desiaks
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कोई तो रोक लो
______________दोस्तो आज से एक और नई कहानी शुरू कर रहा हूँ ये कहानी प्रीतम ने लिखी है मैं इसे हिन्दी फ़ॉन्ट में आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ . उम्मीद है कि ये कहानी आपको पसंद आएगी .
मेरा नाम पुनीत है. मैं 24 साल का हूँ और मेरी हाइट 5'7" फुट है. देखने मे किसी हीरो की तरह हॅंडसम तो नही हूँ. लेकिन फिर भी इतना ज़रूर है कि, यदि कोई लड़की मुझे देखे तो, एक बार अपने दिल मे, ये बात ज़रूर सोचेगी कि, काश ये लड़का मेरा बाय्फ्रेंड होता.
ये तो मेरा परिचय हो गया. अब मैं अपने परिवार के बाकी सदस्यों का परिचय भी आप से करवा देता हूँ. जिनके इर्द गिर्द ये कहानी घूमना है.
सबसे पहले मैं आपका परिचय मेरे घर के मुखिया से करता हूँ. मेरे घर के सबसे पहले सदस्य मेरे पापा अमरनाथ है. उनकी उमर 48 साल है. लेकिन इस उमर मे भी वो अपने आपको बहुत मेनटेन करके रखते है. इसलिए 48 के होने के बाद भी वो बिल्कुल चुस्त दुरुस्त दिखते है.
उनकी इस चुस्ती का राज भी मुझे बहुत बाद मे पता चला. जो आपको भी आगे चलकर स्टोरी मे पता चल जाएगा. पापा एक बिज़्नेसमॅन है और उनका बिज़्नेस दूसरे सहरों मे भी फैला हुआ है. जिस वजह से हमारे यहाँ पैसो की कोई कमी नही है और हमारा परिवार आमिर परिवारों की गिनती मे आता है.
मेरे परिवार की दूसरी सदस्या मेरी माँ सुनीता है. उनकी उमर 36 साल है. देखने मे वो बिल्कुल शिल्पा सेठी की तरह दिखती है और 2 बेटियों की माँ होने के बाद भी बड़ी ही स्मार्ट पर्सनॅलिटी की मालकिन है.
अब मेरी माँ की उमर 36 साल और मेरी उमर 24 साल देख कर, आपके मन मे ये सवाल ज़रूर आएगा कि ऐसा कैसे हो सकता है. तो मैं आपको बता दूं की, सुनीता मेरी सग़ी माँ नही है. मेरी सग़ी माँ का देहांत तो, तभी हो गया था, जब मैं बहुत छोटा था. सुनीता मेरी सौतेली माँ है और मैं उन्हे छोटी माँ कह कर बुलाता हूँ.
छोटी माँ के बाद मेरे परिवार की तीसरी सदस्या मेरी सौतेली बहन अमिता है. अमिता अभी 12थ मे पढ़ रही है. वो बचपन से ही शांत स्वाभाव की और समझदार लड़की है. अमिता देखने मे दुबली पतली है और पूरी तरह से छोटी माँ पर गयी है. वो मुझसे 7 साल छोटी है. सब उसे प्यार से अमि बुलाते है और मैं उसे अमि के साथ साथ बेटू भी बुलाता हूँ.
अमिता के बाद मेरे परिवार की चौथी सदस्या मेरी सौतेली बहन नामिता है. नामिता अभी 10थ मे पढ़ रही है. वो बचपन से ही चंचल और नटखट स्वाभाव की लड़की है. गुस्सा तो उसकी नाक पर ही बैठा रहता है. नामिता देखने मे भरे बदन की लड़की है. मगर मोटी बिल्कुल नही है. वो मुझसे 9 साल छोटी है. सब उसे प्यार से निमी बुलाते है और मैं निमी के साथ साथ छोटी भी बुलाता हूँ.
मेरे परिवार का पाँचवा सदस्या मैं खुद हूँ. मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है और अब मैं अपने पापा के साथ उनका बिज़्नेस संभालता हूँ. मुझे सब प्यार से पुन्नू बुलाते है. ये मेरे छोटे से परिवार का परिचय था. अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ.
ये कहानी तब सुरू होती है. जब मैं पहली क्लास मे पढ़ता था और मेरी माँ का देहांत हुए कुछ ही समय हुआ था. मेरी देख भाल मेरे पापा, और मेरे घर मे काम करने वाली चंदा मौसी किया करती थी.
पापा की उमर उस समय 30 साल रही होगी. एक दिन उनके ऑफीस मे एक लड़की सुनीता जॉब के लिए आई. उसकी उमर उस समय 18 साल रही होगी. पापा सुनीता को देखते ही उसके रूप पर मोहित हो गये और पहली ही मुलाकात मे उसके सामने जॉब की जगह शादी का प्रस्ताव रख दिया.
अचानक से पापा की तरफ से ये शादी का प्रस्ताव पाकर, सुनीता के कुछ समझ मे नही आया. वो एक मध्यम परिवार की लड़की थी और पापा एक रहीश खानदान के इकलौते लड़के होने के साथ साथ एक कंपनी के मालिक थे.
इसलिए सुनीता ने थोड़ा बहुत सोचने के बाद पापा के शादी के प्रस्ताव मंजूर कर लिया. कुछ ही दिनो मे पापा की शादी सुनीता के साथ हो गयी और सुनीता मेरी सौतेली माँ बनकर मेरे घर आ गयी. उनकी शादी के 1 साल बाद मेरी सौतेली बहन अमिता और 3 साल बाद नामिता का जनम हुआ.
लेकिन ये कहानी अमिता और नामिता के जनम से पहले, पापा की शादी की पहली रात से सुरू होती है. उस समय पापा की एज 30 साल और सुनीता की आगे 18 साल थी. मेरी सौतेली माँ का पति मतलब की पापा उनसे 12 साल बड़े थे, और उनके पति का बेटा मतलब कि मैं उनसे 12 साल छोटा था.
मुझे अच्छे से याद है कि उस समय मैं पापा के साथ ही सोया करता था. मगर जब पापा ने मुझे शादी की पहली रात मेरी सौतेली माँ से मिलवाया तो कहा कि “ये तुम्हारी नयी माँ है और आज से तुम इनको ही मम्मी कहोगे और आज से तुम दूसरे कमरे सोया करोगे.”
इसके बाद मेरे सोने की व्यवस्था एक दूसरे कमरे मे कर दी गयी. उस समय मुझे इतनी समझ तो थी नही जो पापा और छोटी माँ के एक साथ सोने का कुछ मतलब समझ पता. मुझे उस रात अकेले ज़रा भी नींद नही आई.
मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि मेरी माँ की मौत के साथ ही मेरी खुशिया भी ख़तम हो गयी हो. मैं सारी रत अपनी मरी हुई माँ को याद करके, रोता रहा और मुझे पहले दिन ही अपनी नयी माँ से नफ़रत हो गयी.