रद्दी वाला पार्ट--3
गतान्क से आगे...................
आज बिरजू भी नहा धो कर मंजन करके साफ सुथरा हो कर आया था.उसकी चुदाई इक्च्छा,मदहोश,बदमस्त औरत को देख देख कर ज़रूरत से ज़्यादा भड़क उठी.उसकी जगह अगर कोई भी जवान लंड का मालिक इस समय होता तो वो भी बिना चोदे मान ने वाला नहीं था,ज्वाला देवी जैसी अल्लहड़ व चुड़दक़्कड़ औरत को."नाम क्या है रे तेरा?" सिसकते हुए ज्वाला देवी ने पूछा.इस समय नाम-वाम मत पूछो बिविजी ! आ आज अपने लंड की सारी आग निकाल लेने दे मुझे. आ.. आजा."बिरजू लिपट लिपट कर ज्वाला देवी की चूचियो व गाल की मा चोदे जा रहा था.उसकी चौड़ी छाती वा मजबूत हाथों मैं कसी हुई ज्वाला देवी भी बेहद सुख अनुभव कर रही थी. जिस बेरहमी से अपने बदन को रगडवा रगडवा कर वह चुदवाना चाह रही थी आज इसी प्रकार का मर्द उसे छप्पर फाड़ कर उसे मुफ़्त मे ही मिल गया था.बिरजू की हाफ पॅंट मैं हाथ डाल कर उसका 18 साल का ख़ूँख़ार वा तगड़ा लंड मुट्ठी मैं भींच कर ज्वाला देवी अचंभे से बोली, "हाई. हाई.. ये लंड है.. या घिया.. कद्दू. अफ.क्यों.रे.अब तक कितनी को मज़ा दे चुका है तू अपने इस कद्दू से.." "हाई.मेम साहब..क्या पूच्छ लिया ... तुमने .. पुच. पुच. एक बार मौसी की ली थी बस.. वरना अब तक मुट्ठी मार मार कर अपना पानी निकालता आया हूं.. हाँ.. मेरी अब उसी मौसी की लड़की पर ज़रूर नज़र है. उसे भी दो चार रोज़ के अंदर चोद कर ही रहूँगा.है तेरी चूत कैसी है..आ.. इसे तो आज मैं खूब चाटूँगा.. हे.. आ. लिपट जा.." बिरजू ने ज्वाला देवी की सारी ऊपर उठा कर उसकी टाँगों मे टांगे फँसा कर जाँघो से जंघे रगड़ने का काम शुरू कर दिया था.अपनी चिकनी वा गुन्दाज जांघों पर बिरजू की बालों वाली खुरदरी वा मर्दानी जांघों के घस्से खा खा कर ज्वाला देवी की चूत के अंदर जबरदस्त खलबली मच उठी थी.जाँघ से जाँघ टकर'वाने मैं अजीब गुदगुदी वा पूरा मज़ा भी उसे आ रहा था. "अब मेम साहब.. ज़रा नंगी हो जाओ तो मैं चुदाई शुरू करूँ." एक हाथ ज्वाला देवी की भारी गांद पर रख कर बिरजू बोला. "वाहह.. रे.. मर्द..बड़ा गरम है तू तो.मैं.तो उस दिन.रद्दी तुलवाते तुलवाते ही तुझे ताड़.. गयी.. थी.. रे..! आहह. तेरा. लंड... बड़ा.. मज़ा.देगा. आज आहह.. तू रद्दी के पैसे वापिस ले जाना.. प्यारे. आज. से साररीई. रद्दी. तुझे.. मुफ़्त दियाअ... करूंगगीइ मेरी प्यारे आ चल हट परे ज़रा नन्गी हो जाने दे..आ तू भी पॅंट उतार मेरे शेर"ज्वाला देवी उसके गाल से गाल रॅगडाटी हुई बके जा रही थी.अपने बदन को च्छुडा कर पलंग पर ही खड़ी हो गयी ज्वाला देवी और बोली, "मेरी सारी का पल्लू पकड़ और खींच इसे."उसका कहना था कि बिरजू ने सारी का पल्ला पकड़ उसे खींचना शुरू कर दिया. अब ज्वाला देवी घूमती जा रही थी और बिरजू सारी खींचता जा रहा थ. दोस्तो यू लग रहा था मानो दुर्योधन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा हो. राज शर्मा कुछ सेकेंड बाद सारी उसके बदन से पूरी उतर गयी तो बिरजू बोला, "लाओ मैं तुम्हारे पेटिकोट का नाडा खोलूं.""परे हटो, पराए मर्दो से कपड़े नही उतरवाती, बदमाश कहीं का." अदा से मुस्कुराते हुए अपने आप ही पेटिकोट का नाडा खोलते हुए वो बोली. उसकी बात पर बिरजू धीरे से हँसने लगा और अपनी पॅंट उतारने लगा तो पेटिकोट को पकड़े पकड़े ही ज्वाला देवी बोली, "क्यो हंसता है तू,सच सच बता, तुझे मेरी कसम." "अब में साहब, आपसे च्चिपाना ही क्या है? बात दर असल ये है कि वैसे तो तुम मुझसे चूत मरवाने जा रही हो और कपड़े उतरवाते हुए यू बन रही हो,जैसे कभी लंड के दीदार ही तुमने नहीं किए.