hotaks444
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वैसे तो हम दोनों ही माँ बेटे आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही में घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी । जब राज हमारे साथ आकर रहने लगा था तब भी में ने अपने तौर तरीकों में कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।
लेकिन एक बार हम दोनों माँ बेटे के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।
“ मॉम ” उसने दरवाज़े के बाहर से मेरे को आवाज़ दी ।
" जाओ यहाँ से " में सुबकते सुबकते ही बोली ।
" मॉम , प्लीज मुझे अंदर आने दो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ । “
" राज , तुम मुझसे दूर रहो । मुझे अकेला छोड़ दो । प्लीज ! ”
राज मेरा दुःख और बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ज्यादा जोर नहीं दिया और चुपचाप अपने बेडरूम में आ गया । बेड में लेटे हुए उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी प्यारी मॉम को खो दिया है ।
उसे लगा कि, उन दोनों के बीच जो लाड़ भरा रिश्ता माँ बेटे का था और जो उसके लिए बहुत मायने रखता था क्योंकि वो अपनी मॉम से बहुत प्यार करता था और उम्र में थोड़ा छोटा होने के बावजूद एक protective बेटे की तरह उसकी केयर करता था , वो रिश्ता अब हमेशा के लिए खत्म हो चुका है ।हम दोनों ही माँ बेटे के लिए वो रात बहुत लम्बी गुजरी l दोनों ही अपनी अपनी मानसिक पीड़ा को भोगते हुए बिस्तर में इधर से उधर करवटें बदलते रहे । आखिर थककर नींद ने हमें अपने आगोश में ले लिया ।
दूसरे दिन घर में मेरा मन नहीं लगा । मेरे मन में वही सब ख्याल आते रहे । उस रात में राज के सीने से लगने पर हुई उत्तेजना के दृश्य उसकी आँखों के सामने घूमते रहे । जिस अजनबी को वो इतना चाहने लगी थी वो अब अजनबी नहीं उसका बेटा राज था । फिर भी मेरी चाहत कम नहीं हो रही थी ।
मेने अपने दिल को समझाना चाहा कि ये सिर्फ छिछोरापन है , राज उसका बेटा है और वो उसकी मॉम आखिर दुनिया में कौन माँ अपने बेटे की तरफ इस तरह आकर्षित होती है कि उससे सेक्स सम्बन्ध बनाने की इच्छा हो ? जो भी हुआ वो किस्मत की एक गलती थी और अगर अब भी मैं राज की तरफ आकर्षित हो रही हूँ तो ये बहुत ही गलत बात है , जो संसार के नियम बंधनों के हिसाब से पाप है ।
लेकिन एक बार हम दोनों माँ बेटे के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।
“ मॉम ” उसने दरवाज़े के बाहर से मेरे को आवाज़ दी ।
" जाओ यहाँ से " में सुबकते सुबकते ही बोली ।
" मॉम , प्लीज मुझे अंदर आने दो । मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ । “
" राज , तुम मुझसे दूर रहो । मुझे अकेला छोड़ दो । प्लीज ! ”
राज मेरा दुःख और बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने ज्यादा जोर नहीं दिया और चुपचाप अपने बेडरूम में आ गया । बेड में लेटे हुए उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी प्यारी मॉम को खो दिया है ।
उसे लगा कि, उन दोनों के बीच जो लाड़ भरा रिश्ता माँ बेटे का था और जो उसके लिए बहुत मायने रखता था क्योंकि वो अपनी मॉम से बहुत प्यार करता था और उम्र में थोड़ा छोटा होने के बावजूद एक protective बेटे की तरह उसकी केयर करता था , वो रिश्ता अब हमेशा के लिए खत्म हो चुका है ।हम दोनों ही माँ बेटे के लिए वो रात बहुत लम्बी गुजरी l दोनों ही अपनी अपनी मानसिक पीड़ा को भोगते हुए बिस्तर में इधर से उधर करवटें बदलते रहे । आखिर थककर नींद ने हमें अपने आगोश में ले लिया ।
दूसरे दिन घर में मेरा मन नहीं लगा । मेरे मन में वही सब ख्याल आते रहे । उस रात में राज के सीने से लगने पर हुई उत्तेजना के दृश्य उसकी आँखों के सामने घूमते रहे । जिस अजनबी को वो इतना चाहने लगी थी वो अब अजनबी नहीं उसका बेटा राज था । फिर भी मेरी चाहत कम नहीं हो रही थी ।
मेने अपने दिल को समझाना चाहा कि ये सिर्फ छिछोरापन है , राज उसका बेटा है और वो उसकी मॉम आखिर दुनिया में कौन माँ अपने बेटे की तरफ इस तरह आकर्षित होती है कि उससे सेक्स सम्बन्ध बनाने की इच्छा हो ? जो भी हुआ वो किस्मत की एक गलती थी और अगर अब भी मैं राज की तरफ आकर्षित हो रही हूँ तो ये बहुत ही गलत बात है , जो संसार के नियम बंधनों के हिसाब से पाप है ।