फिर हाफ पॅंट पर से ही उस'का लंड मुट्ठी में भींच लिया.बिरजू भी अब ताव में आ गया और उसकी कोली भर कर चूचियों को भींचता हुए गुलाबी गाल पीत पीता वो बोला, "चोद दूँगा बिविजी, कम मत समझ'ना. हाई रे कल से ही मैं तो तुम्हारी चूत के लिए मरा जा रहा था." शिकार को यूँ ताव मे आते देख ज्वाला देवी की खुशी का ठिकाना ही ना रहा, वो तबीयत से गाल बिरजू को पीला रही थि.दोस्तो अब इस पार्ट को यही ख़तम करते है बिरजू से ज्वाला की चुदाई अगले मे लेकर मिलेंगे

क्रमशः.....................
 
रद्दी वाला पार्ट--3

गतान्क से आगे...................

आज बिरजू भी नहा धो कर मंजन करके साफ सुथरा हो कर आया था.उसकी चुदाई इक्च्छा,मदहोश,बदमस्त औरत को देख देख कर ज़रूरत से ज़्यादा भड़क उठी.उसकी जगह अगर कोई भी जवान लंड का मालिक इस समय होता तो वो भी बिना चोदे मान ने वाला नहीं था,ज्वाला देवी जैसी अल्लहड़ व चुड़दक़्कड़ औरत को."नाम क्या है रे तेरा?" सिसकते हुए ज्वाला देवी ने पूछा.इस समय नाम-वाम मत पूछो बिविजी ! आ आज अपने लंड की सारी आग निकाल लेने दे मुझे. आ.. आजा."बिरजू लिपट लिपट कर ज्वाला देवी की चूचियो व गाल की मा चोदे जा रहा था.उसकी चौड़ी छाती वा मजबूत हाथों मैं कसी हुई ज्वाला देवी भी बेहद सुख अनुभव कर रही थी. जिस बेरहमी से अपने बदन को रगडवा रगडवा कर वह चुदवाना चाह रही थी आज इसी प्रकार का मर्द उसे छप्पर फाड़ कर उसे मुफ़्त मे ही मिल गया था.बिरजू की हाफ पॅंट मैं हाथ डाल कर उसका 18 साल का ख़ूँख़ार वा तगड़ा लंड मुट्ठी मैं भींच कर ज्वाला देवी अचंभे से बोली, "हाई. हाई.. ये लंड है.. या घिया.. कद्दू. अफ.क्यों.रे.अब तक कितनी को मज़ा दे चुका है तू अपने इस कद्दू से.." "हाई.मेम साहब..क्या पूच्छ लिया ... तुमने .. पुच. पुच. एक बार मौसी की ली थी बस.. वरना अब तक मुट्ठी मार मार कर अपना पानी निकालता आया हूं.. हाँ.. मेरी अब उसी मौसी की लड़की पर ज़रूर नज़र है. उसे भी दो चार रोज़ के अंदर चोद कर ही रहूँगा.है तेरी चूत कैसी है..आ.. इसे तो आज मैं खूब चाटूँगा.. हे.. आ. लिपट जा.." बिरजू ने ज्वाला देवी की सारी ऊपर उठा कर उसकी टाँगों मे टांगे फँसा कर जाँघो से जंघे रगड़ने का काम शुरू कर दिया था.अपनी चिकनी वा गुन्दाज जांघों पर बिरजू की बालों वाली खुरदरी वा मर्दानी जांघों के घस्से खा खा कर ज्वाला देवी की चूत के अंदर जबरदस्त खलबली मच उठी थी.जाँघ से जाँघ टकर'वाने मैं अजीब गुदगुदी वा पूरा मज़ा भी उसे आ रहा था. "अब मेम साहब.. ज़रा नंगी हो जाओ तो मैं चुदाई शुरू करूँ." एक हाथ ज्वाला देवी की भारी गांद पर रख कर बिरजू बोला. "वाहह.. रे.. मर्द..बड़ा गरम है तू तो.मैं.तो उस दिन.रद्दी तुलवाते तुलवाते ही तुझे ताड़.. गयी.. थी.. रे..! आहह. तेरा. लंड... बड़ा.. मज़ा.देगा. आज आहह.. तू रद्दी के पैसे वापिस ले जाना.. प्यारे. आज. से साररीई. रद्दी. तुझे.. मुफ़्त दियाअ... करूंगगीइ मेरी प्यारे आ चल हट परे ज़रा नन्गी हो जाने दे..आ तू भी पॅंट उतार मेरे शेर"ज्वाला देवी उसके गाल से गाल रॅगडाटी हुई बके जा रही थी.अपने बदन को च्छुडा कर पलंग पर ही खड़ी हो गयी ज्वाला देवी और बोली, "मेरी सारी का पल्लू पकड़ और खींच इसे."उसका कहना था कि बिरजू ने सारी का पल्ला पकड़ उसे खींचना शुरू कर दिया. अब ज्वाला देवी घूमती जा रही थी और बिरजू सारी खींचता जा रहा थ. दोस्तो यू लग रहा था मानो दुर्योधन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा हो. राज शर्मा कुछ सेकेंड बाद सारी उसके बदन से पूरी उतर गयी तो बिरजू बोला, "लाओ मैं तुम्हारे पेटिकोट का नाडा खोलूं.""परे हटो, पराए मर्दो से कपड़े नही उतरवाती, बदमाश कहीं का." अदा से मुस्कुराते हुए अपने आप ही पेटिकोट का नाडा खोलते हुए वो बोली. उसकी बात पर बिरजू धीरे से हँसने लगा और अपनी पॅंट उतारने लगा तो पेटिकोट को पकड़े पकड़े ही ज्वाला देवी बोली, "क्यो हंसता है तू,सच सच बता, तुझे मेरी कसम." "अब में साहब, आपसे च्चिपाना ही क्या है? बात दर असल ये है कि वैसे तो तुम मुझसे चूत मरवाने जा रही हो और कपड़े उतरवाते हुए यू बन रही हो,जैसे कभी लंड के दीदार ही तुमने नहीं किए.कसम तेरी ! हो तुम खेली खाई औरत." हीरो की तरह गर्दन फैला कर डाइलॉग सा बोल रहा था बिरजू.उसका जवाब देती हुई ज्वाला देवी बोली,"आबे चुतिये!अगर खेली खाई नही होती तो तुझे पटा कर तेरे सामने चूत खोल कर थोड़े ही पड़ जाती. रही कपड़े उतरवाने की बात तो इसमें एक राज़ है, तू भी सुन'ना चाह'ता है तो बोल. वो पेटिकोट को अपनी टाँगों से अलग करती हुई बोले जा रही थी.पेटिकोट के उतरते ही चूत नंगी हो उठी और बिरजू पॅंट उतार कर खरा लंड पकड़ कर उस पर टूट पड़ा. और उसकी चूत पर ज़ोर ज़ोर से लंड रख कर वो घसे मारता हुआ एक चूची को दबा दबा कर पीने लगा. वो चूत की छटा देख कर आपे से बाहर हो उठा था उस'के लंड मैं तेज़ झट'के लगने चालू होने लगे थे."अर्रे रे इतनी जल्दी मत कर.ऊह रे मान जा.""बात बहुत कर'ती हो मेम्साब, आअहह चोद दूँगा आज."पूरी ताक़त से उसे जाकड़ कर बिरजू उसकी कोली भर कर फिर चूची पीने लगा. शायद चूची पीने मे ज़्यादा ही लुफ्त उसे आ रहा था.चूत पर लंड के यूँ घस्से पड़ने से ज्वाला देवी भी गरमा गयी और उसने लंड हाथ से पकड़ कर चूत के दरवाज़े पर लगा कर कहा,"मार..लफंगे मार.कर दे सारा अंदर... हाय देखूं कितनी जान है तेरे मैं.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा.' चल चोद मुझे." "आहह ये ले हाय फाड़ दूँगा."पूरी ताक़त लगा कर जो बिरजू ने चूत मैं लंड घुसाना शुरू किया की ज्वाला देवी की चूत मस्त हो गयी.उसका लंड उसके पति के लंड से किसी भी मायने में कम नहीं था ज्वाला देवी यूँ तड़पने लगी जैसे आज ही उसकी सील तोड़ी जा रही हो. अपनी टाँगों से बिरजू की कमर जाकड़ कर वो गांद बिस्तर पर रगड़ते हुए मचल कर बोली,"हे उउफ्फ फाड़ डालेगा तू. आह ययययून मत्त करर. तेरा.. तो दो के बराबर है...निकाल्ल सल्ल्ले फट गयी अफ मार दिया." इस बार तो बिरजू ने हद ही कर डाली थी. अपने पहलवानी बदन की सारी ताक़त लगा कर उसने इतना दमदार धक्का मारा था कि फुक्ककच की तेज़ आवाज़ ज्वाला देवी की चूत के मूँ'ह से निकल उठी थी. अपनी बलशाली बाँहों से लचकीले और गुद्देदार जिस्म को भी वो पूर्णा ताक़त से भींचे हुए था. गोरे गाल को चूस्ते हुए बड़ी तेज़ी से जब उसने चूत मे लंड पेलना शुरू कर दिया तो एक जबरदस्त मज़े ने ज्वाला देवी को आ घेरा.हेवी लंड से चुद्ते हुए बिरजू से लिपट लिपट कर उसकी नंगी कमर सहलाते हुए ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ छ्चोड़ने लगी थी. चूत मे फँस फँस कर जा रहे लंड ने उसके मज़े मे चार चाँद लगा डाले थे.अपनी भारी गांद को उकचलते हुए तथा जांघों को बिरजू की खुरदरी खाल से रगड़ते हुए वो तबीयत से चुद रही थी.मखमली औरत की चूत मे लंड डाल कर बिरजू को अपनी किस्मत का सितारा बुलंद होता हुआ लग रहा था. ऊँच नीच, जात पात,ग़रीब अमीर के सारे भेद इस मज़ेदार चुदाई ने ख़त्म कर डाले थे."अफ.. मेरा.. गाल नही.. निशान पर जाएँगे.काट डाला उफ़.. सिरफ्फ़ चोदो रद्दी वल्ले गाल चूसने की लिए हैं.. मर गाई,, हरामी बड़े ज़ोरर सी दाँत गाड़ा दिए तूने तो.. उऊफ़ चोद. मन लगा कर. सच मज़ा आ रहा है मुझे.."बिरजू उसके मचलने को देख कर और ज़्यादा भड़क गया,उसने नीचे को मुँह खिसका कर उसकी चूची पर दाँत गाड़ते हुए चुदाई जारी रक्खी और वो भी बक बक करने लगा,"क्या चीज़्ज़ है तेरी.. बॉटल फोड़ दूँगा. उफ़फ्फ़ हाय मैं तो सोच भी नहीं सकता था की तेरी चूत मुझे चोदने को मिलेगी.हाय आजज्ज मैं ज़न्नत मे आ गया हू.. ले.. ले. पूरा.. डाल दूँगा.. हाई फाड़ दूँगा हाई ले.."बुरी तरह चूत को रौंदने पर उतर आया था बिरजू. लंड के भयानक झट'के बड़े मज़े ले ले कर ज्वाला देवी इस समय झेल रही थी. प्रत्येक धक्के मे वो सिसक सिसक कर बोल रही थी, "हाय सारी कमी पूर्री कर ले .उउंम अम्म उउफ्फ तुझे चार किलो रद्दी मुफ़्त दूँगी. मेरे राजा.. आह हाई बना दे रद्दी मेरी चूत को तू.. हाय मार डाल और मार्र सी उम ओआँ" दोनो की उथ्का पटकी, रगड़ा रगडी के कारण बिस्तर पर बिछी चादर की ऐसी तैसी हुई जा रही थी.एक मामूली कबाड़ी का डंडा,आमिर व गद्देदार ज्वाला देवी की हंडी मैं फँस-फँस कर जा रहा था.चाँद लम्हो के अंदर ही उसकी चूत को चोद कर रख दिया था बिरजू ने. जानदार लंड से चूत का बाजा बजवाने मैं स्वर्गीय अनद ज्वाला लूट लूट कर बहाल हुई जा रही थी.चूत की आग ने ज्वाला देवी की शर्मो हया, पतिव्रत धर्म सभी बातों से दूर करके चुदाई के मैदान मैं ला कर खड़ा कर डाला था.लंड का पानी चूत मैं बरस्वाने की वो जी जान की बाज़ी लगाने पर उतर आई थी.इस समय भूल गयी थी ज्वाला देवी कि वो एक जवान लड़की की मा है, भूल गयी थी वो कि एक इज़्ज़तदार पति की पत्नी भी है.उसे याद था तो सिर्फ़ एक चीज़ का नाम और वो चीज़ थी बिरजू का मोटा ताक़तवर और चूत की नस नस तोड़ देने वाला शानदार लंड.इसी लंड ने उसकेरोम रोम को झाँकरीत कर'के रख दिया था.लंड था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. एका एक बिरजू ने जो अत्यंत ज़ोरो से चूत मैं लंड का आवागमन प्रारंभ किया तो मारे मस्ती के ज्वाला देवी उठ उठ कर सिसक उठी."आ र्रीई वाह अम्म मार मार ससीई"तभी उसकी एक चूची की घुंडी मुँह मे भर कर सूपदे तक लंड बाहर खींच जो एक झटके से बिरजू ने धक्का मारा कि सीधा अटॅक बच्चेदानि पर जा कर हुआ."ऐइ ओह्ह फाड़ डाली ओह उफ़ आ रिई मरी ससिईई आई फटते वक्क्कैइ मोटा है.उफ़ फँसा आ ऊ मज़ा ज़ोर से और ज़ोर से शब्बास्स रद्दी वाले." इस बार बिरजू को ज्वाला देवी पर बहुत गुस्सा आया.अपने आपको रद्दी वाला कहलवाना उसे कुछ ज़्यादा ही बुरा लगा था.ज़ोर से उसकी गंद पर अपने हाथो के पंजे गढ़ा कर धक्के मारता हुआ वो भी बड़बड़ाने लगा,"तेरी बहन को चोदु,चुड़क्कड़ लुगाई आहह.साली चुदवा रही है मुझसे, ख़सम की कमी पूरी कर रहा हूँ मैं आहह और.आहह साली कह रही है रद्दी वाला, तेरी चूत को रद्दी ना बना दूँ, तो कबाड़ी की औलाद नहीं,आह हाई शानदार चूत खा जाउन्गा फाड़ दूँगा ले ले और चुद आज"बिरजू के इन ख़ूँख़ार धक्को ने तो हद ही कर डाली थी. चूत की नस नस हिला कर रख दी थी लंड की चोटो से.ज्वाला देवी पसीने मे नहा उठी और बहुत ज़ोरो से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर तथा बिरजू की कस कर कोली भर कर वो उसे और ज़्यादा ज़ोश मे लाने के लिए सीसीया उठी,"आ रिई ऐस्से हाई हां हां ऐसे ही मेररी चूत फाड़ डाल्लो राज्ज्जा.माफ़ कर दो आब्ब्ब्बबब कॅभी तुम्हे रद्दी वाल्ला नहीं कहूँगी. चोदो ई उऊँ चोदो.." इस बात को सुन कर बिरजू खुशी से फूल उठा था उसकी ताक़त चार गुणी बढ़ कर लंड मे इकट्ठी हो गयी थी. द्रुत गति से चूत का कबाड़ा बनाने पर वो तुल उठा था.उसके हर धक्के पर ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकती हुई गांद को हिला हिला कर लंड के मज़े हासिल कर रही थी.