कसम तेरी ! हो तुम खेली खाई औरत." हीरो की तरह गर्दन फैला कर डाइलॉग सा बोल रहा था बिरजू.उसका जवाब देती हुई ज्वाला देवी बोली,"आबे चुतिये!अगर खेली खाई नही होती तो तुझे पटा कर तेरे सामने चूत खोल कर थोड़े ही पड़ जाती. रही कपड़े उतरवाने की बात तो इसमें एक राज़ है, तू भी सुन'ना चाह'ता है तो बोल. वो पेटिकोट को अपनी टाँगों से अलग करती हुई बोले जा रही थी.पेटिकोट के उतरते ही चूत नंगी हो उठी और बिरजू पॅंट उतार कर खरा लंड पकड़ कर उस पर टूट पड़ा. और उसकी चूत पर ज़ोर ज़ोर से लंड रख कर वो घसे मारता हुआ एक चूची को दबा दबा कर पीने लगा. वो चूत की छटा देख कर आपे से बाहर हो उठा था उस'के लंड मैं तेज़ झट'के लगने चालू होने लगे थे."अर्रे रे इतनी जल्दी मत कर.ऊह रे मान जा.""बात बहुत कर'ती हो मेम्साब, आअहह चोद दूँगा आज."पूरी ताक़त से उसे जाकड़ कर बिरजू उसकी कोली भर कर फिर चूची पीने लगा. शायद चूची पीने मे ज़्यादा ही लुफ्त उसे आ रहा था.चूत पर लंड के यूँ घस्से पड़ने से ज्वाला देवी भी गरमा गयी और उसने लंड हाथ से पकड़ कर चूत के दरवाज़े पर लगा कर कहा,"मार..लफंगे मार.कर दे सारा अंदर... हाय देखूं कितनी जान है तेरे मैं.. आहह खाली बोलता रहता है चोद दूँगा चोद दूँगा.' चल चोद मुझे." "आहह ये ले हाय फाड़ दूँगा."पूरी ताक़त लगा कर जो बिरजू ने चूत मैं लंड घुसाना शुरू किया की ज्वाला देवी की चूत मस्त हो गयी.उसका लंड उसके पति के लंड से किसी भी मायने में कम नहीं था ज्वाला देवी यूँ तड़पने लगी जैसे आज ही उसकी सील तोड़ी जा रही हो. अपनी टाँगों से बिरजू की कमर जाकड़ कर वो गांद बिस्तर पर रगड़ते हुए मचल कर बोली,"हे उउफ्फ फाड़ डालेगा तू. आह ययययून मत्त करर. तेरा.. तो दो के बराबर है...निकाल्ल सल्ल्ले फट गयी अफ मार दिया." इस बार तो बिरजू ने हद ही कर डाली थी. अपने पहलवानी बदन की सारी ताक़त लगा कर उसने इतना दमदार धक्का मारा था कि फुक्ककच की तेज़ आवाज़ ज्वाला देवी की चूत के मूँ'ह से निकल उठी थी. अपनी बलशाली बाँहों से लचकीले और गुद्देदार जिस्म को भी वो पूर्णा ताक़त से भींचे हुए था. गोरे गाल को चूस्ते हुए बड़ी तेज़ी से जब उसने चूत मे लंड पेलना शुरू कर दिया तो एक जबरदस्त मज़े ने ज्वाला देवी को आ घेरा.हेवी लंड से चुद्ते हुए बिरजू से लिपट लिपट कर उसकी नंगी कमर सहलाते हुए ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ छ्चोड़ने लगी थी. चूत मे फँस फँस कर जा रहे लंड ने उसके मज़े मे चार चाँद लगा डाले थे.अपनी भारी गांद को उकचलते हुए तथा जांघों को बिरजू की खुरदरी खाल से रगड़ते हुए वो तबीयत से चुद रही थी.मखमली औरत की चूत मे लंड डाल कर बिरजू को अपनी किस्मत का सितारा बुलंद होता हुआ लग रहा था. ऊँच नीच, जात पात,ग़रीब अमीर के सारे भेद इस मज़ेदार चुदाई ने ख़त्म कर डाले थे."अफ.. मेरा.. गाल नही.. निशान पर जाएँगे.काट डाला उफ़.. सिरफ्फ़ चोदो रद्दी वल्ले गाल चूसने की लिए हैं.. मर गाई,, हरामी बड़े ज़ोरर सी दाँत गाड़ा दिए तूने तो.. उऊफ़ चोद. मन लगा कर. सच मज़ा आ रहा है मुझे.."बिरजू उसके मचलने को देख कर और ज़्यादा भड़क गया,उसने नीचे को मुँह खिसका कर उसकी चूची पर दाँत गाड़ते हुए चुदाई जारी रक्खी और वो भी बक बक करने लगा,"क्या चीज़्ज़ है तेरी.. बॉटल फोड़ दूँगा. उफ़फ्फ़ हाय मैं तो सोच भी नहीं सकता था की तेरी चूत मुझे चोदने को मिलेगी.