 
मुक़ाबला ज़ोरो पर ज़ारी था. बुरी तरह बिरजू से चिपेटी हुई ज्वाला देवी बराबर बड़बदाए जा रही थी, "आहह ये मार्रा मार डाला. वाह और जमके उफ़ हद्द कर दी ऑफ मार डाल्लो मुज्ज़े.."और जबरदस्त ख़ूँख़ार धक्के मारता हुआ बिरजू भी उसके गालों को पीते पीते सिसीकिया भर रहा था,"वाहह मेररी औरत आहह हे मक्खन चूत है तेरी तो..ले..चोद दूँगा..ले.आहह."और इसी ताबड़तोड़ चुदाई के बीच दोनो एक दूसरे को जाकड़ कर झाड़'ने लगे थे,ज्वाला देवी लंड का पानी चूत मैं गिरवा कर बेहद त्रिप'ती मह'सूस कर रही थी.बिरजू भी अंतिम बूँद लंड की निकाल कर उसके ऊपर पड़ा हुआ कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. लंड वा चूत पोंच्छ कर दोनो ने जब एक दूसरे की तरफ देखा तो फिर उनकी चुदाई की इक्च्छा भड़क उठी थी,मगर ज्वाला देवी चूत पर काबू करते हुए पेटिकोट पहनते हुए बोली,"जी तो करता है कि तुमसे दिन रात चुदवाति रहू,मगर मोहल्ले क़ा मामला है,हम दोनो की इसी मे भलाई है कि अब कपड़े पहन अपने काम संभाले." "म..मगर. मेम साहब.. मेरा तो फिर खड़ा होता जा रहा है.एक बार और दे दो ना हाय." एक टीस सी उठी थी बिरजू के दिल मैं,ज्वाला देवी का कपड़े पहनना उसके लंड के अरमानो पर कहर ढा रहा था.एकाएक ज्वाला देवी तैश मैं आते हुए बोल पड़ी,"अपनी औकात मे आटु अब,चुपचाप कपड़े पहन और खिसक लेयहा सेवरना वो मज़ा चखाउन्गी कि मोहल्ले तक को भूल जाएगा,चल उठ जल्दी."ज्वाला देवी के इस बदलते हुए रूप को देख बिरजू सहम उठा और फटाफट फुर्ती से उठ कर वो कपड़े पहन'ने लगा. एक डर सा उसकी आँखों मे सॉफ दिखाई दे रहा था.कपड़े पहन कर वो आहिस्ता से बोला, "कभी कभी तो दे दिया करोगी मेमसाहब,मैं अब ऐसे ही तड़प्ता रहूँगा?" बिरजू पर कुछ तरस सा आ गया था इस बार ज्वाला देवी को,उसके लंड के मचलते हुए अरमानो और अपनी चूत की ज्वाला को मद्देनज़र रखते हुए वो मुस्कुरा कर बोली,"घबरा मत हफ्ते दो हफ्ते मे मौका देख कर मैं तुझे बुला लिया करूँगी जी भर कर चोद लिया करना, अब तो खुश? वाकई खुशी के मारे बिरजू का दिल बल्लियों उच्छल पड़ा और चुपचाप बाहर निकल कर अपनी साइकल की तरफ बढ़ गया. थोड़ी देर बाद वो वाहा से चल पड़ा था,वो यहा से जातो रहा था मगर ज्वाला देवी की मखमली चूत का ख़याल उस'के ज़हन से जाने का नाम ही नहीं ले रहा था. 'वाह री चुदाई, कोई ना समझा तेरी खुदाई.' सुदर्शन जी सरकारी काम से 1 हफ्ते के लिए मेरठ जा रहे थे, ये बात जब ज्वाला देवी को पता चली तो उसकी खुशी का ठिकाना ही ना रहा.सबसे ज़्यादा खुशी तो उसे इस की थी की पति की ग़ैरहाज़री मैं बिरजू का लंबा वा जानदार लंड उसे मिलने जा रहा था.जैसे ही सुदर्शन जी जाने के लिए निकले, ज्वाला ने बिरजू को बुलवा भेजा और नहा धो कर बिरजू के आने का इंतेज़ार करने लगी. बिरजू के आते ही वो उससे लिपट गयी.उसके कान मैं धीरे से बोली,"राजा आज रात को मेरे यही रूको और मेरी चूत का बाजा जीभर कर बजाना." ज्वाला देवी बिरजू को ले कर अपने बेडरूम मैं घुस गयी और दरवाजा बंद कर'के उस'के लॉड को सह'लाने लगी. लेकिन उस रात ग़ज़ब हो गया, वो हो गया जो नही होना चाहिए था,यानी उन्दोनो के मध्या हुई सारी चुदाई लीला को रंजना ने जी भर कर देखा और उसी समय उसने निश्चय किया कि वो भी अब जल्द ही किसी जवान लंड से अपनी चूत का उद्घाटन ज़रूर करा कर ही रहेगी.हुआ यू था कि उस दिन भी रंजना हमेशा की तरह रात को अपने कमरे मैं पढ़ रही थी, रात 10 बजे तक तो वो पढ़ती रही और फिर थकान और उऊब से तंग आ कर कुच्छ देर हवा खाने और दिमाग़ हल्का करने के इरादे से अपने कमरे से बाहर आ गयी और बरामदे मे चहल कदमी करती हुई टहलने लगी, मगर सर्दी ज़्यादा थी इसलिए वो बरामदे मे ज़्यादा देर तक खड़ी नहीं रह सकी और कुच्छ देर के बाद अपने कमरे की ओर लौटने लगी कि मम्मी के कमरे से सोडे की बॉटल खुलने की आवाज़ उस'के कानो मैं पड़ी. बॉटल खुलने की आवाज़ सुन कर वो ठिठकि और सोचने लगी, "इतनी सर्दी मैं मम्मी सोडे की बॉटल का आख़िर कर क्या रही है?"अजीब सी उत्सुकता उस्केमन मे पैदा हो उठी और उसने बॉट्ल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ज्वाला देवी के कमरे की तरफ कदम बढ़ा दिए.इस समय ज्वाला देवी के कमरे का दरवाज़ा बंद था इसलिए रंजना कुच्छ सोचती हुई इधर उधर देखने लगी और तभी एक तरकीब उसके दिमाग़ मैं आ ही गयी. तरकीब थी पिच्छ'ला दरवाजा, जी हां पिच्छ'ला दरवाजा. रंजना जानती थी कि मम्मी के कम'रे मैं झाँकने के लिए पिच्छ'ले दरवाजे का की होल.वाहा से वो सुदर्शन जी और ज्वाला देवी के बीच चुदाई लीला भी एक दो बार देख चुकी थी. रंजना पिच्छले दरवाजे पर आई और ज्यो ही उसने के होल से अंदर झाँका कि वो बुरी तरह चौंक पड़ी.जो कुछ उसने देखा उस पर कतई विश्वास उसे नही हो रहा था.उसने सिर को झटका दे कर फिर अन्द्रुनि द्रिश्य देखने शुरू कर दिए.इस बार तो उसके शरीर के कुंवारे रोंगटे झंझणा कर खड़े हो गये,जो कुछ उसने अंदर देखा, उसे देख कर उसकी हालत इतनी खराब हो गयी कि काफ़ी देर तक उसके सोचने समझने की शक्ति गायब सी हो गयी. बड़ी मुश्किल से अपने ऊपर काबू करके वो सही स्तिथि मैं आ सकी. रंजना को लाल बल्ब की हल्की रौशनी मैं कमरे का सारा नज़ारा सॉफ सॉफ दिखाई दे रहा था. उसने देखा कि अंदर उंसकी मम्मी ज्वाला देवी और वो रद्दी वाला बिरजू दोनो शराब पी रहे थे. ज़िंदगी मैं पहली बार अपनी मम्मी को रंजना ने शराब की चुस्कियाँ लेते हुए और गैर मर्द से रंगरेलियाँ मनाते हुए देखा था.बिरजू इस समय ज्वाला देवी को अपनी गोद मैं बिठाए हुए था, दोनो एक दूसरे से लिपट चिपते जा रहे थे. क्रमशः..............
 
रद्दी वाला पार्ट--4

गतान्क से आगे................... दुनिया को नज़र अंदाज़ कर'के चुदाई का ज़बरदस्त मज़ा लेने के मूड मे दोनो आते जा रहे थे. इस दृश्या को देख कर रंजना का हाल अजीब सा हो चला था, खून का दौरा काफ़ी तेज़ होने के साथ साथ उसका सिर भी ज़ोरो से घूम रहा था और चूत के आस पास सुरसुराहट सी होती हुई उसे लग रही थी.दिल की धरकने ज़ोर ज़ोर से जारी थी.गला वा होंठ खुश्क पड़ते जा रहे थे और एक अजीब सा नशा उस पर भी छाता जा रहा था. ज्वाला देवी शराब पीती हुई बिरजू से बोले जा रही थी, उसकी बाँहें पीछे की ओर घूम कर बिरजू के गले का हार बनी हुई थी.ज्वाला देवी बिरजू को बार बार"सनम" और "सैय्या" के नाम से ही सम्भोधित करती जा रही थी.बिरजू भी उसे "रानी" ओर "मेरी जान" कह कह कर उसे दिलो जान से अपना बनाने के चक्कर मे लगा हुआ था. बिरजू का एक हाथ ज्वाला देवी की गदराई हुई कमर पर कसा हुआ था, और दोसरे हाथ मैं उसने शराब का ग्लास पकड़ रखा था. ज्वाला देवी की कमर मे पड़ा उसका हाथ कभी उसकी चूची पकड़ता और कभी नाभि के नीचे उंगलियाँ गढ़ाता तो कभी उसकी जांघें. फिर शराब का ग्लास उसने ज्वाला देवी के हाथ मैं थमा दिया. तब ज्वाला देवी उसे अपने हाथों से शराब पिलाने लगी. मौके का फ़ायदा उठाता हुआ बिरजू दोनो हाथों से उसकी भारी मोटी मोटी चूचियो को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से भींचता और नोचता हुआ मज़ा लेने मैं जुट जाता था.एकाएक ज्वाला देवी कुछ फुसफुसा और दोनो एक दूसरे की निगाहो मैं झाँक कर मुस्कुरा दिए.शराब का खाली गिलास एक तरफ रख कर बिरजू बोला, "जान मेरी !अब खड़ी हो जाओ."बिरजू की आग्या का तुरंत पालन करती हुई ज्वाला देवी मुस्कुराते हुए ठीक उसके सामने खड़ी हो गयी,बिरजू बड़े गौर से और चूत फाड़ निगाहो से उसे घूरे जा रहा था और ज्वाला देवी उसकी आँखों मैं आँखे डाल कर चूत की ज्वाला मैं मचलती हुई मुस्कुराते हुए अपने कपड़े उतारने मैं लग गयी. उसके हाथ तो अपना बदन नंगा करने मैं जुटे हुए थे मगर निगाहे बराबर बिरजू के चेहरे और लंड के उठान पर ही जमी हुई थी. अपने शरीर के लगभग सारे कपड़े उतारने के बाद एक ज़ोरदार अंगड़ाई ले कर ज्वाला देवी अपना निचला होंठ दन्तो मैं दबाते हुए बोली,"है ! मैं मर जाऊं सैयाँ ! आज मुझे उठने लायक मत छ्चोड़ना.सच बड़ा मज़ा देते हो तुम,मेरी चूत को घोट कर रख देते हो तुम." पॅंटी वा ब्रा मैं ज्वाला देवी इस उम्र मे लंड पर कयामत ढा रही थी.उसका नंगा बदन जो गोरा होने के साथ साथ गुद्देदार भींचने लायक भी था.लाल बल्ब की हल्की रौशिनी मैं बड़ा ही लंड मार साबित हो रहा था. वास्तव मैं रंजना को ज्वाला देवी इस समय इतनी खराब सी लगने लगी थी कि वो सोच रही थी कि काश ! मम्मी की जगह वो नंगी हो कर खड़ी होती तो चूत के अरमान आज आवश्या पूरे हो जाते.मगर सोचने से क्या होता है? सब अपने अपने मुक़द्दर का खाते है.बिरजू का लंड जब ज्वाला देवी की चूत के मुक़द्दर मैं लिखा है तो फिर भला रंजना की चूत की कुँवारी सील आज कैसे टूट सकती थी. जोश मैं आ कर बिरजू अपनी जगह छोड़ करखड़ा हुआ और मुस्कुराता हुआ ज्वाला देवी के ठीक सामने आ पहुँचा, कुच्छ पल तक उसने सिर से पाँव तक उसे देखने के बाद अपने कपड़े उतारने चलुकर दिए,एक एक करके सभी कपड़े उस्नेउतार कर रख दिए और वएक दम नंग धड़ंग हो कर अपना खड़ा लंड हाथ मैं पकड़ दबाते हुए सिसका, "हाई रानी आज! इसे जल्दी से अपनी चूत मैं ले लो."इस समय जिस दृष्टिकोण से रंजना अंदर के चुदाई दृश्या को देख रही थी उसमें ज्वाला देवी का सामने का यानी चूत और चूचियाँ तथा बिरजू की गांद और कमर यानी पिच्छवाड़ा उसे दिखाई पड़ रहा था.बिरजू की मर्दाना तंदुरुस्त मजबूत गांद और चौड़ा बदन देख कर रंजना अपने ही आप मे शर्मा उठी थी, अजीब सी गुदगुदी उसे अपनी चूचियो मे उठती हुई जान पड़ने लगी थी.बिरजू अभी कपड़े उतार कर सीधा खड़ा हुआ ही था कि ज्वाला देवी ने अपनी गुदाज वा मुलायम बाँहें उसकी गर्दन मे डाल दी और ज़ोर से उसे भींच कर वो बुरी तरह उससे चिपक गयी चुदने को उतावली हो कर बिरजू की गर्दन पर चूमि करते हुए वो धीरे से फुसफुसा कर बोली,"मेरे सनम ! बड़ी देर कर दी है तुमने ! अब जल्दी करो ना ! देखो,मारे जोश के मेरी तो ब्रा ही फटी जा रही है, मुझे बड़ी जलन हो रही है,अफ !मैं तो अब बर्दाश्त नही कर पा रही हूँ, आ जल्दी से मेरी चूत का बजा बजा दो सैयाँ आह."बिरजू उत्तर मे होंठो पर जीभ फ़िराता हुआ हंसा और बस फिर अगले पल अपनी दोनो मर्दानी ताक़तवर बाँहें फैला कर उसने ज्वाला देवी को मजबूती से जाकड़ लिया. जबरदस्त तरीके से भींचता हुआ लगातार काई चूमि उस'के मचलते फड़फदते होंठो और दाहाकते उभरे गोरे गोरे गालों पर काट'नि शुरू कर डाली. ज्वाला देवी मदमस्त हो कर बिरजू के मर्डाने बदन से बुरी तरह मतवाली हो कर लिपट लिपट जा रही थी.दोनो भारी उत्तेजना और चुदाई के उफान मैं भरे हुए ज़ोर ज़ोर से हान्फ्ते हुए पलंग की तरफ बढ़ते जा रहे थे.पलंग के करीब पहुँचते ही बिरजू ने एक झटके के साथ ज्वाला देवी का नंगा बदन पलंग पर पटक दिया. अपने आपको संभालने या बिरजू का विरोध करने की बजाए वो गेंद की तरह हँसती हुई पलंग पर धदाम से जा गिरी थी. पलंग पर पताकने के तुरंत बाद बिरजू ज्वाला देवी की तरफ लपका और उसके ऊपर झुक गया.अगले ही पल उसकी ब्रा खींच कर उसने चूचियो से अलग कर दी और उसके बाद चूत से पॅंटी भी झटके के साथ जोश मैं आ कर उसने इस तरह खेंची की पनटी ज्वाला देवी की कमर वा गंद का साथ छोड़ कर एकदम उसकी टाँगो मे आ कर गिरी. जैसे ही बिरजू का लंड हाथ मैं पकड़ कर ज्वाला देवी ने ज़ोर से दबाया तो वो झुंझला उठा, इसी झुंझलाहट और ताव मे आ कर उसने ज्वाला देवी की उठी हुई चूचियो को पकड़ कर बेरेहमी से खींचते हुए वो उनपर ख़तरनाक जानवर की तरह टूट पड़ा.ज्वाला के गुलाबी होंठो को जबरदस्त तरीके से पीना उसने शुरू कर डाला था. उस'के गालों को ज़ोर ज़ोर से भींच कर होंठ चूस्ते हुए वो अत्यंत जोशिलापन मह'सूस कर रहा था. चाँद पॅलो मैं उसने होंठो को चूस चूस कर उनकी मा चोद कर रख दी थी.जी भर कर होंठ पीने के बाद उसने एकदम ही ज्वाला देवी को पलंग पर घुमा कर चित्त पटक दिया और तभी उछल कर वो उस'के ऊपर सवार हो गया.अपने शरीर के नीचे उसे दबा कर उसका पूरा शरीर ही उसने ऐसे धक लिया मानो ज्वाला देवी उसके नीचे पिस कर रहेगी.बिरजू इस समय ज्वाला के बदन से लिपट लिपट करऔर उसे ज़ोरो से भींच कर अपना बदन उसके मुलायम जानने बदन पर बड़ी बेरेहमी से रगड़े जा रहा था. बदन से बदन पर घस्से मारता हुआ वो दोनो हाथों से चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाता जा रहा था और बारी बरी से उसने चूचियो को मूँ'ह मैं ले ले कर तबीयत से चूसना भी स्टार्ट कर दिया था.बिरजू और ज्वाला देवी दोनो ही इस समय चुदाई की इच्च्छा मैं पागल हो चुके थे. बिरजू के दोनो हाथों को ज्वाला देवी ने मजबूती से पकड़ कर उसकी चूमि का जवाब चूमि से देना शुरू कर दिया था.ज्वाला देवी मस्ती मैं आ कर बिरजू के कभी गाल पर काट लेती तो कभी उस'के कंधे पर काट कर अपनी चूत की धधकति ज्वाला का प्रदर्शान करती जा रही थी. अपनी पूरी ताक़त से बिरजू को ज़ोर से वो भींचे जा रही थी. एकाएक ज्वाला ने बिरजू की मदद करने के लिए अपनी टाँगे ऊपर उठा कर अपने हाथों से टाँगों मैं फँसी हुई पॅंटी निकाल कर बाहर कर दी और कपड़े का नामोनिशान तक अपने बदन से उसने हटा कर रख दिया. उसकी तनी हुई चूचियों की उभरी हुई घुंडी और भारी गांद सभी रंजना को सॉफ दिखाई पड़ रहा था.बस उसे तमन्ना थी तो सिर्फ़ इतनी कि कब बिरजू का लंड अपनी आँखों से वो देख सके.सहसा ही ज्वाला देवी ने दोनो टाँगे ऊपर उठा कर बिरजू की कमर के इर्द गिर्द लपेट ली और जोंक की तरह उस'से लिपट गयी. दोनो ने ही अपना अपना बदन बड़ी ही बेरेहमी और ताक़त से एक दूसरे से रगड़ना शुरू कर दिया था. चूमि काट'ने की क्रिया बड़ी तेज़ ज़ुट जोशीलेपान से जारी थी. ज़ोर ज़ोर से हान्फ्ते सिसकारियाँ छ्चोड़ते हुए दोनो एक दूसरे के बदन की मा चोदने मैं जी जान एक किए दे रहे थे. तभी बड़ी फुर्ती से बिरजू ज़ोर ज़ोर से कुत्ते की तरह हांफता हुआ सीधा बैठ गया और तेज़ी से ज्वाला देवी की टाँगों की तरफ चला. इस पोज़िशन मे रंजना अपनी मम्मी को अच्छी तरह नंगी देख रही थी. उसने मह'सूस किया कि मम्मी की चूत उसकी चूत से काफ़ी बड़ी है. चूत की दरार काफ़ी चौड़ी उसे दिखाई दे रही थी. उसे ताज्जुब हुआ कि मम्मी की चूत इतनी काली होने के साथ साथ एकदम बॉल रहित सफाचत थी.कुछ दिन पहले ही बड़ी बड़ी झांतो का झुर्मुट स्वयं अपनी आँखों से उसने ज्वाला देवी की चूत पर उस समय देखा था, जब सुबह सुबह उसे जगाने के लिए गयी थी. इस समय ज्वाला देवी बड़ी बैचैन, चुदने को उतावली हुई जा रही ही. लंड सटाकने वाली नज़रो से वो बिरजू को एक तक देखे जा रही थी. चूत की चुदाई करने के लिए बिरजू टाँगों के बल बैठ कर ज्वाला देवी की जांघों, चूत की फांको और उसकी दरार पर हाथ फिराने मे लगा हुआ था और फिर एकदम से उसने घुट'ने के पास उसकी टाँग को पकड़ कर चौड़ा कर दिया. तत्पश्चात उसने पलंग के पास मेज़ पर रखकी हुई खुश्बुदार तेल की शीशी उठाई और उसमें से काफ़ी तेल हाथ मैं ले कर ज्वाला देवी की चूत पर अच्छी तरह से अंदर और बाहर इस तरह मलना शुरू किया की उसकी सुगंध रंजना के नथुनो मैं भी आ कर घुसने लगी.