हाय आजज्ज मैं ज़न्नत मे आ गया हू.. ले.. ले. पूरा.. डाल दूँगा.. हाई फाड़ दूँगा हाई ले.."बुरी तरह चूत को रौंदने पर उतर आया था बिरजू. लंड के भयानक झट'के बड़े मज़े ले ले कर ज्वाला देवी इस समय झेल रही थी. प्रत्येक धक्के मे वो सिसक सिसक कर बोल रही थी, "हाय सारी कमी पूर्री कर ले .उउंम अम्म उउफ्फ तुझे चार किलो रद्दी मुफ़्त दूँगी. मेरे राजा.. आह हाई बना दे रद्दी मेरी चूत को तू.. हाय मार डाल और मार्र सी उम ओआँ" दोनो की उथ्का पटकी, रगड़ा रगडी के कारण बिस्तर पर बिछी चादर की ऐसी तैसी हुई जा रही थी.एक मामूली कबाड़ी का डंडा,आमिर व गद्देदार ज्वाला देवी की हंडी मैं फँस-फँस कर जा रहा था.चाँद लम्हो के अंदर ही उसकी चूत को चोद कर रख दिया था बिरजू ने. जानदार लंड से चूत का बाजा बजवाने मैं स्वर्गीय अनद ज्वाला लूट लूट कर बहाल हुई जा रही थी.चूत की आग ने ज्वाला देवी की शर्मो हया, पतिव्रत धर्म सभी बातों से दूर करके चुदाई के मैदान मैं ला कर खड़ा कर डाला था.लंड का पानी चूत मैं बरस्वाने की वो जी जान की बाज़ी लगाने पर उतर आई थी.इस समय भूल गयी थी ज्वाला देवी कि वो एक जवान लड़की की मा है, भूल गयी थी वो कि एक इज़्ज़तदार पति की पत्नी भी है.उसे याद था तो सिर्फ़ एक चीज़ का नाम और वो चीज़ थी बिरजू का मोटा ताक़तवर और चूत की नस नस तोड़ देने वाला शानदार लंड.इसी लंड ने उसकेरोम रोम को झाँकरीत कर'के रख दिया था.लंड था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. एका एक बिरजू ने जो अत्यंत ज़ोरो से चूत मैं लंड का आवागमन प्रारंभ किया तो मारे मस्ती के ज्वाला देवी उठ उठ कर सिसक उठी."आ र्रीई वाह अम्म मार मार ससीई"तभी उसकी एक चूची की घुंडी मुँह मे भर कर सूपदे तक लंड बाहर खींच जो एक झटके से बिरजू ने धक्का मारा कि सीधा अटॅक बच्चेदानि पर जा कर हुआ."ऐइ ओह्ह फाड़ डाली ओह उफ़ आ रिई मरी ससिईई आई फटते वक्क्कैइ मोटा है.उफ़ फँसा आ ऊ मज़ा ज़ोर से और ज़ोर से शब्बास्स रद्दी वाले." इस बार बिरजू को ज्वाला देवी पर बहुत गुस्सा आया.अपने आपको रद्दी वाला कहलवाना उसे कुछ ज़्यादा ही बुरा लगा था.ज़ोर से उसकी गंद पर अपने हाथो के पंजे गढ़ा कर धक्के मारता हुआ वो भी बड़बड़ाने लगा,"तेरी बहन को चोदु,चुड़क्कड़ लुगाई आहह.साली चुदवा रही है मुझसे, ख़सम की कमी पूरी कर रहा हूँ मैं आहह और.आहह साली कह रही है रद्दी वाला, तेरी चूत को रद्दी ना बना दूँ, तो कबाड़ी की औलाद नहीं,आह हाई शानदार चूत खा जाउन्गा फाड़ दूँगा ले ले और चुद आज"बिरजू के इन ख़ूँख़ार धक्को ने तो हद ही कर डाली थी. चूत की नस नस हिला कर रख दी थी लंड की चोटो से.ज्वाला देवी पसीने मे नहा उठी और बहुत ज़ोरो से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर तथा बिरजू की कस कर कोली भर कर वो उसे और ज़्यादा ज़ोश मे लाने के लिए सीसीया उठी,"आ रिई ऐस्से हाई हां हां ऐसे ही मेररी चूत फाड़ डाल्लो राज्ज्जा.माफ़ कर दो आब्ब्ब्बबब कॅभी तुम्हे रद्दी वाल्ला नहीं कहूँगी. चोदो ई उऊँ चोदो.." इस बात को सुन कर बिरजू खुशी से फूल उठा था उसकी ताक़त चार गुणी बढ़ कर लंड मे इकट्ठी हो गयी थी. द्रुत गति से चूत का कबाड़ा बनाने पर वो तुल उठा था.उसके हर धक्के पर ज्वाला देवी ज़ोर ज़ोर से सिसकती हुई गांद को हिला हिला कर लंड के मज़े हासिल कर रही थी.