 
अपनी चूत पर किसी मर्द से तेल मालिश करवाने के लिए रंजना भी मचल उठी थी. उसने खुद ही एक हाथ से अपनी चूत को ज़ोर से दबा कर एक ठंडी सांस सी खींची और अंदर की चुदाई देखने मैं उसने सारा ध्यान केंद्रित कर दिया.ज्वाला देवी की चूत तेल से तर करने के पश्चात बिरजू का ध्यानआपने खड़े हुए लंड पर गया.और जैसे ही उसने अपने लंबे और मोटे लन्ड़ को पकड़ कर हिलाया कि बाहर खड़ी रंजना की नज़र पहली बार लंड पर पड़ी. इतनी देर बाद इस शानदार डंडे के दर्शन उसे नसीब हुए थे, लंड को देखते ही रंजना का कलेजा मूँ'ह को आ गया था. उसे अपनी साँस गले मैं फँसती हुई जान पड़ी. वाकई बिरजू का लंड बेहद मोटा, सख़्त और ज़रूरत से ज़्यादा ही लंबा था.देखने मे लकड़ी के खूँटे की तरह वो उस समय दिखाई पड़ रहा था. शायद इतने शानदार लंड की वजह ही थी कि ज्वाला देवी जैसी इज़्ज़तदार औरत भी उस'के इशारो पर नाच रही थी. रंजना को अपनी सहेली की राज शर्मा की कही हुई शायरी याद आ गयी थी, "औरत को नहीं चाहिए ताज़ो तख्त, उसको चाहिए लंड लंबा, मोटा और सख़्त."हाँ तो बिरजू ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से तेल की शीशी उल्टी करके लंड के ऊपर तेल की धार उसने डाल दी. फ़ौरन शीशी मेज़ पर रख कर उसने उस हाथ से लंड पर मालिश करनी शुरू कर दी. मालिश के कारण लंड का तनाव, कडपन और भी ज़्यादा बढ़ गया. चूत मैं घुसने के लिए वो ज़हरीले साँप की तरह फुफ्कारने लगा था.ज्वाला देवी लंड की तरफ कुछ इस अंदाज़ मैं देख रही थी मानो लंड को निगल जाना चाह'ती हो या फिर आँखों के रास्ते पी जाना चाह'ती हो. सारे काम निबटा कर बिरजू खिसक कर ज्वाला देवी की टाँगों के बीच मैं आ गया.उसने टाँगो को जारोरत के मुताबिक मोड़ा और फिर घुटनो के बल उसके ऊपर झुकते हुए अपने खूँटे जैसे सख़्त लंड को ठीक चूत के फड़फदते छेद पर टीका दिया. इसके बाद बिरजू पंजो के बल तोड़ा ऊपर उठा. एक हाथ से तो वो तन्तनाते लंड को पकड़े रहा और दूसरे हाथ से ज्वाला देवी की कमर को उसने धर दबोचा.इतनी तैयारी करते ही ज्वाला देवी की तरफ आँख मारते हुए उसने चुदाई का इशारा किया. परिणाम स्वरूप, ज्वाला देवी ने अपने दोनो हाथों की उंगलियों से चूत का मूँ'ह चौड़ा किया. अब चूत के अंदर का लाल लाल हिस्सा सॉफ दिखाई दे रहा था. बिरजू ने चूत के लाल हिस्से पर अपने लंड का सुपाड़ा टीका कर पहले खूब ज़ोर ज़ोर से उसे चूत पर रगड़ा. इस तरह चूत पर गरम सुपादे की रगड़ाई से ज्वाला देवी लंड सटकने को बैचैन हो उठी, "देखो ! देर ना करो डालो .. ऊपर ऊपर मत रहने दो.. आहह. पूरा अंदर कर दो उऊफ़ ससीई स."ज्वाला देवी के मचलते अरमानो को महसूस कर बिरजू के सब्र का बाँध भी टूट गया और उसने जान लगा कर इतने जोश से चूत पर लंड को दबाया कि आराम के साथ पूरा लंड सरकता चूत मे उतर गया.ऐसा लग रहा था जैसे लंड के चूत मैं घुसते ही ज्वाला देवी की भड़कट्ी हुई चूत की आग मैं किसी ने घी टपका दिया हो, यानी वो और भी ज़्यादा बेचैन सी हो उठी.और जबरदस्त धक्कों द्वारा चुदने की इक्च्छा मैं वो मच्लि जा रही थी. बिरजू की कमर को दोनो हाथों से कस कर पकड़ वो उसे अपनी ओर खींच खींच कर पागलो की तरह पेश आ रही थी. बड़ी बेचैनी से वो अपनी गर्दन इधर उधर पटकते हुए अपनी दोनो टाँगों को भी उच्छाल उच्छल कर पलंग पर मारे जा रही थी.लंड के स्पर्श ने उसके अंदर एक जबरदस्त तूफान सा भर कर रख दिया था. अजीब अजीब तरह की आसपस्ट आवाज़े उस'के मूँ'ह से निकल रही थी, "ओह्ह मेरे राजा मार, जान लगा दे.इसे फाड़ कर रख दे .. रद्दी वाले आज रुक मत अरी मार ना मुझे चीर कर रख दे. दो कर दे मेरी चूत फाड़ कर आह.. स." बिरजू के चूत मैं लंड रोक'ने से ज्वाला देवी को इतना गुस्सा आ रहा था कि वो इस स्तिथि को सहन ना करके ज़ोरो से बिरजू के मुँह पर चाँटा मारने को तैयार हो उठी थी.मगर तभी बिरजू ने लंड को अंदर किया ओर थोडा दबा कर चूत से सटा दिया और दोनो हाथों से कमर को पकड़ कर वो कुच्छ ऊपर उठा और अपनी कमर तथा गांद को ऊपर उठा कर ऐसा उच्छला की ज़ोरो का धक्का ज्वाला देवी की चूत पर जा कर पड़ा.इस धक्के मे मोटा,लंबा और सख़्त लंड चूत मैं तेज़ी से घुसता चला गया था और इस बार सूपदे की चोट चूत की तलहटी पर जा कर पड़ी थी. इतनी ज़ोर से मम्मी की चूत पर हमला होता देख कर रंजना बुरी तरह काँप उठी मगर अगले ही पल उस'के असचर्या का ठिकाना ही नही रहा क्योंकि ज्वाला देवी ने कोई दिक्कत इस भारी धक्के के चूत पर पड़ने से नहीं ज़ाहिर की थी, बल्कि उसने बिरजू को बड़े ही ज़ोरों से मस्ती मैं आ कर बाँहों मे भींच लिया था.इस अजीब वारदात को देख कर रंजना को अपनी चूत के अंदर एक ना दिखाई देने वाली आग जलती हुई महसूस हुई. उस'के अंदर सोई हुई चुदाई की इच्च्छा भी प्रज्वलित हो उठी थी. उसे लगा कि चूत की आग पल पल शोलो मैं बदलती जा रही है. चूत की आग मैं झुलस कर वो घबरा सी गयी और उसे चक्कर आने शुरू हो गये. इतना सब कुच्छ होते हुए भी चुदाई का दृश्या देखने मैं बड़ा अजीब सा मज़ा उसे प्राप्त हो रहा था, वहाँ से हट'ने के बारे मैं वो सोच भी नही सकती थी. उसकी निगाहे अंदर से हट'ने का नाम ही नहीं ले रही थी. जबकि शरीर धीरे धीरे जवाब देता जा रहा था. अब उसने देखा कि बिरजू का लंड चूत के अंदर घुसते ही मम्मी बड़े अजीब से मज़े से मतवाली हो कर बुरी तरह उस'से लिपट गयी थी और अपने बदन तथा चूचियों और गालों को उससे रगड़ते हुए धीरे धीरे मज़े की सिसकारियाँ छ्चोड़ रही थी,"पेलो. वाह..रे. मारो. एशह एसेच. म. हद. हो गयी वाहह और्र मज़ा दो और दो सी आह उफ़".लंड को चूत मैं अच्छी तरह घुसा कर बिरजू ने मोर्चा संभाला.उसने एक हाथ से तो ज्वाला देवी की मुलायम कमर को मजबूती से पकड़ा और दूसरा हाथ उसकी भारी उभरी हुई गांद के नीचे लगा कर बड़े ज़ोर से हाथ का पंजा, गांद के गोश्त मे गढ़ाया. ज़ोर ज़ोर से गांद का गूदा वो मसले जा रहा था. ज्वाला देवी ने भी जवाब मैं बिरजू की मर्दानी गांद को पकड़ा और ज़ोर से उसे खेंचते हुए चूत पर दबाव देती हुई वो बोली, "अब इसकी धज्जियाँ उड़ा दो सैय्या. आह ऐसे काम चलने वाला नहीं है.. पेलो आह." उस'के इतना कह'ते ही बिरजू ने संभाल कर ज़ोरदार धक्का मारा और कहा, "ले. अब नहीं छ्चोड़ूँगा. फाड़ डालूँगा तेरी.." इस धक्के के बाद जो धक्के चालू हुए तो गजब ही हो गया. चूत पर लंड आफ़त बन कर टूट पड़ा था.ज्वाला देवी उसकी गांद को पकड़ कर धक्के लगवाने और चूत का सत्यानाश करवाने मैं उसकी सहायता किए जा रही थी. बिरजू बड़े ही ज़ोरदार और तरकीब वाले धक्के मार मार कर उसे चोदे जा रहा था. बीच बीच मैं दोनो हाथों से उसकी चूचियों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए वो बुरी तरह उस'के होंठो और गालों को काट'ने मे भी कोई कसर नही छ्चोड़ रहा था.चूत मे लंड से ज़ोरदार घस्से छ्चोड़ता हुआ वो चुदाई मैं चार चाँद लगाने मे जुटा हुआ था.चूत पर घस्से मारते हुए वो बराबर चूचियो को मूँ'ह मैं दबाते हुए घुंडीयों को खूब चूज़ जा रहा था. ज्वाला देवी इस समय मज़े मैं इस तरह मतवाली दिखाई दे रही थी कि अगर इस सुख के बदले उन पॅलो मैं उसे अपनी जान भी देनी पड़े तो वो बड़ी खुशी ख़ुसी से अपनी जान भी दे देगी,मगर इस सुख को नही छोड़ेगी. अचानक बिरजू ने लंड चूत मैं रोक कर अपनी झांते वा आँड चूत पर रगड़ने शुरू कर दिए.झांतो वा आंदो के गुदगूदे घससो को खा खा कर ज्वाला देवी बेचैनी से अपनिगांद को हिलाते हुए छूट पर धक्कों का हमला करवाने के लिए बड़बड़ा उठी, "हाई उई झाँते मत रगाडो.. वाहह तुमहरे आनन्द गुदगुदी कर रहे हैं सनम, उई मान भी जाओ आयी चोदो पेलो आह रुक क्यो गये ज़ालिम आहह मत तरसाओ आहह.. अब तो असली वक़्त आया है धक्के मारने का. मारो खूब मारो जल्दी करो.. आज चूत के टुकड़े टुकड़े .. फाड़ डालो इसे हाय बड़ा मोटा है.. आइईए." बिरजू के जोश ज्वाला देवी के यूँ मचलने सिसकने से कुच्छ इतने ज़्यादा बढ़ उठे अपने ऊपर वो काबू ना कर सका और सीधा बैठ कर जबरदस्त धक्के चूत पर लगाने उसने शुरू कर दिए. अब दोनो बराबर अपनी कमर वा गांद को चलाते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाए जा रहे थे.पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था और धक्के लगने से फ़चक-फ़चक की आवाज़ के साथ कमरे का वातावरण गूँज उठा था. ज्वाला देवी मारे मज़े के ज़ोर ज़ोर से किल्कारियाँ मारने लगी थी, और बिरजू को ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने के लिए उत्साहित कर रही थी,"राजा.और तेज़.. और तेज़.. बहुत तेज़.. रुकना मत. जितना चाहो ज़ोर से मारो धक्का.. आह. हाँ. ऐसे ही. और तेज़. ज़ोर से मारो आहह." बिरजू ने आव देखा ना ताव और अपनी सारी ताक़त के साथ बड़े ही ख़ूँख़ार चूत फाड़ धक्के उसने लगाने प्रारंभ कर दिए. इस समय वो अपने पूरे जोश और उफान पर था. उस'के हर धक्के मैं बिजली जैसी चमक और तेज़ कड़कड़ाहट महसूस हो रही थी.दोनो की गांद बड़ी ज़ोरो से उछले जा रही थी. ओलों की टॅप-टॅप की तरह से वो पलंग को तोड़े डाल रहे थे.ऐसा लग रहा था जैसे वो दोनो एक दूसरे के अंदर घुस कर ही दम लेंगे, या फिर एक दूसरे के अंग और नस नस को तोड़ मरोड़ कर रख देंगे.उन दोनो पर ही इस समय क़ातिलाना भूत पूरी तरह सवार था. सह'सा ही बिरजू के धक्कों की रफ़्तार असाधारण रूप से बढ़ उठी और वो ज्वाला देवी के शरीर को तोड़ने मरोड़ने लगा. ज्वाला देवी मज़े मैं मस्तानी हो कर दुगने जोश के साथ चीखने चिल्लाने लगी,"वाह मेरे प्यारे.. मार.. और मार हां बड़ा मज़ा आ रहा है.वा तोड़ दे फाड़ डाल, खा जा छ्चोड़ना मत अफ स मार जमा के धक्का और दे पूरा चोद इसे हाय."और इसी के साथ ज्वाला देवी के धक्कों और उच्छलने की रफ़्तार कम होती चली गयी. बिरजू भी ज़ोर ज़ोर से उछलने के बाद लंड से वीर्या फैंकने लगा था. दोनो ही शांत और निढाल हो कर गिर पड़े थे. ज्वाला देवी झाड़ कर अपने शरीर और हाथ पाँव ढीला छ्चोड़ चुकी थी तथा बिरजू उसे ताक़त से चिपताए बेहोश सा हो कर आँखे मून्दे उस'के ऊपर गिर पड़ा था और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगा था. इतना सब देख कर रंजना का मन इतना खराब हुआ कि आगे एक दृश्या भी देखना उसे मुश्किल जान पड़ने लगा था. उसने गर्दन इधर उधर घुमा कर अपने सुन्न पड़े शरीर को हरकत दी,इसके बाद आहिस्ता से वो भारी मन, काँपते शरीर और लरखड़ाते हुए कदमो से अपने कमरे मे वापस लौट आई. अपने कमरे मैं पहुँच कर वो पलंग पर गिर पड़ी, चुदाई की ज्वाला मे उसका तन मन दोनो ही बुरी तरह छटपटा रहे थे,उसका अंग अंग मीठे दर्द और बेचैनी से भर उठा था,उसे लग रहा था कि कोई ज्वालामुखी शरीर मैं फट कर चूत के रास्ते से निकल जाना चाहता था.अपनी इस हालत से च्छुतकारा पाने के लिए रंजना इस समय कुच्छ भी करने को तैयार हो उठी थी,मगर कुच्छ कर पाना शायद उस'के बस मैं ही नहीं था. सिवाय पागलो जैसी स्तिथि मैं आने के. इच्च्छा तो उसकी ये थी कि कोई जवान मर्द अपनी ताक़तवर बाँहों मैं ज़ोरो से उसे भींच ले और इतनी ज़ोर से दबाए की सारे शरीर का कचूमर ही निकल जाए.मगर ये सोचना एकदम बेकार सा उसे लगा था.अपनी बेबसी पर उसका मन अंदर ही अंदर फूँका जा रहा था. एक मर्द से चुदाई करवाना उसके लिए इस समय जान से ज़्यादा अनमोल था, मगर ना तो चुदाई करने वाला कोई मर्द इस समय उसको मिलने जा रहा था और ना ही मिल सकने की कोई उम्मीद या असर आस पास उसे नज़र आ रहे थे. उसने अपने सिरहाने से सिर के नीचे दबाए हुए तकिये को निकाल कर अपने सीने से भींच कर लगा लिया और उसे अपनी कुँवारी आनच्छुई चूचियो से लिपटा कर ज़ोरो से दबाते हुए वो बिस्तर पर औंधी लेट गयी.सारी रात उसने मम्मी और बिरजू के बीच हुई चुदाई के बारे मैं सोच सोच कर ही गुज़ार दी. क्रमशः........................
 
रद्दी वाला पार्ट--5

गतान्क से आगे................... मुश्किल से कोई घंटा दो घंटा वो सो पाई थी. सुबह जब वो जागी तो हमेशा से एक दम अलग उसे अपना हर अंग दर्द और थकान से टूट-ता हुआ महसूस हो रहा था,ऐसा लग रहा था बेचारी को,जैसे किसी मज़दूर की तरह रात मैं ओवर टाइम ड्यूटी कर'के लौटी है.जबकि चूत पर लाख चोटें खाने और जबरदस्त हमले बुलवाने के बाद भी ज्वाला देवी हमेशा से भी ज़्यादा खुश और कमाल की तरह महकती हुई नज़र आ रही थी. खुशिया और आत्म-संतोष उस'के चेहरे से टपक पड़ रहा था. दिन भर रंजना की निगाहे उस'के चेहरे पर ही जमी रही.वो उसकी तरफ आज जलन और गुस्से से भरी निगाहो से ही देखे जा रही थी.ज्वाला देवी के प्रति रंजना के मन मैं बड़ा अजीब सा भाव उत्पन्न हो गया था. उसकी नज़र मैं वो इतनी गिर गयी थी कि उस'के सारे आदर्शो, पतिव्रता के ढोंग को देख देख कर उसका मन गुस्से के मारे भर उठा था. उस'के सारे कार्यों मैं रंजना को अब वासना और बदचालनी के अलावा कुछ भी दिखाई नही देता था. मगर अपनी मम्मी के बारे मैं इस तरह के विचार आते आते कभी वो सोचने लगती थी कि जिस काम की वजह से मम्मी बुरी है वही काम करवाने के लिए तो वो खुद भी चाह रही है. वास्तविकता तो ये थी की आजकल रंजना अपने अंदर जिस आग मैं जल रही थी, उसकी झुलस की वो उपेक्षा कर ही नहीं सकती थी.जितना बुरा ग़लत काम करने वाला होता है उतना ही बुरा ग़लत काम करने के लिए सोचने वाला भी बस! अगर ज्वाला की ग़लती थी तो सिर्फ़ इतनी कि असमय ही चुदाई की आग रंजना के अंदर उसने जलाई थी.अभी उस बेचारी की उम्र ऐसी कहा थी कि वो चुदाई करवाने के लिए प्रेरित हो अपनी चूत कच्ची ही फाडवाले. बिरजू और ज्वाला देवी की चुदाई का जो प्रभाव रंजना पर पड़ा,उसने उसके रास्ते ही मोड़ कर रख दिए थे.उस रोज़ से ही किसीमर्द से चुदने के लिए उसकी चूत फदाक उठी थी. केयी बार तो चूत की सील तुड़वाने के लिए वो ऐसी ऐसी कल्पनाएं करती कि उसका रोम रोम सिहर उठता था. अब पढ़ाई लिखाई मैं तो उसका मन कम था और एकांत कमरे मैं रह कर सिर्फ़ चुदाई के ख़याल ही उसे आने लगे थे. केयी बार तो वो गरम हो कर रात मैं ही अपने कमरे का दरवाजा ठीक तरह बंद करके एकदम नंगी हो जाया करती और घंटो अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को दबाने और चूत को खुजने से जब वो और भी गरमा जाती थी तो नंगी ही बिस्तर पर गिर कर तड़प उठती थी, कितनी ही देर तक अपनी हर्कतो से तंग आ कर वो बुरी तरह छटपताती रहती और अंत मैं इसी बेचैनी और दर्द को मन मे लिए सो जाती थी.उन्ही दीनो रंजना की नज़र मैं एक लड़'का कुच्छ ज़्यादा ही चढ़ गया था. नाम था उसका मृदुल, उसी की क्लास मैं पढ़ता था. मृदुल देखने मैं बेहद सुंदर-स्वस्थ और आकर्षक था,मुश्किल से दो वर्ष बड़ा होगा वो रंजना से,मगर देखने मैं दोनो हम उम्र ही लगते थे.मृदुल का व्यवहार मन को ज़्यादा ही लुभाने वाला था ना जाने क्या ख़ासियत ले कर वो पैदा हुआ होगा कि लरकियाँ बड़ी आसानी से उसकी ओर खींची चली आती थी, रंजना भी मृदुल की ओर आकर्षित हुए बिना ना रह सकी थी.मौके बेमौके उससे बात करने मैं वो दिलचस्पी लेने लगी थी. खूबसूरती और आकर्षण मैं यूँ तो रंजना भी किसी तरह कम ना थी, इसलिए मृदुल दिलोजान से उस पर मर मिटा था. वैसे लड़'कियों पर मर मिटना उसकी आदत मैं शामिल हो चुका था, इसी कारण रंजना से दो वर्ष बड़ा होते हुए भी वो अब तक उसी के साथ पढ़ रहा था. फैल होने को वो बच्चो का खेल मानता था. बहुत ही जल्द रंजना और मृदुल मैं अच्छी दोस्ती हो गयी थी. अब तो कॉलेज मैं और कॉलेज के बाहर भी दोनो मिलने लगे थे. इसी क्रम के साथ दोनो की दोस्ती रंग लाती जा रही थी.उस दिन रंजना का जनम दिन था, घर पर एक पार्टी का आयोजन किया गया था,जिसमें परिचित वा रिश्तेदारो के अलावा ज़्यादातर संख्या ज्वाला देवी के चूत के दीवानो की थी. आज बिरजू भी बड़ा सज धज के आया था, उसे देख कर कोई नही कह सकता था कि वो एक रद्दी वाला है.रंजना ने भी मृदुल कोइस दावत के लिए इनवितेशन कार्ड भेजा था, इसलिए वो भी पार्टी मैं शामिल हुआ था.जिस तरह ज्वाला देवी अपने चूत के दीवानो को देख देख कर खुश हो रही थी उसी तरह मृदुल को देख कर रंजना के मन मैं भी फुलझड़ियाँ सी फूटे जा रही थी.वो बे-इंतेहा प्रसन्न दिखाई पड़ रही थी आज. पार्टी मैं रंजना ज़्यादातर मृदुल के साथ ही रही. ज्वाला देवी अपने यारो के साथ इतनी व्यस्त थी कि रंजना चाहते हुए भी मृदुल का परिचय उससे ना करा सकी थी. मगर पार्टी के समाप्त हो जाने पर जब सब मेहमान विदा हो गये तो रंजना ने जानबूझ कर मृदुल को रोके रखा. बाद मैं ज्वाला देवी से उसका परिचय करती हुई बोली, "मम्मी ! ये मेरे ख़ास दोस्त मृदुल है." "ओह्ह! हॅंडसम बॉय." ज्वाला देवी ने साँस सी छ्चोड़ी और मृदुल से मिल कर वो ज़रूरत से ज़्यादा ही प्रसन्नता ज़ाहिर करने लगी. उसकी निगाहें बराबर मृदुल की चौड़ी छाती, मजबूत कंधों, बलशाली बाँहें और मर्दाने सुर्ख चेहरे पर ही टिकी रही थी.रंजना को अपनी मम्मी का यह व्यवहार और उसके हाव-भाव बड़े ही नागवार गुज़र रहे थे. मगर वो बड़े धैर्य से अपने मन को काबू मैं किए सब सहे जा रही थी. जबकि ज्वाला देवी पर उसे बेहद गुस्सा आ रहा था.उसे यू लग रहा था जैसे वो मृदुल को उस'से छ्चीनने की कोशिश कर रही थी. मृदुल से बातें करने के बीच ज्वाला देवी ने रंजना की तरफ देख कर बदमाश औरत की तरह नैन चलाते हुए कहा, "वाह रंजना ! कुच्छ भी हो, मृदुल अcछी चीज़ ढूंढी है तुमने, दोस्त हो तो मृदुल जैसा." अपनी बात कह कर कुच्छ ऐसी बेशर्मी से मुस्कुराते हुए वो रंजना की तरफ देखने लगी की बेचारी रंजना उसकी निगाहो का सामना ना कर सकी और शर्मा कर अपनी गर्दन झुका ली. ज्वाला देवी ने मृदुल को छाती से लगा कर प्यार किया और बोली, "बेटा ! इसे अपना ही घर समझ कर आते रहा करो, तुम्हारे बहाने रंजना का दिल भी बहाल जाया करेगा, बेचारी बड़ी अकेली सी रहती है ये.""यस मम्मी !मैं फिर आउन्गा."मृदुल ने मुस्कुरा कर उसकी बात का जवाब दिया और जाने की इजाज़त उसने माँगी, रंजना एक पल भी उसे अपने से अलग होने देना नहीं चाहती थी,मगर मजबूर थी. मृदुल को छ्चोड़ने के लिए वो बाहर गेट तक आई. विदा होने से पहले दोनो ने हाथ मिलाया तो रंजना ने मृदुल का हाथ ज़ोर से दबा दिया, इस पर मृदुल रहस्य से उसकी तरफ मुस्कुराता हुआ वहाँ से चला गया. अब आलम ये था की दोनो ही अक्सर कभी रेस्टोरेंट मैं तो कभी पार्क मैं या सिनिमा हॉल मे एक साथ होते थे. पापा सुदर्शन की गैर मौजूदगी का रंजना पूरा पूरा लाभ उठा रही थी. इतना सब कुच्छ होते हुए भी मृदुल का लंड चूत मैं घुस्वाने का शौभाग्य उसे अभी तक प्राप्त ना हो पाया था. हां, चूमा छाती तक नौबत आवश्य जा पहुँची थी. रोज़ाना ही एक चक्कर रंजना के घर का लगाना मृदुल का परम कर्तव्या बन चुका था. सुदर्शन जी की खबर आई की वो अभी कुच्छ दिन और मेरठ मैं ही रहेंगे. इस खबर को सुन कर मा बेटी दोनो का मानो खून बढ़ गया था.रंजना रोजाना कॉलेज मैं मृदुल से घर आने का आग्रह बार बार करती थी.जाने क्या सोच कर ज्वाला देवी के सामने आने से मृदुल कतराया करता था.वैसे रंजना भी नहीं चाह'ती थी कि मम्मी के सामने वो मृदुल को बुलाए. इसलिए अब ज़्यादातर चोरी-चोरी ही मृदुल ने उस'के घर जाना शुरू कर दिया था.वो घंटो रंजना के कमरे मे बैठा रहता और ज्वाला देवी को ज़रा भी मालूम नहीं होने पाता था. फिर वो उसी तरह से चोरी चोरी वापस भी लौट जाया करता था. इस प्रकार रंजना उसे बुला कर मन ही मन बहुत खुश होती थी. उसे लगता मानो कोई बहुत बड़ी सफलता उसने प्राप्त कर ली हो. चुदाई संबंधो के प्रति तरह तरह की बाते जानने की इच्च्छा रंजना के मन मैं जन्म ले चुकी थी, इसलिए उन्ही दीनो मे कितनी चोदन विषय पर आधारित पुस्तकें ज्वाला देवी के कमरे से चोरी चोरी निकाल कर काफ़ी अध्ययन वो करती जा रही थी.इस तरह जो कुछ उस रोज़ ज्वाला देवी वा बिरजू के बीच उसने देखा था इन चोदन संबंधी पुस्तको को पढ़ने के बाद सारी बातों का अर्थ एक एक कर'के उसकी समझ मैं आ गया था. और इसी के साथ साथ चुदाई की ज्वाला भी प्रचंड रूप से उस'के अंदर बढ़ उठी थी.फिर सुदर्शानजी मेरठ से वापिस आ गये और मा का बिरजू से मिलना और बेटी का मृदुल से मिलना कम हो गया.फिर दो महीना बाद रंजना के छ्होटे मामा की शादी आ गयी और उसी समय रंजना की फाइनल एग्ज़ॅम्स भी आ गये ज्वाला देवी शादी पर अप'ने मयके चली गयी और रंजना पढ़ाई में लग गई. उधर शादी संपन्न हो गई और इधर रंजना की परीक्षा भी समाप्त हो गई, पर ज्वाला देवी ने खबर भेज दी की वह 15 दिन बाद आएगी. सुदर्शानजी ऑफीस से शाम को कुच्छ जल्द आ जाते. ज्वाला के नहीं होने से वे प्रायः रोज ही प्रतिभा की मार'के आते इसलिए थके हारे होते और प्रायः जल्द ही आप'ने कमरे में चले जाते. रंजना और बेचैन रहने लगी.और एक दिन जब पापा अपने कमरे मे चले गये तो रंजना के वहशिपन और चुदाई नशे की हद हो गयी, हुआ यू कि उस रोज़ दिल के बहकावे मे आ कर उसने चुरा कर थोड़ी सी शराब भी पी ली थी.शराब का पीना था कि चुदाई की इक्च्छा का कुछ ऐसा रंग उसके सिर पर चढ़ा कि वो बेहाल हो उठी. दिल की बेचैनी और चूत की खाज से घबरा कर वो अपने बिस्तर पर जा गिरी और बर्दाश्त से बाहर चुदाई इच्च्छा और नशे की अधिकता के कारण वो बेचैनी से बिस्तर पर अपने हाथ पैर फैंकने लगी और अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से इधर उधर झटकने लगी. कमरे का दरवाजा खुला हुआ था दरवाजे पर एकमात्र परदा टंगा हुआ था.रंजना को ज़रा भी पता ना चला कि कब उस'के पापा उस'के कमरे मैं आ गये हैं. वो चुपचाप उस'के बिस्तर तक आए और रंजना को पता चलने से पहले ही वो झुके और रंजना के चेहरे पर हाथ फेर'ने लगे फिर एकदम से उसे उठा कर अपनी बाँहों मैं भींच लिया. इस भयानक हमले से रंजना बुरी तरह से चौंक उठी, मगर अभी हाथ हिलाने वाली ही थी की सुदर्शन ने उसे और ज़्यादा ताक़त लगा कर जाकड़ लिया. अपने पापा की बाँहों में कसी होने का आभास होते ही रंजना एक दम घबरा उठी, पर नशे की अधिक'ता के कारण पापा का यह स्पर्श उसे सुहाना लगा.
 
तभी सुदर्शानजी ने उस'से प्यार से कहा"क्यों रंजना बेटा तबीयत तो ठीक है ना. मैं ऐसे ही इधर आया तो तुम्हें बिस्तर पर छ्ट'पटाते हुए देखा. और यह क्या तुम्हारे मूँ'ह से कैसी गंध आ रही है. रंजना कुच्छ नहीं बोल सकी और उस'ने गर्दन नीचे कर ली. सुदर्शानजी कई देर बेटी के सर पर प्यार से हाथ फेर'ते रहे और फिर बोले,"मे समझ'ता हूँ कि तुम्हे मम्मी की याद आ रही है.अब तो हमारी बेटी पूरी जवान हो गई है.तुम अकेली बोर हो रही हो. चलो मेरे कम'रे में. रंजना मन्त्र मुग्ध सी पापा के साथ पापा के कमरे मे चल पड़ी. कमरे में टेबल पर शराब की बॉटल पड़ी थी, आइस बॉक्स था और एक तस्त्री में कुछ काजू पड़े थे. पापा सोफे पर बैठे और रंजना भी पापा के साथ सोफे पर बैठ गई.सुदर्शानजी ने एक पेग बनाया और शराब की चुस्कियाँ लेने लगे.इस बीच दोनो के बीच कोई बात नहीं हुई. तभी सुदर्शन ने मौन भंग किया. "लो रंजना थोड़ी पी लो तो तुम्हें ठीक लगेगा तुम तो लेती ही हो.अब धीरे धीरे रंजना को स्थिति का आभास हुआ तो वह बोली, "पापा आप यह क्या कह रहे है? तभी सुदर्शन ने रंजना के भरे सुर्ख कपोलों पर हाथ फेर'ना शुरू किया और बोले, "लो बेटी थोड़ी लो शरमाओ मत. मुझे तो पता ही नहीं चला कि हमारी बेटी इतनी जवान हो गई है. अब तो तुम्हारी परीक्षा भी ख़तम हो गई है और मम्मी भी 15 दिन बाद आएगी. अब जब तक मैं घर में रहूँगा तुम्हें अकेले बोर होने नहीं दूँगा. यह कह'ते हुए सुदर्शन ने अप'ना ग्लास रंजना के होंठों के पास किया.रंजना नशे में थी और उसी हालत में उस'ने एक घूँट शराब का भर लिया. सुदर्शन ने एक के बाद एक तीन पेग बनाए और रंजना ने भी 2-3 घूँट लिए. रंजना एक तो पह'ले ही नशे में थी और इन 2-3 और शराब की घूँटों की वजह से वह कल्पना के आकाश मैं उड़ने लगी थी. अब सुदर्शानजी उसे बाँहों में ले हल्के हल्के भींच रहे थे. सुदर्शन को प्रतिभा जैसी जवान चूत का चस्का तो पहले ही लगा हुआ था, पर 16 साल की इस मस्त आनच्छुई कली के साम'ने प्रतिभा भी कुछ नहीं थी. इन दिनों रंजना के बारे में उन'के मन में बूरे ख़याल पनप'ने लगे थे पर इसे कोरी काम कल्प'ना समझ वे मन से झटक देते थे.पर आज उन्हें अपनी यह कल्प'ना साकार होते लगी और इस अनायास मिले अवसर को वे हाथ से गँवाना नहीं चाह'ते थे. रंजना शराब के नशे में और पिच्छले दिनों मृदुल के साथ चुदाई की कल्प'नाओं से पूरी मस्त हो उठी और उसने भी अपनी बाँहें उठा कर पापा की गर्दन मे डाल दी और पापा के आगोश में समा अप'नी कुँवारी चूचिया उनकी चौड़ी छाती पर रगड़नी शुरू कर डाली.रंजना का इतना करना था कि सुदर्शन खुल कर उसके शरीर के जाय'का लूटने पर उतर आया. अब दोनो ही काम की ज्वाला मैं फूँके हुए जोश मे भर कर अपनी पूरी ताक़त से एक दूसरे को दबाने और भींचने लगे. तभी सुदर्शन ने सहारा देकर रंजना को आप'नी गोद में बिठा लिया. रंजना एक बार तो कसमसाई और पापा की आँखों की तरफ देखी.तब सुदर्शन ने कहा,"आहा! इस प्यारी बेटी को बचपन में इतना गोद में खिलाया है. पर इन दिनों में मैने तुम्हारी और ध्यान ही नहीं दिया. सॉरी, और तुम देख'ते देख'ते इट'नी जवान हो गई हो. आज प्यारी बेटी को गोद में बिठा खूब प्यार करेंगे और सारी कसर निकाल देंगे.सुदर्शन ने बहुत ही काम लोलुप नज़रों से रंजना की छातियो की तरफ देख'ते हुए कहा. परंतु मस्ती और नशे मैं होते हुए भी रंजना इस ओर से लापरवाह नहीं रह सकी कि कमरा का दरवाजा खुला था. वह एकाकेक पापा की गोद से उठी और फटाफट उसने कमरे का दरवाजा बंद किया. दरवाजा बंद कर'के जैसे ही लौटी तो सुदर्शन संभाल कर खड़ा हो चुका था और वासना की भूख उसकी आँखों में झलक'ने लगी.वो समझ गया कि बेटी चुद'ने के लिए खूब ब खुद तैयार है तो अब देर किस बात की.पापा ने खड़े खड़े ही रंजना को पकड़ लिया और बुरी तरह बाँहो मैं भींच कर वो पागलो की तरह ज़ोर ज़ोर से उस'के गालों पर कस कर चूमि काटने लगे. गालों को उन्होने चूस चूस कर एक मिनिट मे ही कश्मीरी सेब की तरह सुरंग बना कर रख दिया था.मस्ती से रंजना की भी यही हालत थी,मगर फिर भी उसने गाल चुस्वते चुस्वाते सिसक कर कहा, "हाई छ्चोड़ो ना पापा आप यह कैसा प्यार कर रहे हैं.अब मैं जाती हूँ अप'ने कम'रे में सोने के लिए.पर काम लोलुप सुदर्शन ने उसकी एक ना सुनी और पहले से भी ज़्यादा जोश मे आ कर उसने गाल मुँह मैं भर भर कर उन्हे पीना उउउँ हूँ. अब नहीं जाने दूँगा. मेरे से मेरी जवान बेटी की तड़प और नही देखी जा सक'ती. मैने तुम्हें अप'ने कम'रे में तड़प'ते मचलते देखा.जानती हो यह तुम्हारी जवानी की तड़प है. तुम्हें प्यार चाहिए और वह प्यार अब मैं तुझे दूँगा.मजबूरन वो ढीली पड़ गयी.बस उसका ढीला पड़ना था कि हद ही करके रख दी सुदर्शन ने. वहीं ज़मीन पर उसने रंजना को गिरा कर चित्त लिटा लिया और झपट कर उस'के ऊपर चढ़ बैठा. इसी खींचातानी मैं रंजना की स्कर्ट जाँघो तक खिसक गयी और उसकी गोरी गोरी तंदुरुस्त जांघें सॉफ दिखाई देने लगी. बेटी की इतनी लंड मार आकर्षक जांघों को देखते ही सुदर्शन बदहवास और ख़ूँख़ार पागल हो उठा था.सारे धैर्या की मा चोद कर उसने रख दी,एक मिनिट भी चूत के दर्शन किए बगैर रहना उसे मुश्किल हो गया था. अगले पल ही झटके से उसने रंजना की स्कर्ट खींच कर फ़ौरन ही ऊपर सरका दी.उसका विचार था कि स्कर्ट के ऊपर खींचे जाते ही रंजना की कुँवारी चूत के दर्शन उसे हो जाएँगे और वो जल्दी ही उसमे डुबकी लगा कर जीभर कर उसमें स्नान करने का आनंद लूट सकेगा, मगर उसकी ये मनोकामना पूरी ना हो सकी,क्योंकि रंजना स्कर्ट के नीचे कतई नंगी नही थी बल्कि उस'के नीचे पॅंटी वो पहने हुए थी.चूत को पॅंटी से ढके देख कर पापा को बड़ी निराशा हुई.रंजना को भी यदि यह पता होता कि पापा उस'के साथ आज ऐसा करेंगे तो शायद वह पॅंटी ही नहीं पहन'ती. रंजना सकपकाती हुई पापा की तरफ देख रही थी कि सुदर्शन शीघ्रता से एकदम उसे छ्चोड़ कर सीधा बैठ गया. एक निगाह रंजना की जांघों पर डाल कर वो खड़ा हो गया और रंजना के देखते देखते उसने जल्दी से अपनी पॅंट और कमीज़ उतार दी. इस'के बाद उसने बनियान और अंडरवेर भी उतार डाला और एकदम मदरजात नंगा हो कर खऱ लंड रंजना को दिखाने लगा.अनुभवी सुदर्शन को इस बात का अच्छी तरह से पता था कि चुद'ने के लिए तैयार लड़'की मस्त खड़े लंड को अपनी नज़रों के साम'ने देख सारे हथियार डाल देगी. इस हालत मे पापा को देख कर बेचारी रंजना उन'से निगाहे मिलाने और सीधी निगाहों से लंड के दर्शन करने का साहस तक ना कर पा रही थी बल्कि शरम के मारे उसकी हालत अजीब किस्म की हो चली थी.मगर ना जाने नग्न लंड मैं कशिश ही ऐसी थी कि अधमुंदी पलकों से वो बराबर लंड की ओर ही देखती जा रही थी.उसके सगे बाप का लंड एक दम सीधा तना हुआ बड़ा ही सख़्त होता जा रहा था.रंजना ने वैसे तो बिरजू के लंड से इस लंड को ना तो लंबा ही अनुभव किया और ना मोटा ही मगर अपनी चूत के छेद की चौड़ाई को देखते हुए उसे लगा कि पापा का लंड भी कुच्छ कम नहीं रह पाएगा और उसकी चूत को फाड़ के रख देगा. नंगे बदन और जांघों के बीच टनटनाते सुर्ख लंड को देख कर रंजना की चुदाई की इच्च्छा और भी भयंकर रूप धारण करती जा रही थी.जिस लंड की कल्पना में उस'ने पिच्छ'ले कई महीने गुज़ारे थे वह साक्षात उस'की आँखों के साम'ने था चाहे अपने पापा का ही क्यों ना हो.तभी सुदर्शन ज़मीन पर चित लेटी बेटी के बगल मे बैठ गया. वह बेटी की चिकनी जांघों पर हाथ फेर'ने लगा. उस'ने बेटी को खड़ा लंड तो नंगा होके दिखा ही दिया अब वह उस'से कामुक बातें यह सोच कर कर'ने लगा क़ी इससे छोकरी की झिझक दूर होगी. फिर एक शरमाती नई कली से इस तरह के वास'ना भरे खेल खेल'ने का वह पूरा मज़ा लेना चाहता था.वा रंजना! इन वर्षों में क्या मस्त माल हो गई हो.रोज मेरी नज़रों के सामने रहती थी पर देखो इस और मेरा ध्यान ही नहीं गया. वाह क्या मस्त चिक'नी चिकनी जंघे है.हाय इन पर हाथ फेरने मे क्या मज़ा है.भाई तुम तो पूरी जवान हो गई हो और तुम्हे प्यार करके तो बड़ा मज़ा आएगा.हम तो आज तुम्हे जी भर के प्यार करेंगे और पूरा देखेंगे कि बेटी कित'नी जवान हो गई है. क्रमशः........................
 
रद्दी वाला पार्ट--6

गतान्क से आगे................... फिर सुदर्शन ने रंजना को बैठा दिया और स्कर्ट खोल दी.स्कर्ट के खुलते ही रंजना की ब्रा मे क़ैद शख्त चूचिया सिर उठाए वासना में भरे पापा को निमन्त्रण देने लगी. सुदर्शन ने फ़ौरन उन पर हाथ रख दिया और उन्हें ब्रा पर से ही दबाने लगा. वाह रंजना तुम'ने तो इत'नी बड़ी बड़ी कर ली. तुम्हारी चिकनी जांघों की ही तरह तुम्हारी चूचियाँ भी पूरी मस्त है. भाई हम तो आज इन'से जी भर के खेलेंगे, इन्हें चूसेंगे. यह कह कर सुदर्शन ने रंजना की ब्रा उतार दी. ब्रा के उतर'ते ही रंजना की चूचियाँ फुदक पड़ी. रंजना की चूचियाँ अभी कच्च्चे अमरूदों जैसी ही थी. आनच्छुई होने की वजह से चूचिया बेहद सख़्त और अंगूर के दाने की तरह नुकीली थी. सुदर्शन उन'से खेल'ने लगा और उन्हें मुख में लेकर चूसने लगा. रंजना मस्ती में भरी जा रही थी और ना तो पापा को मना ही कर रही थी और ना ही कुच्छ बोल रही थी.इससे सुदर्शन की हिम्मत और बढ़ी और बोला, अब हम प्यारी बेटी की जवानी देखेंगे जो उस'ने जांघों के बीच च्छूपा रखी है.ज़रा लेटो तो.रंजना ने आँखें बंद कर ली और चित लेट गई. सुदर्शन ने फिर एक बार चिकनी जाँघो पर हाथ फेरा और ठीक चूत के छेद पर अंगुल से दबाया भी जहाँ पॅंटी गीली हो चुकी थी. हाय रंजू तेरी चूत तो पानी छोड़ रही है. यह कह'के सुदर्शन ने रंजना की पॅंटी जांघों से अलग कर दी.फिर वो उसकी जांघों, चूत,गांद और कुंवारे मम्मो को सहलाते हुए आहें भरने लगा. चूत बेहद गोरी थी तथा वहाँ पर सुनेहरी रेशमी झांतों के हल्के हल्के रोए उग रहे थे. इसलिए बेटी की इस आनच्छुई चूत पर हाथ सहलाने से बेहद मज़ा सुदर्शन को आ रहा था. सख़्त मम्मों को भी दबाना वो नहीं भूल रहा था.इसी बीच रंजना का एक हाथ पकड़ कर उसने अपने खड़े लंड पर रख कर दबा दिया और बड़े ही नशीले से स्वर मैं वो बोला, "रंजना! मेरी प्यारी बेटी ! लो अप'ने पापा के इस खिलोने से खेलो. ये तुम्हारे हाथ मैं आने को छॅट्पाटा रहा है मेरी प्यारी प्यारी जान.. इसे दबाओ आह!"लंड सह'लाने की हिम्मत तो रंजना नहीं कर सकी, क्योंकि उसे शर्म और झिझक लग रही थी. मगर जब पापा ने दुबारा कहा तो हल'के से उसे उसे मुट्ठी मैं पकड़ कर भींच लिया. लंड के चारों तरफ के भाग मैं जो बाल उगे हुए थे, वो काले और बहुत सख़्त थे. ऐसा लगता था, जैसे पापा सेव के साथ साथ झाँटेन भी बनाते हैं. लंड के पास की झाँते रंजना को हाथ मे चुभती हुई लग रही थी,इसलिए उसे लंड पकड़ना कुच्छ ज़्यादा अच्छा सा नहीं लग रहा था.अगर लंड झाँत रहित होता तो शायद रंजना को बहुत ही अच्छा लगता क्योंकि वो बोझिल पल'कों से लंड पकड़े पकड़े बोली थी,"ओह्ह पापा आप'के यहाँ के बाल भी दाढ़ी की तरह चुभ रहे हैं.. इन्हे सॉफ कर'के क्यों नहीं रख'ते." बालों की चुभन सिर्फ़ इसलिए रंजना को बर्दस्त करनी पड़ रही थी क्योंकि लंड का स्पर्श बड़ा ही मन भावन उसे लग रहा था.एका एक सुदर्शन ने लंड उसके हाथ से छुड़ा लिया और उसकी जांघों को खींच कर चौड़ा किया और फिर उस'के पैरो की तरफ उकड़ू बैठा.उसने अपना फंफनाता हुआ लंड कुद्रति गीली चूत के अनछुए द्वार पर रखा. वो चूत को चौड़ाते हुए दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर काफ़ी देर तक उसे वहीं पर रगड़ता हुआ मज़ा लेता रहा. मारे मस्ती के बावली हो कर रंजना उठ-उठ कर सिसकार उठी थी, "उई पापा आपके बाल .. मेरी पर चुभ रहे हैं.. उसे हटाओ. बहुत गड़ रहे हैं. पापा अंदर मत कर'ना मेरी बहुत छ्होटी है और आप'का बहुत बड़ा." वास्तव मैं अपनी चूत पर झाँत के बालों की चुभन रंजना को सहन नही हो रही थी,मगर इस तरह से चूत पर सुपादे का घससों से एक जबरदस्त सुख और आनंद भी उसे प्राप्त हो रहा था. घससों के मज़े के आगे चुभन को वो भूलती जा रही थी. रंजना ने सोचा कि जिस प्रकार बिरजू ने मम्मी की चूत पर लंड रख कर लंड अंदर घुसेड़ा था उसी प्रकार अब पापा भी ज़ोर से धक्का मार कर अपने लंड को उसकी चूत मैं उतार देंगे,मगर उसका ऐसा सोचना ग़लत साबित हुआ. क्योंकि कुच्छ देर लंड को चूत के मूँ'ह पर ही रगड़ने के बाद सुदर्शन सह'सा उठ खड़ा हुआ और उसकी कमर पकड़ कर खींचते हुए उसने ऊपर अपनी गोद मैं उठा लिया. गोद मैं उठाए ही सुदर्शन ने उसे पलंग पर ला पट'का था. अपने प्यारे पापा की गोद मैं भरी हुई जब रंजना पलंग तक आई तो उसे स्वर्गिया आनंद की प्राप्ति होती हुई लगी थी. पापा की गरम साँसों का स्पर्श उसे अपने मूँ'ह पर पड़ता हुआ महसूस हो रहा था,उसकी साँसों को वो अपने नाक के नथुनो मैं घुसता हुआ और गालों पर लहराता हुआ अनुभव कर रही थी.इस समय रंजना की चूत मैं लंड खाने की इच्च्छा अत्यंत बलवती हो उठी थी.पलंग के ऊपर उसे पटक सुदर्शन भी अपनी बेटी के ऊपर आ गया था. जोश और उफान से वो भरा हुआ तो था ही साथ ही साथ वो काबू से बाहर भी हो चुका था, इसलिए वो चूत की तरफ पैरो के पास बैठते हुए टाँगों को चौड़ा करने मे लग गया था.टाँगों को खूब चौड़ा कर उसने अपना लंड उपर को उठा चूत के फड़फड़ाते सुराख पर लगा दिया था.रंजना की चूत से पानी जैसा रिस रहा था शायद इस्लियेशुदर्शन ने चूत पर चिकनाई लगाने की ज़रूरत नहीं समझी थी. उसने अच्छी तरह लंड को चूत पर दबा कर ज्यों ही उसे अंदर घुसेड़ने की कोशिश मे और दबाव डाला कि रंजना को बड़े ज़ोरो से दर्द होने लगा और असेहनीय कष्ट से मरने को हो गयी.दबाव पल प्रति पल बढ़ता जा रहा था और वो बेचाती बुरी तरह तड़फने लगी थी. लंड का चूत मैं घुसना बर्दाश्त ना कर पाने के कारण वो बहुत जोरो से कराह उठी और अपने हाथ पाँव फैंकती हुई दर्द से बिलबिलाती हुई वो ताड़-पी, "हाई !पापा अंदर मत डालना. उफ़ मैं मरी जा रही हूँ. हाय पापा मुझे नही चाहिए आप'का ऐसा प्यार.रंजना के यू चीखने चिल्लाने और दर्द से कराह'ने से तंग आ कर सुदर्शन ने लंड का सूपड़ा जो चूत मैं घुस चुका था उसे फ़ौरन ही बाहर खींच लिया. फिर उसने उंगलियों पर थूक ले कर अपने लंड के सुपादे पर और चूत के बाहर व अंदर उंगली डाल कर अच्छि तरह से लगाया. पुनः चोदने की तैयारी करते हुए उसने फिर अपना दहाकता सुपाड़ा चूत पर टीका दिया और उसे अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा.हालाँकि इस समय चूत एकदम पनियाई हुई थी, लंड के छेद से भी चिपचिपी बूंदे चू रही थी और उस'के बावजूद थूक भी काफ़ी लगा दिया था मगर फिर भी लंड था कि चूत मैं घुसना मुश्किल हो रहा था. कारण था चूत का अत्यंत टाइट छेद. जैसे ही हल्के धक्के मैं चूत ने सुपाड़ा निगला कि रंजना को जोरो से कष्ट होने लगा, वो बुरी तरह कराहने लगी, "धीरे धीरे पापा, बहुत दर्द हो रहा है. सोच समझ कर घुसाना.. कहीं फट .. गयी. तो. अफ. मर. गयी. हाई बड़ा दर्द हो रहा है.. टीस मार रही है. है क्या करूँ." चूँकि इस समय रंजना भी लंड को पूरा सटाकने की इच्च्छा मैं अंदर ही अंदर मचली जा रही थी.इसलिए ऐसा तो वो सोच भी नही सकती थी कि वो चुदाई को एकदम बंद कर दे. वो अपनी आँखों से देख चुकी थी कि बिरजू का खूँटे जैसा लंड चूत मैं घुस जाने के बाद ज्वाला देवी को जबरदस्त मज़ा प्राप्त हुआ था और वो उठ उठ कर चुदी थी. इसलिए रंजना स्वयं भी चाहने लगी कि जल्दी से जल्दी पापा का लंड उसकी चूत मैं घुस जाए और फिर वो भी अपने पापा के साथ चुदाई सुख लूट सके,ठीक बिरजू और ज्वाला देवी की तरह.उसे इस बात से और हिम्मत मिल रही थी कि जैसे उसकी मा ने उसके पापा के साथ बेवफ़ाई की और एक रद्दी वाले से चुद'वाई अब वो भी मा की अमानत पर हाथ साफ कर'के बद'ला ले के रहेगी. रंजना यह सोच सोच कर कि वह अप'ने बाप से चुदवा रही है जिस'से चुद'वाने का हक़ केवल उस'की मा को है और मस्त हो गई.क्योंकि जबसे उसने अपनी मा को बिरजू से चुद'वाते देखा तबसे वह मा से नफ़रत कर'ने लगी थी. इसलिए अपनी गांद को उचका उचका कर वो लंड को चूत मैं सटाकने की कोशिश करने लगी, मगर दोनो मैं से किसी को भी कामयाबी हासिल नहीं हो पा रही थी. घुसने के नाम पर तो अभी लंड का सुपाड़ा ही चूत मैं मुश्किल से घुस पाया था और इस एक इंची घुसे सुपादे ने ही चूत मैं दर्द की लहर दौड़ा कर रख दी थी. रंजना ज़रूरत से ज़्यादा ही परेशान दिखाई दे रही थी. वो सोच रही थी कि आख़िर क्या तरकीब लड़ाई जाए जो लंड उसकी चूत मैं घुस सके. बड़ा ही आश्चर्य उसे हो रहा था. उसने अनुमान लगाया था कि बिरजू का लंड तो पापा के लंड से ज़्यादा लंबा और मोटा था फिर भी मम्मी उसे बिना किसी कष्ट और असुविधा के पूरा अपनी चूत के अंदर ले गयी थी और यहाँ उसे एक इंच घुसने मैं ही प्राण गले मैं फँसे महसूस हो रहे थे. फिर अपनी सामान्य बुद्धि से सोच कर वो अपने को राहत देने लगी, उसने सोचा कि ये छेद अभी नया नया है और मम्मी इस मामले मैं बहुत पुरानी पड़ चुकी है. चोदु सुदर्शन भी इतना टाइट व कुँवारा च्छेद पा कर परेशान हो उठा था मगर फिर भी इस रुकावट से उसने हिम्मत भी नहीं हारी थी. बस घभराहट के कारण उसकी बुद्धि काम नहीं कर पा रही थी इसलिए वो भी उलझन मैं पड़ गया था और कुच्छ देर तक तो वो चिकनी जांघों को पकड़े पकड़े ना जाने क्या सोचता रहा.रंजना भी सांस रोके गरमाई हुई उसे देखे जा रही थी. एका एक मानो सुदर्शन को कुछ याद सा आ गया हो वो अलर्ट सा हो उठा,उसने रंजना के दोनो हाथ कस कर पकड़ अपनी कमर पर रख कर कहा, "बेटे! मेरी कमर ज़रा मजबूती से पकड़े रहना, मैं एक तरकीब लड़ाता हूँ, घबराना मत." रंजना ने उसकी आग्या का पालन फ़ौरन ही किया और उसने कमर के इर्द गिर्द अपनी बाँहें डाल कर पापा को जाकड़ लिया. वो फिर बोला, "रंजना! चाहे तुम्हे कितना ही दर्द क्यों ना हो, मेरी कमर ना छ्चोड़ना,आज तुम्हारा इम्तहान है.देखो एक बार फाटक खुल गया तो समझ'ना हमेशा के लिए खुल गया."इस बात पर रंजना ने अपना सिर हिला कर पापा को तसल्ली सी दी.फिर सुदर्शन ने भी उसकी पतली नाज़ुक कमर को दोनो हाथों से कस कर पकड़ा और थोडा सा बेटी की फूल'ती गांद को ऊपर उठा कर उसने लंड को चूत पर दाबा तो, "ओह! पापा रोक लो. उफ़ मरी.."रंजना फिर तदपि मगर सुदर्शन ने सूपड़ा छूत मे अंदर घुसाए हुए अपने लंड की हरकत रोक कर कहा, "हो गया बस मेरी इत'नी प्यारी बेटी. वैसे तो हर बात में अप'नी मा से कॉंपिट्षन कर'ती हो और अभी हार मान रही हो. जान'ती हो तुम्हारी मा बोल बोल के इसे अपनी वाली में पिल्वाती है और जब तक उसके भीतर इसे पेल'ता नहीं सोने नहीं देती. बस. अब इसे रास्ता मिलता जा रहा है. लो थोड़ा और लो.." यह कह सुदर्शन ने ऊपर को उठ कर मोर्चा संभाला और फिर एकाएक उछल कर उसने जोरो से धक्के लगाना चालू कर दिया. इस तरह से एक ही झट'के मैं पूरा लंड सटाकने को रंजना हरगिज़ तैयार ना थी इसलिए मारे दर्द के वो बुरी तरह चीख पड़ी. कमर छ्चोड़ कर तड़पने और च्चटपटाने के अलावा उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, "मार्रिई.. आ. नहीं.. मर्रिई.छोड दो मुझे नहीं घुस्वाना... उऊफ़ मार दिया. नहीं कर'ना मुझे मम्मी से कॉंपिट्षन.जब मम्मी आए तब उसी की में घुसाना.मुझे छोड़ो.छ्चोड़ो निकालो इसे .. आईई हटो ना उऊफ़ फट रही है.. मेरी अयेयीई मत मारो."पर पापा ने ज़रा भी परवाह ना की. दर्द ज़रूरत से ज़्यादा लंड के यूँ चूत मैं अंदर बाहर होने से रंजना को हो रहा था. तड़प कर अपने होंठ अपने ही दांतो से बेचारी ने चबा लिए थे, आँखे फट कर बाहर निकलने को हुई जा रही थी. जब लंड से बचाव का कोई रास्ता बेचारी रंजना को दिखाई ना दिया तो वो सूबक उठी, "पापा ऐसा प्यार मत करो.हाई मेरे पापा छ्चोड़ दो मुझे.. ये क्या आफ़त है.. अफ नहीं इसे फ़ौरन निकाल लो.. फाड़ डाली मेरी . है फट गयी मैं तो मरी जा रही हूँ. बड़ा दुख रहा है . तरस खाओ आ मैं तो फँस गयी.." इस पर भी सुदर्शन धक्के मारने से बाज़ नही आया और उसी रफ़्तार से ज़ोर ज़ोर से धक्के वो लगता रहा.टाइट व मक्खन की तरह मुलायम चूत चोदने के मज़े मे वो बहरा बन गया था दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा ये पार्ट यही ख़तम होता है आगे की कहानी जानने के लिए रद्दी वाला पार्ट ७ पढ़ना ना भूले क्रमशः............
 
Back
Top